पति के साथ घरगृहस्थी चलने के उस ने मन में जो सपने संजोए थे, वह पारिवारिक तनाव की वजह से धूमिल होते दिख रहे थे. पति उस पर हाथ भी उठाने लगा था. निर्मला की बहन नन्हीं देवी का आरोप है कि मेहरूलाल निर्मला को दहेज के लिए प्रताडि़त करता था. 24 अगस्त, 2002 को भी इस ने निर्मला को इतनी बेरहमी से पीटा था कि उसे दिल्ली के लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल में भरती होना पड़ा था.
उस वक्त निर्मला गर्भवती थी. इस के बावजूद भी पिटाई करते समय पति का दिल नहीं पसीजा था. उस की हालत को देखते हुए डाक्टर ने उसे गर्भ गिराने और डेढ़ महीना पूरी तरह आराम करने की सलाह दी थी. अस्पताल में इलाज कराने के बाद निर्मला मायके चली गई. बाद में अपनी ड्यूटी पर जाने लगी.
ठीक होने के बाद निर्मला पति के साथ नहीं रहना चाहती थी लेकिन घरगृहस्थी न बिगड़े यही सोच कर घरवालों ने निर्मला को समझाबुझा कर पति के साथ भेज दिया लेकिन मेहरूलाल के रवैये में कोई बदलाव नहीं आया. नन्ही के अनुसार निर्मला के ससुराल वाले पैसों के लिए उसे फिर तंग करने लगे. 5 दिसंबर, 2003 को मेहरूलाल ने निर्मला को 2 लाख रुपए के लिए फिर पीटा. मजबूरी में उसे पति को 2 लाख रुपए देने पड़े थे.
मेहरूलाल जानता ही था कि निर्मला मोटी तनख्वाह पाती है. उस के मन में लालच भरा था. उस ने 50 हजार रुपए के लिए उस की 23 मार्च, 2004 को फिर पिटाई की. निर्मला को लगा कि पति सुधरने वाला नहीं है इसलिए इस के बाद उस ने पति से दूरी बना ली. वह फिर ससुराल नहीं गई. बेटे को उस ने अपने साथ लाने की कोशिश की लेकिन पति ने बेटा उसे नहीं दिया. हालांकि इस बात को ले कर गांव में कई बार पंचायतें भी हुईं लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला.
निर्मला ने सन 2005 में पति और अन्य ससुरालजनों के खिलाफ दिल्ली के नरेला थाने में भादंवि की धारा 406, 498ए के तहत रिपोर्ट दर्ज करा दी. इस केस में मेहरूरलाल सहित 3 लोगों को जेल जाना पड़ा था. लेकिन एक महीने बाद ही वे जमानत पर बाहर आ गए.
अपना केस लड़ने के लिए निर्मला को एक वकील की जरूरत महसूस हुई तो एक जानकार ने सोनीपत के ही रहने वाले एडवोकेट विश्वबंधु से उस की मुलाकात कराई. विश्वबंधु सोनीपत और दिल्ली की तीसहजारी कोर्ट में प्रैक्टिस करता था. विश्वबंधु के मार्फत ही निर्मला ने दिल्ली के रोहिणी कोर्ट में पति से तलाक लेने और बेटे को पति से उस की कस्टडी में दिलाने की एक अरजी दी.
केस न्यायालय में चलता रहा. कोर्ट ने और्डर दिया कि मेहरूलाल हर महीने के दूसरे इतवार को बेटे को उस की मां निर्मला से मिलवाएगा. कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए मेहरूलाल बेटे को निर्मला से मिलवाता रहा. जब भी तारीख पड़ती निर्मला वकील विश्वबंधु के साथ कोर्ट जाती थी.
पति से दूर रह कर निर्मला एकाकी जीवन बिता रही थी. कोर्ट में तारीख पर आतेजाते उस का झुकाव वकील विश्वबंधु की तरफ हो गया. फिर उन की आपस में दोस्ती हो गई. वह निर्मला के कमरे पर भी आने लगा. दोनों साथसाथ घूमतेफिरते थे. इसी बीच दोनों एकदूसरे के इतने नजदीक पहुंच गए कि उन के बीच अवैध संबंध कायम हो गए.
विश्वबंधु से हुई नजदीकी से निर्मला को एक सहारा मिल गया था. वह अपनी बाकी जिंदगी उसी के साथ गुजारने के सपने देखने लगी. वकील साहब का भी जब मन होता उस के कमरे पर मिलने के लिए पहुंच जाते थे. पिछले 7 सालों से उन के बीच इसी तरह के संबंध चलते रहे. बताया जाता है कि विश्वबंधु ने उस के साथ शादी करने का आश्वासन दिया था. निर्मला इसी भरोसे पर उसे अपना सब कुछ सौंपती रही.
विश्वबंधु के साथ शादी करने के हसीन सपने निर्मला ने अपने मन में सजा रखे थे. लेकिन पिछले साल नवंबर में निर्मला को जब पता लगा कि विश्वबंधु ने किसी और लड़की से शादी कर ली है, तो उसे बहुत बुरा लगा. उस ने विश्वबंधु से अपनी नाराजगी जाहिर की तब उस ने निर्मला को किसी तरह समझाबुझा दिया था.
निर्मला उस से शादी करने की जिद पर अड़ी थी, पर विश्वबंधु शादीशुदा था इसलिए वह उस से शादी नहीं करना चाहता था. उन दोनों के बीच इसी बात को ले कर तनाव बढ़ गया.
विश्वबंधु के सामने एक ही रास्ता था कि वह निर्मला से दूरी बना ले. यही सोच कर उस ने उस के पास आनाजाना भी कम कर दिया. तब निर्मला ने उसे धमकी दी थी कि यदि वह पहले की तरह ही उस के पास नहीं आएगा और शादी नहीं करेगा तो वह उस के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करा देगी. विश्वबंधु मुकदमेबाजी के चक्कर में नहीं पड़ना चाहता था इसलिए मजबूरी में उस के पास आनेजाने लगा.
जब भी वह उस के पास आता निर्मला शादी का दबाव बनाती. इस तनाव से विश्वबंधु बहुत परेशान हो गया. समस्या से निजात पाने के लिए उस ने एक खौफनाक योजना बना ली. योजना के अनुसार उस ने 17 सितंबर, 2014 को निर्मला को फोन किया कि वह रात को उस के कमरे पर आएगा.
निर्धारित समय पर विश्वबंधु लोकनायक जयप्रकाश नारायण अस्पताल परिसर में स्थित निर्मला के फ्लैट नंबर 108 पर पहुंच गया. वे कई दिनों बाद मिले थे इसलिए उन्होंने पहले मौजमस्ती की. इस के बाद निर्मला कुरती और पेंटी पहने ही नहाने के लिए बाथरूम में गई. विश्वबंधु को मौके का इंतजार था. निर्मला के बाथरूम में घुसते ही उस ने उस का सिर दीवार पर दे मारा.
प्रेमी की इस हरकत पर निर्मला भी चौंक गई लेकिन वह उस समय अपना बचाव भी नहीं कर सकी. दीवार में सिर लगते ही उस की आंखों के सामने अंधेरा छा गया, वह नीचे गिर गई. तभी विश्वबंधु ने उस का सिर पानी से भरी बाल्टी में डुबो दिया. उस ने सिर को तब तक दबाए रखा, जब तक उस की मौत न हो गई. इस के बाद उस ने पानी से भरी टब उस के सिर पर रख दी और कमरे का सामान इधरउधर बिखेर दिया ताकि मामला लूट का लगे.
निर्मला को ठिकाने लगाने के बाद विश्वजीत ने राहत की सांस ली. कमरे की लाइट और कूलर चालू हालत में छोड़ कर वह जालीदार और लोहे के दरवाजों की कुंडी लगा कर अपने घर चला गया.
एडवोकेट विश्वबंधु से पूछताछ के बाद पुलिस ने उसे निर्मला देवी (45) की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर तीस हजारी कोर्ट में महानगर दंडाधिकारी डा. जगमिंदर के समक्ष पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया. कथा लिखने तक विश्वबंधु की जमानत नहीं हो सकी थी. मामले की विवेचना इंसपेक्टर अशोक कुमार कर रहे हैं.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. पात्र का नाटकीय रूपांतरण किया गया है.