सच तो यह भी था कि उसे देख कर उस की आंखों में चमक आ गई थी. उस के दिमाग में अपनी नौकरी के लिए पैरवी की उम्मीद की किरण नजर आई थी. कारण वह स्वास्थ्य मंत्रालय से जुड़ा था. उस के दिमाग में फायदे की 2 बातें बैठ गईं.
उस ने तुरंत अपनी सहेली को फोन मिलाया. उसे भी प्रोफाइल के बारे में बताया और उस से सलाह मांगी. सहेली ने सिर्फ इतना कहा कि उस से सपंर्क कर चैक कर ले. यह बात मई 2020 की थी. उन दिनों देश में कोरोना के दूसरे फेज का माहौल भी चल रहा था.
अगले ही रोज अवंतिका ने इस बारे में अपना निर्णय ले लिया. उस प्रोफाइल के डा. स्वैन को संपर्क करने के साथसाथ अपनी डिटेल्स भी भेज दी. उधर से प्रपोजल भी आ गया और उस ने शादी की तारीख भी तय कर दी. उस ने कोरोना पर लगी पाबंदियों का हवाला देते हुए कम से कम लोगों के बीच मंदिर में शादी की बात कही.
जुलाई 2020 में भुवनेश्वर के एक मंदिर में शादी की तारीख तय हो गई. स्वैन ने शादी के बाद वहीं से बेंगलुरु चलने की बात कही. बातोंबातों में उस ने घर के रेनोवेशन के लिए 5 लाख रुपए की भी मांग कर ली. अवंतिका के बैंक खाते में दिवंगत पति के पैसे जमा थे. उस में से ही उस ने पैसे देने का वादा भी कर लिया. स्वैन ने शादी में परिवार से किसी सदस्य को आने से मना कर दिया था. अवंतिका भी घर वालों के शोरशराबे से बचना चाहती थी. वह अपने कुछ कपड़ों से भरे सूटकेस के साथ भुवनेश्वर आ गई थी.
मंदिर में साधारण तरह से हुई शादी के समय स्वैन की तरफ से केवल एक दंपति मौजूद था. उस का परिचय उस ने बहन और बहनोई के रूप में करवाया था. अवंतिका नवविवाहिता बन भुवनेश्वर स्थित स्वैन के 3 कमरे वाले एक मकान में आ गई थी. वहां केवल एक नौकरानी रहती थी. उसी से मालूम हुआ कि घर की देखभाल की जिम्मेदारी उस पर थी.
स्वैन अकसर शहर से बाहर ही रहता था. महीनों बाद शादी के लिए आया था. फिर भी अवंतिका को घर का शांत माहौल अच्छा लगा. उस से भी अच्छा लगा स्वैन का स्वभाव और मधुर बोली. वह बेहद खुश थी. लंबे समय बाद किसी पुरुष का साथ मिला था, जिसे वह अपना कह सकती थी और खास बात यह थी कि वह एक बड़े अधिकारी की पत्नी थी.
2 दिनों बाद ही स्वैन ने बेंगलुरु जाने की फ्लाइट बुक करवा ली थी. उस का टिकट साथ में नहीं लेने पर जब अवंतिका ने सवाल किया, तब उस ने बताया कि औफिस में हेल्थ रिलेटेड एक जरूरी प्रोजेक्ट जमा करवाना है. सेंटर की हेल्थ मिनिस्टरी का और्डर है. उसे निपटा कर एक सप्ताह में लौट आएगा. फिर कहीं घूमने का प्लान बनाएंगे. तब तक वह यहां का घर अपने अनुसार दुरुस्त कर ले.
वादे के मुताविक स्वैन ठीक आठवें रोज भुवनेश्वर आ गया था. आते ही उस ने 2 दिन बाद अवंतिका को आगे के टूर का प्रोग्राम बताया, जो गोवा का था. वह टूर भी उस के औफिस से रिलेटेड था. वह 2 दिनों के लिए भुवनेश्वर में ठहरा था. इस दौरान स्वैन जब सुबह के समय बाथरूम में था, तब नौकरानी भागती हुई उस के पास आई. उस के हाथ में मोबाइल था, ‘‘मैडम! देखिए आप के फोन में कौल आ रही है?’’
‘‘मेरा मोबाइल! वह तो मेरे पास है. अरे, यह साहब का है. यहीं रख दो वह बाथरूम से आएंगे तब देख लेंगे. एप्पल मोबाइल एक जैसे दिखते हैं, किस का कौन है पहचाना ही नहीं जाता.’’
अवंतिका के बोलतेबोलते काल डिस्कनेक्ट हो गई थी. कुछ सेकेंड बाद फिर कौल आया, नाम उभरा ‘वाइफ डाक्टर’. सोचा किसी डाक्टर की वाइफ का फोन होगा. कुछ सेकेंड बाद फोन फिर डिस्कनेक्ट हो गया. किंतु तुरंत एक कौल आ गई. उस में दूसरा नाम उभरा था ‘वाइफ बेंगलुरु’.
अवंतिका को स्वैन पर होने लगा शक
यह नाम देख कर अवंतिका को एक बार फिर अजीब लगा. खुद से बातें करने लगी, ‘वाइफ बेंगलुरु’ का मतलब क्या हो सकता है?
उस फोन के कटते ही अवंतिका ने स्वैन का फोन उस समय आए मिस काल को स्क्राल कर दिया. देखा, उस से पहले और 2 काल आई थी. एक में ‘वाइफ टीचर’ था, जबकि दूसरे में सिर्फ ‘डब्ल्यू भुवनेश्वर’ लिखा था. उसी वक्त स्वैन बाथरूम से निकल आया. उस के हाथ में अपना मोबाइल देख कर एक झपट्टे के साथ ले लिया. डांटते हुआ बोला, ‘‘मेरा मोबाइल क्यों देख रही हो. जरा भी मैनर नहीं है क्या? एजूकेटेड हो.’’
अवंतिका अभी अपनी सफाई देती उस से पहले ही स्वैन ने उसे खूब खरीखोटी सुना दी. अचानक स्वैन के बदले तेवर को देख कर अवंतिका सहम गई. स्वैन उस रोज नाश्ता किए बगैर चला गया.
उस के जाने के बाद अवंतिका उदास हो गई. नौकरानी ने आ कर उसे नाश्ता दिया. हाथ पकड़ कर बोली, ‘‘मेम साहब, साहब की बातों का बुरा नहीं मानना. वह ऐसे ही हैं. तुरंत नाराज हो जाते हैं, लेकिन तुरंत शांत भी हो जाते हैं. देखना अभी एक घंटे में वापस आएंगे और कोई गिफ्ट भी देंगे.’’
‘‘अच्छा?’’ अवंतिका बोली.
‘‘जी मेमसाहब!’’ नौकरानी मुसकराती हुई बोली.
‘‘और कुछ बताओ साहब के बारे में,’’ अवंतिका ने कहा.
‘‘और क्या बताऊं उन के बारे में… सब कुछ तो ठीक है, लेकिन…’’
‘‘लेकिन क्या, बताओ. हो सका तो मैं तुम्हारी मदद करूंगी,’’ अवंतिका बोली.
‘‘साहब को मत बोलना… मैं खुद बोल दूंगी. मेरा 3 महीने का पैसा बाकी है. सोचा थी आज मांगूंगी… लेकिन साहब नाराज हो गए,’’ नौकरानी मायूसी के साथ बोली.
‘‘कितना पैसा बाकी है? बताओ मैं दे देती हूं.’’
‘‘जी 9 हजार,’’ नौकरानी झिझकती हुई बोली. अवंतिका ने तुरंत अपने बैग से 10 हजार रुपए निकाले और नौकरानी के हाथ में रख दिए.
‘‘मेमसाहब आप बहुत अच्छी हैं. इस में एक हजार अधिक हैं,’’ नौकरानी बोली.
‘‘कोई बात नहीं, रख लो मेरी तरफ से गिफ्ट है.’’ अवंतिका ने कहा.
नौकरानी के कहे मुताबिक स्वैन उस रोज नहीं आ पाया. अवंतिका ने रात होने पर नौकरानी से स्वैन के नहीं आने का कारण पूछा. किंतु उस से कोई सही जवाब नहीं मिल पाया. उस ने सिर्फ आश्चर्य जताते हुए कहा कि ऐसा तो पहली बार हुआ है.
अगले रोज स्वैन शाम के वक्त आया. वह हड़बड़ी में था. फटाफट खुद सामान पैक किया और तुरंत निकल पड़ा. अवंतिका कुछ पूछती, इस से पहले ही उस ने सौरी बोलते हुए बताया कि उसे एक दिन पहले ही निकलना पड़ेगा. अगली बार बेंगलुरु ले चलने का वादा कर चला गया.