गैंगस्टर लौरेंस का मेन टारगेट सलमान खान और जानें हिटलिस्ट के बाकी लोगों के नाम

बाबा सिद्दकी की हत्या की जिम्मेदारी कबूलने के बाद लौरेंस बिश्नोई का नाम एक बार फिर से चर्चा में आ गया है. लौरेंस के बारे में कहा जाता है कि उनके निशाने पर सबसे ऊपर सलमान खान है इसके अलावा भी कई लोग लौरेंस की हिट लिस्ट में शामिल हैं, इसमें गैंगस्टर कौशल चाैधरी, सिद्धू मूसेवाला का मैनेजर सगुनप्रीत सिंह, जीशान सिद्दकी भी शामिल है, मीडिया रिपोर्ट्स की मानें, तो विवादों में रहने वाला स्टैंडअप कौमेडियन मुनव्वर फारुकी भी इनके निशाने में है
आइए पढ़ें कैसे फजिल्का का लौरेंस मुंबई अंडरवर्ल्ड में एंटर करने की तैयारी कर रहा है

बात 2010 की है. चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में स्थित डीएवी कालेज में स्नातक पाठ्यक्रमों की वार्षिक परीक्षा चल रही थी. एक परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक ने छरहरे बदन के बेहद सुदर्शन दिखने वाले एक छात्र को चिट से नकल करते हुए पकड़ लिया.

निरीक्षक उसे पकड़ कर परीक्षा अधीक्षक को सौंपने के लिए ले जा रहे थे कि छात्र ने कक्ष निरीक्षक को जोर का धक्का दिया और अपनी उत्तर पुस्तिका के साथ एक मंजिला इमारत की खिड़की से छलांग लगा दी.

लेकिन ये क्याआसमान से गिरे और खजूर में अटके. नीचे खड़े सुरक्षा गार्ड ने पहली मंजिल से कूदे छात्र को देख कर सारा माजरा समझ लिया. बिना एक पल गंवाए गार्ड ने छात्र पर झपट्टा मारा और छात्र की शर्ट का कौलर उस की मुट्ठी में आ गया.

‘‘अब कहां जाएगा बच्चू,’’ गार्ड ने आंखें तरेर कर कहा.

लेकिन ये क्या… अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से यूटर्न लिया. छात्र की पूरी की पूरी शर्ट गार्ड के हाथ में आ गई और शरीर उस की पकड़ से दूर हो गया. हाथ में परीक्षा की कौपी और जिस्म से जुदा हुई शर्ट के बगैर नंगे बदन छात्र ने एक पल के लिए रुक कर गार्ड को देखा और फिर उपहास उड़ाने वाले अंदाज में मुंह से एक जोरदार सीटी मारते हुए बाईं आंख दबा दी. मानो कह रहा हो आ जा दम है तो पकड़ के दिखा.

अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से दौड़ लगा दी और पलक झपकते ही वह गार्ड की आंखों से ओझल हो गया. छात्र की शर्ट को हाथ में पकड़े गार्ड खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था.

बाद में होहल्ला मचाछानबीन हुई तो पता चला कि डीएवी कालेज का वह छात्र बीए प्रथम वर्ष का स्टूडेंट लारेंस बिश्नोई था. वो लारेंस बिश्नोई जो उन दिनों डीएवी कालेज के सब से उद्दंड छात्रों में गिना जाता था.

ऐसा अकसर होता था कि कालेज के स्टाफ और छात्रों से अकसर लारेंस की झड़पें होती रहती थीं. लेकिन तब कोई नहीं जानता था कि एक दिन यही नटखट छात्र देश का एक खूंखार गैंगस्टर बन जाएगा और कानून को छकाना शुरू कर देगा.

वही लारेंस बिश्नोई जो पंजाब के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला की सनसनीखेज हत्या का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. वही लारेंस बिश्नोई जिस ने बौलीवुड के सुलतान सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी है. वही लारेंस बिश्नोई जो वैसे तो लंबे अरसे से जेल की सलाखों के पीछे हैलेकिन इस के बावजूद देश के अलगअलग हिस्सों से उस के गुनाहों के किस्से सामने आते रहते हैं.

जमींदार परिवार से है लारेंस बिश्नोई

क्योंकि उस के गिरोह का जाल पूरे देश में फैला है. जेल में बैठ कर देश और दुनिया के किसी भी हिस्से में जुर्म की किसी भी वारदात को अंजाम देने वाले इस गैंगस्टर की कहानी बौलीवुड की किसी एक्शन फिल्म की तरह रोमांच से भरी हुई है.

लारेंस बिश्नोई का जन्म 22 फरवरी1992 को पंजाब के फाजिल्का (अबोहर) के पास दत्तारवाली गांव में रहने वाले लविंदर बिश्नोई के घर में हुआ था.

बिश्नोई परिवार एक साधनसंपन्न और  जमींदार परिवार था. पूर्वजों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन थीजिसे हर साल पट्टे पर दे कर बिश्नोई परिवार खेती कराता था. लेकिन साधनसंपन्न होने के बावजूद लविंदर बिश्नोई सरकारी मुलाजिम की नौकरी करना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने पंजाब पुलिस में बतौर कांस्टेबल की नौकरी जौइन कर ली.

लविंदर बिश्नोई की पत्नी सुनीता बिश्नोई भी पढ़ीलिखी गृहिणी हैं. संतान के रूप में सब से पहले परिवार में जब बड़े बेटे ने जन्म लियाउन्होंने उस का नाम लारेंस रखा.

दरअसललारेंस जब पैदा हुआ तो एकदम दूध की तरह सफेद था और लारेंस क्रिश्चियन नाम है जिस का मतलब होता है सफेद चमकने वाला. उस के बाद बिश्नोई दंपति ने 2 और संतानों को जन्म दियाजिस में छोटा बेटा हुआ तो उस का नाम अनमोल बिश्नोई रखा गया.

दोनों भाइयों से छोटी एक बहन पैदा हुई. लारेंस बचपन से ही बहुत स्मार्ट और खेल में रुचि रखता था. घरवालों को लगता था कि खेल की दुनिया में वह बड़ा नाम कमाएगा. पर किसे पता था कि बेटा जुर्म की दुनिया में शामिल हो जाएगा.

वैसे लारेंस को उस के क्रीमी रंग के कारण परिवार वाले और परिचित प्यार से मिल्की’ भी कह कर बुलाते थे.

एथलीट के रूप में बनाई पहचान

लारेंस व उस के दोनों बहनभाइयों की  बचपन की पढ़ाई फाजिल्का में हुई. उस के बाद कालेज की पढ़ाई करने लारेंस को चंडीगढ़ भेज दिया गया. लारेंस ने डीएवी कालेज चंडीगढ़ में प्रवेश ले लियाजहां उस ने शुरुआती दिनों में ही बतौर एथलीट अच्छी पहचान बना ली.

संपन्न परिवार का होने और मांबाप के लाड़प्यार के कारण लारेंस का पढ़नेलिखने में ज्यादा मन नहीं लगता था. लेकिन खेल के साथ छात्रों के बीच में लीडर बन कर रहना और मामूली सी बात पर हनक दिखाना उसे अच्छा लगता था. अपने स्पोर्ट्स और जिम के शौक के कारण लारेंस की कालेज के बहुत सारे दबंग तथा नेता टाइप लड़कों से दोस्ती हो गई थी.

जिन दिनों लारेंस अपने कालेज जीवन की शुरुआती जिदंगी जी रहा थाउन दिनों चंडीगढ़ स्थित यूनिवर्सिटी में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन यानी पूसू से टूट कर बने एक छात्र संगठन स्टूडेंट यूनियन औफ पजांब यूनिवर्सिटी का खूब बोलबाला था. इन दोनों ही छात्र संगठनों के बीच कालेज की छात्र राजनीति में जम कर संघर्ष होता रहता था.

पूसू ने पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी में 1978 में छात्र चुनाव लड़ाजबकि सोपू 1997 में अस्तित्व में आया और उसी वर्ष उस ने पहला चुनाव जीता. कैंपस की छात्र राजनीति में पूसू और सोपू दोनों का ही दबदबा था. हालांकिसोपू के नेता बाद में एक के बाद एक मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों में शामिल हो गए.

छात्र राजनीति से आया बदलाव

लारेंस बिश्नोई को युवावस्था से ही राजनीति करने की ललक तो थी ही. परिवार से वह संपन्न था और वैभव भरी जिंदगी जीता था. दोस्तों ने जब उसे छात्र राजनीति करने के लिए प्रेरित किया तो इस के परिणामों के बारे में ज्यादा सोचविचार न करते हुए उस ने छात्र राजनीति में कदम रख दिया.

छात्र राजनीति की शुरुआत करने के लिए लारेंस ने अपने दोस्तों का एक बड़ा गुट तैयार कर लिया. अपने सर्मथक छात्रों की समस्याओं को निबटाने के लिए लारेंस अकसर कालेज के स्टाफशिक्षकों और विरोधी गुट के छात्र नेताओं से भिड़ जाता था.

जिन दिनों लारेंस चंडीगढ़ के डीएवी कालेज में पढ़ता थाउन दिनों उस के साथ पंजाब के 2 नौजवान गोल्डी बरार और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा भी पढ़ते थे. संयोग से तीनों की दांत काटी दोस्ती हो गई थी.

लारेंस की पर्सनालिटी अच्छी थी. दिखने में वह हैंडसम था और साथ में पैसे वाला भीइसलिए दोस्तों ने उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. लारेंस ने चुनाव लड़ने के लिए अपना गुट बना लिया. सोपू के बैनर तले 2008 में उस ने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा. जीतने के लिए उस ने बहुत मेहनत की पर चुनाव हार गया.

बदला लेने के लिए खरीदी रिवौल्वर

उसे अपनी ये हार बरदाश्त नहीं हुई. जिस के बाद उस ने एक रिवौल्वर खरीद ली और अपनी हार का बदला लेने के लिए चुनाव जीतने वाली टीम से बदला लेने का इरादा बना लिया. लेकिन अगले साल के चुनाव में लारेंस खुद चुनाव नहीं लड़ाबल्कि अपने दोस्त विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा को छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जितवा कर अपने विरोधियों के मुंह पर तमाचा मार दिया.

लेकिन छात्रसंघ चुनाव में अपनी पहली हार को लारेंस भूला नहीं था और न ही अपने दुश्मनों को भूला था. 2011 में लारेंस का सामना जब उदय ग्रुपजोकि चुनाव में उस से जीता थासे हुआ और दोनों में जब भिड़ंत हुई तो लारेंस ने फायरिंग कर दी और मामला पुलिस तक पहुंच गया. फिर इसी गुटबाजी के चलते लारेंस बिश्नोई पर अपराध का पहला केस दर्ज हुआ.

भले ही उस झगड़े के बाद लारेंस के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज हो गया होलेकिन उस दिन जिस दिलेरी से उस ने खुलेआम अपने दुश्मनों पर फायरिंग कर अपनी बहादुरी का परिचय दिया थाउस दिन से छात्र राजनीति में हर कोई लारेंस का नाम ले रहा था. इस के बाद लारेंस फायरिंग और पुलिस केस की वजह से मशहूर हो गया.

बसयही उस के जीवन का टर्निंग पौइंट था. संयोग यह भी रहा कि उन्हीं दिनों लारेंस बिश्नोई के चचेरे भाई की कुछ लोगों ने हत्या कर दी. दुश्मन वही थेछात्र राजनीति के कारण जिन से उस की दुश्मनी चल रही थी. लारेंस ने दुश्मनों से बदला लेने की ठान ली और पुलिस जब उसे फायरिंग मामले में जेल से अदालत में पेश करने के लिए ला रही थीउस दिन वह पुलिस को चकमा दे कर हिरासत से फरार हो गया.

पुलिस कस्टडी से भागा नेपाल

जेल से भागे लारेंस को पता था कि अगर वह पुलिस की जद में रहा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दुश्मनों से बदला लेने की तैयारी पूरी होने तक वह नेपाल भाग गयाजहां उस ने कुछ समय बिताया और दुश्मनों से बदला लेने के लिए हथियार एकत्र करने शुरू कर दिए.

लारेंस किसी भी सूरत में अपने चचेरे भाई के हत्यारे की तलाश कर उन से बदला लेना चाहता था. नेपाल से लौट कर जब विरोधी गुट के सदस्यों की तलाश कर रहा थादुर्भाग्य से फिर पंजाब की फरीदकोट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

दूसरी बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद लारेंस एक बात अच्छी तरह समझ गया कि अगर आप चालाकी से काम करो तो जेल के बाहर निकलने की जगह जेल में रह कर ही अपराध करो. इस के लिए बस आप को अपने गैंग की नेटवर्किंग को फैलाना होगा.

लारेंस अभी अपराध की दुनिया में कच्चा खिलाड़ी थालेकिन उस के सपने बड़ा डौन बनने के थे. वह लोगों के बीच अपने नाम का खौफ देखना चाहता था. अपराध की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी बनने के लिए उसे एक ऐसे गुरु की जरूरत थीजो उस की पसंद भी हो और जुर्म की दुनिया में लोग उसे मानते भी हों.

संयोग से फरीदकोट में गिरफ्तार होने के बाद जब लारेंस जेल गया तो इस बार उस की मुलाकात हुई जग्गू दादा यानी पंजाब में उन दिनों के एक बड़े गैंगस्टर जग्गू भगवान पुरी से. जग्गू से हाथ मिलाने के बाद लारेंस ने उस से अपराध के गुर सीखने शुरू कर दिए.

जेल में जग्गू दादा को बनाया गुरु

जग्गू भगवानपुरी पंजाब के भगवानपुर का रहने वाला है और देश के अमीर गैंगस्टर में इस का नाम शुमार है. इन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद है. अपने टाइम पर पंजाब की राजनीति और अपराध की दुनिया में जग्गू के नाम से ही कई काम हो जाते थे. कुछ साल पहले यह पकड़ा गया और उस के पास लगभग 2 करोड़ के हथियार बरामद हुए थे.

बहरहालजग्गू भगवानपुरी से हाथ मिलाने के बाद लारेंस बिश्नोई के कई बड़े बदमाशों से संबंध बने और कई रसूखदार लोगों से उस की पहचान हुई. वह जुर्म की दुनिया के ऐसे दांवपेच भी सीख गयाजिस के जरिए वह जेल में रह कर ही अपराध कराने की कला का खिलाड़ी बन गया.

जेल में मोबाइल फोन की सुविधा हासिल करने से ले कर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने और जेल में रह कर ही लोगों की हत्या कराने व रंगदारी वसूलने का वह खलीफा बन गया. पैसे से पावर कैसे हासिल की जाती है और इस कला से सिस्टम को किस तरह अपने हिसाब से हांका जाता हैये तमाम गुर उस ने जग्गू से सीख लिए थे.

इस के बाद उस ने दूसरे गैंगस्टर से जुड़ कर हथियार के दम से उगाही करने का नेटवर्क पूरे देश में फैला दिया. यही कारण है कि वह आज जेल में रहते हुए भी देश में अपने फैले हुए नेटवर्क के दम पर गुंडागर्दी कर रहा है. कई शहरों में उसके शार्प शूटर तैनात रहते हैंजो बस इशारा होने पर काम को अंजाम दे देते हैं. जेल में रहते हुए भी वह उसी तरह बड़बड़े कामों को अंजाम दे रहा है जितना कि वह बाहर रह कर करता था.

जेल से ही करने लगा गैंग का संचालन

लारेंस बिश्नोई ज्यादातर अपराध जेल में रह कर ही कराता है. दरअसलइस के पीछे उस की सोच थी कि अगर आप जेल की सलाखों के पीछे से काम कराओगे तो आप के खिलाफ पुलिस अपराध के ठोस सबूत एकत्र नहीं कर पाएगीजिस से आप के बरी होने की उम्मीद रहती है.

आज लारेंस बिश्नोई के खिलाफ 11 साल की अपराध की जिंदगी में पंजाबदिल्लीहरियाणाराजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 65 से ज्यादा मुकदमे गंभीर मामलों के दर्ज हो चुके हैं. लेकिन साक्ष्यों के अभाव में इन में 32 मामलों में वह बरी हो चुका है.

फिल्मों में जेल से गैंग औपरेट करते आप ने गैंगस्टरों को तो देखा ही होगा लेकिन लारेंस रियल लाइफ में ये काम कर रहा है. जेल में रह कर ही वह एक इशारे पर किसी कारोबारी या किसी बड़े नेता की हत्या करवा देता है.

2015 में पंजाब पुलिस उसे कोर्ट में पेशी के लिए ले जा रही थीउसी दौरान वह आखिरी बार पुलिस की हिरासत से भाग गया. बताया जाता है कि वह भाग कर नेपाल चला गया और वहां से आधुनिक हथियार ले कर लौटा. उस ने इधरउधर फैले अपने गैंग के शूटरों को वे हथियार उपलब्ध करा दिए. उस के तुरंत बाद पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया.

भले ही वह पुलिस की गिरफ्त में क्यों न होपर उसे गैंग को चलाने और कत्ल करने से कोई रोक नहीं सकता. वह फोन से ही सारी चीजों को अंजाम देता है. वाट्सऐप के जरिए सुपारी लेता है. जेल में जिम करता है जिस की फोटो फेसबुक पर अपलोड करता है.

बताया जाता है कि उस ने जेल में रह कर 2017 में सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या भी करवाई. जिस में उस ने अपने शूटर रविंदर काली को भेजा जोकि मोहाली का है. उस के बाद लारेंस ने जोधपुर में अपना दबदबा बनाने के लिए कारोबारी वासुदेव इसरानी की हत्या करवा दी. फिर तो बाद राजस्थान में भी उस का खौफ बन गया.

लारेंस न सिर्फ देखने में स्मार्ट गैंगस्टर है बल्कि वह जेल में रह कर स्मार्ट तरीके से फोन चलाने में भी माहिर है.

सलमान खान को दी खुलेआम धमकी

वैसे तो पंजाबराजस्थान और हरियाणा की पुलिस और अपराध की दुनिया में लारेंस बिश्नोई को पहले से ही सब जानते थेलेकिन उस का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आयाजब उस ने अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी.

दरअसललारेंस बिश्नोई ने जोधपुर में काले हिरण मामले में सलमान खान पर चल रहे केस के चलते उसे जान से मारने की धमकी दी थी. क्योंकि राजस्थान के बिश्नोई समाज में काले हिरण की पूजा की जाती है. सलमान खान के खिलाफ केस यही बिश्नोई समाज लड़ रहा था और लारेंस भी इसी समाज से है. तभी उस ने सलमान की हत्या करने की साजिश की.

उस ने अपने कुख्यात शूटर संपत नेहरा को इस की जिम्मेदारी दी. संपत ने मुंबई में सलमान के घर की रेकी करनी शुरू कर दी और फिल्म रेडी’ की शूटिंग के दौरान अपने काम को अंजाम देने का प्लान बनाया. पर ये लोग इस में असफल रहे और संपत नेहरा पकड़ा गया. अगर पकड़ा नहीं जाता तो ये लोग सलमान पर फिर से हमला करते.

लारेंस बिश्नोई का एक छोटा भाई अनमोल बिश्नोई है जो एक बौक्सर है और राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है. लेकिन अनमोल अपने बड़े भाई के गुनाहों की परछाई से अछूता नहीं रह सका. अपने भाई के अपराध छिपाने और उसे शरण देने के आरोप में राजस्थान पुलिस उसे कई बार गिरफ्तार कर चुकी है.

लारेंस बिश्नोई हालांकि बेहद हैंडसम हैलेकिन 30 साल की उम्र होने के बावजूद उस ने तक शादी नहीं की है. बताते हैं कि कालेज के दिनों में उस की एक गर्लफ्रैंड हुआ करती थीजिस के साथ वह खुशीखुशी टाइम बिताया करता था.

लारेंस और उस की गर्लफ्रैंड दोनों अबोहर के कौन्वेंट स्कूल से 10वीं तक साथ पढ़े थे और यहीं से वे एकदूसरे को पसंद करने लगे थे. जहां बड़े होने पर बचपन का प्यार छूट जाता है पर इन दोनों का प्यार समय के साथ और गहरा होता चला गया.

लेकिन जब लारेंस 2008 में सोपू की ओर से डीएवी छात्र संघ का चुनाव हार गया और विरोधी गुट से उस की दुश्मनी हो गई तो इसी दुश्मनी के कारण लारेंस को अपने प्यार को खोना पड़ा था. लारेंस को जानने वाले लोग बताते हैं कि विरोधी गुट के लोगों ने एक साजिश के तहत लारेंस की गर्लफ्रैंड की हत्या कर दी थी. इसी केस की वजह से लारेंस जुर्म की दुनिया में उतरा था.

सिद्धू मूसेवाला से नहीं थी सीधी दुश्मनी

लारेंस बिश्नोई को करीब से जानने वाले बताते हैं कि उस के लिए दोस्ती का कमिटमेंट सब से बड़ा कमिटमेंट होता है. उस ने कई अपराध तो ऐसे किएजिस का न तो उस से सीधा वास्ता था और न ही उसे कोई आर्थिक लाभ लेना था.

कालेज की जिंदगी खत्म होने के बाद गोल्डी बरार तो कनाडा चला गया और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा ने अकाली दल का दामन थाम लिया और राजनीति करने लगा.

बताया जाता है कि विक्की और सिंगर सिद्धू मूसेवाला की बाद में राजनीतिक कटुता हो गई. अपराध की दुनिया से जुड़े जो लोग विक्की को धमकियां देते थेसिद्धू उन सब को शह और शरण देता था.

बाद में पिछले 7 अगस्त2021 को विक्की की जब सरेआम गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई तो आरोप लगे थे कि उस की हत्या के पीछे सिद्धू मूसेवाला का दिमाग था.

सिद्धू मूसेवाला जोकि एक मशहूर पंजाबी गायक और कांग्रेसी राजनेता थेउन की पंजाब के मानसा जिले में जब पिछले महीने 29 मई2022 को गोली मार कर हत्या कर दी गई. तभी से ये आरोप लग रहे हैं कि उन की हत्या का मास्टरमाइंड तिहाड़ जेल में बंद लारेंस बिश्नोई और कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ है.

क्योंकि इस घटना के कुछ घंटे बाद लारेंस और गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट में इस हत्या की जिम्मेदारी ली. जिस में उस ने कहा, ‘आज सिद्धू मूसेवाला का कत्ल हुआ हैउस की जिम्मेदारी मैं और मेरा भाई गोल्डी बरार लेता है. लोग हमें जो भी कहें लेकिन इस ने हमारे भाई विक्की मिद्दूखेड़ा की हत्या में मदद की थी और अब हम ने अपने भाई का बदला ले लिया है. मैं ने इसे जयपुर से काल कर के कहा था कि तुम ने गलत किया है. इस ने मुझे कहा कि मैं किसी की परवाह नहीं करता. तुम जो कर सकते हो कर लो. मैं भी हथियार लोड कर के रखता हूं और आज हम ने अपने भाई विक्की की मौत का बदला ले लिया है. ये तो अभी शुरुआत हैजो भी इस कत्ल में शामिल थेवे तैयार रहें. आज हम ने सब के भ्रम दूर कर दिए. जय बलकारी.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद लारेंस बिश्नोई एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इतना ही नहींउस ने एक बार फिर सलमान खान व उन के पिता को जान से मारने की धमकी दी है. बिश्नोई के गुर्गों ने मूसेवाला की हत्या के बाद बेहद सुनियोजित तरीके से सलमान के पिता सलीम तक एक खत पहुंचवा दियाजिस में लिखा था कि मूसेवाला के बाद अब सलमान.

लारेंस बिश्नोई पिछले साल तब भी सुर्खियों में छाया रहा थाजब 2021 में दिल्ली के माडल टाउन इलाके में सागर नाम के एक पहलवान की हत्या हो गई थी और इस मामले में ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता पहलवान सुशील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी. सुशील कुमार बिश्नोई गैंग का समर्थन कर रहे थे.

बंबीहा गैंग को मानता है दुश्मन

लारेंस बिश्नोई इस साल एक दूसरे कारण से भी विवाद में छाया रहा है. विवाद यह है कि उस के एक करीबी पंजाबी गायक मित्र मनकीरत औलख को बंबीहा गैंग द्वारा धमकी दी गई थी कि वह लारेंस बिश्नोई से संबंध न रखेवरना मनकीरत को मार दिया जाएगा.

सभी जानते हैं कि लारेंस बिश्नोई के बंबीहा गैंग के साथ बहुत खराब संबंध हैंइसीलिए बंबीहा गैंग ने मनकीरत को धमकी दी है.

लारेंस बिश्नोई छात्र राजनीति के समय से ही रौबिनहुड स्टाइल में काम करने के चलते एक बड़ी छात्र संख्या के बीच पोस्टर बौय बन गया था. वह क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानने का दावा करता है. भगत सिंह की तसवीर वाली टीशर्ट और लारेंस के पोस्टर कालेज की दीवारों पर लगाए जाने लगे थे. देखते ही देखते पंजाबहरियाणा और राजस्थान की सब से खतरनाक गैंगों में से एक का लीडर लारेंस बन गया. लारेंस  अपने गैंग का संचालन अमूमन जेल से ही करता है. उस के गैंग के पास महंगी पिस्तौल और बंदूकों का जखीरा भी है.

लारेंस जेल में अमूमन विदेशी सिमों के इस्तेमाल से ही सारे संदेश वाट्सऐप के जरिए अपने गुर्गों को भेजता है. कुख्यात काला जठेड़ी से हाथ मिलाने के बाद उस के गैंग में 700 के करीब शूटर और गुर्गे शामिल हो गए हैं.

मूसेवाला मर्डर से पहले भी यही खुलासा हुआ था कि लारेंस बिश्नोई ने वर्चुअल नंबरों से विदेश में मौजूद गोल्डी बरार से कई बार बात की थी.

लारेंस बिश्नोई का जेल के भीतर का नेटवर्क कितना मजबूत हैइस का अंदाजा उस की सोशल मीडिया पोस्ट्स से मालूम होता है. 29 साल का लारेंस अच्छे कपड़ों और बौडी बिल्डिंग का भी शौक रखता है.

4 साल पहले पंजाब की फरीदकोट जेल से लारेंस को राजस्थान की एकमात्र हाई सिक्योरिटी वाली घूघरा घाटी जेल में शिफ्ट किया गया था. फिर भी वह अंदर से ही 4जी सिम का इस्तेमाल कर अपना गैंग औपरेट कर रहा था.  साल 2018 में उस ने बौलीवुड स्टार सलमान खान को मारने की जो सुपारी दी थीउस में भी उस ने फोन के नेटवर्क का इस्तेमाल किया था.

दुश्मनों के दुश्मन को बना लिया दोस्त

लारेंस बिश्नोई पहले पंजाबउस के बाद राजस्थान की जेल में बंद रहा और अब एक साल से मकोका मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. लेकिन देश की इस सब से सुरिक्षत मानी जाने वाली जेल में रह कर भी वह किस तरह से अपने गिरोह को संचालित करता हैइस का अंदाजा सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश के तार को जोड़ कर लगाया जा सकता है.

पिछले 6-7 सालों में लारेंस बिश्नोई ने हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिला कर अपने गैंग को मजबूती दी. बाद में गैंग को और मजबूती देने के लिए लारेंस बिश्नोई और काला जठेड़ी ने गुरुग्राम के गैंगस्टर सूबे गुर्जर और राजस्थान के गैंगस्टर आंनदपाल सिंह से हाथ मिलाया. बाद में आनंदपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.

हरियाणा और राजस्थान के बाद लारेंस अब दिल्ली में भी अपने गैंग का सिक्का जमाने में जुट गया है. लेकिन दिल्ली में भी वह बिना किसी लोकल गैंगस्टर के अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकता थाइसलिए उस ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बाहरी दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी से हाथ मिला लिया.

लारेंस बिश्नोईजितेंद्र गोगीकुलदीप उर्फ फज्जा ने काला जठेड़ी के साथ मिल कर 4 साल में दिल्ली एनसीआर में लूटपाट और विरोधी गैंग के लोगों का खात्मा शुरू कर दिया. अपने गैंग को और मजबूती देने के लिए इन्होंने पुराना फार्मूला अपनाया और वह फार्मूला था कि अपने दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना. इस फार्मूले पर बिश्नोई ने अपना काम शुरू कर दिया.

लारेंस बिश्नोई का सब से बड़ा दुश्मन इन दिनों पंजाब के एक विरोधी गैंग देवेंदर बंबीहा का हैजिस से उस की पुरानी दुश्मनी है. बिश्नोई के पंजाब के सिंडिकेट में 200 अपराधी शामिल थे. जिन का काम उगाहीकौन्ट्रैक्ट किलिंगहत्याहत्या की कोशिश में शामिल होना था.

कनाडा में बैठा गोल्डी बरार और विदेश से पकड़ कर लाए गए वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा बिश्नोई के वर्चस्व को कायम करने में उस की मदद कर रहे थे.

बिश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को आपस में हाथ मिलवाने में राजस्थान के एक लोकल क्रिमिनल संपत नेहरा के कारण इस गैंग की ताकत और बढ़ गई है.

गैंगस्टर देवेंदर बंबीहा चंडीगढ़मोहालीपंचकूला में उगाही का एक रैकेट चलाता था. साल 2016 में देवेंदर के एनकाउंटर के बाद दिलप्रीत और सुखप्रीत ने गैंग की कमान संभाली. इन के विरोध में लारेंस बिश्नोई ने उन व्यापारियों को धमकी भरे काल करने शुरू किए जो बंबीहा गैंग को प्रोटेक्शन मनी दिया करते थे.

इस के बाद से दोनों गैंग में दुश्मनी बढ़ती चली गई. बंबीहा गैंग के एक सदस्य लवी देरा को साल 2017 में बिश्नोई के कहने पर संपत नेहरा और उस के साथियों ने मार दिया. इस का बदला लेने के लिए बंबीहा गैंग ने बिश्नोई गैंग के सदस्य गुरलाल बरारजोकि गोल्डी बरार का भाई थाको मार दिया.

जेल में रह कर अपने दुश्मनों को मिटाने की साजिश रचने के लिए बदनाम लारेंस बिश्नोई अब अपने व अपने दोस्तों के लिए खतरा बने सभी गैंगों को मिटाने के लिए पूरी ताकत लगाने कोे तैयार है.      

कहानी जनचर्चा व गैंगस्टर के खिलाफ दर्ज मामलों पर आधारित

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 3

सुखदेव सिंह की हत्या के बाद शूटर नितिन फौजी और रोहित राठौड़ राहगीर हेमराज से छीनी स्कूटी से अजमेर रोड पहुंचे, यहां से रामवीर बाइक पर दोनों को बगरू टोल प्लाजा से आगे तक ले कर गया. जहां से दोनों शूटर रोडवेज बस में सवार हो कर डीडवाना पहुंचे. वहां से टैक्सी किराए पर ले कर सुजानगढ़ पहुंच गए. सुजानगढ़ से दिल्ली की बस में बैठ कर रवाना हुए, लेकिन दोनों धारूहेड़ा पर ही बस से उतर गए.

सीसीटीवी फुटेज आने पर दोनों की तलाश में टीमें हिसार भेजी गईं, लेकिन ये बदमाश वहां से भी हिमाचल प्रदेश, मनाली के लिए निकल गए. मनाली में इन की लोकेशन मिलने पर टीमें रवाना हुईं तो ये वहां से नितिन फौजी के गांव के रहने वाले एक व्यक्ति के घर चंडीगढ़ पहुंच गए.

दिल्ली पुलिस को 9 दिसंबर, 2023 की दोपहर 2 बजे इन के चंडीगढ़ में होने की पुख्ता जानकारी मिली. दिल्ली पुलिस के स्पैशल सीपी (क्राइम) रविंद्र सिंह यादव ने जयपुर पुलिस से संपर्क किया. जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जौर्ज जोसफ और एडीजी (क्राइम) दिनेश एम.एन. ने अपनी टीम के 7 अफसरों और पुलिसकर्मियों को चंडीगढ़ इस औपरेशन में भेजा.

सीआईडी क्राइम ब्रांच, जयपुर पुलिस व दिल्ली पुलिस टीम ने संयुक्त काररवाई करते हुए सेक्टर-22 चंडीगढ़ स्थित होटल कमल से शराब ठेके के ऊपर बने कमरे में छिपे शूटर नितिन फौजी, रोहित राठौड़ और उन को पनाह देने वाले ऊधमसिंह को पकड़ लिया. दोनों आरोपियों की गिरफ्तारी होने पर राजस्थान पुलिस के आला अधिकारियों ने राहत की सांस ली.

एडीजी (क्राइम) दिनेश एम.एन., एडिशनल कमिश्नर कैलाशचंद्र विश्नोई, एडिशनल डीसीपी (जयपुर वेस्ट) रामसिंह शेखावत, एसीपी (सोडाला) श्यामसुंदर सिंह राठौड़, इंसपेक्टर (साइबर क्राइम) कमिश्नरेट चंद्रप्रकाश, एसएचओ (श्यामनगर) अरविंद चारण ने 72 घंटे में आरोपियों को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल कर ली. गिरफ्तार आरोपियों को ले कर पुलिस जयपुर रवाना हो गई.

लारेंस क्यों पड़ा था गोगामड़ी के पीछे

जयपुर के सोडाला थाने में तीनों आरोपियों से पुलिस अधिकारियों ने पूछताछ की. इन के अलावा 10 दिसंबर, 2023 को महेंद्रगढ़ (हरियाणा) निवासी भवानीसिंह उर्फ रोनी राहुल यादव और सुमित यादव को गुरुग्राम जेल से प्रोडक्शन वारंट पर जयपुर पुलिस टीम ने गिरफ्तार किया.

10 दिसंबर, 2023 को दोपहर 3 बजे जयपुर पुलिस कमिश्नर बीजू जौर्ज जोसेफ एवं एडीजी क्राइम दिनेश एम.एन. ने प्रैसवार्ता कर गोगामेड़ी हत्याकांड का खुलासा किया. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी हत्याकांड की जो खौफनाक कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह से है…

आनंदपाल एनकाउंटर के बाद वर्ष 2017 में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने एनकाउंटर को फरजी बताते हुए 15 दिन तक धरनाप्रदर्शन किया था. आनंदपाल और लारेंस बिश्नोई गैंग के बीच छत्तीस का आंकड़ा था.

लारेंस जब किसी से रंगदारी मांगता तो राजू ठेहठ व सुखदेव सिंह रंगदारी नहीं देने देते थे. लारेंस राजस्थान में पैर पसारने चाहता था. मगर राजू ठेहठ के आगे उस की एक नहीं चलती थी. तब लारेंस ने अपने राइट हैंड रोहित गोदारा से राजू ठेहठ का इलाज करने को कहा. रोहित गोदारा ने अपने राइट हैंड वीरेंद्र चारण को यह काम सौंपा.

सूत्रों के अनुसार जब संपत नेहरा के सब से खास दोस्त अंकित भादू का एनकाउंटर हुआ था, तब सुखदेव सिंह ने कोई विवादित कमेंट किया था. यही कारण था कि पंजाब की भटिंडा जेल में बंद लारेंस बिश्नोई गैंग का गैंगस्टर संपत नेहरा गोगामेड़ी की हत्या की साजिश रचने लगा था. इस मर्डर के लिए वह एके-47 अरेंज करवा रहा था.

aropi-sampat-nehra-gogamedi

पंजाब पुलिस को यह जानकारी मिलते ही उन्होंने मार्च 2023 में राजस्थान पुलिस की एंटी टेररिस्ट सेल को सूचना दी थी कि गैंगस्टर संपत नेहरा सुखदेव गोगामेड़ी को मरवाने के लिए एके-47 अरेंज करवा रहा है.

इस पर राजस्थान एटीएस के डीआईजी अंशुमान भोमिया ने 14 मार्च, 2023 को एसओजी को गोगामेड़ी पर हमले की साजिश का अलर्ट भेजा था. जब पुलिस ने गोगामेड़ी को सुरक्षा नहीं दी, तब सुखदेव सिंह ने 5 निजी हथियारबंद सुरक्षा गार्ड रख लिए थे.

सुखदेव के पास पिस्टल भी रहती थी. कहीं बाहर जाते तब गोगामेड़ी बुलेटप्रूफ कोट पहन कर जाते थे. हमेशा गार्ड भी हथियारों के साथ चलते थे. उन्होंने बुलेटप्रूफ गाड़ी भी बनवा ली थी.

विधानसभा चुनाव आचार संहिता के कारण उन के गार्ड के हथियार पुलिस थाने में जमा थे. इसी वजह से उन्होंने 3 गार्डों को छुट्टी पर भेज दिया था. घटना के समय 2 गार्ड ही थे, सुखदेव गोगामेड़ी ने अपने औफिस का एक अलग कमरा बना रखा था.

कमरे में हाई सिक्योरिटी लौक लगा रखा था. अगर कोई भी मिलने आता था तो गार्ड कमरे के हाई सिक्योरिटी लाक को खोलता था. तभी कोई अंदर जा सकता था. खुद गोगामेड़ी भी बाहर से आने वाले लोगों को कैमरे से देखते रहते थे. उन की मरजी के बिना कोई भी नहीं आ सकता था.

5 दिसंबर को गोगामेड़ी किसी काम से बाहर जाने की जल्दी में थे. बाहर घर से निकलते समय ही नवीन शेखावत, नितिन फौजी, रोहित राठौड़ आ गए थे. गोगामेड़ी को बाहर जाने की जल्दी थी, ऐसे में हाई सिक्योरिटी कमरे के बजाय वे तीनों से गार्डरूम में ही मिल रहे थे. तभी शूटरों ने अपना काम कर दिया था.

गैंगस्टर रोहित गोदारा ने राजू ठेहठ हत्याकांड में शामिल व सुजानगढ़ में पुलिसकर्मी पर फायरिंग करने वाले गुर्गे वीरेंद्र चारण को गोगामेड़ी की हत्या करवाने के लिए शूटर की व्यवस्था करवाने की जिम्मेदारी दी. वाटेंड वीरेंद्र चारण ने गुरुग्राम जेल में बंद महेंद्रगढ़ (हरियाणा) निवासी भवानी सिंह उर्फ रोपी को सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या करने की सुपारी दी.

भवानी सिंह ने अपने साथी नितिन फौजी को गोगामेड़ी की हत्या का टारगेट दिया. वाटेंड वीरेंद्र चारण ने पहले से संपर्क में रहने वाले जयपुर निवासी रोहित राठौड़ को नितिन फौजी के साथ हत्या करने के लिए भेजा.

aropi-virender-charan-gogamedi-murder

शूटरों तक कैसे पहुंचे हथियार और पैसे

नितिन और रोहित राठौड़ को वीरेंद्र चारण ने हथियार कुरियर बौय के माध्यम से पहुंचाते थे. रोहित राठौड़ और नितिन फौजी को वारदात से पहले 50-50 हजार रुपए भी दिए थे. हत्याकांड के बाद दोनों आरोपी लगातार वीरेंद्र चारण के संपर्क में थे. वीरेंद्र चारण रोहित गोदारा के  संपर्क में था. रोहित गोदारा पलपल की अपडेट गोल्डी बराड़ को दे रहा था.

यह जानकारी पुलिस को ऐप की मदद से मिली. मददगार रामवीर ने पूछताछ में नितिन फौजी के मित्रों की जानकारी दी. इन में एक नाम भवानी सिंह उर्फ रोनी का था, जब हरियाणा पुलिस की मदद से जेल में बंद भवानी से पूछताछ की तो उस ने ऊधमसिंह का नाम बताया था.

ऊधमसिंह नितिन फौजी का दोस्त था. ऊधम का फोन बंद था. मगर पुलिस ने सोशल मीडिया के जरिए उस की पड़ताल कर के तीनों आरोपियों को चंडीगढ़ से धर दबोचा.

रामवीर को 10 दिसंबर को कोर्ट में पेश कर 8 दिन के रिमांड पर लिया गया है. वहीं दोनों शूटर आरोपी नितिन फौजी, रोहित राठौड़, एवं उन के मददगार ऊधमसिंह के अलावा जेल से प्रोडक्शन वारंट पर गिरफ्तार किए भवानी सिंह उर्फ रोनी, राहुल यादव और सुमित को 11 दिसंबर, 2023 को जयपुर न्यायालय में पेश कर 7 दिन के रिमांड पर लिया गया था.

गोगामेड़ी हत्याकांड की जांच फिलहाल एनआईए के हाथ में है. देखते हैं कि मामले का पूरा पटाक्षेप किस तरह होता है.

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 2

स्कूली शिक्षा के दौरान ही धावक के रूप में अपनी पहचान बनाने वाले सुखदेव गोगामेड़ी फिल्म ‘पद्मावत’ और आनंद पाल एनकाउंटर केस के बाद राजस्थान में हुए प्रदर्शनों से काफी चर्चा में आए. वर्ष 2017 में फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली कृत फिल्म ‘पद्मावत’ की जयपुर के किले में शूटिंग के दौरान करणी सेना के लोगों ने तोडफ़ोड़ की और गोगामेड़ी ने भंसाली के थप्पड़ भी जड़ दिया था.

आइए जानते हैं कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी कौन थे. आज से करीब 60 साल पहले सुखदेव सिंह के पिता अचल सिंह शेखावत मूलरूप से गांव धमोरा, जिला झुंझुनूं से हनुमानगढ़ जिले के गांव गोगामेड़ी के चक 9 डीपीएन में जा कर बस गए थे. हालांकि उन का घर धमोरा गांव में भी है, यहां पर अचल सिंह शेखावत खेतीबाड़ी कर के परिवार का पालनपोषण किया करते थे. अचल सिंह की शादी इच्छा राजकंवर से हुई थी.

gogamedi-with-wife

अचल सिंह के 3 बेटे दलीपसिंह, सुखदेव सिंह और कानसिंह थे. वहीं एक बेटी मधुकंवर थी. सुखदेव सिंह से एक भाई बड़ा था एवं एक छोटा. सुखदेव सिंह का जन्म गोगामेड़ी में हुआ था. सुखदेव सिंह ने प्रारंभिक शिक्षा चादरा के विद्यालय में प्राप्त की. स्कूली पढ़ाई के बाद महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर से स्नातक किया.

आनंदपाल की मौत के बाद सुखदेव कैसे आए चर्चा में

कुख्यात गैंगस्टर आनंदपाल सिंह सांवराद का पुलिस ने 2017 में एनकाउंटर कर दिया था. इसे फरजी एनकाउंटर बताते हुए राजपूत समाज व करणी सेना ने कई दिनों तक आंदोलन किया था. इस आंदोलन की अगुआई सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने की थी. इस पर सुखदेव सिंह व अन्य पर रतनगढ़ थाने में मामला भी दर्ज किया गया था.

सुखदेव की हत्या के बाद उन के बड़े भाई दलीप सिंह के कंधों पर पूरे परिवार की जिम्मेदारी आ गई है. साल 2006 में सब से पहले करणी सेना बनी थी. बाद में लोकेंद्र सिंह कालवी ने अलग संगठन राजपूत करणी सेना बनाया था. साल 2012 में सुखदेव सिंह गोगामेड़ी को राजपूत करणी सेना का प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया था, लेकिन बाद में लोकेंद्र सिंह कालवी और सुखदेव सिंह गोगामेड़ी में विवाद हो गया था. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी ने 2017 में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना के नाम से अलग संगठन बना लिया था, जिस के वह अध्यक्ष थे.

गोगामेड़ी की हत्या की जिम्मेदारी लेने वाला गैंगस्टर रोहित स्वामी उर्फ रोहित गोदारा निवासी गांव कपूरीसर नूण करण सर, जिला बीकानेर का रहने वाला है. 2 भाइयों में बड़ा हनुमान स्वामी है, जबकि छोटा रोहित गोदारा है.

Rohit-godara-gang-gogamedi-murder

हनुमान और रोहित जब 8-10 साल के थे, तब उन का बाल विवाह चोटाला (हरियाणा) की 2 सगी बहनों से हुआ था. 2005 में उन का गौना हो गया. खेत में ढाणी बना कर ये लोग रहते थे एवं खेतीबाड़ी से गुजरबसर करते थे. वर्ष 2005 में रोहित कपूरीसर से बीकानेर आ गया और मोबाइल की दुकान खोल ली.

उस का काम ठीक चल रहा था कि पत्नी से तूतूमैं मैं होने लगी. रोहित गरम स्वभाव का था, सो बीवी से पटरी नहीं बैठी. 2 साल बीतते ही 2007 में रोहित के खिलाफ उस की पत्नी ने दहेज उत्पीडऩ का केस दर्ज करा दिया. पुलिस ने रोहित को गिरफ्तार कर के बीकानेर जेल में डाल दिया. जेल में रोहित स्वामी से रोहित गोदारा बन गया. वर्तमान में वह राजस्थान में लारेंस के खास गुर्गों में शामिल है.

रोहित कैसे आया अपराध की दुनिया में

जेल में अपराधियों का साथ मिला तो वह भी अपराध की राह पर चल पड़ा. रोहित ने 19 साल की उम्र में ही अपराध की दुनिया में एंट्री कर ली थी. वह अब तक करीब 15 बार जेल जा चुका है, रोहित गोदारा के खिलाफ 2010 में पहला मुकदमा हत्या का दर्ज हुआ था.

रोहित जेल में बैठ कर भी वारदातों को अंजाम देता रहा और हर बार जमानत पर बाहर आ कर अपराध की दुनिया में लगातार पैर पसारता रहा. वहीं रोहित गोदारा के बारे में बताया जाता है कि वह खुद का गैंग भी चलाता है, जहां वह मोनू गैंग और गुठली गैंग को भी औपरेट करता है. इस के अलावा वह इन दिनों लारेंस बिश्नोई के लिए भी काम करता है और उस के खास लोगों में शामिल है.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद रोहित गोदारा 2022 में फरजी नाम से पासपोर्ट बनवा कर दुबई भाग गया था. तब से वह दुबई में बैठ कर पहले गैंगस्टर राजू ठेहठ और अब सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की अपने गुर्गों से हत्या करवा चुका है.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की पत्नी शीला की रिपोर्ट पर थाना श्यामनगर में मामला दर्ज किया गया. रिपोर्ट निवर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुलिस डीजीपी, रोहित राठौड़, नितिन फौजी, लारेंस बिश्नोई, रोहित गोदारा, संपत नेहरा एवं अन्य अज्ञात आरोपियों के खिलाफ दर्ज की गई.

दूसरी रिपोर्ट स्कूटी सवार हेमराज उर्फ बाबू खटीक (गोयल) निवासी सूर्य नगर, जयपुर ने दोनों शूटर रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी के खिलाफ 6 दिसंबर, 2023 को दर्ज कराई.

गैंगस्टरों की कैसे जुड़ी कड़ी से कड़ी

रिपोर्ट दर्ज होते ही पुलिस जांच में जोरशोर से जुट गई. डीजीपी उमेश मिश्रा ने 6 दिसंबर, 2023 को शूटरों रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी को पकडऩे के लिए एसआईटी का गठन किया. एसआईटी का नेतृत्व एडीजी क्राइम दिनेश एम.एन., डीआईजी कैलाशचंद्र विश्नोई के सुपरविजन में किया गया.

ADG-crime-umesh-mishra

एसआईटी ने मामले की जांचपड़ताल शुरू कर दी. 200 से ज्यादा पुलिसकर्मी दौड़भाग करने लगे. आसपास के राज्यों के पुलिस अधिकारियों से भी मदद मांगी गई. रिपोर्ट दर्ज होने के बाद डीजीपी उमेश मिश्रा ने 6 दिसंबर को दोनों शूटरों रोहित राठौड़ एवं नितिन फौजी को पकड़वाने वाले को 5-5 लाख रुपए के इनाम की घोषणा कर दी.

पुलिस को सूचना मिली कि दोनों आरोपी एक टैक्सी से सुजानगढ़ बसस्टैंड गए थे. पुलिस ने उस टैक्सी ड्राइवर से पूछताछ की. उस ने बता दिया कि उन युवकों ने उसे 1500 रुपए किराया दिया था.

शनिवार 9 दिसंबर, 2023 को नितिन फौजी के दोस्त रामवीर निवासी महेंद्रगढ़ (हरियाणा) को राजस्थान पुलिस ने महेंद्रगढ़ से धर दबोचा. रामवीर ने बताया कि वह नितिन फौजी के साथ 12वीं तक पढ़ा है और खास दोस्त है. 12 वीं पास करने के बाद नितिन वर्ष 2019 में सेना में भरती हो गया. वह 19 जाट रेजिमेंट में वर्तमान में अलवर में तैनात था.

नितिन की एक साल पहले शादी जाट बहरोड़ (अलवर) राजस्थान में हुई थी. नितिन 2 दिन की छुट्टी पर 8 नवंबर, 2023 को अपने गांव देगड़ा जाट आया था. 9 नवंबर को वह महेंद्रगढ़ गाड़ी ठीक कराने का कह कर घर से निकला था. 9 नवंबर को नितिन फौजी और उस के साथियों ने एक व्यापारी का अपहरण कर लिया. इस की जानकारी महेंद्रगढ़ पुलिस को हुई तो पुलिस पीछा करने लगी. महेंद्रगढ़ पुलिस से नितिन वगैरह की मुठभेड़ हुई. पुलिस ने 3 आरोपी पकड़ लिए.

सुखदेव सिंह की हत्या से पहले 3 दिसंबर, 2023 को नितिन फौजी जयपुर पहुंचा. यहां पहुंचने से पहले ही नितिन फौजी ने रामवीर से संपर्क कर लिया था.

रामवीर ने उसे पहले महेशनगर के कीर्तिनगर में रुकवाया. इस के बाद अगले दिन गांधीनगर रेलवे स्टेशन के पास होटल में ठहराया. कुछ समय प्रतापनगर क्षेत्र में भी रहे. 4 दिसंबर, 2023 को उन्होंने ‘एनिमल’ फिल्म देखी. इस के बाद 5 दिसंबर को नितिन जा कर रोहित राठौड़ से मिला और वारदात को अंजाम दिया.

गोगामेड़ी हत्याकांड : गोलियों से मरा जयपुर का नेता – भाग 1

पहली गोली सुखदेव सिंह गोगामेड़ी (Sukhdev Singh Gogamedi) के सीने पर लगी. वह बचने के लिए उठते, उस से पहले ही गोलियों की बौछार दोनों हमलावरों ने कर दी. सुखदेव का परिचित नवीन बचाव के लिए सुखदेव की तरफ बढ़ा तो उस पर भी गोली चला दी.

नवीन बच कर बाहर भागा, तभी वहां मौजूद सुखदेव के दोस्त अजीत सिंह पर भी गोली चला दी. मात्र 20 सेकेंड में 17 राउंड गोलियां चलाईं. सुखदेव सिंह सोफे से लुढ़क कर नीचे गिर गए. आरोपियों में से एक ने जातेजाते सुखदेव के सिर में भी गोली मारी ताकि वह किसी भी हालत में जिंदा न बचें.

सुरक्षा गार्ड नरेंद्र को जब तक स्थिति का भान हुआ, तब तक आरोपी काम तमाम कर चुके थे. नवीन सिंह ड्राइंगरूम से बाहर निकल कर मकान के आगे जा कर गिर गया और दम तोड़ दिया. अजीत सिंह राजावत पर 7 गोलियां चलाई थीं. वह भी खून से लथपथ हो कर गिर पड़ा.

राजस्थान (Rajasthan) की राजधानी जयपुर (Jaipur) , जिसे गुलाबी नगर के नाम से भी जाना जाता है, के श्यामनगर में राष्ट्रीय राजपूत करणी सेना (Karni Sena) के राष्ट्रीय अध्यक्ष (National President) सुखदेव सिंह गोगामेड़ी 5 दिसंबर, 2023 को अपने निवास, जोकि कार्यालय भी है, में बैठे थे. उन के साथ उन के खास मित्र अजीत सिंह राजावत (Ajeet Singh Rajawat) भी थे.

sukhdev-singh-gogamedi

वे दोनों बैठे बातचीत कर रहे थे. उस समय दोपहर के एक बज कर 10 मिनट हो रहे थे. तभी एक गाड़ी में सवार हो कर 2 व्यक्ति सुखदेव के परिचित नवीन शेखावत के (Naveen Shekhawat) साथ वहां पहुंचे.

उस वक्त गोगामेड़ी फोन पर बिजी थे, नवीन भी बातचीत सुन रहा था. अजीत सिंह का ध्यान भी सुखदेव सिंह पर था. तभी दोनों युवक जो नवीन शेखावत के साथ आए थे, उठे और पिस्टल निकाल कर दनादन सुखदेव सिंह पर गोलियां दागने लगे.

दोनों आरोपी चंद पलों में काम कर के बाहर भागे. गार्ड नरेंद्र ने पोजीशन ले कर उन पर फायर किए. जवाबी फायरिंग उन लोगों ने नरेंद्र पर की. नरेंद्र के पैर में गोली लगी. वह घायल हो गया. इस के बाद दोनों आरोपी मकान के बाहर सड़क पर पहुंचे.

उन्हें एक स्कूटी पर 2 लोग आते दिखे. उन लोगों ने स्कूटी सवार पर गोली चला दी. स्कूटी सवार गिर पड़े तो स्कूटी पर बैठ कर दोनों आरोपी वहां से भाग निकले, गार्ड ने घायल होने के बावजूद आवाज दी तो आसपास के लोग मौके पर पहुंचे.

गोलियों की आवाज आसपड़ोस के लोगों ने भी सुनी थी. उन लोगों ने सोचा कि कोई पटाखे चला रहा है. क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजे 3 दिसंबर, 2023 को आए थे.

लोगों ने जब माजरा समझा तो उन्होंने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी, अजीत सिंह राजावत, नवीन सिंह शेखावत एवं गार्ड नरेंद्र को मानसरोवर के मेट्रो मास हौस्पिटल पहुंचाया. जहां डाक्टरों ने सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और नवीन सिंह शेखावत को मृत घोषित कर दिया. गंभीर घायल अजीत सिंह राजावत को एस.एम.एस. हौस्पिटल रेफर कर दिया.

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या की खबर करीब 500 मीटर दूर स्थित श्यामनगर थाना पुलिस को लगी तो पुलिस घटनास्थल पर जा पहुंची. पुलिस ने घटना की जांचपड़ताल शुरू करने के साथ ही उच्चाधिकारियों को घटना की खबर दे दी.

सुखदेव सिंह की दिनदहाड़े घर में घुस कर गोली मारने की खबर मिलते ही उच्चाधिकारी घटनास्थल पर दौड़े चले आए. स्कूटी सवार बाबूलाल उर्फ हेमराज के जबड़े में गोली लगी थी. उसे भी अस्पताल में भरती कराया गया. घायल गनमैन नरेंद्र सिंह को मानसरोवर स्थित निजी अस्पताल में भरती कराया गया, जहां डाक्टरों ने उस का इलाज शुरू किया.

खबर पा कर पुलिस कमिश्नर बीजू जार्ज जोसफ भी घटनास्थल पर आ गए. एफएसएल टीम भी वहां पहुंच गई और जांच शुरू कर दी.

सुखदेव की मौत की खबर लगते ही धीरेधीरे हजारों समर्थक जुट गए. आक्रोशित समर्थकों ने सड़क पर टायर जला कर रास्ता बंद कर दिया. दोपहर से देर रात तक समर्थक हौस्पिटल के आगे जुटे रहे. यहां पहुंचे कई बड़े नेताओं ने सुखदेव को सुरक्षा नहीं देने को ले कर आक्रोश जताया और सरकार व पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की. सुखदेव सिंह गोगामेड़ी के समर्थकों में भारी गुस्सा था. पूरे राजस्थान में बवाल सा मच गया.

पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज के आधार पर दोनों आरोपियों की पहचान कर ली थी. इन में एक शूटर नागौर जिले के मकराना के जूसरिया गांव एवं वर्तमान निवास स्थान जयपुर के झोटवाड़ा में चांद बिहारी नगर निवासी रोहित सिंह राठौड़ था.

shooters-gogamedi-hatyakand

इस के खिलाफ वैशालीनगर थाना (जयपुर) में पोक्सो ऐक्ट का मामला दर्ज है, जबकि दूसरे का नाम नितिन फौजी था, जो देंगड़ा जाट गांव महेंद्रगढ़ जिला हरियाणा निवासी है. वहीं नवीन सिंह शेखावत भी इन का साथी था. सबूत मिटाने के लिए शूटरों ने नवीन की भी हत्या कर दी थी.

रोहित गोदारा गैंग पर क्यों हुआ शक

एफएसएल टीम ने जो खाली खोखे मौके से बरामद किए, उन्हें देख कर लग रहा था कि रोहित गोदारा गैंग के पास इसी तरह के हथियारों का जखीरा है. गैंगस्टर राजू ठेहठ की हत्या 3 दिसंबर, 2022 को और जी-क्लब पर फायरिंग में इसी तरह के हथियारों व कारतूस का इस्तेमाल किया गया था.

डीजीपी उमेश मिश्रा को भी शक हुआ कि सुखदेव सिंह गोगामेड़ी की हत्या रोहित गोदारा गैंग ने करवाई है.

रोहित गोदारा गैंग ने हत्या की जिम्मेदारी ले भी ली, सुखदेव सिंह की हत्या के बाद रोहित गोदारा के नाम से बने फेसबुक पेज पर पोस्ट कर लिखा, ‘राम राम, सभी भाइयों को. मैं रोहित गोदारा कपूरीसर गोल्डी बरार, भाइयों आज यह जो सुखदेव गोगामेड़ी की हत्या हुई है, इस की संपूर्ण जिम्मेदारी हम लेते हैं. यह हत्या हम ने करवाई है. भाइयों, मैं आप को बताना चाहता हूं कि ये हमारे दुश्मनों से मिल कर उन का सहयोग करता था. उन को मजबूत करने का काम करता था. रही बात दुश्मनों की तो वह अपने घर की चौखट पर अपनी अर्थी तैयार रखें. जल्दी उन से भी मुलाकात होगी.”

गोगामेड़ी की हत्या के बाद के घटनाक्रम पर डीजीपी नजर बनाए हुए थे, हत्यारों को पकडऩे के लिए नाकाबंदी कराई गई. उन तमाम जिलों में खासतौर पर सुरक्षा बढ़ाने के निर्देश दिए गए थे, जहां करणी सेना का व्यापक समर्थन है.

सुखदेव सिंह से लारेंस गैंग क्यों रहता था खफा

सुखदेव सिंह गोगामेड़ी और लारेंस गैंग के बीच लंबे समय से झड़प की खबरें सामने आ रही थीं. लारेंस गैंग के सरगना संपत नेहरा ने भटिंडा जेल से मार्च 2023 में सुखदेव को जान से मारने की धमकी दी थी. धमकी मिलने के बाद सुखदेव गोगामेड़ी ने राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, पुलिस डीजीपी, मंत्रियों, श्यामनगर एसएचओ सहित कई अधिकारियों को 3 बार प्रार्थनापत्र दे कर सुरक्षा की मांग की थी, लेकिन उन्हें सुरक्षा नहीं दी गई थी.

पुलिस अधिकारी मौका काररवाई निबटा कर कानून व्यवस्था संभालने में लग गए. उधर, 5 दिसंबर 2023 की शाम करणी सेना के हजारों कार्यकर्ता मेट्रो मास हौस्पिटल के आगे धरने पर पहुंच गए थे.

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई : जेल से ही दुश्मनों को मिटाने में माहिर – भाग 1

बात 2010 की है. चंडीगढ़ के सेक्टर 10 में स्थित डीएवी कालेज में स्नातक पाठ्यक्रमों की वार्षिक परीक्षा चल रही थी. एक परीक्षा के दौरान कक्ष निरीक्षक ने छरहरे बदन के बेहद सुदर्शन दिखने वाले एक छात्र को चिट से नकल करते हुए पकड़ लिया.

निरीक्षक उसे पकड़ कर परीक्षा अधीक्षक को सौंपने के लिए ले जा रहे थे कि छात्र ने कक्ष निरीक्षक को जोर का धक्का दिया और अपनी उत्तर पुस्तिका के साथ एक मंजिला इमारत की खिड़की से छलांग लगा दी.

लेकिन ये क्याआसमान से गिरे और खजूर में अटके. नीचे खड़े सुरक्षा गार्ड ने पहली मंजिल से कूदे छात्र को देख कर सारा माजरा समझ लिया. बिना एक पल गंवाए गार्ड ने छात्र पर झपट्टा मारा और छात्र की शर्ट का कौलर उस की मुट्ठी में आ गया.

‘‘अब कहां जाएगा बच्चू,’’ गार्ड ने आंखें तरेर कर कहा.

लेकिन ये क्या… अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से यूटर्न लिया. छात्र की पूरी की पूरी शर्ट गार्ड के हाथ में आ गई और शरीर उस की पकड़ से दूर हो गया. हाथ में परीक्षा की कौपी और जिस्म से जुदा हुई शर्ट के बगैर नंगे बदन छात्र ने एक पल के लिए रुक कर गार्ड को देखा और फिर उपहास उड़ाने वाले अंदाज में मुंह से एक जोरदार सीटी मारते हुए बाईं आंख दबा दी. मानो कह रहा हो आ जा दम है तो पकड़ के दिखा.

अगले ही पल छात्र ने बिजली की गति से दौड़ लगा दी और पलक झपकते ही वह गार्ड की आंखों से ओझल हो गया. छात्र की शर्ट को हाथ में पकड़े गार्ड खुद को ठगा सा महसूस कर रहा था.

बाद में होहल्ला मचाछानबीन हुई तो पता चला कि डीएवी कालेज का वह छात्र बीए प्रथम वर्ष का स्टूडेंट लारेंस बिश्नोई था. वो लारेंस बिश्नोई जो उन दिनों डीएवी कालेज के सब से उद्दंड छात्रों में गिना जाता था.

ऐसा अकसर होता था कि कालेज के स्टाफ और छात्रों से अकसर लारेंस की झड़पें होती रहती थीं. लेकिन तब कोई नहीं जानता था कि एक दिन यही नटखट छात्र देश का एक खूंखार गैंगस्टर बन जाएगा और कानून को छकाना शुरू कर देगा.

वही लारेंस बिश्नोई जो पंजाब के मशहूर सिंगर सिद्धू मूसेवाला की सनसनीखेज हत्या का मास्टरमाइंड बताया जा रहा है. वही लारेंस बिश्नोई जिस ने बौलीवुड के सुलतान सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी है. वही लारेंस बिश्नोई जो वैसे तो लंबे अरसे से जेल की सलाखों के पीछे हैलेकिन इस के बावजूद देश के अलगअलग हिस्सों से उस के गुनाहों के किस्से सामने आते रहते हैं.

जमींदार परिवार से है लारेंस बिश्नोई

क्योंकि उस के गिरोह का जाल पूरे देश में फैला है. जेल में बैठ कर देश और दुनिया के किसी भी हिस्से में जुर्म की किसी भी वारदात को अंजाम देने वाले इस गैंगस्टर की कहानी बौलीवुड की किसी एक्शन फिल्म की तरह रोमांच से भरी हुई है.

लारेंस बिश्नोई का जन्म 22 फरवरी1992 को पंजाब के फाजिल्का (अबोहर) के पास दत्तारवाली गांव में रहने वाले लविंदर बिश्नोई के घर में हुआ था.

बिश्नोई परिवार एक साधनसंपन्न और  जमींदार परिवार था. पूर्वजों के पास सैकड़ों एकड़ जमीन थीजिसे हर साल पट्टे पर दे कर बिश्नोई परिवार खेती कराता था. लेकिन साधनसंपन्न होने के बावजूद लविंदर बिश्नोई सरकारी मुलाजिम की नौकरी करना चाहते थे. लिहाजा उन्होंने पंजाब पुलिस में बतौर कांस्टेबल की नौकरी जौइन कर ली.

लविंदर बिश्नोई की पत्नी सुनीता बिश्नोई भी पढ़ीलिखी गृहिणी हैं. संतान के रूप में सब से पहले परिवार में जब बड़े बेटे ने जन्म लियाउन्होंने उस का नाम लारेंस रखा.

दरअसललारेंस जब पैदा हुआ तो एकदम दूध की तरह सफेद था और लारेंस क्रिश्चियन नाम है जिस का मतलब होता है सफेद चमकने वाला. उस के बाद बिश्नोई दंपति ने 2 और संतानों को जन्म दियाजिस में छोटा बेटा हुआ तो उस का नाम अनमोल बिश्नोई रखा गया.

दोनों भाइयों से छोटी एक बहन पैदा हुई. लारेंस बचपन से ही बहुत स्मार्ट और खेल में रुचि रखता था. घरवालों को लगता था कि खेल की दुनिया में वह बड़ा नाम कमाएगा. पर किसे पता था कि बेटा जुर्म की दुनिया में शामिल हो जाएगा.

वैसे लारेंस को उस के क्रीमी रंग के कारण परिवार वाले और परिचित प्यार से मिल्की’ भी कह कर बुलाते थे.

एथलीट के रूप में बनाई पहचान

लारेंस व उस के दोनों बहनभाइयों की  बचपन की पढ़ाई फाजिल्का में हुई. उस के बाद कालेज की पढ़ाई करने लारेंस को चंडीगढ़ भेज दिया गया. लारेंस ने डीएवी कालेज चंडीगढ़ में प्रवेश ले लियाजहां उस ने शुरुआती दिनों में ही बतौर एथलीट अच्छी पहचान बना ली.

संपन्न परिवार का होने और मांबाप के लाड़प्यार के कारण लारेंस का पढ़नेलिखने में ज्यादा मन नहीं लगता था. लेकिन खेल के साथ छात्रों के बीच में लीडर बन कर रहना और मामूली सी बात पर हनक दिखाना उसे अच्छा लगता था. अपने स्पोर्ट्स और जिम के शौक के कारण लारेंस की कालेज के बहुत सारे दबंग तथा नेता टाइप लड़कों से दोस्ती हो गई थी.

जिन दिनों लारेंस अपने कालेज जीवन की शुरुआती जिदंगी जी रहा थाउन दिनों चंडीगढ़ स्थित यूनिवर्सिटी में पंजाब यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन यानी पूसू से टूट कर बने एक छात्र संगठन स्टूडेंट यूनियन औफ पजांब यूनिवर्सिटी का खूब बोलबाला था. इन दोनों ही छात्र संगठनों के बीच कालेज की छात्र राजनीति में जम कर संघर्ष होता रहता था.

पूसू ने पहली बार पंजाब यूनिवर्सिटी में 1978 में छात्र चुनाव लड़ाजबकि सोपू 1997 में अस्तित्व में आया और उसी वर्ष उस ने पहला चुनाव जीता. कैंपस की छात्र राजनीति में पूसू और सोपू दोनों का ही दबदबा था. हालांकिसोपू के नेता बाद में एक के बाद एक मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों में शामिल हो गए.

छात्र राजनीति से आया बदलाव

लारेंस बिश्नोई को युवावस्था से ही राजनीति करने की ललक तो थी ही. परिवार से वह संपन्न था और वैभव भरी जिंदगी जीता था. दोस्तों ने जब उसे छात्र राजनीति करने के लिए प्रेरित किया तो इस के परिणामों के बारे में ज्यादा सोचविचार न करते हुए उस ने छात्र राजनीति में कदम रख दिया.

छात्र राजनीति की शुरुआत करने के लिए लारेंस ने अपने दोस्तों का एक बड़ा गुट तैयार कर लिया. अपने सर्मथक छात्रों की समस्याओं को निबटाने के लिए लारेंस अकसर कालेज के स्टाफशिक्षकों और विरोधी गुट के छात्र नेताओं से भिड़ जाता था.

जिन दिनों लारेंस चंडीगढ़ के डीएवी कालेज में पढ़ता थाउन दिनों उस के साथ पंजाब के 2 नौजवान गोल्डी बरार और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा भी पढ़ते थे. संयोग से तीनों की दांत काटी दोस्ती हो गई थी.

लारेंस की पर्सनालिटी अच्छी थी. दिखने में वह हैंडसम था और साथ में पैसे वाला भीइसलिए दोस्तों ने उसे चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. लारेंस ने चुनाव लड़ने के लिए अपना गुट बना लिया. सोपू के बैनर तले 2008 में उस ने छात्रसंघ का चुनाव लड़ा. जीतने के लिए उस ने बहुत मेहनत की पर चुनाव हार गया.

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई : जेल से ही दुश्मनों को मिटाने में माहिर – भाग 4

बंबीहा गैंग को मानता है दुश्मन

लारेंस बिश्नोई इस साल एक दूसरे कारण से भी विवाद में छाया रहा है. विवाद यह है कि उस के एक करीबी पंजाबी गायक मित्र मनकीरत औलख को बंबीहा गैंग द्वारा धमकी दी गई थी कि वह लारेंस बिश्नोई से संबंध न रखेवरना मनकीरत को मार दिया जाएगा.

सभी जानते हैं कि लारेंस बिश्नोई के बंबीहा गैंग के साथ बहुत खराब संबंध हैंइसीलिए बंबीहा गैंग ने मनकीरत को धमकी दी है.

लारेंस बिश्नोई छात्र राजनीति के समय से ही रौबिनहुड स्टाइल में काम करने के चलते एक बड़ी छात्र संख्या के बीच पोस्टर बौय बन गया था. वह क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह को अपना आदर्श मानने का दावा करता है. भगत सिंह की तसवीर वाली टीशर्ट और लारेंस के पोस्टर कालेज की दीवारों पर लगाए जाने लगे थे. देखते ही देखते पंजाबहरियाणा और राजस्थान की सब से खतरनाक गैंगों में से एक का लीडर लारेंस बन गया. लारेंस  अपने गैंग का संचालन अमूमन जेल से ही करता है. उस के गैंग के पास महंगी पिस्तौल और बंदूकों का जखीरा भी है.

लारेंस जेल में अमूमन विदेशी सिमों के इस्तेमाल से ही सारे संदेश वाट्सऐप के जरिए अपने गुर्गों को भेजता है. कुख्यात काला जठेड़ी से हाथ मिलाने के बाद उस के गैंग में 700 के करीब शूटर और गुर्गे शामिल हो गए हैं.

मूसेवाला मर्डर से पहले भी यही खुलासा हुआ था कि लारेंस बिश्नोई ने वर्चुअल नंबरों से विदेश में मौजूद गोल्डी बरार से कई बार बात की थी.

लारेंस बिश्नोई का जेल के भीतर का नेटवर्क कितना मजबूत हैइस का अंदाजा उस की सोशल मीडिया पोस्ट्स से मालूम होता है. 29 साल का लारेंस अच्छे कपड़ों और बौडी बिल्डिंग का भी शौक रखता है.

4 साल पहले पंजाब की फरीदकोट जेल से लारेंस को राजस्थान की एकमात्र हाई सिक्योरिटी वाली घूघरा घाटी जेल में शिफ्ट किया गया था. फिर भी वह अंदर से ही 4जी सिम का इस्तेमाल कर अपना गैंग औपरेट कर रहा था.  साल 2018 में उस ने बौलीवुड स्टार सलमान खान को मारने की जो सुपारी दी थीउस में भी उस ने फोन के नेटवर्क का इस्तेमाल किया था.

दुश्मनों के दुश्मन को बना लिया दोस्त

लारेंस बिश्नोई पहले पंजाबउस के बाद राजस्थान की जेल में बंद रहा और अब एक साल से मकोका मामले में दिल्ली की तिहाड़ जेल में बंद है. लेकिन देश की इस सब से सुरिक्षत मानी जाने वाली जेल में रह कर भी वह किस तरह से अपने गिरोह को संचालित करता हैइस का अंदाजा सिद्धू मूसेवाला की हत्या की साजिश के तार को जोड़ कर लगाया जा सकता है.

पिछले 6-7 सालों में लारेंस बिश्नोई ने हरियाणा के कुख्यात गैंगस्टर संदीप उर्फ काला जठेड़ी से हाथ मिला कर अपने गैंग को मजबूती दी. बाद में गैंग को और मजबूती देने के लिए लारेंस बिश्नोई और काला जठेड़ी ने गुरुग्राम के गैंगस्टर सूबे गुर्जर और राजस्थान के गैंगस्टर आंनदपाल सिंह से हाथ मिलाया. बाद में आनंदपाल पुलिस मुठभेड़ में मारा गया.

हरियाणा और राजस्थान के बाद लारेंस अब दिल्ली में भी अपने गैंग का सिक्का जमाने में जुट गया है. लेकिन दिल्ली में भी वह बिना किसी लोकल गैंगस्टर के अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकता थाइसलिए उस ने अपना वर्चस्व कायम करने के लिए बाहरी दिल्ली के गैंगस्टर जितेंद्र उर्फ गोगी से हाथ मिला लिया.

लारेंस बिश्नोईजितेंद्र गोगीकुलदीप उर्फ फज्जा ने काला जठेड़ी के साथ मिल कर 4 साल में दिल्ली एनसीआर में लूटपाट और विरोधी गैंग के लोगों का खात्मा शुरू कर दिया. अपने गैंग को और मजबूती देने के लिए इन्होंने पुराना फार्मूला अपनाया और वह फार्मूला था कि अपने दुश्मन के दुश्मनों को अपना दोस्त बनाना. इस फार्मूले पर बिश्नोई ने अपना काम शुरू कर दिया.

लारेंस बिश्नोई का सब से बड़ा दुश्मन इन दिनों पंजाब के एक विरोधी गैंग देवेंदर बंबीहा का हैजिस से उस की पुरानी दुश्मनी है. बिश्नोई के पंजाब के सिंडिकेट में 200 अपराधी शामिल थे. जिन का काम उगाहीकौन्ट्रैक्ट किलिंगहत्याहत्या की कोशिश में शामिल होना था.

कनाडा में बैठा गोल्डी बरार और विदेश से पकड़ कर लाए गए वीरेंद्र प्रताप उर्फ काला राणा बिश्नोई के वर्चस्व को कायम करने में उस की मदद कर रहे थे.

बिश्नोई और काला जठेड़ी गैंग को आपस में हाथ मिलवाने में राजस्थान के एक लोकल क्रिमिनल संपत नेहरा के कारण इस गैंग की ताकत और बढ़ गई है.

गैंगस्टर देवेंदर बंबीहा चंडीगढ़मोहालीपंचकूला में उगाही का एक रैकेट चलाता था. साल 2016 में देवेंदर के एनकाउंटर के बाद दिलप्रीत और सुखप्रीत ने गैंग की कमान संभाली. इन के विरोध में लारेंस बिश्नोई ने उन व्यापारियों को धमकी भरे काल करने शुरू किए जो बंबीहा गैंग को प्रोटेक्शन मनी दिया करते थे.

इस के बाद से दोनों गैंग में दुश्मनी बढ़ती चली गई. बंबीहा गैंग के एक सदस्य लवी देरा को साल 2017 में बिश्नोई के कहने पर संपत नेहरा और उस के साथियों ने मार दिया. इस का बदला लेने के लिए बंबीहा गैंग ने बिश्नोई गैंग के सदस्य गुरलाल बरारजोकि गोल्डी बरार का भाई थाको मार दिया.

जेल में रह कर अपने दुश्मनों को मिटाने की साजिश रचने के लिए बदनाम लारेंस बिश्नोई अब अपने व अपने दोस्तों के लिए खतरा बने सभी गैंगों को मिटाने के लिए पूरी ताकत लगाने कोे तैयार है.      

कहानी जनचर्चा व गैंगस्टर के खिलाफ दर्ज मामलों पर आधारित

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई : जेल से ही दुश्मनों को मिटाने में माहिर – भाग 3

सलमान खान को दी खुलेआम धमकी

वैसे तो पंजाबराजस्थान और हरियाणा की पुलिस और अपराध की दुनिया में लारेंस बिश्नोई को पहले से ही सब जानते थेलेकिन उस का नाम पहली बार तब सुर्खियों में आयाजब उस ने अभिनेता सलमान खान को जान से मारने की धमकी दी.

दरअसललारेंस बिश्नोई ने जोधपुर में काले हिरण मामले में सलमान खान पर चल रहे केस के चलते उसे जान से मारने की धमकी दी थी. क्योंकि राजस्थान के बिश्नोई समाज में काले हिरण की पूजा की जाती है. सलमान खान के खिलाफ केस यही बिश्नोई समाज लड़ रहा था और लारेंस भी इसी समाज से है. तभी उस ने सलमान की हत्या करने की साजिश की.

उस ने अपने कुख्यात शूटर संपत नेहरा को इस की जिम्मेदारी दी. संपत ने मुंबई में सलमान के घर की रेकी करनी शुरू कर दी और फिल्म रेडी’ की शूटिंग के दौरान अपने काम को अंजाम देने का प्लान बनाया. पर ये लोग इस में असफल रहे और संपत नेहरा पकड़ा गया. अगर पकड़ा नहीं जाता तो ये लोग सलमान पर फिर से हमला करते.

लारेंस बिश्नोई का एक छोटा भाई अनमोल बिश्नोई है जो एक बौक्सर है और राष्ट्रीय स्तर पर मुक्केबाजी की प्रतियोगिताओं में भाग ले चुका है. लेकिन अनमोल अपने बड़े भाई के गुनाहों की परछाई से अछूता नहीं रह सका. अपने भाई के अपराध छिपाने और उसे शरण देने के आरोप में राजस्थान पुलिस उसे कई बार गिरफ्तार कर चुकी है.

लारेंस बिश्नोई हालांकि बेहद हैंडसम हैलेकिन 30 साल की उम्र होने के बावजूद उस ने तक शादी नहीं की है. बताते हैं कि कालेज के दिनों में उस की एक गर्लफ्रैंड हुआ करती थीजिस के साथ वह खुशीखुशी टाइम बिताया करता था.

लारेंस और उस की गर्लफ्रैंड दोनों अबोहर के कौन्वेंट स्कूल से 10वीं तक साथ पढ़े थे और यहीं से वे एकदूसरे को पसंद करने लगे थे. जहां बड़े होने पर बचपन का प्यार छूट जाता है पर इन दोनों का प्यार समय के साथ और गहरा होता चला गया.

लेकिन जब लारेंस 2008 में सोपू की ओर से डीएवी छात्र संघ का चुनाव हार गया और विरोधी गुट से उस की दुश्मनी हो गई तो इसी दुश्मनी के कारण लारेंस को अपने प्यार को खोना पड़ा था. लारेंस को जानने वाले लोग बताते हैं कि विरोधी गुट के लोगों ने एक साजिश के तहत लारेंस की गर्लफ्रैंड की हत्या कर दी थी. इसी केस की वजह से लारेंस जुर्म की दुनिया में उतरा था.

सिद्धू मूसेवाला से नहीं थी सीधी दुश्मनी

लारेंस बिश्नोई को करीब से जानने वाले बताते हैं कि उस के लिए दोस्ती का कमिटमेंट सब से बड़ा कमिटमेंट होता है. उस ने कई अपराध तो ऐसे किएजिस का न तो उस से सीधा वास्ता था और न ही उसे कोई आर्थिक लाभ लेना था.

कालेज की जिंदगी खत्म होने के बाद गोल्डी बरार तो कनाडा चला गया और विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा ने अकाली दल का दामन थाम लिया और राजनीति करने लगा.

बताया जाता है कि विक्की और सिंगर सिद्धू मूसेवाला की बाद में राजनीतिक कटुता हो गई. अपराध की दुनिया से जुड़े जो लोग विक्की को धमकियां देते थेसिद्धू उन सब को शह और शरण देता था.

बाद में पिछले 7 अगस्त2021 को विक्की की जब सरेआम गोलियों से भून कर हत्या कर दी गई तो आरोप लगे थे कि उस की हत्या के पीछे सिद्धू मूसेवाला का दिमाग था.

सिद्धू मूसेवाला जोकि एक मशहूर पंजाबी गायक और कांग्रेसी राजनेता थेउन की पंजाब के मानसा जिले में जब पिछले महीने 29 मई2022 को गोली मार कर हत्या कर दी गई. तभी से ये आरोप लग रहे हैं कि उन की हत्या का मास्टरमाइंड तिहाड़ जेल में बंद लारेंस बिश्नोई और कनाडा में बैठा गोल्डी बराड़ है.

क्योंकि इस घटना के कुछ घंटे बाद लारेंस और गोल्डी बरार ने फेसबुक पोस्ट में इस हत्या की जिम्मेदारी ली. जिस में उस ने कहा, ‘आज सिद्धू मूसेवाला का कत्ल हुआ हैउस की जिम्मेदारी मैं और मेरा भाई गोल्डी बरार लेता है. लोग हमें जो भी कहें लेकिन इस ने हमारे भाई विक्की मिद्दूखेड़ा की हत्या में मदद की थी और अब हम ने अपने भाई का बदला ले लिया है. मैं ने इसे जयपुर से काल कर के कहा था कि तुम ने गलत किया है. इस ने मुझे कहा कि मैं किसी की परवाह नहीं करता. तुम जो कर सकते हो कर लो. मैं भी हथियार लोड कर के रखता हूं और आज हम ने अपने भाई विक्की की मौत का बदला ले लिया है. ये तो अभी शुरुआत हैजो भी इस कत्ल में शामिल थेवे तैयार रहें. आज हम ने सब के भ्रम दूर कर दिए. जय बलकारी.

सिद्धू मूसेवाला की हत्या के बाद लारेंस बिश्नोई एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है. इतना ही नहींउस ने एक बार फिर सलमान खान व उन के पिता को जान से मारने की धमकी दी है. बिश्नोई के गुर्गों ने मूसेवाला की हत्या के बाद बेहद सुनियोजित तरीके से सलमान के पिता सलीम तक एक खत पहुंचवा दियाजिस में लिखा था कि मूसेवाला के बाद अब सलमान.

लारेंस बिश्नोई पिछले साल तब भी सुर्खियों में छाया रहा थाजब 2021 में दिल्ली के माडल टाउन इलाके में सागर नाम के एक पहलवान की हत्या हो गई थी और इस मामले में ओलंपिक गोल्ड मेडल विजेता पहलवान सुशील कुमार की गिरफ्तारी हुई थी. सुशील कुमार बिश्नोई गैंग का समर्थन कर रहे थे.

गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई : जेल से ही दुश्मनों को मिटाने में माहिर – भाग 2

बदला लेने के लिए खरीदी रिवौल्वर

उसे अपनी ये हार बरदाश्त नहीं हुई. जिस के बाद उस ने एक रिवौल्वर खरीद ली और अपनी हार का बदला लेने के लिए चुनाव जीतने वाली टीम से बदला लेने का इरादा बना लिया. लेकिन अगले साल के चुनाव में लारेंस खुद चुनाव नहीं लड़ाबल्कि अपने दोस्त विक्रमजीत सिंह उर्फ विक्की मिद्दूखेड़ा को छात्रसंघ अध्यक्ष का चुनाव जितवा कर अपने विरोधियों के मुंह पर तमाचा मार दिया.

लेकिन छात्रसंघ चुनाव में अपनी पहली हार को लारेंस भूला नहीं था और न ही अपने दुश्मनों को भूला था. 2011 में लारेंस का सामना जब उदय ग्रुपजोकि चुनाव में उस से जीता थासे हुआ और दोनों में जब भिड़ंत हुई तो लारेंस ने फायरिंग कर दी और मामला पुलिस तक पहुंच गया. फिर इसी गुटबाजी के चलते लारेंस बिश्नोई पर अपराध का पहला केस दर्ज हुआ.

भले ही उस झगड़े के बाद लारेंस के खिलाफ पुलिस में मामला दर्ज हो गया होलेकिन उस दिन जिस दिलेरी से उस ने खुलेआम अपने दुश्मनों पर फायरिंग कर अपनी बहादुरी का परिचय दिया थाउस दिन से छात्र राजनीति में हर कोई लारेंस का नाम ले रहा था. इस के बाद लारेंस फायरिंग और पुलिस केस की वजह से मशहूर हो गया.

बसयही उस के जीवन का टर्निंग पौइंट था. संयोग यह भी रहा कि उन्हीं दिनों लारेंस बिश्नोई के चचेरे भाई की कुछ लोगों ने हत्या कर दी. दुश्मन वही थेछात्र राजनीति के कारण जिन से उस की दुश्मनी चल रही थी. लारेंस ने दुश्मनों से बदला लेने की ठान ली और पुलिस जब उसे फायरिंग मामले में जेल से अदालत में पेश करने के लिए ला रही थीउस दिन वह पुलिस को चकमा दे कर हिरासत से फरार हो गया.

पुलिस कस्टडी से भागा नेपाल

जेल से भागे लारेंस को पता था कि अगर वह पुलिस की जद में रहा तो उसे गिरफ्तार कर लिया जाएगा. दुश्मनों से बदला लेने की तैयारी पूरी होने तक वह नेपाल भाग गयाजहां उस ने कुछ समय बिताया और दुश्मनों से बदला लेने के लिए हथियार एकत्र करने शुरू कर दिए.

लारेंस किसी भी सूरत में अपने चचेरे भाई के हत्यारे की तलाश कर उन से बदला लेना चाहता था. नेपाल से लौट कर जब विरोधी गुट के सदस्यों की तलाश कर रहा थादुर्भाग्य से फिर पंजाब की फरीदकोट पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

दूसरी बार जेल की सलाखों के पीछे पहुंचने के बाद लारेंस एक बात अच्छी तरह समझ गया कि अगर आप चालाकी से काम करो तो जेल के बाहर निकलने की जगह जेल में रह कर ही अपराध करो. इस के लिए बस आप को अपने गैंग की नेटवर्किंग को फैलाना होगा.

लारेंस अभी अपराध की दुनिया में कच्चा खिलाड़ी थालेकिन उस के सपने बड़ा डौन बनने के थे. वह लोगों के बीच अपने नाम का खौफ देखना चाहता था. अपराध की दुनिया का मंझा हुआ खिलाड़ी बनने के लिए उसे एक ऐसे गुरु की जरूरत थीजो उस की पसंद भी हो और जुर्म की दुनिया में लोग उसे मानते भी हों.

संयोग से फरीदकोट में गिरफ्तार होने के बाद जब लारेंस जेल गया तो इस बार उस की मुलाकात हुई जग्गू दादा यानी पंजाब में उन दिनों के एक बड़े गैंगस्टर जग्गू भगवान पुरी से. जग्गू से हाथ मिलाने के बाद लारेंस ने उस से अपराध के गुर सीखने शुरू कर दिए.

जेल में जग्गू दादा को बनाया गुरु

जग्गू भगवानपुरी पंजाब के भगवानपुर का रहने वाला है और देश के अमीर गैंगस्टर में इस का नाम शुमार है. इन दिनों वह तिहाड़ जेल में बंद है. अपने टाइम पर पंजाब की राजनीति और अपराध की दुनिया में जग्गू के नाम से ही कई काम हो जाते थे. कुछ साल पहले यह पकड़ा गया और उस के पास लगभग 2 करोड़ के हथियार बरामद हुए थे.

बहरहालजग्गू भगवानपुरी से हाथ मिलाने के बाद लारेंस बिश्नोई के कई बड़े बदमाशों से संबंध बने और कई रसूखदार लोगों से उस की पहचान हुई. वह जुर्म की दुनिया के ऐसे दांवपेच भी सीख गयाजिस के जरिए वह जेल में रह कर ही अपराध कराने की कला का खिलाड़ी बन गया.

जेल में मोबाइल फोन की सुविधा हासिल करने से ले कर सोशल मीडिया का इस्तेमाल करने और जेल में रह कर ही लोगों की हत्या कराने व रंगदारी वसूलने का वह खलीफा बन गया. पैसे से पावर कैसे हासिल की जाती है और इस कला से सिस्टम को किस तरह अपने हिसाब से हांका जाता हैये तमाम गुर उस ने जग्गू से सीख लिए थे.

इस के बाद उस ने दूसरे गैंगस्टर से जुड़ कर हथियार के दम से उगाही करने का नेटवर्क पूरे देश में फैला दिया. यही कारण है कि वह आज जेल में रहते हुए भी देश में अपने फैले हुए नेटवर्क के दम पर गुंडागर्दी कर रहा है. कई शहरों में उसके शार्प शूटर तैनात रहते हैंजो बस इशारा होने पर काम को अंजाम दे देते हैं. जेल में रहते हुए भी वह उसी तरह बड़बड़े कामों को अंजाम दे रहा है जितना कि वह बाहर रह कर करता था.

जेल से ही करने लगा गैंग का संचालन

लारेंस बिश्नोई ज्यादातर अपराध जेल में रह कर ही कराता है. दरअसलइस के पीछे उस की सोच थी कि अगर आप जेल की सलाखों के पीछे से काम कराओगे तो आप के खिलाफ पुलिस अपराध के ठोस सबूत एकत्र नहीं कर पाएगीजिस से आप के बरी होने की उम्मीद रहती है.

आज लारेंस बिश्नोई के खिलाफ 11 साल की अपराध की जिंदगी में पंजाबदिल्लीहरियाणाराजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में 65 से ज्यादा मुकदमे गंभीर मामलों के दर्ज हो चुके हैं. लेकिन साक्ष्यों के अभाव में इन में 32 मामलों में वह बरी हो चुका है.

फिल्मों में जेल से गैंग औपरेट करते आप ने गैंगस्टरों को तो देखा ही होगा लेकिन लारेंस रियल लाइफ में ये काम कर रहा है. जेल में रह कर ही वह एक इशारे पर किसी कारोबारी या किसी बड़े नेता की हत्या करवा देता है.

2015 में पंजाब पुलिस उसे कोर्ट में पेशी के लिए ले जा रही थीउसी दौरान वह आखिरी बार पुलिस की हिरासत से भाग गया. बताया जाता है कि वह भाग कर नेपाल चला गया और वहां से आधुनिक हथियार ले कर लौटा. उस ने इधरउधर फैले अपने गैंग के शूटरों को वे हथियार उपलब्ध करा दिए. उस के तुरंत बाद पुलिस ने उसे फिर से गिरफ्तार कर लिया.

भले ही वह पुलिस की गिरफ्त में क्यों न होपर उसे गैंग को चलाने और कत्ल करने से कोई रोक नहीं सकता. वह फोन से ही सारी चीजों को अंजाम देता है. वाट्सऐप के जरिए सुपारी लेता है. जेल में जिम करता है जिस की फोटो फेसबुक पर अपलोड करता है.

बताया जाता है कि उस ने जेल में रह कर 2017 में सीकर के पूर्व सरपंच सरदार राव की हत्या भी करवाई. जिस में उस ने अपने शूटर रविंदर काली को भेजा जोकि मोहाली का है. उस के बाद लारेंस ने जोधपुर में अपना दबदबा बनाने के लिए कारोबारी वासुदेव इसरानी की हत्या करवा दी. फिर तो बाद राजस्थान में भी उस का खौफ बन गया.

लारेंस न सिर्फ देखने में स्मार्ट गैंगस्टर है बल्कि वह जेल में रह कर स्मार्ट तरीके से फोन चलाने में भी माहिर है.