
तीनों कमा चुके थे 50-50 करोड़
“मेरे हिस्से लगभग 22 लाख रुपए आए थे. मैं उन पैसों को ले कर महानगर में आ गया. यहां आ कर यहां के एक पिछड़े इलाके में एक जिम खोल लिया. यह इस पिछड़े इलाके का एकमात्र जिम था, अत: जल्दी ही प्रसिद्ध हो गया और काफी चलने लगा. धीरेधीरे मैं ने शहर के और इलाकों में भी अपने जिम की ब्रांचेें खोल दीं. प्रसिद्धि के साथसाथ बिजनैस भी अच्छा बढ़ गया. आज लगभग हर बड़े शहर में हमारे जिम की ब्रांच है.
“आज 7 सालों के बाद मेरी चलअचल संपत्ति की कीमत 50 करोड़ से अधिक है. मैं ने अपने सभी वेंचर्स का नाम गेलार्ड रखा है. आज तुम जहां बैठे हो, उस का मालिक भी मैं ही हूं.” जगन ने बताया.
“मैं उस घटना के बाद एक इंडस्ट्रियल एरिया में चला गया. जहां मैं ने देखा कि ज्यादातर इंडस्ट्री में खेती के बाद निकले हुए हस्क यानी भूसे को ईंधन के रूप में इस्तेमाल करते है. लेकिन किसानों को पेमेंट 15-20 दिन बाद ही मिल पाता था. इस से उन्हें बड़ी परेशानी होती थी. मैं ने किसानों से सस्ता भूसा तत्काल पेमेंट का खरीदा. फिर उसे इंडस्ट्री में सप्लाई करना शुरू कर दिया. इस में निश्चित प्रौफिट तो था ही, साथ ही पैसा भी सुरक्षित रिसाइकल हो रहा था. आज मैं उस इलाके में भूसा किंग के नाम से जाना जाता हूं.
पिछले दिनों मैं ने भूसे को कंप्रेस्ड कर कोयले जैसा ईंधन बनाने की फैक्ट्री भी डाल ली है, जिस से काफी मटेरियल एक्सपोर्ट भी होता है. मुझे बैंक में की गई एडवेंचर से लगभग 22 लाख रुपए मिले थे. आज मैं भी लगभग 50 करोड़ की संपत्ति का मालिक हूं.” छगन ने अपने बारे में बताया.
“मैं भी बचने के लिए एक छोटे से गांव में आ गया. वहां पर सब्जियों की पैदावार भरपूर होती थी, लेकिन सडक़ से काफी अंदर होने के कारण सब्जियों की ढुलाई का साधन पर्याप्त समय पर न मिल पाने के कारण काफी सब्जियां नष्ट करनी पड़ती थी. जिस से उन्हें काफी नुकसान होता था. मैं ने अपने पैसों से एक सेकेंडहैंड ट्रक खरीद कर सब्जियों की शहरों में ढुलाई शुरू कर दी.
आज मैं आसपास के लगभग 20 गांवों से फल व सब्जियां अलगअलग माल्स, स्टार रेटेड होटल्स और मार्किट में सप्लाई करता हूं. मेरे पास आज लगभग 40 बड़े लोडिंग व्हीकल्स हैं और अब मैं अर्थ मूविंग मतलब खुदाई की बड़ी मशीनें भी खरीद कर बड़ेबड़े कौन्ट्रैक्ट लेता हूं. मैं भी कुल जमा 50 करोड़ की हैसियत रखता हूं.” मगन ने बताया.
“मतलब हम अपने इस मिशन में पूरी तरह से कामयाब रहे?” जगन ने सब के बीच प्रश्न रखा.
“हां ऐसा कह सकते हैं. हालांकि हम ने यह काम सिर्फ एडवेंचर के लिए किया था, मगर इस ने हमारी जिंदगी ही बदल दी.” छगन बोला.
“बिलकुल ठीक. लोग आज भी उन एडवेंचरस लूट को याद करते हैं. क्या जोश था यार.” मगन भी सहमत होते हुए बोला,
“आज यकीन नहीं होता अपने आप पर.”
उन के एडवेंर की मीडिया में हुई खूब प्रशंसा
“हम ने जो एडवेंचर किया था, वह अधूरा था. उस समय कुछ मजबूरियां थीं इस कारण उसे पूरा नहीं कर सकते थे. मगर अब कर सकते हैं.” जगन चाय की चुस्कियों के साथ बोला.
“मतलब एक और अडवेंचरस लूट? नहीं भाई, अब मुझ से नहीं होगा. अब उतनी तेजी और चुस्तीफुरती नहीं रही.” मगन बोला.
“मुझे तो वैसे ही शुगर की प्राब्लम हो गई है. सांसें तो जल्दी ही उखड़ जाती हैं आजकल.” छगन भी मगन से सहमत होते हुए बोला
“नहींनहीं, तुम लोग गलत समझ रहे हो. इस बार लूटना नहीं है. लूट का पैसा वापस बैंकों को लौटाना है. मैं इस बोझ के साथ मरना नहीं चाहता कि हम ने अपने स्वार्थ के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटा. आज हम तीनों स्थापित हैं और इस कंडीशन में हैं कि उन पैसों को बिना किसी आपत्ति के वापस लौटा सकते हैं.” जगन बोला.
“सच कहते हो जगन. कभीकभी जब मैं यह सब सोचता हूं तो लगता है हम ने गलत ही किया. और यह ख्याल मुझे अंदर तक कचोटता है.” मगन बोला.
“मगर दोस्तो, यह सब इतना आसान भी नहीं है. लूटते समय जितना साहस दिखाया थी, उस से ज्यादा दिलेरी की जरूरत अभी पड़ेगी. दूसरा लोगों को हमारा नाम भी पता चल जाएगा. उस समय लोगों की क्या प्रतिक्रिया होगी, यह भी सोचना आवश्यक है. इस का असर हमारे जमे जमाए बिजनैस पर भी पड़ सकता है.” छगन ने अपने विचार रखें.
“मैं ने यह सब सोच रखा है दोस्तों. जिस तरह हम ने लूट के समय अपना चेहरा ढंका था, उसी तरह पैसे लौटाते समय हम अपना नाम व पहचान गुप्त ही रखेंगे. सब से बड़ी बात पैसा लौटाने की सूचना अकेले बैंक मैनेजर्स को न दे कर पुलिस, कलेक्टर और यथासंभव न्यूजपेपर्स व चैनल्स वालों को भी देंगे.” जगन बोला .
“अच्छा विचार है. अगर हमारी पहचान गुप्त रहती है तो हम यह एडवेंचर भी करना चाहेंगे.” मगन बोला.
“बिलकुल,” छगन भी सहमति दिखाते हुए बोला.
“योजना यह है कि हम ने बैंकों से लूट का जितना पैसा अपने पास रखा है, उतना ही पैसा हम अलगअलग लौक किए हुए सूटकेस में रख कर रेलवे के क्लौकरूम में रख देंगे.
“क्लौकरूम वाले बिना रिजर्वेशन टिकट के सामान नहीं रखते हैं. अत: हमें किसी फरजी नाम से रिजर्वेशन करवाना होगा. यह रिजर्वेशन हम टिकट विंडो से ही करवाएंगे. इस से मिले पीएनआर नंबर के बेस पर हम क्लौकरूम में सामान आसानी से रख पाएंगे.
“सामान रखते समय क्लौकरूम का क्लर्क पहचान पत्र मांग सकता है. इस के लिए 3 आधार कार्ड को ग्राफ्टिंग मेथड से एक बना कर नया आधार कार्ड तैयार कर लेंगे.” जगन बता रहा था.
“मतलब नंबर किसी और का, नाम किसी और का और पता किसी तीसरे का?” मगन ने पूछा.
“बिलकुल सही. मैं जिम में एंट्री लेते समय कस्टमर का आधार कार्ड लेता हूं. मैं उन में से ही किसी पुराने ग्राहक के आधार कार्ड की फोटोकौपी निकलवा लूंगा. बाकी 2 आधार कार्ड का इंतजाम तुम्हारे डाटाबेस में से करना ताकि इन्क्वायरी के समय किसी एक प्रतिष्ठान पर शक ना जाए.
क्लौकरूम में सामान जमा करते समय हम अपने चेहरे कवर रखेंगे ताकि स्टेशन के कैमरों में हमारा चेहरा दिखाई न पड़े. सामान्यत: क्लौकरूम में कोई भी व्यक्ति 7 दिनों तक हमारे सामान को लावारिस नहीं मानता है.
क्लौकरूम में सामान जमा करने के बाद इस की सूचना स्पीड पोस्ट के माध्यम से कलेक्टर, एसपी, बैंक मैनेजर और न्यूजपेपर व चैनल्स को दे देंगे. यहां इस बात का भी ध्यान रखेंगे कि यह सूचना कंप्यूटर के प्रिंटर से न निकाल कर हाथों से लिखी होगी. ताकि कंप्यूटर प्रिंटर की आईपी के द्वारा हम लोग सुरक्षित रहें.” जगन बोला.
20 दिनों के बाद तीनों दोस्त एक बार फिर गेलार्ड कैफे में पार्टी कर रहे थे. सभी न्यूजपेपर्स और चैनल्स पर उन के एडवेंचर की कहानियां सुनाई जा रही थीं.
तीनों बैंकों का कर लिया चुनाव
“चलो, अभी हमारे पास एक महीने का समय है. इस बीच हम उन बैंकों की पहचान कर लेते हैं, जो हमारी उम्मीद के मुताबिक कैश रखते हैं.” जगन बोला.
“मैं ऐसी बैंकों की पहचान कर चुका हूं जो कम से कम 20 लाख का मिनिमम बैलेंस तो मेंटेन करते ही हैं.” लगभग 15 दिनों के बाद जब तीनों मिले तो छगन बोला.
“कहां पर है ये बैंक?” जगन ने पूछा.
“एक ब्रांच कृषि उपज मंडी समिति की है. दूसरी ब्रांच इंडस्ट्रियल एरिया की है और तीसरी बैंक वह है जहां पर ज्यादातर सरकारी पैसा जमा होता है.” छगन ने बताया.
“वैरी गुड छगन, मैं भी इन तीनों बैंकों के बारे में ही सोच रहा था.” जगन भी सहमत होते हुए बोला.
“सब से बड़ी बात यह कि तीनों ही बैंकों के बंद होने के समय में आधे आधे घंटे का अंतर है. इंडस्ट्रियल एरिया वाली ब्रांच सुबह 9 बजे खुलती है और ग्राहकों के लिए 3 बजे बंद होती है. सरकारी लेनदेन वाली ब्रांच साढ़े 3 बजे और कृषि उपज मंडी समिति वाली ब्रांच 4 बजे बंद होती है,” छगन ने बताया.
“मतलब हमें अपना ऐक्शन ढाई बजे चालू करना होगा और ज्यादा से ज्यादा साढ़े 4 बजे तक खत्म करना ही होगा.” जगन बोला
“मगर रहमत तो गाड़ी खराब होने की सूचना तो तुरंत दे देगा. ऐसे में अगर समय रहते मैकेनिक आ गया तो क्या होगा? बिना गाड़ी के तो एडवेंचर पूरा नहीं होगा न.” मगन बोला.
“रहमत को गाड़ी खराबी की सूचना और बाकी की औपचारिकताएं पूरी करते करते 4-5 पांच घंटे तो लग ही जाएंगे. तब तक हम वैन को उड़ा चुके होंगे. सरकारी तंत्र में कोई भी व्यक्ति अपने स्तर पर निर्णय नहीं ले सकता है. हमें इसी लूप होल का फायदा उठाना है.” जगन ने समझाया.
“वाह जगन, तुम्हारी स्टडी सौलिड और स्ट्रांग है.” मगन तारीफ करते हुए बोला.
“मैं ने अपनी इस योजना को क्रियान्वित करने के लिए 15 जून की तारीख सोची है.” जगन बोला.
“मगर आज तो 20 मई ही है. 15 जून की तारीख क्यों सोची? इस के पीछे कोई कारण है क्या?” मगन ने पूछा.
“हां, कई कारण हैं. एक तो हम इस बीच के समय में बैंक के स्टाफ की ऐक्टिविटीज अच्छी तरह से नोट कर सकेंगे. और जो ज्यादा ऐक्टिव दिखाई पड़ेंगे उन्हें कंट्रोल करने की तरकीबें भी निकाल सकेंगे.
“दूसरा गरमी अभी ही इतनी बढ़ गई है उस समय तो अपने चरम पर होगी. इसी कारण एसी को सुचारु रूप से चलाने के लिए फ्रंट के शीशे के दरवाजे पहले से बंद होंगे. ऐसे में हमें स्टाफ और ग्राहकों को अंदर ही कंट्रोल करने में आसानी होगी. आने वाले ग्राहक भी बाहर ही रोके जा सकेंगे. तीसरा उस दिन सोमवार भी है. जैसा हम ने प्लान किया था. और चौथा, यह याद रखने के लिए सब से आसान दिन है. क्योंकि यह साल के बीचोबीच का दिन है. याद रहे 7 साल बाद हमें इसी दिन गेलार्ड कैफे में मिलना है.” जगन उत्साहित होते हुए बोला.
“15 जून साल के बीचोबीच का दिन कैसे हो सकता है?” छगन ने हैरानी से पूछा.
“साल का छठा महीना और उस के बीच का दिन. सीधा सा गणित.” जगन ने मुसकराते हुए समझाया.
“बहुत सही और आसान कैलकुलेशन.” मगन बोला, “अच्छा, अब हम 14 जून की शाम को ही मिलेंगे. अपनी चुनी हुई बैंकों के स्टाफ की ऐक्टिविटीज पर नजर रखते हैं तब तक.”
हिम्मत करने वालों की जीत होती है. अभी यही बात उन तीनों पर लागू हो रही थी. उन के सभी पांसे सही पड़ रहे थे. सभी कुछ उन की योजना के मुताबिक ही चल रहा था. 10 जून को ही रहमत कि बीवी डिलीवरी के लिए अपने सासससुर के पास चली गई.
14 जून की रात को ही जगन ने बाजार में मिलने वाली साड़ी की सस्ती फाल ले कर कैश वैन के साइलैंसर में घुसा कर उसे जाम कर दिया. इस से पहले वह अपनी डुप्लीकेट चाबी से वैन का इग्नीशियन चैक कर चुका था. मतलब साफ था चाबी अपना काम बराबर कर रही थी.
और 15 जून को वह सब हो गया, जो इन तीनों के अलावा किसी ने कल्पना में भी नहीं की होगी. हालांकि थोड़ाबहुत विरोध अवश्य हुआ, मगर इन तीनों ने अपनी तुरत बुद्धि और साहस के बल पर विपरीत परिस्थियों का सामना करते हुए उस दुष्कर कार्य को कर ही दिया.
तीनों बैंकों से कुल मिला कर लगभग 65 लाख की लूट हुई थी. किसी भी बैंक में 21 लाख से कम की रकम नहीं थी, जो इन तीनों की कल्पना के अनुरूप ही थी. तीनों लूट के बाद एकदूसरे से अनजान अलगअलग शहर में चले गए.
पहली प्लानिंग में मिले 65 लाख रुपए
दूसरे दिन देश के सभी अखबारों और न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ इस दुस्साहसी घटनाओं का ही जिक्र था. पुलिस और प्रशासन अपनी नाकामी से हाथ मल रही थी. लंबे समय तक लोगों के होंठों पर इस घटना का बखान था. तीनों का मिशन सफल रहा. एक स्वनिर्धारित एडवेंचरस टास्क उन्होंने पूरा कर सब को चौंका दिया.
7 साल बाद. वही तारीख 15 जून समय शाम के 7 बजे. गेलार्ड कैफे के सामने एक मर्सिडीज गाड़ी आ कर खड़ी हुई. उस में से शानदार सूट और सुनहरे फ्रेम का चश्मा लगाए छगन उतरा. कुछ ही मिनट बाद फोर्ड की एक बड़ी सी गाड़ी आई. उतरने वाला शख्स मगन था, जो अपने चिरपरिचित महंगी जींस और शर्ट पहने था. लगभग 15 मिनट इंतजार करने के बाद भी जब जगन नहीं आया तो दोनों निराश भाव से कैफे के अंदर चले गए.
“हमें टाइम मैनेजमेंट का पाठ पढ़ाने वाला जगन खुद ही लेट हो गया.” छगन बोला.
“कहीं ऐसा तो नहीं कि पुलिस ने उसे पकड़ लिया हो. क्योंकि कैश वैन का ड्राइवर उसे ही पहचानता था. यह संभव है कि वैन की बरामदगी के बाद उस ने जगन का हुलिया पुलिस को बता दिया हो.” मगन ने शंका जाहिर की.
“यदि ऐसा है तो हमें भी तुरंत ही यहां से निकलना चाहिए. बहुत संभव है कि जगन ने पुलिस को हमारे यहां आने की सूचना भी दे दी हो.” छगन चिंतित स्वर में बोला.
7 साल बाद मिले तीनों दोस्त
अभी छगन और मगन बातें कर ही रहे थे कि वेटर ने आ कर उन दोनों को एक परची दी. परची में लिखा था, “सामने वाला केबिन हम लोगों के लिए बुक है उसी में आ जाओ.”
“अरे जगन तो हम से पहले ही यहां पहुंच चुका है. चलो, उसी केबिन में चलते हैं.” छगन खुश होते हुए बोला.
“आओ दोस्तों.” दोनों को देखते ही जगन गर्मजोशी से बोल पड़ा. तीनों एकदूसरे को देख कर बहुत खुश थे.
“सुनाओ अपने 7 साल की प्रोग्रेस.” छगन मुसकराते हुए बोला.
आगे की योजना भी चौंकाने वाली
“बैंक में घुसते ही सब से पहले मैं ऐक्शन में आऊंगा. रेसलिंग में सीखे हुए दांव का प्रयोग करते हुए मैं पहले से अलसाए हुए ड्यूटी गार्ड को जमीन पर गिरा दूंगा. जमीन पर गिरते ही मैं गार्ड की राइफल अपने कब्जे में ले लूंगा और उस का लौक खोल कर उसी पर तान दूंगा. इस दौरान मैं अपने ताकतवर पैरों के पंजे से उस का गला दबा दूंगा ताकि वह चिल्ला न सके.
“इतना काम सफल होते ही मगन ऐक्शन में आ जाएगा और बैंक मैनेजर के केबिन में घुस कर उसे 2-4 चांटे मार कर अपने नियंत्रण में कर लेगा. 2 अहम व्यक्तियों को निस्तेज होते देख बचे हुए लोग डर जाएंगे और हमारी कठपुतली की तरह काम करने लगेंगे.
“जैसे ही मगन मैनेजर को अपने कंट्रोल में ले लेगा, तभी छगन का ऐक्शन शुरू होगा. उस के पास एयरगन होगी. इस एयरगन को लहराते हुए वह सभी कर्मचारियों को अपनी अपनी सीट छोडऩे का आदेश इस निर्देश के साथ देगा कि कर्मचारी अपने मोबाइल अपने सामने वाली टेबल पर ही रख दें.
“छगन यह धमकी भी देगा कि यदि उस के आदेश को नहीं माना गया तो गार्ड को उसी की रायफल से शूट कर दिया जाएगा. बैंक में मौजूद सभी ग्राहकों तथा स्टाफ को बैंक मैनेजर के केबिन में बंद कर दिया जाएगा. मैं गार्ड के गले पर लगातार दबाव बढ़ाता रहूंगा. गार्ड की छटपटाहट सभी को भयभीत रखेगी. पब्लिक का यह डर ही हमारी जीत का आधार होगा.
“चूंकि बैंक बंद होने का समय हो रहा होगा, अत: हम उस के चैनल को बंद कर देंगे तो भी कोई शक नहीं करेगा.
“इसी समय मगन बैंक मैनेजर को स्ट्रांगरूम ले जाया जाएगा और उसे एक ही बार में खोलने की धमकी देगा. दूसरा प्रयास मतलब गार्ड की मौत. इन स्पष्ट शब्दों का प्रयोग मैनेजर से स्ट्रांगरूम खुलवाते समय करना होगा. अगर उस ने पासवर्ड डालने में चालाकी की तो सीधे हैड औफिस में अलार्म बजेगा जो हमारी मौत का अलार्म होगा. मतलब हर चीज पूरी सावधानी और ऐहतियात के साथ होनी चाहिए.” जगन ने प्लान विस्तार के साथ समझाया.
“सही है,” छगन बोला.
“स्ट्रांगरूम में घुसते ही हम अपने साथ जो बैग ले कर जाएंगे, उन में से एक बैग उपलब्ध नोटों से भर लेंगे. यहां पर यह ध्यान रखना कि हमें ज्यादा से ज्यादा बड़े नोट ही लेने हैं. साथ ही इस बात पर भी कंसन्ट्रेट करना है कि ये सारी प्रक्रिया जल्दी से जल्दी समाप्त हो. क्योंकि हो सकता है कि स्ट्रांगरूम का दरवाजा किसी टाइमर से औपरेटेड हो और एक निश्चित समय के बाद सेफ्टी अलार्म बजता हो.” जगन ने सब को समझाया.
“बिलकुल ठीक. जो सावधानियां हमें रखनी हैं उन के बारे में पहले से ही सचेत रहें तो बेहतर है.” मगन जगन का समर्थन करते हुए बोला.
“हमारा काम जैसे ही पूरा होगा, गार्ड समेत सभी लोगों को मैनेजर के केबिन में बंद करना है. उस केबिन की चाबी हमें बैंक में ही मिलेगी. सभी को बंद करने के बाद बैंक में लगे चैनल गेट को बंद करना है और उस में वह ताला लगाना है, जो हम लोग साथ ले कर जाएंगे.” जगन ने ताला साथ ले जाने का कारण स्पष्ट किया.
“जब हम सब कर्मचारियों को मैनेजर के केबिन में बंद कर ही रहे हैं तो दूसरा ताला लगाने का क्या औचित्य?” छगन ने पूछा.
वारदात के बाद की भी कर ली प्लानिंग
“हमारा यह काम पुलिस व अन्य लोगों को भ्रमित करेगा. इतना तो निश्चित है कि हमारे निकलने बाद कोई न कोई सेफ्टी अलार्म का बटन अवश्य दबाएगा. चूंकि सभी लोग मैनेजर के केबिन में बंद होंगे, अत: बाहर चैनल से देखने पर ताला दिखाई देगा. और इस कारण से सब यही समझेंगे कि लूज कांटेक्ट के कारण अलार्म बज गया है.
“संभव है कि कुछ लोग मैनेजर के केबिन में से सहायता के लिए चिल्लाएं और लोग उन की आवाज को सुन भी लें, मगर चैनल पर ताला लगा होने के कारण वह आगे ही नहीं आ पाएंगे. बाहरी लोगों की भीड़ कभी भी पुलिस के आए बिना ताला तोडऩे का साहस नहीं करेगी, क्योंकि ऐसा करने पर ताले की सतह पर मौजूद हमारे फिंगरप्रिंट मिट जाने का डर होगा.
“पुलिस के आने के बाद भी ताला तोडऩे और मौके का मुआयना, बयान कैमरे की रिकौर्डिंग चैक करने में कम से कम एक घंटा तो लग ही जाएगा. इतने समय में हम बाकी 2 बैंकों की घटनाओं को भी अंजाम तक पहुंचा चुके होंगे.” जगन ने पूरी योजना का खुलासा किया.
“बहुत बढिय़ा जगन. परफेक्ट प्लानिंग एकदम परफेक्ट. सारा कारनामा टाइम मैनेजमेंट पर ही निर्भर करेगा.” मगन बोला.
“दूसरी सावधानी यह रखनी है कि हमें लूट के लिए ऐसे बैंकों का चयन करना है, जहां पर कम से कम 20 लाख का मिनिमम बैलेंस तो रहता ही हो. रहमत की बीवी को मायके जाने में अभी 25-30 दिनों का समय तो है ही. तब तक हमें ऐसी ब्रांच खोज कर रखनी ही है. मेरे विचार से 20 लाख रुपया कोई सा भी बिजनैस शुरू करने के लिए पर्याप्त है.” जगन बोला.
“हां, बिजनैस कि शुरुआत के लिए इतना पैसा काफी होगा,” छगन बोला.
“लेकिन हम पैसों का बंटवारा करेंगे कैसे?” मगन ने पूछा.
“देखो, इन पैसों का बंटवारा ऐसे नहीं होगा. हम 3 लोग 3 बैंक लूटेंगे और 3 ही बैग होंगे. हम 3 पर्चियों पर नाम लिख कर किसी बच्चे से परची उठवा कर क्रम निर्धारित कर लेंगे. जिस की किस्मत में जितना होगा, उसे उतना मिल जाएगा.” जगन बोला.
“हां, यह भी ठीक रहेगा. वैसे भी लूट की राशि का पता तो हमें न्यूजपेपर और चैनल से चल ही जायगा,” मगन बोला.
“इन तीनों घटनाओं का अंत बड़ा ही दिलचस्प और चौंकाने वाला होगा और लोग जब तक इस घटनाक्रम को भुलाने वाले होंगे, तब तक हम कोई और धमाका अवश्य करेंगे. मगर यह धमाका क्या होगा, यह अभी से निर्धारित नहीं किया जा सकता.
“जैसा कि मैं ने पहले भी कहा है घटना करने से कुछ समय पहले हम अपनी मौजूदा मोबाइल को सिम समेत बंद कर के किसी गहरे पानी में फेंक देंगे.
“घटना के बाद हम तीनों अलग अलग शहर में अपनीअपनी सुविधा के अनुसार चलें जाएंगे. चूंकि हमें एकदूसरे के पते, ठिकाने व मोबाइल नंबर्स के बारे में कुछ भी पता नहीं होगा, अत: यदि किसी कारण से कोई एक पकड़ में आ भी जाता है तो बचे हुए 2 तो सुरक्षित रहेंगे ही न. वैसे प्लान इतना सेफ है कि हम में से कोई भी तब तक नहीं पकड़ा जाएगा, जब तक कि हम खुद आगे हो कर गलती न करें.
हमें इस लूट का हिसाब किताब अवश्य ही करना है. अत: घटना वाली तारीख से ही ठीक 7 साल बाद उसी तारीख को हमें शहर के प्रसिद्ध गेलार्ड कैफे में शाम को 7 बजे मिलना है. यदि किसी को कुछ कमीबेशी रह गई होगी तो उस की क्षतिपूर्ति हम लोग आपस में मिल कर कर लेंगे और इस सफलता का एक ग्रैंड सेलिब्रेशन तो उस समय होगा ही.” जगन ने घटना के बाद का पूरा प्लान कारणों के साथ समझा दिया.
“तो क्या इन 7 सालों तक हम एकदूसरे के संपर्क में बिलकुल भी नहीं रहेंगे?” छगन ने आश्चर्य से पूछा.
“हां, बिलकुल भी नहीं.” जगन शब्दों पर जोर देता हुआ बोला, “मुझे विश्वास है 7 सालों के बाद जब हम मिलेंगे तो हमारा व्यक्तित्व आज के व्यक्तित्व से एक दम जुदा होगा.”
“मैं भी ऐसा विश्वास करता हूं. नया व्यक्तित्व, नया परिचय बस नाम वही पुराना.” मगन भी उत्साहित हो कर बोला.
जगन की योजना पर चौंक उठे मगन और छगन
“पहले पूरी योजना सुन लो फिर अपने सुझाव या आपत्ति देना.” जगन चिढ़ कर बोला.
“हांहां, यह ठीक है. योजना बताओ.” मगन हस्तक्षेप करते हुए बोला.
“इस इंप्रैशन से मैं एक डुप्लीकेट चाबी बनवाऊंगा और उस से व्हीकल को औपरेट करके देखूंगा. अगर ओके रही तो ठीक वरना तब तक बनवाता रहूंगा जब तक कि परफेक्ट न बन जाए.” जगन बोला.
“वह तो कोई मुश्किल काम नहीं है क्योंकि तुम्हारे पास फोटो भी है. कंप्यूटर से डुप्लीकेट चाबी आसानी से बन जाएगी.”
मगन बोला, “जिस दिन इस डुप्लीकेट चाबी से यह गाड़ी स्टार्ट हो जाएगी उसी दिन मैं अपना कमरा छोड़ कर दूसरी कालोनी में शिफ्ट हो जाऊंगा. दरअसल, मैं ने एक कमरा देख भी लिया है. उस का मालिक अनपढ़ है. उसे किसी भी तरह का कोई आइडेंटिटी प्रूफ की जरूरत भी नहीं है.” जगन ने रहस्योद्घाटन किया.
“चलो, यह भी सही है. गाड़ी स्टार्ट भी हो गई और तुम्हारी आइडेंटिटी भी गुप्त ही रही. अब आगे कैसे बढ़ेंगे? बैंक तो दिन में खुलती हैं और दिन में तो गाड़ी रहमत के पास रहेगी. तब हम इस का इस्तेमाल कैसे कर पाएंगे?” छगन ने पूछा.
“चाबी बनाना और गाड़ी स्टार्ट करना करना इस योजना का पहला चरण है,” जगन बोला, “रहमत अपनी पत्नी के साथ रहता है. उस के परिवार के बाकी लोग दूसरे शहर में रहते हैं. इस योजना का दूसरा चरण तब शुरू होगा, जब रहमत की गर्भवती बीवी अपनी पहली डिलीवरी के लिए अपने मायके जाएगी. शायद एक महीने बाद ही जाने वाली है. उस समय हम किसी रात को जा कर उस की गाड़ी का साइलेंसर चोक कर देंगे.
“गाड़ी जब स्टार्ट नहीं होगी तो रहमत इंजन तक चैक करेगा, मगर साइलेंसर चैक करने के बारे में सोचेगा भी नहीं. वह अपनी इस खराबी की सूचना अपने अधिकारियों को देगा और वह अधिकारी भी अपने उच्चाधिकारियों को सूचित करेगा और उन के निर्देशों के बाद ही गाड़ी मैकेनिक के पास जाएगी.
“इस पूरी प्रक्रिया में पूरा एक दिन लग ही जाएगा. बस वही दिन हमारी योजना को अंजाम देने का दिन होगा. क्योंकि इस दशा में रहमत को दूसरी गाड़ी पर सहायक के रूप में जाना होगा,” जगन बोला.
“लेकिन साइलैंसर को जाम कैसे किया जाएगा?” छगन ने पूछा.
“बहुत आसान है. एक कपड़े की लगभग 2 मीटर की लंबी चिंदी हम किसी पतली छड़ की सहायता से साइलेंसर के अंदर डाल देंगे और ऊपर से ट्रांसपेरेंट टेप से उस का मुंह बंद कर देंगे. जब रहमत औफिस चला जाएगा तब हम साइलैंसर से कपड़ा निकाल कर गाड़ी स्टार्ट कर सकेंगे,” जगन बोला.
“यहां तक तो समझ में आ रहा है कि कैश केयरिंग वैन होने के कारण इसे बैंक के सामने पार्क करने से कोई रोकेगा नहीं और लूट के बाद हम आसानी से कैश ले कर निकल भी सकेंगे,” छगन जगन की योजना का मर्म पकड़ते हुए बोला.
“हमारी योजना के मुताबिक काम होता है तो रनिंग काफी ज्यादा होगी. ऐसे में फ्यूल पर्याप्त मात्रा में होना जरूरी है.” मगन ने अपनी चिंता व्यक्त की.
“प्रत्येक रविवार की शाम को सभी मोबाइल वैन के फ्यूल टैंक फुल करवाए जाते है. अत: हम अपनी योजना को सिर्फ सोमवार के दिन ही क्रियान्वित करेंगे.” जगन ने योजना का अहम हिस्सा समझाया.
“जगन यहां तक तो योजना ठीक ही है. शक की संभावना न्यूनतम है और काफी हद तक सुरक्षित भी. आगे की काररवाई को अंजाम कैसे देंगे?” छगन ने पूछा.
“आगे की योजना की सफलता पूरी तौर पर हमारी स्पोट्र्समैन स्किल और प्रजेंस औफ माइंड पर निर्भर करेगी. ज्यादातर बैंकों में रखे सुरक्षा गार्ड वास्तव में एक खानापूर्ति ही हैं. कई बैंक तो सिर्फ एक सुरक्षा गार्ड के भरोसे ही रहती है. हमें बैंकों की इस कमी का ही फायदा उठाना पड़ेगा और वह भी तब जब बैंक बंद होने वाली हो. ऐसे समय में ग्राहकों की संख्या काफी कम होती है और स्टाफ भी अंतिम समय में कुछ लापरवाह हो जाता है. हमें इसी कमजोरी और मानव स्वभाव का लाभ उठाना है.” जगन बोलता रहा .
“एस, स्ट्राइक व्हाइल आयरन इज हौट.” मगन बोला.
“बिलकुल ठीक आब्जरवेशन है जगन. लेकिन बैंक में गार्ड के अलावा सेफ्टी अलार्म और कैमरे भी रहते हैं. सुना है कि स्ट्रांगरूम खोलने के लिए भी पासवर्ड होता है जो गलत डल जाने पर सीधे हैड औफिस से कनेक्ट हो जाता है.” छगन बोला.
“गुड छगन, गुड इनफार्मेशन. यह स्ट्रांगरूम के पासवर्ड वाली बात मेरे दिमाग से निकल ही गई थी,” जगन तारीफ करते हुए बोला.
“ठीक है, आगे की योजना बताओ और उस में इस पौइंट को भी इनक्लूड कर लो.” छगन बोला.
जगन ने बढ़ाया दोनों दोस्तों का जोश
“देखो, हम तीनों को अपने अपने खेलों में महारथ हासिल है. ये सभी खेल चंचलता और चपलता पर ही आधारित हैं. हमें इन का वैसे ही प्रयोग करना है, जैसे हम मैदान में प्रतिद्वंद्वी पर करते थे.
“गाड्र्स के पास जो राइफल रहती है, वह लौक रहती है और उसे कंधे से उतार कर पोजिशन लेने और लौक खोलने में कम से कम 20 सेकेंड्स तो लगते ही हैं. हमें गाड्र्स पर अटैक कर इन 20 सेकेंड्स में ही कंपलीट करना है. देरी का मतलब होगा औपरेशन का फेल्योर. इसलिए अपनी सारी स्किल्स का प्रयोग इन 20 सेकेंड्स में ही करना है.
“हमारे चेहरे कोरोना वाले नोज मास्क से कवर होंगे और सिर के ऊपर राजस्थानी साफा बंधा हुआ होगा. यह सेफ रेडीमेड होंगे और घटना को अंजाम देने के तुरंत बाद उतार कर वैन में ही रख दिए जाएंगे. ताकि रास्ते में कोई शक न कर सके.” जगन ने दोनों को समझाया.
“यह सब तो भूमिका हुई. असली गतिविधि कैसे संचालित होगी?” मगन ने पूछा.
“हां, असली एडवेंचर तो वही है. उस की प्लानिंग कैसे की है? अभी तक तो सब समझ में आ रहा है. अगर मोबाइल वैन ट्रेस होती भी है तब भी हम सेफ हैं, क्योंकि अभी तक हमारी आइडेंटिटी कहीं भी उजागर नहीं हो रही है.” छगन बोला.
“आगे भी नहीं होगी, अगर हम ने सावधानी रखी तो. इस पूरे मिशन के दौरान हमें मोबाइल का इस्तेमाल नहीं करना है बल्कि इस मोबाइल के कौंटेक्ट्स हमारे काम नहीं आएंगे. क्योंकि पता नहीं कौन सा कौंटेक्ट कब खतरनाक हो जाए. इस योजना की भनक तक नहीं लगनी चाहिए किसी को. जिस दिन इस योजना को अंजाम दिया जाएगा, उस के 2 घंटे पहले हम अपने मोबाइल स्विच औफ कर के गहरे पानी में फेंक देंगे.” जगन ने घटना के पहले की सावधानी का खाका पेश किया.
“बिलकुल ठीक. कई बार मोबाइल ही जी का जंजाल बन जाते हैं. अपने पास में जितना कम सामान रखेंगे, हम उतने ही अधिक सुरक्षित रहेंगे.” छगन भी जगन की बातों से सहमत था.
“भाई, अब तो लग रहा है यह एडवेंचर वाकई में लोगों को बरसों तक याद रहेगा और लोग जब भी याद करेंगे तो उन के रोंगटे खड़े हो जाएंगे.” मगन भी सहमत होते हुए बोला.
“अब उत्सुकता और मत बढ़ाओ, जल्दी से लाइन औफ ऐक्शन का खुलासा करो.” छगन बेताबी से बोला.
“निश्चित ही योजना का अंतिम हिस्सा सब से अहम है. इस को हमें बड़ी सावधानी से पूरा करना होगा. इस में जो सब से महत्त्वपूर्ण होगा, वह होगा हमारा त्वरित बौडी मूवमेंट और तुरंत निर्णय क्षमता.
“जैसा कि मैं ने पहले भी बताया कि बैंक में सिर्फ एक गार्ड ही होता है और उस के कंधों पर राइफल होती है. किसी भी संदेह की स्थिति में उसे कंधों से राइफल उतार कर पोजिशन लेने में कम से कम 20 सेकेंड तो लगेंगे ही. मतलब हमारे पास ऐक्शन लेने के लिए 20 सेकेंड से भी कम का समय है.
“क्योंकि हम तीनों के मुंह और नाक मास्क से और फोरहेड वाला पोर्शन साफे से कवर होगा. तीनों को एक साथ देख कर वह निश्चित ही शक करेगा. अत: बैंक में घुसते ही सब से पहला काम होगा गाड्र्स को अपने कंट्रोल में लेना. ऐसे में हमारी स्पोट्र्स स्किल ही काम आएगी.” जगन योजना को विस्तार से समझाता रहा.
“बिलकुल ठीक. यही वह समय होगा जब हमारी चैंपियनशिप की असली परीक्षा होगी,” मगन हस्तक्षेप करते हुए बोला.
तीनों बैंकों से कुल मिला कर लगभग 65 लाख की लूट हुई थी. किसी भी बैंक में 21 लाख से कम की रकम नहीं थी, जो इन तीनों दोस्तों की कल्पना के अनुरूप ही थी. तीनों लूट के बाद एकदूसरे से अनजान अलगअलग शहर में चले गए.
दूसरे दिन देश के सभी अखबारों और न्यूज चैनलों और सोशल मीडिया पर सिर्फ और सिर्फ इस दुस्साहसी घटनाओं का ही जिक्र था. पुलिस और प्रशासन अपनी नाकामी से हाथ मल रही थी. लंबे समय तक लोगों के होंठों पर इस घटना का बखान था.
“अब हम तीनों को लूट का पैसा वापस बैंकों को लौटाना है. मैं इस बोझ के साथ मरना नहीं चाहता कि हम ने अपने स्वार्थ के लिए जनता की गाढ़ी कमाई के पैसों को लूटा. आज हम तीनों स्थापित हैं और इस कंडीशन में हैं कि उन पैसों को बिना किसी आपत्ति के वापस लौटा सकते हैं.” जगन बोला.
20 दिनों के बाद तीनों दोस्त एक बार फिर गेलार्ड कैफे में पार्टी कर रहे थे. सभी न्यूजपेपर्स और चैनल्स पर उन के एडवेंचर की कहानियां सुनाई जा रही थीं.
जगन, छगन और मगन गहरे दोस्त थे. तीनों ही अच्छे खिलाड़ी थे. काफी दिनों बाद वे फुरसत में बैठे बातें कर रहे थे. उसी दौरान छगन बोला, “शहर में नया डेस्टिनेशन खुला है. जहां पर एडवेंचरस एक्टिविटीज करवाई जाती हैं. हम लोग भी चलें. काफी दिनों से कोई एडवेंचर किया भी नहीं है.”
“किस तरह की एक्टिविटीज करवाते हैं वहां पर?” मगन ने कौतूहल से पूछा.
“500 फीट ऊपर रोप क्लाइंबिंग, रौक क्लाइंबिंग, पैरासिलिंग, रिवर राफ्टिंग जैसी कई एक्टिविटीज इन्वौल्व हैं उस में.” छगन ने बताया.
“कितनी टिकट है उस की?” मगन ने फिर प्रश्न किया.
“वैसे तो एक हजार रुपए पर हैड है. लेकिन अगर हम तीनों चलते हैं तो मैं कहीं से जुगाड़ कर कुछ कम करवा सकता हूं,” छगन उत्साहित हो कर बोला.
“अरे मूर्खों, अगर अपनी जेब से पैसा खर्च कर के एडवेंचर किया तो क्या किया? एडवेंचर तो वह है, जो हम करें और उस के लिए दुनिया हमें याद करे और हमें पैसे भी मिलें.” जगन जो अब तक चुपचाप दोनों की बातें सुन रहा था, बीच में बोल पड़ा.
“क्या ऐसा हो सकता है? हमें हमारे एडवेंचर के बदले कौन मूर्ख पैसे देगा?” छगन उपहास से बोला.
“क्यों अपने आप को कमतर आंकें हम? याद रखो, हम तीनों के ही नाम के अंत में गन है. हम चाहें तो ऐसा फायर कर सकते हैं, जिस की तीव्रता की कल्पना सिर्फ सपनों में ही की जा सकती है. मैं खुद एक रेसलर हूं, मगन जूडो कराटे और छगन को ताइक्वांडो जैसे खेल में महारथ हासिल है. हम तीनों खिलाड़ी चाहें तो इतना बड़ा एडवेंचर कर सकते हैं कि दुनिया वाले दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर हो सकते है,” जगन बोला.
“सच है, जब हम में खुद में इतना हुनर है तो क्यों न ऐसा कोई एडवेंचर करें?” मगन बोला.
“मगर ऐसा एडवेंचर होगा क्या?” छगन ने पूछा.
“यह तो हम तीनों को मिल कर सोचना पड़ेगा,” जगन बोला.
“देखो, ऐसा कोई सा भी एडवेंचर जो खतरनाक की श्रेणी में आता हो, जिस में जान का जोखिम हो. पुलिस और प्रशासन की जानकारी के बगैर नहीं किया जा सकता है,” मगन ने जानकारी दी.
“जान हमारी है रिस्क हमारा है तो इस के लिए किसी भी अपने या पराए को जानकारी क्यों दी जाए? और जो कुछ भी होगा, इस के नतीजे के जवाबदेह भी हम ही होंगे. मजा तो तब है कि जब हम अपनी सोची हुई एडवेंचरस घटना को अंजाम दें और बरसों तक लोग उस घटना को घटना के नाम से याद करें न कि हमारे नाम से.” जगन बोला.
“तो क्या तूने ऐसा कोई कारनामा सोच रखा है, ऐसा कोई एडवेंचर करने का?” मगन ने पूछा.
“नहीं. अभी तक तो नहीं. यदि हम मिल कर सोचें तो शायद कुछ योजना बना सकें. यदि योजना सफल रही तो 50-60 लाख रुपए तो हासिल हो ही जाएंगे,” जगन बोला.
“यह कौन सा काम है? इस में लाइफ रिस्क कितना है?” छगन ने पूछा.
“अगर एडवेंचरस काम करने में जान का रिस्क न हो तो वह एडवेंचर ही कैसा? तुम लोग एडवेंचर के द्वारा ही पैसा बनाना चाहते हो न? तो मेरा आइडिया ही सब से उत्तम होगा.” जगन बोला.
“ऐसा कौन सा आइडिया सोचा है तुम ने?” मगन ने कौतूहल से पूछा.
“बिना खूनखराबा किए, बिना वास्तविक हथियार के बैंकों को लूटने का. और वह भी एक नहीं 3 बैंकों को लूटने का.” जगन बिना किसी रूपरेखा के सीधे और स्पष्ट बोला.
“क्याऽऽ.. यह कैसा एडवेंचर है? यह काम तो गैरकानूनी होगा.” मगन के चेहरे पर डर के भाव साफ दिखाई पड़ रहे थे.
एडवेंचर के बारे में जानने की बड़ी उत्सुकता
“अगर पकड़े गए तो जेल में बंद होंगे हम,” छगन भी मगन की बात से सहमत था.
“तुम लोगों का डर सही है. मगर एडवेंचर तो वही है जो लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दे. किसी और ने अगर वही काम तुम से पहले कर दिया तो उसे लीक पर चलना कहा जाएगा, एडवेंचर नहीं.”
“तुम्हें एडवेंचर की परिभाषा मालूम है? ऐसा कोई काम जिस में साहस, शौर्य और पराक्रम होने के साथ ही सर्वप्रथम किया हो. वही रियल एडवेंचर है.”
“हां, यह डर निश्चित ही जायज है कि अगर हम पकड़े गए तब क्या होगा. इस के परिणाम के बारे में ज्यादा सोचने की जरूरत नहीं है. उस समय केवल जेल ही हमारा घर होगा.
“दूसरी तरफ अगर हम सफल होते हैं तो इतिहास में एक साहसी टीम के रूप में जाने जाएंगे और लोग हमारा उदाहरण देंगे. तुम लोगों को एक मशहूर विज्ञापन की टैग लाइन तो याद ही है न? डर के आगे सिर्फ जीत है. हमें अपनी योजना भी कुछ इसी तरह बनानी है कि हम अपने डर को अपने आत्मविश्वास से समाप्त कर देंगे.” जगन दोनों को समझाता हुआ बोला.
“हां, तो समझाओ जगन, योजना क्या है.” छगन बोला.
“योजना साहसिक और विस्फोटक है. हमें एक ही दिन में 3 बैंकों में लूट की वारदात को अंजाम देना है और वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के.” जगन बोला.
“क्या? 3 बैंकों में एक ही दिन में लूट? वह भी बिना किसी वास्तविक हथियार के?” छगन आश्चर्य से बोला.
“हां, यही तो एडवेंचर होगा हमारी योजना का. हमें सिर्फ एक जोरदार धमाका करने वाली एयरगन चाहिए होगी, जो दूर से असली जैसी लगे. इस के अलावा हमें 3 अच्छे और मजबूत किस्म के ताले और रुपए भरने के लिए बड़ी साइज के बैग्स.” जगन ने अपनी योजना के लिए प्रारंभिक जरूरत बतलाई.
“वहां तोता मैना जैसे पक्षी होंगे, जो एयरगन के धमाके से उड़ जाएंगे और हम रुपए थैलों में भर कर टहलते हुए निकल जाएंगे,” मगन मजाक करता हुआ बोला.
“तीन बैंकों को लूटना है तो कम से कम एक व्हीकल तो चाहिए ही. ऐसे कामों में हम अपना व्यक्तिगत व्हीकल तो इस्तेमाल कर ही नहीं सकते,” छगन बोला.
“बिलकुल सही है. हम अपना व्हीकल इस्तेमाल करेंगे भी नहीं, बल्कि हम तो बैंक का ही व्हीकल उपयोग करेंगे.” जगन शांत भाव से बोला.
“बैंक का व्हीकल? वो कैसे?” छगन के स्वर में अविश्वास था.
“हमारे पास में रहने वाले रहमत एक सीएमएस वैन के ड्राइवर हैं. वह रोज शाम को काम खत्म होने के बाद गाड़ी को अपने घर के सामने ही पार्क करता है. मेरी उस से अच्छी जानपहचान है. मैं ने पिछले 3 दिनों में 3 बार उस वैन से कालोनी के चक्कर लगाए है. कल तो चालाकी से उस की वैन की चाबी का इंप्रैशन एक नरम साबुन पर ले लिया है. मोबाइल में चाबी का फोटो भी रखा हुआ है.” जगन उत्साह से बोला.
“यह लो पहले कदम पर ही गलती. रहमत तो तुम्हें जानता ही है न? वारदात को अंजाम देने के बाद तफ्तीश में रहमत तो फंसेगा ही और वह तुम्हारा ही नाम लेगा.” छगन बोला.