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नाजनीन मुझे ले कर एक अलग टेबल पर बैठ गई. उस ने ढेर सारी चीजें और्डर कर दीं. वह मुझे वहां के तौरतरीके समझाती रही. मेरे बारबार मैडम कहने पर उस ने कहा, ‘‘यह मैडम कहना छोड़ो और मुझे नाम ले कर बुलाओ. मैं अब तुम्हारी बौस नहीं, दोस्त हूं.’’

हम क्लब से बाहर निकले तो उसने पूछा, ‘‘घर पर तुम्हारा कोई इंतजार तो नहीं कर रहा?’’

‘‘नहीं, मैं बिलकुल अकेला हूं.’’

‘‘तब तुम मेरे साथ मेरे घर चलो.’’

11 बजे के आसपास हम दोनों घर पहुंचे. मेरी हालत अजीब सी हो रही थी. घर पहुंचने पर पता चला कि अजहर अली कहीं बाहर गए हुए हैं. वह रात में आएंगे नहीं. कुछ देर रुक कर मैं जाने के लिए खड़ा हुआ, ‘‘नाजनीन, अब मुझे चलना चाहिए.’’

‘‘अब इतनी रात को तुम कहां जाओगे. तुम मेरे साथ आओ.’’ कह कर उस ने मेरा हाथ पकड़ा और खींच कर बेडरूम में ले आई. इतना शानदार बेडरूम मैं ने पहली बार देखा था. मुझे अजीब सी उलझन हो रही थी. मैं इतना भी बेवकूफ नहीं था कि एक खूबसूरत औरत के इशारे न समझ पाता.

वह मेरे एकदम करीब बैठी थी. मैं सोच रहा था कि क्या करूं? खुद को इस तूफान में बह जाने दूं या अपने बौस की इज्जत का  खयाल करते हुए यहां से भाग निकलूं या इस औरत को अहसास दिलाऊं कि वह गलत कर रही है.

नाजनीन ने मेरे गले में बांहें डाल दीं. मैं एकदम से खड़ा हो गया. उस की बांहें हटाते हुए बेरुखी से कहा, ‘‘मैडम, आप जो कर रही हैं, यह ठीक नहीं है. मुझे जाने दीजिए. आप के शौहर ने मेरे लिए इतना कुछ किया है, इतना बड़ा ओहदा दिया है और मुझे जमीन से उठा कर आसमान पर बिठा दिया है, मैं उन की इज्जत से खिलवाड़ करूं, इतना भी अहसान फरामोश नहीं हूं.’’

‘‘बेवकूफ हो तुम.’’ नाजनीन गुस्से से चीखी, ‘‘यह सब मैं अजहर की रजामंदी से कर रही हूं. उन्हें सब पता है.’’

मैं चौंका, ‘‘क्या… उन्हें यह सब पता है?’’

नाजनीन तुनक कर बोली, ‘‘अब तुम जा सकते हो. चाहो तो कल अपने बौस से मेरी शिकायत कर देना. उस के बाद देखना, वह क्या कहते हैं?’’

मैं ने कहा, ‘‘यह सब मेरे उसूलों के खिलाफ है, इसलिए मैं जरूर कहूंगा.’’ कह कर मैं उसी वक्त अपने घर आ गया. मुझे नाजनीन पर गुस्सा आ रहा था कि कैसी बेशर्म औरत है, जो अपने शौहर की इज्जत नीलाम कर रही है. पूरी रात मैं उस बेबाक बेधड़क औरत के बारे में ही सोचता रहा.

अगले दिन मैं गुस्से में बौस के चैंबर में पहुंचा तो उन्होंने मुसकराते हुए पूछा, ‘‘कहो, शहबाज, क्लब में कैसा लगा? मुबारक हो तुम्हें क्लब की मेंबरशिप मिल गई.’’

‘‘शुक्रिया सर, लेकिन मुझे आप से एक जरूरी बात करनी है.’’

‘‘कहो, क्या कहना चाहते हो?’’

‘‘सर, कल रात मैडम मुझे क्लब से सीधे अपने घर ले गईं.’’

‘‘मुझे मालूम है, उन्होंने मुझे सब बता दिया है.’’

‘‘सर, कल रात उन्होंने मेरे साथ कुछ ऐसा किया, जो उन्हें नहीं करना चाहिए था. वह सब बताते हुए मुझे शरम आती है.’’ मैं ने कहा.

‘‘मैं समझ गया, तुम क्या कहना चाहते हो. बैठ जाओ, मुझे तुम से कुछ खास बातें करनी हैं. शहबाज, मैं जो कहने जा रहा हूं, वह एक बहुत बड़ी ट्रेजिडी है. वादा करो, इस बात की चर्चा तुम किसी से नहीं करोगे.’’

‘‘जी सर, आप यकीन रखें, मैं किसी से कुछ नहीं कहूंगा.’’

‘‘बात यह है कि मेरा खानदान बहुत बड़ा है और सब की नजरें हमारे ऊपर ही टिकी हैं. हमारी शादी को 7-8 साल हो गए हैं और अब तक हमारी कोई औलाद नहीं हुई है. यह बात हर किसी को बताई भी नहीं जा सकती. दरअसल मेरी मजबूरी यह है कि मैं औलाद पैदा करने के काबिल नहीं हूं.’’

इतना कह कर अजहर अली ने एक लंबी सांस ली और सिर झुका लिया.

मेरे बौस ने एक बहुत बड़ी बात मेरे सामने कह दी थी. उस समय बौस काफी मजबूर और बेबस लग रहे थे. मेरे लिए भी यह बात किसी आघात से कम नहीं थी.

मुझे खामोश देख कर उन्होंने कहा, ‘‘तुम मेरी बात समझ रहे हो न? हमें एक बच्चे की सख्त जरूरत है, जो नाजनीन की कोख से पैदा हुआ हो. हम बच्चा अडौप्ट भी नहीं करना चाहते.’’

‘‘सर, आप बच्चे के लिए दूसरी शादी तो कर सकते हैं.’’ मैं ने कहा.

‘‘बेवकूफी वाली बात मत करो. कमजोरी मुझ में है. दूसरी या तीसरी शादी से क्या होगा?’’

‘‘हां, यह बात भी सही है.’’ मैं ने झेंप कर कहा.

‘‘अब तुम समझ गए होगे कि हम क्या चाहते हैं. मैं ने महीनों तुम्हारे बारे में सोचा, उस के बाद नाजनीन से बात की. तब फैसला लिया गया कि औलाद तुम्हारे जरिए प्राप्त कर ली जाए.’’ अजहर अली ने कहा.

मुझे झटका सा लगा, ‘‘ऐसा कैसे हो सकता है?’’

‘‘बिलकुल हो सकता है. तुम मेरे बच्चे के बाप हो, यह राज केवल हम तीनों को पता होगा. और हां, इस बात की जानकारी किसी अन्य को नहीं होनी चाहिए. बच्चा पैदा होने के बाद तुम्हारा नाजनीन से कोई संबंध नहीं रहेगा.’’ अजहर अली ने सख्त लहजे में कहा.

‘‘सर, कम से कम आप को मुझ से एक बार पूछ तो लेना चाहिए था कि क्या मैं इस सौदे के लिए तैयार हूं?’’ मैं ने कहा.

‘‘अगर तुम अक्लमंद हो तो मना नहीं करोगे. फिर इस में तुम्हारा नुकसान ही क्या है? तुम मैनेजर हो गए हो. तुम्हारा वेतन 3 गुना हो गया है, गाड़ीबंगला के साथ तुम्हें एक खूबसूरत औरत मिल रही है.’’ यह कहते हुए अजहर अली की जुबान लड़खड़ा गई थी.

‘‘लेकिन सर, मुझे अफसोस है कि इतना सब मिलने पर भी मैं यह सब नहीं कर सकता.’’

‘‘प्लीज, मेरी बात मान लो शहबाज. इसी में हम सब की भलाई है. अगर तुम ने मना कर दिया तो मैं किसे पकड़ूंगा? मैं ने तुम पर भरोसा किया था, इसीलिए इतनी बड़ी बात तुम से कह दी. अब मेरे घर और खानदान को तुम्हीं बरबादी से बचा सकते हो. अगर इतनी मेहरबानी तुम मुझ पर कर दो तो अच्छा रहेगा.’’

इस के बाद मुझे उन पर रहम आने लगा था. वह मुझे बहुत बेबस लग रहे थे. उन्होंने मेरे सामने ऐसी बात कह दी थी कि मैं मना नहीं कर सकता था. मैं ने कहा, ‘‘सर, एक काम हो सकता है.’’

‘‘कहो, क्या हो सकता है?’’ उन्होंने बेताबी से पूछा.

‘‘सर, आप मैडम को तलाक दे दीजिए.’’ मैं ने कहा.

‘‘क्या बेकार की बात करते हो, इस से क्या होगा?’’

‘‘सर, आप मेरी पूरी बात तो सुन लीजिए. आप को तलाक इस तरह देना है कि किसी को पता न चले. मैडम आप के साथ ही रहेंगी. इद्दत (तलाक के बाद जितने दिनों तक शादी नहीं हो सकती) के बाद मैं उन से निकाह कर लूंगा. यह उचित और इसलामी तरीका है. इस में कुछ गलत भी नहीं है.’’

‘‘हां, यह तरीका भी ठीक है.’’ अजहर अली ने राहत की सांस ली.

‘‘सर, इस में मुझे भी इत्मीनान रहेगा कि मैं ने कोई गलत काम नहीं किया है. आप का काम हो जाने के बाद मैं मैडम को तलाक दे दूंगा. इस तरह आप की बात भी रह जाएगी और आप का मकसद भी पूरा हो जाएगा.’’

‘‘लेकिन यह सब होगा कैसे?’’

‘‘बहुत ही खामोशी से हो जाएगा, किसी को कानोकान खबर नहीं होगी.’’ मैं ने कहा.

अजहर अली ने चुपचाप नाजनीन को तलाक दे दिया. इद्दत के दौरान वह अपने घर पर ही रहीं, इसलिए किसी को कुछ पता नहीं चला. इद्दत के बाद नाजनीन से उसी तरह चुपचाप मेरा निकाह हो गया, जिस तरह तलाक हुआ था. नाजनीन की जिंदगी में यह रात पहले भी आ चुकी थी, लेकिन मेरी तो पहली शादी थी, इसलिए मेरे लिए पहली रात खास थी.                                                                        

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