सिरफिरे का प्यार : बना गले की फांस – भाग 2

राहुल नेहा के प्यार में पागल था. यह देख नेहा ने राहुल को सच बताने की कोशिश की. लेकिन वह नाराज न हो जाए, इसे ले कर वह उलझन में थी. राहुल उस के साथ प्यार भरी बातें कर के भविष्य के ख्वाब बुनता तो वह उस की हां में हां मिलाती रहती थी.

सच्चाई सुन कर चौंक पड़ा राहुल

प्यारभरे लम्हों में एक दिन राहुल ने नेहा से अपने दिल की बात कही, ‘‘नेहा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं.’’

‘‘कितना?’’ नेहा ने उस की आंखों में आंखें डाल कर पूछा तो वह बोला, ‘‘बहुत ज्यादा. तुम अपने घर पर बात करो, मैं हमेशा के लिए तुम्हें अपनी बना लूंगा. आखिर कब तक हम यूं ही मिलते रहेंगे.’’

‘‘मैं जानती हूं राहुल लेकिन…’’

‘‘लेकिन क्या?’’ राहुल ने पूछा.

‘‘मैं तुम्हें एक सच भी बताना चाहती हूं.’’

‘‘ऐसा भी तुम्हारा कौन सा सच है जो मुझे पता नहीं है.’’

‘‘राहुल, प्लीज तुम नाराज नहीं होना.’’

‘‘ऐसी क्या बात है नेहा?’’ कहते हुए राहुल गंभीर हो गया.

‘‘मैं शादीशुदा और एक बच्चे की मां हूं.’’

‘‘क…क…क्या?’’ राहुल को झटका लगा. यह सुन कर वह जमीन पर आ गिरा. कुछ पलों के लिए वह विवेकशून्य हो गया. उसे ऐसी उम्मीद कतई नहीं थी. नेहा ने इस खामोशी को तोड़ा, ‘‘हां, यही सच है राहुल, मैं भी तुम से प्यार करती हूं इसलिए सच बता कर तुम्हें नाराज नहीं करना चाहती थी.’’

सच जान कर राहुल को झटका तो बहुत बड़ा लगा, लेकिन वह नेहा को खोना भी नहीं चाहता था. उस ने बात को वहीं खत्म कर देना बेहतर समझा.

समय अपनी गति से चलता रहा. 3 जून को राहुल का जन्मदिन था. नेहा ने उसे एक होटल में पार्टी दी. राहुल पहले ही होटल पहुंच गया और बाहर खड़े हो कर नेहा के आने का इंतजार करने लगा.

उसे यह देख कर झटका लगा कि नेहा को वहां छोड़ने के लिए एक फौर्च्युनर कार आई थी. कार सवार से वह हंसहंस कर बातें कर रही थी. राहुल ने जन्मदिन तो मनाया लेकिन उस का माथा ठनक गया. पूछने पर नेहा ने बताया कि वह औटो से होटल आई थी.

शक ने बढ़ा दीं दूरियां

राहुल को शक हुआ कि नेहा के संबंध किसी अन्य के साथ भी हैं. इस बात को अभी एक महीना ही बीता था कि राहुल ने एक बार फिर उसे फौर्च्युनर गाड़ी से उतरते देखा. इस के बाद राहुल के दिमाग में यह शक पूरी तरह घर कर गया कि नेहा न केवल उसे, बल्कि अपने पति को भी धोखा दे रही है. उस के शक का इलाज नेहा ही कर सकती थी, लेकिन राहुल के ज्यादा सवालजवाब करने से वह नाराज हो गई. दोनों के बीच इस बात को ले कर खूब झगड़ा हुआ.

फलस्वरूप दोनों के बीच की दूरियां बढ़ गईं और नेहा ने फोन पर भी राहुल को इग्नोर करना शुरू कर दिया. राहुल के सिर पर नेहा के प्यार का जुनून सवार था. राहुल ने उस से शिकायत की, ‘‘क्या बात है, आजकल तुम मुझ से दूरियां बना रही हो?’’

‘‘इस में चौंकने जैसी कोई बात नहीं है राहुल. वजह तो तुम भी जानते हो. शक से रिश्ते नहीं चला करते.’’

‘‘तुम्हारे पास शक का इलाज है, इलाज कर दो.’’

‘‘हर बात का जवाब देना जरूरी नहीं होता.’’ नेहा ने कहा तो इस मुद्दे पर दोनों के बीच एक बार फिर बहस हो गई. नेहा नाराज हो कर अपने घर चली गई.

नेहा को लगने लगा था कि राहुल उस पर जरूरत से ज्यादा ही हक जताने लगा है. इसलिए उस ने राहुल से दूर रहने में ही भलाई समझी. उस ने राहुल से साफ कह दिया कि वह उस के साथ रिश्ता नहीं रखना चाहती. नेहा के बदले हुए रुख से राहुल को अपने सपने टूटते नजर आए. उस ने राहुल की बारबार की कोशिशों के बाद भी उस से मिलना बिलकुल ही छोड़ दिया. राहुल सिर्फ अपने शक का इलाज करना चाहता था, उसे छोड़ना नहीं.

राहुल को जब लगा कि नेहा उस से पीछा छुड़ा रही है तो वह परेशान हो उठा. उस की कुछ समझ नहीं आया. वह पारदर्शी रिश्ता रखना चाहता था. उस ने नेहा को मनाने की बहुत कोशिश की. जब बात नहीं बनी तो उस ने यह बात अपने साथी पुष्कर त्यागी व आयुषि त्यागी को बताई. राहुल ने उन्हें पूरी बात बताते हुए कहा, ‘‘मैं बहुत उलझन में हूं. तुम दोनों को मेरे साथ नेहा के घर चलना होगा.’’

‘‘उस से क्या फायदा? जब वह रिश्ता नहीं रखना चाहती तो तुम्हें भी उस से दूर हो जाना चाहिए.’’

‘‘मैं उसे मनाने की कोशिश करूंगा. नहीं मानी तो उस के पति के सामने पोल खोल दूंगा. फिर शायद पति उसे छोड़ दे और वह मेरी हो जाए.’’ उन दोनों को उस की बात अजीब लगी, लेकिन चूंकि दोनों राहुल के दोस्त थे, इसलिए उन्होंने उस के साथ जाने का वादा कर लिया. 30 जुलाई को वे राहुल के साथ नेहा के घर पहुंच गए.

नेहा के घर वालों को बता दी सच्चाई

राहुल को अचानक अपने घर आया देख नेहा के होश उड़ गए, लेकिन वह उसे भगा भी नहीं सकती थी. उस की मुलाकात नेहा के पति व सास से भी हुई. राहुल ने उन के सामने नेहा से संबंध स्वीकार किए तो सब को झटका लगा. पीछा छुड़ाने के लिए नेहा को कहना पड़ा कि राहुल से उस की दोस्ती रही है लेकिन अब वह जबरन उस के पीछे पड़ा है.

नेहा ने राहुल को चेतावनी भरे लहजे में कहा, ‘‘मेरा घर उजाड़ने की कोशिश मत करो राहुल, तुम सुधर जाओ वरना मैं तुम्हारे खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज करा दूंगा. आइंदा मेरे रास्ते में आने की कोशिश भी मत करना वरना मुझ से बुरा कोई नहीं होगा.’’

बात न बनती देख राहुल ने भी धमकी भरा लहजा अपनाया, ‘‘अभी तो मैं चला जाता हूं, लेकिन ध्यान रखना नेहा मैं भी इतनी आसानी से पीछा छोड़ने वाला नहीं हूं.’’

राहुल वहां से निकल गया. नेहा के लिए राहुल से रिश्ता रखना अब गले की फांस बन चुका था. वह अपने निर्णय पर पछता रही थी. वह उस से पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकिन राहुल किसी भी सूरत में उस से दूर होने के लिए तैयार नहीं था. वह उसे जबरन अपना बनाना चाहता था.

दोस्त के साथ रची तेजाब डालने की साजिश

नेहा ने सोचा था कि वक्त के साथ राहुल उसे भूल जाएगा और पीछा छोड़ देगा, लेकिन यह सिर्फ उस की सोच थी. दूसरी तरफ जब राहुल को इस बात का भरोसा हो गया कि नेहा अब उस की होने वाली नहीं है तो उस ने उसे सबक सिखाने की ठान ली. कई दिनों की दिमागी उथलपुथल के बाद उस ने यह खतरनाक निर्णय ले लिया कि वह तेजाब डाल कर नेहा के चेहरे को हमेशा के लिए बिगाड़ देगा.

राहुल का एक दोस्त था उमंग प्रताप. बीएससी पास उमंग गाजियाबाद के शास्त्रीनगर में रहता था और वह एसएससी परीक्षा की तैयारी कर रहा था. उमंग की एक बार बुरे वक्त में राहुल ने मदद की थी. राहुल ने उसे 5 हजार रुपए उधार दिए थे. राहुल जानता था कि उमंग पर उस का अहसान है, इसलिए वह उस का साथ जरूर देगा.

हुआ भी बिलकुल ऐसा ही. उस ने अपने दोस्त उमंग को पूरी बात बता कर अपना साथ देने के लिए तैयार कर लिया. उमंग ने राहुल को समझाने की कोशिश भी की मगर वह कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था. जल्द ही उस ने उमंग की मदद से एक डिब्बे में तेजाब का इंतजाम कर लिया. यह 11 अगस्त की बात थी.

राहुल ने अगले कुछ दिन नेहा को फोन किए ताकि बात बन जाए लेकिन उस ने उसे जरा भी भाव नहीं दिया तो वह भन्ना गया. वह जानता था कि हर शाम नेहा अपने बच्चे को ट्यूशन छोड़ने जाती है. उस ने नेहा पर 20 अगस्त को तेजाब डालने की योजना बना ली.

वह उमंग के साथ बाइक पर सवार हो कर निकल गया. पहले उस ने शराब पी और फिर पी ब्लौक चौराहे पर जा कर खड़ा हो गया. उमंग प्रताप बाइक चला रहा था, जबकि वह तेजाब का डिब्बा लिए पीछे बैठा था. बाइक का नंबर छिपाने के लिए उन्होंने उस पर सफेद कागज चिपका दिया था. जैसे ही नेहा वहां आई तो राहुल ने उसे रोका और तेजाब डाल दिया.

                                                                                                                                            क्रमशः

तीन साल बाद खुला रहस्य – भाग 1

पिछले साल सन 2016 के सितंबर महीने में अलीगढ़ का एसएसपी राजेश पांडेय को बनाया गया तो चार्ज लेते ही उन्होंने पुलिस अधिकारियों की एक मीटिंग बुला कर सभी थानाप्रभारियों को आदेश दिया कि जितनी भी जांचें अधूरी पड़ी हैं, उन की फाइलें उन के सामने पेश करें. जब सारी फाइलें उन के सामने आईं तो उन में एक फाइल थाना गांधीपार्क में दर्ज प्रीति अपहरण कांड की थी, जिस की जांच अब तक 10 थानाप्रभारी कर चुके थे और यह मामला 12 दिसंबर, 2013 में दर्ज हुआ था.

राजेश पांडेय को यह मामला कुछ रहस्यमय लगा. उन्होंने इस मामले की जांच सीओ अमित कुमार को सौंपते हुए जल्द से जल्द खुलासा करने को कहा. अमित कुमार ने फाइल देखी तो उन्हें काफी आश्चर्य हुआ. क्योंकि इतने थानाप्रभारियों ने मामले की जांच की थी, इस के बावजूद मामले का खुलासा नहीं हो सका था. उन्होंने थानाप्रभारी दिनेश कुमार दुबे को कुछ निर्देश दे कर फाइल सौंप दी.

मामला काफी पुराना और रहस्यमयी था, इसलिए इसे एक चुनौती के रूप में लेते हुए दिनेश कुमार दुबे ने मामले की तह तक पहुंचने के लिए अपनी एक टीम बनाई, जिस में एसएसआई अजीत सिंह, एसआई धर्मवीर सिंह, कांस्टेबल सत्यपाल सिंह, मोहरपाल सिंह और नितिन कुमार को शामिल किया.

फाइल का गंभीरता से अध्ययन करने के बाद उन्होंने मामले की जांच फरीदाबाद से शुरू की, क्योंकि प्रीति को भगाने का जिस युवक जयकुमार पर आरोप था, वह फरीदाबाद का ही रहने वाला था. दिनेश कुमार दुबे फरीदाबाद जा कर उस की मां संध्या से मिले तो उस ने बताया कि जयकुमार उस का एकलौता बेटा था. उस पर जो आरोप लगे हैं, वे झूठे हैं. उस का बेटा ऐसा कतई नहीं कर सकता. उस ने उस की गुमशुदगी भी दर्ज करा रखी थी.

संध्या से पूछताछ के बाद दिनेश कुमार दुबे को मामला कुछ और ही नजर आया. अलीगढ़ लौट कर उन्होंने 13 जनवरी, 2016 को प्रीति के पिता देवेंद्र शर्मा को थाने बुलाया, जिस ने जयकुमार पर बेटी को भगाने का मुकदमा दर्ज कराया था. पुलिस के सामने आने पर वह इस तरह घबराया हुआ था, जैसे उस ने कोई अपराध किया हो. जब सीओ अमित कुमार, एसपी (सिटी) अतुल कुमार श्रीवास्तव ने उस से जयकुमार के बारे में पूछताछ की तो पुलिस अधिकारियों को गुमराह करते हुए वह इधरउधर की बातें करता रहा.

लेकिन यह भी सच है कि आदमी को एक सच छिपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं. ऐसे में ही कोई बात ऐसी मुंह से निकल जाती है कि सच सामने आ जाता है. उसी तरह देवेंद्र के मुंह से भी घबराहट में निकल गया कि कहीं जयकुमार ने घबराहट में ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या तो नहीं कर ली.

देवेंद्र की इस बात ने पुलिस अधिकारियों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया कि इसे कैसे पता चला कि जयकुमार ने ट्रेन के आगे कूद कर आत्महत्या कर ली है. पुलिस ने दिसंबर, 2013 के ट्रेन एक्सीडेंट के रिकौर्ड खंगाले तो पता चला कि थाना सासनी गेट पुलिस को 7 दिसंबर, 2013 को ट्रेन की पटरी पर एक लावारिस लाश मिली थी.

इस के बाद पुलिस अधिकारियों ने देवेंद्र के साथ थोड़ी सख्ती की तो उस ने जयकुमार की हत्या का अपना अपराध स्वीकार कर लिया. इस के बाद उस ने जयकुमार की हत्या की जो कहानी सुनाई, उस की शातिराना कहानी सुन कर पुलिस हैरान रह गई. देवेंद्र ने बताया कि अपनी इज्जत बचाने के लिए उसी ने अपने साले प्रमोद कुमार के साथ मिल कर जयकुमार की हत्या कर दी थी. इस बात की जानकारी उस की बेटी प्रीति को भी थी.

इस के बाद पुलिस ने देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति और उस के साले प्रमोद को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में प्रीति और प्रमोद ने भी अपना अपराध स्वीकार कर लिया था. तीनों की पूछताछ में जयकुमार की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार थी—

उत्तर प्रदेश के जिला अलीगढ़ के थाना गांधीपार्क के नगला माली का रहने वाला देवेंद्र शर्मा रोजीरोटी की तलाश में हरियाणा के फरीदाबाद आ गया था. उसे वहां किसी फैक्ट्री में नौकरी मिल गई तो रहने की व्यवस्था उस ने थाना सारंग की जवाहर कालोनी के रहने वाले गंजू के मकान में कर ली. उन के मकान की पहली मंजिल पर किराए पर कमरा ले कर देवेंद्र शर्मा उसी में परिवार के साथ रहने लगा था. यह सन 2013 के शुरू की बात है.

उन दिनों देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति यही कोई 17-18 साल की थी और वह अलीगढ़ के डीएवी कालेज में 12वीं में पढ़ रही थी. फरीदाबाद में सब कुछ ठीक चल रहा था. देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति जवान हो चुकी थी. मकान मालिक गंजू की पत्नी गुडि़या का ममेरा भाई जयकुमार अकसर उस से मिलने उस के यहां आता रहता था. वह पढ़ाई के साथसाथ एक वकील के यहां मुंशी भी था. इस की वजह यह थी कि उस के पिता शंकरलाल की मौत हो चुकी थी, जिस से घरपरिवार की जिम्मेदारी उसी पर आ गई थी. वह अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा भी रहा था.

जयकुमार अपनी मां संध्या के साथ जवाहर कालोनी में ही रहता था. फुफेरी बहन गुडि़या के घर आनेजाने में जयकुमार की नजर देवेंद्र शर्मा की बेटी प्रीति पर पड़ी तो वह उस के मन को ऐसी भायी कि उस से प्यार करने के लिए उस का दिल मचल उठा. अब वह जब भी बहन के घर आता, प्रीति को ही उस की नजरें ढूंढती रहतीं.

एक बार जयकुमार बहन के घर आया तो संयोग से उस दिन प्रीति गुडि़या के पास ही बैठी थी. जयकुमार उस दिन कुछ इस तरह बातें करने लगा कि प्रीति को उस में मजा आने लगा. उस की बातों से वह कुछ इस तरह प्रभावित हुई कि उस ने उस का मोबाइल नंबर ले लिया.

जयकुमार देखने में ठीकठाक तो था ही, अपनी मीठीमीठी बातों से किसी को भी आकर्षित कर सकता था. उस की बातों से ही आकर्षित हो कर प्रीति ने उस का मोबाइल नंबर लिया था. इस के बाद दोनों की बातचीत मोबाइल फोन से शुरू हुई तो जल्दी उन में प्यार हो गया. फिर खतरों की परवाह किए बिना दोनों प्यार की राह पर बेखौफ चल पड़े. दोनों घर वालों की चोरीछिपे जब भी मिलते, घंटों भविष्य के सपने बुनते रहते.

जल्दी ही प्रीति और जयकुमार प्यार की राह पर इतना आगे निकल गए कि उन्हें जुदाई का डर सताने लगा था. उन के एक होने में दिक्कत उन की जाति थी. दोनों की ही जाति अलगअलग थी. उन की आगे की राह कांटों भरी है, यह जानते हुए भी दोनों उसी राह पर आगे बढ़ते रहे.

देवेंद्र गृहस्थी की गाड़ी खींचने में व्यस्त था तो बेटी आशिकी में. लेकिन कहीं से प्रीति की मां रीना को बेटी की आशिकी की भनक लग गई. उन्होंने बेटी को डांटाफटकारा, साथ ही प्यार से समझाया भी कि जमाना बड़ा खराब है, इसलिए बाहरी लड़के से बातचीत करना अच्छी बात नहीं है. अगर किसी ने देख लिया तो बिना मतलब की बदनामी होगी.

                                                                                                                                   क्रमशः

सिरफिरे का प्यार : बना गले की फांस – भाग 1

सड़क पर पड़ी वह खूबसूरत महिला दर्द से बुरी तरह छटपटाते हुए बिलखबिलख कर चीख रही थी. उस के शरीर से गंधनुमा धुआं सा निकल रहा था. तड़पते हुए वह खुद को अस्पताल ले जाने की गुहार लगा रही थी. उस की सफेद रंग की स्कूटी वहीं बराबर में खड़ी थी. उस के चेहरे पर असीम दर्द था. मौके पर लोगों की भीड़ तो एकत्र थी लेकिन बदले जमाने की फितरत के हिसाब से कोई भी उस की मदद के लिए आगे नहीं आ रहा था.

लोग तमाशबीन बने खड़े थे. तभी एक महिला भीड़ को चीरते हुए आगे आई और लोगों को देख कर बोली, ‘‘अरे, एसिड अटैक हुआ है इस बेचारी पर. शर्म आनी चाहिए तुम सब को, एक औरत तड़प रही है और तुम सब तमाशा देख रहे हो. तुम्हारी बहनबेटी होती तब भी ऐसे ही तमाशा देखते क्या?’’

‘‘हम तो यहां अभी पहुंचे हैं, पुलिस को फोन भी कर दिया है. शायद आने वाली ही होगी.’’ भीड़ में से एक व्यक्ति ने कहा तो महिला बोली, ‘‘किसी की मदद के लिए पुलिस का इंतजार करना जरूरी है क्या? मैं अस्पताल ले जाती हूं इसे.’’ कहते हुए महिला आगे बढ़ी तो अन्य लोग भी साथ देने को तैयार हो गए. इत्तफाक से तभी पुलिस वहां आ पहुंची.

दरअसल, महिला पर एसिड अटैक की यह सनसनीखेज वारदात देश की राजधानी दिल्ली से सटे गाजियाबाद शहर के थाना कविनगर क्षेत्र स्थित संजयनगर के सैक्टर-23 के पी ब्लौक चौराहे पर हुई थी. प्रत्यक्षदर्शियों ने जो कुछ पुलिस को बताया, उस के मुताबिक करीब साढ़े 5 बजे वह महिला स्कूटी से जा रही थी. तभी बाइक पर सवार 2 लोग आए. उन्होंने उसे रोका और पलक झपकते ही साथ लाए डिब्बे से तेजाब उस के ऊपर उड़ेल दिया. जब तक लोग कुछ समझ पाते, तब तक हमलावर वहां से भाग निकले.

यह घटना 21 अगस्त, 2018 की थी. इस घटना की सूचना मिलने पर पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया, जिस के बाद थानाप्रभारी प्रदीप कुमार त्रिपाठी व सीओ आतिश कुमार सिंह घटनास्थल पर पहुंच गए. आननफानन में महिला को अस्पताल ले जाया गया. डाक्टरों ने तुरंत उस का उपचार शुरू कर दिया. महिला का चेहरा, हाथ, पैर, पेट व कमर का हिस्सा झुलस गया था. उस की हालत गंभीर थी, लिहाजा उसे दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल के लिए रैफर कर दिया गया. पुलिस अधिकारी भी अस्पताल पहुंचे.

महिला बहुत ज्यादा बात करने की स्थिति में तो नहीं थी, फिर भी औपचारिक पूछताछ में उस ने हमले में शामिल एक युवक का नाम पुलिस को बता दिया. उस के मुताबिक उस ने साथियों के साथ मिल कर उस पर तेजाब से हमला किया था. जब वह अपने बेटे को स्कूटी से ट्यूशन की क्लास में छोड़ कर वापस घर जा रही थी, तभी उस युवक ने अपने साथियों के साथ उस पर एसिड फेंका.

पीडि़ता के पति की तहरीर के आधार पर पुलिस ने राहुल नामक युवक को नामजद करते हुए उस के और उस के साथियों के खिलाफ भादंवि की धारा 326ए व 120बी के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर लिया. एसएसपी वैभव कृष्ण ने अपने अधीनस्थों को इस मामले में तत्काल काररवाई के निर्देश दिए.

सरेआम हुई इस वारदात की गूंज प्रदेश की सत्ता के शिखर लखनऊ तक भी पहुंची. मामला गंभीर था, लिहाजा मेरठ जोन के एडीजी प्रशांत कुमार भी अस्पताल पहुंचे और पीडि़ता का हाल जाना. एडीजी ने एसएसपी को निर्देश दिए कि आरोपियों की तत्काल गिरफ्तारी हो. उन्हें किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जाना चाहिए.

पुलिस मामले की तहकीकात में जुट गई. पुलिस के सामने सब से बड़ा सवाल यही था कि महिला पर तेजाबी हमला क्यों किया गया? पीडि़ता चूंकि युवक को जानती थी तो यह बात साफ थी कि हमलावर का मकसद उस का चेहरा बिगाड़ना था. मामला प्रेम प्रसंग का लग रहा था.

इस बात को बल तब मिला जब महिला के पति ने भी पुलिस को बताया कि राहुल उस की पत्नी के साथ जबरन रिश्ता रखना चाहता था. वह उस पर साथ रहने का दबाव बनाता था. साथ ही उस ने धमकी भी दी थी कि अगर वह उस के साथ नहीं रहेगी तो वह उसे किसी के साथ रहने लायक नहीं छोड़ेगा.

पुलिस ने टीम बना कर मुख्य आरोपी की तलाश शुरू कर दी. घटनास्थल वाले रास्ते के सीसीटीवी फुटेज भी देखे गए, जिस में 2 युवक बाइक से जाते हुए दिख रहे थे लेकिन बाइक का नंबर या उन के चेहरे नहीं दिख रहे थे. बाइक सवारों में से एक ने हेलमेट लगाया था, जबकि दूसरे ने चेहरे पर गमछा बांधा हुआ था.

पुलिस ने महिला के मोबाइल से राहुल का मोबाइल नंबर हासिल कर लिया, जिस से नामपता मिलने के साथ ही उस की लोकेशन भी मिलनी शुरू हो गई. पुलिस ने उस की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछा दिया. अगले दिन पुलिस ने राहुल को गाजियाबाद स्थित हापुड़ चुंगी से गिरफ्तार कर लिया. उस के साथ एक अन्य युवक भी था. पूछताछ में उस ने अपना नाम उमंग प्रताप बताया. वह भी राहुल के साथ घटना में शामिल था. पुलिस दोनों को थाने ले आई. पुलिस ने विस्तार से पूछताछ की तो दोस्ती, प्यार व नफरत में डूबी चौंकाने वाली कहानी सामने आई.

फेसबुक पर हुई दोस्ती

नेहा (परिवर्तित नाम) संजयनगर की रहने वाली थी. वह पेशे से डायटीशिन थी, जबकि उस के पति का कोचिंग सेंटर था. नेहा खूबसूरत भी थी और आधुनिक भी. वह सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक का इस्तेमाल करती थी. करीब 8 महीने पहले एक दिन उस के पास राहुल गर्ग नाम के एक युवक की फ्रैंड रिक्वेस्ट आई. राहुल गाजियाबाद के ही राजनगर का रहने वाला था. बीए पास राहुल के पिता की हार्डवेयर की दुकान थी. वह भी व्यवसाय में पिता का हाथ बंटाता था.

राहुल अच्छी कदकाठी का आकर्षक नौजवान था. नेहा ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल निकला. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई और उन्होंने एकदूसरे का नंबर ले लिया. बातों का दायरा बढ़ा तो बातों के साथसाथ मुलाकातें भी शुरू हो गईं.

चंद दिनों की मुलाकातों में दोनों के बीच प्यार हो गया. नेहा शादीशुदा थी, लेकिन उस ने यह बात राहुल से छिपा ली थी. वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा, तो राहुल उस के साथ अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगा. राहुल उसे दिल से चाहता है, नेहा यह बात बखूबी जानती थी. यही वजह थी कि वह उस की एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी.

सामाजिक लिहाज से शादीशुदा हो कर भी किसी युवक के साथ इस तरह का रिश्ता रखना यूं तो गलत था, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में बह कर नेहा भी दिल के हाथों मजबूर हो गई थी. पतन की डगर कभी अच्छी नहीं होती. शुरुआत में भले ही किसी को अंदाजा न हो, लेकिन एक दिन ऐसे रिश्तों की कीमत चुकानी पड़ती है.

                                                                                                                                           क्रमशः

अनीता की अनीति : मतलबी प्यार

प्यार के लिए अपहरण

परी का प्यार हुआ जानलेवा

शादी की जिद में पति मिला न प्रेमी – भाग 3

शादी नहीं, मौजमस्ती ही चाहता था गिरिजा शंकर

कहते हैं कि इश्क और मुश्क छिपाए नहीं छिपते, दोनों के प्रेम प्रसंग की स्टोरी की जानकारी घर वालों को हो गई. धनराज ने सोचा कि समाज में उस की बदनामी हो, इस के पहले बेटी के हाथ पीले कर देना चाहिए. यही सोच कर पूर्णिमा की शादी गांव सारद सिवनी में अशोक नाम के लडक़े से तय कर दी. 22 अप्रैल, 2023 को पूर्णिमा की शादी होने वाली थी, किंतु वह प्रेम संबंध के चलते अपनी भाभी के भाई गिरिजा शंकर पर शादी करने का दबाव बना रही थी.

उस ने गिरिजा शंकर से साफतौर पर कह दिया था कि वह शादी करेगी तो सिर्फ उसी से. और गिरिजा शंकर पूर्णिमा से शादी करने का इच्छुक नहीं था, क्योंकि उसे अपनी बहन का घर उजडऩे का डर था. गिरिजा शंकर जानता था कि समाज के कानूनकायदे पूर्णिमा से विवाह की इजाजत नहीं देंगे. गिरिजा शंकर की बहन शारदा को उस के पूर्णिमा के साथ संबंधों की जानकारी थी. उस ने भी भाई से कहा था, “भैया कोई ऐसा कदम न उठाना कि मेरा घर उजड़ जाए.”

इधर पूर्णिमा गिरिजा शंकर पर शादी का दबाव बना रही थी. उस का कहना था कि 22 तारीख के पहले हम लोग भाग कर शादी कर लेते हैं. गिरिजा शंकर के सामने एक तरफ कुआं तो दूसरी तरफ खाई थी. वह कोई निर्णय नहीं ले पा रहा था. आखिर में उसे अपनी बहन के सुखी दांपत्य जीवन का खयाल आया और उस ने पूर्णिमा को अपने रास्ते से हटाने की योजना बनाई.

पूर्णिमा लगातार गिरिजा शंकर पर जल्द शादी करने का दबाव बना रही थी. ऐसे में योजना के मुताबिक 5 अप्रैल को गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को फोन कर के कहा, “आज कहीं घूमने चलते हैं, वहां मिल कर शादी करने का प्लान बनाते हैं.”

“लग्न होने की वजह से घर वाले अब बाहर घूमने से मना करते हैं.” पूर्णिमा ने जवाब दिया.

“सिलाई क्लास का बहाना बना कर आ जाओ, मैं बाइक ले कर गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास मिलता हूं.” गिरिजा शंकर ने राह सुझाते हुए कहा.

“ओके, तुम गांव आ कर फोन करना, मैं मम्मी को मनाती हूं.” पूर्णिमा ने कह कर फोन काट दिया.

गिरिजा शंकर ने प्यार में किया विश्वासघात

दोपहर करीब एक बजे गिरिजा शंकर लिम्देवाड़ा गांव पहुंच गया और पूर्णिमा को फोन कर के बुला लिया. पूर्णिमा ने मां से सिलाई सीखने का बहाना किया और सिर और मुंह को दुपट्ïटे से ढंक कर गांव के बाहर पीपल के पेड़ के पास पहुंच गई. गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को बाइक पर बिठाया और गांव से निकल पड़ा.

रास्ते में प्यारमोहब्बत की बातें करते हुए वे गांगुलपरा और बंजारी गांव के बीच पडऩे वाले जंगल की पहाड़ी पर पहुंच गए. वहां पहुंच कर जब पूर्णिमा ने गिरिजा शंकर से शादी करने की बात कही तो गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा को अपने आगोश में लेते हुए भरोसा दिलाया कि वह 22 अप्रैल के पहले उस से शादी कर लेगा. पूर्णिमा ने उस की बातों पर भरोसा कर लिया. उस के बाद उन्होंने 2 बार शारीरिक संबंध बनाए.

संबंध बनाने के बाद वे पेड़ की छांव में एक चट्ïटान पर बैठ कर आराम कर रहे थे, तभी गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा के गले में पड़े दुपट्ïटे से उस की गला घोंट कर हत्या कर दी. इस के पहले पूर्णिमा कुछ समझ पाती, पलभर में ही उस की जुबान बाहर निकल आई और उस की मौत हो गई.

प्रेमिका का मर्डर करने के बाद कातिल प्रेमी गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा का मोबाइल तोड़ कर दुपट्ïटे के साथ वहीं फेंक दिया. पूर्णिमा के शरीर के ऊपर सूखे पत्ते का ढेर लगा कर गिरिजा शंकर वहां से बाइक ले कर वापस किरनापुर आ गया. जब पूर्णिमा शाम तक घर नहीं लौटी तो गिरिजा शंकर की बहन शारदा ने मोबाइल पर उस से पूर्णिमा के संबंध में पूछताछ की तो उस ने साफ मना करते हुए कह दिया कि उसे पूर्णिमा के संबंध में कोई जानकारी नहीं है.

मगर पुलिस की पैनी नजर से वह ज्यादा दिनों तक नहीं बच सका और पूर्णिमा के कत्ल का जुर्म कुबूल कर लिया. आज भी समाज के ज्यादातर तबकों में यही परंपरा है कि जिस घर में लड़कियों को ब्याहा जाता है, उस घर की लडक़ी को अपने घर की बहू नहीं बनाते हैं. लेकिन कहते हैं कि इश्क और जंग में सब जायज है.

पूर्णिमा भी समाज के नियमों के विपरीत अपने भाई के साले को दिल दे बैठी और उस के साथ घर बसाने का सपना देख रही थी. गिरिजा शंकर तो केवल पूर्णिमा के शरीर का सुख भोग रहा था, उस के साथ शादी करने को वह कतई तैयार नहीं था.

पुलिस ने गिरिजा शंकर की निशानदेही पर पूर्णिमा की हत्या में प्रयुक्त बाइक और उस का मोबाइल भी घटनास्थल से बरामद किया और 17 अप्रैल को रिमांड की अवधि खत्म होने पर गिरिजा शंकर को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे बालाघाट जेल भेज दिया गया.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

प्यार, पैसा, धोखा और मौत

रीवा जिले में मनगांव थाने की पुलिस ने एक युवक की पेड़ से लटकी लाश को फंदे से नीचे उतार लिया था. उस के कपड़ों की तलाशी ली गई तो उस के पास से मोबाइल फोन और आधार कार्ड मिला. आधार कार्ड से उस की पहचान कैलाश यादव के रूप में हुई. वह खुरहा, रघुराजगढ़ गांव का रहने वाला था. टीआई जे.पी. पटेल ने युवक के घर वालों को खबर दे कर मौके पर बुलाया. करीब घंटे भर बाद उस के घर वाले आए. उन में उस की पत्नी भी थी.

पति की लाश देखते ही पिंकू यादव रोते हुए अचानक चिल्लाने लगी, ‘‘हाय! आखिर मार डाला हरामजादी मालती ने. पहले रेप में फंसाया और अब मरवा दिया कुतिया कमीनी ने मेरे पति को. कोई पकड़ लाओ उस हरामजादी को, ऐसे ही पेड़ से लटका दूंगी.’’ कहतेकहते वह अर्धमूर्छित हो गई. उस की हालत विक्षिप्तों जैसी हो गई थी.

प्रेमिका पर लगाया आरोप

मौके पर मौजूद एक सिपाही ने उस के चेहरे पर पानी का छींटे मारे. कुछ सेकेंड बाद उस की आंखें खुलीं, तब पीने के लिए पानी की बोतल उस के सामने कर दिया. वह 2 घूंट पानी पी कर फिर पहले की तरह मालती नाम ले ले कर गालियां देने लगी. पति की मौत का जिम्मेदार वह उसे ठहरा रही थी. गुस्से में आ कर वह लाश के चारों ओर घूमने लगी. हाथ में कभी पास पड़ा डंडा तो कभी ईंटपत्थर उठा लेती. तब तक वहां कुछ और लागों की भीड़ जमा हो गई थी.

भीड़ को देख कर वह और भी विक्षिप्त हो गई थी. कभी रोने लगती तो कभी गुस्से में बड़बड़ाने लगती. उस की इस हालत को देख कर पुलिसकर्मियों के सामने मुश्किलें आ रही थीं कि कैसे मृत युवक के संबंध में जरूरी जानकारियां जुटाए?

पत्नी के साथसाथ उस के सभी घर वालों ने एक सुर में कैलाश यादव की हत्या का आरोप लगाया, जबकि वह जबलपुर प्रयागराज नेशनल हाइवे 30 के किनारे सुबह साढ़े 6 बजे फांसी के फंदे से झूलता पाया गया था. हैंगिंग डैडबौडी देखने से तो यही लग रहा था कि उस ने सुसाइड की है1

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इस घटना के अगले दिन 21 फरवरी को उस की कोर्ट में पेशी होनी थी. उस पर बलात्कार का आरोप लगा हुआ था, जो उसी के मोहल्ले की रहने वाली मालती नाम की युवती द्वारा लगाया गया था. कैलाश की पत्नी पिंकू यादव द्वारा बारबार चीख कर कहना कि उस के पति को मालती ने ही मरवाया है, एक संदेह पैदा करने जैसा था. पत्नी ने यह भी आरोप लगाते हुए सवाल किया कि जबलपुर के होटल में काम करने वाले कैलाश को कोर्ट में पेशी के लिए 21 फरवरी, 2023 को जबलपुर से रीवा आना था तो वह एक दिन पहले कैसे आ गया?

इस सवाल पर उपस्थित भीड़ भी बौखला गई और कुछ लोगों ने परिजनों के साथ मिल कर कैलाश की लाश को हाईवे पर रख कर वाहनों की जाम लगा दिया. इस सूचना को पा कर रीवा के एसपी नवनीत भसीन के आदेश पर पुलिस के दूसरे अधिकारी घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने भीड़ को हटाया और लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दी.

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रूपजाल में फंसाया मालती ने

जांच अधिकारी जे.पी. पटेल कैलाश की पत्नी को पूछताछ के लिए थाने ले आए. उस से मालती के बारे में पूछताछ की गई, जिस पर वह कैलाश को मरवाने का आरोप लगा रही थी. पत्नी ने दोटूक जवाब दिया कि मालती ने पहले कैलाश को अपने रूपजाल में फंसाया, फिर उसे बलात्कार के केस में फंसाने की धमकी दी. समझौते के लिए 15 लाख रुपए मांगने लगी. पैसा नहीं देने के चलते उस ने बलात्कार के केस में उसे फंसा ही दिया.

कैलाश की पत्नी के बयान से पुलिस को इतना तो पता चल ही गया था कि मृतक एक अय्याश किस्म का युवक रहा होगा. इस कारण ही वह मालती के जाल में फंस गया होगा. मालती की इस में कितनी और कैसी भूमिका थी, इस की जांचपड़ताल के लिए रीवा पुलिस ने रीवा के तरहटी मोहल्ले की रहने वाली मालती को हिरासत में ले लिया. साथ ही पुलिस कैलाश के अपराधों के बारे में जानकारी लेने के अलावा उस के मालती के संबंध के बारे में पता लगाने में जुट गई.

इस के लिए दोनों के मोबाइल फोन नंबरों की डिटेल्स निकलवाई गई. उस से पता चला कि कैलाश के जेल से बाहर आने के बाद उसे हमेशा मालती ही फोन करती रही. यहां तक कि जिस रोज कैलाश साईं मंदिर के पास फांसी पर लटका मिला था, उस रोज कुछ समय पहले मालती ने ही उसे फोन किया था. इस का पता कैलाश के मोबाइल में आई आखिरी काल के नंबर से भी चल गया था.

यही नहीं, 19 फरवरी, 2023 को भी मालती ने कैलाश को फोन किया था. उस वक्त दोनों के फोन की लोकेशन रीवा रेलवे स्टेशन की पाई गई. पुलिस के सामने बड़ा सवाल था कि मालती ने जिस कैलाश को बलात्कार के आरोप में जेल भिजवाया था, उसे बारबार क्यों फोन कर रही थी? उस ने 19 फरवरी को क्यों फोन किया होगा? आखिर मालती चाहती क्या थी?

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जांच अधिकारी ने हिरासत में मालती के साथ पूछताछ में सख्ती बरती. महिला पुलिस ने उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाते हुए उल्टा केस बनाने और कड़ी जेल भेजने की धमकी दी. जेल में महिला कैदियों के साथ होने वाले दुव्र्यवहार और शोषण की तमाम बातें उसे बताईं. मालती पुलिस की सख्ती के आगे ज्यादा समय तक नहीं टिक पाई. सब से पहले तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उस के कैलाश के साथ अवैध संबंध थे. कई बार वह जबलपुर से रीवा आ कर उस के घर पर ही ठहरता था. रातें रंगीन करता था. यहां तक कि अपनी पत्नी और बच्चों से मिले बिना वापस जबलपुर लौट जाता था. इस के बदले में कैलाश उसे पैसे देता था. अपनी आमदनी का बड़ा हिस्सा उस के साथ मौजमस्ती पर खर्च कर देता था.

ब्लैकमेलिंग पर उतर आई प्रेमिका

मालती ने यह भी स्वीकार किया कि उस ने कैलाश के खिलाफ बलात्कार का केस दर्ज कराया है. उसे वापस लेने के लिए उस से 15 लाख रुपए मांगे थे. इतनी बड़ी रकम देने से कैलाश ने इनकार कर दिया था. फिर मालती ने 5 लाख रुपए मांगे थे. 21 फरवरी को इसी केस में उस की कोर्ट में पेशी थी. इसी सिलसिले में मालती उसे 19 फरवरी को रीवा स्टेशन से सीधे अपने घर ले गई थी और उस पर दया करते हुए 5 लाख के बजाय 3 लाख रुपए की मांग रख दी थी. कैलाश ने यह रकम भी देने में अपनी मजबूरी बताई.

यहां तक कि मालती भी उस की मजबूरी पर थोड़ा और नरम हो गई. मालती ने पुलिस को बताया कि आखिर मांग उस ने डेढ़ लाख रुपए की रखी और कोर्ट में इस रकम पर समझौता कर अपना केस वापस लेने का वादा किया था. उस वक्त कैलाश कुछ कहे बगैर मालती के यहां से चला गया. वह कहां गया, इस बारे में वह पुलिस को कोई जानकारी नहीं दे पाई.

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मालती के इस बयान पर टीआई जे.पी. पटेल ने यह निष्कर्ष निकाला कि कैलाश को मालती ने ब्लैकमेल किया है. पैसे के फायदे के लिए उस से संबंध कायम किए और उस के बदले में उस से पैसे वसूले और अब मोटी रकम वसूलने के चक्कर में लगी हुई थी. शायद इसी मानसिक उत्पीडऩ के चलते उस ने आत्महत्या कर ली होगी. इस आधार पर पुलिस ने उस के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुकदमा दर्ज कर लिया. पुलिस ने उसे अदालत में पेश कर जेल भेज दिया. मालती और कैलाश यादव के अवैध संबंध और मौत की जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

अस्पताल में हुई थी मुलाकात

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के मनगंवा थाना सीमा से बसे खुरहा रघुराजगढ़ गांव के रहने वाले कैलाश यादव के परिवार में कुल 5 लोग थे, पत्नी, 2 बच्चों के अलावा उस की बूढ़ी मां. वह परिवार की जिम्मेदारी उठाने वाला अकेला सदस्य था. अपने परिवार को मां के पास छोड़ कर जबलपुर के एक होटल में नौकरी करता था.

बात 2 साल पहले कोरोना काल के ठीक पहले ही है. अपने बीमार भतीजे को देखने के लिए वह रीवां के संजय गांधी अस्पताल गया था. उसी दौरान कैलाश की चचेरी बहन के पति के साथ मालती भी अस्पताल में आई हुई थी. कैलाश ने उस पर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन मालती की तिरछी नजर कैलाश पर जा टिकी थी. उसे कैलाश का बांका शरीर बेहद आकर्षक लगा था. वह उस से मिलने और बात करने को वह व्याकुल हो गई थी. लेकिन अस्पताल का माहौल था, इसलिए उस से बात नहीं कर पाई, लेकिन किसी तरह से उस ने कैलाश का फोन नंबर हासिल कर लिया था.

मालती का अपने पति से तलाक हो चुका था. वह उसी मोहल्ले में अकेली रहती थी, जहां कैलाश का परिवार रहता था. उस के बच्चे भी नहीं थे. रातें करवटें बदलती बीतती थीं. यौन संबंध के लिए तड़पती रहती थी. मर्द की चाहत में कई बार बेचैन हो जाती थी. जब से उस ने कैलाश को देखा था, तब से उस की बेचैनी और बढ़ गई थी. वह उस के ख्यालों में बारबार आ रहा था. वह उस से मिलने को बेचैन हो गई थी. लेकिन कैसे? उसे इतना पता था कि वह जबलपुर जा चुका है.

एक रात उस की याद में करवटें बदलता हुआ मोबाइल पर वीडियो देखने के लिए स्क्रीन स्क्राल कर रही थी. इसी दौरान मोबाइल में कैलाश का सेव नंबर दिख गया. उस ने तुरंत काल कर दिया. यह भी नहीं देखा कि रात के डेढ़ बज रहे हैं.

कैलाश को इस तरह फांसा मालती ने

उधर आधी रात को अनजाना नंबर देख कर कैलाश भौचक रह गया. उस ने काल रिसीव किए बगैर काट दी. कुछ समय बाद फिर वही नंबर स्क्रीन पर आया. उस ने दोबारा कट कर दिया और बाथरूम के लिए चला गया. बाथरूम से लौटने पर उस ने वाट्सऐप पर मैसेज आया देखा. एक लाइन में लिखा था, ‘‘मैं तुम्हारे मोहल्ले की हूं.’’

मैसेज को क्लिक करते ही उसी नंबर से काल आ गई. इस बार कैलाश ने काल रिसीव कर ली. हैलो बोलते ही जवाब सुनने को मिला, ‘‘रांग नंबर मत बोलना…गुस्सा मत होना. मैं तुम्हारे मोहल्ले की मालती बोल रही हूं. जब से तुम्हें देखा है तभी से तुम से जरूरी बात करना चाहती थी, लेकिन तुम जबलपुर चले गए.’’

“मुझे कब देखा?’’ कैलाश ने जिज्ञासा से पूछा.

“अस्पताल में और कहां? तुम्हारी बहन के साथ गई थी, जब तुम अपने भतीजे को देखने आए थे.’’ उधर से मालती मधुरता के साथ बोली. उस की आवाज में गजब की लोच थी, एक आकर्षण था और आमंत्रण भी. कैलाश को फोन पर अपना नाम और परिचय बताने के साथसाथ प्यार करने का जाल भी फेंक दिया. उस ने रीवा आने पर मिलने की इच्छा जताई. उ

स दिन मालती कैलाश से इधरउधर की बातें करती रही और अपनी बातों से मधुरता और अपनत्व का एहसास करवाती रही. कैलाश को भी धीरेधीरे उस से बातें करते हुए अच्छा लगने लगा थी. बातें करतेकरते उस ने महसूस किया कि उस की पत्नी कभी भी इतने प्यार से बात नहीं करती है. जब भी सामने आती है या पास बैठती है, हमेशा पैसे मांगती है. घर की समस्या बताती रहती है.

मालती और कैलाश के बीच फोन पर एक बार बातचीत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह नियमित बन गया. उन के बीच लंबी बातें होने लगीं. इस बीच मालती अश्लील बातें भी करने लगती थी, जिस से उस की सैक्स भावना उभर जाती थी और वह कामुकता से भर जाता था.

एक दिन मालती ने अपनी मीठीमीठी बातों से कैलाश को इस कदर प्रभावित कर दिया कि वह अगले रोज ही जबलपुर से रीवा चला आया. अपने घर जाने के बजाए वह मालती के घर चला गया. वहीं रात गुजारी. मालती ने भी उस के आवभगत में कोई कसर नहीं छोड़ी. बढिय़ा मनपसंद खाना और शराब के साथ शबाब पा कर कैलाश धन्य हो गया. हफ्ते भर बाद उसे तब होश आया, जब उस की छुट्ïटी खत्म हो चुकी है. जब साथ काम करने वाले ने फोन कर उसे जल्द आने के लिए कहा.

रातें रंगीन होने लगीं कैलाश की

इस तरह से कैलाश मालती का दीवाना बन गया था. उस की आंखों में वासना और प्यार की झलक को देख कर मालती अच्छी तरह समझ गई थी कि वह उस की गिरफ्त में आ चुका है. वह जैसे चाहेगी उसे अपना बना कर रखेगी. हुआ भी ऐसा ही. कैलाश मालती के साथ यौन सुख से जितना संतुष्ट था, उतना ही उसे पाने के लिए बेचैन भी रहने लगा था. बदले में उस पर पैसे खर्च करने में कोई कमी नहीं रहने देना चाहता था. उस की आमदनी बहुत अच्छी नहीं थी, फिर भी जो कमाता था, उस का बड़ा हिस्सा मालती पर लुटा देता था.

यह सिलसिला अपनी गति से चल रहा था. मालती ने मौका देख कर उस से एकमुश्त 15 लाख रुपए की मांग कर दी. इतनी बड़ी राशि सुनते ही कैलाश चकरा गया. उस ने किसी तरह से कहा इतना पैसा तो उस के पास नहीं है. यह बात जुलाई 2022 की है.

मालती को न सुनने की आदत नहीं थी. वह शुरू से ही अपने मन की करती आई थी. कैलाश की न से नाराज हो गई. उस ने दोटूक कह दिया कि चाहे जैसे भी हो, उसे 15 लाख रुपए चाहिए. मजाक में कैलाश ने बोल दिया कि यदि नहीं दिया तो क्या होगा? इस पर बिफरती हुई मालती ने उसे मुकदमे में फंसाने की धमकी दे डाली. मुकदमे की बात सुन कर कैलाश समझ नहीं पाया कि वह किस तरह मुकदमा करेगी, उस ने जो कुछ किया उस में उस की भी सहमति थी. उस ने मालती की धमकी को गंभीरता से नहीं लिया, जबकि मालती पैसे के मामले में जिद ठान चुकी थी.

मालती 22 अगस्त, 2022 को सीधे रीवा कोतवाली गई. उस ने कैलाश के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवा दिया. यह मामला दर्ज होते ही उस की गिरफ्तारी हो गई. वह 70 दिनों बाद जमानत पर छूट कर जेल से बाहर आया. जेल से छूटने के बाद अपने काम पर जबलपुर चला गया. इस की जानकारी मालती को लगी, तब वह उस से फोन पर ही पैसा मांगने लगी. मना करने पर धमकियां देने लगी.

प्रेमिका को जाना ही पड़ा जेल

इस बीच उस की रीवा के कोर्ट में पेशी होती रही. वह 10 जनवरी, 2023 को भी पेशी के लिए रीवा आया. उस रोज भी मालती ने कहा कि वह पैसे लिए बगैर उस का पीछा नहीं छोड़ेगी. जबकि वह कैलाश की चचेरी बहन की जानने वाली थी. कैलाश की पत्नी ने अपनी ननद से समझौता करवाने की बात की. समझौता भी हुआ, लेकिन मालती 5 लाख रुपए लेने पर अड़ गई.

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दूसरी पेशी 24 जनवरी को होने वाली थी. उस रोज मालती 5 की जगह 3 लाख रुपए ले कर समझौता करने पर राजी हो गई थी. कैलाश ये पैसे देने में भी असमर्थ था. अगली पेशी 21 फरवरी को तय हुई थी. उस सिलसिले में ही कैलाश 19 फरवरी की रात को रीवा आ गया था. उसे मालती ने रेलवे स्टेशन पर ही अपनी गिरफ्त में ले लिया था और धमकी दी थी कि अगर उस ने पैसे नहीं दिए तो वह उसे जेल में सड़वा देगी. यह बात कैलाश को चुभ गई और उस ने पेड़ पर फंदा बना कर आत्महत्या कर ली.

प्यार और आत्महत्या की पूरी कहानी सामने आने के बाद कैलाश की पत्नी द्वारा लगाए गए आरोपों को पुलिस ने सही माना. मालती को अत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया, जहां से उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

शादी की जिद में पति मिला न प्रेमी – भाग 2

जब पुलिस ने दोनों के मोबाइल लोकेशन बंजारी के जंगल में मिलने की बात कही और सख्ती से पूछताछ की तो पुलिस की सख्ती के आगे वह जल्दी ही टूट गया और सारी सच्चाई उस ने पुलिस के सामने बयां कर दी. गिरिजा ने बताया कि उस ने पूर्णिमा का मर्डर कर दिया है.

जंगल में मिली पूर्णिमा की लाश

14 अप्रैल, 2023 को गिरिजा शंकर ने पुलिस को बताया कि उस ने पूर्णिमा को गांगुलपरा और बंजारी के बीच जंगल की पहाड़ी में ले जा कर उस की गला घोट कर हत्या कर दी थी. टीआई अमित सिंह कुशवाह, एसआई जयदयाल पटले, रमेश इंगले, हैडकांस्टेबल रमेश उइके, गौरीशंकर को ले कर गांगुलपरा और बंजारी के बीच पहाड़ी जंगल ले कर पहुंची और गिरिजा शंकर की निशानदेही पर पूर्णिमा की लाश बरामद की.

इस दौरान पूर्णिमा बिसेन की हत्या की सूचना मिलते ही लांजी के एसडीपीओ दुर्गेश आर्मो, एसपी (सिटी) अंजुल अयंत मिश्रा, टीआई (भरवेली) रविंद्र कुमार बारिया के अलावा अन्य पुलिसकर्मी और अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और जांचपड़ताल शुरू की.

पूर्णिमा की लाश अधिक दिनों की होने से काफी खराब हो चुकी थी. मौके की काररवाई करने के बाद पूर्णिमा की लाश जिला अस्पताल लाई गई, जहां पर पूर्णिमा के मातापिता सहित परिवार के अन्य लोगों ने चप्पल और कपड़ों से लाश की पहचान की. उन्होंने बताया कि लाश पूर्णिमा की ही है. रात होने से लाश का पोस्टमार्टम नहीं हो पाया.

पोस्टमार्टम न हो पाने की वजह से लाश को बालाघाट के जिला अस्पताल के फ्रीजर में रखवा दिया, दूसरे दिन 15 अप्रैल को लाश का पोस्टमार्टम कर लाश को पूर्णिमा के घर वालों के सुपुर्द किया गया गया. जैसे ही पूर्णिमा की लाश गांव पहुंची तो पूरे गांव में मातम छा गया. परिवार के लोगों ने नम आंखों से उस का अंतिम संस्कार कर दिया.

पुलिस ने इस मामले में गिरिजा शंकर पटले के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201 के तहत अपराध दर्ज किया और इस अपराध में उसे गिरफ्तार कर लिया. गिरिजा शंकर पटले से पूर्णिमा की हत्या में प्रयुक्त दुपट्ïटा, बाइक और मोबाइल भी बरामद कर लिया.

15 अप्रैल को पुलिस ने गिरिजा शंकर को बालाघाट कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे 2 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया गया. रिमांड के दौरान की गई पूछताछ में जो कहानी सामने आई, वह रिश्तों को तारतार करने वाली थी….

27 साल का गिरिजा शंकर बालाघाट जिले के किरनापुर ब्लौक के गांव मोहगांव खारा में रहने वाले खुमान सिंह पटले का बेटा था. खुमान सिंह की 2 बेटियों में से बड़ी बेटी शारदा की शादी 4 साल पहले लिम्देवाड़ा के पवन बिसेन से हुई थी.

बहन की शादी के बाद से ही गिरिजा शंकर का अपनी बहन की ननद पूर्णिमा के साथ प्रेम संबंध चल रहे थे. गिरिजा शंकर का किरनापुर में फोटो स्टूडियो है. वह शादी विवाह समारोह में फोटोग्राफी और वीडियो शूटिंग का काम करता है. ग्रैजुएट गिरिजा शंकर अपने इस हुनर से अच्छीखासी आमदनी कर लेता है. इसी आमदनी से उस के शौक भी पूरे होते हैं. गिरिजा शंकर पूर्णिमा की भी हर ख्वाहिश पूरी करता था, यही वजह थी कि पूर्णिमा उस के प्यार में दीवानी थी.

भाई के साले गिरिजा शंकर से हुआ प्यार

करीब 4 साल पहले गिरिजा शंकर की बहन शारदा का विवाह पूर्णिमा के भाई से हुआ था. शादी के बाद अपनी बहन को लिवाने जब गिरिजा शंकर अपने दोस्तों के साथ लिमदेवाड़ा गया था, तब परंपरा के अनुसार उन की खूब खातिरदारी हुई थी. पूर्णिमा भी गिरिजा शंकर के साथ बैठ कर खूब हंसीमजाक कर रही थी. पूर्णिमा उस समय 19 साल की नवयौवना थी, जिस का रूपयौवन देख कर गिरिजा शंकर मन ही मन फिदा हो गया था.

बहन शारदा की शादी के बाद उसे ससुराल से लिवाने अकसर गिरिजा शंकर बाइक से जाता था. बहन शारदा का एकलौता भाई होने की वजह से उसे सब पसंद करते थे. बहन की ससुराल में वह पूर्णिमा से हंसीमजाक करता तो रिश्ते के लिहाज से कोई कुछ नहीं कहता था. धीरेधीरे पूर्णिमा और गिरिजा शंकर के बीच हंसीमजाक से शुरू हुआ सिलसिला प्यार में तब्दील हो चुका था. पूर्णिमा का भाई और पिता खेतीबाड़ी में लगे रहते और पूर्णिमा कालेज की पढ़ाई कर रही थी, ऐसे में गिरिजा शंकर कभीकभार पूर्णिमा को कालेज भी छोड़ दिया करता था.

एक दिन कालेज ले जाते वक्त गिरिजा शंकर ने बाइक बंजारी के जंगल में रोक दी तो पूर्णिमा ने पूछा, “यहां घने जंगल में बाइक क्यों रोक दी?”

“कुछ नहीं, आज जंगल में मंगल करने का इरादा है.” गिरिजा शंकर पूर्णिमा के साथ शरारत करते हुए बोला.

“धत, यहां कोई देख लेगा तो घर तक खबर पहुंचने में देर नहीं लगेगी.” पूर्णिमा बोली.

गिरिजा शंकर ने पूर्णिमा के गले में हाथ डाला और उसे जंगल के घने पेड़ की आड़ में ले जा कर बोला, “मेरी जान, जब प्यार किया तो डरना क्या.”

पूर्णिमा के अंदर सुलग रही आग भी आज चिंगारी बन कर जल उठी थी. उस ने भी अपनी बाहों को गिरिजा शंकर के गले में डालते हुए कहा, “मैं तो तुम्हें जी जान से प्यार करती हूं, तुम्हारी बाहों में मुझे जमाने का डर नहीं.”

“तो फिर मुझे अपनी हसरत पूरी कर लेने दो.” पूर्णिमा के होंठो पर चुंबन देते हुए गिरिजा शंकर ने कहा.

“किस ने रोका है तुम्हें, मैं भी तुम्हारे प्यार में जी भर के डूब जाना चाहती हूं.” पूर्णिमा ने गिरिजा शंकर के माथे को चूमते हुए कहा. धीरेधीरे गिरिजा शंकर के हाथ पूर्णिमा के अंगों पर रेंगने लगे. जंगल के एकांत में पूर्णिमा और गिरिजा शंकर ने अपने देह की आग को शांत किया और कपड़ों को ठीक करते हुए उसे कालेज छोड़ दिया. तन की आग बुझाने का सिलसिला जो एक बार शुरू हुआ तो फिर आगे बढ़ता गया. अकसर दोनों को जब भी मौका मिलता, अपनी हसरतें पूरी करने लगे.

                                                                                                                                                 क्रमशः

धोखे में लिपटी मौत ए मोहब्बत