2 आशिको की एक ही आशा – भाग 3

‘‘यार, मैं ने कब मना किया है. बताओ, अब कहां आना है, कब आना है, इस की व्यवस्था तो तुम दोनों ही करोगे न. तुम तो जब भी मुझे पुकारोगे, मैं दौड़ी चली आऊंगी,’’ यह कहते हुए हंसते हुए दोनों को बायबाय करती आशा आटोरिक्शा में बैठ गई.

दीपक और विकास ने दिमाग दौड़ाया तो विकास ने दीपक को बताया कि पास ही हनुमानगढ़ में उस का एक दोस्त है, जिस ने उसे अपने मकान की चाबी देखभाल करने के लिए दी है. वह दोस्त एक विवाह समारोह में सपरिवार गया है. वहां पर चोरी का खतरा रहता है, उन का घर भी अन्य घरों से काफी दूरी पर है और अकेला घर है. इसलिए मुझे रात को वहीं पर सोना है.

दूसरे दिन दीपक ने आशा को बुला लिया और उसे ले कर विकास के बताए घर हनुमानगढ़ चला गया. वहां तीनों को अपनी हसरतें पूरी करने का पूरा मौका मिला. दिन भर तीनों ने कई बार अपने जिस्मों की प्यास बुझाई. इस के बाद वे तीनों एक साथ मिल कर वासना का यह खेल खुल कर खेलने लगे थे.

लेकिन कहते हैं कि गलत काम की एक न एक दिन पोल जरूर खुलती है. किसी से आशा के पति राजू को यह बात पता चल गई कि आशा आजकल दीपक और एक और एक अन्य युवक के साथ घूमती फिरती है.

राजू अपनी खेती में इतना व्यस्त रहता था कि उसे आशा के बारे में पता ही नहीं चल पाता था. इसलिए जब राजू को यह बात पता चली तो उस ने आशा को बहुत बुराभला कहा और जम कर पिटाई भी कर डाली.

अब राजू दिन में अचानक कभी भी घर के चक्कर लगा लेता था, जिस के कारण तीनों प्रेमियों का मिलना अब दूभर होता जा रहा था. विकास और दीपक को तो नारी देह का ऐसा चस्का लग गया था कि वे बारबार आशा को फोन करते रहते थे.

इधर आशा भी देह सुख चाहती थी. विकास और दीपक दोनों के साथ ग्रुप सैक्स करना अब जैसे उस का मकसद बन गया था, इसलिए उन तीनों ने मिल कर राजू को ही रास्ते से हटाने के लिए षडयंत्र रचा.

षडयंत्र के तहत आशा ने त्रियाचरित्र दिखाते हुए एक दिन रोते हुए राजू के पैर पकड़ लिए और उस से माफी मांगते हुए बोली, ‘‘देखिए जी, आप ने मेरे ऊपर जो शक किया, वह दूसरों के कहने पर किया. मगर फिर भी मेरी भूल थी, इसलिए मैं आप से वादा करती हूं कि जिंदगी भर मैं आप की गुलाम बन कर रहूंगी.’’

अपनी पत्नी को रोते देख राजू का दिल भी पिघल गया. उस ने कहा, ‘‘तुम ने कहा दूसरों के कहने पर मैं ने तुम पर शक किया, इस का क्या मतलब है?’’

‘‘जी, एक दिन मैं बाजार गई थी तो मुझे रास्ते में दीपक मिल गया. वह पिक्चर देखने जा रहा था तो मैं भी उस के साथ पिक्चर देखने चली गई. वैसे दीपक रिश्ते में मेरा देवर भी तो लगता है न. इस में मैं ने कोई पाप किया क्या?’’ कहते हुए आशा फिर से रोने लगी.

‘‘अच्छा, तो तुम उस के साथ फिल्म देखने गई थी. अरे, मैं भी कैसा मूर्ख हूं. शादी के बाद तो मैं भी तुम्हें फिल्में दिखाने ले जाया करता था. मगर तुम ने पिछले कुछ सालों से मुझ से कहा ही नहीं.’’ राजू ने कहा.  ‘‘जी ठीक है, चलो अब आप मुझे कल फिल्म दिखाने ले कर चलना.’’ आशा ने कहा.

उस के बाद दूसरे दिन राजू ने दिन में जब आशा को फिल्म देखने के लिए चलने को कहा तो आशा ने कहा, ‘‘देखिए जी, अब दिन में फिल्म देखने जाएंगे तो खेती के काम का नुकसान हो जाएगा. बच्चों की जिम्मेदारियां भी हैं. उन को रात को खिलापिला कर और सुला कर रात का शो देखने चलें तो कैसा रहेगा.’’

‘‘यार आशा, तुम तो अब बहुत समझदार हो गई हो,’’ कहते हुए राजू खाना खा कर अपने खेतों में चला गया.

आशा ने इस दौरान विकास और दीपक को अपने प्लान के बारे में बता दिया था. 7-8 जनवरी, 2023 की रात को पिक्चर का आखिरी शो देख कर जब वे लौटने लगे तो आशा ने राजू से कुछ दूर पैदल चल कर मौसम का मजा लेने के लिए कहा.

राजू पैदल आशा के साथ सुनसान सड़क पर चलने लगा. इसी दौरान अंधेरा पा कर दीपक और विकास डंडा ले कर राजू को पीटने लगे, जिस में उन दोनों का साथ आशा ने भी दिया और तीनों ने मिल कर राजू की निर्मम हत्या कर दी. इस के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए.

सुबह होने पर लोगों ने जब राजू को सड़क किनारे देखा तो वे यह सोच कर उसे सरकारी अस्पताल ले गए कि शायद उस की सांस चल रही हो, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

खबर मिलने पर राजू की पत्नी आशा भी अस्पताल पहुंच गई और त्रियाचरित्र दिखाते हुए वहां रोने लगी. जब मृतक के ताऊ के बेटे सुनील ने लाश देखी तो उसे शक हो गया और पीलीगंगा थाने जा कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने हत्यारोपी आशा और उस के प्रेमियों दीपक व विकास से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.द्य

(कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है. कथा में निरंजन नाम काल्पनिक है)

अपना घर लूटा, पर मिली मौत – भाग 3

मातापिता परमप्रीत की करना चाहते थे दूसरी जगह शादी

बात घटना से करीब महीना भर पहले की है. परमप्रीत से दूरी बनाए रखने के लिए जसपिंदर के मांबाप ने बेटी के हाथ पीले करने के फैसला कर लिया था और उस के लिए अच्छे वर की तलाश में जुट भी गए थे. उस से पहले उन्होंने बेटी को शादी के उपहार में देने के लिए धीरेधीरे सोने के गहने खरीद कर घर में रखने शुरू कर दिए थे. उन्हें क्या पता थी कि एक दिन उन की ही बेटी उन के मुंह पर कालिख पोत कर अपने यार के साथ घर से फरार हो जाएगी.

बहरहाल, इधर जब से जसपिंदर ने अपनी शादी की बात सुनी थी, वह बुरी तरह परेशान हो गई थी. वह परम के अलावा किसी और युवक से शादी नहीं करना चाहती थी. परमप्रीत ही उस का भूत, भविष्य और वर्तमान था.

आखिर उस ने एक दिन परम से पूछ ही लिया,  ‘‘आखिर हम कब तक एकदूसरे से छिपछिप कर मिलते रहेंगे परम? तुम हमारी शादी के बारे में कुछ सोचते क्यों नहीं? क्या तुम यही चाहते हो कि मेरे मांबाप किसी और से मेरी शादी कर दें?’’

‘‘अरे, नहीं.’’ परमप्रीत तड़प कर बोला, ‘‘मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो सकता. तुम सिर्फ मेरी हो, मेरी ही रहोगी किसी और ने तुम्हारी तरफ हाथ बढ़ाया या तुम ने किसी और की होने की सोची तो जान से मान दूंगा तुम्हें भी और उसे भी जो तुम्हें पाने की कोशिश करेगा.’’

‘‘तुम कुछ नहीं कर सकते हो, बस सिर्फ तुम डींगे हांकते रहना और उधर मांबाप दूसरे के साथ मेरी डोली विदा कर देंगे.’’

‘‘बिलकुल नहीं,’’ परम फिर से कसमसा उठा, ‘‘तुम ऐसे कैसे सोच सकती हो? क्या मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूं? नहीं न. तुम्हारी डोली आएगी तो सिर्फ मेरे आंगन में. तुम्हारी मांग भरी होगी तो सिर्फ मेरे नाम के सिंदूर से. मैं फिर कह देता हूं कि तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी. दूसरे के बारे में कभी सोचा तो मैं तुम्हें तुम्हारी शादी के मंडप में ही जान से मार दूंगा, समझी?’’

‘‘जब तुम मुझ से इतना प्यार करते हो तो तुम मुझ से शादी क्यों नहीं कर लेते? तुम्हारे बिना मैं अकेले रह नहीं सकती. तुम्हारी यादों में रात भर करवटें बदलती रहती हूं.’’

‘‘जैसे 6 साल सब्र किया, 6 दिन और सब्र नहीं कर सकती?’’

‘‘6 दिन कहते हो, मेरा बस चले तो मैं तुम्हें पल भर के लिए भी अलग न करूं.’’

‘‘मतलब तुम अपनी जिद पर अड़ी रहोगी, शादी कर के ही रहोगी?’’

‘‘हां हां, मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी नहीं रह सकती.’’

‘‘तो ठीक है, तैयार रहना. 1-2 दिन में तुम्हें बताऊंगा, वैसा ही करना.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूंगी, बाय.’’

‘‘बाय.’’

नकदी और ज्वैलरी ले कर जसपिंदर हो गई फुर्र

दोनों के बीच यह बात मोबाइल पर हुई थी. परमप्रीत के वादे से जसपिंदर का चेहरा खुशियों से खिल उठा था कि अब बरसों का प्यार एक होने जा रहा है. मेरे सपनों का राजकुमार मुझे मिलने जा रहा है. वाहेगुरु तेरा लाखलाख शुक्रिया जो आप ने मेरी मुरादें सुन लीं.

घटना से एक दिन पहले यानी 23 नवंबर, 2022 की रात करीब 10 बजे परमप्रीत ने प्रेमिका जसपिंदर को उस के मोबाइल पर काल किया कि कल वह तैयार रहेगी. दोनों घर से भाग कर शादी करेंगे. इस पर वह तैयार हो गई और अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी.

जसपिंदर कौर परमप्रीत सिंह के प्रेम में इस कदर पागल और अंधी हो चुकी थी कि उसे परम के अलावा न तो कुछ दिखता था और न ही सूझता था. वह यह भी भूल गई थी उस के इस उठाए जाने वाले कदम से समाज में उस के परिवार की कितनी बदनामी होगी. क्या मांबाप समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक रहेंगे.

इस की उसे कोई परवाह नहीं थी, परवाह थी तो बस अपने प्यार परम की, जो उसे हर घड़ी उस के चारों ओर नजर आ रहा था. अब तो वह सिर्फ रात बीतने का इंतजार कर रही थी कि रात किसी तरह बीते और झट परम की बांहों में सदा के लिए समा जाए.

मांबाप और भाई रात में जब गहरी नींद में सो गए तो जसपिंदर दबेपांव बिस्तर से नीचे उतरी और धीरेधीरे उस कमरे में जा पहुंची, जहां अलमारी में उस के शादी के गहने बनवा कर रखे गए थे. इसी अलमारी में किसी जरूरी काम के लिए उस के पिता ने 20 हजार रुपए भी रखे थे.

आहिस्ता से अलमारी खोल कर उस ने 12 तोले सोने के जेवर जिस की कीमत 6 लाख के आसपास रही होगी और 20 हजार रुपए निकाल कर अपने लेदर वाले बैग में रख लिए. उस ने यह काम इतनी सफाई और चतुराई से किया था कि जरा भी शोर नहीं हुआ था. उस के बाद दीवार की खूंटी पर बैग टांग दिया और सो गई.

अगली सुबह यानी 24 नवंबर, 2022 की सुबह नींद से उठते ही जसपिंदर का गुलाबी चेहरा खिलाखिला सा था, लग ही नहीं रहा था कि वह रात में सोई रही हो. ऐसा लगता था जैसे अभीअभी नहाधो कर वाशरूम से निकली हो. मां भी बेटी को देख कर हैरान थीं कि आज से पहले ये इतनी खिलीखिली कभी नहीं दिखी थी, बात क्या है.

फिर मां ने सोचा कि यह मेरा वहम हो सकता है, बेटी तो हमेशा ऐसे ही रहती है. फिर वह अपने रोजाना के कामों में जुट गईं क्योंकि उन्हें स्कूल पढ़ाने भी जाना होता था. वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं.

सुबह के 10 बजतेबजते घर खाली हो गया था. मां जस्सी स्कूल पढ़ाने जा चुकी थीं, पिता रोज की तरह खेत घूमने निकल गए थे. बचा था शमिंदर तो वह भी किसी जरूरी काम से घर से बाहर चला गया था. लेकिन घर वालों को ये तनिक भी पता नहीं था कि जसपिंदर के मन में क्या चल रहा था.

उन्हें जरा भी भनक होती तो जसपिंदर इतना बड़ा और शर्मनाक कदम हरगिज नहीं उठा सकती थी और शायद जिंदा भी रहती. उसे भी यह पता नहीं था कि परम के रूप में साक्षात यमराज उस के प्राण हरने के लिए बेताब है. खैर, होनी को कौन टाल सकता है. जो होना है सो हो कर रहता है. चाहे लाख जतन क्यों न कर ले कोई.

ASI के फरेेबी प्यार में बुरे फंसे थाना प्रभारी – भाग 3

टीआई की रखैल रेशमा भी करने लगी ब्लैकमेल रंजना ने कुछ मिनट की एक वीडियो क्लिपिंग उन्हें वाट्सऐप कर दी. उसे देखते ही पंवार का दिमाग सुन्न हो गया. तभी रंजना के भाई ने फोन कर धमकी दी कि उस तरह के कई वीडियो उस के पास हैं. उन्होंने अगर जरा सी भी होशियारी दिखाई और पैसे नहीं दिए, तब वह सीधा बहन के साथ बलात्कार का आरोप लगा देगा. उस के बाद की पूरी प्रक्रिया क्या हो सकती है, उसे वह अच्छी तरह जानता है.

बाद में रेशमा उर्फ जागृति भी रंजना से मिल गई. फिर इन्होंने मिल कर टीआई पंवार को मानसिक रूप से प्रताडि़त करना शुरू कर दिया. इस की पुष्टि पंवार के मोबाइल नंबर की साइबर फोरैंसिक जांच से हुई.इस बारे में पंवार के घर वालों ने भी पुलिस से शिकायत की थी. पूछताछ में पंवार की पत्नी लीलावती, भाई रामगोपाल, भतीजा भूपेंद्र पंवार, मुकेश पंवार और पिता भंवरसिंह पंवार ने फोन पर धमकी मिलने की बात बताई.

उन्होंने बताया कि हाकम सिंह से रंजना ही नहीं, बल्कि उस की बहन और भाई भी पैसे की मांग करते थे. पैसे नहीं देने पर बलात्कार के झूठे मुकदमे में फंसा देने की धमकी भी देते थे.पंवार की मौत गोली मार कर आत्महत्या किए जाने की पुष्टि के बाद पुलिस की जांच में 4 लोगों के खिलाफ प्रताडि़त करने की एफआईआर दर्ज की गई. उन 4 लोगों में मुख्य आरोपी रंजना खांडे, रेशमा उर्फ जागृति, कमलेश और गोविंद जायसवाल का नाम था.

एफआईआर में उन्होंने झूठी रिपोर्ट दर्ज करवा कर जेल भेजने की धमकी देने और पैसा मांगने की बात कही गई थी. जांच में पाया गया कि 31 मार्च से 24 जून, 2022 के बीच मृतक के मोबाइल पर रेशमा उर्फ जागृति ने फोन कर के धमकियां दी थीं. ये धमकियां पूरी तरह से ब्लैकमेल करने और मानसिक प्रताड़ना की थीं. टीआई पंवार ने अपने मोबाइल में इन की रिकौर्डिंग कर रखी थी. मोबाइल पर मिली कुल 7 धमकियां तिथिवार रिकौर्ड थीं.

धमकी देने वाले आरोपियों में रेशमा ने पंवार से मकान के लिए पैसे और रजिस्ट्री के लिए प्रताडि़त किया था. ऐसा नहीं करने पर बलात्कार की रिपोर्ट दर्ज कराने और अश्लील फोटो वायरल करने की धमकी दी थी. ऐसे ही रंजना और उस के भाई कमलेश 25 लाख रुपए और गाड़ी की मांग कर रहे थे.

रंजना ने टीआई पंवार से कहा था कि उन्होंने कपड़ा व्यापारी गोविंद जायसवाल को रखने के लिए जो 25 लाख रुपए दिए थे, वह उस से मांग कर दें. दूसरी तरफ गोविंद जायसवाल पैसा वापस नहीं कर रहा था. वह टालमटोल कर रहा था.

पंवार को रेशमा ने 24 जून को गोविंद से पैसा लाने का दबाव बनाया था. उसी समय रंजना और कमलेश भी पैसा और गाड़ी के लिए पंवार को इंदौर में इंडियन कैफे हाउस के सामने बुलाया था. इस तरह से पंवार दोतरफा मानसिक तनाव में आ चुके थे.मुख्यालय के प्रांगण में ही बहा खून

टीआई पंवार को गोविंद से पैसे ले कर अश्लील वीडियो के वायरल होने से रोकने के लिए रंजना, रेशमा और कमलेश को देने थे. पंवार ने कमलेश और रंजना से इंडियन कौफीहाउस में बातचीत के दौरान गोविंद से मोबाइल पर काल कर अपने रुपए मांगे थे. उन्होंने बातचीत में खुद को बहुत परेशान बताया था और अनर्थ होने तक की बात कही थी. इसी क्रम में रेशमा काल कर पंवार को मोबाइल पर धमकियां देती रही. उस ने फोन पर यहां तक कह दिया था कि जो पैसा और चैक नहीं दे रहा है, उसे मार कर खुद मर जाए.

यह बात पंवार के दिमाग में बैठ गई. और फिर उन्होंने जो निर्णय लिया वह उन्हें खतरनाक राह पर ले गया. रेशमा, रंजना, कमलेश और गोविंद जायसवाल की एक साथ मिली प्रताड़नाओं से पंवार टूट गए.

करीब 50 मिनट तक वह मानसिक उत्पीड़न से जूझते रहे. एक समय आया जब उन्होंने मानसिक संतुलन खो दिया और अपनी सर्विस रिवौल्वर हाथ में पकड़ ली. कौफीहाउस से निकलने के बाद बरामदे में उन्होंने रंजना के हाथ से उस का मोबाइल छीनने की कोशिश की, क्योंकि उसी में अश्लील वीडियो थीं. मोबाइल रंजना के हाथ से नीचे गिर गया, जिसे रंजना ने तुरंत उठा लिया.

तभी उन्होंने रिवौल्वर रंजना खांडे पर तान दी. जब तक रंजना कुछ कहतीसुनती, तब तक रिवौल्वर से गोली निकल चुकी थी. गोली चलते ही रंजना वहीं जमीन गिर पड़ी थी. पंवार ने तुरंत रिवौल्वर को अपनी कनपटी से सटाया और दूसरी गोली चला दी. इस तरह हत्या और आत्महत्या की इस वारदात में हत्या तो नहीं हो पाई लेकिन आत्महत्या जरूर हो गई.

इस मामले की जांच पूरी होने के बाद रेशमा, रंजना खांडे, कमलेश खांडे, कपड़ा व्यापारी गोविंद जायसवाल को भादंवि की धारा 384, 385, 306 के तहत अजाक थाने में मुकदमा दर्ज कर लिया गया.

रिपोर्ट दर्ज होने के बाद एडिशनल पुलिस कमिश्नर राजेश हिंगणकर ने एएसआई रंजना खांडे को निलंबित कर दिया. आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस टीम ने उन के ठिकानों पर दबिश डाली, लेकिन वह वहां से फरार मिले.

मुखबिर की सूचना पर पुलिस ने महाकाल मंदिर क्षेत्र में बसस्टैंड के पास से उसे गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में रंजना ने टीआई पंवार से अपने अवैध संबंधों की बात कुबूली. उस ने बताया कि उन्हीं संबंधों की वीडियो से ब्लैकमेल कर वह टीआई से क्रेटा कार मांग रही थी.इस के बाद पुलिस ने टीआई की पत्नी का दावा करने वाली रेशमा को भी गिरफ्तार कर लिया.

वारदात के करीब 2 हफ्ते बाद रंजना के भाई कमलेश की आग से झुलस कर मौत हो गई. दरअसल, कमलेश धामोद स्थित अपने घर पर दालबाटी बना रहा था. उस समय उपले गीले होने की वजह से जल नहीं पा रहे थे. उन्हें जलाने के लिए कमलेश ने जैसे ही पैट्रोल डाला, तभी उस के कपड़ों में आग लग गई.

घर में आग से वह काफी देर तक छटपटाता रहा. घर वालों ने किसी तरह उस की आग बुझाई और उसे इलाज के लिए धार अस्पताल ले गए. हालत गंभीर होने की वजह से उसे एमवाई अस्पताल रैफर कर दिया. जहां इलाज के दौरान उस की मौत हो गई.

इंदौर के हनुमान मंदिर के पास एलआईजी सोसायटी में रहने वाला व्यापारी गोविंद जायसवाल कथा लिखने तक गिरफ्तार नहीं हो सका था. पुलिस ने आरोपी रंजना खांडे और रेशमा उर्फ जागृति से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.

ज्योतिषी के चक्कर में प्रेमी की हत्या – भाग 3

ग्रीष्मा ने शैरोन से पीछा छुड़ाने के लिएसाजिश की शुरुआत की. वह अब जब भी शैरोन से मिलती उस की चुस्तीफुरती के लिए उसे आयुर्वेदिक जूस पिलाने की बात कहती. वह जूस पीने के लिए जिद करती, तब शैरोन हर बार खुशीखुशी जूस पी लिया करता था. जूस पीने के बाद शैरोन की तबियत बिगड़ जाती, उसे उल्टियां होने लगतीं. लेकिन बाद में तबियत ठीक हो जाती थी.

असल में ग्रीष्मा की साजिश जूस में जहर मिला कर देने की थी और ऐसा वह कर भी रही थी. ग्रीष्मा ने पिछले 2 महीने में 10 बार शैरोन को मारने की कोशिश की थी. इस के लिए वह कीटनाशक मिला जूस पिलाती थी. यही कारण था कि जब भी शैरोन ग्रीष्मा के दिए जूस को पीता उस की तबियत बिगड़ जाती.

जूस कड़वा लगने पर कड़वाहट को दूर करने के लिए ग्रीष्मा आम या अन्य किसी मीठे जूस को भी पिला दिया करती थी. इस के बावजूद उस का जी मिचलाने लगता और उसे उल्टियां होने लगती थीं.

शैरोन इसे हर बार महज इत्तफाक मानता और ग्रीष्मा पर शक नहीं करता था. दरअसल, ग्रीष्मा ने षडयंत्र के तहत शैरोन को जूस में धीमा जहर देना शुरू कर दिया था.

परिजनों के पूछने पर शैरोन इस बात को अपनी बीमारी व इत्तफाक बता कर अपनी गर्लफ्रैंड ग्रीष्मा का बचाव करता था. प्रेमिका पर शक करने से इंकार कर देता था. हां, इतना जरूर था कि शैरोन ने हर बार जूस पीने की बात जरूर स्वीकार की.

साजिश के तहत 14 अक्तूबर को ग्रीष्मा ने घर बुला कर शैरोन को घातक डोज दी. इस काम में ग्रीष्मा की मां सिंधु व चाचा निर्मल कुमार ने उस का पूरा सहयोग किया. ग्रीष्मा की शादी दूसरे के साथ तय हो गई थी. इसलिए वह शैरोन को अब रास्ते से जल्द से जल्द हटाना चाहती थी.

शैरोन को कीटनाशक देने के लिए उस का चाचा निर्मल एक दुकान से कीटनाशक खरीद कर लाया. शैरोन को आयुर्वेदिक जूस में वह कीटनाशक मिला कर पीने को दे दिया था. पिलाने के बाद कीटनाशक व अन्य सामान को मां सिंधु व चाचा निर्मल ने छिपा दिया, ताकि किसी के हाथ कोई सुराग नहीं लग सके.

ग्रीष्मा खुद एकएक बात थाने में पुलिस को बता रही थी. उस ने बताया कि शैरोन से छुटकारा पाने को और कोई रास्ता नहीं था. कहने को अस्पताल में जब शैरोन का इलाज चल रहा था, तब शैरोन का बड़ा भाई साइमन जो आयुर्वेद का डाक्टर है, उस ने ग्रीष्मा को फोन कर पूछा था कि शैरोन को आप ने घर पर क्या खिलायापिलाया था. लेकिन ग्रीष्मा ने शैरोन के कुछ भी खानेपीने से मना कर दिया था.

एडीजी (कानून व्यवस्था) एम.आर. अजीत कुमार ने प्रेस कौन्फ्रैंस में जानकारी देते हुए बताया कि ग्रीष्मा ने अपने प्रेमी के जूस में कीटनाशक मिलाया, जो उस के घर पर मौजूद था. वह रिश्ता खत्म करना चाहती थी. उस ने नरम तरीके से गंभीर क्राइम किया है.

मां व चाचा हुए गिरफ्तार

पुलिस ने पहली नबंवर, 20022 को मां सिंधु व चाचा निर्मल कुमार को भी गिरफ्तार कर लिया. ग्रीष्मा के घर से कीटनाशक की शीशी भी बरामद कर ली गई. इस समय तीनों जेल में हैं.

केरल हाईकोर्ट ने अपने बौयफ्रैंड को जहर दे कर मारने की आरोपी युवती ग्रीष्मा की मां व चाचा की जमानत याचिका बुधवार 23 नवंबर, 2022 को खारिज कर दी.

इन दोनों आरोपियों को सबूतों से छेड़छाड़ करने की भी धारा लगाई गई. शैरोन की गर्लफ्रैंड ग्रीष्मा द्वारा जहर दे कर हत्या करने से पूरे केरल में आक्रोश फैल गया. आक्रोशित लोगों ने ग्रीष्मा के घर तोड़फोड़ की. जानकारी होने पर पुलिस ने लोगों को खदेड़ कर मकान को सील कर दिया.

केरल और तमिलनाडु पुलिस इस मामले की संयुक्त रूप से जांच कर रही हैं. वहीं पुलिस का कहना है कि अभी जांच चल रही है, शैरोन की हत्या में जिस का भी हाथ होगा, उस की गिरफ्तारी होगी.

एसपी (ग्रामीण) डी. शिल्पा के अनुसार ज्योतिषी की 2 शादियों की खौफनाक भविष्यवाणी ने शैरोन का कत्ल कराया. वहीं आत्महत्या का प्रयास करने के मामले में ग्रीष्मा के खिलाफ एक मामला अलग से दर्ज किया गया है.

मौत के बाद दिल टूटने का किया नाटक

शैरोन की मौत के बाद उस की प्रेमिका ग्रीष्मा ने कई दिनों तक दिल टूटने का नाटक भी किया. उस ने हत्या के मामले में संदिग्ध माने जाने से बचने के लिए यह ड्रामा किया. साथ ही पुलिस पूछताछ से बचने के लिए बाथरूम क्लीनर पी कर आत्महत्या करने का नाटक किया.

पुलिस को शैरोन व ग्रीष्मा की कथित शादी का एक वीडियो भी मिला है. जबकि आर्मी आफीसर के साथ ग्रीष्मा का रिश्ता फरवरी 2022 में तय हो चुका था. यह वीडियो ग्रीष्मा के घर पर शूट किया गया था. इस में कपल यह कहते हुए दिखाया गया है कि उन्होंने अभीअभी शादी की है.

शैरोन की इस हालत के पीछे ग्रीष्मा का हाथ है, इस का किसी को जरा सा भी शक नहीं था. यहां तक कि प्रेमी शैरोन को भी नहीं. शैरोन इतना भोला था कि अपनी खराब तबियत को बीमारी बताता रहा.

उस ने सोचा भी नहीं था कि ग्रीष्मा प्यार का दिखावा कर उस की जान की प्यासी बन जाएगी. प्रेमिका से पत्नी बनी ग्रीष्मा का सच जाने बिना शैरोन मर गया. उस सच्चे प्रेमी ने मरते दम तक सच किसी को नहीं बताया. शैरोन का कत्ल अंधविश्वास के चलते ज्योतिषी की कथित भविष्यवाणी ने करा दिया.  द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

रिश्तों पर भारी पड़ी मोहब्बत – भाग 3

कुदरत ने पुरुषों को परखने के लिए औरतों को अजीब सी शक्ति दी है. वह एक ही नजर में मर्द जाति की हरकतों को पहचान जाती हैं कि उस के मन में क्या चल रहा है.

जब भी नुसरत जहां ट्रे में चाय वगैरह ले कर नदीम के कमरे में आती तो वह उसे दीवानों की तरह देखता था. नदीम का यूं प्यार से देखना नुसरत को अच्छा लगता था. अब नदीम को देख कर नुसरत भी मुसकरा देती थी.

धीरेधीरे नुसरत जहां नदीम की ओर खिंचती चली गई. चाहत की आग दोनों ओर बराबर की लगी थी. सो सही मौका देख कर नदीम ने अपनी मोहब्बत का इजहार कर दिया तो उस ने भी इकरारेमोहब्बत कर लिया. और अपने दिल के कोने में नदीम को खास जगह दे दी. फिर दोनों के प्यार की पींगें रफ्तार भरती गईं.

नुसरत जहां प्यार की असीमित रफ्तार में यह भूल गई थी कि उस का अपना घरपरिवार है, बड़ेबड़े 2 बच्चे हैं, शौहर है. कहीं उन्हें इस बारे में भनक लगी तो इस का कितना बुरा नतीजा हो सकता है. लेकिन इन बातों की परवाह किए बगैर वह नदीम के इश्क की बाहों में झूलती रही.

आखिरकार, हुआ वही जिस का डर था. एडवोकेट इम्तियाजुल हक को पत्नी और नदीम के बीच पनपे मधुर संबंधों के बारे में पता लग ही गया. उस के बाद पतिपत्नी के बीच इस बात को ले कर कहासुनी होने लगी.

पति के सामने त्रियाचरित्र दिखाते हुए उस ने खुद को बचाने की कोशिश की कि उस का नदीम के साथ कोई नाजायज संबंध नहीं है. वह तो कभीकभार उस से यूं ही हालचाल पूछ लिया करती थी. लेकिन इम्तियाजुल हक यह मानने के लिए कतई तैयार नहीं थे.

धीरेधीरे उन में शक की गहरी खाई बढ़ती गई. एक छत के नीचे रहते हुए भी वे अजनबियों की तरह रहते थे. इम्तियाजुल ने पत्नी से बातचीत करना एकदम छोड़ दिया था. अलबत्ता घर की रोजमर्रा की जरूरतों को वह अपने हिसाब से पूरा करते रहे.

अब नुसरत जहां को इस बात का डर सताने लगा था कि पति कहीं इस बात को घर वालों से न बता दे नहीं तो बड़ी बदनामी होगी. ऐसा हो गया तो वह कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी.

यह सब सोच कर वह बुरी तरह डर गई. इस डर की वजह से उस ने प्रेमी नदीम अहमद से सारी बातें कह दीं, ‘‘हमारे संबंधों के बारे में पति को जानकारी हो गई है. जब से उन्हें इस बारे में पता चला है, तब से हमारे रिश्ते बिगड़ते जा रहे हैं. मुझे डर है कि कहीं यह बात हमारे मायके तक न पहुंचे वरना बड़ी बदनामी होगी मेरी. तुम जल्दी कुछ करो.’’

‘‘तुम घबराओ मत, हिम्मत रखो. सब ठीक जाएगा.’’ नदीम ने समझाते हुए कहा.

‘‘जो कुछ करना है जल्दी करो, चाहे पति की जान ही क्यों न लेनी पड़े. बेशक उस की जान ले लो, उसे मार डालो लेकिन जल्दी करो.’’ वह बोली.

‘‘तुम इतनी घबराई क्यों हो? घबराने से कोई हल नहीं निकलता. बस, हिम्मत रखो, मैं जल्द ही इस समस्या से निजात पाने के लिए कोई न कोई रास्ता निकाल लूंगा. बस इत्मीनान रखो. अगर ऐसे ही घबराती रहोगी तो जिसे शक नहीं करना होगा, वह भी शक करने लगेगा.’’

‘‘मैं तो कहती हूं कि ज्यादा सोचो मत, उसे ही रास्ते से हटा दो. न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.’’

फिर नुसरत जहां पति के कत्ल की जिद पर अड़ी रही. न चाहते हुए भी नदीम को अपनी प्रेमिका की खतरनाक जिद के आगे झुकना पड़ा. हालांकि वह ऐसा करना नहीं चाहता था. वह तो कुछ ऐसा रास्ता निकालना चाहता था जिस में पति जिंदा भी रहे और प्रेमिका हमेशा उस की बांहों की पनाहों में भी बनी रहे. लेकिन प्रेमिका की जिद के आगे उसे कत्ल के लिए मजबूर होना पड़ा.

नदीम अहमद कमजोर दिल का युवक था. वह जानता था कि इतना खतरनाक काम उस से अकेले नहीं हो सकेगा. वह जिस मसजिद का मुअज्जिन था, उसी मसजिद का इमाम दाऊद अहमद था. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी. दोनों एकदूसरे के हमराज भी थे. दाऊद को नदीम और नुसरत जहां के बीच पनपे प्रेम कहानी की जानकारी थी.

नदीम अहमद ने अपनी दोस्ती का वास्ता दे कर दाऊद को अपनी योजना में शामिल कर लिया. उस ने भी नदीम का साथ देने के लिए हामी भर ली. फिर दोनों बाजार से एक फलदार चाकू और एक दाब खरीद लाए. उन्हें छिपा कर रख दिया. इस बात की जानकारी उस ने नुसरत जहां को भी दे दी कि बकरा हलाल करने के लिए औजार आ चुके हैं.

एकदूसरे का साथ देने की कसमें खाने वाली पत्नी नुसरत पति की जीवनलीला खत्म करने के लिए उतावली हो चुकी थी. उस ने अपनी ओर से नदीम को हरी झंडी दे दी थी.

प्रेमिका की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद उसे अंतिम रूप 15/16 अक्तूबर, 2022 की रात में दिया गया.

योजना के मुताबिक, 15 अक्तूबर की रात 10 बजे नुसरत जहां ने प्रेमी नदीम को फोन कर के जानकारी दी कि आज रात वह पति के साथ बरामदे में सोएगी. तुम अपना काम कर के चले जाना.

ठीक वैसा ही हुआ, जैसी योजना बनाई गई थी. योजना के अनुसार, रात में खाना खा कर वकील पति इम्तियाजुल हक बच्चों के साथ बरामदे में लगे बिस्तर पर सोने चले गए.

नुसरत बहाने से किचन के काम में देर रात तक लगी रही. घर वाले भी सो चुके थे, बस नुसरत की आंखों में ही नींद नहीं थी. वह बारबार दीवार घड़ी की ओर देख रही थी.

रात 12 बजे के करीब नुसरत ने दोनों बच्चों को जगा कर दूसरे कमरे में बैड पर सुला दिया और खुद जा कर पति के बगल में लेट गई.

इधर नदीम और दाऊद पीछे के रास्ते से दीवार फांद कर इम्तियाजुल हक के घर में घुस आए और दबेपांव वहां पहुंच गए जहां इम्तियाजुल और नुसरत जहां सो रहे थे. नदीम को घर का कोनाकोना पता था इसलिए उस तक पहुंचने में कोई दिक्कत नहीं हुई.

नदीम और उस के साथी दाऊद को देख कर नुसरत खुश हो गई. वह दबेपांव बिस्तर से उतरी ताकि पति नींद से उठ न जाए. उठ कर वह पति के पैरों की ओर बढ़ी और उस के दोनों पैर पकड़ लिए.

नदीम के साथी दाऊद ने वकील इम्तियाजुल हक के दोनों हाथ मजबूती से पकड़ लिए और नदीम ने कमर में खोंस कर रखे धारदार चाकू को निकाल कर अपने बाएं हाथ की हथेली उन के मुंह पर कस कर रखी और दाहिने हाथ से चाकू से उन का गला रेत कर मौत के घाट उतार दिया. थोड़ी देर तड़पती देह धीरेधीरे

शांत हो गई. इस के बावजूद इत्मीनान करने के लिए साथ लाए दाब से उस के सिर के पिछले हिस्से पर जोरदार  वार किया.

जब उन्हें यकीन हो गया कि इम्तियाजुल की मौत हो चुकी है तो नदीम और दाऊद चाकू और दाब ले कर उसी रास्ते से  अपने घर लौट गए. फिर सुबह होते ही नुसरत जहां ने त्रियाचरित्र का जो

अनोखा खेल खेला, खुद कानून की जाल में फंसती चली गई और 24 घंटे के भीतर अपने प्रेमी सहित जेल की सलाखों के पीछे  पहुंच गई.

पुलिस ने आरोपी नदीम अहमद के पास से चाकू और दाब दोनों बरामद कर लिए. पुलिस ने आरोपियों को न्यायालय में पेश कर जेल भेज दिया.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बबिता का खूनी रोहन – भाग 3

इंसपेक्टर मलिक की सख्ती पर सहमे हुए लखन ने बताया तो मलिक ने उसे पूरी बात साफसाफ बताने के लिए कहा.

तब लखन ने बताया कि उस ने करीब एक साल पहले यह बाइक प्रवीण से खरीदी थी. उस समय वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था, लेकिन बाइक खरीदने के कुछ दिन बाद ही कोरोना महामारी के कारण हुए लौकडाउन में उस की नौकरी चली गई और वह बेरोजगार हो गया.

बाइक अकसर घर पर ही खड़ी रहती थी. इसी दौरान कुछ महीने पहले उस के बड़े भाई के बेटे रोहन उर्फ मनीष की एयरटेल कंपनी में नौकरी लग गई, लेकिन उस के पास भागदौड़ करने के लिए कोई साधन नहीं था.

लिहाजा उस ने अपनी बाइक रोहन को दे दी और कहा जब वह अपने लिए दूसरी बाइक खरीद ले तब उस की बाइक वापस कर देना. इस के बाद से रोहन ही उस की बाइक का इस्तेमाल करता है. उसे नहीं पता कि भीमराज पर गोली किस ने चलाई. रोहन ने खुद इस का इस्तेमाल किया था या किसी अन्य व्यक्ति को उस ने बाइक इस्तेमाल के लिए दी थी.

जांच ले गई आरोपी रोहन तक

यह बात तो साफ हो गई कि लखन की बाइक का इस्तेमाल भीमराज पर हुए हमले में किया गया था. लेकिन वारदात वाले दिन बाइक कौन ले कर गया था, इस का खुलासा होना मुश्किल काम नहीं था. इंसपेक्टर जितेंद्र मलिक ने तत्काल सीसीटीवी की फुटेज लखन को दिखाई तो उस ने साफ कर दिया कि बाइक पर सवार युवक उस का भतीजा रोहन ही है. बस इस के बाद पुलिस के लिए रोहन को पकड़ना कोई मुश्किल काम नहीं था. पुलिस टीम ने अगली सुबह ही रोहन को उस के घर से सोते हुए दबोच लिया.

थाने ला कर जब रोहन से पूछताछ शुरू हुई तो पहले वह इधरउधर की बातें करता रहा. लेकिन जब पुलिस ने उसे सीसीटीवी में कैद हुई उस की तसवीरें दिखाईं तो उस ने कबूल कर लिया कि उसी ने भीमराज को गोली मारी थी.

आखिर ऐसी क्या बात थी कि रोहन ने भीमराज को गोली मार दी. इस सवाल के जवाब में रोहन ने कहा कि भीमराज ने उस दिन गाड़ी चलाते समय उस की बाइक को टक्कर मार दी थी और जब उस ने विरोध जताया तो वह भद्दी गालियां देने लगा. इसी बात से गुस्से में आ कर उस ने पीछा करते हुए एंड्रयूजगंज में जा कर उसे गोली मार दी.

हालांकि रोडरेज के दौरान गुस्से में गोली मार देना, दिल्ली शहर में कोई नई बात नहीं है. क्योंकि इस तरह की घटनाएं यहां अकसर होती रहती हैं. लेकिन थानाप्रभारी मलिक को रोहन की बात पर इसलिए भरोसा नहीं हुआ क्योंकि वे रोहन द्वारा भीमराज को गोली मारने की साजिश तक पहुंच चुके थे.

दरअसल, थानाप्रभारी जितेंद्र मलिक ने भीमराज और बबीता के मोबाइल फोन की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उस ने रोहन के झूठ की कलई खुल गई.

दरअसल, काल डिटेल्स की जांच के बाद पुलिस ने सब से पहले भीमराज के फोन पर आने वाले नंबरों में इस बात की पड़ताल की थी कि घटना वाले दिन या उस से पहले या कुछ महीनों के दौरान उस ने सब से ज्यादा किन लोगों से बात की थी.

बबीता के मोबाइल की काल डिटेल्स की जांच की गई तो पता चला कि पिछले 3 महीनों से बबीता एक नंबर पर सब से ज्यादा और लंबीलंबी बातें किया करती थी. उस नंबर पर देर रात में भी बात करने की डिटेल थी. इसी नंबर पर वाट्सऐप मैसेजों का भी आदानप्रदान था. जिस दिन भीमराज को गोली मारी गई थी, उस दिन सुबह 7 बजे से ही इस नंबर पर बातें हुईं.

इतना ही नहीं, जिस वक्त एंड्रयूजगंज में भीमराज को गोली लगी, उस के 10 मिनट बाद भी इसी नंबर से बबीता के फोन पर काल की गई. बाद में भी कुछ काल्स के रिकौर्ड मिले. हालांकि जब बबीता से इस बात की जानकारी ली गई तो उस ने बताया कि उस ने अपने पार्लर पर जो पेमेंट स्वाइप मशीन लगवाई हुई है, उस में नेटवर्किंग की दिक्कत रहती है, इसी संबध में वह एयरटेल कंपनी के नेटवर्किंग एग्जीक्यूटिव से बात करती है. पूछने पर उस ने एग्जीक्यूटिव का नाम रोहन बताया.

इधर जब पुलिस ने उस नंबर की काल डिटेल्स निकलवाई तो पता चला कि रोहन गोविंदपुरी की गली नंबर 13 में रहता है.

रोहन जब कभी रोडरेज, तो कभी लेनदेन के विवाद की कहानी बता कर पुलिस को काफी देर तक उलझाता रहा तो इंसपेक्टर मलिक ने उस के सामने वो काल डिटेल्स रख दी, जिस में उस के फोन व बबीता के नंबर पर दिन व रात में अनगिनत बार लंबीलंबी बातें करने का रिकौर्ड था.

आखिर रोहन ने बता दी सच्चाई

रोहन पुलिस को पूछताछ में बबीता से बात करने और रातों में बातचीत का कोई स्पष्ट कारण नहीं बता सका. इसीलिए पुलिस ने जब उस के साथ सख्ती की तो वह टूट गया और उस ने सच उगल दिया.

रोहन से पूछताछ के बाद इस वारदात के पीछे नाजायज रिश्ते की एक ऐसी कहानी सामने आई, जिस में एक अधेड़ उम्र की महिला ने कमउम्र के नौजवान को अपने प्यार के जाल में फांस कर उस की ऐसी मतिभ्रष्ट कर दी कि महिला के कहने पर उस ने अधेड़ प्रेमिका के पति को गोली मार दी.

दरअसल, बबीता की उम्र भले ही 42 की हो गई थी, लेकिन ब्यूटीपार्लर चलाने के कारण आज भी वह अपने 45 साल के पति से ज्यादा आकर्षक व सुंदर थी. भीमराज के तीनों बच्चे किशोरावस्था की दहलीज से निकल कर जवानी की तरफ कदम बढ़ा रहे थे. इस कारण उस में अब पत्नी के प्रति आकर्षण कम हो गया था और बच्चों  व घरगृहस्थी चलाने की जद्दोजहद उस पर ज्यादा सवार रहती थी.

ढलती जवानी में जब पति अपनी पत्नी की देह से ऐसा उदासीन व्यवहार करे तो कुछ महिलाएं रास्ता भटक ही जाती हैं. हां, भीमराज जब कभी शराब के नशे में होता तो वह जरूर बबीता की देह को जम कर रौंदता था. लेकिन बबीता चाहती थी कि उस का पति उसे न सिर्फ प्यार करे बल्कि उसे अपने व्यवहार से भी इस बात का अहसास कराए.

बस अपने प्रति इसी उदासीन व्यवहार के कारण बबीता पति से इतर किसी दूसरे शख्स  में इस अहसास को तलाशने लगी. यह सितंबर 2020 महीने की बात है. बबीता ने अपने पार्लर पर डिजिटल पेमेंट के लिए एयरटेल का ब्राडबैंड कनेक्शन तथा एक स्वाइप मशीन लगवाई थी. इसी संबध में एयरटेल की तरफ से रोहन उस के यहां एग्जीक्यूटिव बन कर आया था. 23 साल का गबरू जवान और गठीला शरीर. न जाने क्या था, रोहन के व्यक्तित्व में कि बबीता पहली ही नजर में उस पर फिदा हो गई.

रोहन ने भी पहली मुलाकात में ही बबीता की आखों में भरी मस्ती और देह में बसी तड़प को पढ़ लिया था. पहली ही मुलाकात के बाद दोनों के बीच नंबरों का आदानप्रदान हो गया. बबीता छोटीछोटी बात पर किसी बहाने से रोहन को अपने पार्लर पर बुलाने लगी.

2-4 मुलाकातों के बाद शिष्टाचार की भेंट अपनत्व में बदल गई और निजी व परिवार की बातें भी होने लगीं.

ब्यूटीपार्लर में रखी प्यार की नींव

बबीता जहां अपने अतृप्त प्यार को पाने के लिए रोहन की तरफ झुकी जा रही थी तो जवान जिस्म की देह सुगंध से महरूम रोहन भी जल्द से जल्द बबीता के मादक जिस्म  की देह को पाने के लिए मचल रहा था.

जल्द ही दोनों के बीच ऐसे रिश्ते बन गए, जिन्हें समाज नाजायज रिश्तों का नाम देता है. रोहन के जवान जिस्म  के स्पर्श ने बबीता में एक अजीब सा रोमांच भर दिया था. वे दोनों अकसर मिलने लगे.

बबीता कभी रोहन को अपने पार्लर पर बुला कर अपनी अतृप्त देह को तृप्त कर लेती तो कभी उसे पति व बच्चों की अनुपस्थिति में अपने घर बुला लेती. कभीकभी वे किसी होटल का कमरा बुक कर के अपने अरमानों को पूरा करने लगे.

अपनी उम्र से 20 साल छोटे रोहन के प्यार में बबीता इस कदर पागल हो चुकी थी कि इस बात को भी भूल गई थी कि वह एक शादीशुदा औरत है और रोहन की उम्र से कुछ ही छोटे 3 बच्चों की मां भी है.

अगले भाग में पढ़ें-  रोहन को घर बुलवा कर हुई पिटाई

यूट्यूबर नामरा लुटेरी गर्लफ्रेंड – भाग 3

दिनेश यादव 2 दिसंबर, 2021 को मेरे घर के पास मुझे खुद पिक करने आया था. गुरुग्राम में मेरे एक यूट्यूबर दोस्त के फ्लैट पर पार्टी चल रही थी, जहां वह पहले से मौजूद था. मैं इसे ज्यादा नहीं जानती थी, लेकिन मेरे दोस्तों के बोलने पर मैं इस के साथ चली गई पति विराट को साथ ले कर. उस रात इस ने मुझे महंगी चौकलेट्स भी दिलाई. और सुबह हमें ड्रौप करने भी आया था.

मुझे इंप्रैस करने के लिए खर्च कर रहा था और जब उस ने देखा कि मैं उस से इंप्रैस नहीं हुई तो खुंदक में उस ने पेमेंट देने में ड्रामे करने शुरू कर दिए.

उस ने कहा कि मैं टूट गया और उल्टीसीधी बातें करने लगा. उस ने अपनी शिकायत में लिखा है कि उसे मेरी शादी के बारे में नहीं पता. जबकि उसे अच्छे से पता था कि मेरी शादी हो चुकी है. और एक बेटा भी है. क्यों कि जब हम उस के साथ गोवा गए थे तो अपने बेटे को भी साथ ले कर गए थे.

नामरा के मुताबिक, एक दिन 25 मई को उस ने मुझे होटल में शूट करने के नाम पर बुलाया था और कहा कि तेरी पेंडिंग क्लियर कर दूंगा. मैं ने होटल की लौबी में पहुंच कर उसे फोन किया तो वह मुझे ऊपर अपने रूम में बुलाने लगा.

मैं ने उस से कहा कि नीचे आ जा. शूट कर लेंगे, तब तक विराट भी आ जाएगा. फिर ऊपर चलेंगे. उस ने मुझे ऊपर बुलाने के लिए बहुत फोर्स किया.

मैं नहीं मानी तो नीचे आ गया और जब मैं ने उस से अपनी पेंडिंग पेमेंट 40 हजार ले ली तो फिर से वह मुझे ऊपर रूम में चलने के लिए फोर्स करने लगा. यह कह कर कि मेरे सिर में दर्द हो रहा है, कब तक यहां बैठ कर विराट का वेट करेंगे. वह सीधा ऊपर आ जाएगा.

मैं ने उस की बात नहीं मानी तो वह कहने लगा कि नहीं चल रही है तो मेरे पैसे वापस दे दे. मैं ने उस से कहा कि पैसे तो मेरी पहले की पेमेंट है. ये क्यों दूं, फिर उस ने मेरा पर्स छीन कर पैसे निकाल लिए और चिल्लाचिल्ला बहुत बदतमीजी करने लगा कि मेरे पैसे दे फ्री में नहीं बुलाता हूं तुझे. हर बात में तेरी मरजी नहीं चलेगी. वहां होटल का स्टाफ इकट्ठा हो गया और दिनेश पैसे छीन कर अपने रूम में वापस चला गया.

मशहूर यूट्यूबर नामरा कादिर की एक अपनी पहचान है. बिजनैसमैन दिनेश की शिकायत के मुताबिक उस ने अपने हुस्न के जाल यानी हनीट्रैप में फंसा कर उसे ब्लैकमेल किया. उस से करीब 80 लाख रुपए वसूल लिए. ये रुपए नामरा ने बिजनैसमैन को रेप के झूठ केस में फंसाने की धमकी दे कर हड़पे.

मिस दिल्ली चुनी जा चुकी है नामरा

22 वर्षीय नामरा कादिर का जन्म 27 जून, 1999 को फरीदाबाद में हुआ था. उस की पढ़ाईलिखाई फरीदाबाद, दिल्ली एनसीआर में हुई. वह एक यूट्यूबर, इंस्टाग्राम मौडल और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर हैं. हालांकि उस का यह सफर 2017 में मिस दिल्ली चुनी जाने के बाद शुरू हुआ था.

मौडलिंग से काम शुरू करते हुए नामरा कादिर ने यूट्यूब पर शौर्ट कौमेडी फिल्म और मनोरंजक वीडियो बना कर साल 2019 में अपने करिअर की शुरुआत की थी. तब नामरा के टिकटौक पर लाखों फालोअर्स थे, लेकिन 2020 में टिकटौक ऐप को भारत में प्रतिबंधित कर दिए जाने के बाद म्यूजिक वीडियो में काम करने लगी.

रचित रोझा, अनिकेत बेनीवाल, विराट बेनीवाल जैसे कई बड़े यूट्यूबर्स के साथ नामरा ने बतौर एक अभिनेत्री और मौडल के रूप में भी काम किया. इस की वजह से वह काफी लोकप्रिय हो गई और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर बन गई.

नामरा शादीशुदा है और एक बच्चे की मां भी है. दिल्ली के शालीमार गार्डन का रहने वाला पति विराट बेनीवाल उस के साथ काम करता है.

दरअसल, नामरा पर आरोप है कि उस ने अपने पति के साथ मिल कर गुरुग्राम के एक बिजनैसमैन को अपने जाल में फंसाया है. इस के तहत गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने के एसएचओ राजेश कुमार द्वारा सख्ती से की गई पुछताछ में उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उस के बाद हनीट्रैप और जालसाजी की कहानी उभर कर सामने आई, वह इस प्रकार है—

नामरा ने पहले तो दिनेश से कुछ मीटिंग अरेंज कीं, किंतु बाद में जब वह काम नहीं करने की शिकायत करने लगा तब पति विराट बेनीवाल के साथ जा कर मिलने लगी. दोनों ने काम में आ रही बाधा और देरी के सिलसिले में उसे समझाने की कोशिश की.

फिर भी दिनेश उधार और काम के एवज में दिया गया पैसा लगातार मांगता रहा, तब उन्होंने मिल कर एक योजना बनाई. योजना को अगस्त, 2022 को अंजाम दिया गया.

नामरा ने पैसे देने के लिए गुरुग्राम के सोहना रोड स्थित एक होटल में उसे बुलाया. वहां नामरा और विराट ने पहले से ही रात को ठहरने के लिए एक कमरा बुक कर लिया था. यह वही जगह थी, जहां उस की नामरा से पहली मुलाकात हुई थी. इस कारण दिनेश वहां बेझिझक चला गया और रात वहीं गुजारी.

अश्लील वीडियो देख घबरा गया दिनेश

दिनेश का आरोप है कि अगली सुबह उठने पर नामरा ने उस से सारे बैंक कार्ड और स्मार्ट वाच मांगे. साथ में उस का पति भी था. उन के बदले हुए तेवर देख कर दिनेश घबरा गया. नामरा ने दिनेश को धमकाया कि अगर उस ने उस की बात नहीं मानी तो वह उसे रेप के झूठे केस में फंसा देगी. इसी के साथ उस की कुछ अश्लील वीडियो क्लिपिंग्स दिखाते हुई बोली कि इसे वह वायरल कर देगी.

असल में दिनेश को नामरा और विराट ने मिल कर रात को खूब शराब पिलाई थी. शराब के नशे में वह अपने होशोहवास खो चुका था. इसी दौरान नामरा ने विराट की मदद से कुछ शूट कर रील्स बना लिए थे.

दिनेश द्वारा लगाए गए आरोप के अनुसार, नामरा और उस के पति ने बुरी नीयत का अपना असली चेहरा दिखा दिया था. दिनेश उस वक्त तो पास में जो कुछ था, उन्हें सौंप कर अपने घर लौट आया. कुछ दिनों तक इस वारदात के सदमे में रहा. वह रेप के मुकदमे की धमकी से भी डर गया था.

वह जानता था कि रेप के सिलसिले में आरोप लगने पर तुरंत जेल भेज दिया जाता है. अग्रिम जमानत तो दूर की बात है, जल्द जमानत भी नहीं मिलती है. नामरा की ये असलियत देख कर उस के पैरों तले जमीन खिसक गई थी. उसे समझ ही नहीं आया कि अब वो करे तो क्या करे.

आखिरकार दिनेश ने नामरा की इस धमकी से बचने के लिए उस के पति से बात कर मामले का हल ढूंढने की कोशिश की. इस पर पति ने दोटूक जवाब दे दिया कि अगर उस ने नामरा की बात नहीं मानी तो वो वाकई उसे जेल जाना पड़ेगा. और फिर इस के बाद नामरा और उस के पति द्वारा रुपए वसूलने की शुरुआत हो गई.

वे उस से किस्तों में रुपए वसूलते रहे, जो 80 लाख रुपए तक पहुंच गई. फिर तो हालत ऐसी हुई कि उस के पास रुपए खत्म हो गए, लेकिन नामरा और उस के पति की मांग खत्म नहीं हुई. आखिरकार उसे अपने पिता के अकाउंट से 5 लाख रुपए ट्रांसफर करने पड़े.

दिनेश के पिता की पहल पर ही नामरा के खिलाफ 26 नवंबर, 2022 को गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने में शिकायत दर्ज की गई. उस के बाद कई प्रयासों के बाद नामरा की 5 दिसंबर, 2022 को गिरफ्तारी हुई.

पूछताछ के बाद उसे न्यायालय में पेश करने के बाद जेल भेज दिया.

इस मामले में गुरुग्राम के सेक्टर 50 थाने के एसएचओ राजेश कुमार ने नामरा कादिर के 2 बैंक खातों को फ्रीज करा दिया. साथ ही घरेलू और अन्य कीमती सामान, जो उस ने जबरन वसूली के पैसे से खरीदे थे, को भी जब्त कर लिया. उस का पति विराट बेनीवाल कथा लिखे जाने तक फरार था.      द्य

—कथा समाचार पत्रों, वेबसाइटों में प्रसारित रिपोर्ट्स तथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा को सिलसिलेवार बनाने के लिए नाटकीय रूप दिया गया है.

शादी का झांसा देने वाला फरजी सीबीआई अधिकारी

बुढ़ापे का इश्क : चंपा ने पूरी की मदन की इच्छा

संजय वर्मा का परिवार दिल्ली के हुमायूंपुर में रहता था, लेकिन उस के पिता मदनमोहन वर्मा रिटायरमेंट  के बाद उत्तरपूर्वी दिल्ली के भजनपुरा में अकेले ही रहते थे. पिता और पुत्र अपनीअपनी दुनिया में मस्त थे.

22 जुलाई, 2017 की सुबह भजनपुरा में मदनमोहन के पड़ोस में रहने वाले विजय ने संजय वर्मा को फोन कर के बताया, ‘‘आप के पिता के कमरे का कल सुबह से ताला बंद है. उन के कमरे से तेज बदबू आ रही है.’’

विजय की बात सुन कर संजय वर्मा को पिता की चिंता हुई. उन्होंने उसी समय पिता का नंबर मिलाया, तो उन का फोन स्विच्ड औफ मिला. फोन बंद मिलने पर उन की चिंता और बढ़ गई. इस के बाद वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित अपने पिता के तीसरी मंजिल स्थित कमरे पर पहुंच गए.

संजय को भी पिता के कमरे से तेज दुर्गंध आती महसूस हुई. उस के मन में तरहतरह की आशंकाएं आने लगीं. कहीं उन के साथ कोई अनहोनी तो नहीं घट गई, यह सोच कर उस ने अपने मोबाइल फोन से दिल्ली पुलिस के कंट्रोलरूम को फोन कर के पिता के बंद कमरे से आ रही बदबू की सूचना दे दी. यह क्षेत्र थाना भजनपुरा के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोलरूम से यह सूचना थाना भजनपुरा को प्रेषित कर दी गई.

सूचना पा कर एएसआई हरकेश कुमार हैडकांस्टेबल सतेंदर कुमार को अपने साथ ले कर घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. जैसे ही वह भजनपुरा के सी ब्लौक स्थित मकान नंबर 412 की तीसरी मंजिल पर पहुंचे, वहां बालकनी पर कुछ लोगों की भीड़ लगी दिखाई दी. उन्हीं के बीच संजय परेशान हालत में मिला.

एएसआई हरकेश कुमार को अपना परिचय देते हुए संजय ने बताया, ‘‘सर, मैं ने ही पीसीआर को फोन किया था.’’

जिस कमरे से बदबू आ रही थी, उस के बाहर ताला लगा था. इस से उन्होंने सहज ही अनुमान लगा लिया कि जरूर कोई अप्रिय घटना घटी है. इसलिए उन्होंने इस की जानकारी थानाप्रभारी अरुण कुमार को दे दी.

कुछ ही देर में थानाप्रभारी अन्य स्टाफ के साथ वहां आ पहुंचे. कमरे के बाहर लटके ताले की चाबी संजय के पास नहीं थी, इसलिए पुलिस ने ताला तोड़ दिया. दरवाजा खुलते ही दुर्गंध का झोंका आया. पुलिस कमरे में दाखिल हुई तो पूरब दिशा की ओर की दीवार से सटे दीवान के अंदर एक अधेड़ आदमी की सड़ीगली लाश एक कार्टून में बंद मिली.

लाश देख कर संजय रोने लगा, क्योंकि वह लाश उस के पिता मदनमोहन वर्मा की थी. अरुण कुमार ने मौके पर क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम को भी बुला लिया. क्राइम इनवैस्टीगेशन टीम का काम निपट गया तो पुलिस लाश का निरीक्षण करने लगी. मृतक के सिर के पीछे चोट का गहरा निशान था.

दीवान के बौक्स में और उस के नीचे कमरे के फर्श पर खून फैला था, जो सूख चुका था. इस से अनुमान लगाया कि यह हत्या 2-3 दिन पहले की गई थी. कमरे में मौजूद सारा सामान अपनी जगह मौजूद था. इस से इस बात की पुष्टि हो गई कि हत्यारे का मकसद लूटपाट नहीं था.

हत्या क्यों की गई, यह जांच के बाद ही पता चल सकता था. पुलिस ने मौके की जरूरी काररवाई निपटाने के बाद लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल भेज दिया. इस के बाद थाने आ कर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया. इस मामले की जांच अतिरिक्त थानाप्रभारी राजीव रंजन को सौंपी.

इंसपेक्टर राजीव रंजन ने इस हत्याकांड की गुत्थी सुलझाने के लिए संभावित सुराग की तलाश में दोबारा घटनास्थल का निरीक्षण किया. उन्होंने मृतक के बेटे संजय वर्मा और वहां रहने वाले पड़ोसियों से काफी देर तक पूछताछ की. पड़ोसी विजय ने बताया कि उन्होंने आखिरी बार मदनमोहन वर्मा को 20 जुलाई की रात साढ़े 10 बजे कमरे के बाहर देखा था.

संजय ने उन्हें बताया था कि उस के पिता शुरू से ही अलग मिजाज के व्यक्ति थे. घर के लोगों में वह ज्यादा रुचि नहीं लेते थे. रिटायरमेंट के बाद बेटे और बहुओं के होते हुए भी वह यहां भजनपुरा में अलग रहते थे. उन की देखभाल करने नौकरानी चंपा आती थी. वह घर की साफसफाई, खाना बनाने के साथ उन के कपड़े भी धोती थी.

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नौकरानी चंपा का जिक्र आते ही इंसपेक्टर राजीव रंजन उस में रुचि लेने लगे. उन्होंने विजय को थाने में बुला कर पुन: पूछताछ की. उन्होंने नौकरानी के स्वभाव और उस के मदनमोहन के यहां आने और घर जाने के समय के बारे में पूछा. विजय ने बताया कि चंपा मदनमोहन वर्मा के काफी करीब थी. जिस दिन से उन के दरवाजे के बाहर ताला लगा था, पिछली रात को नौकरानी चंपा के जवान बेटे प्रेमनाथ को एक अन्य लड़के के साथ मकान के नीचे टहलते देखा था.

इंसपेक्टर राजीव रंजन विजय से चंपा का पता हासिल कर वह करावलनगर स्थित उस के घर पहुंच गए. चंपा और उस का पति कल्लन घर पर ही मिल गए.

इंसपेक्टर राजीव रंजन ने चंपा से पूछताछ की तो उस ने बताया, ‘‘कल सुबह मदनमोहन वर्मा के यहां काम करने गई थी, लेकिन कमरे का दरवाजा बंद होने के कारण लौट आई थी.’’

उस वक्त चंपा का बेटा प्रेमनाथ घर पर मौजूद नहीं था. राजीव रंजन चंपा से उस के बेटे का मोबाइल नंबर ले कर थाने आ गए.

अगले दिन जब पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो पता चला कि मदनमोहन का पहले गला घोंटा गया था, उस के बाद में सिर पर घातक चोट पहुंचाई गई थी. इस से इंसपेक्टर राजीव रंजन सोचने लगे कि ऐसी क्रूर हरकत तो कोई दुश्मन ही कर सकता है. यह दुश्मन कौन हो सकता है?

जांच में पुलिस को पता चला था कि सरकारी नौकरी के रिटायर होने के बाद का सारा पैसा मदनमोहन के बैंक एकाउंट में जमा था. वह किसी से पैसा न तो उधार लेते थे और न ही किसी को देते थे. और तो और, बेटों को भी उन्होंने उस में से कोई रकम नहीं दी थी.

राजीव रंजन ने चंपा के बेटे प्रेमनाथ का नंबर मिलाया तो वह स्विच्ड औफ मिला. इस से उन्हें उस पर शक हुआ. उस का नंबर सर्विलांस पर लगाने और काल डिटेल्स रिपोर्ट निकलवाने पर पता चला कि घटना वाली रात उस के फोन की लोकेशन उसी इलाके की थी, जहां मदनमोहन वर्मा रहते थे.

फिलहाल उस की लोकेशन उत्तर प्रदेश के मथुरा शहर की थी. प्रेमनाथ के बारे में गुप्तरूप से पता किया गया तो जानकारी मिली कि वह नशेड़ी होने के साथसाथ एक बार जेल भी जा चुका था. भजनपुरा थाने की एक पुलिस टीम प्रेमनाथ की तलाश में मथुरा भेजी गई. पुलिस टीम मथुरा पहुंची तो खबर मिली कि प्रेमनाथ दिल्ली चला गया है. पुलिस ने 24 जुलाई को मुखबिर की सूचना पर प्रेमनाथ को करावलनगर, दिल्ली के कजरी चौक से हिरासत में ले लिया.

थाने में जब उस से सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने स्वीकार कर लिया कि उसी ने अपने एक दोस्त के साथ मिल कर मदनमोहन वर्मा की हत्या की थी. उस ने हत्या की जो वजह बताई, वह इस प्रकार थी—

मदनमोहन वर्मा सपरिवार दिल्ली के सफदरजंग एनक्लेव के पास हुमायूंपुर में रहते थे. उन का भरापूरा परिवार था. उन के परिवार में पत्नी यशोधरा के अलावा 3 बेटे और एक बेटी थी. बड़ा बेटा संजय वर्मा है, जो दिल्ली की एक प्राइवेट फर्म में नौकरी करता है.

मदनमोहन वर्मा मिंटो रोड स्थित गवर्नमेंट प्रैस में नौकरी करते थे. अच्छे पद पर होने की वजह से उन के घर की आर्थिक स्थिति ठीकठाक थी. घर में सब कुछ होने के बावजूद वह परिवार के सदस्यों में कम रुचि लेते थे. पत्नी यशोधरा से भी उन का रिश्ता बहुत अच्छा नहीं था. दांपत्य जीवन में पति की बेरुखी यशोधरा को हमेशा परेशान करती रही.

वह चाहती थीं कि पति घरपरिवार की जरूरतों को समझें. बेटों के सुखदुख के मौके पर उन का साथ दें. पर उन की यह ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो सकी. आखिरकार पति की बेजा हरकतों और दांपत्य जीवन की कड़वाहट से तंग आ कर 4 साल पहले उन्होंने अपने कमरे में पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली.

उन की मौत के बाद मदनमोहन वर्मा ने घरेलू कामकाज के लिए नौकरानी चंपा को 9 हजार रुपए वेतन पर रख लिया. गोरे रंग और भरे बदन की चंपा की उम्र करीब 35 साल थी. वह सुबह 9 बजे उन के घर आती और सारा काम निपटा कर शाम को अपने घर चली जाती.

चंपा के काम से घर के सारे सदस्य संतुष्ट थे. कभीकभार चंपा को रुपएपैसों की जरूरत होती तो मनमोहन उस की मदद कर देते थे. बाद में वह चंपा पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हो गए. वह उस से कुछ ज्यादा ही हमदर्दी जताने लगे. चंपा भी अपने मालिक के दयालु स्वभाव से खुश थी.

जिस दिन मदनमोहन औफिस से जल्दी घर आ जाते या उन की छुट्टी होती तो चंपा बहुत खुश रहती. वह पूरे दिन उन के आसपास ही मंडराती रहती. घर के सदस्यों को चंपा की ये हरकतें नागवार गुजरने लगीं. संजय ने चंपा से साफ कह दिया कि वह पापा के कमरे में ज्यादा न जाया करे.

चंपा को नौकरी करनी थी, इसलिए उस ने संजय की बात मानते हुए उन के कमरे में आनाजाना कम कर दिया. मदनमोहन को इस बात का पता नहीं था कि चंपा को उन के  कमरे में आने के लिए रोक दिया गया है.

जब मदनमोहन को महसूस हुआ कि चंपा उन से दूर रहने लगी है तो एक दिन उन्होंने उस से पूछ लिया. तब चंपा ने बताया, ‘‘आप के बेटे और बहुओं की नाराजगी की वजह से मैं ने यह दूरी बनाई है.’’

चंपा की बात सुन कर मदनमोहन वर्मा को अपने परिवार वालों पर गुस्सा बहुत आया. वह अपने घर वालों के प्रति और कठोर हो गए. करीब 1 साल पहले जब वह रिटायर हुए तो उन्होंने घर में यह कह कर सब को चौंका दिया कि अब वह उन लोगों से अलग भजनपुरा में अकेले ही रहेंगे.

उन्होंने भजनपुरा में किराए पर कमरा ले भी लिया. रिटायरमेंट के बाद उन्हें करीब 20 लाख रुपए मिले थे. इस में से उन्होंने अपने बेटों को कुछ भी नहीं दिया, जबकि तीनों बेटों और बहुओं को उम्मीद थी कि ससुर के रिटायरमेंट के बाद जो पैसे मिलेंगे, उस में से कुछ उन्हें भी मिलेंगे.

मदनमोहन का तुगलकी फैसला सुन कर बेटों ने उन्हें समझाने की कोशिश की, पर उन के दिमाग में तो कुछ और ही खिचड़ी पक रही थी. दरअसल, उन के दिमाग में चंपा का यौवन मचल रहा था. अब वह अपनी बाकी की जिंदगी चंपा के साथ गुजारना चाहते थे. चंपा की खातिर उन्होंने खून के सभी रिश्तेनातों को दूर कर दिया.

इस उम्र में मदनमोहन के इस फैसले से उन के बेटों की कितनी बदनामी होगी, इस बात की भी उन्हें परवाह नहीं थी. उन्होंने किसी की एक नहीं सुनी और बेटों का साथ छोड़ कर भजनपुरा के सी-ब्लौक में कमरा ले कर अकेले रहने लगे.

चंपा भजनपुरा के पास स्थित करावलनगर में रहती थी. उस के परिवार में पति कल्लन के अलावा बेटे भी थे. मूलरूप से मथुरा का रहने वाला कल्लन कामचोर प्रवृत्ति का था. हरामखोर कल्लन बीवी की कमाई पर ऐश कर रहा था. जब कभी उसे पैसों की जरूरत होती, वह चंपा को ही मालिक से कर्ज मांगने के लिए उकसाता था.

अब चंपा रोज सुबह मदनमोहन के भजनपुरा स्थित कमरे पर आती और सारा दिन वहां का काम निपटा कर शाम को घर जाती थी. कुछ दिनों तक तो ऐसे ही चला, पर जब वह रात में भी वह मदनमोहन के कमरे में रुकने लगी तो आसपड़ोस के लोगों के बीच उन के रिश्तों को ले कर तरहतरह की चर्चाएं होने लगीं.

कुछ लोगों ने उस के पति कल्लन को भी उस की हरकतों की जानकारी दी, पर कल्लन को तो पहले से ही सब कुछ पता था. इसलिए उस ने लोगों की बातों को अनसुना कर दिया. इस तरह चंपा और मदनमोहन मौजमस्ती करते रहे.

धीरेधीरे चंपा के पड़ोसियों को भी पता चल गया कि चंपा ने किसी बुड्ढे को फांस लिया है. इस के बाद चंपा और मदनमोहन की चर्चा चंपा के मोहल्ले में होने लगी. चंपा का बेटा प्रेमनाथ 21 साल का हो चुका था. वह अब कोई बच्चा नहीं था, जो मोहल्ले के लोगों की बातों को न समझता.

कोईकोई तो उसे यह तक कह देता कि तेरे 2-2 बाप हैं. प्रेमनाथ कुछ करताधरता नहीं था. साथियों के साथ गांजा और कई अन्य नशे करता था. वह अपनी मां के मदनमोहन वर्मा की रखैल होने के ताने सुनसुन कर परेशान रहने लगा था. धीरेधीरे बात बरदाश्त से बाहर होती जा रही थी.

एक दिन तो एक दोस्त ने उस पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘अरे तुझे कामधंधे की क्या चिंता है, तेरे तो 2-2 बाप हैं. तुझे भला किस बात की कमी है?’’

दोस्त की यह बात प्रेमनाथ के कलेजे में नश्तर की तरह चुभी. जवानी का खून उबाल मारने लगा. उस ने अपने एक नाबालिग दोस्त सुमित (बदला हुआ नाम) को अपना सारा दर्द बताते हुए कहा, ‘‘सारे फसाद की जड़ बुड्ढा मदनमोहन वर्मा है. उसी के कारण लोग मुझे ताना देते हैं. अगर तुम मेरा साथ दो तो मैं आज ही उसे ठिकाने लगा दूं.

इस उम्र की दोस्ती बड़ी खतरनाक होती है. दोस्त का दुख अपना दुख होता है. प्रेमनाथ की बात सुन कर सुमित उस का साथ देने को तैयार हो गया. 20 जुलाई, 2017 की रात दोनों दोस्त पूर्व नियोजित योजना के अनुसार, मदनमोहन के घर के आसपास तब तक चक्कर लगाते रहे जब तक कि वहां लोगों की लाइटें बंद नहीं हो गईं.

सड़क से मदनमोहन का कमरा साफ दिखाई देता था. जब मदनमोहन के पड़ोसी कमरा बंद कर के सोने चले गए तो दोनों नशा कर के सीढि़यों से तीसरी मंजिल स्थित मदनमोहन के कमरे के सामने पहुंच गए. उस रात अत्याधिक गरमी होने के कारण मदनमोहन ने कमरे का दरवाजा खोल दिया था. वह सोने की तैयारी में थे.

वह प्रेमनाथ को जानते थे, क्योंकि 2-3 बार वह मां के साथ उन के कमरे पर आ चुका था. इतनी रात को प्रेमनाथ को अपने कमरे के बाहर देख कर मदनमोहन कांप उठे. हिम्मत जुटा कर उन्होंने उसे बाहर जाने के लिए को कहा. लेकिन प्रेमनाथ और सुमित ने 61 साल के मदनमोहन वर्मा को संभलने का मौका दिए बगैर साथ लाया अंगौछा उस की गरदन में लपेट कर दोनों ने पूरी ताकत से कस दिया.

मदनमोहन ने बचने के लिए हाथपांव मारे, लेकिन उन की कोशिश नाकाम रही. कुछ ही देर में उन की मौत हो गई. वह जीवित न बच जाएं, इसलिए प्रेमनाथ ने वहां पड़ा डंडा उठा कर उन के सिर पर मारा, जिस से सिर से खून बहने लगा.

इतना करने के बाद उन्होंने लाश को कमरे में रखे एक कार्टून में बंद कर के उसे दीवान के बौक्स में रख दिया और बाहर आ गए. प्रेमनाथ ने दरवाजे में ताला लगाया और नीचे उतर कर दोनों फरार हो गए.

अतिरिक्त थानाप्रभारी राजीव रंजन ने पूछताछ के बाद प्रेमनाथ को 25 जुलाई को अदालत में पेश कर एक दिन के रिमांड पर लिया. रिमांड अवधि में उस से वह अंगौछा भी बरामद कर लिया गया, जिस से मदनमोहन वर्मा का गला घोंटा गया था. रिमांड अवधि समाप्त होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. अगले दिन पुलिस ने उस के साथी सुमित को भी गिरफ्तार कर उसे बाल न्यायालय में पेश कर उसे बाल सुधार गृह भेज दिया.

– कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

फरेबी प्यार में हारी अय्याशी – भाग 3

पुनीत नर्मदा नदी के बुधनी घाट पर पूजापाठ करता था. सुंदर लड़कियां उस की कमजोरी थीं. वह लड़कियों को देख कर जल्दी फिसल जाता था. अंजू से प्यार हो जाने के बाद उस ने अंजू के घर वालों के सामने शादी का प्रस्ताव रखा था, लेकिन जब वे लोग राजी नहीं हुए तो वह अंजू को भगा कर ले गया और कोर्ट में शादी कर ली.

शादी के एक साल बाद ही अंजू ने एक बेटे को जन्म दिया. उस के बाद पुनीत के सिर से प्यार का खुमार उतर गया और वह अंजू के साथ मारपीट करने लगा.

वह अपने बेटे को ही बेचने की धमकी देने लगा.

यह बात राजाराम गोस्वामी के परिवार को चली तो वे पुनीत से और ज्यादा नफरत करने लगे. राजू रघुवंशी को जब अंजू की दयनीय हालत का पता चला तो वह अंजू से हमदर्दी रखने लगा. वह अकसर यही सोचता कि अगर किसी तरह पुनीत को रास्ते से हटा दे तो अंजू को फिर से हासिल कर सकता है. इसी वजह से उस ने प्रदीप के बनाए प्लान में शामिल हो कर पुनीत की हत्या करने की योजना बनाई.

22 साल की नूरजहां राजाराम गोस्वामी के नाबालिग बेटे प्रदीप पर इस कदर फिदा थी कि उस का प्यार पाने के लिए कुछ भी कुरबान करने को तैयार थी. अपने प्रेमी के कहने पर नूरजहां ने पुनीत से नजदीकी बनाई और और उसे अपने प्रेमजाल में फांस लिया.

नूरजहां  फोन पर पुनीत से घंटों बातें किया करती थी और उसे संबंध बनाने के लिए सोहागपुर बुलाती थी, मगर पुनीत के मन में यह डर बना रहता था कि कहीं उस का साला प्रदीप उस के साथ कोई बदसलूकी न कर दे.

पुनीत दिलफेंक आशिक था. वह नूरजहां के आमंत्रण को ज्यादा दिनों तक नहीं टाल सका. जब 26 नवंबर, 2022 को नूरजहां ने बातचीत के दौरान पुनीत से सोहागपुर आने की बात कही तो उस ने आने की स्वीकृति दे दी.

जब नूरजहां और पुनीत मोबाइल पर बात कर रहे थे तब साला प्रदीप कौन्फ्रैंस काल के माध्यम से दोनों की बातें सुन रहा था. योजना के मुताबिक नूरजहां ने पुनीत को सोहागपुर के रेलवे पुल के पास मिलने के लिए बुलाया.

शाम होतेहोते पुनीत रेलवे पुल पर पहुंच गया. लेकिन वहां नूरजहां नहीं पहुंची. रेलवे पुल के नीचे पुनीत की नजर दूर खड़े अपने साले प्रदीप पर पड़ी तो वह वहां से भाग निकला और पुराने बसस्टैंड पर चायपान की एक दुकान पर बैठ गया.

वहां से पुनीत ने नूरजहां को फोन कर के पूछा, ‘‘तुम मिलने क्यों नहीं आईं?’’

‘‘आज घर से निकलने का कोई बहाना नहीं मिला,’’ नूरजहां बोली.

‘‘तो फिर तुम्हारे घर पर ही आ जाऊं?’’ पुनीत बोला.

‘‘नहीं, आज अब्बू घर पर ही हैं.’’ नूरजहां ने मना करते हुए कहा.

इसी बीच राजू रघुवंशी ने पुनीत को फोन कर के पूछा, ‘‘पुनीत, कहां हो भाई? आज मिल कर कहीं पार्टी करते हैं.’’

‘‘मैं तो इसी इंतजार में हूं, तुम सोहागपुर आ जाओ.’’ पुनीत बोला.

राजू और पुनीत की आपस में दोस्ती थी और अकसर वे साथ बैठ कर शराब के जाम छलकाते थे. दोनों की फोन पर बात होती रहती थी, इसलिए राजू ने फोन पर पुनीत से कहा, ‘‘मुझे सोहागपुर पहुंचने में थोड़ा समय लगेगा. जब तक वह अपने दोस्त लकी को उस के पास भेज रहा है. उस के साथ मंडी में बैठ कर दारू पियो, तब तक मैं आ रहा हूं. फिर घर चलते हैं वहीं तुम रुक जाना.’’

पुनीत सोहागपुर नूरजहां से मिलने के लिए आया था, परंतु शराब की तलब के कारण वह राजू की बातों में आ गया. रात होते होते राजू के कहने पर लकी कहार पुनीत को ले कर मंडी परिसर पहुंच गया, जहां दोनों ने जम कर शराब पी.

जब पुनीत शराब के नशे में चूर हो गया, तभी राजू के साथ प्रदीप भी वहां पहुंच गया. तीनों ने मिल कर पुनीत के साथ मारपीट शुरू कर दी. लकी और प्रदीप ने पुनीत के पैर पकड़ लिए, तभी राजू ने बांका मार कर बेरहमी से उस की हत्या कर दी.

हत्या के बाद तीनों पुनीत के शव को घसीट कर मंडी परिसर में बने नाले में फेंक आए और घटनास्थल पर खून के निशानों को मिटाने के लिए पास में पड़ी रेत मिट्टी ला कर डाल दी. लाश की शिनाख्त न हो सके, इस के लिए तीनों ने उस का मोबाइल और  पर्स भी निकाल लिया.

इस खुलासे के बाद पुलिस ने लकी कहार और नूरजहां को हिरासत में ले लिया. हत्या के मुख्य आरोपी राजू की तलाश करने जब पुलिस टीम उस के गांव पहुंची तो पता चला, वह किसी काम से पिपरिया गया है.

जब पुलिस टीम उस की तलाश में पिपरिया पहुंची तो पुलिस को देख कर राजू बीच बाजार में भाग खड़ा हुआ, जहां पुलिस ने फिल्मी अंदाज में राजू को बीच बाजार से घेराबंदी कर दौड़ा कर पकड़ लिया.

पुलिस हिरासत में आते ही राजू ने पुनीत की हत्या करने की बात स्वीकार कर ली. राजू की निशानदेही पर हत्या में प्रयोग हुए हथियार बांका, पर्स, मोबाइल आदि सामग्री, जो राजू के घर नवलगांव में भूसे के अंदर छिपा कर रखी गई थी, उसे बरामद कर लिया.

पुलिस ने प्रैस कौन्फ्रैंस में मामले का खुलासा किया और हत्या के आरोपी राजू रघुवंशी, नूरजहां और लकी कहार को भादंवि की धारा 302, 201,120 एवं आर्म्स एक्ट की धारा 25 के तहत मामला दर्ज कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें होशंगाबाद जेल भेज दिया गया. जबकि नाबालिग प्रदीप को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.   द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में प्रदीप परिवर्तित नाम है.