Maharashtra Crime News : आटो से ड्यूटी आनेजाने के दौरान किरण की दीपक रूपवते से दोस्ती हो गई. शादीशुदा होने के बावजूद दीपक विवाहिता किरण को चाहने लगा. किरण ने जब उस से शादी करने से इनकार किया तो…
महाराष्ट्र के जिला सतारा का रहने वाला 30 वर्षीय आकाश सावले पिछले 2-3 सालों से मुंबई से सटे थाणे जिले के वाड़ेघर गांव में अपनी पत्नी किरण के साथ रहता था. दोनों ने लवमैरिज की थी. प्रेमिका से पत्नी बनी किरण को किसी प्रकार की कोई तकलीफ न हो, इस के लिए आकाश रातदिन मेहनत करता था. वह एक व्यवहारकुशल युवक था. इसलिए वह जल्दी ही बस्ती के लोगों से घुलमिल गया था. आकाश सावले जो कमाता था, सारे पैसे किरण के हाथों पर रख देता था. पति की इस ईमानदारी पर किरण काफी खुश थी. उसे ऐसा लगता था कि उस ने अपने जीवन के प्रति जो फैसला किया था, वह सही था. लेकिन उस की यह सोच कुछ दिनों बाद ही गलत साबित हो गई.
आकाश सावले जब अपने काम पर चला जाता तो घर का सारा काम निपटाने के बाद घर में अकेली किरण का मन ऊब जाता था. उस का टाइम पास नहीं होता था. वह चाहती थी कि वह भी कहीं नौकरी करे. इस से टाइम भी पास हो जाएगा और चार पैसे भी घर आएंगे. इस बारे में उस ने पति आकाश से कहा कि दोनों काम करेंगे तो उन की आय भी बढ़ेगी और उन के सारे सपने भी पूरे हो जाएंगे. किरण की यह बात आकाश सावले को ठीक लगी. यही नहीं, उस ने अपने एक परिचित के सहयोग से पत्नी को भिवंडी के एक कारखाने में काम पर भी लगवा दिया.
रविवार, 9 अगस्त, 2020 की शाम 5 बजे किरण सब्जी लेने के लिए जब घर से निकली तो फिर वापस लौट कर नहीं आई. आकाश सावले को किरण की चिंता सता रही थी. जैसेजैसे अंधेरा घना होता जा रहा था, वैसेवैसे आकाश के दिल की धड़कनें बढ़ती जा रही थीं. रात किसी तरह से बीत गई. किरण का मोबाइल भी स्विच्ड औफ था. सुबह होते ही बस्ती के लोगों के साथ उस ने किरण की तलाश शुरू कर दी. पूरा दिन उस ने अपने नातेरिश्तेदारों से किरण के बारे में पूछताछ की, लेकिन कहीं से भी उस की जानकारी नहीं मिल सकी.
पूरे 24 घंटों तक आकाश सावले अपने दोस्तों, जानपहचान वालों के साथ किरण की तलाश कर के जब थक गया और किरण का कहीं पता नहीं चला तो वह पुलिस को पत्नी के गुम होने की सूचना देने का फैसला किया. आकाश ने थाना कोनगांव जा कर वहां के ड्यूटी अफसर एसआई जीवन शेरखाने को सारी बातें बताईं और किरण सावले के गायब होने की सूचना दर्ज करवा दी. पुलिस ने किरण की गुमशुदगी दर्ज कर उस के हुलिया और फोटो के आधार पर अपनी जांच शुरू कर दी. शिकायत दर्ज हुए अभी 12 घंटे भी नहीं हुए थे कि कोनगांव पुलिस को एक चौंकाने वाली खबर मिली.
12 अगस्त, 2020 की सुबह लगभग 9 बजे पुलिस कंट्रोल रूम से यह खबर आई कि मुंबई-नासिक हाइवे रंजनोली नाका भिवंडी में स्थित टाटा आमंत्रा बिल्डिंग के पीछे पेड़ पर किसी युवती का शव लटका हुआ है. शायद आत्महत्या का मामला है. चूंकि यह क्षेत्र थाना कोनगांव के अंतर्गत आता था, इसलिए कोनगांव थाने के एसआई जीवन शेरखाने तुरंत अपने सहायकों के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए. उन्होंने प्रारंभिक काररवाई कर शव पेड़ से नीचे उतरवाया और शिनाख्त के लिए आकाश सावले को बुला लिया. मामला काफी जटिल और सनसनीखेज था. पुलिस ने इस की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों के साथ थानाप्रभारी आर.टी. काटकर को भी दे दी.
एसआई जीवन शेरखाने अभी अपने सहयोगियों के साथ मामले की जांच कर ही रहे थे कि सूचना पा कर थाणे के डीसीपी अंकित गोयल और थानाप्रभारी आर.टी. काटकर भी मौकाएवारदात पर आ पहुंचे थे. डीसीपी अंकित गोयल ने युवती के शव और घटनास्थल का बारीकी से निरीक्षण किया और मामले की गंभीरता को देखते हुए थानाप्रभारी आर.टी. काटकर को कुछ दिशानिर्देश दे कर अपने औफिस लौट गए. उन के जाने के बाद थानाप्रभारी आर.टी. काटकर ने मामले की औपचारिकताएं पूरी कर युवती के शव को पोस्टमार्टम के लिए भिवंडी के सिविल अस्पताल भेज दिया और थाने लौट आए.
थाने आ कर आत्महत्या का मामला दर्ज कर उन्होंने जांच शुरू कर दी. इस से पहले कि पुलिस टीम उस युवती की आत्महत्या की कडि़यां जोड़ पाती, मामले में एक नया मोड़ आ गया था. पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने मामले को उलझा दिया था. पोस्टमार्टम करने वाले डाक्टरों ने इस बात का खुलासा किया कि युवती की मौत आत्महत्या न हो कर एक साजिश के तहत हत्या थी, जिसे हत्यारे ने बड़ी होशियारी से अंजाम दिया था. हत्यारे ने 21-22 साल की किरण सावले की हत्या कर उस के शव को पेड़ से लटका दिया था. हत्यारे ने यह काम 3 दिन पहले किया था.
इस से स्पष्ट हो गया कि किरण की मौत आत्महत्या न हो कर एक सोचीसमझी साजिश के तहत की गई हत्या थी, यह जानकारी मिलने पर क्राइम ब्रांच भी सतर्क हो गई. क्राइम ब्रांच के डीसीपी प्रवीण पवार ने मामले की गंभीरता को समझा और जांच क्राइम ब्रांच यूनिट 3 के इंसपेक्टर संजू जौन को सौंप दी. इंसपेक्टर संजू जौन ने एक टीम का गठन किया, जिस में उन्होंने असिस्टेंट इंसपेक्टर भूषण दामया, एसआई नितिन मुदगुन, हैडकांस्टेबल दत्ताराम भोसले, राजेंद्र धोलप, मंगेश शिरके, अजीत राजपूत आदि को शामिल कर कोनगांव पुलिस के साथ मामले की समानांतर जांच शुरू कर दी. साथ ही अपने मुखबिरों को भी जिम्मेदारी सौंप दी.
क्राइम ब्रांच के मुखबिरों ने 24 घंटे के अंदर ही इंसपेक्टर संजू जौन को यह खबर दे दी कि इस घटना का मुख्य अभियुक्त दीपक रूपवते डोंबिवली (पश्चिम) इलाके में घूम रहा है. खबर महत्त्वपूर्ण थी. इंसपेक्टर संजू जौन ने इस खबर को तुरंत कोनगांव पुलिस थाने से साझा किया और पूरे डोंबिवली पश्चिम में अपना सर्च औपरेशन शुरू कर दिया. नतीजा जल्दी सामने आ गया. क्राइम ब्रांच टीम और कोनगांव थाना पुलिस ने संयुक्त अभियान में दीपक रूपवते को कोपर ब्रिज के पास से दबोच लिया. पूछताछ में उस ने अपना नाम दीपक जगन्नाथ रूपवते बताया.
उस से क्राइम ब्रांच औफिस में पूछताछ की गई तो दीपक रूपवते अपना गुनाह स्वीकार करने में आनाकानी करता रहा, लेकिन जब सख्त रुख अपनाया गया तो वह तोते की तरह बोलने लगा. उस ने किरण सावले की हत्या का पूरा राज खोल दिया. 31 वर्षीय दीपक जगन्नाथ रूपवते अच्छी कदकाठी का युवक था. उस के पिता का नाम जगन्नाथ रूपवते था. जगन्नाथ रूपवते मूलरूप से महाराष्ट्र के लातूर जिले के रहने वाले थे. सालों पहले वह अपने परिवार के साथ कल्याण के गोविंद नगर इलाके में आ कर बस गए थे. रोजीरोटी के लिए उन्होंने मुंबई की एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी कर ली.
दीपक रूपवते उन का एकलौता बेटा था, जिसे घर के सभी लोग प्यार करते थे. जगन्नाथ रूपवते और उन की पत्नी चाहती थी कि उन का बेटा पढ़लिख कर काबिल बन जाए. इस के लिए वह उस की सारी जरूरतें पूरी करते थे. लेकिन नतीजा उलटा ही निकला. पढ़ाईलिखाई में उस की कोई रुचि नहीं थी. उस ने बड़ी मुश्किल से 10वीं पास की. अच्छी शिक्षादीक्षा न होने के कारण उसे कोई अच्छा काम भी नहीं मिल सका. जिस जगह दीपक रूपवते रहता था, उस जगह के आटो ड्राइवरों से उस की अच्छी दोस्ती थी. लिहाजा दीपक ने भी तय कर लिया कि वह भी आटोरिक्शा चलाएगा. दोस्तों की मदद से उस ने अपना लाइसैंस भी बनवा लिया.
लेकिन उस के मातापिता को उस का आटोचालक बनना पसंद नहीं था. वह चाहते थे कि उन का बेटा ड्राइवर बनने के बजाय किसी अच्छी नौकरी में जाए लेकिन उन के सपने सच नहीं हुए. दीपक ने मातापिता की एक नहीं सुनी और आटो चलाने लगा. आटोचालक बनने के बाद उस के मातापिता ने उस के योग्य लड़की की तलाश की तो उन की यह तलाश जल्द ही पूरी हो गई. गांव के ही एक रिश्ते की लड़की उन्हें पसंद आ गई. करीब 5 साल पहले दीपक की शादी पूरे रस्मोरिवाज के साथ हो गई थी. शादी के शुरुआती दिनों में दीपक रूपवते पत्नी के प्यार में आकंठ डूबा रहता था. लेकिन जैसेजैसे समय गुजरता गया, दोनों के बीच छोटीछोटी बातों को ले कर किचकिच शुरू हो गई. यह तब और बढ़ गई, जब वह 2 बच्चों का पिता बन गया.
दीपक चाहता था कि उस की पत्नी बच्चों को संभालने के साथसाथ पहले जैसी ही बनसंवर कर रहे. लेकिन गांव के परिवेश में पलीबढ़ी उस की पत्नी चाह कर भी उस के हिसाब से रह नहीं पाती थी. जिस की वजह से वह दीपक के दिल में अपनी जगह नहीं बना पा रही थी. दीपक रूपवते के दिल में अपने लिए बेरुखी देख कर पत्नी ने उस का दिल जीतने की बहुत कोशिश की, लेकिन नाकाम रही. वह जब आटो चला कर आता, तब वह उस की मनपसंद की साड़ी पहनती, सजतीसंवरती, उस की पसंद का खाना बनाती, मीठीमीठी बातें कर उस का दिल जीतने की कोशिश करती. इस के बावजूद भी दीपक उस से दूरी ही बनाए रखता था.
दरअसल, रंगीनमिजाज दीपक अपनी पत्नी में वही छवि देखना चाहता था, जिस तरह की सुंदर, हसीन युवतियां उस के आटो में बैठती थीं. शादी के पहले दीपक ऐसी ही युवती की कल्पना किया करता था, जो उसे अपनी पत्नी में नहीं दिखाई देती थी. ऐसा रिश्ता भला कितने दिन चलता, रोजरोज की जलीकटी सुनने के बजाए एक दिन उस की पत्नी ने उस से और बच्चों से अपना रिश्ता खत्म कर उस का घर छोड़ दिया. 8-10 महीने अकेले रहने के बाद दीपक की जिंदगी में किरण सावले आई. किरण सावले और दीपक का मिलना एक संयोग था. किरण हमेशा अपने काम पर जाने के लिए बसस्टौप पर आती थी. अगर कभी उस की बस समय पर नहीं आती थी तो मजबूरी में उसे आटो से जाना पड़ता था.
उस दिन भी ऐसा ही हुआ. संयोग से उस दिन किरण के पास आटो का पूरा किराया नहीं था. ऐसे में दीपक ने उस की मदद की. दूसरे दिन जब किरण ने उसे बाकी किराया देने की कोशिश की तो दीपक ने लेने से मना कर दिया. बस यहीं से दीपक और किरण एकदूसरे के करीब आ गए. किरण ने दीपक का फोन नंबर भी ले लिया. अब जब भी किरण को समय पर बस नहीं मिलती, तो वह दीपक को फोन कर के बुला लेती. दीपक उसे उस के कारखाने पहुंचा आता था. 2-4 बार दीपक के आटो में आनेजाने पर दोनों की झिझक भी दूर हो गई. दोनों एकदूसरे से खुल कर बातें करने लगे.
दोनों ने एकदूसरे के सामने अपनेअपने जीवन के सारे पन्ने खोल कर रख दिए. दीपक ने अपनी पत्नी और बच्चों के बारे में ऐसा कुछ बताया कि किरण को उस से हमदर्दी हो गई, जिसे दीपक ने किरण का प्रेम समझ लिया. अब दीपक अकसर किरण से मिलता, उस की राह देखता. उसे अपने आटो से काम पर छोड़ता और ड्यूटी पूरी होने के बाद आटो से उस के घर के पास छोड़ देता. दोनों की घनिष्ठता बढ़ी तो दोनों फोन पर घंटों बातें करने लगे. इतना ही नहीं, वे समय निकाल कर मूवी देखते, मौल में घूमते, शौपिंग करते. आखिरकार एक दिन वह समय भी आ गया, जब दीपक ने किरण से शादी का प्रस्ताव रखा तो किरण ने उसे हंसी में टाल दिया.
कहा, ‘‘मुझे तुम से शादी कर के खुशी होगी, लेकिन मैं यह नहीं कर सकती. क्योंकि मेरा पति मुझे बहुत प्यार करता है. इस के अलावा हमारा एक समाज है, हम एक दोस्त हैं और दोस्त ही रहेंगे.’’
लेकिन दीपक इस से संतुष्ट नहीं था. वह किरण से प्यार करने लगा था. उसे अपना जीवनसाथी बना कर अपना घर बसाना चाहता था. उस ने किरण को कई बार शादी के लिए प्रपोज किया था, लेकिन अपने मनमुताबिक जवाब न पा कर वह उस से नाराज रहने लगा और उस ने किरण के प्रति एक क्रूर फैसला कर लिया था. घटना के दिन रात 8 बजे दीपक ने किरण को घुमाने के बहाने से अपने आटो में बिठाया. फिर वह कल्याण से भिवंडी रंजनोली नाका टाटा आमंत्रा बिल्डिंग के पीछे स्थित झाडि़यों के पीछे ले गया. वहां उस ने एक बार फिर किरण से शादी करने का आग्रह किया, लेकिन किरण ने इनकार कर दिया.
इस से गुस्सा हो कर दीपक ने किरण की ओढ़नी उस के गले में डाल कर उस की हत्या कर दी. पुलिस को गुमराह करने के लिए उस ने वारदात को आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की. इस के लिए उस ने उसी ओढ़नी का फंदा बना कर शव को वहां एक पेड़ पर लटका दिया. फिर उस का पर्स और मोबाइल फोन ले कर फरार हो गया. दीपक जगन्नाथ रूपवते से विस्तृत पूछताछ करने के बाद क्राइम ब्रांच ने उसे कोनगांव थाना पुलिस के हवाले कर दिया. कोनगांव पुलिस ने उसे भिवंडी कोर्ट में पेश कर 7 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया. विस्तार से पूछताछ करने के बाद पुलिस ने दीपक को फिर से भिवंडी कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया.