वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 3

दूसरी ओर मनोवैज्ञानिक का कहना है कि रजिस्टर में 2 लोगों की राइटिंग मिली है. एक तो भुवन की राइटिंग से मेल खाती है और दूसरी जवाहर सिंह यानी भुवन के पिता की राइटिंग से. इस बात पर सभी को हैरानी होती है. पर मनोवैज्ञानिक का कहना है कि यह मामला रेयर में रेयरिस्ट है.

अक्षय साधना की बात पढऩे के बाद अन्या अपनी टीम के साथ भुवन के राजस्थान स्थित पुश्तैनी मकान पर जाती है. मजे की बात यह है कि भुवन जब वहां पहुंचा था, तब भी पानी बरस रहा था और अन्या की टीम पहुंचती है, तब भी पानी बरस रहा था.

घर की तलाशी में अन्या को अक्षय साधना वाला वह पुराना कागज मिल जाता है, जिस से सभी की हत्या का खुलासा हो जाता है. उस कागज में लिखे अनुसार भुवन सभी से कहता है कि अक्षय साधना के लिए हाथ पीछे बांध कर गले में फंदा डाल कर स्टूल पर खड़े हो कर मंत्र जाप करना है.

इसी के साथ बीच में एक कटोरी में पानी रखा रहेगा, जिस का रंग पिताजी के आने पर बदल जाएगा. लेकिन जब पूरे परिवार ने ऐसा किया तो कटोरी में रखे पानी का रंग नहीं बदला, जिसे देख कर भुवन घबरा गया था. वह मां के कमरे में जाता है और मां से कहता है कि सब खत्म हो गया. इस के बाद मां के पैर में रस्सी बांधने के साथ सभी के स्टूल के नीचे रस्सी डाल कर खींच लेता और सभी बरगद की जटाओं की तरह झूल जाते हैं. इस तरह 11 लोगों की मौत का सच सामने आ जाता है.

तमन्ना भाटिया

‘आखिरी सच’ में लीड रोल करने वाली तमन्ना भाटिया का जन्म मुंबई में 19 नवंबर, 1989 को संतोष भाटिया और रजनी भाटिया के घर हुआ था. पढ़ाई के साथसाथ 13 साल की उम्र से ही उन्होंने अभिनय करना सीखना शुरू कर दिया था और एक साल के लिए वह पृथ्वी थिएटर से जुड़ गई थीं, जहां उन्होंने मंच के लिए काम किया.

उन्होंने फिल्म उद्योग में अभिनय की शुरुआत 2005 में अभिजीत सावंत की एल्बम ‘लफ्जों’ से की. इस के बाद उन्होंने हिंदी फिल्म ‘चांद सा रोशन चेहरा’ में मुख्य अभिनेत्री की भूमिका की, पर दुर्भाग्य से यह फिल्म बौक्स औफिस पर अच्छा प्रदर्शन नहीं कर सकी. उसी साल उन्हें तेलुगु सिनेमा में काम मिला, लेकिन पहली फिल्म में वह दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में असफल रहीं.

उन्हें सफलता मिली ‘वियाबारी’ से, जिस में उन्हें आलोचकों की प्रशंसा मिली. इस के बाद ‘हैप्पी डेज’ और ‘कल्लूरी’ से उन की स्थिति मजबूत हुई. धीरेधीरे वह दर्शकों पर अपना प्रभाव डालने लगीं. कई फिल्मों में मध्यम सफलता मिलने के बाद सूर्या के साथ उन की फिल्म ‘अयान’ व्यावसायिक रूप से हिट रही, जिस से फिल्म उद्योग में उन की स्थिति काफी मजबूत हो गई. इस के बाद तो उन के पास फिल्मों की लाइन लग गई. वह तेलुगु, तमिल और हिंदी फिल्मों में काम करती हैं.

अप्रैल, 2021 में उन्होंने ‘11 घंटे’ से वेब सीरीज में काम करना शुरू किया, जिस में आलोचकों की मिश्रित समीक्षा मिली. इस के बाद ‘नवंबर स्टोरी’, ‘मास्टर शेफ इंडिया’ तेलुगु में, ‘जी करदा’ और ‘आखिरी सच’ में काम किया है. ‘नवंबर स्टोरी’ में उन के काम को सराहा गया है. उसी तरह आखिरी सच में देखा जाए तो उन्होंने अपने काम को अच्छी तरह किया है. बाकी तो लेखक और डायरेक्टर का काम है कि वह किसी भी अभिनेता या अभिनेत्री से कैसे कराता है.

‘आखिरी सच’ में तमन्ना के अभिनय की बात करें तो उन का परफौरमेंस कोई खास नहीं है. एक पुलिस अधिकारी वह भी इंसपेक्टर की जो कार्यशैली होती है, वह उन में कहीं नहीं दिखती. पुलिस वाले और डाक्टर में संवेदना नाम की चीज नहीं होती. जबकि तमन्ना जब घटनास्थल पर पहुंचती हैं तो 11 लाशें देख कर शौक में आ जाती हैं.

अभिषेक बनर्जी

5 मई, 1985 को खडग़पुर पश्चिम बंगाल में पैदा हुए अभिषेक बनर्जी ने अपनी पढ़ाई दिल्ली से की थी. अपने अभिनय कैरियर की शुरुआत उन्होंने दिल्ली से शुरू की. फिल्म ‘रंग दे बसंती’ में एक डाक्युमेंटरी भूमिका के लिए आडीशन देने वाले छात्रों में वह भी एक थे.

साल 2008 में वह दिल्ली से मुंबई चले गए और 2010 में उन्होंने ‘नौक आउट’ में कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम किया. इस के बाद इसी साल ‘सोल औफ लैंड’ में अभिनय भी किया.

साल 2011 में उन्होंने ‘द डर्टी पिक्चर’ और ‘नो वन किल्ड जेसिका’ में कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम करने के साथसाथ अभिनय भी किया. इस तरह वह कास्टिंग डायरेक्टर के रूप में काम करने के साथसाथ अभिनय भी करते रहे. फिल्मों में अभिनय करने के साथसाथ साल 2015 में ‘टीवीएफ पिचर्स’, 2018 में ‘मिर्जापुर’, 2019 में ‘टाइपराइटर’ जैसी वेब सीरीज में भी काम किया.

उन्होंने ‘फेकर’ के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका तो निभाई ही, दोस्त अनमोल के साथ ‘कास्टिंग बे’ चलाते हैं, जिस से विज्ञापनों, फिल्मों के साथसाथ वेब सीरीज में अभिनेताओं को कास्ट करते हैं. वेब सीरीज ‘काली 2’ के अलावा खूंखार सीरियल किलर वेब सीरीज विशाल त्यागी (हथौड़ा त्यागी) और ‘पाताल लोक’ में अभिनय किया. उन की आखिरी फिल्म ‘भेडिय़ा’ थी. वेब सीरीज ‘आखिरी सच’ में भी उन्होंने भुवन का किरदार निभाया है.

वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 2

तीसरे एपीसोड में पता चलता है कि आदेश ने किसी महीपाल नाम के व्यक्ति से 20 लाख रुपए कर्ज लिया था, उसी के लिए उन गुंडों ने उसे धमकी दी थी. इस के बाद अन्या अपने खास सहयोगी राघव, जो उस के साथ परछाई की तरह लगा रहता है, से कहती है कि एक बार फिर घर का निरीक्षण करना पड़ेगा. राघव की भूमिका में राहुल बग्गा हैं, जो देखने में तो कहीं से भी पुलिस वाले नहीं लगते.

काल डिटेल्स से पता चला था कि भुवन ने उस रात 11 बजे किसी अवस्थी को फोन किया था. घर के निरीक्षण में अन्या को खयाल आता है कि इस परिवार का कनेक्शन 11 की संख्या से है. क्योंकि जिस अवस्थी को भुवन ने रात 11 बजे फोन किया था, जब उसे बुलाया गया तो उस ने जो बात बताई थी, वह हैरान करने वाली थी.

उस ने घर की एक दीवार में 11 पाइप लगाए थे, जिन में 7 मुड़े हुए थे और 4 सीधे. इस से पुलिस ने अंदाजा लगाया कि घर में 7 फीमेल थीं और 4 मेल. इसी के बाद उन्हें घर की हर चीज का संबंध 11 से दिखाई दिया. तब पुलिस को इस का संबंध तंत्रमंत्र से जुड़ता दिखाई दिया.

इस के बाद एक चमत्कारी बाबा को हिरासत में लिया जाता है और उस से पूछताछ की जाती है. यहां कुछ इस तरह का ड्रामा किया जाता है, जो सीरीज को आकर्षित करे. यहां सस्पेंस क्रिएट करने की कोशिश की जाती है, पर वह बेकार की लगती है. पूछताछ में राजावत परिवार की कहानी फ्लैशबैक में दिखाई जाती है.

भुवन बाबा को अपनी पूरी कहानी सुनाता है. उसी रात भुवन को रात में सपना आता है, जिस में उस के पिता उस से कहते हैं कि वह दौलतराम से उस का बदला ले लेंगे. उसी बीच दौलतराम की दुकान में आग लग जाती है और सब कुछ जल कर खाक हो जाता है. इस से भुवन के मन में पिता के प्रति श्रद्धा बढ़ जाती है और वह सुबह पिता की तसवीर की पूजा कर के सभी को आरती दिखाता है.

तब मां कहती है कि आज के बाद यह सब इस घर में नहीं होगा. इस के बाद भुवन पिता की आवाज में बोलता है और फिर बेहोश हो जाता है. यहां लेखक और डायरेक्टर ने अंधश्रद्धा को बढ़ावा देने वाला काम किया है.

अंधविश्वास को दिया बढ़ावा

चौथे एपीसोड में डाक्टर भुवन को देखने आता है. तब भुवन की पत्नी पूनम डाक्टर को पूरा सच नहीं बताती, जिस पर घर के सभी लोगों को हैरानी होती है. पूनम का रोल निशु दीक्षित ने किया है. अपनी भूमिका में वह बिलकुल फिट लगती है. भुवन को पूरा विश्वास है कि मरने के बाद उस के पिता उस के साथ हैं.

भुवन सपने देखता है, जिस में वह पापा को देखता है. इस बीच घर में सब ठीक हो जाता है. अंशिका को नौकरी मिल जाती है, पेंट की दुकान भी खुल जाती है. अंशिका की सगाई हो जाती है. भुवन खुश रहने लगता है. परिवार वाले भी खुश हैं. भुवन पत्नी से रजिस्टर लिखवाता है, जिस में रोजमर्रा से जुड़ी बातें और आध्यात्मिक बातें होती हैं.

इसी एपीसोड में अन्या की जिंदगी के बारे में भी दिखाया जाता है कि उस के पति से उस के संबंध ठीक नहीं हैं. अन्या डीसीपी से इस केस को छोडऩे के बारे में कहती है.

पांचवें एपीसोड में अन्या जीवन से जुड़ा सपना देखती है. सपना उसे परेशान और बेचैन कर देता है. दूसरी ओर क्राइम ब्रांच के औफिस में अमन को बुला कर पूछताछ की जाती है कि घटना वाली रात वह राजावत परिवार के घर क्यों गया था. यह पता सीसीटीवी फुटेज से चला था. पहले तो अमन चुप रहा. लेकिन जब पुलिस ने सख्ती की तो उस ने बताया कि उस के और अंशिका के बीच कुछ मिसअंडरस्टैंडिंग हो गई थी, जिसे सुलझाने के लिए वह वहां गया था.

वह घर के सामने पहुंचा तो लाइट चली गई थी. फिर भी वह घर के अंदर गया तो देखा, घर के सभी लोगों ने फंदे से लटक कर जान दे दी थी. अमन इतना ही बता सका था कि अन्या आ गई. इस के बाद वह अपनी टीम के साथ राजावत परिवार के घर गई, जहां तलाशी में उसे 9 रजिस्टर मिलते हैं. यहां डायरेक्टर ने सस्पेंस क्रिएट करने की कोशिश की है, लेकिन यह सब बेकार की नौटंकी लगती है.

राजावत परिवार के घर से कुल 9 रजिस्टर मिलते हैं, जिन में परिवार से जुड़ी एकएक बात भुवन ने लिखी थी. डीसीपी प्रैस कौन्फ्रैंस कर के पत्रकारों को भी यह बात बताते हैं और कहते हैं कि हो सकता है कि हत्या का रहस्य इन रजिस्टरों से उजागर हो जाए. मनोवैज्ञानिक को बुला कर उस से भी रजिस्टर में लिखी बातों पर चर्चा होती है कि भुवन अपने मृत पिता से बातें करता था और वह वही करता था, जो पिता कहते थे. रजिस्टर को इंसपेक्टर अन्या जैसेजैसे पढ़ती जाती हैं, रहस्य उजागर होता जाता है.

भुवन मनोवैज्ञानिक समस्या से ग्रसित है. परिवार वही करता है, जो भुवन कहता है. और भुवन वही करता है, जो सपने में उस के पिता कहते हैं. इस एपीसोड में फैमिली ड्रामा दिखाया जाता है, जैसा भुवन ने रजिस्टर में लिखा है. इस में अंशिका की शादी तय होना दिखाया जाता है. इंसपेक्टर अन्या भी भुवन की ही तरह सपने देखती है. रजिस्टर पढ़ते समय उस के चेहरे के हावभाव ऐसे लगते हैं, जैसे उस पर ही सब कुछ बीत रहा है.

अंत में भुवन राजस्थान के अपने गांव जाता है, जहां एक पुरानी सी अलमारी में मकान के कागजों के साथ उसे एक और कागज मिलता है, जिस में संस्कृत में अक्षय साधना के बारे में लिखा है. उस में ऊपर एक बरगद का चित्र है, जिस की जटाएं झूल रही हैं.

दर्शकों को बांध नहीं पाई यह सीरीज

छठें एपीसोड में जैसा रजिस्टर में लिखा है, उस के अनुसार भुवन घर में सभी से अक्षय साधना की बात करता है. उस का कहना है कि पिताजी ने कहा है कि तरक्की के लिए यह साधना करनी जरूरी है. अगर साधना सफल हो गई तो सब ठीक हो जाएगा, अगर नहीं सफल हुई तो सब बेकार हो जाएगा. भुवन यह भी बताता है कि साधना कैसे करनी है. परिवार के लोग सलाह करते हैं कि बच्चों को इस से अलग रखा जाए, पर भुवन नहीं मानता, उस का कहना है कि साधना सभी लोगों को करनी है.

वेब सीरीज : आखिरी सच – भाग 1

वेब सीरीज : आखिरी सच

कलाकार: तमन्ना भाटिया, अभिषेक बनर्जी, शिवांग नारंग, कृति सेन, राहुल बग्गा, दानिश इकबाल, निशु दीक्षित, संजीव चोपड़ा

निर्देशक: रौबी ग्रेवाल

लेखक: सौरव डे

तमन्ना भाटिया की यह सीरीज साल 2018 में दिल्ली में हुए बुराड़ी कांड से प्रेरित है. बुराड़ी में घटे इस मामले ने पूरे देश को हिला कर रख दिया था. पहली जुलाई, 2018 की सुबह एक ही परिवार के 10 लोगों के शव घर के आंगन की ग्रिल से लटके मिले थे. जबकि दादी का शव कमरे में मिला था. फंदे से लटकी लाशों के हाथ पीछे बंधे थे और उन के मुंह पर कपड़ा बंधा था.

इस घटना पर नेटफ्लिक्स ने साल 2021 में ‘हाउस आफ सीक्रेट्स: द बुराड़ी डेथ्स’ नाम से डाक्युमेंटरी सीरीज जारी की थी, जिस में जांच अधिकारियों, पड़ोसियों और रिश्तेदारों से की गई मनोवैज्ञानिक तरीके से पूछताछ के बाद इस रहस्यमयी घटना के विभिन्न पहलुओं पर रोशनी डालते हुए इस के पीछे की सच्चाई को समझाने की कोशिश की गई थी.

अब डिज्नी प्लस हौटस्टार ने इस घटना से प्रेरित हो कर काल्पनिक इनवैस्टिगेशन को आधार बना कर ‘आखिरी सच’ वेब सीरीज के 6 एपीसोड रिलीज किए हैं. बुराड़ी वाली घटना को आधार बना कर एक कहानी को दिखाया गया है. इस वेब सीरीज के लेखक सौरव डे हैं तो निर्देशन रौबी ग्रेवाल ने किया है.

इस सीरीज में अभिनय की बात करें तो अभिषेक बनर्जी का अभिनय औसत है, बाकी तो सभी का अभिनय नौटंकी लगता है. इतनी अधिक फिल्मों में काम कर चुकी तमन्ना भाटिया तो एक इंसपेक्टर की भूमिका में बिलकुल ही फिट नहीं बैठीं. उन का इंसपेक्टर होते हुए मेकअप में रहना आंखों को चुभता है. उसी तरह पुलिस की भूमिका में जितने भी लोग हैं, ऐसा लगता है कि वे नाटक कर रहे हैं.

इस में दोष लेखक और डायरेक्टर का है. लेखक ने भी शायद अपराध कथाएं नहीं पढ़ीं. अगर उस ने मनोहर कहानियां या सत्यकथा ही पढ़ी होतीं तो उसे पता चल जाता कि पुलिस अपराधों का इनवैस्टीगेशन कैसे करती है.

इस वेब सीरीज में इनवैस्टीगेशन जैसा तो कहीं कुछ दिखाई ही नहीं देता. ऐसा लगता है जैसे पुलिस इनवैस्टीगेशन न कर के सिर्फ यह पता लगा रही है कि इन लोगों ने आत्महत्या क्यों की है. यानी उसे पहले से ही पता है कि इन लोगों ने आत्महत्या की है.

पहले एपीसोड की शुरुआत दिल्ली के किशननगर में रहने वाले राजावत परिवार के 11 लोगों की मौत के समाचार से होती है. 10 लोगों की लाशें आंगन में लगी ग्रिल से लटके थे तो दादी की लाश कमरे में पड़ी थी.

इस सनसनीखेज मामले की जांच क्राइम ब्रांच की इंसपेक्टर अन्या को सौंपी जाती है. इंसपेक्टर अन्या का रोल तमन्ना भाटिया ने किया है. अपना रोल अच्छी तरह निभाने वाली तमन्ना भाटिया ने अपनी भूमिका के साथ यानी एक इंसपेक्टर के रूप में जिस तरह न्याय करना चाहिए था, उस तरह नहीं किया है.

वह घटनास्थल पर भी जाती हैं तो इस तरह मेकअप किए हुए होती हैं, जैसे किसी पार्टी में गई हों. हां, घटना को देख कर उन के चेहरे पर जो भाव आते हैं, वह किसी पुलिस वाले के चेहरे पर नहीं आते, क्योंकि पुलिस वालों की संवेदना मर चुकी होती है. उन का शौक होना वहां अच्छा नहीं लगा, इसलिए उस समय वह पुलिस वाली बिलकुल नहीं लगतीं. इस पर शायद डायरेक्टर का ध्यान न गया हो.

पुलिस अधिकारी के रूप में फेल हुईं तमन्ना भाटिया

घटना को देख कर एक आम आदमी की ही तरह इंसपेक्टर अन्या हिल जाती हैं. अन्या घटनास्थल का निरीक्षण करते हुए वहां जमा लोगों से तथा पड़ोसियों से पूछताछ कर सच्चाई जानने का प्रयास करती हैं. इसी पूछताछ में पता चलता है कि राजावत परिवार की एक लडक़ी अंशिका की अमन से इंगेजमेंट हुई थी.

पूछताछ में पता चलता है कि इस इंगेजमेंट में किसी पड़ोसी या रिश्तेदार को नहीं बुलाया गया था. यहीं से अमन भी संदेह के घेरे में आ जाता है. यहां बच्चा कुछ बताना चाहता है, पर पुलिस वाले उस का मजाक उड़ाते हैं. यह दृश्य भी हजम नहीं होता. यहां अंशिका की भूमिका कृति सेन ने की है तो अमन की भूमिका शिविन नारंग ने की है. एक नशेड़ी के जो हावभाव होते हैं, वैसा अमन में दिखाई नहीं देता. नशेड़ी दब्बू स्वभाव का होता है, लेकिन अमन तो सब पर हावी होने की कोशिश करता है.

यहां अंगरेजी में किया गया वार्तालाप भी बेकार लगता है, जो वेब सीरीज देखने वाला हर आदमी समझ नहीं सकता. दिल्ली पुलिस या कहीं की भी पुलिस जिस लहजे में पूछताछ करती है, वह लहजा भी यहां कहीं नहीं दिखता, इसलिए दर्शकों को जो आनंद आना चाहिए, वह आनंद नहीं आता. संदेह के घेरे में आने की वजह से अन्या अमन के पीछे अपना एक आदमी लगा देती है.

दूसरे एपीसोड की शुरुआत पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद से होती है. इस के बाद राजावत की डेयरी में दूध पहुंचाने वाला दूधिया बताता है कि एक दिन उस ने देखा था कि 2 आदमी राजावत परिवार के बड़े बेटे यानी आदर्श के गले पर चाकू लगा कर धमका रहे थे. दूधवाला यह भी दावा करता है कि वह उन लोगों को पहचान लेगा. आदर्श की भूमिका दानिश इकबाल ने की है.

इस के बाद अंशिका का मंगेतर परिवार की एकमात्र बची बेटी यानी अंशिका की मौसी से मिलने जाता है. यहां कहानी फ्लैशबैक में चलती है. अंशिका की मौसी यानी आदेश की एक बहन बबीता, जो अलग रहने की वजह से इस हादसे से बच गई थी, से पता चलता है कि उन के पिता अपने एक दोस्त दौलतराम के साथ राजस्थान से दिल्ली आए थे. उन के पिता जवाहर सिंह पुलिस की नौकरी कर लेते हैं तो वहीं दौलतराम दुकान खोल लेता है.

अभिषेक का रोल दिखा बनावटी

जवाहर सिंह की भूमिका में संजीव चोपड़ा हैं, जो एक वरिष्ठ कलाकार हैं. राजावत परिवार के दूसरे बेटे भुवन की गलती से हादसे में पिता जवाहर सिंह की मौत हो जाती है तो वह हर वक्त पिता की यादों में खोया रहने लगता है. पिता की मौत के लिए वह खुद को जिम्मेदार मानता है. उसे लगता है कि पिता घर में ही हैं. भुवन का रोल अभिषेक बनर्जी ने किया है. रोल तो उस ने ठीक किया है, पर उस के रोल में कहींकहीं बनावटीपन नजर आता है.

दूसरी ओर इंसपेक्टर अन्या दूधवाले के बताए अनुसार आदेश और गुंडों के एंगल से जांच करती है तो अंशिका का मंगेतर बबीता के बताए अनुसार अपने हिसाब से जांच करता है. क्योंकि बबीता ने उसे बताया था कि पिता के दोस्त दौलतराम का परिवार उन लोगों को पहले से ही परेशान करता था. दौलतराम ने घोटाले का आरोप लगा कर भुवन को मारा भी था, जिस की वजह से उस के सिर में चोट लग गई थी और उसे अस्पताल में भरती होना पड़ा था. अस्पताल में उस ने सुसाइड की भी कोशिश की थी.

इसी के साथसाथ अन्या दूधवाले को कुछ फोटो दिखा कर उस गुंडे की शिनाख्त कराती है, जिस ने आदेश को धमकी दी थी. पहचान होने के बाद अन्या उस गुंडे का पीछा कर पकड़ लेती है. इस के बाद अमन की दौलतराम के बेटे से झड़प होती है, क्योंकि अंशिका को वह अकसर फोन कर के परेशान करता था.