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मादीपुर के चौकी इंचार्ज पवन कुमार दहिया के नेतृत्व में 13 सितंबर को एक पुलिस टीम आसिफ खान के वजीराबाद गांव स्थित घर रवाना कर दी. आसिफ खान घर पर ही मिल गया. उसे हिरासत में ले लिया. थाने पहुंच कर पुलिस ने मेहताब खान की गुमशुदगी के बारे में उस से पूछताछ की.

आसिफ खान पहले तो मेहताब के बारे में अनभिज्ञता जताते हुए पुलिस को गुमराह करता रहा लेकिन पुलिस ने जब उस से सख्ती से पूछताछ की तो उसे सच्चाई बताने के लिए मजबूर होना पड़ा. उस ने बताया कि उस ने अपने साथियों के साथ मिल कर उस की हत्या कर के लाश गंगनहर में फेंक दी थी.

उस ने अपने चचेरे भाई की हत्या क्यों की? पूछने पर आसिफ ने पुलिस को मेहताब की हत्या करने की जो कहानी बताई, वह इस प्रकार निकली.

सन 2011 में आसिफ का भतीजा रवीश खान जब मेहताब की चचेरी बहन मुमताज को भगा कर ले गया तो मेहताब और उस के भाइयों ने आसिफ खान की जम कर पिटाई की थी. उस समय मोहल्ले के ही तमाम तमाशबीन उस के घर के सामने खड़े थे.

आसिफ खान भी प्रौपर्टी डीलर था. उस की भी क्षेत्र में अच्छी जानपहचान और इज्जत थी. मोहल्ले वालों के सामने पिटाई होने पर वह खुद को अपमानित महसूस कर रहा था.

इस बेइज्जती के तीर ने आसिफ के दिल को इतना जख्मी कर दिया कि उस ने उसी समय तय कर लिया कि वह मेहताब से इस का बदला जरूर लेगा. इस घटना के 15-20 दिनों बाद आसिफ ने मादीपुर वाला मकान बेच कर दिल्ली के वजीराबाद गांव में एक मकान खरीद लिया और वहीं पर प्रौपर्टी डीलिंग का काम करने लगा.

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