
बदहवास युवती अजमेर के थाना आदर्श नगर थानाप्रभारी सुगन सिंह के सामने जमीन पर घबराई हुई आकर बैठ गई. उस ने उन के पांव पकड़ लिए और गिड़गिड़ाने लगी, ‘‘साहबजी, मुझे बचा लीजिए, वह आज फिर मेरी इज्जत लूटेगा.’’
‘‘कौन इज्जत लूटेगा? मेरा पैर छोड़ो पहले. ऊपर कुरसी पर सामने बैठ कर बताओ कि क्या कहना चाहती हो?’’ सुगन सिंह बोले और एक महिला सिपाही को पानी का गिलास लाने के लिए कहा.
‘‘महिला सिपाही एक गिलास पानी ले आई. तब तक करीब 22-23 साल की दिखने वाली युवती थानाप्रभारी के सामने की कुरसी पर बैठ गई. झट से पानी का गिलास ले कर पानी तेजी से पी गई.
‘‘अब शांति से बताओ कि तुम्हारा नाम क्या है? कहां से आई हो? क्या बात है? तुम क्यों घबराई हुई हो?’’ थानाप्रभारी सुगन सिंह ने एक साथ कई सवाल कर दिए.
‘‘मेरा नाम ललिता है साहब. मुझे बचा लो साहब, मैं अब घर नहीं जाऊंगी. क्योंकि वह फिर मेरे साथ रेप करेगा. बहुत तकलीफ होती है साहब. बुरीबुरी हरकत करता है वो,’’ युवती एक सांस में बोली.
‘‘कौन है वह? पूरी बात साफसाफ बताओ. पहले इस पन्ने पर अपना नाम और पूरा पता लिखो,’’ थानाप्रभारी ने उस की ओर सादा पन्ना लगा राइटिंग पैड और कलम बढ़ा दिया. युवती पन्ने पर अपना नामपता लिखने के बाद बताने लगी—
‘‘साहब, मैं यहीं आदर्श नगर क्षेत्र में ही रहती हूं. मैं 22 फरवरी को अपने मातापिता के साथ एक रिश्तेदार की शादी में दिल्ली गई थी. वहीं एक तथाकथित तांत्रिक राजेंद्र कुमार ने मेरे मातापिता को बताया कि उन का पूरा परिवार मृत्युदोष से ग्रसित है.
‘‘उस ने कहा कि परिवार में पहले छोटी बेटी, फिर पिता उस के बाद बड़ी बेटी की मृत्यु होने वाली है. हवन और पूजापाठ से इस बला से मुक्ति मिल सकती है. उस ने खुद को पहुंचा हुआ तांत्रिक बताया था.
‘‘मेरे पिता उस की बातों में आ गए और उसे अपने घर आने को कह दिया. उस के बाद 27 फरवरी, 2022 को वह तांत्रिक हमारे घर आ गया और पूजापाठ की तैयारी करने के साथ ही कहा कि विशेष पूजा सिर्फ घर की बड़ी बेटी के साथ होगी.
‘‘परिवार वाले तांत्रिक के हर आदेश को मानते हुए बड़ी बेटी के नाते मुझे घर में छत पर बने एक कमरे में तांत्रिक के साथ बंद कर दिया. तांत्रिक पूजा करने के लिए मंत्रजाप करने लगा. उस ने मुझे मंत्रपूरित पानी पीने के लिए दिया.
‘‘पानी पीते ही मेरी आंखें मुंदने लगीं. अर्द्धबेहोशी की हालत में उस ने मेरे कपड़े उतार दिए और मेरे साथ जबरदस्ती की. मैं ने उस का विरोध किया तब उस ने मेरी पिटाई कर दी. मुझे यह कह कर डरा दिया कि उस की आज्ञा का पालन नहीं किया तो मांबाप की मौत हो जाएगी.
‘‘मैं डर गई. उस ने मेरे साथ रेप किया और पिता से एक लाख रुपए भी लिए. एक सप्ताह बाद वह फिर आया और मेरे साथ एक मंदिर में पूजा करने के बहाने से वह मुझे मुरैना ले गया. वहां मुझे एक धर्मशाला में ठहराया और मेरे साथ जोरजबरदस्ती की.
‘‘उस के बाद होली से पहले घर आया और पूजापाठ के बहाने से रेप किया. फिर वही बाबा आज घर आ गया है और पूजा करने की योजना बना रहा है. वह फिर मेरी इज्जत लूटेगा. मेरे साथ जोरजबरदस्ती करेगा… मुझे बचा लीजिए साहब.’’
यह बात 19 मार्च, 2022 की है. ललिता की शिकायत पर थानाप्रभारी सुगन सिंह ने ललिता को विश्वास दिलाया कि अब तुम्हारे साथ कुछ नहीं होगा और उस तांत्रिक के खिलाफ कानूनी काररवाई की जाएगी.
मामला काफी गंभीर था, इसलिए थानाप्रभारी ने उसी वक्त यह जानकारी उच्चाधिकारियों को भी दे दी. तब अजमेर के एसपी ने एक एसआईटी का गठन किया. इस टीम में एएसपी (सिटी) विकास सांगवान, सीओ (दक्षिण) राजेंद्र बुरडक, थानाप्रभारी सुगन सिंह, एएसआई विजय कुमार, हैडकांस्टेबल संतोष कुमार, कांस्टेबल रमेश, करतार सिंह, पीयूष आदि को शामिल किया.
ललिता को साथ ले कर पुलिस टीम आदर्श नगर स्थित उस के घर पहुंच गई. उस समय घर पर वह तांत्रिक ललिता के घर वालों के साथ बातें करने में मशगूल था. ललिता के साथ पुलिस को देख कर उस के घर वाले ही नहीं, बल्कि तांत्रिक राजेंद्र भी चौंक गया.
ललिता के इशारे पर पुलिस ने तांत्रिक राजेंद्र को हिरासत में ले लिया. लेकिन उस का सहयोगी पवन वहां से भाग गया.
पुलिस ने तांत्रिक को गिरफ्तार करने की वजह ललिता के मातापिता को बताई तो उन के पैरों तले से जैसे जमीन खिसक गई. उन्हें विश्वास ही नहीं हो रहा था कि जिस तांत्रिक के कहने पर वह सब कुछ कर रहे थे, वह उन के घर की इज्जत से खिलवाड़ कर रहा है. घर वालों से पूछताछ करने के बाद पुलिस तांत्रिक राजेंद्र को थाने ले आई.
पूछताछ में पता चला कि उस तथाकथित तांत्रिक का नाम राजेंद्र कुमार वाल्मिकी है और वह दिल्ली के गुलाबी बाग क्षेत्र स्थित प्रताप नगर में रहता है. राजस्थान के रहने वाले ललिता के पिता की तांत्रिक के संपर्क में आने की एक अलग घटना है.
दरअसल, ललिता के पिता कोरोना काल के दौरान वायरस संक्रमण का शिकार हो गए थे. स्वस्थ होने के बाद वह अपने कामधंधे में जुट गए थे, लेकिन जब भी कुछ अनहोनी होती तो वह डर जाते थे.
इसी बीच फरवरी, 2022 में उन का दिल्ली जाना हुआ. वहां उन के एक रिश्तेदार के यहां शादी थी. उसी दौरान उन्होंने अपने रिश्तेदार से अपनी समस्या बताई. रिश्तेदार ने इस का उपाय करने के लिए एक तांत्रिक से मिलवाया.
वह तांत्रिक कोई और नहीं राजेंद्र कुमार वाल्मिकी था. तांत्रिक ने देखते ही बताया कि उस पर भूत का साया है और वह मृत्युदोष का शिकार है. उस ने छूटते ही कहा कि उस पर एक बार मृत्यु आ कर वापस लौट चुकी है, लेकिन अबकी बार आएगी तब बारीबारी से परिवार के 3 सदस्यों को अपने साथ ले जाएगी.
ललिता के पिता यह सुन कर डर गए. उन का 4 लोगों का परिवार था. पतिपत्नी और 2 बेटियां. वह चिंतित हो गए कि पता नहीं परिवार के किस सदस्य को मौत गले लगा ले. उन्होंने बाबा से तुरंत उपाय पूछा.
बाबा ने कहा कि घर में 5 दिनों का अनुष्ठान करना होगा और अनुष्ठान में घर की कुंवारी कन्या को शामिल करना जरूरी होगा. इस के साथ ही उस ने कुछ शर्तें भी रखीं, जो उस ने कान में कही थीं. इस में मोटी रकम खर्च की भी बात थी.
ललिता के पिता ने बाबा की सभी शर्तों को मान कर तांत्रिक राजेंद्र को फरवरी, 2022 महीने में अपने घर बुला लिया और तांत्रिक पूजा के लिए घर की छत का एक कमरा दे दिया. पूजा में शामिल होने के लिए उन्होंने बड़ी बेटी को सौंप दिया.
उस के बाद बाबा ने तंत्र पूजा के बहाने से वासना का खेल खेला. रेपलीला की. परिवार के बाकी सदस्यों ने बाबा की खूब आवभगत की थी.
शिक्षित ललिता समझ गई कि उस के पिता ढोंगी तांत्रिक के जाल में फंस चुके हैं. उस ने हिम्मत दिखाई और थाने जा कर उस तांत्रिक के खिलाफ रिपोर्ट लिखवा दी.
पुलिस ने ढोंगी तांत्रिक के मोबाइल फोन की जांच की तो उस से कई राज खुले. जांच में सामने आया कि राजेंद्र कुमार वाल्मिकी खुद को भगवान बताता था. कहता था, वह भूत को बोतल में बंद कर रखता है. फिर मृत्यु दोष और भूत के साए के नाम पर लोगों को डराधमका कर उन की बहूबेटियों से रेप करता था.
तांत्रिक धंधे में जुड़ने से पहले राजेंद्र कुमार दिल्ली में आटोरिक्शा चलाता था. वह सट्टा व जुआ भी लगाता था. नौकरी का झांसा दे कर धोखाधड़ी करता था. इतना ही नहीं, वह खुद 5वीं फेल है, लेकिन बीमारियों का शर्तिया इलाज करने का झांसा दे कर लोगों से रुपए ऐंठता था. वह जिस परिवार को निशाना बनाता, उस के बारे में दूर के रिश्तेदारों से पहले ही सारी जानकारियां जुटा लेता था.
परिवार की समस्या को दूर करने के लिए तांत्रिक राजेंद्र उस के घर में आसन जमा लेता. रात के समय लोगों को उन से जुड़ी पुरानी बुरी घटनाओं को बता कर स्वयं को भगवान का अवतार बताता.
परिजनों से कहता कि आप के घर में भयानक भूत ने अड्डा जमा रखा है. भविष्य में सब से पहले आप की सब से छोटी संतान को मारेगा और उस के बाद सब की बारी आएगी.
मंत्रों से भूत को बोतल में बंद करने के लिए परिवार की सब से बड़ी बेटी को कमरे में अकेले साथ भेजने के लिए कहता. एकांत में तांत्रिक क्रिया करने का नाटक करता. डरेसहमे परिजन ढोंगी की बातों में आ कर बहूबेटियों को उस के कमरे में भेज देते थे.
वह परिजनों को दरवाजे के बाहर बैठा देता और जोरजोर से कुल देवता का मंत्र जाप करने के लिए कहता. इस दौरान तांत्रिक क्रिया के बहाने वह महिलाओं से रेप करता था.
बोतल में काले डोरे, रंग आदि लगा कर लाता और परिजनों से कहता कि तंत्रमंत्र कर भूत को बोतल में बंद कर दिया है. अब इस बोतल को दूर जंगल में फेंक आओ.
एक पीडि़त परिवार से किसी दूसरे पीडि़त परिवार के बारे में जानकारी जुटाता और फिर इस प्रकार एक चेन सिस्टम बना कर लोगों को फंसाता था.
तांत्रिक के मोबाइल फोन में औनलाइन सट्टे पर दांव लगाने के सबूत भी पुलिस को मिले. पुलिस की शुरुआती पड़ताल में सामने आया कि दिल्ली निवासी विजय सोनकर ने ढोंगी बाबा को अपने तीनों बेटों की सरकारी नौकरी लगवाने के लिए 10 लाख रुपए दिए थे.
मामले में पीडि़त विजय द्वारा दिल्ली के सराय रोहिल्ला थाने में मुकदमा दर्ज कराया था. साथ ही ढोंगी बाबा से कई लोगों का इलाज करने के बहाने रुपए ऐंठने की वाट्सऐप चैटिंग और पेमेंट के स्क्रीनशौट मिले.
अजमेर पुलिस ने इस ढोंगी तांत्रिक राजेंद्र को गिरफ्तार कर उस के काले कारनामों से परदा उठा दिया. बताते हैं कि यह 300 से 400 परिवारों को अपना शिकार बना चुका है.
इतना ही नहीं, जब आरोपी बाबा को गिरफ्तार किया गया, तब उस ने पुलिस पर अपने तंत्रमंत्र का भय दिखाया, लेकिन पुलिस की सख्ती के आगे ज्यादा देर नहीं टिक पाया.
पुलिस गिरफ्त में आने के बाद तांत्रिक राजेंद्र का कानून के चंगुल से बचना मुश्किल हो गया. उस पर अंधविश्वास, ठगी से ले कर रेप तक की धाराएं लगा कर पुलिस ने उसे गिरफ्तार करने के बाद कोर्ट में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया.
इस मामले में ढोंगी बाबा राजेंद्र वाल्मिकी (49) के बेटे अभिषेक सिरसवाल उर्फ बुक्की (25 साल) को भी पुलिस ने दिल्ली की सराय रोहिल्ला मलकागंज रेलवे कालोनी से गिरफ्तार कर लिया.
वह अपने पिता की तंत्र विद्या का प्रचार करता था. लोगों को उन के चमत्कारी उपाय के बारे में बताता था. भूतप्रेत भगाने के नाम पर वसूली जाने वाली रकम को वह ही लेता था.
फरार हो चुके तांत्रिक के सहयोगी पवन कुमार को पुलिस संभावित स्थानों पर तलाश रही थी, लेकिन वह कथा संकलन तक गिरफ्तार नहीं हो सका था.द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित. कथा में ललिता परिवर्तित नाम है.
मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के औबेदुल्लागंज में रहने वाले पुराने कपड़ा व्यापारी देवेंद्र कोठारी का 45 वर्षीय एकलौता बेटा नीरज उर्फ मोनू रात को साढ़े 9 बजे अपनी स्कूटी से घर से यह कह कर निकला था कि ‘कुछ देर में घूम कर आता हूं.’
मगर रात के 12 बज गए और नीरज घर नहीं लौटा. इंतजार करतेकरते नीरज की पत्नी शिवांजलि ने जब नीरज को फोन लगाया तो उस का फोन स्विच्ड औफ था.
शिवांजलि समझ नहीं पा रही थी कि पति का फोन बंद क्यों है. पति के बारे में सोचसोच कर बुरा हाल था. परेशान हो कर शिवांजलि ने अपने 15 वर्षीय बेटे को यह बात बताने के लिए अपने ससुर के कमरे में भेजा.
पोते से नीरज के अभी तक घर न पहुंचने की बात सुनते ही 70 साल के देवेंद्र कोठारी बेचैन हो गए. उन्हें यह बात समझ नहीं आ रही थी कि इतनी रात गए नीरज आखिर कहां गया होगा.
निशांत भी पिता के दोस्तों को फोन लगा कर उन की जानकारी जुटाने की कोशिश करने लगा. काफी मशक्कत के बाद जब नीरज के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली तो आधी रात को ही दादा और पोते नीरज को खोजने निकल पड़े. यह बात 16 फरवरी, 2022 की है.
पूरी रात शहर में कई जगहों पर खोजबीन के बाद भी नीरज के बारे में कोई खबर नहीं मिली तो देवेंद्र कोठारी दूसरे दिन 17 फरवरी की सुबह औबेदुल्लागंज थाने पहुंच गए.
उन्होंने टीआई संदीप चौरसिया को पूरे घटनाक्रम की जानकारी देते हुए नीरज की गुमशुदगी दर्ज करा दी. कुछ ही घंटों में नीरज के गायब होने की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हो चुकी थी.
नीरज के पिता शहर के पुराने कपड़ा व्यापारी थे. उन की अपनी खेती की जमीन होने के साथ ही नीरज प्रौपर्टी डीलर के तौर पर काम कर रहा था. नीरज के इस तरह गायब होने से लोग तरहतरह के कयास लगा रहे थे.
शहर में एक चर्चा यह भी थी कि नीरज जमीन में छिपी दौलत को खोजने के चक्कर में कहीं गया होगा. लोगों का यह अनुमान इसलिए भी था कि नीरज तंत्रमंत्र और ज्योतिषियों के चक्कर में पड़ कर बिना मेहनत किए दौलत कमाना चाहता था.
कुछ साल पहले सड़क किनारे बैठने वाले किसी ज्योतिषी ने नीरज को बताया था कि उसे जमीन में गड़ा अकूत धन मिलेगा. तभी से नीरज इसी चक्कर में पड़ा रहता था. वह अकसर यही सोचता था कि कभी तो ज्योतिषी की भविष्यवाणी सच निकलेगी.
नीरज के इस तरह गायब होने की यह चर्चा बेवजह नहीं थी. 16 फरवरी को अमावस्या की रात थी और नीरज को घर से जूट के बोरे स्कूटी में रखते हुए उस के बेटे ने देखा था. इस वजह से लोगों का अनुमान था कि तंत्रमंत्र के जरिए जमीन में गड़े धन को बोरे में भर कर लाया जाएगा.
नीरज की गुमशुदगी को टीआई संदीप चौरसिया ने गंभीरता से लेते हुए घटना की जानकारी रायसेन जिले के एसपी विकास कुमार सेहवाल, एडीशनल एसपी अमृत मीणा, एसडीपीओ मलकीत सिंह को दे दी और खुद नीरज की खोजबीन में जुट गए.
पुलिस अधिकारियों को यह भी शक था कि नीरज का कहीं अपहरण तो नहीं हो गया. क्योंकि नीरज के पिता औबेदुल्लागंज के करोड़पति कारोबारी हैं. पुलिस ने नीरज की गुमशुदगी की सूचना समीप के भोपाल, होशंगाबाद और विदिशा जिले के पुलिस थानों को भी दे दी. शहर में इस घटना को ले कर चर्चाओं का बाजार गर्म था और पुलिस अलगअलग एंगिल से मामले की जांच कर रही थी. औबेदुल्लागंज के एसडीपीओ मलकीतसिंह ने 4 पुलिस थानों की एक टीम जांच के लिए गठित की.
टीम को इलाके की तलाशी के दौरान 18 फरवरी को होशंगाबाद रोड पर बने शगुन वाटिका मैरिज गार्डन के पीछे रेल पटरियों के किनारे झाडि़यों में एक लाश मिल गई. लाश को आवारा कुत्तों ने नोच दिया था, जिस की वजह से पुलिस को शिनाख्त करने में मुश्किल हो रही थी.
पुलिस टीम ने जब नीरज के घर वालों को घटनास्थल पर बुलाया तो कपड़ों के आधार पर घर वालों ने शव की पहचान कर बताया कि शव नीरज का ही है. नीरज की पत्नी और बेटे का रोरो कर बुरा हाल था. नीरज के पिता भी दुखी मन से बहू और पोते को ढांढस बंधा रहे थे. घटनास्थल पर भारी भीड़ जमा हो चुकी थी.
नीरज का शव अर्द्धनग्न अवस्था में मिला था, उस की पेंट और अंडरवियर कमर के नीचे घुटनों तक सरके हुए थे. शव की हालत देख कर पुलिस का शक अवैध संबंधों की वजह से हत्या की ओर जा रहा था.
नीरज का शव बरामद होने की सूचना मिलते ही रायसेन के एसपी के निर्देश पर एडीशनल एसपी अमृत मीणा घटनास्थल पर आ चुके थे. लाश का पंचनामा कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. औबेदुल्लागंज थाने के टीआई संदीप चौरसिया को जांच के दौरान कुछ लोगों ने बताया कि नीरज छोटी उम्र के लड़कों से दोस्ती रखने का शौकीन था और उन के साथ गे रिलेशनशिप रखता था. कुछ ही घंटों में पुलिस को कई लड़कों के नाम मिल गए, जिन से नीरज के गे संबंध थे.
शक के आधार पर कुछ लड़कों से पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि पिछले कुछ महीनों से नीरज की दोस्ती 23 साल के मनोज कटारे और 17 साल के राजू (परिवर्तित नाम) से चल रही थी.
राजू को अकसर ही नीरज की स्कूटी पर बैठे देखा जाता था. मनोज और राजू रेलवे स्टेशन के पास एक नमकीन की दुकान पर काम करते थे. पुलिस ने जब मनोज और राजू की तलाश शुरू की तो पता चला कि 16 फरवरी के बाद वे दुकान ही नहीं पहुंचे.
पुलिस ने साइबर सेल की मदद से मनोज और राजू की मोबाइल लोकेशन की जांच की तो राजधानी भोपाल के नादिरा बसस्टैंड की मिल रही थी. पुलिस को अब पूरा यकीन हो गया था कि दोनों नीरज की हत्या कर भागने की फिराक में हैं.
पुलिस की एक टीम तुरंत भोपाल के नादिरा भेजी गई, जहां से उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. सख्ती से की गई पूछताछ में दोनों ने नीरज की हत्या करने की बात कुबूल कर ली. उस के बाद जो दिलचस्प कहानी सामने आई, वह ट्रायंगल गे रिलेशनशिप पर रचीबसी निकली—
23 साल का मनोज कटारे बरखेड़ा पुलिस चौकी क्षेत्र के पिपलिया गांव का रहने वाला है. वह रेलवे स्टेशन रोड पर स्थित एक नमकीन की दुकान पर काम करता है. इसी दुकान पर 17 साल का राजू भी काम करता था. राजू देखने में गोरा, चिकना और लड़कियों की तरह शरमीला था.
दुकान पर काम के दौरान खाली समय में मनोज राजू को पकड़ कर उस के शरीर के नाजुक अंगों को छूने की काशिश करता तो राजू को अजीब सा लगता. राजू किशोरावस्था की दहलीज पर था, उसे अच्छेबुरे का ज्यादा इल्म नहीं था.
मनोज के इस तरह छूने से उसे अच्छा लगता. मनोज तो राजू का दीवाना हो गया था, उसे छूते ही मनोज को कुछ इस तरह का अहसास होता था जैसे वह किसी लड़की के बदन को छू रहा हो. जब दोनों के बीच दोस्ती हो गई तो मनोज राजू को अपने घर ले जाने लगा.
एक दिन काम से छुट्टी मिलने पर अपने ही घर में दोपहर के समय एकांत पा कर मनोज ने राजू से कहा, ‘‘राजू, तू बहुत खूबसूरत है. यदि तू लड़की होता तो मैं तुझ से ही शादी कर लेता.’’
इतना कह कर मनोज ने राजू को चूमना शुरू कर दिया. मनोज के हाथ कभी उस के गालों पर, कभी उस की छाती पर तो कभी उस के प्राइवेट पार्ट को टच करने लगे. राजू के पूरे शरीर में एक अजीब सी सिहरन दौड़ गई.
उसे मनोज का इस तरह छूना अच्छा लग रहा था. लिहाजा राजू ने भी मनोज पर प्यार जताते हुए कहा, ‘‘मनोज, तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो. जी चाहता है जिंदगी भर तुम्हारे साथ रहूं.’’
मनोज ने धीरेधीरे राजू के बदन से कपड़े उतारने शुरू कर दिए और राजू का हाथ अपने निजी अंग पर ले जा कर रख दिया. और राजू से बोला, ‘‘राजू, तू हमेशा इसी तरह मेरे साथ रहे तो मैं किसी लड़की से कभी शादी नहीं करूंगा.’’
मनोज की बात सुन कर राजू ने भी मनोज से वादा किया कि वह हमेशा जीवनसाथी बन कर उसी के साथ रहेगा.
धीरेधीरे राजू ने भी मनोज के कपड़े उस के शरीर से हटाना शुरू कर दिया. देखते ही देखते दोनों निर्वस्त्र हो कर अप्राकृतिक सैक्स का आनंद लेने लगे. दोनों के संबंध इतने मजबूत हो गए थे कि एक दिन भी दोनों का एकदूसरे के बिना रहना मुश्किल हो गया था.
दोनों के बीच गे रिलेशनशिप अब रोज की बात हो गई थी. दुकान से छूटते ही जब भी उन्हें मौका मिलता, वे आनंद के सागर में डूब कर गोता लगाते.
दोनों गे सैक्स का भरपूर आनंद लेने के लिए बदलबदल कर प्रेमीप्रेमिका की भूमिका निभाते थे. कभी राजू मनोज की प्रेमिका का रोल निभाता तो कभी मनोज राजू की प्रेमिका बन कर उस से संबंध बना कर उसे भी खुश कर देता.
एक दिन नीरज कोठारी शाम के वक्त नमकीन लेने उन की दुकान पर आया था, तभी राजू और मनोज के बीच हंसीमजाक देख कर उस का ध्यान राजू की तरफ गया. राजू लड़कियों की शक्लसूरत जैसा खूबसूरत लड़का था.
कुछ ही दिनों में नीरज को इस बात का पता चल गया कि मनोज और राजू के बीच समलैंगिक संबंध हैं. इस के बाद तो नीरज राजू से मिलने को बेताब हो उठा.
दरअसल, नीरज भी गे सैक्स का शौकीन था. नीरज इसी फिराक में रह कर किसी भी तरह वह राजू से नजदीकियां बढ़ाना चाहता था, मगर राजू मनोज के प्रेम में इस तरह पागल था कि वह नीरज को भाव नहीं दे रहा था.
एक दिन नीरज ने राजू और मनोज को संबंध बनाते देख लिया और अपने मोबाइल फोन से वीडियो बना ली. इस के बाद वह राजू को वीडियो दिखा कर धमकाने लगा.
राजू डर के मारे नीरज के फैलाए जाल में फंस गया. नीरज अकसर ही नमकीन की दुकान पर आने लगा. वह राजू को स्कूटी पर घुमाने के बहाने अपने साथ ले जाने लगा. राजू को मनोज के साथ रहते गलत कामों की लत पड़ चुकी थी, ऐसे में नीरज की संगत पा कर उसे भी वही मजा मिलने लगा.
धीरेधीरे राजू और नीरज रोजरोज ही मिलने लगे. वे आपस में एकदूसरे को चूमते तो कभी मोबाइल से फोटो लेते. नीरज राजू से उम्र में काफी बड़ा था. राजू को मनोज के साथ संबंध बनाने में जो मजा आता था, वह नीरज के साथ नहीं आता था. यही वजह थी कि वह नीरज से दूरियां बनाने लगा था.
मगर नीरज वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर उस से बारबार संबंध बनाने की जिद करता था. किसी लव ट्रायंगल फिल्मी स्टोरी की तरह राजू के नीरज के साथ घूमनेफिरने से मनोज के अंदर शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा.
मनोज ने जब एक दिन राजू से नीरज के साथ नजदीकियों के बारे में पूछा तो नीरज की हरकतों की सच्चाई राजू ने मनोज को बता दी, ‘‘नीरज मुझे खेत पर बुला कर जबरन संबंध बनाता है और मना करने पर हम दोनों का वीडियो वायरल करने की धमकी देता है.’’
यह सुन कर मनोज का खून खौल उठा. जैसे एक प्रेमी अपनी प्रेमिका का किसी गैर से संबंध बरदाश्त नहीं कर पाता, वैसे ही मनोज के दिल में नीरज के प्रति नफरत की आग जलने लगी.
मनोज को जब पता चला कि नीरज उस के दोस्त राजू को ब्लैकमेल कर रहा है और जबरदस्ती संबंध बना रहा है तो उस ने नीरज को रास्ते से हटाने की सोची.
नीरज के पास उन का अश्लील वीडियो था, इस वजह से मनोज को डर था कि उस की दोस्तों में बदनामी हो जाएगी. चारों तरफ से निराश हो कर मनोज ने नीरज की हत्या करने की योजना बनाई. मनोज की बनाई योजना के मुताबिक, राजू ने 16 फरवरी की रात साढ़े 9 बजे नीरज को फोन कर के मिलने को बुलाया.
नीरज यूं तो करोड़पति बाप का इकलौता बेटा था, मगर अपने हमउम्र लड़कों के साथ अवैध संबंध रखने के शौक की वजह से वह किशोरास्था में ही बदनाम हो गया था.
नीरज के जवान होते ही उस के पिता ने उस की शादी कर दी. वक्त गुजरने के साथ नीरज का बेटा भी 15 साल का हो गया था, मगर नीरज का लड़कों से सैक्स संबंध बनाने का शौक खत्म नहीं हुआ था.
16 फरवरी, 2022 की रात साढ़े 9 बजे नीरज घर पर खाना खा कर मोबाइल देख रहा था, तभी राजू की फोन काल देख कर उस का चेहरा खुशी से खिल उठा. राजू ने उसे खुला आमंत्रण देते हुए कहा, ‘‘आज मेरा मन तुम्हारे साथ कुछ करने का हो रहा है. जल्दी से आ जाओ.’’
अंधा क्या चाहे 2 आंखें. नीरज ने हामी भरते हुए कहा, ‘‘मैं आता हूं तू चौक पर मिलना.’’
इतना कहते ही फोन डिसकनेक्ट कर उस ने घर से जूट के 2 बोरे स्कूटी की डिक्की में रखे और पत्नी से कुछ देर में आने की बोल कर घर से निकल पड़ा. करीब पौने 10 बजे राजू उसे चौक पर ही मिल गया.
नीरज उसे स्कूटी पर बिठा कर शगुन वाटिका मैरिज गार्डन के पीछे रेलवे स्टेशन के नजदीक सुनसान जगह पर ले गया. स्कूटी खड़ी कर अंधेरे का फायदा उठा कर झाडि़यों के बीच घुस कर अपने साथ लाए जूट के बोरे बिछा कर दोनों पास में बैठ गए.
अमावस्या की रात के स्याह अंधेरे का पूरा लुत्फ नीरज उठाना चाहता था, इसलिए अपने कपड़े घुटने के नीचे सरका कर वह राजू के साथ प्रेमालाप करने लगा. मगर उसे पता नहीं था कि आज वह राजू को नहीं, अपनी मौत को सुनसान जगह ले कर आया है.
नीरज और राजू का सैक्स गेम चल ही रहा था कि मनोज उन का पीछा करते हुए दबेपांव वहां पहुंच गया. मनोज ने देखा कि नीरज राजू के ऊपर था, तभी उस ने पीछे से नीरज का गला पकड़ लिया.
नीरज कुछ समझ पाता, इस के पहले राजू भी मनोज का साथ देने लगा. दोनों पूरी ताकत से नीरज का गला दबाने लगे. कुछ ही देर में नीरज छटपटा कर ढेर हो गया. इस के बाद दोनों ने उस के हाथ की नस काट कर और गले को चाकूनुमा कटर से गोद कर इस बात की पूरी तसदीक कर ली कि नीरज जिंदा तो नहीं है.
नीरज की हत्या करने के बाद मनोज और राजू ने उस के शव को उठा कर घनी झाडि़यों के बीच फेंक दिया और नीरज का मोबाइल ले कर उसी की स्कूटी पर सवार हो कर दोनों भाग खड़े हुए.
रात में ही दोनों होशंगाबाद पहुंचे, जहां वे मनोज की बहनबहनोई के घर पर रुके. सुबह होते ही मनोज अपनी बहन से बोला, ‘‘दीदी, हम लोग जरूरी काम से भोपाल जा रहे हैं.’’
स्कूटी वहीं छोड़ कर दोनों बस में सवार हो भोपाल पहुंच गए. दोनों भोपाल के नादिरा बस स्टैंड से कहीं दूर भागने की फिराक में थे, तभी औबेदुल्लागंज थाने के टीआई संदीप चौरसिया की टीम ने उन्हें दबोच लिया.
पकड़े जाने पर उन के पास नीरज की हत्या कुबूल करने के अलावा कोई चारा नहीं था. दोनों ने नीरज की हत्या के पीछे यही कारण बताया कि नीरज उन के सैक्स संबंधों का वीडियो वायरल करने की धमकी दे कर राजू को ब्लैकमेल कर बारबार संबंध बनाने का दबाव डाल रहा था. यह बात मनोज को नागवार गुजरी.
दोनों की निशानदेही पर नीरज की स्कूटी, मोबाइल और हत्या में इस्तेमाल किया गया चाकूनुमा कटर भी बरामद कर लिया. पुलिस ने दोनों को भादंवि धारा 302,120बी के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से मनोज को जेल और राजू को बाल सुधार गृह भेज दिया गया.
गे सैक्स के शौक ने एक शादीशुदा रईस कारोबारी नीरज को मौत की नींद सुला दिया तो मनोज और राजू जैसे नौजवानों को अपराध करने पर मजबूर कर दिया. द्य
—कथा मीडिया रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों पर आधारित
बिहार के समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडलीय मुख्यालय स्थित बड़ी दुर्गा स्थान में मिश्र टोला का रहने वाला शिक्षक है रविंद्र झा. 50 वर्षीय रविंद्र झा रोसड़ा के संस्कृत विद्यालय में अध्यापक है. उसकी बुरी नजर अपनी ही 20 साल की बेटी मोनिका पर थी.
4 वर्ष पहले की बात है एक दिन मोनिका घर में अकेली थी. बस, बेशर्म शिक्षक पिता रविंद्र झा ने अपनी बेटी मोनिका के साथ अश्लील हरकत करनी शुरू कर दी.
मोनिका ने विरोध किया फिर भी रविंद्र झा ने उस के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बना लिए. मोनिका ने यह बात अपनी मां से बताई. लेकिन लोकलाज का हवाला दे कर मां ने उसे चुप रहने की हिदायत दी.
उस समय मोनिका इंटरमीडिएट की छात्रा थी. वह अब स्नातक तीसरे वर्ष की छात्रा है. उस के बाद रविंद्र झा का मनोबल बढ़ता ही चला गया और वह जबतब घर में अकेली रहती बेटी मोनिका के साथ जबरदस्ती शारीरिक संबंध बनाने लगा.
पिता की हरकत से परेशान हो कर मोनिका ने सबूत इकट्ठा करने के खयाल से ही यह घिनौनी करतूत 20 अप्रैल, 2022 को अपने मोबाइल के कैमरे में कैद कर ली.
पिता के घिनौने कृत्य की वीडियो बनाने के बाद मोनिका ने अपनी मामी से यह बात शेयर की. मामामामी उस के घर पहुंचे और मोनिका को साथ ले कर अपने घर चले गए. जहां मोनिका ने सारी बात मामामामी व अन्य रिश्तेदारों को खुल कर बताई.
वहां उस का ममेरा भाई माधव मिश्रा कोने में खड़े हो कर सारी बात सुन रहा था. माधव ने मोनिका को मदद का भरोसा दिलाया तो वह मान गई और मोनिका ने वीडियो माधव के हवाले कर दी.
माधव ने वह वीडियो प्रशासनिक मदद के खयाल से अपने एक परिचित हसनपुर निवासी एक न्यूज पोर्टल के पत्रकार संजय भारती को दे दी. ‘रोसड़ा जंक्शन’ नामक उस न्यूज पोर्टल से जुड़े पत्रकार संजय भारती ने पहले मोनिका से मोबाइल पर संपर्क कर उसे ब्लैकमेल किया और जब उसे पैसा नहीं मिला तो उस ने वह वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल कर दी.
मोनिका को जब वीडियो वायरल होने की खबर मिली तो वह बहुत परेशान हो गई. उस ने रोसड़ा थाने जा कर मदद की गुहार लगाई. लेकिन पुलिस वाले पीडि़ता के पिता से मिल गए और उन्होंने केस दर्ज नहीं किया.
पुलिस उच्चाधिकरियों के संज्ञान में मामला आने के बाद पुलिस ने केस दर्ज कर मोनिका के घर पर छापेमारी की. फिर मोनिका के पिता रविंद्र झा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है. इतना ही नहीं, पुलिस ने पीडि़ता के ममेरे भाई माधव मिश्रा को भी गिरफ्तार कर जेल भेज दिया.
समस्तीपुर के एसपी हृदयकांत के आदेश पर अब यह मामला समस्तीपुर महिला थानाप्रभारी पुष्पलता कुमारी को ट्रांसफर कर दिया गया है.
दुष्कर्मी पिता रविंद्र झा व ममेरे भाई माधव मिश्रा के खिलाफ भादंवि की धारा 376, 354(बी), 341, 504, 506 आईपीपी व पोक्सो एक्ट एवं 67(ए) आईटी एक्ट के तहत गिरफ्तार कर जेल भेज चुकी है. तो वहीं न्यूज पोर्टल के पत्रकार संजय भारती के खिलाफ भी 5 मई, 2022 को भादंवि की धारा 384, 506, 509 व 67(ए) आईटी एक्ट 2000 के तहत रिपोर्ट दर्ज की जा चुकी है. लेकिन वह गिरफ्तार नहीं हो सका है.
थानाप्रभारी पुष्पलता कुमारी ने पीडि़ता मोनिका का 6 मई, 2022 को समस्तीपुर के सदर अस्पताल में मैडिकल कराया. डा. नवनीता, डा. गिरीश कुमार व डा. उत्सव की टीम ने पीडि़ता का मैडिकल परीक्षण किया. उस का अल्ट्रासाउंड व एक्सरे तक कराया गया. मैडिकल जांच में उस के साथ शारीरिक शोषण की पुष्टि हुई.
मैडिकल जांच और कोर्ट में बयान दर्ज कराने के बाद मोनिका को उस के मामामामी के साथ भेज दिया गया है. क्योंकि माधुरी ने मां के साथ घर जाने से इनकार कर दिया था.
फिलहाल मोनिका अभी डर से उबर नहीं पाई है. वह सहमी हुई रहती है. द्य
—कथा में मोनिका नाम परिवर्तित है
अपराह्न के साढ़े 3 बजे थे. कुलदीप के ट्यूशन जाने का समय हो गया था लेकिन अब तक वह दोस्तों के साथ खेल कर घर नहीं आया था. घर वालों ने कुलदीप को तलाशना शुरू किया, लेकिन उस का कोई पता नहीं चला.
कुलदीप ताजमहल के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध आगरा के थाना इरादत नगर के गांव हरजूपुरा निवासी किराना व्यापारी गब्बर सिंह का 9 वर्षीय बेटा था. गांव में जब वह कहीं नहीं मिला तो घर वालों को चिंता सताने लगी. कुलदीप दोपहर में गांव के मंदिर के पास अपने दोस्तों के बीच खेलने को कह कर गया था. वह गांव में आयोजित एक तेरहवीं के भोज में भी देखा गया था. इस के बाद उस का कोई पता नहीं चला. यह बात 23 जनवरी, 2022 की है.
उन दिनों उत्तर प्रदेश में चुनावी शोरगुल चल रहा था. गांव में चुनाव प्रचार के लिए विभिन्न पार्टियों के प्रत्याशी, उन के कार्यकर्ता आजा रहे थे. ऐसी आशंका व्यक्त की गई कि कुलदीप कहीं चुनाव पार्टी वालों के साथ तो दूसरे गांव में नहीं चला गया?
कई घंटे तक तलाश करने के बाद भी जब कुलदीप का पता नहीं लगा तब घर वालों ने पुलिस को सूचना दी. पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर कुलदीप की तलाश शुरू कर दी. किराना व्यापारी के मासूम बेटे कुलदीप के अचानक लापता होने से गांव वाले भी परेशान थे.
कुलदीप को लापता हुए 6 दिन हो गए थे. गांव वालों के साथ घर वाले तथा पुलिस की 4 टीमें भी उस की तलाश में लगीं थीं. इस के साथ ही सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखने के साथ ही रेलवे स्टेशनों और बस स्टेशनों पर भी एक टीमें लगाई गईं.
उस दिन गांव में आयोजित तेरहवीं के भोज में बड़ी संख्या में लोग आए थे. कुलदीप को साथ के बच्चों ने तेरहवीं में जाते हुए देखा था. तेरहवीं में आए लोगों की सूची बनाने का काम पुलिस की एक टीम ने शुरू कर दिया.
इन दिनों प्रत्याशी विधानसभा चुनाव के लिए गांव में वोट मांगने आ रहे थे. दबाव बनाने के लिए परिवार के लोगों के साथ ही ग्रामीणों ने उन से लापता बालक कुलदीप को ढूंढ कर लाने पर ही मतदान करने की शर्त भी रखी थी.
कुलदीप पूरे परिवार का दुलारा था. अपनी आखों के तारे कुलदीप को 6 दिनों से न देख पाने से किसी अनहोनी की आशंका से मां मनोरमा देवी और दादी कमला देवी की आंखों के आंसू रोरो कर सूख चुके थे. मां दरवाजे की ओर टकटकी लगाए थी. हर आहट व हलचल पर दरवाजे से बाहर की ओर दौड़ जाती है कि कहीं उस का बेटा कुलदीप तो नहीं आ गया.
कुलदीप का छोटा भाई विहान भी रोरो कर मां से बारबार भाई के बारे में पूछता. उधर पिता गब्बर सिंह भी पुलिस से बारबार अपने बेटे को लाने की गुहार लगा रहे थे.
कुलदीप की गुमशुदगी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई थी. जिस के बाद पुलिस ने एक योजना के तहत 5 फरवरी, 2022 को कुलदीप के घर वालों की ओर से उस का सुराग देने वाले को 5 लाख रुपए का ईनाम देने की बात प्रसारित कर दी. इस के साथ ही इस संबंध में पर्चे छपवा कर गांव में बंटवा दिए.
इस का नतीजा दूसरे दिन यानी 6 फरवरी को ही सामने आ गया. गब्बर के घर के बाहर स्थित उस के घेर में 35 लाख की फिरौती का पत्र मिला. घेर के मौखले से पत्र फेंका गया था. फिरौती न देने पर बच्चे को बेचने और जान से मारने की धमकी दी गई थी.
पत्र में दिए गए पते पर पिता गब्बर सिंह लाल रंग के बैग में रुपए ले कर पहुंचे और बताए अनुसार बैग को पेड़ पर लटका दिया. लेकिन बैग को लेने कोई नहीं आया. ऐसा 2 दिन किया गया.
दूसरा पत्र 9 फरवरी को और तीसरा पत्र 11 फरवरी को मिला था. इस पत्र के साथ कुलदीप का टोपा (कैप) भी था. उस लेटर को भी रात में किसी ने घेर के अंदर फेंका था. पत्रों में पुलिस को जानकारी देने अथवा कोई चालाकी करने पर बच्चे की हत्या करने की धमकी दी गई थी.
जब परिजनों ने कुलदीप का टोपा देखा तो उन का माथा ठनका. इस संबंध में पुलिस को पूरी जानकारी दी.
गांव में आने का एक ही रास्ता था. मगर जब पत्र मिले, तब गांव में कोई बाहरी व्यक्ति नहीं आता दिखाई दिया था. इस से पुलिस को गांव के ही किसी व्यक्ति के शामिल होने का शक हुआ. पुलिस ने गब्बर से पुरानी रंजिश आदि के बारे में पूछा, लेकिन गब्बर सिंह ने किसी से भी दुश्मनी होने की बात नकार दी.
अपहर्त्ताओं ने पहले पत्र में जहां फिरौती के रूप में 35 लाख की मांग की थी, वहीं बाद के पत्रों में रकम घटा कर 25 लाख कर दी गई थी. मगर तीनों पत्रों में एक बात समान थी, वह यह कि फिरौती की रकम ले कर आने की जगह नहीं बदली गई थी.
तीनों ही पत्रों में अपहर्त्ताओं ने जगनेर के सरैंधी में पैट्रोल पंप के पास एक शीशम के पेड़ पर फिरौती की रकम को एक लाल रंग के बैग में रख कर टांगने के लिए कहा था.
पिता गब्बर व उन के जीजा सुरेंद्र सिंह को शक हुआ कि फिरौती मांगने वालों के तार जरूर सरैंधी व उस के आसपास के गांव से जुड़े हुए हैं. इस के बाद गांव के लोगों के बारे में गोपनीय तरीके से जानकारी करनी शुरू कर दी कि कितने लोगों के सगेसंबंधी सरैंधी के आसपास के गांवों में रहते हैं.
जानकारी करने पर पता चला कि गब्बर के घर के सामने रहने वाले आशु उर्फ कालिया का एक संबंधी सरैंधी के पास वाले गांव में रहता है. जबकि कुछ अन्य लोगों के रिश्तेदार फिरौती वाली जगह से दूर रहते थे.
इतनी जानकारी मिलने के बाद आशु के उस रिश्तेदार के बारे में छानबीन की गई तो पता चला कि वह भाड़े पर गाड़ी चलाता है.
जानकारी मिलने के 3 दिन बाद सुरेंद्र सिंह आशु के उस रिश्तेदार के गांव पहुंचा और दूसरे दिन खेरागढ़ जाने के लिए गाड़ी बुक करने की बात कही. इस बीच बातचीत के दौरान कुलदीप के बारे में बात की. इस पर रिश्तेदार चिंतित नजर आया. सुरेंद्र उसे सौ रुपए एडवांस दे कर आटो स्टैंड के लिए चल दिया.
सुरेंद्र के जाते ही रिश्तेदार ने सुरेंद्र सिंह का आटो स्टैंड तक लगातार पीछा किया. सुरेंद्र सिंह आटो स्टैंड पहुंचा और एक आटो में बैठ कर चल दिया. इस बीच उसे पता चल गया था कि आशु का रिश्तेदार उस की रेकी कर रहा है. करीब 100 मीटर दूर जाने के बाद सुरेंद्र आटो से उतर कर वापस आटो स्टैंड आ गया.
उस समय वहां पर वह रिश्तेदार किसी से मोबाइल पर बात कर रहा था. सुरेंद्र बिना बताए चुपचाप वहां खड़ा हो गया. देखा कि वह फोन पर बात करते समय घबराया हुआ था. सुरेंद्र सिंह यह सब जानकारी पाने के बाद गब्बर सिंह के पास पहुंचा और आशु पर शक जताते हुए पुलिस को हकीकत बताई और आशु से पूछताछ करने को कहा.
पुलिस को भी जांच के दौरान पहले ही आशु पर शक हो रहा था. लेकिन कुलदीप के परिजनों द्वारा उस पर कोई शक नहीं जताने तथा आशु के कुलदीप की तलाश में परिजनों के साथ सबसे आगे होने पर पुलिस उस से पूछताछ करने से हिचक रही थी.
इस के बाद पुलिस ने जानकारी जुटा कर कड़ी से कड़ी जोड़ी और एसओजी प्रभारी कुलदीप दीक्षित तथा थानाप्रभारी अवधेश कुमार गौतम की टीम ने आशु को हिरासत में ले लिया. थाने ला कर उस से कड़ाई से पूछताछ की.
पूछताछ के दौरान पता चला कि अपहरण में उस के 2 और साथी कन्हैया और मुकेश शामिल थे. अपहरण वाले दिन ही उन्होंने कुलदीप की हत्या करने के बाद उस की लाश जंगल में दफना दी थी.
पुलिस ने 17 फरवरी, 2022 की रात को गब्बर सिंह के पड़ोस में रहने वाले तीनों आरोपी आशु, मुकेश व कन्हैया को गिरफ्तार कर लिया. तीनों ने कुलदीप का अपहरण करने के बाद उस की हत्या करने का जुर्म कुबूल कर लिया.
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने प्रैस कौन्फ्रैंस में कुलदीप के अपहरण और हत्याकांड के 26 दिन बाद मामले का परदाफाश करते हुए बताया कि कुलदीप की हत्या के पीछे रंजिश का मामला निकल कर आया है. उन्होंने तीनों हत्यारोपियों को गिरफ्तार करने की जानकारी दी.
पुलिस ने हत्यारों की निशानदेही पर गब्बर के घर से एक किमी दूर जंगल में दफनाए गए कुलदीप के शव को बरामद कर लिया. कुलदीप की हत्या अपहरण करने वाले दिन ही अंगौछे (गमछा) से गला घोट कर दी गई थी. पुलिस ने गमछा, फावड़ा व अन्य सामान भी बरामद कर लिया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या का कारण गला घोटना बताया गया था. इस अपहरण और हत्या के पीछे जो कहानी निकल कर आई वह चौंकाने वाली थी—
आरोपी आशु 2 साल पहले मृतक के पिता गब्बर सिंह के घर चोरी करते पकड़ा गया था. तब उसे अपमानित किया गया था. पंचायत ने आशु को गांव से बाहर रहने का फैसला सुनाया था. पंचायत के फैसले के बाद आशु अपनी बहन के घर खेरागढ़ चला गया था. उस की रिश्तेदारी गांव सरैंधी में भी है. इस बीच वह सरैंधी में रिश्तेदार के यहां भी रहा.
करीब 5 माह पहले आशु फिर से वापस गांव आ गया. आरोपी आशु को कुलदीप चोरचोर कह कर चिढ़ाता था. वह गब्बर व उस के बेटे कुलदीप से चिढ़ने लगा और दोनों से दिली रंजिश मानने लगा.
आरोपी मुकेश और कन्हैया, गब्बर सिंह के दूर के रिश्तेदार हैं. मुकेश लंबे समय से गब्बर के घर में ही किराए पर रहता था. मुकेश की एक बहन थी. ससुराल में उस की मौत हो गई. ससुरालीजनों ने समझौते की जो रकम दी थी, वह गब्बर सिंह ने रख ली थी और मांगने पर भी वह रकम वापस नहीं कर रहा था.
साथ ही पिछले दिनों गब्बर ने उस से अपना मकान भी खाली करा लिया था. इस से मुकेश भी गब्बर से रंजिश मानने लगा था. वर्तमान में मुकेश तीसरे आरोपी कन्हैया के घर में किराए पर रह रहा था.
मुकेश मथुरा के फरह का मूल निवासी है. वह 2 फरवरी को दिल्ली में फैक्ट्री में काम करने के लिए चला गया था. लेकिन उसे बहाने से आशु ने बुला लिया था.
तीनों ने गब्बर सिंह से बदला लेने के लिए साजिश रची. घटना वाले दिन 23 जनवरी को गांव में एक जगह तेरहवीं के भोज का आयोजन होने व विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए विभिन्न पार्टी नेताओं के आने से गहमागमी थी. इस का फायदा उठाते हुए हत्यारोपियों ने साजिश के तहत कुलदीप का बहाने से अपहरण कर लिया.
कुलदीप गिल्ली डंडा खेलने का शौकीन था. गिल्ली डंडा के लिए लकड़ी लेने के बहाने मुकेश कुलदीप को जंगल की ओर ले गया. रास्ते में उस के साथी कन्हैया और आशु मिल गए.
तीनों उसे गांव से करीब एक किलोमीटर दूर जंगल में ले गए. कन्हैया और मुकेश ने कुलदीप के पैर पकड़े और आशु ने अपने गमछे से गला घोट कर उस की हत्या कर दी. तीनों ने वहीं गड्ढा खोद कर शव को दबा दिया और गांव आ गए.
हत्यारोपियों ने अपने दुश्मन के बेटे के अपहरण के दिन ही उस की हत्या कर दी थी. इतना ही नहीं, आशु, कन्हैया और मुकेश हत्याकांड को अंजाम देने के बाद पीडि़त परिजनों के साथ कुलदीप की खोजबीन का नाटक भी करते रहे.
जब बेटे का कोई सुराग नहीं मिला तो गब्बर सिंह ने 5 लाख का ईनाम देने की घोषणा कर दी. तब तीनों हत्यारों के मन में लालच जाग गया. तीनों ने फिरौती मांगने की योजना बनाई जो उन के पकड़े जाने का सबब बनी.
आरोपी कन्हैया का घर गब्बर सिंह के घर से लगा हुआ है. जबकि आशु का घर गब्बर सिंह के घर के सामने है. गब्बर सिंह के घर के बाहर स्थित घेर की दीवार में 4 मोखले बने हुए हैं. इन मोखलों से कन्हैया पत्र फेंक देता था. जबकि फिरौती मांगे जाने के बाद पुलिस गांव में आने वाले हर व्यक्ति पर नजर रख रही थी.
इस के साथ ही वह गब्बर सिंह के घर के सामने से गुजरने वालों पर भी निगरानी कर रही थी. लेकिन आरोपी इतने शातिर थे कि पुलिस और परिजनों की आंख से काजल चुरा रहे थे. लगातार फिरौती के पत्र आने से पुलिस इतना तो समझ गई थी कि फिरौती मांगने वाले गांव के ही किसी व्यक्ति का हाथ है.
एसएसपी सुधीर कुमार सिंह ने बताया कि पत्रों में लिखी हैंड राइटिंग की जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला से रिपोर्ट मंगाई जाएगी. केस में मजबूत साक्ष्य पुलिस के पास हैं. 3 पत्र डाले गए थे. हैंड राइटिंग का मिलान कराया तो पता चल कि वो पत्र कन्हैया ने लिखे थे.
इस के साथ ही कुलदीप का टोपा (कैप) भी भेजा गया था. वहीं जहां शव दफनाया गया था, वहां पर फावड़ा मिला था. गला घोटने वाला गमछा भी बरामद कर लिया गया.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी हत्या का कारण दम घुटना बताया गया था. गिरफ्तार किए गए तीनों हत्यारोपियों को न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.
अपराधी कितना भी चालाक क्यों न हो, अपने पीछे कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है. कुलदीप अपहरण और हत्याकांड की इस दिल दहलाने वाली वारदात में भी यही हुआ.
आरोपियों ने फूलप्रूफ प्लान बनाया था. लेकिन लालच के वशीभूत हो कर उन के द्वारा भेजे गए फिरौती के पत्रों व कुलदीप की कैप से ही पुलिस और परिजन हत्यारों तक पहुंच गए. द्य
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित
घने और देवदार के लंबे वृक्षों से आच्छादित पहाड़ों के बीचोबीच एक आदिवासी गांव पहाड़गांव आम टोला. यह गांव झारखंड के गुमला जिले के कामडारा थाना क्षेत्र में आता है. गांव में एक ऐतिहासिक शिव मंदिर है इसीलिए इस गांव का नाम दूरदूर तक प्रसिद्ध है.
सावन का महीना हो या फिर महाशिवरात्रि पर्व, भक्तों की यहां भीड़ उमड़ती है. हालांकि पहाड़गांव में नक्सली संगठन पीएलएफआई काफी सक्रिय है. कई बार पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ भी हो चुकी है. इसलिए भी पहाड़गांव पूरे जिले में चर्चित है.
इसी गांव में 60 वर्षीय किसान निकोदिन तोपनो अपनी पत्नी जोसविना तोपनो (55 साल), बेटे भिनसेट तोपनो (35 साल), बहू शीलवंती तोपनो (30 साल) और पोते अलबिन तोपनो (5 साल) के साथ हंसीखुशी रहते थे.
बापबेटे मिल कर इतनी मेहनत कर लेते थे कि खेतों में साल भर के खाने से ज्यादा अनाज पैदा हो जाता था. साल भर खाने के लिए अनाज घर में रख कर बाकी का बाजार में बेच कर पैसे कमा लेते थे. इसी से उन का जीवनयापन होता था.
बात 23 फरवरी की है. रात में निकोदिन तोपनो पत्नी, बेटा, बहू और पोते एक साथ बैठ कर खाना खाने के बाद सोने चले गए. रात 9 बजतेबजते निकोदिन और उन का पूरा परिवार खर्राटे भरने लगा था. उन का मकान कच्ची मिट्टी और घासफूस का बना था.
अगली सुबह निकोदिन तोपनो का भतीजा अमृत तोपनो अपने घर के बाहर नीम का दातून कर रहा था. उसी समय गांव का एक आदमी दौड़ताहांफता उस के पास पहुंचा और बोला, ‘‘गजब हो गया अमृत, गजब हो गया.’’
‘‘अरे, क्या गजब हो गया भाई? थोड़ा सांस तो ले लो, फिर कहो जोे कहना
चाहते हो.’’ दातून मुंह से निकालते हुए अमृत बोला.
‘‘अरे भाई, सुनेगा तो तेरे भी होश उड़ जाएंगे. घर के बाहर तेरे बड़े पिता…’’
‘‘क्या हुआ बड़े पिताजी को..?’’
‘‘किसी ने पूरे परिवार को मार डाला. उन को और तेरी बड़ी मां को मार कर घर के बाहर फेंक दिया है. दोनों की लाशें बाहर पड़ी हैं.’’
अमृत ने इतना ही सुना था कि वह जिस अवस्था में था, वैसे ही दातून एक ओर फेंकता हुआ दौड़ताचिल्लाता ताऊ निकोदिन के घर पहुंचा. सचमुच वहां बड़े पिता और बड़ी मां की थोड़ी दूरी पर खून में डूबी लाशें पड़ी थीं. बड़ी बेरहमी से किसी ने उन के गले और सिर पर धारदार हथियार से वार कर मार डाला था.
फिर वह घबराया हुआ घर के अंदर गया. वहां का दिल दहला देने वाला दृश्य देख कर उस का कलेजा कांप उठा. एक ही बिस्तर पर भाई भिनसेट, भाभी शीलवंती और भतीजा अलबिन की खून से सनी लाशें पड़ी हुई थीं. अलबिन के पास उस का खिलौना खून में सना पड़ा था.
उस के बड़े पिता के परिवार को जड़ से ही खत्म कर दिया था. यह सोच कर अमृत की आंखों से झरझर आंसू बहने लगे. उस के चीखनेचिल्लाने की आवाज सुन कर गांव वाले मौके पर जमा हो गए.
तभी किसी ने इस हृदयविदारक घटना की सूचना कारडामा थाने को दे दी. घटना की सूचना पा कर कारडामा थाने के थानाप्रभारी बैजू उरांव पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए थे.
हत्यारों ने बड़ी बेरहमी से सारे कत्ल किए थे. जिस में 5 साल के अलबिन की लाश देख कर ग्रामीणों का कलेजा मुंह को आ गया. आखिर इस मासूम ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो इसे भी नहीं बख्शा.
थानाप्रभारी बैजू उरांव ने मौका मुआयना करने के बाद घटना की सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दे दी. दिल दहला देने वाली घटना की सूचना जैसे ही अधिकारियों को मिली, कुछ ही देर बाद वे मौके पर पहुंच गए थे.
मौके पर पहुंचे अधिकारियों में उपायुक्त शिशिर कुमार सिन्हा, विधायक जिग्गा सुसारन होरो, एसपी पी. हृदीप जनार्दन, एसडीपीओ दीपक कुमार, एसडीओ संजय पीएम कुजूर, रवींद्र कुमार पांडेय, फोरैंसिक टीम, डौग स्क्वायड और कई थानों के थानेदार शामिल थे.
पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल की सूक्ष्मता से जांच की. कहीं से यह घटना नक्सली नहीं लग रही थी. नक्सली घटना होती तो मृतकों के शरीर गोलियों से छलनी हुए होते, किंतु मृतकों के शरीर पर जगहजगह धारदार हथियारों से हमला होना नजर आ रहा था.
जांचपड़ताल से पता चला कि यह घटना किसी रंजिश के कारण अंजाम दी गई है. खैर, पुलिस ने पांचों शव पोस्टमार्टम के लिए जिला अस्पताल गुमला भिजवाए और अमृत तोपनो की तहरीर पर अज्ञात हत्यारों के खिलाफ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 302 और डायन प्रथा प्रतिशोध अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज कर आवश्यक काररवाई शुरू कर दी थी.
इस घटना की खबर डीजीपी नीरज सिन्हा तक पहुंच गई थी. उन्होंने एसपी पी. हृदीप जनार्दन को आदेश दिया कि 24 घंटों के भीतर हत्यारे जेल की सलाखों के पीछे होने चाहिए. चाहे वे कितने ही ताकतवर क्यों न हों. उन के चेहरे पर कानून का भय दिखना चाहिए.
एसआईटी ने जांच शुरू की तो पासपड़ोस से पूछताछ में उन्हें पता चला कि तोपनो परिवार बेहद सीधा सरल था. किसी से उन की कोई रंजिश भी नहीं थी. तो क्यों हत्यारों ने उन के पूरे परिवार का खात्मा कर दिया? यह सोचने वाली बात थी.
आखिरकार, पुलिस की कड़ी मेहनत रंग लाई. 26 फरवरी की दोपहर में एक वीडियो क्लिप जांच अधिकारियों के हाथ लग गई. वीडियो क्लिप घटना से एक दिन पूर्व 23 फरवरी की थी. वीडियो में स्पष्ट दिख रहा था कि दिन में लगभग 11-12 बजे गांव के बाहर फुटबाल के मैदान में एक बैठक का आयोजन हुआ.
बैठक में 50 से अधिक लोग शामिल थे, जिन में लगभग 50 वर्षीय एक व्यक्ति मुंडारी भाषा में चिल्ला कर एक बुजुर्ग (मृतक निकोदिन तोपनो) से कह रहा है, ‘‘तुम लोग गांव में डायन हो. तुम बताओ और 4 लोग कौनकौन हैं, जो गांव में तबाही मचाए हैं. हम लोग इतना सबूत दे रहे हैं… लेकिन तुम नहीं समझ रहे हो…’’
उस व्यक्ति ने बुजुर्ग को बैठक में उपस्थित लोगों से हाथ जोड़ कर माफी मांगने को कहा और इस के बाद बुजुर्ग को 3-4 थप्पड़ जड़ दिए. इस घटना के 10-12 घंटे बाद ही निकोदिन तोपनो को परिवार सहित मार डाला गया था.
पुलिस को यह समझते देर न लगी कि मामला डायन बिसाही से जुड़ा हुआ है. इस के बाद राज से परदा खुलता चला गया. घटना का मूल दोषी गांव का पुजारी मथुरा तोपनो था. पुलिस ने पुजारी को गिरफ्तार किया तो एकएक कर के 8 आरोपी सामने आए, जिन्होंने बेहरमी से तोपनो दंपति सहित पूरे परिवार को मौत की नींद सुला दिया था.
अगले दिन 27 फरवरी को आठों आरोपी गिरफ्तार कर लिए गए थे. जिन के नाम सुनील तोपनो, सोमा तोपनो, सलीम तोपनो, फिरंगी तोपनो, फिलिप तोपनो, अमृत तोपनो, सावन तोपनो और दानियल तोपनो थे. मुख्य आरोपी सुनील तोपनो से पुलिस ने जब कड़ाई से पूछताछ की तो उस ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया और हत्या की पूरी कहानी पुलिस को बता दी.
पुलिस पूछताछ में जो कहानी सामने आई, सभ्य समाज के विकृत चेहरे को उजागर करने वाली थी.
सुनील तोपनो मूलरूप से गुमला जिले के कामडारा इलाके के पहाड़गांव आमटोला का रहने वाला था. खेतीबाड़ी और मेहनतमजदूरी कर के अपना और अपने परिवार का भरणपोषण करता था. सुनील जिस गांव का मूल निवासी था, वह इलाका आदिवासियों का इलाका कहा जाता है. इस गांव में ज्यादातर लोग अशिक्षित और बेरोजगार हैं, जो दूसरों के यहां मेहनत कर के अपना जीवनयापन करते हैं और अंधविश्वास की दुनिया में जीते हैं.
यहां अंधविश्वास की जड़ें इतनी गहरी हो चुकी हैं, जिसे दूर करना तो दूर की बात, उस की जड़ों को टटोल पाना टेढ़ी खीर साबित होती है.
सुनील ने एक देशी गाय और बैल पाल रखा था. दिन भर जानवरों की सेवा में वह लगा रहता था. अचानक उस के दोनों जानवर बीमार पड़ गए और कुछ दिनों बाद दोनों मर गए. जानवरों की अचानक हुई मौत से सुनील दुखी रहने लगा था. किसी काम में उस का मन ही नहीं लग रहा था.
सुनील के जानवरों की मौत के बाद गांव में एकएक कर के कई जानवर असमय काल के गाल में समा गए थे. यह देख कर सुनील के साथ सोमा तोपनो, सलीम, फिरंगी, फिलिप सावन और दानियल सभी परेशान थे. वे समझ नहीं पा रहे थे अचानक क्या हो गया, क्यों जानवर मरने लगे.
सुनील तोपनो गांव के बाकी लोगों को साथ ले कर पुजारी मथुरा तोपनो से मिलने उस के घर आया. पुजारी ने सुनील और उस के साथ आए सभी लोगों की बातें सुनीं. सब की बातें सुनने के बाद वह इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि गांव में कोई डायन पाले हुए है. वही सब कुछ करा रहा है, इसीलिए गांव के जानवर एकएक कर के मर रहे हैं.
पुजारी मथुरा तोपनो ने गांव वालों से कहा कि निकोदिन तोपनो ही वह व्यक्ति है, जिस ने अपने घर में डायन पाल रखी है. वही सब को नुकसान पहुंचा रहा है. उस के साथ भी डायन जैसा व्यवहार होना चाहिए.
पुजारी मथुरा तोपनो के कथन ने आग में घी का काम किया. सुनील तोपनो और गांव वालों के दिमाग में यह बात बैठ गई कि निकोदिन तोपनो की वजह से ही उन के और पशुओं की मौत हुई है. डायन बन कर वह एकएक को खा रहा है. जब तक जिंदा रहेगा, मार कर ऐसे ही खाता रहेगा.
सुनील तोपनो ने इस को ले कर 23 फरवरी को गांव के बाहर फुटबाल मैदान में एक पंचायत आयोजित की. 50 से ज्यादा लोग इस में उपस्थित थे. इस बैठक में निकोदिन के बेटे भिनसेट तोपनो को शामिल नहीं होने दिया गया था.
3-4 घंटे तक चली इस बैठक का वीडियो एक शख्स ने बना लिया था. बैठक में पुजारी मथुरा तोपनो मुंडारी भाषा में चिल्ला कर निकोदिन तोपनो से कह रहा था, ‘‘तुम लोग गांव में डायन हो… तुम बताओ और 4 लोग कौनकौन हैं, जो गांव में तबाही मचाए हैं. हम लोग इतना सबूत दे रहे हैं…लेकिन तुम नहीं समझ रहे हो…’’
उस व्यक्ति ने बुजुर्ग निकोदिन को बैठक में उपस्थित लोगों से हाथ जोड़ कर माफी मांगने को कहा, जिस के बाद उसे 3-4 थप्पड़ जड़ दिए.
बुजुर्ग निकोदिन तोपनो समझ नहीं पा रहे थे कि उन्हें किस गुनाह की सजा दी गई थी. उन से ऐसा क्या गुनाह हुआ, जो भरी पंचायत में पुजारी ने थप्पड़ मारे. पुजारी की इस धृष्टता से निकोदिन सहम गए थे.
साधारण तरीके से जीने वाले निकोदिन पर डायन पालने का झूठा आरोप लगाया जा रहा था. जबकि उस ने पंचायत में चीखचीख कर कहा था कि उस पर लगाया जा रहा आरोप बेबुनियाद है. लेकिन पंच न तो उस की बात सुनने को तैयार थे और न ही मानने को.
बैठक खत्म होने के बाद निकोदिन तोपनो दुखी मन से घर पहुंचे. उन के बुझे हुए चेहरे को देख कर पत्नी, बेटे और बहू समझ गए कि पंचायत में जरूर कुछ बुरा हुआ है तभी इन का चेहरा लटका हुआ है. फिर निकोदिन ने परिवार के सामने सारी सच्चाई बता दी.
थप्पड़ वाली बात सुन कर सभी का कलेजा कांप उठा. वे मन मसोस कर रह गए, इस के अलावा वे और कुछ कर भी नहीं सकते थे.
इधर बैठक के बाद से ही सुनील तोपनो निकोदिन तोपनो को सजा देने के लिए फड़फड़ा रहा था. बस घटना को अंजाम देने की देरी थी.
रात 10 बजे तक गांव में सन्नाटा पसर गया था. हथियारों के साथ सुनील अपनी मोटरसाइकिल पर सोमा को पीछे बैठा कर निकोदिन के घर पहुंचा. एक दूसरी मोटरसाइकिल पर सवार सलीम और फिरंगी उस का साथ दे रहे थे.
चारों मोटरसाइकिल से नीचे उतरे और आपस में कुछ बात की. उस के बाद चारों अलगअलग दिशाओं में धारदार हथियार ले कर फैल गए.
सुनील निकोदिन तोपनो के घर की ओर बड़ा. दरवाजा खटखटा कर उस ने निकोदिन को बाहर आने को कहा. दरवाजा खटखटाने की आवाज सुन कर निकोदिन और उन की पत्नी की आंखें खुल गईं और वे बिस्तर पर उठ कर बैठ गए. दोबारा दरवाजे पर थाप की आवाज सुन कर निकोदिन यह देखने के लिए दरवाजे की ओर लपका कि बाहर कौन है, जो उसे बुला रहा है.
जैसे ही बुजुर्ग निकोदिन दरवाजा खोल कर बाहर निकले, सुनील और सोमा ने उन्हें कमरे से बाहर खींच लिया. जिस से निकोदिन के मुंह से चीख निकल पड़ी. पति की दर्दनाक चीख सुन कर जोसविना भी चिल्लाती हुई बाहर दौड़ी.
बाहर निकली तो देखा सुनील और सोमा कुल्हाड़ी और आरी से उस के पति को मार रहे थे. पति को बचाने के लिए जोसविना हत्यारों से भिड़ गई. हत्यारों ने उसे भी नहीं बख्शा और कुल्हाड़ी से प्रहार कर मौत के घाट उतार दिया.
दोनों बुजुर्गों की हत्या करने के बाद चारों हत्यारे बुरी तरह डर गए थे. वे इस बात से परेशान थे कि निकोदिन के बेटे और बहू जिंदा हैं. कहीं उन्होंने मुंह खोल दिया तो सारी जिंदगी जेल की सलाखों के पीछे रहना पड़ेगा. इसलिए इन्हें भी रास्ते से हटा दें, न रहेगा बांस न बजेगी बांसुरी.
फिर क्या था इंसान से हैवान बन चुके चारों कमरे में घुसे और गहरी नींद में सो रहे भिनसेट, उस की पत्नी शीलवंती और मासूम अलबिन को कुल्हाड़ी और लोहे की आरी से प्रहार कर मौत के घाट उतार दिया और फरार हो गए.
लेकिन खून की होली खेलने वाले दरिंदे कानून के हाथों से ज्यादा देर बच नहीं सके. आखिरकार पुलिस ने उन्हें पकड़ ही लिया.
पुलिस ने 27 फरवरी को आरोपी सुनील तोपनो, सोमा तोपनो, सलीम तोपनो, फिरंगी तोपनो, फिलिप तोपनो, अमृत तोपनो और दानियान तोपनो से पूछताछ करने के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.
आशा के एक सर्वे के अनुसार, झारखंड में डायन बिसाही के नाम पर एक दशक के अंदर करीबन 700 महिलाओं की हत्या की जा चुकी है और यह सिलसिला अभी भी जारी है.
—कथा जनचर्चाओं और पुलिस सूत्रों पर आधारित
फ्लैट का सौदा करने दोनों में ही दोस्ती हो गई तो जल्दी ही दोनों में अनैतिक संबंध भी बन गए. बिल्डर के खिलाफ वकील ने इस्तगासा पेश करने की धमकी दी तो मीडियाकर्मी ने खबर चलाने की धमकी दी. गिरोह के इशारे पर रवनीत ने उस से एक करोड़ रुपए मांगे.
अंत में उस से 35 लाख रुपए वसूले गए. इस के बाद रवनीत को मोहरा बना कर गिरोह ने एक बिल्डर से 50 लाख, एक एक्सपोर्टर से 23 लाख, एक डाक्टर से एक करोड़ 5 लाख, प्रौपर्टी व्यवसाई से 80 लाख और रिसौर्ट मालिक के बेटे से 45 लाख रुपए वसूले.
ब्लैकमेलिंग से मोटी रकम मिली तो रवनीत ने हांगकांग जा कर अपने मातापिता को उन से लिए 8 लाख रुपए लौटा दिए. उस ने अपने घर वालों को बताया कि वह जयपुर में नौकरी करती है. उस ने उन से कोटा के अपने प्रेमी के बारे में भी बता दिया था.
उसी बीच रवनीत कौर उर्फ रूबी का गिरोह के लोगों से पैसों के बंटवारे को ले कर विवाद हो गया. इस की वजह यह थी कि गिरोह के सदस्य शिकार से तो मोटी रकम ऐंठते थे, लेकिन रवनीत को काफी कम पैसे देते थे. इसी बात को ले कर दिसंबर, 2015 के आखिर में रवनीत ने गिरोह छोड़ दिया.
इस के बाद रवनीत ने सन 2016 के शुरू में कोटा निवासी अपने प्रेमी रोहित से शादी कर ली. शादी के बाद वह कोटा चली गई, जहां वह महावीरनगर तृतीय में ससुराल वालों के साथ रहने लगी. बाद में उस ने कोटा की एक कोचिंग इस्टीट्यूट में नौकरी कर ली. उस इंस्टीट्यूट को छोड़ कर उस ने दूसरे कोचिंग इंस्टीट्यूट में करीब 4 महीने ही नौकरी की थी कि एसओजी ने उसे गिरफ्तार कर लिया था. रवनीत की गिरफ्तारी तक उस की ससुराल वालों को उस के कारनामों का पता नहीं था.
एसओजी ने उसे अदालत में पेश कर सुबूत जुटाने के लिए रिमांड पर लिया. उस की हैंडराइटिंग और हस्ताक्षरों के नमूने लिए, ताकि उस का शिकार बने लोगों को लिखित में दिए गए स्टांप पेपरों की लिखावट से मिलान किया जा सके.
स्टांप पर रवनीत कौर अपने हाथों से लिख कर हस्ताक्षर करती थी. स्टांप पर लिखे समझौतों और हस्ताक्षरों की मिलान के लिए अदालत में रवनीत कौर से लिखवा कर हस्ताक्षर कराए गए. इस के बाद इन्हें जांच के लिए विधिविज्ञान प्रयोगशाला भेजा गया.
इस गिरोह की दूसरी हसीना रीना शुक्ला और उस के सहयोगियों ने एक चार्टर्ड एकाउंटैंट से 70 लाख रुपए ऐंठे थे. हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह का खुलासा होने पर एसओजी में इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई है. इसी के बाद एसओजी ने रीना शुक्ला, शंभू सिंह और किशोरीलाल को गिरफ्तार किया था.
किशोरीलाल सीए का दोस्त था. शंभू सिंह जयपुर के मानसरोवर में प्रौपर्टी का कारोबार करता था, जबकि रीना शुक्ला गरीब बच्चों का एक एनजीओ चलाती थी. रीना ने एक मासिक अखबार का रजिस्ट्रेशन भी करा रखा था. आरोपियों ने इसी अखबार के प्रैस कार्ड भी बनवा रखे थे. इन लोगों से पूछताछ में पता चला कि शंभू सिंह के प्रौपर्टी के व्यवसाय को वही सीए संभालता था.
रीना सन 2008 से शंभू सिंह के संपर्क में थी. शंभू सिंह के मार्फत रीना की दोस्ती सीए से हुई. रीना की मौसी कोटा में रहती थी. उस के पड़ोस में अनीता रहती थी. रीना ने अनीता को नौकरी दिलाने के बहाने सन 2013 में जयपुर बुलाया और सीए के माध्यम से एक कंपनी में नौकरी दिलवा दी, साथ ही रहने के लिए जयपुर के प्रतापनगर में एक फ्लैट किराए पर दिलवा दिया.
नवंबर, 2013 में रीना के रिश्तेदार की शादी में शरीक होने के लिए शंभू सिंह और अनीता राजस्थान के प्रतापगढ़ शहर गए. वहीं पर सीए अनीता के बीच अनैतिक संबंध बन गए. इस के सबूत रीना और अनीता ने एकत्र कर लिए. उन्हीं सबूतों के आधार पर उन्होंने सीए को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया.
रीना ने सीए से अनीता को एक लाख रुपए दिलवा कर कोटा भेज दिया. इस के बाद भी रीना और शंभू सिंह ने सीए को ब्लैकमेल करना जारी रखा. उन्होंने 6 महीने में उस से 10 लाख रुपए वसूल लिए.
किशोरीलाल को पता था कि रीना और शंभू सिंह सीए को ब्लैकमेल कर रहे हैं. उसी बीच सीए ने मानसरोवर स्थित अपना एक प्लौट सवा करोड़ रुपए में बेचा. किशोरीलाल ने सीए के प्लौट बेचने की बात रीना और शंभू सिंह को बता दी. सीए के पास मोटी रकम देख कर शंभू सिंह और रीना को लालच आ गया. उन्होंने सीए को धमकी दी कि अनीता कोर्ट में दुष्कर्म का इस्तगासा दर्ज करवा रही है. अगर समझौता करना हो तो वह एक करोड़ रुपए मांग रही है. उस ने मीडिया में भी मामला उजागर करने की धमकी दी.
इन धमकियों से सीए परेशान हो गया. वह आत्महत्या करने की सोचने लगा. इस के बाद शंभू सिंह के साथ मिल कर किशोरीलाल ने 70 लाख रुपए में सौदा करवा दिया. सीए ने अपने दोस्त किशोरीलाल को यह मामला निपटाने के लिए 70 लाख रुपए दे दिए. किशोरीलाल शंभू सिंह और रीना के साथ अनीता को यह रकम देने कोटा गया.
वहां उस ने 20 लाख रुपए खुद रखे और 50 लाख रुपए शंभू सिंह और रीना को दे दिए. रीना और शंभू सिंह ने अनीता को होटल में बुला कर एक समझौता पत्र तैयार किया. इस के बाद रीना ने समझौता पत्र और रुपए के साथ अनीता की एक फोटो ले ली.
शंभू सिंह और रीना ने अनीता को बताया कि सीए ने कोटा में कोई प्रौपर्टी खरीदी है, ये रुपए उन्हीं के हैं. वे प्रौपर्टी खरीदने के लिए सीए के दोस्त के साथ कोटा आए हैं. अनीता को बातों में उलझा कर रीना और शंभू सिंह ने उसे मात्र 10 हजार रुपए दे कर घर भेज दिया, बाकी रुपए दोनों ने अपने पास रख ली और सीए को समझौता पत्र और फोटो दे कर बता दिया कि समझौता हो गया.
एसओजी ने रीना और शंभू सिंह से अनीता के बारे में पूछताछ की तो उन्होंने बताया कि अनीता की 6 महीने पहले कैंसर से मौत हो गई है. एसओजी अधिकारियों को आशंका है कि कहीं मामले का खुलासा होने के डर से अनीता की हत्या तो नहीं कर दी गई. इस बात की जांच शुरू हुई. इस जांच में शंभू सिंह के बैंक लौकर से 15 से ज्यादा सीडियां मिली हैं, जिन्हें पुलिस ने देखा तो उन में तमाम लोगों की आपत्तिजनक फिल्में थीं. इस से स्पष्ट हो गया कि इन लोगों ने अन्य लोगों से भी पैसे ऐंठे हैं.
जांच में रीना और शंभू सिंह के उस झूठ का परदाफाश हो गया कि अनीता मर चुकी है. एसओजी ने कोटा निवासी अनीता चौहान को गुजरात के अहमदाबाद शहर से जीवित बरामद कर लिया.
पूछताछ में अनीता ने बताया कि वह अपने पति के साथ पिछले 3-4 महीने से अहमदाबाद में रह रही थी. उसे शंभू सिंह और रीना शुक्ला द्वारा उस के नाम पर सीए से 70 लाख रुपए ऐंठने की जानकारी नहीं थी. पूछताछ के बाद पुलिस ने अनीता को छोड़ दिया था. वह इस मामले में गवाह बन गई है.
जयपुर में इस तरह की ब्लैकमेलिंग करने वाले नएनए गिरोह सामने आ रहे हैं. एक अन्य गिरोह में तो एक सरकारी वकील के साथ कई लड़कियां शामिल थीं. उन्होंने स्पा मसाज सैंटर के नाम पर रईसों से मोटी रकम ऐंठी. एसओजी ने इस गिरोह की 2 लड़कियों वंदना भट्ट और पूनम कंवर को 11 फरवरी को गिरफ्तार किया.
इन्होंने एक साल में 6 रईसों से 60 लाख रुपए वसूल करने की बात स्वीकार की है. ये लड़कियां रईसों को मसाज पार्लर में बुला कर फांसती थीं. अनैतिक संबंध बनने के बाद थाने में शिकायत दर्ज करा कर वकील और उस के साथी उस रईस को फोन कर धमकाते थे और समझौता कराने के नाम पर 10 से 15 लाख रुपए ऐंठ लेते थे.
सौदा होने के बाद ये लोग पीडि़त को स्टांप पर समझौता लिख कर देते थे. एसओजी की जांच में सामने आया है कि हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह ने ढाई साल में करीब 45 लोेगों से 20 करोड़ रुपए वसूले हैं.
इन में गिरोह के सरगना एक वकील और कुख्यात अपराधी आनंदपाल के साथी आनंद शांडिल्य के हिस्से में 2-2 करोड़ रुपए आए हैं. रवनीत कौर के हिस्से में डेढ़ करोड़ रुपए आए थे. बाकी रकम अन्य सदस्यों में बांटी गई थी. गिरोह के सरगना वकील ने 8 वारदातों के बाद आनंद शांडिल्य को अलग कर दिया था. इस का कारण यह था कि आनंद शांडिल्य ब्लैकमेलिंग की राशि लाता था तो उस में से 15-20 लाख रुपए पहले ही खुद रख लेता था. इस के बाद लाई गई रकम में भी हिस्सा लेता था. इस बात का पता गिरोह के दूसरे सदस्य वकील को चल गया था.
इस हाईप्रोफाइल ब्लैकमेलिंग गिरोह में 4 वकील, 2 फरजी पत्रकार एवं एनआरआई युवती सहित करीब 30 लोग शामिल थे. गिरोह के सरगना वकील को एसओजी ने 9 फरवरी को गोवा से गिरफ्तार किया था. वहां भी उस के साथ एक युवती थी. उस युवती के बारे में जांच की जा रही है.
एक वकील को जयपुर से एक दिन पहले ही एसओजी ने गिरफ्तार किया था. फरार आरोपियों की तलाश में एसओजी जुटी हुई है. जयपुर बार एसोसिएशन ने गिरोह में शामिल वकीलों की सदस्यता रद्द कर दी है. बार कौंसिल के चेयरमैन एम.एम. लोढा ने 12 फरवरी को कहा है कि दुष्कर्म के झूठे केस में फंसा कर रुपए ऐंठने वाले वकीलों की सदस्यता बार कौंसिल से भी समाप्त कर दी जाएगी.
– कथा पुलिस सूत्रों व अन्य रिपोर्ट्स पर आधारित
हताशा में आशा की किरण नजर आई पुलिस को
वारदात के दूसरे दिन पुलिस के अधिकारी और जवान सभी बिंदुओं पर विचार कर जांचपड़ताल करते रहे, लेकिन यह भी पता नहीं चल सका कि बदमाश किस रास्ते से वापस गए. दूसरे और तीसरे दिन भी पुलिस को बदमाशों के बारे में कोई महत्त्वपूर्ण सुराग हाथ नहीं लगा. इस बीच जयपुर से पुलिस की टीमें नागौर, पाली, अजमेर, भीलवाड़ा, सीकर व झुंझुनूं आदि जिलों में गईं और संदिग्ध बदमाशों की तलाश की.
9 फरवरी को जयपुर पुलिस को इस मामले में उम्मीद की कुछ किरणें नजर आईं. कई जगह फुटेज में नजर आया कि बदमाशों की इनोवा गाड़ी के पीछे वाली बाईं ओर की लाइट टूटी हुई थी. इसी वजह से गाड़ी चलने पर यह लाइट नहीं जलती थी. इसी आधार पर पुलिस जयपुर से अजमेर की ओर टोल नाकों पर ऐसी इनोवा कार की तलाश में जुटी रही.
इसी दिशा में पुलिस आगे बढ़ी तो पता चला कि दूदू के पास एक बार के बाहर इनोवा कार रुकी थी. वहां लगे सीसीटीवी कैमरों में कुछ लोगों की तसवीर आ गई थी. इन लोगों ने कानों में सोने की मुर्की पहन रखी थीं. चेहरे भी ढंके हुए नहीं थे. इस से यह अंदाजा लगाया गया कि बदमाश जोधपुर-पाली की तरफ के हो सकते हैं. दूदू में होटल पर रुकने के बाद यह गाड़ी ब्यावर की ओर चली गई थी.
इसी बीच जांचपड़ताल में पता चला कि एक्सिस बैंक में बदमाश जो कट्टे छोड़ गए थे, वे पाली जिले की रायपुर तहसील के बर गांव में एक दुकान से खरीदे गए थे. इन कट्टों पर बर गांव की परचून की दुकान का नाम लिखा था. पुलिस उस दुकानदार तक पहुंची. हालांकि दुकानदार से बदमाशों के बारे में कोई जानकारी नहीं मिली, लेकिन इस से यह अंदाजा जरूर लग गया कि बदमाशों का पाली जिले से कोई न कोई संबंध जरूर था.
पुलिस को बदमाशों की इनोवा कार की लोकेशन ब्यावर तक मिल गई थी. इस बीच महाराष्ट्र के नंबरों का पता चलने पर एक पुलिस टीम महाराष्ट्र भेजी गई. ब्यावर से पुलिस टीम सीसीटीवी फुटेज के आधार पर इनोवा कार का पीछा करते हुए जोधपुर तक पहुंच गई.
10 फरवरी को पाली जिले की पुलिस को कुछ जानकारियां मिलीं. इस के अगले दिन 11 फरवरी को जोधपुर पुलिस कमिश्नरेट के महामंदिर थानाप्रभारी सीताराम को सूचना मिली कि जोधपुर के कुछ बदमाश कहीं बाहर कोई बड़ी वारदात कर के आए हैं.
आखिर पकड़ में आ ही गए लुटेरे
इस पर जोधपुर पुलिस की एक टीम बदमाशों की तलाश में जुटी और शाम तक 6 बदमाशों प्रकाश जटिया, पवन जटिया, धर्मेंद्र जटिया, जयप्रकाश जटिया, दिनेश लुहार और प्रमोद बिश्नोई को पकड़ लिया. ये छहों लोग जोधपुर के रहने वाले थे. जोधपुर पुलिस कमिश्नर अशोक कुमार राठौड़ ने इस की सूचना जयपुर पुलिस कमिश्नर संजय अग्रवाल को दी. इस पर जयपुर से एक टीम रवाना हो कर रात को ही जोधपुर पहुंच गई.
पकड़े गए 6 बदमाशों से बाकी लुटेरों का भी पता चल गया. जयपुर व जोधपुर पुलिस उन की तलाश में जुट गई. 12 फरवरी को पुलिस ने 2 और बदमाशों को पकड़ लिया. इन में अनूप बिश्नोई को जोधपुर के बनाड इलाके से पकड़ा गया, जबकि झुंझुनूं के बदमाश विकास चौधरी को जैसलमेर से गिरफ्तार किया गया. विकास चौधरी आजकल जैसलमेर के शिकारगढ़ इलाके में रह रहा था.
लादेन था गिरोह का सरगना
इन बदमाशों से की गई पूछताछ में सामने आया कि लूट की योजना जोधपुर के ओसियां के सिरमंडी निवासी हनुमान बिश्नोई उर्फ लादेन ने बनाई थी. लादेन ही इस गिरोह का सरगना है. लादेन ने जयपुर में एक्सिस बैंक की चेस्ट ब्रांच की रैकी कर रखी थी. तिजोरी के ताले तोड़ने के लिए उस ने प्रमोद बिश्नोई के सहयोग से जोधपुर की जटिया कालोनी के रहने वाले प्रकाश, पवन, धर्मेंद्र व जयप्रकाश को तैयार किया था.
तिजोरी तोड़ने के लिए ये बदमाश जोधपुर से ही औजार ले कर चले थे. हनुमान उर्फ लादेन इस योजना में प्रकाश बिश्नोई से बराबर का हिस्सा मांग कर पार्टनर बना था. बाकी बदमाशों को 20 हजार से 10 लाख रुपए तक का लालच दिया गया था. लादेन और प्रकाश ने अपने भाड़े के साथियों को यह नहीं बताया था कि जयपुर में बैंक लूटने जाना है. उन्हें बताया गया था कि जयपुर में हवाला की रकम लूटनी है.
5 फरवरी को लादेन के नेतृत्व में 15 बदमाश जोधपुर से 2 गाडि़यों में सवार हो कर जयपुर के लिए चले. उन्होंने रास्ते में जयपुर-अजमेर के बीच दूदू के पास एक गाड़ी छोड़ दी. इनोवा गाड़ी से सभी बदमाश उसी रात जयपुर पहुंचे और एक्सिस बैंक की चेस्ट ब्रांच पर धावा बोल दिया. बैंक में तैनात पुलिस कांस्टेबल के गोली चलाने से सभी बदमाश डर कर भाग निकले थे.
प्रकाश बिश्नोई जनवरी 2014 में राइकाबाग में रोडवेज बस स्टैंड पर रात्रि गश्त कर रहे पुलिस के एक एएसआई राजेश मीणा की हत्या का भी अभियुक्त था. पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेज दिया था. घटना के समय वह जमानत पर छूटा हुआ था.
पुलिस को लादेन के अन्य साथियों के नामपता चल गए हैं. कथा लिखे जाने तक जयपुर व जोधपुर पुलिस उस की तलाश में जुटी थी. गिरफ्तार किए गए आठों बदमाशों को पुलिस जोधपुर से जयपुर ले आई. बदमाशों से उन के साथियों और आपराधिक वारदातों के बारे में पूछताछ की गई.
सीताराम को किया गया सम्मानित
एक्सिस बैंक में लूट के प्रयास के दौरान उपयोग किए गए हथियारों के बारे में भी पता लगाया गया. गिरफ्तार व फरार बदमाशों का आपराधिक रिकौर्ड भी खंगाला गया. यह भी पता लगाया गया कि इस वारदात में बैंक के किसी नएपुराने कर्मचारी का सहयोग तो नहीं था.
देश की सब से बड़ी बैंक लूट की वारदात को विफल करने का हीरो कांस्टेबल सीताराम ही रहा. हालांकि जयपुर पुलिस ने वैज्ञानिक तरीकों से जांचपड़ताल के जरिए बदमाशों को पकड़ कर अपनी साख जरूर बचा ली.
यह भी दिलचस्प रहा कि 11 फरवरी को जोधपुर में जब 6 बदमाश पकड़े जा रहे थे, उसी समय जयपुर में राजस्थान के पुलिस महानिदेशक ओ.पी. गल्होत्रा ने कांस्टेबल सीताराम को हैडकांस्टेबल के पद पर विशेष पदोन्नति दी. जयपुर पुलिस कमिश्नरेट में आयोजित समारोह में पुलिस महानिदेशक ने कहा कि ड्यूटी के दौरान उत्कृष्ट कार्य कर के सीताराम ने राजस्थान पुलिस की शान बढ़ाई है.
राजस्थान के सीकर जिले के पूनियाणा गांव के रहने वाले सीताराम के मातापिता पढ़लिख नहीं सके थे. वे मेहनतमजदूरी करते थे. पिता टोडाराम व मां प्रेम ने अपने एकलौते बेटे सीताराम को अपना पेट काट कर पढ़ाया लिखाया. सीताराम ने सीनियर सेकैंडरी तक की पढ़ाई सीकर में दांतारामगढ़ से की. 12वीं में वह क्लास टौपर रहा. कालेज की पढ़ाई रेनवाल से की. मातापिता की ख्वाहिश थी कि सीताराम शिक्षक बन जाए. सीताराम ने बीएड करने के साथ शिक्षक बनने की तैयारी शुरू भी की थी, लेकिन तभी उस का कांस्टेबल भर्ती में चयन हो गया.
उस ने साल 2015 में नौकरी जौइन की. प्रोबेशन पीरियड पूरा होने के बाद उसे बैंक की चेस्ट ब्रांच में सुरक्षा के लिए तैनात कर दिया गया था. डेढ़ साल पहले ही उस की शादी हुई थी. सीताराम के मातापिता और गांव के लोगों ही नहीं, आज राजस्थान पुलिस के कांस्टेबल से ले कर पुलिस महानिदेशक तक सभी को उस पर गर्व है.