अंधविश्वास या कुछ और : साइको किलर ने 3 लोगों के प्राइवेट पार्ट काटे

Superstition : एक साइको किलर ने अंधविश्वास के कारण 2 दोस्तों और एक अयप्पा मंदिर के चौकीदार का कत्ल कर दिया और कत्ल करने के बाद किलर ने तीनों के प्राइवेट पार्ट को भी काट दिया. इस दिल दहला देने वाली घटना ने सभी को हैरान कर दिया. पूरा मामला अंधिविश्वास से जुड़ा हुआ है. चलिए जानते है इस स्टोरी को विस्तार से

यह घटना राजस्थान के भीलवाड़ा की है. जहां एक साइको किलर ने 3 लोगों की हत्या कर दी. जिस में 2 दोस्त भी शामिल थे. पुलिस ने किलर दीपक को अरेस्ट कर लिया है. हालांकि उस के पकड़े जाने के बाद सबसे अधिक चकित करने वाली बात जो सामने आई वह यह थी कि साइको किलर दीपक एक इंजीनियर था.

पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की तो एक हैरान करने वाला मामला सामने आया था. पता चला कि दीपक अंधविश्वासी था और इसी वजह से उस ने 3 कत्ल कर डाले. सबसे अजीब बात यह थी कि कत्ल करने के बाद किलर ने तीनों के प्राइवेट पार्ट भी काट डाले थे. पुलिस ने तीनों शवों को अपने कब्जे में ले लिया.
पुलिस की जांच में यह सामने आया कि दीपक, केरल का रहने वाला था जबकि उस का जन्म राजस्थान के भीलवाड़ा में हुआ था. किलर के मातापिता का निधन हो चुका है.

आपको बता दें कि आईआईटी पास दीपक एक नामी मोबाइल कंपनी में इंजीनियर था. दीपक का मासिक वेतन 70 से 80 हजार रुपए था. पुलिस ने जब आरोपी से दोस्तों के कत्ल की कहानी के बारे में पूछताछ कि तो दीपक ने बताया कि इन दोनों ने मेरे घर पर Superstition जादू टोना कर रखा था. इस लिए दोनों का कत्ल कर दिया.
दीपक ने बताया कि दोनों दोस्तों की हत्या करने से पहले उस ने दोनों के साथ जमकर शराब पी थी और इस के बाद घटना को अंजाम दिया.

पुलिस का मानना है कि आरोपी इस तरह की बातों को बताकर गुमराह कर रहा है. जांच के दौरान पुलिस को आरोपी के घर से शव के पास लकड़ी मिली थी. आंशका है कि आरोपी ने दोनों के सिर पर डंडे से प्रहार किया होगा, जिस से दोनों की मौत हो गई. हत्या करने के बाद आरोपी ने तेज धार वाले हथियार से दोनों के पाइवेट पार्ट काट दिए. वहीं पुलिस ने तीसरे व्यक्ति यानी अयप्पा मंदिर के चौकीदार की हत्या के बारे में पूछा तो आरोपी ने अनभिज्ञता जताई. आरोपी के घर पर जले हुए कपड़े और शवों पर जलने के घाव भी मिले. आंशका जताई गई कि आरोपी हत्या के बाद शवों को जलाना चाहता था, लेकिन वह पूरी तरह जला नहीं पाया.

डीएसपी मनीष बडगुर्जर ने बताया कि साइको किलर दीपक नायर केरल का रहने वाला है. दीपक के खिलाफ पहले से 6 केस पुलिस थानों में दर्ज हैं. किलर की पूरी जांच के लिए एक टीम गठित कर दी गई है. आरोपी के नजदीक जो भी लोग हैं, उन से भी जानकारी ली जा रही है और अभी आरोपी पुलिस के कब्जे में ही है, उस से भी पूछताछ जारी है.

Cyber Crime : नाइजीरियन गैंग ने महंगा गिफ्ट का झांसा देकर महिला से ठगे लाखों

Cyber Crime : नाइजीरियन ठग फोन, वाट्सऐप या फेसबुक पर पढ़ीलिखी महिलाओं से दोस्ती के नाम पर पहले उन का विश्वास जीतते हैं और फिर उन से ठगी कर के मोटी रकम वसूलते हैं. दिल्ली और बडे़ नगरों में यह खेल वर्षों से चल रहा है. आश्चर्य की बात यह है कि विदेशी गिफ्ट के चक्कर में पढ़ीलिखी महिलाएं ही ज्यादा फंसती हैं. भीलवाड़ा पुलिस ने…

15 सितंबर, 2019 की बात है. राजस्थान के भीलवाड़ा शहर की एक रिटायर्ड शिक्षिका मनोरमा एसपी हरेंद्र कुमार महावर के पास पहुंची. उस ने एसपी को एक शिकायती पत्र दिया, जिस में उस ने अपने साथ 43 लाख 67 हजार रुपए की धोखाधड़ी होने की बात लिखी थी. मनोरमा ने एसपी साहब को बताया कि रिटायर होने के बाद वह सोशल मीडिया पर अपना समय बिताती थी. फेसबुक पर उस की दोस्ती बार्थोलोम्यू औडिकमो नाम के विदेशी नागरिक से हुई. उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया. उस ने यह भी बताया कि लोग उसे एंड्रो लोरे भी कहते हैं.

दोस्ती होने के बाद फेसबुक के माध्यम से उस की एंड्रो लोरे से बातचीत होने लगी. इस बातचीत के दौरान उस के कहने पर मनोरमा ने अपना फोन नंबर भी दे दिया. फिर जबतब एंड्रो लोरे उसे फोन भी करने लगा. मनोरमा को उस से बात करना अच्छा लगता था. वह उस की बातों पर विश्वास करने लगी थी. एक दिन एंड्रो लोरे ने कहा कि उस ने लंदन से उस के लिए एक सरप्राइज गिफ्ट भेजा है. वह गिफ्ट उदयपुर हवाईअड्डे पर पहुंच गया है. वहां के कस्टम अधिकारी से मिल कर आप गिफ्ट ले लेना. यह सुन कर मनोरमा बहुत खुश हुई. उस ने सोचा कि एंड्रो लोरे कितना अच्छा है, जिस ने कुछ ही दिन की दोस्ती में गिफ्ट भी भेज दिया. यह पता नहीं था कि गिफ्ट में क्या है. एंड्रो लोरे भी उसे सरप्राइज देना चाहता था, इसलिए उस ने कुछ भी नहीं बताया था. मनोरमा ने भी सरप्राइज की बात सुन कर इस बारे में ज्यादा पूछताछ नहीं की थी.

बहरहाल, वह घर से उदयपुर हवाईअड्डे की तरफ रवाना होने ही वाली थी कि उस के पास एक महिला का फोन आया. उस ने खुद को कस्टम अधिकारी बताते हुए कहा कि आप के नाम से यहां एक पार्सल आया है जो लंदन के किसी एंड्रो लोरे ने भेजा है. इस पार्सल में कोई बहुत कीमती सामान है, लेकिन बिना कस्टम ड्यूटी अदा किए आप को नहीं मिलेगा.

‘‘कितनी कस्टम ड्यूटी लगेगी?’’ मनोरमा ने उत्सुकता से पूछा.

‘‘आप के पार्सल की कस्टम ड्यूटी 4 लाख रुपए है. इसे आप जल्द जमा करा दीजिए.’’ कहते हुए महिला ने मनोरमा को एक बैंक एकाउंट नंबर बता दिया. मनोरमा को लगा कि एंड्रो लोरे ने जो गिफ्ट भेजा है, वह काफी महंगा है जिस की कस्टम ड्यूटी ही 4 लाख रुपए लग रही है. उस ने सोचा कि उस का विदेशी दोस्त पैसे वाला है तभी तो उस ने इतना महंगा गिफ्ट भेजा. वह फटाफट बैंक गई और महिला कस्टम अफसर द्वारा बताए खाते में 4 लाख रुपए जमा करा दिए. मनोरमा ने पैसे जमा करने की जानकारी उस महिला अफसर को दे दी. उस महिला ने कहा कि बैंक से पैसे रिसीव होने का मैसेज मिलते ही हम आप को काल कर के बता देंगे.

मनोरमा उस का फोन आने का इंतजार करने लगी. अगले दिन उस महिला ने मनोरमा को फोन कर के पैसे मिलने की पुष्टि कर दी. साथ ही यह भी कहा कि कुछ क्लियरेंस पूरे करने हैं, जिन के लिए उन्हें एयरपोर्ट आना पड़ेगा. मनोरमा उदयपुर एयरपोर्ट पहुंची तो वह महिला अफसर एयरपोर्ट के बाहर ही मिल गई. उस ने मनोरमा को बताया कि यहां से विदेशी पार्सल छुड़ाने के लिए कई तरह की औपचारिकताएं पूरी करनी होती हैं, इसलिए आप को क्लियरेंस के 7 लाख रुपए उसी एकाउंट में और जमा करने होंगे. क्योंकि उस पार्सल में 50-60 लाख रुपए का आइटम है.

मनोरमा 4 लाख रुपए तो जमा कर चुकी थी. उस ने सोचा कि जब गिफ्ट आइटम इतना महंगा है तो 7 लाख भी जमा कर देगी. लिहाजा उस ने उसी एकाउंट में 7 लाख रुपए और जमा कर दिए. उस ने यह बात अपने घर में किसी को नहीं बताई. पैसे जमा कराने के बावजूद भी उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. इस के बाद भी किसी न किसी बहाने मनोरमा से मोटी रकम जमा कराई जाती रही. मनोरमा गिफ्ट पाने के लालच में 43 लाख 67 हजार रुपए जमा करा चुकी थी. लेकिन उसे गिफ्ट नहीं दिया गया. साथ ही उस के लंदन वाले दोस्त एंड्रो लोरे और उस महिला ने अपने नंबर ही बंद कर दिए. मनोरमा ने यह बात अपने घर वालों को बताई तो घर के सभी लोग हैरान रह गए कि पढ़ीलिखी होने के बाद वह इतनी बड़ी रकम कैसे उन के खाते में जमा कराती गई और घर में किसी से चर्चा तक नहीं की.

मनोरमा की कहानी सुनने के बाद एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने मामले को गंभीरता से लिया और कोतवाली भीलवाड़ा में रिपोर्ट दर्ज करवा कर एक विशेष टीम बनाई. टीम ने उन मोबाइल नंबरों को सर्विलांस पर लगा कर उन की काल डिटेल्स का अध्ययन किया. इस जांच के बाद पुलिस को आरोपियों के बारे में काफी महत्त्वपूर्ण जानकारी मिली. टीम को पता चला कि आरोपी दिल्ली की पालम कालोनी में रह रहा है. इस सूचना की पुष्टि होते ही एसपी हरेंद्र कुमार महावर ने कोतवाली प्रभारी यशदीप भल्ला के नेतृत्व में एक पुलिस टीम दिल्ली रवाना कर दी. पुलिस टीम ने 15 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली के पालम विहार स्थित एक मकान पर दबिश दी. वहां से एक नाइजीरियन युवक और एक भारतीय युवती को हिरासत में लिया गया. पूछताछ में युवक ने अपना नाम बार्थोलोम्यू औडिकमो निवासी नाइजीरिया बताया. युवती का नाम रोजलिन था जो नगालैंड की रहने वाली थी. वह औडिकमो की पत्नी थी.

पुलिस दोनों को ट्रांजिट रिमांड पर दिल्ली से भीलवाड़ा ले आई. भीलवाड़ा में जब उन दोनों से मनोरमा के साथ की गई ठगी के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने स्वीकार कर लिया कि मनोरमा से ठगी की थी. पूछताछ में ठगी करने की जो कहानी पता चली, वह इस प्रकार थी—

बार्थोलोम्यू औडिकमो जनवरी, 2019 में बिजनैस वीजा ले कर भारत आया था. यहां आ कर उस ने ठगी की दुकान खोल ली. उस ने एंड्रो लोरे नाम से फेसबुक पर फरजी एकाउंट बना लिया था. चूंकि उस की शक्लसूरत अच्छी नहीं थी, इसलिए उस ने सोशल साइट से किसी सुंदर विदेशी युवक का फोटो ले कर अपनी प्रोफाइल पर लगा लिया, जिस से कोई उस की असलियत न जान सके. इस के बाद वह शिकार भी सोशल साइट से ही चुनने लगा. वह फेसबुक से अच्छी प्रोफाइल वाली महिलाओं की डिटेल्स निकाल लेता था. किसी तरह फरजी आईडी से लिए गए सिम भी उस ने प्राप्त कर लिए. उन्हीं सिम कार्डों का उपयोग वह शिकार से बात करने के लिए करता था.

आरोपी ने इसी तरह पूर्व शिक्षिका मनोरमा से फेसबुक पर दोस्ती की थी. मनोरमा से उस ने खुद को लंदन का रहने वाला बताया था. विश्वास जमाने के लिए उस ने अपनी पत्नी रोजलिन से भी मनोरमा की बात कराई. फेसबुक पर मनोरमा से उस की दोस्ती 28 जून, 2019 को हुई थी. मनोरमा को विश्वास में लेने के बाद उस ने गिफ्ट भेजने की सूचना दी. फिर इस गिफ्ट को छुड़ाने की एवज में उस की पत्नी रोजलिन ने मनोरमा से मोटी रकम ठग ली. रोजलिन ने खुद को कस्टम अफसर बताया था. 43 लाख, 67 हजार रुपए ठगने के बाद आरोपियों ने मनोरमा से बात करनी बंद कर दी थी. उन्होंने मोबाइल फोन भी बंद कर दिए थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू ने बताया कि वह पहले भी कई बार भारत आ चुका है. जब वह सन 2015 में नाइजीरिया से भारत आया था, तभी उस ने नगालैंड निवासी रोजलिन से शादी की थी. दोनों का 2 साल का बेटा भी था.

रोजलिन का कहना था कि बार्थोलोम्यू से मिलने पर उसे प्यार हो गया था. फिर दोनों ने शादी कर ली. रोजलिन से शादी करने के बाद बार्थोलोम्यू ने उसे भी अपने साथ ठगी के धंधे में लगा लिया था. पूछताछ में पता चला कि बार्थोलोम्यू की ठगी की पूरी गैंग है, जो दिल्ली में सक्रिय है. आरोपी जिस व्यक्ति के खाते में रकम डलवाते थे, उसे 15 प्रतिशत हिस्सा देते थे. जिस व्यक्ति के नाम खाता होता था, वह भी फरजी पहचान पत्र से खाता खुलवाता था. फरजी पहचान पत्र से ही इन लोगों ने कई मोबाइल सिम ले रखी थीं. पुलिस को आरोपियों के पास से दर्जनों एटीएम कार्ड्स व पासबुक मिलीं. पता चला है कि इन लोगों ने कई लोगों को झांसे में ले कर उन से साढ़े 4 करोड़ रुपए से अधिक की ठगी की थी.

मनोरमा ने सोशल साइट पर बार्थोलोम्यू से वीडियो कालिंग के लिए कहा था, लेकिन उस ने वीडियो कालिंग पर चेहरा सामने आने के डर से वीडियो कालिंग से इनकार कर दिया. उस ने मनोरमा से कहा कि वह भारत आ कर ही मिलेगा. ठगी की रकम से आरोपी ऐश की जिंदगी जी रहे थे. नाइजीरिया निवासी बार्थोलोम्यू कच्चा मांस खाता था. उसे अच्छे कपड़े पहनने, महंगी शराब पीने, फिल्में देखने का शौक था. कुछ रकम वह नाइजीरिया में रह रहे अपने मातापिता को भी भेजता था. भीलवाड़ा पुलिस की 6 जवानों की टीम जब दिल्ली पुलिस के 2 जवानों को ले कर बार्थोलोम्यू को गिरफ्तार करने पहुंची तो उस ने पुलिस से जम कर हाथापाई की थी. उसे बमुश्किल दबोचा गया था.

पुलिस ने जैसे ही उसे हिरासत में लिया, उस ने अपना फोन जमीन पर पटक कर तोड़ दिया, जिसे पुलिस ने अपने कब्जे में ले लिया. भीलवाड़ा पुलिस ने 16 अक्तूबर, 2019 को दोनों ठगों बार्थोलोम्यू और रोजलिन को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश कर 5 दिन के रिमांड पर लिया और कड़ी पूछताछ की. बार्थोलोम्यू ने बताया कि दिल्ली में फरजी सिम बेचने वाला एक गिरोह काम कर रहा है. कई मोबाइल कंपनियां आमजन को सिम बांटने के लिए कर्मचारियों को 6 से 7 हजार रुपए पगार पर रखती हैं. विदेशी ठग ऐसे कर्मचारियों से संपर्क करते हैं. फिर उन्हें 25 से 30 हजार रुपए दे कर दूसरों के नाम पर एक्टिवेटेड सिम खरीद लेते हैं. जिस का उपयोग वे ठगी की वारदातों में करते हैं.

आरोपियों ने बताया कि सोशल साइट पर दोस्ती के लिए ऐसे सिमों का उपयोग कर किसी महिला शिकार से करीब एक महीने तक उस नंबर से बातचीत करते हैं. विश्वास में लेने के बाद ठगी शुरू हो जाती है. ठगी के बाद उस सिम को तोड़ कर फेंक देते हैं. यहां तक कि वे उस मोबाइल को भी काम में नहीं लेते, जिस में वह सिम काम कर रहा था. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस को अब तक की जांच में मुंबई, दिल्ली, पुणे समेत कई शहरों के लोगों के नाम की सिम मिली हैं. पुलिस ने बार्थोलोम्यू से पूछा कि ठगी के लिए उस ने भारत को ही क्यों चुना? उस का जवाब था, ‘‘यहां लोगों से अंगरेजी में बात की जाए तो वे बात करने वाले को अच्छा विदेशी समझते हैं या बात कर रहे व्यक्ति को हाईप्रोफाइल समझने लगते हैं. वहीं अन्य देशों में यह करना संभव नहीं है, दूसरे अन्य देशों के कानून भी कड़े होते हैं.’’

उस ने बताया कि वह भारत में अब तक 50 लोगों के साथ ठगी कर चुका है. ये वारदातें किस के साथ हुईं, यह वह नहीं बता सका. पीडि़त को ढूंढना भी भीलवाड़ा पुलिस के लिए बड़ी चुनौती है, क्योंकि आरोपियों से मिले मोबाइल के डाटा डिलीट हैं. आरोपियों को भी पता नहीं कि उन्होंने किस राज्य में किसे ठगा. उन का कहना है कि वे खुद किसी महिला से नहीं मिलते थे. महज मोबाइल पर बात कर खाते में रकम डलवाते थे. बार्थोलोम्यू ने ठगी की रकम से व्यापार भी किया. उस ने पुलिस के सामने स्वीकार किया कि वे लोग ठगी की रकम से हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. उस ने साढ़े 4 करोड़ रुपए से ज्यादा ठगे थे, जिस में से कुछ हिस्से को उस ने एक नंबर के कारोबार में भी लगाया.

आरोपी बिजनैस वीजा पर भारत आया था. उस ने दिल्ली में रहते हुए ठगी के साथ कपड़े का व्यापार किया. कपड़े के इस व्यापार को उस ने नाइजीरिया तक पहुंचाया. अकेले बार्थोलोम्यू करोड़ों के कपड़े का बिजनैस कर चुका है और वह साइबर क्राइम में माहिर है. पुलिस ने नाइजीरिया ठगी गैंग के एक और सदस्य ओगुग्वा संडे को 20 अक्तूबर, 2019 को दिल्ली से गिरफ्तार किया. ओगुग्वा संडे को पकड़ने के लिए भीलवाड़ा पुलिस को रिश्तेदारी का जाल बुन कर पासा फेंकना पड़ा, तब जा कर वह पकड़ में आया. ओगुग्वा संडे के पास से 8 लैपटौप, 22 मोबाइल फोन, 4 टैबलेट, 7 डोंगल तथा दरजनों सिमकार्ड्स बरामद हुए.

ओगुग्वा संडे की गिरफ्तारी के साथ ही अब तक एक महिला रोजलिन सहित 3 लोग गिरफ्तार हो चुके हैं. इन का आका बोनीसेफ पुलिस के हाथ नहीं आया. पुलिस टीम ने नाइजीरिया के संडे को मोहन गार्डन दिल्ली से हिरासत में लिया था. पुलिस की भनक लगते ही सरगना बोनीसेफ उर्फ बोनीफेस उर्फ बोनीफोट दीवार कूद कर भाग गया था. पुलिस ने उस के घर की तलाशी ली तो वहां विजिटिंग कार्ड मिला, जिस में वह बिल्डिंग मटीरियल कंपनी का डायरेक्टर बना हुआ था. इस की आड़ में वह दिल्ली में ठगी का साइबर सेल चला रहा था. उस के इशारे पर ही गैंग भारत में सोशल साइट पर महिलाओं से दोस्ती कर के ठगी करता था.

पुलिस सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, सोशल साइट पर हाईप्रोफाइल महिला से फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे रटेरटाए प्रश्न पूछते थे. इस के लिए वे 6 प्रश्नों का पत्र सामने रखे होते थे. हैलो कर के दोस्ती होती और एक के बाद एक प्रश्न में उस के परिवार की सारी स्थिति जान लेते थे. नाइजीरिया से आए ठग गिरोह में जो पढ़ेलिखे हैं, वही सोशल साइट पर ठगी करते थे. कम पढ़ेलिखे दिल्ली समेत देश के कई राज्यों में नशे के सौदागर बने हुए हैं. ये लोग चरस, गांजा, स्मैक, हेरोइन की तस्करी करते हैं. इन के ग्राहक तय होते थे और जिन से नशीली खरीदी जाती थी, वे उन की पहचान वाले होते थे.

नाइजीरियाई ठग गैंग के पास दिल्ली में 4 मंजिला मकान किराए पर था. दिल्ली पुलिस के सहयोग से उस मकान के मालिक को बुलाया गया. गैंग ने चारों मंजिल को हाईटैक बना रखा था. पुलिस ने एसआई प्रेम सिंह को मकान मालिक के साथ घर भेजा गया, जहां नाइजीरियाई ठग रहते थे. मकान मालिक ने एसआई प्रेमसिंह को मकान पर जा कर अपना रिश्तेदार बताते हुए मकान दिखाने की बात कही. उस के बाद ठग गैंग के सदस्य ने दरवाजा खोला. दरवाजा खुलते ही पीछे से पूरी पुलिस टीम मकान में आ गई. हथियारबंद पुलिसकर्मियों ने दरवाजा खुलते ही सिक्योरिटी गार्ड को दबोच लिया. उस के बाद संडे को हिरासत में ले लिया गया. हालांकि सरगना बोनीसेफ दीवार कूद कर भाग गया. पुलिस ने मकान की तलाशी ली तो फ्रिज में बड़ी मात्रा में मांस, अंडे सहित काफी खाद्य सामग्री मिली. इस से माना गया कि ये ठग घर से बाहर कम ही निकलते थे.

ठगी के तीसरे आरोपी ओगुग्वा संडे ने पुलिस पूछताछ में बताया कि सोशल साइट पर महिला की फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार होते ही वे लोग रटेरटाए 6 प्रश्न पूछ कर परिवार की स्थिति जान लेते थे. उस के बाद दोस्त बनी महिला का वाट्सऐप नंबर ले लेते. उस नंबर पर चैटिंग करते थे और बाद में उस के मोबाइल नंबर जान लेते थे. इस के लिए हाईटेक मकान में 20 लोग काम करते थे. ये दिन भर महिला शिकार की तलाश करते रहते थे. जिस मकान में ठगी की साइबर सेल चल रही थी, वहां 10 लैपटौप एक साथ चलते थे. एक लैपटौप पर 6-6 महिलाओं से एक साथ चैटिंग होती थी. हरेक महिला को अलगअलग नाम बता कर चैटिंग करते. नामों को ले कर जरा सी भी गलती न हो, इस के लिए पास में एक डायरी रखते थे. दोस्ती होते ही उस से ठगी शुरू कर देते थे.

विदेश के ये ठग हर रोज 100 से 200 लोग तलाशने का लक्ष्य ले कर चलते थे. एक के बाद एक फ्रैंड रिक्वेस्ट भेजते थे. इस में औसतन रोज 50 महिलाएं फ्रैंड रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेती थीं. एक शिकार से 25 हजार से 30 हजार रुपए वसूलने का लक्ष्य होता था. शाम तक नाइजीरियन गैंग 4 से 5 लाख रुपए ठगी वाले खाते में डलवा लेते थे. इस पैसे से ये लोग हाईप्रोफाइल जिंदगी जीते थे. ठगी के औफिस में दिन भर शराब मांस उड़ाया जाता. भीलवाड़ा में गैंग के खुलासे के बाद दिल्ली से कई ठग फरार हो गए. जिस ठग ओगुग्वा संडे को भीलवाड़ा पुलिस ने दिल्ली के मोहन गार्डन से 20 अक्तूबर को दबोचा, उस ठग ने रिटायर शिक्षिका मनोरमा से ठगी कर के 43 लाख से ज्यादा की रकम खाते में डलवाई थी.

पुलिस कोतवाली भीलवाड़ा के थानाप्रभारी यशदीप भल्ला ने बताया कि जब पुलिस टीम दिल्ली में दोबारा आरोपी ठगों के ठिकाने पर जा कर घर में घुसी तो बाहर निकलना मुश्किल हो गया. ठगों के 4 मंजिला मकान का मुख्य दरवाजा अत्याधुनिक तकनीक से लौक था, जिसे केवल गैंग के सदस्य ही खोल सकते थे. गेट के अंदर घुसने के बाद दूसरा गेट था, इस गेट पर भी लौक था. अंदर घुसने के बाद गेट बंद हो जाता और बिना पासवर्ड के बाहर निकलना मुश्किल था. भीलवाड़ा पुलिस ने जान पर खेल कर तीसरे ठग ओगुग्वा संडे को गिरफ्तार किया और साथ ले कर आई. पुलिस टीम ठगी के आरोपियों के ठिकाने पर पहुंची तो शेयर मार्केट की तरह वहां लैपटौप चल रहे थे, जिन पर दिन भर शिकार की तलाश होती थी.

नाइजीरियाई ठग गैंग का सरगना बोनीफेस कहां रहता है, इस की जानकारी गिरफ्तार किए गए आरोपियों को भी नहीं है. भीलवाड़ा कोतवाली पुलिस ने 24 अक्तूबर, 2019 को तीनों आरोपियों को भीलवाड़ा कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

—कथा में मनोरमा परिवर्तित नाम है

 

50 करोड़ का खेल : भीलवाड़ा का बिल्डर अपहरण कांड

21 मार्च, 2019 की बात है. उस दिन होली थी. होलिका दहन के अगले दिन रंग गुलाल से खेले जाने वाले त्यौहार का आमतौर पर दोपहर तक ही धूमधड़ाका रहता है. दोपहर में रंगेपुते लोग नहाधो कर अपने चेहरों से रंग उतारते हैं. फिर अपने कामों में लग जाते हैं. कई जगह शाम के समय लोग अपने परिचितों और रिश्तेदारों से मिलने भी जाते हैं.

भीलवाड़ा के पाटील नगर का रहने वाला शिवदत्त शर्मा भी होली की शाम अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने के लिए अपनी वेरना कार से बापूनगर के लिए निकला था. शिवदत्त ने जाते समय पत्नी शर्मीला से कहा था कि वह रात तक घर आ जाएगा. थोड़ी देर हो जाए तो चिंता मत करना.

शिवदत्त का मोबाइल स्विच्ड क्यों था

शिवदत्त जब देर रात तक नहीं लौटा तो शर्मीला को चिंता हुई. रात करीब 10 बजे शर्मीला ने पति के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद शर्मीला घरेलू कामों में लग गई. उस के सारे काम निबट गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया था. शर्मीला ने दोबारा पति के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ ही मिला. उसे लगा कि शायद पति के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई होगी, इसलिए स्विच्ड औफ आ रहा है.

शर्मीला बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी. धीरेधीरे रात के 12 बज गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया. इस से शर्मीला को चिंता होने लगी. वह पति के दोस्त राजेश त्रिपाठी को फोन करने के लिए नंबर ढूंढने लगी, लेकिन त्रिपाठीजी का नंबर भी नहीं मिला.

शर्मीला की चिंता स्वाभाविक थी. वैसे भी शिवदत्त कह गया था कि थोड़ीबहुत देर हो जाए तो चिंता मत करना, लेकिन घर आने की भी एक समय सीमा होती है. शर्मीला बिस्तर पर लेटेलेटे पति के बारे में सोचने लगी कि क्या बात है, न तो उन का फोन आया और न ही वह खुद आए.

पति के खयालों में खोई शर्मीला की कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला. त्यौहार के कामकाज की वजह से वह थकी हुई थी, इसलिए जल्दी ही गहरी नींद आ गई.

वाट्सऐप मैसेज से मिली पति के अपहरण की सूचना

22 मार्च की सुबह शर्मीला की नींद खुली तो उस ने घड़ी देखी. सुबह के 5 बजे थे. पति अभी तक नहीं लौटा था. शर्मीला ने पति को फिर से फोन करने के लिए अपना मोबाइल उठाया तो देखा कि पति के नंबर से एक वाट्सऐप मैसेज आया था.

शर्मीला ने मैसेज पढ़ा. उस में लिखा था, ‘तुम्हारा घर वाला हमारे पास है. इस पर हमारे एक करोड़ रुपए उधार हैं. यह हमारे रुपए नहीं दे रहा. इसलिए हम ने इसे उठा लिया है. हम तुम्हें 2 दिन का समय देते हैं. एक करोड़ रुपए तैयार रखना. बाकी बातें हम 2 दिन बाद तुम्हें बता देंगे. हमारी नजर तुम लोगों पर है. ध्यान रखना, अगर पुलिस या किसी को बताया तो इसे वापस कभी नहीं देख पाओगी.’

मोबाइल पर आया मैसेज पढ़ कर शर्मीला घबरा गई. वह क्या करे, कुछ समझ नहीं पा रही थी. पति की जिंदगी का सवाल था, घबराहट से भरी शर्मीला ने अपने परिवार वालों को जगा कर मोबाइल पर आए मैसेज के बारे में बताया.

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मैसेज पढ़ कर लग रहा था कि शिवदत्त का अपहरण कर लिया गया है. बदमाशों ने शिवदत्त के मोबाइल से ही मैसेज भेजा था ताकि पुष्टि हो जाए कि शिवदत्त बदमाशों के कब्जे में है. यह मैसेज 21 मार्च की रात 9 बज कर 2 मिनट पर आया था, लेकिन उस समय शर्मीला इसे देख नहीं सकी थी.

शिवदत्त के अपहरण की बात पता चलने पर पूरे परिवार में रोनापीटना शुरू हो गया. जल्दी ही बात पूरी कालोनी में फैल गई. चिंता की बात यह थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त पर अपने एक करोड़ रुपए बकाया बताए थे और वह रकम उन्होंने 2 दिन में तैयार रखने को कहा था.

शर्मीला 2 दिन में एक करोड़ का इंतजाम कहां से करती? शिवदत्त होते तो एक करोड़ इकट्ठा करना मुश्किल नहीं था लेकिन शर्मीला घरेलू महिला थी, उन्हें न तो पति के पैसों के हिसाब किताब की जानकारी थी और न ही उन के व्यवसाय के बारे में ज्यादा पता था. शर्मीला को बस इतना पता था कि उस के पति बिल्डर हैं.

शर्मीला और उस के परिवार की चिंता को देखते हुए कुछ लोगों ने उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी. शर्मीला परिवार वालों के साथ 22 मार्च को भीलवाड़ा के सुभाषनगर थाने पहुंच गई और पुलिस को सारी जानकारी देने के बाद अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने शर्मीला और उन के परिवार के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि कपड़ा नगरी के नाम से देश भर में मशहूर भीलवाड़ा के पथिक नगर की श्रीनाथ रेजीडेंसी में रहने वाले 42 साल के शिवदत्त शर्मा की हाइपर टेक्नो कंसट्रक्शन कंपनी है. शिवदत्त का भीलवाड़ा और आसपास के इलाके में प्रौपर्टी का बड़ा काम था. उन के बिजनैस में कई साझीदार हैं और इन लोगों की करोड़ों अरबों की प्रौपर्टी हैं.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने इस की जानकारी एडिशनल एसपी दिलीप सैनी को दे दी. इस के बाद पुलिस ने शिवदत्त की तलाश शुरू कर दी. साथ ही शिवदत्त की पत्नी से यह भी कह दिया कि अगर अपहर्त्ताओं का कोई भी मैसेज आए तो तुरंत पुलिस को बता दें.

चूंकि शिवदत्त अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी के घर जाने की बात कह कर घर से निकले थे, इसलिए पुलिस ने राजेश त्रिपाठी से पूछताछ की. राजेश ने बताया कि शिवदत्त होली के दिन शाम को उन के पास आए तो थे लेकिन वह रात करीब 8 बजे वापस चले गए थे.

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जांचपड़ताल के दौरान 23 मार्च को पुलिस को शिवदत्त की वेरना कार भीलवाड़ा में ही सुखाडि़या सर्किल से रिंग रोड की तरफ जाने वाले रास्ते पर लावारिस हालत में खड़ी मिल गई. पुलिस ने कार जब्त कर ली. पुलिस ने कार की तलाशी ली, लेकिन उस से शिवदत्त के अपहरण से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला. कार भी सहीसलामत थी. उस में कोई तोड़फोड़ नहीं की गई थी और न ही उस में संघर्ष के कोई निशान थे.

पुलिस ने शिवदत्त के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन मोबाइल के स्विच्ड औफ होने की वजह से उस की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जांच की अगली कड़ी के रूप में पुलिस ने शिवदत्त, उस की पत्नी और कंपनी के स्टाफ के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा शिवदत्त के लेनदेन, बैंक खातों, साझेदारों के लेनदेन से संबंधित जानकारियां जुटाईं. यह भी पता लगाया गया कि किसी प्रौपर्टी को ले कर कोई विवाद तो नहीं था.

पुलिस जुट गई जांच में

इस बीच 24 मार्च का दिन भी निकल गया. लेकिन अपहर्त्ताओं की ओर से कोई सूचना नहीं आई. जबकि उन्होंने 2 दिन में एक करोड़ रुपए का इंतजाम करने को कहा था. घर वाले इस बात को ले कर चिंतित थे कि कहीं अपहर्त्ताओं को उन के पुलिस में जाने की बात पता न लग गई हो. क्योंकि इस से चिढ़ कर वे शिवदत्त के साथ कोई गलत हरकत कर सकते थे.

शर्मीला पति को ले कर बहुत चिंतित थी. अपहर्त्ताओं की ओर से 3 दिन बाद भी शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क नहीं किया गया. ऐसे में पुलिस को भी उस की सलामती की चिंता थी.

पुलिस ने शिवदत्त की तलाश तेज करते हुए 4 टीमें जांचपड़ताल में लगा दी. इन टीमों ने शिवदत्त के रिश्तेदारों से ले कर मिलनेजुलने वालों और संदिग्ध लोगों से पूछताछ की, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. शिवदत्त की कार जिस जगह लावारिस हालत में मिली थी, उस के आसपास सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कोशिश भी की गई, लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका.

इस पर पुलिस ने 25 मार्च को शिवदत्त के फोटो वाले पोस्टर छपवा कर भीलवाड़ा जिले के अलावा पूरे राजस्थान सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के पुलिस थानों को सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करने के लिए भेजे.

पुलिस को भी नहीं मिला शिवदत्त

जांच में पता चला कि शिवदत्त ने कुछ समय पहले महाराष्ट्र में भी अपना कारोबार शुरू किया था. इसलिए किसी सुराग की तलाश में पुलिस टीम मुंबई और नासिक भेजी गई. लेकिन वहां हाथपैर मारने के बाद पुलिस खाली हाथ लौट आई.

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उधर लोग इस मामले में पुलिस की लापरवाही मान रहे थे. पुलिस के प्रति लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा था. 26 अप्रैल, 2019 को ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि मंडल ने भीलवाड़ा के कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन दे कर शिवदत्त को सुरक्षित बरामद कर अपहर्त्ताओं को गिरफ्तार करने की मांग की. ऐसा न होने पर उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दे दी.

दिन पर दिन बीतते जा रहे थे, लेकिन न तो अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क किया था और न ही पुलिस को कोई सुराग मिला था. इस से शिवदत्त के परिजन भी परेशान थे. उन के मन में आशंका थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के साथ कुछ गलत न कर दिया हो. क्योंकि इतने दिन बाद भी न तो अपहर्त्ता संपर्क कर रहे थे और न ही खुद शिवदत्त.

पुलिस की चिंता भी कम नहीं थी. वह भी लगातार भागदौड़ कर रही थी. पुलिस ने शिवदत्त के फेसबुक, ट्विटर, ईमेल एकाउंट खंगालने के बाद संदेह के दायरे में आए 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की.

पुलिस की टीमें महाराष्ट्र और गुजरात भी हो कर आई थीं. शिवदत्त और उस के परिवार वालों के मोबाइल की कालडिटेल्स की भी जांच की गई. भीलवाड़ा शहर में बापूनगर, पीऐंडटी चौराहा से पांसल चौराहा और अन्य इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकला.

बिल्डर शिवदत्त के अपहरण का मामला पुलिस के लिए एक मिस्ट्री बनता जा रहा था. पुलिस अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर अपहर्त्ता शिवदत्त को कहां ले जा कर छिप गए. ऐसा कोई व्यक्ति भी पुलिस को नहीं मिल रहा था जिस ने राजेश त्रिपाठी के घर से निकलने के बाद शिवदत्त को देखा हो. त्रिपाठी ही ऐसा शख्स था, जिस से शिवदत्त आखिरी बार मिला था. पुलिस त्रिपाठी से पहले ही पूछताछ कर चुकी थी. उस से कोई जानकारी नहीं मिली थी तो उसे घर भेज दिया गया था.

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जांचपड़ताल में सामने आया कि शिवदत्त का करीब 100 करोड़ रुपए का कारोबार था. साथ ही उस पर 20-30 करोड़ की देनदारियां भी थीं. महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के अहमदाबाद में भी उस ने कुछ समय पहले नया काम शुरू किया था.

शिवदत्त ने सन 2009 में प्रौपर्टी का कारोबार शुरू किया था. शुरुआत में उस ने इस काम में अच्छा पैसा कमाया. कमाई हुई तो उस ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए. एक साथ कई काम शुरू करने से उसे नुकसान भी हुआ. इस से उस की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी तो उस ने लोन लेने के साथ कई लोगों से करोड़ों रुपए उधार लिए. भीलवाड़ा जिले का रहने वाला एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शिवदत्त की प्रौपर्टीज में पैसा लगाता था.

शिवदत्त भीलवाड़ा में ब्राह्मण समाज और अन्य समाजों के धार्मिक कार्यक्रमों में मोटा चंदा देता था. इस से उस ने विभिन्न समाजों के धनी और जानेमाने लोगों का भरोसा भी जीत रखा था. ऐसे कई लोगों ने शिवदत्त की प्रौपर्टीज में निवेश कर रखा था.

शिवदत्त के ऊपर उधारी बढ़ती गई तो लेनदार भी परेशान करने लगे. शिवदत्त प्रौपर्टी बेच कर उन लोगों का पैसा चुकाना चाहता था, लेकिन बाजार में मंदी के कारण प्रौपर्टी का सही भाव नहीं मिल रहा था. इस से वह परेशान रहने लगा था. लोगों के तकाजे से परेशान हो कर उसने फोन अटेंड करना भी कम कर दिया था.

हालांकि शर्मीला ने पुलिस थाने में पति के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस को एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस के उस के अपहरण की पुष्टि होती. एक सवाल यह भी था कि शिवदत्त अगर उधारी का पैसा नहीं चुका रहा था तो अपहर्त्ता उन के किसी परिजन को उठा कर ले जाते, क्योंकि लेनदारों को यह बात अच्छी तरह पता थी कि पैसों की व्यवस्था शिवदत्त के अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता.

घूमने लगा पुलिस का दिमाग

आधुनिक टैक्नोलौजी के इस जमाने में पुलिस तीनचौथाई आपराधिक मामले मोबाइल लोकेशन, काल डिटेल्स व सीसीटीवी फुटेज से सुलझा लेती है, लेकिन शिवदत्त के मामले में पुलिस के ये तीनों हथियार फेल हो गए थे. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. सीसीटीवी फुटेज साफ नहीं थे. काल डिटेल्स से भी कोई खास बातें पता नहीं चलीं.

प्रौपर्टी का काम करने से पहले शिवदत्त के पास बोरिंग मशीन थी. वह हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर सहित कई राज्यों में ट्यूबवैल के बोरिंग का काम करता था. इन स्थितियों में तमाम बातों पर गौर करने के बाद पुलिस शिवदत्त के अपहरण के साथ अन्य सभी पहलुओं पर भी जांच करने लगी.

इसी बीच शिवदत्त की पत्नी शर्मीला ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी. इस में शर्मीला ने अपने पति को ढूंढ निकालने की गुहार लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि शिवदत्त को तलाश कर जल्द से जल्द अदालत में पेश किया जाए.

अब पुलिस के सामने शिवदत्त मामले में दोहरी चुनौती पैदा हो गई. पुलिस ने शिवदत्त की तलाश ज्यादा तेजी से शुरू कर दी. मई के पहले सप्ताह में शिवदत्त का मोबाइल स्विच औन किया गया. इस से उस की लोकेशन का पता चल गया. पता चला कि वह मोबाइल देहरादून में है. भीलवाड़ा से तुरंत एक पुलिस टीम देहरादून भेजी गई. देहरादून में पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन ढूंढी तो वह मोबाइल एक धोबी के पास मिला.

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धोबी ने बताया कि पास के ही एक गेस्टहाउस में रहने वाले एक साहब के कपड़ों में एक दिन गलती से उन का मोबाइल आ गया. उस मोबाइल को धोबी के बेटे ने औन कर के अपने पास रख लिया था. मोबाइल औन होने से उस की लोकेशन पुलिस को पता चल गई.

पुलिस ने 4 मई, 2019 को धोबी की मदद से शिवदत्त को देहरादून के अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस से बरामद कर लिया. शिवदत्त अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से इस गेस्टहाउस में ठहरा हुआ था. देहरादून से वह लगातार जयपुर की अपनी एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस दौरान शिवदत्त ने देहरादून में एक कोचिंग सेंटर में इंग्लिश स्पीकिंग क्लास भी जौइन कर ली थी.

42 दिन तक कथित रूप से लापता रहे शिवदत्त को पुलिस देहरादून से भीलवाड़ा ले आई. उस से की गई पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी.

नाटक और हकीकत में फर्क होता है

शिवदत्त ने प्रौपर्टी व्यवसाय में कई जगह पैर पसार रखे थे. उस ने भीलवाड़ा में विनायक रेजीडेंसी, सांगानेर रोड पर मल्टीस्टोरी प्रोजैक्ट, अजमेर रोड पर श्रीमाधव रेजीडेंसी, कृष्णा विहार बाईपास, कोटा रोड पर रूपाहेली गांव के पास वृंदावन ग्रीन फार्महाउस आदि बनाए. इन के लिए उस ने बाजार से मोटी ब्याज दर पर करीब 50 करोड़ रुपए उधार लिए थे, लेकिन कुछ प्रोजैक्ट समय पर पूरे नहीं हुए.

बाद में प्रौपर्टी व्यवसाय में मंदी आ गई. इस से उसे अपनी प्रौपर्टीज के सही भाव नहीं मिल पा रहे थे. जिन लोगों ने शिवदत्त को रकम उधार दी थी, वह उन पर लगातार तकाजा कर रहे थे. ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा था. इस से शिवदत्त परेशान रहने लगा. वह इस समस्या से निकलने का समाधान खोजता रहता था.

इस बीच जनवरी में शिवदत्त अपने घर पर सीढि़यों से फिसल गया. उस की रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी. कुछ दिन वह अस्पताल में भरती रहा. फिर चोट के बहाने करीब 2 महीने तक घर पर ही रहा. इस दौरान उस ने अपना कारोबार पत्नी शर्मीला और स्टाफ के भरोसे छोड़ दिया था. पैसा मांगने वालों को घरवाले और स्टाफ शिवदत्त के बीमार होने की बात कह कर टरकाते रहे.

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घर पर आराम करने के दौरान एक दिन शिवदत्त ने सारी समस्याओं से निपटने के लिए खुद के अपहरण की योजना बनाई. उस का विचार था कि अपहरण की बात से कर्जदार उस के परिवार को परेशान नहीं करेंगे. उन पर पुलिस की पूछताछ का दबाव भी नहीं रहेगा. यहां से जाने के बाद वह भीलवाड़ा से बाहर जा कर कहीं रह लेगा और मामला शांत हो जाने पर किसी दिन अचानक भीलवाड़ा पहुंच कर अपने अपहरण की कोई कहानी बना देगा.

अपनी योजना को मूर्तरूप देने के लिए उस ने होली का दिन चुना. इस से पहले ही शिवदत्त ने अपनी कार में करीब 8-10 जोड़ी कपड़े और जरूरी सामान रख लिया था. करीब एक लाख रुपए नकद भी उस के पास थे. शिवदत्त ने अपनी योजना की जानकारी पत्नी और किसी भी परिचित को नहीं लगने दी. उसे पता था कि अगर परिवार में किसी को यह बात बता दी तो पुलिस उस का पता लगा लेगी. इसलिए उस ने इस बारे में पत्नी तक को कुछ बताना ठीक नहीं समझा.

योजना के अनुसार, शिवदत्त होली की शाम पत्नी से अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने जाने की बात कह कर कार ले कर घर से निकल गया. वह अपने दोस्त से मिला और रात करीब 8 बजे वहां से निकल गया. शिवदत्त ने राजेश त्रिपाठी के घर से आ कर अपनी कार सुखाडि़या सर्किल के पास लावारिस छोड़ दी. कार से कपड़े और जरूरी सामान निकाल लिया. कपड़े व सामान ले कर वह भीलवाड़ा से प्राइवेट बस में सवार हो कर दिल्ली के लिए चल दिया.

भीलवाड़ा से रवाना होते ही शिवदत्त ने अपने मोबाइल से पत्नी के मोबाइल पर खुद के अपहरण का मैसेज भेज दिया था. इस के बाद उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. भीलवाड़ा से दिल्ली पहुंच कर वह ऋषिकेश चला गया.

ऋषिकेश में शिवदत्त ने अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से नया सिमकार्ड खरीदा. फिर एक नया फोन खरीद कर वह सिम मोबाइल में डाल दिया. कुछ दिन ऋषिकेश में रुकने के बाद शिवदत्त देहरादून चला गया. देहरादून में 29 मार्च को उस ने राकेश शर्मा की आईडी से अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस में कमरा ले लिया.

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खेल एक अनाड़ी खिलाड़ी का

देहरादून में उस ने दिखावे के लिए इंग्लिश स्पीकिंग क्लास जौइन कर ली. वह अपने कपड़े धुलवाने और प्रैस कराने के लिए धोबी को देता था. एक दिन गलती से शिवदत्त का पुराना मोबाइल उस के कपड़ों की जेब में धोबी के पास चला गया. इसी से उस का भांडा फूटा.

शुरुआती जांच में सामने आया कि देहरादून में रहने के दौरान शिवदत्त मुख्यरूप से जयपुर की एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस महिला से शिवदत्त की रोजाना लंबीलंबी बातें होती थीं. जबकि वह अपनी पत्नी या अन्य किसी परिजन के संपर्क में नहीं था.

भीलवाड़ा के सुभाष नगर थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने शिवदत्त को 6 मई को जोधपुर ले जा कर हाईकोर्ट में पेश किया और उस के अपहरण की झूठी कहानी से कोर्ट को अवगत कराया. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संदीप मेहता और विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने शिवदत्त के प्रति नाराजगी जताई. जजों ने याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत और पुलिस को गुमराह करने पर याचिकाकर्ता शर्मीला पर 5 हजार रुपए का जुरमाना लगाते हुए यह राशि पुलिस कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश दिए.

बाद में सुभाष नगर थाना पुलिस ने शिवदत्त के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. उस के खिलाफ अपने ही अपहरण की झूठी कहानी गढ़ कर पुलिस को गुमराह करने, अवैध रूप से देनदारों पर दबाव बनाने और षडयंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया. इस मामले की जांच सदर पुलिस उपाधीक्षक राजेश आर्य कर रहे थे.

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पुलिस ने इस मामले में 7 मई, 2019 को बिल्डर शिवदत्त को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन उसे अदालत में पेश कर 6 दिन के रिमांड पर लिया गया. रिमांड अवधि में भी शिवदत्त से विस्तार से पूछताछ की गई, फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

बहरहाल, बिल्डर शिवदत्त मोहमाया के लालच में अपने ही बिछाए जाल में फंस गया. अपहरण की झूठी कहानी से उस के परिजन भी 42 दिन तक परेशान रहे. पुलिस भी परेशान होती रही. भले ही वह जमानत पर छूट कर घर आ जाएगा, लेकिन सौ करोड़ के कारोबारी ने बाजार में अपनी साख तो खराब कर ही ली. इस का जिम्मेदार वह खुद और उस का लोभ है.

50 करोड़ का खेल : भीलवाड़ा का बिल्डर अपहरण कांड

50 करोड़ का खेल : भीलवाड़ा का बिल्डर अपहरण कांड – भाग 3

पुलिस ने 4 मई, 2019 को धोबी की मदद से शिवदत्त को देहरादून के अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस से बरामद कर लिया. शिवदत्त अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से इस गेस्टहाउस में ठहरा हुआ था. देहरादून से वह लगातार जयपुर की अपनी एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस दौरान शिवदत्त ने देहरादून में एक कोचिंग सेंटर में इंग्लिश स्पीकिंग क्लास भी जौइन कर ली थी.

42 दिन तक कथित रूप से लापता रहे शिवदत्त को पुलिस देहरादून से भीलवाड़ा ले आई. उस से की गई पूछताछ में जो कहानी उभर कर सामने आई, वह किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं थी.

नाटक और हकीकत में फर्क होता है

शिवदत्त ने प्रौपर्टी व्यवसाय में कई जगह पैर पसार रखे थे. उस ने भीलवाड़ा में विनायक रेजीडेंसी, सांगानेर रोड पर मल्टीस्टोरी प्रोजैक्ट, अजमेर रोड पर श्रीमाधव रेजीडेंसी, कृष्णा विहार बाईपास, कोटा रोड पर रूपाहेली गांव के पास वृंदावन ग्रीन फार्महाउस आदि बनाए. इन के लिए उस ने बाजार से मोटी ब्याज दर पर करीब 50 करोड़ रुपए उधार लिए थे, लेकिन कुछ प्रोजैक्ट समय पर पूरे नहीं हुए.

बाद में प्रौपर्टी व्यवसाय में मंदी आ गई. इस से उसे अपनी प्रौपर्टीज के सही भाव नहीं मिल पा रहे थे. जिन लोगों ने शिवदत्त को रकम उधार दी थी, वह उन पर लगातार तकाजा कर रहे थे. ब्याज का बोझ बढ़ता जा रहा था. इस से शिवदत्त परेशान रहने लगा. वह इस समस्या से निकलने का समाधान खोजता रहता था.

इस बीच जनवरी में शिवदत्त अपने घर पर सीढि़यों से फिसल गया. उस की रीढ़ की हड्डी में चोट आई थी. कुछ दिन वह अस्पताल में भरती रहा. फिर चोट के बहाने करीब 2 महीने तक घर पर ही रहा. इस दौरान उस ने अपना कारोबार पत्नी शर्मीला और स्टाफ के भरोसे छोड़ दिया था. पैसा मांगने वालों को घरवाले और स्टाफ शिवदत्त के बीमार होने की बात कह कर टरकाते रहे.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – दिन दहाड़े किया दुल्हन का अपहरण – भाग 1

घर पर आराम करने के दौरान एक दिन शिवदत्त ने सारी समस्याओं से निपटने के लिए खुद के अपहरण की योजना बनाई. उस का विचार था कि अपहरण की बात से कर्जदार उस के परिवार को परेशान नहीं करेंगे. उन पर पुलिस की पूछताछ का दबाव भी नहीं रहेगा. यहां से जाने के बाद वह भीलवाड़ा से बाहर जा कर कहीं रह लेगा और मामला शांत हो जाने पर किसी दिन अचानक भीलवाड़ा पहुंच कर अपने अपहरण की कोई कहानी बना देगा.

अपनी योजना को मूर्तरूप देने के लिए उस ने होली का दिन चुना. इस से पहले ही शिवदत्त ने अपनी कार में करीब 8-10 जोड़ी कपड़े और जरूरी सामान रख लिया था. करीब एक लाख रुपए नकद भी उस के पास थे. शिवदत्त ने अपनी योजना की जानकारी पत्नी और किसी भी परिचित को नहीं लगने दी. उसे पता था कि अगर परिवार में किसी को यह बात बता दी तो पुलिस उस का पता लगा लेगी. इसलिए उस ने इस बारे में पत्नी तक को कुछ बताना ठीक नहीं समझा.

योजना के अनुसार, शिवदत्त होली की शाम पत्नी से अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने जाने की बात कह कर कार ले कर घर से निकल गया. वह अपने दोस्त से मिला और रात करीब 8 बजे वहां से निकल गया. शिवदत्त ने राजेश त्रिपाठी के घर से आ कर अपनी कार सुखाडि़या सर्किल के पास लावारिस छोड़ दी. कार से कपड़े और जरूरी सामान निकाल लिया. कपड़े व सामान ले कर वह भीलवाड़ा से प्राइवेट बस में सवार हो कर दिल्ली के लिए चल दिया.

भीलवाड़ा से रवाना होते ही शिवदत्त ने अपने मोबाइल से पत्नी के मोबाइल पर खुद के अपहरण का मैसेज भेज दिया था. इस के बाद उस ने अपना मोबाइल स्विच्ड औफ कर लिया. भीलवाड़ा से दिल्ली पहुंच कर वह ऋषिकेश चला गया.

ऋषिकेश में शिवदत्त ने अपने औफिस के कर्मचारी राकेश शर्मा की आईडी से नया सिमकार्ड खरीदा. फिर एक नया फोन खरीद कर वह सिम मोबाइल में डाल दिया. कुछ दिन ऋषिकेश में रुकने के बाद शिवदत्त देहरादून चला गया. देहरादून में 29 मार्च को उस ने राकेश शर्मा की आईडी से अरोड़ा पेइंग गेस्टहाउस में कमरा ले लिया.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – हनी ट्रैप से बुझी बदले की आग – भाग 1

खेल एक अनाड़ी खिलाड़ी का

देहरादून में उस ने दिखावे के लिए इंग्लिश स्पीकिंग क्लास जौइन कर ली. वह अपने कपड़े धुलवाने और प्रैस कराने के लिए धोबी को देता था. एक दिन गलती से शिवदत्त का पुराना मोबाइल उस के कपड़ों की जेब में धोबी के पास चला गया. इसी से उस का भांडा फूटा.

शुरुआती जांच में सामने आया कि देहरादून में रहने के दौरान शिवदत्त मुख्यरूप से जयपुर की एक परिचित महिला के संपर्क में था. इस महिला से शिवदत्त की रोजाना लंबीलंबी बातें होती थीं. जबकि वह अपनी पत्नी या अन्य किसी परिजन के संपर्क में नहीं था.

भीलवाड़ा के सुभाष नगर थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने शिवदत्त को 6 मई को जोधपुर ले जा कर हाईकोर्ट में पेश किया और उस के अपहरण की झूठी कहानी से कोर्ट को अवगत कराया. इस पर मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस संदीप मेहता और विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ ने शिवदत्त के प्रति नाराजगी जताई. जजों ने याचिका का निस्तारण करते हुए अदालत और पुलिस को गुमराह करने पर याचिकाकर्ता शर्मीला पर 5 हजार रुपए का जुरमाना लगाते हुए यह राशि पुलिस कल्याण कोष में जमा कराने के आदेश दिए.

बाद में सुभाष नगर थाना पुलिस ने शिवदत्त के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया. उस के खिलाफ अपने ही अपहरण की झूठी कहानी गढ़ कर पुलिस को गुमराह करने, अवैध रूप से देनदारों पर दबाव बनाने और षडयंत्र रचने का मामला दर्ज किया गया. इस मामले की जांच सदर पुलिस उपाधीक्षक राजेश आर्य कर रहे थे.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – समलैंगिक फेसबुक फ्रेंड दे गया मौत – भाग 1

पुलिस ने इस मामले में 7 मई, 2019 को बिल्डर शिवदत्त को गिरफ्तार कर लिया. अगले दिन उसे अदालत में पेश कर 6 दिन के रिमांड पर लिया गया. रिमांड अवधि में भी शिवदत्त से विस्तार से पूछताछ की गई, फिर उसे कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.

बहरहाल, बिल्डर शिवदत्त मोहमाया के लालच में अपने ही बिछाए जाल में फंस गया. अपहरण की झूठी कहानी से उस के परिजन भी 42 दिन तक परेशान रहे. पुलिस भी परेशान होती रही. भले ही वह जमानत पर छूट कर घर आ जाएगा, लेकिन सौ करोड़ के कारोबारी ने बाजार में अपनी साख तो खराब कर ही ली. इस का जिम्मेदार वह खुद और उस का लोभ है.

50 करोड़ का खेल : भीलवाड़ा का बिल्डर अपहरण कांड – भाग 2

पुलिस जुट गई जांच में

इस बीच 24 मार्च का दिन भी निकल गया. लेकिन अपहर्त्ताओं की ओर से कोई सूचना नहीं आई. जबकि उन्होंने 2 दिन में एक करोड़ रुपए का इंतजाम करने को कहा था. घर वाले इस बात को ले कर चिंतित थे कि कहीं अपहर्त्ताओं को उन के पुलिस में जाने की बात पता न लग गई हो. क्योंकि इस से चिढ़ कर वे शिवदत्त के साथ कोई गलत हरकत कर सकते थे.

शर्मीला पति को ले कर बहुत चिंतित थी. अपहर्त्ताओं की ओर से 3 दिन बाद भी शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क नहीं किया गया. ऐसे में पुलिस को भी उस की सलामती की चिंता थी.

पुलिस ने शिवदत्त की तलाश तेज करते हुए 4 टीमें जांचपड़ताल में लगा दी. इन टीमों ने शिवदत्त के रिश्तेदारों से ले कर मिलनेजुलने वालों और संदिग्ध लोगों से पूछताछ की, लेकिन कहीं से कोई सुराग नहीं मिला. शिवदत्त की कार जिस जगह लावारिस हालत में मिली थी, उस के आसपास सीसीटीवी फुटेज खंगालने की कोशिश भी की गई, लेकिन पुलिस को कोई सुराग नहीं मिल सका.

इस पर पुलिस ने 25 मार्च को शिवदत्त के फोटो वाले पोस्टर छपवा कर भीलवाड़ा जिले के अलावा पूरे राजस्थान सहित गुजरात, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र के पुलिस थानों को सार्वजनिक स्थानों पर चस्पा करने के लिए भेजे.

पुलिस को भी नहीं मिला शिवदत्त

जांच में पता चला कि शिवदत्त ने कुछ समय पहले महाराष्ट्र में भी अपना कारोबार शुरू किया था. इसलिए किसी सुराग की तलाश में पुलिस टीम मुंबई और नासिक भेजी गई. लेकिन वहां हाथपैर मारने के बाद पुलिस खाली हाथ लौट आई.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – महिला कांस्टेबल से ट्रेन में दरिंदगी – भाग 1

उधर लोग इस मामले में पुलिस की लापरवाही मान रहे थे. पुलिस के प्रति लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा था. 26 अप्रैल, 2019 को ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधि मंडल ने भीलवाड़ा के कलेक्टर और एसपी को ज्ञापन दे कर शिवदत्त को सुरक्षित बरामद कर अपहर्त्ताओं को गिरफ्तार करने की मांग की. ऐसा न होने पर उन्होंने आंदोलन की चेतावनी दे दी.

दिन पर दिन बीतते जा रहे थे, लेकिन न तो अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के परिजनों से कोई संपर्क किया था और न ही पुलिस को कोई सुराग मिला था. इस से शिवदत्त के परिजन भी परेशान थे. उन के मन में आशंका थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त के साथ कुछ गलत न कर दिया हो. क्योंकि इतने दिन बाद भी न तो अपहर्त्ता संपर्क कर रहे थे और न ही खुद शिवदत्त.

पुलिस की चिंता भी कम नहीं थी. वह भी लगातार भागदौड़ कर रही थी. पुलिस ने शिवदत्त के फेसबुक, ट्विटर, ईमेल एकाउंट खंगालने के बाद संदेह के दायरे में आए 50 से अधिक लोगों से पूछताछ की.

पुलिस की टीमें महाराष्ट्र और गुजरात भी हो कर आई थीं. शिवदत्त और उस के परिवार वालों के मोबाइल की कालडिटेल्स की भी जांच की गई. भीलवाड़ा शहर में बापूनगर, पीऐंडटी चौराहा से पांसल चौराहा और अन्य इलाकों में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाली गई, लेकिन इन सब का कोई नतीजा नहीं निकला.

बिल्डर शिवदत्त के अपहरण का मामला पुलिस के लिए एक मिस्ट्री बनता जा रहा था. पुलिस अधिकारी समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर अपहर्त्ता शिवदत्त को कहां ले जा कर छिप गए. ऐसा कोई व्यक्ति भी पुलिस को नहीं मिल रहा था जिस ने राजेश त्रिपाठी के घर से निकलने के बाद शिवदत्त को देखा हो. त्रिपाठी ही ऐसा शख्स था, जिस से शिवदत्त आखिरी बार मिला था. पुलिस त्रिपाठी से पहले ही पूछताछ कर चुकी थी. उस से कोई जानकारी नहीं मिली थी तो उसे घर भेज दिया गया था.

ये क्राइम स्टोरी भी पढ़ें – खूनी नशा : एक गलती ने खोला दोहरे हत्याकांड का राज

जांचपड़ताल में सामने आया कि शिवदत्त का करीब 100 करोड़ रुपए का कारोबार था. साथ ही उस पर 20-30 करोड़ की देनदारियां भी थीं. महाराष्ट्र के नासिक और गुजरात के अहमदाबाद में भी उस ने कुछ समय पहले नया काम शुरू किया था.

शिवदत्त ने सन 2009 में प्रौपर्टी का कारोबार शुरू किया था. शुरुआत में उस ने इस काम में अच्छा पैसा कमाया. कमाई हुई तो उस ने अपने पैर पसारने शुरू कर दिए. एक साथ कई काम शुरू करने से उसे नुकसान भी हुआ. इस से उस की आर्थिक स्थिति गड़बड़ाने लगी तो उस ने लोन लेने के साथ कई लोगों से करोड़ों रुपए उधार लिए. भीलवाड़ा जिले का रहने वाला एक वरिष्ठ आईएएस अधिकारी भी शिवदत्त की प्रौपर्टीज में पैसा लगाता था.

शिवदत्त भीलवाड़ा में ब्राह्मण समाज और अन्य समाजों के धार्मिक कार्यक्रमों में मोटा चंदा देता था. इस से उस ने विभिन्न समाजों के धनी और जानेमाने लोगों का भरोसा भी जीत रखा था. ऐसे कई लोगों ने शिवदत्त की प्रौपर्टीज में निवेश कर रखा था.

शिवदत्त के ऊपर उधारी बढ़ती गई तो लेनदार भी परेशान करने लगे. शिवदत्त प्रौपर्टी बेच कर उन लोगों का पैसा चुकाना चाहता था, लेकिन बाजार में मंदी के कारण प्रौपर्टी का सही भाव नहीं मिल रहा था. इस से वह परेशान रहने लगा था. लोगों के तकाजे से परेशान हो कर उसने फोन अटेंड करना भी कम कर दिया था.

हालांकि शर्मीला ने पुलिस थाने में पति के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी, लेकिन पुलिस को एक भी ऐसा सबूत नहीं मिला, जिस के उस के अपहरण की पुष्टि होती. एक सवाल यह भी था कि शिवदत्त अगर उधारी का पैसा नहीं चुका रहा था तो अपहर्त्ता उन के किसी परिजन को उठा कर ले जाते, क्योंकि लेनदारों को यह बात अच्छी तरह पता थी कि पैसों की व्यवस्था शिवदत्त के अलावा कोई दूसरा नहीं कर सकता.

घूमने लगा पुलिस का दिमाग

आधुनिक टैक्नोलौजी के इस जमाने में पुलिस तीनचौथाई आपराधिक मामले मोबाइल लोकेशन, काल डिटेल्स व सीसीटीवी फुटेज से सुलझा लेती है, लेकिन शिवदत्त के मामले में पुलिस के ये तीनों हथियार फेल हो गए थे. उस का मोबाइल फोन स्विच्ड औफ था. सीसीटीवी फुटेज साफ नहीं थे. काल डिटेल्स से भी कोई खास बातें पता नहीं चलीं.

प्रौपर्टी का काम करने से पहले शिवदत्त के पास बोरिंग मशीन थी. वह हिमाचल प्रदेश, जम्मूकश्मीर सहित कई राज्यों में ट्यूबवैल के बोरिंग का काम करता था. इन स्थितियों में तमाम बातों पर गौर करने के बाद पुलिस शिवदत्त के अपहरण के साथ अन्य सभी पहलुओं पर भी जांच करने लगी.

इसी बीच शिवदत्त की पत्नी शर्मीला ने राजस्थान हाईकोर्ट की जोधपुर पीठ में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर कर दी. इस में शर्मीला ने अपने पति को ढूंढ निकालने की गुहार लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने पुलिस को आदेश दिया कि शिवदत्त को तलाश कर जल्द से जल्द अदालत में पेश किया जाए.

अब पुलिस के सामने शिवदत्त मामले में दोहरी चुनौती पैदा हो गई. पुलिस ने शिवदत्त की तलाश ज्यादा तेजी से शुरू कर दी. मई के पहले सप्ताह में शिवदत्त का मोबाइल स्विच औन किया गया. इस से उस की लोकेशन का पता चल गया. पता चला कि वह मोबाइल देहरादून में है. भीलवाड़ा से तुरंत एक पुलिस टीम देहरादून भेजी गई. देहरादून में पुलिस ने मोबाइल की लोकेशन ढूंढी तो वह मोबाइल एक धोबी के पास मिला.

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धोबी ने बताया कि पास के ही एक गेस्टहाउस में रहने वाले एक साहब के कपड़ों में एक दिन गलती से उन का मोबाइल आ गया. उस मोबाइल को धोबी के बेटे ने औन कर के अपने पास रख लिया था. मोबाइल औन होने से उस की लोकेशन पुलिस को पता चल गई.

50 करोड़ का खेल : भीलवाड़ा का बिल्डर अपहरण कांड – भाग 1

21 मार्च, 2019 की बात है. उस दिन होली थी. होलिका दहन के अगले दिन रंग गुलाल से खेले जाने वाले त्यौहार का आमतौर पर दोपहर तक ही धूमधड़ाका रहता है. दोपहर में रंगेपुते लोग नहाधो कर अपने चेहरों से रंग उतारते हैं. फिर अपने कामों में लग जाते हैं. कई जगह शाम के समय लोग अपने परिचितों और रिश्तेदारों से मिलने भी जाते हैं.

भीलवाड़ा के पाटील नगर का रहने वाला शिवदत्त शर्मा भी होली की शाम अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी से मिलने के लिए अपनी वेरना कार से बापूनगर के लिए निकला था. शिवदत्त ने जाते समय पत्नी शर्मीला से कहा था कि वह रात तक घर आ जाएगा. थोड़ी देर हो जाए तो चिंता मत करना.

शिवदत्त जब देर रात तक नहीं लौटा तो शर्मीला को चिंता हुई. रात करीब 10 बजे शर्मीला ने पति के मोबाइल पर फोन किया, लेकिन मोबाइल स्विच्ड औफ मिला. इस के बाद शर्मीला घरेलू कामों में लग गई. उस के सारे काम निबट गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया था. शर्मीला ने दोबारा पति के मोबाइल पर फोन किया. लेकिन इस बार भी उस का फोन स्विच्ड औफ ही मिला. उसे लगा कि शायद पति के मोबाइल की बैटरी खत्म हो गई होगी, इसलिए स्विच्ड औफ आ रहा है.

शर्मीला बिस्तर पर लेट कर पति का इंतजार करने लगी. धीरेधीरे रात के 12 बज गए, लेकिन शिवदत्त घर नहीं आया. इस से शर्मीला को चिंता होने लगी. वह पति के दोस्त राजेश त्रिपाठी को फोन करने के लिए नंबर ढूंढने लगी, लेकिन त्रिपाठीजी का नंबर भी नहीं मिला.

शर्मीला की चिंता स्वाभाविक थी. वैसे भी शिवदत्त कह गया था कि थोड़ीबहुत देर हो जाए तो चिंता मत करना, लेकिन घर आने की भी एक समय सीमा होती है. शर्मीला बिस्तर पर लेटेलेटे पति के बारे में सोचने लगी कि क्या बात है, न तो उन का फोन आया और न ही वह खुद आए.

पति के खयालों में खोई शर्मीला की कब आंख लग गई, पता ही नहीं चला. त्यौहार के कामकाज की वजह से वह थकी हुई थी, इसलिए जल्दी ही गहरी नींद आ गई.

वाट्सऐप मैसेज से मिली पति के अपहरण की सूचना

22 मार्च की सुबह शर्मीला की नींद खुली तो उस ने घड़ी देखी. सुबह के 5 बजे थे. पति अभी तक नहीं लौटा था. शर्मीला ने पति को फिर से फोन करने के लिए अपना मोबाइल उठाया तो देखा कि पति के नंबर से एक वाट्सऐप मैसेज आया था.

शर्मीला ने मैसेज पढ़ा. उस में लिखा था, ‘तुम्हारा घर वाला हमारे पास है. इस पर हमारे एक करोड़ रुपए उधार हैं. यह हमारे रुपए नहीं दे रहा. इसलिए हम ने इसे उठा लिया है. हम तुम्हें 2 दिन का समय देते हैं. एक करोड़ रुपए तैयार रखना. बाकी बातें हम 2 दिन बाद तुम्हें बता देंगे. हमारी नजर तुम लोगों पर है. ध्यान रखना, अगर पुलिस या किसी को बताया तो इसे वापस कभी नहीं देख पाओगी.’

मोबाइल पर आया मैसेज पढ़ कर शर्मीला घबरा गई. वह क्या करे, कुछ समझ नहीं पा रही थी. पति की जिंदगी का सवाल था, घबराहट से भरी शर्मीला ने अपने परिवार वालों को जगा कर मोबाइल पर आए मैसेज के बारे में बताया.

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मैसेज पढ़ कर लग रहा था कि शिवदत्त का अपहरण कर लिया गया है. बदमाशों ने शिवदत्त के मोबाइल से ही मैसेज भेजा था ताकि पुष्टि हो जाए कि शिवदत्त बदमाशों के कब्जे में है. यह मैसेज 21 मार्च की रात 9 बज कर 2 मिनट पर आया था, लेकिन उस समय शर्मीला इसे देख नहीं सकी थी.

शिवदत्त के अपहरण की बात पता चलने पर पूरे परिवार में रोनापीटना शुरू हो गया. जल्दी ही बात पूरी कालोनी में फैल गई. चिंता की बात यह थी कि अपहर्त्ताओं ने शिवदत्त पर अपने एक करोड़ रुपए बकाया बताए थे और वह रकम उन्होंने 2 दिन में तैयार रखने को कहा था.

शर्मीला 2 दिन में एक करोड़ का इंतजाम कहां से करती? शिवदत्त होते तो एक करोड़ इकट्ठा करना मुश्किल नहीं था लेकिन शर्मीला घरेलू महिला थी, उन्हें न तो पति के पैसों के हिसाब किताब की जानकारी थी और न ही उन के व्यवसाय के बारे में ज्यादा पता था. शर्मीला को बस इतना पता था कि उस के पति बिल्डर हैं.

शर्मीला और उस के परिवार की चिंता को देखते हुए कुछ लोगों ने उन्हें पुलिस के पास जाने की सलाह दी. शर्मीला परिवार वालों के साथ 22 मार्च को भीलवाड़ा के सुभाषनगर थाने पहुंच गई और पुलिस को सारी जानकारी देने के बाद अपहरण की रिपोर्ट दर्ज करा दी.

पुलिस ने शर्मीला और उन के परिवार के लोगों से पूछताछ की तो पता चला कि कपड़ा नगरी के नाम से देश भर में मशहूर भीलवाड़ा के पथिक नगर की श्रीनाथ रेजीडेंसी में रहने वाले 42 साल के शिवदत्त शर्मा की हाइपर टेक्नो कंसट्रक्शन कंपनी है. शिवदत्त का भीलवाड़ा और आसपास के इलाके में प्रौपर्टी का बड़ा काम था. उन के बिजनैस में कई साझीदार हैं और इन लोगों की करोड़ों अरबों की प्रौपर्टी हैं.

रिपोर्ट दर्ज करने के बाद थानाप्रभारी अजयकांत शर्मा ने इस की जानकारी एडिशनल एसपी दिलीप सैनी को दे दी. इस के बाद पुलिस ने शिवदत्त की तलाश शुरू कर दी. साथ ही शिवदत्त की पत्नी से यह भी कह दिया कि अगर अपहर्त्ताओं का कोई भी मैसेज आए तो तुरंत पुलिस को बता दें.

चूंकि शिवदत्त अपने दोस्त राजेश त्रिपाठी के घर जाने की बात कह कर घर से निकले थे, इसलिए पुलिस ने राजेश त्रिपाठी से पूछताछ की. राजेश ने बताया कि शिवदत्त होली के दिन शाम को उन के पास आए तो थे लेकिन वह रात करीब 8 बजे वापस चले गए थे.

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जांचपड़ताल के दौरान 23 मार्च को पुलिस को शिवदत्त की वेरना कार भीलवाड़ा में ही सुखाडि़या सर्किल से रिंग रोड की तरफ जाने वाले रास्ते पर लावारिस हालत में खड़ी मिल गई. पुलिस ने कार जब्त कर ली. पुलिस ने कार की तलाशी ली, लेकिन उस से शिवदत्त के अपहरण से संबंधित कोई सुराग नहीं मिला. कार भी सहीसलामत थी. उस में कोई तोड़फोड़ नहीं की गई थी और न ही उस में संघर्ष के कोई निशान थे.

पुलिस ने शिवदत्त के मोबाइल को सर्विलांस पर लगा दिया. लेकिन मोबाइल के स्विच्ड औफ होने की वजह से उस की लोकेशन नहीं मिल रही थी. जांच की अगली कड़ी के रूप में पुलिस ने शिवदत्त, उस की पत्नी और कंपनी के स्टाफ के मोबाइल नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई. इस के अलावा शिवदत्त के लेनदेन, बैंक खातों, साझेदारों के लेनदेन से संबंधित जानकारियां जुटाईं. यह भी पता लगाया गया कि किसी प्रौपर्टी को ले कर कोई विवाद तो नहीं था.