Delhi News : अपने पेरेंट्स की मरजी के खिलाफ पायल ने प्रेमी ऋतिक के साथ भाग कर शादी कर ली थी. फिर वह ऋतिक के साथ दिल्ली की जगतपुरी में रहने लगी. बाद में पेरेंट्स भी गुस्सा थूक कर बेटी के प्रति नरम हो गए. इसी बीच किसी ने ऋतिक की हत्या कर दी. आखिर किस ने और क्यों की ऋतिक की हत्या?

सूरज और विशाल उर्फ विशू बाइक से एक जरूरी काम से पूर्वी दिल्ली के गांधी नगर जा रहे थे कि रास्ते में ही सूरज के मोबाइल की घंटी बजने लगी.

”भैया, तुम्हारे मोबाइल पर किसी की काल आ रही है.’’ बाइक पर पीछे बैठे विशाल ने सूरज से कहा.

”हां.’’ सूरज ने कहते हुए बाइक को एक तरफ सड़क पर लगा दिया और जेब से मोबाइल निकाल कर देखा. घंटी रुक गई थी, लेकिन उस पर शिवम की मिस्ड काल दिखाई दे रही थी.

”शिवम की काल है.’’ सूरज ने अपने भाई विशाल से कहा, ”शायद वह दोबारा काल करेगा, तब तक तुम एक सिगरेट जलाओ, तलब लगी है.’’

विशाल ने सिगरेट निकाल कर जलाई ही थी कि शिवम की फिर से काल आ गई.

सूरज ने काल रिसीव की, ”हैलो, मैं सूरज बोल रहा हूं शिवम.’’

”कैसे हो सूरज?’’ शिवम ने पूछा.

”अच्छा हूं. तू बता कैसा है?’’

”मैं ठीक नहीं हूं यार, मन बहुत बेचैन है आज.’’ शिवम ने कहा, ”तुम इस समय कहां हो?’’

”मैं पुराने लोहिया पुल पर हूं. मेरे साथ मेरा भाई विशाल भी है. मैं एक काम से गांधी नगर जा रहा था. तुम बोलो, तुम्हारा मन क्यों बेचैन है?’’

”तुम मुझ से मिलने आ जाओ. मैं बैठ कर बताऊंगा.’’

”क्या इसी वक्त आना जरूरी है शिवम, शाम को आऊं तो नहीं चलेगा क्या?’’

”नहीं, तुम अभी आ जाओ. विशाल को साथ लेते आओ.’’ शिवम की ओर से कहा गया, ”मैं तुम्हें लोनी गोल चक्कर के पास मिलूंगा.’’

”अगर बहुत जरूरी है तो मैं बाइक मोड़ लेता हूं, लेकिन भाई तुम्हें पिलानी पड़ेगी आज.’’

”मैं तुम्हें शराब के ड्रम में डुबकी लगवा दूंगा सूरज.’’ शिवम की तरफ से कहा गया तो सूरज हंस पड़ा, ”देखता हूं. मैं तुम्हारे पास 20 मिनट में पहुंच जाऊंगा.’’

सूरज ने काल डिसकनेक्ट कर मोबाइल जेब के हवाले किया और भाई विशाल से बोला, ”विशू हम बाद में कपड़े खरीदेंगे. अभी तो शिवम बुला रहा है, वह शराब पिलाने की बात भी कर रहा है. पहले हम वहां चलते हैं.’’ सूरज ने कहने के बाद बाइक स्टार्ट कर के वापसी के लिए घुमा दी. अब वे लोनी गोल चक्कर की तरफ जा रहे थे.

शिवम गोल चक्कर पर अकेला नहीं था. उस के साथ सोनू भी था. सूरज और विशाल वहां पहुंचे तो शिवम ने वहां के ठेके से शराब की एक बोतल खरीद ली और नमकीन तथा 4 डिसपोजल गिलास भी खरीद कर दोस्तों के साथ एक पार्क की ओर बढ़ गया. लोनी गोल चक्कर पर स्थित इस पार्क में ज्यादा चहलपहल नहीं थी. शिवम एक एकांत सा कोना देख कर वहां बैठ गया.

सूरज, विशाल और सोनू उस के इर्दगिर्द बैठ गए. सूरज की तरफ शिवम ने बोतल बढ़ा दी और पैग बनाने के लिए कह दिया. सूरज पैग बनाने लगा. शिवम उसे बहुत खामोश दिखाई दे रहा था. उस के चेहरे पर दोस्तों से मिलने वाली खुशी नहीं झलक रही थी.

”क्या बात है शिवम, तुम बहुत उदास लग रहे हो?’’ सूरज ने पूछा.

”बात ही ऐसी है सूरज, मैं और मेरे फेमिली वाले आज खुद को बहुत शॄमदा महसूस कर रहे हैं.’’ शिवम के स्वर में उदासी थी.

”हुआ क्या है, कुछ खुल कर तो बताओ शिवम.’’ पैग बना कर एकएक पैग दोस्तों की तरफ बढ़ाते हुए सूरज ने पूछा.

”यार, वो ऋतिक 2 कौड़ी का आदमी हमारे घर आ कर हमारी बेइज्जती कर गया है. मुझे तो अपने अपमान की चिंता नहीं है, लेकिन मम्मीपापा की इज्जत कोई धूल में मिलाए, यह मैं बरदाश्त नहीं कर सकता हूं.’’

”तू उसी की बात कर रहा है न शिवम, जो तुम लोगों के चेहरे पर कालिख पोत गया था.’’

”हां, तू तो जानता है सूरज,’’ शिवम दुखी मन से बोला.

”तो ऋतिक का इलाज क्यों नहीं करते हो यार.’’ सूरज कुढ़ कर बोला, ”इस टेंशन को जड़ से खत्म करना ही इस समस्या का उपाय है.’’

”तू मेरा सच्चा दोस्त है सूरज. मेरे मन में भी यही है, लेकिन यह काम बहुत होशियारी से करना होगा.’’

”तू चिंता मत कर. हम 4 हैं और वह अकेला है.’’

”उस की लाश भी तो ठिकाने लगानी पड़ेगी सूरज,’’ शिवम धीरे से बोला, ”मैं नहीं चाहता कोई पुलिस का लफड़ा पड़े.’’

”नहीं पड़ेगा. मैं जो प्लान बता रहा हूं, उस से पुलिस तो क्या उस के फरिश्ते भी हम तक नहीं पहुंच पाएंगे.’’ सूरज ने कहा और वह धीरेधीरे उन लोगों को अपना प्लान बताने लगा.

7 मार्च, 2025 शुक्रवार की सुबह कैलाश कालोनी के पास में डीडीए की खाली पड़ी जमीन की झाडिय़ों में एक युवक का शव पड़ा हुआ था, जिसे एक बुजुर्ग ने देखा. शव को देखते ही वह बुजुर्ग घबरा कर चीख पड़ा, ”लाश… यहां पर लाश पड़ी हुई है.’’

उस की आवाज कुछ दूर खड़े एक व्यक्ति ने सुनी तो वह उत्सुकतावश तेजी से बुजुर्ग के पास आ गया.

”कहां है लाश?’’ उस व्यक्ति ने पूछा.

”उन झाडिय़ों में पड़ी है बेटा… पता नहीं कौन अभागा है, जिसे मार कर यहां पर फेंक दिया गया है.’’

वह व्यक्ति लपक कर झाडिय़ों के पास आया. झाडिय़ों के पीछे एक युवक की लाश उसे दिखाई दे गई. युवक का चेहरा बुरी तरह कुचल दिया गया था, इस कारण उसे पहचाना नहीं जा सकता था. वह व्यक्ति वहां से हट कर कालोनी में आ गया और उस ने झाडिय़ों में लाश पड़ी होने की जानकारी झाड़ू मार रही 2 औरतों को दे दी. लाश मिलने की खबर आसपास फैल गई. लोगों की भीड़ डीडीए की उस खाली जमीन में आने लगी. देखते ही देखते लाश के पास काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. एक व्यक्ति ने इस लाश की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को दे दी.

आधा घंटा में ही पुलिस की वैन सायरन बजाती हुई वहां आ गई. पुलिस को देखते ही वहां एकत्र भीड़ एक तरफ हो गई. पुलिस ने नीचे उतर कर भीड़ को पीछे किया. पुलिस वैन से इंसपेक्टर वेद प्रकाश नीचे उतरे. उन्होंने लाश को करीब जा कर देखा. लाश 20-21 साल के युवक की थी. उस के गले पर गहरा घाव था. इस से अनुमान लगाया गया कि युवक का किसी धारदार हथियार से गला रेता गया है. युवक के चेहरे को बुरी तरह कुचल कर उस की पहचान छिपाने की कोशिश की गई थी.

इंसपेक्टर वेद प्रकाश ने उस युवक की जेबों की तलाशी ली. उस की जेबों में ऐसा कुछ नहीं था, जिस से उस की पहचान हो सके. इंसपेक्टर ने वहां खड़ी भीड़ से उस युवक की पहचान करने की कोशिश की, लेकिन उस युवक को वहां कोई नहीं पहचान सका. शायद यह युवक यहां आसपास का नहीं था. इसे कहीं दूर से यहां ला कर फेंका गया था. वहां इंसपेक्टर वेद प्रकाश को वाश बेसिन का एक खून सना टुकड़ा दिखाई दिया. यह टुकड़ा बहुत पैना था, अनुमान लगाया गया कि इसी वाश बेसिन के टुकड़े से युवक का गला खून से रंग गया है. कुछ दूरी पर वाश बेसिन का दूसरा हिस्सा भी पड़ा हुआ नजर आ गया.

वाश बेसिन टूट जाने के कारण किसी ने यहां फेंका था. इस के एक पैने टुकड़े को हत्यारे ने युवक का गला काटने में इस्तेमाल किया था. इंसपेक्टर वेद प्रकाश को विश्वास था, यहीं पर युवक का गला काट कर इस का चेहरा भी कुचला गया है. और यदि चेहरा कुचला गया है तो वह भारी पत्थर भी यहां आसपास पड़ा होना चाहिए. इंसपेक्टर ने वहां उस पत्थर को ढूंढना शुरू किया तो वह लाश से काफी दूर पड़ा मिल गया. उस पर खून जम चुका था. पत्थर पूरी तरह खून से सना हुआ था. युवक की हत्या रात में ही किसी समय की गई लगती थी. इस का ठीक से पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ही चल सकता था.

इंसपेक्टर वेद प्रकाश ने नार्थ ईस्ट डिस्ट्रिक्ट के डीसीपी आशीष कुमार मिश्रा को इस लाश की सूचना दे दी और फोरैंसिक टीम को भी आने के लिए कह दिया. थोड़ी देर में ही डीसीपी आशीष मिश्रा और फोरैंसिक टीम घटनास्थल पर पहुंच गई. इंसपेक्टर ने डीसीपी आशीष कुमार मिश्रा को वह लाश दिखा कर सारी स्थिति से अवगत करा दिया. डीसीपी आशीष कुमार मिश्रा ने लाश का मुआयना किया. उस वाश बेसिन के धारदार टुकड़े को भी देखा, जिस से युवक का गला रेता जाना लग रहा था.

सारी तहकीकात कर लेने के बाद आशीष मिश्रा ने इंसपेक्टर को लाश की फोरैंसिक जांच करवाने के बाद पंचनामा तैयार कर के पोस्टमार्टम के लिए पास के हौस्पिटल में भेजने का आदेश दे दिया. इस के बाद वह वहां से चले गए. इंसपेक्टर वेद प्रकाश ने पहले घटनास्थल को फोरैंसिक जांच पूरी करवाई, फिर लाश को पोस्टमार्टम के लिए नजदीक के हौस्पिटल की मोर्चरी में भिजवा दिया. यह एक ब्लाइंड मर्डर केस था. पुलिस के लिए इस केस की गुत्थी सुलझाने की चुनौती थी. थाना ज्योतिनगर में आ कर इस हत्या के केस को अज्ञात के खिलाफ धारा 302 के तहत दर्ज कर लिया गया. अब मृतक युवक की पहचान के लिए पुलिस सक्रिय हो गई थी.

नार्थईस्ट के एसीपी दीपक चंद गुणावत (गोकलपुरी) इस हत्या के मामले में विशेष रूप से दिलचस्पी ले रहे थे. उन्होंने इस के लिए थाना ज्योतिनगर के इंसपेक्टर वेद प्रकाश, इंसपेक्टर किरण पाल (नार्थईस्ट जिले नारकोटिक्स स्क्वायड) की टीम और एटीओ गोविंद सिंह को भी इस हत्या का केस सुलझाने में शामिल कर लिया था. डीसीपी आशीष कुमार मिश्रा के निर्देशन में और एसीपी दीपक चंद गुणावत की देखरेख में उस अज्ञात युवक की पहचान निकालने का काम इस टीम ने शुरू कर दिया. सब से पहले कैलाश कालोनी के डीडीए पार्क के आसपास के सीसीटीवी कैमरों को चैक किया गया. लेकिन उस में कोई ऐसा सुराग नहीं था, जिस से कातिल तक पहुंचा जाता.

सीसीटीवी की एक फुटेज में कुछ धुंधली सी तसवीरें जरूर दिखाई दे रही थीं, जो गहरे अंधकार की वजह से स्पष्ट नहीं थी. पुलिस के लिए यह बेमतलब नहीं थी. इस से इतना तो पता चल ही गया कि वारदात को अंजाम देने वाला कोई एक नहीं, 3-4 लोग थे. उन धुंधली परछाइयों को डीडीए पार्क में देखा जा सकता था. इन परछाइयों को साफ करने की बहुत कोशिश की गई, लेकिन इस में सफलता नहीं मिली. पुलिस ने तकनीकी आधार पर जांच का दायरा बढ़ाया. युवक जिस का चेहरा बिगाड़ दिया गया था, उस की हाइट, रंग और हाथपैरों के चिह्नï को सामने रख कर कैलाश कालोनी में लोगों से पूछताछ की गई. आसपास के थानों में किसी के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज हुई है या नहीं, यह भी मालूम किया गया.

आखिर में एक ऐसा व्यक्ति सामने आ गया, जिसे मृतक युवक के हुलिए से अपने एक दोस्त के होने का संदेह हो रहा था. उस व्यक्ति ने बताया, ”साहब, मेरा एक दोस्त है ऋतिक. वह मेरे साथ ही काम करता है, वह रोज काम पर आता था, आज नहीं आया है. उस का हुलिया इस मृतक युवक से मेल खा रहा है, यदि इस का चेहरा बिगड़ा हुआ न होता तो मैं स्पष्ट रूप से पहचान लेता. आप मेरे संदेह के आधार पर जांच करिए. हो सकता है, आप को कुछ सफलता मिल जाए.’’

”ऋतिक कहां रहता है, यह बताओ, हम उस के घर मालूम कर के तुम्हारे संदेह की पुष्टि कर लेते हैं.’’ इंसपेक्टर किरण पाल ने पूछा.

”साहब, ऋतिक जगतपुरी में रहता है. उस के पापा का नाम सुंदर है और वह बी-32ए जगतपुरी में रहता है.’’

”ठीक है, हम तुम्हारे संदेह के आधार पर जांच कर लेते हैं.’’ इंसपेक्टर किरण पाल ने कहा और उसी वक्त वह इंसपेक्टर वेद प्रकाश और एटीओ गोविंद सिंह के साथ जगतपुरी के लिए पुलिस वैन से रवाना हो गए. जगतपुरी में मकान नंबर बी-32ए ढूंढना मुश्किल नहीं था. थोड़ी देर में ही वह उस मकान के दरवाजे पर पहुंच गए. दरवाजा बंद था. इंसपेक्टर वेद प्रकाश ने दरवाजा खटखटाया तो एक युवती ने दरवाजा खोल दिया. उस युवती की मांग में सिंदूर और गले में मंगलसूत्र देख कर ही अनुमान लगाया गया कि यह शादीशुदा है. उस की आंखें सूजी हुई थीं, जैसे वह बहुत रोई हो.

अपने दरवाजे पर पुलिस को देख कर वह बुरी तरह घबरा गई.

”क.. क्या बात है साहब… आप लोग यहां किसलिए आए हैं?’’ उस युवती ने घबराई हुई आवाज में पूछा.

”डरो मत.’’ इंसपेक्टर वेद प्रकाश गंभीर स्वर में बोले, ”हम तो यह मालूम करने आए हैं कि क्या यह ऋतिक का घर है?’‘‘

”हां साहब, यह ऋतिक का ही घर है.’’ युवती जल्दी से बोली, ”उन के बारे में कोई खबर है क्या?’’

इंसपेक्टर वेद प्रकाश और इंसपेक्टर किरण पाल समझ गए कि वह सही जगह पर आए हैं. वह लाश ऋतिक की ही है, क्योंकि वह घर से मिस है.

”ऋतिक कहीं गया हुआ है क्या?’’ युवती की बात का उत्तर न दे कर इंसपेक्टर किरण पाल ने पूछा.

”जी, वह कल 8 मार्च की शाम से ही अपनी ससुराल गए हुए हैं, पूरी रात घर नहीं लौटे हैं. उन का फोन भी नहीं लग रहा है.’’

”तुम ऋृतिक की क्या लगती हो?’’

”जी, मैं उन की पत्नी हूं. मेरा नाम पायल है.’’

”तुम यह तसवीर देख कर पहचानो, क्या यह ऋतिक ही है?’’ इंसपेक्टर किरण पाल ने यह कह कर मृत लाश वाली फोटो पायल के सामने कर दी.

पायल उस तसवीर को कुछ देर गौर से देखती रही, फिर दहाड़ मारमार रोने लगी. इंसपेक्टर किरण पाल और इंसपेक्टर वेद प्रकाश ने एकदूसरे की तरफ देखा. उन की आंखों में इस बात का संतोष था कि वह अज्ञात लाश का नामपता मालूम करने में कामयाब हो गए हैं. अब उस की हत्या पर से वह परदा भी उठने वाला था, जिसे उठाने के लिए वह कल से प्रयास कर रहे थे. पायल को उन्होंने जी भर कर रोने दिया. किसी का इस से दिल पर लगा आघात कुछ हद तक शांत हो जाता है. जब पायल सुबकने लगी तो इंसपेक्टर वेद प्रकाश गंभीर स्वर में बोले, ”हमें ऋतिक की लाश कैलाश कालोनी के डीडीए पार्क की खाली जमीन पर कल सुबह मिली थी.

लाश की पहचान न होने के कारण हम ने उसे पोस्टमार्टम करवा कर सुरक्षित रखवा दिया है. लाश अब हम तुम्हें सौंप देंगे. यह बाद की बात है पायल. हमें यह बताओ कि क्या तुम्हें तुम्हारे पति की हत्या का किसी पर शक है?’’

”मैं किसी का नाम नहीं लूंगी साहब, क्योंकि वह भी मेरे अपने ही हैं और ऋतिक भी मेरा अपना था, मेरा सुहाग.’’ पायल अपने आंसू पोंछते हुए बोली.

”यानी तुम जानती हो, ऋतिक की हत्या कौन कर सकता है, लेकिन तुम उसे बचाना चाहती हो.’’ इंसपेक्टर वेद प्रकाश का स्वर गंभीर था, ”देखो पायल, जब कोई युवती अपनी मांग में किसी पुरुष का सिंदूर लगा लेती है तो सारे रिश्तेनातों से ऊपर वह पुरुष हो जाता है, जो एक प्रकार से मांग भर देने के बाद उस का सुहाग बन चुका होता है. इसलिए तुम्हें अपने पति के पक्ष में मुंह खोलना है. ऐसा कर के तुम अपना पत्नीधर्म निभाओगी.’’

पायल कुछ क्षण खामोश रह कर अपने फर्ज को तराजू में तौलती रही फिर तराजू का पलड़ा उस के पति की तरफ झुका तो वह गहरी सांस भर कर बोली, ”साहब, आप ठीक कहते हैं, पति तो पति होता है. वह चाहे अच्छा हो या बुरा. मेरे पति की हत्या का मुझे जिस पर संदेह है, वह मेरा भाई शिवम हो सकता है.’’

”तुम्हें शिवम पर ऐसा संदेह क्यों है?’’

”यह लंबी कहानी है साहब. आप कब तक दरवाजे पर खड़े रहेंगे, आप अंदर चलिए, मैं सब बताती हूं.’’ पायल ने कहा और दरवाजे से एक तरफ हट गई. इंसपेक्टर वेद प्रकाश, एटीओ गोविंद सिंह, नारकोटिक्स स्क्वायड के इंसपेक्टर किरण पाल अंदर ड्राइंगरूम में आ गए. पायल अब काफी नारमल हो गई थी. वह उन लोगों के सामने बैठते हुए बोली, ”साहब, मैं ऋतिक से प्यार करती थी. वह हमारे घर के पास किसी से मिलने आताजाता था. मैं ऋतिक संग प्यार में इतना आगे बढ़ गई कि एक दिन अपने मम्मीपापा, भाई को सोता छोड़ कर ऋतिक के साथ घर से भाग गई. मैं ने ऋतिक से प्रेम विवाह कर लिया और छिप कर दिल्ली में ही रहने लगी.

”मेरे भागने से मेरे मम्मीपापा, भाई की पूरे इलाके में बदनामी होने लगी, लेकिन मुझे इस बात का कोई पछतावा नहीं हुआ, मैं अपने प्रेमी की बांहों में खुश थी.’’ पायल कुछ देर के लिए रुकी, फिर कहने लगी, ”साहब, मेरे प्यार का भूत तब उतरने लगा, जब ऋतिक का व्यवहार मेरे और मेरे परिवार के प्रति रूखा और कड़वा होने लगा. मैं एक बात बता दूं, मेरे भागने के काफी दिन बाद मेरे फेमिली वालों का गुस्सा मेरे प्रति ठंडा हो गया. वे फोन पर मुझ से प्यार से बातें करने लगे. मेरे घर भी कभीकभी आने लगे, लेकिन मेरा भाई अभी तक नाराज था हम से.

”इधर ऋतिक का व्यवहार मेरे प्रति बदल गया था. वह मुझ से बातबात पर लड़ता, मुझे गालियां देता, मुझ पर हाथ भी उठाने लगा. मैं क्या करती, घर से भाग कर मैं ने गलती की थी, इसलिए अब घर भी नहीं लौट सकती थी. मैं सब कुछ सहने लगी. लेकिन ऋतिक का एक रूप मैं ने यह देखा कि वह अब मेरे फेमिली वालों की भी बेइज्जती करने लगा. मैं क्या करूं, क्या न करूं, यही सोचती रहती.

”ऋतिक ने 6 मार्च, 2025 को तो सारी हदें पार कर दीं. वह मेरे मायके गया. उस ने शराब पी रखी थी. शराब के नशे में उस ने मेरी मम्मी, पापा और भाई शिवम को खूब गालियां दीं, खूब बेइज्जती की उस ने. मुझे यह बात मेरी मम्मी ने फोन पर बताई तो मैं खूब रोई. मेरी गलती की सजा मेरे फेमिली वालों को भुगतनी पड़ रही थी. ऋतिक उस रात घर आ कर नशे में सो गया.’’

पायल कुछ देर सांसें दुरुस्त करती रही, फिर बोली, ”7 तारीख की शाम को ऋतिक के फोन पर मेरे भाई शिवम का फोन आया. वह ऋतिक से हंसहंस कर बातें करता रहा, मैं नहीं समझ पाई, उन दोनों में क्या बातें हुईं. हां, ऋतिक ने ही बताया कि तुम्हारा भाई अब झुका है साला. बहुत अकड़ थी उस में, अब मुझे दारू पिलाने के लिए घर बुला रहा है. मैं अपनी ससुराल जा रहा हूं.’’ ऋतिक इतना कह कर घर से चला गया.

”साहब, वह पूरी रात घर नहीं लौटा तो मुझे चिंता होने लगी. मैं ने ऋतिक के मोबाइल पर कई काल कीं, लेकिन उस ने एक भी काल अटेंड नहीं की. मैं पूरी रात सोई नहीं, रोती रही. सुबह मैं ने घर फोन किया तो शिवम ने बताया कि उस ने जीजा को तो रात को ही घर भेज दिया था. मैं घबरा गई और सारा दिन ऋतिक की तलाश करती रही कि आप आ गए.’’

”अपने मायके का पता हमें दो. अगर शिवम तुम्हारे पति का हत्यारा हुआ तो हमें उसे गिरफ्तार करना पड़ेगा.’’ इंसपेक्टर किरण पाल ने कहा.

पायल ने अपने मायके का एड्रैस पुलिस को लिखवा दिया. पुलिस टीम उठ कर घर से बाहर आ गई. पायल को उन्होंने बता दिया कि कागजी काररवाई करने के बाद कल ऋतिक की लाश तुम्हें सौंप दी जाएगी. वह एटीओ गोविंद सिंह के साथ हौस्पिटल की मोर्चरी में जा कर लाश की शिनाख्त का काम पूरा करवा दे. पुलिस टीम ऋतिक के घर से ज्योति कालोनी के लिए चल पड़ी. शिवम को दबोचने के लिए ज्योति नगर थाने से 4-5 पुलिस वाले शिवम के घर बुलवा लिए गए. पुलिस वैन ज्योति नगर में मकान नंबर 502 / 9 गली नंबर 1, अशोक नगर पहुंच गई. थाने से पुलिस के 5 जवान भी वहां उन से आ मिले.

पुलिस टीम को शिवम घर में ही मिल गया. उसे दबोच कर थाने लाया गया. वह बहुत डर गया था. थाने में उस से कड़ी पूछताछ हुई तो उस ने कुबूल कर लिया कि ऋतिक का खून उसी ने अपने दोस्तों के साथ मिल कर किया था. उन्होंने ऋतिक को कैलाश कालोनी के एक खाली पड़े डीडीए पार्क में ले जा कर मारा था. शिवम ने अपने साथ इस हत्या में शामिल हुए सूरज, विशाल और सोनू के नाम तथा पते पुलिस को बता दिए. पुलिस टीम ने रात को ही सूरज, उस के भाई विशाल को ईस्ट नत्थूपुरा चौक से और सोनू को बी ब्लौक गली नंबर 6 ज्योति नगर से दबोच लिया. सूरज की उम्र 25 करीब साल थी और विशाल की केवल 18 साल. ऋतिक की हत्या करने में दोनों भाई शिवम का साथ देने के लिए इसलिए तैयार हुए थे कि वह उन का दोस्त था.

18 वर्षीय सोनू भी शिवम की दोस्ती की वजह से उस का साथ देने को तैयार हुआ था. तीनों ने अपना गुनाह कुबूल कर लिया. शिवम ने यह पूछने पर कि उस ने अपनी बहन का सुहाग क्यों उजाड़ा? तो शिवम ने कहा, ”साहब, ऋतिक ने मेरी बहन को प्यार में फंसा कर भगाया था. इस से हमारी बहुत बेइज्जती हुई. हम फिर भी यह सोच कर कि बहन ने अपना घर बसाया है, चुप लगा गए. लेकिन जब वह मेरी बहन पर अत्याचार करने लगा तो मेरा खून खौलने लगा.

”6 मार्च की रात के 9 बजे सिर से पानी तब ऊपर चला गया, जब ऋतिक शराब पी कर हमारे घर आ गया. उस ने मेरे पापा और मम्मी की खूब बेइज्जती की. उन्हें गंदीगंदी गालियां दीं, मैं यह सब उस वक्त सहन कर गया, लेकिन पूरी रात में उसे सबक सिखाने के लिए सोचता रहा.

”दूसरे दिन मैं ने अपने दोस्तों सूरज, विशाल और सोनू को घर बुलाया. हम ने गोल चक्कर (लोनी) से शराब की बोतल खरीदी और एक पार्क में बैठ कर ऋतिक की हत्या करने का प्लान बनाया. प्लान के अनुसार मैं ने अपने जीजा ऋतिक को फोन कर के शराब पीने की दावत दी. मैं ने कहा कि आप बड़े हो, घर के दामाद हो, हम झुक कर आप का मानसम्मान करेंगे.

”ऋतिक मेरी बातों से खुश हो कर ज्योति नगर आ गया. मैं ने अपने तीनों दोस्तों के साथ ऋतिक को जम कर शराब पिलाई. वह नशे में जब लडख़ड़ाने लगा तो एक किराए की कैब बुला कर हम ऋतिक को कैलाश कालोनी ले गए. कैब को छोड़ कर हम ऋतिक को रात के अंधेरे में डीडीए पार्क की खाली जगह में ले आए. यहां हम ने उसे दबोच कर पास में पड़े वाश बेसिन के टुकड़े से उस का गला काट डाला. उस की जेब से सारी चीजें निकाल कर हम ने भारी पत्थर से ऋतिक का चेहरा कुचल दिया, ताकि कोई उसे पहचान नहीं पाए.

”यह हत्या कर हम चुपचाप अपनेअपने घर आ गए. यह हत्या मैं ने अपने परिवार के अपमान का बदला लेने के लिए की है. मुझे इस का कोई मलाल नहीं है.’’

पुलिस ने इन चारों के खिलाफ बीएनएस की धारा 103(1),  3(5) पर मामला दर्ज कर के इन्हें सक्षम न्यायालय में पेश कर के जेल भेज दिया.

 

 

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