इरफान की पत्नी को पता नहीं था कि पति के किसी दूसरी औरत से भी संबंध हैं. पत्नी के इसी विश्वास का इरफान फायदा उठा रहा था. यही नहीं, अब वह नूर फातिमा से निकाह करने की भी सोचने लगा था. उस ने इस बारे में उस से बात की तो वह भी तैयार हो गई. रही बात नबी मोहम्मद की तो उस ने भी सहमति जता दी.
इस के बाद इरफान ने नबी मोहम्मद की मौजूदगी में नूर फातिमा से निकाह कर लिया. यह एक साल पहले की बात है. नूर फातिमा ने इरफान से निकाह जरूर कर लिया था, लेकिन रहती वह नबी मोहम्मद के साथ ही थी. इरफान 1-2 दिन के अंतर पर फातिमा के पास आता रहता था. इस तरह इरफान की 2 नावों की सवारी चलती रही.
चूंकि इरफान का कपड़ों की सेल का काम अच्छा चल रहा था, इसलिए उस ने मारुति कार नबी मोहम्मद को दे दी और अपने लिए सेंट्रो कार खरीद ली. दोनों ही अलगअलग जगहों पर सेल लगाने लगे. कपड़ों की सेल से जो पैसे आते थे, नबी उन्हें इरफान को दे देता था. बदले में इरफान उसे उस की मजदूरी दे देता था.
धीरेधीरे नबी मोहम्मद का स्वभाव बदलने लगा. वह चिड़चिड़ा हो गया. इरफान उस के यहां आता तो वह शराब के नशे में उसे गालियां देता और मारपीट करने पर उतारू हो जाता. इस के अलावा वह इरफान से पैसे ऐंठता. इरफान उस के मुताबिक पैसे देने में आनाकानी करता तो वह उस की पत्नी शहनाज के सामने उस की पोल खोलने की धमकी देता. मजबूरी में इरफान को उस के द्वारा मांगे गए पैसे देने के लिए मजबूर होना पड़ता.
इरफान की इसी कमजोरी का नबी मोहम्मद फायदा उठा रहा था. आए दिन की इस ब्लैकमेलिंग से इरफान परेशान रहने लगा था. उस ने नबी को कई बार समझाया भी, लेकिन उस ने उस की बात पर ध्यान नहीं दिया. इरफान को डर लगा रहता था कि कहीं नबी मोहम्मद शहनाज को फातिमा के बारे में बता न दे. यही वजह थी कि वह इस डर को हमेशा के लिए खत्म करना चाहता था.
इस के 2 ही रास्ते थे. पहला यह कि वह हमेशा के लिए फातिमा से संबंध खत्म कर ले और दूसरा यह कि नबी मोहम्मद का मुंह हमेशा के लिए बंद कर दे. नबी मोहम्मद को पैसे देने के बाद भी उसे इस बात का विश्वास नहीं था कि वह अपना मुंह बंद रखेगा. इस के लिए उस के दिमाग में एक ही आइडिया आया कि वह नबी मोहम्मद को ठिकाने लगा दे. ऐसा करने से उस की परेशानी हमेशा के लिए खत्म हो जाएगी.
नबी मोहम्मद को ठिकाने लगाने वाली बात उस ने नूर फातिमा को भी नहीं बताई. इस काम को वह अकेला अंजाम नहीं दे सकता था, इसलिए उस ने अपने साथ काम करने वाले राकेश और सूरज हाशमी से बात की. राकेश मूलरूप से उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले के नगला भवानी गांव का रहने वाला था और दिल्ली में कच्ची कालोनी, मदनपुर खादर में रहता था. जबकि सूरज हाशमी उत्तर प्रदेश के जौनपुर जिले के शुक्लागंज का रहने वाला था. वह भी दिल्ली में रह कर इरफान के साथ कपड़ों की सेल लगाता था.
इरफान ने दोनों साथियों के साथ नबी मोहम्मद को ठिकाने लगाने की योजना बना डाली. योजनानुसार इरफान ने 9 दिसंबर की शाम को नबी मोहम्मद को फोन कर के दिल्ली में जैतपुर के पुश्ते पर बुलाया. नबी मोहम्मद शराब के नशे में था. नबी मोहम्मद इस से पहले भी इरफान के बताए गए पते पर पहुंचता रहता था. इसलिए फोन आने पर 9 दिसंबर की रात करीब साढे़ 9 बजे मारुति कार नंबर डीएल 2सी आर 5093 से नोएडा से वह दिल्ली के लिए चल पड़ा.
उधर इरफान भी राकेश और सूरज हाशमी को अपनी सेंट्रो कार नंबर एचआर 26पी 6738 में बिठा कर जैतपुर पुश्ता की तरफ चल पड़ा. श्रीराम चौक से निकलने के बाद यमुना खादर में उन्होंने कार एक किनारे खड़ी कर दी और नबी मोहम्मद का इंतजार करने लगे. नबी मोहम्मद की गाड़ी दिखते ही इरफान ने उसे रुकवा लिया. फिर वे उसे यमुना खादर की तरफ ले गए. नबी मोहम्मद कुछ समझ पाता, तीनों ने उस की पिटाई करनी शुरू कर दी.
नबी मोहम्मद ने खुद को बचाने की बहुत कोशिश की, लेकिन 3 लोगों के बीच वह अकेला निहत्था क्या कर सकता था. तीनों उसे पीटते हुए झाडि़यों में ले गए. पिटतेपिटते नबी लगभग अधमरा हो गया तो उसे जमीन पर गिरा कर वहीं पड़ी ईंट से उस के सिर और चेहरे को कुचलने लगे. थोड़ी देर में नबी मोहम्मद की मौत हो गई. वह जिंदा न रह जाए, इस के लिए इरफान ने साथ लाए छुरे से उस का गला भी काट दिया.
इरफान ने नबी मोहम्मद का मोबाइल फोन निकाल लिया. काम हो जाने के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए. लाश खादर में पड़ी थी, इसलिए जंगली जानवरों ने उस की गरदन और चेहरे का मांस खा लिया. अगले दिन इरफान मारुति कार से कुलेसरा नूर फातिमा के पास गया और उस ने नबी मोहम्मद का मोबाइल फोन उसे देते हुए कहा कि वह किसी काम से 2-3 दिनों के लिए बाहर गया है. मारुति कार फातिमा के यहां खड़ी कर के वह दिल्ली वापस आ गया.
पुलिस ने 11 दिसंबर की रात को ही इरफान के साथियों राकेश और सूरज हाशमी को भी गिरफ्तार कर लिया. इन की निशानदेही पर पुलिस ने मारुति कार और सेंट्रो कार के अलावा मृतक और उन के मोबाइल फोन, छुरा आदि बरामद कर लिए. इस के बाद सभी को साकेत कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. मामले की विवेचना इंसपेक्टर रविंद्र कुमार तोमर कर रहे हैं.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों और जनचर्चा पर आधारित