गूगल की ओर से मिली रिपोर्ट के अनुसार, ‘जारा दासगुप्ता का गूगल एड्रेस पाकिस्तान का है.’ डीआरडीओ की विजिलेंस विंग के प्रमुख ने एटीएस को जो शिकायत दी है, उस में उन्होंने यह भी लिखा था कि संस्था के गेस्टहाउस में वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर से मिलने लड़कियां आती रहती थीं. अब तो प्रदीप ने भी स्वीकार कर लिया है कि वह पाकिस्तानी महिला जासूस के संपर्क में थे.
सुंदर महिलाएं और उन के साथ सैक्स करने की इच्छा आदमी को किस हद तक कमजोर बना देती है, प्रदीप कुरुलकर इस का एक उत्तम उदाहरण हैं. ऐसा नहीं है कि प्रदीप गद्ïदार हैं. वह अपने देश से बहुत प्यार करते हैं. देश की सुरक्षा के लिए वह बहुत कुछ करने की इच्छा भी रखते हैं. पर जारा दासगुप्ता नाम की यह सुंदर युवती पाकिस्तानी जासूस है, यह जानते हुए भी सैक्स के मोहजाल में फंस कर वह देश की सुरक्षा के अति संवेदनशील रहस्य उसे देने के लिए मजबूर हो गए.
प्रदीप कुरुलकर के स्तर को देख कर कोई भी हैरान रह जाएगा कि इस तरह की प्रभावशाली प्रतिभा वाला व्यक्ति एक नीच दरजे के हवसखोर आदमी जैसी हरकत करने की गलती कैसे कर बैठा?
कलाम के साथ काम कर चुके थे कुरुलकर
प्रदीप वर्ष 1988 से लगातार प्रगति करने वाले होनहार वैज्ञानिक हैं. वह इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पीएचडी हैं. डीआरडीओ में ‘एच’ ग्रेड वैज्ञानिक का ऊंचा स्थान माना जाता है. प्रदीप कुरुलकर डीआरडीओ में ‘एच’ ग्रेड के वैज्ञानिक हैं. ‘एच’ ग्रेड में भी वैज्ञानिकों के 2 ग्रुप होते हैं- आउटस्टैंडिंग वैज्ञानिक और विशिष्ट वैज्ञानिक. प्रदीप कुरुलकर आउटस्टैंडिंग ग्रुप के वैज्ञानिक थे, जो डीआरडीओ में दूसरे स्थान का माना जाता है. केंद्र सरकार में एडिशनल सेक्रेटरी का जो स्थान होता है, वही स्थान प्रदीप कुरुलकर का डीआरडीओ में था.
डीआरडीओ में पूरे देश में 5 हजार से अधिक वैज्ञानिकों सहित कुल 35 हजार कर्मचारियों का स्टाफ है. प्रदीप इन में आदर्श और बौस माने जाते थे. रक्षा मंत्रालय और सेना के उच्च अधिकारयों की मीटिंग में कुछ खास और बड़े वैज्ञानिक भी भाग लेते हैं. प्रदीप 35 सालों से डीआरडीओ में काम कर रहे हैं. स्वाभाविक है कि वह इस की रगरग की खूबियों और खामियों से परिचित होंगे.
जिस समय उन की गिरफ्तारी हुई थी, वह पुणे स्थित डीआरडीओ के औफिस में हथियार और ज्वलंत हमला कर सके, इस तरह की मिसाइल या कौम्बेट इंजीनियरिंग विभाग में आगे की लाइन वाले वैज्ञानिकों की पोस्ट पर यानी इस विभाग के डायरेक्टर थे. इस के पहले वह थल सेना, नौ सेना और वायु सेना के हथियारों पर जिस विभाग में शोध होता है, उस विभाग के डायरेक्टर रहे हैं.
सैनिकों के परिवहन के लिए कैसे पुल बनाए जाएं, मिसाइल लांचर से ले कर सीमा की रणनीति तक से वह वाकिफ हैं. उन के पास अतिसंवेदनशील डाटा भी था. अतिगोपनीय और उच्च स्तर की मीटिंग में जो चर्चा होती है, जैसे कि चीन या पाकिस्तान हमला करता है तो हमें अभी क्याक्या तैयारी करनी है यानी कि हमारी कमजोरी क्या है, वह यह भी जानते थे.
यानी कि प्रदीप सलाह देने वाली टीम के वैज्ञानिक सदस्य थे. उन्होंने आकाश मिसाइल बनाने में इंजीनियरिंग हेड के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की थी. इस समय वह भारतीय सेना में रोबोटिक्स अंतर्गत शोध टीम का नेतृत्व कर रहे थे.
1958 में स्थापित डीआरडीओ का मुख्यालय दिल्ली में है. इस की देश में 50 से अधिक शाखाएं और लेबोरेटरी हैं. प्रदीप कुरुलकर वेस्टर्न म्युजिक के शौकीन भी हैं. उन्हें अपने दादा और पिता से संगीत प्रतिभा विरासत में मिली थी. वह खुद पार्टी में सैक्सोफोन, तबला, मृदंग, बांसुरी और हारमोनियम बड़ी लय से बजा कर सभी का दिल जीत लेते थे.
वह सैक्स के भी शौकीन थे, तभी तो जासूस सुंदरी को दिल दे बैठे और देश के अति संवेदनशील रहस्यों को उजागर कर दिया. उन्होंने क्या जानकारियां लीक की हैं, शायद ही इस का खुलासा हो पाएगा. इस मामले की जांच एटीएस की इंसपेक्टर सुजाता तनावाड़े कर रही हैं.
गिरफ्तारी के बाद प्रदीप कुरुलकर को विशेष अदालत में पेश किया गया था, जहां से उन की 6 मई तक की रिमांड मिली थी. लेकिन जांच पूरी न हो पाने के कारण और उन के मोबाइलों के लौक खुलवाने के लिए उन की रिमांड 16 मई, 2023 तक बढ़ा दी गई थी. फिलहाल उन्हें 29 मई, 2023 तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया.
जांच में पता चला है कि प्रदीप के अकेलेपन का फायदा उठाते हुए जारा आधी रात तक उन से बातें करती थी. वह इसी साल नवंबर में रिटायर होने वाले थे, लेकिन रिटायर होने के पहले महिला के साथ संबंध बनाने के मोह में ऐसी गलती कर बैठे कि पूरे जीवन में उन्होंने जो अच्छाई की थीं, वह बुराई में बदल गईं और उसी की बदौलत आज वह जेल में हैं.
प्रदीप कुरुलकर के साथ ही निखिल सेंडे नाम के एक एयरफोर्स अधिकारी को भी गिरफ्तार किया गया है. वह भी पाकिस्तान की सुंदर महिला के संपर्क में था. उस ने भी उस महिला के साथ काफी जानकारियां साझा की हैं. इसलिए एटीएस अब इस बात की भी जांच कर रही है कि कहीं इन दोनों का कोई कनेक्शन तो नहीं था.
क्या है हनीट्रैप
जौन ले कार्रे नाम के लेखक की बेस्ट सेलर बुक साल 1974 में प्रकाशित हुई सस्पेंस थ्रिलर ‘टिंकर टेलर सोल्जर स्पाई’ में सर्वप्रथम महिला जासूस के लिए ‘हनीट्रैप’शब्द का उपयोग किया गया था. इस के बाद हौलीवुड और फिर उस की देखादेखी दुनिया की तमाम भाषाओं की फिल्मों के लिए यह एक नया रोचक दृष्टिकोण मिल गया.
मीडिया और साहित्य जगत को भी हनीट्रैप की मोहिनी लग गई. इतिहास में तमाम उदाहरण भरे पड़े हैं कि विषकन्या या राक्षस कन्या अप्सरा का रूप धारण कर के मनचाहा शिकार करती थीं. हनीट्रैप भी तो फैंसी शब्द है, पर महिलाओं का उपयोग प्राचीन काल से आधुनिक हथियारों और रणनीतिक रहस्य निकलवाने के लिए होता आया है.
कोल्ड वार के दौरान सोवियत यूनियन की जासूसी संस्था ‘केजीबी’ने अमेरिका में भारी संख्या में महिला जासूसों को भेजा था. ये ऐसी जासूस थीं, जो कमांडो जैसी निपुण थीं, पर मिशन पूरा करने के लिए ये किसी के साथ सोने को भी तैयार हो जाती थीं.
इस के बाद इजरायल की जासूसी संस्था ‘मोसाद’ने हनीट्रैप का भरपूर उपयोग किया. आज चीन, रूस, ब्रिटेन, अमेरिका,पाकिस्तान सहित ज्यादातर देशों की महिला जासूस खूंखार आतंकी हमलों या हत्या के लिए चलाए जा रहे औपरेशनों में शामिल होती हैं.
कारपोरेट जगत, राजनीतिक पार्टियों या माफियाओं में भी सामने वाले या प्रतियोगी को मात देने के लिए इस तरह की महिला जासूसों का उपयोग किया जाता है. वे कर्मचारी या ग्राहक के रूप में कंपनी के बौस से ले कर महत्त्वपूर्ण अधिकारी को मोहजाल में फांस लेती हैं.
जारा भारत आने का वादा तो करती रही, पर आई नहीं. वह आई भले नहीं, पर अपने न्यूड फोटो उन्हें जरूर भेजती रही और वीडियो काल पर न्यूड हो कर बात भी करती रही. निश्चित रूप से उस ने प्रदीप के भी कपड़े उतरवाए होंगे, जिस के उस ने स्क्रीन शौट भी लिए होंगे और वीडियो भी बनाई होगी. इस तरह प्रदीप कुरुलकर पूरी तरह जारा के जाल में फंस गए थे.
जारा ने जब पूरी तरह प्रदीप कुरुलकर को अपने जाल में फांस लिया तो उस ने उन से कुछ ऐसी जानकरियां मांगीं, जिस से उन्हें उस पर शक हुआ. क्योंकि जारा ने उन से जो जानकारियां मांगी थीं, वे अति गोपनीय थीं और देश की सुरक्षा से जुड़ी हुई थीं.
वैज्ञानिक को हनीट्रैप में फांसा
इस से प्रदीप को लगा कि कहीं वह हनीट्रैप में तो नहीं फंस गए हैं. यह शक होते ही उन्होंने जारा का फोन नंबर ब्लौक कर दिया, लेकिन उन के नंबर ब्लौक करने से क्या होता. जारा के पास उन का नंबर था ही.
उस ने दूसरे नंबर से फोन कर के उन्हें धमकाया, “सुनिए साइंटिस्टजी, आप को मैं ने जितने भी न्यूड काल्स किए हैं, उन सभी की रेकौर्डिंग मेरे पास है. इसलिए अगर अब नंबर ब्लौक किया तो मेरे पास न्यूड काल्स की जितनी भी रेकौर्डिंग है, सब की सब भारत सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों को भेज दूंगी.”
प्रदीप घबरा गए. इज्जत की बात थी. अगर वे रेकौर्डिंग अधिकारियों के पास पहुंच जातीं तो वह किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं रह जाते. मजबूरन वह जारा की काल रिसीव करने लगे. काल ही नहीं रिसीव करने लगे, बल्कि वह जैसा और जो कहने लगी, वह वैसा ही करते गए.
प्रदीप की तैनाती ऐसी जगह थी, जहां सब कुछ देश की सुरक्षा से जुड़ा था. चूंकि यहां देश की सुरक्षा की बात होती है, इसलिए यहां वैज्ञानिकों और कर्मचारियों पर नजर रखने के लिए एक अलग विजिलेंस विंग होती है, जो हर वैज्ञानिक और कर्मचारी की गतिविधियों पर नजर रखती है. इस के अलावा खुफिया विभाग भी यह नोटिस में रखता है कि विदेश से किस के पास कहां से मैसेज आ रहा है, किस से बात हो रही है. खुफिया विभाग को प्रदीप कुरुलकर की औनलाइन गतिविधियों पर शंका हुई तो उस ने डीआरडीओ के विजिलेंस विभाग को इस की सूचना दे दी.
प्रदीप डीआरडीओ में कोई छोटेमोटे या मिडिल क्लास कर्मचारी नहीं थे. वह संस्था के बड़े वैज्ञानिकों में से एक थे. शुरूशुरू में विजिलेंस विंग की प्रदीप जैसे बड़े वैज्ञानिक पर न तो शक करने की हिम्मत हुई और न ही किसी तरह के आरोप लगाने की. पर जब स्थिति गंभीर हो गई तो विजिलेंस विंग ने प्रदीप की गलत गतिविधियों के सारे सबूत जुटा कर महाराष्ट्र एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (महाराष्ट्र एटीएस) से शिकायत की. यह शिकायत 2 मई, 2023 को की गई थी.
इस के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर को 3 मई, 2023 को गिरफ्तार कर लिया और विशेष अदालत में पेश कर के पूछताछ के लिए 6 मई तक के लिए रिमांड पर ले लिया.
डीआरडीओ वैज्ञानिक गिरफ्तार
प्रदीप की गिरफ्तारी होते ही वैज्ञानिकों और सेना में हडक़ंप मच गया, क्योंकि जिस आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया था, वह बहुत ही गंभीर और चिंता का विषय था. इस की वजह यह थी कि प्रदीप भारतीय सेना किस हद तक सुसज्जित है, किस तरह के हथियार तैयार कर रही है, कैसेकैसे शोध हो रहे हैं और चीन तथा पाकिस्तान की सीमा की क्या रणनीति हो सकती है. इस तरह की मीटिंग, आयोजन और गुप्त गतिविधियों के साथ डीआरडीओ के प्रमुख के रूप में उपस्थित रहते थे. भारत की हर मिसाइल की तकनीक की उन्हें जानकारी थी.
हर व्यक्ति की कोई न कोई कमजोरी हो सकती है, भले ही वह अपने क्षेत्र का दिग्गज ही क्यों न हो. एटीएस द्वारा की गई पूछताछ में पता चला है कि प्रदीप कुरुलकर के व्यक्तित्त्व, योग्यता और ड्रेसिंग की अगर कोई तारीफ कर देता था तो वह उस पर निहाल हो जाते थे.
इस तरह की खुशामद करने वालों से वह दोस्ती तो करते ही थे, अपने यहां होने वाली पार्टियों में भी ऐसे लोगों को जरूर बुलाते थे. अन्य बड़े वैज्ञानिकों की तरह वह अंतर्मुखी नहीं थे. वह कहानियां सुनाना पसंद करते थे. वह एक अच्छे वक्ता थे. वह अतीत में खुद के द्वारा किए गए कार्यों के बारे में बात करना बहुत पसंद करते थे. वह यह बताने में गर्व महसूस करते थे कि उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति और तत्कालीन डीआरडीओ प्रमुख एपीजे अब्दुल कलाम के साथ मिल कर काम किया था.
कुरुलकर को बातूनी व्यक्ति के रूप में जाना जाता था. वह अलगअलग प्लेटफार्मों पर डीआरडीओ की उपलब्धियों के बारे में बात करने में गर्व महसूस करते थे. वह स्वदेशी रक्षा प्रणालियों के विकास और आयात की निर्भरता को कम करने के विषय पर बहुत गंभीर थे.
इतने गंभीर व्यक्ति की सोशल मीडिया पर अनेक महिला मित्र थीं. पूछताछ में उन्होंने स्वीकार किया है कि इस की वजह उन का अकेलापन था. इसी का फायदा लंदन की रहने वाली जारा दासगुप्ता ने उठाया था, जिस की बदौलत आज वह जेल की हवा खा रहे हैं.
ऐसा नहीं है कि उन की शादी नहीं हुई थी. उन की पत्नी भी है, जो डेंटिस्ट है और एक बेटा भी है, जो रोबोटिक्स इंजीनियर है. पर इस से ज्यादा उन के परिवार के बारे कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
मुंबई एटीएस ने शुरू की पूछताछ
प्रदीप कुरुलकर की गिरफ्तारी के बाद एटीएस ने उन के 2 सेलफोन, लैपटाप, कंप्यूटर, हार्ड डिस्क और अन्य उपकरण जब्त कर लिए हैं, जिन की फोरैंसिक जांच चल रही है. अब तक की जांच से पता चला है कि जारा जिस भारतीय नंबर से फोन करती थी, उस का आईपी एड्रेस पाकिस्तान का था.
एटीएस इस बात की भी जांच कर रही है कि पिछले कुछ महीनों में उन्होंने किनकिन देशों की यात्रा की है और वहां किनकिन लोगों से मिले हैं. अब तक मिली जानकारी के अनुसार, उस महिला जासूस के चंगुल में फंसे रहने के दौरान प्रदीप ने विदेश की 4 यात्राएं की थीं.
1963 में पैदा हुए वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर ने 1985 में पुणे के सीआईपी (कालेज औफ इंजीनियरिंग पुणे) से इलैक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बैचलर औफ इंजीनियरिंग (बीई) कर के 1988 से डीआरडीओ के लिए काम करना शुरू किया था. प्रदीप के लिए यह कोई नई बात नहीं थी, क्योंकि वह एक पढ़ेलिखे परिवार में पैदा हुए थे. पहले उन्होंने एक निजी कंपनी में नौकरी की थी. उस के बाद अपने चाचा के नक्शेकदम पर चलते हुए डीआरडीओ (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट आर्गनाइजेशन) में काम करना शुरू किया. उन की पहली नियुक्ति चेन्नै में हुई थी.
डीआरडीओ में काम करते हुए ही उन्होंने ड्राइव और एप्लिकेशन पर ध्यान देने के लिए आईआईटी कानपुर से एडवांस्ड पावर इलेक्ट्रौनिक्स का कोर्स किया. आज प्रदीप कुरुलकर का रक्षा क्षेत्र में बड़ा नाम है. कुरुलकर की योग्यता के अनुसार ही उन्हें रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान की सिस्टम इंजीनियरिंग प्रयोगशाला का निदेशक नियुक्त किया गया था. इस समय वह रणनीतिक रूप से संवेदनशील कई परियोजनाओं को संभाल रहे थे.
डीआरडीओ में उन की गिनती मिसाइल क्षेत्र की प्रमुख शख्सियत के रूप में होती थी. कुरुलकर की विशेषज्ञता मिसाइल लांचर सैन्य इंजीनियरिंग गियर, अत्याधुनिक रोबोटिक्स और सैन्य प्रयोगों के लिए मोबाइल मानवरहित प्रणालियों की डिजाइन और विकास की रही है.
एक टीम लीडर और लीड डिजाइनर के रूप में प्रदीप कुरुलकर ने कई सैन्य इंजीनियरिंग प्रणालियों और उपकरणों की डिजाइन, विकास और वितरण में अहम योगदान दिया था, जिस में हाइपरबेरिक कक्ष, मोबाइल बिजली की आपूर्ति और हाई प्रेशर वायु प्रणाली शामिल है. डिप्लोमैट पासपोर्ट रखने वाले वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर की डीआरडीओ में क्या हैसियत रही होगी, आप इसी से अंदाजा लगा सकते हैं.
यही सीनियर वैज्ञानिक एक युवती के हनीट्रैप में ऐसे फंसे कि आज तक उस का खामियाजा भुगत रहे हैं.
दरअसल, हुआ यह कि इन्हीं वैज्ञानिक प्रदीप कुरुलकर के पास पिछले साल अक्तूबर महीने में जारा दासगुप्ता नाम की एक युवती का वाट्सऐप मैसेज आया, “हाय प्रेम! मैं जारा, जारा दासगुप्ता, लंदन से.”
यह मैसेज देख कर प्रदीप चौंके. क्योंकि उस ने संदेश में जो नाम लिखा था, वह उन की कौन्टैक्ट लिस्ट में नहीं था, इसलिए उन्होंने टोका, “आप ने गलत आदमी से संपर्क किया है. मेरा नाम प्रेम नहीं, प्रदीप कुरुलकर है और मैं डीआरडीओ में साइंटिस्ट हूं. इस समय मैं पुणे, महाराष्ट्र में डायरेक्टर के पद पर तैनात हूं.”
“सौरी, गलती से वह नाम टाइप हो गया था. सही बात तो यह है कि मैं प्रदीप कुरुलकर यानी आप से ही संपर्क करना चाहती हूं.” जारा का अगला संदेश आया.
“अच्छा, आप कहां रहती हैं और मुझे कैसे जानती हैं?” प्रदीप कुरुलकर ने मैसेज भेज कर पूछा.
“जी, मैं एक स्टूडेंट हूं और आप को तो पहले ही बताया है कि मैं ब्रिटेन के लंदन में रह कर पढ़ रही हूं. मैं ने आप की प्रोफाइल पढ़ी और बस आप की फैन हो गई. सचमुच आप ने देश के लिए बहुत अच्छा काम किया है. देश को आप पर गर्व है और मुझे भी.”
इस के बाद जारा ने जो मैसेज भेजे, उन में पाकिस्तान को खूब गालियां दी थीं, साथ ही उस ने यह भी कहा कि पाकिस्तान पर भारत की विजय होगी. उस ने मैसेज द्वारा यह भी कहा कि उसे भारतीय होने पर गर्व है. चैटिंग में वाट्सऐप पर जो नंबर दिखाई दे रहा था, वह भारत का नंबर था, इसलिए प्रदीप कुरुलकर को उस पर जरा भी शक नहीं हुआ. जारा ने उन की इतनी तारीफ की कि वह उस से जुड़ गए.
चल पड़ा दोनों के बीच चैटिंग का सिलसिला
आगे चल कर जारा दासगुप्ता ने प्रदीप से सलाह मांगी कि वह भी उन्हीं की तरह एक वैज्ञानिक बनना चाहती है. इस के लिए उसे क्या करना होगा, ताकि वह भी वैज्ञानिक बन कर उन्हीं की तरह देश की सेवा कर सके.
लगातार चैटिंग होने से जल्दी ही जारा दासगुप्ता प्रदीप की मित्र की जगह प्रेमिका बन गई. अब दोनों के बीच प्यार भरी बातें होने लगीं. कोई भी मर्द हो, चाहे वह कितनी भी उम्र का हो, उसे लड़कियों से बातें करना अच्छा लगता ही है. जब लडक़ी युवा और सुंदर हो, तब प्यार भरी बातें करने में और मजा आता है.
प्रदीप जहां उम्रदराज थे, वहीं उन की प्रेमिका स्टूडेंट. इसलिए प्रदीप उस के लिए पागल हो चुके थे. उस से चैटिंग करना उन्हें बहुत अच्छा लगता था. जारा जब प्रेमिका की भूमिका में आ गई तो प्रदीप ने उस के फोटो मांगे. जारा ने देर किए बगैर अपनी सेमी न्यूड यानी अर्धनग्न फोटो भेज दो. प्यार में कहां-क्या-कुछ छिपा रहता है. प्रदीप कुरुलकर का मन जब इन तसवीरों से नहीं भरा तो उन्होंने मैसेज भेजा, “इस बार ऐसा फोटो भेजो, जिस में कुछ भी छिपा न हो.”
जारा ने बिना कोई सवाल किए, बिना किसी झिझक के अपनी न्यूड यानी बिना कपड़ों की तसवीरें भेज दीं. उन फोटो को देख कर अधेड़ उम्र के प्रदीप पागल हो उठे. जारा ने जो न्यूड तसवीरें भेजी थीं, उन में उस का चेहरा स्पष्ट नहीं था. इस के बावजूद प्रदीप ने तुरंत जारा को फोन मिला दिया. जारा ने फोन उठा भी लिया. दोनों में काफी देर तक बातें होती रहीं. उस के बाद जारा ने कहा, “आप वीडियो काल कीजिए, आप को एक चीज दिखाती हूं.”
प्रदीप कुरुलकर ने वीडियो काल किया तो जारा ने कैमरे के सामने एकएक कर के अपने सारे कपड़े उतार दिए. इस तरह प्रदीप कुरुलकर उस के दीवाने हो गए. अब प्रदीप पूरी तरह उस के जाल में फंस चुके थे. इस की एक वजह यह भी रही होगी कि जारा ने अपने कपड़े उतारे थे तो उस ने प्रदीप के भी कपड़े उतरवाए होंगे. क्योंकि उसे प्रदीप से अपना काम जो निकलवाना था.
वैज्ञानिक ने भेजे गोपनीय दस्तावेज
जब प्रदीप पूरी तरह उस के जाल में फंस गए तो जारा ने खेल खेलना शुरू किया. उस ने फोन कर के कहा, “डियर, मैं लंदन में जिस विषय की पढ़ाई कर रही हूं, उस में मुझे आप की मदद की जरूरत है.”
इस के बाद जारा ने अपने रिसर्च वर्क की बात कर के प्रदीप से कुछ जानकारियां और कागजात मांगे. प्रदीप ने जानकारी देते हुए उस के द्वारा मांगे गए कागजात शेयर कर दिए. इस तरह उन्होंने जारा को यह जानकारी दे दी कि भारत के पास कितनी मिसाइलें हैं, भारत उन में किस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा है.
जारा ने इस के लिए प्रदीप को धन्यवाद देते हुए कहा, “अगर आप को ऐतराज न हो तो मैं आप के साथ लौंग रिलेशन बनाना चाहती हूं.”
जारा के इस मैसेज से प्रदीप ने खुश हो कर कहा, “कुछ दिनों बाद मैं डिप्लोमेटिक टूर पर रूस जा रहा हूं. रूस से मैं तुम से मिलने के लिए लंदन आ सकता हूं.”
जारा ने मिलने का वादा करते हुए खुशी जाहिर की. पर किसी कारणवश प्रदीप कुरुलकर का रूस दौरा रद्द हो गया, जिस की वजह से वह लंदन भी नहीं जा पाए. तब जारा ने कहा कि वह खुद ही भारत आ रही है. भारत आने पर वह उन से मिलेगी.