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योगेन नपे तुले कदमों से आगे बढ़ते हुए साफ महसूस कर रहा था कि आगे चल रही महिला उस से डर रही है. उस अंधेरे कौरीडोर में वह बारबार पीछे मुड़ कर देख रही थी. उस की आंखों में एक अंजाना सा डर था और वह बेहद घबराई हुई लग रही थी. शायद उसे लग रहा था कि वह उस का पीछा कर रहा है.

बिजनैस सेंटर में ज्यादातर औफिस थे, जिन में अब तक काफी बंद हो चुके थे. इस बिजनैस सेंटर में खास बात यह थी कि इस के औफिस में किसी भी समय आयाजाया जा सकता था. इसीलिए सेंटर के गेट पर एक रजिस्टर रख दिया गया था, जिस में आनेजाने वालों को अपना नामपता और समय लिखना होता था.

महिला रजिस्टर में अपना नामपता और समय लिख कर तेजी से आगे बढ़ गई. उस के बाद योगेन भी नामपता और समय लिख कर महिला के साथ लिफ्ट में सवार हो गया था. लिफ्ट में महिला ने एक बार भी नजर उठा कर उस की ओर नहीं देखा. शायद वह अपने खौफ पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी.

योगेन ने लिफ्ट औपरेटर से कहा, “सातवीं मंजिल पर जाना है.”

इस पर महिला ने चौंक कर उस की ओर देखा, क्योंकि उसे भी उसी मंजिल पर जाना था. यह सोच कर उस की सांस रुकने लगी कि यह आदमी क्यों उस के पीछे लगा है?

चंद पलों में ही सातवीं मंजिल आ गई. लिफ्ट का दरवाजा खुलते ही महिला तेजी से निकली और उसी रफ्तार से आगे बढ़ गई. उस की ऊंची ऐड़ी के सैंडल फर्श पर ठकठक बज रहे थे. तेजी से चलते हुए उस ने पलट कर देखा तो गिरतेगिरते बची. योगेन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उस महिला को कैसे समझाए कि वह उस का पीछा नहीं कर रहा, इसलिए उसे उस से डरने की कोई जरूरत नहीं है.

आगे बढ़ते हुए योगेन दोनों ओर बने धुंधले शीशे वाले औफिसों पर नजर डालता जा रहा था. अंधेरा होने की वजह से दरवाजों पर लिखे नंबर ठीक से दिखाई नहीं दे रहे थे. कौरीडोर खत्म होते ही महिला बाईं ओर मुड़ गई. वह भी उसी ओर मुड़ा तो महिला और ज्यादा सहम गई.

वह और तेजी से आगे बढ़ कर एक औफिस के आगे रुक गई. उस की लाइट जल रही थी. दरवाजे के हैंडल पर हाथ रख कर उस ने योगेन की ओर देखा. लेकिन वह उस के करीब से आगे बढ़ गया. आगे बढ़ते हुए योगेन ने दरवाजे पर नजर डाली थी. उस पर डा. साहिल परीचा के नाम का बोर्ड लगा था. उस के आगे बढ़ जाने से महिला हैरान तो हुई ही, उसे यकीन भी हो गया कि वह उस का पीछा नहीं कर रहा था.

योगेन अंधेरे में डूबे दरवाजों को पार करते हुए आगे बढ़ता रहा. उस कौरीडोर में आखिरी दरवाजे से रोशनी आ रही थी. आगे बढ़ते हुए उस ने अपनी दोनों जेबें थपथपाई. एक जेब में पिस्तौल था, जिसे इस्तेमाल करने की जरूरत नहीं पड़ी थी. दूसरी जेब में 50 लाख रुपए की कीमत का बहुमूल्य हीरे का नेकलैस मखमल की एक डिब्बी में रखा था. जिसे लेने से पहले योगेन ने अच्छी तरह चैक किया था. वह वही नेकलैस पहुंचाने यहां आया था.

दरवाजा खोलने से पहले योगेन ने पलट कर देखा तो वह महिला अभी तक दरवाजे पर खड़ी उसी को देख रही थी. योगेन ने उसे घूरा तो वह हड़बड़ा कर जल्दी से अंदर चली गई. योगेन ने एक बार फिर खाली कौरीडोर को देखा और दरवाजा खोल कर अंदर चला गया.

सामने रिसैप्शन में बैठी लड़की उसे देख कर मुसकराते हुए उठी और उस के गले लग गई. योगेन कुछ कहता, उस के पहले ही वह बोली, “तुम एकदम सही समय साढ़े 8 बजे आए हो डियर. उसे साथ ले आए हो न?”

“हां, ले आया हूं.” योगेन ने जेब पर हाथ फेरते हुए कहा.

“कैसा है, क्या बहुत खूबसूरत है?” लड़की ने बेचैनी से पूछा.

योगेन ने लड़की का हाथ पकड़ कर उस के बाएं हाथ की हीरे की अंगूठी देखते हुए कहा, “रीना, नेकलैस के सारे हीरे इस से बड़े और काफी कीमती हैं.”

“योगेन, फिर कभी ऐसा मत कहना. मेरे लिए यह अंगूठी दुनिया की सब से कीमती चीज है. जानते हो क्यों? क्योंकि इसे तुम ने दिया है. यह तुम्हारे प्यार की निशानी है.” रीना योगेन की आंखों में झांकते हुए प्यार से कहा.

रीना की इस बात पर योगेन मुसकराया.

रीना ने अपने बैग से टिशू पेपर निकालते हुए कहा, “तुम्हारे गाल पर मेरी लिपस्टिक का निशान लग गया है…” रीना इतना ही कह पाई थी कि उस की आंखें हैरानी से फैल गईं और आगे की बात मुंह में ही रह गई.

रीना की हालत से ही योगेन अलर्ट हो गया. वह समझ गया कि उस के पीछे जरूर कोई मौजूद है. उस ने मुडऩे की कोशिश की कि तभी उस के सिर के पिछले हिस्से पर कोई भारी चीज लगी और वह रीना की बांहों में गिर कर बेहोश हो गया. जब उसे होश आया तो उसे लगा कि वह किसी मुलायम चीज पर लेटा है. सिर के पिछले हिस्से में तेज दर्द हो रहा था. उस के होंठों से कराह निकली. आंखें खोलने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रहा.

उसे लगा जैसे उस की आंखों पर भारी बोझ रखा है. फिर भी उस ने हिम्मत कर के आंखें खोल दीं. लेकिन तेज रोशनी से उस की आंखें बंद हो गईं. उस के कानों में कुछ आवाजें पड़ रही थीं. कोई कह रहा था, “ओह गाड, यह क्या हुआ?”

“पता नहीं, मैं ने इसे इसी तरह पड़ा पाया था.” किसी ने जवाब दिया.

“अरे इसे होश आ रहा है.” किसी ने कहा.

इस के बाद 2-3 लोगों ने मिल कर योगेन को उठाया तो उस के हलक से कराह निकल गई.

“आराम से, शायद यह जख्मी है. शायद इसे दिमागी चोट आई है. रुको डा. परीचा के औफिस में लाइट जल रही है. मैं उन्हें बुला कर लाता हूं.” किसी ने भारी आवाज में कहा.

“ठीक है, डाक्टर को जल्दी ले कर आओ.” किसी अन्य ने कहा.

अब तक योगेन को पूरी तरह से होश आ गया था. कोई धीरेधीरे उस के शरीर को टटोल रहा था. शायद चोट तलाश रहा था. जैसे ही उस का हाथ योगेन के सिर के पीछे पहुंचा, उसके मुंह से कराह निकल गई. उस का शरीर कांप उठा.

“इस का मतलब सिर के पिछले हिस्से में काफी गहरी चोट लगी है. इसे उठा कर सोफे पर लिटाओ, उस के बाद देखता हूं.”

योगेन को उठा कर मुलायम और आरामदेह सोफे पर लिटा दिया गया. इस के बाद कोई उस के जख्म की जांच करने लगा तो उसे तकलीफ हुई और वह दोबारा बेहोश हो गया.

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