अगले दृश्य में स्कूल टीचर दिव्या से स्कूल की लड़की कोमल अपने पैरेंट्स की एनिवर्सरी के कारण आज का होमवर्क कल करने की परमीशन मांगती है तो दिव्या परमीशन देते हुए उस की तरफ से विश करने को कहती है. इस पर कोमल दिव्या मैम की आवाज की रिकौर्डिंग कर लेती है.
दिव्या कोमल से गैजेट्स के बारे में जानकारी हासिल करती है, फिर दोनों अपनेअपने आटो से घर चले जाते हैं. इधर कोमल जब रात 8 बजे तक घर नहीं लौटी तो मातापिता पुलिस थाने में कोमल की गुमशुदगी दर्ज कराने पहुंचते हैं.
सबइंसपेक्टर नरिंदर सिंह और अर्जन सेठी कोमल की पतासाजी के लिए दिव्या से पूछताछ करते हैं तो पता चलता है जिस आटोरिक्शा में वह गई थी, उस पर एक विशेष तरह का सिंबल बना हुआ था.
फिर वे शहर के सभी इलाकों में आटो के पीछे बने उस सिंबल की खोज में वे जाते हैं, तभी दिव्या को फोन आता है कि इति को कुछ लड़के परेशान कर रहे हैं. दिव्या अर्जन को बता कर चली जाती है.
दिव्या इति के स्कूल से उसे ले कर बाहर निकलती है तो कुछ लड़के जोर से हंस देते हैं तो इति घबरा जाती है. तभी अर्जन बाइक ले कर वहां पहुंचता है. उसे देख कर लड़के भाग जाते हैं. इति बाइक की सवारी करने का इशारा करती है तो अर्जन दिव्या और इति को बाइक से घर छोड़ता है.
अर्जन के इति के बारे में पूछने पर दिव्या बताती है कि इति उस की बहन की बेटी है, बीमारी की वजह से दीदी की मौत होने पर उस के पापा ने अपने पास रखने से इंकार कर दिया.
स्कूल टीचर आया शक के दायरे में
दिव्या के घर पर इति पेंटिंग्स बनाती है, जिसे देख कर दिव्या को याद आता है कि कोमल जिस आटो से गई थी, उस में वैसा ही सिंबल था और उस पर अंगरेजी में क्र्रष्टश्वक्र लिखा था. वह अर्जन को काल कर के बताना चाहती है, मगर उस का फोन बिजी आ रहा है.
इधर अर्जन हवलदार गुलेरिया (गुरप्रीत घुग्गी) के साथ बाइक से जा रहा है और मोबाइल पर किसी से टिंबर ट्रेल रोड पर लाश मिलने की सूचना देते हुए फोरैंसिक टीम भेजने को कहता है. तभी गुलेरिया की बाइक खराब होने पर वह आटोरिक्शा ले कर घटनास्थल पर पहुंचता है. तभी दिव्या काल कर के बताती है कि कोमल जिस आटो पर स्कूल से निकली थी, उस पर रेड कलर का स्टार बना था, जिस के नीचे अंगरेजी में क्र्रष्टश्वक्र लिखा था.
अर्जन सामने देखता है तो उसे समझ आता है कि वह इसी आटो से आया था. उसे आटो जाता दिखाई देता है तो पीछा कर के उसे पकड़ लेता है. जब अर्जन उसी आटोरिक्शा को रुकने के लिए बोलता है तो वह रुकता नहीं है. जब सामने से कोई वाहन रास्ता रोक लेता है तो आटो चालक रिक्शा छोड़ कर क्यों भागता है, इस सीन में भी कोई लौजिक समझ नहीं आता है.
आटोरिक्शा चालक को टौर्चर करने पर वह बताता है कि पुरुषोत्तम तोमर उस के आटो में आ कर बैठ जाता था और लड़कियों को अपने घर ले जाता था. जब पुलिस आटो चालक को ले कर पुरुषोत्तम तोमर के घर जाती है तो वह घर पर नहीं मिलता. लेकिन उस की फोटो देख कर नरिंदर सिंह बताता है कि यह पायल के स्कूल का मैथ्स टीचर है. उस के घर कोमल का बैग और बाहर वही डौल वाला बौक्स भी मिलता है. पुलिस समझती है कि कातिल यही स्कूल टीचर है.
अगले सीन में टीचर तोमर पायल को कम माक्र्स लाने पर टौर्चर कर के उस का यौनशोषण कर रहा होता है, तभी अर्जन और नरिंदर सिंह फोर्स ले कर पहुंचते हैं. पुलिस पायल और टीचर को बंद कमरे में देख कर तोमर की धुलाई करती है.
पुलिस की पिटाई से घायल तोमर हौस्पिटल में पुलिस को बताता है कि वह उस दिन कोमल के साथ आटो में गया था और बुक देने के बहाने कोमल को घर ले गया था. तोमर उसे पानी लाने के लिए अंदर जाता है और पानी में कोई दवा मिलाता है, जिसे कोमल देख लेती है. तभी वह बाहर से दरवाजा बंद कर भाग निकलती है. दूसरे दरवाजे से जब तक वह बाहर आता है, कोमल वहां से भाग जाती है.
तोमर की इस सच्चाई पर अर्जन और नरिंदर सिंह को यकीन नहीं होता और वे उसे हौस्पिटल में चांटा मार देते हैं. बाद में डाक्टर उन्हें रोक कर बाहर करता है. इधर डीएसपी को एसएचओ गुडिय़ा परमार केस सौल्व होने का श्रेय इंसपेक्टर मचान को देती है तो अर्जन को गुस्सा आता है. तभी उस का जीजा नरिंदर पायल के बर्थडे को सेलिब्रेट करने को कहता है.
अर्जन अपने जीजा नरिंदर को कार में रखा टेडी बियर दिखाता है और दोनों पायल के बर्थडे सेलिब्रेशन में जाते हैं, वहां अर्जन को दिव्या भी मिल जाती है. दिव्या अर्जन से उस की पसंद नापसंद पूछती है और फिर ताना मार कर कहती है कि तुम्हें तो बाबाजी के आश्रम में होना चाहिए. इतना कह कर वह वहां से जाने लगती है. तभी पायल के कहने पर अर्जन गाना गाता है तो दिव्या भी रुक जाती है.
आधी से अधिक फिल्म निकल जाने के बाद अर्जन और दिव्या के रोमांटिक सीन के साथ ‘ओ साथिया…’ गाना दर्शकों को सुकून देता है. पूरी फिल्म में केवल एक यही गाना है, दर्शक जिस के भरोसे हैं.
दिव्या और अर्जन की मुलाकातों में एकदो गाने और भी जुड़ जाते तो शायद फिल्म दर्शकों को बांधे रखती. फिल्म में रोमांस और फैमिली ड्रामा वाले जो दृश्य डाल दिए गए हैं. वह बिलकुल फिट नहीं लगते. निर्माता यदि ओटीटी के लिए फिल्म बना रहे हैं तो इस तरह के कामर्शियल फिल्मों के फार्मूलों से परहेज ही करना चाहिए था. गाना खत्म होने पर अर्जन को फोन आता है और वह जल्द आने की कहता हुआ वहां से चला जाता है.

उधर हौस्पिटल में सेकेंड फ्लोर पर एडमिट पुरुषोत्तम तोमर ड्यूटी पर तैनात कांस्टेबल को अगवा कर लेता है. एसएचओ परमार उसे समझाने की कोशिश में आगे बढती है तो वह उस की पिस्टल छीन कर उस की कनपटी पर लगा कर पीछे की तरफ बढ़ता है, तभी अर्जन कुछ सोच कर नीचे की तरफ भागता है.
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तोमर पिस्टल की नोक पर परमार को ले कर लिफ्ट में घुस जाता है. लिफ्ट बंद होते ही पुलिस फोर्स नीचे की तरफ भागती है. नीचे लिफ्ट का दरवाजा खुलता है तो तोमर लिफ्ट में लुढ़क जाता है. बदहवास सी परमार पहले निकलती है. उस के बाद चेहरे पर खून के निशान लिए अर्जन बाहर आता है, जाहिर है अर्जन ने किसी तरह पहले से ही लिफ्ट में आ कर तोमर पर गोली चला कर परमार को बचा लिया.
लिफ्ट बंद होते ही गोली चलने की आवाज आती है. दर्शकों को समझ ही नहीं आता गोली किस ने चलाई.





