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मुझे उन्होंने मारने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन संयोग अच्छा था कि मैं बच गया था. उन की चलाई गोली मेरे सिर को छूती हुई निकल गई थी. उस के बाद जान बचाने के  लिए मैं ने सरपट दौड़ लगा दी थी. जिन लोगों ने मुझे मारने की कोशिश की थी, उन से मेरी कोई दुश्मनी नहीं थी और जिस ने उन्हें इस काम के लिए भेजा था, उस से भी मेरी कोई दुश्मनी नहीं थी. इस के बावजूद मारने वाले मुझे मारना चाहते थे तो मरवाने वाला मुझे मरवाना चाहता था.

इस कहानी की शुरुआत उस दिन हुई थी, जिस दिन मेरे बौस अजहर अली ने मुझे अपने चैंबर में पहली बार बुलाया था. वह अपनी सख्ती और खड़ूसपने के लिए मशहूर थे. उन का एक्सपोर्टइंपोर्ट का बहुत बड़ा कारोबार था.  कंपनी के सारे कर्मचारी उन से बहुत डरते थे. चैंबर में घुसते ही उन्होंने बैठने का इशारा करते हुए पूछा, ‘‘शहबाज तुम्हारा ही नाम है?’’

‘‘जी सर.’’ मैं ने बैठते हुए अदब से कहा था.

‘‘तुम यहां अकेले ही रहते हो या परिवार के साथ?’’

‘‘सर, मैं बिल्कुल ही अकेला हूं, मेरा कोई नहीं है.’’

उन्होंने मुझे गौर से देखा. इस के बाद कुछ सोचते हुए पूछा, ‘‘अभी शादी भी नहीं की?’’

‘‘जी नहीं.’’

मुझे उन की बातों पर हैरानी हो रही थी. उन्होंने मेरे चेहरे पर नजरें जमा कर कहा, ‘‘मैं तुम्हारे काम से बहुत खुश हूं. तुम काफी मेहनती और ईमानदार हो. मैं ने तुम्हारी रिपोर्ट देखी है. मैं तुम्हें प्रमोशन देना चाहता हूं. शाम को मेरे घर आ जाना, वहीं इत्मीनान से बातें करेंगे.’’

यह मेरी खुशनसीबी ही थी कि मुझे इस तरह का मौका मिल रहा था. शाम को मैं बौस अजहर अली के घर पहुंच गया. उन का घर बहुत शानदार था. ड्राइंगरूम बेशकीमती चीजों से सजा हुआ था. बाहर कई गाडि़यां खड़ी थीं. कई नौकर इधरउधर घूम रहे थे.

अजहर अली एक छरहरी खूबसूरत औरत के साथ ड्राइंगरूम में दाखिल हुए. उन्होंने औरत की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘यह मेरी वाइफ नाजनीन है.’’

मैं ने सलाम किया. सभी लोग बैठ गए. अजहर अली ने औफिस और काम की बातें शुरू कीं. उन्होंने कुछ खास जिम्मेदारियां सौंपते हुए ओहदा और वेतन बढ़ाने की बात कही. तभी उन के मोबाइल पर किसी का फोन आ गया तो वह उठ कर बाहर चले गए.

उन के जाते ही नाजनीन अपनी जगह से उठी और मेरे पास आ कर बैठ गई. उस के परफ्यूम की खुशबू ने मुझे मदहोश सा कर दिया. मेरी धड़कन एकदम से बढ़ गई. उस ने बड़े प्यार से पूछा, ‘‘आप के शौक क्या क्या हैं, आप जिम जाते हैं?’’

‘‘मैडम, मैं इतने महंगे शौक कैसे पाल सकता हूं?’’ मैं ने कहा.

‘‘अब तुम गरीब नहीं रहोगे.’’ उस ने प्यार से कहा.

उस के इस अंदाज से मैं हैरान था. मैं ने कहा, ‘‘मैं समझा नहीं मैडम?’’

‘‘अजहर तुम पर मेहरबान हैं. वह तुम्हें अपनी फर्म का जनरल मैनेजर बनाने जा रहे हैं. इस के बाद पैसे की कमी कहां रहेगी. मैनेजर बनते ही तुम्हें क्लब की मैंबरशिप मिल जाएगी. बड़े आदमी बन जाओगे तो तुम्हें बड़े लोगों के साथ उठनाबैठना होगा न?’’

मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि पहली मुलाकात में यह कैसी बातें कह रही हैं. अजहर अली लौट कर आए. आते ही उन्होंने कहा, ‘‘नाजनीन ने तुम्हें सब बता ही दिया होगा. मुझे एक जरूरी मीटिंग में जाना है, इसलिए मैं चलता हूं.’’

‘‘लेकिन सर मेरी समझ में नहीं आ रहा है कि यह कैसे हो सकता है?’’ मैं ने घबरा कर कहा.

‘‘इस में समझना क्या है. बस यह समझो कि तुम्हारी किस्मत जाग उठी है. कल तुम औफिस जाओगे तो तुम्हें अपौइंटमेंट लेटर मिल जाएगा.’’

मैं परेशान था कि आखिर मुझ पर यह मेहरबानी क्यों हो रही है? मैनेजर की पोस्ट, तगड़ा वेतन, गाड़ी के साथसाथ अन्य तमाम सुविधाएं. आखिर यह सब क्यों किया जा रहा है?

अजहर अली अपनी बीवी को बाय कह कर चले गए. उन के जाने के बाद नाजनीन ने कहा, ‘‘अब तो तुम्हें यकीन हो गया होगा कि आप अमीर आदमी बन गए हैं. मैं भी यही चाहती हूं.’’

‘‘मुझे तो यह सब एक सपना सा लग रहा है.’’ मैं ने कहा.

‘‘लेकिन तुम्हारा सपना हकीकत बन गया है. अब तुम जा सकते हो.’’

अपने किराए के फ्लैट पर पहुंच कर भी मुझे यह सब एक सपना ही लग रहा था. मैं ने अपने उस किराए के छोटे से पुराने फ्लैट को देखा, अब मुझे एक शानदार घर मिलने वाला था. किस्मत मुझ पर मेहरबान जो थी. अगले दिन बौस ने मुझे अपने चैंबर में बुलाया तो मैं धड़कते दिल के साथ पहुंचा.

उन्होंने मुसकराते हुए कहा, ‘‘तुम्हारा लेटर तैयार हो गया है. अभी जो मैनेजर था, उस का ट्रांसफर कर दिया गया है. 3 दिन वह तुम्हारे साथ रह कर तुम्हें सारे काम समझा देगा.’’

मन यही कर रहा था कि मैं उठ कर नाचने लगूं. साथ काम करने वालों के लिए यह एक हैरानी की बात थी. सभी ने मुझे मुबारकबाद दी. मैनेजर का चैंबर काफी बड़ा और शानदार था. मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं बौस का शुक्रिया कैसे अदा करूं?

एकाउंटेंट ने मेरे चैंबर में आ कर मुझे मुबारकबाद दे कर कहा, ‘‘शहबाज साहब, आप इस फर्म के जनरल मैनेजर हो गए हैं. लेकिन एक बात याद रखना कि अब आप को दोधारी तलवार पर चलना होगा. जितना बड़ा ओहदा होता है, जिम्मेदारियां उतनी ही बढ़ जाती हैं.’’

इस के बाद वह मुझे औफिस के काम और जिम्मेदारियां समझाने लगा. काफी बड़ी फर्म थी. कुछ मैं पहले से जानता था, बाकी पहले के मैनेजर और एकाउंटेंट ने समझाना और सिखाना शुरू कर दिया.

3-4 दिनों बाद अजहर अली ने मुझे बुला कर पूछा, ‘‘शहबाज, कोई मुश्किल तो नहीं आ रही है? काम समझ में आ रहा है न?’’

मैं ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा, ‘‘जी सर, सब ठीक चल रहा है.’’

उन्होंने मुझे गौर से देखते हुए कहा, ‘‘आज शाम को तुम मेरे घर आ जाना. नाजनीन तुम्हें साथ ले जा कर क्लब का मेंबर बनवा देगी.’’

‘‘जी सर.’’

किस्मत मुझ पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान थी. नाजनीन मेरी राह देख रही थी. उस ने आगे बढ़ कर बड़ी गर्मजोशी से मुझ से हाथ मिलाया. मैं थोड़ा नर्वस जरूर हुआ.

वह बहुत अच्छी तरह से तैयार हुई थी, जिस से बहुत ज्यादा खूबसूरत लग रही थी. उस का परफ्यूम मुझे मदहोश कर रहा था. उस ने मेरे कंधे पर हाथ रख कर पूछा, ‘‘मैं कैसी लग रही हूं?’’

‘‘बहुत अच्छी लग रही हैं.’’ मैं ने कहा.

मेरे बाजू को थपथपाते हुए उस ने कहा, ‘‘अब तुम्हें हाई सोसायटी के तौरतरीके सीखने पड़ेंगे.’’

गाड़ी वह खुद चला रही थी. मैं उस की बगल वाली सीट पर बैठा था. क्लब में उस ने अपने सभी जानने वालों से मेरा परिचय कराया. आधे घंटे में मैं क्लब का मेंबर बन गया. यह वह क्लब था, जिस के सामने से गुजरते हुए मैं सोचा करता था कि इस में क्या होता होगा, कैसे कैसे लोग आते होंगे? आज मैं खुद उस के अंदर था.                                                                                                                            

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