Crime News : पूर्व प्रिंसिपल श्यामलाल राठौर के 2 बेटियां थीं. वंश चलाने के लिए वह बेटा चाहते थे, लेकिन पत्नी की मौत हो चुकी थी. इस के लिए उन्होंने गीता नाम की महिला से संबंध बना लिए, लेकिन शातिर गीता ने अपने पति हिमांशु चौधरी के साथ मिल कर प्रिंसिपल साहब की ऐसी डर्टी फिल्म बनाई कि…

हिमांशु चौधरी देहरादून के एक प्रतिष्ठित मैडिकल कालेज से एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. पढ़ाई के दौरान ही उसे विवाहिता गीता से प्यार हो गया. फिर बाद में पिछले साल 2024 के मई महीने में उस ने उस के साथ मंदिर में लव मैरिज कर ली थी. उस की एक प्यारी सी बेटी भी थी. गीता पहले पति से 3 साल पहले ही संबंध तोड़ चुकी थी. वह बेटी और हिमांशु के साथ देहरादून के किशननगर क्षेत्र के सिरमौर मार्ग पर रहने लगी थी. जल्द ही हिमांशु को यह भी जानकारी मिल गई कि गीता के किसी और से भी अवैध संबंध हैं. इस का उस ने विरोध जताने के बजाय अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने की योजना बना ली.

दरअसल, हिमांशु मैडिकल की अपनी पढ़ाई का खर्च नहीं उठा पा रहा था. वह कई बार पेपरों में फेल भी हो चुका था. दूसरी तरफ उस ने गीता से शादी रचा कर अपना खर्च और बढ़ा लिया था. उसे अब भी पढ़ाई के लिए फीस देनी थी, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण वह ऐसा नहीं कर पा रहा था. इसी बीच उस ने पाया कि गीता से मिलने के लिए एक बुजुर्ग श्यामलाल अकसर आते हैं. जल्द ही उसे यह भी मालूम हो गया कि गीता और उस बुजुर्ग के संबंध काफी पुराने और गहरे हैं. उन के बीच लंबे समय से नाजायज रिश्ता बना हुआ है. संभवत: गीता के पूर्व पति से संबंध खत्म होने के यही कारण रहे होंगे.

गीता के बुजुर्ग के साथ अवैध संबंध को नजरंदाज करते हुए हिमांशु चौधरी के दिमाग में एक योजना कौंध गई. उस ने श्यामलाल राठौर को ब्लैकमेल कर उन से पैसे ऐंठने का प्लान बना डाला. इस बारे में उस ने गीता से बात की. वह भी इस के लिए सहमत हो गई. योजना के अनुसार, गीता ने 2 फरवरी, 2025 को श्यामलाल को फोन किया, ”हैलो डार्लिंग, तुम कहां हो? कई दिनों से मिले नहीं.’’

”अरे वाह! क्या बात है? मैं भी तुम्हें ही याद कर रहा था. सोच रहा था कि इस वैलेंटाइन डे पर तुम्हारी पसंद का कोई गिफ्ट दूं.’’ श्यामलाल की आवाज सुन कर गीता भी खुश हो गई.

वह चहकती हुई सैक्सी अंदाज में बोली, ”तो फिर आज ही मिलो न! अपनी पसंद भी बता दूंगी और तुम्हारी चाहत भी पूरी कर दूंगी.’’

”चलो, आता हूं, लेकिन वादे से मुकर मत जाना.’’ श्यामलाल बोले.

”अरे, आओ तो सही डार्लिंग. आज की पूरी रात तुम्हारे नाम है. पति को हौस्टल भेज दिया है. तुम से मालिश करवाने की इच्छा हो रही है.’’ गीता रामांटिक अंदाज में बोली

”ठीक है, कहो तो कुछ खानेपीने के लिए ले कर आऊं.’’ श्यामलाल की आवाज में रूमानीपन आ गया था.

”जो तुम्हारा दिल करे. तुम्हें तो मेरी पसंद का ब्रांड मालूम है. बाकी नानवेज यहीं पका लूंगी.’’ गीता बोली.

इस तरह से 2 प्रेमी युगल के बीच कुछ देर तक रोमांटिक बातें होती रहीं. जबकि दोनों की उम्र में काफी अंतर था. गीता एक खिली हुई गुलाब थी, जबकि श्यामलाल उम्र की ढलान पर दिमाग में यौवन का जोश भरे हुए थी. उन्होंने पाया कि काफी समय बाद गीता ने फोन पर ऐसी सैक्सी बातें की थीं. इसीलिए उन के दिमाग में मधुर घंटियां बज उठी थीं. देह में सिहरन पैदा हो गई थी. दैहिक मिलन का खुला निमंत्रण जो मिल चुका था. गीता ने अपने 12 साल पुराने आशिक श्यामलाल राठौर को सिरमौर मार्ग स्थित अपने घर बुलाया. वह एक रिटायर प्रिंसिपल थे. इलाके में लोग उन्हें गुरुजी कह कर बुलाते थे.

वहां पहले से ही हिमांशु चौधरी मौजूद था. उन की योजना थी कि गीता और श्यामलाल की अश्लील वीडियो हिमांशु रिकौर्ड कर लेगा. फिर उस वीडियो द्वारा उन्हें ब्लैकमेल कर मोटी रकम ऐंठ लेंगे. गीता और श्यामलाल जैसे ही एक साथ आए. हमबिस्तर होते ही किसी तरह श्यामलाल को अहसास हो गया कि कोई कमरे में छिपा हुआ है. खुद के पकड़े जाने की आशंका को भांप कर वह चिल्लाने लगे. तभी गीता और कमरे में छिपे हिमांशु चौधरी ने श्यामलाल का मुंह दबा दिया. दोनों ने हाथपांव पकड़ कर श्यामलाल को किसी तरह काबू में किया. गीता और हिमांशु भीतर से घबरा गए कि कहीं श्यामलाल उन दोनों के बारे में लोगों को बता न दें, इसलिए उन्होंने गला दबा कर उन की हत्या कर दी. इस के बाद शव को वहीं बैड के नीचे डाल कर छिपा दिया.

हिमांशु चौधरी एमबीबीएस की चतुर्थ वर्ष की पढ़ाई कर रहा था. उस ने गीता से कहा था कि वह काफी समय तक सर्जरी विभाग में रहा है. ऐसे में उसे पता है कि यदि 24 घंटे बाद शव को काटा जाए तो खून नहीं निकलेगा. लिहाजा दोनों ने इंतजार किया और शव को अगले दिन काटने की योजना बनाई. इस तरह से 3 फरवरी, 2025 की रात को हिमांशु ने रसोईघर के चाकू से ही शव को जोड़ के हिस्सों से काट डाला. पहले शव के कंधों से हाथ काटे गए. इस के बाद दोनों पैर अलग किए गए. बाद में सिर को काट कर प्लास्टिक के बोरे में बांध दिया. आगे की योजना के तहत गीता हिमांशु को शव ठिकाने लगाने के लिए कह चुकी थी.

दूसरी तरफ श्यामलाल की बेटी निधि राठौर 5 दिनों से परेशान हो रही थी. उसे रात को नींद नहीं आ रही थी. अपने पापा के अचानक लापता होने से निधि बेहद चिंता में थी. वह 7 फरवरी, 2025 को देर तक सोई हुई थी. सुबह के 9 बज चुके थे. बिस्तर से उठी थी. उस वक्त उस के सिर में दर्द हो रहा था. वह उस समय चाय बना कर पीने के मूड में थी, लेकिन मूड खराब था. उस के मन में बारबार एक ही विचार आ रहा था कि अब क्या करे? पापा को कहां ढूंढे?

देहरादून के पटेल नगर की रहने वाली निधि राठौर के पापा पूर्व प्रिंसिपल श्यामलाल उर्फ गुरुजी को लापता हुए 5 दिन गुजर चुके थे. उन्हें ढूंढने के लिए निधि समेत उन के कई रिश्तेदार लगे हुए थे. मगर उन के बारे में किसी को भी कुछ पता नहीं चल पाया था कि वे आखिर गए तो कहां गए?

अंत में निधि राठौर ने अपने रिश्तेदारों के साथ मिल कर उन की गुमशुदगी देहरादून की पटेल नगर कोतवाली में दर्ज करा दी. कोतवाली पटेल नगर के एसएचओ प्रदीप सिंह राणा ने तत्काल बुजुर्ग श्यामलाल की गुमशुदगी दर्ज कर उन की तलाश करने के निर्देश जारी कर दिए थे. बेटी निधि ने रिपोर्ट में लिखवाया कि उस के पापा श्यामलाल 2 फरवरी को किसी काम की बात बोल कर घर से अपनी स्पलेंडर बाइक से निकले थे. पुलिस ने मामले में जांच शुरू की. जांच की शुरुआत उन के फोन की अंतिम लोकेशन से शुरू की. यह लोकेशन सिरमौर मार्ग की निकली. उन के फोन में गीता नाम की महिला से कई बार बातचीत की जानकारी मिली, जो सिरमौर में रहती थी.

श्यामलाल की गुमशुदगी की जांच का काम कोतवाली के एसएसआई योगेश दत्त के जिम्मे थी, जिन्होंने इस गुमशुदगी के बारे में सीओ अंकित कंडारी और एसपी (सिटी) प्रमोद कुमार से जांच का आदेश हासिल कर लिया था. फिर लापता श्यामलाल राठौर के बारे में जानकारी करने के लिए सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चैक किए गए थे. सीसीटीवी फुटेज में श्यामलाल अपनी स्पलेंडर बाइक यूके07डी टी1685 से कृष्णा नगर चौक होते हुए सिरमौर रोड पर स्थित किशन नगर में स्थित एक मकान में जाते दिखाई दिए थे. पुलिस ने जब उस मकान के बारे में छानबीन की, तब पता चला कि वह मकान गीता नामक महिला का है. जांच टीम को सीसीटीवी फुटेज में श्यामलाल को गीता के घर से लौटने की एक भी तसवीर नहीं मिली.

पुलिस ने श्यामलाल के बारे में और अधिक जानकारी जुटाई. पता चला कि उन के 2 बेटियां हैं. उन्हें लोगों ने गीता से हमेशा मिलतेजुलते देखा है. वह गीता के घर मिलने के लिए जाते रहते थे. गीता का मायका जिला सहारनपुर के कस्बा देवबंद में है. पुलिस ने जब गीता और हिमांशु के मोबाइल नबरों की काल डिटेल्स निकलवाई तो उन के द्वारा 2 मोबाइल नंबरों पर बहुत देर तक बातें करना रिकौर्ड हुआ था. वे मोबाइल नंबर जांच में गीता के भाई अजय और हिमांशु के बहनोई धनराज निवासी कैलाश कालोनी, देवबंद के थे.

पुलिस टीम ने इन दोनों से पूछताछ करने का फैसला लिया. एसएसपी अजय सिंह ने इस जांच के लिए कोतवाल प्रदीप सिंह राणा, एसएसआई योगेश दत्त, प्रभारी विनोद गोसाईं, थानेदार विनोद राणा व कांस्टेबल आशीष शर्मा, विपिन व महिला कांस्टेबल मोनिका को भी इस टीम में शामिल कर लिया. इस के बाद पुलिस की टीम अजय और धनराज की तलाश के सिलसिले में देवबंद के लिए निकल गई. देवबंद पहुंच कर पुलिस टीम ने मुखबिर की सूचना पर अजय और धनराज को गिरफ्तार कर लिया.

दोनों को पटेलनगर कोतवाली ला कर सख्ती से पूछताछ की गई. अजय कुमार ने पुलिस को बताया कि 2 फरवरी को उस के पास उस की बहन गीता ने फोन कर बताया कि उन्होंने किसी की हत्या कर दी है. अब उस की लाश ठिकाने लगाने में मदद चाहिए. यह सुनने के बाद उस ने अपने जीता धनराज चावला को बुलाया. फिर दोनों गीता के घर पहुंच गए. वहां लाश के टुकड़े बोरे में बंद थे. उन्होंने वह बोरा उठाया और उसे 4 फरवरी को मिनी ट्रक से देवबंद लाया गया. देवबंद के गांव साखन की नहर में रात के अंधेरे में शव को फेंक दिया गया था.

इस के बाद देवबंद की साखन नहर से श्यामलाल के शव की तलाशी अभियान शुरू किया गया, लेकिन गोताखोरों को वहां शव के टुकड़े नहीं मिले. तब पूछताछ के बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया, जहां से उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. सहारनपुर पुलिस को 20 फरवरी, 2025 को किसी इंसान की लाश के टुकड़े मिले. यह जानकारी मीडिया के द्वारा देहरादून पुलिस को मिली तो कोतवाल श्यामलाल के फेमिली वालों को ले कर सहारनपुर पहुंचे तो निधि ने उन की पहचान अपने पापा श्यामलाल के रूप में की. बरामद लाश के टुकड़ों का पंचनामा भर कर पुलिस ने उन्हें पोस्टमार्टम के लिए अस्पताल भेज दिया.

हिमांशु और गीता तब तक पुलिस की पकड़ में नहीं आए थे. पुलिस के साइबर विभाग ने उन के मोबाइलों के लोकेशन के आधार पर बताया कि वे मुंबई में हैं. पुलिस जब मुंबई पहुंची, तब तक वे वहां से भी फरार हो चुके थे. इस के बाद पुलिस को इन दोनों की लोकेशन जयपुर की मिलने लगी. पुलिस जब वहां पहुंची, तब उन की लोकेशन प्रयागराज के महाकुंभ की मिलने लगी. वहां 4 दिनों तक दोनों की लोकेशन मिली, लेकिन उस भीड़ में उन्हें ढूंढा नहीं जा सका.

इस चूहेबिल्ली के खेल में गीता और हिमांशु पलिस की पकड़ में नहीं आ पा रहे थे. उन पर 25-25 हजार रुपए का इनाम घोषित कर दिया गया. उन की लोकेशन 24 फरवरी को अमृतसर, पंजाब की मिली. इस लोकेशन के मुताबिक उन्होंने ट्रेन से यात्राएं की थीं. बाद में उन की लोकेशन गोल्डन टेंपल के पास आ कर ठहर गई थी. आखिरकार 26 फरवरी, 2025 की रात में पुलिस टीम को सफलता मिल गई. गीता और हिमांशु चौधरी को अमृतसर से गिरफ्तार कर लिया गया. दोनों को देहरादून लाया गया. उन के सारे कारनामों की जानकारी पहले गिरफ्तार किए गए अजय कुमार और धनराज से मालूम हो चुकी थी. फिर तो गीता ने भी पुलिस के सामने सारे राज खोल दिए. उस के बाद जो कहानी सामने आई, वह इस प्रकार निकली—

पत्नी की मौत के बाद 2 बेटियों के पिता श्यामलाल को सब से बड़ी चिंता यह थी कि उन के बाद वंश आगे नहीं बढ़ पाएगा. इसी कारण वह गीता के साथ अपने संबंधों से एक बेटा पैदा करना चाहते थे. पुलिस के मुताबिक श्यामलाल ने इस काम के लिए गीता को 20 लाख रुपए तक देने का वादा किया था. इस औफर के बाद ही गीता और हिमांशु ने अनुमान लगाया कि श्यामलाल के पास काफी रुपया है. गीता भी एकमुश्त रकम ऐंठ कर श्यामलाल से पीछा छुड़ाने की फिराक में थी. ऐसे में गीता और हिमांशु ने श्यामलाल की अश्लील वीडियो बना कर ब्लैकमेल करने और रुपए ऐंठने का प्लान बनाया था. गीता ने पूछताछ में पुलिस को बताया कि उस के श्यामलाल के साथ पिछले 12 सालों से अनैतिक संबंध थे.

श्यामलाल उसे हर माह 50 हजार से एक लाख रुपए खर्चा दे रहे थे. बुजुर्ग श्यामलाल की एक संस्था थी. वहीं दोनों की मुलाकात हुई थी. श्यामलाल की पत्नी का लगभग 20 साल पहले निधन हो गया था. उन की 2 बेटियों में से एक की शादी हो चुकी है, जबकि दूसरी अविवाहित थी. ऐसे में श्यामलाल अपने वंश को ले कर चिंतित रहते थे. 7 महीने पहले गीता की मुलाकात हिमांशु चौधरी से हुई, जो एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा था. वे दोनों करीब आ गए और शादी कर ली. इस के बाद श्यामलाल से गीता का मिलनाजुलना कम हो गया, जिस से श्यामलाल परेशान हो गए. जबकि वह अकसर गीता पर मिलने का दबाव डाल रहे थे.

उन्होंने बेटा देने के बदले गीता को 20 लाख रुपए देने की पेशकश कर दी थी. यही एक वजह श्यामलाल की मौत का कारण भी बन गई. किंतु जब हत्या के बाद श्यामलाल के मोबाइल फोन से खाते की डिटेल खंगाली तो उन के बैंक खाते खाली मिले. इस हत्याकांड में पुलिस की जांच में यह बात भी सामने आई कि जरूरत पूरी करने की चाहत में ही श्यामलाल, गीता और हिमांशु एकदूसरे के करीब आए थे. श्यामलाल को बेटा पैदा करने की चाहत थी तो गीता श्यामलाल से रुपए ऐंठना चाहती थी. वहीं हिमांशु भी गीता के जरिए अपनी आर्थिक तंगी दूर करना चाहता था.

गीता पहले ब्यूटीपार्लर चलाती थी, लेकिन एक बेटी की मां बनने के बाद उस ने काम बंद कर दिया था. रुपए की जरूरत वह श्यामलाल से पूरी करती रही. वैसे गीता जानती थी कि रुपए की जरूरत तो श्यामलाल ही पूरी कर सकते थे. इस मामले की जांच के समय गीता 5 महीने की गर्भवती पाई गई. उस के गर्भ में पल रही संतान हिमांशु की है या श्यामलाल की, इस संबंध में पुलिस ने मैडिकल जांच कराने की तैयारी कर ली थी. पुलिस जांच में यह भी सामने आया है कि गीता अब तक श्यामलाल से करीब 10 लाख रुपए से अधिक धनराशि ले चुकी थी. मृतक के नाम पर दून में करोड़ों की जमीन भी है.

श्यामलाल की हत्या के बाद जब रुपए भी नहीं मिले तो गीता और हिमांशु को अपने अपराध का बोध हुआ. इसी अपराध का पश्चाताप करने के लिए दोनों प्रयागराज गए थे. उन्होंने महाकुंभ में संगम में डुबकी लगाई. 4 दिनों तक साधुसंतों की शरण में रहे. वहीं खाना खाया और रातें गुजारीं. इस बीच दोनों दिल्ली पहुंचे और वहां से कुरुक्षेत्र होते हुए अमृतसर चले गए. उन के पास से तब तक बहुत सारे पैसे खर्च हो गए थे. रुपए न होने के चलते 200 रुपए में किराए का कमरा ले कर रहने लगे. कथा लिखे जाने तक एसएसआई योगेश दत्त द्वारा मामले की जांच जारी थी. योगेश दत्त द्वारा गीता व हिमांशु के खिलाफ सबूत एकत्र कर के अदालत में चार्जशीट दाखिल कर दी गई.

 

 

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