Crime Story in Hindi : डैड किल्स डौटर टेनिस प्लेयर राधिका यादव

Crime Story in Hindi : राधिका यादव एक उभरती हुई टेनिस प्लेयर थी. वह गुरुग्राम में एक टेनिस एकेडमी चलाने के साथ म्यूजिक अलबम में भी काम कर चुकी थी. दिनोंदिन उस की पहचान बढ़ती जा रही थी. इसी बीच ऐसा क्या हुआ कि उस के पिता ने खुद उसे गोलियों से भून डाला?

राजधानी दिल्ली के एनसीआर गुरुग्राम सेक्टर 57 में स्थित सुशांत लोक एक पौश कालोनी है. इस के एक 3 मंजिला मकान को हर कोई जानता था. उस मकान में दीपक यादव अपने परिवार के साथ रहते थे. दीपक और मकान को लोग उन की 25 वर्षीया बेटी राधिका यादव की वजह से जानतेपहचानते थे. इस मकान में दीपक अपनी पत्नी, बेटे और बेटी राधिका के साथ रहते थे. साथ ही ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव अपने परिवार समेत रहते थे.

राधिका हरियाणा की राज्य स्तरीय टेनिस खिलाड़ी रह चुकी है. उस ने कई टूर्नामेंट जीते थे. इस के अलावा वह पिछले एक साल से गुरुग्राम के ही सेक्टर 56 में एक टेनिस एकेडमी चला रही रही थी. इलाके के बच्चे वहां उस से टेनिस सीखने आते थे, किंतु 10 जुलाई, 2025 की सुबह बच्चे एकेडमी में नहीं आए. उन्हें राधिका ने सुबह में ही आने से मना कर दिया था. कारण, उसे ग्राउंड कोऔर्डिनेटर ने मैसेज कर बता दिया था कि बारिश की वजह से सुबह ग्राउंड खेलने के लिए नहीं मिल पाएगा.

उस ने बड़ी मुश्किल से बच्चों को समझाया था कि वे आज एकेडमी नहीं आएं. इस पर कुछ अभिभावकों ने राधिका से शिकायत भी की थी कि ऐसे तो बच्चों की प्रैक्टिस छूट जाएगी. उन से राधिका ने सौरी बोल कर पीछा तो छुड़ा लिया था, लेकिन उस के बाद से ही उस का मन और ज्यादा खिन्न हो गया था. सुबह के करीब 10 बज चुके थे. राधिका किचन में अपने लिए एनर्जी ड्रिंक बना रही थी. उस की मम्मी मीनू यादव दूसरे कमरे में लेटी थीं. उन्हें बीती रात से ही हलकाहलका बुखार था. उस रोज उन का जन्मदिन भी था. राधिका मम्मी के लिए उन की पसंद का कुछ स्पैशल खाना बनाना चाहती थी. मम्मी की सेहत को ध्यान में रख कर उस ने स्पैशल आइटम बनाने की तैयारी भी करनी थी.

उस के पापा दीपक यादव ड्राइंग रूम में बैठेबैठे बड़बड़ा रहे थे. वह थोड़ी देर पहले मार्निंग वाक कर लौटे थे. काफी तनाव में थे. सोफे पर कभी पैर पसार कर बैठते तो कभी उठ कर हाल में ही चहलकदमी करने लगते. वह जो कुछ बोल रहे थे, हाल से लगी रसोई में राधिका को भी सुनाई दे रहा था. अधिकतर बातें उस के बारे में ही कह रहे थे. वो भी सभी जलीभुनी, दिल को छेद करने वाली, मन को कचोटती हुई थीं. उन्होंने शिकायतें और घरपरिवार की मानमर्यादा, समाजसंस्कार की बातों का मानो पुलिंदा ही खोल दिया था.

जब ये बातें राधिका के कानों में पड़ीं तो वह तिलमिला उठी. उस के हाथ से चम्मच छूट कर फर्श पर जा गिरी. उसे उठाने लगी तो दूसरा बरतन गिर पड़ा…

”पापा! अब चुप भी हो जाओ. बंद करो अपनी बकवास!’’ राधिका तीखे लहजे में बोली और मिक्सी का बटन दबा दिया. घर्र… कर मिक्सी चल पड़ी.

”मैं बकवास कर रहा हूं…मुझे तो रोक लोगी, लेकिन उन को कैसे रोकोगी, जो मैं सुन कर आया हूं.’’

”तुम सब की बातों पर ध्यान ही क्यों देते हो?’’ वह बोली.

”क्यों न ध्यान दूं. तू कौन मेरी बात पर ध्यान दे रही है…कब से कह रहा हूं एकेडमी बंद कर दे, लोग मुझे ताने मारते हैं. कहते हैं कि बेटी की कमाई खा रहा है…’’ दीपक बोलते चले जा रहे थे. बीचबीच में राधिका बोलने लगी थी.

”तो क्या करूं? म्यूजिक एलबम बनाऊं…उस पर भी आपत्ति है. शक करते हो. रील बनाने की सोचती हूं, वह भी पसंद नहीं. …और अब कह रहे हो एकेडमी बंद कर दूं…’’

”मैं सही कह रहा हूं. जो लोग कह रहे हैं, मुझे ताने दे रहे हैं, वही कह रहा हूं. तुम्हारे म्यूजिक वीडियो को ले कर मुझे काफी सुनने को मिल रहा है.’’ दीपक ने कहा.

”मैं किसी की परवाह नहीं करती. दुनिया कुछ भी कहे…मैं अपने मन की ही करूंगी.’’

”मैं अब और नहीं झेल सकता लोगों की तीखी बातें.’’

”नहीं झेल सकते तो चुप हो जाओ. मुझे काम करने दो.’’ राधिका ने एक तरह से अपने पापा को डपट दिया था और बंद मिक्सी को फिर से चला दिया. अचानक गूंज उठी मिक्सी की आवाज और राधिका की बहस से दीपक तिलमिला गए थे. उन्होंने महसूस कि राधिका पर उन की बातों का कोई असर नहीं हुआ. गुस्से से पैर कांपने लगे थे. वह तेजी से अपने कमरे में गए. अगले पल ड्राइंगरूम में पहुंचे और तब उन के हाथ में लाइसेंसी रिवौल्वर थी. गुस्से से कांपते हुए हाथों से दीपक ने गोली दागनी शुरू कर दी. निशाने पर राधिका थी. एक गोली चूक गई. दीपक ने दनादन 4 गोलियां चला दीं.  गोलियां लगते ही वह फर्श पर गिर गई. लगातार गोलियां चलने की आवाज पूरे मकान और आसपास गूंज गई.

नीचे ग्राउंड फ्लोर पर उन के छोटे भाई कुलदीप यादव ने भी गोलियां चलने की आवाज सुनी. वह दौड़ेदौड़े दीपक के घर के मेन गेट पर आए. संयोग से दरवाजा खुला था. उन के साथ उन का बेटा भी आया था. उन्होंने देखा, ड्राइंग रूम में दीपक सोफे पर पसर कर बैठे थे, रिवौल्वर बगल में रखा था. सामने किचन में राधिका खून से लथपथ फर्श पर गिरी पड़ी थी. कुलदीप तुरंत बेटे के साथ जख्मी राधिका को कार से सेक्टर 56 स्थित एशिया मारिंगो अस्पताल ले गए, जहां डाक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.

इस वारदात की सूचना गुरुग्राम थाने की पुलिस को हो गई. एसएचओ विनोद कुमार मौके पर पहुंच गए. शुरुआती जांच में मृतका राधिका की पहचान 25 वर्षीय टेनिस खिलाड़ी राधिका यादव के रूप में हुई. वह राज्य स्तरीय कई टूर्नामेंट में मेडल जीत कर राष्ट्रीय स्तर की टेनिस खिलाड़ी बन चुकी थी.  यह वारदात गुरुग्राम की पौश सोसायटी सुशांत लोक फेस-2 के फ्लैट नंबर ई-157 में हुई थी. पुलिस जांच में पाया गया कि उसे गोली उस के पापा दीपक यादव ने ही मारी है. घटनास्थल पर दीपक यादव मौजूद थे. पुलिस ने उन की 0.32 बोर की रिवौल्वर को तुरंत जब्त कर दीपक को हिरासत में ले लिया.

पूछताछ में पता चला कि हत्या परिवार में महीनों से चल रहे तनाव के बाद हुई. इस के कारणों में उन की आर्थिक आजादी, इंस्टाग्राम रील्स, कारवां नाम का एक म्यूजिक वीडियो और टेनिस एकेडमी की भूमिका सामने आई. 49 वर्षीय दीपक यादव बैंक में क्लर्क की नौकरी करते थे. नौकरी से वीआरएस ले कर वजीराबाद गांव में अपनी जमीनजायदाद की देखभाल के काम में लग गए थे. उन की आमदनी किराए के रूप में होती थी. उन की आमदनी के बारे में बताते हैं कि वह महीने की 15 लाख रुपए से अधिक की थी.

वह अपनी बेटी के बढ़ते कद और आजादी को ले कर पिछले 2 हफ्तों से नाराज चल रहे थे. खासकर सेक्टर 57 में अपनी टेनिस एकेडमी खोलने के बाद वह बेटी के व्यवहार मे आए बदलाव पर अकसर आक्रामक हो जाते थे. पुलिस को शुरुआती पूछताछ में ही हत्या की बात कुबूलते हुए दीपक ने बताया कि उन्हें गांव वाले बारबार अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के लिए ताना मारते थे. उन्होंने कई बार राधिका से अपनी टेनिस एकेडमी बंद करने का आग्रह किया था. इस कारण बापबेटी के बीच अकसर टकराव हो जाता था. वे इस पर घंटों बहस करते रहते थे. बड़ी मुश्किल से राधिका की मम्मी बीचबचाव कर बहस को बंद करवाती थी. राधिका के एक म्यूजिक वीडियो के चर्चा में आने पर घर में तनाव और बढ़ गया था.

इस वीडियो में मुंबई के कलाकार इनाम का ‘कारवां’ नामक एक गाना है, जिसे जीशान अहमद ने प्रोड्यूस किया है. इसे एक साल पहले एलएलएफ रिकौड्र्स लेवल के तहत रिलीज किया गया था. हालांकि इस का ठीक से प्रमोशन नहीं हो पाया था. वीडियो में कई दृश्यों में राधिका इनाम के साथ नजर आती है. पिछले दिनों राधिका ने इसे अपने सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया था. यह भी कहा जाता है कि दीपक ने वीडियो पर आपत्ति जताई थी और उसे अपने सोशल मीडिया अकाउंट से इसे हटाने के लिए कहा था.

पुलिस का कहना है कि दीपक ने अपने गांव में अपनी बेटी की कमाई पर निर्भर रहने के बारे में टिप्पणी मिलने के बाद और भी आक्रामक तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया था. उन्होंने पुलिस को बताया कि वह शर्मिंदा महसूस करता था और उस की बातों से ऐसा लगता था कि वह अपनी बेटी की कामयाबी पर जीता है. जब वह वजीराबाद गांव में दूध लेने जाते थे तो लोग उन्हें ताना मारते थे और कहते थे कि यह अपनी बेटी की कमाई पर जीता है.

इस तरह लोगों के तानों से उन्हें बहुत परेशानी होती थी और वह मानसिक तनाव में आ जाते थे. कुछ लोगों ने उन की बेटी के चरित्र पर भी सवाल उठाए थे. उन का यहां तक कहना था कि वह गैर जाति और गैरधर्म के लड़के के साथ फरार हो सकती है. इसी पर उन्होंने राधिका से कहा था कि वह अपनी टेनिस एकेडमी बंद कर दे, लेकिन उस ने साफसाफ मना कर दिया था. राधिका को पिछले दिनों एक मैच के दौरान कंधे में चोट लग गई थी, जिस के कारण उसे अपना खेल रोकना पड़ा था. हालांकि वह टेनिस से पूरी तरह दूर नहीं होना चाहती थी. इस कारण उस ने बच्चों को कोचिंग देने का काम चुना था.

दीपक ने यह भी कुबूल कर लिया कि 10 जुलाई, 2025 की सुबह उन्होंने अपनी लाइसेंसी 0.32 बोर की रिवौल्वर निकाली और बेटी राधिका को नाश्ता बनाते समय पीछे से गोली मार दी. 4 राउंड फायर किए गए, जिन में से 3 गोलियां उसे लगीं. इस मामले की रिपोर्ट राधिका के छोटे भाई और राधिका के चाचा कुलदीप यादव ने दर्ज कराई. कुलदीप ने रिपोर्ट में लिखवाया कि राधिका एक प्रसिद्ध टेनिस खिलाड़ी थी. उस ने कई ट्राफी जीती थीं. उस की मौत से सभी स्तब्ध हैं. उन्होंने बताया कि जब मैं पहली मंजिल पर गया तो वहां सिर्फ मेरा भाई दीपक, भाभी मंजू यादव और राधिका ही मौजूद थे.

कुलदीप की तहरीर पर पुलिस ने दीपक के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103 (1) और शस्त्र अधिनियम की धाराओं के तहत मामला दर्ज कर लिया. गुरुग्राम पुलिस प्रवक्ता संदीप कुमार ने यह भी बताया कि हत्या में इस्तेमाल हथियार को जब्त कर लिया गया है और फोरैंसिक और बैलिस्टिक विश्लेषण के लिए भेज दिया गया है. दीपक यादव को मुख्य आरोपी बनाया गया था. उन की पत्नी मंजू यादव गोलीबारी के समय घर में मौजूद थीं, लेकिन उन्होंने लिखित बयान देने से इनकार कर दिया. उन का कहना था कि उन्हें बुखार था और वह कमरे में थीं. उन का बेटा धीरज घटना के समय घर पर नहीं था.

जब यह घटना हुई, तब वह अपने कमरे में आराम कर रही थीं और कहा कि उन्हें ‘प्रेशर कुकर फटने’ जैसी आवाज सुनाई दी थी, तब वह कमरे से बाहर निकली थीं. उन्होंने यह भी कहा कि राधिका का चरित्र अच्छा था और उस ने कभी परिवार को बदनाम नहीं किया. राधिका यादव एक पेशेवर टेनिस खिलाड़ी थी, जिस ने न सिर्फ राष्ट्रीय बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी पहचान बनाई थी. इंटरनैशनल टेनिस फेडरेशन और वीमेंस टेनिस एसोसिएशन के कई टूर्नामेंट्स में उस ने भाग लिया था. जून 2024 में ट्यूनीशिया में आयोजित डब्लू 15 टूर्नामेंट में भी उतरी थी.

इस के अलावा उस का मुकाबला ताइवान, श्रीलंका और यूक्रेन की खिलाडिय़ों से भी हो चुका है. उस की आईटीएफ रैंकिंग 1600 के करीब रही थी, जो किसी भी उभरती भारतीय खिलाड़ी के लिए उपलब्धि मानी जाती है. राधिका केवल खिलाड़ी ही नहीं, एक कोच भी थी. उस ने गुरुग्राम में एक निजी टेनिस एकेडमी शुरू की थी, जहां वह दरजनों बच्चों को प्रशिक्षित कर रही थी. पुलिस ने राधिका की हत्या के आरोपी उस के पिता से पूछताछ करने के बाद उसे कोर्ट में पेश के जेल भेज दिया.

कथा लिखने तक पुलिस मामले की जांच कर रही थी. पुलिस राधिका के आईफोन को भी खंगाल रही है. शायद उस में कोई राज छिपा मिले. Crime Story in Hindi

 

बरखास्त सिपाही बना एटीएम बाबा

इस बार होली का त्यौहार खत्म होते ही बिहार में पंचायत चुनाव की गहमागहमी तेज हो चुकी थी. छपरा के रहने वाले सुधीर मिश्रा की 30 वर्षीया पत्नी रेखा मिश्रा पर भी चुनाव लडऩे की सनक सवार थी. वह छपरा में मोहब्बत परसा गांव से मुखिया के लिए चुनाव लडऩे पर अड़ी हुई थी. वह पूरे गांव के लोगों को अपनी तरफ करने के लिए हर तरह की जोरआजमाइश कर रही थी.

उस के समर्थक चाहते थे कि उस की तरफ से गांव के लोगों को ‘भोजभात’ करवाया जाए. रेखा के देवर नीरज और भाई भास्कर ओझा समेत गांव के कुछ लोग भी इस के पक्ष में थे. उन का मानना था कि बहुमत वाली जाति से अधिक जरूरी छोटीछोटी जातियों के समर्थन का था. महादलित के वोट से उन की जीत को कोई नहीं रोक सकता था. इसलिए वह उन के सभी टोले के लोगों के लिए मीटचावल का भोजभात करवाना चाहती थी.

चुनाव जीतने की बनाई प्लानिंग

रेखा ने अपने लोगों के साथ बैठ कर इस के लिए मीटिंग की. सभी ने एकजुट में कहा कि उन्हें एक नहीं 2 भोजभात करवाने होंगे. एक ऊंची जाति के लोगों के लिए और दूसरा सभी अनुसूचित जाति के लोगों के लिए होना चाहिए. महादलित औरतों को साड़ी भी बंटवानी होगी. साड़ी तो सवर्ण जाति की महिलाओं को भी देनी होगी. रेखा चाहती थी कि गांव के पोखर की भी साफसफाई अभी ही करवा दे, ताकि छठ आने तक उस में बारिश का साफ पानी जमा हो सके.

“इन सब पर कितना खर्चा आ जाएगा?” रेखा ने सवाल किया.

“भाभी, खर्चा तो लाखों में आएगा, लेकिन वोट भी तो हजारों में मिलेंगे.” रेखा का देवर नीरज बोला.

“तो फिर भाई को बोलो न,” रेखा ताना मारते हुए बोली.

उसी वक्त सुधीर मिश्रा वहां आ पहुंचा. उस ने भी अपनी नेताइन पत्नी रेखा का व्यंग्य सुना.

उसी के लहजे में वह बोला, “पैसे की बात आती है तब सुधीर मिश्रा. मुझे एटीएम समझ रखा है क्या?”

“अरे हां, तुम हमारे एटीएम नहीं तो और क्या हो? सिर्फ तुम्हारी जेब में हाथ डालनी होती है.” रेखा का यह कहना था कि वहां मौजूद सभी खिलखिला कर हंस पड़े.

“अरे जीजाजी, तभी तो लोग आप को ‘एटीएम बाबा’ कहते हैं,” सुधीर का साला भास्कर बोला.

“एटीएम मेरी जेब में लगा है क्या?” सुधीर व्यंग्य से बोला.

“जेब में नहीं लगा है, लेकिन कहीं और तो लगा है न…” भास्कर बोला.

“क्या मतलब है तुम्हारा?” सुधीर नाराजगी के साथ बोला.

“मैं नहीं जानती, एटीएम कहां लगा है कहां नहीं. मुझे तो भोजभात के खर्च का इंतजाम चाहिए. अब तुम जहां से करवा दो.” रेखा बोली.

“भैया, लखनऊ में तो आप के बहुत जानपहचान वाले हैं, क्यों नहीं उन से बात करते हैं. आप को मदद करने में वे कभी पीछे नहीं हटेंगे.” नीरज बोला.

“कहता तो ठीक है, मेवात वाले से भी बात करता हूं.” अब तक सुधीर गंभीर हो गया था, “अब बीवी ने चुनाव जीतने की सौगंध खा ली है तो मेरा भी तो उस का साथ देने का फर्ज बनता है.”

“फर्ज की बात करते हो, सरकारी ठेका आएगा तो सब से पहले तुम्हीं हाथ पसारे आओगे.” रेखा बोली.

“भाभी, वह तो बाद की बात है. अगर भैया को ठेका मिलेगा तो घी कहां गिरेगा दाल में ही न!” नीरज बोला.

“हां दीदी, हमें मत भूलना.” भास्कर बोला.

“चलो मीटिंग खत्म करो, तुम लोग अभी से ही खयाली पुलाव पकाने लगे. पहले सब मिल कर पैसे का इंतजाम करो, बाकी आगे मैं सब कुछ संभाल लूंगी.” रेखा बोली और मीटिंग से जाने के लिए अपनी कुरसी से उठ कर खड़ी हो गई.

उस के साथ सहयोगी महिला रजिस्टर संभालती हुई बोली, “हमें पंडिताइन के दालान में भी मीटिंग में जाना है. वहां 150 से अधिक महिलाएं पहुंच चुकी हैं. फोन आया था.”

“अरे हां, मैं तो भूल ही गई थी. ठीक है, चलो, चलो जल्दी करो.”

एटीएम काट कर निकाले 40 लाख रुपए

बात 3 अप्रैल, 2023 की है. लखनऊ के सुशांत लोक थाने में सुबह करीब 10 बजे किसी ने फोन कर बताया कि उन के इलाके का एसबीआई एटीएम टूटा पड़ा है. लगता है उसे काट कर पैसे निकाल लिए गए हैं. इस सूचना पर एसएचओ शैलेंद्र गिरि तुरंत अपने कुछ सहयोगियों के साथ घटनास्थल पर जा पहुंचे.

एटीटीएम थाने से 2 किलोमीटर दूर खुरदही बाजार में था. शैलेंद्र गिरि के साथ हैडकांस्टेबल अमरनाथ और 3 सिपाहियों में रामायण भारती, चंद्रप्रकाश सिंह और धर्मेंद्र भी थे. घटनास्थल पर टूटे एटीएम को देख कर अनुमान लगाया गया कि इसे रात में गैस कटर से गया है. उस में से निकाले गए पैसों की जानकारी उस में दर्ज रिकौर्ड से हुई, जो 39.58 लाख थे.

एसएचओ ने वारदात का खाका खींचने के बाद वहां लगे सीसीटीवी कैमरे पर नजर दौड़ाई, जिसे खोल लिया गया था. उस की आसपास खोज की गई. एटीएम बूथ और उस के आसपास काफी छानबीन के बाद कैमरे एक दुकान के चबूतरे के नीचे मिले.

इस घटना की जांच को ले कर थाने में पुलिस अधिकारियों की गहन बैठक हुई. कई कोणों से इस तरह की बढ़ती घटना की तह में जाने के लिए जौइंट कमिश्नर निलाब्ज चौधरी के निर्देश पर 5 टीमें बनाई गईं. उन को सर्विलांस से ले कर अपराधियों की गिरफ्तारी और पैसे की बरामदगी तक की जिम्मेदारी सौंपी गई. एक टीम ने सीसीटीवी कैमरो में मिली लोकेशन का अध्ययन किया. जिस से मालूम हुआ कि लुटेरे नीले रंग की कार से आए थे और घटना को अंजाम देने के बाद वे उसी से वापस चले गए थे.

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सर्विलांस टीम (दक्षिणी) के सदस्यों में एसआई सुमित बालियान, हैडकांस्टेबल मंजीत सिंह, बद्री विशाल तिवारी, सौरभ दीक्षित, सिपाही गिरीश चौधरी और रविंद्र सिंह को एसएचओ ने शहर के चारों दिशाओं में पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, आगरा एक्सप्रैसवे, सीतापुर लखनऊ राजमार्ग, सुलतानपुर अयोध्या राजमार्ग, बुंदेलखंड एक्सप्रैसवे के बौर्डर पर लगा दिया. वे टोल प्लाज केंद्रों पर तैनात कर दिए गए थे.

वहां लगे हुए सीसीटीवी कैमरों को खंगाला गया. पूर्वांचल एक्सप्रैसवे पर एक नीले रंग की कार जाती दिख गई. साथ ही टोल प्लाजा पर फास्टटैग चुकाते समय उस की लोकेशन भी मिल गई. टोल प्लाजा से मिला सुराग जांच की कड़ी को जोडऩे के लिए महत्त्वपूर्ण साबित हुआ. उस से गाड़ी का नंबर मिल गया और लुटेरों तक पहुंचने की कुछ उम्मीद जाग गई.

लेकिन इस जांच मेंं जल्द ही निराशा भी हाथ लगी. पूर्वांचल एक्सप्रैसवे पर ही गोसाईगंज, लखनऊ में टोल प्लाजा पर लगे सीसीटीवी में उसी गाड़ी का नंबर दूसरा था. इस का मतलब साफ था कि वारदात करने वालों ने गोसाईगंज टोल प्लाजा पर पहुंचने से पहले गाड़ी की नंबर प्लेट बदल दी थी. किंतु वहां से वह मारुति बलेनो कार पूर्वांचल एक्सप्रैसवे की सीमा से लगे हैदरगंज बाराबंकी की ओर जाती हुई दिखाई दी.

सीसीटीवी कैमरों के सहारे आगे बढ़ी जांच

उस के बाद हैदरगंज बाराबंकी में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच की गई तो वहां कार का नंबर बदला हुआ पाया गया. उस नंबर से कार बिहार की थी. उस नंबर की जांच में पाया गया कि कार छपरा (बिहार) निवासी वितेश कुमार के नाम दर्ज है. इस छोटे से सुराग के सहारे दक्षिण जोन के डीसीपी विनीत जायसवाल ने जौइंट पुलिस कमिश्नर क्राइम (उत्तर प्रदेश) के निर्देश पर एडिशनल डीसीपी, एसीपी (गोसाईंगंज) सुश्री स्वाति चौधरी तथा डीसीपी (दक्षिणी जोन) के सर्विलांस की 2 अलगअलग टीमों का गठन किया गया.

दोनों टीमें सुशांत गोल्फ सिटी के एसएचओ शैलेंद्र गिरि के नेतृत्व में बनाई गई थीं, जिन्हें बिहार भेज दिया गया. छपरा में यूपी पुलिस की मेहनत रंग लाई. उन्होंने बलेनो कार के मालिक वितेश कुमार को ढूंढ निकाला. उस ने बताया कि 3 अपै्रल, 2023 को सुधीर मिश्रा उस के घर आया था. उसे लोग बुलबुल मिश्रा के नाम से भी जानते हैं, लेकिन एटीएम बाबा के रूप में वह लोकप्रिय है. सुधीर मिश्रा के बारे में तहकीकात से पता चला कि वह बिहार पुलिस का एक बरखास्त सिपाही है.

वितेश ने उत्तर प्रदेश पुलिस को बताया कि 3 अप्रैल को सुधीर उस के पास आ कर बोला कि उस की पत्नी की तबियत काफी बिगड़ गई है, उसे अस्पताल ले जाना है, इसलिए उस की बलेनो कार की जरूरत है. शैलेंद्र गिरि के लिए इस जानकारी में चौंकाने वाली एक बात उस का चर्चित नाम ‘एटीएम बाबा’भी था.

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वह सोच में पड़ गए कि उसे लोग आखिर इस नाम से क्यों पुकारते होंगे? क्या वह एटीएम इस्तेमाल के बारे में जानकारी रखता था? इस के इस्तेमाल के तरीके के बारे में लोगों को गाइड करता था? या फिर उस की सुरक्षा में लगा हुआ था? इन्हीं सवालों में एक और सवाल मन में आया कि कहीं वह किसी एटीएम लुटेरों के गैंग से तो नहीं जुड़ा था?

एसएचओ ने इन सवालों का जवाब पाने के लिए उन्होंने सर्विलांस टीम को सुधीर मिश्रा के बारे में पूरी जानकारी मालूम करने के लिए लगा दिया. इस जांच में पता चला कि सुधीर एटीएम लुटेरों के गैंग में शामिल था, जिस का खास सदस्य विजय पांडेय और देवेश पांडेय हैं. दोनों इंजीनियर हैं और संत कबीरनगर में रहते हैं.

दोनों एटीएम में कैश लोड करने का काम करते थे और एटीएम के एक्सपर्ट थे. दोनों गोमती विहार के सरयू अपार्टमेंट में किराए के फ्लैट में रहते थे. उन्हें पुलिस गिरफ्तार तो नहीं कर पाई, पर इतना जरूर पता चला कि वे सुधीर मिश्रा के छोटे भाई नीरज मिश्रा के संपर्क में थे.

पुलिस को नीरज मिश्रा तक पहुंचने में ज्यादा मुश्किल नहीं हुई. वह छपरा में दबोच लिया गया. उस की गिरफ्तारी होते ही सुधीर मिश्रा समेत पंकज, राज, भीम के अलावा 4 मेवात के लुटेरे भी पकड़ लिए गए. उन से पूछताछ करने पर मालूम हुआ कि एटीएम लूट को उन्होंने ही सुधीर मिश्रा के इशारे पर अंजाम दिया था. इस की साजिश सुधीर मिश्रा ने ही रची थी. जिस एटीएम को निशाना बनाया गया, उस की रेकी देवेश व विजय ने ही करवाई थी.

बड़ी आसानी से काट लिया एटीएम

पूछताछ में वारदात के सरगना सुधीर मिश्रा ने बताया कि एटीएम के भीतर घुसते ही उन्होंने पहले सीसीटीवी पर काली स्याही डाल दी थी. इस से वे कैमरे में कैद नहीं हो पाए थे. बाहर के फुटेज और गाड़ी नंबर के आधार पर पुलिस ने जांच शुरू की थी. घटनास्थल पर 3 मोबाइल नंबर सक्रिय मिले थे. इन की मदद से गिरोह तक पुलिस पहुंच पाई थी.

जांच में पता चला कि सरगना सुधीर मिश्रा व उस के गिरोह के सदस्यों पर दरजनों केस दर्ज हैं. कुछ लोगों पर हत्या व लूट के केस भी हैं. सुधीर पर एटीएम काटने संबंधी 12 केस हैं. वह पहले भी जेल जा चुका है, इसलिए वह एटीएम बाबा के नाम से मशहूर है. वह खुद बिहार में बैठ कर अलगअलग राज्यों में मेवातियों की मदद से वारदात को अंजाम देता रहा है.

एटीएम में चोरी करने की रिपोर्ट हितांक्षी पेमेंट सर्विसेज (सीएमएस) प्राइवेट लिमिटेड के लीगल एडवाइजर एडवोकेट मोहम्मद सलमान ने 3 अप्रैल, 2023 को भादंवि की धारा 457/380 के अंतर्गत दर्ज करवा दी. उन के बारे में पूरी कहानी 8 मई, 2023 को विजय पांडेय उर्फ सर्वेश की गिरफ्तारी के बाद सामने आई. इस में सुधीर की पत्नी रेखा मिश्रा का नाम सामने आया तो वह फरार हो गई थी. पकड़े गए सभी अभियुक्तों से 14 लाख 63 हजार रुपए रकम बरामद हुई.

गिरफ्तार किए गए सभी 11 आरोपियों की अपनीअपनी क्राइम हिस्ट्री थी, जिन का सरगना बरखास्त सिपाही सुधीर मिश्रा ही था. लखनऊ के नए स्थापित थाना गोल्फ सिटी से करीब 25 किलोमीटर दूर सुलतानपुर रोड पर खरदही बाजार है. यह शहर के बाहरी इलाके में है. यहां अंसल ग्रुप द्वारा सुशांत गोल्फ सिटी कई दूसरी नई कालोनियां विकसित की गई हैं. यहीं पराग दूध डेरी (फैक्ट्री), पुलिस विभाग का डीजीपी कार्यालय और पुलिस विभाग का हेल्पलाइन मुख्यालय भी बनाए गए हैं.

दूसरी तरफ सुधीर मिश्रा की पत्नी रेखा मिश्रा एक समाजसेवी महिला होने के कारण लोकल राजनीति में सक्रिय थी. उसे नेतागिरी का जबरदस्त चस्का लगा हुआ था. उसे पति सुधीर मिश्रा समेत परिवार के दूसरे सदस्यों की शह मिली थी. सभी उस की महत्त्वाकांक्षा को हवा देने में उस से चार कदम आगे रहते थे. वे उस की बदौलत भविष्य में सरकारी ठेका हासिल करने का मंसूबा रखते थे.

रेखा देख रही थी विधायक बनने का सपना

आजादखयालों वाली रेखा का सपना एक दिन विधायक बनने का भी था. वह बीते 2 सालों से 2025 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए जमीन तैयार करने में जुटी हुई थी. गांव के हर सामाजिक आयोजनों में बढ़चढ़ कर हिस्सा लेती थी. किसी के घर में शादीब्याह होने पर उपहार के साथ वरवधू को आशीर्वाद देने पहुंच जाती थी. किसी का निधन होने पर बगैर बुलाए वहां जा कर उस के दुख में शामिल हो जाती थी. अपनी महत्त्वाकांक्षाओं की संतुष्टि के लिए ही उस ने पति सुधीर मिश्रा से चुनाव लडऩे की पेशकश की थी.

कहने को तो सुधीर मिश्रा बिहार पुलिस में सिपाही था, लेकिन उस के संबंध अपराधी तत्त्वों से भी बने हुए थे. उन की संगति में ही वह कई वैसे गिरोहों के संपर्क में था, जो चोरी और एटीएम लूट आदि का काम करते थे. इस की न केवल पुलिस के बड़े अधिकारियों को भनक लगी, बल्कि एक एटीएम लूट में उस का नाम भी आ गया तो उसे बरखास्त कर दिया गया.

वह पंचायत चुनाव लडऩे के लिए पत्नी के दबाव में धन जुटाने की तैयारी में लग गया था. सब से पहले उस ने अपने भाई नीरज मिश्रा को साथ ले कर योजना बनाई. उस ने ही कुछ अन्य साथियों के साथ विजय पांडेय से संपर्क किया. वह हितांक्षी पेमेंट सर्विस (सीएमएस) प्राइवेट लिमिटेड द्वारा एटीएम को सप्लाई करने वाली नकद करेंसी का काम करता था.

हालांकि वह अपनी संदिग्ध गतिविधियों के चलते कंपनी से निष्कासित हो चुका था. नीरज के कहने पर वह उस के गैंग में शामिल हो गया था. उस के साथ राज तिवारी, पंकज कुमार पांडेय, कुमार भास्कर ओझा और सुधीर मिश्रा भी थे. सुधीर मिश्रा पहले भी कुछ आपराधिक गतिविधियों के चलते जेल जा चुका था, जहां राजस्थान के मेवाती गैंग के संपर्क में आ गया था और अपने भाई नीरज के साथ मिल कर नया गैंग बना लिया था.

नीरज मिश्रा ने लखनऊ के खुरदही बाजार में एटीएम की पलसर बाइक से रेकी कर मालूम कर लिया कि 3 अप्रैल की रात ही उस में 39 लाख रुपए की रकम डाली गई है. उस ने तुरंत अपने साथी गैंग के सभी सदस्यों को अलर्ट कर उन्हें एटीएम के पास बुला लिया. राज तिवारी, पंकज कुमार पांडेय, कुमार भास्कर ओझा गैस कटर ले कर आ गए. उन्होंने फटाफट एटीएम काटी और रकम निकाल कर नीले रंग की बलेनो कार से रात के डेढ़ बजे लखनऊ आ गए.

बाद में पुलिस ने बरखास्त सिपाही सुधीर मिश्रा की पत्नी रेखा मिश्रा को भी गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में लुटेरों ने बताया कि पहले वे बगैर सिक्योरिटी गार्ड वाले एटीएम को टारगेट बनाया करते थे. गार्ड नहीं होने की वजह से उस का शटर गिरा कर टेक्निकल सदस्य बन कर काम करते थे. इस दौरान सुधीर खुद बाहर रखवाली किया करता था. वे बाहर से सीसीटीवी कैमरों पर ब्लैक पेंट कर दिया करते थे.

आरोपियों से पूछतछ के बाद उन की निशानदेही पर 14.63 लाख रुपए नकद के अलावा, 2 फरजी नंबर प्लेट, मारुति बलेनो कार, पलसर बाइक, 6 आरी, गैस पाइप, सिलेंडर, रेग्युलेटर, पेचकस, प्लास आदि सामान बरामद हुआ.

सभी आरोपियों से पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया गया.