‘रक्षक : इंडियाज ब्रेव्स सीजन 2’ – वेब सीरीज रिव्यू

सत्य घटना पर बनी वेब सीरीज ‘रक्षक: इंडियाज ब्रेव्स’ सीजन-2  (Rakshak India’s Braves – Season 2) अमेजन मिनी टीवी (Amazon Mini TV) पर दिखाई जा रही है. इस वेब सीरीज के सीजन-2 में नायब सूबेदार सोमबीर सिंह और डीवाईएसपी अमन ठाकुर के बारे में दिखाया गया है, जो आतंकियों से मुठभेड़ में शहीद हो गए थे.

निर्देशक: अजय भुइयां

पटकथा:  अनिमित्रा चक्रवर्ती

ओटीटी:  अमेजन मिनी टीवी

कलाकार:  बरुण सोबती,  विश्वास किनी,  अश्मिता कौर बख्शी,  सुरभि चांदना, अमित गौड़, आयाम मेहता, फरहाना भट, ओमर शरीफ,  रजत कौल आदि

किसी के जीवन पर कहानी लिखना या उस का नाट्य रूपांतरण करना बहुत मुश्किल है. फिर जब इंसान जीवित न हो तो यह काम और भी मुश्किल हो जाता है. ऐसा ही कुछ इस सीरीज में भी है.

वेब सीरीज ‘असुर’ से बेशुमार लोकप्रियता हासिल कर चुके अभिनेता बरुण सोबती (Varun Sobti) ने जहां नायब सूबेदार की भूमिका निभाई है, वहीं डीवाईएसपी की भूमिका में अभिनेता विश्वास किनी (Vishwas Kini) है. यह सीरीज देश और कानून की रक्षा करने वाले 2 नौजवान सिपाहियों के बलिदान की कहानी कहने वाली सत्य घटना पर आधारित है.

पुलवामा हमले (Pulwama Attack) के बाद ‘औपरेशन कुलगाम’ को ले कर बनी इस सीरीज में ऐसे आतंकवादियों के साथ लड़ाई दिखाई गई है, जो सुरक्षाबलों की हिट लिस्ट में पहले स्थान पर थे. ऐसी लड़ाइयों का नाट्य रूपांतरण करना बहुत कठिन काम होता है. सच के युद्ध और फिल्मी युद्ध में जमीन- आसमान का अंतर होता है. वैसा ही अंतर इस सीरीज में भी साफ दिखाई देता है.

खतरनाक हथियारों से लैस आतंकी, जो मरने मारने को तैयार रहते हैं, उन के बीच घुस कर मुकाबला करना यानी मौत के मुंह में घुसते समय एक सिपाही के चेहरे पर क्या भाव होते होंगे, इस का चित्रांकन करना तो बिलकुल ही आसान काम नहीं है. वे भाव तो मात्र वही ला सकता है, जो इस तरह का मुकाबला कर चुका हो.

यहां भी डायरेक्टर ने कोशिश की है, पर सफलता नहीं मिली. शहीदों पर सीरीज बना कर डायरेक्टर ने दर्शक भी बटोर लिए और एक तरह से शहीदों को श्रद्धांजलि भी दे दी, लेकिन उस ने अपने डायरेक्शन में जो कमियां रखी हैं, उस से शहीदों का अपमान ही हुआ है. उन की बहादुरी को जिस तरह दर्शाया जाना चाहिए था, वह सीरीज में कहीं दिखाई नहीं देता.

अपने परिवार से दूर आतंकवादियों से मुठभेड़ में दिल में बहादुरी के जज्बे के साथ एक दर्द भी होता है, वह भी सीरीज दर्शा नहीं पाती. इस के अलावा दर्शक यह भी जानना चाहते हैं कि फौजी जीवन कैसा होता है, परिवार से दूर रह कर वह कैसा फील करते हैं, आपस में कैसी बातें करते हैं, क्या सोचते हैं, जैसा कुछ सीरीज में देखने को नहीं मिलता. इसलिए सीरीज अधूरी सी लगती है.

पहला एपिसोड

एपिसोड के शुरुआत में 14 फरवरी, 2019 का दृश्य दिखाया जाता है, जब पुलवामा अटैक हुआ था. इस के बाद नायब सूबेदार सोमबीर सिंह अपनी पत्नी से फोन पर बात कर के वेलेंटाइन डे विश करता है. फोन पर बात खत्म करते ही एक आदमी सोमबीर सिंह की पत्नी को एक बुके गिफ्ट करता है, जो सोमबीर सिंह की ओर से भेजा गया था.

सोमबीर की भूमिका बरुण सोबती ने की है. बुके देख कर अलका सिंह यानी सोमबीर की पत्नी बहुत खुश होती है. अलका की भूमिका सुरभि चांदना (Surbhi Chandana) ने निभाई है.

सोमबीर अपने साथियों के साथ वालीबौल खेलने जाता है, जहां डीवाईएसपी अमन ठाकुर वालीबौल खेल रहे थे. अमन ठाकुर की भूमिका विश्वास किनी ने निभाई है. वह जम्मूकश्मीर में पुलिस अधिकारी थे. यहीं पर नायब दीपक कुमार और लांस नायक बलराम सिंह भी थे, जो राष्ट्रीय राइफल में थे और सोमबीर सिंह के साथी थे. आर्मी और पुलिस वालों के बीच वालीबौल मैच हो रहा था, जिस में आर्मी वाले जीत गए थे.

सोमबीर सिंह और अमन ठाकुर आपस में बातें कर रहे थे, तभी एक पुलिस वाले ने आ कर बताया कि पुलवामा में किसी सुसाइड बौंबर ने अटैक किया है, जिस में आर्मी के काफी जवान शहीद हो गए हैं. फिर तो पुलवामा अटैक की खबर पूरे भारत में फैल गई थी, जिस से देश के लोग काफी दुखी हुए थे.

आगे दिल्ली में आर्मी का कमांडर अपने हैड से पुलवामा अटैक पर बात करता है और फिर जम्मूकश्मीर पुलिस और आर्मी को मिल कर संयुक्त मिशन करने के लिए कहते हैं, जिस से जम्मूकश्मीर में तंजीमुल मुजाहिदीन और जैशएआजादी जैसे आतंकवादी संगठनों को खत्म किया जा सके.

सोमबीर सिंह अपनी टीम के साथ नाके पर गाडिय़ों को चैक कर रहा था, तभी एक गाड़ी आती है, जिस में से एक आतंकवादी निकल कर एक लड़के को ढाल बना कर भागने लगा था. सोमबीर सिंह ने उसे देखा तो उस का पीछा कर के उस से लडऩे लगा था.

तभी अमन ठाकुर आ गया और उस आतंकवादी को गोली मार दी, क्योंकि वह आतंकवादी सोमबीर पर गोली चलाने जा रहा था. सोमबीर को लगा कि वह उन्हें गोली न मारता. वह सिर्फ उन का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रहा था. क्योंकि वह आतंकवादी दूर से ही भागने की कोशिश कर रहा था.

सोमबीर सिंह गाड़ी की तलाशी लेता है तो उस में से उसे स्पाइनर्स मिलती है, जिस से वह कहता है कि यह कुछ तो प्लानिंग कर रहा था. अमन और सोमबीर आतंकवादी की तलाशी लेते हैं तो उस की जेब से एक कुचला हुआ फूल मिलता है, जो पहाड़ों पर पाया जाता है.

इस से सोमबीर को इस में तंजीमुल मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप का हाथ होने का शक होता है. तभी अमन ठाकुर की पत्नी का फोन आ जाता है और वह उसे खाने के लिए बुलाती है.

इस के आगे एक डाक्टर को दिखाया जाता है, जो तंजीमुल मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप से मिला था. डाक्टर एक बच्ची को इंजेक्शन लगाता है, जिस के पैसे नहीं लेता. इस के बाद बुरका पहने एक लड़की आ कर बात करने लगती है. दरअसल, डाक्टर गांव वालों का फ्री में इसलिए इलाज करता था, क्योंकि वह उन का विश्वास जीत सके और जरूरत पडऩे पर वे लोग उस की मदद करें.

उसी बीच डाक्टर के फोन पर अफगानिस्तान से फोन आता है, जिस में बताया जाता है कि वे लोग रक्षामंत्री और आर्मी चीफ पर हमला करने की योजना बना रहे हैं, जो कुछ दिनों बाद जम्मूकश्मीर आने वाले हैं. वे रक्षा मंत्री और आर्मी चीफ पर हमला कर के अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं. जिस से मुजाहिदीन को आईएसआई से फंडिंग मिल सके.

आर्मी बेस कैंप में सोमबीर को पता चलता है कि उस ने जिस आतंकवादी को मारा था, वह गांव का लोकल आदमी था, जिस ने जल्दी ही मुजाहिदीन आतंकवादी ग्रुप जौइन किया था. थोड़ी देर बाद सोमबीर का एक अधिकारी आ जाता है, जिस से सोमबीर गांव में छानबीन करने के लिए कहता है, क्योंकि जब से उसे आतंकवादी के पास से स्नाइपर मिली थी, उसे कुछ गड़बड़ लग रहा था. लेकिन वह अधिकारी छानबीन करने से मना कर देता है.

अगले दिन सोमबीर फोन पर अपनी पत्नी और बच्चों से बात करता है. बात करते हुए सोमबीर की पत्नी अलका उस से कहती है कि पुलवामा अटैक के बाद उसे कुछ ठीक नहीं लग रहा है, इसलिए वह अपना ध्यान रखेगा. सोमबीर कपड़े धो रहा था, तभी उस के खबरी का फोन आता है. आतंकवादी की कुछ खबर दे कर वह कहता है कि आगे की खबर उसे दुर्रानी देगा.

सोमबीर अपने दोस्त अमन के घर जा कर खाना खाते खाते काफी बातें करता है. इस के बाद दोनों गाड़ी से जा रहे थे, तभी दुर्रानी का फोन आता है. वह बताता है कि उस ने कुछ आतंकवादियों को देखा है, जिन की वह लोकेशन भेज देता है. दुर्रानी उस घर में झांक कर देखता है तो उसे एक बड़ा आतंकवादी दिखाई देता है, जिस का नाम हैदर कासिम है.

दुर्रानी अपने मोबाइल से उस की वीडियो बनाने लगता है, तभी एक आतंकवादी पीछे से आ कर उसे मारता है. लेकिन वह होशियारी से स्पाई कैमरे को मुंह में रख लेता है. वह आतंकवादी दुर्रानी को एक पत्थर से बड़ी बेरहमी से मार देता है और सभी आतंकवादी फटाफट भाग जाते हैं.

थोड़ी देर में सोमबीर और अमन दुर्रानी की बताई लोकेशन पर पहुंचते हैं तो देखते हैं कि दुर्रानी तो मरा पड़ा है. दोनों पूरा घर छान मारते हैं, पर वहां कोई आतंकवादी नहीं मिलता. मिलते भी कैसे, वे तो दुर्रानी को मार कर भाग गए थे.

उस मकान से निकल कर हैदर कासिम डाक्टर को फोन करता है तो डाक्टर कहता है कि उस ने उन लोगों के रहने की व्यवस्था पास के गांव में कर दी है. हैदर कासिम के आदमी कुछ लोगों को आरडीएक्स दे कर चले जाते हैं.

आर्मी वाले जम्मूकश्मीर में चैकिंग में लग जाते हैं, क्योंकि रक्षा मंत्री को श्रीनगर आना था. अमन सोमबीर को आसपास के गांवों की डिटेल देता है, ताकि भागे हुए आतंकवादियों को पकड़ा जा सके.

उधर डाक्टर एक आतंकवादी की गाड़ी में स्नाइपर रखता है, ताकि आर्मी वालों को लगे कि आतंकवादी रक्षा मंत्री पर स्नाइपर से हमला करने वाले हैं. पर उस की योजना यह थी कि वे रक्षा मंत्री की गाड़ी से एंबुलेंस की गाड़ी टकराएंगे, जिस में आरडीएक्स रखा होगा. यह काम एक आतंकवादी लड़की करने वाली थी.

आर्मी का हैड कमांडर चीफ से बात करता है. चीफ कहता है कि रक्षा मंत्री हर हाल में जम्मूकश्मीर आएंगे और उन का यह प्लान बिलकुल चेंज नहीं होगा. तब हैड कमांडर कहता है कि उन्होंने रक्षा मंत्री की सुरक्षा की पूरी तैयारी कर रखी है.

सोमबीर का अधिकारी कहता है कि खबरी के मुंह से वीडियो कैमरा मिला है, जिस में एक वीडियो मिली है. उस में हैदर कासिम है, जो एक बहुत बड़ा आतंकवादी है. आर्मी के हैड को पता चल जाता है कि हैदर जम्मूकश्मीर आ गया है, जो बम बनाने में माहिर है. तब उन्हें लगता है कि पुलवामा जैसा ही कांड ये आतंकवादी रक्षामंत्री के साथ भी करना चाहते हैं. सोमबीर अपने अधिकारी से कहता है कि इन आतंकवादियों को किसी भी सूरत में खत्म कर देगा.

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दूसरा एपिसोड

दूसरे एपिसोड की शुरुआत में सोमबीर अमन ठाकुर से आतंकवादी हैदर कासिम के बारे में बात करता है. आगे सोमबीर की पत्नी अपने बच्चों से जम्मूकश्मीर जाने की बात करती है. इस के बाद सारे आतंकवादी सलीम नाम के आदमी के घर जाते हैं, जिस की डाक्टर ने पहले इलाज कर के मदद की थी. लेकिन जब आतंकवादी सलीम से उस के घर रुकने की बात करते हैं तो वह मना कर देता है. पर सारे आतंकवादी जबरदस्ती उस के घर में घुस जाते हैं और उस के घर के ऊपर के हिस्से में चले जाते हैं.

सलीम की बड़ी बेटी तबस्सुम अपने पिता से उन आतंकवादियों को भगाने के लिए कहती है. तब सलीम उसे समझाता है कि इन आतंकवादियों से बड़ी होशियारी से निपटना होगा, वरना ये हम सब को मार देंगे. तभी यूसुफ नाम का आतंकवादी सलीम के पास आ कर उसे पैसे दे कर कहता है कि आज खाने में सभी के लिए बकरा बनेगा और आते समय यह दवा भी लेते आना.

सलीम अपनी दोनों बेटियों को साथ ले कर बाजार जाने लगता है कि ये लोग उन के साथ किसी तरह की बदतमीजी न कर सकें. तब यूसुफ कहता है कि उसे अकेले ही बाजार जाना होगा. उस की दोनों बेटियां घर पर ही रहेंगी. सलीम का परिवार वैसा ही करता है.

आतंकवादी यूसुफ सलीम की दोनों बेटियों को ऊपर जाने के लिए कहता है. तब तबस्सुम चुपके से मिर्ची का पाउडर साथ में ले लेती है. दूसरी ओर सलीम मटन की दुकान से मटन लेता है. तब दुकान वाले को सलीम पर शक होता है. क्योंकि इस से पहले सलीम मटन सिर्फ ईद के मौके पर ही लेता था, वह भी उधार. पर उस दिन उस ने नकद मटन खरीदा था. वह डरा डरा भी लग रहा था.

दूसरी ओर सोमबीर जीप से जा रहा था, तभी रास्ते में उसे एक गाड़ी पर शक होता है. वह उसे चैक करता है तो वह खाली होती है. इस के बाद मटन की दुकान वाला सोमबीर को फोन करता है. क्योंकि वह उस का खबरी था.

वह सोमबीर को बताता है कि उसे सलीम नाम के आदमी पर शक है, क्योंकि आज वह काफी ज्यादा मटन ले कर गया था, जैसे कि उस के घर काफी लोग आए हों. वह डराडरा भी लग रहा था, साथ ही जाते समय उस ने मैडिकल स्टोर से किडनी के इलाज की दवा भी ली थी.

इस के बाद सोमबीर सलीम के घर की ओर चल पड़ता है और यह सारी जानकारी अपने अधिकारी को दे देता है. तब वह बताते हैं कि हैदर को किडनी की प्राब्लम है. यानी हैदर सलीम के घर पर होगा. इस का मतलब यह था कि सोमबीर की टीम सही रास्ते पर जा रही थी. सोमबीर का अधिकारी जम्मूकश्मीर पुलिस को जल्दी से सलीम की लोकेशन पर पहुंचने को कहता है.

अगले सीन में दिखाया जाता है कि सलीम की दोनों बेटियां आतंकवादियों के पास बैठी थीं. तभी नूर नाम के आतंकवादी से तबस्सुम की बहस हो जाती है और तबस्सुम ने नूर के ऊपर मिर्ची पाउडर डाल दिया था. तब नूर बंदूक से फायर कर देता है, जिस से गांव वालों को पता चल जाता है कि सलीम के घर कुछ गड़बड़ है. लोग भागने लगते हैं.

नूर तबस्सुम पर हमला करने वाला था कि उस के साथी उसे रोक लेते हैं. उसी समय सलीम घर आ जाता है. आतंकवादी सलीम को भी मार कर घायल कर देते हैं. सलीम की बीवी अपनी दोनों बेटियों को खाना बनाने के लिए ले जाती है.

इस बीच सोमबीर अपनी टीम के साथ सलीम के घर पहुंच जाता है. उधर हैदर कासिम ऊपर बम बनाने लगा था. अधिकारी सोमबीर उस से पुलिस के आने का इंतजार करने के लिए कहता है, पर सोमबीर चुपके से सलीम के घर के पीछे उस के परिवार को बचाने पहुंच जाता है.

हैदर डाक्टर से बात करता है तो पता चलता है कि डाक्टर ने 50 किलोग्राम आरडीएक्स जमा कर लिया है, जिससे वह रक्षा मंत्री पर हमला करवा सके. आर्मी वाले चुपके से सलीम का घर घेर लेते हैं. तबस्सुम मां और बहन के साथ मटन बनाते हुए घर के बाहर की ओर देखती है तो उसे सोमबीर दिखाई दे जाता है. वह चुपके से सोमबीर को बता देती है कि घर के अंदर कितने आतंकवादी हैं.

सोमबीर एक परची पर कुछ लिख कर तबस्सुम की ओर फेंकता है. लेकिन तभी नूर आ जाता है, जिस से तबस्सुम उसे उठा नहीं पाती. लेकिन जैसे ही नूर वहां से जाता है, तबस्सुम उस परची को उठा कर देखती है. उस में लिखा था, सभी लोग बाहर की ओर जाओ, वहां से आर्मी वाले उन्हें बचा लेंगे.

इस के बाद तबस्सुम सारी बात बता कर मां और बहन के साथ ऊपर जाने लगती है, तभी नूर आ जाता है. वह नूर को बरतन लाने के लिए भेज कर मां और बहन के साथ खिड़की से भाग जाती है तो आर्मी वाले उन्हें बचा लेते हैं. नूर आर्मी वालों को सलीम के परिवार वालों को बचाते देख लेता. यह बात वह हैदर को जा कर बताता है.

इस के बाद हैदर डाक्टर को फोन कर के वहां से निकालने के लिए कहता है. डाक्टर यूसुफ को फोन कर के कहता है कि अब तुझे पता है कि क्या करना है. तब यूसुफ आर्मी वालों पर बंदूक से हमला कर देता है. आर्मी वाले उसे मार कर जैसे ही घर के अंदर जाते हैं, देखते हैं कि हैदर अपने साथियों को ले कर सलीम के साथ भाग चुका है. क्योंकि सलीम को ही सारे खुफिया रास्ते पता थे.

आगे हैदर के साथी एक गाड़ी छीनते हैं और सलीम का गला काट कर उसी कार से चले जाते हैं. सोमबीर की टीम सलीम की लाश के पास पहुंचती है और सोमबीर अपने कर्नल को बताता है कि हैदर बस पकड़ा ही जाने वाला था, लेकिन वह भाग गया. लेकिन अब वह उसे पकड़ ही लेंगे.

उधर हैदर का दिया बम डाक्टर को मिल जाता है, जिसे वह एंबुलेंस में लगा सके. पर उस बम का ट्रिगर हैदर के पास ही था, जिसे वह लाने वाला था. आगे आतंकवादियों का यह ग्रुप कार से उतर कर आगे बढ़ता है, पर आगे पुलिस ने नाकेबंदी कर रखी थी. हैदर एक स्कूल के बच्चे से मिल कर बात करता है. तभी उसे आइडिया आता है कि वे स्कूल में ही क्यों न छिप जाएं और सभी स्कूल के अंदर चले जाते हैं. दूसरी ओर आर्मी वाले हैदर की तलाश में लगे थे.

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तीसरा एपिसोड

तीसरे एपिसोड की शुरुआत में दिखाया जाता है कि आर्मी वाले सभी जगह गहन चैकिंग कर रहे थे, क्योंकि रक्षा मंत्री का प्लेन लैंड करने वाला था, इसलिए आर्मी वाले पूरी तैयारी से लगे थे.

अलका टीवी पर न्यूज देखती है कि जहां सोमबीर की ड्यूटी है, वहां किसी हैदर नाम के आतंकी के आने की खबर है. अलका तुरंत सोमबीर को फोन करती है. तब वह अलका से कहता है कि डरने की कोई बात नहीं है, वहां सब ठीक है.

डाक्टर टीवी पर देखता है कि उस का आदमी यूसुफ मारा जा चुका है. दूसरी ओर आतंकवादी स्कूल के टौप फ्लोर पर पहुंच गए हैं. आर्मी वाले उस कार तक पहुंच गए थे, जिस से आतंकवादी भागे थे. हैदर फोन कर के डाक्टर को बताता है कि वे लोग एक स्कूल में आ गए हैं.

डाक्टर अपने आदमी फरहान से सारे आतंकवादियों को स्कूल से निकालने को कहता है. सोमबीर अमन को फोन कर के बताता है कि उसे आतंकवादियों वाली गाड़ी मिल गई है. पर वे सभी भाग गए हैं. दूसरी ओर अमन हैदर की फोटो दिखा कर लोगों से पूछताछ करता है. तब स्कूल का एक बच्चा बताता है कि यह आदमी अपने साथियों के साथ स्कूल के अंदर गया है.

पुलिस टीम स्कूल की ओर चल पड़ती है, ताकि आतंकवादियों को पकड़ा जा सके. उधर हैदर कासिम बम का ट्रिगर बनाने में लगा था. नूर को वह यह देखने के लिए बाहर भेजता है कि कहीं कोई गड़बड़ तो नहीं है? नूर जैसे ही नीचे पहुंचता है, देखता है कि पुलिस वाले स्कूल में आ गए हैं. वह फायरिंग कर के कुछ पुलिस वालों को घायल कर देता है.

पुलिस वाले फटाफट बच्चों को बाहर निकालने लगते हैं. नूर ऊपर जा कर हैदर को बताता है कि पुलिस वाले आ गए हैं. तब हैदर नाराज हो कर कहता है कि वे चुपचाप वहां से जा सकते थे. नूर कहता है कि कुछ ही पुलिस वाले तो हैं. वे उन्हें मार डालेंगे.

अमन फटाफट बच्चों को बाहर निकाल देता है. तभी एक टीचर से उसे पता चलता है कि आर्ट रूम में कुछ बच्चे फंसे हैं. अमन सोमबीर को फोन कर के बताता है कि आतंकवादियों ने उन पर फायरिंग की है. वह अपनी टीम के साथ जल्दी आ जाए. वह उसे यह भी बताता है कि उस ने कुछ बच्चों को बचा लिया है.

उसी समय बच्चों के मातापिता आ जाते हैं, जो बच्चों को बचाने के लिए स्कूल के अंदर जाने की कोशिश करने लगते हैं. हैदर ऊपर से स्नाइपर से गोली चलाता है, जिस से अमन घायल हो जाता है. बच्चों के मातापिता पुलिस वालों को धकेल कर अंदर जाने की कोशिश कर रहे थे. तभी सोमबीर अपनी टीम के साथ आ जाता है और बच्चों के मातापिता को धकेल कर अंदर से गेट बंद कर लेता है.

सोमबीर कवर में जाता है तो देखता है कि अमन की हालत गोली लगने से काफी खराब है और वह गिरने वाला है. फिर वह अमन को कवर कर के गाड़ी के पीछे ले जाता है. दूसरी ओर आर्मी अधिकारी और फोर्स भेजते हैं. नूर बच्चों के पास जाता है और उन्हें हैदर के पास ले आता है. इधर अमन मौत के नजदीक पहुंच जाता है. वह सोमबीर से कहता है कि अगर वह मर गया तो इस हैदर को मार कर यहीं गाड़ देना. यही उस की आखिरी ख्वाहिश है.

थोड़ी देर में आर्मी के ट्रक स्कूल पहुंच जाते हैं. नूर स्नाइपर से आर्मी वालों पर हमला करने लगता है. हैदर उसे रोकता है, क्योंकि स्नाइपर चलाने से आर्मी वालों को उन की पोजीशन का पता चल जाता. वह नूर को नीचे भेज कर आर्मी वालों पर नजर रखने को कहता है.

सोमबीर अपने साथियों को अपना प्लान बता कर आर्ट वाली बिल्डिंग घेरने को कहता है. दूसरी ओर डाक्टर देखता है कि रक्षा मंत्री श्रीनगर पहुंच चुके हैं. आर्मी वाले बिल्डिंग को घेर लेते हैं तो सोमबीर खिड़की के पास वाले पाइप के सहारे ऊपर चढ़ता है और उस के साथी सीढिय़ों से अंदर आते हैं.

सोमबीर खिड़की से अंदर देखता है कि नूर फस्र्ट फ्लोर पर है और वह यह बात अपने साथियों को बता देता है. सोमबीर खिड़की पर आवाज कर के नूर का ध्यान भटकाता है, तभी सोमबीर के साथी पीछे से पकड़ कर उसे मार डालते हैं. सोमबीर खिड़की से अंदर आता है और अपने साथियों के साथ मिल कर बाकी बच्चों को बचा लेता है.

उसी बीच डाक्टर का साथी फरहान स्कूल के पास पहुंच जाता है. डाक्टर फरहान से कहता है कि उसे किसी भी हालत में हैदर से बम का ट्रिगर चाहिए. इस के लिए उसे हैदर को भी खोना पड़े तो कोई बात नहीं है.

रक्षा मंत्री अपनी गाड़ी से श्रीनगर के लिए निकल पड़ते हैं. उधर सोमबीर खिड़की से हैदर और शाकिर को देखता है, जिन्होंने कुछ बच्चों को पकड़ रखा है, ताकि वह आर्मी वालों से बच सके. हैदर शाकिर को नूर को देखने के लिए भेजता है, क्योंकि वह अभी तक वापस नहीं आया था.

शाकिर जैसे ही नीचे पहुंचता है, देखता है कि नूर को तो आर्मी वालों ने मार दिया है. वह ऊपर जा कर जल्दी से गेट बंद कर देता है और हैदर को सब बताता है कि आर्मी वालों ने अंदर आ कर नूर को मार दिया है. अब हैदर को अपनी योजना फेल होती नजर आने लगी थी. क्योंकि अब वह ट्रिगर डाक्टर तक नहीं पहुंचा सकेगा.

वह डाक्टर को फोन कर के कहता है कि अब उसे प्लान बी इस्तेमाल करना होगा. इस में अगर एंबुलेंस को रक्षा मंत्री की गाड़ी से टकराएंगे तो आरडीएक्स अपने आप ब्लास्ट हो जाएगा और उन्हें ट्रिगर की जरूरत नहीं पड़ेगी. यह सारी बात सोमबीर सुन कर अपने अधिकारी को बता देता है.

दूसरी ओर डाक्टर के लिए काम कर रही लड़की इस मिशन को करने से मना कर देती है. क्योंकि वह खुद को बम से उड़ाना नहीं चाहती थी. डाक्टर उस से एंबुलेंस की चाबी ले कर उसे गोली मार देता है और खुद एंबुलेंस ले कर रक्षा मंत्री की गाड़ी पर अटैक करने के लिए चल देता है.

उधर हैदर बच्चों को ढाल बना कर बैठा था. सोमबीर चुपके से खिड़की खोल कर कमरे में घुस जाता है. दूसरी ओर आर्मी वाले उस एंबुलेंस को ढूंढने में लग गए थे, जिसे डाक्टर ले कर निकला था. सोमबीर बम फोड़ कर चारों ओर धुआंधुआं कर देता है और शाकिर को मार देता है, साथ ही बच्चों को निकाल लेता है.

तभी फरहान हैदर को बचाने के लिए फायरिंग करते हुए स्कूल में घुसता है, लेकिन अमन उसे गोली मार देता है. घायल फरहान अमन को गोली मार देता है. लेकिन मरने से पहले अमन फरहान को चाकू से मार देता है.

उधर सोमबीर को भी हैदर की चलाई गोली लग जाती है. पर हैदर उसे दोबारा गोली मारता, उस से पहले ही सोमबीर उसे गोलियों से छलनी कर देता है और खुद बेहोश हो जाता है.

दूसरी ओर डाक्टर एंबुलेंस ले कर अटैक के लिए जा रहा था. आर्मी वाले उसे देख लेते हैं और फायरिंग कर के डाक्टर को मार देते हैं. इसी के साथ एंबुलेंस में रखा आरडीएक्स ब्लास्ट हो जाता है और बहुत बड़ा धमाका होता है. आर्मी वाले सोमबीर को बचाने के लिए एंबुलेंस से ले जाते हैं, पर सोमबीर रास्ते में देश के लिए शहीद हो जाता है.

जैसे ही इस बात की जानकारी अमन और सोमबीर के परिवार वालों को होती है, वे फूटफूट कर रोने लगते हैं. वेब सीरीज का यह बहुत ही इमोशनल दृश्य होता है. इस के बाद अमन ठाकुर और सोमबीर सिंह को सम्मान के साथ तिरंगे में विदा किया जाता है. अंत में अमन ठाकुर और सोमबीर सिंह की असली फोटो दिखाई जाती है और यहीं पर वेब सीरीज खत्म हो जाती है.

बरुण सोबती

बरुण सोबती का जन्म 21 अगस्त, 1984 को दिल्ली में हुआ था. यहीं उस का पालनपोषण और पढ़ाई भी हुई. उस ने नई दिल्ली के सेंट मार्क स्कूल से पढ़ाई की. मनोरंजन की दुनिया में आने से पहले उस ने 7 सालों तक जिंदल टेलीकौम में औपरेशन मैनेजर के रूप में काम किया था.

बरुण सोबती ने 12 दिसंबर, 2010 को एक गुरुद्वारे में एक निजी समारोह में अपनी हाईस्कूल की प्रेमिका पशमीन मनचंदा के साथ विवाह किया. जून, 2019 को वह एक बेटी के बाप बना. 2023 में इन के घर एक बेटा पैदा हुआ.

बरुण सोबती ने साल 2009 में स्टार प्लस के शो ‘श्रद्धा’ में स्वयं खुराना के रूप में अभिनय की शुरुआत की. इस के बाद मैडिकल शो में ‘दिल मिल गए’ में डाक्टर राज की भूमिका निभाई, जो नशीली दवाओं से पीडि़त एक मैडिकल इंटर्न था. साल 2010 में सोबती ने सोनी टीवी के शो ‘बात हमारी पक्की’ में श्रवण जायसवाल की भूमिका निभाई.

स्टार प्लस के शो ‘इस प्यार को क्या नाम दूं’ में अर्नव सिंह रायजादा के रूप में काम करने के साथ 2014 में रोमांटिक कामेडी ‘मैं मिस्टर राइट’ से अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत की. उस की दूसरी फिल्म थी ‘तू है मेरा संडे’. इस के अलावा भी उस ने कई फिल्मों में काम किया.

बरुण ने श्रीजीत मुखर्जी की वेब सीरीज ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ में काम किया. ‘असुर’ में निखिल नायर के रूप में काम किया. ‘बदतमीज दिल’ में तथा ‘कोहरा’ में उस की भूमिका को काफी सराहा गया है.

सुरभि चांदना

11 सितंबर,1989 को मुंबई में पैदा हुई सुरभि चांदना मुख्यरूप से हिंदी टेलीविजन में काम करती है. चांदना ने अभिनय की शुरुआत सब टीवी पर आने वाले धारावाहिक ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में स्वीटी के रूप में की. उस की पहली प्रमुख भूमिका ‘कुबूल है’ में हया कुरैशी के रूप में थी. उसे पहचान मिली ‘इश्कबाज’ से.

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‘इश्कबाज’ में उस ने अनिका सिंह त्रिवेदी ओबेराय की भूमिका कर के अपनी पहचान बनाई. यह धारावाहिक उस के लिए एक बड़ी सफलता साबित हुआ. इस भूमिका के लिए उस ने सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री, लोकप्रियता के लिए आईटीए पुरस्कार सहित कई पुरस्कार जीते.

चांदना ने ‘संजीवनी’ में नमित खन्ना के साथ डा. इशानी अरोड़ा माथुर की भूमिका निभाई. इस के बाद ‘नागिन 5’ में बानी शर्मा की भूमिका निभा कर सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीतने के साथ आईटीए पुरस्कार भी जीता.

‘हुनरबाज’ को होस्ट करने के साथ ‘शेरदिल शेरगिल’ में अकेली मां मनजीत शेरगिल यादव की भूमिका निभाई. हाल ही में उस ने ‘रक्षक: इंडियाज ब्रेव्स’ सीजन- 2 में बरुण सोबती के साथ काम किया है.

चांदना 2010 से उद्यमी करण शर्मा के साथ रिश्ते में थी. 13 सालों तक संबंध में रहने के बाद इसी साल यानी 2 मार्च, 2024 को दोनों ने जयपुर में हिंदू रीतिरिवाज से विवाह कर लिया है.

डेंजरस : बिपाशा और करण सिंह ग्रोवर का डिजिटल डेब्यू

डेंजरस : बिपाशा और करण सिंह ग्रोवर का डिजिटल डेब्यू – भाग 3

नेहा आदित्य को घेरने की पूरी प्लानिंग के साथ एयरपोर्ट पहुंचती है. एयरपोर्ट पर आदित्य नेहा का इंतजार कर रहा है. नेहा जैसे ही एयरपोर्ट पहुंचती है, उस का ट्रौली बैग के ऊपर रखा हैंडबैग गिर जाता है, जिसे एक छोटी बच्ची उठा कर देती है.

शुरुआती सीन पर ही खत्म होती है वेब सीरीज

आदित्य को शक होता है कि नेहा का बैग इतना हल्का क्यों है? शक होने पर आदित्य वहां से भागने लगता है और नेहा पुलिस टीम के साथ उस का पीछा करती है. कुछ समय दोनों तरफ से गोलीबारी होती है, तभी नेहा आदित्य के पीछे से पिस्टल तान कर उसे रुकने को कहती है.

नेहा आदित्य से कहती है कि तुम यहां से भाग नहीं सकते. सारा परदाफाश हो चुका है, इसलिए तुम सरेंडर कर दो. इस पर आदित्य नेहा को बताता है कि वह दीया को मार कर गौरी को पार्टनर बनाना चाहता था, तभी तुम मेरी जिंदगी में आ गईं. आदित्य सफाई देने की कोशिश करता है, मगर नेहा उसे अदालत में सच्चाई बताने को कहती है.

आदित्य नेहा से पूछता है कि वह उस के साथ है या खिलाफ तो नेहा कहती है कि वह उस के खिलाफ है और दुआ करती है वह  कभी भी उस की जिंदगी में दोबारा न आए.

तभी एक कार आती है और आदित्य नेहा के हाथ से पिस्टल छीन कर उस कार के ड्राइवर को बाहर निकाल कार में बैठ कर भागने लगता है. नेहा भी दूसरे रास्ते पर जा कर आदित्य की कार के आगे पिस्टल ले कर खड़ी हो जाती है. जैसे ही आदित्य कार आगे बढ़ाता है, नेहा ट्रिगर दबा देती है और गोली कार के शीशे को पार कर आदित्य को लगती है और उस का काम तमाम हो जाता है.

जिस सीन के साथ एपिसोड शुरू हुआ था, वह पूरा हो जाता है. एपिसोड के अंत में नेहा अपने फोटो फ्रेम को सीने से लगा कर मेज पर रखती है और लैपटाप पर बिजी हो जाती है. तभी कैमरा फोटो फ्रेम पर घूमता है, जो पूरी तरह खाली है.

बिपाशा बसु

बौलीवुड की हौट एक्ट्रैस बिपाशा बसु का जन्म 7 जनवरी, 1979 को दिल्ली में एक बंगाली फैमिली में हुआ था. उस के पिता हीरक बसु सिविल इंजीनियर हैं, जबकि मां ममता एक हाउसवाइफ हैं. बिपाशा 3 बहनें हैं, जिन में बड़ी बहन विदिशा और छोटी बहन विजयेता हैं.

बिपाशा ने 8 साल की उम्र तक दिल्ली में रह कर ही पढ़ाई की, इस के बाद उस की फैमिली कोलकाता शिफ्ट हो गई, जहां स्कूल में उसे बच्चे ‘लेडी गुंडा’ कहते थे. वह क्लास की हेड गर्ल रही और छोटे बाल, दमदार पर्सनैलिटी से हमेशा लाइमलाइट में रहती थी.

साल 1996 में कोलकाता के एक होटल में बिपाशा बसु को मौडल मेहर जेसिया रामपाल ने देखा तो उस की खूबसूरती को देख कर बिपाशा को मौडलिंग करने का सुझाव दिया.

उसी साल बिपाशा ने सुपर मौडल प्रतियोगिता में हिस्सा ले कर जीत हासिल की. इस के बाद मियामी में फोर्ड मौडल्स सुपर मौडल औफ द वल्र्ड कांपिटीशन में देश का प्रतिनिधित्व किया. यहीं से बिपाशा का सफर शुरू हुआ.

उसी दौरान बिपाशा बसु और डिनो मोरिया मिले और एकदूसरे को डेट करने लगे. उस समय दोनों ने साथ में एक बोल्ड विज्ञापन किया, जो काफी समय तक विवादों में रहा था. इस के बाद वह कई मैगजींस के कवर पेज पर छा गई. उस ने तब तक मौडलिंग की, जब तक फिल्म का औफर नहीं आ गया.

साल 2001 में बिपाशा बसु ने बौलीवुड में कदम रखा. वह पहली बार अक्षय कुमार के साथ ‘अजनबी’ फिल्म में नजर आई, जिसे अब्बास-मस्तान ने डायरेक्ट किया था. उस की पहली फिल्म सफल रही और इमेज एक बोल्ड अभिनेत्री की बन गई.

अगले ही साल 2002 में बिपाशा ने एक और फिल्म ‘राज’ में काम किया और इस में उस की ऐक्टिंग और बोल्डनैस की खूब तारीफ हुई. फिल्म के डायलौग से ले कर गाने तक हिट हुए थे. इस फिल्म को विक्रम भट्ट ने डायरेक्ट किया था.

इस के बाद बिपाशा ने जिस्म, जमीन, मदहोशी, बरसात, नो एंट्री, धूम 2, फिर हेराफेरी, ओमकारा आदि फिल्में कीं. वह साउथ की फिल्मों में भी नजर आई.

पर्सनल लाइफ की बात करें तो साल 1996 से 2002 तक बिपाशा बसु ने डिनो मोरिया को डेट किया, लेकिन फिर इन का रिश्ता टूट गया. इस के बाद 2002 में बिपाशा की जौन अब्राहम से नजदीकियां बढ़ीं. दोनों 2011 तक एकदूसरे के साथ थे.

बताया जाता है कि बिपाशा ने हरमन बावेजा को भी डेट किया था, लेकिन 2014 में दोनों अलग हो गए थे. इसी साल ‘अलोन’ के सेट पर बिपाशा की मुलाकात करण सिंह ग्रोवर से हुई. यहीं से दोनों की नजदीकियां बढ़ीं और दोनों ने 2016 में शादी कर ली. 12 नवंबर, 2022 को बिपाशा ने एक बेटी को भी जन्म दिया, जिस का नाम देवी रखा गया है.

करण सिंह ग्रोवर

टीवी इंडस्ट्री से बौलीवुड तक अपनी पहचान बनाने वाले करण सिंह ग्रोवर का जन्म 23 फरवरी, 1982 को नई दिल्ली में हुआ था. सऊदी अरब में उस की शुरुआती पढ़ाई हुई, इस के बाद आईएचएम मुंबई से होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई की. कुछ वक्त तक उस ने होटल इंडस्ट्री में काम किया, लेकिन उस की मंजिल ग्लैमर इंडस्ट्री में पूरी हुई.

करण सिंह ग्रोवर आज अपनी जिंदगी कभी बौलीवुड की टौप मोस्ट एक्ट्रैस में शुमार बिपाशा बसु के साथ गुजार रहा है. दोनों की जोड़ी बौलीवुड के रोमांटिक जोड़ी में से एक हैं. ऐसा नहीं है कि बिपाशा करण का पहला प्यार है, इस से पहले भी वह कई बार अलगअलग लड़कियों को दिल दे चुका है.

करण सिंह का नाम दिलफेंक ऐक्टर के  रूप में जाना जाता है. उस की जिंदगी में कई लड़कियां आईं. बिपाशा बसु से शादी करने से पहले वह 2 बार दूल्हा भी बन चुका है.

करण ने 2008 में अभिनेत्री श्रद्धा निगम के साथ सात फेरे लिए, लेकिन इस रिश्ते में वह ईमानदार नहीं रह पाया. एक बार तो श्रद्धा ने उसे रंगेहाथों पकड़ा, जिस के बाद उस ने करण से शादी तोड़ दी. यह रिश्ता महज 10 महीने तक ही कायम रहा.

श्रद्धा से अलग होने के बाद करण का नाम डांस कोरियोग्राफर निकोल के साथ भी जुड़ा, फिर एक्ट्रैस जेनिफर विंगेट के साथ वह प्यार में पड़ा. साल 2012 में दोनों शादी के बंधन में बंध गए, लेकिन यहां भी करण अपने दिल को नहीं संभाल पाया. वह दूसरी लड़कियों के प्रति आकर्षित होने लगा.

एक बार तो जेनिफर ने एक टीवी सीरियल के सेट पर करण को किसी लड़की के साथ देख लिया तो वह अपना आपा खो बैठी और भरी महफिल में करण को जोरदार थप्पड़ जड़ दिया. इस के बाद साल 2014 में दोनों ने तलाक ले लिया.

फिर करण का दिल बिपाशा बसु पर आ गया. करण और बिपाशा 31 दिसंबर, 2015 की रात थाईलैंड में थे और इस दौरान करण ने एक रिंग के साथ बिपाशा को प्रपोज किया. बिपाशा उसे न नहीं बोल पाई और 2016 में दोनों ने शादी कर ली.

फिलहाल करण और बिपाशा एकदूसरे के साथ बेहद खुश हैं. अकसर दोनों एकदूसरे के साथ रोमांस करते नजर आते हैं.

सोनाली राउत

‘द एक्सपोज’ फिल्म में काम कर चुकी एक्ट्रेस और बिग बौस की पूर्व कंटेस्टेंट सोनाली राउत का जन्म 23 दिसंबर, 1990 को दिल्ली में हुआ था. सोनाली न सिर्फ अपने बोल्ड और बिंदास अंदाज के लिए चर्चा में रही है, बल्कि अपनी सैक्सी इमेज और फिगर को ले कर भी उस ने खूब लोकप्रियता बटोरी है.

सोनाली भारत की पहली सुपर मौडल के नाम से पहचानी जाने वाली उज्जवला राउत की छोटी बहन है. सोनाली साल 2010 में उस समय चर्चा में आई, जब उस ने किंगफिशर कैलेंडर के लिए स्विमसूट पहन कर पोज दिए थे.

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सोनाली राउत

आज हौट और स्लिम दिखने वाली यह बाला एक वक्त पर बेहद मोटी थी. सोनाली राउत ने अपने करिअर की शुरुआत मौडलिंग से की थी, इस के बाद उस ने हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘द एक्सपोज’ के जरिए बौलीवुड में कदम रखा और इसी दौरान वह रियलिटी शो ‘बिग बौस’ के आठवें सीजन में भी नजर आई.

सोनाली अपने गुस्सैल स्वभाव के लिए भी जानी जाती है. कपिल शर्मा के शो ‘कौमेडी नाइट्स विद कपिल’ के सेट पर सोनाली राउत और जोया अफरोज के बीच जम कर झगड़ा हुआ था और बात इस कदर बढ़ी कि जोया ने सोनाली को थप्पड़ तक जड़ दिया था. दोनों यहां हिमेश रेशमिया की फिल्म ‘द एक्सपोज’ के प्रमोशन के लिए आई थीं.

इस के बाद सोनाली साल 2016 की एडल्ट कौमेडी फिल्म ‘ग्रेट ग्रैंड मस्ती’ में दिखाई दी थी. बिग बौस सीजन 8 में सोनाली ने अली कुली मिर्जा को थप्पड़ मार दिया था. अली ने सोनाली पर गलत टिप्पणी की थी, जिस के बाद सोनाली ने अली को गुस्से में मारा था.

फिल्म के अलावा सोनाली रणवीर सिंह के साथ अपने एक बोल्ड फोटोशूट को ले कर भी खूब चर्चा में रही. वह सोशल मीडिया पर अकसर अपनी ग्लैमरस तसवीरें शेयर करती रहती है और इस के चलते चर्चा में भी बनी रहती है.

डेंजरस : बिपाशा और करण सिंह ग्रोवर का डिजिटल डेब्यू – भाग 2

एपिसोड- 3

तीसरे एपिसोड में नेहा आदित्य के घर उस के रूम की तलाशी लेती है. तलाशी के दौरान उसे एक फोटो फ्रेम हाथ लगता है, जिसे देख कर नेहा आदित्य के साथ बिताए प्यार भरे पलों को याद करती है. नेहा एक छोटी डिब्बी खोल कर देखती है, जिस में हीरे की अंगूठी रखी होती है, यह वही अंगूठी है जिसे नेहा आदित्य को उस वक्त लौटाती है, जब वह दीया से शादी करने का निर्णय लेता है.

तलाशी के दौरान नेहा को ड्रग्स की पिल्स मिलती हैं, जिन का इस्तेमाल डिप्रेशन में किया जाता है. नेहा जैक्स के माध्यम से उस मनोचिकित्सक डा. सायरा खान तक पहुंच जाती है, जो दीया का इलाज करती है. डा. खान दीया के साथ हुई बातचीत की रिकौर्डिंग नेहा को इस शर्त पर उपलब्ध कराती है कि इस रिकौर्डिंग को पुलिस के अलावा किसी को नहीं सुनाई जाएगी.

नेहा अपने असिस्टेंट जैक्स के साथ दीया और डा. खान के बीच हुई बातचीत की रिकौर्डिंग सुनती है तो उस में नेहा कहती है कि वह डिप्रेशन की नहीं रिजेक्शन की शिकार है. आदित्य शादी के बाद भी हर वक्त नेहा को मिस करता है. डाक्टर के यह पूछने पर दीया बताती है कि वह ड्रग्स ले कर रातरात भर विशाल की बाहों में रहती है.

मीका सिंह के गाए गाने पर विशाल और दीया के बोल्ड इंटीमेट सीन भी इस एपिसोड में देखने को मिलते हैं. एक रात विशाल के आगोश में समाई दीया को विशाल सलाह देता है कि आदित्य को परेशान करने के लिए वह जिम जाने के दौरान 2-3 दिनों के लिए बिना बताए कहीं गायब हो जाए.

इस के बाद के सीन में किसी अंधेरे कमरे में विशाल ने दीया को कैद कर रखा है और वह किसी से फोन पर कह रहा है कि आदित्य से किसी तरह पैसा मिलना जरूरी है, क्योंकि अब ज्यादा दिन दीया को संभालना मुश्किल है.

इधर नेहा आदित्य को सच बता देती है कि विशाल ने तुम्हें और दीया को धोखा दिया है, उस का अफेयर दीया के साथ चल रहा है. आदित्य अफसोस के साथ कहता है कि ऐसी बीवी की रिहाई की कीमत चुकानी पड़ेगी. नेहा कहती है कि किसी भी तरह दीया की जान बचानी है.

एपिसोड- 4

इस एपिसोड के शुरुआत में विशाल का दीया के प्रति बर्ताव इस तरह होता है, जिस से साफ झलकता है कि किडनैपिंग के जरिए वह आदित्य से पैसा वसूलना चाहता है. विशाल आदित्य को फोन कर के अमेरिका की टिकट और फिरौती की रकम देने की बात कहता है.

जब आदित्य उस से पूछता है रकम कहां लानी है तो विशाल बताता है कि उस के घर के बाहर उस के मेल बौक्स में एक पार्सल रखा है. उसे खोल कर देखो फिर बात करता हूं.

पुलिस टीम की मौजूदगी में बाहर मेल बौक्स में रखे पार्सल को खोलने पर पता चलता है कि उस में पैरों में पहनने वाली एक ऐसी विस्फोटक डिवाइस निकलती है, जिस का संबंध चिप के जरिए सेलफोन से होता है.

बाद में विशाल फोन कर के कहता है कि इस डिवाइस को नेहा के पैरों में पहना कर उसे साथ ले कर तुम्हें पैसे ले कर आना है. पहले तो वह मना करता है, मगर नेहा के कहने पर वह मान जाता है.

नेहा अपने पैरों में वो डिवाइस पहन कर आदित्य के साथ विशाल के बताए टेलीफोन बूथ पर पहुंचती है, वहां एक लिफाफे में कार की चाबी और लेटर मिलता है, जिस में एक कार का नंबर और कहां जाना है, यह लिखा रहता है. दोनों वहां खड़ी उस नंबर की कार से रेलवे स्टेशन पहुंचते हैं और ट्रेन में बैठ कर विशाल के बताए अगले पड़ाव के लिए निकल पड़ते हैं.

आगे किसी स्टेशन पर ट्रेन रुकती है तो पता चलता कि इलैक्ट्रिक फेलियर से ट्रेन आगे नहीं जाएगी. नेहा जैक्स को फोन कर के कोई दूसरा इंतजाम करने को कहती है. तभी विशाल आदित्य को फोन कर के उसे 5 मिनट बाद दूसरी ट्रेन से आने की चेतावनी देता है.

आदित्य नेहा से पैरों में पहनी डिवाइस निकालने को कहता है तो नेहा कहती है ऐसा करने से ब्लास्ट हो सकता है और वह आदित्य को उस से दूर जाने को कहती है, मगर आदित्य भावुक हो कर उस के गले लग जाता है.

एपिसोड- 5

पांचवें एपिसोड में विशाल आदित्य को फोन लगा कर कहता है कि इलैक्ट्रिक फेलियर की वजह से आज कोई ट्रेन आगे नहीं जा सकती, इसलिए आज तुम वहीं रुको, कल मैं बताऊंगा कि कहां आना है.

दूसरे दिन नेहा और आदित्य एक सुनसान जगह पहुंचते हैं, जहां विशाल भी मिलता है. विशाल पैसे देने की बात कहता है तो आदित्य पूछता है कि दीया कहां है. विशाल के कहने पर आदित्य ब्रीफकेस खोल कर पैसा दिखाता है. विशाल के निर्देश पर एक तरफ से आदित्य चल कर उस के पास जाता है, दूसरी तरफ से दीया नेहा की तरफ बढ़ती है.

पैसा मिलने के बाद विशाल नेहा के पैर में फंसी डिवाइस का रिमोट औफ कर आदित्य को देता है. दीया के साथ नेहा और आदित्य कार में वापस लौटते हैं. रास्ते में दीया के मुंह से खून निकलने पर दोनों उसे हौस्पिटल ले कर जाते हैं, जहां पर डाक्टर हाथ खड़े करते हुए कहते हैं कि आर्सेनिक पाइजनिंग की वजह से दीया को बचा पाना नामुमकिन है.

आदित्य दीया से मिलने अंदर जाता है तो वह कांपते हाथों से कुछ लिखने का इशारा करती है. आदित्य उसे कागज पेन देता है तो वह ‘सौरी’ लिख देती है. आदित्य उस का माथा चूमता है और दीया की मौत हो जाती है.

इधर विशाल पैसे ले कर अपने ठिकाने पर पहुंचता है तो वहां गौरी दिखाई देती है, जो दीया की किडनैपिंग के खेल की मास्टरमाइंड थी. गौरी का अगला प्लान विशाल को ले कर देश छोडऩे का है और लंदन पुलिस विशाल का दीया के मर्डर के सिलसिले में लुक आउट नोटिस जारी करती है.

गौरी आदित्य से कुछ दिनों की छुट्टी मांगने की बात करना चाहती है तभी डोर बेल बजती है और नेहा आ जाती है. आदित्य और नेहा भावुक हो कर फिर से नई जिंदगी की शुरुआत करने का निर्णय लेते हैं. एक गाने के साथ नेहा की बोल्ड और मादक अदाओं से भरपूर आदित्य के साथ इंटीमेट सीन फिल्माए गए हैं.

एपिसोड के आखिर में जैक्स नेहा को फोन कर विशाल के एक होटल में मिलने की सूचना देता है.

एपिसोड- 6

छठवें एपिसोड की शुरुआत में गौरी विशाल को फोन करती है, उस समय वह बाथरूम में शावर ले रहा होता है. ठीक उसी वक्त आदित्य और नेहा पुलिस टीम के साथ होटल पहुंच जाते हैं. विशाल नहा कर आता है तो गौरी का फोन फिर से आता है तो गौरी बताती है कि पुलिस को उस के होटल में होने का पता चल गया है.

इधर पुलिस होटल को चारों तरफ से घेर लेती है. विशाल और पुलिस के बीच ताबड़तोड़ फायरिंग होती है. तभी नेहा विशाल पर पिस्टल तान कर उसे सरेंडर करने को कहती है, लेकिन विशाल नेहा पर गोली चलाता है और बीच में आदित्य आ जाता है. मौके का फायदा उठा कर विशाल वहां से भाग जाता है और गौरी के पास पहुंचता है.

कहानी में ट्विस्ट आता है और गौरी विशाल से पूछती है कि उस ने मुझ पर भरोसा कर एक बार भी नहीं सोचा तो विशाल कहता है हम दोनों प्यार करते हैं, इस पर गौरी इडियट कह कर विशाल को गोली मार कर उस की जेब में मोबाइल रख कर भाग जाती है.

इधर पुलिस टीम विशाल के पास पहुंच कर एंबुलेंस से हौस्पिटल भेजती है. इलाज के दौरान हौस्पिटल में विशाल की जेब से मोबाइल गिरता है, जिस में गौरी और विशाल की फोटो देख कर नेहा और जैक्स चौंक जाते हैं और नेहा कहती है कि आदित्य की जान खतरे में है.

उधर गौरी आदित्य के घर पहुंच कर उस पर पिस्टल तान कर उसे अपनी पिस्टल दूर फेंकने और दरवाजा बंद करने को कहती है. जैसे ही आदित्य दरवाजा बंद कर के वापस आता है, गौरी उस के माथे पर कातिल मुसकान के साथ पिस्टल अड़ा देती है, मगर आदित्य चालाकी से उस की पिस्टल छीन कर उसे बेतहाशा चूमने लगता है.

दोनों की बातचीत से ऐसा लगता है कि आदित्य और गौरी की प्लानिंग से ही यह सब किया गया है. इस के बाद ‘तेरा प्यार डेंजरस…’ गाने के साथ गौरी और आदित्य के इंटीमेट सीन्स की भरमार दिखाई देती है, जिसे देख कर दर्शकों की सांसें तेज चलने लगती हैं.

बाथटब में आदित्य और गौरी का रोमांस चल रहा है, उसी दौरान नेहा आदित्य को काल करती है. काल गौरी रिसीव करती है. नेहा के पूछने पर गौरी कहती है कि आदित्य के हाथ, पैर, मुंह बंधे हैं. यदि तुम ने घर में घुसने की कोशिश की तो वह आदित्य की जान ले लेगी.

इधर नेहा पुलिस टीम के साथ आदित्य के घर के अंदर आ जाती है तो आदित्य गौरी के सिर पर वार कर उसे गिरा देता है और गौरी के हाथ से पिस्टल ले कर खिड़की के शीशे पर गोली चलाता है.

गौरी उस से कहती है कि तुम ने मुझे धोखा दिया है तो आदित्य कहता है कि मैं नेहा को खोना नहीं चाहता. गौरी के बेहोश होने पर आदित्य पिस्टल उस के हाथ में पकड़ा कर खुद गिरने का नाटक करता है तभी पुलिस टीम के साथ नेहा आ जाती है.

एपिसोड- 7

सातवें एपिसोड की शुरुआत एक रोमांटिक सीन से होती है, जिस में नेहा आदित्य से केस का खुलासा होने की बात करती है. तब आदित्य कहता है कि ऐसा नहीं हो सकता कि हम कुछ दिनों के लिए कहीं चले जाएं और कुछ नई यादें बनाएं.

नेहा इस के लिए राजी भी हो जाती है और जैक्स को केस की रिपोर्ट और लीव एप्लिकेशन साहब की डेस्क पर रखने को देते हुए बताती है वह आदित्य के साथ कुछ दिनों के लिए फ्रांस जा रही है.

जैक्स नेहा को एक और केस सुलझाने की बात कहता है कि बाहर उस होटल की मालकिन बैठी हुई है. जिस होटल में विशाल रुका हुआ था, वह होटल में हुए नुकसान की भरपाई मांग रही है.

बाहर आ कर नेहा और जैक्स उस महिला से रिपोर्ट करने को कहते हैं. इस पर बूढ़ी महिला नाराज हो जाती है, तब नेहा उसे बताती है कि उस के पति का फोन आया था. इस पर महिला चौंक कर बताती है कि उस का पति तो 15 साल पहले मर चुका है. जैक्स कहता है हमारे पास रिकौर्डिंग है जिस में वह टीवी के बारे में कह रहा है.

बूढ़ी महिला आश्चर्य से बोलती है कि कमरों के अलावा कहीं टेलीविजन नहीं है, तुम लोग क्या बोल रहे हो. मामला संदिग्ध लगता है और उस रिकौर्डिंग को नेहा और जैक्स बारबार सुनते हैं.

उस में कोई कह रहा है कि मेरे पास विशाल के मर्डर के बारे में जानकारी है, तुम लोगों को चाहिए तो जल्दी आ जाओ वरना… उस में चल रहे बैकग्राउंड म्यूजिक से नेहा समझ जाती है कि इस पूरे खेल में आदित्य का ही हाथ है.

डेंजरस : बिपाशा और करण सिंह ग्रोवर का डिजिटल डेब्यू – भाग 1

निर्देशक: भूषण पटेल

निर्माता: मीका सिंह, विक्रम भट्ट

लेखक: विक्रम भट्ट

छायांकन: शैलेश कुमार सिंह, अरविंद गुप्ता, गैरी केंट

कलाकार: बिपाशा बसु, करण सिंह ग्रोवर, सुयश राय, सोनाली राउत, नताशा सूरी, नितिन अरोरा

ओटीटी: एमएक्स प्लेयर

सस्पेंस थ्रिलर (Suspense thriller) और हौरर (Horror) फिल्मों के जानेमाने निर्देशक विक्रम भट्ट ने बिपाशा बसु (Bipasha Basu) और उस के हसबैंड करण सिंह ग्रोवर (Karan Singh Grover) की रियल लाइफ केमिस्ट्री को ओटीटी प्लेटफार्म (OTT Platform)  पर दिखाने की कोशिश की है. विक्रम भट्ट बौलीवुड का बड़ा नाम है. लगभग 30 साल के अपने करिअर में उस ने ‘गुलाम’, ‘राज’, ‘आवारा पागल दीवाना’ और ‘1920’ जैसी कई ब्लौकबस्टर फिल्मों का निर्देशन किया है.

अगर उस की फिल्मोग्राफी पर एक नजर डाली जाए तो साफ दिखता है कि थ्रिलर और हौरर फिल्मों में उस का खासा लगाव रहा है. इसलिए जब उस की लिखी वेब सीरीज ‘डेंजरस’ (Dangerous) का ट्रेलर लौंच हुआ तो सोशल मीडिया पर लोगों का उत्साह देखने लायक था. ‘डेंजरस’ वेब सीरीज (‘Dangerous’ Web Series) में अपहरण, फिरौती, बदला, अविश्वास और प्यार समेत कई बातों को क्राइम, सस्पेंस और थ्रिलर की शक्ल देने की कोशिश की गई है.

डायरेक्टर भूषण पटेल के निर्देशन में बनी एमएक्स प्लेयर (MX Player) की वेब सीरीज ‘डेंजरस’ कहानी है पुलिस औफिसर नेहा सिंह की. विदेश में शूट हुई इस वेब सीरीज में उसे एक करोड़पति बिजनैसमैन आदित्य धनराज की लापता बीवी दीया धनराज की किडनैपिंग का केस सुलझाना होता है.

सीरीज में नेहा सिंह की भूमिका बिपाशा बसु और दीया धनराज की भूमिका सोनाली राउत (Sonali Raut) ने निभाई है.

संदिग्ध परिस्थितियों में दीया अचानक किडनैप हो जाती है. नेहा जब आदित्य धनराज के घर पहुंचती है तो उसे देख कर चौंक जाती है. वह इसलिए क्योंकि दोनों शादी से पहले एकदूसरे के साथ रिलेशन में थे.

दीया के साथ उस के ड्राइवर और आदित्य धनराज (करण सिंह ग्रोवर) के दोस्त विशाल (सुयश राय) का भी कोई अतापता नहीं है. क्या दीया की गुमशुदगी में विशाल का हाथ है? क्या दोनों किसी हादसे का शिकार हो गए हैं? नेहा और उस की टीम इन सवालों पर गौर कर रही होती है कि तभी विशाल जख्मी हालत में एक हौस्पिटल में पाया जाता है. इसी दौरान आदित्य के फोन पर किडनैपर की काल आती है और कहानी एक नया ट्विस्ट ले लेती है.

लेकिन यह ट्विस्ट तो सिर्फ शुरुआत है. ‘डेंजरस’ की कहानी में ऐसे कई ट्विस्ट हैं, जो आप को आखिरी मिनट तक बांधे रखते हैं. सीरीज की स्क्रिप्ट काबिलेतारीफ है. कहानी हर वक्त दर्शकों की सोच से 2 कदम आगे चलती है और शक की सुई लगातार एक किरदार से दूसरे किरदार की तरफ घूमती रहती है. लेकिन असली मुलजिम कौन है, इस का पता तो आप को सीरीज देख कर ही चलता है.

रंग जमा गई पतिपत्नी की कैमिस्ट्री

वेब सीरीज ‘डेंजरस’ के निर्माता जानेमाने सिंगर और म्यूजिक डायरेक्टर मीका सिंह हैं. मीका ने सीरीज में 4 गाने भी गाए हैं. मुख्य किरदार निभाए हैं रियल लाइफ जोड़ी बिपाशा बसु और करण सिंह ग्रोवर ने.

गौरतलब है कि 2016 में अपनी शादी के बाद बिपाशा और करण ने पहली बार इस सीरीज में एक साथ काम किया है. दोनों की औन स्क्रीन केमिस्ट्री दर्शकों को और खासकर उन के फैंस को काफी पसंद आएगी.

शो की कास्ट में सुयश राय, सोनाली राउत, नताशा सूरी और नितिन अरोरा भी शामिल हैं और इन सभी ने अपनेअपने किरदारों को बखूबी निभाया है. कई लोगों ने तो सीरीज के सारे एपिसोड बिंज वाच भी कर डाले हैं. लेकिन इस में उन की कोई गलती नहीं है. शो का सस्पेंस ही कुछ ऐसा है कि एक बार देखना शुरू करने के बाद रुकना मुश्किल है.

लंबे अरसे के बाद परदे पर वापसी करने वाली बिपाशा बसु के साथ ‘डेंजरस’ वेब सीरीज में उस का पति करण सिंह ग्रोवर भी प्रमुख भूमिका में है. 7 एपिसोड वाली इस सीरीज में सब से प्रभावी करण सिंह ग्रोवर ही है. यह वेब सीरीज काफी दिलचस्प है और बिपाशा-करण ने अपनी ऐक्टिंग से भी फैंस का दिल जीता है.वहीं इस वेब सीरीज में सब से जबरदस्त है बिपाशा का हौट अवतार, जिस के लिए वह जानी जाती है.

एक इंटरव्यू के दौरान बिपाशा ने बताया था कि इंटीमेट सीन शूट करने से पहले वह काफी परेशान हो जाती है और इसी वजह से उसे ऐसे सीन शूट करने से डर लगता था, मगर यही सीन जब करण के साथ शूट होते हैं तो सीन शूट करने में कंफर्टेबिलिटी रहती है. ‘डेंजरस’ में बिपाशा बसु के साथ नताशा सूरी और सोनाली राउत ने भी हौट और बोल्ड अदाओं का जलवा दिखाने की कोशिश की है.

एपिसोड-1

पहले एपिसोड की शुरुआत होती है ऐसे सीन से जहां पर एक गाड़ी आ कर रुकती है और हाथ में पिस्टल लिए नेहा (विपाशा बसु) उस गाड़ी पर गोली चलाती है. इस के बाद स्क्रीन पर 3 महीने पहले की कहानी दिखाई जाती है. सामान शिफ्टिंग के दौरान एक कार्टून में से नेहा सिंह एक फोटो फ्रेम निकालती है और अपनी कपल फोटो को फ्रेम से निकाल कर खाली फ्रेम एक तरफ रख देती है.

नेहा यूके में पुलिस की खुफिया अधिकारी है, जिसे एक केस को सुलझाने के लिए मैनचेस्टर से लंदन भेजा गया है. नेहा के लंदन पहुंचने पर नेहा के पहले से परिचित जगमोहन उर्फ जग्गू जो अपने आप को जैक्स (नितिन अरोड़ा) कहता है, उसे केस की जानकारी देते हुए बताता है कि इंडियन मिलेनियर आदित्य धनराज (करण सिंह ग्रोवर), जिस ने पिछले 7 सालों में जीरो से हीरो तक का सफर तय किया है, उस की पत्नी दीया (सोनाली राऊत) पिछले 30 घंटे से लापता है. नेहा तब पूछताछ के लिए धनराज के घर पहुंचती है.

यहीं से दर्शकों को पता चलता है कि नेहा पहले धनराज की गर्लफ्रेंड रही है. यहां फ्लैशबैक में दिखाया गया है कि नेहा की मुलाकात दीया से एक क्लब में होती है. दीया धनराज को ले कर क्लब में पहुंचती है, वहीं नेहा भी अपने बौयफ्रेंड के साथ क्लब में है. यहीं पर आदित्य दीया के साथ उस की एंगेजमेंट की बात नेहा को बताता है. शराब के पैग लेने के बाद डांस पार्टी में मीका सिंह का एक गाना चलता है.

इस के बाद नेहा अपने स्टाफ को केस के लिए जरूरी निर्देश देती है, तभी आदित्य की हाउसकीपर गौरी (नताशा सूरी) उस के पास आ कर नेहा को धनराज और दीया के रिलेशन के बारे में बताती है कि दोनों के बीच आए दिन झगड़ा और मारपीट होती रहती थी.

गौरी कहती है कि आदित्य अपने बिजनैस में इतना व्यस्त रहता है कि उस के पास दीया के लिए समय ही नहीं है, उस के लिए उस का बिजनैस ही बीवी है. ऐसे में दीया रातरात भर क्लब में जा कर ड्रिंक कर के अपना मन बहलाती है. धनराज अपने दोस्त विशाल को दीया का ड्राइवर बना कर उस पर नजर रखता है.

एक दिन दीया जब सुबह घर पहुंचती है तो धनराज उस से पूछता है कि वह रात भर किस के साथ थी. इतना सुनते ही दीया चीखचीख कर कहती है, ‘मैं जो भी करती हूं अपने बाप के पैसे से करती हूं. इस तरह के सवाल पूछने का तुम्हें कोई हक नहीं है.’

दोनों के बीच झूमाझटकी होने पर गौरी बीचबचाव करती है. एपिसोड के अंत में जैक्स नेहा को बताता है कि अभी अभी हौस्पिटल में एक आदमी के एडमिट होने की जानकारी मिली है. हो सकता है वह आदमी विशाल हो.

एपिसोड- 2

दूसरे एपिसोड में एक कार से नेहा और जैक्स हौस्पिटल पहुंचते हैं तो वहां उन्हें गंभीर हालत में विशाल एडमिट मिलता है. हौस्पिटल में मौजूद आदित्य धनराज नेहा से कहता है कि डाक्टर से कहिए इस के इलाज में कोई कसर न छोड़ें.

यहीं पर आदित्य और नेहा अपने अतीत को याद करते हैं और आदित्य नेहा को अपनी जिंदगी से अलग करने के फैसले पर शर्मिंदा होता है. नेहा कहती है कि हम ने जो भी किया वह सही था, लेकिन आदित्य कहता है कि उस की दीया से शादी एक मजाक है. वह नेहा को बताता है कि दीया का किसी से अफेयर चल रहा है.

किडनैपर ने की मोटी डिमांड

कुछ देर बाद जब नेहा और जैक्स आपस में बात कर रहे होते हैं तभी आदित्य के फोन पर  काल आती है, जिस में कर्कश आवाज में फोन करने वाला कहता है कि उस की बीवी हमारे कब्जे में है. यह सुन कर आदित्य घबरा जाता है. किडनैपर उस से फिरौती के रूप में 3 मिलियन पाउंड की डिमांड करता है.

किडनैपर आदित्य के सबूत मांगने पर दीया की आवाज सुनवाता है, जिस में दीया रोते हुए आदित्य से घर से निकलते समय की गई बदतमीजी के लिए माफी मांगती है. आदित्य नेहा से कहता है कि दीया की सलामती के लिए वह कितना ही पैसा दे सकता है.

नेहा फार्महाउस के वह फोटोग्राफ देखती है, जहां आदित्य की कार मिली थी तो उसे पता चलता है कि फार्महाउस में एक ही कार के निशान और एक व्यक्ति के फुटनोट मिले हैं. इसी आधार पर जांच आगे बढती है तो जैक्स नेहा के सामने यह आशंका जताता है कि कहीं आदित्य ने ही अपनी बीवी को किडनैप करवाया हो.

इधर दीया की किडनैपिंग की खबर के बाद जब नेहा और जैक्स हौस्पिटल पहुंचते हैं तो विशाल बैड से गायब मिलता है. आदित्य नेहा को बताता है कि विशाल को किसी ने फोन कर के हौस्पिटल से भागने को मजबूर किया होगा.

आदित्य यह भी जिक्र करता है कि दीया जिस जिम के बंद होने का बोलती है, वह उस दिन खुला हुआ था. नेहा स्टाफ को जिम के सीसीटीवी फुटेज देखने का निर्देश देती है और आदित्य से उस के घर की तलाशी लेने की बात कहती है.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 6

पत्रकार चंद्रकांत रंगोट से बता देता है कि एसआई पल्लवी राज के पास कैरव के सारे कारनामों की फुटेज की हार्ड डिस्क है. इंसपेक्टर रंगोट पल्लवी के घर वह हार्ड डिस्क लेने पहुंच जाता है. जब पल्लवी कहती है कि इस बारे में उसे कुछ पता नहीं तो वह पल्लवी का गला दबाने लगता है. तब पल्लवी की मां इंसपेक्टर रंगोट की गरदन पर बंदूक रख कर उसे भगा देती है.

रंगोट कैलव से जा कर बताता है कि पल्लवी राज के पास उस के होटल में जो भी होता है, उस की सारी रिकार्डिंग की वीडियो की हार्ड डिस्क है. कैरव इंसपेक्टर रंगोट को गोली मार देता है. पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत के घर पहुंच जाती है और उस की पत्नी से कहती है कि कल रात यह मेरे साथ था. पत्नी तमाचा मार कर चंद्रकांत को घर से बाहर कर देती है.

देव कैरव के होटल के सारे कैमरे बंद करवा कर जयंत की तलाश में उस के होटल पहुंच जाता है, जहां कैरव उसे बताता है कि संध्या और जयंत मिले हुए हैं. संध्या उसे बेवकूफ बना रही  है. उन्हें पता है कि वह उसे मार देगा तो वह बचेगा नहीं. उस के पैसे से दोनों मौज करेंगे. वह ऐसा करे कि संध्या को बताए कि उस ने कैरव को मार दिया है तो वह देखे कि संध्या क्या करती है.

देव ने जब संध्या को बताया कि उस ने कैरव को मार दिया है तो संध्या अपने कुत्ते को जहर दे कर मार देती है. उस के बाद अपनी कार से बैंक जाती है, जहां लौकर में रखे रुपए निकालती है और चल पड़ती है. देव तो बाइक से उस का पीछा कर ही रहा था, भी भी अपनी कार से 3 लोगों के साथ उस का पीछा कर रही थी. पल्लवी राज कैरव के घर जाती है और वह हार्ड डिस्क कैरव को दे देती है.

देव एवं भी जयंत और संध्या का पीछा कर रहे होते हैं, तभी देव के बौस ने जो आदमी देव को लाने के लिए भेजे थे, वे देव को एक पेट्रोल पंप से पकड़ लेते हैं. आगे चल कर  उन की कार भी की गाड़ी से टकरा जाती है, जिस से दोनों के बीच गोलियां चलने लगती हैं.

देव किसी तरह निकल कर सड़क पर खड़ी एक आदमी की कार ले कर जयंत और संध्या का पीछा करने लगता है. जबकि भी और उस के साथी तथा गुरुग्राम से देव को लेने आए सभी लोग मारे जाते हैं. एक जगह देव संध्या की कार रुकवा लेता है, जहां बातचीत में संध्या जयंत को गोली मार देती है तो पीछे से आ कर पल्लवी राज संध्या को गोली मार देती है.

संध्या की कार से रुपयों से भरा बैग पल्लवी देव को देते हुए कहती है कि रुपयों के लिए वह कैरव से कोई बहाना बना देगी. देव रुपए से भरा बैग घर ला कर विदुषी को सौंप देता है. उस के पिता साथ में ड्रिंक करने को कहते हैं. देव के पिता कुछ पुरानी बातें करते हैं तो देव उन्हें एक घड़ी गिफ्ट करता है.

देव अपनी गाड़ी ले कर गुरुग्राम आ जाता है, जहां उसे अपने पोस्ट बाक्स में एक पैकेट मिलता है, जिस में वही हार्ड डिस्क होती है, जो उस ने पल्लवी राज को दी थी.

पल्लवी ने उस के साथ एक नोट भी रखा था, जिस में लिखा था, ‘इस का मैं कुछ नहीं कर सकी, अगर तुम कुछ कर सको तो खुशी होगी.’ दूसरी ओर पल्लवी राज एसएचओ बन कर प्रैस कौन्फ्रेंस करती है, जिस में हाइवे पर हुए एनकाउंटर के चर्चे के साथ वह यह भी कहती है कि इंसपेक्टर राजबीर सिंह रंगोट के बारे में पता किया जा रहा है कि वह कहां गायब हो गए हैं. यहीं पर आठवां एपिसोड खत्म हो जाता है.

चंदन राय

चंदन राय का जन्म बिहार के जिला वैशाली के गांव महनार में पैदा हुआ था. वह स्कूल पढ़ाई के दौरान ही उसे नाटकों तथा सामुदायिक कार्यक्रमों में भाग लेना अच्छा लगता था, जिस की वजह से अभिनय में उसे रुचि पैदा हुई. जब वह उच्च शिक्षा के लिए पटना गया और वहां पटना विश्वविद्यालय से जनसंचार में ग्रैजुएशन किया.

पढ़ाई के साथसाथ उस ने कालेज थिएटर में सक्रिय रूप से हिस्सा लिया, नाटकों में काम किया. आगे की पढ़ाई के लिए वह दिल्ली आ गया, जहां भारतीय जनसंचार संस्थान में दाखिला लिया और रेडियो तथा टेलीविजन में डिप्लोमा किया.

पढ़ाई पूरी करने के बाद चंदन राय ने दैनिक जागरण में पत्रकार के रूप में नौकरी कर ली. हालांकि भारतीय जनसंचार संस्थान में पढ़ाई के दौरान बहुरूप थिएटर ग्रुप, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय और नैशनल स्कूल औफ ड्रामा रिपर्टरी से जुड़ा रहा. ढाई साल तक जागरण में नौकरी करने के बाद साल 2017 में नौकरी छोड़ कर वह मुंबई चला गया.

मुंबई पहुंच कर चंदन राय ने शुरुआत में दैनिक धारावाहिकों में छोटीछोटी भूमिकाएं कीं. अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘पंचायत’ में काम मिलने तक वह संघर्ष करता रहा. इसी के साथ वह ‘द वायरल फीवर’, ‘हौस्टल डेज’ और ‘टीवीएफ पिचर्स’ में काम करता रहा. चंदन ने ‘छूना’, ‘शहर लखोट’ और ‘जांबाज हिंदुस्तान के’ जैसी वेब सीरीजों में अपनी पहचान बनाई है.

इस के अलावा राय को एक्शन ड्रामा फिल्म ‘सनक’ और पारिवारिक ड्रामा फिल्म ‘गुलमोहर’ में उन की हास्य भूमिका के लिए पहचान मिली. राय ने एफटीआईआई फिल्म डिप्लोमा फिल्म ‘चंपारण मटन’ में भी काम किया है, जिस ने छात्र अकादमी पुरस्कार में भारत का प्रतिनिधित्व किया.

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श्रुति जौली

श्रुति जौली एक भारतीय अभिनेत्री और मौडल हैं. उस का जन्म हरियाणा के करनाल में हुआ था. श्रुति का एक भाई है राजन जौली. श्रुति को अमेजन प्राइम वीडियो पर आने वाली वेब सीरीज ‘शहर लखोट’ में भूमिका अदा करने के लिए जाना जाता है. उस ने इरोज नाउ की सीरीज ‘हिंदमाता’ और ‘होल्ड इट’ में भी काम किया था. इस के अलावा कई टेलीविजन पर आने वाले विज्ञापनों में भी काम किया है.

श्रुति को पृथ्वी थिएटर्स और दिल्ली थिएटर्स के साथ काम करने का अनुभव है. एक मौडल के रूप में उस ने बी-टाउन इंडस्ट्री के कई टौप फैशन डिजाइनरों के साथ काम किया है. वह लाइव आर्टस्टिक की सहसंस्थापक है, जो बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई में स्थित एक लाइव परफार्मिंग आर्ट थिएटर है. श्रुति जौली साल 2019 में मिस लिनो पेरोस की विजेता भी रही.

रंगबाज सीजन 2 Review : गैंगस्टर आनंदपाल सिंह की कहानी – भाग 6

एपिसोड- 9

वेब सीरीज ‘रंगबाज फिर से’ के नवें और आखिरी एपिसोड का नाम ‘सरेंडर’ यानी कि आत्मसमर्पण रखा गया है. शुरुआत में पुलिस की जीपें दिखाई गई हैं और बारबार मुख्यमंत्री सावित्री सिंह का यह कथन पहले और बारबार दोहराया गया है कि जो कुछ भी करो, कानून के दायरे में रह कर करना.

मुख्यमंत्री सावित्री सिंह सुंदर सिंह से मिलती है और फिर पुलिस कमिश्नर व संजय मीणा को बुलवा कर आदेश देती है कि अमरपाल का खात्मा कर दो, कानून के दायरे में.

यहां पर लेखक और निर्देशक ने फिर एक एसटीएफ के चीफ संजय मीणा को असहाय सा दिखा डाला है, जो राजनेताओं के आदेश को गवर्नर और न्यायाधीश से भी अधिक तवज्जो देने वाला एक मजबूर पुलिस अधिकारी है, जबकि वह यह काम करने के लिए मना भी कर सकता था.

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यहां पर लेखक और निर्देशक ने यह साफ करने की कोशिश की है कि एसएसपी संजय मीणा शुरू से ही यानी कि छात्र जीवन से ही अमरपाल सिंह का प्रशंसक रहा है, इसलिए समयसमय पर वह उस की मदद करता रहता था. उस के बाद एपिसोड को कास्टिंग शुरू हो जाती है.

अमरपाल और उस के साथी हथियार ले लेते हैं. एसपी मीणा अपने भारी पुलिस दस्ते को किलेनुमा कोठी के चारों ओर और छत पर फैला देता है.

संजय मीणा कोठी में दाखिल होता है तो उसे अमरपाल के वही रूप फिर से सामने आते हैं. छात्रसंघ के अध्यक्ष के रूप में फूल मालाएं पहने, कालेज टौपर की ट्रौफी अपने हाथों में उठाए, आईपीएस का एग्जाम पास करते हुए. तभी अमरपाल एक पुलिसकर्मी को ढेर कर देता है. फिर एसएसपी मीणा अपनी पूरी पुलिस फोर्स को गोली चलाने का आदेश दे देता है. उस के बाद काफी संख्या में पुलिस वाले ढेर हो जाते हैं.

अमरपाल वहां से अनुप्रिया चौधरी को भगा देता है और अंत में अमरपाल के सभी साथी एकएक कर के फोर्स द्वारा मार दिए जाते हैं. अंत में अमरपाल अपने दोनों हाथों में पिस्टल व राइफल लिए एसएसपी मीणा के सामने आ जाता है और फिर एसएसपी मीणा अमरपाल के शरीर को गोलियों से छलनी कर देता है.

अमरपाल मरने से पहले एक बार अपनी बेटी चीकू के कहने पर ही आत्मसमर्पण कर रहा है क्योंकि वह अपने जीवन में अपनी बेटी चीकू से सब से ज्यादा प्यार करता है. उस के बाद अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार होता है, जिस में लाखों की संख्या में भीड़ जमा है.

इस एपिसोड में असली कहानी से लेखक एकदम से भटक गया है. असली कहानी में अमरपाल के शव को उठाने से पुलिस वाले भी डर रहे थे, यह सीन नहीं दिखाया गया है.

असली कहानी से भटक गया लेखक

अमरपाल की हत्या के बाद उस के शव को पूरे 3 हफ्ते डीप फ्रीजर में लोगों के आक्रोश के कारण रखा गया था. उस की हत्या के विरोध में असली कहानी में एक विशाल जनसभा का आयोजन भी इस वेब सीरीज में नहीं दिखाया गया.

असली कहानी में गैंगस्टर अमरपाल सिंह का अंतिम संस्कार पुलिस द्वारा गुपचुप तरीके से करवाया गया था, जबकि यहां पर इस वेब सीरीज में उस का अंतिम संस्कार उस की बेटी और उस के परिजनों की अपार भीड़ की उपस्थिति में दिखाया गया है. यदि असली कहानी को वेब सीरीज में दिखाया जाता तो यह कहानी और बेहतर साबित हो सकती थी.

इस सीरीज में लेखकनिर्देशक ने पूरा प्रयास गैंगस्टर आनंदपाल सिंह को पीडि़त के रूप में चित्रित करने और उस के दोस्तों और परिवार पर दबाब डालने जैसा दिखाया. लेखक व निर्देशक गैंगस्टर पीडि़त हुए निर्दोषों की भावनाओं को पकडऩे में एकदम नाकाम रहे.

एक और समस्या थी इसे बहुत कमजोर बनाना और बेवजह की नाटकीयता पैदा करना. चूंकि यह एक वास्तविक कहानी है, इसलिए लेखक निर्देशक किसी परिकल्पना के आधार पर नाटक बनाने के बजाय इसे प्रामाणिक बनाने के लिए इस वेब सीरीज में काम करना चाहिए था.

अंत में दर्शक अपने आप को ठगा हुआ सा महसूस करते हैं जैसे किसी ऐसी वेब सीरीज को देख रहे हैं, जहां पर एक गैंगस्टर को हीरो बना कर पेश किया था. एक क्रूर बदसूरत गैंगस्टर को नरम दिल वाले मासूम इंसान के रूप में दिखाया गया था.

जिमी शेरगिल

बौलीवुड अभिनेता जिमी शेरगिल का वास्तविक नाम जसजीत सिंह गिल है. जिमी का जन्म 3 दिसंबर, 1970 को गांव देवकाहिया, सरदार नगर जिला गोरखपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था. जिमी शेरगिल के पिता का नाम सत्यजीत सिंह शेरगिल व माताजी का नाम बलराज कौर शेरगिल है. जिमी के एक भाई है जिस का नाम अमन शेरगिल है.

जिमी शेरगिल की पत्नी का नाम प्रियंका पुरी है, जो एक बेटे की मां है. जिमी ने विक्रम कालेज, पंजाबी यूनिवर्सिटी पटियाला, पंजाब से कौमर्स में स्नातक किया.

जिमी शेरगिल ने अपने फिल्मी करिअर की शुरुआत 1996 की थ्रिलर ‘माचिस’ से की थी. उस की सफलता ब्लौकबस्टर, म्यूजिकल रोमांस ‘मोहब्बतें’ के साथ सामने आई, जो साल की सब से अधिक कमाई करने वाली बौलीवुड फिल्म बन गई, जिस के बाद उस ने ‘मेरे यार की शादी है’, ‘मुन्नाभाई एमबीबीएस’ सहित कई अन्य बौक्स औफिस हिट फिल्मों में अभिनय किया.

‘हम तुम’, ‘ए वेडनेसडे’, ‘तनु वेड्स मनु’, ‘स्पैशल 26’, ‘हैप्पी भाग जाएगी’ और ‘दे दे प्यार दे’ रोमांटिक कौमेडी सहित कई फिल्में कीं, इन में से कई फिल्में हिट रहीं.

जिमी ने वर्ष 2005 में ‘यारन लाल बहारन’ से पंजाबी फिल्मों में डेब्यू किया था. पंजाबी सिनेमा में उस के उल्लेखनीय काम में ‘मेल करादे रब्बा’, ‘धरती’, ‘आ गए मुंडे यूके दे’, ‘शारिक’ और ‘दाना पानी’ शामिल हैं. जिमी औसतन एक फिल्म के लिए 1 से 2 करोड़ रुपए तक लेता है. इस की कुल संपत्ति लगभग 68 करोड़ रुपए है.

स्पृहा जोशी

अभिनेत्री स्पृहा जोशी का जन्म 13 अक्तूबर, 1989 को मुंबई में हुआ था. इस के पिता का नाम शिरीष जोशी है, जो ट्रिमैक्स आईटी इंफ्रास्ट्रक्चर एंड सर्विस लिमिटेड, मुंबई में काम करते हैं. इस का विवाह 2013 में वरद लाघाटे के साथ हुआ था.

स्पृहा जोशी एक भारतीय अभिनेत्री, कवि और लेखिका है. वह बचपन से ही अभिनेत्री बनना चाहती थी. 2004 में उस ने मराठी  फिल्म से शुरुआत की थी. फिल्म ‘माय बाप’ से एक बाल कलाकार के रूप में अपने अभिनय की शुरुआत की थी.

स्पृहा जोशी ने अपनी स्कूली शिक्षा बालमोहन विद्यामंदिर, दादर से पूरी की और फिर रुइया कालेज मुंबई से स्नातक किया. मराठी फिल्म में डेब्यू के बाद उस ने अपनी ग्रैजुएशन पूरी करने के लिए फिल्मों से ब्रेक ले लिया.

जब वह रामनारायण रुइया कालेज में ग्रैजुएशन कर रही थी, तब उस ने गमभाना, युगमक, एक और मय्यत, सांता, एक आशी व्यक्ति, कोई ऐसा, कैनवास और अनन्या जैसे नाटकों (थिएटर) में अभिनय किया.

टेलीविजन पर उस की पहली उल्लेखनीय भूमिका ‘अग्निहोत्र’ में उमा बैंड की की थी. 2011 में उसे अवधूत गुप्ते द्वारा निर्देशित मराठी फिल्म ‘मोरया’ में देखा गया था.

2012 में मराठी फिल्म ‘उंच माजा जोका’ में रमाबाई रानाडे की मुख्य भूमिका निभाई, जिस का निर्देशन वीरेन प्रधान ने किया था.

स्पृहा जोशी ने ‘ए पेइंग घोस्ट’, ‘पैसा पैसा’, ‘माल कहिच मप नौट’, ‘होम स्वीट होम’ में उत्कृष्ट अभिनय किया था. 2019 में स्पृहा जोशी ‘द औफिस इंडिया’ वेब सीरीज में भी काम कर चुकी हैं.

स्पृहा जोशी ने कई लोकप्रिय मराठी गीतों के बोल लिखे हैं, जिन में से प्रमुख ‘डबल सीट’, ‘किती संगायचाय माला’, ‘मुंबई-पुणे-मुंबई 2’, ‘साद ही प्रीतिची’, ‘लास्ट ऐंड फाउंड’ प्रमुख हैं. स्पृहा जोशी ने एक अभिनेत्री, गीतकार व कवि के रूप में कई पुरस्कार जीते हैं.

गुल पनाग

गुल पनाग का जन्म 3 जनवरी, 1979 को चंडीगढ़ में हुआ था. इस के पिता का नाम हरचरणजीत सिंह पनाग और माताजी का नाम गुरजीत कौर है. पिता लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग रहे हैं और भारतीय सेना में आर्मी कमांडर के पद से सेवानिवृत्त हुए हैं.

पिता के विभिन्न स्थानों पर ट्रांसफर के कारण गुल पनाग ने केंद्रीय विद्यालय सहित 14 स्कूलों में पढ़ाई की थी. गुल पनाग ने पंजाब यूनिवर्सिटी पटियाला से ग्रैजुएशन व राजनीति शास्त्र में परास्नातक की डिग्री हासिल की.

गुलकीत कौर पनाग उर्फ गुल पनाग एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री, वायस ओवर आर्टिस्ट और राजनीतिज्ञ है. वह हिंदी सिनेमा में अपने दमदार किरदार और अभिनय के लिए जानी जाती है.

गुल पनाग ने अपने करिअर की शुरुआत बतौर मौडल से की, उस के बाद उस ने साल 1999 में मिस इंडिया और मिस ब्यूटीफुल का पुरस्कार जीता. उस के बाद उस ने मिस यूनिवर्स में भी भाग लिया, लेकिन वह ज्यादा आगे नहीं जा सकी.

गुल पनाग ने 2003 में ही फिल्मों में अभिनय की शुरुआत कर दी थी. ‘धूप’ उस की सब से पहली फिल्म थी. इस के अतिरिक्त ‘जुर्म’, नागेश कुकुनूर द्वारा निर्देशित ‘डोर’, ‘मनोरमा सिक्स फीट अंडर’, ‘समर 2007’, ‘हैलो’, ‘अभिनव’, ‘स्ट्रेट’, ‘रन’, ‘हेलो डार्लिंग’, ‘टर्निंग 30’, ‘फटसो’, ‘अब तक छप्पन 2’, ‘अंबरसरियां’, ‘स्टूडेंट औफ द ईयर 2’ प्रमुख फिल्में हैं. गुल पनाग का विवाह उन के कथित प्रेमी एयरलाइन पायलट ऋषि अटारी से चंडीगढ़ के गुरुद्वारा में हुआ था.

साल 2014 में गुल पनाग आम आदमी पार्टी से जुड़ गई थी. 2014 में लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने गुल पनाग को चंडीगढ़ से अपना प्रत्याशी घोषित किया था, जहां पर इस का सीधा मुकाबला भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदवार किरण खेर व कांग्रेस के पवन बंसल से था. लेकिन वह हार गई थी.

‘शहर लखोट’ रिव्यू : विश्वासघात और धोखे का खौफनाक शहर – भाग 5

जयंत ‘भो’ को ठिकाने लगाने ले जा रहा होता है, तभी भो होश में आ जाता है और जयंत का गला पकड़ कर दबाने लगता है. पर जयंत के पास रिवौल्वर होती है, जिस से वह उसे गोली मार देता है और पहाडिय़ों के बीच पत्थरों से उस की लाश को दबा देता है. वह गाड़ी स्टार्ट करता है, पर गाड़ी स्टार्ट नहीं होती. तब वह रोने लगता है.

दूसरी ओर कैरव भी से भो के बारे में पूछता है. वह भो को फोन कर करके परेशान थी. इस के बाद अपनी गाड़ी ले कर भो की तलाश में निकल पड़ती है. देव एसआई पल्लवी राज को रशियन लड़की की हत्या की सीसीटीवी फुटेज दे कर कैरव के होटल में क्या होता है, सब बता देता है. पल्लवी को इंसपेक्टर रंगोट पर बहुत गुस्सा आता है. कैरव रंगोट को फोन कर के बुलाता है, क्योंकि उस का बिजनैस पार्टनर केतन उसे बताता है कि रंगोट उस के बिजनैस के बारे में पता कर रहा है.

रंगोट के सम्मान में जुलूस निकलता है. एसआई पल्लवी राज ने रशियन लड़की की हत्या के मामले में जो सबूत जुटाए थे, उन्हें कैंची से काट कर नष्ट कर देती है और उस की अस्थियां पहाड़ी पर ले जा कर विसर्जित कर देती है.

देव अपनी भाभी विदुषी के साथ फाइलें देख कर पता करता है कि जयंत के पैसे कहां हैं. तभी पता चलता है कि वह कैरव के 2 नंबर के पैसों को जयंत एक नंबर का बनाने का काम करता था. देव विदुषी को गले लगाता है तो विदुषी उसे किस करने की कोशिश करती है, पर देव रोक देता है. विदुषी लज्जित हो कर चली जाती है.

कैरव के लिए काम करने वाले ‘भो’ की बहन ‘भी’ भाई की तलाश में उस होटल तक पहुंच जाती है, जहां जयंत नाम बदल कर ठहरा था. वह उस पर धनुषबाण से हमला कर के भो के बारे में पूछती है. इस के बाद वह उसे पकड़ कर ले आती है.

एपीसोड -7

सातवें एपीसोड में भी जयंत का टार्चर करते हुए भो के बारे में पूछती है तो संध्या बारबार जयंत को फोन कर रही होती है. लेकिन जयंत का फोन नहीं उठता. वह फोन उठाता कैसे, वह तो पकड़ा जा चुका था.

संध्या अतीत को याद करती है कि उस की जयंत से कैसे मुलाकात हुई थी, फिर दोनों में प्यार हो गया. संध्या ने ही उसे सलाह दी थी कि वह कैरव के रुपयों से थोड़ेथोड़े रुपए चोरी करता रहे. जब काफी रुपए हो जाएंगे तो दोनों वहां से कहीं दूर जा कर रहने लगेंगे. लेकिन जयंत से उस की बात नहीं हो रही थी, जिस की वजह से वह परेशान थी. इंसपेक्टर रंगोट कैरव के घर आता है और बिजनैस में हिस्सा देने की बात करता है.

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देव जयंत की शेल कंपनी तलाशते हुए कैरव की उस कंपनी तक पहुंच जाता है, जहां कैरव ड्रग्स बनवा कर पैकिंग करवाता था. वहीं ‘भो’ की बहन ‘भी’ जयंत को बांध कर रखे थी. देव की उस पर नजर पड़ती है तो वह चौंकता है कि यह तो जिंदा है. देव जयंत को निकाल कर बाहर लाता है. तभी देव के बौस का फोन आता है. देव फोन नहीं उठाता तो बौस देव को लाने के लिए अपने आदमी भेजता है.

‘भी’ को जयंत बता देता है, जहां उस ने ‘भो’ की लाश को पत्थरों के नीचे दबाई थी. वह भाई की लाश को निकाल कर रोती है.

पल्लवी पत्रकार चंद्रकांत को डिनर पर बुलाती है और कैरव के होटल की फुटेज दिखा कर उसे फोटो के साथ अखबार में छापने के लिए कहती है. पत्रकार चंद्रकांत मना कर देता है तो पल्लवी उसे दुत्कार कर भगा देती है.

देव होटल में जयंत की मरहमपट्टी करता है. देव उस से पूछता है कि यह सब कैसे हुआ. जयंत झूठी कहानी बता कर कहता है कि वह फंस गया है. देव वहां से हटता है तो जयंत अतीत के बारे में सोचता है. जमाल उस से पैसे लेने आया था तो उस ने और संध्या से कैसे जमाल का मर्डर हो गया था. उन्होंने जमाल की लाश को जला कर जयंत की लाश घोषित करवा दिया था और जयंत छिप गया था.

जयंत अपना फोन उसी फैक्ट्री में भूल आया था, जहां भो की बहन भी ने उसे बांध कर रखा था. संध्या ने उस फोन पर फोन किया तो ‘भी’ को पता चल गया था कि संध्या उसे फोन कर रही है. इस का मतलब यह था कि संध्या को पता था कि जयंत जीवित है.

कैरव शराब पीते हुए मंत्रीजी से बात कर रहा है कि आंदोलन खत्म हो गया है. मंत्रीजी खुशी जाहिर करता है. संध्या आती है तो कैरव रात को संध्या के साथ सैक्स करता है. इस से संध्या बहुत दुखी थी. संध्या देव को फोन कर के यह बात बताती है तो वह कहता है कि वह आ रहा है. देव जाने लगता है तो जयंत कहता है कि वह उसे अकेला छोड़ कर न जाए. प्रोटेस्ट खत्म होने से नाराज विधायक प्रमोद इंसपेक्टर रंगोट को गालियां देता है और चप्पलों से पिटाई भी करता है.

यहीं पर यह भी दिखाया जाता है कि जयंत और संध्या ने कैसे जमाल की लाश ठिकाने लगाई थी. देव संध्या के यहां पहुंचता है तो वह रोरो कर उस से कैरव के बारे में बताती है. देव उसे सीने से लगा लेता है और यहीं सातवां एपीसोड खत्म होता है.

एपीसोड -8

आठवें एपीसोड में भो की बहन भी को कैरव आश्वासन देता है कि वह जयंत से और संध्या से भो की मौत का बदला लेगा. देव पल्लवी राज से बताता है कि जयंत जिंदा है, पर पल्लवी नहीं मानती. वह उसे दिखाने के लिए होटल में ले जाता है, पर वहां जयंत नहीं मिलता है. वह पल्लवी को गन दिखा कर होटल से निकल जाता है.