11 साल बाद

उस दिन अक्तूबर 2019 की 14 तारीख थी. इटावा कोतवाली प्रभारी निरीक्षक अनिलमणि त्रिपाठी अपने कार्यालय में बैठे थे. शाम करीब 4 बजे एक उम्रदराज व्यक्ति उन के पास आया. उस के चेहरे से भय व दुख साफ झलक रहा था. त्रिपाठी ने उसे सामने पड़ी कुरसी पर बैठने का इशारा किया फिर पूछा, ‘‘आप कुछ परेशान दिख रहे हैं. बताइए, क्या बात है?’’

‘‘सर, मेरा नाम प्रमोद कुमार मिश्रा है और मैं शहर के कटरा बलसिंह मोहल्ले में रहता हूं. मेरी बहू दिव्या मिश्रा की किसी ने हत्या कर दी है.’’ उस ने बताया.

शहर के बीचोंबीच स्थित मोहल्ले में दिनदहाड़े महिला की हत्या की बात सुन कर कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी चौंक पड़े. उन्होंने महिला की हत्या की सूचना अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दी, फिर आवश्यक पुलिस के साथ कटरा बलसिंह मोहल्ला स्थित प्रमोद कुमार मिश्रा के मकान पर पहुंच गए.

उस समय घर के बाहर भीड़ जुटी थी. प्रमोद कुमार मिश्रा कोतवाल को तीसरी मंजिल पर स्थित उस कमरे में ले गए, जहां उन की बहू दिव्या की लाश पड़ी थी. लाश खून से लथपथ थी.

उस के सिर के पिछले भाग में चोट का गहरा निशान था. लाश के पास ही चीनी मिट्टी का बना फूलदान टूटा पड़ा था. संभवत: उसी गुलदस्ते से प्रहार कर उस की हत्या की गई थी. कमरे का सामान अस्तव्यस्त था. देखने से प्रतीत होता था कि दिव्या ने हत्यारे से संघर्ष किया था.

कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी अभी घटनास्थल का निरीक्षण कर ही रहे थे कि सूचना पा कर एएसपी (सिटी) डा. रामयश सिंह, एएसपी (ग्रामीण) रामबदन सिंह तथा सीओ चंद्रपाल सिंह वहां आ गए. पुलिस अधिकारियों ने फोरैंसिक तथा डौग स्क्वायड टीम को भी मौके पर बुला लिया.

पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया. इसी दौरान अधिकारियों ने मृतका की देह में कुछ हरकत महसूस की. जीवित होने की संभावना पर दिव्या को आननफानन में जिला अस्पताल भेजा गया, लेकिन डाक्टरों ने उसे देखते ही मृत घोषित कर दिया.

फोरैंसिक टीम ने जहां घटनास्थल की गहन जांच कर फिंगरप्रिंट लिए, वहीं खोजी कुत्ता घटनास्थल पर पड़े खून को सूंघ कर कमरे में चक्कर लगाता रहा फिर मकान के नीचे उतरा और लडैती भवन तक गया. उस के बाद वापस आ गया. खोजी कुत्ता मददगार साबित नहीं हुआ.

पुलिस अधिकारियों को पूछताछ से पता चला कि दिव्या मिश्रा, टीवी एंकर अजितेश मिश्रा की पत्नी थी. घटना के समय अजितेश मिश्रा नोएडा में था. पिता प्रमोद मिश्रा ने फोन कर के उसे दिव्या की मौत की सूचना दे दी.

प्रमोद ने दिव्या के मायके वालों को भी उस की मौत की खबर दे दी थी. खबर पा कर दिव्या का भाई, पिता, नानी आदि जिला अस्पताल पहुंच गए. सब दिव्या की मौत पर आंसू बहा रहे थे.

जिला अस्पताल में सिटी मजिस्ट्रैट सत्येंद्र नाथ पांडेय की उपस्थिति में दिव्या के शव का पंचनामा भर कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया. रात 10 बजे शव का पोस्टमार्टम डा. पल्लवी दीक्षित, डा. उदय प्रताप तथा डा. ऋषि यादव ने किया. लेकिन पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को नहीं सौंपा गया. क्योंकि पुलिस को अभी कुछ और जांच करनी थी. हालांकि शव लेने मृतका का पति अजितेश आ गया था.

दरअसल, उस दिन एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा विभाग की लखनऊ में आयोजित की गई क्राइम मीटिंग में गए थे. वापस आने पर उन्हें हत्याकांड की जानकारी हुई तो वह रात 10 बजे घटनास्थल पर पहुंचे. उन्होंने पुन: फोरैंसिक टीम को बुलाया और जांच कराई.

मिश्रा रात 2 बजे तक घटनास्थल पर रहे और एकएक बिंदु की बारीकी से जांच की. जांच प्रभावित न हो इसलिए दिव्या का शव परिजनों को नहीं सौंपा गया था. उन के द्वारा जांच कराए जाने के बाद शव परिजनों को सौंप दिया गया.

शव का दाह संस्कार करने के बाद प्रमोद कुमार मिश्रा सिविल लाइंस कोतवाली पहुंचे और अज्ञात के खिलाफ बहू की हत्या की रिपोर्ट दर्ज कराई. एसएसपी ने इस हाईप्रोफाइल केस की जांच के लिए सीओ (सिटी) चंद्रपाल सिंह के नेतृत्व में एक विशेष टीम बनाई. विशेष टीम में कोतवाल अनिलमणि त्रिपाठी, स्वाट टीम प्रभारी सत्येंद्र सिंह यादव के अलावा तेजतर्रार पुलिस अधिकारियों को शामिल किया गया.

पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का एक बार फिर से निरीक्षण किया, फिर घर के मुखिया प्रमोद कुमार मिश्रा से पूछताछ की. उन्होंने बताया कि वह कर्वा खेड़ा जनता माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे, जहां से एक साल पहले सेवानिवृत्त हुए थे. घर में पत्नी के अलावा बहू दिव्या मिश्रा तथा बूढ़ी मां रहती थी. पत्नी कुछ दिन पहले बड़े बेटे के पास चली गई थी.

स्कूल से सेवानिवृत्त होने के बाद प्रमोद कुमार सामाजिक कार्यों में व्यस्त रहने लगे थे. वह सुबह 11 बजे नाश्ता कर के घर से निकलते, फिर डेढ़दो बजे तक घर वापस आते थे. शाम को फिर 5 बजे घर से निकलते और रात 8 बजे घर वापस आ जाते थे. उन के कमरे का दरवाजा बाहर की ओर खुलता था. उसी से वह आतेजाते थे. मकान के मुख्य दरवाजे से उन का ज्यादा वास्ता नहीं रहता था.

14 अक्तूबर, 2019 को वह 11 बजे नाश्ता कर के घर से कर्वा खेड़ा स्कूल जाने को निकले. स्कूल स्टाफ ने उन्हें किसी जरूरी काम के लिए बुलाया था. स्कूल का काम निपटा कर वह अपराह्न लगभग 2 बजे घर आए. उन्होंने खाना देने हेतु बहू दिव्या को आवाज लगाई, लेकिन बहू ने कोई जवाब नहीं दिया. फिर उन्होंने उस से मोबाइल पर बात करने की कोशिश की, लेकिन उस ने मोबाइल रिसीव नहीं किया. इस से उन्हें लगा कि शायद बहू सो गई है. वह भी आराम करने लगे.

लगभग 3 बजे उन की आंखें खुलीं तो निगाह मेनगेट पर चली गई, जो खुला हुआ था. वह समझ गए कि घर में किसी का आनाजाना हुआ है. घर में कौन आयागया, यह पता लगाने के लिए वह तीसरी मंजिल पर पहुंचे. बहू दिव्या का कमरा खुला था. उन्होंने आवाज लगाई. लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. तब उन्होंने कमरे में प्रवेश किया.

कमरे के अंदर का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था. बहू दिव्या फर्श पर खून से लथपथ पड़ी थी. फूलदान टूटा हुआ था. चिल्लाते हुए वह बाहर आए और पड़ोसियों को जानकारी दी. उस के बाद वह थाने पहुंचे.

प्रमोद मिश्रा की बात सुनने के बाद सीओ चंद्रपाल सिंह ने पूछा, ‘‘आप को किसी पर शक है? या फिर आप के घर किसी विशेष व्यक्ति का आनाजाना था?’’

‘‘सर, दिव्या किसी अनजान व्यक्ति के लिए गेट नहीं खोलती थी. मेरी गैरमौजूदगी में अगर कोई आता भी था तो वह यह कह कर वापस कर देती थी कि पापा घर पर नहीं हैं.’’

‘‘हत्या कहीं लूट के इरादे से तो नहीं की गई?’’ सीओ चंद्रपाल सिंह ने उन से पूछा. ‘‘नहीं सर, घर में लूट नहीं हुई. घर का कीमती सामान, आभूषण तथा नकदी सब सुरक्षित है. मैं ने सब चैक कर लिया है.’’ प्रमोद मिश्रा ने बताया.

पति आया शक के दायरे में  घर में घटना के समय प्रमोद मिश्रा की वृद्ध मां मौजूद थीं. वह चलनेफिरने और बोलनेचालने में भी लाचार थीं. उन्हें दिखाई भी कम देता था. ऐसी स्थिति में पुलिस ने उन से पूछताछ करना उचित नहीं समझा.

पुलिस टीम ने प्रमोद मिश्रा के पड़ोसियों से भी पूछताछ की. लेकिन हत्या के संबंध में वह कोई जानकारी नहीं दे सके. टीम ने मृतका दिव्या के भाई सचिन कुमार तथा अन्य परिजनों से पूछताछ की, लेकिन वह भी कोई खास जानकारी नहीं दे पाए.

दिव्या का पति अजितेश मिश्रा पुलिस टीम को जांच में सहयोग नहीं कर रहा था. टीम के सदस्य जब भी उस से पूछताछ करने की कोशिश करते, वह बेहोश हो जाने का नाटक करता. उस के इस नाटक से पुलिस टीम को शक हुआ. वैसे भी पुलिस टीम को किसी करीबी पर ही शक था.

अत: पुलिस टीम ने कुछ सख्त रुख अपनाया. तब वह बोला, ‘‘सर, दिव्या को मैं बेहद प्यार करता था. वह भी मुझे बहुत चाहती थी. वह मेरे साथ नोएडा में ही रहती थी. कुछ दिनों पहले मेरी मां जब बड़े भाई के पास नासिक चली गईं, तब मैं ने ही दिव्या को अपनी दादी और पापा की देखभाल के लिए नोएडा से घर भेज दिया था. पता नहीं मैं ने किसी का क्या बिगाड़ा था, जो उन्होंने मेरी पत्नी को मुझ से छीन लिया. पत्नी के जाने के बाद मेरा तो जीवन ही बरबाद हो गया.’’

अब तक पुलिस टीम को दिव्या की पोस्टमार्टम रिपोर्ट भी मिल गई थी. रिपोर्ट के मुताबिक दिव्या की मौत सिर में गंभीर चोट लगने से हुई थी. उस का गला भी कसा गया था. बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई थी, फिर भी स्लाइड बना ली गई थी.

पुलिस टीम को मृतका के पति पर शक था. अत: पुलिस टीम ने अजितेश और दिव्या के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर गहनता से छानबीन की तो पता चला अजितेश 4 मोबाइल नंबरों पर ज्यादा बातें करता था, जिस में एक नंबर उस की पत्नी दिव्या का था, दूसरा उस के पिता प्रमोद मिश्रा का था. तीसरे और चौथे नंबर संदिग्ध थे.

इन संदिग्ध नंबरों के विषय में पूछने पर अजितेश ने बताया कि ये नंबर एफएम टीवी न्यूज चैनल में उस के साथ काम करने वाली भावना आर्या तथा दोस्त अखिल कुमार के हैं. इस में भावना आर्या के फोन पर अजितेश की लगभग हर रोज बातें होती थीं.

टीवी चैनल की मेकअप आर्टिस्ट से था चक्कर कहीं भावना व अजितेश के बीच नाजायज संबंधों का मकड़जाल तो नहीं? इस की जानकारी करने पुलिस टीम 16 अक्तूबर, 2019 को एफएम टीवी न्यूज चैनल के सेक्टर-63 नोएडा स्थित औफिस पहुंची और कई लोगों से पूछताछ की. पता चला कि भावना आर्या और अजितेश के बीच कुछ ज्यादा ही गहरे प्रेम संबंध हैं.

इन संबंधों के कारण पतिपत्नी के बीच तनाव बढ़ गया था. अखिल दोनों के प्यार की धुरी बना हुआ था. यह जानकारी भी मिली कि अजितेश की पत्नी दिव्या अखिल को अपना मुंहबोला भाई मानती थी और उसे राखी बांधती थी.

यह पता चलते ही पुलिस टीम ने भावना आर्या और अखिल कुमार को उन के कार्यालय से हिरासत में ले लिया और उन्हें ले कर इटावा आ गई. पुलिस ने सिविल लाइंस कोतवाली में अजितेश को भी बुलवा लिया. अजितेश का सामना भावना आर्या और अखिल से हुआ तो उस का चेहरा फीका पड़ गया.

पुलिस टीम ने सब से पहले अखिल से पूछताछ की. अखिल पहले तो पुलिस टीम को बरगलाता रहा और कहता रहा कि दिव्या उस की मुंहबोली बहन थी. भला एक भाई अपनी बहन की हत्या कैसे कर सकता है.

लेकिन जब पुलिस टीम ने उस पर सख्ती की तो वह टूट गया. उस ने दिव्या की हत्या का जुर्म कबूल कर लिया. उस ने बताया कि हत्या का षडयंत्र अजितेश और उस की प्रेमिका भावना आर्या ने रचा था. पैसों का लालच दे कर उसे दिव्या की हत्या के लिए इटावा भेजा गया था. अखिल ने स्वीकार कर लिया कि दिव्या की हत्या उस ने ही की थी.

अखिल के बाद अजितेश और भावना ने भी जुर्म कबूल कर लिया. भावना ने बताया कि वह अजितेश से प्यार करती थी. दोनों शादी करना चाहते थे, लेकिन अजितेश की पत्नी दिव्या उस के प्यार में बाधक थी, इसलिए षडयंत्र रच कर उस को मरवा दिया.

अजितेश ने बताया कि उस की शादी को 3 वर्ष बीत चुके थे, लेकिन दिव्या संतान सुख नहीं दे पाई, जिस से वह उस से दूर भागने लगा. इसी बीच साथ काम करने वाली भावना से उस की दोस्ती हुई. दोस्ती प्यार में बदल गई और दोनों शादी करने को राजी हो गए. लेकिन इस में पत्नी दिव्या दीवार बन गई थी, इसलिए उसे रास्ते से हटा दिया गया.

न्यूज एंकर और उस की प्रेमिका ने स्वीकारा जुर्म  पुलिस टीम ने दिव्या हत्याकांड का परदाफाश करने तथा कातिलों को पकड़ने की जानकारी एसएसपी संतोष कुमार मिश्रा को दे दी. मिश्राजी ने आननफानन में प्रैसवार्ता आयोजित कर अभियुक्तों को मीडिया के समक्ष पेश कर घटना का खुलासा कर दिया. प्रैसवार्ता में एसएसपी ने घटना का खुलासा करने वाली टीम को 15 हजार रुपए पुरस्कार देने की भी घोषणा की.

चूंकि कातिलों ने हत्या का जुर्म स्वीकार कर लिया था, अत: पुलिस ने भादंवि की धारा 302, 120बी के तहत अजितेश मिश्रा, भावना आर्या तथा अखिल कुमार सिंह को नामजद कर के उन्हें विधिसम्मत बंदी बना लिया. पुलिस जांच से पति द्वारा पत्नी की हत्या किए जाने की सनसनीखेज घटना प्रकाश में आई.

उत्तर प्रदेश के इटावा शहर के सिविल लाइंस थाना अंतर्गत एक मोहल्ला कटरा बलसिंह पड़ता है. शहर के बीचोंबीच स्थित इस मोहल्ले में प्रमोद कुमार मिश्रा अपने परिवार के साथ रहते थे.

उन के परिवार में पत्नी सुधा के अलावा 3 बेटे थे, जिस में अजितेश सब से छोटा था. प्रमोद कुमार मिश्रा कर्वा खेड़ा जनता माध्यमिक विद्यालय में प्रधानाध्यापक थे, किंतु अब रिटायर हो चुके थे. मोहल्ले में उन की अच्छी प्रतिष्ठा थी. उन का अपना 3 मंजिला मकान था. उन की आर्थिक स्थिति भी मजबूत थी.

प्रमोद कुमार मिश्रा स्वयं उच्चशिक्षा प्राप्त थे, अत: उन्होंने तीनों बेटों को उच्चशिक्षा दिलाई थी. उन के 2 बेटे पढ़लिख कर नासिक में नौकरी करने लगे थे. उन्होंने दोनों बेटों की शादी भी अच्छे घरानों में की थी. होली दीवाली जैसे बड़े त्यौहारों पर बेटेबहू इटावा आते थे और घर में खुशियां मनाते थे.

अजितेश अपने अन्य भाइयों की अपेक्षा ज्यादा स्मार्ट तथा तेजतर्रार था. अजितेश पढ़लिख कर एफएम टीवी न्यूज चैनल नोएडा में काम करने लगा था. वह वहां न्यूज एंकर था. अजितेश कमाने लगा तो प्रमोद मिश्रा ने उस की शादी इटावा की ही फ्रैंड्स कालोनी निवासी राजीव तिवारी की बेटी दिव्या से सन 2015 में कर दी. दिव्या एमए की पढ़ाई कर रही थी. दिव्या बेहद खूबसूरत थी.

खूबसूरत पत्नी पा कर जहां अजितेश खुश था, वहीं उस के मातापिता भी फूले नहीं समा रहे थे. दिव्या ने ससुराल आते ही घर संभाल लिया था. वह पति का तो खयाल रखती ही थी, सासससुर की सेवा में भी कोई कोरकसर नहीं छोड़ती थी. वह अपनी ददिया सास का भी पूरा खयाल रखती थी.

दिव्या कुछ महीने ससुराल में रही, उस के बाद नोएडा चली गई और पति अजितेश के साथ रहने लगी. दिव्या और अजितेश का वैवाहिक जीवन सुखमय बीतने लगा. अजितेश को जब समय मिलता, वह दिव्या को सैरसपाटे के लिए भी ले जाता था.

दिव्या अखिल को मानती थी भाई  दिव्या के नोएडा स्थित घर पर अखिल कुमार सिंह का आनाजाना लगा रहता था. अखिल कुमार दिव्या के पति अजितेश के साथ चैनल में काम करता था. दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी.

अखिल दिव्या को बहन मानता था. दिव्या ने भी उसे मुंहबोला भाई बना लिया था. अखिल मूलरूप से अमर नगर, फरीदाबाद का रहने वाला था और अजनारा हाउस, ग्रेटर नोएडा में रहता था. दिव्या अखिल को अपना विश्वासपात्र मानती थी.

सुखमय जीवन व्यतीत करते 3 साल कब बीत गए, इस का अजितेश और दिव्या को पता ही नहीं चला. लेकिन इन 3 सालों में दिव्या मां नहीं बन सकी थी. जहां दिव्या के मन में गोद सूनी होने का दर्द था तो वहीं अजितेश के मन में भी मलाल था कि वह अभी तक बाप नहीं बन सका.

ऐसा नहीं था कि दिव्या ने अपना इलाज न कराया हो पर वह संतान सुख प्राप्त नहीं कर सकी थी. दिव्या जब भी ससुराल जाती तो सास उसे टोकती, ‘‘बहू, तू खुशखबरी कब देगी. खुशखबरी सुनने के लिए मेरे कान तरस रहे हैं.’’

दिव्या लजातेसकुचाते हुए सास को जवाब दे देती. धीरेधीरे अजितेश के मन में यह बात घर कर गई कि शायद दिव्या अब कभी मां नहीं बन पाएगी. इस टीस ने दोनों के प्यार में दरार पैदा कर दी. अब अजितेश दिव्या से दूर भागने लगा. मन ही मन वह उस से नफरत करने लगा.

अजितेश और भावना  इस तरह आए नजदीक उन्हीं दिनों अजितेश की नजर खूबसूरत भावना आर्या पर पड़ी. भावना आर्या के पिता ललित नारायण आर्या नई दिल्ली स्थित नैशनल स्टेडियम में नौकरी करते थे. भावना आर्या उन की लाडली बेटी थी. वह पढ़ीलिखी और तेजतर्रार थी. भावना भी एमएम टीवी न्यूज चैनल में मेकअप आर्टिस्ट थी. अजितेश और भावना एकदूसरे को अच्छी तरह से जानते थे. अकसर दोनों के बीच बातें होती रहती थीं.

इन्हीं बातों के चलते अजितेश भावना को चाहने लगा. वैसे तो वह कई सालों से उसे देखता आ रहा था, लेकिन उस के मन में भावना के प्रति प्यार तब जागा, जब संतान न होने पर पत्नी से उस की दूरियां बढ़ीं.

टीवी चैनल में मेकअप आर्टिस्ट होने की वजह से भावना का रहनसहन और व्यवहार उसी तरह का हो गया था. वह बनसंवर कर घर से आती थी तो देर रात को ही घर लौटती.

भावना की खूबसूरती अजितेश को अपनी ओर आकर्षित करने लगी थी. दिल के हाथों मजबूर अजितेश भावना का सामीप्य पाने को बेचैन रहने लगा था. इस के लिए वह भावना से नजदीकियां बढ़ाने लगा था, लेकिन वह उस से दिल की बात कह नहीं पा रहा था.

लेकिन दिल तो दिल है, वह कब किस पर आ जाए, कोई नहीं जानता. जब अजितेश से रहा नहीं गया तो एक दिन उस ने भावना से दिल की बात कह दी, ‘‘भावना, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं. तुम्हारा प्यार पाने को मैं बेचैन हूं. तुम मेरे दिल में रचबस गई हो.’’

अजितेश की बात सुन कर भावना बोली, ‘‘अजितेश, तुम शादीशुदा हो. फिर मेरा प्यार क्यों पाना चाहते हो. रही बात प्यार की, वह मैं तुम्हें पहले से ही करती हूं.’’

‘‘दिव्या और मेरे प्यार के बीच दरार पड़ गई है. मैं उस से नफरत करने लगा हूं. दिव्या खूबसूरत जरूर है पर 3 साल बाद भी वह मां नहीं बन सकी.’’ वह बोला.

भावना आर्या अजितेश को पहले से ही प्यार करती थी. अत: जब उसे वजह पता चली तो उस ने उस का प्यार स्वीकार कर लिया. इस के बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. दोनों साथसाथ घूमने जाने लगे और लंच व डिनर साथ लेने लगे. जवानी के जोश में दोनों ने मर्यादा की दीवार भी गिरा दी. इतना ही नहीं, उन्होंने एक साथ रहने का भी फैसला कर लिया.

अजितेश और भावना के बीच नाजायज रिश्ता बना तो अजितेश घर में देरसवेर आने लगा. कभी वह पत्नी का बनाया हुआ खाना खाता तो कभी बिना खाए ही सो जाता. दिव्या कुछ कहती तो वह उस पर बरस पड़ता. दिव्या कहीं बाहर चल कर मूड फ्रैश करने को कहती तो मना कर देता.

अब उस ने दिव्या की फरमाइश पूरी करनी भी बंद कर दी थीं. दिव्या की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर अजितेश को हो क्या गया है.

एक दिन अखिल घर आया तो दिव्या ने उसे अजितेश के दुर्व्यवहार के संबंध में बताया और लेट घर आने के बारे में पूछा.

अखिल ने पहले तो बात टालने का प्रयास किया, लेकिन जब दिव्या ने कसम दिलाई तो अखिल ने सच्चाई बता दी, ‘‘दीदी, भैया आजकल न्यूज चैनल में मेकअप आर्टिस्ट भावना आर्या के प्यार में उलझे हैं. वह उसी के साथ आजकल मौजमस्ती करते हैं.’’

अखिल की बात सुन कर दिव्या अवाक रह गई. उसे अपना भविष्य अंधकारमय लगने लगा. क्योंकि कोई भी औरत भूख, गरीबी तो सह सकती है, लेकिन पति का बंटवारा सहन नहीं कर सकती. तो भला दिव्या यह सब कैसे सहन कर लेती.

इसलिए उस ने अजितेश और भावना के अवैध संबंधों का विरोध करना शुरू कर दिया. इस विरोध के कारण घर में कलह होने लगी. लेकिन दिव्या के विरोध के बावजूद अजितेश ने भावना का साथ नहीं छोड़ा.

दिव्या पढ़ीलिखी और संस्कारवान थी, इसलिए उस ने अजितेश को प्यार से समझाया और पिता की इज्जत का वास्ता दिया. साथ ही भावना को भी उस ने आड़े हाथों लिया. उस ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई. दिव्या की खरीखोटी से भावना तिलमिला उठी. उस ने अजितेश से दिव्या की शिकायत की.

अक्तूबर के पहले सप्ताह में दिव्या नोएडा से अपनी ससुराल इटावा आ गई. दरअसल दिव्या की सास अपने बड़े बेटे के पास नासिक चली गई थी, अत: ससुर प्रमोद कुमार मिश्रा ने उसे घर की देखभाल के लिए बुलवा लिया था. घर में प्रमोद मिश्रा की बूढ़ी मां थीं, जिन की देखभाल के लिए दिव्या का वहां रहना जरूरी था.

दिव्या ससुराल जरूर आ गई थी, लेकिन वह अजितेश से मोबाइल पर संपर्क बनाए रखती थी. बातचीत के दौरान वह पति को भावना से दूर रहने की नसीहत देती रहती थी. अजितेश दिव्या को आश्वासन दे देता कि उस ने भावना से दूरी बना ली है. जबकि हकीकत इस के उलट थी. दोनों मस्ती में चूर थे.

7 अक्तूबर, 2019 की दोपहर दिव्या ने पति को फोन किया तो फोन भावना ने रिसीव किया. दिव्या समझ गई कि भावना और अजितेश एक साथ रूम में हैं, अत: उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. दिव्या ने फोन पर ही भावना को खूब फटकारा और यहां तक कह दिया कि उस के शरीर में ज्यादा गरमी है तो कोठे पर क्यों नहीं बैठ जाती.

तीखी नोकझोंक के बाद दिव्या ने  फोन बंद कर दिया. चंद मिनट बाद ही दिव्या के पास अजितेश का फोन आ गया. उस ने दिव्या को फटकार लगाते हुए कहा कि उसे भावना से इस तरह बात नहीं करनी चाहिए थी.

दिव्या के व्यंग बाणों से भावना का दिल छलनी हो गया था. उस ने उसी दिन निश्चय कर लिया कि अब या तो दिव्या अजितेश के साथ रहेगी या फिर वह.

उस ने इस बारे में अजितेश से बात की, ‘‘देखो अजितेश, एक म्यान में दो तलवारें कभी नहीं रह सकतीं. दिव्या और मैं भी एक साथ नहीं रह सकते. इसलिए अब तुम्हें हम दोनों में से किसी एक को चुनना होगा. 2 दिन बाद तुम मुझे अपने निर्णय से अवगत करा देना.’’

अजितेश भावना के प्यार में आकंठ डूबा था. उस ने पत्नी के बजाए प्रेमिका को चुना. 2 दिन बाद भावना मिली तो उस ने उसे अपने निर्णय से अवगत करा दिया. इस के बाद अजितेश और भावना ने सिर से सिर जोड़ कर दिव्या की हत्या का षडयंत्र रचा.

इस षडयंत्र में अजितेश ने रुपयों का लालच दे कर दोस्त अखिल कुमार को भी शामिल कर लिया. दरअसल दिव्या अखिल को अपना मुंहबोला भाई मानती थी और उस पर विश्वास भी करती थी. इस नाते अखिल दिव्या तक आसानी से पहुंच सकता था.

योजना के तहत अजितेश ने एक नया सिम और मोबाइल खरीद कर अखिल कुमार को दे दिया. साथ ही इस नए मोबाइल पर ही बात करने को कहा. हत्या की पूरी योजना समझाने के बाद 14 अक्तूबर, 2019 की सुबह अजितेश ने अखिल को दिव्या की हत्या करने के लिए बस द्वारा इटावा भेज दिया.

लालच में अखिल हो गया हत्या करने को तैयार  लगभग 7 घंटे का सफर तय करने के बाद दोपहर 12 बजे अखिल कुमार इटावा पहुंच गया. इस बीच अजितेश अपनी पत्नी दिव्या और पिता प्रमोद से मोबाइल पर बात करता रहा ताकि दोनों की लोकेशन मिलती रहे. इस लोकेशन से अजितेश अखिल को भी अवगत कराता रहा.

लगभग एक बजे अखिल कुमार कटरा बलसिंह स्थित दिव्या के मकान पर पहुंचा और डोरबेल बजा दी. दिव्या ने तीसरी मंजिल से नीचे झांक कर देखा तो गेट पर उस का मुंहबोला भाई अखिल खड़ा था.

वह उसे देखते ही खुश हो गई और नीचे उतर आई. गेट खोल कर वह अखिल को अपने कमरे में ले आई. उस समय दिव्या के ससुर प्रमोद कुमार घर पर नहीं थे. वह स्कूल के कार्यक्रम में गए थे और बूढ़ी ददिया सास सो रही थीं.

दिव्या ने 2 कप चाय बनाई और अखिल के साथ चाय पीने लगी. इस बीच उस ने अपनी शादी का एलबम अखिल को दिखाया तथा अखिल से कहा कि वह अपने भाई को समझाए कि वह भावना के प्यार के जाल में न फंसे. लेकिन अखिल तो कुछ और ही सोच रहा था. उस की निगाह कमरे में रखे चीनी मिट्टी के फूलदान पर पड़ी. मौका पाते ही उस ने फूलदान उठाया और दिव्या के सिर पर दे मारा.

फूलदान के प्रहार से दिव्या का सिर फट गया. फिर दिव्या को समझते देर नहीं लगी कि अखिल को उस की हत्या के लिए भेजा गया है. इसलिए बचाव के लिए वह अखिल से भिड़ गई लेकिन अधिक खून बहने से वह बेहोश हो कर गिर पड़ी. इस बीच अखिल ने अजितेश को मैसेज भेजा कि दिव्या की सांसें चल रही हैं.

इस पर अजितेश ने मैसेज का जवाब दिया कि सांसें थाम दो. तब अखिल ने दिव्या का सिर जमीन पर पटकपटक कर सांसें थाम दीं. दिव्या की हत्या करने के बाद वह आराम से गेट खोल कर घर से निकल गया. बस स्टाप पहुंच कर वह नोएडा के लिए रवाना हो गया.

इधर 2 बजे प्रमोद कुमार मिश्रा घर आए. उन्होंने खाना देने के लिए दिव्या को आवाज दी तथा फोन भी लगाया. लेकिन कोई रिस्पौंस नहीं मिला. तब उन्हें लगा कि शायद बहू सो गई है. तब वह भी आराम करने के लिए बिस्तर पर लेट गए.

एक घंटे बाद वह जागे तो मेनगेट खुला था. वह समझ गए कि घर के अंदर कोई आयागया है. पता करने के लिए वह कमरे में पहुंचे तो बहू दिव्या खून से लथपथ पड़ी थी.

हत्यारोपी अजितेश मिश्रा, अखिल कुमार तथा भावना आर्या से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने उन्हें 18 अक्तूबर, 2019 को इटावा कोर्ट में रिमांड मजिस्ट्रैट श्री जे.पी. शर्मा की अदालत में पेश किया, जहां से तीनों को जिला कारागार भेज दिया गया.

कथा संकलन तक उन की जमानत स्वीकृत नहीं हुई थी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

भतीजे का बैर : चाचा को उतारा मौत के घाट

11सितंबर, 2019 को सुबह के समय तिलोनिया गांव के कुछ लोग जब गांव के बाहर स्थित तालाब के पास पहुंचे तो उन्हें कीचड़ में फंसी एक कार दिखाई दी. यह गांव राजस्थान के अजमेर जिले के थाना बांदरसिंदरी के अंतर्गत आता था. कार किस की है और यहां कैसे फंस गई, यह सोचते हुए लोग जब कार के पास पहुंचे तो वह लावारिस निकली. कार के ड्राइवर या मालिक का कोई पता नहीं था.

कीचड़ से कार निकालना आसान नहीं था, इसलिए गांव वालों ने गांव से एक ट्रैक्टर ला कर कार को कीचड़ से बाहर निकाला. कार के शीशों पर खून के धब्बे लगे दिखे तो ग्रामीणों को किसी गड़बड़ी का अंदेशा हुआ. उन्होंने कार के शीशों से अंदर झांक कर देखा. सीट पर एक व्यक्ति की लाश पड़ी थी. आननफानन में फोन कर के यह सूचना थाना बांदरसिंदरी को दी गई.

कार में लाश मिलने की सूचना पा कर थानाप्रभारी मूलचंद वर्मा पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंच गए. तब तक लाश देखने के लिए आसपास के गांवों के तमाम लोग आ चुके थे. पुलिस ने जांच की तो मृतक का चेहरा किसी वजनदार चीज से कुचला हुआ मिला. इस के अलावा उस के शरीर पर भी कई जगह चोटों के निशान थे, शरीर कई जगह से गुदा हुआ था.

थानाप्रभारी ने लोगों से मृतक के बारे में पूछा तो तिलोनिया के एक व्यक्ति ने लाश पहचान ली. उस ने बताया कि यह लाश माला गांव के रहने वाले फौजी प्रधान गुर्जर की है, कार भी उसी की है. पुलिस ने किसी तरह मृतक के घर वालों का फोन नंबर हासिल कर उन्हें सूचना दे दी.

सूचना पा कर मृतक के पिता गोप गुर्जर अपने परिचितों के साथ मौके पर आ गए. माला गांव से आए गोप गुर्जर ने मृतक की शिनाख्त अपने 35 वर्षीय बेटे प्रधान गुर्जर के रूप में की.

प्रधान गुर्जर सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) में था. इन दिनों उस की पोस्टिंग सिक्किम में थी. वह कुछ दिन पहले छुट्टी ले कर गांव आया था. गोप गुर्जर ने बताया कि प्रधान 10 सितंबर, 2019 की सुबह अजमेर जाने को कह कर करीब साढ़े 8 बजे घर से कार ले कर निकला था. उस के 2 छोटे भाई अजमेर के पास भूणाबाय स्थित एक डिफेंस एकेडमी में पढ़ रहे थे. प्रधान उन से ही मिलने गया था.

पुलिस को पता चला कि भाइयों से मिलने के बाद प्रधान जब गांव लौट रहा था. तब उस के साथ उस का रिश्ते का भतीजा जीतू उर्फ जीतराम गुर्जर और 2 अन्य लोग थे. पुलिस को यह जानकारी डिफेंस एकेडमी के संचालक शंकर थाकण ने दी थी. प्रधान गुर्जर और उस के तीनों साथी रात के करीब साढ़े 8 बजे एकेडमी से निकले थे, लेकिन घर नहीं पहुंचे थे.

बीएसएफ जवान की हत्या की वारदात से ग्रामीणों में रोष फैल गया. उन का कहना था कि प्रधान गुर्जर को तो मार ही डाला, साथ ही उस के भतीजे जीतू गुर्जर का भी कोई अतापता नहीं है. कहीं उस का भी तो मर्डर नहीं कर दिया गया.

गांव वालों के रोष को भांप कर थानाप्रभारी मूलचंद वर्मा ने घटना की जानकारी उच्चाधिकारियों को दे कर स्थिति से अवगत कराया. खबर मिलते ही सीओ (ग्रामीण) सतीश यादव घटनास्थल पर आ गए. उन्होंने आक्रोशित ग्रामीणों को समझाया कि पुलिस हत्यारों को जल्द गिरफ्तार कर लेगी.

डिफेंस एकेडमी से खबर मिलते ही मृतक के छोटे भाई भी घटनास्थल पर आ गए. घर वालों का रोरो कर बुरा हाल था. वे समझ नहीं पा रहे थे कि प्रधान की हत्या किस ने और क्यों की.

कार में एक डंडा भी पड़ा हुआ था, जिस पर खून लगा था. मृतक की पैंट उतरी हुई थी और उस की गुदा खून से सनी थी. इस से लगा कि हत्यारों ने वह डंडा मृतक की गुदा में डाला था. मतलब साफ था कि हत्यारा मृतक से बहुत ज्यादा नफरत करता था, तभी उस ने प्रधान की गुदा में लकड़ी का डंडा डालने के अलावा उस के शरीर को जगहजगह से गोद दिया था.

मौके की काररवाई पूरी करने के बाद पुलिस ने दोपहर करीब सवा 12 बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए किशनगढ़ के राजकीय यज्ञ नारायण अस्पताल भेज दिया. सैकड़ों गांव वाले अस्पताल भी पहुंच गए.

दोपहर करीब 2 बजे ग्रामीणों की भीड़ अचानक बिफर गई. उन्होंने पोस्टमार्टम करने का विरोध किया. उन का कहना था कि मृतक का भतीजा जीतू गुर्जर भी लापता है. पुलिस उस का भी पता लगाए कि कहीं उस के साथ कोई अनहोनी तो नहीं हो गई.

भीड़ कोई हंगामा खड़ा न कर दे, इसलिए एडीशनल एसपी (ग्रामीण) किशन सिंह भाटी भी अस्पताल पहुंच गए. मृतक के घर वाले और अन्य लोग जीतू गुर्जर का पता लगाने तक पोस्टमार्टम न कराने की बात पर अड़े थे.

बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर की हत्या की सूचना मिलने पर क्षेत्रीय विधायक सुरेश टांक और सांसद भागीरथ चौधरी भी राजकीय यज्ञ नारायण अस्पताल पहुंचे. दोनों नेताओं ने मृतक के परिजनों को ढांढस बंधाया और पुलिस अधिकारियों से घटना की जानकारी ली. सांसद भागीरथ चौधरी और विधायक सुरेश टांक के समझाने के बाद मृतक के परिजन और ग्रामीण पोस्टमार्टम के लिए राजी हुए.

इस के बाद पुलिस ने डा. गुरुशरण चौधरी, डा. सुनील बैरवा और डा. श्यामसुंदर के मैडिकल बोर्ड से शव का पोस्टमार्टम कराया. पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद प्रधान गुर्जर का शव परिजनों को सौंप दिया.

मामला बीएसएफ जवान की हत्या का था, इसलिए एसपी कुंवर राष्ट्रदीप ने इस केस के खुलासे के लिए एक पुलिस टीम का गठन किया. एडीशनल एसपी (ग्रामीण) किशन सिंह भाटी के निर्देशन और सीओ (ग्रामीण) सतीश यादव के नेतृत्व में गठित पुलिस टीम में थाना बांदरसिंदरी के थानाप्रभारी मूलचंद वर्मा, थानाप्रभारी (अरांई) विक्रम सेवावत, एसआई इंद्र सिंह, एएसआई कुलदीप सिंह, हैडकांस्टेबल श्रवणलाल, भंवर सिंह, सिपाही जय सिंह, गोपाल, रामगोपाल जाट वगैरह शामिल थे.

लोगों की बातों में कई पेंच थे एसपी कुंवर राष्ट्रदीप का आदेश पाते ही टीम जांच में जुट गई. मृतक के परिवार वालों से मृतक के अजमेर जाने और शाम को अजमेर से वापस आने की बात सामने आई. इस पर पुलिस ने गेगल और जीवी के टोल बूथों पर लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले.

पुलिस टीम ने मृतक के मोबाइल फोन की काल डिटेल्स निकलवा कर यह पता करने की कोशिश कि वह आखिरी बार किस के साथ रहा और किस के संपर्क में था. प्रधान गुर्जर अजमेर के भूणाबाय स्थित जीत डिफेंस एकेडमी में पढ़ रहे अपने भाइयों से भी मिलने गया था. इस बारे में पुलिस ने एकेडमी संचालक शंकर थाकण से भी पूछताछ की.

शंकर थाकण ने बताया कि रात 8 बजे प्रधान गुर्जर के साथ 3 लोग कार से आए थे. इन में एक उन का भतीजा जीतू था. जीतू कार से नीचे उतरा था, जबकि 2 युवक कार में ही बैठे रहे. वे दोनों कार से नीचे नहीं उतरे थे. प्रधान ने शंकर थाकण से अपने भतीजे जीतू का परिचय कराया था.

शंकर ने पुलिस को बताया कि उस ने प्रधान गुर्जर और उस के साथियों को चाय पिलाई थी. कार में बैठे 2 लोगों के लिए चाय कार में ही भेजी गई थी. उन से एकेडमी में आ कर चाय पीने का आग्रह किया गया था, मगर वे कार से नहीं उतरे थे.

चाय पीते समय प्रधान गुर्जर के मोबाइल पर किसी का फोन आया था. उन्होंने फोन करने वाले से कहा था कि वह तुरंत किशनगढ़ जा कर मिलते हैं. इस के बाद वह उसी समय किशनगढ़ के लिए रवाना हो गए थे. तब तक रात के साढ़े 8 बज चुके थे.

जबकि प्रधान गुर्जर के पिता गोपी गुर्जर ने पुलिस को बताया कि प्रधान के मोबाइल पर फोन कर के उन्होंने ही उस के घर आने के बारे में पूछा था. तब उस ने बताया था कि वह अजमेर से निकल गया है और थोड़ी देर में घर पहुंच जाएगा. इस के बाद प्रधान का फोन बंद हो गया था.

इस पूछताछ एवं घटनाक्रम से पुलिस को लगा कि प्रधान गुर्जर के साथ जो लोग मौजूद थे, उन्होंने ही रास्ते में उस की हत्या की होगी.

मृतक प्रधान गुर्जर शादीशुदा था. उस के 2 बेटे भी थे, जिन की उम्र क्रमश: 3 साल और डेढ़ साल थी. ऐसे में किसी अवैध संबंध की गुंजाइश भी कम थी.

जांच में पुलिस को पता चला कि प्रधान गुर्जर 10 सितंबर, 2019 को अपने भतीजे जीतू उर्फ जितेंद्र गुर्जर निवासी माला गांव और उस के दोस्त रामअवतार व हनुमान निवासी किशनगढ़ के साथ अजमेर दरगाह और पुष्कर घूमने आया था. पुलिस ने तीनों की तलाश की तो वे अपनेअपने घरों से फरार मिले. पुलिस ने उन के फोन की कालडिटेल्स और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज के आधार पर आखिर उन्हें ढूंढ ही लिया.

पुलिस ने जीतू को जयपुर से और उस के दोनों दोस्तों रामअवतार और हनुमान को किशनगढ़ से गिरफ्तार कर लिया. पुलिस ने प्रधान गुर्जर की हत्या के संबंध में उन तीनों से अलगअलग पूछताछ की. अंतत: उन्होंने अपना अपराध कबूल कर लिया.

पुलिस टीम ने रातदिन एक कर के 24 घंटे में प्रधान फौजी की हत्या के रहस्य से परदा उठा दिया. पूछताछ करने के बाद आरोपियों ने बीएसएफ जवान प्रधान गुर्जर की हत्या की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार थी—

24 घंटे में आई पूरी कहानी सामने  अजमेर जिले के उपखंड किशनगढ़ के अंतर्गत एक गांव है माला. यह गांव गुर्जर बाहुल्य है. यहां के अधिकांश गुर्जर खेतीबाड़ी, पशुपालन एवं दूध का कारोबार करते हैं. गोपी गुर्जर परिवार के साथ इसी गांव में रहते थे. वह खेतीबाड़ी करते थे.

गोपी का बड़ा बेटा प्रधान गुर्जर हंसमुख स्वभाव का गबरू जवान था. पढ़ाई के दौरान ही वह बीएसएफ में कांस्टेबल के पद पर भरती हो गया था. बेटे की नौकरी से घर की आर्थिक स्थिति मजबूत हो गई थी. इस के बाद उन्होंने प्रधान की शादी रूपा से कर दी.

इस परिवार की गाड़ी हंसीखुशी से चल रही थी. प्रधान को जब भी छुट्टी मिलती, वह घर आ जाता था. प्रधान का एक भतीजा था जीतू उर्फ जितेंद्र गुर्जर. प्रधान गुर्जर और जीतू गुर्जर के परिवारों में काफी सालों से बोलचाल बंद थी. लेकिन प्रधान और जीतू की आपस में बोलचाल थी.

काफी पहले प्रधान गुर्जर और जीतू के परिवारों में काफी बड़ा फसाद हुआ था. उस झगड़े के बाद दोनों परिवार एकदूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते थे. लेकिन इस दुश्मनी के बावजूद जीतू का अपने चाचा प्रधान के यहां आनाजाना था.

प्रधान वैसे भी कम समय के लिए छुट्टी पर घर आता था, इसलिए वह दुश्मनी नहीं रखता था. प्रधान का कहना था कि भाइयों में अनबन हो सकती है, दुश्मनी नहीं पालनी चाहिए. जीतू की पत्नी बहुत खूबसूरत थी. वह रिश्ते के हिसाब से प्रधान की बहू लगती थी, मगर जीतू की शादी के बाद प्रधान जब छुट्टी पर गांव आया, तब उस ने जीतू की पत्नी को देखा था.

वह पहली नजर में ही उस पर फिदा हो गया था. वह इतनी खूबसूरत थी कि देखने वाला अपलक देखता रह जाता था. फौजी प्रधान गुर्जर भी उसे देखता रह गया था. जीतू की पत्नी पढ़ीलिखी थी और सोशल मीडिया पर ऐक्टिव रहती थी. प्रधान से पहली मुलाकात में ही जीतू की पत्नी खुल गई थी. एक बार बातचीत हुई तो अकसर फौजी उस के आगेपीछे घूमने लगा.

दोनों सोशल मीडिया पर भी एकदूसरे से जुड़े थे. उन दोनों की नजदीकियां देख कर जीतू को जलन होने लगी थी. वह चाहता था कि उस की पत्नी प्रधान से दूर रहे. जीतू ने पत्नी से कहा भी कि वह प्रधान से बात न किया करे, मगर पत्नी खुले विचारों की थी. उस का कहना था कि बात करना गलत नहीं है. गलत तो बुरी सोच होती है.

पत्नी ने जीतू से कहा कि प्रधान अच्छा आदमी है. वैसे भी वह गांव में रहता कितने दिन है. चंद दिनों के लिए फौज से छुट्टी पर घर आता है. जीतू को ऐसा लग रहा था कि प्रधान से उस की पत्नी के अवैध संबंध हैं, इसीलिए वह उस की बात नहीं मान रही है. पति के सामने ही वह फौजी की प्रशंसा कर रही थी. इस से जीतू को पत्नी पर शक हो गया.

एक बार शक का कीड़ा दिमाग में घुसा तो वह तब तक कुलबुलाता रहा, जब तक उस ने कहर नहीं ढा दिया. पत्नी की जिद और व्यवहार की वजह से जीतू ने पिछले डेढ़दो साल से अपनी पत्नी से बात तक बंद कर रखी थी. कुछ ही दिन पहले जीतू का पत्नी से राजीनामा हुआ था.

पत्नी ने भी सोचा कि पति के कहे मुताबिक चलना सही है, इसलिए उस ने पति को विश्वास दिलाया कि वह प्रधान से बात नहीं करेगी. साथ ही प्रधान से भी कह देगी कि वह उस से बात न करे. पत्नी के इस आश्वासन पर जीतू फिर से पत्नी से हंसनेबोलने लगा.

लेकिन पति से वादा करने के बावजूद जीतू की पत्नी ने प्रधान गुर्जर से बातचीत करना बंद नहीं किया. वह चोरीछिपे मोबाइल पर भी प्रधान से बात कर लेती थी. यह सब बातें जीतू से छिपी न रह सकीं. इस से उसे विश्वास हो गया कि उस की पत्नी जरूर प्रधान के प्यार में फंस गई है.

बस जीतू ने उसी दिन मन ही मन अंतिम निर्णय कर लिया कि अब वह अपने चाचा प्रधान गुर्जर को मौत के घाट उतार कर ही शांत होगा. क्योंकि वह पत्नी को समझासमझा कर वह थक चुका था.

संदेह के दायरे बड़े होते गए  सितंबर, 2019 के पहले हफ्ते में प्रधान गुर्जर शिलौंग से छुट्टी ले कर गांव आया. प्रधान जीतू की पत्नी से भी मिला. जीतू से यह सहन नहीं हो रहा था. हद तो तब हो गई, जब प्रधान जीतू की पत्नी को अजमेर से अपनी गाड़ी में गांव लाने लगा.

जीतू की पत्नी कोचिंग करने अजमेर जाती थी. प्रधान स्वयं कार ले कर अजमेर जाता और कोचिंग की छुट्टी होने पर जीतू की पत्नी को अपनी कार में बैठा कर गप्पें मारते हुए गांव आता.

जीतू ने यह देखा तो उस का खून खौल उठा. उस ने निर्णय कर लिया कि वह प्रधान गुर्जर को इस तरह योजना बना कर मारेगा कि उस पर किसी को शक तक नहीं होगा.

जीतू ने इस काम को आसान करने के लिए अपने अजीज दोस्तों रामअवतार और हनुमान निवासी किशनगढ़ को अपने साथ मिला लिया. इन लोगों ने फौजी की हत्या के लिए 10 सितंबर, 2019 का दिन चुना गया.

10 सितंबर, 2019 को प्रधान गुर्जर अकेला ही दरगाह जाने के लिए घर से निकला था. किशनगढ़ में उसे उस का भतीजा जीतू मिला. अजमेर दरगाह और पुष्कर दर्शन के लिए वह भी उस के साथ चल दिया. योजना के अनुसार जीतू ने रामअवतार और हनुमान को अजमेर भेज दिया था.

जब प्रधान और जीतू अजमेर पहुंचे तो जीतू के दोस्त रामअवतार और हनुमान उन के साथ हो लिए. जीतू ने प्रधान से कहा, ‘‘चाचा, ये मेरे दोस्त हैं. दोनों जिगरी यार हैं. मैं ने ही इन्हें अजमेर दरगाह और पुष्कर में दर्शन को कहा था.’’

‘‘कोई बात नहीं जीतू, एक से भले दो और दो से भले चार. गाड़ी पर वजन थोड़े ही पड़ेगा.’’ प्रधान ने हंस कर कहा.

प्रधान गुर्जर की कार से चारों पहले अजमेर दरगाह गए. दर्शन के बाद पुष्कर गए और पूजाअर्चना की. पुष्कर से अजमेर लौटने के दौरान सब ने शराब पी और एक होटल पर खाना खाया. इस के बाद प्रधान अपने छोटे भाइयों से मिलने डिफेंस एकेडमी गया.

जीतू तो उस के साथ डिफेंस एकेडमी में गया, लेकिन रामअवतार और हनुमान गाड़ी में ही बैठे रहे. उन्हें डर था कि कोई पहचान न ले. इसलिए दोनों गाड़ी से नहीं उतरे. उन दोनों ने एकेडमी संचालक द्वारा भेजी चाय भी गाड़ी में ही पी थी.

योजनानुसार सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. डिफेंस एकेडमी से चारों गाड़ी में सवार हो कर गांव के लिए रवाना हो गए. रास्ते में उन्होंने फिर शराब पी. इस के बाद मंडावरिया के पास सुनसान जगह पर गाड़ी रोकी. चारों शराब के नशे में टल्ली थे. तेज आवाज में टेपरिकौर्डर चला कर सब ने जम कर डांस किया. इस के बाद जीतू ने फौजी प्रधान गुर्जर के चेहरे पर पीछे से बेसबाल बैट से हमला कर दिया. वह जमीन पर गिर कर बेहोश हो गया.

बेहोश फौजी की पैंट खोल कर इन लोगों ने उस की गुदा में डंडा चढ़ाया. फौजी तड़प कर रह गया. उस की गुदा से काफी खून भी निकला. इस के बाद इन लोगों ने फौजी को बुरी तरह मारापीटा और जमीन पर घसीटने के बाद गला दबा कर मौत के घाट उतार दिया.

फौजी की मौत के बाद इन लोगों ने उस की लाश गाड़ी में डाल दी. फिर फौजी की जेबों की तलाशी ली, कार की भी तलाशी ली गई ताकि कोई सबूत न छूट जाए. गाड़ी की आरसी जीतू ने जेब में रख ली. इस के बाद गाड़ी ले कर तिलोनिया की तरफ निकल गए.

हत्यारों की योजना थी कि लाश का चेहरा कुचल कर सुनसान जगह पर फेंक देंगे ताकि शव की शिनाख्त न हो सके. पहचान छिपाने के लिए ही मृतक का चेहरा कुचला गया था. फौजी की हत्या के बाद शव ठिकाने लगाने के बाद हत्यारे तिलोनिया से हरमाड़ा, सुरसुरा होते हुए नागौर और अन्य रास्तों से जयपुर की ओर जाने वाले थे.

आगे की योजना यह थी कि कहीं सुनसान जंगल में शव को ठिकाने लगा दिया जाएगा, लेकिन कार तिलोनिया के तालाब के पास कीचड़ में फंस गई. गाड़ी फंसने से मामला बिगड़ गया और वे सब प्रधान का शव और गाड़ी छोड़ कर चले गए. जातेजाते इन लोगों ने गाड़ी की चाबी, फौजी का मोबाइल फोन साथ ले लिया था.

तीनों अंधेरे में ही पैदल चल पड़े. रास्ते में इन्होंने गाड़ी की चाबी और आरसी फेंक दी. मोबाइल भी तोड़ कर फेंक दिया. 4-5 किलोमीटर साथ चलने के बाद जीतू जयपुर की तरफ चला गया, जबकि रामअवतार और हनुमान किशनगढ़ चले गए. तीनों अपने घर नहीं गए.

फेसबुक का जहर बना कारण  जीतू ने पुलिस को बताया कि उस की पत्नी और मृतक फौजी प्रधान गुर्जर के अवैध संबंध थे. प्रधान उस से सोशल मीडिया पर चैटिंग कर अश्लील वीडियो भेजने लगा था. इस की जानकारी हुई तो उस ने यह बातप्रधान गुर्जर की पत्नी रूपा गुर्जर को बता दी, लेकिन इस के बावजूद फौजी का रवैया नहीं सुधरा तो मजबूरी में फौजी को ठिकाने लगाना पड़ा.

पुलिस अधिकारियों ने अभियुक्तों से पूछताछ के बाद प्रैसवार्ता करने का निर्णय लिया. उस दिन एसपी आईजी कार्यालय में एक मीटिंग में व्यस्त थे. एडीशनल एसपी (ग्रामीण) किशन सिंह भाटी को शाम 4 बजे प्रैस कौन्फ्रैंस करनी थी, लेकिन इस से पहले ही सोशल मीडिया पर प्रैस नोट की प्रति आ गई. एसपी कुंवर राष्ट्रदीप को जब यह जानकारी मिली तो इस में सिपाही रामगोपाल का नाम सामने आया. उन्होंने रामगोपाल को निलंबित कर दिया.

दरअसल, इस केस को 24 घंटे के अंदर खोलने में सिपाही रामगोपाल का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा था. इसलिए जैसे ही उस के हाथ इस मामले की प्रैस रिलीज की कौपी लगी तो उस ने वह सोशल साइट पर डाल दी जो वायरल होती हुई प्रैस कौन्फ्रैंस शुरू होने से पहले ही पत्रकारों के पास पहुंच गई थी. सिपाही रामगोपाल का अतिउत्साह उसी को महंगा पड़ गया.

पुलिस ने प्रधान गुर्जर की हत्या के आरोपियों जीतू गुर्जर, रामअवतार और हनुमान को 14 सितंबर, 2019 को अजमेर न्यायालय में पेश किया, जहां से उन्हें 3 दिन के पुलिस रिमांड पर जांच टीम को सौंप दिया गया.

रिमांड के दौरान पुलिस ने आरोपियों से विस्तृत पूछताछ करने के बाद अन्य सबूत जुटाए. आरोपियों ने बताया कि उन्होंने प्रधान गुर्जर की लाश और गाड़ी दोनों को ठिकाने लगाने की योजना बना रखी थी.

प्रधान की लाश को वे लोग गांव की किसी सुनसान जगह पर ठिकाने लगाना चाहते थे. वहीं गाड़ी को भी गहरी नाड़ी (तालाब) में डुबोने की योजना थी, ताकि वारदात का किसी को पता न चले, लेकिन उन की योजना पर पानी फिर गया.

उधर 16 सितंबर, 2019 को सीमा सुरक्षा बल के जवान प्रधान गुर्जर के परिवार को विभाग की ओर से सहायता राशि सौंप दी गई. बल की ओर से आए अधिकारी ने मृतक प्रधान गुर्जर की पत्नी रूपा गुर्जर को चैंक सौंपा.

17 सितंबर को पुलिस ने जीतराम, रामअवतार एवं हनुमान को न्यायालय में पेश कर 3 दिन का पुलिस रिमांड बढ़वाया. रिमांड अवधि पूरी होने के बाद तीनों आरोपियों को फिर से 19 सितंबर, 2019 को कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

2 करोड़ की प्रीत : चेतन हुआ ब्लैकमेलिंग का शिकार

25 सितंबर, 2019 तक मध्यप्रदेश में उजागर हुए सैक्स स्कैंडल जिसे मीडिया ने हनीट्रैप नाम दिया था, का मुकम्मल बवाल मच चुका था. हर दिन इस स्कैंडल से जुड़ी कोई खबर सनसनी पैदा कर रही थी. राजनैतिक और प्रशासनिक गलियारों में काम कम इस देशव्यापी स्कैंडल और उस से जुड़े अधिकारियों और नेताओं की चर्चा ज्यादा हो रही थी कि इस में कौनकौन फंस सकते हैं.

लेकिन जब सरकार ने इस स्कैंडल की जांच के बाबत विशेष जांच दल का गठन कर दिया तो चर्चाएं और खबरें धीरेधीरे कम होने लगीं और दीवाली आतेआते लोगों की जिज्ञासा भी खत्म होने लगी.

जो लोग यह जानने को उत्सुक थे, उन नेताओं और अधिकारियों के असल चेहरे और नाम उजागर होंगे, जिन्हें ब्लैकमेल किया जा रहा था, उन की उत्सुकता भी ठंडी पड़ गई थी.

लोगों ने मान लिया कि इस कांड का हाल भी व्यापमं घोटाले जैसा होना तय है, जिस में कोई नहीं फंसा था और जो फंसे थे वे सीबीआई जांच के बाद दोषमुक्त हो गए थे.

अगर यही होना था तो इतना बवंडर क्यों मचा, इस सवाल का सीधा सा जवाब यही निकलता है कि मकसद चूंकि इस में फंसे शौकीन रंगीनमिजाज राजनेताओं और अधिकारियों को और ज्यादा ब्लैकमेलिंग से बचाना था, इसलिए इंदौर नगर निगम के एक इंजीनियर हरभजन सिंह को बलि का बकरा बनाया गया और आरोपियों को जेल भेज कर बाकियों को कुछ इस तरह बचा लिया गया कि सांप भी मर जाए और लाठी भी न टूटे.

इस सैक्स स्कैंडल की सनसनी का इकलौता फायदा यह हुआ कि जो दूसरे मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हो रहे थे, उन में से कुछ को हिम्मत बंधी कि अगर पुलिस में रिपोर्ट लिखाई जाए तो ब्लैकमेलिंग से छुटकारा मिल सकता है. क्योंकि इंदौर भोपाल के सैक्स स्कैंडल में काररवाई ब्लैकमेल करने वाली बालाओं के खिलाफ हुई थी और पीडि़त पुरुष साफ बच गए थे.

मुमकिन है कि आने वाले वक्त में कुछ बड़े नाम सामने आएं, लेकिन यह अंजाम कांड के आगाज जैसा हाहाकारी तो कतई नहीं होगा.

ऐसे ही एक शख्स हैं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के युवा हार्डवेयर व्यापारी चेतन शाह, जिन्हें मध्य प्रदेश की सनसनी से लगा कि अगर पुलिस की मदद ली जाए तो ब्लैकमेलिंग से मुक्ति मिल जाएगी. शर्त बस इतनी सी है कि पहले पुलिस को ईमानदारी से सच बता दिया जाए कि वे प्रीति तिवारी नाम की खूबसूरत बला के बिछाए प्रीत जाल में कैसे फंसे थे और अब तक कितना पैसा उस पर उड़ा चुके थे या फिर ब्लैकमेल हो कर मजबूरी में दे चुके थे.

अक्ल आई तो चेतन पहुंचे एसपी के पास  रायपुर के पौश इलाके वीआईपी एस्टेट तिराहा के पास पाम बेलाजियो बी-201, मोहबा पंढरी में रहने वाले चेतन की दुकान का नाम बाथ स्टूडियो है जो देवेंद्र नगर में है.

25 सितंबर की शाम कोई पांच साढ़े पांच बजे चेतन मन में उम्मीदें और आशंकाएं दोनों लिए रायपुर के सिटी एडीशनल एसपी के औफिस पहुंचे. चेतन की रायपुर में अपनी एक अलग साख और पहचान है, जिस से हर कोई वाकिफ है.

बीते 5 सालों से उन पर क्या गुजर रही थी, इस का अंदाजा किसी को नहीं था. यह दास्तां सिलसिलेवार उन्होंने एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर को सुनाई तो उन की आंखें चमक उठीं कि कहीं ऐसा तो नहीं कि प्रीति के तार भी मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल और गिरोह से जुड़े हों.

चेतन ने प्रफुल्ल ठाकुर को जो बताया, वह भोपाल इंदौर के मामलों से मेल खाता हुआ था, जिन में सैक्सी सुंदरियों ने पूरी दबंगई से अच्छेअच्छे अफसरों और रसूखदार नेताओं को अपनी अंगुलियों पर नचाया था, क्योंकि उन के पास वे वीडियो थे जिनमें ये नेता, अधिकारी उन्मुक्त हो कर रंगरलियां मना रहे थे. ये वीडियो अगर उजागर हो जाते तो ये लोग समाज में कहीं मुंह दिखाने के काबिल नहीं रह जाते.

यही हाल चेतन का था, 6 साल पहले जिन की दोस्ती प्रीति तिवारी से फेसबुक पर हुई थी. 28 वर्षीय चेतन का करोड़ों का कारोबार था और घर में या जिंदगी में किसी चीज की कमी नहीं थी. वे दिनरात अपने कारोबार में डूबे रहते थे और बचा वक्त पत्नी और नन्ही बेटी के साथ गुजारते थे.

आमतौर पर ऐसा होता है कि जब आदमी कामयाबियों की सीढि़यां चढ़ रहा होता है तो उस के सामने कई तरह के प्रलोभन आते हैं, जिन से समझदार आदमी तो बच कर आगे बढ़ जाता है, जबकि नासमझ इस में फंस कर अपना सब कुछ गंवा बैठते हैं. यही चेतन के साथ भी हुआ था.

20 वर्षीय प्रीति तिवारी मूलत: अनूपपुर की रहने वाली है, जहां उस के पिता कांट्रेक्टर हैं. उन की बड़ी इच्छा थी कि बेटी डाक्टर बने लेकिन प्रीति पढ़ाईलिखाई में औसत थी. इसलिए वह मैडिकल की एंट्रेस परीक्षा पास नहीं कर सकी.

पिता ने भागादौड़ी कर यह सोचते हुए उसे बिलासपुर के एक डेंटल कालेज में दाखिला दिला दिया था कि चलो डेंटिस्ट ही बन जाएगी तो प्रीति के नाम के आगे डाक्टर तो लग जाएगा. फिर उस की शादी भी किसी डाक्टर या दूसरे काबिल लड़के से कर वह अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेंगे.

जिस माहौल में प्रीति की परवरिश हुई थी, उस में कोई खास बंदिशें नहीं थीं और नसीहतें भी उतनी ही थीं जितनी आम मध्यमवर्गीय लड़कियों को हर घर में मिलती हैं. उसे कभी पैसे की कमी भी महसूस नहीं हुई थी. अनूपपुर में तो वह सलीके से रही लेकिन जब बिलासपुर आई तो न केवल खुद बदल गई बल्कि उस की जिंदगी भी बदल गई.

पिता ने पैसे और पहुंच के दम पर उसे डेंटल कालेज में दाखिला तो दिला दिया था, लेकिन प्रीति का मन पढ़ाई में बिलकुल नहीं लगता था. वह दिनरात सोशल मीडिया पर व्यस्त रहती थी, नतीजतन फेल होने लगी. चैटिंग के दौरान उस ने कई पुरुष मित्र बना डाले थे. इन की दीवानगी और बेताबी देख प्रीति को मजा आने लगा था. हर कोई उस से अंतरंग यानी सैक्सी बातें करना चाहता था.

अब तक उस का इरादा केवल टाइम पास करना और मजे लूटना था, इसलिए वह किसी के साथ हद से ज्यादा नहीं बढ़ी थी लेकिन 4 साल फेल होतेहोते जब यह तय हो गया कि वह और आगे पढ़ाई नहीं कर पाएगी तो वह घबरा उठी. इस घबराहट की पहली वजह उस आजादी का छिन जाना था जो बिलासपुर आ कर उसे मिली थी, दूसरा थोड़ा डर या लिहाज मातापिता का था कि उन्हें कैसे बताएगी कि लगातार सब्जेक्ट ड्राप लेतेलेते उसे कालेज से बाहर किया जा रहा है.

ऐसे में उस के दिमाग में एक खतरनाक खयाल आया और आया तो उस ने इस पर अमल भी कर डाला. इसी दौरान उस से चेतन की दोस्ती हुई थी. दोनों हल्कीफुल्की चैटिंग भी करते थे. इसी बातचीत में प्रीति को पता चला कि चेतन करोड़ों की आसामी है. तब उस ने सिर्फ इतना भर सोचा कि अगर चेतन उस के हुस्न जाल में फंस जाए तो जिंदगी ऐशोआराम से कटेगी.

प्रीति थी भी ऐसी कि उसे देख कर कोई भी उस पर न्यौछावर हो जाता. भरेपूरे गदराए बदन की मालकिन, तीखे नैननक्श, गोरा रंग, रहने का अपना शाही स्टाइल और माशाअल्लाह अदाएं. वह अकसर इतने टाइट कपड़े पहनती थी कि उस के उन्नत उभार बरबस हर किसी का ध्यान अपनी तरफ खींच ही लेते थे.

कुल जमा प्रीति नए जमाने की एक ऐसी तितली थी जिस ने बिलासपुर में रहते कोर्स को तो न के बराबर पढ़ा लेकिन औनलाइन प्यार और सैक्स का सिलेबस इतना पढ़ डाला था कि अगर कोई यूनिवर्सिटी इस में डाक्टरेट की उपाधि देती होती तो प्रीति का नाम उस की लिस्ट में सब से ऊपर होता.

फेसबुक से हुई शुरुआत   प्रीति ने मौजमस्ती की जिंदगी गुजारने का जो प्लान तैयार किया था, उस में चेतन उस के निशाने पर थे. प्रीति से चैट करतेकरते उन्हें नएपन और रोमांस की जो फीलिंग आती थी, वैसी तो शायद जवानी में और शादी के पहले भी नहीं आती थी.

धीरेधीरे दोनों सोशल मीडिया पर खुलने लगे तो चेतन को भी मजा आने लगा कि एक निहायत खूबसूरत मैडिकल स्टूडेंट उन्हें प्यार करने लगी है और वह भी इतने उतावलेपन से कि उन पर अपना सब कुछ न्यौछावर करने को तैयार है.

जब चैटिंग से बजाय सुकून मिलने के बेकरारी बढ़ने लगी तो दोनों का दिल मिलने को मचलने लगा. चेतन उस से बातें तो हर तरह की कर रहे थे लेकिन यह कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे थे कि जानू और मत तड़पाओ अब ये दूरियां बरदाश्त नहीं होतीं, मन तो मिल ही चुके हैं अब तन भी मिल जाएं तो इश्क मुकम्मल हो जाए.

ऐसा शायद इसलिए था कि चेतन पर कारोबारी और पारिवारिक दबाव था और वे प्रीति के सामने अपनी इमेज पाकसाफ रखना चाहते थे. लेकिन स्क्रीन पर उस की कसी और गदराई देह देख खुद को जब्त भी नहीं कर पा रहे थे.

फिर एक दिन प्रीति ने उन की कशमकश यह कहते दूर कर दी कि आ जाओ बिलासपुर. इस खुली पेशकश पर वे और घबरा उठे. शायद यही नहीं तय है कि चेतन की हिम्मत अपनी प्रतिष्ठा, मर्यादा और संस्कार तोड़ने की नहीं हो रही थी और प्रीति इस कमजोरी को बखूबी समझ रही थी.

चेतन की इस कमजोरी में ही उसे अपना सुनहरा भविष्य नजर आ रहा था, क्योंकि कोई और छिछोरा, लंपट या मजनूं टाइप का आयटम होता तो पैरों के बल दौड़ता, लार टपकाता बिलासपुर आता और अपनी जरूरत या हवस पूरी कर चला जाता.

इस समीकरण को भांपते खुद प्रीति ही एक दिन रायपुर पहुंच गई और वहां के एक महंगे नामी होटल में रूम ले कर ठहरी. चेतन को जब उस ने फोन किया तो उन की बांछें खिल गईं और दिल में नएनए प्रेमियों जैसा डर भी बैठ गया कि न जाने क्या होगा पहली मुलाकात में. शाम को जब वे प्रीति के होटल पहुंचे तो आलीशान और भव्य कमरे में जो हुआ वह उन की कल्पना से परे था. प्रीति केवल बेपनाह खूबसूरत ही नहीं थी, बल्कि सैक्स के खेल में भी उतनी ही उन्मुक्त थी, जितनी कि रहनसहन में थी.

वह एक ऐसी शाम थी जिस पर चेतन अपना सब कुछ लुटा देने को तैयार हो गए. हालांकि जब वे यह सोच रहे थे कि प्रीति से उन की प्रीत या दोस्ती यहीं तक सीमित रहेगी लेकिन प्रीति जो सोच रही थी, उस का वे अंदाजा भी नहीं लगा सकते थे.

मनचाहा मजा दे कर प्रीति रायपुर से वापस बिलासपुर लौट तो गई लेकिन चेतन के दिल और जिंदगी में मुकम्मल खलबली मचा गई. जाने के बाद दोनों के बीच फोन और सोशल मीडिया पर बातचीत होती रही और दोनों उस रात की यादें और अनुभव साझा करते रहे.

फंसे फिर धंसते गए  चेतन का मन अब चैटिंग से नहीं भर रहा था, लिहाजा उस रात जैसा लुत्फ हर कभी उठाने के लिए वे खुद बिलासपुर जाने लगे. वे भी वहां के महंगे होटलों में ठहरते थे, इस से एक फायदा यह था कि ऐसे होटलों में कोई आप के प्राइवेट मामलों में दखल नहीं देता कि कौनकौन आजा रहा है और कमरे के अंदर क्या हो रहा है. प्रीति होटल के उन के रूम में आती थी दोनों मौजमस्ती भरा मनचाहा सैक्स करते थे और एकाध दो दिन बाद चेतन रायपुर लौट जाते थे.

जाने से पहले वे प्रीति को बेशकीमती तोहफे दिलाते थे और उस पर दिल खोल कर खर्च करते थे. यही प्रीति चाहती भी थी. उस का मकसद मुफ्त के मजे लेना और पैसा हथियाना था. लेकिन इस दौरान वह चेतन को यह अहसास जरूर कराती रहती थी कि वह कोई ऐसीवैसी बाजारू लड़की नहीं है, बस उसे तो उन से प्यार हो गया है.

चेतन के मन में कोई संशय न रहे इस बाबत भी प्रीति ने साफ कर दिया था कि वह जानती है कि उन की पत्नी है, छोटी सी बेटी है, अपनी इज्जत है, घरगृहस्थी और कारोबार है. वह इस में कभी अड़ंगा नहीं बनेगी, उसे तो बस अपने हिस्से का वक्त और प्यार चाहिए.

बिस्तर में कुलांचे भरने वाली प्रीति की यह अदा भी चेतन को आश्वस्त करती थी कि वह उन्हें चाहती है. खुद के बारे में भी वह बता चुकी थी कि उस के पिता मनेंद्रगढ़ में ठेकेदारी करते हैं और उन के पास पैसों की कोई कमी नहीं है.

वह चेतन को बताती थी कि तुम में जाने क्या है जो मैं कइयों को ठुकरा कर तुम पर मर मिटी. खैर, मर ही मिटी हूं तो जब तक तुम चाहोगे तुम्हारी रहूंगी और नहीं चाहोगे तो भी तुम्हारे नाम की माला जपती रहूंगी.

चेतन के पास पैसों की कोई कमी तो थी नहीं, कारोबार मुनाफे में चल रहा था लिहाजा लाख 2 लाख रुपए तो वे अपनी इस समर्पित प्रेमिका पर यूं ही उड़ा देते थे. देखा जाए तो प्रीति एक तरह से चेतन की रखैल बन गई थी. उधर चेतन को बेफिक्री यह थी कि इस से उन का कुछ नहीं बिगड़ रहा था, बल्कि स्वर्ग जैसा जो सुख मिल रहा था, उस का कोई मोल नहीं था. लिहाजा प्रीति पर पैसे लुटाने की तादाद बढ़ती जा रही थी.

अब तक शायद प्रीति के मन में भी यही था कि जितना हो सके मालमत्ता लपेट लो बाद की बाद में देखी जाएगी. वह चेतन को अपने हुस्न जाल और सैक्सी अदाओं से फंसाए रखने का कोई टोटका नहीं छोड़ती थी. उस के लिए चेतन एक तरह से सोने का अंडा देने वाली मुर्गी था.

प्रीति की पैसों की जरूरत तो पूरी हो रही थी, लेकिन वह जानती थी यह अस्थाई है और अगर यह स्थाई हो जाए तो फिर जिंदगी भर कुछ नहीं करना पड़ेगा. इधर कालेज छोड़ने का वक्त भी नजदीक आ रहा था. ऐसे में अगर वह अनूपपुर वापस चली जाती तो चेतन के साथसाथ उस की दौलत भी छूट जाती.

लिहाजा उस ने एक दिन दुखी होने का नाटक करते हुए चेतन को वे बातें बता दीं जिन का अपना एक मकसद भी था. चेतन को भी यह जान कर झटका लगा कि अगर प्रीति घर वापस चली गई तो सब कुछ आज जैसा आसान नहीं रह पाएगा. लेकिन क्या किया जाए, इस का हल उन्हें नहीं सूझ रहा था.

प्लान के मुताबिक यह समस्या भी प्रीति ने ही यह कहते हुए दूर कर दी कि अगर तुम मुझे रायपुर में फ्लैट दिला दो तो मैं वहीं रह जाऊंगी. फिर हमारी मौजमस्ती में कोई अड़चन पेश नहीं आएगी. इस सुझाव पर चेतन को भी लगा कि सौदा घाटे का नहीं है क्योंकि अभी वे होटलों में ठहरने, खानेपीने और तोहफों पर जो खर्च कर रहे हैं, वह बच जाएगा और प्रीति से मिलने जाने में कोई डर नहीं रहेगा.

लिहाजा उन्होंने प्रीति को रायपुर के गायत्री नगर इलाके में 50 लाख रुपए का फ्लैट दिला दिया और अपनी एक हुंडई कार भी दे दी, जिस से उसे उन की गैरहाजिरी में घूमनेफिरने में कोई परेशानी न हो. प्रीति फ्लैट में शिफ्ट हो गई और चेतन के पैसों पर ऐश की जिंदगी गुजारने लगी. जब भी जरूरत होती वह चेतन से खर्च के नाम पर पैसे मांग लेती थी और चेतन भी मांगा हुआ पैसा उसे दे देते थे.

जिंदगी अब मजे से गुजर रही थी, चेतन का जब मन होता था तब वे प्रीति के साथ मौजमस्ती करने चले जाते थे. अब मन में रहासहा डर भी खत्म हो गया था. क्योंकि लंबे समय से वे यही कर रहे थे और किसी को हवा भी नहीं लगी थी. प्रीति भी इस बात का ध्यान रखती थी कि जब चेतन कारोबार में व्यस्त हों या फिर घर पर हों, तब उन्हें डिस्टर्ब नहीं करना है.

मांबाप भी जान गए प्रीति की हकीकत  अब तक मांबाप से झूठ बोल कर तरहतरह के बहाने बनाने वाली प्रीति को अब अपना भविष्य गारंटीड दिख रहा था, इसलिए साल 2015 में उस ने अपनी मम्मीपापा को भी रायपुर बुला लिया. इन दोनों ने बेटी से उस की आलीशान जिंदगी के बारे में क्या पूछा और जवाब में उस ने क्या बताया यह तो पता नहीं, लेकिन उन की समझ यह जरूर आ गया था कि यह सब चेतन की मेहरबानियां हैं, लिहाजा जब यह नाजायज दामाद आए और प्रीति के बैडरूम में जाए तब उन्हें उन को डिस्टर्ब नहीं करना है.

चेतन के लिए यह सोने पे सुहागा जैसी बात थी, क्योंकि प्रीति अब परिवार सहित रह रही थी जो उन के लिए एक तरह का सुरक्षा कवच ही था.

चेतन प्रीति के लिए एक ऐसी एटीएम मशीन बन गया था जिस में वह अपनी सैक्सी अदाओं का पासवर्ड डाल कर मनचाहा पैसा निकाल लेती थी, जिस पर अब उस के मांबाप भी ऐश कर रहे थे.

अब तक चेतन प्रीति की प्रीत पर करीब डेढ़ करोड़ रुपए उड़ा चुके थे और 5 साल का लंबा वक्त गुजर जाने के बाद उन्हें लगने लगा था कि प्रीति के चक्कर में अब व्यापार पहले सा नहीं चल रहा है और घाटा लगातार बढ़ता जा रहा है.

दूसरी ओर प्रीति की मांगें और फरमाइशें कम होने के बजाय बढ़ती जा रही थीं. आखिर वह चेतन की ब्याहता पत्नी तो थी नहीं, जो इस और ऐसी बातों का खयाल रखती. उसे तो बस पैसों से मतलब था.

जब चेतन इस मतलब को और पूरा करने में असमर्थता जताने लगे तो प्रीति को समझ आ गया कि अब वक्त आ गया है कि आखिरी दांव खेला जाए. एक दिन जब चेतन ने उस के फ्लैट पर और पैसे देने से कुछ गिड़गिड़ाते और कुछ सख्ती दिखाते हाथ खड़े कर दिए तो प्रीति ने अपना असली रंग दिखाते हुए उन के सामने वे वीडियो दिखा दिए, जिन में दोनों तरहतरह से रतिक्रीड़ाएं करते नजर आ रहे हैं. ये वीडियो वक्तवक्त पर प्रीति छुपे कैमरे से बनाती रही थी.

चेतन के होश उस वक्त और फाख्ता हो गए, जब प्रीति ने खुली धौंस दे डाली कि अगर पैसे नहीं दिए तो ये वीडियो तुम्हारी पत्नी को दिखा दूंगी और पूरे रायपुर में वायरल भी कर दूंगी. मेरा जो बिगड़ेगा मैं भुगत लूंगी, तुम अपनी सोचो और बताओ क्या करना है.

अब चेतन की चेतना जागी कि वे सरासर ब्लैकमेल किए जा रहे हैं. साथ ही यह बात भी उन की समझ में आ रही थी कि कल तक रखैल की तरह खुशीखुशी तैयार रहने वाली प्रीति क्यों कुछ महीनों से उन से शादी करने को कह रही थी. वह जानती थी कि चेतन पत्नी, बच्ची और सामाजिक प्रतिष्ठा की वजह से कभी शादी के लिए तैयार नहीं होंगे, लिहाजा उन पर मानसिक दबाव बनाया जाए.

एंट्री रिंकू शर्मा की  आज नहीं तो कल, चेतन पैसे देना बंद कर देगा यह बात भी प्रीति को समझ आ गई थी. लिहाजा कुछ दिन पहले ही उस ने फेसबुक पर एक दूसरा मुर्गा खोज लिया था. इस नए आशिक का नाम था रिकचंद शर्मा उर्फ रिंकू. हरियाणा के इस कारोबारी को भी प्रीति ने वैसे ही फांसा था जैसे 6 साल पहले चेतन को फांसा था.

अब तक प्रीति चेतन को इतना निचोड़ चुकी थी कि यह करोड़पति कंगाली के कगार पर आ पहुंचा था. चेतन ने प्रीति की मांग पूरी करने के लिए रिश्तेदारों से भी पैसा उधार लिया था और व्यापारियों से भी. इतना ही नहीं, उन्होंने शंकरनगर के इलाके का अपना आलीशान मकान भी 1 करोड़ 42 लाख रुपए में बेच दिया था, जिस का बड़ा हिस्सा उधारी चुकाने में चला गया था.

इस के बाद भी वह फाइनल सेटलमेंट के तौर पर आखिरी किस्त के 50 लाख रुपए की मांग कर यह भरोसा दिला रही थी कि इस के बाद वह विदेश चली जाएगी और फिर कभी चेतन को ब्लैकमेल नहीं करेगी.

दरअसल, प्रीति रिंकू को भी रायपुर बुलाने लगी थी और वही मौजमस्ती उस के साथ कर रही थी, जिस का सिलसिला कभी बिलासपुर से चेतन के साथ शुरू हुआ था. रिंकू को बुलाते वक्त वह इस बात का ध्यान रखती थी कि उस का और चेतन का आमनासामना न हो.  वह यह भी नहीं चाहती थी कि चेतन और उस के संबंधों का राज रिंकू पर खुले, क्योंकि रिंकू भी उस पर खुले हाथ से पैसा खर्च कर रहा था.

रिंकू भी प्रीति की कसी देह और अदाओं पर मर मिटा था. उस का इरादा विदेश में कहीं बस कर कारोबार करने का था. यह बात जान कर प्रीति को लगा कि अब वक्त आ गया है कि चेतन से जितना हो सके, पैसा झटक लो और फिर रायपुर से उड़नछू हो जाओ.

लेकिन एक दिन उस वक्त गड़बड़ हो गई जब सरप्राइज देने की गरज से रिंकू हरियाणा से बिना बताए प्रीति के घर जा पहुंचा और वह भी सीधे बैडरूम में, जहां चेतन और प्रीति गुत्थमगुत्था पड़े थे.

पोल खुल गई तो प्रीति घबरा उठी कि रिंकू अब पता नहीं क्या करेगा. चेतन बहुत कुछ समझने की कोशिश करते हुए चुपचाप कपड़े पहन कर चले गए तो प्रीति ने रिंकू को सब कुछ साफसाफ बता देने में ही बेहतरी समझी.

उसे उम्मीद या डर था कि रिंकू उस पर गरजेगाबरसेगा, बेवफाई का इल्जाम लगा कर उलटे पांव हरियाणा लौट जाएगा लेकिन रिंकू उस का भी उस्ताद निकला. उस ने उसे अपनी बांहों के शिकंजे में कस कर धीरे से कहा कि जब उसे लूट ही रही हो तो पूरा लूट लो फिर हम दोनों इत्मीनान से विदेश में जा कर बस जाएंगे.

देखतेदेखते बंटी और बबली की इस नई जोड़ी ने मिल कर चेतन को ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया. प्रीति ने चेतन से यह कहा था कि 50 लाख और दे दो क्योंकि मुझे वीजा बनवाना है. विदेश जा कर तुम्हारामेरा रिश्ता और सब कुछ खत्म हो जाएगा फिर तुम इत्मीनान से अपना घर और कारोबार देखना. क्योंकि मैं रिंकू से शादी करने वाली हूं.

लेकिन चेतन के पास अब कुछ नहीं बचा था. प्रीति की प्रीत की असलियत सामने थी और अब तो उस में रिंकू भी शामिल हो गया था. पाईपाई को मोहताज हो चले चेतन को मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल से हिम्मत बंधी तो वह सीधे एडीशनल एसपी प्रफुल्ल ठाकुर के चैंबर में जा पहुंचे और अपनी आपबीती सुना कर इंसाफ की मांग की.

यूं फंसी पुलिसिया जाल में  प्रफुल्ल ठाकुर ने चेतन की कहानी इत्मीनान और विस्तार से सुनी और उन्हें उस पर तरस और गुस्सा दोनों आए. चूंकि अपनी कहानी के साथसाथ चेतन ब्लैकमेलिंग के सारे सबूत उन्हें दे चुके थे कि उन्होंने कबकब कितने पैसे प्रीति को दिए, इसलिए उन्होंने प्रीति के खिलाफ रायपुर के पंडरी थाने में रिपोर्ट दर्ज करा कर जाल बिछा दिया.

दरअसल, प्रीति ने चेतन को 50 लाख रुपए की आखिरी किस्त के बाबत 26 सितंबर की तारीख दी थी, इसलिए उसे रंगेहाथों पकड़ने का मौका पुलिस ने नहीं छोड़ा. इस के पहले प्रीति चेतन की 2 और महंगी कारें रिंकू के सहयोग से छीन कर अपने कब्जे में ले चुकी  थी. जाहिर है, विदेश जाने से पहले वह इन्हें भी बेच देने का मन बना चुकी थी.

26 सितंबर को पुलिस के प्लान के मुताबिक चेतन ने प्रीति को फोन कर पैसों का इंतजाम हो जाने की खबर दी तो प्रीति के पर फड़फड़ाने लगे कि अब मकसद पूरा हो गया. रकम देने रायपुर की जगह कंचना रेलवे क्रौसिंग तय हुई. बातचीत में प्रीति ने बताया भी कि वह पैसे लेने अकेली आएगी और चेतन चाहेगा तो उसे आखिरी बार वह शारीरिक सुख भी देगी जो पहली बार बिलासपुर में दिया था.

प्रफुल्ल ठाकुर ने आननफानन में महिला पुलिसकर्मियों को सादे कपड़ों में कंचना रेलवे क्रौसिंग के आसपास तैनात किया और चेतन को एक सूटकेस में नोटों के आकार के कागज के टुकड़े भर कर दे दिए.

शाम को जैसे ही प्रीति ने चेतन से रुपयों का सूटकेस लिया तो पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया. इस पर प्रीति सकपका उठी, जिसे सपने में भी चेतन के पुलिस के पास जाने की उम्मीद नहीं थी. लेकिन जो भी था, वह सामने था. पंडरी थाने में पहले तो वह ब्लैकमेलिंग की बात से मुकर गई लेकिन जल्द ही टूट भी गई. उस ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया.

ताबड़तोड़ काररवाई हुई और प्रीति के फ्लैट पर छापा मार कर पुलिस ने नकदी और वे जेवरात भी बरामद किए जो वक्तवक्त पर चेतन उसे उपहार में देते रहे थे.

प्रीति के कंप्यूटर, मोबाइल और लैपटौप भी जब्त कर फोरैंसिक जांच के लिए भेज दिए गए. फिर पुलिस रिंकू के पीछे पड़ गई जो प्रीति की गिरफ्तारी की खबर सुन कर फरार हो गया था. इस कहानी के लिखे जाने तक रिंकू गिरफ्तार नहीं हो पाया था.

मांबाप भी थे शामिल  छानबीन आगे बढ़ी तो यह भी स्पष्ट हुआ कि ऐसा होना मुमकिन ही नहीं था कि मांबाप को यह न मालूम हो कि प्रीति यह पैसा कैसे कमा रही थी. जब चेतन का उन के फ्लैट पर आनाजाना था और इस के बाद रिंकू का भी तो पुलिस को यकीन हो गया कि प्रीति के पिता रमाकांत तिवारी भी इस ब्लैकमेलिंग में शामिल हैं और वह भी बेहद शर्मनाक तरीके से.

अब तक पुलिस का अंदाजा था कि प्रीति के तार मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल से जुड़े होंगे, लिहाजा पुलिस प्रीति और रमाकांत को ले कर इंदौर आई जहां सैक्स स्कैंडल का खुलासा हुआ था. लेकिन धीरेधीरे यह स्पष्ट हो गया कि इन दोनों मामलों का सीधे कोई लेनादेना नहीं था. हां, इतना जरूर है कि रमाकांत तिवारी को ठेकेदारी में जबरदस्त घाटा हुआ था इसलिए प्रीति ने मांबाप को रायपुर बुला कर कपड़े की दुकान खुलवा दी थी, जोकि एक कांग्रेसी नेता की थी.

छानबीन में यह भी पता चला कि रमाकांत तिवारी की अनूपपुर और मनेंद्रगढ़ में खासी इज्जत है और उन के परिवार के एक दिग्गज भाजपाई नेता से भी संबंध हैं. लेकिन इन सब बातों का ब्लैकमेलिंग से संबंधित होना नहीं पाया गया.

इधर प्रीति की मां मीडिया के सामने बेटी के बेगुनाह होने की बात यह कहते हुए करती रहीं कि वह बेकसूर है उसे फंसाया गया है और जो पैसा था वह प्रीति के मंगेतर रिंकू का दिया हुआ था. इस बात में कोई दम नहीं था क्योंकि चेतन प्रीति को दिए गए पैसों का ब्यौरा मय सबूत के पुलिस को दे चुके थे. (देखें बॉक्स)

यानी रिंकू के साथसाथ प्रीति के मातापिता भी चेतन को ब्लैकमेलिंग में शामिल थे. फिर अकेली प्रीति को कैसे गुनहगार ठहराया जा सकता है. अब प्रीति और रमाकांत ब्लैकमेलिंग के आरोप में जेल में हैं और चेतन ने मुकम्मल बदनामी झेलने के बाद चैन की सांस ली है कि चलो पिंड छूटा.

शायद वे इकलौते शख्स होंगे जो मध्य प्रदेश के सैक्स स्कैंडल के आभारी होंगे, जिस के चलते वे पुलिस के पास जा कर ब्लैकमेलर्स गैंग से टकराने और निपटने की हिम्मत जुटा पाए.

लेकिन एक बात जिस से वे भी मुकर नहीं सकते, वह यह है कि शुरुआत में वे अपनी बेवकूफी और हवस के चलते प्रीति की प्रीत में फंसे थे. तब प्रीति की मंशा भी उन्हें ब्लैकमेल करने की नहीं, बल्कि सिर्फ मौजमस्ती की थी. लेकिन बाद में हालात ऐसे बनते गए कि उसे ब्लैकमेलिंग पर उतारू होना पड़ा. पिता को ठेकेदारी में घाटा और रिंकू का साथ भी इस खेल में अहम रहा.

यह सैक्स स्कैंडल और ब्लैकमेलिंग कांड दिलफेंक मर्दों के लिए एक सबक है, जो देह की चिकनी सड़क पर पांव रखते ही फिसल जाते हैं और फिर गाढ़ी कमाई का बड़ा हिस्सा अपनी करतूतें ढंकने के लिए ब्लेकमेलर्स पर लुटाने को मजबूर हो जाते हैं.

किस्तों में कंगाल हुआ करोड़पति जिस नाजायज रिश्ते को छिपाने के लिए चेतन ने 2 करोड़ रुपए प्रीति पर लुटा डाले, उसे देख लगता है कि अगर उन के पास और पैसा होता तो वे यूं ही लुटते रहते. लगता ऐसा भी है कि ब्लैकमेलिंग की घोषित शुरुआत 2015 से हुई, जिस का आभास चेतन को हो चला था, इसलिए वे प्रीति को दी जाने वाली रकम का हिसाबकिताब रखते थे और उन की हर मुमकिन कोशिश डिजिटल पेमेंट की होती थी, जिस से सनद रहे और वक्तबेवक्त काम आए और ऐसा हुआ भी.

प्रीति बाद में इतनी जबरदस्ती पर उतारू हो गई थी कि उस ने चेतन की 3 कारें उड़ा ली थीं. इसी साल जनवरी में चेतन ने शंकर नगर स्थित अपना आलीशान मकान 1 करोड़ 42 लाख रुपए में प्रीति मारवाह को बेचा था, जिस में से अधिकतर पैसा उस उधारी को चुकाने में चला गया जो उन्होंने दोस्तों और रिश्तेदारों से प्रीति को देने के लिए ली थी.

चेतन ने पुलिस को 46 लाख रुपए के ट्रांजैक्शन के सबूत दिए जो उन्होंने प्रीति के खाते में ट्रांसफर किए थे. इस के अलावा लगभग 30 लाख रुपए की ज्वैलरी वे उसे ब्लैकमेलिंग में दे चुके थे, जिसे पुलिस ने प्रीति के फ्लैट से जब्त भी किया.

घूमनेफिरने और होटलबाजी पर भी चेतन ने तबियत से पैसा फूंका था, जिस के चलते वे कंगाली के कगार पर आ गए थे. अगर यह मान भी लिया जाए कि 5 साल में उन्होंने अपनी अय्याशी पर करीब 2 करोड़ रुपए लुटाए, साथ ही वह ब्लैकमेलिंग के चक्कर में प्रीति पर सालाना 40 लाख रुपए खर्च कर रहे थे.

इस के बाद भी यह नाजायज रिश्ता छुपा नहीं रह सका, उलटे खुद चेतन को ही इसे उजागर करना पड़ा.

पुलिस के अलावा आम लोगों का भी यह अंदाजा सही लगता है कि कई पैसे वाले मर्द इस तरह की ब्लैकमेलिंग का शिकार हैं, लेकिन डर के चलते खामोश रहने मजबूर रहते हैं.