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गांव जाने के बाद भी कमलदान चारण जकिया से मोबाइल पर संपर्क में रहा. इस बीच वह वाट्सऐप पर मैसेज भी भेजता रहा. वह 12 जून, 2017 की शाम को जोधपुर लौट आया. जोधपुर लौटने पर उस ने 12 जून की शाम को जकिया को फोन कर के नई सड़क स्थित एक होटल में बुलाया. जकिया ने मां की बीमारी का बहाना बना कर उस दिन उसे टाल दिया.

अगले दिन यानी 13 जून को कमलदान चारण ने जकिया को फोन कर के शाम को उस के घर आने की बात कही तो जकिया ने एसीबी को सूचित कर दिया. एसीबी अधिकारियों ने शाम होते ही जकिया के घर के आसपास डेरा डाल दिया. एसीबी के डीएसपी जगदीश सोनी ने जकिया को पहले ही समझा दिया था कि थानाप्रभारी कमरे में आ कर गलत हरकत करने की कोशिश करने लगे तो वह कोल्ड कौफी मंगाने के बहाने फोन कर देगी. जकिया ने ऐसा ही किया, जिस के बाद एसीबी द्वारा वह गिरफ्तार कर लिया गया.

थानाप्रभारी की गिरफ्तारी से जोधपुर पुलिस की बड़ी बदनामी हुई. जोधपुर पुलिस कमिश्नर अशोक राठौड़ ने इस पूरे मामले की जांच बोरानाड़ा के एसीपी सिमरथाराम को सौंप दी. वहीं पुलिस कमिश्नर के निर्देश पर डीसीपी (पश्चिम) समीर कुमार सिंह ने थानाप्रभारी कमलदान चारण को 14 जून को निलंबित कर दिया. एसीबी ने उसी दिन शाम को कमलदान चारण को मजिस्ट्रैट के घर पर पेश किया. न्यायाधीश ने चारण को 2 दिनों के रिमांड पर एसीबी को सौंप दिया.

रिमांड के दौरान एसीबी ने एक लाख रुपए के चैक के बारे में पूछताछ की तो कमलदान चारण ने कहा कि उस के पास कोई चैक नहीं था. एक लाख रुपए नकद लेने की बात से भी उस ने इनकार कर दिया. प्यार और दोस्ती के सवाल पर उन्होंने कहा कि वह उस महिला से प्रेम नहीं करता, बल्कि वही उसे फंसा रही थी.

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