बबिता का खूनी रोहन – भाग 4

रोहन के प्यार में डूबी बबीता अकसर उस से फोन पर लंबीलंबी बातें करती. रात में भी दोनों चोरीछिपे प्यार भरी बातें करते और दोनों वाट्सऐप पर भी एकदूसरे को मैसेज करते रहते थे. रोहन तो बबीता को काम कलाओं की अश्लील तस्वीरें तथा वीडियो तक वाट्सऐप पर भेजने लगा.

पहली जनवरी की रात की बात है. बबीता उस वक्त बाथरूम में थी. फोन बैड पर रखा था. उसी वक्त वाट्सऐप पर एक मैसेज का नोटिफिकेशन देख पति भीमराज ने फोन उठा कर देख लिया. संयोग से फोन में लौक नहीं लगा था.

मैसेज देखते ही भीमराज के पांव तले की जमीन जैसे खिसक गई, फोन में पड़े दरजनों अश्लील फोटो और वीडियो तथा चैट देख कर भीमराज का शरीर गुस्से से कांपने लगा. उस दिन भीमराज के सामने साफ हो गया कि उस की पत्नी के किसी युवक से नाजायज संबध हैं और उस ने युवक का नंबर लाइफ के नाम से अपने फोन में सेव किया हुआ है. उस रात भीमराज और बबीता के बीच इस बात को ले कर जम कर झगड़ा हुआ और भीमराज ने अपनी पत्नी की जम कर पिटाई कर दी.

बस इस के बाद तो यह आए दिन की बात हो गई. जब एक बार शक का कीड़ा दांपत्य जीवन में आ जाता है तो बसीबसाई गृहस्थी बिखर जाती है. लेकिन यहां तो शक नहीं एक सच्चाई थी, जो उजागर हो गई थी.

रोहन को घर बुलवा कर की पिटाई

कुछ रोज बाद भीमराज ने बबीता के साथ मारपीट कर उस से रोहन को फोन करवाया और उसे घर आने के लिए कहा. रोहन जब घर पहुंचा और वहां भीमराज को देखा तो समझ गया कि उस की पोल खुल चुकी है. भीमराज ने उस दिन रोहन की भी पिटाई कर दी और धमकी दी कि अगर उस ने बबीता का पीछा नहीं छोड़ा तो वह उसे जेल भिजवा देगा. जेल जाने के डर से उस समय रोहन अपमान का घूंट पी कर रह गया.

लेकिन इस के बाद भीमराज व बबीता में आए दिन झगड़े होने लगे. एक दिन इसी से आजिज आ कर बबीता ने रोहन से मुलाकात की और उस से कहा कि अगर वह उस से सच्चा प्यार करता है तो किसी भी तरह उसे भीमराज से छुटकारा दिला दे. उस ने रोहन से अपने पति की हत्या करने के लिए कहा. साथ ही वादा किया कि अगर वह ऐसा कर देगा तो वह उसे अपने साथ रख लेगी. उस का अपना मकान है. वह खुद भी कमाती है दोनों साथ मिल कर आगे की जिंदगी खुशी से बिताएंगे.

रोहन तो पहले से ही अपमान की आग में जल रहा था. बबीता के कहने पर रोहन आवेश में आ गया और उस ने बिना सोचेसमझे व अंजाम की परवाह किए भीमराज की हत्या की साजिश रच डाली. उस ने सब से पहले  एक पिस्तौल और कारतूस की व्यवस्था की. इस के बाद उस ने कई दिन तक बबीता से फोन पर जानकारी ले कर भीमराज की दिनचर्या का पता लगाना शुरू कर दिया और उस की रेकी करने लगा. बबीता उसे सब कुछ बताती रही कि वह कब घर से निकला है, कब और कहां जा रहा है.

रोहन ने 10 मार्च, 2021 का दिन चुना. उस दिन वह अपनी बाइक ले कर सुबह ही घर से निकल पड़ा. वह भीमराज के घर से करीब 3 किलोमीटर दूर हुडको प्लेस के पास भीमराज का इंतजार करने लगा.

दरअसल, भीमराज औफिस जाने से पहले यहां बने पार्क में घूमने जाता था. काफी देर तक वह भीमराज को मारने का मौका देखता रहा, लेकिन भीड़ ज्यादा होने के कारण उसे मौका नहीं मिला.

सुबह करीब साढ़े 8 बजे भीमराज पार्क से निकला और अपनी वैगनआर पार्किंग से निकाल कर घर की तरफ रवाना हो गया. रोहन भी बाइक से उस का पीछा करने लगा. कोई पहचान न ले, इसलिए उस ने हाथ में पकड़ा हेलमेट सिर पर लगा लिया और अपनी बाइक की दोनों नंबर प्लेटें थोड़ी मोड़ लीं ताकि कोई उस का नंबर न पढ़ सके.

रोहन को एंड्रयूजगंज में बिजलीघर के पास मौका मिला, जहां भीमराज की गाड़ी की स्पीड कम थी और उस ने वहां पिस्तौल निकाल कर उस की गरदन पर गोली मार दी.

रोहन से पूछताछ के बाद पूरी वारदात का खुलासा हो चुका था, इसलिए पुलिस ने हत्या की साजिश में शामिल भीमराज की पत्नी बबीता को भी गिरफ्तार कर लिया. बबीता ने भी पूछताछ में अपने जुर्म का इकबाल कर लिया और बताया कि अपनी उपेक्षा से तंग आ कर उस ने रोहन के साथ संबध बनाए थे और खुलासा होने पर जब भीमराज अकसर उस से मारपीट करने लगा तो तंग आ कर उस ने उसे रास्ते से हटाने की साजिश रची.

पुलिस ने आरोपी रोहन की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त पिस्तौल, 2 जिंदा कारतूस तथा महिंद्रा सेंटुरो बाइक भी बरामद कर ली. पुलिस ने जिस दिन रोहन व बबीता को गिरफ्तार किया, उसी दिन यानी 11 मार्च की शाम को इलाज के दौरान भीमराज की मौत हो गई.

डिफेंस कालोनी पुलिस ने मुकदमे में हत्या की धारा 302, 34 आईपीसी व आर्म्स एक्ट की धारा जोड़ कर दोनों अभियुक्तों को अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. अधेड़ उम्र की बबीता ने अपनी से आधी उम्र के आशिक के साथ ऐश करने के सपने संजोए थे, अब वह उसी के साथ तिहाड़ जेल की सलाखों के पीछे पहुंच चुकी है.

खूबसूरती की जलन का तेजाबी हमला

5 नवंबर, 2016 की शाम के यही कोई साढ़े 6-7 बजे थे. उत्तर प्रदेश के जिला इलाहाबाद के गंगापार स्थित थाना बहरिया के गांव रामगढ़ कोठारी के रहने वाले श्यामलोदत्त मिश्रा की बेटी रेखा अपनी चचेरी बहनों राधा और श्रेया के साथ खेतों से लौट रही थी. तीनों बहनें गांव के करीब पहुंची थीं कि उन के पास एक पल्सर मोटरसाइकिल आ कर रुकी. उस पर 2 लोग सवार थे.

उनके पहनावे और कदकाठी से लग रहा था कि उनकी उम्र ज्यादा नहीं थी.  पास में मोटरसाइकिल रुकने से तीनों बहनें ठिठक कर रुक गईं. मोटरसाइकिल सवार गांव के नहीं थे, इसलिए उन्हें लगा कि शायद वे उन से किसी के घर का रास्ता पूछेंगे. लेकिन रास्ता पूछने के बजाय मोटरसाइकिल पर पीछे बैठा युवक फुरती से उतरा. उस के हाथ में एक बोतल थी. तीनों बहनें कुछ समझ पातीं, उस के पहले ही उस ने बोतल का ढक्कन खोला और उस में जो भरा था, उसे तीनों बहनों की ओर उछाल दिया. बोतल का तरल जैसे ही उन के चेहरों पर पड़ा, जलन से तीनों बिलबिला उठीं.

मोटरसाइकिल स्टार्ट ही थी. युवक अपना काम कर के मोटरसाइकिल पर जैसे ही बैठा, मोटरसाइकिल एकदम से चल पड़ी. तीनों लड़कियां जलन से चीखनेचिल्लाने लगीं, क्योंकि उन के चेहरों पर फेंका तरल पदार्थ तेजाब था. उन की चीखपुकार पर पूरा गांव इकट्ठा हो गया और टार्च की रोशनी में जब उन के चेहरों को देखा गया तो देखने वालों के रोंगटे खडे़ हो गए.

लड़कियों की स्थिति काफी गंभीर थी. तुरंत सौ नंबर पर फोन कर के घटना की सूचना दी गई. सूचना मिलते ही थाना बहरिया पुलिस के अलावा पुलिस अधिकारी भी एंबुलैंस के साथ गांव कोठारी आ पहुंचे. थानाप्रभारी अश्विनी कुमार सिंह भदौरिया ने तुरंत तीनों लड़कियों को अस्पताल भिजवाया.

घटना की सूचना पा कर आईजी के.एस. प्रताप कुमार, डीआईजी विजय यादव, एसएसपी शलभ माथुर भी तीनों लड़कियों का हालचाल लेने अस्पताल पहुंच गए थे.

अधिकारियों ने पीडि़त बहनों के चेहरों पर नजर डाली तो यह देख कर आश्वस्त हुए कि उन की आंखें सलीसलामत थीं. उन के शरीर पर जहांजहां तेजाब पड़ा था, वहां की त्वचा झुलस गई थी. तीनों बहनों ने जो शाल ओढ़ रखी थी, तेजाब पड़ने से उन में जगहजगह छेद हो गए थे. अगर वे शाल न ओढे होतीं तो शायद और ज्यादा जल सकती थीं.

पुलिस अधिकारियों ने पीडि़त लड़कियों के घर वालों से पूछताछ की, ताकि हमलावरों के बारे में कुछ पता चल सके. इस पूछताछ में पता चला कि श्यामलोदत्त का अपने पड़ोसी से रास्ते को ले कर विवाद चल रहा था. इसी के साथ यह भी पता चला कि तेजाबी हमले से झुलसी श्रेया का पड़ोस की रहने वाली पिंकी मिश्रा से किसी बात को ले कर विवाद हो गया था. श्रेया, पिंकी और रेखा एक ही कालेज में पढ़ती थीं.

आईजी के निर्देश पर इन दोनों बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाई गई तो दोनों का ही इस घटना से कोई संबंध नहीं निकला. पुलिस अधिकारियों के जेहन में एक ही सवाल कौंध रहा था कि गांव में कोई तो ऐसा होगा, जो इन लड़कियों की हर गतिविधियों पर गिद्धदृष्टि जमाए था.

वही पलपल की जानकारी हमला करने वालों को देता रहा होगा. जिसजिस पर पुलिस को शक हुआ, उस से पूछताछ की गई, लेकिन पुलिस को सफलता नहीं मिली. एसएसपी शलभ माथुर ने मामले को सुलझाने में इंटेलीजेंस विंग के तेजतर्रार इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह और एसआई नागेश कुमार सिंह को भी आवश्यक दिशानिर्देश दे कर लगा दिया.

अनिरुद्ध कुमार सिंह ने अस्पताल पहुंच कर तीनों बहनों से एक बार फिर पूछताछ की. श्रेया ने बताया कि उन के ऊपर तेजाब फेंकने के बाद एक हमलावर ने किसी को फोन कर के कहा था कि ‘काम हो गया है.’

इस पूछताछ के बाद उन्होंने अपनी टीम के तेजतर्रार हैडकांस्टेबल इंद्रप्रताप सिंह, जितेंद्र पाल सिंह, कांस्टेबल पवन सिंह, अभय कुमार सिंह, रविसेन सिंह बिसेन व स्वाट टीम प्रभारी नागेश कुमार सिंह, पंकज त्रिपाठी, हेमू पटेल, अनुराग, विजय यादव, दीपक कुमार आदि से इस विषय में गहन मंत्रणा कर सभी को सामान्य कपड़ों में कोठारी गांव के इर्दगिर्द लगा दिया. मुखबिरों को भी सतर्क कर दिया था.

इस के अलावा थाना बहरिया के थानाप्रभारी अश्विनी कुमार भदौरिया भी इस मामले का खुलासा करने में अपनी टीम के साथ लगे हुए थे. पुलिस यह मान कर चल रही थी कि कहीं यह हमला प्रेमप्रसंग को ले कर तो नहीं हुआ. हमलावर एक लड़की को निशाना बनाने आए होंगे, बाकी दोनों लड़कियां साथ होने की वजह से चपेट में आ गई होंगी.

यहां एक बात गौर करने वाली यह थी कि इन में से राधा अपनी ससुराल महेपुरा से कुछ दिनों पहले ही मायके आई थी. इसी साल 11 जुलाई, 2016 को उस का विवाह हुआ था.

इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह की सोच यहीं आ कर टिक गई. उन्हें लगा कि हमलावर इन लड़कियों के आसपास रहते होंगे या जिस के इशारे पर यह वारदात की गई है, वह इन के आसपास रहता होगा. क्योंकि उस आदमी को इन बहनों की एकएक पल की जानकारी थी. और उचित मौका देख कर हमलावरों को मोबाइल द्वारा सटीक सूचना दे कर उन पर एसिड अटैक करवा दिया गया था.

इस दिशा में जांच की गई तो पता चला कि श्यामलोदत्त मिश्रा के पड़ोसी रामचंद्र मिश्रा की बेटी पिंकी की शादी सन 2012 में थाना बहरिया के गांव महेपुरा के योगेश तिवारी के साथ हुई थी. उसी गांव में राधा की ससुराल थी. सन 2014 में योगेश ने पिंकी पर बदचलनी और गहनों की चोरी का आरोप लगा कर उसे छोड़ दिया था. तब से वह मायके में ही रह रही थी.

पिंकी नहीं चाहती थी कि उस की ससुराल वाले गांव में राधा की शादी हो. शादी रोकने के लिए उस ने तरहतरह की बातें कहीं, पर उस की सारी कोशिश उस समय बेकार हो गई, जब राधा दुल्हन बन कर उसी गांव में पहुंच गई. पिंकी इस से जलभुन गई. शादी वाले दिन ही पिंकी ने उस से झगड़ा किया था.

इन बातों से पिंकी पुलिस के शक के दायरे में आ गई. पुलिस ने उसे थाने बुला कर पूछताछ शुरू की. पुलिस के सामने अपना दुखड़ा रोते हुए उस ने कहा कि वह तो खुद ही परेशान है. पति ने छोड़ रखा है, जिस का मुकदमा कोर्ट में चल रहा है. पुलिस ने उस की बातों पर विश्वास कर के उसे छोड़ दिया. मगर उस पर पुलिस की पैनी निगाह बराबर जमी रही. क्योंकि वह अभी भी शक के दायरे में थी.

अब तक की जांच में पुलिस को एक नई बात यह पता चली कि शादीशुदा होने के बावजूद पिंकी का थाना बहरिया के गांव राजेपुरा निवासी नफीस अहमद उर्फ जया से प्रेमसंबंध था. यह संबंध पिंकी की शादी से पहले से चला आ रहा था. इस बारे में उस के ससुराल वालों को पता चल गया था.

इस के बाद ही उस के पति योगेश तिवारी ने उस पर बदचलनी और गहनों की चोरी का आरोप लगा कर सन 2014 में उसे छोड़ दिया था. इस के बाद पिंकी के घर वालों ने योगेश और उस के घर वालों पर दहेज एक्ट और उत्पीड़न का मुकदमा दर्ज करा दिया था, जो माननीय उच्च न्यायालय इलाहाबाद में मिडिएशन पर चल रहा है. इस के बावजूद पिंकी और उस के घर वाले गांव के ही जगतनारायण मिश्रा, जिन्होंने पिंकी और योगेश की शादी कराई थी, पर बराबर दबाव बनाए हुए थे कि किसी प्रकार से दोनों पक्षों में समझौता करा दें. जगतनारायण मिश्रा समझौता तो नहीं करा सके, पर उन्होंने पिंकी की ससुराल वाले गांव में राधा का ब्याह जरूर करा दिया था.

यह जानकारी मिलने के बाद इंसपेक्टर अनिरुद्ध कुमार सिंह बिना समय गंवाए पिंकी के प्रेमी नफीस उर्फ जया को उस के घर पर छापा मार कर हिरासत में ले लिया. थाने में उस से पूछताछ की गई तो उस ने कहा, ‘‘साहब, मैं निर्दोष हूं. मेरा इस मामले में कोई लेनादेना नहीं है. मेरे पास बोलेरो गाड़ी है और पिंकी के पिता के पास अरमादा की मार्शल, जिन्हें मैं ही किराए पर चलवाता हूं, इसी वजह से मेरा उन के यहां आनाजाना लगा रहता है. पिंकी से मेरा कोई लेनादेना नहीं है.’’

अनिरुद्ध कुमार सिंह को लग रहा था कि यह झूठ बोल रहा है, इसलिए उन्होंने उस के और पिंकी के फोन नंबरों की जो काल डिटेल्स निकलवाई थी, उसे उस के सामने रखा तो वह सकपका गया. इस से साफ था कि घटना वाले दिन 5 नवंबर, 2016 की शाम साढ़े 7 बजे पिंकी और उस की एसिड अटैक से पहले और बाद में बातें हुई थीं.

इस के बाद नफीस ने अपना गुनाह कबूल करते हुए बताया कि उसी ने अपने साथी के साथ मिल कर तीनों बहनों पर तेजाब फेंका था. इस के बाद उस ने एसिड अटैक के पीछे की जो कहानी बताई, इस प्रकार थी—

पिंकी और नफीस के बीच कालेज समय यानी सन 2008 से ही प्रेमसंबंध चले आ रहे थे. पिंकी ने नफीस पर शादी के लिए कई बार दबाव डाला था, लेकिन नफीस तैयार नहीं हुआ था. वह जानता था कि यह गांवदेहात का मामला है, इसलिए शादी के बाद बवाल हो सकता है.

योगेश से शादी हो जाने के बाद भी पिंकी प्रेमी नफीस से संबंध बनाए रही. इस का नतीजा यह निकला कि ससुराल वालों को उस के प्रेमसंबंधों का पता चल गया और पति ने उसे छोड़ दिया. उस की ससुराल वाले गांव में ब्याही राधा जब भी मायके आती, अपनी चचेरी बहनों से खूब हंसहंस कर बातें करती.

इस से पिंकी को लगता कि तीनों बहनें उसी के बारे में बातें कर के हंस रही हैं और उस का मजाक उड़ा रही हैं. पिंकी के मन में यह बात इस तरह बैठ गई कि वह राधा, रेखा तथा श्रेया को दुश्मन मान बैठी और उन्हें सबक सिखाने के बारे में सोचने लगी. वह उन्हें ऐसा कर देना चाहती थी कि लोग उन के चेहरे को देख कर नफरत करें.

उसी बीच रेखा की शादी प्रतापगढ़ के रानीगंज में तय गई. 2 दिनों बाद लड़के वाले उसे देखने के लिए आने वाले थे. पिंकी किसी भी हाल में तीनों बहनों को खुश नहीं देखना चाहती थी. वह अपने प्रेमी नफीस से मिली और उस के कंधे पर अपना सिर रख कर रोते हुए बोली, ‘‘नफीस, मैं तुम से कितनी बार कह चुकी हूं कि मेरी पड़ोसन दुश्मन उन तीनों बहनों पर तेजाब फेंक कर उन का चेहरा ऐसा कर दो कि जिस तरह मैं विरह की आग में झुलस रही हूं, वही हाल उन का भी हो.’’

‘‘मैं तुम्हारी पीड़ा को अच्छी तरह समझ रहा हूं. लेकिन तुम राधा और उस की बहनों के प्रति जो सोच रही हो, वह गलत है. मैं इस तरह का गलत काम नहीं कर सकता.’’ नफीस ने कहा.

‘‘नफीस, अगर तुम मुझ से सच्ची मोहब्बत करते हो तो तुम्हें मेरा यह काम करना ही पड़ेगा. मेरी खुशी के लिए तुम मेरा यह छोटा सा काम नहीं कर सकते? तुम कैसे मर्द हो, पिछले 8 सालों से मैं तुम्हें अपना सब कुछ सौंपती आ रही हूं और तुम मेरा इतना सा काम कर नहीं कर सकते तो क्या खाक प्यार करते हो?’’ कह कर वह अपनी आंखों में छलके आंसुओं को हथेली से पोंछने लगी.

‘‘नही, ऐसी बात नहीं है पिंकी. मैं तुम्हारी खुशी के लिए कुछ भी कर सकता हूं.’’ नफीस ने कहा.

प्रेमी के मुंह से यह सुन कर पिंकी के चेहरे पर मुसकान आ गई, वह चहकते हुए बोली, ‘‘यह हुई न मर्दों वाली बात. सुनो, इस समय राधा मायके में ही है. रेखा की शादी होने से पहले तुम मेरा काम कर दो, जिस से उस की शादी न हो सके. जिस दिन तुम्हें यह काम करना हो, मुझे बता देना. मैं तुम्हें पलपल की सूचना देती रहूंगी.’’

पूरी योजना तैयार कर के नफीस ने तेजाब खरीद लिया. इस के बाद उस ने राजेपुरा के रहने वाले अपने दोस्त शफीक (परिवर्तित नाम) को अपनी योजना में शामिल कर लिया. शफीक नाबालिग था.

5 नवंबर, 2016 को वह पिंकी के फोन का इंतजार करने लगा. शाम साढ़े 7 बजे पिंकी ने उसे बताया कि रेखा, राधा और श्रेया खेतों की तरफ जा रही हैं. फिर क्या था, नफीस शफीक को मोटरसाइकिल पर बैठा कर चल पड़ा और तीनों बहनों के चेहरों पर तेजाब डाल कर लौट आया.

नफीस की निशानदेही पर पुलिस ने पिंकी, शफीक और तेजाब बेचने वाले दुकानदार रमाकांत यादव को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने शफीक को बाल न्यायालय में पेश कर बालसुधार गृह भेज दिया, जबकि पिंकी और नफीस को भादंवि की धारा 326ए, 120बी के तहत अदालत में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

– कथा मीडिया व पुलिस सूत्रों पर आधारित

अपना घर लूटा, पर मिली मौत – भाग 4

घर से निकलतेनिकलते शमिंदर बहन जसपिंदर से बोल कर गया था कि वह एक जरूरी काम से घर से शहर की ओर जा रहा है. उसे घर लौटते हुए दोपहर के 2 या 3 बज सकते हैं, तब तक मम्मी भी स्कूल से घर आ जाएंगी. तू इधरउधर कहीं मत जाना.

जसपिंदर कौर को पता था घर पर कोई नहीं है, घर पूरी तरह खाली है. अगर सही समय पर नहीं निकली तो कोई भी आ सकता है और भागने का प्लान मिस हो सकता है, इसलिए उस ने 11 बजे के करीब परमप्रीत को फोन किया कि तुम कहां हो, मैं आ रही हूं. उस ने यह नहीं बताया कि उस के पास 12 तोले सोने के गहने और 20 हजार रुपए कैश भी है. वह तो इन जेवरातों और रुपए से अपने जीवन के सुख प्रेमी के साथ खरीदने निकली थी.

बहरहाल, काल रिसीव करते हुए परम ने जसपिंदर को सुधार के जगरांव स्थित अखाड़ा पुल के पास पहुंचने को कहा. जसपिंदर उस के बताए स्थान पर 2 बजे के करीब पहुंची तो परम पोलो कार लिए उस के वहां पहुंचने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था.

परमप्रीत था केवल तन का प्यासा भौंरा

जसपिंदर के पहुंचते ही परम ने कार का आगे का दरवाजा खोल दिया और वह उस में बैठ गई थी. कार में जसपिंदर के बैठते ही परम ने कार रायकोट की ओर मोड़ ली. परम को देख कर वह बहुत खुश थी.

पीछे मुड़ कर उस ने देखा तो कार की पिछली सीट पर परम का जिगरी दोस्त एकमप्रीत सिंह बैठा था. वह परमप्रीत का हमराज था. जसपिंदर से प्यार वाली बात उस ने बहुत पहले ही शेयर कर दी थी.

सफर के दौरान कुछ देर तक दोनों के बीच प्यार वाली बातें होती रहीं. इस बीच उस ने यह बता दिया कि वह घर से जेवरात और नकदी साथ ले कर हमेशाहमेशा के लिए घर छोड़ कर उस के साथ आ गई है, अब लौट कर दोबारा घर नहीं जाएगी.

यह सुन कर परमप्रीत को सांप सूंघ गया कि वह क्या कह रही है. रास्ते भर जसपिंदर परमप्रीत पर शादी के लिए दबाव बनाती रही. परमप्रीत की नीयत बदल गई थी. वह तो उस से दिखावे का प्यार करता था. उस का असल मकसद तो जसपिंदर का दैहिक सुख पाना था, जो वह कब से लगातार पा रहा था. परम ने परमप्रीत से शादी करने से साफतौर पर मना कर दिया.

प्रेमी परमप्रीत की बात सुन कर जसपिंदर का माथा घूम गया कि वह अब क्या मुंह ले कर वापस घर जाएगी. इस बात को ले कर दोनों के बीच कार के भीतर ही खूब झगड़ा हुआ. परम ने भी अपना आपा खो दिया था. उस ने चलती कार एक साइड और सुनसान जगह देख कर रोक दी.

इस के बाद गुस्से से पागल परम और एकमप्रीत ने उस की चुनरी से उस का गला घोट कर उसे मौत के घाट उतार दिया और उस के जेवरात और 20 हजार रुपए ले लिए थे.

परम ने सोचीसमझी योजना के तहत जसपिंदर से पीछा छुड़ा लिया था. कार को परम घंटों इधरउधर घुमाता रहा ताकि अंधेरा हो जाए और उस की लाश को ठिकाने लगा दिया जाए.

संध्या होते ही परम कार को ले कर अबोहर ब्रांच के नारंगवाल बिजली ग्रिड के पास सुनसान जगह पहुंचा. दोनों ने शव को नहर में यह सोच कर डाल दिया था कि बहते पानी के साथ उस की लाश कहीं दूर तक बह जाएगी और इसी के साथ राज राज ही रह जाएगा. नहर में शव फेंकने के बाद दोनों वापस अपनेअपने घर लौट आए और नारमल तरीके से रहते हुए रात का खाना खा कर सो गए.

पिता ने ही दी बेटों के अपराध की खबर

परम ने भले ही शव को नहर में फेंक कर उसे ठिकाना लगा दिया. लेकिन अगली सुबह वह एकमप्रीत के साथ यह देखने के लिए नहर पहुंचा कि लाश की पोजीशन क्या है? उस ने देखा, लाश जहां फेंकी थी, वहीं पड़ी है.

यह देख कर दोनों घबरा गए और उन्हें पकड़े जाने का डर सताने लगा. आननफानन में दोनों ने नहर से उस की लाश निकाली और कार में रख कर फार्महाउस सुधार पहुंचे.

परमप्रीत और एकमप्रीत इतना डर गए थे कि उन्हें समझ में नहीं आ रहा था कि अब वे क्या करें? किस से मदद मांगें? अब तो पुलिस उन्हें पकड़ ही लेगी. जब कुछ नहीं सूझा तो परमप्रीत ने अपने बड़े भाई भवनप्रीत सिंह उर्फ भवना को अपने फार्महाउस पर बुलाया.

भवनप्रीत अपने दोस्त हरप्रीत सिंह, जो मैसूरां का रहने वाला था, को साथ ले कर उस की कार में सवार हो कर अपने फार्महाउस पहुंचा.

परम ने बड़े भाई भवनप्रीत से कुछ भी नहीं छिपाया और पूरी बात सचसच बता दी थी कि कब, क्या और कैसे हुआ था? भाई की बात सुन कर भवनप्रीत और उस का दोस्त हरप्रीत सिर पकड़ कर बैठ गए कि इश्क के चक्कर में कितना बड़ा गुनाह कर बैठा है.

यह वक्त पछताने का नहीं था. परम आखिर उस का भाई था. कानून के फंदे से उसे अपने भाई को बचाना था. फिर चारों ने मिल कर लाश को पराली से जला देने की योजना बनाई और उन्होंने योजना को प्रभाव में लाया भी लेकिन पराली से लाश नहीं जली.

तब उन्होंने उसे दफनाने की योजना बनाई. फिर चारों ने मिल कर एक जेसीबी वाले को यह कह कर अपने फार्महाउस बुलाया था कि उस का घोड़ा मर गया है, उसे दफनाना है, चल कर वह गड्ढा खोद कर चला जाए.

जेसीबी वाले ने फार्महाउस पहुंच कर अपना काम किया और वहां से अपनी मजदूरी ले कर चला गया. फिर चारों ने मिल कर जसविंदर की अधजली लाश जमीन में दफना कर उस पर भारी मात्रा में नमक छिड़क कर उसे ढक दिया और उस पर शीशम और सागौन के पेड़ लगा दिए ताकि किसी को कुछ पता न चले.

लेकिन परम के पिता हरपिंदर ने ही बेटों की करतूतों का राज फाश करते हुए उन्हें उन के किए की सजा कानून से दिलवा कर एक सच्चा भारतीय होने का फर्ज अदा किया.

आज उन्हीं की बदौलत जसपिंदर कौर हत्याकांड के चारों आरोपी परमप्रीत सिंह, भवनप्रीत सिंह, एकमप्रीत सिंह और हरप्रीत सिंह अपने किए की सजा जेल की सलाखों के पीछे भुगत रहे हैं. पुलिस ने आरोपियों के पास से जेवरात और कुछ नकदी भी बरामद कर ली थी.     द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

उम्मीदों से दूर निकला लिवइन पार्टनर – भाग 4

दिल्ली में उस ने प्रौपर्टी डीलिंग का काम शुरू किया, साथ ही वह पुरानी कारों की खरीदफरोख्त का बिजनैस भी करने लगा. दौलत बरसने लगी तो उसे शराबशबाब का शौक लग गया. नईनई लड़कियों को वह अपने बिस्तर पर लाने के लिए दोनों हाथों से खर्च करने लगा.

घर वाले उस के अय्याशी वाले शौक से अंजान थे. उन्हें इतना मालूम था कि मनप्रीत दिल्ली में अपने कारोबार से अच्छा कमा रहा है तो उन्होंने 2006 में उस की शादी कर दी. शुरूशुरू में मनप्रीत का दिल अपनी पत्नी में खूब लगा. पत्नी जब 2 बेटों की मां बन गई तो मनप्रीत को वह बासी और बेस्वाद लगने लगी. मनप्रीत की दिलचस्पी उस में खत्म हो गई. वह फिर अपने पुराने शौक की ओर लौट आया.

सन 2015 की गरमी का वह तपता महीना था. मनप्रीत किसी पार्टी के इंतजार में सड़क के किनारे अपनी कार में बैठा हुआ था, तब उस ने रेखा को पहली बार देखा था. एक ही नजर में रेखा उस के दिलोदिमाग पर छा गई थी.

उस रोज रेखा अपने काम पर लेट हो गई थी. वह तेजतेज कदमों से सड़क पर जा रही थी. गरमी से बेहाल पसीने से तर रेखा की बदहवासी पर न जाने क्यों मनप्रीत को तरस आ गया.

उस ने अपनी कार स्टार्ट की और रेखा के सामने ले आया. रेखा ठिठक कर रुक गई. मनप्रीत ने कार का दरवाजा खोल कर बेहिचक कहा, ‘‘कार में बैठ जाइए, मैं आप को उस जगह पहुंचा दूंगा, जहां पहुंचने के लिए आप बदहवास सी दौड़ी जा रही हैं.’’

रेखा ने उसे ध्यान से देखा था, जैसे वह यह जान लेना चाहती हो कि वह कोई मवाली या गुंडा तो नहीं है. रेखा को वह चेहरेमोहरे से शरीफ आदमी लगा, फिर भी उस ने अचकचा कर पूछा था, ‘‘आप मेरी मदद क्यों करना चाहते हैं?’’

‘‘क्योंकि आप परेशान हैं,’’ मनप्रीत ने जवाब दे कर हुक्म सा दिया, ‘‘चलिए, अब बैठ जाइए कार में.’’

रेखा न जाने क्या सोच कर कार में मनप्रीत के बराबर वाली सीट पर बैठ गई. कार आगे बढ़ी तो रेखा ने बड़ी सादगी से कहा, ‘‘मैं ने आप पर विश्वास किया है…’’

मनप्रीत ने हंसते हुए उस की बात काट दी, ‘‘डरिए मत, मैं आप को भगा कर नहीं ले जाऊंगा.’’

रेखा झेंप गई. मनप्रीत ने उसे वहां उतारा, जहां वह उतरना चाहती थी. रेखा ने कार से उतर कर मनप्रीत को धन्यवाद दिया तो वह मुसकरा पड़ा, ‘‘इस की कोई जरूरत नहीं, मैं ने इंसानियत के नाते आप की मदद की है.’’

रेखा के चेहरे पर मुसकान खिल गई. वह मुसकराती हुई अपनी फैक्ट्री की ओर चली गई.

उस दिन के बाद यह रोज का किस्सा बन गया. मनप्रीत उस वक्त अपनी कार ले कर उस जगह पहुंच जाता, जहां से रेखा सुबह 8 बजे से 9 बजे के बीच गुजरती थी. उस वक्त वह अपनी फैक्ट्री जाती थी.

 

मनप्रीत उसे कार में बिठाता और फैक्ट्री के सामने छोड़ आता. रेखा अब निस्संकोच मनप्रीत की कार में बैठने लगी थी. उस ने मनप्रीत की आंखों में अपने लिए चाहत देख देख ली थी. उस का भी झुकाव मनप्रीत की ओर होने लगा था.

थोड़े दिन बाद ही यह सिलसिला फैक्ट्री के दायरे से निकल कर दिल्ली के पिकनिक स्पौट की तरफ मुड़ गया.

मनप्रीत उसे कभी कुतुबमीनार ले कर जाता, कभी इंडिया गेट. अब वे दोनों एकदूसरे की चाहत बन गए थे. मनप्रीत रेखा पर दिल खोल कर खर्च करता. उसे बढि़या रेस्तरां में खाना खिलाता, कीमती गिफ्ट खरीद कर देता. रेखा उस का साथ पा कर बहुत खुश थी, उस की वे इच्छाएं, सपने पूरे होने लगे थे, जिसे वह खुली आंखों से देखती आई थी.

दोनों के प्यार का यह सिलसिला आहिस्ताआहिस्ता आगे बढ़ रहा था कि मनप्रीत उसे एक दिन झंडेवालान मंदिर में ले गया. पूजाअर्चना करने के बाद मंदिर के प्रांगण में उस ने रेखा का मुलायम हाथ अपने हाथ में ले कर गंभीर स्वर में कहा, ‘‘रेखा, जानती हो मैं तुम्हें यहां ले कर क्यों आया हूं?’’

‘‘मैं क्या जानूं, बताओ मुझे मां के द्वार पर क्यों ले कर आए हो?’’ रेखा ने पूछा.

‘‘मैं तुम्हें सच्चा प्यार करने लगा हूं रेखा. मैं तुम्हें अपने बहुत करीब रखना चाहता हूं. क्या तुम मेरा प्रस्ताव स्वीकार करोगी?’’

‘‘मनप्रीत, मुझे अपना बनाने से पहले तुम्हें मेरे बारे में जान लेना चाहिए, मैं कौन हूं, मेरा अतीत क्या है, तुम ने कभी यह नहीं पूछा.’’ रेखा ने बहुत गंभीर हो कर कहा, ‘‘पहले मेरे बारे में जान लो, फिर अपना फैसला सुनाना.’’

‘‘बताओ, आज मैं तुम्हारा अतीत जान लेता हूं.’’ मनप्रीत भी गंभीर हो गया.

‘‘मनप्रीत, मैं तलाकशुदा औरत हूं, मेरी एक 8 साल की बेटी भी है.’’

‘‘आज से वह तुम्हारी ही नहीं, मेरी भी बेटी बन गई है.’’ मनप्रीत रेखा की हथेली प्यार से दबाते हुए निर्णायक स्वर में बोला, ‘‘मैं कमरा तलाशता हूं, शाम को ही तुम वहां शिफ्ट हो जाओगी.’’

‘‘ओह मनप्रीत, तुम कितने अच्छे हो.’’ रेखा उस के चौड़े सीने पर अपना सिर टिका कर भावुक स्वर में बोली, ‘‘मेरे विश्वास को इसी तरह कायम रखना तुम.’’

‘‘हां, मैं तुम्हारे प्यार और विश्वास पर हमेशा खरा उतरूंगा, यह मेरा तुम से वादा है रेखा.’’ मनप्रीत ने पूरे विश्वास से कहा.

उसी शाम रेखा अपने नए मीत मनप्रीत के उस कमरे में सामान और अपनी बेटी नीतू के साथ शिफ्ट हो गई जो उस ने दिल्ली के गणेश नगर (तिलक नगर) में किराए पर लिया था.

उसी रात रेखा ने मनप्रीत की बाहों में खुद को सौंप कर अपना सब कुछ समर्पण कर दिया. एक सच्चे मर्द की तरह मनप्रीत 7 साल तक उसे और उस की बेटी को प्यार से निभाता रहा लेकिन फिर उस का व्यवहार बदलने लगा.

वह रेखा को खर्चा देने में आनाकानी करने लगा. उस की बेटी को बातबात पर डांटने लगा. शराब तो वह पहले भी पीता था, अब खूब पी कर घर आने लगा.

रेखा उस के रूखे व्यवहार से ऊबने लगी तो उस से झगड़ने लगी. बातबात पर वह मनप्रीत से लड़ती और मनप्रीत उसे लातघूंसे से पीट देता. गंदीगंदी गालियां देता. मां और अंकल मनप्रीत के रोजरोज के झगड़े से नीतू डिप्रैशन में आ गई. वह माइग्रेन का शिकार हो गई.

बतौर मनप्रीत अब रेखा उस के लिए बासी हो गई थी. वह उसे बोझ समझने लगा था. रेखा को वह जानबूझ कर उकसाने लगा, ताकि वह उस से लड़े और बदले में वह उसे प्रताडि़त कर सके.

वह चाहता था कि तंग आ कर रेखा खुद उस का पीछा छोड़ दे, लेकिन जब रेखा मार खा कर भी उस के घर को छोड़ने को तैयार नहीं हुई तो उस ने रेखा की हत्या करने का मन बना लिया.

30 नवंबर, 2022 की शाम को वह बाजार से तेज धार वाला चापड़ खरीद लाया. उस ने नशे की गोलियां भी खरीदीं ताकि रेखा की बेटी नीतू को गहरी बेहोशी में कर के वह रेखा की हत्या कर सके.

उस ने रात को नीतू को नशे वाली गोलियां खिला कर सोने के लिए उस के कमरे में भेज दिया. रेखा उस से कई दिनों से बात नहीं कर पा रही थी. खापी कर वह अपने बिस्तर पर सो गई. मनप्रीत रात गहराने का इंतजार करता रहा. जब आधी रात हुई तो उस ने चापड़ निकाल कर रेखा का गला काट दिया.

रेखा पर उसे इतना गुस्सा था कि उस ने तड़पती जिंदगी और मौत से जूझती रेखा पर चापड़ से ताबड़तोड़ वार करने शुरू कर दिए. जब रेखा का शरीर तड़प कर बेजान हो गया तो वह चापड़ छिपा कर कमरे से बाहर आ गया और रात भर दरवाजे के बाहर कुरसी पर बैठा रहा.

सुबह नीतू जाग कर बाहर आई तो वह डर गया. नीतू ने मां के विषय में पूछा तो उस ने कह दिया कि वह बाजार गई है. उस ने नीतू को डपट कर सोने के लिए भेज दिया. उजाला फैल गया था, कहीं उस के द्वारा रेखा को कत्ल करने का भेद न खुल जाए, इसलिए वह कमरे के दरवाजे पर ताला लगा कर वहां से चुपचाप सरक गया.

दिल्ली में पकड़े जाने का डर था,इसलिए वह अपनी कार से पटियाला के अपने गांव भाग गया, जहां से क्राइम ब्रांच की टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया.

मनप्रीत का बयान कलमबद्ध कर के उसे दूसरे दिन माननीय न्यायालय में पेश किया गया और 2 दिन के रिमांड पर ले लिया गया. रिमांड अवधि में मनप्रीत ने अपने कमरे के वाशरूम के रोशनदान में छिपा कर रखा वह चापड़ बरामद करवा दिया, जिस से उस ने रेखा का कत्ल किया था. चापड़ बड़ा और पैना था. उस से इस प्रकार का चापड़ खरीदने की बाबत पूछा गया तो उस ने बताया कि वह श्रद्धा मर्डर का तरीका यहां आजमाना चाहता था. जिस प्रकार आफताब ने श्रद्धा को मार कर उस के 35 टुकड़े किए थे, वह भी रेखा की लाश के टुकड़े कर के उन्हें जंगल में फेंकना चाहता था. यह चापड़ उस ने इसी मकसद से खरीदा था.

चापड़ को कब्जे में ले कर क्राइम ब्रांच ने मनप्रीत को थाना तिलक नगर को हैंडओवर कर दिया. थाने में मनप्रीत पर भादंवि की धारा 302 लगा कर केस दर्ज कर लिया.

मनप्रीत पर पहले भी 5-6 पुलिस केस दर्ज थे. जो मकान उस ने किराए पर लिया था, उस का वह किराया नहीं देता था. उस ने मकान पर भी अपना कब्जा जमा रखा था, जिस कारण उस का मकान मालिक से कोर्ट में विवाद चल रहा था.

पुलिस अब सब मामलों की पड़ताल कर के मनप्रीत के खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी कर रही थी. कथा लिखे जाने तक मनप्रीत जेल की सलाखों के पीछे था.      द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर. नीतू और राकेश परिवर्तित नाम हैं. तथ्यों का नाट्य रूपातंरण किया गया है.

ये दिल आशिकाना : क्या कसूर था शिल्पा का – भाग 3

बैक औफ महाराष्ट्रा के जबलपुर जोन के हेड ओमकार कुमार एवं सीनियर मैनेजर अभिषेक जायसवाल ने जांच में पुलिस की काफी मदद की. उन्होंने युवक द्वारा एटीएम से निकाले जा रहे पैसे की जानकारी बैंकिंग सौफ्टवेयर के जरिए उपलब्ध कराई. उन्होंने पुलिस को बताया कि आरोपी ने 7 नवंबर को टैक्सी से लखनदौन से जाते वक्त एटीएम से रुपए निकाले थे.

10 दिन में उस ने 4 हजार किलोमीटर का सफर तय किया. इस दौरान कई राज्य बदले. वह प्रतिदिन शिल्पा के एटीएम से 20 हजार रुपए निकाल रहा था.

जबलपुर के एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने पुलिस की अलगअलग टीमें नागपुर, बिहार, राजस्थान, सूरत गुजरात में आरोपी की पतासाजी के लिए भेजी थीं. इस दौरान हर राज्य की पुलिस से एसपी खुद संपर्क में रहे.

17 नवंबर को जबलपुर पुलिस को सुबह 8 बजे सूचना मिली कि शिल्पा के एटीएम से  राजस्थान के अजमेर से 20 हजार रुपए निकाले गए हैं. एसपी सिद्वार्थ बहुगुणा ने अजमेर के एसपी से बातचीत कर सहयोग मांगा.

इस दौरान राजस्थान पुलिस को आरोपित के हुलिए और अन्य जानकारी दी गई. अजमेर पुलिस को पता चला अभिजीत अजमेर से बस के जरिए बाहर जाने की तैयारी कर रहा है. थाना स्वरूपागंज में जांच अभियान चला कर पुलिस ने  18 नवंबर को आरोपी को हिरासत में ले लिया.

गिरफ्तारी के 3 दिन पहले आरोपी अभिजीत पाटीदार के फिंगरप्रिंट का मिलान भी किया गया. जबलपुर कोतवाली में अभिजीत के खिलाफ पहले धारा 420 के तहत अपराध दर्ज था, परंतु आरोपी का पताठिकाना गलत था.

तब फिंगरप्रिंट निरीक्षक अखिलेश चौकसे ने मेखला रिसोर्ट में मिले फिंगरप्रिंट का मिलान किया तो फिंगरप्रिंट सौफ्टवेयर में डालते ही आरोपित की पहचान हेमंत भदोड़े पिता राजेंद्र भदोड़े, उम्र 29 साल निवासी राधाकृष्ण नगर नासिक के रूप में हुई.

नासिक पुलिस से संपर्क करने पर पता चला कि अभिजीत आदतन शातिर बदमाश है, जिस के खिलाफ महाराष्ट्र के अलगअलग थानों में बाइक चोरी, लूट और ठगी  के कुल 37 मामले दर्ज हैं.

घाटघाट का पानी पीने वाला 29 साल का अभिजीत रंगीनमिजाज युवक था. जवान और खूबसूरत लड़कियों को देख कर जल्दी फिसल जाता. नईनई लड़कियों से मौजमस्ती करने की फंतासी उस के दिमाग में चलती रहती थी.

अपनी इसी हसरत को पूरा करने के लिए वह अगस्त 2022 में वह जबलपुर के एक स्पा सेंटर में गया हुआ था. स्पा में एंट्री करते ही सब से पहले उस का सामना रिसैप्शन पर बैठी एक खूबसूरत लड़की से हुआ, जो आने वाले कस्टमर का इस तरह वेलकम कर रही थी कि पहली मुलाकात में कोई भी उस से प्रभावित हो जाता.

अभिजीत ने रिसैप्शनिस्ट के बताए अनुसार जैसे ही एंट्री फीस दी, उसे एक स्टाफ बौय के साथ अंदर बने रूम में भेज दिया गया.

रूम में बाकायदा एक 6 फीट लंबा और करीब 3 फीट चौड़ा बिस्तर था, जिस पर गद्दे और चादर के ऊपर एक सफेद रंग की शीट बिछी हुई थी. ये शीट बिलकुल वैसी ही थी, जैसा एक वन टाइम यूज वाला टिशू पेपर होता है.

रूम के एक कोने में बेहद छोटा सा शीशे की दीवारों वाला बाथरूम था, जिस में शावर लगा हुआ था. बेहद डिम लाइट में अभिजीत कुछ और देख पाता, उस से पहले ही एक लड़की ने दरवाजा खटखटा कर वहां एंट्री की. हाथ में आयल, क्रीम की ट्रे लिए लड़की ने हायहैलो के साथ ही कहा, ‘‘सर, पहले आप चेंज कर लीजिए.’’

अभिजीत ने उस लड़की से कहा, ‘‘मैं आप के सामने कपड़े कैसे उतारूं?’’ं

तो उस लड़की ने कहा, ‘‘अरे सर, इतना क्यों शरमा रहे हैं. अच्छा चलिए मैं मुंह उधर कर लेती हूं.’’

इतना कहते ही लड़की ने अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया. अभिजीत ने जैसे ही अपने कपड़े उतारने शुरू किए, लड़की ने उस की तरफ वन टाइम यूज वाला अंडरवियर बढ़ाते हुए कहा, ‘‘सर, इसे भी पहन लीजिए.’’

अभिजीत ने बातचीत के दौरान उस लड़की का नाम पूछा तो उस लड़की ने नाजुक अदा  से कहा, ‘‘सर नाम में क्या रखा है, मेरा काम देख लेना.’’

इस के साथ ही लड़की ने स्पा के अंदर की रेट लिस्ट सामने रखते हुए कहा,

‘‘सर बताइए क्या करवाना चाहेंगे…’’

‘‘पहले तो मुझे ये सरसर कहना बंद कीजिए. मेरा नाम अभिजीत है और यहां पर  मैं तो मसाज कराने ही आया हूं.’’

इस पर शिल्पा बोली, ‘‘जी हुजूर, वो तो हो जाएगी, उस के अलावा और क्या कराएंगे, मतलब कुछ एक्स्ट्रा.’’

‘‘एक्स्ट्रा से क्या मतलब? मैं तो यार पहली बार आया हूं, कुछ पता नहीं, आप ही बताइए न.’’ अभिजीत बोला.

‘‘ठीक है, मैं बताती हूं. देखिए सर, अगर फुल सर्विस चाहिए तो 3000 रुपए, बी-टू-बी लेंगे तो 2000 रुपए और अगर सिर्फ हैंड जौब चाहिए तो 1000 रुपए पे करना होगा.’’ लड़की ने अपनी अंगुलियां अभिजीत के नंगे बदन पर घुमाते हुए कहा.

लड़की ने कोड वर्ड में जो बात बताई, उस से अनजान बनते हुए कहा, ‘‘साफसाफ बताओ, मुझे इन सब का मतलब नहीं पता.’’

‘‘अगर फुल सर्विस चाहिए यानी सैक्स, टचिंग वैगरह सब तो 3000, बी-टू-बी यानी बौडी टू बौडी तो मतलब मैं न्यूड हो कर आप को मसाज दूंगी, आप कहीं भी केवल टच कर सकते हैं और अगर हैंड जौब चाहिए तो केवल मास्टरबेट.’’

उस दिन अभिजीत ने उस के साथ फुल एंजौय किया और जैसे ही बाहर निकला तो रिसैप्शन पर बैठी लड़की से बोला, ‘‘आज तो मजा आ गया. मसाज करने वाली लड़कियों के हाथों में तो गजब का जादू है. यदि मुझे कोई इस तरह खुश कर दे तो उस की जिंदगी संवार दूंगा.’’

अपने स्पा सेंटर की तारीफ सुन शिल्पा ने उस का नामपता पूछा तो उस ने बताया, ‘‘मेरा नाम अभिजीत पाटीदार है. मैं गुजरात का रहने वाला हूं और जबलपुर में श्रीराम ट्रेडर्स नाम की मेरी कंपनी है, जो किराने का थोक व्यापार करती है.’’

पहली ही मुलाकात में शिल्पा अभिजीत से इतनी प्रभावित हुई कि उस ने आगे भी मसाज के लिए आने को कहा और अभिजीत के मांगने पर अपना मोबाइल नंबर दे दिया.

दरअसल, अभिजीत के रहनसहन और पहनावे को देख कर शिल्पा इस कदर उस की मुरीद हो चुकी थी कि उस ने अभिजीत को अगली बार अपने हाथों से मसाज देने का औफर दिया. इस के बाद तो दोनों की मुलाकातें अकसर होने लगीं.

जब भी मौका मिलता, अभिजीत शिल्पा को किसी न किसी होटल, रेस्टोरेंट में ले कर जाता और उस के साथ रंगरलियां मनाता. शिल्पा एक सामान्य परिवार की गांव में रहने वाली लड़की थी, उसे जब अभिजीत का प्यार मिला तो उसे मानो उड़ने के लिए पंख मिल गए.

अभिजीत ने बिहार के पटना में जितेंद्र कुमार को बिजनैस पार्टनर बना रखा था. अभिजीत शिल्पा को ले कर भी पटना गया था और काफी समय वहां दोनों ने बिताए.

पुलिस ने गिरफ्तार आरोपी हेमंत भदोड़े को 2 दिन के रिमांड पर ले कर पूछताछ की तो पूरी कहानी प्यार में मिली बेवफाई का नतीजा निकली. महाराष्ट्र के नासिक के राधाकृष्ण नगर में रहने वाले हेमंत के पिता राजेंद्र की कुछ साल पहले मौत हो चुकी थी. घर में उस की मां और एक बहन थी.

बचपन से ही हेमंत बुरी संगत में पड़ गया था, जिस के कारण चोरी और ठगी करने में वह माहिर हो गया. उस की इन हरकतों से उस की मां और बहन परेशान रहती थीं. इज्जत की जिंदगी जी रही मांबेटी हेमंत की हरकतों से समाज की नजरों में एक चोर की मां और बहन के रूप में ही जानी जाती थीं.

जब मां और बहन हेमंत को बुरे कामों से दूर रहने को समझातीं तो उल्टा वह उन्हें भलाबुरा कहता. धीरेधीरे हेमंत ने घर पर रहना कम कर दिया और महीनों घर से बाहर रहने लगा.

अगस्त, 2022 में वह जबलपुर आया और दमोह नाका इलाके में उस ने श्रीराम ट्रेडर्स नाम से फर्म बना कर किराने का व्यापार करने लगा और थोक में नकद माल की खरीद करता और जबलपुर शहर के खुदरा व्यापारियों को कम कीमत पर माल की सप्लाई करता.

धीरेधीरे उस ने स्थानीय व्यापारियों पर इतना विश्वास जमा लिया कि बड़े व्यापारी उसे उधार माल देने लगे. इसी का फायदा उठा कर कुछ व्यापारियों का लाखों रुपए का माल उठा कर खुदरा व्यापारियों को नगद में बेच कर वह चंपत हो गया.

अभिजीत पाटीदार उर्फ हेमंत भदोड़े शिल्पा से प्यार करता था और उस से शादी करना चाहता था, मगर उस ने शिल्पा के मोबाइल में वाट्सऐप पर दूसरे मर्दों के साथ उस के फोटो देखे तो उसे शिल्पा की बेवफाई बरदाश्त नहीं हुई. वह शिल्पा के चरित्र पर शक करने लगा.

उस ने शिल्पा को दूसरे पुरुषों से मेलजोल कम करने को समझाया, लेकिन शिल्पा ने इस पर ध्यान दिए बगैर दूसरे पुरुषों के साथ मेलमुलाकात का दौर जारी रखा.

अभिजीत जब कभी शिल्पा को फोन करता, उस का फोन हमेशा बिजी आता था. इस से उस का शिल्पा पर शक और  गहराता चला गया. शिल्पा की बेवफाई से खफा हो कर उस ने प्लान बना कर मेखला रिसोर्ट में ब्लेड से हमला कर शिल्पा की हत्या कर दी और फिर होटल से टैक्सी बुला कर वह भाग खड़ा हुआ.

आरोपी शिल्पा के एटीएम का उपयोग कर बारबार रुपए निकाल रहा था. उसी के कारण पुलिस उस की लोकेशन को ट्रेस कर पाई. आरोपी का नाम और पता भी फरजी पाया गया है. जबलपुर आईजी उमेश जोगा ने 19 नवंबर, 2022 को प्रैस कौन्फ्रैंस कर इस पूरे मामले का खुलासा किया.

आईजी ने बताया कि आरोपी का असली नाम हेमंत भदोड़े है. जबकि पुलिस उसे अभिजीत पाटीदार के नाम से खोज रही थी. हेमंत आदतन अपराधी है. वह इस हत्याकांड से पहले भी वह कई गंभीर अपराधों को अंजाम दे चुका है.

वह 10 दिन पहले जबलपुर के मेखला रिसोर्ट में एक युवती की हत्या कर फरार हो गया था. आरोपी महाराष्ट्र का रहने वाला है. उस ने अपना नाम अभिजीत पाटीदार बताया था. आरोपी के खिलाफ जबलपुर में भी कई मामले सामने आए. इन मामलों का खुलासा हुआ तो पुलिस ने फिंगरप्रिंट की मदद से आरोपी की असली पहचान का पता लगा लिया.

आरोपी अभिजीत उर्फ हेमंत भदोड़े की लोकेशन 17 नवंबर की सुबह 8 बजे राजस्थान के अजमेर में मिली थी. उस ने यहां एटीएम से 20 हजार रुपए निकाले थे. अजमेर के एटीएम से 20 हजार निकाले जाने की जानकारी एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा को मिली, इस के बाद जबलपुर एसपी ने अजमेर के एसपी चूनाराम तथा एसपी (सिटी) प्रियंका शुक्ला ने राजस्थान कैडर के आईपीएस अधिकारी सुमित मेहरा से तत्काल संपर्क कर आरोपी के संबंध में जानकारी दी.

इस पर जब राजस्थान पुलिस की मदद से आरोपी को ट्रेस किया गया तो उस के शहर से बाहर जाने वाली बस में बैठने का पता चला, जिस के बाद थाना स्वरूपागंज में सघन वाहन चेकिंग चलाई गई.

अजमेर-स्वरूपागंज में पुलिस ने चैकपोस्ट बना कर बसों को रुकवा कर चैकिंग शुरू की. इसी चैकिंग के दौरान स्वरूपागंज एसएचओ हरि सिंह राजपूत के द्वारा आरोपी को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस ने गिरफ्तारी के बाद आरोपी अभिजीत पाटीदार उर्फ हेमंत भदोड़े से शिल्पा का मोबाइल फोन, चेन, अंगूठी और एक लाख 52 हजार रुपए कैश बरामद किया. भागने के दौरान अभिजीत के मददगारों के संबंध में भी पूछताछ की जा रही थी. द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

सपना को नहीं मिला अमन और फिर – भाग 3

राजू सिंह को अमन की गिरफ्तारी की वजह का पता चला तो वह वह उसे समझाबुझा कर घर ले आए. चूंकि अमन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी कर चुका था और सरकारी नौकरी के लिए वहां तैयारी कर रहा था, इसलिए चाचा के समझाने पर वह हैदराबाद चला गया, जहां उसे प्राइवेट कंपनी में नौकरी मिल गई.

हैदराबाद जाने के बाद भी अमन सपना को नहीं भूला. सपना ही उसे कहां भूली थी. दोनों की फोन पर बराबर बातें होती रहती थीं. इसी का नतीजा था कि एक दिन सपना घर से भाग कर अमन के पास हैदराबाद जा पहुंची. वहां मंदिर में दोनों ने शादी कर ली और पतिपत्नी की तरह रहने लगे. दोनों अपने इस फैसले से काफी खुश थे. जबकि दोनों के ही मांबाप उन के इस फैसले से अनजान थे.

सपना के भाग जाने से उस के मांबाप काफी दुखी और परेशान थे. मोहल्ले में उन की काफी बदनामी हुई थी. इस के बावजूद जगदंबा बेटी की खोज में जुटे रहे. आखिर खोजतेखोजते वह हैदराबाद अमन के पास जा पहुंचे, जहां उन्हें सपना मिल गई. सपना को देख कर उन का खून खौल उठा, लेकिन वहां उन्हें गुस्से से नहीं, समझदारी से काम लेना था.

जगदंबा को देख कर अमन और सपना भी हैरान थे. जगदंबा अकेले नहीं थे, उनके साथ उस का साला यानी सपना का मामा संजीव द्विवेदी भी था.

जगदंबा ने बेटी को समझाया कि उसे जो करना था, वह उस ने कर लिया. अब वह घर लौट चले. उन्हें उस के इस फैसले पर कोई ऐतराज नहीं है. वह उन की बड़ी बेटी है, इसलिए वह उस की शादी समाज के सामने धूमधाम से करना चाहते हैं, जिस से उन पर लगा बदनामी का दाग धुल जाए.

पिता की बातें सुन कर सपना का चेहरा शर्म से झुक ही नहीं गया, बल्कि उसे अपने किए पर पछतावा भी हुआ. वह पिता के साथ चलने को तैयार हो गई तो जगदंबा उसे ले कर गोरखपुर आ गए. पर गोरखपुर आने के बाद जगदंबा के तेवर बदल गए. उन्होंने अपना पूरा गुस्सा सपना पर निकाला.

उस की जम कर पिटाई कर के उसे कमरे में बंद कर दिया. इस के बाद सपना को अपनी गलती का अहसास हुआ. जब इस बात की जानकारी अमन को हुई तो उसे भी बड़ा कष्ट हुआ. चूंकि अमन को सपना के बिना वहां अच्छा नहीं लगा तो वह भी नौकरी छोड़ कर आ गया.

उसी बीच अमन की छोटी बहन की शादी तय हो गई तो खरीदारी के लिए वह गोरखपुर आनेजाने लगा कि शायद वहां सपना से उस की मुलाकात ही हो जाए. इस तरह जब सपना से मुलाकात नहीं हो सकी तो उस ने सपना के पड़ोस में ही किराए का एक कमरा ले लिया और वहीं रह कर सपना से मिलने की कोशिश करने लगा. उस की यह कोशिश रंग लाई और जब सपना से उस की मुलाकात हुई तो मांबाप की मानमर्यादा को ताक पर रख कर एक बार फिर सपना उस के कमरे पर आ गई.

सपना और अमन ने मंदिर में विवाह किया था. घर और समाज में अधिकार पाने के लिए घर वालों के सामने या कोर्टमैरिज करना जरूरी था. इसलिए अपना हक पाने के लिए सपना ने अमन से कोर्टमैरिज करने को कहा तो उस ने वादा किया कि बहन की शादी के बाद वह मांबाप से बात कर के कोर्टमैरिज कर लेगा. लेकिन बहन की शादी हो जाने के बाद भी वह शादी करने के बजाय बहाने करने लगा तो सपना को समझते देर नहीं लगी कि वह उस से शादी नहीं करना चाहता.

सपना को जब लगा कि अमन को उस से नहीं, उस के जिस्म से प्यार है तो जिस दिल में उस के लिए प्यार के दिए जलते थे, उस में नफरत की ज्वाला धधकने लगी. उस ने मांबाप से अपने किए की माफी मांगी और वादा किया कि अब वे जो कहेंगे, वह वही करेगी. जिस से शादी करने को कहेंगे, वह शादी भी उसी से करेगी.

बेटी के साथ हुए धोखे से जगदंबा और उस की पत्नी भी दुखी थी. सपना के मातापिता अब उस के साथ थे. अमन ने उस के साथ जो किया था, उस से वह बहुत दुखी थी, इसलिए वह उसे सबक सिखाने के बारे में सोचने लगी. दूसरी ओर बेटी के साथ धोखा करने और इज्जत के साथ खिलवाड़ करने से जगदंबा भी अमन से नफरत करते थे, इसलिए बापबेटी ने मिल कर उसे सबक सिखाने का निर्णय कर लिया.

इस के बाद बापबेटी ने मिल कर अमन को सबक सिखाने के लिए जो योजना बनाई. जगदंबा ने बेटे नितेश पांडेय और साले संजीव द्विवेदी से बात की तो बात इज्जत की थी, इसलिए वे भी हर तरह से साथ देने को तैयार हो गए. उस के बाद 27 सितंबर, 2016 की शाम सपना ने जगदंबा के मोबाइल फोन से अमन को फोन कर के सिंहडि़या पेट्रोल पंप पर मिलने के लिए बुलाया.

प्रेमिका के बुलाने पर अमन वहां पहुंचा तो सफेद रंग की वैगनआर कार में सपना बैठी थी. उस ने इशारा कर के अमन को उस में बैठने का कहा तो बिना कुछ सोचेविचारे वह उस में बैठ गया. उस के बैठते ही पीछे से आ कर जगदंबा और नितेश भी बैठ गए. ड्राइविंग सीट पर संजीव द्विवेदी पहले से ही बैठा था.

चारों के बैठते ही गाड़ी गोरखपुरलखनऊ राष्ट्रीय राजमार्ग पर चल पड़ी. अमन को जिस तरह घेर लिया गया था, उस से वह समझ गया कि इन लोगों की नीयत ठीक नहीं है. यह अंदाजा होते ही वह हाथ जोड़ कर उन से जान की भीख मांगने लगा.

वे सभी तो उस की हत्या करने के लिए लाए थे, थाना सहजनवा के गांव रहीमपुर के पास सुनसान पा कर उसे गाड़ी से उतार कर उस के सिर और सीने में गोली मार दी. जगदंबा को गोली मार कर संतोष नहीं हआ था, इसलिए उस ने कार में रखा पेचकस ले कर उस के सीने में कई बार घोंपा. इस के बाद लाश वहीं छोड़ कर सभी घर वापस आ गए.

घर आ कर जगदंबा ने नितेश और संजीव को घर से भगा दिया. लेकिन उन के गिरफ्तार होने के बाद पुलिस ने उन की गिरफ्तारी के करीब 15 दिनों बाद उन दोनों को भी गिरफ्तार कर लिया था. पुलिस ने पूछताछ के बाद उन्हें भी अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था. जेल भेजने से पहले पुलिस ने अभियुक्तों की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त देशी कट्टा, पेचकस, वैगनआर कार और अमन का मोबाइल फोन बरामद कर लिया था.

अभियुक्तों के पकडे़ जाने के बाद पुलिस ने अज्ञात की जगह संजय पांडेय उर्फ जगदंबा पांडेय, सपना, नितेश और संजीव द्विवेदी को नामजद कर के चारों के खिलाफ आरोप पत्र तैयार कर के न्यायालय में दाखिल कर दिया है.

सपना को अपने किए का तनिक भी मलाल नहीं है. उस का कहना था अमन ने उस के साथ जो बेवफाई की थी, उस की उसे यही सजा मिलनी चाहिए थी. लेकिन शायद वह यह नहीं सोच पा रही है उस की इस सजा की वजह से कितने घर बरबाद हुए हैं.

कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

बेपनाह इश्क की नफरत : 22 साल की प्रेमिका का कत्ल – भाग 3

हत्याकांड से परदा उठने के बाद दूसरा आरोपी सर्वेश फरार हो गया. पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के लिए उस पर 25 हजार रुपए का ईनाम घोषित कर दिया. क्या है 6 टुकड़ों में बंटी आराधना प्रजापति की हत्या का सच? आइए, जानते हैं दिल दहला देने वाली कहानी को—

आराधना जिस स्कूल में पढ़ती थी, उसी स्कूल में मंजू यादव भी पढ़ती थी. दोनों एक ही क्लास में पढ़ती थीं. भले ही घर से आने और जाने के उन के रास्ते अलगअलग थे, लेकिन दोनों साथ ही आते और जाते थे. इतनी गहरी दोस्ती दोनों के बीच में बचपन से ही थी.

मंजू यादव आजमगढ़ जिले के अहरौला थाने के कठही गांव की रहने वाली थी. मंजू से बड़ा भाई था, उस का नाम प्रिंस यादव था. पिता राजाराम यादव किसान थे. कुल मिला कर 5 सदस्यों का परिवार था. वे एक मध्यवर्गीय परिवार में जीते थे लेकिन साधनसंपन्न थे. भौतिक वस्तुओं से घर भरा पड़ा था किसी चीज की कमी नहीं थी.

बहरहाल, मंजू और आराधना हमउम्र थीं. चूंकि दोनों बचपन की सहेलियां थीं और सहपाठी भी, अकसर दोनों एकदूसरे के घर आयाजाया करती थीं. घर वाले ही नहीं, पासपड़ोस वाले भी उन की जिगरी दोस्ती देख कर फख्र करते थे.

बात घटना से 2 साल पहले यानी सन 2020 की है. आराधना 18 साल की होने वाली थी. इस उम्र तक युवतियों के अंगअंग से खुशबू उठने लगती है. आसपास के मदमस्त भौरे फूलों का रस चूसने को बेताब रहते हैं. उन्हीं आवारा भौरों में से एक प्रिंस यादव भी था, जो आराधना को पाने के लिए बेताब था.

आहिस्ताआहिस्ता आराधना प्रिंस के दिल पर छा गई थी. यह एकतरफा प्यार था. आराधना नहीं जानती थी कि जिसे वह भैया कह कर पुकारती थी, उस के प्रति उस के मन में क्या चल रहा है. प्रिंस ने अपने प्यार का इजहार करने के लिए अपनी छोटी बहन मंजू को आगे किया और उस के जरिए अपने प्रेम का इजहार किया.

मंजू ने भाई की बात को गंभीरता से लिया और इस बारे में सहेली आराधना से बात की. पहले तो आराधना ने नानुकुर की लेकिन बाद में वह मान गई. धीरेधीरे उस के मन के परदे पर भी प्रेमी प्रिंस की रंगीन तसवीर छाने लगी. उस के भी दिल में प्रेम जवां होने लगा.

मंजू ने 2 प्रेमियों को मिलाने में सेतु का काम किया था. प्रिंस और आराधना का प्यार पींग मार कर आसमान को छूने लगा था. बेपनाह इश्क करता था वह आराधना से. धीरेधीरे दोनों के घर वालों को भी उन के प्यार का पता चल गया.

प्रिंस के मांबाप आराधना को अपनी बहू बनाने के लिए तैयार हो गए लेकिन आराधना के घर वाले प्रिंस को अपना दामाद बनाने को तैयार नहीं थे.

इस के पीछे का सब से बड़ा कारण विजातीय होना था. मतलब दोनों ही अलगअलग जाति के थे. और तो और आराधना के घर वाले इतने एडवांस भी नहीं थे कि समाज के रीतिरिवाज को ठोकर मार कर विजातीय को ग्रहण कर लें.

दोनों घर वालों के विचारों की परवाह किए बगैर अपनी ही दुनिया में मस्त रहते रहे. प्रिंस और आराधना अपने प्यार की दुनिया में विचरण करते रहे. दोनों ने साथ जीनेमरने की कसमें खाईं कि जमाना चाहे एक हो जाए पर वे मरते दम तक एकदूसरे से जुदा नहीं होंगे.

इसी बीच प्रिंस की सऊदी अरब के शारजाह में नौकरी लग गई. सन 2021 में वह शारजाह नौकरी करने चला गया. विदेश जाने से पहले उस ने आराधना से एक वचन लिया था कि वह उस के जीते जी किसी दूसरे से शादी नहीं करेगी. नौकरी से घर लौटते ही वह उस से धूमधाम से सामाजिक रीतिरिवाज से उसे ब्याह कर अपने घर लाएगा.

आराधना ने भी वायदा किया कि वह प्रेमी प्रिंस के अलावा किसी दूसरे पुरुष को अपनी देह नहीं सौंपेगी चाहे कुछ भी हो जाए.

प्रिंस के विदेश जाते ही आराधना के घर वाले उस के लिए अच्छा लड़का तलाशने लगे और जल्द ही अच्छा वर देख कर फरवरी 2022 में उस की शादी कर दी. आराधना अपने घर वालों से बगावत नहीं कर सकी और दूसरे की हो गई.

विदेश में रह रहे प्रिंस को जब आराधना की शादी की बात पता चली तो वह क्रोध की अग्नि में जल उठा. वहीं से उस ने आराधना से संपर्क किया तो आराधना ने उस की काल रिसीव कर कह दिया, ‘‘तुम ने मुझ से प्यार किया था, सपना समझ कर भूल जाओ. मेरे लिए मेरे घर वालों ने जो वर चुना है, वही मेरा भविष्य है.’’

आराधना के जवाब ने आग में घी का काम किया. गुस्से की आग में जलते प्रिंस ने फोन पर ही धमकी दी, ‘‘तुम्हारे लिए भले ही मैं एक सपना हो सकता हूं, लेकिन तुम मेरे लिए सपना नहीं हो. मैं ने तुम से बेपनाह मोहब्बत की है. अगर तुम मेरी नहीं तो किसी और की भी नहीं रहोगी. मैं जल्द ही लौट कर आ रहा हूं, समझी. बरबाद कर के रख दूंगा तुम्हें.’’

इस के बाद उस ने फोन काट दिया. प्रिंस को यकीन नहीं हो रहा था कि जीनेमरने की कसमें खाने वाली उस की प्रेमिका आराधना उस से मुंह मोड़ लेगी और किसी और की बाहों में झूल जाएगी.

प्रिंस का मन शारजाह में नहीं लगा. वह वहां की नौकरी छोड़ कर कुछ महीनों बाद ही घर लौट आया था. घर लौट कर उस ने आराधना से मिलने की कोशिश की लेकिन वह प्रिंस से नहीं मिली. इस से वह और नाराज हो गया.

आराधना की याद में प्रिंस दिनरात तड़पता रहा. उसे मनाने की लाख कोशिश की कि वह लौट कर उस के पास आ जाए, लेकिन आराधना मांबाप के फैसले के आगे झुकने को तैयार नहीं हुई. उस ने साफसाफ कह दिया था कि घर वालों ने जिस के हाथों में मुझे सौंप दिया है, अब वही मेरा सब कुछ है.

प्रिंस के घर वालों ने उस से कहा कि एक बार और कोशिश कर के देख लो, अगर वह तुम्हारे साथ रहने को तैयार होती है तो ठीक है, नहीं तो उसे रास्ते से हटा दो वरना जीवन भर परेशान करती रहेगी.

प्रिंस को घर वालों की बात जंच गई. उस ने अपनी योजना में मामा के बेटे सर्वेश को शामिल कर लिया. इस बीच दिल्ली की श्रद्धा हत्याकांड देश में चर्चा का विषय बनी हुई थी.

श्रद्धा हत्याकांड के तरीके से प्रिंस बेहद प्रभावित था. उसने उसी तर्ज पर आराधना की भी हत्या करने की ठान ली ताकि पुलिस उस तक कभी न पहुंच सके.

योजना के मुताबिक, घटना से 2 दिन पहले 7 नवंबर, 2022 को प्रिंस ने लकड़ी का ढीहा और गंडासा खरीद कर अशरफपुर जजऊपुर के गन्ने में छिपा कर रख दिया. फिर 9 नवंबर को बहन से आराधना को भैरोघाट मंदिर जाने के बहाने फोन करवाया.

मंजू का फोन आने के बाद वह मंदिर जाने के लिए तैयार हो गई और उस के बताए गांव के बाहर पुलिया के पास पहुंचने को कहा तो वह घर वालों को मंदिर जाने की बात कह कर निकल पड़ी.

पुलिया पर पहुंची तो वहां मंजू की जगह प्रिंस और उस के मामा का बेटा सर्वेश बाइक पर मिले, जो उस का ही इंतजार कर रहे थे. प्रिंस ने आराधना से झूठ बोलते हुए कहा कि मंजू घर वालों के साथ मंदिर पहुंच गई है. उस ने तुम्हें साथ लाने को कहा है. जबकि मंजू घर पर ही थी और उसे पता था कि अब आराधना कभी लौट कर घर नहीं आएगी.

प्रिंस अपनी बाइक पर बैठा कर आराधना को मंदिर के बजाए एक रेस्टोरेंट ले गया, जहां तीनों ने खाना खाया. फिर वहां से इधरउधर घुमाते हुए समय बिताता रहा ताकि शाम ढल जाए और उस की योजना पूरी हो सके.

शाम ढलते ही प्रिंस आराधना को अशरफपुर जजऊपुर गन्ने के खेत में ले गया. उस के साथ सर्वेश भी था. गन्ने के खेत में दोनों ने मिल कर आराधना की गला घोट कर हत्या कर दी. फिर लकड़ी के ढीहे पर रख कर गंडासे से उस की लाश के 6 टुकड़े किए और उसे ठिकाने लगा दिया.

मुखबिर ने इन की योजनाओं पर पानी फेर दिया और आराधना हत्याकांड में प्रिंस, प्रमिला यादव, मंजू यादव, शीला यादव, सुमन पत्नी बृजेश, कमलावती और राजाराम आरोपी बनाए गए.

पुलिस द्वारा सभी आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए. प्रिंस का साथ देने वाला सर्वेश कथा लिखने तक फरार था. पुलिस ने उस पर 25 हजार रुपए का ईनाम रखा है. हत्या में इस्तेमाल लकड़ी का ढीहा और गंडासा पुलिस ने बरामद कर लिया है. द्य

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

2 आशिको की एक ही आशा – भाग 3

‘‘यार, मैं ने कब मना किया है. बताओ, अब कहां आना है, कब आना है, इस की व्यवस्था तो तुम दोनों ही करोगे न. तुम तो जब भी मुझे पुकारोगे, मैं दौड़ी चली आऊंगी,’’ यह कहते हुए हंसते हुए दोनों को बायबाय करती आशा आटोरिक्शा में बैठ गई.

दीपक और विकास ने दिमाग दौड़ाया तो विकास ने दीपक को बताया कि पास ही हनुमानगढ़ में उस का एक दोस्त है, जिस ने उसे अपने मकान की चाबी देखभाल करने के लिए दी है. वह दोस्त एक विवाह समारोह में सपरिवार गया है. वहां पर चोरी का खतरा रहता है, उन का घर भी अन्य घरों से काफी दूरी पर है और अकेला घर है. इसलिए मुझे रात को वहीं पर सोना है.

दूसरे दिन दीपक ने आशा को बुला लिया और उसे ले कर विकास के बताए घर हनुमानगढ़ चला गया. वहां तीनों को अपनी हसरतें पूरी करने का पूरा मौका मिला. दिन भर तीनों ने कई बार अपने जिस्मों की प्यास बुझाई. इस के बाद वे तीनों एक साथ मिल कर वासना का यह खेल खुल कर खेलने लगे थे.

लेकिन कहते हैं कि गलत काम की एक न एक दिन पोल जरूर खुलती है. किसी से आशा के पति राजू को यह बात पता चल गई कि आशा आजकल दीपक और एक और एक अन्य युवक के साथ घूमती फिरती है.

राजू अपनी खेती में इतना व्यस्त रहता था कि उसे आशा के बारे में पता ही नहीं चल पाता था. इसलिए जब राजू को यह बात पता चली तो उस ने आशा को बहुत बुराभला कहा और जम कर पिटाई भी कर डाली.

अब राजू दिन में अचानक कभी भी घर के चक्कर लगा लेता था, जिस के कारण तीनों प्रेमियों का मिलना अब दूभर होता जा रहा था. विकास और दीपक को तो नारी देह का ऐसा चस्का लग गया था कि वे बारबार आशा को फोन करते रहते थे.

इधर आशा भी देह सुख चाहती थी. विकास और दीपक दोनों के साथ ग्रुप सैक्स करना अब जैसे उस का मकसद बन गया था, इसलिए उन तीनों ने मिल कर राजू को ही रास्ते से हटाने के लिए षडयंत्र रचा.

षडयंत्र के तहत आशा ने त्रियाचरित्र दिखाते हुए एक दिन रोते हुए राजू के पैर पकड़ लिए और उस से माफी मांगते हुए बोली, ‘‘देखिए जी, आप ने मेरे ऊपर जो शक किया, वह दूसरों के कहने पर किया. मगर फिर भी मेरी भूल थी, इसलिए मैं आप से वादा करती हूं कि जिंदगी भर मैं आप की गुलाम बन कर रहूंगी.’’

अपनी पत्नी को रोते देख राजू का दिल भी पिघल गया. उस ने कहा, ‘‘तुम ने कहा दूसरों के कहने पर मैं ने तुम पर शक किया, इस का क्या मतलब है?’’

‘‘जी, एक दिन मैं बाजार गई थी तो मुझे रास्ते में दीपक मिल गया. वह पिक्चर देखने जा रहा था तो मैं भी उस के साथ पिक्चर देखने चली गई. वैसे दीपक रिश्ते में मेरा देवर भी तो लगता है न. इस में मैं ने कोई पाप किया क्या?’’ कहते हुए आशा फिर से रोने लगी.

‘‘अच्छा, तो तुम उस के साथ फिल्म देखने गई थी. अरे, मैं भी कैसा मूर्ख हूं. शादी के बाद तो मैं भी तुम्हें फिल्में दिखाने ले जाया करता था. मगर तुम ने पिछले कुछ सालों से मुझ से कहा ही नहीं.’’ राजू ने कहा.  ‘‘जी ठीक है, चलो अब आप मुझे कल फिल्म दिखाने ले कर चलना.’’ आशा ने कहा.

उस के बाद दूसरे दिन राजू ने दिन में जब आशा को फिल्म देखने के लिए चलने को कहा तो आशा ने कहा, ‘‘देखिए जी, अब दिन में फिल्म देखने जाएंगे तो खेती के काम का नुकसान हो जाएगा. बच्चों की जिम्मेदारियां भी हैं. उन को रात को खिलापिला कर और सुला कर रात का शो देखने चलें तो कैसा रहेगा.’’

‘‘यार आशा, तुम तो अब बहुत समझदार हो गई हो,’’ कहते हुए राजू खाना खा कर अपने खेतों में चला गया.

आशा ने इस दौरान विकास और दीपक को अपने प्लान के बारे में बता दिया था. 7-8 जनवरी, 2023 की रात को पिक्चर का आखिरी शो देख कर जब वे लौटने लगे तो आशा ने राजू से कुछ दूर पैदल चल कर मौसम का मजा लेने के लिए कहा.

राजू पैदल आशा के साथ सुनसान सड़क पर चलने लगा. इसी दौरान अंधेरा पा कर दीपक और विकास डंडा ले कर राजू को पीटने लगे, जिस में उन दोनों का साथ आशा ने भी दिया और तीनों ने मिल कर राजू की निर्मम हत्या कर दी. इस के बाद सभी अपनेअपने घर चले गए.

सुबह होने पर लोगों ने जब राजू को सड़क किनारे देखा तो वे यह सोच कर उसे सरकारी अस्पताल ले गए कि शायद उस की सांस चल रही हो, लेकिन डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

खबर मिलने पर राजू की पत्नी आशा भी अस्पताल पहुंच गई और त्रियाचरित्र दिखाते हुए वहां रोने लगी. जब मृतक के ताऊ के बेटे सुनील ने लाश देखी तो उसे शक हो गया और पीलीगंगा थाने जा कर हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई.

पुलिस ने हत्यारोपी आशा और उस के प्रेमियों दीपक व विकास से विस्तार से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.द्य

(कथा पुलिस सूत्रों व जनचर्चा पर आधारित. तथ्यों का नाट्य रूपांतरण किया गया है. कथा में निरंजन नाम काल्पनिक है)

अपना घर लूटा, पर मिली मौत – भाग 3

मातापिता परमप्रीत की करना चाहते थे दूसरी जगह शादी

बात घटना से करीब महीना भर पहले की है. परमप्रीत से दूरी बनाए रखने के लिए जसपिंदर के मांबाप ने बेटी के हाथ पीले करने के फैसला कर लिया था और उस के लिए अच्छे वर की तलाश में जुट भी गए थे. उस से पहले उन्होंने बेटी को शादी के उपहार में देने के लिए धीरेधीरे सोने के गहने खरीद कर घर में रखने शुरू कर दिए थे. उन्हें क्या पता थी कि एक दिन उन की ही बेटी उन के मुंह पर कालिख पोत कर अपने यार के साथ घर से फरार हो जाएगी.

बहरहाल, इधर जब से जसपिंदर ने अपनी शादी की बात सुनी थी, वह बुरी तरह परेशान हो गई थी. वह परम के अलावा किसी और युवक से शादी नहीं करना चाहती थी. परमप्रीत ही उस का भूत, भविष्य और वर्तमान था.

आखिर उस ने एक दिन परम से पूछ ही लिया,  ‘‘आखिर हम कब तक एकदूसरे से छिपछिप कर मिलते रहेंगे परम? तुम हमारी शादी के बारे में कुछ सोचते क्यों नहीं? क्या तुम यही चाहते हो कि मेरे मांबाप किसी और से मेरी शादी कर दें?’’

‘‘अरे, नहीं.’’ परमप्रीत तड़प कर बोला, ‘‘मेरे जीते जी ऐसा नहीं हो सकता. तुम सिर्फ मेरी हो, मेरी ही रहोगी किसी और ने तुम्हारी तरफ हाथ बढ़ाया या तुम ने किसी और की होने की सोची तो जान से मान दूंगा तुम्हें भी और उसे भी जो तुम्हें पाने की कोशिश करेगा.’’

‘‘तुम कुछ नहीं कर सकते हो, बस सिर्फ तुम डींगे हांकते रहना और उधर मांबाप दूसरे के साथ मेरी डोली विदा कर देंगे.’’

‘‘बिलकुल नहीं,’’ परम फिर से कसमसा उठा, ‘‘तुम ऐसे कैसे सोच सकती हो? क्या मैं तुम्हारे बिना जी सकता हूं? नहीं न. तुम्हारी डोली आएगी तो सिर्फ मेरे आंगन में. तुम्हारी मांग भरी होगी तो सिर्फ मेरे नाम के सिंदूर से. मैं फिर कह देता हूं कि तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी. दूसरे के बारे में कभी सोचा तो मैं तुम्हें तुम्हारी शादी के मंडप में ही जान से मार दूंगा, समझी?’’

‘‘जब तुम मुझ से इतना प्यार करते हो तो तुम मुझ से शादी क्यों नहीं कर लेते? तुम्हारे बिना मैं अकेले रह नहीं सकती. तुम्हारी यादों में रात भर करवटें बदलती रहती हूं.’’

‘‘जैसे 6 साल सब्र किया, 6 दिन और सब्र नहीं कर सकती?’’

‘‘6 दिन कहते हो, मेरा बस चले तो मैं तुम्हें पल भर के लिए भी अलग न करूं.’’

‘‘मतलब तुम अपनी जिद पर अड़ी रहोगी, शादी कर के ही रहोगी?’’

‘‘हां हां, मैं तुम्हारे बगैर एक पल भी नहीं रह सकती.’’

‘‘तो ठीक है, तैयार रहना. 1-2 दिन में तुम्हें बताऊंगा, वैसा ही करना.’’

‘‘ठीक है, मैं तुम्हारे फोन का इंतजार करूंगी, बाय.’’

‘‘बाय.’’

नकदी और ज्वैलरी ले कर जसपिंदर हो गई फुर्र

दोनों के बीच यह बात मोबाइल पर हुई थी. परमप्रीत के वादे से जसपिंदर का चेहरा खुशियों से खिल उठा था कि अब बरसों का प्यार एक होने जा रहा है. मेरे सपनों का राजकुमार मुझे मिलने जा रहा है. वाहेगुरु तेरा लाखलाख शुक्रिया जो आप ने मेरी मुरादें सुन लीं.

घटना से एक दिन पहले यानी 23 नवंबर, 2022 की रात करीब 10 बजे परमप्रीत ने प्रेमिका जसपिंदर को उस के मोबाइल पर काल किया कि कल वह तैयार रहेगी. दोनों घर से भाग कर शादी करेंगे. इस पर वह तैयार हो गई और अपनी रजामंदी की मुहर लगा दी.

जसपिंदर कौर परमप्रीत सिंह के प्रेम में इस कदर पागल और अंधी हो चुकी थी कि उसे परम के अलावा न तो कुछ दिखता था और न ही सूझता था. वह यह भी भूल गई थी उस के इस उठाए जाने वाले कदम से समाज में उस के परिवार की कितनी बदनामी होगी. क्या मांबाप समाज में कहीं मुंह दिखाने लायक रहेंगे.

इस की उसे कोई परवाह नहीं थी, परवाह थी तो बस अपने प्यार परम की, जो उसे हर घड़ी उस के चारों ओर नजर आ रहा था. अब तो वह सिर्फ रात बीतने का इंतजार कर रही थी कि रात किसी तरह बीते और झट परम की बांहों में सदा के लिए समा जाए.

मांबाप और भाई रात में जब गहरी नींद में सो गए तो जसपिंदर दबेपांव बिस्तर से नीचे उतरी और धीरेधीरे उस कमरे में जा पहुंची, जहां अलमारी में उस के शादी के गहने बनवा कर रखे गए थे. इसी अलमारी में किसी जरूरी काम के लिए उस के पिता ने 20 हजार रुपए भी रखे थे.

आहिस्ता से अलमारी खोल कर उस ने 12 तोले सोने के जेवर जिस की कीमत 6 लाख के आसपास रही होगी और 20 हजार रुपए निकाल कर अपने लेदर वाले बैग में रख लिए. उस ने यह काम इतनी सफाई और चतुराई से किया था कि जरा भी शोर नहीं हुआ था. उस के बाद दीवार की खूंटी पर बैग टांग दिया और सो गई.

अगली सुबह यानी 24 नवंबर, 2022 की सुबह नींद से उठते ही जसपिंदर का गुलाबी चेहरा खिलाखिला सा था, लग ही नहीं रहा था कि वह रात में सोई रही हो. ऐसा लगता था जैसे अभीअभी नहाधो कर वाशरूम से निकली हो. मां भी बेटी को देख कर हैरान थीं कि आज से पहले ये इतनी खिलीखिली कभी नहीं दिखी थी, बात क्या है.

फिर मां ने सोचा कि यह मेरा वहम हो सकता है, बेटी तो हमेशा ऐसे ही रहती है. फिर वह अपने रोजाना के कामों में जुट गईं क्योंकि उन्हें स्कूल पढ़ाने भी जाना होता था. वह एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थीं.

सुबह के 10 बजतेबजते घर खाली हो गया था. मां जस्सी स्कूल पढ़ाने जा चुकी थीं, पिता रोज की तरह खेत घूमने निकल गए थे. बचा था शमिंदर तो वह भी किसी जरूरी काम से घर से बाहर चला गया था. लेकिन घर वालों को ये तनिक भी पता नहीं था कि जसपिंदर के मन में क्या चल रहा था.

उन्हें जरा भी भनक होती तो जसपिंदर इतना बड़ा और शर्मनाक कदम हरगिज नहीं उठा सकती थी और शायद जिंदा भी रहती. उसे भी यह पता नहीं था कि परम के रूप में साक्षात यमराज उस के प्राण हरने के लिए बेताब है. खैर, होनी को कौन टाल सकता है. जो होना है सो हो कर रहता है. चाहे लाख जतन क्यों न कर ले कोई.