Hindi Story : श्रद्धा के रहस्यमय ढंग से गायब हो जाने के बाद उस के पति योगेंद्र ने अपने दोस्त प्रमोद के खिलाफ हत्या की रिपोर्ट दर्ज करा दी. जिस से प्रमोद 14 महीने तक जेल में रहा. फिर एक दिन पुलिस ने श्रद्धा को जीवित बरामद कर लिया. श्रद्धा से पूछताछ करने के बाद इस कहानी का ऐसा रहस्य सामने आया कि…

उन्नाव शहर का एक मोहल्ला है—जुराखन खेड़ा. हिंदूमुसलिम की मिलीजुली आबादी वाले इस मोहल्ले में राजेंद्र अवस्थी का परिवार रहता था. उन की पत्नी कमला अवस्थी घरेलू महिला थी, जबकि राजेंद्र अवस्थी सामाजिक कार्यकर्ता थे. वह दौलतमंद तो न थे, लेकिन समाज में उन की अच्छी छवि थी. शहर में उन का निजी मकान था और उन के  3 बच्चों में योगेंद्र कुमार सब से बड़ा था. राजेंद्र अवस्थी की तमन्ना थी कि उन का बेटा योगेंद्र कुमार उच्चशिक्षा हासिल कर अफसर बने और उन का नाम रोशन करे. लेकिन उन की यह तमन्ना अधूरी रह गई.

योगेंद्र कुमार ने इंटरमीडिएट की परीक्षा पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी और नौकरी की तलाश में लग गया. कई महीने की दौड़धूप के बाद उसे उन्नाव की एक निजी कंपनी में नौकरी मिल गई. योेगेंद्र कुमार नौकरी करने लगा तो राजेंद्र को उस के ब्याह की फिक्र होने लगी. उन के पास कई रिश्ते आए भी, लेकिन बात नहीं बनी. दरअसल वह सीधीसादी सामाजिक व संस्कारवान लड़की चाहते थे, लेकिन ऐसी लड़की उन्हें मिल नहीं रही थी. इस तरह कई साल गुजर गए और योगेंद्र कुंवारा ही रहा. उन्हीं दिनों योगेंद्र कुमार की मुलाकात श्रद्धा से हुई. श्रद्धा स्टेशन रोड, उन्नाव में रहती थी और एक फर्म में जौब करती थी. मुलाकातों का सिलसिला एक बार शुरू हुआ तो फिर वक्त के साथ बढ़ता चला गया.

आकर्षण दोनों ही तरफ था, सो वे जल्द ही एकदूसरे से मन ही मन प्यार करने लगे. छुट्टी वाले दिन दोनों साथसाथ घूमते, हंसते बतियाते और प्यार भरी बातें करते. एक रोज योगेंद्र और श्रद्धा गंगा बैराज गए. वहां वे कुछ देर घूमते रहे और गंगा की लहरों का आनंद उठाते रहे फिर एकांत में बैठ कर बातें करने लगे. बातचीत के दौरान ही अचानक योगेंद्र श्रद्धा का हाथ अपने हाथ में ले कर बोला, ‘‘श्रद्धा, मैं तुम से कुछ कहना चाह रहा हूं. मेरी बात का बुरा तो नहीं मानोगी.’’

‘‘ऐसी क्या बात है, जिसे कहने के लिए तुम सकुचा रहे हो. जो भी दिल में हो, साफसाफ कहो. मैं जरा भी बुरा नहीं मानूंगी.’’

‘‘श्रद्धा, मैं तुम से बहुत प्यार करता हूं और तुम से शादी करना चाहता हूं.’’

श्रद्धा थोड़ा लजाई, शरमाई फिर मंदमंद मुसकराते हुए बोली, ‘‘योगेंद्र तुम्हारे मुंह से यह सब सुनने के लिए मैं बेकरार थी. मैं भी तुम से उतना ही प्यार करती हूं, जितना तुम मुझ से करते हो. लेकिन मुझे डर लग रहा है.’’

‘‘कैसा डर?’’ योगेंद्र ने श्रद्धा के चेहरे पर नजर गड़ाते हुए पूछा.

‘‘यही कि हमारे तुम्हारे घर वाले हम दोनों के प्यार को स्वीकार करेंगे क्या?’’ उस ने मन की शंका जाहिर की.

‘‘क्यों नहीं करेंगे? यदि मना करेंगे तो हम उन्हें मनाएंगे.’’ योगेंद्र ने समझाया.

‘‘तब ठीक है.’’ श्रद्धा संतुष्ट हो गई.

उस दिन के बाद दोनों का प्यार परवान चढ़ने लगा. लेकिन एक दिन योगेंद्र कुमार ने अपने मातापिता से श्रद्धा के बारे में बताया तो वे भड़क गए. उन्होंने उसे अपने घर की बहू बनाने से साफ मना कर दिया. योगेंद्र ने जब उन्हें प्यार से समझाया तो वह किसी तरह से राजी हो गए. इधर श्रद्धा के मातापिता भी बेटी की जिद के आगे झुक गए. इस के बाद योगेंद्र और श्रद्धा ने सामाजिक रीतिरिवाज से शादी कर ली. श्रद्धा योगेंद्र की दुलहन बन कर ससुराल आ तो गई थी किंतु राजेंद्र व कमला अवस्थी ने उसे मन से बहू के रूप मे स्वीकार नहीं किया था. उन्होंने जिस संस्कारवान बहू के सपने संजोए थे, श्रद्धा वैसी नहीं थी.

वह तो खुले विचारों वाली आधुनिक थी. वह न तो सासससुर के नियमों को मानती थी और न ही उन के रीतिरिवाजों को. वह न तो ससुर से परदा करती थी और न ही सास का सम्मान करती थी. शादी के 2 साल बाद श्रद्धा ने एक बेटी को जन्म दिया. जिस का नाम गौरी रखा. गौरी के जन्म से जहां श्रद्धा और योगेंद्र खुश थे, वहीं राजेंद्र और कमला अवस्थी का चेहरा उतर गया था. गौरी के जन्म के बाद कमला को उम्मीद थी कि बहू की चालढाल में सुधार आ जाएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बल्कि वह पहले से ज्यादा स्वच्छंद हो गई. आधुनिक कपड़े पहन वह बनसंवर कर घर से निकलती और फिर कई घंटे बाद लौटती. रोकनेटोकने पर वह सास से बहस करती.

गौरी के जन्म के बाद श्रद्धा ने नौकरी छोड़ दी थी, जिस से वह आर्थिक संकट से जूझने लगी थी. उस के पति योगेंद्र की इतनी कमाई नहीं थी कि घर का खर्च ठीक से चल सके. इस आर्थिक संकट के कारण श्रद्धा और योगेंद्र में झगड़ा होने लगा था. श्रद्धा की जुबान ज्यादा खुली तो योगेंद्र उस की पिटाई भी करने लगा. योगेंद्र कुमार का एक दोस्त प्रमोद कुमार वर्मा था. वह उस के मोहल्ले में ही रहता था. प्रमोद का योगेंद्र के घर गाहेबगाहे आनाजाना होता था. वह योगेंद्र को भैया और श्रद्धा को भाभी कहता था. इस आनेजाने में प्रमोद की नीयत श्रद्धा पर खराब हुई. वह उसे पाने के सपने देखने लगा. प्रमोद पहले तो जबतब ही आता था, लेकिन जब से नीयत खराब हुई थी तब से उस के चक्कर बढ़ गए थे.

वह जब भी घर आता, गौरी तथा श्रद्धा के लिए कुछ न कुछ उपहार जरूर लाता. नानुकुर के बाद श्रद्धा उस के लाए उपहार स्वीकार कर लेती. हालांकि सास कमला को प्रमोद का घर आना अच्छा नहीं लगता था. कभीकभी वह उसे टोक भी देती थी. कहते हैं, औरत को मर्द की नजर की परख होती है. श्रद्धा भी जान गई थी कि प्रमोद की नजर में खोट है. वह उस पर लट्टू है. श्रद्धा उस से बातचीत और हंसीठिठोली तो करती थी, लेकिन उसे सीमा पार नहीं करने देती थी. श्रद्धा को जब कभी पैसों की जरूरत होती थी, तो वह उस से मांग लेती थी. दरअसल, श्रद्धा जानती थी कि न प्रमोद पैसा मांगेगा और न ही उसे उधारी चुकानी पड़ेगी.

कुछ समय बाद गौरी बीमार पड़ी, तो उस के इलाज हेतु योगेंद्र और श्रद्धा ने प्रमोद से 10 हजार रुपए उधार मांगा. प्रमोद ने पहले तो मना कर दिया, लेकिन जब श्रद्धा ने विशेष अनुरोध किया तो उस ने योगेंद्र को रुपया दे दिया. उचित समय पर इलाज मिल गया तो उस की बेटी गौरी स्वस्थ हो कर घर आ गई. प्रमोद ने कुछ माह तक पैसों का तगादा नहीं किया. उस के बाद पैसे मांगने के बहाने वह अकसर श्रद्धा के घर आने लगा और श्रद्धा से नजदीकियां बढ़ाने लगा. वह हंसीमजाक में सामाजिक मर्यादाएं भी तोड़ने लगा था. श्रद्धा उस के अहसानों तले दबी थी तो उस की हरकतों का ज्यादा विरोध भी नहीं कर पाती थी.

एक शाम कमला किसी काम से पड़ोस में गई थी. तभी प्रमोद आ गया. उस ने श्रद्धा को घर में अकेले पाया तो वह उस से अश्लील हंसीमजाक व छेड़छाड़ करने लगा. उसी समय योगेंद्र काम से घर वापस आ गया. उस ने दोनों को हंसीमजाक करते देखा तो उस का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया. उस ने प्रमोद को जलील कर वहां से भगा दिया फिर पत्नी पर कहर बन कर टूट पड़ा. उस ने श्रद्धा की जम कर पिटाई की. घर में कलह बढ़ी तो बढ़ती ही गई. योगेंद्र कभी प्रमोद के बहाने तो कभी आर्थिक तंगी के बहाने श्रद्धा को प्रताडि़त करने लगा. घर में श्रद्धा की कोई सुनने वाला न था. सासससुर अपने बेटे का पक्ष लेते और उसे ही दोषी ठहराते थे. पति की प्रताड़ना से श्रद्धा बहुत परेशान थी. वह अपने भविष्य को ले कर चिंतित रहने लगी.

8 मार्च, 2018 की शाम 4 बजे श्रद्धा अपनी बेटी गौरी को सास कमला को थमा यह कह कर घर से निकली कि वह बाजार से कुछ सामान खरीदने जा रही है. 2 घंटे में वापस आ जाएगी. लेकिन जब वह रात 8 बजे तक वापस नहीं आई तो घर वालों को चिंता हुई. श्रद्धा का पति योगेंद्र उस की खोज में जुट गया. वह सारी रात उन्नाव शहर की गलियों की खाक छानता रहा, लेकिन श्रद्धा का पता नहीं चला. एक कहावत है कि नेकी जाए नौ कोस और बदी जाए सौ कोस. अच्छी खबर देर से पता चलती है, लेकिन बुरी खबर जल्दी फैलती है. जुराखन खेड़ा मोहल्ले में भी यह खबर बहुत जल्द फैल गई कि राजेंद्र अवस्थी की बहू श्रद्धा घर से भाग गई है.

बदनामी से बचने के लिए राजेंद्र व उन के बेटे योगेंद्र ने श्रद्धा को हर संभावित जगह पर तलाश किया. लेकिन उस के संबंध में कोई जानकारी नहीं मिली. लगभग 2 हफ्ते तक योगेंद्र कुमार अपनी पत्नी श्रद्धा की तलाश में जुटा रहा, जब वह नहीं मिली तो आखिर 22 मार्च, 2018 को वह उन्नाव कोतवाली जा पहुंचा. उस ने कोतवाल सियाराम वर्मा को बताया कि उस की पत्नी श्रद्धा 8 मार्च, 2020 से घर से गायब है. उसे शक है कि उस की पत्नी को उस का दोस्त प्रमोद कुमार भगा ले गया है. रिपोर्ट दर्ज कर पत्नी को बरामद करने की कृपा करें. योगेंद्र की तहरीर पर कोतवाल ने भादंवि की धारा 366 के तहत प्रमोद कुमार वर्मा के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और श्रद्धा को बरामद करने के प्रयास में जुट गए.

प्रमोद को रिपोर्ट दर्ज होने की जानकारी हुई तो वह घबरा गया और डर की वजह से अपने घर से फरार हो गया. इधर 2 अप्रैल, 2018 की सुबह उन्नाव जिले के शेरपुर कलां गांव के लोगों ने सड़क किनारे एक महिला की अधजली लाश देखी. ग्रामप्रधान किशन पाल ने इस की सूचना थाना असीवन पुलिस को दी. प्रधान की सूचना पर पुलिस ने हत्या की रिपोर्ट दर्ज कर ली तथा शिनाख्त न होने पर शव को पोस्टमार्टम हेतु उन्नाव भेज दिया. इस अज्ञात लाश की जानकारी उन्नाव के कोतवाल सियाराम वर्मा को हुई तो उन्होंने योगेंद्र कुमार को थाना कोतवाली बुलवाया और लाश शिनाख्त हेतु थाना असीवन चलने को कहा. योगेंद्र अपनी मां तथा परिवार की 2 अन्य महिलाओं को साथ ले कर असीवन पहुंचा.

योगेंद्र तथा महिलाओं ने लाश की फोटो, कपड़े तथा चूडि़यां देख कर लाश की शिनाख्त श्रद्धा के रूप में की. योगेंद्र ने आरोप लगाया कि उस की पत्नी की हत्या प्रमोद कुमार वर्मा ने की है. कोतवाली पुलिस ने इस मामले को भादंवि की धारा 366/302/201 के तहत दर्ज कर प्रमोद वर्मा की तलाश तेज कर दी. सियाराम वर्मा इस मामले में प्रमोद कुमार वर्मा को गिरफ्तार कर पाते, उस के पहले ही उन का तबादला हो गया. नए कोतवाल जयशंकर ने इस मामले में तेजी दिखाई और आरोपी प्रमोद कुमार वर्मा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. प्रमोद गुहार लगाता रहा कि वह निर्दोष है. लेकिन पुलिस ने उस की एक न सुनी.

हत्यारोपी प्रमोद कुमार लगभग 14 महीने तक जेल में रहा, उस के बाद हाईकोेर्ट से उस की जमानत स्वीकृत हुई. जेल से बाहर आने के बाद प्रमोद ने नए कोतवाल राजेश सिंह से गुहार लगाई कि वह निर्दोष है. उस के दोस्त योगेंद्र ने उसे पत्नी की हत्या के आरोप में गलत फंसाया है. राजेश सिंह ने श्रद्धा की फाइल का निरीक्षण किया तो उन्हें भी शक हुआ. अत: उन्होंने माननीय न्यायालय में मृतक महिला श्रद्धा, उस की बेटी गौरी तथा परिवार के अन्य जनों का डीएनए टेस्ट कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिया. अनुमति मिलने के बाद टेस्ट कराया गया तो डीएनए रिपोर्ट परिवार के सदस्यों से मेल नहीं खाई. इस से कोतवाल राजेश सिंह समझ गए कि परिवार वालों ने जिस मृत महिला की शिनाख्त श्रद्धा के रूप में की थी, वह श्रद्धा नहीं थी. लेकिन सवाल यह भी था कि आखिर श्रद्धा है कहां?

इधर सितंबर, 2020 के आखिरी सप्ताह में योगेंद्र के घर रजिस्टर्ड डाक से एक पत्र आया. पत्र पर श्रद्धा अवस्थी का नाम, पता तथा मोबाइल नंबर अंकित था. पत्र देख कर योगेंद्र चौंका. उस ने पोस्टमैन को श्रद्धा को अपनी पत्नी बता कर पत्र रिसीव कर लिया. उस ने लिफाफा खोल कर देखा तो उस में एक्सिस बैंक का एटीएम कार्ड था, जिसे अहमद नगर स्थित एक्सिस बैंक से भेजा गया था. एटीएम कार्ड देख कर योगेंद्र का माथा ठनका. वह सोचने लगा कि क्या श्रद्धा जीवित है? घबराया योगेंद्र कोतवाली पहुंचा और सारी जानकारी कोतवाल राजेश सिंह को दी. राजेश सिंह ने यह बात एसपी आनंद कुलकर्णी को बताई और आशंका जताई कि श्रद्धा अवस्थी जीवित है. आनंद कुलकर्णी ने सर्विलांस टीम को मामले की जांच में लगाया.

सर्विलांस टीम ने जांच शुरू की तो श्रद्धा की लोकेशन महाराष्ट्र के अहमद नगर शहर में ट्रेस हुई. पुलिस ने श्रद्धा की निगरानी शुरू कर दी. 13 अक्तूबर, 2020 की शाम 4 बजे श्रद्धा की लोकेशन झांसी की मिली. थानाप्रभारी समझ गए कि श्रद्धा एटीएम कार्ड लेने आ रही है. अत: वह योगेंद्र को साथ ले कर पुलिस टीम सहित कानपुर सेंट्रल स्टेशन पहुंच गए. क्योंकि यहीं श्रद्धा को ट्रेन से उतरना था. उस के बाद उसे बस से उन्नाव रवाना होना था. शाम 6 बजे ट्रेन कानपुर स्टेशन पहुंची. ट्रेन से उतरते ही पति योगेंद्र ने उसे पहचान लिया, तभी पुलिस ने उसे हिरासत में ले लिया. श्रद्धा को उन्नाव कोतवाली लाया गया. श्रद्धा के जीवित होने की सनसनी उन्नाव शहर में फैली तो कोतवाली में उसे देखने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी.

मीडिया का भी जमावड़ा लग गया. पीडि़त प्रमोद कुमार वर्मा का परिवार भी कोतवाली आ गया. पुलिस कप्तान आनंद कुलकर्णी भी वहां पहुंचे और उन्होंने भी श्रद्धा से पूछताछ की. श्रद्धा ने पुलिस व मीडिया को जानकारी दी कि वह पति की प्रताड़ना से परेशान हो कर खुद ही घर से गई थी. घर से भाग कर वह उन्नाव स्टेशन पहुंची. उस समय लखनऊ से मुंबई जाने वाली ट्रेन प्लेटफार्म पर खड़ी थी. वह उसी में सवार हो गई. झांसी से एक युवक ट्रेन में सवार हुआ. वह महाराष्ट्र के अहमद नगर शहर का रहने वाला था. उस से परिचय हुआ तो उस ने उसे आपबीती बताई. वह युवक उसे अहमद नगर ले गया. उसी की मदद से वह एक अस्पताल में काम करने लगी और महिला हौस्टल में रहने लगी.

अस्पताल से उस की सैलरी बैंक एकाउंट में ट्रांसफर होनी थी, जिस के लिए श्रद्धा ने सितंबर, 2020 में अहमदनगर स्थित एक्सिस बैंक शाखा में अपना खाता खुलवाया था. बैंक ने उस का एटीएम कार्ड आधार कार्ड के पते पर भेज दिया. जिस पर ससुराल (उन्नाव) का पता दर्ज था. उसे जब बैंक से जानकारी हुई तो वह 11 अक्तूबर, 2020 को अहमद नगर से उन्नाव के लिए रवाना हुई. जहां 13 अक्तूबर को पुलिस ने उसे कानपुर सैंट्रल रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार कर लिया. हत्यारोपी प्रमोद कुमार ने मीडिया को जानकारी दी कि उस का तो कैरियर ही चौपट हो गया. पढ़ाई बंद हो गई, धंधा चौपट हो गया तथा निर्दोष होते हुए भी 14 माह जेल में रहना पड़ा.

जिन लोगों ने उसे झूठे मामले में फंसाया उन के खिलाफ वह धारा 169 आईपीसी के तहत काररवाई करेगा. उस ने पुलिस कप्तान को फूलों का गुलदस्ता भेंट कर बधाई दी. अब पुलिस श्रद्धा के जीवित होने के सारे सबूत कोर्ट में पेश करेगी. श्रद्धा तो जीवित मिल गई, लेकिन यक्ष प्रश्न फिर भी है कि आखिर वह अधजली लाश किस महिला की थी, जिस की पहचान योगेंद्र और उस के घर वालों ने श्रद्धा के रूप में की थी. क्या उस की पहचान पुलिस करा पाएगी? क्या उस के कातिलों को सजा मिल पाएगी?

हालांकि पुलिस कप्तान आनंद कुलकर्णी उस मामले की दोबारा जांच की बात कह रहे हैं. यह तो समय ही बताएगा कि उस मृत महिला की मौत का रहस्य खुलता भी है या फिर पुलिस लीपापोती कर फाइल बंद कर देगी.

—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित

 

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