पठानकोट एयरबेस पर जनवरी, 2016 में हुए आतंकी हमले को लोग अभी भूले नहीं होंगे. अगर आप को याद हो तो इस हमले के समय पंजाब के पुलिस अधीक्षक सलविंदर सिंह का नाम आया था. उन दिनों वह गुरदासपुर के एसपी (हैड क्वार्टर) थे. उन का तबादला हालांकि दूसरी जगह कर दिया गया था, लेकिन उन्होंने जौइन नहीं किया था.

संदर्भवश बता दें कि दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने बठिंडा से एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया था, जिस पर पाकिस्तान की कुख्यात खुफिया एजेंसी आईएसआई को भारतीय वायुसेना के गोपनीय दस्तावेज उपलब्ध करवाने का आरोप था. इस युवक का नाम था रंजीत. पुलिस द्वारा की गई पूछताछ से ये तथ्य सामने आए थे कि रंजीत एयरफोर्स का बरखास्त नौन कमीशंड औफिसर था. उस की उम्र 24 वर्ष थी. वह केरल के मलप्पुरम जिले के एक गांव का रहने वाला था.

एक दिन रंजीत को अपने फेसबुक अकाउंट पर दामिनी मैकनेट के नाम से एक महिला की फ्रैंडशिप रिक्वेस्ट मिली थी, जिसे उस ने स्वीकार कर लिया था. दामिनी द्वारा अपने प्रोफाइल में बताए अनुसार वह देशदुनिया की खबरों पर आधारित यूके की एक पत्रिका में फीचर राइटर थी. सिलसिला आगे बढ़ा तो रंजीत के मैसेज बौक्स में उस ने अपना मोबाइल नंबर छोड़ कर उस से बात करने की गुजारिश की थी.

रंजीत ने इस नंबर पर बात की तो दोनों की अच्छीभली दोस्ती हो गई. कुछ दिन प्यारभरी मीठीमीठी बातें करते रहने के बाद एक दिन उस ने रंजीत से यह कहते हुए भारतीय वायुसेना से संबंधित कुछ जानकारियां मांगीं कि वह इस विषय पर अपनी पत्रिका के लिए एक फीचर तैयार करना चाहती है. रंजीत पहले ही उस के हनीट्रैप में फंस चुका था, उस ने जो भी जानकारी चाही, रंजीत ने बेझिझक दे दी. बाद में उस ने रंजीत से पठानकोट एयरबेस के बारे में काफी जानकारियां हासिल की थीं.

दिल्ली पुलिस द्वारा रंजीत से पूछताछ का सिलसिला जारी था कि 1 जनवरी, 2016 की भोर में गुरदासपुर जिले की सबडिवीजन पठानकोट के थाना नरोड जैमल सिंह के अधीन पड़ने वाली रावी नदी पर बनी कंबलौर पुलिया के पास एक लावारिस लाश पड़ी मिली. इस से थोड़े ही फासले पर एक गाड़ी खड़ी थी. अनुमान लगाया गया कि मरने वाला उसी गाड़ी का ड्राइवर रहा होगा.

पुलिस गिरफ्त में रंजीत

अभी यह गुत्थी सुलझ भी नहीं पाई थी कि एक अन्य सनसनीखेज समाचार चर्चा का विषय बन गया.पता चला कि बीती रात गुरदासपुर के एसपी (हैडक्वार्टर) सलविंदर सिंह को उन के साथियों समेत अपहृत कर के उन के साथ बुरी तरह मारपीट की गई. यह काम पाक आतंकियों का था जो उन्हें एक सुनसान जगह पर छोड़ कर उन की नीली बत्ती लगी कार अपने साथ ले गए थे.

जिस ड्राइवर की लाश बरामद की गई थी, छानबीन में पुलिस को उस के बारे में पता चला कि वह थाना नरोट जैमल सिंह के अंतर्गत पड़ने वाले गांव भगवाल का निवासी 35 वर्षीय इकागर सिंह था, जो अपनी इनोवा कार को टैक्सी के रूप में चलाया करता था. पिछली रात करीब 9 बजे किसी ने फोन कर के उस की कार किराए पर लेने के लिए किसी अज्ञात जगह पर बुलाया था. तभी से वह गाड़ी समेत गायब था.

1 जनवरी, 2016 को जब लाश के अलावा उस की गाड़ी बरामद की गई तो गाड़ी के चारों पहियों की हवा निकली हुई थी. गाड़ी को और भी काफी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की गई थी. यह सीधेसीधे कत्ल के लिए हमला करने का मामला था.

पहली जनवरी की भोर में ही एक अनजान नंबर से गुरदासपुर के पुलिस मुख्यालय में एसपी सलविंदर सिंह की काल आई, जिस पर उन्होंने औपरेटर को बताया, ‘‘मैं इस वक्त गांव गुलपुर सिंबली में घायल पड़ा हूं. यहीं के किसी व्यक्ति से फोन ले कर बात कर रहा हूं. मेरी सारी बात नोट कर के मामला फ्लैश करवा दो.’’

सलविंदर सिंह ने फोन पर बताया कि पिछले रोज वह अपने एक रसोइए व करीबी दोस्त राजेश वर्मा के साथ इलाके के एक धार्मिक स्थल पर मत्था टेकने गए थे. रात के वक्त जब वे लोग अपनी महिंद्रा एक्सयूवी गाड़ी नंबर पीबी02ए बी0313 से वापस लौट रहे थे तो रास्ते में फौजी वरदी पहने 2 व्यक्तियों ने सड़क पर गाड़ी के सामने आ कर उन्हें रुकने का इशारा किया.

सलविंदर सिंह ने औपरेटर को बताया, ‘‘गाड़ी रुकने पर 3 अन्य व्यक्ति भी वहां आ गए. इस के बाद उन लोगों ने खतरनाक हथियारों के बल पर हमारा अपहरण कर लिया. रास्ते में मेरे साथसाथ मेरे रसोइए की पिटाई करने के बाद हमें गुलपुर सिंबली गांव के पास गाड़ी से उतार दिया गया. राजेश वर्मा को वे लोग अपने साथ ले गए. हमारे सैलफोन उन्होंने पहले ही हथिया लिए थे.’’

निस्संदेह यह गंभीर मामला था. जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारियों ने पठानकोट व आसपास के इलाकों में रेड अलर्ट जारी कर के उस इलाके की सख्त नाकाबंदी करवा दी. उसी रोज राजेश वर्मा भी पुलिस से संपर्क साधने में कामयाब हो गया था. बुरी तरह पिटाई करने के अलावा उस की गरदन काटने का भी प्रयास किया गया था. उस की गरदन पर तेज धार हथियार का गहरा घाव था, जिस पर उस ने अपनी कमीज बांध रखी थी, जो खून से पूरी तरह लाल हो गई थी. राजेश को सिविल अस्पताल में दाखिल करवा दिया गया था.

चैकिंग के दौरान पुलिस को पठानकोट के गांव अकालगढ़ के नजदीक एक वीरान जगह से एसपी सलविंदर सिंह की गाड़ी खड़ी मिल गई थी. इनोवा चालक इकागर सिंह के कत्ल व एसपी और उन के साथियों के अपहरण के संबंध में अलगअलग प्रकरण दर्ज कर के पुलिस ने काररवाई शुरू कर दी.

इस जांच में एसपी सलविंदर सिंह ही संदेह के दायरे में आते दिख रहे थे. वैसे भी इस एसपी का पिछला आचरण सही नहीं माना जा रहा था. उस के खिलाफ एक साथ 5 महिला सिपाहियों ने गलत आचरण की शिकायत की थी, जिस के आधार पर गुरदासपुर से उस का ट्रांसफर कर दिया गया था. लेकिन रिलीव हो कर नई जगह जौइन करने के बजाय वह गुरदासपुर में ही जमा हुआ था. बाद में एक महिला ने एसपी सलविंदर पर उस से नाजायज शादी करने का आरोप भी लगाया. मगर इन मामलों में उस के खिलाफ कहीं कोई काररवाई नहीं हुई थी.

पुलिस गिरफ्त में सलविंदर सिंह

एनआईए (नैशनल इनवैस्टिगेशन एजेंसी) ने पूर्व में इस आरोप के आधार पर सलविंदर व उस के साथियों से पूछताछ की कि उस का संबंध पाक आतंकियों से था या नहीं. लेकिन इस पूछताछ में आतंकियों से संबंध वाला आरोप साबित नहीं हो सका, अलबत्ता यह आरोप जरूर प्रमाणित हो गया था कि सलविंदर के संबंध ड्रग माफिया से थे, जिन की खेप सीमा पार करवाने के एवज में वह उन से हीरे लिया करता था. यह भी पता चला कि एसपी का ज्वैलर दोस्त राजेश वर्मा इन हीरों की जांच किया करता था.

उस रात भी एसपी सलविंदर निकला तो इसी काम से था, मगर सामना हो गया था आतंकियों से. छानबीन से यह बात पूरी तरह साफ हो गई थी कि ड्राइवर इकागर सिंह के कत्ल व एसपी सलविंदर के साथियों समेत किए गए अपहरण में उन आतंकियों का ही हाथ था, जिन्होंने बाद में अपने अन्य साथियों से मिल कर पठानकोट एयरबेस पर हमला किया था. संदेह था कि एयरबेस संबंधी जानकारियां रंजीत के माध्यम से जुटाई गई थीं.

खैर, पूछताछ के बाद एनआईए ने एसपी सलविंदर व उस के साथियों को अपने यहां से रिहा कर के पंजाब पुलिस के हवाले कर दिया था, जहां इन के खिलाफ कोई खास काररवाई नहीं हुई. इसी बीच एक और मामला भी उछला. दरअसल, गुरदासपुर का एक व्यक्ति रेप के आरोप में गिरफ्तार हुआ था. उस की पत्नी ने केस को झूठा बताते हुए एसपी सलविंदर सिंह से उस के पति को बचा लेने की गुहार लगाई. एसपी ने इस काम के लिए न केवल उस से 50 हजार रुपयों की रिश्वत वसूली, बल्कि उस की अस्मत भी लूट ली.

जमानत हासिल कर के घर लौटने पर पति को इस बात की जानकारी मिली तो उस ने एसपी के खिलाफ वांछित काररवाई करने के लिए पुलिस के उच्चाधिकारियों से विनती की. लेकिन किसी ने भी उस की शिकायत पर तवज्जो नहीं दी. एक दिन वह व्यक्ति पत्नी को साथ ले कर पंजाब के तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के संगतदर्शन कार्यक्रम में पेश हुआ और मुख्यमंत्री को सारी बात बता कर न्याय की गुहार लगाई.

मुख्यमंत्री के आदेश पर पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इस मामले की व्यापक जांच कर के एसपी सलविंदर सिंह के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करने की अनुशंसा कर दी. इस तरह 3 अगस्त, 2016 को सलविंदर के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 और प्रिवेंशन औफ करप्शन एक्ट की धारा 13 (2) के तहत गुरदासपुर के सिटी थाने में प्राथमिकी दर्ज हो गई.

गिरफ्तारी से बचने के लिए सलविंदर ने अदालत से अग्रिम जमानत हासिल करने का प्रयास किया. आखिरकार उसे पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से जमानत मिल तो गई, लेकिन जल्दी ही यह जमानत आदेश रद्द हो गया. इस के बाद सलविंदर लापता हो गया तो कोर्ट ने उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया. रेप पीडि़ता को न्याय दिलवाने के लिए मीडिया ने भी सलविंदर के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था.

आखिर सलविंदर कब तक भागता और कहांकहां छिपता. करीब 8 महीनों की लुकाछिपी के बाद इसी 20 अप्रैल, 2017 को दोपहर में उस ने गुरदासपुर के मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी मोहित बंसल की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया, जिन्होंने उसे 5 मई तक न्यायिक हिरासत में गुरदासपुर के केंद्रीय जेल भिजवाने के आदेश जारी कर दिए. जल्दी ही यहां के अधिकारियों ने इसी जिले में एसपी रहे सलविंदर सिंह को सैंट्रल जेल, अमृतसर ट्रांसफर कर दिया.

कथा तैयार करने तक एसपी सलविंदर की जमानत नहीं हुई थी और गुरदासपुर पुलिस उस के खिलाफ आरोपपत्र तैयार करने में जुटी थी.

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