कंडोम, कत्ल और कातिल

यह घटना है उत्तर प्रदेश के फैजाबाद से लगे जिला अंबेडकर नगर की. कभी अंबेडकर नगर फैजाबाद की अकबरपुर नाम से एक तहसील थी, लेकिन मायावती ने इसे फैजाबाद से अलग कर के जिला बना दिया और नाम रख दिया अंबेडकर नगर. यहां से उन्होंने लोकसभा का चुनाव भी लड़ा है.

हां तो इसी अंबेडकरनगर में 11 जून, 2023 को थाना बेवाना के अंतर्गत आने वाले गांव भीतरीडीह से करीब 500 मीटर दूर रत्नेश पाठक का कक्षा 8 तक ए.के. पब्लिक स्कूल है, जो 2 साल से बंद है. जिस से यह स्कूल खंडहर में तब्दील होता जा रहा है.

स्कूल से करीब 100 मीटरदूर रविवार की सुबह रेस लगाने आए कुछ लडक़ों ने धुआं उठते देखा. उस बंद पड़े स्कूल से धुआं उठते देख लडक़ों को हैरानी हुई. क्योंकि ठंड का महीना तो था नहीं कि कोई आग जला कर हाथ सेंक रहा हो.

यह धुआं क्यों उठ रहा है, यह देखने के लिए वे लडक़े वहां जा पहुंचे. जब वे लडक़े वहां पहुंचे तो वहां की स्थिति देख कर सन्न रह गए. क्योंकि वह आग ऐसे ही नहीं जल रही थी. उस आग में एक मानव शरीर जल रहा था, जो अब तक इतना जल चुका था कि उसे पहचाना नहीं जा सकता था.

घटनास्थल पर मिला केवल कंडोम का पैकेट

लडक़ों ने इस बात की सूचना गांव वालों को दी तो लाश देखने के लिए लगभग पूरा गांव ही उमड़ पड़ा. लाश और घटनास्थल की स्थिति देख कर ही लग रहा था कि मामला हत्या का है, इसलिए गांव के कोटेदार अमित पांडेय ने तुरंत थाना बेवाना पुलिस को इस घटना की सूचना दे दी.

सूचना मिलते ही थाना बेवाना एसएचओ अभय मौर्य फोरैंसिक टीम के प्रभारी गौरव सिंह के साथ घटनास्थल भीतरीडीह गांव पहुंच गए. सूचना मिलने पर थोड़ी ही देर में सीओ (सिटी) सुरेश कुमार मिश्र भी वहां आ गए. सभी ने लाश और घटनास्थल का निरीक्षण शुरू किया. यह शव कमरा नंबर 7 में जलता मिला था.

लाश की स्थिति ऐसी थी कि वह पहचानी नहीं जा सकती थी. वह 90 फीसदी जल चुकी थी. इसलिए पुलिस ने आसपास की तलाशी लेनी शुरू की कि शायद ऐसी कोई चीज मिल जाए, जिससे मरने वाले की पहचान हो सके. इस तलाशी में पुलिस को वहां से खून सनी मिट्टी, कुछ बाल, जो शायद मरने वाले के थे, नशीली दवा सेंट्रोन और टाइमैक्स कंडोम का एक पैकेट मिला.

इन चीजों में ऐसी कोई चीज नहीं थी, जिससे मरने वाले की पहचान हो सकती. फोरैंसिक टीम ने अपना काम कर लिया तो एसएचओ अभय मौर्य ने घटनास्थल की औपचारिक काररवाई पूरी कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए अंबेडकर नगर के जिला अस्पताल भिजवा दिया. इस के बाद सभी पुलिस अधिकारी और थाना पुलिस वापस चली गई.

किसी भी हत्या जैसे मामले की जांच को आगे बढ़ाने के लिए मरने वाले की पहचान बहुत जरूरी होती है. थाना बेवाना पुलिस ने मरने वाले की पहचान की कोशिश शुरू की. लाश की फोटो से पहचान हो नहीं सकती थी. जिले के ही नहीं, आसपास के जिलों के सभी थानों से भी पता किया गया कि किसी थाने में किसी की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज है.

पता चला कि कहीं कोई गुमशुदगी दर्ज नहीं है. थाना पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि इस मामले की जांच को कैसे आगे बढ़ाया जाए, क्योंकि उस के पास एक कंडोम के पैकेट के अलावा और कुछ नहीं था. एसपी अजीत कुमार सिन्हा को लगा कि शायद थाना पुलिस इस मामले में कुछ नहीं कर पाएगी तो उन्होंने इस मामले की जांच जिले की स्वाट टीम यानी स्पैशल वेपंस एंड टैक्टिक्स टीम को सौंप दी.

जांच टीम ने किया कंडोम कंपनी से संपर्क

हत्या के इस मामले की जिम्मेदारी मिलते ही स्वाट टीम के इंचार्ज वीरेंद्र बहादुर सिंह अपनी टीम एसआई अजय यादव, हैडकांस्टेबल प्रभात मौर्य, कांस्टेबल अबु हमजा, उमेश, पुनीत गुप्ता, अमरेश, विकास, सुनील, मोहित, कुलदीप और विजेंद्र यादव के साथ जांच में लग गए.

वीरेंद्र बहादुर सिंह को भी टाइमैक्स कंपनी के कंडोम का वह पैकेट सौंप दिया गया. उन के दिमाग में आया कि वह आसपास के मैडिकल स्टोरों में पता कराएं कि यह किस के यहां से खरीदा गया है. शायद इस से कोई सुराग मिल ही जाए. लेकिन उन्हें पता चला कि इस ब्रांड का कंडोम यहां मिलता ही नहीं है. तब उन्होंने टाइमैक्स कंपनी से पता किया कि उन की कंपनी का कंडोम कहां कहां बिकता है.

कंपनी से पता चला कि उन की कंपनी के ये कंडोम दिल्ली के आसपास और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक बिकता है. इस के बाद वीरेंद्र बहादुर सिंह को लगा कि मरने वाले का संबंध पश्चिमी उत्तर प्रदेश या दिल्ली के आसपास से तो नहीं है? आजकल जांच में मोबाइल नंबर भी पुलिस की बहुत मदद कर रहा है. लेकिन मोबाइल नंबर तो तब मिलता, जब कोई सुराग मिलता.

इसी क्रम में स्वाट प्रभारी वीरेंद्र बहादुर सिंह ने 10 जून और 11 जून को भीतरीडीह गांव में जितने भी मोबाइल नंबर ऐक्टिव थे, सभी की डिटेल्स यानी डंप डाटा निकलवाया. इस में इतने नंबर थे कि सभी की जांच तो की नहीं जा सकती थी. इस के अलावा ऐसे भी नंबर थे, जो आ रहे थे और जा रहे थे.

चूंकि उन्हें पता चला था कि टाइमैक्स कंडोम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में ज्यादा बिकता है, इसलिए उन के दिमाग में आया कि सब से पहले यह पता किया जाए कि इन नंबरों में कोई पश्चिमी उत्तर प्रदेश का नंबर तो नहीं है. इसलिए उन्होंने इन नंबरों में से उन नंबरों के बारे में पता लगाने का निश्चय किया, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के हों. क्योंकि कंडोम कंपनी ने बताया था कि उस का टाइमैक्स कंडोम पश्चिमी उत्तर प्रदेश में अधिक बिकता है.

12 फोन नंबर आए शक के दायरे में

प्राप्त नंबरों में से 12 नंबर ऐसे मिले, जो पश्चिमी उत्तर प्रदेश के थे. इन में 4 नंबर ऐसे थे, जो जिला सहारनपुर के थे. जिस तरह हत्या कर के लाश को जलाया गया था, उस से पुलिस को लगा था कि हत्यारे एक से अधिक थे. इसलिए जब सहारनपुर के 4 नंबर एक साथ मिले तो पुलिस को लगा कि कहीं हत्या का संबंध इन्हीं लोगों से न हो. इसलिए अब पुलिस का पूरा ध्यान इन्हीं नंबरों पर जम गया.

स्वाट टीम ने एक नंबर पर फोन किया तो उसे किसी महिला ने उठाया. पूछने पर उस ने बताया कि सहारनपुर से 4 लोग अंबेडकर नगर सरकस देखने गए थे. अब पुलिस ने उन 4 फोन नंबरों को रडार पर ले लिया, जो हत्या के समय भीतरीडीह में थे. इन 4 नंबरों में से एक नंबर तो बंद हो चुका था. अब बचे 3 नंबर. पुलिस को अब इन्हीं 3 नंबरों के बारे में पता करना था.

पुलिस ने नंबर देने वाली यानी ये जिन कंपनियों के सिम थे, उन कंपनियों से सभी के पते निकलवाए तो ये सभी सहारनपुर के रहने वाले थे. पता मिल जाने के बाद वीरेंद्र बहादुर सिंह इन नंबर वालों को गिरफ्तार करने के लिए अपनी टीम के साथ सहारनपुर के लिए रवाना हो गए.

सहारनपुर पहुंच कर वीरेंद्र बहादुर सिंह की टीम ने स्थानीय पुलिस की मदद से 3 लोगों को गिरफ्तार कर लिया. इन के नाम थे इमरान, फरमान और इरफान. तीनों को गिरफ्तार कर के अंबेडकर नगर लाया गया, जहां तीनों से पूछताछ शुरू हुई.

पहले तो तीनों पुलिस को चकमा देते रहे, पर पुलिस के पास तो इस बात के सबूत थे कि हत्या वाली रात ये तीनों अंबेडकर नगर में मौजूद थे. इसलिए पुलिस ने जब सख्ती से पूछा कि वे लोग सहारनपुर से इतनी दूर यहां क्या करने आए थे और आए  4 लोग थे, जबकि चौथे का फोन बंद है.

तीनों के पास पुलिस के इस सवाल का कोई जवाब नहीं था. तब मजबूर हो कर इन्हें सच्चाई उगलनी पड़ी. तीनों ने हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. उन्होंने बताया कि मारा गया व्यक्ति इन का साथी अजब सिंह था. तीनों ने मिल कर उस की हत्या की थी और स्कूल के फरनीचर से जलाने की कोशिश की थी. इस के बाद तीनों ने हत्या की जो कहानी सुनाई, वह इस प्रकार थी.

मृतक निकला सरकस कलाकार

जिस की हत्या हुई थी, उस का नाम अजब सिंह रंगीला (25 वर्ष) था. वह सरकस का कलाकार था यानी सरकस में करतब दिखाने का काम करता था. उसी के सरकस में इमरान, फरमान और इरफान भी काम करते थे.

एक साथ काम करने की वजह से इन सभी का एकदूसरे के घर भी आनाजाना था. अजब सिंह इमरान के घर कुछ ज्यादा ही आताजाता था. इसी आनेजाने में अजब सिंह को इमरान की बहन से प्यार हो गया. इमरान की बहन को भी अजब सिंह अच्छा लगता था, इसलिए वह भी अकसर अजब सिंह से मिलने उस का सरकस देखने के बहाने जाती रहती थी.

जब आग दोनों ओर लगी हो तो मिलन होने में कहां देर लगती है. अजब सिंह और इमरान की बहन एकांत में मिलने लगे. जब इस की जानकारी इमरान को हुई तो भला यह बात वह कैसे सहन कर सकता था. उस ने बहन को भी रोका और अजब सिंह को भी, लेकिन न अजब सिंह माना और न ही उस की बहन. तब इमरान ने बहन के बाहर निकलने पर प्रतिबंध लगा दिया. अब प्रेमी से मिलना तो मुश्किल हो गया, पर फोन पर दोनों की बातें लगातार होती रहीं.

इमरान को पता था कि अजब सिंह का प्रेम प्रसंग सरकस में ही काम करने वाली एक लडक़ी से भी है, जो पहले उस के साथ सरकस में काम करती थी. वह लडक़ी कोई और नहीं, सरकस में ही काम करने वाले और हत्या में शामिल इरफान की बहन थी.

इसीलिए वह अजब सिंह से और नाराज था. क्योंकि एक ओर तो वह अंबेडकर नगर में इरफान की बहन से संबंध बनाए था, दूसरी ओर उस की बहन को भी बरगला रहा था. इमरान को जब पता चला कि उस की बहन अजब सिंह से भले नहीं मिल पा रही है, पर फोन पर उस से बातें करती रहती है तो उसे बहुत गुस्सा आया. उस ने बहन को भी रोका और अजब सिंह को भी. पर दोनों नहीं माने.

बहन से कुछ कहता तो वह कह देती कि अजब सिंह उसे फोन करता है, वह क्या करे. दूसरी ओर अजब से कुछ कहता तो वह कह देता कि वह अपनी बहन को क्यों नहीं रोकता. इन बातों से इमरान अजब सिंह बुरी तरह नाराज रहने लगा. वह मन ही मन सोच रहा था कि अजब सिंह का कुछ करना पड़ेगा. उसी बीच अजब सिंह ने एक और गलती कर दी, जिस से इमरान ही नहीं, उस के अन्य साथी फरमान और इरफान भी नाराज हो गए.

2 दोस्तों की बहनों से थे संबंध

इमरान तो ऐसे मौके की तलाश में था ही, उस ने अपने भाई फरमान को तो अजब सिंह को सबक सिखाने के लिए तैयार किया ही, साथ ही इरफान को भी तैयार कर लिया. सभी ने मिल कर योजना बनाई कि अजब सिंह को सरकस लगाने के बहाने आरती के यहां अंबेडकर नगर ले कर चला जाए और वहीं इसे सबक सिखाया जाए.

आरती की इन लोगों से जानपहचान थी. उस ने अपने भाई फरमान को तो बता दिया था कि अजब सिंह की हत्या करनी है, पर इरफान को यह पता नहीं था. वह तो सिर्फ यही जानता था कि अजब सिंह के साथ मारपीट करनी है, जिस से आगे से वह इस तरह की कोई हरकत न करे कि उन लोगों का नुकसान हो.

10 जून, 2023 की सुबह ये सभी लोग सरकस लगाने के लिए अंबेडकर नगर के थाना बेवाना के गांव भीतरीडीह आ गए और आरती के यहां रुके. क्योंकि आरती इन की परिचित थी और इन लोगों के साथ काम कर चुकी थी. पूरा दिन इन लोगों ने आराम किया. शाम को खाने में इन लोगों ने मछली बनवाई. खाना खाने के पहले इन लोगों ने शराब पीने का प्रोग्राम बनाया.

इमरान अजब सिंह की बाइक ले कर गया और 4 बोतल शराब ले आया. इस के बाद सभी ने सलाह की कि आरती के घर में बैठ कर शराब पीना ठीक नहीं होगा. उस के घर वाले बुरा मान सकते हैं, इसलिए चलो गांव के बाहर कहीं बैठ कर शराब पी जाए.

यह सलाह कर के सभी गांव के बाहर आए तो अजब सिंह ने ही कहा, “गांव के बाहर ए.के. पब्लिक स्कूल है, जो सालों से बंद पड़ा है. चलो, उसी स्कूल में बैठ कर पीते हैं. वहां कोई आएगा भी नहीं और वहां बैठने के लिए पुरानी कुरसी मेज भी हैं.”

इमरान ऐसी ही जगह चाहता था. यह तो वही हाल हुआ कि रोगी को जो भाए, वही वैद्य बताए. उस ने कहा, “चलो, वहीं बैठ कर पीते हैं.”

दोस्तों ने ही बताया हत्या का प्लान

अजब सिंह अकसर इरफान की बहन से मिलने आता रहता था, इसलिए उसे उस स्कूल के बारे में पता था. अजब सिंह सभी को स्कूल तक ले आया. सभी स्कूल के अंदर बरामदे में बैठ कर शराब पीने लगे. योजना के अनुसार सभी ने अजब सिंह को ज्यादा शराब पिलाई और खुद कम पी.

जब अजब सिंह शराब के नशे में खूब धुत हो गया यानी विरोध करने लायक नहीं रहा तो इमरान ने भाई फरमान से कहा, “पकड़ कर गला दबा दे इस का. हमेशाहमेशा के लिए छुटकारा मिल जाए इस से, वरना यह हमारी इज्जत को दाग लगा कर ही छोड़ेगा.”

“क्या… तुम लोग इसे मारना चाहते हो क्या?” इरफान ने पूछा.

“और किसलिए इसे यहां लाए हैं. अगर यह जिंदा रहा तो हमें सुकून से जीने नहीं देगा. तुम्हें तो पता ही है कि यह मेरी बहन के ही नहीं, तुम्हारी बहन के भी पीछे पड़ा है. कब से समझा रहा हूं कि मेरी बहन का पीछा छोड़ दे. पर मेरी बात इस के भेजे में उतर ही नहीं रही है. अब मैं खुद इस से बहन का पीछा छुड़वाऊंगा. जब जिंदा ही नहीं रहेगा तो पीछा कैसे करेगा.” इमरान ने कहा.

“यह ठीक नहीं है, इस की हत्या कर दी और हम सभी पकड़े गए तो पूरी जिंदगी जेल में बीतेगी.” इरफान ने समझाया.

“जेल तो हम तब जाएंगे, जब पकड़े जाएंगे. पकड़े न जाएं, इसीलिए तो इसे यहां ले आए हैं.” इमरान ने कहा.

इरफान उसे रोकता, उस के पहले ही इमरान ने एक ईंट उठा कर अजब सिंह के सिर पर दे मारी. इरफान उस का हाथ पकड़ता, तब तक उस ने दूसरा वार कर दिया. इस दूसरे वार मे अजब सिंह चल बसा.

स्कूल के फरनीचर से जलाई लाश

अजब सिंह का खेल खत्म करने के बाद जब बात आई उस की लाश को ठिकाने लगाने की तो स्कूल के कमरा नंबर 7 में लाश ले गए और जो टूटाफूटा फरनीचर पड़ा था, तीनों ने मिल कर उसे इकट्ठा किया और उसी पर लाश को रख कर आग लगा दी. घटनास्थल पर कंडोम का जो पैकेट मिला था, उसे वे लोग पुलिस को भ्रम में डालने के लिए साथ लाए थे.

उन का सोचना था कि कंडोम का पैकेट देख कर पुलिस यही समझेगी कि कोई यहां अवैध संबंध बनाने आया था और मारा गया. इन लोगों का दुर्भाग्य देखिए कि जिस कंडोम के पैकेट को ये लोग पुलिस को भ्रम में डालने के लिए लाए थे, उसी ने पुलिस को इन लोगों तक पहुंचा दिया.

अजब सिंह की हत्या करने के बाद तीनों आरती के घर गए और वहां खाना खा कर अजब सिंह की बाइक ले कर मऊ चले गए. बाइक वहां इन्होंने एक कबाड़ी के यहां 3 हजार रुपए में गिरवी रख दी और लखनऊ होते हुए सहारनपुर चले गए.

पूरी कहानी सुनने के बाद एसपी अजीत कुमार सिन्हा की मौजूदगी में तीनों हत्यारों इमरान, फरमान और इरफान को पुलिस ने पत्रकारों के सामने पेश किया तो सभी ने पत्रकारों के सामने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद तीनों अभियुक्तों को पुलिस ने उसी दिन अदालत मे पेश किया, जहां से 2 दिन के रिमांड पर लिया गया.

रिमांड के दौरान अजब सिंह की वह बाइक मऊ से बरामद कर ली गई, जो इन्होंने कबाड़ी के यहां 3 हजार रुपए में गिरवी रख दी थी. रिमांड अवधि खत्म होने पर इन्हें दोबारा अदालत में पेश किया गया, जहां से तीनों को जेल भेज दिया गया.

जब उच्च अधिकारियों को पता चला कि अंबेडकर नगर पुलिस ने कंडोम के पैकेट से जिस तरह ब्लाइंड मर्डर का खुलासा किया है, वह काबिले तारीफ है. उन्होंने अंबेडकरनगर पुलिस की प्रशंसा करते हुए कहा कि हत्याकांड की केस स्टडी अब यूपी पुलिस के मुरादाबाद में स्थित पुलिस ट्रेनिंग कालेज भेजी जाएगी, जहां ट्रेनी अफसर और पुलिस जवान ट्रेनिंग के दौरान इस का अध्ययन करेंगे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जिस्म के आईने में देखी तिजोरी – भाग 2

दिल्ली के कर्मपुरा इलाके की रहने वाली एक महिला का नाम सामने आया तो पुलिस उस महिला के घर पहुंची. लेकिन वह परिवार सहित घर से फरार मिली. पुलिस को उस के फरार होने पर शक हो गया. उस के घर पर निगरानी के लिए 2 कांस्टेबलों को लगा दिया गया.

पुलिस ने फिर से मृतक के मोबाइल फोन और लैपटाप को खंगाला. उस के मोबाइल की काल डिटेल्स निकलवा कर उस का अध्ययन किया तो पता चला कि घटना वाले दिन दोपहर करीब साढ़े 12 बजे एक काल आई थी. जिस नंबर से उस के मोबाइल पर काल आई थी, उस का पुलिस ने पता लगा लिया. उसे थाने बुला लिया.

उस युवक से पूछताछ की तो उस ने बताया कि वह तरुण बजाज नाम के किसी शख्स को नहीं जानता. उस ने कहा, ‘‘25 जून को दोपहर के समय जो आप फोन करने की बात कर रहे हैं, वह मैं ने नहीं, बल्कि एक महिला ने किया था.’’

‘‘महिला ने, कौन सी महिला ने फोन किया था?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘सर, मैं राजेंद्राप्लेस मैट्रो स्टेशन से नीचे उतरा ही था कि नीचे सउ़क पर खड़े एक बैटरी रिक्शा में 2 महिलाएं बैठी दिखीं. उन में से एक ने मुझ से कहा कि उस का फोन घर पर रह गया है. किसी को काल करने के लिए उस ने मुझ से फोन मांगा. मैं ने उसे अपना फोन दे दिया तो उसी ने किसी को मेरे मोबाइल से फोन किया था.’’ उस युवक ने बताया.

‘‘क्या तुम उन महिलाओं को पहचानते हो?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘नहीं सर, मैं ने उन्हें पहली बार देखा था. मगर सामने आ गईं तो जरूर पहचान लूंगा.’’ उस ने बताया.

पहले भी जांच में कर्मपुरा की एक महिला का नाम सामने आया था और जांच की दूसरी कड़ी में भी फोन करने वाली 2 महिलाएं सामने आईं. इस से पुलिस को लगा कि बजाज के मर्डर में महिलाओं के शामिल होने की संभावना हो सकती है. यानी घटना के पीछे लव और सैक्स की तसवीर साफ नजर आ रही थी. इन दोनों जांचों में पुलिस को सफलता मिलने की उम्मीद नजर आ रही थी, लेकिन जांच ऐसी जगह आ कर ठहर गई कि फिलहाल वहां से आगे बढ़ती नहीं दिख रही थी.

न्यू राजेंद्रनगर में जिस ब्लौक में दिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम दिया गया, वहां पर कुछ लोगों ने फ्लैट के बाहर सीसीटीवी कैमरे लगा रखे हैं. तरुण बजाज के घर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों की रिकौर्डिंग से पता चला कि 25 जून, 2014 की दोपहर को 2 लड़के एक बाइक से तरुण बजाज के फ्लैट तक गए थे. जो युवक बाइक के पीछे बैठा था, उस ने एक बैग भी थाम रखा था.

बाद में वही लड़के दोपहर करीब 2 बजे फ्लैट की साइड से वापस जाते हुए दिखे, लेकिन वापस जाते समय उन की पहनी हुई कमीजें बदली हुई थीं. यानी वे कपड़े चेंज कर के आए थे.

वारदात में 2 महिलाओं के अलावा 2 युवकों के शामिल होने का शक पुलिस को हो गया, लेकिन ये सब कौन थे, पता लगाना आसान नहीं था.

उधर मृतक के घर वाले और रिश्तेदार हत्यारों का पता लगाने के लिए पुलिस पर दबाव डाल रहे थे. एसीपी एस.के. गिरि को टीम में जुटे पुलिस अधिकारियों की कार्यशैली और क्षमता पर विश्वास था, इसलिए उन्होंने पीडि़त पक्ष को भरोसा दिया कि 2 दिनों के अंदर केस को खोल दिया जाएगा. एसीपी के आश्वासन के बाद घर वाले भी पुलिस जांच में पूरा सहयोग कर रहे थे.

एसीपी ने जांच में जुटे सभी पुलिसकर्मियों को अलगअलग जिम्मेदारियां सौंप रखी थीं. सभी टीमें जांच में रातदिन एक किए हुए थीं. जांच जिस पड़ाव पर आ कर ठहर गई थी, वहां से आगे बढ़ती दिखाई नहीं दे रही थी. तब पुलिस ने तरुण बजाज के फोन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. हालफिलहाल में जिन लोगों से तरुण बजाज की बातें हुई थीं, पुलिस ने उन सभी से पूछताछ करनी शुरू कर दी.

जिन लोगों से पुलिस पूछताछ कर रही थी, उन्हें सीसीटीवी से बरामद उन 2 लड़कों की फुटेज भी दिखा रही थी, जो 25 जून की दोपहर को बाइक से बजाज के फ्लैट की ओर आए थे.  फुटेज साफ नहीं थी, इसलिए उस में चेहरे साफ नहीं दिखाई दे रहे थे.

पूछताछ के इसी क्रम में एक शख्स ने सीसीटीवी की वह फुटेज पहचान ली. बाइक पर पीछे बैठे युवक को उस ने पहचानते हुए कहा, ‘‘यह तो साहिल है.’’

‘‘क्या तुम इसे जानते हो?’’ एसीपी एस.के. गिरि ने पूछा.

‘‘जी सर, मैं इसे अच्छी तरह जानता हूं. यह साहिल ही है जो कर्मपुरा में रहता है. मैं ने तो इस का घर भी देखा है.’’ उस युवक ने कहा तो उन्हें केस खुलने की उम्मीद दिखाई दी.

एक पुलिस टीम को तुरंत उस युवक के साथ साहिल के घर कर्मपुरा भेजा गया. वहां पता चला कि साहिल अपनी पत्नी पूजा के साथ आज ही 26 जून को हरिद्वार चला गया है.

बजाज की हत्या के बाद साहिल के घर पुलिस एक बार पहले भी गई थी. लेकिन उस समय उस की पत्नी पूजा की तलाश में गई थी. अब साहिल का नाम सामने आने पर पुलिस को विश्वास हो गया कि पति और पत्नी दोनों ही इस मामले में शामिल रहे होंगे, तभी तो दोनों फरार हैं. वहां से पुलिस को साहिल का मोबाइल नंबर मिल गया.

साहिल के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगवा कर थानाप्रभारी मनीष जोशी, एसआई गौतम मलिक, एएसआई राजन सिंह दोनों की तलाश में हरिद्वार रवाना हो गए.

यह 26-27 जून, 2014 की रात की बात थी. वे सुबह तड़के हरिद्वार के नजदीक पहुंचे थे कि सर्विलांस टीम ने दिल्ली से खबर दी कि साहिल के फोन की लोकेशन से लग रहा है कि वह हरिद्वार से देहरादून की ओर जा रहा है. दिल्ली पुलिस की टीम ने भी हरिद्वार से देहरादून का रुख कर लिया.

सुबह तक पुलिस टीम देहरादून पहुंच गई. वह सर्विलांस टीम के संपर्क में थी. वहां से पुलिस को जानकारी मिली कि साहिल के फोन की लोकेशन देहरादून के पंडित मोहल्ले में जा कर स्थिर हो गई है. दिल्ली पुलिस टीम वहां के लोगों से पूछते हुए पंडित मोहल्ले में पहुंची. वहां की लोकल पुलिस के सहयोग से दिल्ली पुलिस ने उस मोहल्ले में घर घर सर्चिंग शुरू कर दी.

जिस युवक ने सीसीटीवी फुटेज में साहिल को पहचाना था, वह पुलिस के साथ था. तलाशी लेते हुए पुलिस एक घर में पहुंची तो वहां 2 युवक 1 महिला के साथ बैठ कर शराब पीते मिले. पुलिस को देखते ही युवक भागे, लेकिन दौड़ कर पुलिस ने उन्हें दबोच लिया.

उन से पूछताछ की गई तो उन्होंने अपने नाम साहिल और मोहित बताए. पुलिस के साथ जो युवक था, उस ने भी साहिल को पहचान लिया. उस के साथ जो महिला शराब पी रही थी, वह उस की पत्नी पूजा थी.

साहिल के पास एक बैग था, जिस में डेढ़ लाख रुपए नकद, कुछ ज्वैलरी और एक चाकू मिला. पूछताछ में उन्होंने स्वीकार कर लिया कि तरुण बजाज की हत्या उन्होंने की थी.

प्यार का जूनून – भाग 2

इस टीम ने उदयभान के मोबाइल नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई. इस काल डिटेल्स में एक नंबर ऐसा था, जिस पर उदयभान की बहुत ज्यादा और लंबीलंबी बातें होती थीं. जिस दिन वह गायब हुआ था, उस दिन भी एक बार उस नंबर से संदेश आया था. थानाप्रभारी ने उस नंबर पर फोन किया. घंटी गई और जल्दी ही दूसरी ओर से फोन रिसीव भी कर लिया गया.

पूछने पर पता चला कि वह नंबर विप्रावली गांव के रहने वाले पवन सिंह का था, जिस का उपयोग उस की पत्नी सुमन करती थी. पवन ने जब इस पूछताछ की वजह पूछी तो थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बताया कि उस की पत्नी की इस नंबर से एक लड़के की लगातार बात होती रहती थी और वह जिस लड़के से बात होती थी, उस की हत्या हो चुकी है.

हत्या की बात सुन कर पवन सन्न रह गया. उस ने तुरंत अपने ससुर राममूर्ति को फोन कर के थानाप्रभारी से हुई बातचीत के बारे में बताया तो उस ने दामाद से कहा कि वह परेशान न हो, वह अभी जा कर थानाप्रभारी से मिलता है. इस के बाद उस ने यह बात अपने भाइयों, पप्पू और राजाराम को बताई. सब ने कोई सलाह की और अपनीअपनी मोटरसाइकिलें निकाल कर कहीं जाने के लिए तैयार हो गए.

एक मोटरसाइकिल पर राममूर्ति ने अपनी पत्नी और बेटे मुकेश को बैठाया तो दूसरी पर पप्पू और राजाराम सवार हुए. इस के बाद दोनों मोटरसाइकिलें चल पड़ीं. गांववालों ने जब उन के इस तरह जाने की वजह पूछी तो उन्होंने बताया कि अचानक सुमन की तबीयत खराब हो गई है, इसलिए सभी उसे देखने उस की ससुराल विप्रावली जा रहे हैं.

वे गुरावली गांव के बाहर निकले ही थे कि पुलिस की जीप आ पहुंची. जब पुलिस को पता चला कि राममूर्ति भाइयों के साथ घर में ताला लगा कर बेटी की ससुराल गया है तो पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि वह बेटी के यहां नहीं, बल्कि घर वालों के साथ पुलिस से बचने के लिए घर छोड़ कर भागा है. इस से पुलिस का शक गहरा गया कि उदयभान की हत्या में इन लोगों की कोई न कोई भूमिका अवश्य है.

गांव वालों ने बताया था कि वे गांव विप्रावली जाने की बात कह कर निकले थे. पुलिस वहां से सीधे विप्रावली जा पहुंची. लेकिन वहां कोई नहीं मिला. इस का मतलब वे सभी फरार हो चुके थे. पुलिस पवन और सुमन को थाने ले आई. थाने में जब उन दोनों से पूछताछ की गई तो पता चला कि पवन का पिता मुन्नालाल भी किसी को बिना कुछ बताए आधे घंटे पहले हड़बड़ी में घर से निकला था. यह संयोग था या वह भी उदयभान की हत्या में शामिल था, पुलिस इस बात की भी जांच करने लगी.

पुलिस ने मुन्नालाल के फोन नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि उदयभान की हत्या से एक दिन पहले और हत्या वाले दिन राममूर्ति और मुन्नालाल में कई बार बातें हुई थीं. इस तरह मुन्नालाल भी शक के दायरे में आ गया. अब पुलिस राममूर्ति और उस के परिवार वालों के साथ मुन्नालाल भी तलाश में लग गई.

आखिर हत्या के पूरे सप्ताह भर बाद 6 अगस्त, 2013 को मुखबिर की सूचना पर थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने यमुना और उटंगन नदी पर बने पुल के उस पार बीहड़ में बने एक कच्चे मकान को घेर कर 6 लोगों को हिरासत में ले लिया. उस के बाद पुलिस सभी को ले कर थाना बसई अरेला आ गई.

पुलिस ने राममूर्ति के साथ उस के दोनों भाइयों, राजाराम, पप्पू, समधी मुन्नालाल, मुन्नालाल के भाई भावसिंह और राममूर्ति के फुफेरे भाई वीर बहादुर सिंह को भी गिरफ्तार किया था. पुलिस ने सभी से अलगअलग पूछताछ की तो उदयभान की हत्या की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस प्रकार थी.

जिला आगरा के मुख्यालय से यही कोई 50 किलोमीटर की दूरी पर बसा है गांव गुरावली. जाटव बाहुल्य इस गांव में किसान आसाराम का परिवार काफी संपन्न था. उस के परिवार में पत्नी के अलावा तीन बेटे, राममूर्ति, राजाराम और पप्पू थे. दबंग और रसूखदार व्यक्तित्व वाले राममूर्ति के परिवार में पत्नी के अलावा एक बेटा मुकेश और एक ही बेटी सुमन थी.

राममूर्ति के पास भले ही सब कुछ था, लेकिन उस के बच्चे ज्यादा पढ़लिख नहीं सके थे. मुकेश ने आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी तो सुमन ने पांचवीं पास कर के. गुरावली में ही छोटेलाल का परिवार रहता था. उस के परिवार में केवल 2 बेटे, पप्पू और उदयभान के अलावा पप्पू की पत्नी थी. छोटेलाल की पत्नी 5 साल पहले मर गई थी. उस के दोनों ही बेटे मेहनती और ईमानदार थे.

पप्पू अपने पिता के साथ खेती करता था तो उदयभान ने मोबाइल रिपेयरिंग का काम सीख कर गांव के चौराहे पर किराए की दुकान ले कर अपना मोबाइल रिपेयरिंग का काम शुरू कर दिया था. इसी के साथ वह मोबाइल एसेसरीज के साथ रिचार्ज कूपन भी बेचता था. व्यवहारकुशल और ईमानदारी से पैसे लेने वाले उदयभान का काम बढि़या चल रहा था. उस की कमाई ठीकठाक थी, इसलिए वह ठीकठाक कपड़े पहन कर बनठन कर रहता था. इस से गांव के अन्य लड़कों की अपेक्षा वह स्मार्ट लगता था.

एक दिन दोपहर को वह दुकान पर बैठा अपना काम कर रहा था, तभी गांव के ही राममूर्ति की 20 वर्षीया बेटी सुमन उस के सामने आ कर खड़ी हो गई और अपना मोबाइल रख कर कहा कि देखो इस में क्या खराबी आ गई है. सुमन को उस के न जाने कितनी बार देखा था, लेकिन बात करने का मौका कभी नहीं मिला था. आज पहली बार उसे इतने नजदीक से देखा तो देखता ही रह गया. न जाने क्यों उस दिन सुमन उसे बहुत अच्छी लगी थी.

उस ने हाथ में लिया मोबाइल किनारे रख कर सुमन का मोबाइल उठा लिया. 5 मिनट का काम था, लेकिन सुमन को बैठाए रखने के लिए उस ने आधे घंटे से ज्यादा समय लगा दिया. इस बीच वह काम कम कर रहा था, सुमन को ज्यादा देख रहा था. सुमन भी भोली नहीं थी. उस ने भी उदयभान के मन की बात ताड़ ली थी. इसलिए जब भी उदयभान उस की ओर देखता, वह मुसकरा देती.

जी.बी. रोड कोठे में खून

जिस्म के आईने में देखी तिजोरी – भाग 1

दिल्ली सरकार के खाद्य एवं आपूर्ति विभाग में नौकरी करने वाली रितु बजाज 25 जून, 2014 को शाम 6-सवा 6 बजे अपने  औफिस से घर पहुंचीं तो उन्हें फ्लैट का बाहरी गेट बंद मिला. घर पर उन के पति तरुण बजाज के अलावा नौकर राहुल रहता था. दरवाजा खुलवाने के लिए उन्होंने कालबैल का बटन दबाया तो फ्लैट के अंदर लगी घंटी बजी. लेकिन किसी ने दरवाजा नहीं खोला. जबकि रोजाना घंटी बजाने के कुछ देर बाद ही नौकर या पति दरवाजा खोल देते थे.

वह दोबारा घंटी बजा कर दरवाजा खुलने का इंतजार करने लगीं. कुछ देर बाद भी जब दरवाजा नहीं खुला तो वह सोचने लगीं कि शायद दोनों ही सो गए हैं. उन के दरवाजे में जो लौक लगा हुआ था वह आटोमैटिक था यानी दरवाजा बंद होने पर वह स्वत: ही लौक हो जाता था और कमरे के अंदर व बाहर दोनों तरफ से चाबी द्वारा खोला जा सकता था. उस की एक चाबी रितु बजाज के पास भी रहती थी.

2 बार घंटी बजाने के बाद भी जब किसी ने दरवाजा नहीं खोला तो रितु बजाज ने पर्स से चाबी निकाली और दरवाजा खोल कर कमरे में दाखिल हुईं. घर में घुसते ही बाएं हाथ की ओर उन का बेडरूम था. घर में नौकर दिखाई नहीं दिया तो बेडरूम की ओर नजर दौड़ाई. उन्हें बेड से लटके हुए पति के पैर दिखाई दिए. वह सोचने लगीं कि कितने बेसुध हो कर सो रहे हैं कि घंटी की आवाज तक नहीं सुनाई दी.

इसी बात की शिकायत करने के लिए वह बेडरूम में पहुंचीं तो उन्हें फर्श और दीवारों पर खून के छींटे दिखे.  खून के छींटे और पति के ऊपर बेडशीट पड़ी देख कर उन्हें अजीब लगा. उन्होंने पति के ऊपर से जैसे ही बेडशीट हटाई, उन की चीख निकल गई. पति नग्न अवस्था में थे. उन के पूरे शरीर पर गहरे घाव थे और आतें भी बाहर निकली हुई थीं. पूरा शरीर खून से लथपथ था.

उसी समय उन का घरेलू नौकर राहुल भी आ गया. अपने मालिक की हालत देख कर वह रोने लगा. उसी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल पर डा. अनुराग पांडे रहते थे. रितु ने राहुल को डा. अनुराग पांडे को बुलाने के लिए भेज दिया. इस बीच रितु बजाज ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर के पति की हत्या की सूचना दे दी.

डा. अनुराग पांडे खून से लथपथ तरुण बजाज को देख कर दंग रह गए. उन्होंने तरुण बजाज को चैक कर के बता दिया कि इन की मौत हो चुकी है. डाक्टर के मुंह से यह सुनते ही रितु दहाड़ें मार कर रोने लगीं. उन की रोने की आवाज सुन कर आसपास रहने वाले लोग वहां पहुंच गए.

डा. अनुराग पांडे ने भी 100 नंबर पर फोन कर के तरुण बजाज की हत्या होने की खबर दे दी. यह घटना मध्य दिल्ली में न्यू राजेंद्रनगर के एफ ब्लौक के फ्लैट नंबर 433 में घटी थी. वहां से थाना राजेंद्रनगर तकरीबन 5-6 सौ मीटर की दूरी पर था, इसलिए खबर मिलने के थोड़ी देर बाद ही थाना राजेंद्रनगर के अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी एसआई गौतम मलिक और कांस्टेबल रामजी लाल को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

जिस इलाके में यह घटना घटी थी, वह पौश इलाका था. फ्लैट नंबर 433 पार्क के सामने था. तरुण बजाज की हत्या की बात सुन कर फ्लैट के पास सड़क पर सैकड़ों लोग जमा हो गए. पुलिस जब फ्लैट में पहुंची तो लगभग 50 वर्षीय तरुण बजाज की रक्तरंजित लाश देख कर सन्न रह गई.

उस के नग्न शरीर पर गहरे घाव खुद बयां कर रहे थे कि हत्यारों का मकसद उस की हत्या करना था. गरदन और ठोड़ी कटी हुई थी. छाती, कमर, पैर और पेट पर गहरे घाव थे. पेट का घाव तो इतना बड़ा था कि उस से आंतें भी बाहर निकली हुई थीं. उस के पुरुषांग पर भी वार किया गया था.

मृतक की कुछ दिनों पहले ही बाइपास सर्जरी हुई थी, हत्यारों ने सर्जरी की जगह को भी धारदार हथियार से फाड़ दिया था. कमरे का सामान बिखरा हुआ था, अलमारी भी खुली हुई थी. मृतक की पत्नी रितु बजाज का रोरो कर बुरा हाल था. उस समय उन से इस बात की जानकारी नहीं ली जा सकती थी कि घर का क्या-क्या सामान गायब है.

इंसपेक्टर विक्रम सिंह राठी ने पूरे हालात से थानाप्रभारी मनीष जोशी को अवगत कराया. पीसीआर को काल करने पर वैसे तो जिले के समस्त पुलिस अधिकारियों को इस घटना की जानकारी मिल चुकी थी, इस के बावजूद थानाप्रभारी ने एसीपी और डीसीपी कार्यालय में फोन कर के घटना की जानकारी दे कर एसआई बालमुकुंद व एएसआई राजन सिंह के साथ घटनास्थल की ओर रवाना हो गए.

मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार और करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि भी मौकाएवारदात पर पहुंच गए. समस्त पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से मुआयना किया. पुलिस को घरेलू नौकर राहुल ने बताया कि वह दोपहर साढ़े 3 बजे आया था तो दरवाजा बंद था.

कई दफा घंटी बजाने के बाद भी दरवाजा नहीं खुला तो उस ने तरुण बजाज के मोबाइल पर फोन किया. फोन पर घंटी बज रही थी, लेकिन फोन नहीं उठाया तो वह पार्क में जा कर बैठ गया. पार्क में बैठेबैठे भी उस ने तरुण बजाज को कई बार फोन किया, हर बार घंटी बजती रही पर काल रिसीव नहीं हुई.

मामला हाईप्रोफाइल था, इसलिए थानापुलिस ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम, सीएफएसएल टीम और अन्य एक्सपर्ट्स को बुला लिया, ताकि वहां से जरूरी सुबूत इकट्ठे किए जा सकें. ड्राइंगरूम में जो टेबल रखी थी, उस पर 3 गिलास रखे थे, जिन में थोड़ा जूस भी था. फ्लैट का निरीक्षण करने पर ऐसा कोई सुबूत नहीं मिला, जिस से लगे कि हत्यारों ने फ्लैट में जबरदस्ती एंट्री की हो.

टेबल पर रखे गिलासों से यही लगा कि हत्यारे 2 या अधिक रहे होंगे और उन से मृतक के संबंध ठीकठाक रहे होंगे, तभी तो उन्हें बेडरूम में बैठा कर जूस पिलाया गया था.

बहरहाल, हत्यारे कौन थे और उन्होंने बजाज की हत्या क्यों की, यह जांच का विषय था. इस से पहले जांच टीमों ने मौके से खून के सैंपल फिंगरप्रिंट आदि बरामद किए. इस के बाद पुलिस ने लाश का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. साथ ही मृतक की पत्नी रितु बजाज की तरफ से अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

हत्या के इस मामले को सुलझाने के लिए मध्य जिला के अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने करोलबाग के एसीपी एस.के. गिरि के नेतृत्व में एक पुलिस टीम बनाई, जिस में थाना राजेंद्रनगर के थानाप्रभारी मनीष जोशी, अतिरिक्त थानाप्रभारी विक्रम सिंह राठी, एसआई गौतम मलिक, पवन तोमर, रामनिवास, सतेंद्र, बलवंत, एएसआई राजन सिंह, हेडकांस्टेबल प्रकाश, कांस्टेबल संदीप, जोगिंद्र, संजीव, स्वायम, गुलशन, विनोद, नीरज, बलजीत, नितिन आदि को शामिल किया.

चूंकि घटना एक पौश कालोनी में घटी थी, इसलिए पुलिस अधिकारी चाहते थे कि जल्द से जल्द इस का खुलासा हो. इसीलिए अतिरिक्त पुलिस आयुक्त आलोक कुमार ने इस केस की जांच में थाना प्रसादनगर के थानाप्रभारी युद्धविंदर सिंह, चांदनीमहल के थानाप्रभारी अनिल कुमार, हौजकाजी के थानाप्रभारी जरनैल सिंह को भी लगा दिया था. पुलिस टीमें अलगअलग कोणों से केस की जांच में जुट गईं.

पुलिस ने रितु बजाज से बात की तो पता चला कि तरुण बजाज का राजेंद्रनगर इलाके में इमेज केबल नेटवर्क के नाम से कारोबार था. दिल्ली में केबल कारोबार की प्रतिद्वंदिता में अकसर झगड़े होते रहते हैं. कहीं तरुण बजाज भी इसी रंजिश का शिकार तो नहीं हो गए. यही जानने के लिए पुलिस ने इलाके के और भी केबल कारोबारियों से पूछताछ की. लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.

पुलिस ने तरुण के मोबाइल फोन की जब जांच की तो उस में काफी आपत्तिजनक सामग्री मिली. मोबाइल फोन में मिली सामग्री और तरुण की बर्बर तरीके से की गई हत्या से पुलिस को लगा कि हत्या की वजह कहीं कोई महिला तो नहीं है.  इस बिंदु पर पुलिस ने जांच शुरू की. पुलिस ने ऐसी 60 से अधिक महिलाओं से पूछताछ की, जिन्हें पुलिस ने पहले कभी जिस्मफरोशी के धंधे में गिरफ्तार किया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि अब वे धंधा नहीं करतीं.

पुलिस उन्हें दूसरे मकसद से थाने लाई थी. उन से जब पूछताछ की तो कुछ महिलाओं के बारे में जानकारी मिली जो तरुण बजाज के पास जाती थीं. जिन जिन महिलाओं के नाम सामने आते गए, पुलिस उन से पूछताछ करती रही. जिन महिलाओं से पुलिस ने पूछताछ की पुलिस को वे बेकुसूर दिखीं. फिर भी पुलिस ने उन्हें शक के दायरे में रख कर हिदायत दी कि जब तक जांच पूरी न हो, वे दिल्ली से बाहर न जाएं.

प्यार का जूनून – भाग 1

पप्पू छोटे भाई उदयभान को ले कर काफी परेशान था. वह पिछली रात घर से निकला था. रात तो  बीती ही, अब दिन बीत भी रहा था और उस का कुछ अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद था.

पप्पू उत्तर प्रदेश के आगरा के थाना पिनाहट के नजदीकी गांव गुरावली का रहने वाला था. उस के परिवार में पिता के अलावा वही एक छोटा भाई उदयभान था, जिसे वह जान से भी ज्यादा प्यार करता था. पिछली रात 7, साढ़े 7 बजे घर का कुछ सामान लेने के लिए वह पिनाहट बाजार गया था. सवा 8 बजे उस ने फोन कर के बताया था कि वह बाजार पहुंच गया है. उसे वहां से लौटने में घंटे, डेढ़ घंटे लग जाएंगे. यानी उसे 9, साढ़े 9 बजे तक लौट आना चाहिए था.

लेकिन रात के साढ़े 10 बज गए और वह नहीं लौटा. तब पप्पू ने उसे फोन किया. पता चला उस का फोन बंद है. हालांकि गर्मियों के दिन थे, इसलिए उतनी रात भी डर की कोई बात नहीं थी. लेकिन उदयभान के फोन ने स्विच औफ बताया तो पप्पू थोड़ा परेशान हुआ. उस ने बीसों बार फोन लगा डाला, हर बार उस का फोन स्विच औफ बताता रहा.

उदयभान का फोन बंद होने से पप्पू परेशान हो उठा. उस का फोन बंद क्यों हो गया, पप्पू की समझ में नहीं आ रहा था. उदयभान मोबाइल फोन का मैकेनिक था. उस के मोबाइल की बैटरी हमेशा फुल रहती थी. जब पप्पू की समझ में कुछ नहीं आया तो उस ने क्वार्टर निकाला और छत पर जा कर बिना पानी मिलाए ही पूरी शीशी खाली कर दी. इस के बाद वह कब का सो गया, उसे पता ही नहीं चला.

सुबह उस की आंखें खुलीं तो लगभग 8 बज रहे थे. नीचे आ कर वह सीधे उदयभान के कमरे में गया. कमरा खाली पड़ा था. इस का मतलब उदयभान अभी तक लौट कर नहीं आया था. पप्पू को भाई की इस हरकत पर गुस्सा भी आ रहा था, साथ ही किसी अनहोनी का भय भी सता रहा था. उस ने तुरंत उदयभान को फोन किया. उसे निराशा ही हुई, क्योंकि उदयभान का मोबाइल अभी भी बंद था. उस ने उस के बारे में अपने पिता से पूछा तो उस ने भी वही बताया, जो उसे पता था.

पप्पू उदयभान को ढूंढने लगा. जहांजहां वह मिल सकता था, वहांवहां गया. उस के यारों दोस्तों से पूछा. लेकिन कहीं से उस के बारे में कुछ नहीं पता चला. जब पप्पू को लगा कि उदयभान का अब पता नहीं चलेगा तो दिन ढले उस का एक फोटो ले कर वह थाना पिनाहट जा पहुंचा. उस ने थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह को अपनी परेशानी बताई तो उन्होेंने तुरंत थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन मिला दिया.

इस की वजह यह थी कि उसी दिन सुबह थाना बसई अरेला पुलिस ने रेलवे लाइन के पास बसे गांव सड़क का पुरा के हनुमान मंदिर के पास बने कुएं से सूचना के आधार पर एक युवक की लाश बरामद की थी.

लाश 20-25 साल के हृष्टपुष्ट युवक की थी, जिसे पहले मारापीटा गया था. उस के बाद उस की हत्या कर के लाश कुएं में फेंक दी गई थी. मामला हत्या का था, इसलिए थाना पुलिस ने यह सूचना वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक सुभाषचंद दुबे, पुलिस अधीक्षक ग्रामीण के.पी. यादव तथा क्षेत्राधिकारी को भी दे दी थी.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की शिनाख्त कराने की भी कोशिश की थी. लेकिन काफी प्रयास के बाद भी शिनाख्त नहीं हो सकी थी. तब उन्होंने घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया था. इस के बाद थाने आ कर वायरलेस द्वारा अपने थानाक्षेत्र में लाश बरामद होने का संदेश जिले के सभी थानों को दे दिया था.

यही वजह थी कि जब पप्पू थाना पिनाहट उदयभान की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचा तो थानाप्रभारी शैलेंद्र सिंह ने थाना बसई अरेला के थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को फोन किया. यह 29 जुलाई, 2013 की बात है.

थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने बरामद लाश की जो हुलिया बताई, वह उदयभान से पूरी तरह मेल खा रही थी. इसलिए पप्पू सीधे थाना बसई अरेला जा पहुंचा. थानाप्रभारी लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा चुके थे. लाश का सामान उन के पास था. चेक की शर्ट, काली पैंट और जूते देख कर पप्पू रोने लगा. फिर भी थानाप्रभारी उसे लाश दिखा कर संतोष कर लेना चाहते थे. अस्पताल भेज कर पप्पू को लाश दिखाई गई. वह उदयभान की ही लाश थी. लाश देख कर पप्पू को गश आ गया. पुलिस वालों ने उसे संभाला.

मृतक की शिनाख्त हो चुकी थी. शव के निरीक्षण के दौरान उस का बायां पैर टूटा हुआ पाया गया था. थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह ने जब पप्पू से इस बारे में पूछा तो उस ने बताया कि जब वह घर से निकला था, एकदम सहीसलामत था. थानाप्रभारी समझ गए कि हत्यारों ने ही किसी भारी चीज से उस का पैर तोड़ा होगा.

पुलिस ने पप्पू से तहरीर ले कर गांव के ही राममूर्ति और उस के भाइयों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया. थानाप्रभारी ने नामजद रिपोर्ट दर्ज कराने की वजह जाननी चाही तो पप्पू ने कहा, ‘‘साहब, कुछ सालों पहले राममूर्ति की बेटी सुमन और मेरे भाई उदयभान के बीच प्रेमसंबंध था. बात खुली तो राममूर्ति ने बेटी का विवाह कर दिया, लेकिन दोनों परिवारों की दुश्मनी खत्म नहीं हुई.’’

पप्पू का शक थानाप्रभारी विनय प्रकाश सिंह को वाजिब लगा. कहीं बेटी और अपनी बदनामी की वजह से उन्हीं लोगों ने उदयभान को खत्म न कर दिया हो. पप्पू की बात पर विश्वास करने की एक वजह और थी. दरअसल जिस तरह बेरहमी से उदयभान को मारा गया था, साफ था कि उसे मारने वाला उस से गहरी नफरत करता रहा होगा. इस तरह की नफरत वही कर सकता है, जिस आदमी को उस से गहरी ठेस पहुंची हो.

अगर उदयभान ने राममूर्ति की बेटी के दामन पर दाग लगाया है तो निश्चित ही राममूर्ति उस से ऐसी ही नफरत करता रहा होगा. उन्होंने हत्यारों तक पहुंचने के लिए सबइंस्पेक्टर नंदकिशोर, सिपाही रंजीत, ओमवीर, अशोक, किताब सिंह, नरेश कुमार और धर्म सिंह की एक टीम बना कर हत्यारों को गिरफ्तार करने के लिए लगा दिया.

औरेया के बलात्कारी को फांसी की सजा

उत्तर प्रदेश के जनपद औरेया के जिला जज (पोक्सो) की कोर्ट में उस दिन सुबह के 10 बजतेबजते लोगों का विशाल हुजूम इकट्ठा हो गया था. वह दिन था बुधवार और उस दिन तारीख थी 22 जून, 2023. उस दिन वहां पर वकीलों, आम नागरिकों एवं पत्रकारों की काफी भीड़ जमा हो चुकी थी.

भरी अदालत में सब की जुबान पर एक ही चर्चा थी कि देखो अब 8 वर्षीय गौरी के रेप और हत्या के मामले में आज क्या अंतिम फैसला होता है. अभियोजन पक्ष के वकील और पैरोकारों को अपनी काबीलियत पर पूरापूरा भूरोसा था कि अभियुक्त गौतम दोहरे को इस मामले में आज अवश्य कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी.

अभियुक्त की ओर से कोई वकील नहीं था. किसी भी वकील ने इस केस को लडऩे ही सहमति नहीं जताई थी, इसलिए अभियुक्त गौतम दोहरे को एक सरकारी वकील उपलब्ध कराया गया था, जिसे यह पता भी था कि वह चाहे कितने सबूत जुटा लें, कितनी जिरह कर लें, पर उन के मुवक्किल को अब कोई भी नहीं बचा सकता.

तकरीबन 10 बजे जिला जज (पोक्सो) मनराज सिंह अपने चैंबर से निकल कर अदालत में दाखिल हुए. उन के अदालत में प्रवेश करते ही उन के सम्मान में वहां उपस्थित लोग अपने स्थानों पर खड़े हो गए. जज महोदय के अपनी कुरसी पर बैठने के बाद पूरी अदालत में एक अजीब सा सन्नाटा छा गया था. पेशकार ने जज महोदय के सामने केस की फाइल रखी.

जज का आदेश पाते हो सरकारी वकील हरिशंकर शर्मा ने अपनी आखिरी दलील पेश करते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं आप की अदालत में अब तक 13 गवाहों को पेश कर चुका हूं. जिन सभी के बयानों से साफ जाहिर है कि अभियुक्त गौतम दोहरे द्वारा पहले मासूम गौरी का रेप किया गया और उस के बाद उस की हत्या की गई. मैं माननीय अदालत से अभियुक्त गौतम दोहरे के लिए फांसी की मांग करता हूं.”

हालांकि अभियुक्त गौतम दोहरे ने अपने लिए कोई वकील नियुक्त नहीं किया था, फिर भी अभियुक्त के लिए न्यायालय की ओर से एक सरकारी वकील नियुक्त किया गया था.

अभियुक्त की ओर से नियुक्त सरकारी वकील ने अपना तर्क प्रस्तुत करते हुए कहा, “मी लार्ड, मेरे मुवक्किल पर अभी तक जो भी इल्जामात लगाए गए हैं, वे मेरे मुवक्किल को फांसी दिए जाने के लिए नाकाफी हैं, इसलिए मैं माननीय न्यायालय से अपने मुवक्किल के लिए फांसी की मांग निरस्त कर आजीवन कारावास दिए जाने की मांग करता हूं.”

वकीलों की जिरह रही दिलचस्प

जज साहब ने अब एडवोकेट हरिशंकर शर्मा की ओर देखा और कहा, “हरिशंकर शर्मा जी, आप के पास अब अन्य गवाह हैं तो उन्हें बुलाइए.”

तभी वकील हरिशंकर शर्मा ने अदालत से कहा, “मी लार्ड, मेरे पास अब ऐसा गवाह है, जो इस केस का 14वां गवाह है. इस ने मुलजिम गौतम दोहरे को अपने कंधे पर एक बोरी को ले जाते हुए देखा था. घटना के खुलासे के बाद घटनास्थल से वही बोरी पुलिस ने बरामद की थी. मुलजिम गौतम दोहरे को कंधे पर बोरी ले जाने की बात गवाह ने कोर्ट में बता दी.

“मी लार्ड, इस जघन्य वारदात में 82 दिन में 43 बार न्यायालय की तारीख लगी. हर तारीख में आरोपी को कोर्ट के सामने लाया गया, जहां पर अभियुक्त हमेशा माननीय न्यायाधीश के सामने हाथ जोड़ कर खड़ा रहता था. माननीय न्यायाधीश के कुछ भी पूछने पर आरोपी कुछ भी बोलने से मना कर देता था.”

इस के बाद न्यायालय में सुनवाई के दौरान शासकीय अधिवक्ता अभिषेक मिश्र, विशेष लोक अभियोजक जितेंद्र तोमर, विशेष लोक अभियोजक (पोक्सो) मृदुल मिश्र व वादी के अधिवक्ता हरिशंकर शर्मा ने कहा, “मी लार्ड, निर्भया केस के बाद कठुवा गैंगरेप और मर्डर का मामला सामने आया था. इस मामले में 12 वर्ष से कम उम्र की लडक़ी के साथ दरिंदगी की गई थी.

“सरकार ने इस के बाद फिर कानूनी बदलाव किए, जिस में 12 साल से कम उम्र की बच्ची से रेप के मामले में अधिकतम फांसी की सजा का प्रावधान किया. यहां पर तो आरोपी ने निर्मम तरीके से रेप करने के बाद उस की जघन्य हत्या भी की है.

मी लार्ड, इस जघन्य कृत्य में पुलिस ने कई व्यक्तियों से पूछताछ की और साक्ष्य संकलन व छानबीन के बाद 14 घंटे में घटना का खुलासा करते हुए आरोपी गौतम सिंह दोहरे को गिरफ्तार कर उस से कई घंटों तक कड़ी पूछताछ की, जिस में आरोपी ने सब कुछ उगल दिया.

“मी लार्ड, आरोपी ने शराब पी रखी थी तथा बिसकुट दिलाने का लालच दे कर वह नाबालिग बच्ची को अपने साथ ले गया था और उस के साथ दुष्कर्म कर उस का मुंह दबा कर निर्मम हत्या कर दी थी.

“मी लार्ड, जो बिसकुट का पैकेट दे कर आरोपी बच्ची को ले गया था, उस पैकेट पर आरोपी की अंगुलियों के निशान मैच हुए थे. इसलिए अदालत से हमारी विनम्र प्रार्थना है कि मासूम 8 वर्षीय बच्ची के क्रूर हत्यारे गौतम दोहरे को फांसी की सजा दी जाए.”

औरेया की जिला कोर्ट (पोक्सो) के जज मनराज सिंह ने आरोपी गौतम दोहरे को सुनाई फांसी की सजा

दोनों पक्षों की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब इस जघन्य कृत्य के फैसले का समय आ गया था. कोर्ट में मौजूद सभी लोगों की नजरें अब जज मनराज सिंह के फैसले पर टिकी हुई थीं.

मजिस्ट्रेट ने जब बोलना शुरू किया तो पूरे अदालत परिसर में एक रहस्यमयी सन्नाटा पसर गया था. मजिस्ट्रेट मनराज सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों, वकीलों की दलीलों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि आरोपी गौतम दोहरे ने जो जघन्य अपराध किया है, इस की क्रूरता से किसी का भी दिल दहल सकता है.

“मासूम बच्ची गौरी के शरीर में जितनी चोटें बाहर थीं, उतनी ही अंदर भी थीं. यह पता लगाना बेहद मुश्किल हो रहा था कि इस मासूम बच्ची के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाया गया है कि नहीं, क्योंकि उस मासूम के प्राइवेट पार्ट पूरी तरह से डैमेज हो चुके थे. इस क्रूर हत्यारे ने मासूम बच्ची को मारा भी बहुत बेरहमी से था.

“बच्ची अधमरी तो हैवानियत के समय ही हो गई थी. उस के बाद आरोपी ने उस का गला भी बड़ी बेरहमी से दबाया, जिस के कारण उस मासूम नाबालिग की मौत हो गई, लेकिन आरोपी यहीं नहीं रुका. मासूम बच्ची के सिर पर भी चोट के निशान मिले थे, जिस को देख कर ऐसा लग रहा है कि उस को जमीन पर पटका भी गया था. इस के साथ ही बच्ची की रीढ़ की हड्डी भी डैमेज थी.

मैं यह आदेश देता हूं कि दोषी को तब तक फांसी पर लटकाया जाए, जब तक उस की मौत न हो जाए. पुरुषों की उत्पत्ति महिलाओं से होती है, दोषी का कृत्य पशुओं से ज्यादा निंदनीय है.”

जज ने अपना अंतिम फैसला सुनाते हुए आगे कहा, “लड़कियां अगर खुले में नहीं घूम सकतीं तो फिर उन के लिए कौन सा स्थान है. भारतीय संस्कृति में लड़कियों को नई शक्ति के सृजन की सशक्त नारी बताया गया है, लेकिन इस अपराधी ने उस 8 वर्षीय मासूम बच्ची का जीवन बचपन में ही खत्म कर दिया.”

यह फैसला सुनने के बाद वहां मौजूद लोगों ने जज के फैसले की सराहना की. यह पूरा मामला क्या था, इस के लिए हमें इस केस के अतीत में जाना होगा.

यह सनसनीखेज मामला उत्तर प्रदेश के औरेया जिला के गांव महमूदपुर थाना अयाना क्षेत्र का था. यहां पर 24 मार्च, 2023 की शाम करीब साढ़े 5 बजे एक 8 साल की मासूस बच्ची गौरी लापता हो गई थी. गौरी अपने खेत पर पशुओं को चराने गई थी, लेकिन देर शाम तक जब बच्ची घर नहीं लौटी तो उस के घर वालों को चिंता हुई. रोतेबिलखते घर वाले मासूम को रात भर इधर से उधर तलाशते रहे. इस के बाद 25 मार्च को थाना अयाना में मासूम की गुमशुदगी की सूचना दर्ज करा दी गई.

इस के बाद थाना पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए एसपी औरेया चारू निगम के निर्देश पर बच्ची को तलाशने का अभियान शुरू किया. सीसीटीवी फुटेज, लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने 25 मार्च, 2023 की दोपहर करीब साढ़े 3 बजे घर से 600 मीटर दूरी पर गेहूं के खेत के पास गड्ढे में मासूम बच्ची का शव बरामद किया.

शव की प्रारंभिक जांच में मासूम के साथ दुष्कर्म कर उस की हत्या की संभावना दिखाई दी. पुलिस ने इस मामले में गांव के लोगों से पूछताछ की. गांव के बारातघर में लगे सीसीटीवी खंगाले गए, जिस में 5 लोग संदिग्ध दिखाई दिए. सभी को हिरासत में ले कर कड़ी पूछताछ की गई तो उन में से गौतम सिंह दोहरे ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. इस केस में विशेष बात यह रही कि पुलिस ने मात्र 14 घंटे की जांच के बाद आरोपी को गिफ्तार कर लिया था.

शराब के नशे में रेप कर के मार डाला

पुलिस पूछताछ में आरोपी गौतम सिंह दोहरे ने कुबूला कि 24 मार्च, 2023 शुक्रवार को वह नहरिया में बैठ कर शराब पी रहा था. इस बीच उस का बिसकुट खाने का मन हुआ तो वह बिसकुट खरीदने पास की दुकान पर चला गया.

दुकान से बिसकुट खरीद कर वह नहरिया पर वापस आ रहा था, तभी उसे अपने सामने गौरी मिल गई. उसे देख कर उस का मन मचल गया. बच्ची को बिसकुट खिलाने का लालच दे कर वह उसे गन्ने के खेत में ले गया. पहले उस ने बच्ची के साथ निर्ममता से रेप किया. किसी को इस घटना का पता न चल सके, इसलिए उस ने फिर बच्ची का गला दबा कर उस की हत्या कर दी.

आरोपी ने आगे बताया कि अगली सुबह जब वह उठा तो वह उस स्थान पर गया, जहां उस ने बच्ची का गला दबाया था. उस ने वहां पर देखा कि बच्ची मर चुकी थी. उस के बाद उस ने बच्ची के शव को गन्ने के खेत से हटा कर एक गड्ढे में दफना दिया.

दरोगा का पिस्टल छीन कर पुलिस पर की थी फायरिंग

26 मार्च, 2023 रविवार के दिन देर रात जिला अस्पताल से लौटते समय आरोपी गौतम दोहरे ने दरोगा का पिस्टल छीन लिया और पुलिसकर्मियों पर फायरिंग कर दी. जब आरोपी आपे से बाहर हो गया तो पुलिस को उस पर जबाबी फायरिंग करनी पड़ी. जबाबी फायरिंग में उस के पैर पर गोली लगी और वह घायल हो गया. इस के बाद पुलिस टीम उसे इलाज के लिए सीएचसी अयाना लाई और वहां पर उसे भरती कराया गया. पुलिस ने सोमवार 27 मार्च, 2023 को आरोपी की कोर्ट में पेशी कराई.

एक ओर 27 मार्च, 2023 को पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी कराई गई तो दूसरी तरफ 27 मार्च को मासूम बच्ची की पोस्टर्माटम रिपोर्ट भी आ गई. पोस्टमार्टम रिपोर्ट में क्रूर हत्यारे की दरिंदगी की पूरी कहानी सामने आ गई. बच्ची के प्राइवेट पार्ट बुरी तरह से क्षतविक्षत थे. उस के सारे शरीर को नाखूनों से नोचाखसोटा गया था. चेहरे और गले पर भी चोट के निशान मिले थे.

बच्ची के पूरे शरीर पर कोई भी ऐसी जगह नहीं थी, जहां दरिंदगी के निशान न पाए गए हों. क्रूर हत्यारे ने बच्ची का मुंह और हाथ इतनी जोर से दबाया था कि वो काले पड़ चुके थे. बच्ची का खून जम गया था, जिस के कारण उस की नसें ब्लौक गई थीं. सीने और पेट पर खरोंचों के निशान साफ दिखाई दे रहे थे.

पीछे कमर के पास हाथ से कस कर दबाने के निशान थे. कमर के ऊपरी हिस्से पर किसी चीज के मारने के निशान थे. देख कर ऐसा लग रहा था कि आरोपी ने बच्ची को किसी भारी पत्थर से मारा होगा.

कोर्ट के फैसले पर पिता संतुष्ट

मासूम बच्ची के पिता शिवेंद्र सिंह दोहरे ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि एक पिता के लिए इस से अच्छी बात भला क्या हो सकती है, मुझे 82 दिन में न्याय मिल गया. उन्होंने कहा कि कोर्ट ने अच्छा फैसला सुनाया है, इस तरह के क्रूरतम कृत्य करने वालों को ऐसी सजा मिलनी चाहिए. मुजरिम को अब जल्द से जल्द फांसी मिलनी चाहिए, तभी मेरी बेटी को न्याय मिल पाएगा.

महिला अपराधों में 3 वकीलों की रही विशेष भूमिका

उत्तर प्रदेश के औरेया में महिला अपराधों पर लगातार अपराधियों को सजा मिल रही है. इन मामलों में सब से अहम डीजीसी (जिला शासकीय अधिवक्ता) अभिषेक शर्मा एडवोकेट की बेहतर पैरवी मानी जा रही है. इस के साथ ही पोक्सो के मामलों में डीजीसी के सहयोगी वकील जितेंद्र तोमर व मृदुल सिन्हा की संयुक्त तिकड़ी बीते 4 माह में 2 दुष्कर्मियों को मौत की सजा करवा चुके हैं. साल भर में महिला संबंधी अपराधों में कुल 78 दोषियों को सजा सुनाई गई, जिस में 2 को फांसी व 15 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

जैसे ही जिला जज ने गौतम दोहरे को सजा सुनाई, वहां मौजूद पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. फिर मुजरिम गौतम दोहरे को पुलिस ने जेल पहुंचा दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों व मृतक के परिजनों पर आधारित है. कथा में गौरी नाम काल्पनिक है.

ठग तांत्रिक फंसा पुलिस के जाल में

उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले की आवास विकास कालोनी में रहने वाली पुष्पलता पांडेय ने अपने बेटे की शादी कई साल पहले की थी. लेकिन  किसी वजह से उन की बहू की गोद नहीं भर पा रही थी. उन्होंने कई डाक्टरों से बहू का इलाज कराया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. बहू और बेटे के अलावा वह खुद भी इस बात को ले कर परेशान रहती थीं कि बहू मां कैसे बने.

एक दिन पुष्पलता ने अपने घर में आने वाले अखबार के बीच एक पैंफ्लेट रखा देखा, जो एक तांत्रिक का था. तांत्रिक का नाम था पंडित मोरेश्वर शास्त्री. उस के विज्ञापन में लिखा था कि बाबा 27 मई से 1 जून तक बस्ती जिले के बस स्टेशन के पास स्थित होटल शिवाय पैलेस में ठहरेंगे. उस पैंफ्लेट में बाबा ने तंत्रमंत्र के माध्यम से सभी तरह की समस्याओं के समाधान करने का दावा किया था.

पुष्पलता पांडेय एक प्राइमरी स्कूल में टीचर थीं. हालांकि वह तंत्रमंत्र की बातों पर विश्वास नहीं करती थीं, लेकिन उस पैंफ्लेट को पढ़ कर उन्होंने भी तांत्रिक पंडित मोरेश्वर शास्त्री से यह सोच कर मिलने का फैसला कर लिया कि हो सकता है तंत्रमंत्र से ही कुछ हो जाए. दरअसल उन्होंने कुछ महिलाओं से सुना था कि फलां महिला तांत्रिक के पास जाने के बाद मां बन गई.

27 मई  को पुष्पलता शिवाय होटल में ठहरे तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के पास पहुंच गईं और उसे अपनी समस्या बता दी. तांत्रिक बहुत चालाक था. वह पुष्पलता के पहनावे और बातचीत से समझ गया कि महिला संपन्न परिवार की है. इसलिए वह पुष्पलता से बोला, ‘‘तुम्हारी समस्या बहुत गंभीर है. इस का समाधान तुम्हारे घर चल कर करना पड़ेगा.’’

‘‘बाबा, जल्दी कीजिए न समाधान, हम लोग बहुत परेशान रहते हैं. बताइए हमारे यहां आप कब दर्शन देंगे?’’ पुष्पलता ने लगभग गिड़गिड़ाते हुए कहा.

‘‘बच्चा, अब तुम परेशान मत हो. मैं जुम्मे के दिन यानी 31 मई को तुम्हारे यहां पहुंच जाऊंगा.’’ कहते हुए तांत्रिक ने उन्हें एक परचा देते हुए कहा, ‘‘इस में पूजा का कुछ सामान लिखा है, मंगा कर रख लेना.’’

‘‘ठीक है बाबा, मैं सारा सामान मंगा लूंगी.’’ कह कर पुष्पलता वहां से चली आईं. घर पहुंच कर उन्होंने अपने बेटे से पूजा का सारा सामान मंगा कर घर में रख लिया.

31 मई को तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री पुष्पलता के घर पहुंचा तो उन का घर और रहनसहन देख कर उस के मन में और ज्यादा लालच आ गया. उस ने कुछ देर तक उन के यहां पूजा वगैरह की. पूजा खत्म होने के बाद उस ने कहा, ‘‘बच्चा तुम्हारे घर में गृहदोष है. जब तक यह दोष दूर नहीं होगा, तुम्हारी समस्या का समाधान नहीं हो पाएगा.’’

‘‘बाबा गृहदोष दूर करने का कोई तो उपाय होगा?’’

‘‘हां, उस का उपाय है. इस के लिए विशेष पूजा करनी पड़ेगी, जिस में 31 हजार रुपए का खर्च आएगा. इस के अलावा तुम्हें गृहदोष निवारण बगलामुखी यंत्र घर में रखना पड़ेगा, जो 11 हजार रुपए का है. इस से सारे रास्ते खुल जाएंगे और तुम्हारी बहू मां बन जाएगी.’’

पुष्पलता बहू के इलाज पर हजारों रुपए खर्च कर चुकी थीं. उन्होंने सोचा कि जब वह इतना खर्च कर चुकी हैं तो 42 हजार और खर्च कर के देख लें. इसलिए दादी बनने की लालसा में उन्होंने 42 हजार रुपए तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को दे दिए.

पैसे जेब में रखने के बाद तांत्रिक ने एक बार फिर उन के सभी कमरों में नजर डाली और आंखें मूंद कर बैठ गया. ऐसा लग रहा था जैसे वह ध्यानरत हो, 2-3 मिनट बाद उस ने आंखें खोल कर कहा, ‘‘बच्चा, तुम्हारे घर में काल सर्प योग भी है.’’

‘‘काल सर्प योग! यह क्या होता है बाबा?’’ पुष्पलता चौंक कर बोली.

‘‘बच्चा, जिस घर में यह योग होता है, वहां खुशी देने वाले काम होेतेहोते रुक जाते हैं. इसलिए इस का निदान भी जरूरी है.’’

‘‘अब इस का उपाय क्या है?’’

‘‘इस के लिए तुम्हें अपने घर में 2 तोले सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा कर रखनी होगी.’’

सोने की नागनागिन पुष्पलता के पास ही रहनी थी, इसलिए तांत्रिक के जाने के बाद वह गले की चेन और अंगूठी ले कर सुनार की दुकान पर पहुंच गईं. दोनों चीजों को गलवा कर उन्होंने 20 ग्राम सोने की नागनागिन की जोड़ी बनवा ली.

यह बात उन्होंने तांत्रिक को बताई. वह उस समय होटल में ही था. तांत्रिक ने उन्हें होटल में बुला लिया. पुष्पलता नागनागिन की जोड़ी ले कर होटल पहुंच गईं. तांत्रिक ने सोने की नागनागिन को तांबे के लोटे में रख कर लोटे को नीले रंग के कपड़े में बांध कर रख दिया और कहा, ‘‘मैं रात को पूजा और अनुष्ठान कर के नाग और नागिन को सिद्ध करूंगा. फिर सुबह आ कर तुम इन्हें ले जा कर पूजा वाली जगह पर रख देना. तुम्हारे सारे काम बनने शुरू हो जाएंगे और एक बात का ध्यान रखना कि इस बारे में किसी से कोई बात नहीं करनी है.’’

रात साढ़े 7 बजे पुष्पलता होटल से अपने घर चली आईं. घर पहुंचने पर रात 8 बजे उन्होंने तांत्रिक से फोन पर पूछा कि अनुष्ठान शुरू हुआ कि नहीं? इस पर बाबा ने कहा कि वह गोरखपुर स्थित मंदिर में दर्शन करने चला आया है. यहां से लौट कर अनुष्ठान करेगा.

पुष्पलता ने रात 10 बजे फिर फोन मिलाया तो बाबा का फोन स्विच आफ जाने लगा. कई बार मिलाने के बाद भी उस का फोन नहीं मिला तो उन्हें दाल में काला नजर आने लगा. अगले दिन यानी 2 जून की सुबह वह उसी होटल गईं, जहां तांत्रिक ठहरा हुआ था. जिस कमरा नंबर 103 में तांत्रिक ठहरा हुआ था. उस कमरे में तांत्रिक के बजाए किसी और आदमी को देख कर वह चौंकीं. उन्होंने उस आदमी से तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में पूछा तो उस ने बताया कि वह तांत्रिक के बारे में नहीं जानता. वह कल रात ही इस कमरे में आया है.

पुष्पलता घबरा कर होटल के मैनेजर के पास पहुंची तो मैनेजर ने बताया कि तांत्रिक पहली जून की रात 8 बजे ही होटल छोड़ कर चला गया था. इतना सुनते ही पुष्पलता के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें यह समझते देर न लगी कि वह ठगी जा चुकी हैं.

पुष्पलता चुपचाप घर चली आईं और दिन भर इसी उधेड़बुन में रहीं कि यह बात पुलिस को बताएं या नहीं. क्योंकि ढोंग के चक्कर में ठगे जाने के कारण बेइज्जती होने का डर भी था. कुछ देर सोचने के बाद उन्होंने पुलिस के पास जाने का फैसला कर लिया. जिस से उन की तरह दूसरा कोई तांत्रिक की ठगी का शिकार न हो सके.

पुष्पलता के पास तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के बारे में कोई जानकारी नहीं थी. बिना नामपते के उसे तलाशना आसान नहीं था. उन के दिमाग में विचार आया कि होटल में कमरा लेते समय तांत्रिक ने अपना आईडी प्रूफ जरूर जमा कराया होगा. इसलिए 3 जून को वह फिर से होटल शिवाय पैलेस पहुंचीं. उन्होंने इस बारे में मैनेजर से बात की तो पता चला कि तांत्रिक ने वहां अपने वोटर आईडी कार्ड की कौपी जमा कराई थी.

वोटर आईडी की फोटोकापी से उन्हें बाबा का पता मिल गया, जिस में उस का नाम पंडित मोहनगंगा राम मोरे उर्फ मोरेश्वर शास्त्री पुत्र गंगाराम, निवासी 350, तालुका सावरगढ़ जिला एवतमाल, महाराष्ट्र लिखा था. नाम पता ले कर वह जिले के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक आनंद राव कुलकर्णी के पास पहुंचीं.

उन्होंने अपने ठगे जाने की कहानी उन्हें बताई. उन के आदेश पर कोतवाली बस्ती में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री के खिलाफ छल, कपट व धोखाधड़ी के आरोप में भादंवि की धारा 419, 420 के तहत मुकदमा दर्ज हो गया. इस की जांच एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय को सौंपी गई.

पुष्पलता पांडेय का बेटा जो कि इंजीनियर था, उस की मदद से पुलिस ने वोटर आईडी कार्ड में मिले नाम व पते को इंटरनेट के जरिए गूगल में डाल कर सर्च किया. ऐसा करने से ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों के नाम और उस के गांव सावरगढ़ का नक्शा मिल गया. इस के बाद ठग तांत्रिक के परिवार के सभी सदस्यों को फेसबुक पर चैक किया गया.

काफी लंबी छानबीन के बाद उस के परिवार की स्मिता मोहन नाम की लड़की की फेसबुक आईडी पता चली. फेसबुक पर स्मिता मोहन की प्रोफाइल से उस के कालेज का नाम और मोबाइल नंबर मिल गया.

इन सूचनाओं को इकट्ठा करने के बाद पुलिस फिर होटल शिवाय पैलेस गई, जहां पूछताछ में पता चला कि वह तांत्रिक नौकरी, संतान प्राप्ति आदि के नाम पर कइयों को चूना लगा चुका था. इतनी जानकारी मिलने के बाद भी पुलिस ठग तांत्रिक को पकड़ने उस के पते पर नहीं गई, बल्कि उस ने इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.

5 महीने बाद पुष्पलता को जब पता चला कि पुलिस सुस्त हो गई है तो वह फिर से पुलिस अधीक्षक से मिलीं और तांत्रिक को गिरफ्तार करने की मांग की. एसपी के आदेश पर एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय के नेतृत्व में एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई.

20 नवंबर को एसआई धीरेंद्र पांडेय स्थानीय पुलिस के साथ सावरगढ़ गांव में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार करने गए तो गांव वालों ने इस का विरोध किया. इस के बावजूद पुलिस तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को गिरफ्तार कर के एवतमाल कोतवाली ले आई.

अपने इलाके में तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री की अच्छी छवि थी, इसलिए आसपास के गांवों के करीब 2 हजार लोग कोतवाली पहुंच गए. उन्होंने कोतवाली पर प्रदर्शन करते हुए मोरेश्वर शास्त्री को छोड़ने की मांग की. लोगों की भीड़ को देखते हुए एसपी ने आसपास के थानों की पुलिस को कोतवाली एवतमाल भेज दिया. तब कहीं जा कर मामला कंट्रोल में आ सका.

एसआई धीरेंद्र कुमार पांडेय ने तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री को स्थानीय न्यायालय में पेश कर के ट्रांजिट रिमांड पर उसे बस्ती ले आए. तांत्रिक मोरेश्वर शास्त्री से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने बस्ती के सीजेएम की कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

पुष्पलता पांडेय को इस बात का अफसोस है कि पढ़ीलिखी होने के बावजूद भी उन्होंने ढोंगी तांत्रिक की बातों पर विश्वास कर के अपना एक लाख रुपए का नुकसान किया. पता नहीं मोरेश्वर लोगों को बेवकूफ बना कर कितने पैसे ठग चुका होगा, अगर वह चुप बैठ जाती तो पता नहीं वह कितनों को और ठगता. लोगों को चाहिए कि वे ऐसे ठग तांत्रिकों के बहकावे में न आएं.

जाहिर है, झाड़फूंक और तंत्रमंत्र से बच्चे पैदा नहीं होते. अगर किसी की इस तरह की कोई समस्या है तो योग्य डाक्टर से इलाज कराए. इस के अलावा आईवीएफ टेस्ट ट्यूब जैसी प्रणाली भी निस्संतान दंपतियों के लिए वरदान साबित हो रही है. पुष्पलता पांडेय की बहू भी इन में से कोई लाभ ले सकती थी. झाड़फूंक, तंत्रमंत्र तो केवल एक छलावा है.

— कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

जी.बी. रोड कोठे में खून – भाग 3

आगरा से दबोच लिए हमलावर

आगरा गई टीम को बड़ी कामयाबी मिली. उन्होंने हैप्पी और उस के छोटे भाई काका को घर से दबोच लिया. उन्हें दिल्ली लाया गया. यहां उन्हें धारा 307/309/341 भादंवि और 25/27/54/59 आम्र्स एक्ट में गिरफ्तार कर लिया गया.

हैप्पी को अब समझ में आया, 50 हजार का ईनाम क्या था?

पुलिस ने उस से सख्ती से पूछताछ की तो उस ने और काका ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संगरूर (पंजाब) के अपने तीसरे साथी अनिल उर्फ हनी को भी गिरफ्तार करवा दिया. हनी छोटेमोटे अपराध करता था. दिखाने को वह मोटर मैकेनिक का काम करता था. उस के पिता बलविंदर कुमार को बेटे की करतूतें पता थीं. उस के पकड़े जाने पर वह गहरी सांस ले कर रह गए.

तीनों से पूछताछ करने पर वारदात के पीछे की जो कहानी सामने आई, इस प्रकार निकली—

हैप्पी को बचपन से ही अमीर बनने की लालसा थी. वह ज्यादा पढ़ाई नहीं कर सका था. कक्षा 9 तक वह गिरतेपड़ते पहुंच पाया था. संगत आवारा लडक़ों के साथ लगी तो स्कूल छूट गया. पिता गोपी उर्फ चूरामन राजमिस्त्री का काम करता था. हैप्पी को यह काम पसंद नहीं था, वह नमकीन की फैक्ट्री में काम करने लगा, लेकिन यहां इतने पैसे नहीं मिलते थे कि अमीर बनने का ख्वाब पूरा होता.

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लिहाजा हैप्पी ने अपने भाई काका और एक दोस्त जो उस के साथ ही पढ़ता था, गौरव को साथ ले कर एक टीम बनाई और लूटपाट शुरू कर दी. इस से मौजमस्ती का साधन तो जुटने लगा, लेकिन रुपया जमा करने लायक दांव कभी नहीं लगा. फिर पिता काम के सिलसिले में पंजाब के जिला संगरूर गए तो उसे और काका को भी साथ जाना पड़ा.

यहां पड़ोस में रहने वाला हनी उस से टकरा गया. अनिल उर्फ हनी भी छोटीमोटी लूटपाट करता था. हैप्पी ने उसी के साथ लूटपाट का काम शुरू कर दिया. काका को एक रिश्तेदार दिल्ली ले गया, जहां वह मिठाई की दुकान पर लग गया. यह दुकान मयूर विहार फेज-1 में थी.

हैप्पी और अनिल उर्फ हनी ने एक व्यक्ति को सरेराह लूट लिया था, उन्हें लोगों ने पकड़ कर ठोका फिर पुलिस के हवाले कर दिया. दोनों को जेल हो गई. दोनों ने एक साल साथसाथ जेल काटी तो उन की दोस्ती पक्की हो गई.

बिहार से खरीदी पिस्टल

जेल से छूटने के बाद हैप्पी को संगरूर छोडऩा पड़ा. उस का पिता गोपी उसे आगरा ले आया और यहां गुल्ला पियाऊ में किराए पर रहने लगा. कुछ दिन तक हैप्पी ने शांत रह कर नमकीन की एक फैक्ट्री में काम किया. इन्हीं दिनों एक दोस्त राडी के साथ उसे एक शादी में बिहार के नवगछिया में गोपालपुर जाना पड़ा. यहां हैप्पी को मालूम हुआ कि देशी पिस्टल आसानी से मिल जाती है, बस जेब गरम होनी चाहिए.

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हैप्पी पिस्टल खरीद लेना चाहता था ताकि कोई मोटा कांड कर के अमीर बन जाए. उस वक्त उस के पास रुपए नहीं थे, इसलिए वह आगरा लौट आया. वहां वह पैसा जोडऩे की जुगत में लग गया ताकि पिस्टल खरीद सके. तभी काका दिल्ली से घर आ गया. उस से हैप्पी को मालूम हुआ कि जिस मिठाई की दुकान पर काका काम करता है, उस के पास त्यौहार पर नोट बरसते हैं. हैप्पी की खोपड़ी में उसी मिठाई की दुकान को लूटने के लिए प्लान आने लगे.

8 मार्च, 2023 की होली थी. होली पर भी खूब मिठाइयां बिकती हैं. अभी होली को 8 दिन शेष थे. काका पैसा कमा कर लौटा था. कुछ रुपया हैप्पी के पास भी था. वह छोटे भाई काका को ले कर 5 मार्च, 2023 को बिहार के नवगछिया गया और सुजीत कुमार नाम के लडक़े से 31 हजार रुपए में देशी पिस्टल, 6 राउंड और 2 मैगजीन खरीद लीं. वहां से कटिहार एक्सप्रैस पकड़ कर 7 मार्च, 2023 को काका के साथ दिल्ली आ गया.

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दुकान लूटने से पहले पहुंचे जी.बी. रोड

दिल्ली लौटने से पहले उस ने नवगछिया से ही अपने संगरूर वाले दोस्त अनिल उर्फ हनी को भी दिल्ली आने के लिए फोन कर दिया था. सुबह वे नई दिल्ली स्टेशन पर उतरे थे. हनी भी 9 मार्च को दोपहर में एक बजे के आसपास पंजाब संगरूर से दिल्ली आ गया.

उन्हें 8 मार्च को मयूर विहार फेज-1 में मिठाई की दुकान लूटनी थी. काफी समय पड़ा था. तीनों ने उस दिन मौजमस्ती करने का मन बनाया.

तीनों पैदल ही टहलते हुए जी.बी. रोड आ गए. उन्हें कोठा नंबर 52 के नीचे दलाल इमरान चौधरी मिल गया. वे तीनों को खूबसूरत लडक़ी मौजमस्ती के लिए दिलवाने को कोठे के ऊपर ले आया. यहां तीनों को राधा पसंद आ गई.

राधा के साथ मौजमजे के लिए 1500 रुपए में बात तय हुई. तभी नीचे से 2 लोग ऊपर आ गए. वे इन तीनों को घेर कर तलाशी लेने लगे. हैप्पी ने पैंट में सामने पिस्टल छिपा रखी थी. कहीं पिस्टल इन लोगों के हाथ न लगे, यह सोच कर उस ने पिस्टल निकाल कर काका की तरफ बढ़ा दी.

पिस्टल पर राधा की नजर पड़ी तो वह डर गई. उस ने शोर मचाया, “ये बदमाश लोग हैं. पुलिस बुलाओ.”

“हां, पुलिस बुलाओ, इन के पास पिस्टल है.” इमरान भी चीखा.

पकड़े जाने के डर से हैप्पी ने काका की ओर देख कर कहा, “गोली चला, गोली चला काके.”

काके ने लोडिड पिस्टल से गोलियां चला दीं. एक गोली राधा के सीने में लगी, दूसरी इमरान के कंधे में घुस गई. दोनों नीचे गिर पड़े तो चीखें सुन वहां कुछ लोग दौड़ कर आते नजर आए.

“भागो…” हनी चीखा.

तीनो सीढिय़ों की तरफ भागे और पिस्टल लहराते हुए धमकी देते तीनों नीचे उतर कर अजमेरी गेट की तरफ भागते चले गए. मौके पर काका चीखा, “कोई पीछे आया तो भून दूंगा.”

तीनों से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने तीनों को कोर्ट में पेश कर के 3 दिन की रिमांड पर ले लिया. हैप्पी को साथ ले कर वह बिहार में नवगछिया गए, जहां सुजीत कुमार 19 साल का लडक़ा मिला. उसी ने 31 हजार रुपए में हैप्पी को वह पिस्टल बेची थी.

सुजीत कुमार यादव ने पुलिस को बताया कि उसे वह पिस्टल एक पौलीथिन में रास्ते में पड़ी मिली थी, जिसे उस ने हैप्पी को बेच दी थी.

पुलिस टीम उसे भी पकड़ कर दिल्ली ले आई. काके से पिस्टल भी बरामद हो गई. पुलिस ने चारों को सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

15 दिन में सुनाया फैसला : मुजरिम को सजा ए मौत – भाग 3

सैफ ने 9 साल के मासूम अरहान के साथ कुकर्म किया था. चूंकि अरहान सैफ को अच्छी तरह पहचानता था, इसलिए उसे सैफ जिंदा नहीं छोड़ सकता था. उस के साथ कुकर्म करने के बाद उस ने स्प्रिंग वाली तार से अरहान का गला घोंट दिया था.

“अरहान की लाश कहां पर है?” जसवीर सिंह ने पूछा.

“मैं ने उस की लाश को नाले में फेंक दिया था.”

यह जानकारी मिलते ही कोतवाल अरहान के पिता अफजल और पुलिस दल को साथ ले कर सैफ की निशानदेही पर उस नाले के पास आ गए, जिस में वह अरहान की लाश फेंकने की बात कह रहा था.

झाडिय़ों में मिली अरहान की लाश

उस के बताए स्थान पर अरहान का शव तलाशा गया तो वह एक कंटीली झाडिय़ों में फंसा हुआ दिखाई दे गया. अब तक मेवाती मोहल्ला औरंगाबाद में 9 साल के मासूम बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या करने और शव को नाले में फेंकने की खबर फैल चुकी थी. पूरा मेवाती मोहल्ला ही नाले की ओर उमड़ आया. यह नाला मोहल्ले से करीब 500 मीटर की दूरी पर स्थित था.

भारी भीड़ को देख कर कोतवाल जसवीर सिंह ने लापता बच्चे अरहान के साथ घटित शर्मसार कर देने वाली घटना की जानकारी एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय को दे दी. उन्होंने पुलिस कप्तान को यह भी बता दिया कि इस घटना को सुन कर मोहल्ले के लोगों की भीड़ नाले पर आ गई है. भीड़ आक्रोश में है. कोई अप्रिय घटना न घट जाए, इस के लिए पुलिस बल भेजने की उन्होंने बात की.

थोड़ी ही देर में एसएसपी शैलेष कुमार पांडेय भारी पुलिस बल ले कर खुद घटनास्थल पर आ गए. भीड़ की ओर से अभी तक कोई अनुचित कदम नहीं उठाया गया था. हां, लोगों में अभियुक्त सैफ के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा था. परिजनों का रोरो कर बुरा हाल था.

एसएसपी शैलेष कुमार के साथ आई पुलिस फोर्स ने भीड़ को नाले से दूर हटाना शुरू कर दिया. सैफ भारी पुलिस फोर्स के घेरे में था. बच्चे का शव निकाल लेने के बाद एसएसपी शव की बारीकी से जांच करने में जुटे थे. फोरैंसिक टीम भी वहां आ गई थी.

सैफ को उस जगह लाया गया, जहां उस ने बच्चे के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी थी. फोरैंसिक टीम ने वहां से महत्त्वपूर्ण साक्ष्य एकत्र किए. वह स्प्रिंग तार भी वहीं पड़ी मिल गई, जिस से सैफ ने बच्चे का गला घोंटा था. आवश्यक काररवाई निपटा लेने के बाद अरहान का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. सैफ को थाने लाने के बाद एसएसपी शैलेष कुमार के सामने उस से पूछताछ की गई.

पहचानने की वजह से किया अरहान का मर्डर

सैफ ने बताया कि उस की नीयत कई दिनों से अरहान पर थी. वह अरहान को अपने करीब लाने के लिए टौफी, बिसकुट और अन्य चीजें खिलाता रहता था. 9 वर्षीय अरहान नासमझ था, वह रोज अपने ताऊ की दुकान पर चला जाता था. सैफ उसी दुकान पर ही रहता था, वहीं वह अरहान को खिलातापिलाता था.

अरहान उस के ऊपर आंख बंद कर के विश्वास करने लगा तो सैफ ने 8 अप्रैल, 2023 को अपने मालिक से शाम को बहाना बना कर छुट्टी ली और अफजल के घर की तरफ चला गया. उसे मालूम था अरहान शाम को बच्चों के साथ घर के सामने खेलता है. अरहान उसे खेलता मिल गया. उस ने इशारे से अरहान को पास बुलाया और उसे ले कर नाले की तरफ जाने लगा.

अरहान ने उस तरफ जाने का कारण पूछा तो सैफ ने झूठ बता दिया कि उस ने खाने की बहुत सारी चीजें नाले की ओर छिपा कर रखी हैं, वहां हम पार्टी करेंगे. अरहान खुशीखुशी उस के साथ नाले के पास की झाडिय़ों में आ गया.  यहां सैफ ने उसे जबरन नीचे गिरा कर दबोच लिया और जबरन उस के साथ कुकर्म करने लगा. वह अरहान का मुंह बंद किए रहा, ताकि वह चीख न सके. अरहान दर्द से तड़प कर बेहोशी की हालत में आ गया.

कामपिपासा शांत होने के बाद सैफ डर गया कि यदि घर पहुंच कर अरहान ने अपनी अम्मी और अब्बू को यह सब बता दिया तो वे लोग उसे जिंदा दफन कर देंगे. भयभीत हो कर उस ने अरहान का गला साथ लाई स्प्रिंग तार से घोंट दिया, फिर शव को नाले में फेंक कर घर चला गया. उस ने एसएसपी के सामने भी अरहान के साथ कुकर्म करने और उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.

मोहम्मद सैफ द्वारा जुर्म कुबूल करने के बाद कोतवाल ने उस के खिलाफ चार्जशीट बना कर उसे न्यायालय में पेश की. बाद में यह जघन्य हत्या का मामला पोक्सो कोर्ट में चला और मात्र 15 दिन में इसे निपटा कर माननीय जज राम किशोर यादव ने त्वरित न्याय करने की मिसाल कायम कर दी.

इस केस में अभियोजन पक्ष की ओर से पैरवी करने वाली एडवोकेट अलका उपमन्यु की पूरे मथुरा शहर में चर्चा है. सभी उन की तारीफ में कसीदे पढ़ रहे हैं. क्योंकि उन्हीं की वजह से मोहम्मद सैफ को फांसी की सजा मिली.

कोर्ट द्वारा मोहम्मद सैफ को सजा सुनाए जाने के बाद पुलिस ने मुजरिम को कस्टडी में ले लिया. फिर उसे जेल भेज दिया गया.

—कथा इस केस के वकीलों से की गई बातचीत पर आधारित