बार डांसर की बेवफाई – भाग 1

रोजाना की तरह उस दिन भी नागपुर के थाना इमामबाड़ा के सीनियर इंसपेक्टर आनंद नर्लेकर सुबह 8 बजे ही अपनी ड्यूटी पर  आ गए थे. लगभग साढ़े 8 बजे किसी ने फोन कर के उन्हें सूचना दी कि थाना क्षेत्र की जाटवरोड़ी बस्ती स्थित शुक्ला आटा चक्की के पास वाले मकान से तेज बदबू आ रही है. पुलिस ले कर आ जाएं और जांच करें क्योंकि मकान का दरवाजा बंद है.

जाटवरोड़ी बदनाम बस्ती थी, वहां आए दिन लड़ाईझगड़े होते रहते थे, जिन से पुलिस परेशान रहती थी. लेकिन यह मामला किसी जघन्य अपराध की ओर इशारा कर रहा था. सीनियर इंसपेक्टर नर्लेकर ने ड्यूटी पर तैनात सब इंसपेक्टर मुकुंद कवाड़े को फोन पर मिली सूचना के बारे में बता कर रवानगी दर्ज कराई और पुलिस टीम के साथ जाटवरोड़ी स्थित बताई गई जगह पर जा पहुंचे.

जिस मकान से बदबू आ रही थी वहां तमाम लोग एकत्र थे. पुलिस लोगों को हटा कर दरवाजे तक पहुंची. दरवाजा बाहर से बंद था और उस पर ताला लटक रहा था. पुलिस ने आसपड़ोस के लोगों से पूछताछ की तो पता चला, उस मकान में आर्केस्ट्रा डांसर पूजा अपने पति के साथ किराए पर रहती थी. यह भी जानकारी मिली कि दोनों कुछ ही महीने पहले वहां रहने के लिए आए थे. एक पड़ोसी ने यह भी बताया कि पूजा की एक मौसेरी बहन लता कभीकभी उस के पास आतीजाती थी, जो कहीं आसपास ही रहती है.

कोई और चारा न देख आनंद नर्लेकर ने अपने साथ आई पुलिस टीम को दरवाजा तोड़ने का निर्देश दिया. दुर्गंध चूंकि काफी तेज थी इसलिए पुलिस कर्मियों ने नाक पर रुमाल बांध कर दरवाजा तोड़ा. अंदर का दृश्य दिल दहला देने वाला था.

कमरे के फर्श पर खून में डूबी एक लड़की की लाश पड़ी थी जिसे बेरहमी से कत्ल किया गया था. उस की हत्या संभवत: 2-3 दिन पहले की गई थी, इसी वजह से लाश में सड़न पैदा हो गई थी और बदबू आने लगी थी. मृतका की हत्या गला काट कर की गई थी.

मामला हत्या का था, इसलिए आनंद नर्लेकर ने इस की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी. साथ ही पुलिस फोटोग्राफर और फारेंसिक टीम को भी मौकाएवारदात पर बुला लिया. सूचना मिलते ही अतिरिक्त पुलिस आयुक्त चंद्रकिशोर मीना भी वहां आ गए. उन के सामने ही फारेंसिक टीम ने अपनी काररवाई की. लोगों को शव दिखाया गया तो उन्होंने उस की शिनाख्त पूजा के रूप में की. इस बीच किसी तरह पूजा की मौसेरी बहन लता तक भी सूचना पहुंच गई थी और वह रोतेबिलखते वहां आ गई थी. उस ने भी लाश पूजा की ही बताई.

कानूनी औपचारिकताएं पूरी करने के बाद पुलिस ने पूजा के शव को पोस्टमार्टम के लिए नागपुर मेडिकल कालेज भेज दिया. इस के बाद पुलिस पूजा की बहन लता को साथ ले कर थाने लौट आई. लता से पूछताछ की गई तो उस ने बताया कि पूजा पहले मुंबई में रहती थी. वहीं पर उस ने आसिफ शेख नाम के एक युवक से शादी की थी. आसिफ मनचले स्वभाव का था और उस का चालचलन ठीक नहीं था. दोनों में अकसर झगड़ा और मारपिटाई होती थी जिस की वजह से पूजा उसे छोड़ कर नागपुर आ गई थी, लेकिन आसिफ यहां भी आ गया था. उस के आने के बाद यहां भी मुंबई जैसा माहौल बन गया था.

शुरुआती जांच और लता के बयान के बाद पूजा का पति आसिफ शेख शक के घेरे में आ गया. लेकिन हकीकत उस की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आ सकती थी. आसिफ मुंबई में होगा या नहीं, इस बात की जानकारी लता को भी नहीं थी. लता के अनुसार आसिफ अपराधी प्रवृत्ति का था. ऐसे लोगों की गिरफ्तारी पुलिस के लिए किसी चुनौती से कम नहीं होती.

लता के बयान के बाद सीनियर इंसपेक्टर आनंद नर्लेकर ने अपने सहायकों के साथ मीटिंग कर के इस मामले के हर पहलू पर विचारविमर्श किया. तत्पश्चात उन्होंने इस की जांच की जिम्मेदारी सबइंसपेक्टर मुकुंद कवाड़े को सौंप दी. कवाड़े ने कांस्टेबल कृपाशंकर शुक्ला, प्रशांत साबरे, विनायक पाटिल और मूसासिंह को ले कर अपनी एक टीम बनाई और हत्या की जांच शुरू कर दी.

पुलिस को पता चला कि आसिफ नागपुर में रह कर कैटरर्स के साथ कैटरिंग का काम करता था. इस काम में कई लोगों से उस के करीबी संबंध बन गए थे. इसलिए पुलिस टीम ने सब से पहले नागपुर में अपनी जांच का केंद्रबिंदु उन लोगों को बनाया जिन से आसिफ के करीबी संबंध थे. इस का नतीजा भी जल्दी ही सामने आ गया. आसिफ ने अपने एक करीबी दोस्त से एक सप्ताह बाद नागपुर वापस आने की बात कही थी. उस ने यह भी कहा था कि पूजा को उसी ने मारा है.

अभी तक आसिफ संदेह के दायरे में था. इस के बाद पुलिस को पक्का यकीन हो गया कि पूजा का हत्यारा वही है. पुलिस ने उस के दोस्त की बातों को रिकौर्ड में शामिल कर के सरगर्मी से उस की तलाश शुरू कर दी.

जिस नंबर से आसिफ ने अपने दोस्त को फोन किया था, पुलिस ने जब उस की काल डिटेल्स निकलवा कर छानबीन की तो पता चला, वह काल मुंबई के थाना साकीनाका क्षेत्र में आने वाले जरीमरी इलाके से की गई थी.  इसी के आधार पर मुकुंद कवाड़े की पुलिस टीम ने मुंबई आ कर जरीमरी इलाके में आसिफ की तलाश की. लेकिन एक काल के आधार पर जरीमरी जैसे घनी आबादी वाले इलाके में एक आदमी को ढूंढ़ना संभव नहीं था. फलस्वरूप पुलिस टीम को खाली हाथ नागपुर लौटना पड़ा.

नागपुर लौट कर मुकुंद कवाड़े ने वह नंबर जिस से आसिफ ने फोन किया था, सर्विलांस पर लगा दिया. साथ ही नाकासाकी थाने की पुलिस को सचेत भी कर दिया. आसिफ का नंबर सर्विलांस पर डालने के 2 हफ्ते बाद मुकुंद कवाड़े को मनचाही सफलता मिल गई. उन्होंने 19 मई को साकी नाका पुलिस की मदद से आसिफ को जरीमरी इलाके से गिरफ्तार कर लिया. उसे 2 दिन तक साकीनाका पुलिस की कस्टडी में रखा गया. 22 मई को उसे नागपुर लाया गया.

नागपुर में पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के सामने उस से विस्तृत पूछताछ की गई तो पूजा की हत्या की पूरी जानकारी सामने आ गई.

28 वर्षीय आसिफ का पूरा नाम आसिफ इस्माइल शेख था. वह अपने मातापिता का इकलौता बेटा था. अधिक लाड़प्यार के कारण उस की आदतें बचपन से ही बिगड़ गई थीं. उस का पिता इस्माइल शेख आटो रिक्शा ड्राइवर था. वह साकी नाका विहार रोड और अंधेरी में आटो रिक्शा चलाता था. जबकि उस की मां सऊदी अरब में नर्स की नौकरी करती थी. व्यस्तता की वजह से इस्माइल शेख आसिफ का ज्यादा खयाल नहीं रख पाता था.

मांबाप के प्यार से वंचित आसिफ जैसेजैसे बड़ा होता गया वैसेवैसे उस के दिल से पिता का डर निकलता गया. कोई मार्गदर्शक न होने की वजह से वह अपनी ही बस्ती के रहने वाले कुछ आवारा और अपराधी प्रवृत्ति के लड़कों के संपर्क में रहने लगा.  फलस्वरूप वह कम उम्र में ही चरस, गांजा, हेरोइन और शराबशवाब का आदी हो गया. कभीकभी वह डांस बारों में जा कर वहां की डांसरों के साथ भी मौजमस्ती कर लेता था. अपने इन शौकों को पूरा करने के लिए वह चोरी और राहजनी जैसे अपराध किया करता था.

पत्नी और प्रेमी के प्यार में पिसा करन – भाग 1

आज सुबह से दोपहर तक खूब धूप खिली थी. दोपहर को अचानक आसमान में काले बादल उमड़ आए, तेज हवा चलने लगी और अंधेरा छा गया तो राधा दौड़ कर छत पर गई और सूखने को डाले गए कपड़ों को समेट कर नीचे आ गई. मौसी रसोई में थी. राधा ने कपड़ों की तह करते हुए कहा, “मौसम अचानक से खराब हो गया है मौसी. बारिश पड़ेगी.”

“अरी, छत पर जा कर कपड़े समेट ला, भीग जाएंगे.” रसोई में से ही मौसी ने राधा को चेताया.

“कपड़े तो समेट लाई हूं मौसी,” राधा मुसकरा कर बोली, “अब तो बारिश में भीगने को दिल चाह रहा है.”

“तो भीग ले. मैं मौसम का मिजाज भांप गई थी, तभी बेसन घोल कर पकौड़े बनाने बैठ गई हूं.” मौसी ने बताया तो राधा दोनों पैरों पर उछल पड़ी. खुशी से वह चहकी, “बारिश में गरमागरम पकौड़े, वाह मौसी! मजा आ जाएगा.”

राधा सीढिय़ों की तरफ लपकी, “आप पकौड़े बनाइए मौसी, मैं थोड़ा सा भीग लेती हूं.”

“ठीक है,” मौसी रसोई घर में हंस पड़ी और खुद से ही बोलने लगी, “यह जवानी के दिन भी बड़े हसीन और रोमांचकारी होते हैं, मैं भी तो राधा की उम्र में ऐसी ही बारिश में छत पर खूब नहाती थी.” मौसी गरदन झटक कर पकौड़े तलने में व्यस्त हो गई.

राधा छत पर जैसे ही पहुंची, बारिश की मोटीमोटी बूंदों ने उस का स्वागत किया. राधा छोटे बच्चे की तरह खुशी से उछलती हुई बारिश में भीगने का आनंद लेने लगी. मोटी बूंदों ने पल भर में ही उसे ऊपर से नीचे तक भिगो दिया तो कपड़े उस के बदन से चिपक गए और उस पर चढ़ी जवानी के उभार उसके शरीर से चिपक गई कुरती से स्पष्ट नुमाया होने लगे.

उसी वक्त साथ वाली छत पर अनुराग चौहान बारिश का आनंद लेने के लिए आया तो भीगी हुई राधा के जिस्म पर नजर पड़ते ही वह ठगा सा अपलक राधा को निहारता रह गया. राधा ने पहली आहट में ही पलट कर अनुराग को छत पर आते देख लिया था. अनुराग की नजरों को अपने सीने पर टिकी देख कर वह घबरा गई. उसे डपटते हुए बोली, “बड़े बेशरम हो तुम, कोई ऐसे किसी लडक़ी को देखता है क्या, नजरें घुमाओ.”

“कमाल है! तुम खुद ही तो अजंता की मूरत जैसी खड़ी हो और दोष मुझे दे रही हो.” अनुराग चिढ़ कर बोला, “नीचे चली जाओ.”

राधा झेंप गई. अपनी गलती पर दूसरों को डांटने का कोई अधिकार उसे नहीं बनता था. अपने दोनों हाथ सीने पर बांध कर वह तेजी से अपनी छत से नीचे उतर आई.

पहले प्यार का एहसास

उस की सांसें इस वक्त धौंकनी की तरह चल रही थीं. अपनी सांसों को नियंत्रित करने की कोशिश करती हुई वह तौलिया ले कर बाथरूम में घुस गई. बदन पोंछ कर उस ने कपड़े बदले तो वह खुद से लजाने लगी. उसे लग रहा था कि अनुराग की नजरें अभी भी उस के सीने से चिपकी हुई हैं.

अनुराग चौहान उस की मौसी के पड़ोस में ही रहता था. राधा उसे बहुत पहले से जानती थी. राधा को यह भी पता था कि अनुराग प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर रहा है. मौसी ने ही बताया था कि अनुराग बहुत हंसमुख और सीधा लडक़ा है, वह पढऩे में व्यस्त रहता है, किसी से फालतू नहीं बोलता. हां, मैं कोई काम बताती हूं तो मना नहीं करता.

“कोई सीधा नहीं होता, लडक़ी देखी नहीं कि लगे फिसलने.” राधा होंठों में बुदबुदाई फिर बालों में तौलिया लपेटती हुई रसोई में घुस गई. गरमगरम बेसन के पकौड़ों की खुशबू से रसोई महक रही थी. अनुराग का खयाल झटक कर राधा पकौड़ों का आनंद लेने लगी.

रात भर छत वाला खयाल राधा के तनमन को विचलित करता रहा, वह ठीक से सो नहीं पाई. सुबह उठी तो उस की आंखें लाल थीं. मौसी ने देखा तो चौंक पड़ी, “क्या हुआ राधा, तेरी तबियत तो ठीक है न?”

“ठीक है मौसी,” जम्हाई लेते हुए राधा मुसकराई.

“तेरी आंखें लाल हो रही हैं, इसलिए पूछ रही हूं. अगर कुछ परेशानी महसूस कर रही है तो डाक्टर से दवा ले आ.”

“मैं एकदम भलीचंगी हूं मौसी. शाम को बारिश में ज्यादा भीग गई, इसलिए आंखें लाल हो गई हैं.” राधा ने कहा और फ्रैश होने के लिए टायलेट में घुस गई. नहाधो कर राधा ने नाश्ता किया.

आज उस की हिम्मत घर से बाहर निकलने की नहीं हो रही थी. साफसफाई का काम मौसी ने ही किया. दोपहर तक काम निपटा कर मौसी ने खाना खाया, राधा को भी परोस दिया फिर बोली, “मैं बाजार जा रही हूं राधा, घर के लिए कुछ सामान लाना है. घर या दरवाजा बंद कर के पढ़ाई करना.”

“अच्छा मौसी,” राधा ने सिर हिला कर कहा.

मौसी थैला ले कर घर से निकली तो राधा ने दरवाजे की सांकल अंदर से लगा ली और कमरे में आ कर कोर्स की किताब निकाल कर पढऩे बैठ गई. उस ने अभी किताब खोली ही थी कि दरवाजे पर दस्तक हुई. राधा उठ कर दरवाजे पर आ गई. सांकल खोलने से पहले उस ने पूछा, “कौन है बाहर?”

“मैं हूं राधा, अनुराग, दरवाजा खोलो.” अनुराग का स्वर राधा के कानों में पड़ा तो वह घबरा गई.

“मौसी बाजार गई है अनुराग…मैं…”

अनुराग ने बात पूरी नहीं होने दी, “मुझे मालूम है राधा, तभी तो मैं आया हूं. दरवाजा खोल दो प्लीज.” अनुराग ने गिड़गिड़ाकर कहा.

‘मुझे अकेली देख कर आया है, क्या मंशा है अनुराग की.’ राधा के मन में खयाल उठा. लेकिन न जाने अनुराग की आवाज में क्या कशिश थी कि राधा ने सांकल खोल दी. अनुराग अंदर आ गया. राधा को उस के चेहरे की तरफ देखने की हिम्मत नहीं हुई, वह तेजी से पलटी और अपने कमरे में आ गई. अनुराग भी उस के पीछे कमरे में आ गया.

“…तुम जान चुके हो कि मौसी बाजार गई हैं, फिर क्यों आए हो?” राधा ने उस की ओर पीठ किए ही कांपती आवाज में पूछा.

“राधा, मैं रात भर ठीक से नहीं सो पाया हूं.” अनुराग ने बगैर कोई भूमिका बांधे दिल की बात कह डाली, “तुम्हारा बारिश में भीगा बदन देख लेने के बाद भला नींद कैसे आती. तुम बहुत सुंदर हो राधा, मेरा दिल तुम्हें चाहने लगा है… मैं तुम्हें आई लव यू कहने आया हूं.”

राधा के पूरे जिस्म में सनसनी भर गई. अनुराग उसे प्रपोज कर रहा था. राधा के दिल की धडक़नें तेज होने लगीं. चेहरा लाज से लाल होने लगा, वह कुछ कह नहीं पाई तो अनुराग करीब आ गया.

अपमान के बदले : तिहरा हत्याकांड

रामप्रकाश जैसे ही घर के पीछे की ओर गया, पीछे से रामपाल ने आ कर बड़े भाई को अकेले में पा कर लगभग फुसफुसाते हुए कहा, “भइया, आज मैं आप से बड़े भइया राजकुमार के बारे में कुछ बातें करना चाहता हूं.”

“अंबर (रामपाल को घर में सभी अंबर कहते थे) तुम्हारे और बड़े भइया के बीच हमेशा कुछ न कुछ चलता रहता है, अब क्या हो गया?” रामप्रकाश ने पलट कर जवाब में कहा.

“पहले तो वह कह रहे थे कि मेरी शादी में सारा खर्च वह करेंगे. लेकिन गहने बनवाने लगे तो 40 हजार रुपए मुझ से ले लिए. उस समय मैं ने ङ्क्षपटू से 70 हजार रुपए ले कर उस में से 40 हजार रुपए उन्हें दिए थे. अब वह अपने पैसे मांग रहा है. मैं ने भइया से कुछ रुपए देने को कहा तो उन्होंने मुझे गाली दे कर भगा दिया.”

“अंबर, तुम भइया का स्वभाव अच्छी तरह जानते हो. उन की आदत ही ऐसी है. इस में नाराज होने की कोई बात नहीं है.”

रामप्रकाश ने छोटे भाई रामपाल को समझाने के उद्देश्य से कह.

लेकिन रामपाल समझने के बजाय रामप्रकाश को भी बड़े भाई राजकुमार के खिलाफ भडक़ाते हुए बोला, “तुम भइया को जितना सीधा समझते हो, वह उतने सीधे हैं नहीं. तुम तो उन की ओर से आंखें मूंदे हुए हो, इसलिए उन की बुराई तुम्हें दिखाई नहीं देती. गांव वाले क्या कहते हैं, तुम्हें पता है? पूरे गांव में चर्चा है कि रंजना भाभी और बड़े भइया के बीच गलत संबंध है.”

रामपाल का इतना कहना था कि रामप्रकाश को गुस्सा आ गया. वह थोड़ी ऊंची आवाज में बोला, “तुम्हारा दिमाग तो ठीक है अंबर, तुम झूठ कह रहे हो. भइया ऐसा काम नहीं कर सकते. उन पर इस तरह का घिनौना आरोप लगा कर तुम मेरी नजरों में गिर गए.”

“अगर तुम सच देखना चाहते हो तो जब बड़े भइया तुम्हें और आशा भाभी को किसी रिश्तेदार के यहां भेजें तो रात में अचानक आ कर तुम देख लेना, बड़े भइया और भाभी रंजना एक साथ मिलेंगी.” रामपाल ने ने भी थोड़ी ऊंची आवाज में कहा. छोटे भाई उस की इस बात से नाराज हो कर पैर पटकता हुआ रामप्रकाश चला गया. उस के पीछेपीछे रामपाल भी चला गया.

रामपाल उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के थाना माल के गांव थावर में अपने बड़े भाइयों राजकुमार और रामप्रकाश के साथ रहता था. राजकुमार मूलरूप से लखनऊ के ही थाना मलिहाबाद के गांव चौसझा का रहने वाला था. 20 साल पहले वह अपना गांव छोड़ कर थावर आ गया था और यहीं रहने लगा था. यहां वह अपनी क्लिनिक चलाता था. उस ने बीयूएमएस की डिग्री ले रखी थी.

उस की क्लिनिक ठीकठाक चलने लगी थी तो उस ने अपने दोनों भाइयों रामप्रकाश और रामपाल को भी यहीं बुला लिया था. इस तरह तीनों भाई एक साथ रहने लगे थे. राजकुमार ही पूरे परिवार की देखभाल करता था. उस के दोनों ही भाई उम्र में उस से काफी छोटे थे.

राजकुमार की शादी आशा के साथ हुई थी. शादी के कई सालों के बाद भी जब उसे खुद की कोई संतान नहीं हुई तो उस ने सन 2006 में अपनी साली रंजना की शादी अपने छोटे भाई रामप्रकाश से करा दी थी. शादी के बाद रंजना को 2 बेटे, 6 साल का तुषार, 3 साल का ईशान और 4 माह की एक बेटी अनिष्का थी. रंजना ब्यूटीपार्लर का कोर्स किए हुए थी, इसलिए राजकुमार ने उसे घर के ही एक कमरे में ब्यूटीपौर्लर खुलवा दिया था.

कुछ दिनों पहले राजकुमार ने अपने सब से छोटे भाई रामपाल की शादी कराई थी. उस की शादी में उन्होंने करीब एक लाख रुपए के गहने बनवाए थे. शादी के समय राजकुमार ने रामपाल से कहा था कि शादी के खर्च में वह भी कुछ मदद करे. तब राजपाल ने इधरउधर से पैसों का जुगाड़ कर के राजकुमार को दिए थे.

न जाने क्यों राजकुमार और उस की पत्नी आशा रामपाल को पसंद नहीं करते थे. रामपाल को इस बात का अहसास भी था. भाईभाभी के इस व्यवहार से उसे लगता था कि भइया मंझले भाई रामप्रकाश और उस की पत्नी रंजना को ही अपनी सारी जायदाद देंगे. रामपाल में कुछ बुरी आदतें थीं, जिस की वजह से उस ने कई लोगों से कर्ज ले रखा था. कर्ज चुकाने के लिए वह जब भी बड़े भाई राजकुमार से पैसे मांगता, वह उसे बेइज्जत कर के भगा देता था.

रामपाल ने मंझले भाई रामप्रकाश के मन में शंका का बीज डाल दिया था. एक दिन रामप्रकाश की रिश्तेदारी में शादी थी. राजकुमार ने अपनी पत्नी आशा से कहा कि वह रामप्रकाश और दोनों बेटों को ले कर शादी में चली जाए. आशा ने वैसा ही किया. रामप्रकाश ने अपनी पत्नी रंजना से भी शादी में चलने को कहा तो उस ने सुबह ब्यूटीपौर्लर खोलने का बहाना कर के शादी में जाने से मना कर दिया.

इस बात से रामप्रकाश की शंका यकीन में बदल गई. उसे रामपाल की बात सच लगी. वह भाभी आशा और दोनों बेटों को ले कर शादी में चला तो गया, लेकिन सभी को वहां छोड़ कर रात में चुपके से घर आ गया. घर पहुंच कर उस ने पत्नी रंजना और बड़े भाई राजकुमार को आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया. इस के बाद उसे पत्नी रंजना और बड़े भाई से नफरत हो गई.

इस के बाद वह बड़े भाई से बदला लेने के लिए छोटे भाई रामपाल से मिल गया. अपने अपमान का बदला लेने के लिए दोनों भाइयों ने बड़े भाई की हत्या की योजना बना डाली. 5 नवंबर की रात करीब ढाई बजे रामपाल मोटरसाइकिल से थावर पहुंचा. योजना के अनुसार, रामप्रकाश ने घर का दरवाजा पहले से ही खोल रखा था. रामपाल घर में घुसा और क्लीनिक में हंसिया और बांका ले कर छिप गया.

इस के बाद रामप्रकाश ने पीठ में दर्द होने की बात कह कर रंजना को इंजेक्शन लाने के लिए कहा. रंजना जैसे ही उठ कर क्लीनिक की ओर गई, वहां छिपे रामपाल ने उसे पकड़ लिया और ब्यूटीपौर्लर वाले कमरे में घसीट ले गया. उस के पीछेपीछे रामप्रकाश भी वहां पहुंच गया. इस के बाद दोनों ने उसे खत्म कर दिया. इस के बाद दोनों पहली मंजिल पर गए, जहां राजकुमार पत्नी आशा के साथ सो रहा था.

दोनों ने पहले आशा पर वार किया. आशा की चीख से राजकुमार जाग गया तो दोनों उस पर टूट पड़े. जब रामपाल और रामप्रकाश को लगा कि दोनों मर गए हैं तो रामप्रकाश ने बांका और हंसिया घर के बाहर फेंक दिया और रामपाल को भाग जाने के लिए कहा. जब रामपाल भाग गया तो वह दरवाजा खोल कर चिल्लाने लगा कि घर में बदमाश घुस आए हैं.

शोर सुन कर गांव वाले इकट्ïठा हो गए. उस समय राजकुमार कराह रहा था, लेकिन अस्पताल ले जाते समय उस की मौत हो गई. रामप्रकाश ने गांव के ही 2 लोगों, राजाराम और प्रेमरैदास के खिलाफ हत्या का शक जताते हुए मुकदमा दर्ज करा दिया. पुलिस ने जांच की तो नामजद लोगों के खिलाफ कोई सबूत नहीं मिला. मोहनलालगंज के सांसद कौशल किशोर ने तो इस हत्याकांड का परदाफाश करने के लिए पुलिस पर दबाव डाला तो गांव वालों ने भी सडक़ जाम कर के पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की.

तब लखनऊ के एसएसपी राजेश कुमार पांडेय ने थाना माल के थानाप्रभारी विनय तिवारी, एसएसआई गणेश तिवारी, क्राइम ब्रांच के भगवान ङ्क्षसह, अनिल ङ्क्षसह चंदेल और हमीदउल्ला की एक टीम बनाई, जिस का नेतृत्व मलिहाबाद के सीओ जावेद खान को सौंपा.

आखिर 4 दिनों के बाद 9 नवंबर को इस टीम ने राजकुमार, आशा और रंजना की हत्या के आरोप में राजकुमार के दोनों सगे भाई रामप्रकाश और रामपाल को गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में रामपाल और रामप्रकाश ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

दरअसल, जब पुलिस घटनास्थल पर पहुंची थी तो वहां लूट का कोई सबूत नहीं मिला था. आसपड़ोस वालों ने बदमाशों के आनेजाने की भी आवाज नहीं सुनी थी. रामपाल जब वहां पहुंचा था तो उसे देख कर ही लग रहा था कि वह अभीअभी नहा कर आया है. उस के बाल भी गीले थे. नहाने वाली जगह पर भीगा तौलिया मौजूद था. उस पर खून के कुछ दाग भी लगे थे.

रामप्रकाश ने बताया था कि बदमाशों ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था, लेकिन जब पुलिस ने गांव वालों से पूछा कि घर का दरवाजा किस ने खोला था तो कोई सामने नहीं आया. इस से पुलिस को लगा कि हत्या में घर वालों का ही हाथ है. बाद में पूछताछ में ये बातें सामने आ गईं.

पूछताछ में रामप्रकाश ने कहा, “मैं भाभी आशा को बहुत मानता था. वह हमें भी बेटे की तरह मानती थीं. रंजना उन की सगी छोटी बहन थी. उन्हें रंजना की हत्या में मेरे शामिल होने का पता चलता तो वह हमारे खिलाफ हो जातीं. रंजना ने जो किया था, मुझे उस बात से उस से चिढ़ हो गई थी. इस हालत में न चाहते हुए भी मुझे भाभी की हत्या करनी पड़ी.”

पूछताछ के बाद पुलिस ने रामपाल और रामप्रकाश को अदालत में पेश कर के जेल भेज दिया था, कथा लिखे जाने तक दोनों भाई जेल में थे.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 3

प्रेमीप्रेमिका सहित अन्य आरोपी हुए गिरफ्तार

20 अक्तूबर, 2018 को हरदा पुलिस ने राजेश की हत्या के आरोपी प्रकाश जाट को गिरफ्तार कर लिया. प्रकाश की निशानदेही पर हत्या में प्रयुक्त दरांती, खून से सने हुए कपड़े और जूते भी बरामद कर लिए. प्रकाश से पुलिस ने जब सख्ती से पूछताछ की तो उस ने मनीषा से अवैध संबंध होने के चलते पवन, पप्पू और छोटू उर्फ ब्रजेश की मदद से राजेश की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. इस आधार पर पुलिस ने मनीषा को भी हिरासत में ले ले कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

6 नवंबर को हरदा पुलिस ने हत्या के 3 अन्य आरोपियों गोलू शर्मा, पवन पुरी और छोटू उर्फ ब्रजेश को भी इंदौर के पास मूसाखेड़ी से गिरफ्तार कर लिया. पति की हत्या के मामले में जब मनीषा को जेल भेज दिया गया तो दोनों बच्चे अपने दादादादी के पास रहने लगे. लेकिन जेल में बंद मां ने बच्चों को वहां से बाल संरक्षण गृह भेजने के लिए आवेदन कर दिया. दोनों बच्चे करीब 6 महीने तक बाल संरक्षण गृह में रहे, इस के बाद बच्चों को दोबारा से दादादादी के पास भेज दिया गया.

अपने बड़े बेटे राजेश की हत्या और बहू के जेल जाने को ले कर पिता रामरज सिंह राजपूत काफी दुखी रहने लगे. उन्हें हरदम मासूम पोतेपोती के भविष्य की चिंता सताया करती थी. बुढ़ापे में अपनी ही बहू के द्वारा बेटे की हत्या करने के सदमे के चलते वह 6 महीने बाद ही दुनिया से चल बसे.

इस पूरे मामले में हत्या का एक कारण मकान का पतिपत्नी के नाम पर होना भी था. मनीषा और प्रकाश के बीच 2 साल से अफेयर चल रहा था. इस की जानकारी राजेश को भी थी, वह किसी भी तरह परिवार को बिखरने नहीं देना चाहता था. उस ने तो यह भी सोच रखा था कि मकान को बेच कर पत्नी और दोनों बच्चों को ले कर कहीं और जा कर बस जाएगा. मगर मनीषा इस बात के लिए राजी नहीं थी. वह तो मकान में से आधा हिस्सा ले कर अपने प्रेमी के साथ रहना चाहती थी. इस बात ने दोनों के बीच विवाद को बहुत गहरा कर दिया था.

मार्च 2022 में मनीषा जमानत पर बाहर आई थी. तब 30 अगस्त, 2022 को हरतालिका तीज के दिन उस ने अचानक घर आ कर परिवार के लोगों को धमकी दे कर कहा, “यह मेरा घर है, इसे तत्काल खाली कर दो, क्योंकि इस पर मेरा हक है. यह मेरे और राजेश के नाम पर है. यदि ऐसा नहीं किया तो एकएक को देख लूंगी.”

कोर्ट के फैसले पर घर वालों को राहत

फिलहाल राजेश के दोनों बच्चे दादी और चाचाचाची के साथ रहते हैं. बेटी 9वीं और बेटा 5वीं क्लास में पढ़ता है. अब वे समझदार हो गए हैं. जब उन्हें पता चला कि मां ने ही उन के सिर से पिता का साया छीना है, तब से वे मां से नफरत करने लगे हैं. दोनों बच्चे अपनी मां से बातचीत तो दूर, उस का चेहरा भी नहीं देखना चाहते हैं.

दोनों छोटे भाइयों ने 5 सालों तक भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए संघर्ष किया है. इस दौरान आरोपियों द्वारा तरहतरह की धमकियां दे कर समझौते के लिए दबाव बनाया गया. कोर्ट के फैसले से राजेश के परिवार को न्याय मिला है. उन का कहना है कि जिन 3 आरोपियों को बरी कर दिया गया है, उन्हें सजा दिलाने के लिए वे फिर से अपील करने का प्रयास कर रहे हैं.

तत्कालीन हरदा थानाप्रभारी सुभाष दरश्यामकर और एसआई ओ.पी. यादव ने विवेचना कर चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की. लगभग 4 साल तक न्यायालय में चले इस प्रकरण में अभियोजन पक्ष से 21 गवाहों को पेश किया गया. 19 मई, 2023 को विशेष सत्र न्यायालय के मजिस्ट्रेट अनूप कुमार त्रिपाठी ने 42 पेज के फैसले में राजेश की पत्नी मनीषा और उस के प्रेमी प्रकाश जाट को आजीवन कारावास की सजा सुनाई. सजा के बाद प्रकाश को जबलपुर जेल भेज दिया गया, जबकि मनीषा जिला जेल हरदा में है.

न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी ने अपने जजमेंट में लिखा कि त्रुटिपूर्ण जांच के आधार पर अभियोजन अपना प्रकरण शंका से परे मामला सिद्ध नहीं कर पाया, इसलिए अन्य व्यक्तियों को दोष मुक्त किया गया है. बचाव पक्ष की ओर से एडवोकेट राजेश पाराशर, एस.एन. अग्रवाल ( खंडवा), हरिमोहन शर्मा, रमेश चंद शर्मा, अचल पाराशर ने जबकि अभियोजन पक्ष की ओर से जिला लोक अभियोजक आशाराम रोहित, सहायक लोक अभिायोजक विनोद अहिरवार और एडवोकेट अखिलेश भाटी ने पैरवी की.

कथा कोर्ट के फैसले और जिला लोक अभियोजक आशाराम रोहित से बातचीत पर आधारित. प्रियांशी परिवर्तित नाम है.

Top 25 Crime Kahaniyan In Hindi : टॉप 25 क्राइम कहानियां हिंदी में

Top 25 Crime Kahaniyan :  इन क्राइम कहानियों को पढ़कर आप जान पाएंगे कि इस बदलते समाज में कैसे और किस तरह के अपराध बढ़ते ही जा रहे हैं. समाज में हो रहे अपराध और धोखाधड़ी से आप स्वयं को और अपने आस पास के लोगों को जागरूक करने के लिए पढ़े ये मनोहर कहानियां Best 25 Crime Kahaniyan in Hindi 

1. दिल्ली का साहिल साक्षी केस : प्यार पर नफरत के वार – भाग 1

“किसी को जो कुछ कहना है, कहे, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता. मैं तुझे दिल से चाहता हूं और तुम किसी और को, यह मुझे कदापि बरदाश्त नहीं होगा, समझी?” बोलते हुए साहिल उस के बालों को कस कर पकड़ कर खींचने लगा. उस का दूसरा हाथ साक्षी की गरदन पर आ गया था. साक्षी अचानक साहिल के इस हमले से लडख़ड़ा गई. किसी तरह उस के हाथ से अपने बालों को छुड़ाया. तब तक वह जमीन पर गिरने की स्थिति में आ गई थी.

दूसरी तरफ साहिल हारे हुए शिकारी की तरह तिलमिलाने लगा था, चीखा, “हरामजादी, रंडी कहीं की, इश्क करेगी? अभी बताता हूं, तूने अभी तक मेरा गुस्सा नहीं देखा है. कल तक प्यार से समझा रहा था, फिर भी तू नहीं मानी, अब देख मैं क्या करता हूं…”

साहिल ने फुरती से अपनी जींस पैंट में से बड़ा चाकू निकाल लिया. बाएं हाथ से बाल समेत उस की गरदन दबोच ली, दाएं हाथ में चाकू से दनादन उस पर वार करने लगा. साक्षी चीखने लगी. उस की चीख सुन कर पास से गुजर रहे कुछ लोग ठिठक गए.

पूरी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

2. नन्हा हत्यारा, जिसने पूरा पंजाब हिला दिया

crime-kahani

रमेश दीपू को अपने कमरे में ले जा कर अंदर से कुंडी बंद कर ली. इस के बाद उसे उठा कर पलंग पर पटक दिया. अचानक हुए इस हमले से दीपू घबरा गया और खुद को रमेश के चंगुल से छुड़ाने के लिए हाथपैर चलाने लगा. दीपू छोटा और उस से कमजोर था, इसलिए उस का मुकाबला नहीं कर सका. उस ने रमेश को 2-3 जगह दांतों से काटा भी. लेकिन रमेश उस की छाती पर सवार हो गया और उस का गला दबा कर उसे मार डाला.

दीपू की हत्या करने के बाद रमेश ने लाश को पलंग से नीचे उतारा और घसीट कर बाथरूम में ले गया. इस के बाद घर में रखी खुरपी से उस के शरीर के टुकड़े कर प्लास्टिक के कट्टे में भर दिए. दिल निकाल कर उस ने अलग पौलीथिन में रख लिया. जब गली में कोई नहीं दिखाई दिया तो लाश के टुकड़ों वाले कट्टे ले जा कर खाली प्लौट में फेंक आया.

पूरी हिंदी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

3. रिश्तों की कब्र खोदने वाला क्रूर हत्यारा – भाग 1

best crime kahani (2)

पुलिस टीम जब अंदर दाखिल हुई तो वहां का नजारा देख चौंकी. कमरों का इंटीरियर बहुत अच्छा था, हर कमरे में एलसीडी लगे थे पर पूरा घर अस्तव्यस्त पड़ा था. ऐसा लग रहा था जैसे वहां मुद्दत से साफसफाई नहीं की गई है. पुलिस ने उदयन से आकांक्षा के बारे में पूछा तो वह खामोश रहा.

पहली मंजिल पर चबूतरा बना देख पुलिस वालों का चौंकना स्वाभाविक था. कमरों में सिगरेट के टोंटे पड़े थे. साथ ही शराब की खाली बोतलें भी लुढ़की पड़ी थीं. सिगरेट के टोंटों की तादाद हजारों में थी. कुछ प्लेटों में बासी सब्जी व दाल पड़ी थी, जिन से बदबू आ रही थी.

जैसेजैसे पुलिस टीम घर को देख रही थी, वैसेवैसे रोमांच और उत्तेजना दोनों ही बढ़ती जा रही थीं. हर कमरे की दीवार पर लव नोट्स लिखे हुए थे, जिन में आकांक्षा के साथ बिताए लम्हों का जिक्र साफ दिखाई दे रहा था. कुछ देर घर में घूमने के बाद पुलिस ने जब उदयन से दोबारा पूछा कि आकांक्षा कहां है तो उस ने बेहद सर्द आवाज में जवाब दिया, ‘‘मैं ने उस का कत्ल कर दिया है और वह इस चबूतरे के नीचे है.’’

पूरी crime kahani in hindi पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

4. अपनों के खून से रंगे हाथ : ताइक्वांडो कोच को मिली सजा – भाग 1

crime kahani (2)

युवा प्रेमी से मिलने वाले जिस्मानी सुख को पाने की चाहत में संतोष शर्मा का दिमाग इस कदर खराब हुआ कि वह अपना घरबार, गृहस्थी, पति, बच्चे सभी कुछ भुला बैठी. संतोष शर्मा खुद से 10 साल छोटे आशिक हनुमान को हनी कह कर बुलाने लगी. हनी एक दोस्त के साथ उदयपुर में किराए के कमरे में रह कर बीपीएड की ट्रेनिंग कर रहा था. वह शारीरिक शिक्षक की नौकरी हासिल करना चाहता था. अविवाहित था.

घर से पैसे मंगा कर उदयपुर में दोस्त के साथ रह कर ट्रेनिंग कर रहा था. साथ ही मार्शल आर्ट का भी उसे शौक था. इसी दौरान कोचिंग में उस की मुलाकात संतोष शर्मा से हुई थी. उम्र में बड़ी हो कर भी उस का फिगर नवयुवतियों को मात करने वाला था. उसे देख कर कोई नहीं कह सकता था कि वह 3 बच्चों की मां है. सलवार सूट में तो वह अभी भी किसी कालेज गर्ल जैसी ही दिखती थी. खूबसूरती और सैक्स अपील की अदाओं पर ही हनुमान मर मिटा था. जल्द ही वह संतोष शर्मा के इशारों पर नाचने लगा था.

अविवाहित हनुमान संतोष शर्मा के शारीरिक आकर्षण से पागल सा हो गया था. संतोष शर्मा एक आधुनिक दौर की युवती थी, जो जिंदगी का भरपूर आनंद लेने में विश्वास रखती थी. उसे अपने तीनों बच्चों से कोई मोह नहीं था और न ही वह अपने पति बनवारी लाल को दिल से पसंद करती थी.

पूरी अपराध कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

5. 60 साल का लुटेरा: 18 महिलाओं से शादी करने वाला बहरूपिया – भाग 1

crime kahani

देखतेदेखते एक प्रोफाइल पर उस की नजर अटक गई. नाम था डा. बिधु प्रकाश स्वैन. केंद्र सरकार की नौकरी थी. वह स्वास्थ्य मंत्रालय के सेंट्रल बोर्ड औफ ऐडमिशन कमिटी का डेप्युटी डायरेक्टर जनरल के पद पर बेंगलुरु में पोस्टेड था. उस ने अपनी पसंद के बारे में लिखा था, ‘‘उसे एक एक समझदार और कल्चर्ड महिला की तलाश है.’’

प्रोफाइल में उम्र दर्ज थी 42 साल. मैरिटल स्टेटस में अनमैरेड लिखा था. साथ ही अपने अविवाहित होने का कारण भी था कि उस की शादी पारिवारिक जिम्मेदारियों को उठाने और नौकरी के सिलसिले में ट्रांसफर आदि होते रहने के चलते नहीं हो पाई थी. पुश्तैनी घर, परिवार और इलाके की कुछ तसवीरों के अलावा अशोक स्तंभ चिह्न के लोगो लगे विजिटिंग कार्ड और भारत सरकार लिखे लालबत्ती गाड़ी की तसवीरें भी लगी हुई थीं.

यह सब देख कर अवंतिका को उस पर भरोसा बन गया. दूसरी बात यह कि वह भुवनेश्वर में पढ़ाई के सिलसिले में रह चुकी थी, इसलिए उस प्रोफाइल को नजरंदाज नहीं कर पाई. लैपटाप पर सेव कर वह विशलिस्ट में डाल दी.

पूरी crime kahani पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

6. 3 महीने बाद खुला सिर कटी लाश का राज – भाग 1

crime kahaniyan (2)

“अरे जीजाजी सब ठीक है, बहुत दिनों से हमारी राधा दीदी से बात नहीं हुई तो सोचा आज होली का त्यौहार है, इसी बहाने उस से बात कर लूं.’’ दिलीप ने शैलेंद्र से कहा.

“लेकिन तुम्हारी जीजी तो 8-10 दिन पहले ही देवरी जाने की बोल कर गई है, क्या तुम्हारे पास नहीं पहुंची?’’ शैलेंद्र ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा.

“अरे जीजा, काहे मजाक कर रहे हो. चलो जल्दी से राधा से बात कराओ,’’ दिलीप बोला.

“अरे भाई, मैं मजाक नहीं कर रहा, सच बोल रहा हूं. राधा घर पर यही बोल कर निकली है कि काफी दिनों से वह अपने मायके नहीं गई है, इसलिए होली पर गुलाल लगाने भाई के घर जा रही है. यकीन न हो तो शक्ति और शौर्य से बात कर लो.’’

शैलेंद्र ने दिलीप को यकीन दिलाते हुए मोबाइल अपने बड़े बेटे शौर्य को पकड़ाते हुए कहा. शौर्य ने दिलीप को बताया, ‘‘मामाजी, मम्मी तो यहां से यही बोल कर गई है कि कुछ दिनों के लिए मामा के यहां जा रही हूं.’’

पूरी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

7. सोनाली साव हत्याकांड : इश्किया गुरु का खूनी खेल – भाग 1

crime kahani hindi (3)

सुनील कुमार एसएचओ के औफिस से उठ कर बाहर आ गए और बेटी की गुमशुदगी लिखा कर वापस घर लौट आए. अपनी तहरीर में इन्होंने दीपक कुमार साव और रोहित कुमार मेहता को नामजद किया था. उन्होंने यह आशंका जताई थी कि दीपक बेटी को बारबार फोन कर के परेशान किया करता था. दीपक को पकड़ कर कड़ाई से पूछताछ की जाए तो बेटी के बारे में जानकारी मिल सकती है.

दरअसल, कई साल पहले दीपक सोनाली को उस के घर ट्यूशन पढ़ाया करता था. तब वह 12वीं क्लास में पढ़ती थी. तभी से दोनों एकदूसरे को जानतेपहचानते थे. सोनाली के घर वाले भी दीपक को अच्छी तरह जानते थे. शिक्षक की हैसियत से वह अकसर सोनाली को फोन किया करता था. इस का घर वालों ने कभी ऐतराज नहीं किया. वे जानते थे इन के बीच एक पवित्रता और मर्यादा का रिश्ता है. इस रिश्ते का उन को खास खयाल है.

पूरी crime kahani in hindi पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

8. कनाडा से बुला कर शादी, फिर हत्या – भाग 1

best crime kahani

मोनिका ने उस ओर देखा, तब तक एक कार उस के पास आ कर ही रुक गई थी. दूसरी तरफ ड्राइविंग सीट पर बैठे युवक ने अपना परिचय सुनील के रूप में दिया और उसे गाड़ी में बैठने को कहा. मोनिका हिचकिचाई. उस के कुछ बोलने से पहले ही सुनील ने मोबाइल फोन का स्पीकर औन कर उस के सामने कर दिया. दूसरी तरफ से आवाज आ रही थी. ‘‘हैलो, सुनील, बोलो क्या बात है?’’

“भाभीजी, मोनिका से बात कीजिए…’’

“मोनिका…तुम्हारे पास?’’ उधर से चिंतातुर आवाज आई.

“जी भाभी, उस की बस खराब हो गई है, दूसरी बस का इंतजार कर रही है. मैं उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट देने के लिए बोल रहा हूं, लेकिन वह हिचकिचा रही है. शायद मुझे नहीं पहचानती है.’’ सुनील बोला.

दूसरी तरफ से उस की भाभी सोनिया की आवाज आई, ‘‘अरे उसे फोन तो दो, मैं बात करती हूं. तुम्हारे बारे में बताती हूं.’’

पूरी हिंदी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

9. अपराध: लव, सैक्स और गोली

crime kahani (3)

शूटरों के साथ यह डील अगस्त महीने की शुरुआत में ही हुई थी. अगस्त महीना खत्म हो गया और उस के बाद सितंबर भी आधा खत्म हो गया और विक्रम को ठिकाने नहीं लगाया जा सका तो खुशबू परेशान हो गई. उस ने मिहिर पर दबाव बनाना शुरू किया. विक्रम राजीव को जिम ट्रेनिंग देने के लिए उस के घर पर जाता था. वहीं खुशबू से जानपहचान हुई और बातचीत शुरू हुई.

विक्रम के गठीले बदन को देख खुशबू उस पर फिदा हो गई. वह धीरेधीरे विक्रम के करीब आती गई. वह पटना मार्केट के पास विक्रम के जिम में पहुंचने लगी और वहीं कईकई घंटों तक बैठी रहती थी. विक्रम ने पुलिस को बताया कि वह उस के साथ जिस्मानी रिश्ता बनाना चाहती थी. ऐसा नहीं करने पर वह उसे फंसाने और ब्लैकमेल करने की धमकी देने लगी.

जब विक्रम उस से दूर रहने की कोशिश करने लगा तो एक रात को विक्रम के घर पहुंच गई और हंगामा मचाने लगी. खुशबू की हरकतों से आजिज आ कर विक्रम ने डाक्टर राजीव को फोन कर सारे मामले की जानकारी भी दी. विक्रम ने उस से कहा कि खुशबू उसे पिछले कई दिनों से परेशान कर रही है. डाक्टर राजीव ने विक्रम की बातों पर यकीन नहीं किया और उस से कहा कि सुबूत ले कर आओ, उस के बाद देखा जाएगा.

पूरी अपराध कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

10. सिरफिरे का प्यार : बना गले की फांस – भाग 1

hindi crime kahani (2)

राहुल अच्छी कदकाठी का आकर्षक नौजवान था. नेहा ने उस की रिक्वेस्ट स्वीकार कर ली. इस के बाद दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला चल निकला. जल्द ही दोनों के बीच दोस्ती हो गई और उन्होंने एकदूसरे का नंबर ले लिया. बातों का दायरा बढ़ा तो बातों के साथसाथ मुलाकातें भी शुरू हो गईं.

चंद दिनों की मुलाकातों में दोनों के बीच प्यार हो गया. नेहा शादीशुदा थी, लेकिन उस ने यह बात राहुल से छिपा ली थी. वक्त के साथ दोनों का प्यार परवान चढ़ा, तो राहुल उस के साथ अपनी दुनिया बसाने का ख्वाब देखने लगा. राहुल उसे दिल से चाहता है, नेहा यह बात बखूबी जानती थी. यही वजह थी कि वह उस की एक आवाज पर दौड़ी चली आती थी.

सामाजिक लिहाज से शादीशुदा हो कर भी किसी युवक के साथ इस तरह का रिश्ता रखना यूं तो गलत था, लेकिन आधुनिकता की चकाचौंध में बह कर नेहा भी दिल के हाथों मजबूर हो गई थी. पतन की डगर कभी अच्छी नहीं होती.

पूरी crime kahani पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

11. प्रेम त्रिकोण में मारा गया ग़ालिब

crime kahani hindi (2)

कुछ महीने पहले गालिब जब जेल से छूट कर आया तो उस ने अपनी प्रेमिका जरीन से मिलने की कोशिश की, लेकिन जरीन ने अयाज से संबंधों के चलते गालिब खान से दूरी बना ली. वह जरीन को अपने साथ रहने के लिए उस पर तरहतरह के दबाव बनाने लगा, जबकि वह नए आशिक के साथ इश्क फरमा रही थी. वह अयाज को छोडऩे के लिए राजी नहीं थी.

यह बात गालिब को अखरने लगी. गालिब को यह कतई बरदाश्त नहीं हुआ कि उस की प्रेमिका उस के होते हुए किसी दूसरे की बांहों में दिखाई दे. वह सिरफिरे आशिक की तरह हो गया. जहां भी अयाज दिखाई दे जाता, वह उस के साथ मारपीट कर देता.

गालिब बहुत शातिर था. उस ने पहले ही अपने और जरीन के शारीरिक संबंधों की एक वीडियो बना ली थी. गालिब उस अश्लील वीडियो को वायरल करने की धमकी दे कर उस के साथ जब चाहे तब दुष्कर्म करता था. इसी ब्लैकमेलिंग से आजिज आ कर जरीन ने अपने प्रेमी गालिब से दूरी बनाई थी. लेकिन जेल से छूट कर आने के बाद वह फिर से वही काम करने लगा.

पूरी क्राइम कहानी हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

12. बदनामी सह न सकी बदनाम औरत

crime kahaniyan hindi

ब्रांडी का कमरा किसी जन्नत से कम नहीं था. कमरे के बीचोबीच बेड पड़ा था, जो बेहद कीमती था. उस के सिरहाने एक छोटी सी टेबल रखी थी, जिस पर सुगंधित मोमबत्ती जल रही थी. हलका उत्तेजक संगीत बज रहा था. मोमबत्ती की हलकी रोशनी में पारदर्शी गाउन पहने ब्रांडी लेटी थी.

उसे देख कर फिलिप्स की आंखें हैरत से फटी रह गई थीं. उसे ब्रांडी नहीं, जन्नत दिखाई दे रही थी. वह होश खो बैठा. उसे आगे बढ़ने का होश ही नहीं रहा. उसे ठगा सा देख ब्रांडी ने कहा, ‘‘एक घंटे के लिए मैं तुम्हारी हो चुकी हूं, जिस की कीमत तुम अदा कर चुके हो. अब दूर खड़े क्या देख रहे हो, करीब आ जाओ.’’

पूरी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें. 

13. ठगी का नया जामताड़ा: नूंह-मेवात – भाग 1

crime kahaniyan3

नूंह जिले के साथ ही मेवात क्षेत्र राजस्थान के भरतपुर और अलवर जिले तक फैला हुआ है. इन जिलों के 40 गांवों के युवा जामताड़ा के साइबर ठगों के संपर्क में आ कर इतने शातिर अपराधी बन चुके हैं कि उन्होंने झारखंड के जामताड़ा की यादों को फीका कर मेवात के जामताड़ा को उस से भी बड़ा कर दिया है.

जामताड़ा के बाद साइबर अपराध के मामलों में देश का दूसरा सब से बड़ा केंद्र मेवात बन चुका है. हरियाणा-राजस्थान के मेवात क्षेत्र में बैठे ये ठग विभिन्न राज्यों के सैकड़ों लोगों को अपना शिकार बनाते हैं और उन से लाखों की ठगी करते हैं. अनपढ़ से ले कर आठवीं और दसवीं पास युवा ठगी करने में माहिर हैं.

वे बैंक मैनेजर से ले कर बीमा कंपनी के अफसर बन कर पढ़ेलिखे व्यक्ति को बड़ी आसानी से अपने चंगुल में फंसा लेते हैं. इन बदमाशों ने फिल्म अभिनेताओं, सैन्यकर्मियों तथा कई प्रतिष्ठित नेताओं को भी चूना लगाया है. बीते साल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की बेटी को भी साइबर ठगों ने अपने चंगुल में फंसा लिया था.

पूरी Hindi Crime Kahani पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

14. व्हाइट कालर्स को पसंद ब्लैक ब्यूटी

crime kahani hindi

पकड़ी गई भोपाली युवतियों ने इस का राज भी यह बता कर खोल दिया कि भोपाल में इन दिनों अफ्रीकन लड़कियों के शौकीनों की तादाद बढ़ रही है. इस के पीछे मर्दों की यह सोच है कि अफ्रीकन यानी काली लड़कियां सैक्स में माहिर होती हैं और अप्राकृतिक व ओरल सैक्स से परहेज नहीं करतीं. इस के अलावा इन के सामान्य से बड़े आकार के स्तन भी पुरुषों को बहुत लुभाते हैं.

एक कालगर्ल का कहना था कि मर्द जो कुछ ब्लू फिल्मों में देखते हैं, वह खुद भी वैसा ही करना चाहते हैं. लेकिन आमतौर पर देसी कालगर्ल्स इस तरह के जंगली सैक्स से परहेज करती हैं, इसलिए युगांडाई युवतियों को फंसाया गया या राजी किया गया, कहना मुश्किल है. हां, सैक्स में प्रयोग का यह शौक पांचों युवकों को महंगा पड़ा.

पूरी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

15. कामुक पति की पांचवीं पत्नी का खेल

best hindi crime kahaniyan

वीरेंद्र ने उस की एक नहीं सुनी और अपनी जिद पर अड़ा रहा. उस रात उस ने जबरन कंचन के साथ अप्राकृतिक सैक्स संबंध बनाए. कंचन को उल्टियां भी हो गईं. देह चूरचूर हो गई. शराब की गंध नथुने में भर गई. जीभ पर शराब का तीखापन भरा हुआ था.

अप्राकृतिक सैक्स संबंध  से काफी पीड़ा हो रही थी. उस की आंखें सूज गई थीं. गालों पर थप्पड़ों के निशान भी पड़ गए थे. शरीर पर नाखूनों से नोचे जाने की खरोंचें भी थीं. किसी तरह से उस ने कपड़े पहने. कंबल घिसटते हुए बच्चों के कमरे में आ गई. तब तक वीरेंद्र निढाल हो चुका था, कंबल में खर्राटे भरने लगा था.

कंचन वीरेंद्र गुर्जर की पांचवीं पत्नी थी. वीरेंद्र अव्वल दरजे का शराबी था. साथ ही अय्याश किस्म का व्यक्ति था. वह कहने को इंसान था, लेकिन उस के चरित्र में हैवानियत शामिल थी. कामुकता से भरा हुआ था. सैक्स की बातों से उबलता रहता था. बातबात में घूमफिर कर सैक्स की बातें ही उस के जुबान से निकल पड़ती थीं. मांबहन की भद्ïदी गालियों के साथसाथ यौनाचार संबंधी गालियां तो उस की जुबान पर रहती थीं.

पूरी हिंदी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

16. पुलिस की छाया में कैसे बनते हैं अतीक जैसे गैंगस्टर – भाग 1

crime kahaniyan1

ठीक इसी वक्त अशरफ बोल पड़े, ‘‘मेन बात ये है कि गुड्ïडू मुसलिम…’’ उन की बात पूरी भी नहीं हुई थी कि तभी मीडियाकर्मियों की भीड़ में से 2 लोगों ने अपने माइक और आईडी नीचे फेंक दी. उन्होंने तुरंत हथियार निकाल कर अतीक और अशरफ को निशाना बनाया. एक ने अतीक की कनपटी पर पिस्टल सटा दी और दूसरे ने तड़ातड़ फायरिंग शुरू कर दी. वे फायरिंग अत्याधुनिक सेमी आटोमैटिक हथियार से कर रहे थे. इसी दौरान तीसरे कथित मीडियाकर्मी ने भी अतीक और अशरफ को निशाना बना कर फायर करने शुरू कर दिए थे.

जब तक कोई कुछ समझ पाता और पुलिस सचेत हो पाती, तब तक मीडियाकर्मी बन कर आए हमलावरों द्वारा अतीक और अशरफ पर दनादन कई गोलियां दागी जा चुकी थीं. हमलावरों की लगातार हुई फायरिंग से कांस्टेबल मान सिंह भी जख्मी हो गए. उन के दाहिने हाथ में गोली लगी थी. गोलीबारी के बीच आधुनिक हथियार थामे हुए पुलिस वालों ने हमलावरों पर गोली नहीं चलाई और न ही अतीक व उस के भाई को बचाने की कोशिश की. इसे लोगों ने सुनियोजित साजिश बताया. हमलावर निर्भीकता के साथ ‘जय श्रीराम’ का जयघोष कर भागने लगे, जबकि मीडियाकर्मियों के कैमरे औन थे

पूरी crime kahani in hindi पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

17. अभिनेत्री आरती मित्तल का सैक्स रैकेट

crime kahaniyan

“जी बोलिए शुभमजी, आप को पसंद आई हैं न मेरी बिंदास मौडल्स?” आरती ने काल रिसीव करते हुए कहा.

“आरतीजी, फोटो देख कर तो सचमुच मेरा दिल खुश हो गया. अब मैं ने गोरेगांव के चितरंजन होटल में आप केकहे अनुसार 2 कमरे भी बुक करा दिए हैं. एक कमरा विवेक के नाम और दूसरा कमरा मैं ने अपने क्लाइंट कैलाश के नाम बुक करा दिया है. देखिए आरतीजी, मेरा आप से रिक्वेस्ट है कि ये दोनों मेरे काफी खास कस्टमर हैं. मैं इन दोनों को बिलकुल भी नाराज नहीं कर सकता, इसलिए मैं खुद इन दोनों को ले कर 10 मिनट में गोरेगांव के चितरंजन होटल पहुंच रहा हूं.” मनोज सुतार ने बताया.

“शुभमजी, आप अपने कस्टमर्स का काफी अच्छा खयाल रखते हैं. व्यापार में तो यह सब करना ही पड़ता है, पर आप कुछ निवेदन करना चाहते थे, वह तो आप ने अब तक किया ही नहीं. बोलिए, आखिर क्या निवेदन करना चाहते हैं आप?” आरती ने पूछा.

पूरी crime kahani पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

18. क्रूरता की इंतिहा

best hindi crime kahani

जसबीर नीयत की साफ थी और भोली भी. रविंदर कौर की बातों को वह समझ नहीं पाई और उस के घर चली गई. वहां पहले से ही रविंदर कौर के परिवार के सब लोग मौजूद थे. सो समय व्यर्थ न करते हुए सब ने किसी तरह जसबीर को अपने कब्जे में ले कर दुपट्टे से उस का गला घोंट दिया.

दम घुटते ही जसबीर एक ओर लुढ़क गई. वह मर चुकी थी. तभी तांत्रिक दीशो ने अपने साथ लाए सर्जिकल ब्लेड से उस का पेट चीर कर पेट का शिशु बाहर निकाल लिया. शिशु को गोद में ले कर जब देखा तो पता चला कि जसबीर कौर के साथसाथ वह भी मर चुका है. मां और बच्चे की मौत के बाद उन सब के हाथपैर फूल गए.

अब क्या किया जाए? सब के सामने अब यही एक प्रश्न था. काफी सोचविचार के बाद तय किया गया कि शिशु के शव को घर में बनी सीढि़यों के नीचे गाड़ दिया जाए और जसबीर की लाश कमरे के बाहर रखे संदूक में छिपा दिया जाए.

पूरी बेस्ट हिंदी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

19. दिलजली प्रेमिका ने जब मंडप में खेला तेजाबी खेल

 crime kahani mk

पलभर में बदले उस के हावभाव और बातों से अंजना को झटका सा लगा. वह कुछ समझ पाती, उस से पहले ही दोनों लड़कियों ने एकदूसरे की तरफ देख कर इशारा किया तो उन में से एक ने झपट कर अंजना के हाथ पकड़ लिए तो उस की साथी लड़की ने एक बोतल निकाली और उस का ढक्कन खोल कर उस में भरा तरल अंजना पर उछाल दिया.

बचाव के लिए अंजना ने अपना चेहरा घुमा लिया. अपना काम कर के दोनों लड़कियां तेजी से कमरे के बाहर निकल गईं. जबकि तरल पड़ते ही अंजना जलन से चीखने लगी.

उस की चुनरी भी जल गई थी, क्योंकि उस पर उछाला गया तरल तेजाब था. जलन से अंजना बिलबिला उठी. वह दरवाजे की तरफ भागी, लेकिन लड़कियों ने बाहर जाते वक्त दरवाजा बाहर से बंद कर दिया था.

पूरी हिंदी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

20. परी का प्यार हुआ जानलेवा – भाग 1

apradh kahani

3 दिन बाद मालती का पति सोनू उसे लेने अपनी ससुराल मोहनगढ़ आया तो वह बेमन से ससुराल चली गई. ससुराल में किसी को भी उस के शादी से पूर्व के प्रेम प्रसंग के बारे में जानकारी नहीं थी, इसलिए उसे देर रात मोबाइल पर बतियाते देख किसी को उस पर संदेह नहीं हुआ. ससुराल वाले यही समझते रहे कि वह अपने मांबाप की लाडली बेटी है उन्हीं से बतियाती होगी.

इत्तफाक से एक दिन मालती के पति सोनू की देर रात अचानक नींद टूट गई, तब उस ने उसे किसी पुरुष से खिलखिला कर हंसते हुए वीडियो कालिंग पर बात करते हुए देखा. इस से सोनू को मालती पर शक हो गया. उसे कतई उम्मीद नहीं थी कि शादी के बाद भी पत्नी का किसी अन्य पुरुष से चक्कर चल रहा होगा. काफी प्रयत्न करने पर सोनू को पता चला कि मालती का प्रेम प्रसंग मोहनगढ़ गांव के पवन से चल रहा है. इस जानकारी से सोनू को गहरा झटका लगा.

पूरी क्राइम कहानी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

21. आफरीन के प्यार में मनोहर के 8 टुकड़े

crime-story-mk

6 जून, 2023 को मनोहर लाल अपने घर वालों से झूठ बोल कर अपने साथ दोनों खच्चरों को ले कर घर से निकला था. मनोहर लाल ने आफरीन के घर जाने से पहले ही अपने दोनों खच्चरों को सलूनी नाले के पास छोड़ दिया. फिर वह आफरीन के घर चला गया. उस के बाद उन्होंने उसे फिर से समझाने की कोशिश की. लेकिन वह उन की एक भी बात मानने को तैयार न था.

उसी से तंग आ कर उन्होंने उसे घर में ही डंडों से बुरी तरह से मारापीटा. जब मनोहर लाल बेहोश हो गया तो उन्होंने उस की हत्या कर दी. उस के बाद उस की लाश को ठिकाने लगाने के लिए लकड़ी काटने वाली आरी से उसे 8 टुकड़ों में काट डाला. फिर उस के सभी टुकड़ों को 3 बोरियों में भर कर नाले में पानी के नीचे पत्थरों से दबा दिया.

पूरी क्राइम स्टोरी पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

22. अधेड़ उम्र का खूनी प्यार

manohar-kahaniyan-crime-story

ऐसे कब तक मिलतेजुलते दोनों? ज्यादा समय साथ बिताने के लिए सविता ने आशीष को रिश्ते में बांधने का फैसला किया. खुद तो आशीष के साथ सामाजिक तौर पर एक हो नहीं सकती थी, इसलिए उस ने अपनी 21 वर्षीय बेटी रवीना की शादी अपने प्रेमी आशीष के साथ करने की सोची. इस से दोनों आसानी से मिल सकते थे और सास दामाद का रिश्ता बनने के कारण कोई उन पर शक भी नहीं करता.

सविता अपने प्यार को पाने के लिए अपनी ही सगी बेटी को बलि का बकरा बनाने की सोच रही थी. आशीष भी उस की बेटी से शादी करने को तैयार था. तैयार होता भी क्यों नहीं, इस फैसले से उस के दोनों हाथों में लड्डू ही लड्डू होते. एक तरफ वह अपनी प्रेमिका से मजे लेता, वहीं दूसरी तरफ उस की बेटी के साथ भी मजे लेता. सविता ने बेटी की शादी की बात अपने पति और बेटी के सामने चलाई तो दोनों ने शादी करने से साफसाफ मना कर दिया.

पूरी Crime Story पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें.

23. वो कैसे बना 40 बच्चों का रेपिस्ट व सीरियल किलर?

serial-killer-crime-story-mk

रविंद्र को अपनी कामवासना शांत करने का यह तरीका अच्छा लगा. क्योंकि वह 2 हत्याएं कर चुका था और दोनों ही मामलों में वह सुरक्षित रहा, इस से उस के मन का डर निकल गया. इस के बाद वह कंझावला इलाके में एक बच्ची को बहलाफुसला कर सुनसान जगह पर ले गया और उस के साथ कुकर्म कर के उस की हत्या कर दी.

बच्चियों को देख कर जाग जाती थी कामकुंठा

वह कोई एक काम जम कर नहीं करता था. कभी गाड़ी पर हेल्परी का काम करता तो कभी बेलदारी करने लगता. नोएडा के सेक्टर-72 में वह एक बिल्डिंग में काम कर रहा था. वहां भी उस ने अपने साथ काम करने वाली महिला बेलदारों की 2 बच्चियों को अलगअलग समय पर अपनी हवस का शिकार बनाया. वह उन बच्चियों को चौकलेट दिलाने के लालच में गेहूं के खेत में ले गया था. वहीं पर उस ने उन की गला दबा कर हत्या कर दी थी.

पूरी hindi crime kahani पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

24. एक क्रूर औरत की काली करतूत

crime-story-hindi-mk

भाई ने पूछा कि वह गड्ढा क्यों खोद रही है तो उस ने कहा, ‘‘तू अंदर जा कर सो जा, मैं क्या कर रही हूं, इस बात पर ध्यान न दे.’’

शिवपूजन जा कर सो गया. अर्चना ने साढ़े 3 फुट गहरा गड्ढा खोद डाला. गड्ढा खोद कर अर्चना अंदर पहुंची तो देखा सुमिक्षा बेहोश पड़ी थी. दरअसल उस ने मैगी में नशीली दवा मिला दी थी, इसलिए मैगी खा कर सुमिक्षा बेहोश हो गई थी.

अर्चना ने बेहोश पड़ी सुमिक्षा के दोनों हाथ पीछे बांध कर मुंह और नाक में कपड़ा ठूंस दिया. इस के बाद ऊपर से पौलीथिन लपेट कर उसे उठाया और गड्ढे में लेटा कर ऊपर से 2 थैली नमक डाल कर गड्ढे को ढक दिया. नमक उस ने इसलिए डाला था, ताकि लाश जल्दी गल जाए.

पूरी crime story in hindi पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

25. भांजी को प्यार के जाल में फांसने वाला पुजारी

crime-kahani-hindi

एक दिन घर में थोड़ा ज्यादा झगड़ा हो गया. अप्सरा ऐसी बिफरी की मुझे और कार्तिक को गंदीगंदी गालियां देने लगी. कार्तिक को भी गुस्सा आ गया. उस ने अप्सरा पर हाथ उठा दिया. इस के बाद अप्सरा थाने चली गई और कार्तिक के खिलाफ तरहतरह के आरोप लगा कर शिकायत दर्ज करा दी. अप्सरा की सुंदरता देख कर पुलिस ने भी फटाफट मुकदमा दर्ज कर लिया और कार्तिक को गिरफ्तार कर के अदालत में पेश कर दिया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. इस के बाद अप्सरा अपनी मां के साथ चेन्नै से हैदराबाद चली गई.

करीब डेढ़ महीने बाद कार्तिक जमानत पर जेल से बाहर आया. जेल जाने से उस की नौकरी भी चली गई थी, जिस की वजह से वह भारी डिप्रेशन में आ गया. मां धनलक्ष्मी ने उसे बहुत समझाया, हिम्मत दी. पर अप्सरा ने उसे जिस तरह परेशान किया था, उस से वह इस हद तक टूट गया था कि वह इस हादसे से उबर नहीं पाया और जेल से बाहर आने के चौथे दिन उस ने फंदे से लटक कर आत्महत्या कर ली.

पूरी क्राइम कहानी हिंदी पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 2

प्रकाश से हो गया प्यार

इसी दौरान एक दिन मनीषा की पहचान छोटी हरदा में रहने वाले 26 साल के प्रकाश जाट से हुई तो वह रोज उस की दुकान पर आने लगा. 28 साल की गठीले बदन व तीखे नाकनक्श वाली मनीषा 2 बच्चों की मां होने के बाद भी कम उम्र की दिखती थी. तभी तो प्रकाश उसे चाहने लगा था.

एक दिन मौका देख कर प्रकाश ने अपने मन की बात मनीषा से कह दी, “भाभी, तुम कौन सी चक्की का आटा खाती हो, तुम्हारी खूबसूरती देख कर मन में लालच आ ही जाता है.”

“किस बात का लालच तुम्हारे मन में आ रहा है प्रकाश?” अपने हुस्न की तारीफ सुन कर इठलाते हुए मनीषा बोली.

“यही भाभी कि तुम्हारे जैसी लडक़ी मेरे सपनों की रानी होती और मैं उस के साथ…” प्रकाश दिल खोल कर बोला.

“उस के साथ क्या करते…” मनीषा भी शरमाते हुए बोली.

“भाभी, दिल करता है तुम्हें बाहों में भर कर चूम लूं.” बिना लागलपेट के प्रकाश ने मनीषा से कहा.

“कभी तुम्हारी ये हसरत भी पूरी कर दूंगी.” मनीषा ने अपनी तरफ से इजहार करते हुए कहा.

उस के बाद दुकान पर कोई ग्राहक आ गया तो प्रकाश वहां से चला गया, लेकिन इस के बाद तो प्रकाश रातदिन मनीषा के सपनों में ही खोया रहता. बातचीत से शुरू हुआ प्यार का सिलसिला धीरेधीरे अंतरंग मुलाकात में बदल गया. राजेश के घर पर नहीं रहने पर प्रकाश का मनीषा के घर पर भी आनाजाना शुरू हो गया और उन के बीच अवैध संबंध भी बन गए.

पत्नी के किसी गैरमर्द से चल रहे प्रेम प्रसंग की जानकारी राजेश राजपूत को भी हो गई. इस बात को ले कर दोनों के बीच विवाद होने लगा. प्रकाश के प्यार में अंधी हो कर मनीषा अपने पति राजेश और दोनों बच्चों तक को छोडऩे के लिए तैयार हो गई. राजेश अपने बच्चों के भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगा. उस ने परिवार को टूटने से बचाने के लिए प्रकाश और मनीषा को समझाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वे समझने को तैयार ही नहीं थे.

मनीषा राजेश से तलाक मांगने लगी, लेकिन राजेश बच्चों की खातिर उसे तलाक नहीं देना चाहता था. तलाक नहीं देने से नाराज प्रकाश और मनीषा ने राजेश की हत्या करने का प्लान बनाया. इस के लिए उन्होंने अपने 3 दोस्तों को इस में शामिल किया और 50 हजार रुपए में राजेश की हत्या की सुपारी दे दी.

अक्तूबर, 2018 में उन दिनों शारदीय नवरात्रि पर्व की धूम हरदा में मची हुई थी. 12 अक्तूबर, 2018 को हरदा में गरबा का कार्यक्रम था. उसी दिन शाम को मनीषा ने अपनी देवरानी आरती को फोन कर के कहा, “आरती, आज बच्चों को ले कर गरबा देखने चलना है, तुम यहीं आ जाना, हम लोगों को राजेश कार से छोड़ देंगे.”

“हां दीदी, मैं 7 बजे तक आप के घर बच्चों को ले कर पहुंच जाऊंगी.” आरती बोली.

उसी दिन शाम 7 बजे राजेश का भाई सुरेंद्र अपनी पत्नी और बच्चों को बाइक से राजेश के घर छोड़ कर खुद गरबा कार्यक्रम में चला गया. कुछ समय बाद राजेश मनीषा, आरती और बच्चों को गरबा कार्यक्रम में छोड़ कर घर लौट आया.

रात के लगभग 9 बजे मनीषा ने सुरेंद्र को बताया, “सुरेंद्र भैया मुझे घर छोड़ दीजिए, भैया का फोन आया है उन्हें घर पर अच्छा नहीं लग रहा.”

सुरेंद्र ने उसी समय अपने दोस्त सुरेंद्र चौहान के साथ भाभी मनीषा को उस के घर भेज दिया.

प्रेमी के साथ बनाई योजना

घर जा कर मनीषा प्रकाश को फोन कर के राजेश का काम तमाम करने की योजना में लग गई. इसी बीच रात के 11 बजे राजेश की बेटी प्रियांशी भी अपने चाचा के साथ गरबा कार्यक्रम से वापस घर आ गई तो मनीषा उसे ऊपर के कमरे में ले गई.

रात के करीब 12 बजे प्रकाश जाट अपने 3 दोस्तों के साथ राजेश के घर पहुंचा. यहां मनीषा ने प्लानिंग के अनुसार पहले से ही दरवाजा खुला रखा था. मनीषा अपने 6 साल के बेटे और 10 साल की बेटी को लेकर ऊपर के कमरे में चली गई थी. उस समय राजेश अपने डेली कलेक्शन का हिसाब बनाने में लगा हुआ था. प्रकाश जाट और उस के साथियों ने भीतर घुसते ही कमरे में बैठे राजेश पर हमला कर दिया. अपने साथ दरांती ले कर आए बदमाशों ने राजेश का गला रेत दिया. कुछ ही देर में तड़पतड़प कर राजेश ने दम तोड़ दिया.

राजेश का घर एकांत में होने और आधी रात होने से लोगों को मर्डर की भनक नहीं लग पाई. दोनों बच्चों ने मारपीट की आवाज सुन कर अपनी मां मनीषा को नीचे चलने को कहा. नीचे 10 साल की बेटी ने प्रकाश को घर से निकलते समय पहचान लिया.

रात करीब एक बजे मनीषा ने देवर नरेंद्र और सुरेंद्र को काल कर रोतेबिलखते हुए बताया, “भैया, जल्दी से घर आ जाओ. 4 नकाबपोश बदमाश राजेश की हत्या कर भाग गए हैं.”

राजेश के दोनों भाई नरेंद्र और सुरेंद्र यह खबर सुनते ही अपने परिवार सहित राजेश के घर पहुंचे. राजेश लहूलुहान औंधे मुंह पड़ा हुआ था. राजेश की हालत देख कर उस के पिता रामरज गश खा कर गिर पड़े. सुरेंद्र उन्हें ले कर अस्पताल चला गया. इस के बाद नरेंद्र ने घटना की सूचना पुलिस को दी.

हरदा पुलिस की टीम ने मौके पर पहुंच कर जांचपड़ताल की. पुलिस ने जब मामले की पड़ताल की तो पता चला कि मनीषा और प्रकाश के अवैध संबंध की वजह से राजेश की हत्या की गई है. 9 साल की नाबालिग बेटी प्रियांशी ने प्रकाश अंकल द्वारा पिता को पीटने की बात बताई थी. इस के बाद पुलिस ने मोबाइल रिकौर्डिंग और काल डिटेल्स निकाली, जिस में पूरी कहानी समझ आ गई.

पुलिस को मिला एक खास औडियो

पुलिस की जांचपड़ताल में यह बात सामने आई कि पिछले कुछ सालों से मनीषा और प्रकाश के बीच प्रेम प्रसंग चल रहा था. पुलिस को 8 मिनट 57 सेकंड का एक औडियो राजेश के मोबाइल फोन में मिला, जिस में राजेश ने प्रकाश को फोन कर के समझाया था. राजेश ने एक दिन प्रकाश को फोन कर के कहा, “राजेश बोल रहा हूं भाई साहब.”

“हां बोलो…” बेरुखी से जबाब देते हुए प्रकाश बोला.

“संडे के रोज आप ने मेरी मिसेज को काल किया था?”

“हां तो… मेरी मनु ( मनीषा) से बात होती है.”

“बात होती रहती है तो आखिर क्या चाहते हो आप, मेरा घर बरबाद क्यों कर रहे हो?”

“हां तो आप को सब बता दिया होगा मनु ने, मेरे पास आप के और उस लडक़ी के वीडियो हैं.” प्रकाश बोला.

“अच्छा तो मेरे वीडियो हैं तो क्या वायरल करना है उन को.”

“मैं वायरल क्यों करूंगा, करना होता तो कब का कर देता. मेरा कोई ऐसा शौक नहीं है, मैं नहीं कर सकता, मेरे पास बहुत पहले से हैं.”

“करो वायरल, मुझे भी पता चले कि मेरा सही में वीडियो है या तुम ब्लैकमल कर रहे हो.” राजेश ने कुरेदते हुए कहा.

“जिस दिन मजबूर हो जाऊंगा, उस दिन वायरल भी कर दूंगा, अभी मैं मजबूर नहीं हूं. मेरी बात मान लो और मनु मुझे दे दो.” प्रकाश ने दोटूक राजेश से कहा.

“तुम को मनु दे दूं तो मेरे बच्चों का क्या होगा, उन्हें किस के भरोसे छोड़ दूं?”

“आप ने किसी दूसरी लडक़ी से रिलेशन बनाने के पहले नहीं सोचा कि 2 बच्चे हैं, पहले सोच लेते तो ये दिन नहीं आते.”

“किस बात का सोचता, किस ने कहा मेरे किसी से रिलेशन हैं. तुम मुझे बेमतलब बदनाम करने पर तुले हुए हो.”

“तुम 5 साल से रिलेशन में हो, मनु से दूरदूर रहना. सारी रिकौर्डिंग है मेरे पास, मनु के सामने आप ने एक्सेप्ट किया था.”

“मैं ने किसी के सामने कुछ एक्सेप्ट नहीं किया, हम सब राजी और मरजी से रह रहे हैं. मेरा किसी से कोई रिलेशन नहीं है, फालतू बात मत करो, मनु को क्यों दे दूं तुम को, अपनी मिसेज को क्यों दे दूं, तुम को मेरे परिवार से क्या लेनादेना है.” गुस्से में तमतमाते हुए राजेश बोला.

“मनु कह देगी तो मान लूंगा, मेरा कोई लेनादेना नहीं है. मेरे चक्कर में तुम उसे मारते हो, मुझे नहीं पता है क्या, कबकब मारा, सब पता है मुझे. इतना लिख कर ले लेना, वो मेरे बिना जी नहीं पाएगी.” प्रकाश बोला.

“अपने परिवार में मैं क्या कर रहा हूं, तुम को आखिर लेनादेना क्या है.”

“मनु नहीं जी पाएगी, यदि उसे कुछ हो गया तो आप भी इस दुनिया में नहीं रहोगे. तू जो मेरी सुपारी दे रहा है न भाई, मुझे सब पता है, तू मुझे मरवाएगा.” प्रकाश ने इल्जाम लगाते हुए कहा.

“तू जबरन मनगढ़ंत बातें बना रहा है, मैं किसे तेरी सुपारी दे रहा हूं, जबरदस्ती की बात कर रहा है. मुझे तो आज मनीषा ने कहा प्रकाश मेरे पीछे लगा हुआ है, मेरे चक्कर काट रहा है, मैं क्या करूं.”

“अच्छा बात करवाओ उस से, करो स्पीकर चालू. मनु ऐसा बोल दे तो मैं कभी मुंह नहीं दिखाऊंगा. उस से पूछ लो, मुझ से प्यार नहीं करती है तो मैं बिलकुल अब नहीं आऊंगा.” प्रकाश ने विश्वास भरे शब्दों में कहा.

“फालतू बात मत कर, ले तू मेरी मिसेज से बात कर.” फोन मनीषा को देते हुए राजेश ने कहा.

“ये क्या बोल रहा है, मैं तेरा पीछा करता हूं? क्या करना है मुझे बता दो, आ रही है मेरे साथ?” प्रकाश ने मनीषा से पूछा.

“उस लडक़ी ने तुम को खुद ही बताया था कि नहीं, तुम्हारे पास उस के वीडियो हैं.” मनीषा फोन पर प्रकाश से बोली.

“तू अपनी बात कर, तुझे उस के साथ रहना है क्या? जमाने भर के उल्टेसीधे सवाल करने की जरूरत क्या है, जबकि ऐसा कुछ है ही नहीं.” राजेश ने झल्ला कर कहा.

“मुझे तो रहना है न तुम्हारे साथ, वो खुद मना कर देगी कि उसे तुम्हारे साथ नहीं रहना है. क्या करना है बोलो, चुप रहने से कुछ होने वाला नहीं है. क्या करना है, मेरे साथ रहना है कि उस के साथ रहना है?” प्रकाश ने मनीषा से कहा.

“मुझे जो कहना था, सब कह दिया. सब कुछ उन्हें बता दिया है कि मुझे प्रकाश के साथ रहना है. मैं तुम्हारे घर गई, वह बात भी मैं ने उन्हें बता दी. एक बात नहीं छिपाई. हमारे बीच शुरू से ले कर अब तक की हर बात बताई है मैं ने.” मनीषा बोली.

“हां, मेरे घर पर 4 बार आई. उसे कह दो हम दोनों खड़े हो जाते हैं वह दोनों को गोली मार दे. साथ में नहीं जीने देगा न तो दोनों को मार दे, हम अपनी इच्छा से मरने के लिए तैयार हैं.” प्रकाश गुस्से में बोला.

“अच्छा है न, ये लो खुद ही बात कर लो,” इतना कह कर मनीषा ने मोबाइल राजेश को दे दिया.

“हां, मुझे कंफर्म हो गया. मैं अब अपनी मिसेज से बात कर लूं, उस के बाद ही आगे की बात करूंगा. तूने मेरी मिसेज को क्यों फंसाया. मेरे घर पर तुझे ताकझांक करने की क्या जरूरत थी? मैं तेरे घर ताकझांक करने गया था क्या?” यह बोल कर राजेश ने फोन डिसकनेक्ट कर दिया.

बेटी बनी गवाह : मां को मिली सजा – भाग 1

19 मई, 2023 को मध्य प्रदेश के हरदा जिले के विशेष सत्र न्यायालय में गहमागहमी कुछ ज्यादा ही थी. न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी की अदालत में 2018 में हुए बहुचर्चित राजेश राजपूत हत्याकांड का फैसला आने वाला था. पूरे अदालत परिसर में पुलिस और वकीलों की भीड़ दिखाई दे रही थी. मीडिया के लोग भी पलपल का अपडेट लेते नजर आ रहे थे.

न्यायाधीश ने जैसे ही कोर्टरूम में प्रवेश किया तो लोगों ने खड़े हो कर उन्हें सम्मान दिया. न्यायाधीश ने लोगों को बैठने का इशारा करते हुए कुरसी पर बैठते ही आदेश दिया, “अदालत की काररवाई शुरू की जाए.”

न्यायाधीश का आदेश पाते ही सरकारी वकील आशाराम रोहित ने खड़े हो कर अपनी दलील देते हुए कहा, “मी लार्ड, मैं अदालत में अब तक 20 गवाहों को पेश कर चुका हूं, जिन के बयानों से साफ जाहिर है कि कटघरे में जो प्रकाश जाट नाम का शख्स खड़ा है, उस ने ही राजेश राजपूत का मर्डर किया है. राजेश की पत्नी मनीषा द्वारा ही अपने साथियों गोलू, पवन, छोटू की मदद से राजेश की निर्मम तरीके से हत्या की गई है.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, मेरे मुवक्किल को झूठा फंसाया जा रहा है. राजेश की हत्या प्रकाश, मनीषा और उस के साथियों ने नहीं की है, बल्कि परिवार के लोगों को मनीषा को जमीनजायदाद में हिस्सा न देना पड़े, इसलिए यह झूठी कहानी गढ़ी गई है.” बचाव पक्ष के वकील ने अदालत को भरोसा दिलाते हुए कहा.

“मी लार्ड, मेरे पास इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि राजेश राजपूत का मर्डर प्रकाश और उस के साथियों ने मनीषा के कहने पर किया,” सरकारी वकील आशाराम रोहित ने आत्मविश्वास के साथ कहा.

“अदालत का वक्त जाया न करें. आप के पास जो भी सबूत हैं, अदालत में पेश किए जाएं.” न्यायाधीश ने आदेश दिया.

“मी लार्ड, मैं इस केस के एक अहम गवाह को अदालत में पेश करने की अनुमति चाहता हूं.” फरियादी की ओर से पैरवी कर रहे एक और वकील अखिलेश भाटी ने दरख्वास्त करते हुए कहा.

“इजाजत है.” न्यायाधीश ने कहा.

“मी लार्ड, मैं राजेश और मनीषा की बेटी प्रियांशी को गवाही के लिए हाजिर करना चाहता हूं.”

“इजाजत है.”

कुछ ही देर में 15 साल की प्रियांशी गवाही देने अदालत में खड़ी हुई तो वकील अखिलेश भाटी ने उस से सवाल किया, “जिस दिन तुम्हारे पापा का मर्डर हुआ था,उस वक्त तुम क्या कर रही थी और तुम ने क्या देखा?”

“जी सर ,उस दिन मैं मम्मी के साथ ऊपर के कमरे में गई थी. उस समय मम्मी फोन पर किसी से बात कर रहीं थीं, तभी मैं ने नीचे उतर कर देखा तो 2 लोग मेरे पापा के कमरे से बाहर निकल रहे थे, उन में से एक प्रकाश अंकल भी थे. मैं ने पापा के कमरे में जा कर देखा तो पापा खून से लथपथ पड़े हुए थे, उन की गरदन पर किसी धारदार हथियार के निशान साफ दिख रहे थे. उसी समय मैं ने मम्मी को आवाज दे कर नीचे बुलाया था.”

“आब्जेक्शन मी लार्ड, प्रियांशी तब हमेशा 10 बजे तक सो जाया करती थी. घटना के समय 10 साल की बच्ची रात 11 बजे तक जाग रही थी, यह सरासर झूठ है.” बचाव पक्ष के वकील ने दलील पेश करते हुए कहा.

“सर, जिस दिन मेरे पापा का मर्डर हुआ,उस दिन मैं चाचा, चाची और मम्मी के साथ गरबा नृत्य देखने गई थी. मम्मी कुछ ही देर में मुझे ले कर घर आ गई थी. उस समय रात के करीब 11 बजे होंगे, मम्मी मुझे ऊपर के कमरे में ले गईं. वहां कपड़े बदल कर मैं सोने के लिए नीचे के कमरे में आई तो देखा पापा का किसी ने मर्डर कर दिया है.” प्रियांशी ने जबाव देते हुए कहा.

“क्या तुम यकीन के साथ कह रही हो कि 2 लोगों में से एक प्रकाश अंकल ही थे?” सरकारी वकील ने पूछा.

“हां, मैं ने उन्हें अच्छी तरह से देखा था, मैं उन्हें कैसे भूल सकती हूं, वो अकसर हमारे घर आया करते थे.” प्रकाश जाट की तरफ अंगुली दिखाते हुए प्रियांशी बोली.

“मी लार्ड, प्रियांशी को अदालत सिखापढ़ा कर लाया गया है. यह अभी नादान है और किसी ने डराधमका कर इस तरह के बयान देने को राजी किया है.” बचाव पक्ष के वकील ने आपत्ति जताते हुए न्यायालय को बताया.

“सर, मैं जो भी कह रही हूं, वह बिना डर के कह रही हूं. मेरी मम्मी पापा का मर्डर करवा सकती है तो मेरा भी करवा देगी. लेकिन हकीकत यही है कि मम्मी के कहने पर ही प्रकाश अंकल ने मेरे पापा का मर्डर किया है.” प्रियांशी ने निर्भीक हो कर बोली.

“मी लार्ड, मैं अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि राजेश की हत्या के मुलजिमों को कड़ी से कड़ी सजा दी जाए.” सरकारी वकील आशाराम रोहित इतना कह कर अपने स्थान पर बैठ गए.

प्रेमीप्रेमिका को मिली सजा

दोनों पक्षों की जोरदार बहस को कोर्ट में मौजूद सभी लोग बड़े गौर देख रहे थे. दोनों ओर की दलीलों को गौर से सुनने के बाद अब फैसले की बारी थी. अदालत में मौजूद सभी की नजरें न्यायाधीश की ओर टिकी हुई थीं. कुछ समय बाद न्यायाधीश अनूप कुमार त्रिपाठी ने अपना फैसला सुनाते हुए कहा, “तमाम गवाहों और सबूतों को मद्देनजर रखते हुए यह अदालत इस नतीजे पर पहुंची है कि राजेश राजपूत की हत्या प्रकाश जाट ने राजेश की पत्नी मनीषा की सहमति से की है.

“अदालत मनीषा राजपूत और प्रकाश उर्फ पीपी को भादंवि की धारा 302 में दोष सिद्ध पाते हुए सश्रम आजीवन कारावास और 2-2 हजार का जुरमाना और धारा 201 में दोषी पाते हुए दोनों आरोपियों को 3-3 वर्ष का सश्रम कारावास और एकएक हजार रुपए के जुरमाने की सजा सुनाती है. साथ ही 3 अन्य आरोपियों गोलू उर्फ रामकृष्ण शर्मा, छोटू उर्फ ब्रजेश ठाकुर, पवन उर्फ पप्पू गिरी निवासी मातगौर बागली के खिलाफ कोई पुख्ता सबूत न होने की वजह से उन्हें बाइज्जत बरी करती है.”

कोर्ट का फैसला आने के बाद वहां मौजूद पुलिसकर्मियों ने मुजरिम प्रकाश जाट और मनीषा राजपूत को हिरासत में ले लिया.  राजेश राजपूत कौन था और उस की हत्या किस वजह से हुई, इस की असली कहानी आज से साढ़े 4 साल पहले से शुरू होती है.

मध्य प्रदेश के जिला हरदा के प्रताप कालोनी में रहने वाले रामरज राजपूत अपने पुश्तैनी घर में अपनी पत्नी और 3 बेटों राजेश, सुरेंद्र और नरेंद्र के साथ रहते थे. अप्रैल 2008 में राजेश की अरेंज मैरिज हरदा के ही कस्बा टिमरनी के पास स्थित लछोरा गांव की रहने वाली मनीषा राजपूत से हुई थी.

राजेश पोस्ट औफिस में कलेक्शन एजेंट का काम किया करता था और पिता रामरज सिंह राजपूत अपनी जूतेचप्पल की दुकान पर बैठते थे. सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. राजेश की शादी के एक साल बाद 10 अप्रैल, 2009 को मनीषा ने प्रियांशी को जन्म दिया. 3 साल बाद 8 अक्तूबर, 2012 को मनीषा ने एक बेटे को जन्म दिया. इसी बीच राजेश के दोनों भाइयों की भी शादी हो गई.

भाइयों की शादी के कुछ समय बाद भाभी मनीषा का व्यवहार बदलने लगा. वह अपने पति राजेश पर शक करती थी कि उस का किसी महिला से अफेयर चल रहा है. इस बात को ले कर घर में कलह होने लगी और इस कलह का शिकार पूरा परिवार हो रहा था. मनीषा गुस्से में आ कर अपने देवरों से तो विवाद करती ही थी, किसी न किसी बात पर सासससुर को भी भलाबुरा बोलने लगी.

जब विवाद बढऩे लगा तो राजेश के पिता ने 2016 में अपना पुश्तैनी घर बेच दिया और इस के बाद तीनों भाई अलगअलग रहने लगे. राजेश ने गायत्री मंदिर के पास अपना खुद का घर बना लिया, मातापिता भी उस के पास ही रहने लगे. राजेश ने पिता की बैठक व्यवस्था के लिए घर पर ही किराने की दुकान खोल दी. वक्त गुजरने के साथ धीरेधीरे मनीषा सासससुर को भी परेशान करने लगी. इस से परेशान हो कर रामरज पत्नी के साथ अपने छोटे बेटे नरेंद्र के पास जा कर रहने लगे और मनीषा खुद किराने की दुकान पर बैठने लगी.

दूसरी बीवी का खूनी खेल – भाग 3

टेलर से बात करने के बाद पुलिस टीम नूरपूर बेहटा गांव पहुंच गई. वहां पता चला कि कल्लू का दूसरा नाम संतोष है. घर पर सब उसे कल्लू कहते थे. घर पर संतोष की पत्नी और पिता मिले. घर वालों को जैसे ही पता लगा कि संतोष का मर्डर हो गया है तो घर में कोहराम मच गया. सभी रोने लगे.

उस की पत्नी राजकुमारी ने सीधे आरोप लगाया कि उन की हत्या में रिंकी तिवारी और रिंकू मिश्रा का हाथ है. बाद में घर वाले भी मोर्चरी पहुंच गए. वहां राजकुमारी ने लाश की पहचान अपने पति संतोष उर्फ कल्लू के रूप में की.

चूंकि राजकुमारी ने पति की हत्या का आरोप रिंकू मिश्रा और रिंकी पर लगाया था, इसलिए लाश की शिनाख्त होने के बाद पुलिस ने उन्हें तलाशना शुरू कर दिया. एक सप्ताह की कड़ी मशक्कत के बाद पुलिस ने रिंकी तिवारी और रिंकू मिश्रा को हिरासत में ले लिया.

थाने ला कर जब उन से संतोष कुमार उर्फ कल्लू की हत्या के बारे में पूछताछ की गई तो उन्होंने आसानी से अपना जुर्म कुबूल कर लिया. उन्होंने संतोष की हत्या की जो कहानी बताई, वह रिश्तों की मर्यादा को तारतार करती नजर आई.

उम्र में दो गुने बड़े संतोष के साथ पतिपत्नी के संबंध निभाते रिंकी को यह पता चल चुका था कि संतोष के पास अब बहुत पैसा नहीं है. उस ने जिस मकसद से उस के साथ शादी की थी, वह मकसद उसे पूरा होता नजर नहीं आ रहा था. इसलिए वह धीरेधीरे संतोष से किनारा करने लगी थी. संतोष के प्रति उस की दिलचस्पी भी खत्म हो चुकी थी.

इस के अलावा रिंकू ने संतोष से एक लाख 60 हजार रुपए उधार लिए थे. संतोष ने जब उस से अपने पैसे मांगे तो वह पैसे लौटाने में आनाकानी करने लगा था. लगातार तकाजा करने से रिंकू भी परेशान रहने लगा था.  इसी बीच रिंकू और रिंकी के बीच अवैध संबंध भी बन चुके थे. इस बात की भनक संतोष को लग चुकी थी. इसलिए संतोष ने रिंकू से कह दिया था कि उस के पैसे लौटाने के बाद वह ढाबा छोड़ कर चला जाए.

वहीं दूसरी तरफ रिंकी और रिंकू अपनी अलग योजना बना चुके थे. रिंकी ने रिंकू से कहा, ‘‘संतोष, अब तुम से अपने पैसे मांग रहा है. इस से बचने का एक ही रास्ता है कि उसे रास्ते से हटा दिया जाए.’’

‘‘पर तुम ने तो उस के साथ शादी की है.’’ रिंकू बोला.

‘‘मुझे क्या पता था कि वह कंगाल हो चुका है. मैं ने तो सुना था कि वह 50-60 लाख का आदमी है. रिंकू तुम्हें पता नहीं, अब वह हमारे ऊपर शक भी करने लगा है. उस ने मेरी नाक में दम कर रखा है. मैं उस से अब बहुत परेशान हो गई हूं.’’

‘‘कोई बात नहीं, हम उसे रास्ते से ही हटा देते हैं.’’ इतना कह कर रिंकू ने उसे अपनी बांहों में भर लिया.

योजना के मुताबिक 17 मार्च, 2014 की रात को रिंकू और संतोष ने साथ बैठ कर शराब पी. जब संतोष काफी नशे में हो गया तो रिंकू और रिंकी उसे लखनऊ-फैजाबाद रोड पर एक अधबने मकान में ले गए और रिंकू ने धक्का दे कर संतोष को गिरा दिया. ज्यादा नशे में होने की वजह से वह विरोध भी नहीं कर सका.  उस के गिरते ही रिंकू उस के ऊपर चढ़ कर बैठ गया. उसी दौरान रिंकू ने मौजे से संतोष का गला घोंट दिया. उस की हत्या करने के बाद दोनों वहां से भाग निकले.

दोनों को पता था कि पुलिस लाश की शिनाख्त नहीं कर पाएगी. ऐसे में वह लोग बच जाएंगे लेकिन कमीज पर लगे लेवल के सहारे पुलिस हत्या के इस मामले को सुलझाने में सफल हो गई. दोनों अभियुक्तों से पूछताछ के बाद पुलिस ने उन्हें न्यायालय में पेश किया जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

शहरी चकाचौंध में फंस कर संतोष ने अपना घरपरिवार और खेती छोड़ कर शहर में रहना शुरू किया. यही चकाचौंध और बीवी से की गई बेवफाई उस की जान की दुश्मन बनी.

जेल जाते समय रिंकी और रिंकू खुद को बेकुसूर बता रहे थे. उन की सच्चाई को परखने का काम अदालत करेगी. जो लोग शहर की चकाचौंध देख कर, शहर की तरफ भागते हैं उन्हें देखना चाहिए कि शहरी आकर्षण में कुछ बुराइयां भी हैं.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

दूसरी बीवी का खूनी खेल – भाग 2

ढाबे से आमदनी बढ़ी तो संतोष की फिजूलखर्ची भी बढ़ गई. वह अपनी आमदनी का ज्यादातर हिस्सा दोस्तों के साथ शराब पीने आदि पर खर्च करने लगा. यानी उस का हाल आमदनी अठन्नी, खर्चा रुपैया वाली हो गई थी.

जितना वो कमाता नहीं था, उस से ज्यादा खर्च कर देता था. धंधे में व्यस्त होने की वजह से उस का गांव में आनाजाना भी कम हो गया था. वह कभीकभी ही गांव जाता था. उस ने गांव से अपना रिश्ता लगभग तोड़ सा लिया था. वह केवल पैसे लेने के लिए ही गांव जाता था.

श्याम का एक दोस्त था रिंकू मिश्रा, जो जानकीपुरम में रहता था. वह भी पहले श्याम के साथ ही ढाबे पर काम करता था. श्याम किसी वजह से उस का ढाबा छोड़ कर कहीं चला गया तो संतोष के सामने ढाबा चलाने की समस्या खड़ी हो गई. क्योंकि वह खाना बनाना नहीं जानता था. इसलिए उस ने रिंकू मिश्रा को बुला लिया. रिंकू ढाबा चलाने में संतोष का सहयोगी बन गया. दोनों को ही शराब पीने की आदत थी. ऐसे में उन की जोड़ी जम गई.

पत्नी से दूर रहने की वजह से संतोष का मन औरत के लिए बेचैन रहता था. उस के मन में जवानी की उमंगें हिलोरें मारने लगी थीं. चूंकि संतोष खूब बनठन कर रहता था इसलिए रिंकू उसे बहुत पैसे वाला समझता था. रिंकू उस के पैसे से खुद भी मजे करना चाहता था और संतोष को भी कराना चाहता था. संतोष ने मन की बात रिंकू को बताई तो वह संतोष को देहधंधा करने वाली औरतों के पास ले जाने लगा. दोनों ही वहां मस्ती करते.

एक दिन संतोष ने रिंकू से कहा, ‘‘रिंकू भाई, सही कहूं तो इन औरतों के पास आने से तन की प्यास तो बुझ जाती है. पर मन में कोई सुख महसूस नहीं होता. हो सके तो कोई परमानेंट इंतजाम करो.’’

‘‘ठीक है संतोष भाई, मैं तुम्हारे लिए कोई परमानेंट इंतजाम करता हूं.’’ रिंकू ने उसे भरोसा दिलाया.

संतोष के ढाबे पर रिंकी तिवारी नाम की एक युवती आती थी. वह काकोरी गांव की रहने वाली थी. उस की शादी हरदोई के रहने वाले प्रेम कुमार के साथ हुई थी. लेकिन शादी के कुछ साल के अंदर ही उस का अपने पति से झगड़ा हो गया तो वह वापस मायके आ गई. वह लखनऊ आतीजाती रहती थी. इसी दौरान रिंकी की मुलाकात रिंकू हुई.

रिंकी कुछ दिन रिंकू के जानकीपुरम स्थित मकान में किराएदार के रूप में भी रही. रिंकू ने रिंकी को संतोष के बारे में बताया. रिंकी भी चाहती थी कि वह किसी पैसे वाले के साथ बंधे. एक दिन रिंकू ने एकांत में रिंकी की मुलाकात संतोष से करा दी. 40 साल का संतोष 22 साल की रिंकी से मिल कर बहुत खुश हुआ. चूंकि दोनों को ही एकदूसरे के साथ की जरूरत थी. इसलिए बहुत जल्द ही उन के बीच दोस्ती हो गई.

रिंकी को मर्दों की कमजोरी का पता था. वह संतोष के करीब जाने से पहले उसे अच्छी तरह से तौल लेना चाहती थी. कई बार संतोष ने उस के करीब जाने की कोशिश की तो रिंकी ने अपने मन की बात बताते हुए कहा, ‘‘संतोष, मैं तुम्हें प्यार करती हूं, मैं भी तुम को पाना चाहती हूं. पर मेरी इच्छा है कि पहले हम शादी कर लें. जिस से मुझे तुम्हारे सामने शर्मिंदा न होना पड़े.’’

रिंकी की बात संतोष को समझ आ गई. वह इस के लिए तैयार हो गया. उस ने सोचा कि राजकुमारी गांव में बच्चों को देखभाल करती रहेगी और रिंकी उस के साथ लखनऊ में रहेगी. वह रिंकी से बोला, ‘‘हम लोग कोई अच्छा सा समय देख कर शादी कर लेते हैं.’’

रिंकी भी यही चाहती थी. दोनों ने एक मंदिर में जा कर शादी कर ली. फिर रिंकी उस के साथ ही रहने लगी.

रिंकी से शादी करने की बात ज्यादा दिनों तक छिपी न रह सकी. कुछ दिनों में इस की जानकारी उस के घर वालों को भी हो गई. गांव में रह रही संतोष की पत्नी राजकुमारी को जब पता चला कि पति ने शहर में दूसरी शादी कर ली है, तो उसे बहुत दुख हुआ. मगर अब उस के सामने आंसू बहाने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं बचा था. क्योंकि परिजनों के कहने के बाद भी वह रिंकी को छोड़ने को तैयार नहीं था. इस तरह एक तरफ शहर में रह कर संतोष मौजमस्ती करता रहा और दूसरी तरफ गांव में बैठी उस की ब्याहता अपनी किस्मत पर आंसू बहाती रही थी.

इसी दौरान 18 मार्च, 2014 को थाना गाजीपुर के इस्माइलगंज में लखनऊ-फैजाबाद राजमार्ग पर केटीएल वर्कशाप के पास एक अधबने मकान में एक आदमी की लाश पड़ी होने की सूचना मिली. खबर पाते ही थानाप्रभारी नोवेंद्र सिंह सिरोही, एसएसआई आर.आर. कुशवाह और कुछ सिपाहियों के साथ वहां पहुंच गए.

लाश एक 40-45 साल के आदमी की थी. उस के शरीर पर कोई घाव वगैरह नहीं था. थाना प्रभारी ने वहां मौजूद लोगों से लाश की शिनाख्त करानी चाही, लेकिन कोई भी उसे न पहचान सका. तब पुलिस ने पंचनामा तैयार कर के लाश पोस्टमार्टम के लिए भेज दी और अज्ञात लोगों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज कर लिया.

2 दिन बाद लाश की पोस्टमार्टम रिपोर्ट आई तो उस में मृतक के मरने की वजह श्वांस नली दबाने से होता बताया गया. यानी उस की हत्या गला दबा कर की गई थी. उस के पेट में एल्कोहल भी पाया गया.

थाना प्रभारी नोवेंद्र सिंह ने हत्या के इस मामले की जांच करनी शुरू कर दी. लेकिन उन के सामने सब से बड़ी समस्या लाश की शिनाख्त की थी. अभी तक उन्हें यह पता नहीं लग सका था कि वह लाश किस की थी? थानाप्रभारी ने लाश मिलने की सूचना एसपी ट्रांसगोमती हबीबुल हसन, सीओ गाजीपुर विशाल पांडेय और लखनऊ के एसएसपी प्रवीण कुमार को भी दे दी थी.

लाश के पास से ऐसा कोई सुराग नहीं मिला था जिस के सहारे जांच आगे बढ़ सके. वह आदमी जो कपड़े पहने था, थानाप्रभारी ने उन की गंभीरता से जांच की तो उन्हें उस की कमीज पर टेलर का नाम दिखा. कमीज पर लगे लेबल पर टेलर का नाम ‘न्यू फैंसी टेलर गोसाईंगंज’ लिखा था. लखनऊ के आसपास के जिलों में गोसाईंगंज नाम के 3 बाजार हैं. पहला लखनऊ जिले में है, दूसरा सुल्तानपुर में और तीसरा फैजाबाद जिले में है.

थानाप्रभारी ने इन बाजारों में ‘न्यू फैंसी टेलर’ का पता लगाना शुरू किया. लखनऊ जिले के गोसाईंगंज बाजार में पुलिस ‘न्यू फैंसी टेलर’ नाम के दरजी की दुकान पर पहुंची. पता चला वह दुकान बहुत पुरानी है. उस दरजी ने शर्ट देखते ही बता दिया कि वह लेबल उस के यहां का नहीं है.

इस के बाद पुलिस गाजीपुर पहुंची. वहां रूप कुमार नाम का टेलर मिला. उस ने शर्ट देखते ही बता दिया, ‘‘साहब, यह तो कल्लू भाई की शर्ट है.’’

रूप कुमार कल्लू को अच्छी तरह से जानता था, इसलिए वह बोला, ‘‘साहब, मुझे याद है कि इस शर्ट का कपड़ा वह लखनऊ के किसी मौल से लाए थे.’’

पुलिस ने जब उस से कल्लू भाई का पता मालूम लिया तो टेलर ने बता दिया कि वह यहीं के नूरपुर बेहटा गांव में रहते हैं. पहले वह यहीं रहते थे लेकिन कुछ दिनों से वह लखनऊ जा कर रहने लगे थे. वैसे गांव में उन के मातापिता वगैरह रहते हैं.

दूसरी बीवी का खूनी खेल – भाग 1

‘‘बाबूजी, आप की पूरी जिंदगी इसी खेती किसानी में निकल गई.

बदले में क्या मिला? न तो अच्छा जीवन जी सके और न ही कोई ऐसा काम किया जिस से दुनिया में आप का नाम हो. आप की जिंदगी इस गांव में ही सिमट कर रह गई है. कभी शहर में रह कर देखो तब महसूस होगा कि यहां के जीवन और वहां के जीवन में कितना फर्क है?’’ संतोष ने अपने पिता महाराज बख्श सिंह से कहा. वह पिता को बाबूजी कहता था.

महाराज बख्श सिंह लखनऊ जिले से 26 किलोमीटर दूर गोसाईंगंज इलाके के नूरपूर बेहटा गांव में रहते थे. उन के पास खेती की अच्छीखासी जमीन थी, इसलिए उन की गिनती गांव के प्रतिष्ठित किसानों में होती थी. गांव में रहने के नाते उन का जीवन सरल और सीधा था.

उन्होंने संतोष को पढ़ाना चाहा, लेकिन जब उस का पढ़ाईलिखाई में मन नहीं लगा तो उन्होंने कम उम्र में ही उस की शादी मोहनलालगंज की रहने वाली राजकुमारी के साथ कर दी थी. शादी हो जाने के बाद संतोष अपनी घरगृहस्थी में रम गया. बाद में राजकुमारी 2 बेटों की मां भी बनी. इस के बाद तो उन के घर में खुशियां और बढ़ गईं. बच्चे बड़े हुए तो उन का दाखिला गांव के ही स्कूल में करा दिया.

संतोष गांव में रह कर पिता के साथ खेती करता था, लेकिन खेती के काम में उस का मन नहीं लगता था. इस के अलावा उसे एक गलत लत यह लग गई थी कि उस ने अपने यारदोस्तों के साथ शराब पीनी शुरू कर दी थी. शुरू में महाराज बख्श सिंह ने उसे काफी समझाया था, लेकिन उस ने पिता की बात को अनसुना कर दिया था.

संतोष रोज शराब पी कर वह घर लौटता और पत्नी के साथ झगड़ता था. इस से पत्नी भी परेशान हो गई थी. संतोष का गांव में मन नहीं लगता था. वह चाहता था कि अपने परिवार के साथ शहर में रहे. इस की वजह यह थी कि उस के गांव की जमीन के भाव काफी बढ़ चुके थे. जिस की वजह से गांव के कुछ लोग अपनी खेती की जमीन बेच कर शहर चले गए थे. शहर जा कर उन्होंने अपने निजी कामधंधे शुरू कर दिए और वहां मजे की जिंदगी गुजार रहे थे. बच्चों के दाखिले भी उन्होंने अच्छे स्कूलों में करा रखे थे. उन की देखादेखी संतोष भी शहर जाना चाहता था. इसीलिए वह बारबार पिता पर जमीन बेचने का दबाव डाल रहा था.

महाराज बख्श सिंह जानते थे कि बेटे को दुनियादारी की अभी इतनी समझ नहीं है. वह शहरी जिंदगी के रहनसहन और चकाचौंध की ओर खिंचा जा रहा है इसलिए उन्होंने उसे समझाते हुए कहा, ‘‘बेटा अपना गांव और अपना खेत ही अपनी पहचान होती है. शहर में कामधंधा करना तो ठीक है पर अपने खेत बेच कर वहां रहना मेरे लिए संभव नहीं है. इसलिए मैं तुझ से भी यही कहना चाहता हूं कि ऐसी बातें मन से निकाल कर यहीं काम में मन लगा.’’

‘‘बाबूजी, हम ने नहर के किनारे वाली 4 बीघा जमीन का सौदा कर लिया है. 60 लाख रुपए मिल जाएंगे. इस पैसे से मैं आप को नया काम कर के दिखा दूंगा. तब आप को लगेगा कि मेरी बात में कितना दम है.’’

‘‘बेटा, तुम्हारी बात में कोई दम नहीं है. तुम शराब के नशे में गलत कदम उठा रहे हो. जमीन बेच कर तुम सारा घरपरिवार बरबाद कर दोगे.’’ महाराज बख्श सिंह बेटे को समझा रहे थे. आवाज सुन कर संतोष की पत्नी राजकुमारी भी वहां आ गई. ससुर की बात पूरी होने से पहले ही वह बोली, ‘‘बाबूजी, आप इन की बातों में मत आना. इन के शराबी यारदोस्तों ने ही इन्हें यह सलाह दी होगी.’’

पत्नी के बीच में बोलने पर संतोष उस के ऊपर बिफर पड़ा, ‘‘मेरी तरक्की से तुझे क्या परेशानी हो रही है. तू नहीं चाहती कि मैं यहां से शहर जाऊं और अच्छी जिंदगी गुजरबसर करूं. तू ने मेरे पैरों में परिवार की बेडि़यां डाल रखी हैं. लेकिन तू अच्छी तरह जान ले कि मैं ने गांव की जमीन बेच कर शहर में काम करने की ठान ली है. अब मुझे इस काम से कोई नहीं रोक सकता.’’ इस के बाद संतोष और राजकुमारी के बीच कहासुनी शुरू हो गई. बेटेबहू की लड़ाई देख कर 70 साल के महाराज सिंह बरामदे में पड़ी चारपाई पर बैठ गए.

बेटे की ऐसी जिद देख कर उन्हें घरपरिवार का भविष्य अंधकारमय नजर आने लगा था. वह समझ रहे थे कि बेटा जिद्दी है. वह मानेगा नहीं. इसलिए वह राजकुमारी को ही समझाते हुए बोले, ‘‘बहू इस के मुंह मत लग, जो करता है करने दे. ठोकर खाएगा तो इसे समझ आ जाएगी. शहर में रह कर कामधंधा चलाना कोई आसान काम नहीं. हम ने बहुतों को बरबाद होते देखा है.’’

‘‘बाबूजी शहर जा कर बहुत लोग बन भी गए हैं, उन की जानकारी आप को नहीं है. कुछ अच्छा भी सोचा करें.’’ इतना कह कर संतोष गुस्से में बाहर चला गया. जिस जमीन को बेचने की बात संतोष कर रहा था वह असल में उस के ही नाम थी. पहले वह जमीन ऊसर थी लेकिन अब वहां से सड़क निकल गई तो उस की कीमत बढ़ गई है.

महाराज बख्श सिंह सोचने लगे कैसी विडंबना है कि शहर के लोग महंगी कीमत में जमीन खरीद कर गांवों से जुड़ना चाहते हैं और गांव के लोग जमीन बेच कर शहरों की चकाचौंध में फंसना चाहते हैं. चूंकि संतोष को शहर जाने की सनक सवार थी, इसलिए उस ने अपनी जमीन बेच दी. महाराज सिंह ने उसी समय समझदारी दिखाते हुए जमीन की कीमत का बड़ा हिस्सा संतोष के बेटों के नाम पर बैंक में जमा कर दिया. उन्होंने संतोष को केवल 4 लाख रुपए ही दिए.

संतोष के पास पैसा आ चुका था. इसलिए वह काम की तलाश में लखनऊ चला गया. उसे किसी कामधंधे की जानकारी तो थी नहीं इसलिए लखनऊ जाने के बाद भी वह समझ नहीं पा रहा था कि क्या काम शुरू करे? ज्यादा से ज्यादा उस ने ढाबा और होटल ही देखे थे और उन के बारे में थोड़ीबहुत जानकारी थी.

शहर में उसे ऐसी कोई जगह नहीं मिली जहां वह अपना काम शुरू कर सके. एकदो जगह उस ने देखी भी लेकिन उन का किराया बहुत ज्यादा था. शहर में ढाबा खोलना उस के बूते के बाहर था. उसे शहर के बाहर बसी कालोनियों में ढाबा खोलना और चलाना आसान लग रहा था.

संतोष पहले जब कामधंधे की तलाश में लखनऊ आता तो वहां वह एक ढाबे पर खाना खाता था. उस की जानपहचान उस ढाबे पर खाना बनाने वाले श्याम कुमार से थी. संतोष ने उसी के साथ काम शुरू करने की योजना बनाई.

वह श्याम के पास पहुंच कर बोला, ‘‘श्याम भाई, तुम बहुत अच्छा खाना बनाते हो. मुझे उम्मीद है कि यहां तुम जितनी मेहनत करते हो, उस के अनुसार तुम्हें पैसे भी नहीं मिलते होंगे. मैं भी एक ढाबा खोलना चाहता हूं और चाहता हूं कि उस ढाबे को हम दोनों मिल कर चलाएं.’’

यह सुन कर श्याम खुश हो गया. उसे फ्री में बिजनेस करने का मौका मिल रहा था. इसलिए उस ने संतोष के साथ काम करने की हामी भर ली. उस ने कहा, ‘‘संतोष भाई, यहां तो कोई ऐसी जगह नहीं है जहां ढाबा खोला जा सके लेकिन जानकीपुरम इलाके में सेक्टर-2 के पास एक ढाबा है. वो ढाबा इस समय चल नहीं रहा है. तुम कहो तो मैं बात करूं?’’

‘‘ठीक है, तुम बात करो हम मिल कर उस ढाबे को चलाएंगे.’’ संतोष ने कहा तो श्याम ने उस ढाबे के मालिक से बात कर ली. वह उन्हें अपना ढाबा किराए पर देने के लिए राजी हो गया. इस के बाद दोनों ही उस ढाबे को चलाने लगे. दोनों की मेहनत से काम चल निकला.