Crime News : ओवरडोज नशे का हो, पैसे का हो, पौवर का हो, जवानी का हो या फिर हुस्न का, हमेशा हानिकारक होता है. शालू को भी कुछ ऐसा ही ओवरडोज था, जिस की वजह से वह खुद तो जान से गई ही पति को भी…
रामदीन मूलरूप से बस्ती जिले के रिउना गांव का रहने वाला था. बरसों पहले रोजीरोटी की तलाश में वह कानपुर शहर आया, तो फिर यहीं का हो कर रह गया. रामदीन रेलवे में संविदा कर्मचारी था. वह परिवार सहित लोको कालोनी के पास रामलीला ग्राउंड के अंदर 2 कमरों वाले मकान में रहता था. उस का भरापूरा परिवार था. पत्नी कुसुम, 4 बेटे और 2 बेटियां. भारीभरकम परिवार के भरणपोषण की जिम्मेदारी रामदीन की ही थी. रामदीन की संतानों में विष्णु सब से बड़ा था. पहली संतान होने की वजह से उसे मांबाप का अधिक लाड़प्यार मिला, जिस से वह बिगड़ता गया. पढ़ाई छोड़ कर वह हमउम्र लड़कों के साथ आवारागर्दी करने लगा. उन के साथ वह नशा और चोरीचकारी भी करता था.
किशोेरावस्था पार कर के विष्णु युवा तो हो गया, पर उस ने अपने दायित्वोें को कभी नहीं समझा. काम में पिता का हाथ बंटाना तो उस ने सीखा ही नहीं था. घर वालों के लिए स्थिति तब बदतर हो गई, जब उसे शराबखोरी और जुआ खेलने की लत लग गई. रामदीन विष्णु को ले कर चिंतित रहने लगा. उस की समझ में नहीं आ रहा था कि वह उसे कैसे सुधारे. ऐसे में हर मांबाप की तरह उस ने सोचा कि अगर उस की शादी कर दी जाए तो शायद वह सुधर जाए. लेकिन रामदीन के तमाम प्रयासों के बावजूद कोई भी विष्णु जैसे नकारा युवक को अपनी बेटी देने को राजी नहीं हुआ. विष्णु को अपनी कमजोरी और मातापिता की परेशानियों का आभास था. पर वह अपनी आदतों से मजबूर था.
लेकिन वक्त के साथ उसे अपने दायित्वों का बोध हुआ तो उस ने एकएक कर आवारा लड़कों का साथ छोड़ कर पिता के काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया. रामदीन को बेटे का सहयोग मिला तो वह रंगाईपुताई के बड़े ठेके लेने लगा. इस काम में बापबेटे मिल कर अच्छी कमाई कर लेते थे. रामलीला ग्राउंड के बाहर जीटी रोड पर सड़क किनारे एक महिला पान मसाले की दुकान चलाती थी, नाम था जानकी. जानकी बाबूपुरवा क्षेत्र के मुंशीपुरवा में रहती थी. उस का पति मंगली प्रसाद एक रिक्शा कंपनी में रिक्शा मरम्मत का काम करता था. जिस दिन उस की कंपनी बंद रहती थी, उस दिन पान की दुकान पर मंगली प्रसाद बैठता था.
विष्णु जानकी की दुकान पर अकसर पान मसाला खाने आता था. पैसे कभी नकद तो कभी उधार. दोनों में अच्छी जानपहचान थी, सो वह उसे सामान देने को मना नहीं करती थी. एक रोज विष्णु जानकी की दुकान पर पहुंचा तो उस की आंखें चुंधिया गईं. दुकान पर सजीसंवरी एक युवती बैठी थी. पहली ही नजर में वह विष्णु के मन भा गई. वह उसे एकटक देखने लगा. युवती ने विष्णु को अपनी ओर टकटकी लगाए देखा तो टोका, ‘‘ ऐसे घूरघूर कर क्या देख रहे हो, क्या पहली बार किसी औरत को देखा है.’’
विष्णु झेंप कर बोला, ‘‘ऐसी बात नहीं है. मैं तुम्हें घूर नहीं रहा था, बल्कि तुम्हारी खूबसूरती के बारे में सोच रहा था. वैसे मैं ने कभी तुम्हें दुकान पर बैठे नहीं देखा. जानकी चाची कहां गई? आप उन की रिश्तेदार हैं क्या?’’
‘‘नहीं, मैं उन की बेटी हूं, नाम है शालू. मां मुझे पूजा कह कर बुलाती है.’’ शालू मुस्कराते हुए बोली.
शालू और विष्णु अभी आपस में बात कर ही रहे थे तभी दुकान का सामान ले कर जानकी आ गई. विष्णु उसे उलाहना देते हुए बोला, ‘‘चाची, आप ने कभी बताया नहीं कि आप की एक खूबसूरत बेटी भी है.’’
जानकी बोली, ‘‘विष्णु बेटा, पूजा शक्ल से तो अच्छीभली है. लेकिन भाग्य की खोटी है. पता नहीं अपने भाग्य में क्या लिखा कर लाई है?’’
विष्णु ने अचकचा कर पूछा, ‘‘पूजा और भाग्य की खोटी. यह आप क्या कह रही हैं चाची?’’
‘‘मैं सही कह रही हूं. लगभग 2 साल पहले हम ने पूजा का विवाह हंसीखुशी से कन्नौज जिले के कस्बा गुरसहायगंज निवासी रामू के साथ किया था. लेकिन उस की पति से नहीं बनी. ससुराल छोड़ कर मायके में आ कर रहने लगी. इस ने पति से तलाक भी ले लिया है. समझ में नहीं आता, जवान बेटी का बोझ कैसे उठाऊं.’’ जानकी लंबी सांस लेते हुए बोली.
‘‘चाची, आप नाहक चिंता कर रही हो. आप की बेटी पूजा सुंदर भी है और जवान भी. उस के लिए लड़कों की क्या कमी, बस आप हां भर कह दो.’’ विष्णु पूजा की ओर देखते हुए मुसकरा कर बोला.
उस रात विष्णु को नींद नहीं आई. वह रात भर शालू के बारे में ही सोचता रहा. उस ने मन ही मन निश्चय कर लिया कि वह पूजा को अपना जीवनसाथी बना कर रहेगा. विष्णु घर से काम के लिए निकलता तो उस की नजरें शालू की नजरों से टकरा जातीं. नजरें मिलते ही दोनों के चेहरे पर मुसकान बिखर जाती. जल्दी ही शालू ने उस के मन की बात भांप ली. शालू उर्फ पूजा विष्णु की बातचीत से प्रभावित थी, वह उसे अच्छा लगने लगा था. लेकिन वह अपने मन की बात उस से नहीं कह पा रही थी. दूसरी ओर विष्णु उस के आकर्षण में इस कदर डूब चुका था कि उसे शालू के बिना सब सूनासूना लगने लगा था.
जब विष्णु से नहीं रहा गया तो एक दिन दोपहर में वह दुकान पर पहुंचा पता चला शालू घर पर है. तब वह उस के घर पहुंच गया. उस ने दरवाजा खटखटाया तो शालू ने ही खोला. उसे देख कर वह घबरा गई. उस ने कहा, ‘‘घर में कोई नहीं है.’’
‘‘पता है, तभी तो आया हूं. मुझे किसी और से नहीं तुम से बात करनी है.’’ विष्णु ने कहा.
‘‘कहो क्या कहना है?’’ शालू सकुचाते हुए बोली.
‘‘मैं तुम से प्यार करता हूं, बस यही कहने आया था.’’
‘‘तुम मुझ से प्यार करते हो, यह ठीक है, पर मैं एक तलाकशुदा महिला हूं. क्या तुम्हें यह बात पता है? तुम्हारे घरवाले तलाकशुदा से शादी करने को राजी हो जाएंगे?’’
‘‘तुम्हारी पिछली जिंदगी से मुझे कुछ लेनादेना नहीं. मैं तुम से प्यार करता हूं और अपना जीवनसाथी बनाना चाहता हूं. रही बात घर वालों की, तो वे मान जाएंगे.’’
इस तरह अपनी बात कह कर विष्णु ने शालू के तनमन में खुशी भर दी. अब वह हर समय इसी सोच में डूबी रहने लगी कि विष्णु के प्यार को स्वीकार करे या ठुकरा दे. काफी सोचविचार के बाद उस ने विष्णु को जीवनसाथी बनने का निर्णय कर लिया. अपना निर्णय उस ने अपने मातापिता को भी बता दिया. जानकी तो रातदिन बेटी के भविष्य को ले कर चिंतित रहती थी, उस ने बेटी के निर्णय को मान लिया. दोनों के मातापिता की रजामंदी से शादी उधर विष्णु ने जब अपने मातापिता को शालू के बारे में बताया और उस से विवाह करने की बात कही तो वे राजी हो गए.
कुसुम अपनी बेटी प्रीति व नंदनी के साथ शालू से मिलने उस के घर गई और नेग दे कर शालू को पसंद कर लिया. दोनों तरफ की रजामंदी के बाद विष्णु ने एडवोकेट ताराचंद्र के माध्यम से 6 जनवरी, 2018 को कानपुर कोर्ट में शालू से कोर्टमैरिज कर ली. शादी के बाद शालू पति विष्णु के साथ रामलीला ग्राउंड में बने मकान में रहने लगी. लगभग एक साल तक दोनों हंसीखुशी से रहे, फिर परिवार में झगड़ेझंझट शुरू हो गए. दरअसल शालू को संयुक्त परिवार में रहना अच्छा नहीं लगता था. उसे सासससुर, देवर व ननदें कांटे की तरह चुभती थीं. भारीभरकम परिवार के लिए खाना बनाना भी उसे बोझ लगता था.
कभी खाने को ले कर तो कभी साफसफाई को ले कर कभी सास कुसुम तो कभी ननद प्रीति व नंदनी से शालू का झगड़ा होने लगा. शालू ने पति को मुट्ठी में कर रखा था, सो वह कुछ बोल ही नहीं पाता था. शालू अलग रहने की चेतावनी देने लगी थी. परिवार में कलह शुरू हुई तो बढ़ती ही गई. आखिर कलह से आजिज आ कर रामदीन ने परिवार के लिए चकेरी क्षेत्र के श्यामनगर में किराए पर एक मकान ले लिया. इस मकान में रामदीन की पत्नी कुसुम, 3 बेटे सूरज, शिवा, नंदी तथा 2 बेटियां प्रीति व नंदनी रहने लगी. रामदीन परिवार के साथ इसलिए नहीं गया, क्योंकि उस के जाने से रामलीला ग्राउंड का सरकारी मकान उसे खाली करना पड़ता. अब रामलीला ग्राउंड वाले मकान में शालू, उस का पति विष्णु तथा ससुर रामदीन रह गए. बड़े वाले कमरे में शालू ने अपना सामान सजा लिया तथा छोटा कमरा ससुर को दे दिया.
अब शालू बनसंवर कर रहने लगी. उस ने पति से लड़झगड़ कर महंगा टचस्क्रीन मोबाइल फोन भी खरीदवा लिया. मोबाइल फोन को उस ने चलाना भी सीख लिया. शालू सप्ताह में एक दिन पति के साथ घूमने जरूर जाती थी. उस दिन वह खाना नहीं बनाती थी. पतिपत्नी स्वयं तो खापी कर आते, लेकिन रामदीन को भूखे पेट सोना पड़ता था. रामलीला ग्राउंड काफी बड़ा था. चारों ओर बाउंड्री वाल थी और अंदर आनेजाने के 2 बड़े तथा 2 छोटे गेट थे. रामलीला मंचन के लिए अंदर काफी बड़ा मंच बना था. इस ग्राउंड पर शाम को नशेबाजों का जमावड़ा शुरू हो जाता था. ये नशेबाज चरस, गांजा तथा शराब पीते और कभीकभी उपद्रव भी करते. कभी पुलिस का छापा पड़ता तो ये भाग जाते, लेकिन पुलिस के जाते ही फिर आ जाते.
विष्णु के कई दोस्त भी ग्राउंड पर आते थे. विष्णु कभीकभी उन के साथ नशेबाजी कर लेता था. जरूरत होती तो ये नशेड़ी दोस्त विष्णु के घर पर कभी गिलास तो कभी पानी मांगने आ जाते. ये नशेबाज विष्णु की पत्नी शालू को ललचाई नजरों से देखते थे. वह शालू को महंगा फोन चलाते देखते तो समझते कि शालू के पास बहुत पैसा है. शालू को दिखावे की लत थी. इस के चलते उसे बनसंवर कर फोन पर बतियाते हुए ग्राउंड में घूमना अच्छा लगता था. 2 अगस्त, 2020 की रात किन्हीं अज्ञात लोगों ने शालू और उस के पति विष्णु की हत्या कर दी. बेटेबहू की हत्या की खबर रामदीन ने थाना रेल बाजार पुलिस को दी तो थाने में हड़कंप मच गया.
रक्षाबंधन के दिन डबल मर्डर की सूचना पा कर पुलिस अधिकारी भी दहल उठे. अत: कुछ ही देर में एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह, एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल तथा एसपी (साउथ) दीपक भूकर रामलीला ग्राउंड पहुंच गए. रेल बाजार थानाप्रभारी दधिबल तिवारी पुलिस टीम के साथ घटनास्थल पर पहले से मौजूद थे. पुलिस अधिकारियों ने मौके पर फोरैंसिक टीम तथा डौग स्क्वायड टीम को भी बुलवा लिया था. घटनास्थल का दृश्य बड़ा ही वीभत्स था, जिसे देख कर पुलिस अधिकारी सहम गए. घर के बाहर जमीन पर बिछे बिस्तर पर 24-25 वर्षीय विष्णु का शव पड़ा था. उस की हत्या सिर को ईंट से कूच कर की गई थी. पूरा बिस्तर खून से तरबतर था. पास ही खून से सनी 2 ईंटें पड़ी थीं. विष्णु के चेहरे पर भी जख्म थे.
कमरे के अंदर का दृश्य शर्मसार करने वाला था. अंदर शालू का शव नग्नावस्था में पड़ा था, उस की हत्या साड़ी के पल्लू से गला घोंट कर की गई थी. देखने से ऐसा लग रहा था जैसे उस के साथ हत्या से पहले दुष्कर्म किया गया हो. कमरे का सामान उलटपुलट पड़ा था. बक्सा भी खुला था, जिस से चोरी से भी इनकार नहीं किया जा सकता था. हालांकि मृतका कान में झुमकी तथा पैर में पायल पहने थी, उन्हें नहीं उतारा गया था. फोरैंसिक टीम ने भी घटनास्थल पर बारीकी से जांच की तथा साक्ष्य जुटाए. टीम ने ईंट तथा बिस्तर से फिंगरप्रिंट लिए और खून का नमूना सुरक्षित किया. टीम ने खून सनी ईंटों को भी साक्ष्य के तौर पर जाब्ते में शामिल किया गया.
डौग स्क्वायड टीम भी घटनास्थल पर मौजूद थी. टीम ने कुत्ता छोड़़ा तो वह घटनास्थल पर पड़े शव और खून को सूंघ कर भौंकता हुआ ग्राउंड के बाहर आया और जीटी रोड पर आ कर भटक गया. वह हत्या का कोई भी सबूत नहीं जुटा पाया. घटनास्थल पर मृतक का पिता रामदीन तथा उस का पूरा परिवार मौजूद था. मृतक के बहनभाई रो रहे थे, मां कुसुम का भी रोरो कर बुरा हाल था. शालू की मां तथा पिता भी मौजूद थे. वह भी बेटी की मौत पर आंसू बहा रहे थे. हत्यारों का कोई सुराग नहीं मिला एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने मृतक के पिता रामदीन से घटना के संबंध में पूछताछ की तो उस ने बताया कि 3 अगस्त की सुबह जब वह सो कर उठा तो कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था. उस ने बेटेबहू को कई आवाजें दीं पर कोई प्रतिक्रिया नहीं हुई.
उस ने दरवाजे पर जोर से दस्तक दी तो कुंडी सरक गई और दरवाजा खुल गया. वह कमरे से निकल कर बाहर आया तो सामने बिस्तर पर विष्णु की लाश पड़ी थी. वह घबरा गया और श्यामनगर में रह रहे अपने परिवार के पास पहुंचा. वहां उस ने विष्णु की हत्या की जानकारी दी. साथ ही संदेह भी जताया कि बहू शालू विष्णु की हत्या कर घर से भाग गई है. इस के बाद पूरा परिवार रोतापीटता रामलीला ग्राउंड स्थित मकान पर आ गया. जब हम सब शालू के कमरे में पहुंचे तो सब की आंखें शर्म से झुक गईं. कमरे के अंदर शालू का शव नग्नावस्था में पड़ा था. हमें शक हुआ कि चोरबदमाश घर में घुसे, फिर शालू के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया और विरोध करने पर शालू व विष्णु की हत्या कर फरार हो गए.
वे नकदी, आभूषण के साथ शालू का कीमती मोबाइल फोन तथा विष्णु का मोबाइल भी ले गए. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल का निरीक्षण तथा पूछताछ के बाद विष्णु और शालू के शव पोस्टमार्टम के लिए लाला लाजपतराय अस्पताल भिजवा दिए. इस के बाद एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह ने इस डबल मर्डर के खुलासे के लिए एक विशेष टीम का गठन किया, जिस की कमान एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल को सौंपी गई. इस विशेष टीम में थाना रेलबाजार प्रभारी निरीक्षक दधिबल तिवारी, एसएसआई संतोष ओझा, एसओजी प्रभारी दिनेश कुमार तथा सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह को शामिल किया गया.
विशेष पुलिस टीम ने सब से पहले घटनास्थल का निरीक्षण किया फिर पोस्टमार्टम रिपोर्ट का अध्ययन किया. पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार विष्णु की मौत सिर फटने तथा अधिक रक्त होने से हुई थी. उस के सिर की हड्डियां टूटी पाई गईं, जबकि शालू की मौत गला घोंटने से हुई थी. दुष्कर्म की आशंका के चलते स्लाइड भी बनाई गईं. इस के बाद पुलिस टीम ने मृतक के पिता रामदीन तथा मृतका की मां जानकी से पूछताछ की. जिस से पता चला कि शालू ने पहले पति रामू से तलाक ले कर विष्णु से दूसरी शादी की थी. उस की अपने ससुराल वालों से नहीं पटती थी, जिस से वे लोग अलग मकान ले कर रहने लगे थे. यह भी पता चला कि शालू का पति विष्णु नशाखोर था. कई नशेबाज उस के दोस्त थे.
पूछताछ के बाद पुलिस टीम ने अपनी जांच 3 बिंदुओं पर केंद्रित की. पहली नशेबाजी, दूसरी पारिवारिक कलह और तीसरी आशनाई. पुलिस टीम ने त्वरित काररवाई करते हुए मृतक विष्णु के कई नशेबाज दोस्तोंं को पकड़ा और उन से कड़ी पूछताछ की. लेकिन उन्होंने हत्या करने की बात स्वीकार नहीं की. पारिवारिक कलह की जांच में भी हत्या का कोई कारण या सबूत नहीं मिला. अब पुलिस टीम ने अपना सारा ध्यान आशनाई पर केंद्रित किया. इस दिशा में जांच से पता चला कि शालू की पहली शादी कन्नौज जनपद के कस्बा गुरसहायगंज निवासी रामू के साथ हुई थी, लेकिन साल भर बाद ही शालू ने उस से तलाक ले लिया था. पुलिस को शक हुआ कि कहीं खुन्नस में रामू ने ही तो दोनों का मर्डर नहीं कर दिया.
सर्विलांस टीम ने दिखाई राह पुलिस टीम ने रामू को उस के घर से हिरासत में ले कर सख्ती से पूछताछ की. रामू ने बताया कि दोनों का तलाक आपसी सहमति से हुआ था. तलाक के बाद शालू ने विष्णु से शादी कर ली थी और उस ने भी दूसरा विवाह कर लिया था. शालू और उस के बीच किसी प्रकार का कोई मनमुटाव नहीं था. उन दोनों की हत्या किस ने और क्यों की उसे कोई जानकारी नहीं है. पूछताछ के बाद पुलिस को लगा कि रामू निर्दोष है, अत: उसे थाने से जाने दिया.
दूसरी ओर सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लिया. लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिल पा रहा था. यही नहीं उन्होंने घटनास्थल के पास स्थित टावर से डेटा डंप करा कर कुछ संदिग्घ नंबर निकाले और जांच टीम को सौंप दिए. पुलिस ने नंबरों के आधार पर कुछ लोगों को पकड़ा भी और उन से सख्ती से पूछताछ भी की. लेकिन हत्या के संबंध में कोई जानकारी नही मिली. एसपी (पूर्वी) राजकुमार अग्रवाल डबल मर्डर के खुलासे के लिए एड़ीचोटी का जोर लगा रहे थे. साथ ही वह पुलिस टीम को दिशानिर्देश भी दे रहे थे. पर सफलता नहीं मिल पा रही थी.
इसी बीच सर्विलांस प्रभारी सतीश सिंह ने मृतक विष्णु व शालू के मोबाइल फोन नंबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो चौंकाने वाली जानकारी मिली. पता चला कि शालू के फोन से 3 अगस्त की प्रात: 8 बज कर 44 मिनट पर काल की गई थी. पुलिस टीम ने जब उस नंबर को खंगाला तो पता चला यह नंबर सुजातगंज निवासी शबीना का है. पुलिस टीम शबीना के घर सुजातगंज पहुंची और उस से मोबाइल फोन नंबर के संबंध में पूछताछ की. शबीना ने बताया कि यह नंबर उसी का है लेकिन मोबाइल का इस्तेमाल उस का भांजा जमशेद करता है, जो उसी के साथ रहता है. उस ने यह भी बताया कि जमशेद 2 अगस्त की पूरी रात घर नहीं आया था.
जमशेद पुलिस की रडार पर आया तो पुलिस टीम ने उसे पकड़ने के लिए जाल बिछाया. इस के बाद 7 अगस्त, 2020 की रात उसे नाटकीय ढंग से सुजातगंज मोड़ पर पकड़ लिया गया. फिर उसे थाना रेलबाजार लाया गया. थाने पर जब उस से रामलीला ग्राउंड के अंदर हुए डबल मर्डर के संबंध में पूछा गया तो वह साफ मुकर गया. लेकिन जब सख्ती की गई तो वह टूट गया और डबल मर्डर का अपराध कबूल कर लिया. उस ने बताया कि हत्या में उस का मामा मो. दानिश तथा उस का साथी विकास गौतम भी शामिल थे. मो. दानिश गम्मू खां का हाता का रहने वाला था, लेकिन वर्तमान में वह मीरपुर (तलउवा) में रहता था. विकास गौतम कानपुर देहात के रामनगर (रूरा) का रहने वाला था. फिलहाल वह श्यामनगर (चकेरी) में रहता था.
इस के बाद पुलिस टीम ने जमशेद की निशानदेही पर मो. दानिश तथा विकास गौतम को भी पकड़ लिया. उन दोनों ने भी सहज ही हत्या का जुर्म कबूल लिया. यही नहीं उन तीनों ने पुलिस को शालू का मोबाइल फोन 4 हजार रुपए नकद, सोने की चेन तथा उस के पति विष्णु का मोबाइल फोन बरामद करा दिया. पुलिस ने जब तीनों से मृतका शालू के साथ दुष्कर्म करने की बाबत पूछा तो तीनों ने साफ इनकार कर दिया. पुलिस की मेहनत पुलिस टीम ने डबल मर्डर का परदाफाश करने तथा माल बरामद करने की जानकारी एसएसपी डा. प्रीतिंदर सिंह को दी, तो उन्होंने आननफानन में पुलिस लाइन सभागार में प्रैसवार्ता की और हत्यारोपियों को मीडिया के सामने पेश कर डबल मर्डर का खुलासा किया.
उन्होंने खुलासा करने वाली टीम को पुरस्कार स्वरूप 75 हजार रुपए देने की घोेषणा भी की. पुलिस खुलासे से जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार है. मो. दानिश चमनगंज थाना क्षेत्र के गम्मू खां के हाता में रहता था. वह अपने भांजे जमशेद तथा साथी विकास गौतम के साथ चोरियां करता था. तीनों नशेबाज थे और नशेबाजी करने रामलीला ग्राउंड जाते थे. यहीं एक रोज उन की नजर ग्राउंड में रहने वाले विष्णु की पत्नी शालू पर पड़ी. शालू टहलते हुए महंगे मोबाइल पर बात कर रही थी. उस का पहनावा भी रईसों जैसा था.
शालू को देख कर दानिश को लगा कि वह मालदार औरत है. उस ने अपने साथियों के साथ उस का घर साफ करने की योजना बनाई और उस के घर की रैकी करने लगा. 2 अगस्त, 2020 की रात 10 बजे मो. दानिश अपने साथी जमशेद व विकास के साथ रामलीला ग्राउंड में छिप कर बैठ गया. रात लगभग 12 बजे लाइट चली गई तो विष्णु और शालू कमरे के बाहर आ गए और खुले में बिस्तर लगा कर सो गए. कुछ देर बाद वे तीनों वहां पहुंचे और शालू के तकिया के नीचे से चाबी निकालने लगे. तभी शालू जाग गई और चीख पड़ी. इस पर विकास ने उसे दबोच कर उस का मुंह दबा दिया.
लेकिन शालू की चीख से विष्णु जाग गया था वह उन से भिड़ गया. इस पर मो. दानिश व जमशेद ने पास पड़ी ईंट उठा ली और दोनों विष्णु के सिर पर प्रहार करने लगे. विष्णु का सिर फट गया और वह बिस्तर पर ही ढेर हो गया. विष्णु की हत्या के बाद विकास गौतम और जमशेद शालू को कमरे में घसीट ले गए. वहां उसे निर्वस्त्र किया, कामेच्छा पूरी की फिर उस का गला उसी की साड़ी से घोंट दिया. हत्या करने के बाद उन्होंने कमरे का सामान बिखेरा, बक्से का ताला खोल कर नकद रुपया, आभूषण कब्जे में किए और दोनों के मोबाइल फोन ले कर फरार हो गए.
ये तीनों पुलिस के हत्थे कभी नहीं चढ़ते यदि जमशेद के नाबालिग भाई ने शालू के फोन से जमशेद को फोन न किया होता. उस 13 सेकेंड की काल ने ही पुलिस को जमशेद तक पहुंचा दिया और तीनों पकड़े गए. थाना रेलबाजार पुलिस ने मृतक विष्णु के पिता रामदीन को वादी बना कर भादंवि की धारा 302/380/411 के तहत मो. दानिश, जमशेद व विकास गौतम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कर ली और तीनों को विधिसम्मत गिरफ्तार कर लिया.
आरोपियों ने वारदात के दौरान शालू से दुष्कर्म की बात नकार दी थी. लेकिन पुलिस ने उन की बात पर यकीन नहीं किया. अत: आरोपी दानिश, जमशेद व विकास का पुलिस ने मैडिकल कराया. अगर शालू की स्लाइड रिपोर्ट से आरोपितों की मैडिकल रिपोर्ट का मिलान होता है तो दुष्कर्म या सामूहिक दुष्कर्म की धारा बढ़ा दी जाएगी. 9 अगस्त, 2020 को थाना रेलबाजार पुलिस ने अभियुक्त मो. दानिश, जमशेद तथा विकास गौतम को कानपुर कोर्ट में पेश किया, जहां से तीनों को जिला जेल भेज दिया गया.
—कथा पुलिस सूत्रों पर आधारित