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नैना परमार को देवास जंक्शन से इंदौर जाने वाली लोकल ट्रेन छूट गई थी. वह प्लेटफार्म की बेंच पर बैठ गई थी. तभी उसेपीछे से एक युवक ने आवाज लगाई, ‘‘दीदी, तुम ने भी ट्रेन मिस कर दी?’’

“अरे अशोक तुम!’’ नैना उस की तरफ देख कर बोली, ‘‘अरे क्या करूं, आजकल मेरे दिन खराब चल रहे हैं.’’

“क्यों क्या हुआ? तुम परेशान दिख रही हो, कोई समस्या है तो बताओ न!’’ अशोक बोला.

“अब यहां तुम से क्या बोलूं... बस इतना समझो कि मुझ पर मुसीबत आने वाली है.’’

“अरे दीदी, जब तुम्हें पता है कि मुसीबत क्या है, तब तो उसे दूर करना और भी आसान है. हमें बताओ न, हम 2 भाई किस काम के हैं.’’ उस के पास अभीअभी आया गोलू बोल पड़ा.

“अरे गोलू तुम्हारी भी ट्रेन छूट गई?’’ नैना आश्चर्य से बोली.

“अब जब हम लोगों के इंदौर का सफर साथसाथ होता है, तब सभी का ट्रेन मिस होना जरूरी है न,’’ बोल कर गोलू हंसने लगा.

“गोलू हंसने की बात नहीं है, दीदी की मुसीबत का कोई समाधान हमें ही निकालना होगा.’’

“क्या बात है दीदी, तुम कहो तो मैं तुम्हारे लिए अपनी जान तक दे सकता हूं और किसी की जान ले भी सकता हूं.’’ गोलू बोला.

“फिर वही मजाक की बात, हर घड़ी मजाक अच्छी नहीं लगती है.’’ अशोक गोलू से बोला.

“तो बताओ न...दीदी तुम्हीं बताओ तुम्हारी प्राब्लम क्या है?’’ गोलू नैना से बोला.

“अब तुम्हें क्या बताऊं? कैसे बताऊं? तुम लोगों ने मुझ से इतनी हमदर्दी दिखाई, यही कम है क्या?’’

“दीदी, हम लोग भले ही तुम्हारे सगे भाई न हों, लेकिन एक ही शहर के होने के नाते तुम्हारी समस्या हमारी समस्या मानता हूं. कल को कोई जरूरत पड़ेगी, तब तुम से मदद मांग लूंगा,’’ अशोक बोला.

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