best short story in hindi : फिल्म लेखक और अभिनेत्री के इश्क़ की उड़ान

best short story in hindi : 26 दिसंबर, 2021 की सुबह का वक्त था. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के थाना खागा के थानाप्रभारी  आनंद प्रकाश शुक्ला क्षेत्र के एक कुख्यात अपराधी की फाइल पलट रहे थे. तभी एक युवक ने उन के कक्ष में प्रवेश किया.

वह बेहद घबराया हुआ था. उन्होंने एक नजर उस पर डाली फिर पूछा, ‘‘सुबहसुबह कैसे आना हुआ? क्या कोई खास बात है? तुम इतने घबराए हुए क्यों हो?’’
‘‘सर, मेरा नाम इंद्रमोहन सिंह राजपूत है. मैं गुलरिहनपुर मजरे के कूरा गांव का रहने वाला हूं. बीती रात मेरी पत्नी योगमाया ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली. उस की लाश घर के अंदर पड़ी है. रात में सूचना देने नहीं आ सका. इसलिए सुबह आया हूं.’’

थानाप्रभारी आनंद शुक्ला के सामने कई ऐसे सवाल थे, जिन के जवाब इंद्रमोहन सिंह दे सकता था. लेकिन पहली जरूरत मौके पर पहुंचने की थी. इसलिए उन्होंने सब से पहले एसपी (फतेहपुर) राजेश कुमार सिंह और डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को घटना की जानकारी दी. फिर वह पुलिस टीम ले कर मौके पर पहुंच गए. उस समय इंद्रमोहन सिंह के घर के बाहर लोगों की भीड़ थी. भीड़ को हटाते हुए थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने सहकर्मियों के साथ घर के अंदर प्रवेश किया और उस कमरे में पहुंचे, जहां मृतका की लाश पड़ी थी.

कमरे का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. कमरे के अंदर पड़े पलंग पर योगमाया नाम की युवती की लाश खून से तरबतर पड़ी थी. उस के गले पर 3 गहरे घाव थे, जिन से खून रिस रहा था. खून से बिस्तर तरबतर था. पलंग के पास ही खून सना हंसिया पड़ा था, जिसे श्री शुक्ला ने जांच हेतु सुरक्षित कर लिया. मृतका योगमाया का रंग गोरा, शरीर स्वस्थ और उम्र 25 वर्ष के आसपास थी. मौके से कोई सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ. शव निरीक्षण के बाद थानाप्रभारी इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि यह मामला आत्महत्या का नहीं है,

बल्कि रणनीति के तहत हत्या का है. पुलिस को गुमराह करने के लिए आत्महत्या की सूचना दी गई है.
सच्चाई का पता लगाने के लिए वह वहां पर मौजूद मृतका के मायके वालों से जानकारी के लिए बड़े तभी एसपी राजेश कुमार सिंह तथा डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा वहां आ गए.

पुलिस को दिखा हत्या का मामला

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया फिर इंसपेक्टर आनंद प्रकाश शुक्ला से बातचीत की. इंसपेक्टर शुक्ला ने शक जाहिर किया कि मामला आत्महत्या का नहीं, बल्कि हत्या का है और इस का रहस्य मृतका के पति इंद्रमोहन सिंह के पेट में ही छिपा है. मौके पर मृतका का पति इंद्रमोहन सिंह मौजूद था. अत: एसपी राजेश कुमार सिंह ने उस से पूछताछ की. इंद्रमोहन सिंह ने बताया कि वह रंगकर्मी है. भोजपुरी फिल्मों में कहानी लेखन का काम करता है. इस के अलावा वह भोजपुरी गानों पर एलबम बनाता है.

कल सुबह वह पहले अपनी ससुराल गया, फिर वहां से लखनऊ चला गया था. घर पर उस की पत्नी योगमाया, एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा भोजपुरी फिल्मों में काम करने वाली अभिनेत्री नेहा वर्मा थी. देर रात जब वह घर वापस आया तो नेहा वर्मा ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली. रात अधिक हो जाने के कारण वह थाने नहीं गया. सुबह सूचना देने गया. भोजपुरी फिल्म नायिका नेहा वर्मा डरीसहमी घर पर ही मौजूद थी. राजेश कुमार सिंह ने नेहा वर्मा से पूछताछ की तो उस ने बताया कि रात 8 बजे उस ने और योगमाया ने साथ बैठ कर खाना खाया था. उस के बाद योगमाया अपने बेटे के साथ कमरे में जा कर लेट गई और वह दूसरे कमरे में जा कर सो गई.

रात 10 बजे के लगभग उसे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी तो वह कमरे में गई. वहां पलंग पर योगमाया मृत पड़ी थी. उस ने हंसिया से गला रेत कर आत्महत्या कर ली थी. कुछ देर बाद इंद्रमोहन सिंह आ गए. तब वह बच्चे को गोद में ले कर चीखते हुए बाहर निकले. उस के बाद इंद्रमोहन सिंह के मातापिता व भाई आ गए, जो पड़ोस में रहते हैं. नेहा वर्मा ने यह भी बताया कि वह 2 साल से इंद्रमोहन सिंह के संपर्क में है. वह भोजपुरी फिल्मों में साइड रोल करती है. अभी कुछ माह पहले ही उस की ‘पश्चाताप’ फिल्म बनी है, जो जल्द ही रिलीज होने वाली है. इस भोजपुरी फिल्म में उस का साइड रोल है.

फिल्म की कहानी इंद्रमोहन सिंह ने लिखी थी. उस ने बताया कि वह 4 दिन पहले ही अपने पिता के साथ गोरखपुर से कूरा गांव आई थी. पहले भी वह कई बार इंद्रमोहन सिंह के साथ गांव आई थी. पूछताछ के दौरान राजेश सिंह की नजर नेहा वर्मा के कपड़ों पर पड़ी. वह सलवार सूट पहने थी. सलवार खून से सनी थी और हाथों पर भी खून के दाग थे. गले पर खरोंच का निशान था. श्री सिंह ने वहां पर लगे खून के बाबत उस से पूछा, तो वह सकपका गई और कोई सही जवाब न दे सकी. वह कभी इंद्रमोहन सिंह की तरफ देखती तो कभी आंखें नीची कर लेती.

राजेश कुमार सिंह समझ गए कि नेहा वर्मा कुछ गहरा राज छिपा रही है. यह मामला आत्महत्या का नहीं है. हत्या के इस मामले में नेहा का हाथ हो सकता है. योगमाया के शव के पास उस की सास कृष्णा व ससुर चंद्रमोहन सुबक रहे थे. डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने उन से पूछताछ की तो कृष्णा देवी ने बताया, ‘‘साहब, हमारी बहू योगमाया आत्महत्या नहीं कर सकती, उस की हत्या की गई है. नेहा और इंद्रमोहन के बीच नाजायज रिश्ता है, जिस का विरोध योगमाया करती थी. इसी विरोध के चलते नेहा ने उस को रास्ते से हटा दिया साहब, उस को तुरंत गिरफ्तार करो.’’

मृतका के भाई सत्यप्रकाश ने डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा को बताया कि बहनोई इंद्रमोहन व नेहा वर्मा के बीच पिछले 2 सालों से अवैध संबंध है. इस नाजायज रिश्ते का बहन विरोध करती थी. इस पर इंद्रमोहन उसे प्रताडि़त करता था. कई बार उसे समझाने की कोशिश की गई लेकिन वह नहीं माना. इन्हीं नाजायज रिश्तों का विरोध करने पर इंद्रमोहन और नेहा वर्मा ने उस की हत्या कर दी और आत्महत्या करने की झूठी सूचना थाने जा कर दी. आसपड़ोस के लोगों ने भी नाजायज रिश्ता पनपने और हत्या का शक जताया. शक के आधार पर पुलिस अधिकारियों ने इंद्रमोहन सिंह राजपूत और उस की प्रेमिका नेहा वर्मा को हिरासत में ले लिया और मृतका योगमाया के शव को पोस्टमार्टम हेतु फतेहपुर के जिला अस्पताल भिजवा दिया.

इंद्रमोहन सिंह राजपूत और नेहा वर्मा को थाना खागा लाया गया. यहां पुलिस कप्तान राजेश कुमार सिंह व डीएसपी ज्ञान दत्त मिश्रा ने दोनों से सख्त रुख अपना कर पूछताछ की तो उन को सच्चाई उगलने में ज्यादा देर नहीं लगी. नेहा ने बताया कि वह इंद्रमोहन राजपूत से प्यार करने लगी थी. दोनों के बीच अवैध रिश्ता भी बन गया था. वह इंद्रमोहन से शादी रचाना चाहती थी. लेकिन उस की पत्नी योगमाया बाधक थी. इस बाधा को दूर करने के लिए उन दोनों ने साजिश रची और योगमाया की हत्या कर दी. वह अपना जुर्म कुबूल करती है.

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इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने बताया कि वह खूबसूरत नेहा वर्मा के प्यार में अंधा हो गया था. वह उस से शादी कर खुशियां पाना चाहता था. नेहा के कहने पर उस ने पत्नी की मौत का षडयंत्र रचा और उसे मौत की नींद सुला दिया. चूंकि इंद्रमोहन और नेहा ने हत्या का जुर्म कुबूल कर लिया था और आलाकत्ल हंसिया भी बरामद हो गया था. अत: थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने मृतका के भाई सत्यप्रकाश को वादी बना कर धारा 302 आईपीसी के तहत इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और दोनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस जांच में इश्क में डूबी एक ऐसी नायिका की कहानी सामने आई, जो खुद ही नायिका से खलनायिका बन गई. उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जनपद के थरियांव थाना अंतर्गत एक गांव है अब्दुल्लापुर घूरी. इसी गांव में विदित कुमार राजपूत अपने परिवार के साथ रहते थे. उस के परिवार में पत्नी आरती के अलावा एक बेटा सत्यप्रकाश तथा 2 बेटियां दिव्या व योगमाया थीं. विदित कुमार किसान थे. कृषि उपज से ही वह अपने परिवार का भरणपोषण करते थे. बड़ी बेटी दिव्या का विवाह वह कर
चुके थे.

ममेरी बहन से की थी लवमैरिज

दिव्या से छोटी योगमाया थी. वह छरहरी काया और तीखे नाकनक्श वाली लड़की थी. उस की मुसकान सामने वाले पर गहरा असर डालती थी. योगमाया जितनी खूबसूरत थी, पढ़ने में भी उतनी ही तेज थी. उस ने हाईस्कूल की परीक्षा सरस्वती बालिका इंटर कालेज से पास कर ली थी और आगे भी पढ़ना चाहती थी. लेकिन मांबाप ने उस की पढ़ाई बंद करा दी और घरेलू काम में लगा दिया.
योगमाया के घर इंद्रमोहन सिंह का आनाजाना लगा रहता था. वह फतेहपुर जिले के ही थाना खागा के गांव कूरा के रहने वाले चंद्रमोहन राजपूत का बेटा था. रिश्ते में दोनों सगे ममेरे भाईबहन थे. घर आतेजाते योगमाया की खूबसूरती और मुसकान इंद्रमोहन के दिल में बस गई थी.

एक दिन इंद्रमोहन ने उस से अपने मन की बात भी कह दी, ‘‘योगमाया, मैं तुम से प्यार करता हूं. यदि तुम मेरा प्यार कुबूल कर लोगी, तो मैं खुद को दुनिया का सब से खुशनसीब इंसान समझूंगा.’’

योगमाया उम्र के जिस पायदान पर थी, उस उम्र में लड़कियों को ऐसी बातें गुदगुदा देती हैं. योगमाया का दिलोदिमाग भी सनसनी से भर गया. उस ने इंद्रमोहन की आंखों में देखा. उन आंखों में प्यार का सागर ठाठें मार रहा था. उस की आंखों में देखते हुए कुछ देर तक वह सोच में डूबी रही, उस के बाद बोली, ‘‘अगर मैं तुम्हारा प्यार कुबूल कर लूं तो तुम्हारा अगला कदम क्या होगा?’’
‘‘शादी?’’ इंद्रमोहन ने तपाक से जवाब दिया.
‘‘लेकिन हमारातुम्हारा रिश्ता तो बहनभाई का है. हम दोनों के घर वाले राजी नहीं हुए तो…?’’ योगमाया ने पूछा.
‘‘…तो हम भाग कर प्रेम विवाह कर लेंगे.’’
योगमाया मुसकराई फिर नजरें झुका कर स्वीकृति में सिर हिला दिया.

इंद्रमोहन और योगमाया के घर वालों को दोनों के प्यार व शादी रचाने की बात पता चली तो उन के पैरों तले जमीन खिसक गई. घर वालों ने दोनों को बहुत समझाया, लेकिन जब वह नहीं माने तो विदित कुमार ने 20 वर्षीय बेटी योगमाया की शादी 12 फरवरी, 2015 को इंद्रमोहन राजपूत के साथ कर दी.

फिल्म कहानी लेखक बन गया इंद्रमोहन

शादी के बाद योगमाया इंद्रमोहन की दुलहन बन कर ससुराल आ गई. चूंकि इंद्रमोहन की मां कृष्णा इस शादी से नाराज थी, अत: वह पति चंद्रमोहन व छोटे बेटे जंगबहादुर के साथ अलग मकान में रहने लगी. वह इंद्रमोहन व योगमाया से बहुत कम बातचीत करती थी. इंद्रमोहन सिंह बीए पास था. उस का रुझान भोजपुरी फिल्मों की तरफ था. वह फिल्म लेखन में अपनी किस्मत आजमाना चाहता था. उस ने भोजपुरी फिल्म के लिए कई कहानियां लिखीं, कुछ कहानी भोजपुरी फिल्म निर्माताओं को पसंद आईं तो कुछ कूड़ेदान में चली गईं.

लेकिन इंद्रमोहन सिंह हताश नहीं हुआ और लेखन कार्य तथा निर्माताआें के संपर्क में बना रहा. इंद्रमोहन सिंह अपनी पत्नी योगमाया से खूब प्यार करता था और उसे किसी प्रकार की कमी महसूस नहीं होने देता था. योगमाया भी इंद्रमोहन की सेवा करती थी. आर्थिक संकट में भी वह पति का साथ देती थी. आर्थिक संकट के दौरान एक बार तो उस ने अपने आभूषण तक बेच दिए थे. इंद्रमोहन और योगमाया का जीवन सुखमय बीत ही रहा था कि इसी बीच नेहा वर्मा नाम की बला आ गई, जिस ने योगमाया की जिंदगी में जहर घोल दिया. उस ने योगमाया के जीवन की खुशियां तो छीनी ही फिर आखिर में जिंदगी भी छीन ली.

नेहा वर्मा मूलरूप से मुंडेरा कस्बे के महराजगंज की रहने वाली थी. उस के पिता काशीनाथ वर्मा गोरखपुर के सुभाष नगर मोहल्ले में रहते थे. वह प्राइवेट फर्म में नौकरी करते थे. काशीनाथ साधारण पढ़ेलिखे व्यक्ति थे. आमदनी भी सीमित थी. लेकिन वह सीमित आमदनी में भी खुश थे. मुंडेरा कस्बे में उन का आनाजाना लगा रहता था.

नेहा वर्मा से हुई मुलाकात

20 वर्षीय नेहा वर्मा गोरीचिट्टी छरहरी काया की युवती थी. नैननक्श भी तीखे थे. सब से खूबसूरत थीं उस की आंखें. खुमार भरी गहरी आंखें. उस की आंखों में ऐसी कशिश थी कि जो उस में देखे, खो सा जाए. नेहा ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास कर ली थी और आगे की पढ़ाई जारी रखना चाहती थी. वह फैशनेबल थी. अकसर मौडर्न कपड़े पहनती थी और खुद को सजासंवरा बनाए रखती थी. सुंदर चेहरे वाली नेहा की आकर्षक देह पर मौडर्न कपड़े खूब फबते थे. जिस से देखने में वह फिल्मी हीरोइन सरीखी लगती थी. वह स्वभाव से चंचल और समय के हिसाब से काफी तेज थी. नेहा भोजपुरी फिल्में खूब देखती थी. उस का भी सपना था कि वह फिल्मों में काम करे.

वह फिल्म अभिनेत्री बनने का सपना संजोए बैठी थी. नेहा वर्मा और इंद्रमोहन सिंह की पहली मुलाकात 25 नवंबर, 2019 को मुंडेरा (महराजगंज) में एक पारिवारिक शादी समारोह में हुई. इस शादी समारोह में नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ के साथ आई थी, जबकि इंद्रमोहन अपनी पत्नी योगमाया के साथ आया था. सजीसंवरी नेहा पर जब इंद्रमोहन की नजर पड़ी तो पहली ही नजर में वह उस के दिल में रचबस गई. मौका मिला तो दोनों में हायहैलो हुई और फिर परिचय हुआ.

इंद्रमोहन ने बताया कि वह फतेहपुर जिले के कूरा गांव का रहने वाला है और भोजपुरी फिल्मों में फिल्म की कहानी लेखन का कार्य करता है. नेहा वर्मा ने बताया कि वह गोरखपुर से पिता के साथ आई है. उसे भोजपुरी फिल्में पसंद है. वह भी फिल्मों में काम करना चाहती है. नेहा ने इंद्रमोहन का परिचय अपने पिता काशीनाथ से भी कराया. इंद्रमोहन ने भी अपनी पत्नी योगमाया का परिचय नेहा से कराया.

उस शादी समारोह में नेहा वर्मा और इंद्रमोहन ने एकदूसरे से खूब बातचीत की तथा एकदूसरे को अपने मोबाइल नंबर दे दिए. इस के बाद दोनोें के बीच मोबाइल फोन पर बातचीत होने लगी.
इंद्रमोहन नेहा से मिलने गोरखपुर भी जाने लगा. नेहा और इंद्रमोहन के बीच पहले दोस्ती हुई फिर प्यार पनपने लगा. इसी बीच इंद्रमोहन और नेहा भोजपुरी फिल्म के गाने पर एलबम भी बनाने लगे. इंद्रमोहन ने नेहा को कई भोजपुरी फिल्म निर्माताओं से भी मिलवाया और फिल्म में रोल देने का अनुरोध किया.

साथसाथ काम करते दोनों के बीच प्यार पनपा तो तन मिलन की भी इच्छा प्रबल हो उठी. एक दिन प्यार के क्षणों में दोनों के तन सटे तो दोनों ने एकदूसरे को बांहों में भर
लिया. फिर तो उन्हें एकाकार होने में ज्यादा देर नहीं लगी. अवैध संबंधों का सिलसिला अनवरत चलने लगा. नेहा इंद्रमोहन के प्यार में ऐसी पड़ी कि हमेशा के लिए उस के साथ रहने के बारे में सोचने लगी.

फिल्म में नेहा को दिलाया रोल

फरवरी, 2020 में इंद्रमोहन सिंह राजपूत ने फिल्म ‘पश्चाताप’ की कहानी लिखी. यह कहानी भोजपुरी फिल्म निर्मातानिर्देशक सन्नी प्रकाश को पसंद आ गई. सन्नी प्रकाश ने फिल्म के कलाकारों का चयन किया और इंसपायरर फिल्म ऐंड एंटरटेनमेंट प्रा.लि. के बैनर तले फिल्म बनाने का निर्णय लिया. इस फिल्म में नायकनायिका के रूप में राकेश गुप्ता तथा स्मिता सना का चयन हुआ. साथ ही सहनायिका के रूप में नेहा वर्मा का चयन हुआ. ग्रामीण परिवेश की इस ‘पश्चाताप’ फिल्म की शूटिंग 21 सितंबर, 2020 से फतेहपुर के आसपास के क्षेत्र से शुरू हुई. शूटिंग के लिए नेहा वर्मा गोरखपुर से फतेहपुर आती थी और इंद्रमोहन सिंह राजपूत के गांव कूरा में उसी के घर में रुकती थी.

इंद्रमोहन की पत्नी योगमाया पति पर आंखें मूंद कर विश्वास करती थी और उस के कहने पर नेहा की सेवा में लगी रहती थी. लेकिन उस के विश्वास को ठेस तब लगी, जब उस ने एक रात नेहा को पति के साथ रंगेहाथों पकड़ लिया. कोई भी औरत भूख और पति की प्रताड़ना तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा कभी नहीं. योगमाया को भी पति का बंटवारा मंजूर नहीं था. सो उस ने विरोध शुरू कर दिया. नेहा को ले कर वह पति से लड़नेझगड़ने लगी. नेहा वर्मा को योगमाया का विरोध खटकने लगा. वह इंद्रमोहन को योगमाया के खिलाफ भड़काने लगी.

इस का नतीजा यह हुआ कि इंद्रमोहन पत्नी को अधिक प्रताडि़त करने लगा. तब योगमाया ने पति और नेहा के बीच पनप रहे रिश्तों की जानकारी सास कृष्णा तथा अपने मायके वालों को दे दी. सब ने इंद्रमोहन को समझाया भी, लेकिन वह नहीं माना. फिल्म ‘पश्चाताप’ की शूटिंग 6 महीने तक चली. इस बीच नेहा वर्मा कई बार कूरा गांव आई. वह जब भी आती, घर में कलह होती. नेहा वर्मा इंद्रमोहन के प्यार में इतनी डूब गई थी कि वह उस के साथ शादी कर घर बसाने की सोचने लगी थी. लेकिन वह यह भी जानती थी कि योगमाया के रहते घर बसाना संभव नहीं है.

उस के प्यार में योगमाया बाधा बनी तो उस ने उसे मिटाने का निश्चय कर लिया. इंद्रमोहन पहले ही नेहा की खूबसूरती का कायल था, सो वह उस की जायजनाजायज बातों को मान लेता था. इंद्रमोहन अब तक एक बच्चे का बाप बन चुका था, लेकिन उसे बच्चे से ज्यादा लगाव न था. योगमाया से भी वह नफरत करने लगा था.

पे्रमिका नेहा के साथ किया पत्नी का कत्ल

21 दिसंबर, 2021 को नेहा वर्मा अपने पिता काशीनाथ वर्मा के साथ गोरखपुर से इंद्रमोहन के घर कूरा गांव आई. उसे पता चला था कि फिल्म ‘पश्चाताप’ जल्दी ही रिलीज होने वाली है. सिनेमाघरों में पोस्टर भी चस्पा हो गए थे. एक दिन रुक कर काशीनाथ वर्मा तो वापस चले गए लेकिन नेहा इंद्रमोहन के घर ठहर गई. 23 दिसंबर, 2021 की रात योगमाया ने नेहा और इंद्रमोहन को फिर से रंगेहाथों पकड़ लिया. इस पर उस ने जम कर हंगामा किया और पति तथा नेहा को खूब खरीखोटी सुनाई. अपमानित नेहा ने इंद्रमोहन को योगमाया  के खिलाफ भड़काया और रास्ते से हटाने को कहा.

इंद्रमोहन पहले तो राजी नहीं हुआ, लेकिन बाद में मान गया. इस के बाद नेहा और इंद्रमोहन ने योगमाया की हत्या का षडयंत्र रचा. 25 दिसंबर, 2021 को योजना के तहत इंद्रमोहन अपने भाई जंगबहादुर के साथ लखनऊ जाने की बात कह कर घर से निकला. लेकिन लखनऊ न जा कर वह अपनी ससुराल घुरू गया और अपने साले सत्यप्रकाश से मिला. उस ने साले को भी बताया कि वह किसी काम से लखनऊ जा रहा है. भाई जंगबहादुर को उस ने फतेहपुर भेज दिया. इधर घर में योगमाया, उस का एक वर्षीय बेटा अनमोल तथा नेहा वर्मा थी. रात 8 बजे योगमाया ने नेहा वर्मा के साथ खाना खाया फिर बच्चे के साथ कमरे में पड़े पलंग पर जा कर लेट गई. कुछ देर बाद योगमाया सो गई.

लेकिन नेहा वर्मा की आंखों से नींद कोसों दूर थी. योजना के तहत उसने इंद्रमोहन से मोबाइल फोन पर बात की और घर बुला लिया. रात 10 बजे नेहा वर्मा और इंद्रमोहन, योगमाया के कमरे में पहुंचे. नेहा के हाथ में हंसिया था. कमरे में योगमाया रजाई से मुंह ढंके सो रही थी. नेहा उस की छाती पर सवार हो गई और रजाई मुंह से हटा कर उस की गरदन पर हंसिया से वार कर दिया. योगमाया चीखी और उठने का प्रयास किया लेकिन उठ न सकी. बचाव में उस ने नेहा की गरदन पकड़ ली. इसी बीच नेहा ने हंसिया से वार पर वार योगमाया की गरदन पर किए. जिस से उस की गरदन पर 3 गहरे जख्म बने और खून की धार बहने लगी.

फिर भी उस ने उठने का प्रयास किया और पैर पटकने लगी. तभी इंद्रमोहन ने उस के पैर दबोच लिए और नेहा ने फिर गरदन पर हंसिया से वार किए. कुछ देर तड़पने के बाद योगमाया ने दम तोड़ दिया. इसी बीच मां की बगल में लेटा मासूम अनमोल तेज आवाज में रोने लगा तो इंद्रमोहन ने उसे गोद में उठा लिया. फिर वह चीखता हुआ घर के बाहर आया. उस की चीखने की आवाज सुन कर उस के मातापिता व पड़ोसी आ गए. उन सब को इंद्रमोहन ने बताया कि योगमाया ने आत्महत्या कर ली है. लेकिन मातापिता व पड़ोसियों ने उस की बात का यकीन नहीं किया.

नेहा वर्मा के हाथों में लगा खून तथा खून से सराबोर सलवार देख कर सब समझ गए कि मामला हत्या का है. रात अधिक हो जाने के कारण इंद्रमोहन थाने नहीं गया. सुबह 7 बजे वह थाना खागा पहुंचा और पत्नी योगमाया द्वारा आत्महत्या किए जाने की सूचना दी. सूचना पाते ही थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला पुलिस टीम के साथ इंद्रमोहन के घर पहुंचे. 27 दिसंबर, 2021 को थानाप्रभारी आनंद प्रकाश शुक्ला ने आरोपी इंद्रमोहन सिंह राजपूत तथा नेहा वर्मा से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें फतेहपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से दोनों को जिला जेल भेज दिया गया. best short story in hindi
—कथा पुलिस सूत्रोंं पर आधारित

आशुतोष राणा : कस्बे से मायानगरी तक का सफर

ऐसा नहीं है कि फिल्मी कलाकार केवल बड़ेबड़े शहरों में पैदा होते हैं, गांवकस्बों के रंगमंचों से भी अदाकारी की बारीकियां सीख कर कलाकार फिल्म इंडस्ट्री में अपना मुकाम बना सकते हैं. इस बात को बौलीवुड के मशहूर ऐक्टर आशुतोष राना ने साबित कर के दिखा दिया है. हजारों कलाकारों की भीड़ से निकल कर आशुतोष राना ने आखिर किस तरह बौलीवुड में अपनी जगह बनाई?

बौलीवुड के सफल अभिनेता और विलेन का जानदार रोल निभाने वाले आशुतोष राना का जन्म मध्य प्रदेश के जिला  नरसिंहपुर के एक छोटे से कस्बे गाडरवारा में 10 नवंबर, 1967 को हुआ था. एक छोटे से कस्बे से मायानगरी तक का सफर तय करने वाले आशुतोष की प्राथमिक स्तर की शिक्षा गाडरवारा के गंज स्कूल में हुई थी. उस के बाद जबलपुर और अहमदाबाद में उन्होंने मिडिल स्कूल तक की शिक्षा ली.

अहमदाबाद से लौट कर गाडरवारा के सब से पुराने बीटीआई स्कूल में नौवीं कक्षा में दाखिला ले कर उन्होंने 11वीं पास की थी. स्कूली जीवन से जुड़ी यादों को साझा करते हुए आशुतोष के भाई प्रो. नंदकुमार नीखरा बताते हैं कि आशुतोष की पढ़ाई को ले कर परिवार के लोग ज्यादा उम्मीद नहीं रखते थे. जब वह मैट्रिक पास हुए तो मार्कशीट को एक हाथ ठेला पर सजा कर बैंडबाजे के साथ अपने दोस्तों के साथ नाचतेगाते जुलूस ले कर घर पहुंचे थे.

आप को यह जान कर आश्चर्य होगा कि आशुतोष राना ने अपना नाम खुद रखा था. बचपन में जब उन के घर में भगवान शिव का अभिषेक चल रहा था, तभी पंडितजी के द्वारा बोले गए मंत्र ‘ॐ आशुतोषाय नम:’ को सुन कर उन्होंने पंडितजी से पूछा, ‘‘पंडितजी, आशुतोष का मतलब क्या होता है?’’

तब पंडितजी ने उन्हें बताया, ‘‘आशुतोष का मतलब है जो शीघ्र प्रसन्न है जाए. भगवान शिव भी जल्दी खुश हो जाते हैं.’’

पंडितजी की बात सुन कर उन्होंने मां से कहा था, ‘‘मां आज से मेरा नाम आशुतोष होगा.’’

इसी तरह स्कूल पढ़ते समय आशुतोष की छवि एक दबंग युवा के रूप में बन चुकी थी. गाडरवारा में रोज ही उन के कारनामों के किस्से सुनाई देने लगे थे. एक दिन उन के भाई ने उन से कहा था, ‘‘ये तुम्हारे नाम के आगे जो नीखरा लगा है, इस कारण लोग तुम्हारा लिहाज करते हैं, तुम्हारे पावर के कारण नहीं.’’

आशुतोष को यह बात चुभ गई, उस के बाद उन्होंने परिवार की प्रतिष्ठा व पद का लाभ न लेने के लिए अपने नाम के आगे लगा सरनेम ‘नीखरा’ हटा कर ‘राना’ कर लिया. आशुतोष बताते हैं कि अपने पिता के नाम राम नारायण के पहले अक्षर ‘रा’ और ‘ना’ को मिला कर उन्होंने अपना सरनेम राना कर लिया था.

स्कूली पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1984 में ग्रैजुएशन करने मध्य प्रदेश की सागर यूनिवर्सिटी में चले गए थे. उस समय वह यूनिवर्सिटी टौप यूनिवर्सिटी में शुमार थी, जिस में प्रदेश के 128 कालेज जुड़े हुए थे. आशुतोष राना सागर यूनिवर्सिटी गए तो वहां नेतागिरी करने लगे.

वह सागर यूनिवर्सिटी के विवेक हौस्टल में रहते थे. यूनिवर्सिटी में राना की छवि रौबिनहुड की तरह थी. उस दौरान वह पढ़ने वाले स्टूडेंट्स की हरसंभव मदद करते थे, भले ही इस के लिए उन्हें प्रशासन से टकराव करना पड़े.

सागर यूनिवर्सिटी में आशुतोष राना के सहपाठी रह चुके शिक्षक व साहित्यकार सुशील शर्मा बताते हैं, ‘‘उस समय हम एमटेक के छात्र थे. आशुतोष विवेक हौस्टल के कमरा नंबर 65 में रहते थे. गाडरवारा के होने के चलते हमारी अकसर मुलाकात उन से होती थी. वह उस समय दृश्य और श्रव्य विभाग के छात्र हुआ करते थे. हमें देख कर आशुतोष अकसर बुंदेली भाषा में कहा करते थे, ‘बड्डे, तुम तो बड़े पढ़ने वाले हो और हम से जा पढ़ाई होत नैया. कछु जड़ीबूटी दे दो हमें भी.’

आज भी आशुतोष राना जब गाडरवारा आते हैं तो अपने दोस्तों और परिचितों से उसी सहजता से मिलतेजुलते हैं और उन की बोलती आंखें आज भी बिना कुछ कहे संवाद करती हैं.

आशुतोष राना को कालेज के दिनों से ही अदाकारी से बेहद लगाव हो गया था और दशहरे पर वह पुरानी गल्ला मंडी, गाडरवारा में होने वाली रामलीला में रावण का किरदार निभाने लगे थे. रावण का ही किरदार चुनने की खास वजह बताते हुए आशुतोष कहते हैं, ‘‘रामलीला में राम व रावण के किरदार ही अहम हैं. सपाट किरदार कभी मेरी पसंद नहीं रहे. चूंकि उस समय राम का किरदार ब्राह्मण जाति के कलाकारों को मिलता था तो फिर रावण का किरदार मेरी पहली पसंद था.’’

संस्कार मिले हैं परिवार से

आशुतोष राना के पिता रामनारायण नीखरा इलाके के प्रतिष्ठित व्यक्ति थे. आशुतोष 7 भाई और 5 बहनों में सब से छोटे थे. इस वजह से सभी के लाडले और हठीले भी थे. बड़ों के प्रति आदर रखने का पाठ उन्हें बचपन में ही पढ़ाया गया था.
राना बताते हैं कि मिडिल स्कूल पढ़ने के लिए उन्हें उन के अन्य 2 भाइयों के साथ जबलपुर के एक अंगरेजी मीडियम स्कूल में भेजा गया. 2 भाइयों के साथ वह वहीं हौस्टल में रहा करते थे. कुछ दिन बाद रविवार को मां और बाबूजी मिलने के लिए आए थे. इंग्लिश मीडियम स्कूल में अनुशासन सिखाया गया था तो दौड़ कर सीधे मिल भी नहीं सकते थे.

खैर, कुछ देर बाद हम लोग टाईवाई लगा कर और अपने हाथ पीछे बांध कर अनुशासन में खड़े हो गए. जैसे ही मांबाबूजी मिलने आए तो उन को इंप्रैस करने के लिए मैं ने कहा, ‘‘गुडमौर्निंग बाबूजी. गुडमौर्निंग मम्मी.’’
स्कूल में सिखाए अनुशासन के कारण हम तीनों भाइयों ने बाबूजी और मां के लपक कर पैर भी नहीं छुए. बाबूजी और मां ने उस समय तो कुछ नहीं कहा केवल मुसकरा कर रह गए.

खाने के बाद बाबूजी ने सख्त लहजे में कहा, ‘‘चलिए रानाजी, अपना सामान बांध लीजिए. अब आप वहीं पढ़ेंगे.’’

हम सब लोग तो सोच रहे थे कि बाबूजी शाबाशी देंगे, पर यहां तो बाबूजी का रुख देख कर पैरों के नीचे से जैसे जमीन खिसकने लगी. हम सभी भाइयों ने परेशान हो कर बाबूजी से पूछा, ‘‘बाबूजी, आखिर हम लोगों से क्या गलती हो गई, जो आप स्कूल छोड़ कर घर चलने को कह रहे हैं?’’

तब बाबूजी ने हम लोगों को स्नेह से समझाते हुए कहा, ‘‘हम ने तुम लोगों को यहां कुछ नया सीखने भेजा है न कि पुराना भूलने के लिए. शिक्षा वही होती है जब हम अपने संस्कार उस में समाहित रखें.’’

उसी समय हम लोगों ने कान पकड़ कर बाबूजी से माफी मांगी और बाबूजी की दी गई सीख हम लोगों की समझ में आ गई. और तभी से हम नया तो सीख लेते हैं पर पुराना कभी नहीं भूलते. शिक्षा में ज्ञान के साथ संस्कार और संस्कृति का होना बहुत आवश्यक है.

बचपन से ही थे शरारती

आशुतोष राना बचपन के दिनों से ही शरारती थे. घर वालों के लाडप्यार का फायदा उठा कर वह शरारतों में अव्वल रहते थे. सोहागपुर डिग्री कालेज में प्रिंसिपल व उन के भाई डा. नंदकुमार नीखरा एक किस्सा सुनाते हुए कहते हैं कि इन्हीं शरारतों की वजह से जब राना 6 साल के थे, तब उन के कमर में चोट लग गई थी. उस समय सिर से पैर तक उन्हें प्लास्टर चढ़ा था. गरमी का मौसम था. आशुतोष ने मां से कहा, ‘‘मुझे कमरे से आंगन की खुली जगह में ले चलो.’’

तब घर के लोग पलंग सहित उन्हें आंगन में ले आए. उस के बाद राना ने कहा, ‘‘मुझे बरसात देखनी है.’’

राना की जिद से सभी परेशान हो गए. फिर हम सभी भाईबहनों ने घर के ऊपर के टीन की छत पर चढ़ कर बाल्टियों से पानी उड़ेलना शुरू कर दिया. इस तरह कृत्रिम बारिश का नजारा आशुतोष के सामने पेश कर दिया. राना इस पर भी खुश नहीं हुए और उन्होंने कहा सभी लोग डांस करें. फिर क्या था उन की जिद पूरी करने आधे लोग आंगन में डांस करने लगे.

स्कूल पढ़ते वक्त भी उन की शरारतें कम नहीं हुई थीं. बीटीआई स्कूल में उन के टीचर रहे सुदामा प्रसाद सोनी बताते हैं कि जब आशुतोष 11वीं कक्षा में पढ़ते थे, तब एक बार स्कूल के प्रिंसिपल साहब के साथ हमें पास के गांव चीचली जाना था तो मैं ने आशुतोष से कहा कि तुम अपने घर से जीप ले कर आ जाओ.

राना ने मेरी बात मानते हुए जीप स्कूल के सामने ला कर खड़ी कर दी. कुछ समय बाद जब हम जाने के लिए तैयार हो गए तो राना ने शरारती अंदाज में कहा, ‘‘सर, जीप स्टार्ट नहीं हो रही.’’

स्कूल के चपरासी ने धक्का लगाया, मगर फिर भी जीप स्टार्ट नहीं हुई तो आशुतोष ने कहा, ‘‘सर, आप लोगों को भी मिल कर धक्का लगाना पड़ेगा.’’

जैसे ही प्रिंसिपल साहब के साथ हम लोगों ने धक्का लगाया तो आशुतोष ने जीप स्टार्ट कर दी. बाद में पता चला कि जीप में कोई खराबी नहीं थी, आशुतोष ने मजा लेने के लिए हम से जबरन धक्का लगवाया था.

छठीं क्लास में पढ़ते लिखा लव लेटर

आशुतोष राना का बचपन उन की खास तरह की शरारतों के बीच बीता है. अहमदाबाद के स्कूल में पढ़ाई के दौरान एक लड़की उन्हें पसंद आ गई. एक दिन उन्होंने लव लेटर लिखा और उस लड़की की बेंच की ओर उछाल दिया, मगर वह लव लेटर उस लड़की की बेंच पर न पड़ कर दूसरी लड़की की बेंच पर गिर गया.
उस लड़की ने लव लेटर पढ़ते हुए इशारे से पूछा, ‘ये मेरे लिए है?’ आशुतोष ने इशारे से ही कहा, ‘नहीं, आप के लिए नहीं आगे वाली सीट पर बैठी लड़की के लिए है.’

बस, फिर क्या था उस लड़की ने लव लेटर क्लास में मौजूद टीचर को दे दिया. टीचर उन्हें मैथ और अंगरेजी पढ़ाते थे, उन्होंने आशुतोष को खड़ा कर के पूछा, ‘‘माय डार्लिंग का क्या मतलब होता है?’’

आशुतोष ने बड़े ही मासूमियत से जबाब देते हुए कहा, ‘‘सर माय डार्लिंग का मतलब होता है मेरे प्रिय.’’

फिर क्या था, टीचर ने आशुतोष को झापड़ रसीद कर दिया. आशुतोष को उस समय यह समझ नहीं आया कि उन्हें गलत आंसर के लिए मार पड़ी है या कुछ और वजह से. इस वजह से आशुतोष को मैथ और अंगरेजी से नफरत सी हो गई थी.
स्कूल के प्रिंसिपल ने उन के भाई मदन मोहन नीखरा को बुला कर आशुतोष की इस हरकत की शिकायत की तो राना दुखी हो गए थे. बाद में उन के भाई ने उन्हें स्कूटर से अहमदाबाद घुमाया और उन को समझाते हुए आगे से पढ़ाई पर ध्यान देने की बात कह कर उन का मन बहलाया था.

गुरु के आशीर्वाद से पाया मुकाम

सागर यूनिवर्सिटी में जब आशुतोष कालेज की पढ़ाई कर रहे थे, उसी दौरान उन के बहनोई ने उन्हें पंडित देव प्रभाकर शास्त्री से मिलवाया था. देव प्रभाकर शास्त्री को दद्दाजी के नाम से जाना जाता था. जब आशुतोष राना उन से मिले तो दद्दाजी ने उन की अभिनय क्षमता की परख करते हुए उन्हें ऐक्टिंग कोर्स करने के लिए प्रेरित किया.
आशुतोष ने अपने गुरु की सलाह से साल 1994 में दिल्ली के एनएसडी यानी नैशनल स्कूल औफ ड्रामा में दाखिले के लिए गए और फर्स्ट अटेंप्ट में ही उन का सिलेक्शन हो गया.

एनएसडी में पढ़ाई करने के बाद वह काम की तलाश में मुंबई चले गए और महेश भट्ट के टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ से टेलीविजन पर एंट्री की.

‘जख्म’, ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ जैसी बेहतरीन फिल्मों में अपनी अदाकारी का लोहा मनवा चुके आशुतोष राना की जिंदगी में एक दिन ऐसा भी आया, जब महेश भट्ट ने उन्हें सैट से बाहर का रास्ता दिखा दिया था. इस की वजह सिर्फ यह थी कि आशुतोष ने उन के पैर छू लिए थे.

आशुतोष राना ने एक रोचक किस्सा सुनाते हुए कहा, ‘‘मुझे फिल्मकार और डायरेक्टर महेश भट्ट से मिलने को कहा गया. मैं उन से मिलने गया और जा कर भारतीय परंपरा के मुताबिक उन के पैर छू लिए. पैर छूते ही वह भड़क उठे, क्योंकि उन्हें पैर छूने वालों से बहुत नफरत थी. उन्होंने मुझे अपने फिल्म सैट से बाहर निकलवा दिया और असिस्टैंट डायरेक्टरों पर भी काफी गुस्सा हुए कि आखिर उन्होंने मुझे कैसे फिल्म के सैट पर घुसने दिया.’’

आशुतोष राना ने आगे बताया कि इतनी बेइज्जती के बाद भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और जब भी महेश भट्ट मिलते या कहीं दिखते तो वे लपक कर उन के पैर छू लेते और वे बहुत गुस्सा होते.

आखिरकार एक दिन महेश भट्ट ने आशुतोष राना से पूछ ही लिया, ‘‘तुम मेरे पैर क्यों छूते हो जबकि मुझे इस से नफरत है?’’
आशुतोष ने जवाब दिया, ‘‘बड़ों के पैर छूना मेरे संस्कार में है, जिसे मैं नहीं छोड़ सकता.’’

यह सुन कर महेश भट्ट ने उन्हें गले से लगा लिया और साल 1995 में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले टीवी सीरियल ‘स्वाभिमान’ में एक गुंडे ‘त्यागी’ का रोल दिया. बाद में तो उन्होंने महेश भट्ट द्वारा निर्देशित कई फिल्मों में काम किया, जिन में ‘जख्म’ और ‘दुश्मन’ खास हैं.

एनएसडी के 1994 बैच के छात्र रहे आशुतोष राना कहते हैं कि प्रशिक्षण के बाद उन्हें एनएसडी में ही नौकरी का औफर हुआ और वह भी मोटी तनख्वाह पर, लेकिन
उन्होंने फिल्म जगत में जाने का रास्ता चुना.

रेणुका शहाणे से प्रेम की दिलचस्प कहानी

कभी जी टीवी के फेमस रिएलिटी गेम शो ‘अंताक्षरी’ में अन्नू कपूर की कोहोस्ट रही और फिल्म ‘हम आप के हैं कौन’ में सलमान खान की भाभी के रोल से मशहूर हुई रेणुका शहाणे से आशुतोष राना ने शादी की.

आशुतोष राना की रेणुका से पहली मुलाकात फिल्म ‘जयति’ की शूटिंग के समय हुई थी. रेणुका और आशुतोष की दोस्ती मेल मुलाकात के बाद प्यार में बदल गई और उन्होंने साल 2001 में शादी कर ली.

रेणुका से शादी करना आशुतोष के लिए आसान नहीं था. इस की वजह यह थी कि रेणुका तलाकशुदा थीं और दूसरी शादी के लिए तैयार नहीं थीं. हालांकि, आशुतोष राना ने भी ठान लिया था कि रेणुका को मजबूर कर देंगे कि वह उन्हें आई लव यू बोलें और ऐसा ही हुआ.

आशुतोष और रेणुका की पहली मुलाकात डायरेक्टर हंसल मेहता की एक फिल्म की शूटिंग के दौरान हुई थी. यह मुलाकात सिंगर राजेश्वरी सचदेव ने कराई थी. उस वक्त तक आशुतोष तो रेणुका के बारे में थोड़ाबहुत जानते थे, लेकिन रेणुका के लिए वह पूरी तरह अंजान थे.

पहली मुलाकात में ही आशुतोष रेणुका को दिल दे बैठे थे. हालांकि, इस मुलाकात के बाद दोनों कई महीनों तक नहीं मिले, फिर धीरेधीरे दोनों मे बातचीत शुरू हुई. रेणुका शहाणे की पहली शादी टूट चुकी थी. उन्होंने मराठी थिएटर के डायरेक्टर विजय केनकरे से शादी की थी. ऐसे में रेणुका के मन में शादी को ले कर कुछ संदेह था.

रेणुका की मां मशहूर लेखिका शांता गोखले भी अपनी बेटी की शादी को ले कर थोड़े असमंजस में थीं. दरअसल, रेणुका के घर वालों को रेणुका की दूसरी शादी के बजाय इस बात को ले कर संशय था कि आशुतोष मध्य प्रदेश के छोटे से गांव से थे और उन की फैमिली में 12 लोग थे.

उस समय डायरेक्टर रवि राय आशुतोष और रेणुका के साथ एक शो करना चाहते थे. इस मौके का फायदा उठाते हुए आशुतोष ने रवि से रेणुका का नंबर मांग लिया. रवि ने नंबर देते हुए साफतौर पर बता दिया कि रेणुका रात को 10 बजे के बाद किसी के फोन का जवाब नहीं देतीं और न ही अनजान नंबर की काल उठाती हैं. आंसरिंग मशीन पर मैसेज छोड़ना पड़ता है.

बस, फिर क्या था आशुतोष ने रेणुका की आंसरिंग मशीन पर अपना नंबर न देते हुए एक मैसेज छोड़ा, जिस में उन्हें दशहरे की बधाई दी थी. उन्होंने अपना नंबर जानबूझ कर नहीं दिया था. आशुतोष का मानना था कि अगर रेणुका को मुझ से बात करनी होगी तो वो खुद कोशिश करेंगी और कहीं न कहीं से मेरा नंबर तलाश ही लेंगी.
कुछ दिनों बाद आशुतोष को अपनी बहन से मैसेज मिला कि रेणुका का फोन आया था और उन्होंने उन्हें दशहरा की शुभकामनाओं के लिए धन्यवाद दिया है.

कुछ समय तक दोनों के बीच संदेशों का सिलसिला चलता रहा और फिर रेणुका ने उन्हें अपना पर्सनल नंबर दे दिया. जैसे ही आशुतोष को रेणुका का नंबर मिला, उसी दिन रात साढ़े 10 बजे रेणुका को काल किया और कहा, ‘थैंक्यू रेणुकाजी, आप ने अपना नंबर दे दिया.’

इस के बाद करीब 3 महीने तक उन की यूं ही फोन पर बात होती रही. आशुतोष राना के मुताबिक, एक बार रेणुका गोवा में शूटिंग कर रही थीं तो मैं ने उन्हें फोन पर एक कविता सुना दी. इस कविता में मैं ने इकरार, इनकार, खामोशी, खालीपन और झुकी निगाहें… सब कुछ लिखा था.

इस कविता को सुनने के बाद रेणुका अपने आप को रोक नहीं पाईं और उन्होंने फोन पर ही ‘आई लव यू’ कहा. यह सुन कर आशुतोष खुशी से पागल हो गए और अपने आप को संभालते हुए बोले, ‘‘रेणुकाजी, मिल कर बात करते हैं.’’
शादी के बाद आशुतोष राना जब रेणुका को ले कर गाडरवारा आते थे तो रेलवे स्टेशन से घर तक की दूरी उस समय चलने वाले घोड़ा तांगे से तय करते थे. आज उन के 2 बेटे शौर्यमान और सत्येंद्र हैं.

अभी भी जब आशुतोष गाडरवारा आते हैं तो अपने बंगले पर दोस्तों और प्रशंसकों से दिल खोल कर मिलते हैं. उन से मिलने वालों को वह इस बात का तनिक भी आभास नहीं होने देते कि वह बौलीवुड के स्टार हैं.

आशुतोष का फिल्मी सफर

साल 1996 में आशुतोष राना की पहली फिल्म ‘संशोधन’ थी. इस के बाद उन्होंने ‘कृष्ण अर्जुन’, ‘तमन्ना’, ‘जख्म’, ‘गुलाम’ समेत कई फिल्मों में भी काम किया, लेकिन उन्हें असली पहचान साल 1998 में आई काजोल स्टारर फिल्म ‘दुश्मन’ ने दिलाई.
‘बादल’, ‘अब के बरस’, ‘कर्ज’, ‘कलयुग’ और ‘आवारापन’ जैसी फिल्मों में विलेन के किरदार के लिए आशुतोष को जाना जाने लगा.

फिल्म ‘दुश्मन’ में आशुतोष राना ने साइकोकिलर गोकुल पंडित का किरदार निभाया था. इस किरदार से आशुतोष ने दर्शकों का दिल जीत लिया था. उन्हें 1999 में फिल्म ‘दुश्मन’ और ‘संघर्ष’ के लिए बेस्ट विलेन के फिल्मफेयर अवार्ड से भी नवाजा गया था. बायोपिक फिल्म ‘शबनम मौसी’ के किरदार को भी लोगों ने काफी पसंद किया था.

आशुतोष राना एक ऐसे ऐक्टर हैं,जो निगेटिव रोल में भी जान फूंक देते हैं. जब उन्होंने फिल्म ‘संघर्ष’ में लज्जाशंकर पांडे का रोल निभाया तो दर्शकों की चीख निकल गई थी. बच्चों की बलि देने वाले कैरेक्टर को इस तरह निभाया कि थिएटर में बैठे दर्शकों के रोंगटे खड़े हो गए थे.

और खौफ का ऐसा तिलिस्म आशुतोष जैसे कलाकार ही कर सकते हैं. ‘संघर्ष’ फिल्म में आशुतोष राना ने एक ऐसे किन्नर का रोल किया था, जो बच्चों की बलि दे कर अमर हो जाना चाहता है.

लज्जाशंकर पांडे का चीखना, सनकीपन और जीभ को ट्विस्ट करने वाली आवाज
ने थिएटर में बैठे दर्शकों में सिहरन पैदा कर दी थी.
खतरनाक विलेन बन कर रहे चर्चा में

इस रोल के बाद तो आशुतोष बौलीवुड के सब से खतरनाक विलेन बन गए. कहते हैं कि महेश भट्ट ने इस फिल्म को बनाने के बारे में जब सोचा था तो उन के दिमाग में सिर्फ आशुतोष ही थे और उन्होंने कहा भी था कि इस फिल्म जैसा विलेन आज तक बौलीवुड में नहीं देखा गया होगा. यह बात सच निकली और ‘संघर्ष’ जब रिलीज हुई तो खौफनाक अभिनय के लिए आशुतोष को फिल्मफेयर पुरस्कार मिला था.

आशुतोष राना बौलीवुड के ऐसे कलाकार हैं, जिन्हें अभिनय करते हुए देखते वक्त लोग नजरें नहीं हटा पाते. उन के चेहरे के एक्सप्रैशन ऐसे होते हैं कि उस के सामने अच्छेअच्छे साउंड इफेक्ट भी फीके पड़ जाते हैं. वैसे तो वो एक वर्सेटाइल ऐक्टर हैं लेकिन उन्होंने विलेन के कुछ किरदार ऐसे निभाए हैं जिन्हें देखते ही थिएटर में दर्शक भी भौचक्के रह जाते हैं.

बौबी देओल की सुपरहिट फिल्म ‘बादल’ में आशुतोष राना ने डीआईजी जय सिंह राना का किरदार निभाया था. जय सिंह एक ऐसा बेहरम इंसान था, जिस ने अपने फायदे के लिए पूरे गांव तक को जला डाला था.

इमरान हाशमी स्टारर फिल्म ‘आवारापन’ में आशुतोष ने जुर्म की दुनिया के बादशाह भरत दौलत मलिक का रोल किया था. उन के इस किरदार को लोगों ने बहुत सराहा था. फिल्म ‘अब के बरस’ में इन्होंने एक राजनीतिज्ञ तेजेश्वर सिंघल का किरदार निभाया था. एक ऐसा शख्स जो 2 प्यार करने वालों को जुदा करने की कसम खाता है.
आशुतोष राना ने फिल्म ‘हासिल’ में मेन विलेन गौरीशंकर पांडे का रोल किया था. जिम्मी शेरगिल और इरफान खान जैसे कलाकारों के बीच इस फिल्म में उन्हें नोटिस किए बिना नहीं रहा जा सकता. मोहित सूरी की फिल्म ‘कलयुग’ में उन्होंने जौनी नाम के एक दलाल का रोल किया था. उन के इस कैरेक्टर की भी लोगों ने ख़ूब तारीफ की थी.

चंबल के बागी डाकुओं पर बनी फिल्म ‘सोन चिरैया’ में आशुतोष राना ने एक खतरनाक पुलिस अफसर वीरेंद्र सिंह गुर्जर का किरदार निभाया था. ऐसा निर्दयी पुलिस वाला जो डाकुओं से खार खाता है और उन्हें मार कर ही दम लेता है. उन के इस रोल की क्रिटिक्स ने ख़ूब सराहना की थी. इस फिल्म में सुशांत सिंह राजपूत भी थे.
के.सी. बोकाडिया की फिल्म ‘डर्टी पौलीटिक्स’ में आशुतोष ने ओमपुरी, नसीरुद्दीन शाह, अनुपम खेर, राजपाल यादव, गोविंद नामदेव और मल्लिका शेरावत के साथ काम किया था.

मनोहर कहानियां का शो भी किया होस्ट

आशुतोष राना ने जहां जैसा रोल मिला, उसी में संतोष कर अपने अभिनय की यात्रा को जारी रखा. जब हिंदी फिल्मों में काम नहीं मिला तो कई तेलुगू, मराठी, तमिल , कन्नड़ जैसी भाषाओं की फिल्मों में काम किया. आशुतोष बताते हैं कि दक्षिण भारत की 2-3 फिल्मों में काम कर के जो पैसा मिलता था, उस से एक साल का कोटा पूरा हो जाता था.

अपनी शुद्ध हिंदी बोलने और ऐक्टिंग के अंदाज की वजह से उन्होंने कई टीवी शो ‘बाजी किस की’, ‘सरकार की दुनिया’ में होस्ट के रूप में काम किया है.
दिल्ली प्रैस की मनोहर कहानियां की अपराध कथाओं पर बने टीवी शो ‘अद्भुत कहानियां’ को होस्ट करने की जिम्मेदारी भी आशुतोष ने निभाई है.

आशुतोष ने डिजिटल प्लेटफार्म पर भी अपनी धमाकेदार एंट्री की है . एमएक्स प्लेयर पर दिखाई जाने वाली हिस्टोरिकल ड्रामा वेब सीरीज ‘छत्रसाल’ में उन्होंने औरंगजेब का किरदार निभाया है.

आशुतोष ने ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुई एक फिल्म ‘पगलैट’ में भी काम किया है. ‘पगलैट’ का निर्माण सीखिया फिल्म्स और बालाजी मोशन पिक्चर ने मिल कर किया है व इस के निर्देशक उमेश बिष्ट हैं.

फिल्म भारतीय मध्यमवर्गीय परिवार की कहानी बताती है, जो संकट में आ जाता है. निर्माता गुनीत मोंगा की इस फिल्म को फ्रांस का सब से बड़ा सिविलियन अवार्ड मिल
चुका है.
पहली जुलाई, 2022 को आशुतोष राना की जैकी श्राफ और आदित्य राय कपूर के साथ एक फिल्म ‘ओम’ रिलीज हुई है. एक्शन से भरपूर इस फिल्म में आशुतोष राना जैकी श्राफ के भाई जय की भूमिका में हैं.

राना का साहित्य प्रेम

आशुतोष राना अपनी लाजवाब हिंदी के लिए भी काफी लोकप्रिय हैं. साहित्य का माहौल उन्हें अपने घर से ही मिला है. 7 भाई और 5 बहनों के परिवार में उन से बड़े भाई प्रभात नीखरा ‘दादा भैया’ बुंदेली भाषा के जानेमाने कवि हैं. अमरावती, महाराष्ट्र के हास्य व्यंग्य कवि किरण जोशी एक किस्सा साझा करते हुए बताते हैं कि कविताओं से आशुतोष का बहुत लगाव रहा है.

1991 में जब गाडरवारा में कवि सम्मेलन हुआ था तो उन्होंने मंच पर आ कर सभी कवियों से आटोग्राफ लिए थे, जबकि आज
बौलीवुड में वह जिस मुकाम पर हैं तो
लोग उन से आटोग्राफ लेने की ख्वाहिश
रखते हैं.

आशुतोष राना अच्छे कवि होने के साथ साथ अच्छे लेखक भी हैं. उन के लिखे व्यंग्य ‘मौन मुसकान की मार’ नामक पुस्तक में प्रकाशित हुए हैं. उन की लिखी दूसरी पुस्तक ‘रामराज्य’ भी साहित्य जगत में काफी लोकप्रिय हुई है.

हिंदी भाषा और साहित्य के प्रति आशुतोष के लगाव की वजह से उन को बड़ेबड़े साहित्यिक मंचों पर बुलाया जाता है. उन की कविताओं में नारी के प्रति प्रेम और सम्मान के भाव साफ दिखाई देते हैं. उन की कविताओं की बानगी देखिए—

प्रिय! लिख कर
नीचे लिख दूं नाम तुम्हारा
कुछ जगह बीच में छोड़
नीचे लिख दूं सदा तुम्हारा..
और लिखा बीच में क्या? ये तुम को पढ़ना है
कागज पर मन की भाषा का अर्थ समझना है
और जो भी अर्थ निकालोगी तुम, वो मुझ को स्वीकार है
मौन अधर.. कोरा कागज.. अर्थ सभी का प्यार है..
देश के हालात पर लिखी उन की पंक्तियां देखिए—
देश चलता नहीं, मचलता है,
मुद्दा हल नहीं होता सिर्फ उछलता है,
जंग मैदान पर नहीं, मीडिया पर जारी है
आज तेरी तो कल मेरी बारी है.
आशुतोष का फिल्मी सफर अभी जारी है. उन के प्रशंसकों को पूरा भरोसा है कि आने वाले वक्त में गांव की मिट्टी में जन्मा यह ऐक्टर बुलंदियों के शिखर पर अपनी पताका मजबूती से जमाए रखेगा. द्य

मौडल सोनिका चौहान की मौत हादसा या हत्या?

फिल्म या टीवी इंडस्ट्री भले ही किसी भी भाषा से जुड़ी हुई हो, ग्लैमर इस इंडस्ट्री की पहली शर्त है. जहां ग्लैमर होता है, वहां और भी बहुत कुछ होता है. अंधेरेउजाले के दृश्य रच कर सिनेमा या टीवी के परदे पर लाने वालों के अपनी जिंदगी के असल दृश्य कभीकभी तो रंगीन न हो कर इतने काले होते हैं कि जिन्हें देख कर इंसानियत भी शरमा जाए. लेकिन पैसे का चक्कर ऐसे दृश्यों की कालिख को ढंक लेता है. यह भी कह सकते हैं कि ग्लैमर को देखने की चाह चाहे दर्शक की हो, ग्लैमर के मोहरों की हो या प्रस्तुतकर्ता की, अपना रंग तो दिखाती ही है. भले ही पीछे का परदा सफेद हो या काला. इसी चमक से पैसा बरसता है.

कभी घरघर में पहचानी जाने वाली कलर्स के सीरियल ‘बालिका वधू’ की आनंदी यानी प्रत्यूषा बनर्जी ग्लैमर के अंधेरों में खो गई. कब, कैसे, क्यों जैसे सवाल कुछ दिन तक उछलते रहे, फिर सब कुछ शांत हो गया. प्रत्यूषा का बौयफ्रैंड राहुल राज जैसे संदेह के दायरे में आया, वैसे ही निकल भी गया. बस इतना समझ लीजिए कि प्रत्यूषा को ग्लैमर के पीछे का अंधेरा निगल गया और उस प्यारी सी लड़की के लिए कोई कुछ न कर सका.

टौलीवुड यानी बंगला फिल्म एंड टीवी इंडस्ट्री का सच भी इस से जुदा नहीं है. कौन जाने इस इंडस्ट्री की खूबसूरत लड़की सोनिका सिंह चौहान की मौत के पीछे का सच भी कुछ ऐसा ही हो. क्योंकि वह भी तो ग्लैमर के अंधेरों से निकल कर मौत के अंधेरे में समाई है.

धीरेधीरे सोनिका सिंह की पहचान बनती गई. सोनिका ने कोलकाता टीवी और फिल्म इंडस्ट्री में बतौर मौडल, एंकर, चैनल वी की वीजे, एनडीटीवी प्राइम और स्टार स्पोर्ट्स की एंकर के रूप में काम किया. जाहिर है कुछ स्टार पुत्र या पुत्रियों की बात छोड़ दें तो ज्यादातर अभिनेता, अभिनेत्री अथवा मौडल शहर या ग्रामीण क्षेत्रों के आम परिवारों से आते हैं. सोनिका सिंह भी एक मध्यमवर्गीय  परिवार से आई थी. उस के पिता विजय सिंह रौयल कलकत्ता टर्फ क्लब में सर्विस करते थे और मां शरोन सिंह घरेलू महिला थीं. विजय सिंह चौहान ने क्रिश्चियन शरोन से लवमैरिज की थी.

सोनिका सिंह ने कोलकाता में रहते हुए शुरुआती पढ़ाई ला मार्टिनियर स्कूल से की और फिर माउंट कार्मेल कालेज से आगे की पढ़ाई पूरी की. सोनिका सिंह खूबसूरत थी, इसलिए ग्लैमर की दुनिया से जुड़ना चाहती थी. यही सोच कर उस ने 2013 के मिस इंडिया कंप्टीशन में भाग लिया. इस में वह फाइनलिस्ट रही. इस के बाद उस ने मौडलिंग शुरू की.

ग्लैमर इंडस्ट्री में रहते ही उस की दोस्ती टौलीवुड के एक्टर विक्रम चटर्जी से हुई. पश्चिम बंगाल के कोलकाता का रहने वाला विक्रम चटर्जी 2012 से टौलीवुड से जुड़ा था. उस ने बंगाली फिल्मों से ले कर बांग्ला सीरियल्स तक में काम किया था. एक तरह से वह टौलीवुड का जानापहचाना चेहरा था.

उस ने जी बांग्ला के सीरियल ‘सात पाके बांधा’, स्टार जलसा के बांग्ला सीरियल ‘सोखी’, ईटीवी के बांग्ला चैनल पर 2013 में आए ‘बिगबौस’, 2014 में जी टीवी पर आए ‘इंडियाज बेस्ट सिनेस्टार की खोज’, जी टीवी के सीरियल ‘डोली अरमानों की’ और कलर्स बांग्ला के सीरियल ‘ब्योमकेश’ में काम किया.

फिल्मों की बात करें तो विक्रम चटर्जी ने मैनाक भौमिक की फिल्म ‘बैडरूम’, बाप्पादित्य बंद्योपाध्याय की फिल्म ‘इलार चार अध्याय’, अग्निदेव चटर्जी की फिल्म ‘3 कन्या’, मैनाक भौमिक की फिल्म ‘अमी आर अमार गर्लफ्रैंड’, एसके की फिल्म ‘मिस्टेक’, कौशिक चक्रवर्ती की फिल्म ‘सोनो एकती प्रीमर गाल्यो बोली’, देवार्ती गुप्ता की फिल्म ‘होई छोई’, अशोक पार्टी की फिल्म ‘अमी शुधु चेयनची टुमे’, पौंपी घोष मुखर्जी की ‘गोगोलर कीर्ती’, अंजान दास की फिल्म ‘अजाना बातास’, सुराजीत धर की ‘बिट्टू’ और प्रीतम डी. गुप्ता की फिल्म ‘साहेब बीवी गोलाम’ में काम किया था.model sonika chauhan case murder or accident

विक्रम चटर्जी और सोनिका सिंह की दोस्ती टौलीवुड में काम करते हुए ही हुई थी. धीरेधीरे दोनों घनिष्ठ मित्र बन गए थे. घटना से 6 महीने से दोनों रिलेशनशिप में थे. 29 अप्रैल, 2017 को विक्रम और सोनिका फाइवस्टार होटल में होने वाली एक पार्टी में शामिल होने के लिए साथसाथ गए.

ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़ी पार्टियां अमूमन देर से शुरू होती हैं और देर रात तक चलती हैं. इन पार्टियों में पीना ज्यादा होता है, खाना कम. मौजमस्ती व डांस वगैरह भी खूब होता है. इस पार्टी में भी ऐसा ही हुआ. विक्रम और सोनिका सिंह घर जाने के लिए पार्टी से सुबह साढ़े 3 बजे निकले.

कोरोला एल्टीस कार विक्रम की थी, उसी ने ड्राइविंग सीट संभाली. सोनिका चौहान साथ बैठी थी. विक्रम के सिर पर शराब का नशा चढ़ा था. स्टीयरिंग संभालते ही उस ने कार को इस तरह दौड़ाना शुरू कर दिया जैसे किसी रेस में भाग ले रहा हो. नतीजतन रासबिहारी एवेन्यू के पास कार का एक्सीडेंट हो गया. इस एक्सीडेंट में सोनिका चौहान की मौत हो गई, जबकि विक्रम को भी कुछ चोटें आईं. सिर्फ इतनी चोटें कि उसे मरहमपट्टी के बाद छुट्टी दे दी गई. अस्पताल से छुट्टी मिलते ही विक्रम लापता हो गया.model sonika chauhan case murder or accident

पुलिस ने घटनास्थल का मुआयना किया तो पता चला कि एक्सीडेंट के समय विक्रम ने कार सोनिका चौहान की ओर झुका दी थी, जिस की वजह से उस की ओर का एयरबैग भी नहीं खुला था.

प्राथमिक जांच के बाद कोलकाता पुलिस ने विक्रम के खिलाफ भादंवि की धारा 304ए (लापरवाही से मौत) और धारा 279 (लापरवाही से गाड़ी चलाना) के अंतर्गत केस दर्ज कर लिया और उसे पूछताछ हेतु बुलाने के लिए सम्मन जारी कर दिया. लेकिन विक्रम पुलिस के पास आने के बजाय बीमारी के नाम पर एक प्राइवेट अस्पताल में भरती हो गया. उधर सोनिका सिंह को उस की मां की इच्छा पर क्रिश्चियन धर्मानुसार कब्रिस्तान में दफनाया गया.

विक्रम के सामने न आने पर इस मामले ने तूल पकड़ना शुरू कर दिया. सोनिका के दोस्त सोशल साइटों पर विक्रम के खिलाफ आवाज उठाने लगे. सोनिका की खास दोस्त सतारूपा पाइने ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा— टौलीवुड के अभिनेता की नशाखोरी की वजह से एक अनमोल लड़की की मौत हो गई. वह शराब या किसी अन्य ड्रग के नशे में था. क्या मुझे इस मामले की जांच के लिए हाईकोर्ट में पीआईएल दाखिल करनी चाहिए?

सोनिका की एक अन्य दोस्त फैशन डिजाइनर नवोनिल दास ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर लिखा— विक्रम, तुम्हें साथ बैठे व्यक्ति या सड़क पर चल रहे लोगों की सुरक्षा को ले कर जरा भी फिक्र नहीं थी. तुम अंधाधुंध गाड़ी चला रहे थे, जो इस एक्सीडेंट की वजह बनी. रफ्तार को आदमी खुद चुनता है, इस के लिए तुम नशे के प्रभाव को दोष नहीं दे सकते. तुम्हारे पास किसी की मौत का कारण बनने का कोई अधिकार नहीं है. जीवन के लिए तुम्हारे दिल में जरा भी सम्मान नहीं है, भले ही वह तुम्हारा अपना जीवन हो.

इस से कुछ ही दिन पहले मार्च में बांग्ला लोकगायक कालिका प्रसाद भट्टाचार्य की बर्धवान जिले में एक सड़क हादसे में मौत हो गई थी. उस समय कालिका प्रसाद की एसयूवी को ड्राइवर चला रहा था. हादसे के बाद पुलिस ने ड्राइवर को गिरफ्तार कर लिया था.

ग्लैमर इंडस्ट्री से जुड़े इन हादसों ने कोलकाता के लोगों को स्तब्ध कर दिया था. क्योंकि ये हादसे तब हुए थे, जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सड़क सुरक्षा पर जागरूकता के लिए ‘सेफ ड्राइव, सेव लाइफ’ नाम से अभियान चला रखा था.

बहरहाल, जब सोनिका चौहान की मौत के मामले में दबाव बढ़ना शुरू हुआ तो पुलिस विक्रम चटर्जी की गिरफ्तारी की कोशिश में जुट गई.

आखिरकार गरदन पर कानून की तलवार लटकती देख विक्रम ने 5 मई शुक्रवार को कोलकाता की बंकसाल कोर्ट के मैट्रोपौलिटन मजिस्ट्रैट की अदालत में सरेंडर कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. बाद में वह जमानत पर बाहर आ गया.

सोनिका चौहान की मौत के मामले को ले कर चूंकि काफी हंगामा हुआ था, इसलिए पुलिस इस मामले की गंभीरता से जांच कर रही है. यह भी जानने की कोशिश की जा रही है कि सोनिका चौहान की मौत का कोई अन्य एंगल तो नहीं है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी इस मामले की जांच में कोई कोताही न बरतने का निर्देश दिया है.

उधर विक्रम चटर्जी को कई बार उस कब्रिस्तान में सोनिका सिंह की कब्र के पास देखा गया, जहां वह गुलाब के फूल ले कर जाता था. हालांकि सोनिका के घर वाले उस के इन आंसुओं को घडि़याली आंसू बताते हैं.

सोनिका सिंह के पिता विजय सिंह ने कोलकाता के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिख कर मांग की है कि इस मामले का गंभीरता से अन्वेषण कराएं, ताकि सच्चाई सामने आ सके. उन्हें विक्रम चटर्जी की बातों पर यकीन नहीं है.

बहरहाल, विक्रम चटर्जी की लापरवाही से हुए एक्सीडेंट की वजह से ही सही एक उभरती अदाकारा अकाल काल के गाल में समा गई.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सुशांत डेथ केस: अभी बड़े बड़े नाम आने बाकी हैं

टैलेंट मैनेजर जया साहा, उन की असिस्टेंट करिश्मा और इंडस्ट्री की शीर्ष अभिनेत्री दीपिका पादुकोण की ड्रग्स को ले कर सामने आई चैट से बौलीवुड को बहुत बड़ा झटका लगा है. रिया ने एनसीबी अधिकारियों को 25 नाम बताए थे, जिन्हें एनसीबी घेरने की तैयारी कर रही है. दीपिका पादुकोण शायद उन्हीं में से एक है.

इस चैट में दीपिका जया साहा से ‘हैश’ यानी हशीश भेजने की बात कहती हैं. जाहिर है अब दीपिका भी एनसीबी जांच के दायरे में आ गई हैं. कुछ समय पहले उन्होंने भी अपने डिप्रेशन का जिक्र किया था. उस दौर की चर्चा करते हुए दीपिका ने अपने अनुभव सब से शेयर किए थे. हो सकता है यह उसी दौर की चैट हो.
सिर्फ दीपिका ही नहीं, सारा अली खान, श्रद्धा कपूर, सिमोन खंबाटा और रकुलप्रीत सिंह जैसी बड़ी अभिनेत्रियां भी नशीले धुएं की चपेट में घिर गई हैं. एनसीबी ने आधिकारिक तौर पर इस बात की पुष्टि की है कि इन तीनों को पूछताछ के लिए सम्मन भेजे जाएंगे. पता चला है कि फिल्म ‘छिछोरे’ की सक्सेज पर जब सुशांत के फार्महाउस पर पार्टी हुई थी तो उस पार्टी में श्रद्धा भी गई थीं. बकौल रिया, उस पार्टी में ड्रग्स भी थे.

जब रिया ने अपने बयान में रकुलप्रीत का नाम लिया था, तब उन्होंने दिल्ली हाइकोर्ट में मीडिया ट्रायल पर प्रश्न करते हुए कहा था कि जब रिया ने उन के नाम वाले कथित बयान को वापस ले लिया है, तब भी मीडिया उन का नाम इस मामले से जोड़ रही है. लेकिन अब मीडिया नहीं एनसीबी उन से पूछताछ की तैयारी में है.  टैलेंट मैनेजर जया से काफी लंबी पूछताछ के बाद अधिकारिक रूप से इन अभिनेत्रियों की ड्रग्स में संलिप्तता पाई गई है.  हो सकता है कुछ और चौंकाने वाले बड़े नाम सामने आएं. जब दीपिका पादुकोण का नाम इस नशीली दुनिया का हिस्सा बन सकता है तो अब कुछ भी संभव है.

बौलीवुड वाले ड्रग्स इस्तेमाल ही नहीं कर रहे वरन उस का व्यापार भी कर रहे हैं. जिस का सबूत हाल ही में कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस के हाथ लगा. सुपरहिट फिल्म ‘एबीसीडी: एनीबडी कैन डांस’ के एक्टर और ‘डांस इंडिया डांस’ रियलिटी शो के प्रतिभागी रहे किशोर अमन शेट्टी को ड्रग्स लेने और बेचने के लिए कर्नाटक की मंगलुरु पुलिस ने गिरफ्तार किया है.किशोर के साथ ही अकील नौशिल को भी सिंथेटिक ड्रग एमडीएमए या एमटी रखने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है. ये दोनों महाराष्ट्र और बेंगलुरु से ड्रग्स मंगवा कर स्टूडेंट्स को बेचते थे.

सुशांत केस सौल्व करने के दौरान जब एनसीबी का इनवैस्टीगेशन शुरू हुआ तो रिया और जया साहा की चैट से कई ड्रग पेडलर निशाने पर आ गए. मतलब यह कि मुंबई में भारी मात्रा में ड्रग्स की सप्लाई की जाती है. 18 सितंबर को एनसीबी की टीम ने अलगअलग स्थानों पर छापा मार कर 928 ग्राम चरस और कई लाख कैश के साथ 4 लोगों को गिरफ्तार किया. एक दूसरी छापेमारी में 3 लोगों को 500 ग्राम गांजे के साथ पकड़ा गया. सुशांत केस में ड्रग्स की जांच करते हुए एनसीबी ने सब से बड़ी गिरफ्तारी ड्रग सप्लायर राहिल की थी. बौलीवुड में राहिल को सैम अंकल के नाम से जाना जाता है. मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार पूछताछ के दौरान राहिल ने कई जानेमाने सिलेब्रिटीज का नाम लिया है.

कुछ ऐसे ही चिरपरिचित नामों का जिक्र रिया भी अपने बयान में कर चुकी थी, जो अब सच बन कर सामने भी आने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, बौलीवुड का ही कोई शख्स राहिल का बौस है. इसी बौस के कहने पर राहिल सिलेब्रिटीज को मलाना क्रीम (सुपर क्वालिटी की चरस) सप्लाई करता था.मुंबई अपने फिल्म प्रोडक्शन के लिए जितनी मशहूर है, उतनी ही अपनी जिंदादिल पार्टियों के लिए भी चर्चित है. जहां मौजमस्ती  के साथ बड़ीबड़ी बिजनैस डील भी होती हैं. ग्लैमर इंडस्ट्री के हाईप्रोफाइल स्टार्स और स्ट्रगलर्स भी ऐसी पार्टियों में शिरकत करते हैं. इन पार्टियों में शराब के साथ ड्रग्स भी चलती है.

कंगना रनौत ने पार्टी कल्चर के बारे में कहा कि एक दौर में वह ‘हाई और माइटी’ क्लब का हिस्सा थीं, जहां हर दूसरी रात पार्टीज में जाना पड़ता था, जिन में बौलीवुड सिलेब्रिटीज ड्रग्स लेते थे. इसी तरह ‘बेइमान लव’ फिल्म के अभिनेता ने इंडस्ट्री में प्रचलित ड्रग्स को ले कर कहा कि ‘वीड’ सिगरेट की  तरह है, कैमरापरसन से ले कर स्पौट बौय तक सामान्य रूप से वीड लेते हैं.बौलीवुड पार्टियों की मुख्य ड्रग कोकीन और एमडीएमए है, जिसे एलएसडी या एसिड भी कहा जाता है. साथ ही पार्टियों में केटामाइन भी इस्तेमाल की जाती है. ये सभी हार्ड ड्रग्स हैं. इन का असर 15 से 20 घंटे तक रहता है. इन हार्ड ड्रग्स का जिक्र रिया की चैट में भी आया था.

अगस्त महीने में मुंबई पुलिस ने एक ड्रग पेडलर को मेफेड्रान नाम की ड्रग के साथ गिरफ्तार किया था. उस के पास से भारी मात्रा में मेफेड्रान बरामद हुई, जिसे एमसीएटी, म्याउ म्याउ और एमडी भी कहते हैं. इसे पार्टियों में खूब पसंद किया जाता है. मुंबई और दिल्ली में ड्रग्स की खपत को देखते हुए कई जगहों से ड्रग सप्लाई की जा रही है. मिजोरम के तस्कर म्यांमार से याबा टैबलेट की तस्करी कर के मिजोरम के रास्ते दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरु में सप्लाई देते हैं.

इन शहरों में इस नशीले पदार्थ की काफी डिमांड है. असम राइफल्स ने इसी साल 29 फरवरी को ड्रग की 39 लाख टैबलेट बरामद की थीं, जिन की कीमत करीब 9700 लाख रुपए थी. इस के साथ ही मार्च से अब तक 96 ड्रग पेडलर्स से 3.42 करोड़ रुपए कीमत की 3.6 किलोग्राम हेरोइन और प्रतिबंधित नशे की 6,29,800 टैबलेट बरामद की जा चुकी हैं.

ये आंकड़े सिर्फ एक जगह के हैं जबकि नशे के सौदागरों की देश के हर प्रांत में भरमार है. इसी से साबित होता है कि नशे की जड़ें कितनी गहरी हैं. महंगा होने की वजह से ड्रग्स का कारोबार मोटा पैसा कमाने का आसान जरिया है, जिस की झलक मुंबई में नजर आ रही है. ?

तो ये है ममता कुलकर्णी के गुमनाम अंधेरों की कहानी

90 के दशक में अपनी बिंदास अदाओं और खूबसूरती के लिए चर्चित रहीं ममता कुलकर्णी अचानक फिल्मी दुनिया से गायब हो गई हैं. गुमनामी के अंधेरों में गायब ममता का जिक्र अब उनकी किसी फिल्म या गाना आने पर ही होता है.

साल 1972 में एक मराठी परिवार में पैदा हुईं ममता ने, बॉलीवुड में 1992 में ‘तिरंगा’ फिल्म से कदम रखा था. फिर इसके बाद वे फिल्म ‘आशिक अवारा’ में दिखाई दीं. फिर ‘वक्त हमारा है’, ‘क्रांतिवीर’, ‘करण अर्जुन’, ‘सबसे बड़ा खिलाड़ी’ और ‘बाजी’, ‘घातक’, ‘चाइना गेट’ जैसी फिल्मों में काम करके उन्होंने बहुत नाम कमाया.

ये बात तो शायद आप जानते ही होंगे कि साल 2002 में आई ‘कभी तुम कभी हम’ के बाद उन्होंने बॉलीवुड को अलविदा कह दिया.

हर दम विवादों में घिरी रहीं ममता

साल 1993 में स्टारडस्ट मैगजीन में टॉपलैस फोटोशूट कराकर वे काफी चर्चा में आ गई थीं. इसके लिए उन पर जुर्माना भी हुआ था. यही नहीं ‘चाइना गेट’ में काम करने को लेकर खबरें उड़ी थीं कि छोटा राजन के कहने पर ही उन्हें यह फिल्म मिली. हालांकि यह फिल्म फ्लॉप रही और इसका सुपरहिट गाना ‘छम्मा-छम्मा’ भी उर्मिला के खाते में चला गया. बता दें कि ममता की इस फिल्म के जरिये सीरियस इमेज दिखाने की कोशिश नाकाम रही.

ये डांस नंबर आज भी थिरकने को मजबूर करते हैं

ममता के कई गाने आज भी लोगों की जुबान पर हैं. जब भी ये गाने कहीं सुनने को मिलते हैं तो अचानक इस अभिनेत्री की याद ताजा हो जाती है.

– कोई जाए तो ले आए मेरी लाख दुआएं पाए, मै तो पिया की गली..

– मुझको राणा जी माफ करना गलती म्हारे से हो गई…

– भंगड़ा पा ले… आजा आजा…

– भोली-भाली लड़की…

ड्रग्स तस्करी करने वाले विजय गोस्वामी से जुड़ी

शुरुआत में ममता के अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन से संबंधों की खबरें थीं, लेकिन कुछ समय बाद ही उनका नाम ड्रग तस्करी करने वाले विजय गोस्वामी यानि कि विकी के साथ जुड़ गया. उनके साथ वे दुबई और केन्या में रह रही थीं.

उन्होंने एक चैनल पर कबूला था कि उन्होंने विकी से शादी नहीं की और वे विकी से जेल में मिलने गईं थीं. ममता ने इसी इंटरव्यू में बताया कि उन्होंने सोचा था कि वह कैसे भी उन्हें जेल से बाहर निकालकर रहेंगी. विकी जेल से बाहर भी आए, लेकिन ममता भारत नहीं लौट पाईं.

जिस दौरान विकी जेल में थे ममता ने अपने आपको ईश्वर भक्ति में डुबो लिया था. ममता ने अध्यात्म पर एक किताब भी लिखी है, जिसका नाम है – ‘ऑटोबायोग्राफी ऑफ एन योगिन’.

जोगन ममता

ममता तो बॉलीवुड से गायब ही थीं, लेकिन एक तस्वीर ने ममता कुलकर्णी को फिर से चर्चा में ला दिया. इसमें वह माथे पर तिलक लगाए दिख रही थीं. इसके बाद खबरें चलीं कि ममता अब जोगन बन गई हैं. उन्होंने एक चैनल से इंटरव्यू में कहा कि मैं बॉलीवुड को छोड़कर ध्यान में लग गई और मैंने ईश्वर में ध्यान लगा लिया. उसके बाद उनका मन ही नहीं किया कि ग्लैमर की दुनिया में लौटूं.

बॉलीवुड को अलविदा कहने का कारण

एक ऑनलाइन इंटरव्‍यू में बॉलीवुड को अलविदा कहने की वजह पर ममता ने आध्यात्म को बताया. बॉलीवुड में वापसी पर उन्होंने एक साक्षात्कार में कहा था कि क्या घी को फिर से दूध बनाना मुमकिन है.

ममता कुलकर्णी भगोड़ा घोषित

ममता कुलकर्णी और उसके बॉयफ्रेंड विकी गोस्वामी को ठाणे की एक स्पेशल कोर्ट ने 2000 करोड़ रुपये ड्रग्स रैकेट केस में दोषी करार दिया है. पिछले महीने ही कोर्ट ने ममता को भगोड़ा घोषित करने के साथ ही उनकी संपत्तियों की कुर्की करने का आदेश दिया है.

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘यह घोषित किया जाता है कि आरोपी ममता कुलकर्णी और विकी गोस्वामी दोषी हैं. दोनों आरोपियों की अचल संपत्ति को जब्त करने का आदेश दिया जाता है.’

एक पुलिस ऑफिसर के अनुसार, ‘एक साल हो चुका है और मुख्य आरोपी अभी तक फरार है. ममता अभी भी फरार चल रही हैं, जबकि उनके पार्टनर विकी गोस्वामी को केन्या में गिरफ्तार किया जा चुका है. बता दें कि ममता की लोकेशन को लोकेट करने की कोशिश कर रहे हैं.’

अबू सलेम की आवाज पर धड़कता था इस अभिनेत्री का दिल

1993 में मुंबई बम धमाकों के मामले की सुनवाई कर रही टाडा अदालत अबू सलेम समेत 5 अन्य दोषियों को सजा सुना दी है. इस वजह से अबू सलेम तो चर्चा में हैं ही, एक्ट्रेस मोनिका बेदी का नाम भी सुर्खियों में आ गया है. मोनिका लंबे समय तक अबू सलेम की गर्लफ्रेंड रही थीं. इन दिनों वह बेशक फिल्मी दुनिया से दूर हैं, लेकिन एक समय वो भी था जब अबू की वजह से ही उन्हें फिल्में मिलनी शुरू हुई थी.

ये जानना दिलचस्प है कि एक अंडरवर्ल्ड डौन और एक स्ट्रगलिंग एक्ट्रेस के बीच प्यार की ये कहानी कहां और कैसे पनपी. मोनिका बेदी मूल रूप से पंजाब की हैं. उन्होंने ब्रिटेन की आक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंग्लिश लिटरेचर की पढ़ाई की. डांस और माडलिंग में भी मोनिका को काफी दिलचस्पी थी. यही दिलचस्पी उन्हें मुंबई लाई और यहां आकर 1995 में उन्हें उनकी पहली फिल्म ‘सुरक्षा’ मिली.

कहा जाता है कि अबू सलेम से मोनिका की मुलाकात एक बौलीवुड पार्टी के दौरान हुई थी. लेकिन एक मुलाकात ने ही दोनों के बीच कुछ ऐसा आकर्षण पैदा किया कि फिर मुलाकातों का सिलसिला बढ़ गया.

मोनिका की मानें तो थोड़े वक्त के लिए ही सही, मोनिका का दिल अबू के लिए धड़का जरूर था. मोनिका के मुताबिक उन्हें नहीं पता था कि जिस शख्स के लिए उनका दिल धड़क रहा था वो अंडरवर्ल्ड का मोस्ट वान्टेड है. उन्हें नहीं पता था कि जिसके साथ वो प्यार कर बैठी हैं उसका असली नाम अबु सलेम है.

साल 1998 में मोनिका पहली दफा फोन पर सलेम के संपर्क में आईं. मोनिका दुबई में थीं, फोन पर उन्हें दुबई में एक स्टेज शो करने का आफर मिला. बस उसी के बाद वो अबू को चाहने लगीं. मोनिका सलेम की आवाज पर फिदा हो गई थीं. अबू सलेम भी मोनिका से बेहद प्यार करता था.

बताया तो यहां तक जाता है कि मोनिका को उनकी पहली हिट फिल्म ‘जोड़ी नंबर वन’ में भी सलेम ने ही काम दिलवाया था. बौलीवुड में मोनिका के लिए वह एक ऐसा दौर था, जब सब उनकी इज्जत करने लगे थे. हर कोई उन्हें खुश करने की कोशिश करता था. जबकि ये सब मोनिका की परफार्मेंस की वजह से नहीं, बौलीवुड में सलेम के खौफ की वजह से हो रहा था.

1993 मुंबई सीरियल ब्लास्ट के आरोपी अबू सलेम को साल 2005 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था. बताया जाता है कि जब यह गिरफ्तारी हुई, तब होटल में उनके साथ मोनिका बेदी भी थीं.

सुनने में आया था कि इसके बाद मोनिका ने सलेम का साथ छोड़ दिया था और सरकारी गवाह बन गई थीं. बता दें कि मोनिका फर्जी पासपोर्ट के मामले में चार साल जेल में बीता चुकी हैं.

अपने हिस्से की सजा काटकर वह कई टीवी रिएलिटी शोज में भी नजर आ चुकी हैं. वह बिग बौस सीजन 2 के अलावा झलक दिखला जा में भी नजर आई थीं. उन्होंने यूनिवर्सल म्यूजिक के एक एलबम के लिए इक ओंकार भी गाया है. साल 2013 में उन्होंने स्टार प्लस के शो सरस्वतीचंद्र में नेगेटिव रोल भी किया था.

टुकड़ों में मिली अभिनेत्री की लाश

राइमा इसलाम शिमू बांग्लादेश की एक जानीमानी अभिनेत्री थीं. उन्होंने न सिर्फ 50 से ज्यादा फिल्मों में काम किया, बल्कि 2 दरजन से अधिक नाटकों में भी काम कर दर्शकों के दिलों में जगह बनाई. यह महज इत्तफाक की बात है कि जिन दिनों देश भर में अपने दौर की खूबसूरत और लोकप्रिय अभिनेत्री परवीन बाबी की जिंदगी पर बनी वेब सीरीज ‘रंजिश ही सही’ की चर्चा हो रही थी, उन्हीं दिनों बांग्लादेश की परवीन जितनी ही सैक्सी, लोकप्रिय और सुंदर एक्ट्रेस राइमा इसलाम शिमू की दुखद हत्या की चर्चा भी उतनी ही शिद्दत से हो रही थी.

फर्क सिर्फ इतना था कि परवीन बाबी की लाश उन के घर में मिली थी, जबकि राइमा की एक सड़क पर मिली थी. यह सड़क बांग्लादेश की राजधानी ढाका के केरानीगंज अलियापुर इलाके में हजरतपुर ब्रिज के नजदीक है, जो कालाबागान थाने के अंतर्गत आता है.

17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिली तो बांग्लादेश में सनाका खिंच गया क्योंकि वह कोई मामूली हस्ती नहीं थीं बल्कि घरघर में उन की पहुंच थी. अपनी अभिनय प्रतिभा के दम पर उन्होंने अपना एक बड़ा दर्शक और प्रशंसक वर्ग तैयार कर लिया था.

जिस हाल में राइमा की लाश मिली थी, उस से साफ जाहिर हो रहा था कि उन की बेरहमी से हत्या की गई है.

इस हादसे ने एक बार फिर साफ कर दिया कि रील और रियल लाइफ में जमीनआसमान का फर्क होता है और आमतौर पर फिल्म स्टार्स, फिर वे किसी भी देश के हों, की जिंदगी उतनी हसीन और खुशनुमा होती नहीं जितनी कि उन के जिए किरदारों में दिखती है.

यही राइमा के साथ हुआ कि हत्यारा कोई और नहीं बल्कि उन का बेहद करीबी शख्स था और हत्या की वजह कोई अफेयर, पैसों का लेनदेन, कोई विवाद या नशे की लत या फिर कोई दिमागी बीमारी भी नहीं थी.

45 वर्षीय राइमा साल 1977 में ढाका के एक मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मी थीं, जिन्हें बचपन से ही अभिनय का शौक था. ढाका से स्कूल और कालेज की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने एक्टिंग का कोर्स भी किया था.

19 साल की उम्र में ही उन्हें ‘बर्तमान’ फिल्म में काम करने का मौका मिल गया था. निर्माता काजी हयात की इस कामयाब फिल्म से वह फिल्म इंडस्ट्री में पहचानी जाने लगीं.

फिल्म समीक्षकों ने तो उन की एक्टिंग को अव्वल नंबर दिए ही थे, दर्शकों ने भी उन्हें सराहा था. इस की वजह उन का ताजगी से भरा चेहरा और बेहतर एक्टिंग के अलावा उन की कमसिन अल्हड़पन और खूबसूरती भी थी.

पहली फिल्म कामयाब होने के बाद राइमा ने फिर कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा. देखते ही देखते उन्होंने बांग्लादेश के तमाम दिग्गज निर्देशकों के साथ काम किया. इन में इनायत करीम, शरीफुद्दीन खान, दीपू, देलवर जहां झंतु और चाशी नजरूल इसलाम प्रमुख हैं.

सभी छोटेबड़े निर्देशकों के साथ राइमा ने 50 से भी ज्यादा फिल्मों में काम किया और टीवी पर भी अपना जलवा बिखेरा.

लोगों के दिलों में बसी थीं राइमा

छोटे परदे पर आना उन की व्यावसायिक मजबूरी भी हो गई थी, क्योंकि बांग्लादेश के लोग भी टीवी धारावाहिकों को ज्यादा तरजीह देने लगे हैं. राइमा ने कोई 25 धारावाहिकों में एक्टिंग की, जिस से घरघर उन की पहुंच और स्वीकार्यता बढ़ती गई.

बांग्लादेश फिल्म इंडस्ट्री के लगभग सभी बड़े नायकों के साथ उन्होंने काम किया. खासतौर से अमित हसन, बप्पाराज रियाज, शाकिब खान, जाहिद हसन और मुशर्रफ करीम के साथ उन की जोड़ी खूब जमती थी.

राइमा आला कारोबारी दिमाग की मालकिन थीं, इसलिए उन्होंने खुद का प्रोडक्शन हाउस भी खोल लिया था. जिस के तहत कई टीवी सीरियल बने थे. अलावा इस के वह फिल्म पत्रकारिता भी ‘अर्थ कोथा द नैशनल बिजनैस मैगजीन’ के लिए करती थीं.

बहुमुखी प्रतिभा की धनी इस एक्ट्रेस को टीवी न्यूज चैनल एटीएन बांग्ला में सेल्स एंड मार्केटिंग में वाईस प्रेसिडेंट भी नियुक्त किया गया था. जल्द ही एक नामी इवेंट मैनेजमेंट कंपनी टीएन इवेंट्स लिमिटेड के सीईओ की जिम्मेदारी भी उन्हें दी गई थी.

इतना ही नहीं, उन्होंने बांग्लादेश में ही अपना ब्यूटी सैलून भी शुरू कर दिया था, जिस का नाम रोज ब्यूटी सैलून है. ढाका का ग्रीन रोड इलाका राइमा के घर की वजह से भी पहचाना जाने लगा, जो दर्शकों और प्रशंसकों की नजर में किसी मन्नत या जन्नत से कम नहीं था.

लेकिन कोई सोच भी नहीं सकता था कि लाखों लोगों का मनोरंजन करने वाली और दर्शकों के दिलों पर राज करने वाली इस एक्ट्रेस की निजी जिंदगी किसी नर्क से कम बदतर नहीं थी और इस की वजह था उन का पति शखावत अली नोबेल, जो कभी उन पर जान छिड़का करता था. इन दोनों ने 16 साल पहले लव मैरिज की थी.

शौहर ही निकला कातिल

आम दर्शक इस से ज्यादा कुछ नहीं सोच पाता कि उस की चहेती एक्ट्रेस अपने महल जैसे घर के अंदर सदस्यों के साथ हंसखेल रही होगी, रोमांस कर रही होगी या फिर डायनिंग टेबल पर बैठी लंच या डिनर कर रही होगी.

और कुछ नहीं तो पति और बच्चों के साथ आंचल हवा में लहराते लौन के झूले पर झूलती गाना गा रही होगी. उस के इर्दगिर्द रंगबिरंगे फूल और चहचहाते पक्षी होंगे. सर के ऊपर नीला खुला आसमान होगा. लेकिन ऐसा कुछ भी कम से कम राइमा की जिंदगी में तो नहीं था.

पिछले कुछ दिनों से वह बेहद घुटन भरी जिंदगी जी रही थीं. आलीशान घर के अंदर कलह स्थायी रूप से पसर चुकी थी जिस से उन के दोनों बच्चे सहमेसहमे से रहते थे.

राइमा और शखावत कहने और देखने को ही साथ रहते थे और मियांबीवी कहलाना भी उन की सामाजिक मजबूरी हो चली थी. लेकिन रोजरोज की मारकुटाई और कलह आम बात हो चुकी थी.

यह सब कितने खतरनाक मुकाम तक पहुंच चुका था, इस का खुलासा 17 जनवरी, 2022 को राइमा की लाश मिलने के बाद हुआ. अंदर से टूटी और थकी हुई यह एक्ट्रेस 16 जनवरी को मावा एक शूटिंग के लिए गई थी. लेकिन देर रात तक वापस घर नहीं लौटी तो घर वालों को चिंता हुई क्योंकि राइमा का फोन भी बंद जा रहा था.

कालाबागान थाने में उन की गुमशुदगी की सूचना दर्ज हुई. एक रिपोर्ट राइमा की बहन फातिमा निशा ने भी लिखाई थी. पुलिस ने राइमा की ढुंढाई शुरू की, लेकिन देर रात तक कोई कामयाबी नहीं मिली तो मामला सुबह तक के लिए टल गया.

इस दौरान उन का भाई शाहिदुल इसलाम खोकान लगातार पुलिस वालों से बहन को ढूंढने की गुजारिश करते खुद भी राइमा की तलाश में इस उम्मीद के साथ लगा रहा कि कहीं से कोई सुराग मिल जाए. लेकिन उस के हाथ भी मायूसी ही लगी.

17 जनवरी की सुबह कुछ राहगीरों ने हजरतपुर ब्रिज के पास एक लावारिस संदिग्ध बोरे को देख इस की खबर पुलिस को दी. पुलिस ने आ कर जैसे ही बोरे को खोला तो उस में से बरामद हुई राइमा की लाश, जो 2 टुकड़े कर बोरे में ठूंसी गई थी.

गले पर चोट के निशान भी साफसाफ दिख रहे थे, जिस से स्पष्ट हो गया कि राइमा की हत्या हुई है और लाश को यहां फेंक दिया गया है. लेकिन हत्यारा कौन हो सकता है, यह सवाल पुलिस को मथे जा रहा था.

राइमा की हत्या की खबर जंगल की आग की तरह फैली और फैंस जहांतहां इकट्ठा होने लगे. शव को पोस्टमार्टम के लिए सर सलीमुल्लाह मैडिकल कालेज भेज दिया गया.

पुलिस को शखावत पर शक तो था ही, लेकिन जैसे ही राइमा के भाई शाहिदुल इसलाम खोकान ने यह कहा कि शखावत एक ड्रग एडिक्ट है. वह अकसर मेरी बहन से कलह करता था. मैं ने उस की कार में खून देखा है. वह सुबह 8 से ले कर 10 बजे तक घर पर नहीं था. मुझे लगता है कि उसी दौरान उस ने राइमा की लाश फेंक दी.

फिल्मों जैसा कत्ल

शाहिदुल की शिकायत पर पुलिस ने शखावत को घेरा तो बिना किसी ज्यादा मशक्कत के उस ने सच उगल दिया. अब तक राइमा के फैंस जगहजगह मोमबत्तियां ले कर उन की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करने लगे थे.

सोशल मीडिया पर भी राइमा छाई हुई थीं. लोग श्रद्धांजलि देते राइमा के हत्यारे को गिरफ्तार करने की मांग और प्रदर्शन कर रहे थे.

हिरासत में लिए गए शखावत ने बगैर किसी खास चूंचपड़ के अपना गुनाह कुबूल लिया. उस के बयान की बिनाह पर 6 लोग और गिरफ्तार किए गए, जिन में उन का ड्राइवर और एक नजदीकी दोस्त अब्दुल्ला फरहाद भी था. फरहाद को शखावत ने फोन कर बुलाया था.

पूछताछ में पता चला कि शखावत और फरहाद ने राइमा की हत्या 16 जनवरी को ही कर दी थी. वक्त था सुबह 7 बजे का. इन दोनों ने राइमा की लाश बोरे में भर दी और उसे प्लास्टिक की डोरी से सिल दिया. यह काम इत्मीनान से बिना किसी अड़ंगे के हो सके, इस के लिए उन्होंने घर पर तैनात सिक्योरिटी गार्ड को नाश्ता लेने भेज दिया था.

घटनास्थल से बरामद डोरी शखावत के गले का फंदा बनेगी, यह भी तय दिख रहा है क्योंकि जब पुलिस टीम घर पहुंची थी तो इस डोरी का पूरा बंडल वहां से बरामद हुआ था. जिस से शक की कोई गुंजाइश नहीं रह गई थी.

ये दोनों लाश को ठिकाने लगाने के पहले उसे मीरपुर ले गए थे, लेकिन वहां कोई उपयुक्त सुनसान जगह नहीं मिली तो वापस घर आ गए थे.

राइमा की लाश उन लोगों के लिए बोझ बनती जा रही थी. मीरपुर से वापसी के बाद दोनों रात साढ़े 9 बजे के करीब हजरतपुर ब्रिज पहुंचे और लाश वाले बोरे को वहीं फेंक दिया, लेकिन हड़बड़ाहट और जल्दबाजी में गलती से डोरी वहीं छोड़ दी, जो उन के खिलाफ एक पुख्ता सबूत बन गई.

लाश फेंकने के बाद घर आ कर दोनों ने सबूत मिटाने की गरज से कार को धोया और बदबू दूर करने के लिए उस में ब्लीचिंग पाउडर भी छिड़का. लेकिन इस के बाद भी खून के धब्बे पूरी तरह नहीं मिट पाए थे.

यानी राइमा शूटिंग पर गई है, यह झूठ जानबूझ कर फैलाया गया था, जिस से कत्ल को किसी हादसे में तब्दील किया जा सके या उस का ठीकरा किसी और के सिर फूटे, नहीं तो उसे तो ये लोग 16 जनवरी, 2022 को ही ऊपर पहुंचा चुके थे.

गलत नहीं कहा जाता कि मुलजिम कितना भी चालाक हो, कोई न कोई सबूत छोड़ ही देता है फिर शखावत और फरहाद तो नौसिखिए थे, जो यह मान कर चल रहे थे कि उन्होंने बड़ी चालाकी से अपने गुनाह को अंजाम दिया है, इसलिए पकडे़ जाने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होगा. कुछ दिन हल्ला मचेगा और फिर सब कुछ ठीक हो जाएगा.

पुलिस के सामने शखावत ने शरीफ बच्चों की तरह मान लिया कि राइमा से कलह के चलते उस ने उस का कत्ल किया, लेकिन हकीकत में वह अव्वल दरजे का शराबी और ड्रग एडिक्ट था, जो पत्नी को मार कर उस की सारी दौलत हड़प कर लेना चाहता था, जिस से ताउम्र मौज और अय्याशी की जिंदगी जी सके.

पर अब उसे जिंदगी भर जेल की चक्की पीसना तय दिख रहा है. हो सकता है अदालत कोई रहम न दिखाते हुए शखावत को फांसी की सजा ही दे दे, जिस का कि वह हकदार भी है.

फिल्म स्टार्स को शादी के ठुमकों से भी करोड़ों की कमाई

वाकया अब से कोई 8 साल पहले का है. मशहूर बौलीवुड अभिनेता शाहरुख खान एक शादी में शामिल होने के लिए दुबई गए थे. विवाहस्थल था नामी मेडिनाट जुमैराह होटल, मेजबान थे अहमद हसीम खूरी और मरियम ओथमन, जिन की गिनती खाड़ी के बड़े रईसों में शुमार होती है.

मौका था इन दोनों के बेटे की शादी का, जो इतने धूमधाम से हुई थी कि ऐसा लगा था कि इस में पैसा खर्च नहीं किया गया बल्कि फूंका और बहाया गया है. इस की वजह भी है कि शायद ही खुद अहमद हसीम खूरी को मालूम होगा कि उन के पास कितनी दौलत है.

एक आम पिता की तरह इस खास शख्स की यह ख्वाहिश थी कि बेटे की शादी इतने धूमधाम से हो कि दुनिया याद रखे और ऐसा हुआ भी, जिस में शाहरुख खान का वहां जा कर नाच का तड़का लगाना एक यादगार लम्हा बन गया था.

चूंकि खूरी शाहरुख के अच्छे परिचित हैं, इसलिए यह न सोचें कि वे संबंध निभाने और शिष्टाचारवश इस शादी में शिरकत करने गए थे, बल्कि हकीकत यह कि वह वहां किराए पर नाचने गए थे. आधे घंटे नाचने की कीमत शाहरुख ने 8 करोड़ रुपए वसूली थी और मेजबानों ने खुशीखुशी दी भी थी.

रियल एस्टेट से ले कर एयरलाइंस तक के कारोबार के किंग अहमद हसीम खूरी जो दरजनों छोटीबड़ी कंपनियों के मालिक हैं, के लिए यह वैसी ही बात थी जैसे किसी भेड़ के शरीर से 8-10 बाल झड़ जाना. लेकिन शाहरुख के लिए यह पैसा पूरी तरह से बख्शीश तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन बोनस जरूर था.

यह डील राशिद सैय्यद ने करवाई थी, जो दुबई में शाहरुख के इवेंट आयोजित करवाते हैं. इस डील में भी उन्हें तगड़ा कमीशन मिला था. यह वह दौर था जब शाहरुख खान अपनी बीमारी की वजह से निजी आयोजनों में जाने से परहेज करते थे, पर आधे घंटा ठुमका लगाने के एवज में मिल रही 8 करोड़ की रकम का लालच वह छोड़ नहीं पाए थे. क्योंकि सौदा कतई घाटे का न हो कर तगड़े मुनाफे का था.

ऐसा नहीं है कि शाहरुख देश की शादियों में नाचनेगाने की फीस चार्ज न करते हों. हां, वह कम जरूर होती है. आजकल वह शादियों में शामिल होने के 2 करोड़ लेते हैं और मेजबान अगर उन्हें नचाना भी चाहे तो यह फीस 3 करोड़ हो जाती है.

लेकिन समां ऐसा बंधता है कि लड़की या लड़के वाले के पैसे वसूल हो जाते हैं. शान से शादी करना हमेशा से ही लोगों की फितरत रही है और इस के लिए वे ज्यादा से ज्यादा दिखावा और खर्च करते हैं, जिस का बड़ा हिस्सा मनोरंजन पर खर्च होता है.

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करोड़ों के ठुमके

एक दौर था जब अमीरों और जमींदारों के यहां की शादियों में नामी रंडियां, बेड़नियां और तवायफें दूरदूर से नाचने के लिए बुलाई जाती थीं. इन का नाच देखने और मुजरा सुनने के लिए खासी भीड़ इकट्ठी होती थी.

प्रोग्राम के बाद लोग मान जाते थे कि वाकई मेजबान इलाके का सब से बड़ा रईस और दिलदार आदमी है, जिस ने 11 बेड़नियां नचा कर फलां को मात दे दी, जो अपने बेटे की शादी में केवल 5 तवायफें ही ला पाया था.

5 हों या 7 या फिर 11, इन पेशेवर नचनियों को खूब मानसम्मान दिया जाता था और उन की खातिर खुशामद में कोई कमी नहीं रखी जाती थी. इन की फीस भी तब के हिसाब से तौलें तो किसी शाहरुख, सलमान, रितिक रोशन, अक्षय कुमार, कटरीना कैफ, अनुष्का शर्मा, रणवीर सिंह या प्रियंका चोपड़ा से कम नहीं होती थी.

ये सभी फिल्म स्टार शादियों और दूसरे निजी आयोजनों में हिस्सा लेने में अपनी और मेजबान की हैसियत के हिसाब से फीस लेते हैं, जो फिल्मों के अलावा इन की अतिरिक्त आमदनी होती है. हालांकि पैसों के लिए ये अब उद्घाटन के अलावा शपथ ग्रहण समारोहों तक में शामिल होने लगे हैं और विज्ञापनों व ब्रांड प्रमोशन से भी अनापशनाप कमाते हैं. लेकिन शादियों की बात कुछ अलग हटकर है.

वक्त के साथ शादियों के पुराने तौरतरीके बदले तो बेड़नियों और तवायफों की जगह फिल्म स्टार्स ने ले ली. शादियों में खासतौर से इन की मांग ज्यादा होती है, क्योंकि खुशी के इस मौके को लोग यादगार बना लेना चाहते हैं. ऐसे में अगर कोई फिल्मी सितारा वे अफोर्ड कर सकते हैं तो उसे बुलाने से चूकते नहीं.

ये डील सीधे भी होती हैं, पीआर एजेंसी और इवेंट कंपनियों के जरिए भी. और किसी जानपहचान वाले का फायदा भी उठाया जाता है. हालांकि अधिकांश बड़े सितारों ने इस बाबत अपने खुद के भी बिजनैस मैनेजर नियुक्त कर रखे हैं.

शाहरुख खान वक्त की कमी के चलते साल में 3-4 से ज्यादा शादियों में नहीं जाते. इस से ही उन्हें कोई 10 करोड़ की सालाना कमाई हो जाती है. शाहरुख की तरह ही सलमान खान भी साल में 3-4 शादियों में ही शिरकत करते हैं. हां, उन की फीस थोड़ी कम 2 करोड़ रुपए है.

सलमान शादियों में दिल से नाचते हैं और घरातियों और बारातियों को भी खूब नचाते हैं. शाहरुख के बाद सब से ज्यादा मांग उन्हीं की रहती है. आप जान कर हैरान हो सकते हैं कि इन दोनों के पास साल में ऐसे यानी पेड डांस के कोई 200 न्यौते आते हैं, लेकिन ये जाते सिर्फ 3 या 4 में ही हैं.

अक्षय नहीं दिखाते ज्यादा नखरे

जिन्हें शाहरुख या सलमान खान से मंजूरी नहीं मिलती, वे अक्षय कुमार जैसे स्टार की तरफ दौड़ लगा देते हैं जो आसानी से मिल जाते हैं और इन की फीस भी उन से कम होती है. आजकल अक्षय कुमार डेढ़ करोड़ में नाचने को तैयार हो जाते हैं क्योंकि उन का बाजार ठंडा चल रहा है.

अक्षय कुमार की यह खूबी है कि बेगानी शादी में यह दिखाने की पूरी कोशिश करते हैं कि वे वर या वधु पक्ष के बहुत अजीज हैं. अब यह और बात है कि समझने वाले समझ जाते हैं कि वे आए तो किराए पर नाचने हैं.

अक्षय कुमार से भी सस्ते पड़ते हैं रणवीर सिंह, जिन की शादी में नाचने की फीस सिर्फ एक करोड़ रुपए है और केवल शादी में शामिल होना हो यानी नाचना न हो तो वे 50 लाख में भी मुंह दिखाने को तैयार हो जाते हैं.

‘कहो न प्यार है’ फिल्म से रातोंरात स्टार बन बैठे रितिक रोशन शादी में शामिल होने के लिए एक करोड़ फीस चार्ज करते हैं और नाचना भी हो तो इस अमाउंट में 50 लाख रुपए और जुड़ जाते हैं. यानी डेढ़ करोड़ रुपए

कपूर खानदान के रणबीर कपूर कभीकभार ही ऐसे न्यौते स्वीकारते हैं, उन की फीस डेढ़ करोड़ रुपए है.

सस्ती पड़ती हैं एक्ट्रेस

नायकों के मुकाबले शादियों में नचाने को नायिकाएं सस्ती पड़ती हैं जबकि उन में आकर्षण ज्यादा होता है. सब से ज्यादा डिमांड कटरीना कैफ की रहती है, जिन की फीस बड़े नायकों के बराबर ढाई करोड़ रुपए है.

कटरीना को अपनी शादी में नाचते देखने का लुत्फ वही उठा सकता है, जो घंटा आधा घंटा के एवज में यह भारीभरकम रकम खर्च कर सकता हो. हालांकि ऐसे शौकीनों की कमी भी नहीं. कटरीना के बराबर ही मांग प्रियंका चोपड़ा की रहती है. उन की फीस भी ढाई करोड़ है, जिसे अदा कर उन से ठुमके लगवाए जा सकते हैं.

इन दोनों को टक्कर देने वाली करीना कपूर डेढ़ करोड़ में शादी को यादगार बनाने के लिए तैयार हो जाती हैं और नाचती भी दिल से हैं. तय है कपूर खानदान की होने के नाते वे भारतीय समाज और उस की मानसिकता को बारीकी से समझती हैं कि लोग बस इस मौके को जीना चाहते हैं जिस में उन का रोल एक विशिष्ट मेहमान का है.

उन के दादा राजकपूर की हिट फिल्म ‘प्रेम रोग’ में अचला सचदेव नायिका पद्मिनी कोल्हापुरे की शादी में बहैसियत तवायफ ही आई थीं. इस दृश्य के जरिए राजकपूर ने दिखाया था कि ठाकुरों और जमींदारों के यहां शादियों में नाचगाना 7 फेरों से कम अहमियत नहीं रखता और इस पर वे खूब पैसे लुटाते हैं.

रणवीर सिंह की पत्नी दीपिका पादुकोण भी सस्ते में शादी में जाने तैयार हो जाती हैं उन की फीस महज एक करोड़ रुपए है. नामी अभिनेत्रियों में सब से किफायती अनुष्का शर्मा हैं, जो शादी में शामिल होने के 50 लाख और नाचना भी हो तो एक करोड़ रुपए लेती हैं. क्रिकेटर विराट कोहली से शादी करने के बाद भी उन की फीस बढ़ी नहीं है.

वजह कुछ भी हो, शादी को रंगीन और यादगार बनाने के लिए अभिनेत्रियां कम पैसों में मिल जाती हैं. मसलन, सोनाक्षी सिन्हा जो मोलभाव करने पर 25 लाख में भी नाचने को राजी हो जाती हैं, जबकि वह भारीभरकम फीस वाली अभिनेत्रियों से उन्नीस नहीं और उन के मुकाबले जवान और ताजी भी हैं.

युवाओं में उन का खासा क्रेज है. सोनाक्षी से भी कम रेट में उपलब्ध रहती हैं दीया मिर्जा, सेलिना जेटली और गुजरे कल की चर्चित ऐक्ट्रेस प्रीति झिंगयानी और एक वक्त का बड़ा नाम अमीषा पटेल, जिन्होंने रितिक रोशन के साथ ही ‘कहो न प्यार है’ फिल्म से डेब्यू किया था.

इमेज है बड़ा फैक्टर

अपने बजट को ही नहीं बल्कि लोग इन कलाकारों को बुलाते समय अपनी प्रतिष्ठा और उन की इमेज को भी ध्यान में रखते हैं. क्या कोई अरबपति उद्योगपति राखी सावंत को अपने यहां शादी में बुलाएगा, जबकि उस की फीस महज 10 लाख रुपए है? जबाब है बिलकुल नहीं बुलाएगा, क्योंकि राखी की इमेज कैसी है यह सभी जानते हैं.

राखी सावंत को बुलाया तो जाता है और वह हर तरह से नाचती भी हैं लेकिन उन के क्लाइंट आमतौर पर वे नव मध्यमवर्गीय होते हैं जो अपनी धाक समाज में जमाना चाहते हैं.

यही हाल केवल 25 लाख में नाचने वाली पोर्न स्टार सनी लियोनी का है, जिन की क्लाइंटल रेंज उन्हीं की तरह काफी कुछ हट कर है.

राखी और सनी जैसी दरजन भर छोटी अभिनेत्रियों की आमदनी का बड़ा जरिया ये शादिया हैं, जिन में शिरकत करने और नाचने को वे एक पांव पर तैयार रहती हैं. इसी क्लब में मलाइका अरोड़ा भी शामिल हैं, जिन की फीस भी कम 15 लाख है.

हरियाणवी डांसर सपना चौधरी के धमाकेदार डांस और बेबाक अंदाज को तमाम लोग पसंद करते हैं. स्टेज शो के अलावा शादी समारोह में जाने के लिए वह एक लाख रुपए में ही तैयार हो जाती हैं. लेकिन वह 50 प्रतिशत एडवांस लेती हैं.

बड़े नायक और नायिकाएं अपने यहां शादियों में नचवा कर लोग न केवल अपनी रईसी झाड़ लेते हैं बल्कि धाक भी जमा लेते हैं. लेकिन कोई कभी खलनायकों को नहीं बुलाता. कभीकभार शक्ति कपूर शादियों में 10 लाख रुपए में ठुमका लगाने चले जाते हैं पर अब उन की इमेज कामेडियन और चरित्र अभिनेता की ज्यादा बन चुकी है. वैसे भी वह जिंदादिल कलाकार हैं जिस का बाजार और कीमत अब खत्म हो चले हैं.

बदलता दौर बदलते लोग

शादी में हंसीमजाक, नाचगाना न हो तो वह शादी कम एक औपचारिकता ज्यादा लगती है. इसलिए इन में हमेशा कुछ न कुछ नया होता रहता है.

60-70 के दशक में बेड़नियां और तवायफें नचाना उतने ही शान की बात होती थी, जितनी कि आज नामी स्टार्स को नचाना होती है. जरूरत बस जेब में पैसे होने की है. शादियों में नाचने से फिल्मी सितारों को आमदनी के साथसाथ पब्लिसिटी भी मिलती है.

इन के दीगर खर्च और नखरे भी आमतौर पर मेजबान को उठाने पड़ते हैं मसलन हवाई जहाज से आनेजाने का किराया, 5 सितारा होटलों में स्टाफ सहित ठहरने का खर्च और कभीकभी तो कपड़ों तक का भी. बशर्ते मेजबान ने यदि कोई ड्रेस कोड रखा हो तो नहीं तो ये लोग अपनी पसंद की पोशाक पहनते हैं.

शादियों में फिल्मी सितारों का फीस ले कर नाचने और ठुमकने का कोई ज्ञात इतिहास नहीं है, लेकिन इस की शुरुआत का श्रेय उन छोटीबड़ी आर्केस्ट्रा पार्टियों को जाता है, जिन्होंने 80 के दशक से शादियों में गीतसंगीत के स्टेज प्रोग्राम देने शुरू किए थे.

बाद में इन में धीरेधीरे छोटे और फ्लौप कलाकार भी नजर आने लगे. आइडिया चल निकला तो देखते ही देखते नामी सितारों ने इसे धंधा ही बना डाला.

शादियों में इस दौर में महिला संगीत और हल्दी मेहंदी का चलन भी तेजी से समारोहपूर्वक मनाने का बढ़ा था, जिस में रंग इन स्टार्स ने भरना शुरू कर दिया. थीम वेडिंग के रिवाज से भी इन की मांग बढ़ी.

इस के बाद भी यह बाजार बहुत बड़ा नहीं है क्योंकि इन की फीस बहुत ज्यादा है, जिसे कम लोग ही अफोर्ड कर पाते हैं. हां, सपना हर किसी का होता है कि उन के यहां शादी में कोई सलमान, शाहरुख, अक्षय, कटरीना या प्रियंका नाचें, लेकिन यह बहुत महंगा सपना है.

डर्टी फिल्मों का ‘राज’ : राज कुंद्रा पोनोग्राफी केस – भाग 4

मूलरूप से कर्नाटक की रहने वाली शिल्पा शेट्टी के पिता सुरेंद्र शेट्टी मुंबई में दवा निर्माण का कारोबार करते थे इसलिए शिल्पा बचपन से ही मुंबई मे पलीबढ़ी और बाद में मौडलिंग करतेकरते फिल्मों का सफर शुरू हो गया. पहली फिल्म बाजीगार ने ही उन्हें शोहरत की बुलदियों पर पहुंचा दिया. इस के बाद उन्होंने कई चर्चित और सफल फिल्मों में काम किया.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंदा ने शिल्पा के लिए जुहू सी बीच पर एक आलीशान बंगला खरीदा और उस का नाम ‘किनारा’ रखा. करीब 70 करोड़ की कीमत का ये बंगला भव्यता और लोकेशन के लिहाज से बौलीवुड के सुपर स्टार अमिताभ बच्चन और शाहरुख खान के बंगले के बाद तीसरे नंबर पर गिना जाता है.

शिल्पा की मां सुनंदा शेट्टी 2016 में अपने पति सुरेंद्र शेट्टी की मौत के बाद अब शिल्पा के पास ही रहती हैं. शिल्पा की एक छोटी बहन शमिता शेट्टी भी हिन्दी फिल्मों की जानीमानी अभिनेत्री हैं.

शिल्पा से शादी के बाद राज कुंद्रा की किस्मत का सितारा कुछ ऐसे चमका कि उस के बाद उस ने कई बडे़ बिजनैस शुरू किए. उस के ऊपर दौलत तो बरसने ही लगी, साथ ही एक जानीमानी अभिनेत्री का पति होने के कारण शोहरत भी उस के कदम चूमने लगी.

कभी 2 हजार यूरो से पश्मीना शाल का बिजनैस शुरू करने वाला राज कुंद्रा अब करीब 2700 करोड़ की संपत्तियों का मालिक और दरजन भर कंपनियों का स्वामी था.

दिल्ली, लंदन और दुबई में उस के आलीशान घर हैं. राज कुंद्रा इन दिनों एक ऐसा बिजनेसमैन था, जिस की खबरें फाइनेंस सेक्शन से ज्यादा अखबार के एंटरटेनमेंट और पेज थ्री सेक्शन में छपती थीं. लेकिन अब कुंद्रा की डर्टी पिक्चर सामने आने के बाद अचानक वह नायक से खलनायक बन गया है.

मुंबई पुलिस में अलगअलग जगह अब तक राज कुंद्रा के खिलाफ अश्लील फिल्म बनाने के आरोप में करीब 5 मामले दर्ज हो चुके हैं.

मौडल पूनम पांडे ने भी 2020 में राज और उस के सहयोगी सौरभ कुशवाह के खिलाफ बौंबे हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर आरोप लगाया था कि राज कुंद्रा की कंपनी गैरकानूनी रूप से उन के वीडियो और तसवीरों का इस्तेमाल कर रही है.

पूनम का कहना था कि उन्होंने राज की कंपनी के साथ कौंट्रैक्ट किया था. राज की कंपनी उन के ऐप को मैनेज करती थी. लेकिन पेमेंट इश्यू के कारण कौंट्रैक्ट कैंसिल कर दिया गया था. हालांकि इन आरोपों को राज और उन के सहयोगी सौरभ ने सिरे से फरजी बताया था.

इसी साल अप्रैल 2021 में कुंद्रा के खिलाफ मौडल व एक्ट्रेस शर्लिन चोपड़ा ने भी एफआईआर करवाई थी. शर्लिन राज कुंद्रा के प्रोजेक्ट्स के लिए काम करती थी. उन्हें हर प्रोजेक्ट के लिए 30 लाख रुपयों का पेमेंट दिया जाता था. उन्होंने राज के साथ ऐसे 15-20 प्रोजेक्ट्स में काम भी किया था.

शर्लिन की शिकायत के मुताबिक साल 2019 की शुरुआत में राज कुंद्रा ने उन के बिजनैस मैनेजर को काल किया और किसी प्रपोजल को डिस्कस करने की बात कही थी.

बिजनैस मीटिंग के बाद 27 मार्च, 2019 को शर्लिन की राज से किसी बात को ले कर बहस हुई और वह बिन बुलाए उस के घर आ गया. और शिल्पा से अपने संबंध ठीक नहीं होने की बात कह कर उस से जबरन संबध बनाने की कोशिश करने लगा. उस ने किसी तरह खुद को राज के चंगुल से छुड़ाया.

फरवरी 21 में सागरिका शोना सुमन नाम की एक एक्ट्रेस ने मीडिया में आ कर यह क्लेम किया था कि राज कुंद्रा ने उन से नग्न हो कर औडिशन देने के लिए कहा था.

राज कुंद्रा की गिरफ्तारी के बाद अब हर रोज उस के खिलाफ नए तरह के आरोप सामने आ रहे हैं. साथ ही सवाल यह भी उठ रहे हैं कि क्या उस की पत्नी शिल्पा भी इस गंदे धंधे में उस की भागीदार थी?

बौलीवुड की लड़कियां ऐसे फंसती हैं पोर्न फिल्मों के जाल में हमारे देशभर में ऐसे लाखों नौजवान युवक और युवतियां हैं, जो फिल्म इंडस्ट्री में आ कर काम करना चाहते हैं. ऐसे युवकयुवतियां पूरे भारत से फिल्म इंडस्ट्री में काम करने की चाह ले कर रोज मायानगरी मुंबई आते हैं. लेकिन सभी को यहां काम नहीं मिलता और न ही फिल्मों में ब्रेक.

ऐसे में इन लोगों का इस्तेमाल मुंबई के ऐसे गिरोह करते हैं, जो फिल्मों और टीवी पर ब्रेक दिलाने के नाम पर लड़कियों को पोर्नोग्राफी की तरफ धकेल देते हैं. उन के अश्लील वीडियो बनाते हैं.

मुंबई के उपनगरों और कई इलाकों में शूटिंग के लिए बंगले किराए पर लिए जाते हैं, जहां अश्लील वीडियो फिल्में शूट की जाती हैं. बाद में उन पोर्न फिल्मों को मोबाइल ऐप और कई पोर्न साइटों पर अपलोड किया जाता है. इस काम से ये गिरोह लाखों रुपए कमाते हैं.

इस धंधे में शामिल पोर्न प्रोडक्शन हाउस और कंपनियां भी लाखों की कमाई करती हैं. उन्हें पोर्न वेबसाइट और मोबाइल ऐप के जरिए अच्छाखासा पैसा मिलता है.

पोर्न रैकेट से जुड़े दलाल पहले किसी प्रोडक्शन हाउस के तहत शौर्ट फिल्म, वेब सीरीज या टीवी सीरियल में काम दिलाने के नाम पर जरूरतमंद लड़कियों को जाल में फंसाते हैं. फिर उन से वादा करते हैं कि अगर वह कामयाब हुए तो उन्हें सीधे बड़े बजट की फिल्मों में ब्रेक मिलेगा. लेकिन उन के साथ होता कुछ और ही है.

राज कुंद्रा का विवादों से नाता

कहते हैं मुसीबत आती है तो बहुत सी परेशानियां अपने साथ लाती है. राज

कुंद्रा के साथ भी ऐसा ही हो रहा है. पोर्नोग्राफी केस में फंसे बिजनेसमैन राज कुंद्रा की मुसीबतें भी दिनबदिन बढ़ती जा रही हैं.

उस की पत्नी और बौलीवुड एक्ट्रेस शिल्पा शेट्टी पर भी इस की आंच आ रही है. अब शेयर मार्केट रेग्युलेटर सेबी यानि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड ने शिल्पा शेट्टी और राज कुंद्रा पर जुरमाना लगाया है.

मामला है सेबी के इनसाइडर ट्रेडिंग नियमों के उल्लंघन का. बता दें कि जब किसी कंपनी के मैनेजमेंट से जुड़ा कोई आदमी उस की अंदरूनी जानकारी होने के आधार पर उस के शेयर खरीद कर या बेच कर गलत ढंग से मुनाफा कमाता है, तो उसे इनसाइडर ट्रेडिंग कहा जाता है.

निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी ने इनसाइडर ट्रेडिंग पर रोक लगाई हुई है. सेबी ने 28 जुलाई, 2021 को शिल्पा शेट्टी और उन के पति के स्वामित्व वाली कंपनी वियान इंडस्ट्रीज लिमिटेड के खिलाफ इनसाइडर ट्रेडिंग के नियमों का उल्लंघन करने के लिए 3 लाख रुपए का जुरमाना लगाया है.

शिल्पा और राज कुंद्रा वियान इंडस्ट्रीज के प्रमोटर हैं. यह आदेश सितंबर 2013 से दिसंबर 2015 के बीच इनसाइडर ट्रेडिंग निषेध (पीआईटी) नियमों के उल्लंघन की जानकारी मिलने के बाद जारी किया गया है.

अक्तूबर 2015 में वियान इंडस्ट्रीज ने 4 व्यक्तियों को 5 लाख इक्विटी शेयर दिए थे. इस में राज कुंद्रा और शिल्पा को 2.57 करोड़ रुपए की राशि के 1,28,800 लाख शेयर अलगअलग मिले.

नियमों के अनुसार 10 लाख रुपए से अधिक का लेनदेन होने पर दोनों को इस बात का खुलासा उस समय करना था, जो उन्होंने नहीं किया.

वैसे राज कुंद्रा हो या शिल्पा शेट्टी पोर्नोग्राफी रैकेट के अलावा पहले भी दोनों सुखिर्यो में रह चुके हैं.

अक्तूबर 2019 में वे उस समय भी सुर्खियों में आए थे, जब ईडी ने राज कुंद्रा से रंजीत बिंद्रा नाम के व्यक्ति से व्यापारिक संबंधों के चलते पूछताछ की थी. जिसे मुंबई पुलिस ने डौन दाउद इब्राहिम के गुर्गे इकबाल मिर्ची के लिए काम करने के आरोप में गिरफ्तार किया था.

राज कुंद्रा और शिल्पा शेट्टी की आईपीएल क्रिकेट की एक टीम है, जिस का नाम है राजस्थान रौयल्स. इस टीम के खिलाड़ी एस. श्रीसंत, अजीत चंडीला और अंकित चव्हाण को मैच फिक्स करने के आरोप में दिल्ली पुलिस ने 2013 में गिरफ्तार किया था.

इस मामले में राज कुंद्रा और आईसीसी चीफ श्रीनिवासन के दामाद गुरुनाथ मयप्पन पर भी स्पौट फिक्सिंग और सट्टा लगाने के आरोप लगे थे.

पुलिस पूछताछ में कुंद्रा ने बुकी के द्वारा सट्टा लगाने की बात कुबूली भी थी, जिस के बाद कुंद्रा और मयप्पन को सस्पेंड कर उन की टीम पर बैन लगा दिया गया था. साथ ही उन्हें क्रिकेट से जुडे़ किसी भी इवेंट में शिरकत करने की भी मनाही कर दी गई थी. हालांकि बाद में सबूतों के अभाव में कुंद्रा को क्लीन चिट मिल गई थी.

2018 में हौट मौडल पूनम पांडे ने भी राज पर धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए बताया था कि उस ने 200 करोड़ का बिटकौइन घोटाला किया है. इस मामले में पुणे पुलिस ने उसे कस्टडी में ले लिया था. मल्टी लेवल मार्केटिंग स्कीम के प्रमोशन के दौरान भी इन पर घोटाले का आरोप लगा था, जिस की वजह से कुंद्रा के कारण कई लोगों को काफी नुकसान पहुंचा था.

राज कुंद्रा की इतने बड़े मामले में गिरफ्तारी के बाद अब उस के काले अतीत के यह पन्ने खुल कर सामने आ रहे हैं.