Punjab News : 33 वर्षीय रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी दिन भर तो मर्दों के लिबास में रहता था, मगर रात होते ही वह एक महिला की तरह साजशृंगार कर अपने शिकार की तलाश में निकल जाता था. फिर अपने शिकार का मर्डर कर लाश की पीठ पर एक शब्द लिखता था ‘धोखेबाज’. उस के बाद मृतक के पैरों को छू कर माफी मांगता था. इस तरह वह दरजन भर हत्याएं कर चुका था. विदेश से नौकरी कर के पंजाब लौटा रामस्वरूप कैसे बना सीरियल किलर?
पंजाब के जिला रूपनगर के एरिया निरंकारी भवन के पास एक कार काफी समय से संदिग्ध अवस्था में खड़ी रही तो आसपास के दुकानदारों और राहगीरों की भीड़ वहां पर एकत्रित हो गई. इन में से कुछ युवकों ने जब कार के भीतर झांका तो उन के जैसे होश ही उड़ गए, क्योंकि कार के भीतर एक युवक की लाश पड़ी थी. जिस के शरीर पर कोई भी कपड़ा नहीं था. तभी किसी राहगीर ने पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर यह जानकारी दे दी. चूंकि यह क्षेत्र रूपनगर के थाना सिटी के अंतर्गत आता था, इसलिए पुलिस कंट्रोल रूम से इस की इत्तला थाना सिटी को दे दी गई.
सूचना मिलते ही थाना सिटी की पुलिस तुरंत ही घटनास्थल पर पहुंच गई. अब तक आसपास काफी भीड़ जमा हो चुकी थी. पुलिस ने भीड़ को अलग करने के बाद कार के भीतर देखा तो उस में एक युवक की निर्वस्त्र लाश पड़ी हुई थी. किसी तरह कार का दरवाजा खोल कर पुलिस ने लाश कार से बाहर निकाली और उस का निरीक्षण किया तो लाश की पीठ पर ‘धोखेबाज’ लिखा हुआ था. पुलिस ने लाश का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. यह बात पिछले साल की 24 जनवरी की है. पुलिस द्वारा गहरी छानबीन करने के बाद पता चला कि वह लाश हरप्रीत सिंह उर्फ सन्नी की थी, जो रूपनगर के ही मोहल्ला जगजीत नगर का रहने वाला था.
उस के बाद थाना सिटी में अज्ञात हत्यारे के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज कर लिया गया. पुलिस ने पोस्टमार्टम कराने के बाद मृतक हरप्रीत सिंह की लाश को उस के फेमिली वालों को सौंप दी और केस की छानबीन में जुट गई, लेकिन 11 महीने बीतने पर भी हत्यारे का कोई भी सुराग पुलिस के हाथ नहीं आ सका. इसी तरह 6 अप्रैल, 2024 को रूपनगर जिले के ही गांव बारहा पिंड में पंजहेरा रोड के पास एक अज्ञात शव मिलने की खबर कीरतपुर साहिब पुलिस को मिली. पुलिस जब मौके पर पहुंची तो उस लाश के ऊपर भी कोई कपड़ा नहीं था. जब पुलिस ने लाश को कब्जे में ले कर छानबीन की तो उस अज्ञात लाश की नंगी पीठ पर भी ‘धोखेबाज’ लिखा हुआ था.
पुलिस द्वारा जब उस अज्ञात लाश की आसपड़ोस के गांवों में पहचान कराई गई तो पता चला कि यह लाश मुकंदर सिंह की थी. मुकंदर सिंह उर्फ बिल्ला पुत्र शाम लाल की उम्र 34 वर्ष थी और वह रूपनगर जिले के ही गांव बेगमपुरा (घनौली) जिला रूपनगर का निवासी था. वह ट्रैक्टर रिपेयङ्क्षरग का काम करता था. इस संबंध में मृतक के फेमिली वालों की ओर से थाना कीरतपुर साहिब में हत्या का मुकदमा दर्ज कर दिया गया. इन दोनों घटनाओं में हत्याओं का एक ही पैटर्न था. मृतकों की लाश पर कपड़े नहीं पाए गए थे और पीठ पर ‘धोखेबाज’ लिखा गया था. मगर एक चीज दोनों में अलग पाई गई थी.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के अनुसार, हरप्रीत सिंह की हत्या किसी कपड़े द्वारा गला घोंट कर की गई थी, जबकि मुकंदर सिंह उर्फ बिल्ला की हत्या किसी भारी वस्तु जैसे ईंटपत्थरों द्वारा पीटपीट कर की गई थी. मगर इस हत्या के कई महीने बीत जाने के बाद भी पुलिस हत्यारे को पकडऩे में कामयाब नहीं हो सकी थी. यह मामला जब पुलिस के आला अधिकारियों के पास पहुंचा तो डीजीपी गौरव यादव ने अधिकारियों की बैठक कर उन्हें हत्या के ये दोनों केस खोलने के उचित दिशानिर्देश दिए.
रूपनगर रेंज के डीआईजी हरचरण सिंह भुल्लर के निर्देशों के बाद जिला रूपनगर में जघन्य अपराधों के मामलों को सुलझाने के लिए सभी पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए. इस के बाद एसपी गुलनीत सिंह खुराना के सुपरविजन में एक विशेष पुलिस टीम का गठन कर दिया गया, जिस में एसपी नवनीत सिंह माहल, डीएसपी अजय कुमार और एसएचओ इंसपेक्टर जतिन कुमार को शामिल किया गया. 18 अगस्त, 2024 को पुलिस को 37 वर्षीय मनिंदर सिंह निवासी कीरतपुर साहिब का शव जियो पेट्रोल पंप, मनाली रोड के सामने झाडिय़ों में निर्वस्त्र मिला. मनिंदर सिंह टोल प्लाजा गोदरा पर एक चाय की दुकान चलाता था. मनिंदर सिंह के गले पर भी गला घोंटने के वही निशान थे. यानी कि उस की पीठ पर भी ‘धोखेबाज’ लिखा हुआ था.
यह सब देख कर पुलिस टीम को यह साफ हो गया था कि इस मर्डर के पीछे भी उसी सीरियल किलर का हाथ है, जो गला घोंट कर, पीटपीट कर मर्दों की हत्या करता है और बाद में उन की पीठ पर ‘धोखेबाज’ लिख देता है. अब यह सीरियल किलर एक चुनौती बन कर पुलिस के सामने आ चुका था. पुलिस फिर से तहकीकात में जुट गई. पुलिस ने अब रात की गश्त भी लगा दी थी, लेकिन कातिल अभी भी पुलिस की गिरफ्त से काफी दूर था. पुलिस 18 अगस्त, 2024 को हुए मनिंदर सिंह के मर्डर की तफ्तीश कर रही थी. पंजाब के रोपड़ के कीरतपुर साहिब में एक टोल प्लाजा है, उस के हाइवे पर एक चाय और खानेपीने की दुकान है और उसी दुकान के मालिक मनिंदर सिंह की लाश उस की दुकान के सामने की ओर झाडिय़ों में मिली थी.
पुलिस ने मौके पर पहुंच कर घटनास्थल की सूक्ष्मता से गहन जांचपड़ताल भी की, परंतु हत्या का कोई भी सूत्र पुलिस के हाथ नहीं आ पाया था. घटनास्थल के आसपास कोई सीसीटीवी कैमरा भी नहीं था. वहां पर काफी अंधेरा था. तभी मृतक के फेमिली वालों से गहन पूछताछ करने पर पुलिस टीम को यह जानकारी मिली कि जिस मनिंदर सिंह की हत्या हुई थी, उस का मोबाइल फोन न घर पर, न दुकान पर और न ही उस स्थान पर मिला था, जहां पर उस की लाश मिली थी. पुलिस टीम ने मृतक के फेमिली वालों से उस का फोन नंबर मांग कर उसे सर्विलांस पर लगा दिया, जिस से पुलिस को पता चला कि मृतक मनिंदर सिंह का फोन ऐक्टिव था और इस मोबाइल फोन का इस्तेमाल भी हो रहा था.
पुलिस ने सर्विलांस के सहारे उस व्यक्ति को पकड़ लिया, जो मृतक के फोन का इस्तेमाल कर रहा था. पुलिस ने उसे तुरंत गिरफ्तार कर लिया. पुलिस को अब पूरा यकीन हो गया था कि उन्होंने आरोपी को पकड़ लिया है और मनिंदर सिंह मर्डर केस सौल्व कर लिया है. लेकिन जब पुलिस ने मोबाइल फोन इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति से विस्तार पूछताछ की तो उस ने पुलिस को बताया कि मैं ने यह मोबाइल फोन तो किसी से सेकेंडहैंड खरीदा है. इंसपेक्टर जतिन कुमार पुलिस ने उस व्यक्ति से पूछा, ”यह मोबाइल फोन तुम ने किस से खरीदा? उस की हुलिया, कदकाठी कैसी थी?’’
”साहब, उस आदमी का हुलिया बड़ा विचित्र था.’’ उस व्यक्ति ने बताया.
”कैसा विचित्र हुलिया?’’ इंसपेक्टर ने पूछा.
उस व्यक्ति ने बताया, ”साहब, जिस ने मुझे यह मोबाइल फोन बेचा था, वह असल में था तो एक पुरुष, लेकिन उस ने कपड़े, अपना सारा साजशृंगार एक महिला की तरह कर रखा था. उस ने तो अपने सिर पर पल्लू भी डाला हुआ था. लिबास से तो वह पूरी तरह से एक सुंदर महिला की तरह नजर आ रहा था, परंतु जब उस ने मेरे साथ बातचीत की तो मुझे पता चला कि वह तो एक पुरुष है.’’
पुलिस टीम ने फिर उस गिरफ्तार व्यक्ति से उस पुरुषनारी मिक्स चेहरे, उस की ऊंचाई, उस की बनावट के बारे में विस्तार से बताने को कहा और वहां पर एक स्केच आर्टिस्ट को भी बुलवा लिया गया. उस गिरफ्तार व्यक्ति के बताए अनुसार पुलिस ने उस संदिग्ध का एक स्केच तैयार करवाया और उस स्केच को उस इलाके और आसपास के इलाकों, थानों में भिजवा कर एरिया के सभी मुखबिरों को भी काम पर लगा दिया. उस इलाके के सीमावर्ती जिलों के थानों व सभी एरिया में उस संदिग्ध व्यक्ति के स्केच को जगहजगह चस्पा कर दिया गया, जिस का परिणाम एकदम सामने भी आ गया. मुखबिर के द्वारा पुलिस टीम को यह सूचना मिली कि इसी हुलिए का एक आदमी रोपड़ के इलाके में घूमता हुआ पाया गया है.
उस के बाद उस स्केच के सहारे पुलिस ने उस संदिग्ध व्यक्ति को रूपनगर जिले के गांव भरतगढ़ से अपनी हिरासत में ले लिया. उस का नाम रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी था. पंजाब पुलिस को अब तक यह यकीन हो चुका था कि उन्होंने कीरतपुर साहिब के मनिंदर सिंह के मर्डर का केस अब तो सौल्व कर ही लिया है, लेकिन थाने में जब पुलिस ने सोढ़ी से पूछताछ की तो जब धीरेधीरे उस ने जो कुछ भी पुलिस को बताया तो उसे सुन कर तो पुलिस के भी होश उड़ गए थे.
क्योंकि पंजाब पुलिस ने जिसे कातिल समझ कर गिरफ्तार किया था, वह तो एक ऐसा सीरियल किलर निकल कर सामने आया, जिस ने पिछले डेढ़ साल में कुल 11 हत्याओं को अंजाम दिया था. ताज्जुब की बात तो यह थी कि वह कातिल जोकि एक सीरियल किलर भी था, वह अब तक भी पुलिस की रडार तक में नहीं आ पाया था. 4 महीने पहले होशियारपुर-फगवाड़ा बाईपास पर रेलवे फाटक पर वार्ड नंबर 20 के पार्षद जसवंत राय काला के भाई गुरनाम राम उर्फ गामा निवासी आदर्श कालोनी, पिपलांवाला, जिला होशियारपुर की हत्या की बात भी रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी सीरियल किलर ने स्वीकार कर ली है.
गुरनाम राम उर्फ गामा होशियारपुर-फगवाड़ा बाईपास पर स्थित रेलवे क्रासिंग पर एक ढाबा चलाता था. वैसे तो हर रोज रात को वह अपने घर पर सोने के लिए आ जाया करता था, लेकिन कत्ल वाली रात वह अपने ढाबे पर ही सो गया था. अकसर जब उसे रात को ढाबा बंद करने में देर हो जाया करती थी तो वह उस रात अपने ढाबे पर ही सो जाता था. अगली सुबह जब उस के ढाबे पर कुछ लोग गए तो उन्होंने देखा कि गुरनाम राम उर्फ गामा का शव चारपाई के नीचे पड़ा था और उस के गले में कुछ निशान भी स्पष्ट नजर आ रहे थे.
जब गामा के मर्डर की सूचना उस के पार्षद भाई जसवंत राय को मिली तो वह भी तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए और उन्होंने इस की सूचना तुरंत पुलिस को दे दी. थोड़ी ही देर के बाद पुलिस भी मौके पर पहुंच गई थी. पुलिस व फेमिली वालों ने घटनास्थल पर जांच की तो पता चला कि मृतक गुरनाम राम का पर्स व स्कूटी भी मौके पर मौजूद नहीं थे. इन हालात को देखते हुए मृतक के फेमिली वालों ने शक जताया था कि लूट की नीयत से गामा की हत्या की गई थी. बाद में सीरियल किलर रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी ने गामा के मर्डर की बात भी स्वीकार कर ली है.
इस संबंध में एसएसपी होशियारपुर ने कहा कि इस संबंध में उन्हें रोपड़ पुलिस ने जानकारी दी है और आरोपी रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी को अब प्रोडक्शन वारंट पर पूछताछ के लिए होशियारपुर लाने की काररवाई शुरू कर दी, ताकि मामला और अधिक साफ हो सके. 33 वर्षीय रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी गांव चौरा, थाना गढ़शंकर जिला होशियारपुर पंजाब का रहने वाला है. उस ने 10वीं तक की पढ़ाई की थी. रामस्वरूप बचपन से ही समलैंगिक था, उसे बचपन में लड़कियों की तरह के कपड़े पहनने, लड़कियों की तरह चलने और उन की तरह ही सजने और संवरने का मन करता था.
बचपन के दिनों में भी रामस्वरूप पड़ोस की लड़कियों के कपड़े पहन कर जब सजनेसंवरने लगता था, आंखों में काजल और होंठों पर लिपस्टिक लगा लेता था और उस के बाद जब वह शीशे में अपना चेहरा देखता तो उसे एक असीम खुशी मिलती थी. उसे ऐसा करता देख जब पेरेंट्स ने देखा तो उस की पिटाई भी की थी. एक बार जब वह नवीं क्लास में था तो उस साल वह अपनी शैतानियों व खेलकूद में मस्त रहने के कारण फेल भी हो गया था. रामस्वरूप घर का इकलौता बेटा था, इसलिए पेरेंट्स चाहते थे कि वह खूब अच्छी पढ़ाई करे और गांव के अन्य लोगों की तरह विदेश में जा कर अच्छी नौकरी करे. इसलिए जब वह नवीं कक्षा में फेल हो गया था तो उस के पेरेंट्स ने उस की जम कर पिटाई भी की थी और उसे पढ़ाई के महत्त्व को समझाया था.
इस का परिणाम अच्छा रहा. रामस्वरूप ने अगले साल नवीं कक्षा पास कर ली और उस के बाद दसवीं कक्षा भी पास कर ली. इस के बाद वह बड़े ट्रक चलाने की ट्रेनिंग लेने लगा, ताकि विदेश में जा कर नौकरी पा सके. उस के बाद पंजाब के अन्य युवाओं की तरह रामस्वरूप ने भी विदेश जा कर पैसा कमाने के बारे में कोशिश करनी शुरू कर दी. रामस्वरूप ने अपना पासपोर्ट बनवाया और नौकरी करने दुबई चला गया. दुबई में जा कर उस ने एक साल अच्छे से नौकरी भी की. इस बीच वह अपने पेरेंट्स को भी हर महीने पैसे भेजता रहता था, लेकिन दुबई में रहने के एक साल के बाद वह ऐसे कुछ लोगों के संपर्क में आया, जो समलैंगिक अर्थात ‘गे’ थे. वह वहां पर गया तो उसे ये अच्छा लगने लगा और वह दुबई के एक ‘गे’ क्लब में शामिल हो गया.
इस के बाद रामस्वरूप के पेरेंट्स ने उसे घर बुलवा लिया, क्योंकि वह पिछले 2 सालों से अपने घर भी नहीं आया था और घर पर कभीकभार ही पैसे भेजता था. उस के बाद रामस्वरूप वापस अपने गांव आ गया. घर पर वह एक महीने तक रहा, लेकिन फिर अपने गांव से उस का मन उचटने लगा. इस बार उस ने अपना नया वीजा कतर के लिए बनवा लिया और फिर कतर चला गया. कतर जाने के बाद उस ने वहां पर कुछ साल मन लगा कर काम किया. इस दौरान वह नियमित रूप से अपने पेरेंट्स को पैसे भेजता रहता था, जिस के कारण गांव में उस के फादर ने एक नया घर भी बनवा लिया था. खेती तो उन की गांव में थी ही. अब उन्होंने अपनी जमीन भी ठेके पर दे दी थी.
रामस्वरूप को विदेश भेजने के लिए उस के फादर ने गांव के कुछ लोगों से जो कर्ज लिया था, उसे भी चुकता कर दिया गया. इस के बाद जब उस के पेरेंट्स को रामस्वरूप पर भरोसा हो गया कि अब वह काफी समझदार हो गया है तो उन्होंने फिर से वापस गांव बुला लिया. गांव आने के बाद उस के फादर ने पास के गांव की एक लड़की से रामस्वरूप का विवाह कर दिया. रामस्वरूप अब गांव में अपनी खेती का काम खुद देखने लगा था. उस के पिता भी उस के साथ काम में हाथ बंटाते रहते थे. उस के फादर ने अब गांव में एक दुकान भी खोल ली थी और अच्छे नस्ल की गाय और भैंसें भी खरीद ली थीं. जमीन तो उन के पास पहले से ही थी. चारे की कोई कमी नहीं थी, इसलिए उन का दूध का काम भी अच्छा चलने लगा. इस बीच रामस्वरूप 3 बच्चों का बाप भी बन चुका था.
घर में सब कुछ ठीकठाक चल रहा था. रामस्वरूप को बेटी की उम्र भी 11 साल की हो गई थी. लेकिन तभी रामस्वरूप को शराब और ड्रग्स की बुरी लत लग गई. उस का व्यवहार भी अब काफी बदलने सा लगा था. जब वह नशे में हो जाता तो उस का मन विचित्र कुंठा से भर जाता था. नशे के कारण उस ने एकएक कर के घर के सामान, गाय, भैंसों को भी बेचना शुरू कर दिया था. एक दिन वह नशे में घर पर आया, तब तक रात के 12 बजे का समय हो गया था. रामस्वरूप के पेरेंट्स, बच्चे, पत्नी सभी सो चुके थे. उस ने दरवाजा खटखटाया तो पत्नी की नींद एकदम से खुल गई.
उस ने रामस्वरूप से खाने के लिए पूछा तो वह होटल से खाना खा कर आया था और शराब और ड्रग्स के नशे में धुत था. वह खींच कर अपनी पत्नी को दूसरे कमरे में ले गया. कमरे में आ कर उस ने तुरंत दरवाजा अंदर से बंद कर दिया और बाज की तरह झपट्टा मार कर अपनी पत्नी पुष्पा (परिवर्तित नाम) को बुरी तरह से दबोच लिया. उस ने पहले पुष्पा के संवेदनशील अंगों पर दांत गड़ा दिए, फिर उसे निर्वस्त्र करने के बाद अपनी जेब से जैल निकाला और पुष्पा के साथ अप्राकृतिक कृत्य करने लगा.
काफी देर तक तो पुष्पा संकोचवश अपने दांतों को भींच कर इस भयंकर दर्द से छटपटाती रही, लेकिन जब पीड़ा बढ़ती गई, उसे अब ऐसा लग रहा था मानो उस का पूरा शरीर फट रहा है तो वह जोरजोर से चीखनेचिल्लाने लगी, लेकिन रामस्वरूप अपने मन की करता रहा. जब वह पूरी तरह से संतुष्ट हो गया, तभी उस ने पुष्पा को मुक्त किया. अपनी संतुष्टि के बाद रामस्वरूप कमरे से बाहर निकल कर अपने गांव के दोस्त के घर पर जा कर सो गया. पुष्पा की सास अब तक पुष्पा की चीखपुकार को सुन कर कमरे में आ चुकी थी, लेकिन जब बहू ने सास को बताया कि उन का बेटा अपनी बहू के साथ पशुवत व्यवहार करने लगा है तो उसे सुन कर सास की भी सांसें थम सी गई थीं.
सास ने यह बात अपने पति को बताई तो उन्होंने भी अपना सिर पीट लिया. इस के बाद रामस्वरूप के फादर ने सोचा कि एक बार जमीनजायदाद से बेदखल करने का डर दिखाते हैं, उस के बाद शायद यह ठीक हो जाए. यही सोच कर उस के फादर ने कानूनी रूप से बेदखली की औपचारिकताएं पूरी करते हुए उसे अपनी जमीनजायदाद से बेदखल कर दिया. रामस्वरूप के फादर का यह मानना था कि उन का तो एक ही बेटा है. शायद बेदखल के डर से अपनी बुरी आदतों को छोड़ कर वापस अपने घर लौट आएगा, लेकिन उन की यह सोच किसी भी काम न आ सकी. रामस्वरूप सुधरने के बजाए और भी बिगड़ता चला जा रहा था. वह तो अब अपने पेरेंट्स और पत्नी को जान से मारने की धमकी भी देने लगा था.
आसपड़ोस के लोगों से लड़ाईझगड़ा करने, लोगों से उधार ले क र उस को चुकता न करने की रोजरोज शिकायतें उन के घर पर आने लगी थीं. इस के अलावा अपने नशे के लिए वह अब तक अपने सभी मवेशियों को बेच चुका था. अब रामस्वरूप के फादर को लगा कि यदि इस का ऐसा ही हाल रहा तो यह अपनी सारी जमीन और जायदाद भी बेच देगा और अब रामस्वरूप के पेरेंट्स वृद्धावस्था की ओर भी बढऩे लगे थे. उन्होंने सोचा कि हम दोनों के मरने के बाद तो रामस्वरूप अपने बीवीबच्चों को भी सड़क पर भीख मांगने के लिए मजबूर कर सकता है.
इसलिए एक रोज अपने दिल पर पत्थर रखते हुए पेरेंट्स ने पहले तो रामस्वरूप की जम कर पिटाई की, फिर उस के फादर ने रामस्वरूप को हाथ जोड़ते हुए आखिरकार कह ही दिया, ”बेटा रामस्वरूप, अब हम तुम्हारी हरकतों से बहुत दुखी और परेशान हो चुके हैं. हम ने तुम्हें अपनी जमीनजायदाद से भी बेदखल कर दिया है. हमारी तुम से यही विनती है कि तुम अब इस घर से सदासदा के लिए नाता तोड़ दो. हम और तुम्हारी पत्नी व बच्चे तक भी अब तुम्हारी शक्ल भी देखना नहीं चाहते हैं.’’ कहते हुए उन्होंने दरवाजा बंद कर दिया था. यह बात जनवरी 2022 की है.
घर से निकाले जाने के बाद रामस्वरूप ने शरम के मारे अपने गांव को भी सदा के लिए अलविदा कह दिया था. कुछ दिन तो वह खानाबदोशों की तरह इस गांव से उस गांव भटकता रहा. उसे शराब की भी लत लग चुकी थी, उसे जिंदा रहने के लिए अब पैसों की भी जरूरत हो रही थी. भीख मांगमांग कर वह आखिर कब तक गुजारा कर सकता था. शराब के बिना एक पल भी जीना अब उस के लिए दूभर सा होता जा रहा था. फिर यहीं से एक आम आदमी से उस के सीरियल किलर बनने की शुरुआत हुई. अब वह ट्रक चालकों से लिफ्ट ले कर इधरउधर घूमता और भटकता रहता था. उस ने वहां पर देखा कि ‘गे’ या समलैंगिक लोग लंबी दूरी की गाडिय़ों में, बसों में और ट्रकों में सैक्स वर्कर के रूप में काम कर के काफी अच्छा पैसा कमा रहे थे.
रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी एक बार जब सब से पहले दुबई गया था तो वह वहां पर एक ‘गे’ क्लब में शामिल भी हुआ था. इस के लिए उसे अनुभव भी था. उस ने सोचा कि क्यों न वह भी एक सैक्स वर्कर के तौर पर अपने अनुभव का इस्तेमाल करे. उसे अब अपनी दिनचर्या चलाने, शराब पीने और खुद को जिंदा रखने के लिए पैसों की बेहद जरूरत भी थी, इसलिए उस ने ‘गे’ के रूप में सैक्स वर्कर बनने का अंतिम फैसला कर लिया. इस के लिए वह दिन में तो एक सामान्य पुरुष की तरह ही रहता था, लेकिन रात होते ही वह मर्दों का लिबास बदल कर औरतों के कपड़े और औरतों की तरह ही साजशृंगार कर के जिला रूपनगर, जिला रोपड़, फतेहपुर साहिब और होशियारपुर की सड़कों पर रात को अपने ग्राहकों की तलाश करने निकल पड़ता था और फिर कहीं पर सड़क के किनारे खड़ा हो जाता था.
जब वह देखता कि कोई मर्द अपनी गाड़ी में अकेला है तो वह उस से लिफ्ट मांग लेता और गाड़ी में बैठने के कुछ देर बाद वह उस मर्द से बात करता कि क्या वह ‘गे’ सैक्स करना चाहता है. मर्द द्वारा इकरार करने पर वह फिर उस से पैसों की बात करता और फिर आखिरकार एक रकम पर उन का समझौता हो जाता था. एक तरह से रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी अब जिस्मफरोशी का धंधा करने लगा था. जून, 2023 को भी रोपड़ के पास सड़क पर रामस्वरूप महिला का वेश बना कर लिफ्ट का इंतजार करने लगा और फिर एक ने उसे अपनी गाड़ी में लिफ्ट दे दी. कुछ दूर आगे चलने के बाद जब सुनसान सड़क आई तो दोनों के बीच डेढ़ सौ रुपए में धंधे की बात भी हुई. डेढ़ सौ रुपए में जिस्म का सौदा हुआ. गाड़ी वाला मान भी गया.
उस के बाद दोनों के बीच जिस्मानी संबंध भी बने. काम पूरा होने के बाद रामस्वरूप ने गाड़ी वाले से अपने पैसे मांगे तो गाड़ी वाले ने उसे गाड़ी से उतरने को कहा और उसे 100 रुपए का नोट पकड़ा कर गाड़ी से नीचे धक्का दे कर गिरा दिया. रामस्वरूप को उस की इस हरकत पर काफी गुस्सा आ गया. वह हमेशा अपने कंधे पर अंगोछा डाले रखता था. वह तुरंत गाड़ी में चढ़ा और फुरती से ड्राइवर का गला घोंट कर उसे मौत की नींद सुला दिया. ड्राइवर ने अभी पूरे कपड़े पहने भी नहीं थे. मर्डर करने के बाद रामस्वरूप ने उस के सारे कपड़े उतार दिए और उस की पीठ पर लिख दिया ‘धोखेबाज’. फिर उस के पैर छूने के बाद रामस्वरूप वहां से चला गया.
यह रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी का पहला कत्ल था. पुलिस घटनास्थल पर आई, तफ्तीश भी की. इस के बाद पूरे डेढ़ साल भी बीत गया, लेकिन कातिल का पता नहीं चल सका और पुलिस ने वह फाइल ही क्लोज कर दी. बस, फिर यहीं से कत्ल का सिलसिला शुरू हो गया. रामस्वरूप हर रात को महिला के वेश में सड़क के किनारे खड़ा हो जाता और फिर गाड़ी रुकवा कर ग्राहक से सौदा करता. कई बार तो ऐसा भी हुआ कि ग्राहक शराफत से अपने किए गए वादे के अनुसार पैसे दे कर चला जाता तो वह कत्ल से बच भी जाता. अगर ग्राहक अपने वादे के अनुसार पैसे नहीं देता तो फिर रामस्वरूप अपने गले में बांधे अंगोछे से ग्राहक को सदासदा के लिए मौत की नींद सुला देता था.
बहुत सारे मामलों में ऐसा भी हुआ कि रामस्वरूप का ग्राहक से झगड़ा नहीं हुआ, सब कुछ प्रेम से निपट गया और इस तरह उन सारे ग्राहकों की जान भी बच गई थी. लेकिन इस के विपरीत जिनजिन लोगों के साथ रामस्वरूप का झगड़ा हुआ, उन में से किसी की भी जान बच नहीं सकी थी, क्योंकि रामस्वरूप ने या तो अंगोछे से या घटनास्थल पर मौजूद ईंटपत्थरों से पीटपीट कर उन सब की जान ले ली थी. हर हत्या के बाद वह प्रायश्चित कर मृतक के पैर छूता था.
18 अगस्त, 2024 को रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी कीरतपुर साहिब पहुंचा. वहां पर टोल प्लाजा के पास एक चाय की दुकान थी. उस दुकान का मालिक 37 वर्षीय मनिंदर सिंह था. उस समय दुकान में सभी ग्राहक जा चुके थे. मनिंदर सिंह भी दुकान बंद कर रहा था, तभी रामस्वरूप वहां पर महिला के वेश में जा पहुंचा. उस ने घूंघट भी डाला हुआ था. इशारों ही इशारों में दोनों के बीच गुप्त बातचीत हुई, उस के बाद पैसों की बातचीत हुई. आपस में संबंध भी बने, लेकिन इस के बाद पैसों को ले कर दोनों के बीच झगड़ा हो गया. रामस्वरूप हमेशा नशे में रहता था और जो क भी ग्राहक पैसे देते समय उस को परेशान करता या जलील करता था तो रामस्वरूप गुस्से में आ कर अंगोछे से उसे मार डालता था.
यहां पर भी रामस्वरूप ने यही किया और उस ने अंगोछे से गला घोट कर मनिंदर सिंह की जान ले ली और वहां से निकलने लगा. यहीं पर इस क्रूर सीरियल किलर से एक बहुत बड़ी गलती भी हो गई. उस की नजर जमीन पर पड़े मृतक मनिंदर सिंह के मोबाइल पर पड़ी, जो काफी कीमती लग रहा था. रामस्वरूप उस मोबाइल फोन को अपने साथ ले गया, जिसे उस ने एक आदमी को बेच दिया. जिस के कारण आखिरकार वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया.
इस के बाद पुलिस इन सारे इलाकों में उन लावारिस लाशों की गहन जांचपड़ताल में जुट गई, खासकर जिन की हत्या गला घोंट कर की गई थी या ईंटपत्थरों से हुई थी. क्योंकि सीरियल किलर रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी के बयान के अनुसार वह कभी भी अपने साथ हथियार ले कर नहीं चला. बस जब कोई ग्राहक पैसों के लेनदेन में झगड़ा करता या उस के ऊपर छींटाकशी करता तो उसे एकदम से गुस्सा आ जाता था. वह उन का मर्डर कर देता था. पुलिस रामस्वरूप द्वारा की गई 9 हत्याओं को वेरिफाई कर चुकी थी.
ऐसा ही एक केस कई साल पहले दिल्ली में भी सामने आया था, जहां पर एक सीरियल किलर ने कई दरजन लोगों की हत्याएं की थीं. उस के बाद उस ने और कितने लोगों को मारा, यह उसे भी याद नहीं था. दरअसल, ऐसे लोग मानसिक रोगी हो जाते हैं, उन्हें पता ही नहीं चलता कि वे नशे में क्या कर बैठे हैं. पंजाब की यदि बात की जाए तो पंजाब में दरबारा सिंह के बाद रामस्वरूप उर्फ सोढ़ी ऐसा दूसरा सीरियल किलर है, जिस ने 11 से अधिक हत्याएं की थीं. दरबारा सिंह बच्चों का मर्डर करता था. सैक्स के अनुसार बना रखी हैं कई कैटेगरीज
आज की इस अद्भुत दुनिया में स्त्री, पुरुष और किन्नर के बीच में भी बहुत सारे जेंडर हैं. अगर किसी पुरुष का आकर्षण किसी महिला महिला की ओर है और वह केवल किसी महिला के साथ ही यौन संबंध बनाता है तो ऐसे लोगों को स्ट्रेट कहते हैं. यही बात महिलाओं के बारे में भी है. जब कोई महिला किसी पुरुष के साथ शारीरिक संबंध बनाती तो उसे भी स्ट्रेट कहा जाता है. अब बात यदि हम अन्य जेंडरों की करें तो वे हैं एल, जी, बी, टी, क्यू, ए और आई होते हैं. एल यानी लेस्बियन: लेस्बियन का मतलब होता है कि जब कोई युवती अथवा महिला दूसरी युवती या महिला की ओर आकर्षित रहती है तो इन्हें समलैंगिक महिलाएं कहा जाता है. लेस्बियन सैक्स के दौरान दोनों पार्टनर केवल महिलाएं ही रहती हैं.
जी यानी गे: ऐसे युवक या पुरुष जो केवल किसी युवक या पुरुष के साथ यौन संबंध बनाते हैं और उन की तरफ आकर्षित होते हैं तो उन को ‘गेÓ कहा जाता है. इन्हें समलैंगिक पुरुष कहा जाता है. ‘गेÓ सैक्स के दौरान दोनों पार्टनर केवल पुरुष ही रहते हैं. समलैंगिक महिला या पुरुष का पता समाज को तब तक नहीं चल पाता, जब तक कि वह इस का रहस्य खुद न उजागर करें. बहुत से समलैंगिंग पुरुष अथवा महिला अपनी इच्छा न होने पर भी विवाह करते हैं और अपना घरपरिवार बसाते हैं. जीवन भर समाज उन की असली पहचान पता नहीं लगा पाता है, वे खुद भी न तो समझ पाते हैं और न ही यह स्वीकार भी कर पाते हैं कि ये लेस्बियन या ‘गेÓ हैं.
बी यानी बाइसैक्सुअल: ऐसे पुरुष या महिला, जो दोनों के प्रति आकर्षित होते हैं यानी कि महिला और पुरुष दोनों के साथ सैक्स संबंध बनाते हैं, उन्हें बाइसैक्सुअल कहा जाता है. लड़के और लड़कियां दोनों बाइसैक्सुअल होते हैं. टी यानी ट्रांसजेंडर: जब जन्म से शरीर पुरुष का हो, लेकिन वह खुद को लड़की अथवा महिला जैसा महसूस करता हो अथवा शरीर तो महिला का हो लेकिन उसे खुद पुरुष जैसा महसूस होता हो तो उन्हें ट्रांसजेंडर कहते हैं. कभीकभी तो पुरुष स्त्री और स्त्री पुरुष बन जाते हैं. क्यू यानी क्वीपर: क्वीपर का शाब्दिक अर्थ होता है अजीब, यानी कि कुछ लोग यह तय नहीं कर पाते कि वे किस के साथ शारीरिक संबंध बनाना चाहते हैं. महिला से या पुरुष से, इन्हें ‘क्वीपरÓ कहा जाता है.
आई यानी इंटरसैक्स: जब शारीरिक रूप कोई इंसान न तो महिला होता है और न ही पुरुष, इन के गुप्तांगों की पहचान स्पष्ट नहीं होती तो उन्हें इंटरसैक्स कहते हैं. इन को आम भाषा में किन्नर अथवा हिजड़ा कहा जाता है. ए यानी एसैक्शुअल: ऐसे लोग जिन में किसी के भी प्रति यौन आकर्षण नहीं होता, उन्हें किसी के साथ भी सैक्स संबंध बनाने की चाहत नहीं होती तो उन्हें एसैक्शुअल कहा जाता है.