रौंग नंबर करके शादीशुदा को फांसा – भाग 5

आईओ केतन सिंह ने अपने तेवर सख्त कर लिए, ‘‘हेमा, सुरेश को तुम ने ही पीटा है. अब सच बता दो वरना मैं दूसरा रास्ता अपनाऊंगा. तुम्हारे मुंह से सच्चाई उगलवाने के लिए मुझे सख्ती करनी पड़ेगा.’’

सख्ती का नाम सुनते ही हेमा टूट गई. उस ने रोते हुए कहा, ‘‘सुरेश को मैं ने ही लालतघूंसों से पीटा था साहब.’’

‘‘क्यों?’’

‘‘वह हमारे प्यार के रास्ते में बाधा बन गया था…’’

‘‘किस से प्यार करती हो तुम?’’ आईओ केतन सिंह ने उसे घूरते हुए पूछा.

‘‘सचिन से.’’

‘‘कहां रहता है सचिन?’’

‘‘मथुरा के वृंदावन में,’’ हेमा ने बताया, ‘‘कल वह मेरे साथ था, उस ने और मैं ने सुरेश को जबरन शराब पिलाई थी. फिर उस के मुंह में रुमाल ठूंस कर उसे लातघूसों से इतना मारा कि वह मर गया.’’

‘‘तो मरे हुए पति को ले कर तुम अस्पताल गई थी अपनी पड़ोसनों के साथ?’’

‘‘जी साहब, मैं सोच रही थी पड़ोसन साथ ले कर चलूंगी तो पुलिस शक नहीं करेगी मुझ पर. मुझे मालूम था डाक्टर सुरेश को मरा घोषित कर देंगे, तब मैं उस की लाश ले कर लौट आऊंगी. सभी को लगेगा ज्यादा शराब पीने से सुरेश की मौत हो गई है.’’

‘‘सचिन इस वक्त कहां है?’’

‘‘वह कल ही वृंदावन चला गया था.’’

‘‘उसे बुलाओ यहां. उस से कहो, पुलिस ने सुरेश की लाश का क्रियाकर्म कर दिया है. उन्हें शक नहीं हुआ है, तुम दिल्ली आ जाओ. उसे कहां बुलाना है, यह मैं बता देता हूं. तुम्हारे फोन से सचिन से बात करो, वैसे ही जैसे पहले करती थी.’’

आईओ ने हेमा को समझा दिया. फिर सचिन को मंडावली की मेन मार्केट में आ कर मिलने को कह दिया. हेमा ने सचिन को फोन किया और बड़ी सादगी और प्यार से उस से वही कहा जो आईओ ने समझाया था. उसे शाम तक मंडावली आने के लिए कह कर हेमा ने फोन काट दिया.

आईओ ने उस का फोन कब्जे में ले लिया. सचिन को आने में 2-3 घंटे लग सकते थे. हेमा से इस बीच सचिन से मिलने की पूरी कहानी सुनी गई.

प्रेमी के साथ मिल कर मिटा दिया सिंदूर

हेमा ने बताया कि सचिन एक रौंग नंबर की काल करने के दौरान उस से जुड़ा. वह उस से मिलने दिल्ली आने लगा. उन में पहले दोस्ती हुई, फिर प्यार. प्यार के दौरान ही उस के सचिन से शारीरिक संबंध भी बन गए.

सचिन के जवानी भरे जोश पर वह मर मिटी. उस ने सचिन को अपने घर के पास ही किराए पर कमरा दिला दिया और सुरेश की गैरमौजूदगी में उस के साथ गुलछर्रे उड़ाने लगी.

धीरेधीरे यह बात सुरेश को पता चली तो वह उन के प्यार का विरोध करने लगा. वह हेमा से लड़ता था और उसे गंदीगंदी गालियां देता था. पिटाई भी करने लगा था. इस से वह उसे रास्ते से हटाने के लिए सोचने लगी.

हेमा ने सचिन के साथ सुरेश को मारने के लिए 4 दिसंबर, 2022 का दिन चुना. सचिन पहले ही यहां से कमरा छोड़ कर वृंदावन चला गया था.

4 दिसंबर को वह दिल्ली आया. हेमा ने 2 बोतल शराब मंगवा कर रखी हुई थी. फिर पति सुरेश को कल काम पर नहीं जाने दिया. बच्चों को खेलने के लिए भेज कर उस ने दरवाजा बंद कर लिया.

हेमा और सचिन ने सुरेश को जबरन पकड़ कर शराब पिलाई. जब वह नशे में धुत हो गया तो उस के मुंह में रुमाल ठूंस कर दोनों ने लातघूसों से सुरेश को इतना मारा कि वह मर गया.

हेमा अपना जुर्म कुबूल कर चुकी थी. शाम को उसे पुलिस वैन में बिठा कर मंडावली की मेन मार्केट में लाया गया और एक रेस्टोरेंट के सामने खड़ा करवा कर उसे उस का मोबाइल दे दिया गया ताकि वह सचिन की काल अटेंड कर सके.

पुलिस की टीम दूर जा कर इधरउधर खड़ी हो गई. शाम को जब सचिन मंडावली आ कर हेमा से मिला तो हेमा ने पुलिस द्वारा समझाया गया इशारा कर दिया. पुलिस टीम ने सचिन को कुछ ही मिनटों में काबू कर लिया. वह सारा माजरा समझ गया.

उसे थाने लाया गया तो उस ने बगैर सख्ती किए कुबूल कर लिया कि हेमा के साथ मिल कर उस ने सुरेश की हत्या की थी. पुलिस टीम ने दोनों को विधिवत गिरफ्तार कर लिया.

दूसरे दिन उन्हें अदालत में पेश कर के एक दिन के रिमांड पर लिया गया. वह रुमाल जो सुरेश के मुंह में ठूंसा गया था, कब्जे में लिया गया. शराब की बोतलों पर हेमा की अंगुलियों के निशान मिल गए थे. सबूत इकट्ठा करने के बाद पुलिस ने उन्हें फिर न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.   द्य

प्यार से निकला नफरत का दर्द – भाग 3

कौशल्या की एक और बहन थी जिस का नाम संजू देवी था. वह भी विधवा की जिंदगी गुजार रही थी. वह पड़ोस के जिला सिमडेगा के कुम्हार टोला में रहती थी. यह कुम्हार टोला, ठेठईटांगर थानाक्षेत्र में पड़ता था. वह कौशल्या से कहीं ज्यादा खूबसूरत और जवान थी.

रविंद्र की मौजूदगी में संजू कौशल्या से मिलने कई बार पतिया आई थी. संजू को देख कर रविंद्र का मन डोल गया था लेकिन अपने दिल की बात दिल में रखे हुए था. वह जानता था कि संजू भी प्रेमिका कौशल्या की तरह विधवा है. उस का पति एक सड़क दुर्घटना में असमय गुजर गया था.

प्रेमिका कौशल्या की बेवफाई से रविंद्र टूट सा गया था. हालांकि वह शादीशुदा था और पत्नी साथ ही रहती थी फिर भी वह खुद को अकेला महसूस करता था. इस खालीपन को दूर करने के लिए अब वह संजू से मिलने सिमडेगा जाने लगा.

धीरेधीरे रविंद्र का झुकाव संजू की तरफ बढ़ता गया और वह उस से प्रेम करने लगा. जबकि संजू की तरफ से ऐसा कुछ भी नहीं था. हां, उस में इतना जरूर था कि वह हर किसी से हंसबोल लेती थी. वह बेहद खुशमिजाज और जिंदादिल स्वभाव की महिला थी.

उस की इस अदा को अगर कोई प्यार समझ बैठे तो उस की भूल थी. कुछ ऐसी ही गलतफहमी अपने दिलोदिमाग में रविंद्र भी पाले बैठा था कि संजू उस से प्यार करती है.

सच्चाई यह थी कि संजू अपने ही गांव के रहने वाले अजय महतो से प्यार करती थी. रविंद्र का प्यार एकतरफा था. वह बारबार अपने प्यार का इजहार संजू से करता था. संजू थी कि उसे घास तक नहीं डालती थी और तो और वह उसे अपने घर देख कर गुस्सा हो जाती थी.

संजू इसलिए रविंद्र को अपने घर थोड़ी इज्जत देती थी कि वह उस की बड़ी बहन का छोड़ा हुआ प्यार था. वह था कि उस के पीछे हाथ धो कर पड़ गया था. उस की इन हरकतों से संजू तंग आ चुकी थी और एक दिन उस ने बड़ी बहन को रविंद्र की करतूतें बता दी थीं.

बहन की पीड़ा सुन कर कौशल्या का खून खौल उठा. उसी आवेश में उसे रास्ते से हटाने की योजना बना ली. इस योजना में कौशल्या के साथ उस का प्रेमी राजेंद्र साहू, उस की छोटी बहन संजू और उस का प्रेमी अजय महतो चारों शामिल हो गए.

तय हुआ कि संजू रविंद्र को फोन कर के अपने घर बुलाएगी. इस की सूचना वह अपनी बड़ी बहन को देगी. बहन अपने प्रेमी राजेंद्र के साथ पहले से ही छंदा नदी के किनारे पहुंची होगी. छंदा नदी संजू की ससुराल से करीब 2 किलोमीटर दूर थी.

धोखे से संजू रविंद्र को ले कर वहां पहुंचेगी और उस का काम तमाम कर लाश नदी के किनारे जमीन खोद कर दफन कर दी जाएगी. ऐसे सांप भी मर जाएगा और लाठी भी नहीं टूटेगी.

योजना के मुताबिक, 30 अक्तूबर, 2022 को संजू ने रविंद्र को फोन कर के अपने घर बुलाया और उसे अपनी हसरतें पूरी करने का लालच भी दिया. संजू का फोन सुन रविंद्र खुशी के मारे झूम उठा और उसी शाम में वह संजू के घर कुम्हार टोला पहुंच गया.

उसे देख कर संजू ऐेसे खुश हुई जैसे बरसों दीदार के लिए तरसी हो. संजू का यह रिएक्शन देख कर रविंद्र खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था. उसे क्या पता था शातिर संजू ने उस की मौत का कितना खतरनाक जाल बिछाया है. उसे उस तक पहुंचाने के लिए जिस्मानी रिश्ते का लालच देना एक छलावा मात्र था, जो उस के जाल में बुरी तरह फंस चुका था.

रविंद्र के घर पहुंचते ही संजू ने देर रात फोन कर के कौशल्या को बता दिया तो कौशल्या ने कहा कि वह उसे किसी तरह फंसा कर कल शाम तक रोके रखे, लेकिन उसे किसी बात की भनक लगनी नहीं चाहिए. संजू ने वैसा ही किया, जैसा उसे करने को उस की बड़ी बहन ने कहा. संजू अपना नकली प्यार रविंद्र पर ऐसे उड़ेल रही थी, जैसे बरसों से उस के प्यार के लिए तरस रही हो. रात जैसेतैसे बीती, संजू एकएक कदम फूंकफूंक कर चल रही थी.

31 अक्तूबर, 2022 की शाम धोखे से संजू रविंद्र को छंदा नदी के किनारे ले कर पहुंची, जहां कौशल्या अपने प्रेमी राजेंद्र साहू और संजू का प्रेमी अजय महतो पहले से पहुंच कर छिपे हुए थे. अचानक तीनों को वहां देख कर रविंद्र समझ गया कि संजू ने उस के साथ धोखा किया है.

इस से पहले कि रविंद्र कोई कदम उठाता, तब तक राजेंद्र साहू और अजय महतो दोनों उस पर टूट पड़े और गला दबा कर उसे मौत के घाट उतार दिया. फिर उस का सिर धड़ से अलग कर उसे उसी नदी के किनारे दफना कर अपनेअपने घरों में जा कर सो गए.

इधर पति के घर से निकले 2 दिन बीत चुके थे. इसे ले कर रविंद्र की पत्नी पूनम परेशान थी. वह पति की खोज में जुट गई और 3 महीने बीत गए रविंद्र के गायब हुए लेकिन कहीं पता नहीं चला. तीसरे महीने यानी 3 जनवरी, 2023 को पूनम को कहीं से पता चला कि संजू ने उस के पति का अपहरण किया है.

इसी आधार पर वह 4 जनवरी, 2023 को गुमला थाने पहुंची और संजू के खिलाफ पति के अपहरण की नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस ने अपनी सूझबूझ के आधार पर रविंद्र महतो उर्फ रवि प्रकरण का निस्तारण किया और 7 जनवरी को संजू और अजय को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

कथा लिखे जाने तक कौशल्या और राजेंद्र साहू फरार चल रहे थे. पुलिस हत्या में प्रयुक्त बांका भी अजय की निशानदेही पर बरामद कर लिया था.       द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

निक्की यादव की बेरहम हत्या : नई दुल्हन बेड पर, पहली फ्रिज में – भाग 4

साहिल को देख कर निक्की खुश हो गई. तब निक्की की बहन दूसरे कमरे में चली गई थी. दोनों रात भर बातें करते रहे. फिर तड़के में निक्की बहन को बिना बताए साहिल के साथ फ्लैट से निकल गई.

दोनों को गोवा जाना था. वे निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर पहुंचे. लेकिन रिजर्वेशन न मिलने पर वे कार से आनंद विहार पहुंचे. वहां से भी कोई ट्रेन नहीं मिली तो उन्होंने उत्तराखंड के पहाड़ों पर घूमने का प्रोग्राम बनाया और साहिल उसे ले कर आनंद विहार बसअड्डा पहुंचा. वहां से भी उस समय कोई बस नहीं मिली तो दोनों कार में आ कर बैठ गए. अब साहिल का जाने का कार्यक्रम कैंसल हो गया. अब वह किसी तरह निक्की से पीछा छुड़ाना चाहता था.

चूंकि उसी दिन उस की बारात जानी थी, इसलिए साहिल को टेंशन हो रही थी.

उधर सुबह होने पर निक्की की छोटी बहन ने निक्की और साहिल को गायब पाया तो 6 बजे सुबह उस ने निक्की को फोन किया. निक्की ने बताया कि वह साहिल के साथ है, ठीक है और उस की चिंता न करे.

साहिल के भी घर से गायब हो जाने पर घर वाले परेशान हो गए क्योंकि उसी दिन उस की बारात जानी थी, इसलिए 4-5 गाडि़यों में सवार हो कर घर वाले, रिश्तेदार, दोस्त उसे ढूंढने के लिए निकल पड़े. लेकिन उस का पता न चला.

साहिल उसे कार में बिठा कर बेमकसद सड़कों पर कार दौड़ाता रहा. निक्की उस से लड़ रही थी. निक्की की जिद थी कि वह आज ही उस लड़की से रिश्ता तोड़ ले. साहिल उसे अपने प्यार का वास्ता दे कर समझा रहा था, ‘‘निक्की, मैं घर वालों की बात नहीं ठुकरा सकता, मुझे शादी कर लेने दो. मैं तनमन से फिर भी तुम्हारा ही रहूंगा.’’

‘‘नहीं साहिल, मैं पहले ही बता चुकी हूं कि अपने प्यार का बंटवारा नहीं करूंगी. तुम्हें आज ही यह करना पड़ेगा. नहीं करोगे तो मैं कल तुम्हारे घर पर हंगामा खड़ा कर दूंगी. फिर मत कहना, मैं ने यह क्या किया.’’ निक्की गुस्से में भर कर बोली तो साहिल को गुस्सा आ गया.

साहिल छुड़ाना चाहता था पीछा

इस वक्त साहिल की कार निगमबोध घाट के पास एक पेड़ के नीचे थी. साहिल कई घंटों तक कार इधरउधर दौड़ाता रहा था. दिन निकल आया था. निक्की के गुस्से ने उस का दिमाग खराब कर दिया. उस ने अपने मोबाइल का डाटा केबल उठा कर निक्की के गले में लपेट दिया और पूरी ताकत से उसे कस

दिया. निक्की हाथपांव पटकती रही, फिर सांस रुक जाने से उस के प्राण निकल गए. यह बात 10 फरवरी को सुबह करीब साढ़े 9 बजे की है.

साहिल रात से गायब था. 10 तारीख आज ही थी और शाम को साहिल को घोड़ी चढ़ना था. साहिल के घर वाले उसे लगातार फोन कर के घर आने की कह रहे थे. निक्की की लाश ठिकाने लगाने का उस के पास समय नहीं था. उस ने कार की अगली सीट पर निक्की की लाश बैठी अवस्था में सीट बेल्ट से बांध दी और लगभग 50 किलोमीटर दूर कार चला कर अपने गांव की तरफ चल दिया.

इसी दौरान उस ने अपने चचेरे भाई आशीष व मौसेरे भाई नवीन को निक्की की हत्या करने की बात बता दी और उन से मित्राऊं स्थित अपने ढाबे पर पहुंचने के लिए कहा. आशीष और नवीन दोस्त अमर और लोकेश को ले कर ढाबे पर पहुंच गए.

नवीन दिल्ली पुलिस में सिपाही था. उस की तैनाती द्वारका डीसीपी औफिस में थी. उस ने साहिल को भरोसा दिया कि वह लाश ले कर आ जाए. बाकी का काम वह खुद देख लेगा.

जब साहिल लाश ले कर वहां पहुंचा तो चारों उसे वहीं खड़े मिले. साहिल ने ढाबे में रखे फ्रिज में निक्की की लाश छिपा दी. उस दौरान उस के भाई व दोस्त बाहर आनेजाने वालों की निगरानी करते रहे. सभी ने तय किया कि शादी के बाद लाश को कहीं ठिकाने लगा देंगे.

हत्या में प्रयुक्त हुई कार को वहीं छोड़ कर नवीन की कार में बैठ कर वह घर आ गया. साहिल ने निक्की की हत्या कर लाश ढाबे के फ्रिज में छिपाने की बात पिता वीरेंद्र सिंह गहलोत को बता दी. यह सुन कर उन के पैरों तले की जमीन ही जैसे खिसक गई. उन्होंने साहिल से कहा कि वह इस की चिंता न करे. शादी हो जाने के बाद वह इस का इंतजाम कर देंगे. इस के बाद सभी शादी की तैयारियों में जुट गए.

10 फरवरी को साहिल की धूमधाम से बारात गई और 11 को वह नई दुलहन ले कर घर लौट आया.

उधर 10 फरवरी को सुबह 10 बजे के बाद छोटी बहन ने निक्की को कई बार फोन किया, लेकिन उस का फोन लगातार बंद आ रहा था. उस ने सोचा कि निक्की साहिल के साथ कहीं घूमने गई होगी, इसलिए शायद उस ने फोन बंद कर लिया होगा. लेकिन 2 दिन बाद भी जब उस की बहन से बात नहीं हो सकी तो उस ने फोन कर के सूचना अपने पिता सुनील यादव को दे दी.

उस ने अपने पिता को साहिल का फोन नंबर भी दिया ताकि वह उस से निक्की के बारे में पूछताछ कर सकें. तब सुनील यादव ने साहिल को फोन कर के निक्की के बारे में पूछा. साहिल ने उन्हें बताया कि उसे निक्की के बारे में कुछ नहीं पता, क्योंकि आज उस की शादी है. उस ने बताया कि निक्की हिमाचल में कहीं घूमने जाने की बात कह रही थी. वहीं घूमने गई होगी. इतना कह कर उस ने अपना फोन स्विच्ड औफ कर लिया.

साहिल की बातों पर सुनील यादव को शक हुआ कि जरूर ही कोई बात है, जो वह छिपा रहा है. तब सुनील यादव ने दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम में फोन कर के बेटी निक्की यादव के अपहरण की सूचना दी.

साहिल को भी इस बात का डर हो गया था कि निक्की के पिता जरूर पुलिस में मदद के लिए संपर्क करेंगे और पुलिस उस के घर दबिश देने आएगी. इसलिए वह इधरउधर छिप कर घूमता रहा, लेकिन कब तक? पुलिस ने आखिर उसे कैर गांव के चौराहे से से धर दबोचा.

क्राइम ब्रांच ने 15 फरवरी को निक्की यादव का शव बरामद कर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर पोस्टमार्टम के बाद वह उस के पिता सुनील यादव को सौंप दिया. वह बेटी का शव दिल्ली से झज्जर ले गए, जहां उन के छोटे बेटे ने मुखाग्नि दी. पूरे साक्ष्य जुटाने के बाद साहिल को क्राइम ब्रांच ने अदालत से 5 दिन के रिमांड पर ले लिया.

साहिल से पूछताछ के बाद पुलिस ने इस केस में अन्य आरोपियों वीरेंद्र सिंह गहलोत, आशीष, नवीन, अमर व लोकेश का नाम भी दर्ज कर दिया. केस में भादंवि की धारा 302 (हत्या) के अलावा 120बी (साजिश में शामिल), 201 (सबूत मिटाने), 212 (अपराधी को शरण देने) व 202 (अपराध की जानकारी पुलिस को न देने) भी जोड़ दीं.

17 फरवरी, 2023 को पुलिस ने सभी पांचों आरोपियों को भी गिरफ्तार कर लिया. अभियुक्तों की निशानदेही पर पुलिस हत्या में प्रयुक्त डाटा केबल, कार, निक्की और साहिल की शादी के कागजात, निक्की का मोबाइल फोन आदि बरामद कर लिया.

कथा लिखे जाने तक सभी आरोपियों से पूछताछ जारी थी.    द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

चोरी छिपे शादी, बनी बरबादी

भरेपूरे परिवार की 28 साला प्रीति रघुवंशी को अपने ही कसबे उदयपुरा के 30 साला गिरजेश प्रताप सिंह से तकरीबन 6 साल पहले प्यार हो गया था. उन के घर भी आमने सामने थे.

प्रीति के पिता चंदन सिंह रघुवंशी खातेपीते किसान हैं और उदयपुरा में उन की अच्छी पूछपरख है. गिरजेश के पिता ठाकुर रामपाल सिंह मध्य प्रदेश सरकार में लोक निर्माण मंत्री हैं.

कर ली शादी

दोनों को मालूम था कि घर वाले आसानी से उन की शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, लिहाजा उन्होंने पिछले साल 20 जून, 2017 की चिलचिलाती गरमी में भोपाल आ कर नेहरू नगर के आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली. मंदिर के कर्ताधर्ता प्रमोद वर्मा ने शादी कराई और गिरजेश को शादी का सर्टिफिकेट भी दे दिया.

प्रीति घर वालों से इलाज की कह कर भोपाल आई थी. उस के साथ उस का छोटा भाई नीरज सिंह भी था जो शादी में भी शामिल हुआ था.

नीरज को प्रीति ने भरोसे में ले कर सारी बात बता दी थी. गिरजेश की तरफ से शादी में उस के कुछ नजदीकी दोस्त शामिल हुए थे.

शादी के बाद प्रीति घर वापस आ गई और उस दिन का इंतजार करने लगी जब गिरजेश और उस के घर वाले उसे लेने आएंगे.

नीरज ज्यादा देर तक अपनी बहन की शादी की बात पचा नहीं पाया और उस ने घर में यह बात बता दी. इस पर पूरा घर सनाके में आ गया. पर वे सभी मुनासिब वक्त का इंतजार करने लगे.

बेवफाई बनी फंदा

उदयपुरा में प्रीति का एकएक दिन एकएक साल के बराबर गुजर रहा था. कभीकभार गिरजेश से फोन पर बात होती थी तो वह खुश और बेचैन भी हो उठती थी. गिरजेश हमेशा की तरह उसे हिम्मत बंधाता था कि बस कुछ दिन की बात और है, फिर सबकुछ ठीक हो जाएगा.

लेकिन वह दिन कभी नहीं आया. अलबत्ता, होली के बाद कहीं से प्रीति को खबर लगी कि गिरजेश की सगाई उस के घर वालों ने कहीं और कर दी है. खबर गलत नहीं थी. वाकई गिरजेश की सगाई टीकमगढ़ जिले में हो चुकी थी और फलदान भी हो चुका था.

16 मार्च, 2018 की रात गिरजेश उदयपुरा आया तो प्रीति की बांछें खिल उठीं. रात में ही उस ने गिरजेश से फोन पर बात की जो ठीक उस के घर के सामने रुका था. क्या बातें हुईं थीं, यह बताने के लिए प्रीति तो अब जिंदा नहीं है और गिरजेश मुंह छिपाता फिर रहा है. सुबह 5 बजे प्रीति ने अपने गले में फांसी का फंदा डाल कर खुदकुशी कर ली.

सियासत तले मुहब्बत

सुबह के तकरीबन 10 बजे सोशल मीडिया पर यह मैसेज वायरल हुआ कि उदयपुरा में प्रीति रघुवंशी नाम की लड़की ने खुदकुशी कर ली है और वह राज्य के रसूखदार मंत्री ठाकुर रामपाल सिंह की बहू है, तो हड़कंप मच गया.

जल्द ही सारी कहानी सामने आ गई. प्रीति का लिखा सुसाइड नोट भी वायरल हुआ जिस में उस ने अपनी गलती के बाबत बारबार मम्मीपापा से माफी मांगते हुए किसी को परेशान न किए जाने की बात लिखी थी. अपने आशिक या शौहर गिरजेश का उस ने अपने सुसाइड नोट में जिक्र तक नहीं किया था.

8 महीने से सब्र कर रहे प्रीति के घर वाले भी अब खामोश नहीं रह पाए और उन्होंने ठाकुर रामपाल सिंह और गिरजेश पर इलजाम लगाया कि ये दोनों प्रीति को दिमागी तौर पर परेशान कर रहे थे, इसलिए प्रीति ने खुदकुशी कर ली.

बात चूंकि ठाकुर रामपाल सिंह सरीखे रसूखदार और दिग्गज मंत्री के बेटे की थी, इसलिए कांग्रेसियों ने मौका भुनाने की भूल नहीं की और गिरजेश की गिरफ्तारी और रामपाल सिंह को मंत्रिमंडल से बरखास्त करने की मांग पर वे अड़ गए.

चौतरफा समर्थन मिलता देख कर प्रीति के पिता चंदन सिंह रघुवंशी इस जिद पर अड़ गए कि ठाकुर रामपाल सिंह प्रीति को बहू का दर्जा दें और गिरजेश उस का अंतिम संस्कार करे तभी वे प्रीति की लाश लेंगे नहीं तो प्रीति की लाश नैशनल हाईवे पर रख कर प्रदर्शन किया जाएगा.

चंदन सिंह रघुवंशी ने ठाकुर रामपाल सिंह और गिरजेश के खिलाफ उदयपुरा थाने में शिकायत भी दर्ज कराई.

उधर ठाकुर रामपाल सिंह ने दोटूक कह दिया कि उन के बेटे गिरजेश को फंसाया जा रहा है और प्रीति उन की बहू नहीं है तो पूरा रघुवंशी समाज उदयपुरा में इकट्ठा हो कर विरोध करने लगा.

बात इतनी बिगड़ी कि उदयपुरा छावनी में तबदील हो गया और रायसेन की कलक्टर और एसपी समेत दूसरे आला अफसर मामला सुलझाने की कोशिश में जुट गए.

जैसेतैसे बड़ेबूढ़ों के समझाने पर प्रीति के घर वालों ने उस का दाह संस्कार किया लेकिन जांच की मांग नहीं छोड़ी तो पाला बदलते ठाकुर रामपाल सिंह प्रीति को बहू का दर्जा देने के लिए तैयार हो गए.

इस से बात सुलझती नजर आई लेकिन फिर जल्द ही बिगड़ भी गई क्योंकि जांच के नाम पर पुलिस प्रीति के घर वालों को ही परेशान करने लगी थी और गिरजेश के खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख रही थी.

25 मार्च, 2018 को जैसेतैसे प्रीति के पिता चंदन सिंह रघुवंशी के बयान दर्ज हुए, पर तब तक भी पुलिस ने गिरजेश के खिलाफ कोई एफआईआर दर्ज नहीं की थी.

जातपांत का फेर

गिरजेश ने सरासर बुजदिली दिखाई और भोलीभाली प्रीति को धोखा दिया. उस की शादी की खबर ठाकुर रामपाल सिंह को थी लेकिन वे जातिगत ठसक और जिद के चलते बेटे की चोरीछिपे की शादी को मंजूरी नहीं दे पाए.

प्रीति की गलती यह थी कि उस ने गिरजेश पर आंखें मूंद कर भरोसा किया और चोरी से शादी भी कर ली. लेकिन गिरजेश वादे से मुकर गया तो वह घबरा उठी.

प्रीति अगर मरने के बजाय दिलेरी से अपनी शादी का राज खोल कर अपना हक मांगती तो नजारा कुछ और होता.

प्रीति की मौत एक सबक है कि आशिक पर भरोसा कर उस से चोरीछिपे शादी करना जिंदगी दांव पर लगाने जैसी बात है. वजह, जो शख्स चोरी से शादी कर रहा हो उस के पास मुकरने और धोखा देने का पूरा मौका रहता है.

कई लड़कियां तो चोरी से शादी कर पेट से हो आती हैं और दोहरी परेशानी और जिल्लत झेलती हैं. वे शादी का सुबूत दें तो भी उस पर कोई तवज्जुह नहीं देता.

यह भी साफ दिख रहा है कि जातपांत में जकड़ा समाज कहने भर को मौडर्न हुआ है, नहीं तो हकीकत प्रीति के मामले से सामने है कि बदला कुछ खास नहीं है.

इंजीनियर ने किये ताई के 10 टुकड़े – भाग 3

इस शिकायत को एसएचओ ने गंभीरता से लिया और एक कांस्टेबल को उन के घर भेज कर सीसीटीवी का फुटेज मंगवा लिया. सरोज शर्मा की गुमशुदगी के एक दिन पहले से ले कर बाद के 2 दिनों तक के फुटेज खंगाले गए. उस में अनुज के कई संदिग्ध फुटेज दिखे, जो 11 दिसंबर के थे. वह दिन में सूटकेस और बाल्टी ले कर घर में जाता हुआ और शाम को उसी सामान के साथ आता भी दिखा.

इस तहकीकात में करीब 2 दिन और निकल गए. तब तक अनुज हरिद्वार में चल रहे अपने इलाज की बात बता कर चला गया था. उस का घर से जाने पर मोनिका और पूजा के संदेह और बढ़ गया.

इधर एसएचओ कुरील ने अनुज को थाने बुलवाया, लेकिन उस के वहां नहीं होने पर वह भी उस पर शक करने लगे.

खैर, पुलिस देर किए बिना घर वालों को ले कर हरिद्वार पहुंच गई. वहां अनुज नहीं मिला, लेकिन छानबीन के बाद उस के वहां से दिल्ली जाने की जानकारी मिल गई. आखिरकार मोबाइल सर्विलांस की मदद से पुलिस अनुज तक पहुंचने में सफल हो गई.

विद्यानगर थाने में एसएचओ कुरील और एसआई राजबीर सिंह ने अनुज से गहन पूछताछ की. उस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाया. पूछताछ का सिलसिला करीब 6 घंटे तक चला.

इस बीच अनुज तरहतरह की कहानियां बता कर पुलिस को उलझाता रहा. अखिरकार वह घुमावदार बातों में खुद उलझ गया. उस के मुंह से अनायास ही ताई की हत्या की बात तब निकल गई, जब पुलिस ने उस के धार्मिक होने का मनोवैज्ञानिक दबाव डाला. उस ने बताया कि ताई की हत्या कर लाश के टुकड़े जंगल में फेंक दिए थे.

हत्या का जुर्म कुबूल करने पर अनुज के खिलाफ सरोज देवी की हत्या और साक्ष्य मिटाने की धाराएं लगा कर मुकदमा दर्ज कर लिया गया. उस की निशानदेही पर पुलिस ने अजमेर दिल्ली रोड स्थित जंगल में 3 जगह से सरोज देवी की लाश के 8 टुकड़े बरामद कर लिए, जो मिट्टी के नीचे दबाए गए थे. उन्हीं में सरोज देवी का सिर भी था.

पुलिस की एफएसएल टीम ने उन की जांच की. इस के बाद उन्हें पोस्टमार्टम हाउस भेज दिया.

पुलिस को उस ने ताई की हत्या का जो कारण बताया, वह बहुत ही साधारण था. लेकिन उस के चलते कोई इंसान इतना खूंखार और आक्रामक बन सकता है, यह पुलिस के लिए भी हैरानी में डालने वाली बात थी.

उस के मन की स्थिति को देखते हुए पुलिस ने मनोचिकित्सक को बुलाया और उस की मैडिकल जांच करवाई. अनुज ने ताई की हत्या की जो कहानी सुनाई वह इस प्रकार निकली—

बद्रीप्रसाद अपनी बेटी शिवी के लिए रिश्ता तय करने के सिलसिले में 10 दिसंबर, 2022 की शाम इंदौर चले गए थे. अगले रोज 11 दिसंबर को करीब साढ़े 10 बजे सुबह ताई सरोज शर्मा घर में अकेली थीं. वह कुछ पका रही थीं. अनुज बाथरूम से निकला और उन से बोला, ‘‘ताई, जल्दी से जो कुछ पकाया है वही मुझे दे दो, अभी दिल्ली जाना है.’’

‘‘अभी? अभी क्यों? बद्री को तो आ जाने दो, मैं घर में अकेली रहूंगी?’’

सरोज बोली.

‘‘नहींनहीं ताई, वहां आज ही मुझे एक कीर्तन सभा में शामिल होना है, फोन आया है. फिर वहां से भागवत कथा में देहरादून जाना होगा.’’ अनुज बोला.

‘‘नहीं जाना वहां. बेटा, तुम अपने काम पर ध्यान देते हो नहीं और इधरउधर कीर्तनभजन में लगे रहते हो. उस से तुम्हारा भविष्य नहीं बनने वाला. तुम्हारी उम्र भजनकीर्तन की नहीं है. इंजीनियर हो अपने फील्ड में अच्छा काम ढूंढो, एक जगह टिक कर काम करो. करिअर बनाओ…’’ सरोज बोलती चली जा रही थीं. जबकि उन की किसी बात का अनुज पर असर नहीं हो रहा था. वह एक ही रट लगाए हुए था कि दिल्ली जाना है तो जाना है.

ताई के एकएक शब्द उस के कानों में तेजाब की तरह लग रहे थे. असल में उस ने दिल्ली जाने के लिए ताई से कुछ पैसे मांग लिए थे. घरेलू खर्च का हिसाबकिताब ताई ही रखती थीं. इसी पर वह बिफर गई थीं. उन्हें पता था कि अनुज का दिल कामकाज में नहीं लगता है. वह धार्मिक संस्थाओं से जुड़ कर अपना भविष्य चौपट करने पर लगा हुआ है. इधरउधर समय गुजारता रहता है. दोस्तों के बीच पैसे खर्च करता रहता है.

नाराज सरोज शर्मा ने यहां तक कहा कि घर पर रह कर काम करो और अपनी गृहस्थी बनाओ. मैं खर्च नहीं देने वाली हूं. इस पर अनुज गुस्से में आ गया, उस ने बोला, ‘‘पैसे तुम्हारे नहीं, मेरे पापा के हैं…’’

इस पर सरोज भी गुस्से में बोल पड़ीं, ‘‘पापा के हैं इस का मतलब यह तो नहीं कि उसे तुम उड़ाते रहो. घर में 50 तरह के खर्च हैं, बहन की शादी होनी है…’’

इतना कहना था कि अनुज तमतमा गया. बिफरता हुआ गुस्से में कमरे में रखा लोहे का बड़ा हथौड़ा उठाया और आगेपीछे सोचे बगैर ताई के सिर पर दे मारा. उस ने हथौड़े से 1-2 नहीं, बल्कि दनादन 4-5 वार कर दिए. साथ में बड़बड़ाता रहा, ‘देखता हूं कैसे नहीं पैसे देगी… मेरे ही पैसे पर कुंडली मारना चाहती है…’

इस से सरोज शर्मा बुरी तरह से लहूलुहान हो गईं. वहीं निढाल हो कर गिर पड़ीं. अनुज जमीन पर गिरी ताई के खून से सने सिर को एकटक निहारने लगा. कुछ देर तक बुत बना रहा.

फिर उस ने ताई की नाक के पास अंगुली ले जा कर देखा, उन की सांसें बंद हो चुकी थीं. यह देख कर उस का दिमाग सुन्न हो गया था. वह समझ नहीं पा रहा कि अब क्या करे? ताई की लाश को पिता और बहन के आने से पहले ठिकाने लगाने की सोचने लगा.

अचानक उसे दिल्ली का श्रद्धा कांड याद हो आया, जिस की लाश को 35 टुकड़ें में काट कर दिल्ली के जंगलों में फेंक दिया गया था.

फिर क्या था, उस के दिमाग में बिजली कौंध गई. वह तुरंत ताई की लाश को रसोई से घसीट कर बाथरूम में ले गया. उसे बाहर से बंद कर खून लगे अपने कपड़े बदले और फ्लैट को लौक कर बाजार चला गया.

वहां से एक बड़ा चाकू  खरीद लाया और लाश के टुकड़े करने लगा. किंतु ऐसा नहीं कर सका. वह वापस बाजार गया और सीकर रोड स्थित हार्डवेयर की दुकान से 1500 रुपए में मार्बल कटर खरीद लाया.

कटर से ही उस ने शव के 10 टुकड़े किए और छोटेछोटे टुकड़े पानी डाल कर नाली में बहा दिए. कटे हुए बड़े टुकड़ों को ट्रौली बैग के सूटकेस में पैक कर लिया और बचे कुछ टुकडे बाल्टी में भर कर पौलीथिन से ढंक दिए.

पूरी तैयारी के साथ शव को ठिकाने लगाने के लिए लिफ्ट के जरिए दोपहर करीब पौने 3 बजे तीसरी मंजिल से पार्किंग में आया.

नीचे उस की कार खड़ी थी. सूटकेस कार की डिक्की में डाला और बाल्टी ड्राइविंग सीट के बगल में रख ली. गूगल मैप के सहारे जयपुर-दिल्ली हाईवे पर करीब 10 किलोमीटर जंगल की तरफ निकल गया.

घने जंगल के किनारे उस ने कार रोकी. एक हाथ से ट्रौली बैग खींचते हुए और दूसरे हाथ में बाल्टी ले कर जंगल के भीतर करीब 200 मीटर चला गया. वहीं उस ने कहीं सिर, तो कहीं शव के दूसरे हिस्सों को जमीन में दबा दिया.

शव को ठिकाने लगाने के बाद अनुज सूटकेस और बाल्टी ले कर घर आया. उस ने रसोई और बाथरूम में जमीन पर फैले खून को वाशिंग पाउडर से रगड़रगड़ कर साफ किया.

तब तक शाम हो गई थी. अंधेरा नहीं हुआ था. वह पूरी तैयारी के साथ अपने फ्लैट से नीचे आया और आसपास जो कोई दिखा, उन से ताई के बारे में पूछने लगा. इस तरह से उस ने पूरे मोहल्ले में यह बात बता दी कि उस की ताई कहीं गुम हो गई है और उन की तलाश के लिए विद्यानगर थाने जा कर शिकायत भी कर दी. इस तरह से बीटेक की पढ़ाई करने वाले अनुज ने एक जघन्य अपराध कर दिया.

पूछताछ में अनुज ने बताया कि ताई कैंसर की मरीज थीं और वह उन की देखभाल में कोई कमी नहीं करता था, लेकिन उन की टोकाटाकी से तंग आ गया था. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी होने पर अनुज को एक जौब मिल गई थी, लेकिन उस में उस का मन नहीं लगा और उस ने इस्कान मंदिर में दीक्षा ले ली. यह करीब 9 साल पहले की बात है. उस के बाद वह ज्यादा समय अध्यात्म में लगाने लगा.

ताई सरोज शर्मा इसी बात को ले कर परेशान रहती थीं कि कहीं वह अध्यात्म और धर्म के चक्कर में पड़ कर परिवार से कट न जाए. मां की मृत्यु का उस के दिमाग पर गहरा असर हुआ था.

उस ने कई बार अपनी बहन शिवी को बताया था कि उस की 37 साल में मृत्यु होने वाली है. अगर उस की मौत नहीं हुई तो वह सुसाइड भी कर सकता है. इस पर उस की बहन हंस कर टाल देती थी.

ताई की हत्या की घटना के बाद शिवी ने भी पुलिस को बताया कि अनुज काफी समय से मेंटली डिस्टर्ब चल रहा था. वह अकसर बताता था कि उसे रात को नींद नहीं आती है. एक घटना के बारे में शिवी ने बताया कि करीब 6 माह पहले उस ने मेरे कमरे का दरवाजा बाहर से तब बंद कर दिया था, जब वह लैपटौप पर काम कर रही थी.

कमरे के बाहर अनुज और पिता की तेज आवाज आ रही थी. थोड़ी देर बाद जब पिता ने दरवाजा खोला तब उस ने देखा कि अनुज केरोसिन तेल से नहाया हुआ था. वह बारबार आत्महत्या की बातें कर रहा था. उस रोज उसे किसी तरह संभाला गया था.

अनुज के बारे में ली गई तमाम जानकारी के बाद पुलिस ने उस का इलाज किसी अच्छे मनोचिकित्सक से करवाने की सलाह दी थी.

उस से डीसीपी (नार्थ) पारिस देशमुख ने भी पूछताछ की, जिस में मालूम हुआ कि कैंसर से पीडि़त सरोज शर्मा के इलाज के लिए उस का बेटा कनाडा से पैसे भेजता था. उसी में से वह अनुज को खर्च आदि के लिए भी दे देती थीं. बद्रीप्रसाद अपने बच्चों के साथ उन का इलाज करवा रहे थे.

सभी तरह की तहकीकात पूरी हो जाने के बाद 26 दिसंबर, 2022 को अनुज को कोर्ट में पेश कर दिया गया, वहां से उसे जेल भेज दिया गया. साथ ही उस की मनोचिकित्सक से इलाज करवाने की सलाह दी गई.     द्य

प्रेमिका और अपने ही बच्चों की हत्या – भाग 3

सन 2009 में सोनू की पहली शादी जावरा रोड निवासी नगमा नाम की युवती से हुई थी, जो उम्र में सोनू से बड़ी थी. मगर ज्यादा दिनों तक उस के साथ सोनू की नहीं निभी.

2012 से दोनों का कोर्ट में तलाक का केस चला तो कोर्ट ने सोनू को 1500 रुपए महीना भरणपोषण भत्ता देने का आदेश दिया था. इसी बात को ले कर सोनू परेशान रहने लगा. उसे नगमा को ये पैसा देना बहुत अखरता था.

नगमा से तलाक न मिल पाने की वजह से अपने बच्चों को पिता का नाम नहीं दे पा रहा था. इसलिए नगमा के प्रति सोनू के मन में नफरत इस कदर घुल चुकी थी कि वह नगमा को मारने की ठान चुका था, मगर उसे मौका नहीं मिला.

सोनू और निशा भले ही 2014 से लिवइन में रह कर पतिपत्नी की तरह जिंदगी गुजार रहे थे, परंतु दोनों के पास शादी के कोई वैधानिक दस्तावेज नहीं थे. पहली पत्नी नगमा से सोनू का तलाक न होने की वजह से उस की निशा से कोर्टमैरिज भी नहीं हो पाई थी.

धीरेधीरे जब उन के बच्चे बड़े होने लगे तो निशा इस बात को ले कर परेशान रहने लगी. बच्चों को पिता का नाम नहीं मिल रहा था, इस वजह से नगर निगम के कागजों में बच्चों के नाम नहीं जुड़ पा रहे थे और न ही स्कूल में उन के बच्चों के एडमिशन हो रहे थे.

पुलिस की जांच में सामने आया है कि कुछ महीनों से निशा और सोनू के बीच झगड़ा हो रहा था. झगड़े की वजह सोनू की अय्याशी भी थी. सोनू निशा के अलावा किसी दूसरी महिला से रिलेशनशिप में था, इस बात को ले कर निशा उसे भलाबुरा कहती थी. निशा उसे बच्चों का वास्ता दे कर समझाती थी.

सोनू व निशा के बीच बच्चों को स्कूल में एडमिशन दिलाने, पिता का दरजा देने व अन्य बातों को ले कर विवाद बढ़ने लगा था. नवंबर 2022 में उन के बीच जम कर विवाद हुआ था.

बच्चों का वास्ता दे कर निशा उसे समझाती थी, ‘‘इन बच्चों की खातिर अब तो सुधर जाओ.’’

इस पर सोनू तैश में आ जाता.  हत्या वाले दिन 12 नवंबर, 2022 को भी सोनू शराब पी कर घर आया था. इस बात को ले कर दोनों के बीच जम कर लड़ाई हुई थी. नौबत हाथापाई पर आ गई तो इस के बाद ही सोनू ने आवेश में आ कर कुल्हाड़ी से अपने जिगर के टुकड़े दोनों बच्चों की और उस के बाद निशा की हत्या कर दी.

हत्या के बाद सोनू ने अपने दोस्त सैलाना यार्ड निवासी जितेंद्र उर्फ बंटी कैथवास को फोन कर के घर बुला लिया. दोनों ने मिल कर पहले तो शराब पी और फिर लाशों को ठिकाने लगाने के लिए घर में ही गड्ढा खोदने का प्लान बनाया.

दूसरे दिन पानी का टैंक बनाने के लिए 2 मजदूरों को सोनू के घर बंटी ही लाया था. मजदूर जब गड्ढा खोद कर चले गए तो बंटी और सोनू ने तीनों लाशों को उस में डाल कर ऊपर मिट्टी डाल दी. तीनों लोगों को बरामदे में दफनाने के बाद आरोपी सोनू नौकरी पर जाने लगा.

वह अकेला ही घर पर रह रहा था. घर के आसपास कोई मकान नहीं बने होने का फायदा भी सोनू को मिल रहा था. कालोनी के लोग जब बीवीबच्चों के संबंध में पूछते तो वह कहता कि बीवी घर से पैसे ले कर बच्चों के साथ घर छोड़ कर चली गई है.

कालोनी के लोगों ने जब शिकायत की तो पुलिस पूछताछ में शुरुआत में पत्नी निशा से झगड़ा होने और बच्चों को ले कर उस के कहीं चले जाने की बात कहता रहा. मगर पुलिस की खोजी नजरों से वह बच नहीं पाया और सख्ती करने पर वह जल्द ही टूट गया.

पुलिस पूछताछ में आरोपी सोनू ने बताया कि वह पारिवारिक कलह से परेशान हो चुका था.

उस ने पूछताछ के दौरान एसपी अभिषेक तिवारी के सामने यह कुबूल किया कि वह अपनी पहली पत्नी नगमा की भी हत्या करना चाहता था. इस के लिए वह एकदो बार प्रयास भी कर चुका था. उस का कहना था कि वह नगमा की हत्या करने के बाद पुलिस के सामने सरेंडर कर देता. मगर अपने बिछाए जाल में वह खुद ही फंस गया.

सोनू और बंटी को 23 जनवरी को  न्यायालय में पेश किया गया, जहां से न्यायालय ने दोनों को 25 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर रखने के आदेश दिए थे.

2 दिन के रिमांड पर पुलिस ने दोनों से सख्त पूछताछ कर 25 जनवरी को फिर से कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें रतलाम जेल भेज दिया गया.      द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

ले बाबुल घर आपनो : सीमा ने क्या चुना पिता का प्यार या स्वाभिमान – भाग 3

कुछ दिन तक तो वे समय पर घर पहुंचते रहे थे. लेकिन क्रम टूटते ही घर में तूफान आ जाता था. एक बार तो सीमा ने हद कर दी थी. महाराज के बारबार खाने के लिए बुलाने पर उस ने खाने की मेज ही उलट कर रख दी थी, और चिल्ला कर कहा था,

‘मैं शीला चाची के यहां जा रही हूं. डाक्टर साहब के साथ शतरंज खेलूंगी. पिताजी से कह देना, जिस समय मेरा मन होगा, मैं वापस आऊंगी. मुझे वहां लेने आने की कोई जरूरत नहीं.’ और वह दनदनाती हुई चली गई थी.

जब शंभुजी को पता चला तो वे चाह कर भी उसे लेने नहीं जा सके थे. उन्हें डर था, ‘जिद्दी लड़की है, वहीं कोई नाटक न शुरू कर दे.’

12 बजे के करीब डाक्टर साहब का बेटा दीपक उसे छोड़ने आया था तो वह बिना उन्हें देखे अपने कमरे में चली गई थी. पीछेपीछे भारी कदमों से उन्हें उस के कमरे में जाना पड़ा था, ‘खाना नहीं खाओगी, बेटी?’

‘मैं ने खा लिया है,’ वह लापरवाही से बोली थी.

‘तुम डाक्टर साहब के यहां रात को क्यों गई थी?’ उन्होंने सख्ती से पूछा था.

‘आप भी तो वहां जाते हैं. वे भी हमारे घर आते हैं,’ वह भी सख्त हो गई थी.

‘वे मेरे मित्र हैं, बेटी. तुम समझती क्यों नहीं? तुम अब बड़ी हो गई हो. रात को अकेले तुम्हें…’ आगे वे बात पूरी नहीं कर सके थे.

‘मैं वहां जरूर जाऊंगी. दीपक मुझे घुमाने ले जाता है. मेरा खयाल रखता है. वह भी मेरा दोस्त है. जब आप को फुरसत नहीं मिलती तो मैं अकेली क्या करूं?’इतना सुनते ही उन का सिर चकराने लग गया था. इन बातों का तो उन्हें पता ही नहीं था. वे तो अपने काम में ही इतने व्यस्त रहते थे कि बाहर क्या हो रहा है, कुछ जानते ही न थे. डाक्टर साहब जरूर उन्हें कभीकभी खींच कर पार्टियों में या क्लब में ले जाते थे.

फिर उन्हें यह भी जानकारी मिली कि, सीमा दीपक के साथ फिल्म देखने भी जाती है तो वे बड़े परेशान हो गए थे. पहले तो उन्हें सीमा पर गुस्सा आया था कि कभी मुझ से पूछती तक नहीं, लेकिन फिर वे स्वयं पर भी नाराज हो उठे थे, उन्होंने ही बेटी से कब, कुछ जानना चाहा था.

सीमा कुछ और सयानी हो गई थी. उन्होंने भी सोचा था, ‘दीपक अच्छा लड़का है. अगर सीमा उसे पसंद करती है तो वे उस की इस खुशी को जरूर पूरा करेंगे. सीमा के सिवा उन का है ही कौन? यह घर, यह कारोबार किसी को तो संभालना ही है. फिर दीपक तो बड़ा ही प्यारा लड़का है.’ और वे निश्ंिचत हो गए थे.

अब वे सीमा से हमेशा दीपक के बारे में पूछा करते थे. वे यह भी देख रहे थे, सीमा धीरेधीरे गंभीर होती जा रही है.

एक दिन बातोंबातों में सीमा ने कहा था, ‘पिताजी, आप क्यों नहीं किसी को अपने विश्वास में ले लेते? उसे सारा काम समझा दीजिए, तो आप का कुछ बोझ तो हलका हो ही जाएगा. आप को कितना काम करना पड़ता है.’

‘हां, बेटा, मैं भी कई दिनों से यही सोच रहा था. पहले तुम्हारे हाथ पीले कर दूं, फिर कारोबार का बोझ भी अपने ऊपर से उतार फेंकूं. अब मैं भी बहुत थक गया हूं, बेटी.’

‘आप एक चैरिटेबल ट्रस्ट क्यों नहीं बना देते? उस से जितना भी लाभ हो, गरीबों की सहायता में लगा दिया जाए. गरीबों के लिए एक अस्पताल बनवा दीजिए. एक स्कूल खुलवा दीजिए. इतने पैसों का आप क्या करेंगे?’

‘बेटी, अपना हक यों बांट देना चाहती हो,’ वे हैरानी से बोले थे.

‘मैं भी इतना पैसा क्या करूंगी. आदमी की जरूरतें तो सीमित होती हैं, और उसी में उसे खुशी होती है. इतना पैसा किस काम का जो किसी दूसरे के काम न आ सके, बैकों में पड़ापड़ा सड़ता रहे. सब बांट दीजिए, पापा.’

‘कैसी बातें करती हो, मैं ने सारी जिंदगी क्या इसी लिए खूनपसीना एक किया है कि मैं कमा कर लोगों में बांटता फिरूं. तुम नहीं जानतीं. मैं ने इसी व्यापार को बढ़ाने की खातिर क्या कुछ खोया है?’

‘मुझे सब पता है, पापा. इसी लिए तो कहती हूं, आप समेटतेसमेटते फिर कुछ न खो बैठें. एक बार बांट कर तो देखिए, आप को कितना सुख मिलता है. जो खुशी दूसरों के लिए कुछ कर के हासिल होती है, वह खुद के लिए समेट कर नहीं होती.’

‘यह तुम क्या कह रही हो?’

‘डाक्टर चाचा भी तो यही कहते हैं, पापा, देखिए न, वे गरीबों का मुफ्त इलाज करते हैं. वे हमेशा यही कहते हैं, बस, जितने की मुझे जरूरत होती है, मैं रख लेता हूं, बाकी दूसरों को दे देता हूं, ताकि मेरे साथसाथ दूसरों का भी काम चलता रहे.’

वे बेटी का मुंह देखते रह गए थे. अच्छा हुआ सीमा ने बात खोल दी, नहीं तो वे कितनी बड़ी गलती कर बैठते. नहीं, नहीं, उन्हें तो ऐसा लड़का चाहिए जो व्यापार को संभाल सके. वे इस तरह अपनी दौलत को कभी नहीं लुटाएंगे. और उन्होंने निश्चय किया था, वे अपनी तरफ से तलाश शुरू कर देंगे. यह काम जल्दी ही करना होगा.

जल्दी काम करने का नतीजा भी सीमा की नजरों से छिपा नहीं रहा. शंभुजी के औफिस की टेबल पर उस ने जब कई लड़कों के फोटो देखे तो वह सबकुछ समझ गई थी. उसी दिन वे कोलकाता जाने वाले थे. सीमा ने सबकुछ देखने के बाद केवल इतना ही कहा था, ‘पापा, आप इतनी जल्दी न करें, तो अच्छा है.’

‘तुम्हें मेरे फैसले पर कोई आपत्ति है.’

‘मेरा अपना भी तो कोई फैसला हो सकता है,’ उस ने दृढ़ता से कहा था.

‘मुझे तुम्हारे फैसले पर आपत्ति नहीं, बेटी. दीपक मुझे भी पसंद है. लेकिन मेरी भी तो कुछ खुशियां हैं, कुछ इच्छाएं हैं. तुम जानती हो, दीपक को शादी के बाद…’

‘आप पहले कोलकाता हो आइए. इस बारे में हम फिर बात करेंगे,’ उस ने उन की बात काट दी थी.

वे निश्ंिचत हो कर चले गए थे, और आज वापस आए थे. लेकिन दरवाजे पर इंतजार करती सीमा कहीं नजर नहीं आ रही थी.

वे तेजी से उस के कमरे में गए, शायद उस ने कोई मैसेज छोड़ा हो लेकिन कहीं कुछ भी नहीं था. सबकुछ व्यवस्थित था. तभी नौकर ने आ कर धीरे से कहा, ‘‘सीमा बिटिया आ गई है.’’

सीमा जब उन के सामने आ कर खड़ी हुई थी तो वे उसे अपलक देखते रह गए थे. इन 6 दिनों में सीमा को क्या हो गया है. लगता है, जैसे इतने दिनों तक सोई ही न हो, ‘‘कहां गई थी, बेटी?’’

‘‘रमेशजी के यहां, मां की तबीयत ठीक नहीं थी. उन्होंने बुलवा भेजा था.’’

‘‘मां…कौन मां?’’ वे हैरान थे.

‘‘रेखा चाची, यानी शरदजी की मां. शरदजी की भी तबीयत ठीक नहीं है. मैं यही बताने आई थी, कहीं आप चिंता न करने लगें. मुझे अभी फिर वापस जाना है. उन की देखभाल करने वाला कोई नहीं. दोनों बीमार हैं. शायद मुझे रात को भी वहीं रहना पड़े.’’

‘‘उन का नौकर उन की…’’ वे बात पूरी नहीं कर सके थे.

‘‘जितनी सेवा कोई अपना कर सकता है, उतनी सेवा क्या नौकर करेगा? मेरा मतलब तो आप समझ गए न, मैं ने कहा था न, पिताजी मेरा भी कोई फैसला हो सकता है.’’

‘‘और डाक्टर का बेटा दीपक?’’ वे हैरान थे.

‘‘वह तो बचपन की पगडंडियों पर लुकाछिपी खेलने वाला दोस्त था, जो जवानी के मोड़ पर आ कर आप की दौलत से भी आंखमिचौली खेलना चाहता था. मुझे जीवनसाथी की जरूरत है, पापा, दौलत पर पहरा देने वाले पहरेदार की नहीं. मैं जानती हूं, आप को मेरी बातों से दुख हो रहा है. लेकिन यह भी तो सोचिए, लड़की के जीवन में एक वह भी समय आता है जब वह बाबुल का घर छोड़ कर पति के घर जाने के लिए आतुर हो जाती है. इसी में उसे जिंदगी का सुख मिलता है. मांबाप की भी तो यही खुशी होती है कि लड़की अपने घर में सुखी रहे. आप शरद को भी बचपन से जानते हैं, आप भी अपना फैसला बदल डालिए, इसी में मेरी खुशी है और आप का सुख,’’ और वह जाने को तैयार हो गई.

‘‘रुक जाओ, बेटी, मुझे तुम्हारा फैसला मंजूर है. तुम ने तो एकसाथ मेरे दोदो बोझ हलके कर दिए हैं. बेटी का बोझ और धन का बोझ. इसे भी अपनी मरजी से ठिकाने लगा देना, बेटी, जिस से कइयों को खुशियां मिलती रहें,’’ कहतेकहते उन की आंखें नम हो गई थीं.

‘‘पापा,’’ वह भाग कर मुद्दत से प्यासे पापा के हृदय से लग कर रो पड़ी थी.

एहसान फरामोश : भांजे ने की मामा की हत्या – भाग 3

संदीप का सोचना था कि इसी बहाने वह आगरा आता रहेगा, जहां उसे प्रेमिका से मिलने में कोई परेशानी नहीं होगी. शिवम को लगभग 1 लाख रुपए के रेडीमेड कपड़े दिलवा दिए गए. जिस से कमा कर देने की कौन कहे, शिवम ने पूंजी भी गंवा दी. संदीप को गड़बड़ी का आभास हुआ तो वह देवेंद्र के साथ आगरा पहुंचा.

आगरा पहुंच कर दोनों भाइयों को पता चला कि शिवम ने व्यापारियों से पैसे ले कर जुए और शराब पर खर्च कर दिए हैं. यह जान कर संदीप ने शिवम की पिटाई तो की ही, फिरोजाबाद ले जा कर बहन से भी उस की शिकायत की. यही नहीं, उस की प्रेमिका को बुला कर उस से भी सारी बात बता दी. जब शिवम की प्रेमिका को पता चला कि उसे गर्भवती बता कर शिवम ने मामा से पैसे ठगे हैं तो उसे बहुत गुस्सा आया. उस ने उसी दिन शिवम से संबंध तोड़ लिए.

संदीप ने तो अपनी समझ से शिवम के लिए अच्छा किया था, पर उस की यह हरकत शिवम को ही नहीं, मंजू को भी नागवार गुजरी. बहन ने बेटे को समझाने के बजाय उस का पक्ष लिया. मां की शह मिलने से शिवम का हौसला और बुलंद हो गया. फिर क्या था, वह मामा से बदला लेने की सोचने लगा.

संदीप समझ गया कि अब शिवम कभी नहीं सुधरेगा, इसलिए उस ने सोच लिया कि अब वह उस की कोई मदद नहीं करेगा. दूसरी ओर शिवम मामा से अपने अपमान का बदला लेने की योजना बनाने लगा. इस के लिए उस ने आगरा के थाना सिकंदरा के मोहल्ला नीरव निकुंज में दीवानचंद ट्रांसपोर्टर के मकान में ऊपर की मंजिल में एक कमरा किराए पर लिया. अब वह इस बात पर विचार करने लगा कि मामा को कैसे गुड़गांव से आगरा बुलाया जाए, जिस से वह उस से बदला ले सके?

काफी सोचविचार कर उस ने एक कहानी गढ़ी और 6 मई, 2017 को गुड़गांव मामा के पास पहुंचा. क्योंकि उस दिन मकान मालिक परिवार के साथ कहीं बाहर गए हुए थे. घर खाली था. उसे देख कर न संदीप खुश हुआ और न देवेंद्र. इसलिए दोनों ने ही पूछा, ‘‘अब तुम यहां क्या करने आए हो?’’

‘‘मामा, मैं जानता हूं कि आप लोग मुझ से काफी नाराज हैं, इसीलिए मुझे आना पड़ा. क्योंकि मैं फोन करता तो आप लोग मेरी बात पर यकीन नहीं करते. एक व्यापारी ने पैसे देने को कहा है, मैं चाहता हूं कि आप खुद चल कर वह पैसा ले लें.’’ शिवम ने कहा.

‘‘भैया, इस की बात पर बिलकुल विश्वास मत करना.’’ देवेंद्र ने शिवम को घूरते हुए कहा.

लेकिन शिवम कसमें खाने लगा तो संदीप को उस की बात पर यकीन करना पड़ा. शिवम के झांसे में आ कर वह उसी दिन यानी 6 मई को शिवम के साथ चल पड़ा. शाम को संदीप शिवम के साथ उस के कमरे पर पहुंच गया. गुड़गांव से चलते समय संदीप ने उमा को फोन कर के आगरा आने की बात बता दी थी.

कमरे पर पहुंचते ही शिवम ने संदीप को कोल्डड्रिंक पिलाई, जिसे पीते ही उसे अजीब सा लगने लगा. कुछ देर बाद उमा आई तो उस ने यह बात उसे भी बताई. तब उमा ने शिवम से पूछा, ‘‘तुम ने कोल्डड्रिंक में कुछ मिलाया तो नहीं था?’’

उमा के इस सवाल पर शिवम एकदम से घबरा गया. लेकिन उस ने तुरंत खुद को संभाल कर कहा, ‘‘आप भी कैसी बातें कर रही हैं, मैं भला मामा के कोल्डड्रिंक में कुछ क्यों मिलाऊंगा?’’

इस के बाद यह बात यहीं खत्म हो गई. अगले दिन रेस्टोरेंट में मिलने का वादा कर के उमा चली गई. उस दिन शिवम सुबह ही से गायब हो गया. उस का मोबाइल फोन भी बंद हो गया. शिवम का कुछ पता नहीं चला तो संदीप ने उमा को फोन किया और कमलानगर स्थित एक रेस्टोरेंट में पहुंचने को कहा.

उमा के साथ खाना खाते हुए भी संदीप ने कहा कि अभी भी उस की तबीयत ठीक नहीं है. तब उमा ने कहा, ‘‘कहीं गरमी की वजह से तो ऐसा नहीं हो रहा?’’

‘‘जो कुछ भी हो, अब मैं कमरे पर जा कर आराम करना चाहता हूं.’’ संदीप ने कहा.

इस के बाद उमा अपने घर चली गई तो संदीप कमरे पर आ गया. संदीप कमरे पर पहुंचा तो शिवम कमरे पर ही मौजूद था. उस ने उसे डांटते हुए पूछा, ‘‘कहां था तू? तुझे पता था कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है.’’

‘‘एक दोस्त से मिलने चला गया था.’’ शिवम ने कहा.

संदीप कुछ और कहता, उस के छोटे बहनोई कमल सिंह का फोन आ गया. उस ने बहनोई को बताया कि इस समय वह आगरा में शिवम के कमरे पर है. लेकिन उस की तबीयत ठीक नहीं है. ऐसा कोल्डड्रिंक पीने से हुआ है.

कमल सिंह ने उसे ग्लूकोन डी या नींबूपानी पीने की सलाह दी. शिवम तुरंत ग्लूकोन डी ले आया और पानी में घोल कर संदीप को पिला दिया. ग्लूकोन डी पीने के बाद संदीप की तबीयत ठीक होने की कौन कहे, वह बेहोश हो गया.

इस के बाद शिवम ने संदीप का ही नहीं, अपना फोन भी बंद कर दिया. वह बाजार गया और 2 नए ट्रौली बैग खरीद कर ले आया. ये बैग उस ने संदीप के पर्स से पैसे निकाल कर विशाल मेगामार्ट से खरीदे थे. चाकू उस ने पहले ही 2 सौ रुपए में खरीद कर रख लिया था. उस ने संदीप की कोल्डड्रिंक में भी नशीली दवा मिलाई थी और ग्लूकोन डी में भी. इसीलिए वह ग्लूकोन डी पीते ही बेहोश हो गया था. सारी तैयारी कर के पहले तो शिवम ने ईंट से संदीप के सिर पर वार किए, उस के बाद चाकू से उस का सिर धड़ से काट कर अलग कर दिया.

सिर को वह एक पौलीथिन में डाल कर बोदला रेलवे ट्रैक के पास की झाडि़यों में फेंक आया. इस के बाद धड़ से पैरों को अलग किया और ट्रौली बैग में भर कर बोदला रेलवे ट्रैक के पास तालाब में फेंक आया. चाकू भी उस ने उसी तालाब में फेंक दिया था.

वापस आ कर पहले उस ने कमरे का खून साफ किया, उस के बाद फिनायल से धोया. गद्दे में खून लगा था. उसे ठिकाने लगाने के लिए उस ने मकान मालिक से कहा कि उस के गद्दे में चूहा मर गया है, इसलिए वह उसे जलाने जा रहा है. इस के बाद पड़ोस के खाली पड़े प्लौट में गद्दे को ले जा कर जला दिया. इतना सब कर के वह निश्चिंत हो गया कि अब उस का कोई कुछ नहीं कर सकता.

लेकिन जिस तरह हर अपराधी कोई न कोई गलती कर के पकड़ा जाता है, उसी तरह शिवम भी कैलाश के फोन से आशीष को फोन करके पकड़ा गया. संदीप अब इस दुनिया में नहीं है, यह जान कर घर में कोहराम मच गया. पता चला कि थाना सिकंदरा द्वारा बरामद की गई लाश संदीप की ही थी. पुलिस को वह पौलीथिन तो मिल गई थी, जिस में संदीप का सिर रख कर फेंका गया था, लेकिन सिर नहीं मिला था. धड़ और पैर तालाब से बरामद हो गए थे.

पुलिस ने पोस्टमार्टम करा कर धड़ और पैर घर वालों को सौंप दिए थे. संदीप की मौत से पूरा गांव दुखी था, क्योंकि वह गांव का होनहार लड़का था. मंजू के लिए परेशानी यह है कि अब तक भाइयों से रिश्ता निभाए या बेटे की पैरवी करे. बड़े भाई विजय ने तो साफ कह दिया है कि वह बेटे की हो कर रहे या उन लोगों की. क्योंकि दोनों की हो कर वह नहीं रह सकती.

पूछताछ के बाद पुलिस ने शिवम को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. शिवम ने मामा की हत्या कर उस थाली में छेद किया है, जिस में खा कर वह इतना बड़ा हुआ है. ऐसे आदमी को जो भी सजा मिले, वह कम ही होगी.

अपनी ही गलती से बना हत्यारा – भाग 3

शादी की बात सुनते ही खुशबू सन्न रह गई. जिस की खातिर उस ने अपना घर त्यागा, वही किसी और का हो जाएगा, यह उस ने सोचा भी नहीं था. उस ने सोचा कि राहुल की जिस लड़की के साथ शादी होने जा रही है, उस से उस का रिश्ता एक दिन में तो तय नहीं हुआ होगा. राहुल को इस की पहले से ही जानकारी रही होगी, लेकिन उस ने यह बात उस से छिपाए रखी. इसलिए वह बोली, ‘‘राहुल ऐसी बात तो नहीं है कि घर वालों ने तुम्हारी मरजी के बिना शादी तय कर दी हो. जब तुम से पूछा होगा तो तुम्हें शादी के लिए मना कर देना चाहिए था. लेकिन तुम ने ऐसा नहीं किया.’’

‘‘खुशबू, मैं चाह कर भी घर वालों की बात का विरोध नहीं कर सका. लेकिन तुम थोड़ी सूझबूझ से काम लो तो समस्या का हल निकल सकता है.’’

‘‘वह कैसे?’’

‘‘इस का एक ही तरीका है कि शादी होने के बाद तुम भी उसे स्वीकार लो. यानी दोनों साथ रहो.’’

कोई भी औरत नहीं चाहती कि उस के पति को कोई दूसरी औरत बांटे, इसलिए राहुल की बात सुन कर खुशबू भड़क उठी, ‘‘राहुल, तुम ने यह सोच भी कैसे लिया कि दोनों एक साथ रहेंगी. यह हरगिज नहीं हो सकता. तुम एक बात और जान लो, 16 तारीख को जो तुम्हारी सगाई है, वह हरगिज नहीं होगी. उस दिन तुम घर नहीं जाओगे.’’

‘‘यह तुम क्या कह रही हो? मेरे घर न पहुंचने पर हंगामा हो जाएगा.’’

‘‘और गए तो यहां हंगामा हो जाएगा. अब खुद ही सोच लो कि क्या करना है?’’

खुशबू के सख्त तेवर देख कर राहुल परेशान हो गया. उस ने खुशबू को समझाने की काफी कोशिश की, लेकिन वह जिद पर अड़ी रही.  उसी दौरान राहुल ने तय कर लिया कि वह अपने घर वालों की इज्जत हरगिज खराब नहीं होने देगा, भले ही उसे खुशबू को रास्ते से क्यों न हटाना पड़े. इसी के मद्देनजर उस ने खुशबू को रास्ते से हटाने की योजना तैयार कर ली. योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए वह बाजार से एक छुरा भी खरीद लाया.

16 नवंबर, 2013 को राहुल के तिलक का कार्यक्रम निश्चित था. उस के कार्यक्रम में किसी तरह की कोई अड़चन न पड़े, इसलिए उस ने तिलक के कार्यक्रम से पहले ही खुशबू को ठिकाने लगाना उचित समझा. 15 नवंबर की शाम को खाना खाने के बाद खुशबू और राहुल सोने के लिए बिस्तर पर लेटे थे. थोड़ी देर बाद खुशबू को तो नींद आ गई, लेकिन राहुल की आंखों से नींद कोसों दूर थी. वह रात गहराने का इंतजार कर रहा था.

जब उसे लगा कि मकान मालिक वगैरह सो चुके हैं तो उस ने गहरी नींद में सोई खुशबू के गले पर छुरे से वार किया. एक ही बार में खुशबू की सांस की नली कट गई और वह छटपटाने लगी. वह छटपटाती हुई बेड से नीचे गिर गई और कुछ ही देर में उस की मौत हो गई.

पत्नी को ठिकाने लगाने के बाद राहुल ने राहत की सांस ली और बाथरूम में जा कर खून से सने हाथपैर धोए. इस के बाद चादर से लाश ढंक कर वह सुबह को अपने गांव चला गया. उसी दिन उस के तिलक का कार्यक्रम था, जिस में उस के सभी सगेसंबंधी इकट्ठा हुए थे. उस कार्यक्रम में भी वह पूरी तरह सामान्य रहा. उस ने किसी को जरा भी महसूस नहीं होने दिया कि वह कोई बड़ा अपराध कर के आया है.

लाश को छिपाने के लिए राहुल 19 नवंबर को बाजार से खेलने का सामान रखने वाला एक बड़ा सा बैग खरीद कर अंबिका विहार वाले कमरे पर पहुंच गया. खुशबू की लाश को उस ने चादर में लपेट कर प्लास्टिक के एक बोरे में भर कर बंद कर दिया. उस बोरे को उस ने साथ लाए बैग में रख दिया. उस ने सोचा था कि शादी के बाद उस बैग को कहीं ठिकाने लगा देगा.

19 नवंबर को पत्नी की लाश को बैग में रखने के बाद वह शाम को कमरे का ताला लगा कर जीने से उतर ही रहा था कि उसी समय उसे मकान मालिक राजकुमार गिरि मिल गया. उस ने राहुल को अकेले जाते देखा तो उस ने वैसे ही खुशबू के बारे में पूछ लिया. इस पर राहुल ने कहा कि खुशबू की बहन की डिलीवरी होने वाली है, वह आगे निकल गई है. उसे उस की बहन के यहां छोड़ने जा रहा है.

मकान मालिक ने उस की बात पर विश्वास कर लिया. उसे क्या पता था कि उस का किराएदार उस के कमरे में एक बड़ा अपराध कर चुका है. अंबिका विहार से राहुल सीधे अपने गांव पहुंचा. अगले दिन 20 नवंबर को बड़ी धूमधाम के साथ उस की बारात बुलंदशहर पहुंची और वह शिखा को दुलहन बना कर घर ले आया.

राहुल निश्चिंत था कि पुलिस उस तक नहीं पहुंच सकेगी. 22 नवंबर को राजकुमार जब पहली मंजिल पर सफाई करने के लिए पहुंचा तो उसे बदबू महसूस हुई. क्योंकि बोरे में बंद लाश सड़ने लगी थी. राजकुमार की सूचना पर पुलिस उस के घर पहुंची और लाश के बारे में पता लगा. 23 नवंबर को राहुल खुशबू की लाश को ठिकाने लगाने के लिए अंबिका विहार वाले कमरे पर पहुंचा. जब वह करावलनगर में चौक के पास एक दुकान पर बैठा चाय पी रहा था, तब उसे यह पता नहीं था कि पुलिस उस के पीछे लगी हुई है. इसलिए पुलिस ने उसे आसानी से गिरफ्तार कर लिया.

राहुल शर्मा से पूछताछ के बाद जांच अधिकारी इंसपेक्टर अरविंद प्रताप सिंह ने 24 नवंबर को उसे कड़कड़डूमा कोर्ट में मुख्य महानगर दंडाधिकारी रविंद्र वेदी के समक्ष पेश कर उसे एक दिन के पुलिस रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में पुलिस ने राहुल को उन जगहों पर ले जा कर तसदीक की, जहां से उस ने छुरा और बैग आदि खरीदे थे. फिर 25 नवंबर, 2013 को उसे पुन: अदालत पर पेश कर के जेल भेज दिया.

पति के जेल जाने के बाद शिखा की आंखों से आंसू रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे. उसे क्या पता था कि दुलहन बनने की जो खुशी वह मन में समेटे हुए थी, वह हाथ की मेहंदी धूमिल होने से पहले ही काफूर हो जाएगी. इस के बाद भी उसे उम्मीद है कि राहुल जल्द ही जेल से बाहर आ जाएगा.

(कहानी में शिखा परिवर्तित नाम है)

—कथा पुलिस सूत्रों एवं जनचर्चा पर आधारित

नौकर के प्यार में : परिवार को बनाया निशाना – भाग 3

एक रोज बेटी ने अपनी मां को नौकर के साथ आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया. अपनी मां का यह रूप देख कर बेटी को उस से नफरत सी हो गई. मां का यह रूप देख कर उसे कई दिन तक कुछ भी अच्छा नहीं लगा. वह सोचने लगी कि क्या किया जाए. इसी बीच एक दिन फिर उस ने अपनी मां को नौकर जितेंद्र के साथ देख लिया.

तब उस ने अपने पापा को लिखे एक पत्र में मम्मी की करतूत और नौकर को हटाने के बारे में लिखा. पत्र पापा के पास पहुंचने से पहले ही वह छोटे भाई वैभव व बहन ऋचा के हाथ लग गया. दोनों बहनभाइयों ने वह पत्र छिपा दिया. उन्हें पता था कि पापा ने यह पत्र देख लिया तो मम्मी की खैर नहीं होगी. बस, उन मासूमों को क्या पता था कि मम्मी को बचाने के चक्कर में वह पापा को एक दिन खो देंगे.

पत्र गायब हुआ तो बड़ी बेटी भी चुप्पी लगा गई. एक साल पहले प्रेमनारायण ने बेटी की शादी कर दी. वह अपनी ससुराल चली गई. कोरोना काल में प्रेमनारायण काफी समय तक घर पर रहे. तब रुक्मिणी को अपने प्रेमी से एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. जब स्कूल खुल गए तब प्रेमनारायण फतेहगढ़ चले गए.

पति के जाने के बाद रुक्मिणी और जितेंद्र का खेल फिर से शुरू हो गया. लेकिन छुट्टी पर प्रेमनारायण गांव आते तो बीवी को वह फूटी आंख नहीं सुहाते थे. वह उन से बिना किसी बात के लड़तीझगड़ती रहती. तब वह ड्यूटी पर चले जाते. रुक्मिणी यही तो चाहती थी. इस के बाद वह नौकर के साथ रंगरलियां मनाती.

प्रेमनारायण को अपनी बीवी और नौकर जितेंद्र के व्यवहार से ऐसा लगा कि कुछ गड़बड़ है. एकदो बार प्रेमनारायण ने बीवी से इस बारे में पूछा तो वह उलटा उस पर चढ़ दौड़ी. रुक्मिणी को अंदेशा हो गया कि उस के पति को नौकर के साथ संबंधों का शक हो गया है. तब उस ने नौकर जितेंद्र के साथ साजिश रची कि अब वह प्रेमनारायण को रास्ते से हटा कर अपने हिसाब से जीवन जिएंगे. रुक्मिणी के कहने पर जितेंद्र यह काम करने को राजी हो गया.

घटना से 10 दिन पहले प्रेमनारायण छुट्टी पर घर आए थे. होली के बाद उन्हें वापस फतेहगढ़ जाना था. इन 10 दिनों में रुक्मिणी और जितेंद्र को एकांत में मिलने का मौका नहीं मिला. ऐसे में रुक्मिणी और उस के प्रेमी ने तय कर लिया कि अब जल्द ही योजना को अंजाम दिया जाएगा, तभी वह चैन की जिंदगी जी सकेंगे. जितेंद्र ने अपने दोस्त हंसराज को 20 हजार का लालच दे कर योजना में शामिल कर लिया.

25 मार्च, 2021 की आधी रात को योजना के तहत जितेंद्र और हंसराज तलवार और कुल्हाड़ी ले कर रुक्मिणी के घर के पीछे पहुंचे.

रुक्मिणी ने पहली मंजिल पर जा कर मकान के पीछे वाली खिड़की से रस्सा नीचे फेंका. रस्से के सहारे जितेंद्र और हंसराज मकान की पहली मंजिल पर खिड़की से आ गए.

इस के बाद घर के आंगन में बरामदे में सो रहे मास्टर प्रेमनारायण पर नींद में ही तलवार और कुल्हाड़ी से हमला कर मार डाला. इस के बाद जिस रास्ते से आए थे, उसी रास्ते से अपने हथियार ले कर चले गए.

रुक्मिणी निश्चिंत हो कर कमरे में जा कर सो गई. सुबह जब मृतक का भतीजा राजू दूध लेने आया तो उस की चीखपुकार सुन कर रुक्मिणी आंखें मलती हुई कमरे से बाहर आई. वह नाटक कर के रोनेपीटने लगी. मगर उस की करतूत बच्चों ने चिट्ठी से खोल दी.

पुलिस ने पूछताछ पूरी होने पर तीनों आरोपियों को कोर्ट में पेश किया, जहां से रुक्मिणी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया. जितेंद्र व हंसराज को 3 दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया. रिमांड के दौरान आरोपियों से तलवार, कुल्हाड़ी, खून सने कपड़े और मोबाइल बरामद किए गए.

रिमांड अवधि खत्म होने पर 30 मार्च, 2021 को फिर से जितेंद्र और हंसराज भील को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.