भाजपा नेता ने हड़पी करोड़ों की जमीन

भाजपा नेता ने हड़पी करोड़ों की जमीन – भाग 4

नेता के रसूख के आगे कुछ न कर सका बाबू सिंह

इधर राहुल जैन ने डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर के रसूख के चलते रजिस्ट्री कराई गई, जमीन का दाखिल खारिज करा लिया. बाबू सिंह की आपत्ति के बावजूद दाखिल खारिज कर दिया गया. इतना ही नहीं, राहुल जैन ने जमीन के 2 मामूली टुकड़े 70-70 लाख में बेच भी दिए. एक टुकड़ा उस ने नई सब्जीमंडी निवासी राजेंद्र पांडेय को तथा दूसरा टुकड़ा आजाद नगर, रसूलाबाद (कानपुर देहात) निवासी नैंसी चंदेल व विजय लक्ष्मी को बेच दिया.

8 सितंबर, 2023 को बाबू सिंह जब खेत पर पहुंचा तो इसी जमीन पर बिल्डर चारदीवारी खींच कर प्लाटिंग कर रहे थे. बाबू सिंह ने प्लाटिंग का विरोध जताया तो उसे बेइज्जत कर वहां से भगा दिया गया. इस सदमे को वह बरदाश्त नहीं कर पाया और उस ने 9 सितंबर की सुबह 4 बजे ट्रेन से कट कर आत्महत्या कर ली.

इधर राहुल जैन को गिरफ्तार करने गई पुलिस टीम एक सप्ताह से नोएडा व दिल्ली में डेरा डाले थी. उस ने नोएडा स्थित फ्लैट छोड़ दिया था और होटलों में फरारी काट रहा था. 16 सितंबर, 23 को पुलिस टीम को मोबाइल सर्विलांस के जरिए एक रिश्तेदार का नंबर मिला, जिस के जरिए पुलिस टीम मयूर विहार स्थित होटल आईएलडी पहुंची और सुबह 4 बजे राहुल जैन को गिरफ्तार कर थाना चकेरी लाया गया.

Rahul Jain (Aropi)

पूछताछ में राहुल जैन पहले तो चुप्पी साधे रहा, फिर बोला कि आशू ने उसे कौडिय़ों के भाव बेशकीमती जमीन दिलाने का लालच दे कर फंसा दिया. वह चैक देने व छीनने का जवाब नहीं दे सका, न ही शिवम द्वारा चैक देने का जवाब दे सका. पूछताछ के बाद उसे कानपुर कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.

26 सितंबर, 2023 को पुलिस की कानपुर टीम ने मधुर पांडेय को अलीगढ़ से गिरफ्तार कर लिया. उसे चकेरी थाने लाया गया. पूछताछ में उस ने बताया कि उसे बबलू यादव व आशू दिवाकर ने सस्ती जमीन दिलाने के नाम पर फंसा दिया. बबलू ने उस से कहा था कि करोड़ों की जमीन लाखों में मिल जाएगी. पूछताछ के बाद मधुर को भी जेल भेज दिया गया.

Madhur Pandey (Aropi)

पुलिस ने सक्रियता दिखाते हुए डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर, शिवम सिंह, बबलू व जितेंद्र के खिलाफ कोर्ट से गैरजमानती वारंट प्राप्त कर उन पर 50 हजार का इनाम घोषित कर दिया. अर्थात जो भी उन्हें पकड़वाएगा, उसे यह इनाम दिया जाएगा.

इसी बीच पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 82 के तहत काररवाई भी शुरू कर दी, लेकिन इसी दरम्यान आशू दिवाकर ने बिटान देवी द्वारा दायर एफआईआर को निरस्त करने की अरजी हाईकोर्ट में डाल दी, लेकिन हाईकोर्ट ने उस की अरजी खारिज कर दी.

पुलिस की ताबड़तोड़ दबिशों के बावजूद जब आशू दिवाकर, बबलू, जितेंद्र व शिवम सिंह चौहान गिरफ्त में नहीं आए तो पुलिस कमिश्नर आर.के. स्वर्णकार के आदेश पर चारों आरोपियों की इनाम राशि 50 हजार से बढ़ा कर एक लाख कर दी. यही नहीं, कोर्ट के आदेश से चारों को भगोड़ा भी घोषित कर दिया गया. पुलिस ने बबलू, जितेंद्र व शिवम के घर पहुंच कर डुग्गी पिटवा कर मुनादी कराई और नोटिस चस्पा किया.

अब कहां गया योगी का बुलडोजर

18 अक्तूबर, 2023 को सपा अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव किसान बाबू सिंह के अहिरवां स्थित घर पहुंचे. उन्हें देखते ही दोनों बेटियां रूबी व काजल रो पड़ीं. बाबू सिंह की पत्नी बिटान देवी हाथ जोड़ कर बोली कि हमें उम्मीद नहीं थी कि आप आएंगे. अखिलेश ने बाबू सिंह की तसवीर पर फूल चढ़ा कर उन्हें श्रद्वांजलि दी और परिवार के साथ आधा घंटे का समय बिताया.

Mratak Ke Ghar Santana Dene Pahuche Akhilesh Yadav

अखिलेश यादव ने कहा कि आशू दिवाकर प्रदेश के डिप्टी सीएम का खास है. भाजपा उसे बचा रही है. वह उन के संपर्क में है. वह बोले, ‘‘अब बुलडोजर क्यों नहीं चल रहा है? उस की चाबी खो गई या पेट्रोल डीजल नहीं है. बुलडोजर का ड्राइवर भाग गया है या फिर लखनऊ से अनुमति नहीं मिल रही है. जानबूझ कर ऐसे लोगों पर बुलडोजर नहीं चलाना चाहते हैं.’’

उन्होंने बेटियों को आश्वासन दिया कि उन की पढ़ाईलिखाई और शादी के खर्च को ले कर कोई समस्या नहीं आएगी. रूबी बीएससी (फाइनल) की छात्रा है जबकि काजल इंटरमीडिएट की.

22 अक्तूबर, 2023 को जब पुलिस टीम भगोड़ा घोषित एक लाख के इनामी आरोपी डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर के घर मुनादी कराने व नोटिस चस्पा करने पहुंची तो पता चला कि उस की मां उर्मिला देवी की मौत हो गई है. अत: पुलिस बिना मुनादी के ही वापस आ गई. लेकिन 2 दिन बाद मुनादी करा कर नोटिस चस्पा कर दिया.

पुलिस को अनुमान था कि आशू दिवाकर अपनी मां उर्मिला को कंधा देने अवश्य आएगा, अत: पुलिस अधिकारियों ने उसे गिरफ्तार करने के लिए सादे कपड़ों में पुलिस का जाल बिछाया. लेकिन गिरफ्तारी के डर से आशू मां को कंधा देने भी नहीं आया.

बहरहाल, कथा संकलन तक 2 आरोपी राहुल जैन व मधुर पांडेय कानपुर जेल में बंद थे. उन की जमानत नहीं हुई थी. 4 आरोपी शिवम चौहान, बबलू यादव, जितेंद्र यादव तथा प्रियरंजन आशू दिवाकर भगोड़ा घोषित हैं. उन पर एकएक लाख रुपए का इनाम घोषित है. पुलिस उन की सरगरमी से तलाश कर रही थी.

आरोप लगने पर भाजपा ने डा. प्रियरंजन आशू को पार्टी से निकाल दिया था. लेकिन वह बाल आयोग का सदस्य अभी भी है. पीडि़ता बिटान देवी न्याय की तलाश में दरदर भटक रही थी. अभी तक उन्हें जमीन वापस नहीं मिली थी. पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी रजिस्ट्री कैंसिल कराने तथा दाखिल खारिज निरस्त कराने का प्रयास कर रहे थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

भाजपा नेता ने हड़पी करोड़ों की जमीन – भाग 3

प्रियरंजन आशू दिवाकर मूलरूप से मैनपुरी का रहने वाला है. वहां उस का पुश्तैनी मकान है. उस के पिता रामप्रकाश दिवाकर शिक्षा विभाग में अधिकारी थे. 3 भाइयों में प्रियरंजन सब से छोटा है. कानपुर के श्याम नगर में भी उस का आलीशान मकान है.

वह स्वयं भी डाक्टर है और उस की पत्नी अनामिका भी डाक्टर है. आशू दिवाकर 1999 बैच का डाक्टर है. उस ने कानपुर मैडिकल कालेज से ही एमबीबीएस फिर एमएस की पढ़ाई की थी. उस की पत्नी डा. अनामिका यहीं पर फिजियोलौजी डिपार्टमेंट में कार्यरत है. उसे मैडिकल कालेज में आवास भी मिला हुआ है. लेकिन डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर ने डाक्टरी पेशा नहीं चुना. उसे तो राजनीतिक भूख थी, इसलिए उस ने भारतीय जनता पार्टी को अपने राजनीतिक करिअर के रूप में चुना.

भाजपा में उस ने अपनी मेहनत और लगन से कद बढ़ाया, जिस का परिणाम यह हुआ कि भाजपा ने 2007 में उसे मैनपुरी के किशनी विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया, लेकिन वह हार गया. इस के बाद वह सपा में चला गया. सपा ने उसे जिला पंचायत अध्यक्ष बना दिया. कुछ समय बाद वह फिर से पाला बदल कर भाजपा में आ गया.

2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने उसे पुन: किशनी से टिकट दिया, लेकिन वह फिर हार गया. इस के बाद भाजपा ने उसे बाल संरक्षण आयोग का सदस्य बना दिया. बाल आयोग में विभिन्न क्षेत्रों से सदस्यों को चुना जाता है. चूंकि प्रियरंजन आशू दिवाकर डाक्टर था, इसलिए उस का चयन मैडिकल क्षेत्र से किया गया था.

Dr. Priyranjan Ashu Diwakar (Farar 1 Lakh Ka Enami Aropi)

डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर ने अपने ड्राइवर बबलू यादव की सिफारिश पर किसान बाबू सिंह की कोर्टकचहरी में जम कर पैरवी की और उस की जमीन नरेंद्र के चंगुल से मुक्त करा दी. लेकिन नरेंद्र व उस के बेटे फिर भी उसे परेशान करते रहे. इस गम में बाबू सिंह अधिक शराब पीने लगा. वह बीमार पड़ गया. आशू दिवाकर को जानकारी हुई तो उस ने बाबू सिंह को हैलट अस्पताल में भरती कराया और उस का इलाज कराया.

नरेंद्र से बाबू सिंह तो परेशान था ही, उस की बेटियां भी भयभीत रहती थीं. बेटियां जानती थीं कि इस समस्या से निजात रसूखदार नेता आशू दिवाकर ही दिला सकता है. अत: एक रोज बाबू सिंह की छोटी बेटी काजल ने एक भावुक पत्र लिख कर बबलू के मार्फत आशू दिवाकर को भिजवाया और मदद की गुहार लगाई.

पत्र में काजल ने लिखा, ‘नमस्ते आशू अंकल, मैं काजल यादव पुत्री बाबू यादव अहिरवां (चकेरी) में रहती हूं. आप के साथ जो बबलू यादव रहते हैं, उन के रिश्तेदार की बेटी हूं. एक बार मेरी आप से आप के श्याम नगर (कानपुर) वाले घर में मुलाकात हुई थी, जब पापा शराब पीने के कारण बहुत बीमार हो गए थे.

‘आप ने हैलट में उन का इलाज कराया था. आप की पैरवी पर पापा मुकदमा तो जीत गए, लेकिन जमीन पापा को अभी भी नहीं मिल पाई. नरेंद्र यादव व उस के लडक़े बहुत परेशान करते हैं. आप थोड़ी और मदद कर दीजिए, वरना पापा आत्महत्या कर लेंगे. अंकल, हमें पता है कि आप मंत्री बन गए हैं. प्लीज हेल्प मी अंकल.’

काजल के इस पत्र को पढऩे के बाद डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर भावुक हो गया. इस के बाद उस ने अपने रसूख के चलते नरेंद्र यादव व उस के बेटों पर शिकंजा कसा. उस की थाने में ही नहीं, कोर्टकचहरी तक हनक थी. अत: नरेंद्र यादव डर गया और उस ने बाबू सिंह की जमीन छोड़ दी. जमीन का कब्जा पा कर बाबू सिंह व उस का परिवार खुशी से झूम उठा. पूरा परिवार नेता का अहसानमंद हो गया.

धोखा कर कब्जाई 6 करोड़ की जमीन

डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर ने बाबू सिंह को जमीन तो दिलवा दी लेकिन अब उस की निगाह बाबू सिंह की बेशकीमती जमीन पर जम गई. उस ने अपने ड्राइवर बबलू व उस के रिश्तेदार जितेंद्र यादव के मार्फत बाबू सिंह पर जमीन बेचने का दबाव बनाया.

जितेंद्र ने चाचा बाबू सिंह को समझाया कि वह झगड़ालू जमीन को बेच कर कानपुर देहात में ठिकाना बना लें. इस जमीन से उन्हें करोड़ों रुपए मिलेंगे. इस से वह बेटियों को पढ़ालिखा कर उन की शादी भी कर लेंगे और मकान भी बना लेंगे. फिर भी इतना पैसा बच जाएगा कि उन का जीवन आराम से गुजरेगा. हर तरह के झंझट और टेंशन से भी निजात मिल जाएगी.

बाबू सिंह पहले तो राजी नहीं हुआ, लेकिन जब डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर ने भी दबाव डाला तो बाबू सिंह राजी हो गया. उस ने पत्नी व बेटियों को भी राजी कर लिया. बाबू सिंह जब जमीन का सौदा करने को राजी हो गया तो शातिर दिमाग आशू दिवाकर ने उस की जमीन हड़पने का षडयंत्र रचा. इस षडयंत्र में उस ने अपने खास गुर्गे राहुल जैन, शिवम चौहान, मधुर पांडेय, बबलू व जितेंद्र यादव को भी शामिल कर लिया.

राहुल जैन डा. प्रियरंजन दिवाकर का बेहद करीबी था. वह बी 92, सेक्टर 31, नोएडा में रहता था. वह खुद को आशू का प्रतिनिधि बता कर रौब गांठता था. उस ने सी 15 सेक्टर 4 नोएडा में प्रतिनिधि कार्यालय खोल रखा था. इसी तरह शिवम चौहान मैनपुरी का था. आशू दिवाकर के हर कार्यक्रम में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेता था, इसलिए वह आशू का खास था.

मधुर पांडेय भाजपा का युवा कार्यकर्ता था. वह यशोदा नगर कानपुर का रहने वाला था. वह अकसर श्याम नगर वाले घर में आशू से मिलने जाता था, इसलिए अच्छी जानपहचान थी. आशू दिवाकर ने इन सब को सस्ती जमीन दिलाने का लालच दिया था. बबलू ड्राइवर था और आशू के हर राज का जानकार था.

बाबू सिंह को जो 10 बीघा जमीन वसीयत में मिली थी, वह 7 रकबों में बंटी थी, जिस में आराजी संख्या 1609 में 0.287 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1479 में 0.143 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1480 में 0.287 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1735 में 0.082 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1742 में 0.210 हेक्टेयर, आराजी संख्या 1749 में 0.164 हेक्टेयर और आराजी संख्या 1747 में 0.051 हेक्टेयर जमीन दर्ज थी.

योजना के तहत 18 मार्च, 2023 को बाबू सिंह को कानपुर रजिस्ट्री कार्यालय लाया गया. पहली रजिस्ट्री मधुर पांडेय ने कराई, जिस में 0.103 हेक्टेयर जमीन के 6 लाख 85 हजार रुपए उस ने बाबू सिंह को 2 बैंक चैकों के जरिए दिए. जिस में एक चैक 5 लाख और दूसरा 1.85 लाख का था. दोनों चैक एक्सिस बैंक यशोदा नगर के थे. 15 हजार रुपया नगद भी दिया गया.

इस के बाद राहुल जैन ने 1.121 हेक्टेयर की एक के बाद एक 4 रजिस्ट्री कराईं, जिस का सौदा 6.29 करोड़ में हुआ. इस में राहुल जैन ने एक चैक 20 लाख और दूसरा 5 लाख का अपने हस्ताक्षर का बाबू सिंह को दिया. ये दोनों चैक एक्सिस बैंक नोएडा ब्रांच के थे. इस के बाद शिवम सिंह चौहान ने 3 चैक एक 3.15 करोड़ का तथा 2 चैक 1.57 करोड़ के अपने हस्ताक्षर कर बाबू सिंह को दिए. ये तीनों चैक भारतीय स्टेट बैंक, मैनपुरी शाखा के थे.

बाबू सिंह इन चैकों को अपने खाते में जमा करता, उस के पहले ही डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर ने बाबू सिंह को अपने श्याम नगर (कानपुर) वाले मकान पर बुलवा लिया और कहा कि चैक गलत बैंक के हैं, कैश नहीं होंगे. फिर देखने के बहाने पांचों चैक बाबू सिंह से छीन लिए. बाबू ने दोबारा चैक मांगे तो फोटो कापी थमा दी.

इस के बाद बाबू सिंह दोबारा असली चैक प्राप्त करने के लिए बबलू, आशू दिवाकर व राहुल जैन से गिड़गिड़ाता रहा, लेकिन उन्होंने चैक नहीं दिए. थकहार कर बाबू सिंह ने 30 मार्च, 2023 को शातिरों के खिलाफ सिविल जज (अपर वर्ग) कानपुर कोर्ट में मुकदमा दाखिल कर दिया और पैरवी करने लगा.

भाजपा नेता ने हड़पी करोड़ों की जमीन – भाग 2

आरोपियों की तलाश में जुटीं 5 पुलिस टीमें

इधर पुलिस कमिश्नर आर.के. स्वर्णकार तथा जौइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी ने किसान बाबू सिंह यादव की आत्महत्या के मामले को बेहद गंभीरता से लेते हुए आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कानपुर शहर के तेजतर्रार इंसपेक्टरों को चुन कर 5 टीमें बनाईं.

R. K. Swarnkar (CP)

राहुल जैन की गिरफ्तारी के लिए एक टीम को नोएडा भेजा गया. दूसरी टीम शुभम चौहान की गिरफ्तारी के लिए मैनपुरी भेजी गई. तीसरी टीम को मधुर पांडेय, बबलू यादव व जितेंद्र यादव की गिरफ्तारी के लिए कानपुर तैनात किया गया.

चौथी टीम को रसूखदार नेता प्रियरंजन आशू दिवाकर की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया. पांचवीं टीम को रिजर्व रखा गया, ताकि सूचना मिलने पर उसे कहीं भी भेजा जा सके. इन टीमों ने आरोपियों के घरों तथा संभावित ठिकानों पर छापे मारे, लेकिन कोई भी आरोपी गिरफ्त में नहीं आया.

Amar nath

इन टीमों ने लखनऊ, कानपुर, मैनपुरी, प्रयागराज, फतेहपुर, उन्नाव व जबलपुर के विभिन्न होटलों, आरोपियों के रिश्तेदारों व यारदोस्तों के आवासों पर छापेमारी की, लेकिन एक भी आरोपी हाथ नहीं आया.

आरोपी रसूखदार नेता डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर को पकडऩे के लिए पुलिस टीम ने उन के श्याम नगर स्थित घर पर छापा मारा, लेकिन वह घर से फरार था. पुलिस टीम ने उस की पत्नी अनामिका, मां उर्मिला, भाभी रेनू तथा बेटे से सख्ती से पूछताछ की, लेकिन वे आशू दिवाकर के बारे में कोई जानकारी नहीं दे सके. टीम उस की तलाश में जबलपुर तक गई, पर उस का पता न चला.

जांच के नाम पर होती रही खानापूर्ति

एक भी गिरफ्तारी न होने से नाराज बिटान देवी का गुस्सा योगी सरकार पर फूट पड़ा. वह बोली, ‘‘मेरा सुहाग लुट गया… बेटियां अनाथ हो गईं… जमीन छिन गई… रुपया भी नहीं मिला. योगीजी, इन हत्यारों, लुटेरों पर आप का बुलडोजर कब चलेगा? इतना बड़ा अपराध करने वाले आराम से कहीं छिपे बैठे है. योगीजी, आप की पुलिस जांच कर रही है कि लीपापोती के खिलवाड़ में लगी है. अपराधी गिरफ्तार न हुए और हड़पी गई जमीन वापस न मिली तो बेटियों के साथ मैं भी ट्रेन से कट कर जान दे दूंगी.’’

Bitan Devi (Mratak Ki Patni)

बिटान देवी व उस की बेटियों के आंसू पोंछने सत्ता पक्ष का कोई सांसद या विधायक नहीं आया. लेकिन समाजवादी पार्टी के आर्यनगर (कानपुर) क्षेत्र के विधायक अमिताभ बाजपेई तथा कैंट क्षेत्र के विधायक मोहम्मद हसन रूमी बिटान देवी के घर पहुंचे. उन्होंने पीडि़त परिवार को धैर्य बंधाया और न्याय दिलाने का भरोसा दिया. इन्होंने बिटान देवी व उस की बेटियों रूबी व काजल को आश्वासन दिया कि वह कंधे से कंधा मिला कर उन का साथ देंगे.

गिरफ्तारी न होने से बिटान देवी व उस की बेटियों ने आरोपियों की फोटो जला कर आक्रोश जताया. पुलिस कमिश्नर आर.के. स्वर्णकार और जौइंट सीपी आनंद प्रकाश तिवारी से मुलाकात कर आरोपियों की जल्द से जल्द गिरफ्तारी की मांग की.

इस के बाद उन्होंने जा कर डीएम विशाखजी को ज्ञापन सौंपा और मांग की कि उन की जमीन का दाखिल खारिज रद्ïद कर के जमीन उन्हें वापस कराई जाए और आरोपी भाजपा नेता के घर बुलडोजर चलाया जाए. बेटियों ने मुख्यमंत्री को संबोधित एक ज्ञापन भी उन्हें सौंपा. डीएम विशाखजी ने जल्द ही उचित काररवाई का उन्हें आश्वासन दिया.

धोखाधड़ी और आत्महत्या मामले की जांच थाना चकेरी के एसएचओ अशोक कुमार दुबे को सौंपी थी. उन्होंने जब मृतक बाबू सिंह के बैंक खाते को चैक किया तो पता चला कि उस के बैंक खाते में 2 चैक 5 लाख तथा 1 लाख 85 हजार के जमा हुए थे. ये दोनों चैक पास हुए और खाते में पैसा आया. ये दोनों चेक मधुर पांडेय ने दिए थे. इस के बाद उस के खाते में कोई पैसा नहीं आया.

स्पष्ट था कि उस के साथ 6 करोड़ 29 लाख की फाइनेंशियल धोखाधड़ी की गई और जमीन हड़प ली गई. शातिरों ने जो चैक दिए थे, वे रजिस्ट्री होने के बाद छीन लिए थे और फोटोकापी उसे थमा दी थी. इस के बाद जांच अधिकारी ने सभी आरोपियों के 13 बैंक खातों को सीज करा दिया ताकि लेनदेन की पूरी जानकारी मिल सके.

ननिहाल से मिली थी 10 बीघा जमीन

बाबू सिंह यादव मूलरूप से नर्वल (कानपुर) का रहने वाला था. उस के 2 अन्य भाई रामसिंह व अमर सिंह थे. तीनों भाइयों के बीच 12 बीघा जमीन थी. सभी के हिस्से में 4-4 बीघा जमीन आई. राम सिंह के 2 बेटे मुन्ना सिंह व विनय सिंह थे जबकि अमर सिंह के भी 2 बेटे धर्मेंद्र सिंह व जितेंद्र थे. तीनों भाइयों के बीच कोई विवाद नहीं था.

तीनों भाइयों में सब से छोटा बाबू सिंह था. बाबू सिंह का ननिहाल कानपुर नगर के चकेरी थाने के अहिरवां गांव में था. इस गांव में बाबू सिंह के नाना सुखदेव यादव अपनी पत्नी पूसा देवी के साथ रहते थे. उन के पास 10 बीघा जमीन थी. खेतीकिसानी से उन का जीवनयापन होता था.

सुखदेव यादव संपन्न तो थे, लेकिन उन के कोई बेटा नहीं था. अत: अपने बुढ़ापे का सहारा बनाने के लिए उन्होंने किसी बच्चे को गोद लेने तथा उसे अपना घरजमीन वसीयत करने का निश्चय किया. उन्हीं दिनों पूसा देवी की निगाह अपने नाती बाबू सिंह पर पड़ी. उस समय बाबू सिंह की उम्र 5 साल थी. पूसा देवी ने बाबू सिंह को ही गोद लेने तथा अपनी वसीयत सौंपने का निश्चय किया. इस के लिए उन्होंने अपने पति सुखदेव को भी राजी कर लिया.

22 जुलाई, 1978 को पूसा देवी ने विधि सम्मत गोदनामा कर बाबू सिंह को गोद ले लिया. गोदनामा का पंजीकरण उप निबंधक कानपुर के कार्यालय में बही संख्या 4, जिल्द संख्या 782 के पेज संख्या 150-151 की क्रमांक संख्या 532 पर दर्ज किया गया. इस के बाद बाबू सिंह नानानानी के साथ अहिरवां गांव में रहने लगा. नानानानी ने घर और जमीन की वसीयत भी उसे कर दी.

कालांतर में पति सुखदेव की मौत के बाद पूसा देवी अपने मायके चली गईं. उन का मायका कानपुर की नर्वल तहसील के गांव घरूवा खेड़ा में था. बाबू सिंह भी उन के साथ चला गया. पूसा देवी ने बाकी का जीवन मायके में ही गुजारा. 14 नवंबर, 1997 को पूसा देवी का निधन हो गया.

नानी के निधन के बाद बाबू सिंह अपनी पत्नी बिटान देवी व दोनों बेटियों रूबी व काजल के साथ अहिरवां गांव में रहने लगा और वसीयत में मिली 10 बीघा जमीन पर खेती कर अपने परिवार का भरणपोषण करने लगा. समय बीतता रहा और समय के साथ उस की बेटियों की उम्र भी बढ़ती गई.

अहिरवां गांव पहले शहर की चकाचौंध से दूर था. लेकिन जैसेजैसे कानपुर शहर का विकास होता गया, वैसेवैसे गांव की अहमियत बढ़ती गई. अहिरवां गांव की जमीन भी अब कीमती हो गई. जो जमीन लाखों की थी, वह करोड़ों में तब्दील हो चुकी थी.

बाबू सिंह का एक रिश्तेदार था नरेंद्र सिंह यादव. वह अहिरवां गांव में ही रहता था. वह दिखावे के तौर पर तो बाबू सिंह का सगा था, लेकिन पीठ पीछे उस से जलता था. यह जलन उसे बाबू सिंह को वसीयत में मिली जमीन को ले कर थी. धीरेधीरे उस ने वसीयत वाली जमीन पर आंखें जमानी शुरू कर दीं. उस ने बाबू सिंह को शराब पीने का भी आदी बना दिया. वर्ष 2018 में नरेंद्र ने फरजी वसीयत बनवा कर अपनी दबंगई के बल पर बाबू सिंह की जमीन पर कब्जा जमा लिया.

प्रियरंजन ने सहयोग कर के भरोसा जीता बाबू सिंह का

रिश्तेदार के घात से बाबू सिंह तिलमिला उठा. उसे जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो जमीन वापसी के लिए उस ने कोर्ट में मुकदमा कर दिया. यही नहीं उस ने भतीजे जितेंद्र यादव से भी मदद मांगी. जितेंद्र भी अहिरवां में ही रहता था और प्रौपर्टी डीलिंग का काम करता था. उस ने चाचा को मदद का आश्वासन दिया.

जितेंद्र का साढ़ू था बबलू यादव. वह चकेरी थाने के टटियन झनाका में रहता था और भाजपा के रसूखदार नेता प्रियरंजन आशू दिवाकर की कार चलाता था. जितेंद्र ने बबलू को अपने चाचा बाबू सिंह की समस्या बताई और प्रियरंजन आशू दिवाकर के मार्फत चाचा की मदद करने को कहा. बबलू ने तब बाबू सिंह की मुलाकात आशू दिवाकर से कराई. आशू दिवाकर ने उसे मदद करने का भरोसा दिया.

भाजपा नेता ने हड़पी करोड़ों की जमीन – भाग 1

नानी के निधन के बाद बाबू सिंह अपनी पत्नी बिटान देवी व दोनों बेटियों रूबी व काजल के साथ अहिरवां गांव में रहने लगा और नानी की वसीयत में मिली 10 बीघा जमीन पर खेती कर अपने परिवार का भरणपोषण करने लगा. समय बीतता रहा और समय के साथ उस की बेटियों की उम्र भी बढ़ती गई.

अहिरवां गांव पहले शहर की चकाचौंध से दूर था. लेकिन जैसेजैसे कानपुर शहर का विकास होता गया, वैसेवैसे गांव की अहमियत बढ़ती गई. अहिरवां गांव की जमीन भी अब कीमती हो गई. जो जमीन लाखों की थी, वह करोड़ों में तब्दील हो चुकी थी.

बाबू सिंह का एक रिश्तेदार था नरेंद्र सिंह यादव. वह अहिरवां गांव में ही रहता था. वह दिखावे के तौर पर तो बाबू सिंह का सगा था, लेकिन पीठ पीछे उस से जलता था. यह जलन उसे बाबू सिंह को नानी से वसीयत में मिली जमीन को ले कर थी. धीरेधीरे उस ने वसीयत वाली जमीन पर आंखें जमानी शुरू कर दीं. उस ने बाबू सिंह को शराब पीने का भी आदी बना दिया. वर्ष 2018 में नरेंद्र ने फरजी वसीयत बनवा कर अपनी दबंगई के बल पर बाबू सिंह की जमीन पर कब्जा जमा लिया.

बाबू सिंह यादव शाम को घर वापस आया तो उस के माथे पर चिंता की लकीरें थीं. वह कमरे में पड़े तख्त पर जा कर बैठ गया और दोनों हाथ माथे पर रख कर कुछ सोचने लगा. उस वक्त उस की पत्नी बिटान देवी रसोई में खाना बना रही थी. जबकि दोनों बेटियां रूबी और काजल कमरे में पढ़ाई कर रही थीं. पति को आया देख कर बिटान ने चाय बनाई, फिर आवाज लगाई, ‘‘बेटा काजल, पापा को चाय दे दो.’’

काजल चाय ले कर कमरे में पहुंची तो बाबू सिंह चिंतित बैठा था. उस के आंसू भी टपक रहे थे. पिता को दुखी देख कर काजल ने पूछा, ‘‘क्या बात है पापा, आप बहुत परेशान नजर आ रहे हैं?’’

‘‘हां छोटू (काजल) मैं बहुत दुखी हूं. समझ में नहीं आ रहा कि क्या करूं, कहां जाऊं?’’ काजल को घर में सब प्यार से छोटू कहते थे.

‘‘पर बात क्या है पापा?’’ काजल ने पूछा.

‘‘छोटू, आज मैं खेत पर गया था. वहां बिल्डर व उस के आदमी प्लाटिंग कर रहे थे. उन्होंने चारों तरफ बाउंड्री भी बना ली. जब मैं ने प्लाटिंग का विरोध किया तो उन लोगों ने मुझे बेइज्जत कर भगा दिया. उन शातिरों ने मेरी जमीन भी छीन ली और पैसा भी नहीं दिया. मैं अब न घर का रहा, न घाट का. बेटा, हम हार गए. अब मैं जिंदा नहीं रहूंगा.’’

बापबेटी की बातें सुन कर बिटान देवी घबरा गई. वह रसोई से कमरे में आ गई और पति से बोली, ‘‘छोटू के पापा, तुम परेशान मत होओ. हम नमक रोटी खा कर रह लेंगे. जमीन चली गई तो चली जाने दो.’’

तब बाबू सिंह ने कहा, ‘‘छोटू की मां, महंगी जमीन के मालिक के रूप में हम इलाके में जाने जाते हैं. अब हम गांव में सीना तान कर नहीं चल पाएंगे. किसी से नजर तक नहीं मिला पाएंगे. लोग ताने भी मारेंगे. ऐसे जीने से तो मर जाना ही बेहतर होगा.’’

पति द्वारा जान देने की बात सुन कर बिटान देवी व उस की बेटियां घबरा गईं. उन्होंने अपने पापा को समझाया कि वे सब मिल कर संघर्ष करेंगी और फाइनेंशियल धोखाधड़ी कर हड़पी गई करोड़ों की जमीन वापस लेंगी. उन्हें कानून पर पूरा भरोसा है.

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पत्नी व बेटियों के समझाने के बाद बाबू सिंह ने आधाअधूरा खाना खाया, फिर बाहर वाले कमरे में जा कर चारपाई पर लेट गया. बिटान व उस की दोनों बेटियां घर के अंदर वाले कमरे में जा कर सो गईं.

9 सितंबर, 2023 की सुबह कानपुर जिले के अहिरवां गांव में होहल्ला मचा कि किसी आदमी ने रेल से कट कर जान दे दी है. यह खबर सुनते ही बिटान देवी का माथा ठनका. वह पति के कमरे में गई तो चारपाई खाली थी. अब उस का दिल तेजी से धडक़ने लगा और मन में अच्छे बुरे विचार आने लगे.

मन में चल रही तमाम आशंकाओं के बीच बिटान देवी ने दोनों बेटियों को साथ लिया और रेलवे लाइन की तरफ तेजी से चल दी. गांव के बाहर से ही रेलवे ट्रैक गुजर रहा था. अत: वहां तक पहुंचने में मांबेटियों को चंद मिनट ही लगे.

रेलवे ट्रैक के बीच में एक आदमी का क्षतविक्षत शव पड़ा था. इस शव को बिटान देवी ने देखा तो वह चीख पड़ी. क्योंकि शव उस के पति बाबू सिंह यादव का था. पिता का शव देख कर रूबी व काजल भी बिलख पड़ीं. इस के बाद तो जंगल की आग की तरह यह खबर अहिरवां गांव में फैली और देखते ही देखते घटनास्थल पर भीड़ जुट गई.

बाबू सिंह ने सदमे में कर लिया सुसाइड

इसी बीच किसी ने हादसे की जानकारी थाना चकेरी (कानपुर) पुलिस को दे दी. खबर पाते ही चकेरी थाने के एसएचओ अशोक कुमार दुबे अपनी टीम के साथ आ गए. उन की सूचना पर जौइंट पुलिस कमिश्नर आनंद प्रकाश तिवारी तथा एसीपी अमरनाथ यादव भी आ गए.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. मृतक बाबू सिंह यादव की उम्र 50 साल के आसपास थी. साक्ष्यों के आधार पर उस ने ट्रेन से कट कर आत्महत्या की थी. जामातलाशी में उस के पास से एक पत्र बरामद हुआ.

इस पत्र को पुलिस अधिकारियों ने गौर से पढ़ा. पत्र में लिखा था, ‘केंद्रीय और योगी जी सरकार, आप से मेरी शिकायत है कि आप के राज्य में आप की ही पार्टी के सदस्य आप का ही कानून तोड़ रहे हैं. आप की केंद्र सरकार ने कानून लागू किया था कि कोई भी लेनदेन 20 हजार से ऊपर का रजिस्ट्री से होगा. मुझे 6 करोड़ 29 लाख का चैक दे कर मेरी 6 बीघा जमीन ले ली गई. चैक फरजी था. और क्या लिखूं, लिखने को तो बहुत कुछ है. जीने का कुछ मतलब नहीं बचा. सारे फोटो फोन में हैं. आत्महत्या के जिम्मेदार डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर, बबलू यादव हैं. हो सके तो बच्चों को न्याय मिले. छोटू बाय. बाबू सिंह.’

इस पत्र से स्पष्ट था कि बाबू सिंह की 6 बीघा जमीन की प्रियरंजन दिवाकर, बबलू आदि ने रजिस्ट्री करा ली और फरजी चैक दे दिया. उस ने आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का दोषी प्रियरंजन दिवाकर व बबलू आदि को ठहराया. पत्र में उस ने केंद्र व योगी सरकार की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े किए तथा बच्चों को न्याय दिलाने की मांग की.

घटनास्थल पर मृतक की पत्नी बिटान देवी व उस की दोनों बेटियां मौजूद थीं. वे तीनों विलाप कर रही थीं. उन के रुदन से लोगों का कलेजा कांप उठा था. पुलिस अधिकारियों ने उन तीनों को धैर्य बंधाया और घटना के संबंध में पूछताछ की.

Maa Beti Ko Dhairya Bandhate Parijan

बिटान देवी ने बताया कि डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर भाजपा का रसूखदार नेता है. वह बाल संरक्षण आयोग का सदस्य भी है. उस ने अपने ड्राइवर बबलू यादव व अन्य गुर्गों के साथ षडयंत्र रच कर उस की बेशकीमती जमीन की रजिस्ट्री करा ली और 6 करोड़ 29 लाख का चैक दे कर पति से यह कह कर छीन लिया कि चैक में कुछ गड़बड़ी है, कैश नहीं होगा.

इस के बाद दोबारा चैक नहीं दिया. जोर देने पर चैकों की फोटोकापी पकड़ा दी. इसी से आहत हो कर पति ने जान दे दी. बिटान ने कहा कि यदि उसे न्याय नहीं मिला तो वह भी दोनों बेटियों के साथ जान दे देगी. इस पर पुलिस अधिकारियों ने भरोसा दिया कि उन्हें न्याय जरूर मिलेगा और दोषी जेल जाएंगे.

भाजपा नेता और अन्य के खिलाफ हुई रिपोर्ट दर्ज

पूछताछ के बाद पुलिस अधिकारियों ने जरूरी काररवाई पूरी कर बाबू सिंह यादव के शव को पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपत राय अस्पताल भिजवा दिया. पोस्टमार्टम के बाद उन के शव घर लाया गया तो एक बार फिर गांव में मातम छा गया. मृतक की बेटी रूबी व काजल ने शव को कंधा दिया. उस के बाद शव को गंगा तट सिद्धनाथ घाट लाया गया, जहां मृतक के भतीजे मुन्ना सिंह ने मुखाग्नि दी.

10 सितंबर, 2023 की शाम बिटान देवी थाना चकेरी पहुंची. उस ने एसएचओ अशोक कुमार दुबे को एक लिखित तहरीर दी. तहरीर के आधार पर पुलिस ने भादंवि की धारा 420/306/34/504/506 के तहत भाजपा के रसूखदार नेता डा. प्रियरंजन आशू दिवाकर निवासी श्याम नगर, बबलू यादव निवासी टटियन झनाका, जितेंद्र सिंह यादव निवासी अहिरवां गांव, कानपुर नगर, मधुर पांडेय निवासी 102ए, 100 फुटा रोड, कानपुर नगर, राहुल जैन निवासी बी 92, सेक्टर 31, नोएडा, गौतमबुद्ध नगर तथा शिवम सिंह चौहान निवासी मकरनपुर (मैनपुरी) के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली.

फाइनेंशियल धोखाधड़ी कर जमीन हड़पने तथा आत्महत्या के लिए प्रेरित करने का मुकदमा दर्ज होते ही आरोपी राहुल जैन, मधुर पांडेय, बबलू यादव, जितेंद्र यादव व शिवम भूमिगत हो गए. उन्होंने अपने मोबाइल फोन भी बंद कर लिए. भूमिगत हो कर सभी अपनेअपने बचाव का रास्ता खोजने लगे.