Love Crime Story : बदले की भावना को ध्यान में रख कर गुस्से में उठाया गया कदम अकसर नुकसान ही कराता है. बंटी और परमजीत कौर ने भाग कर लवमैरिज की. जिस बंटी के लिए परमजीत कौर ने अपने घरपरिवार को छोड़ा था, वही इतना खूंखार बन जाएगा, परमजीत कौर ने इस की कल्पना तक नहीं की थी…

17 अगस्त, 2021 को सुबह के कोई 8 बजे का वक्त रहा होगा. एक 8 वर्षीय बच्ची को बदहवास स्थिति में भागते देख प्रधान सुखवीर सिंह से रहा नहीं गया. उन्होंने बच्ची को रोकने की कोशिश की तो बच्ची जोरजोर से चीखने लगी, ‘‘उन लोगों ने मेरी मम्मी और मेरी नानी को काट डाला. वे मुझे भी मार डालेंगे.’’

बच्ची की बात सुनते ही प्रधान सुखवीर हैरान रह गए. उन की समझ में नहीं आ रहा था कि वह बच्ची किस की है और कहां रहती है? वह किस के मरनेमारने की बात कर रही थी.

Love became dangerous

‘‘बेटा, तुम्हारी मम्मी और नानी कहां पर हैं.’’ प्रधानजी ने प्यार से बच्ची से पूछा तो उस ने बताया कि वे दोनों नाले के पास पड़ी हुई हैं. यह सब जानकारी देने के बाद बच्ची अपने घर की ओर भागी. उस मासूम बच्ची की हालत देख कर प्रधान सुखवीर सिंह इतना तो समझ ही गए थे कि आज सुबहसुबह ही कोई न कोई बड़ी वारदात हो गई है. उस वक्त तक प्रधानजी के डेरे पर कुछ अन्य लोग भी आ कर खड़े हो गए थे. तभी प्रधानजी कुछ लोगों के साथ हकीकत जाने के लिए उस रास्ते की ओर बढ़ गए, जिधर से वह बच्ची थोड़ी देर पहले ही भागती हुई आई थी. कोई एकडेढ़ किलोमीटर चलने के बाद उन लोगों को रास्ते के किनारे ताजा खून के निशान दिखाई दिए.

लोगों ने आसपास छानबीन की तो वहीं पर सड़क किनारे रक्तरंजित 2 लाशें पड़ी मिलीं. दोनों लाशों की शिनाख्त भी तुरंत ही हो गई थी. दोनों लाशें भोगपुर फार्म निवासी 70 वर्षीय जीत कौर पत्नी स्व. दयाल सिंह व उन की बेटी परमजीत कौर की थी. लेकिन परमजीत कौर की 8 वर्षीय बेटी नैना किसी तरह हमलावरों को चकमा दे कर जान बचाने में सफल हो गई थी. इस सनसनीखेज हत्याकांड की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में हड़कंम मच गया. ग्राम प्रधान सुखवीर सिंह ने इस घटना की जानकारी स्थानीय पुलिस चौकी पतरामपुर प्रभारी दीवान सिंह बिष्ट को दी. सुबहसुबह ही क्षेत्र में डबल मर्डर केस की जानकारी मिलते ही पुलिस महकमे में भी हलचल मच गई थी. डबल मर्डर की सूचना पाते ही जसपुर कोतवाल जगदीश सिंह देउपा व एएसपी प्रमोद कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे.

घटनास्थल पर पहुंचते ही पुलिस ने उस खौफनाक मंजर की जांचपड़ताल की. दोनों की किसी तेज धार वाले हथियार से गरदन रेत कर हत्या की गई थी. घटनास्थल ही इस बात का गवाह था कि हत्या होने से पहले दोनों ने हत्यारों से काफी संघर्ष किया था. लेकिन तेज हथियारों के सामने उन की एक न चली थी. जांचपड़ताल पूरी हो जाने के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई कर दोनों लाशें पोस्टमार्टम हेतु काशीपुर सरकारी अस्पताल भेज दी. पुलिस ने गांव वालों से इस मर्डर केस के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि काफी समय से जीत कौर का उस के तलाकशुदा दामाद से विवाद चल रहा था.

पुलिस पूछताछ के दौरान जानकारी मिली कि बलविंदर कौर को काफी समय पहले जीत कौर ने गोद लिया था. 2 साल पहले जीत कौर ने उस की शादी टांडा प्रभापुर निवासी बंटी के साथ की थी. लेकिन एक साल बीततेबीतते किसी कारण उन का तलाक हो गया. इस जानकारी पर पुलिस ने मौके पर मौजूद 8 वर्षीय मासूम नैना से पूछताछ की तो उस ने रोते हुए बताया कि पैदल जाते वक्त झाडि़यों में छिपे बैठे उस के मौसा बंटी और उन के साथी ने उन की नानी और मम्मी को मार डाला. उस के बाद वह बुरी तरह से डरीसहमी सड़क पार कर के छिपतेछिपाते अपने घर पहुंची.

पुलिस ने उसी शाम भादंवि की धारा 34/302 के तहत नामजद मुकदमा दर्ज कर लिया. इस के बाद पुलिस ने अपनी काररवाई करते हुए आरोपियों के घर दबिश दी. लेकिन दोनों ही आरोपी घर से फरार मिले. उस के बाद पुलिस ने उन के परिजनों को पूछताछ के लिए उठा लिया. इस मामले में पुलिस को उन लोगों से कोई जानकारी न मिल सकी. इस केस की तह तक पहुंचने के लिए जसपुर कोतवाली प्रभारी जगदीश सिंह देउपा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम गठित की, जिस के बाद पुलिस टीम द्वारा कई अज्ञात स्थानों पर आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की, लेकिन कहीं भी उन का का कोई सुराग नहीं लगा.

पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए हाथपांव मार ही रही थी कि 19 अगस्त, 2021 को पुलिस को एक मुखबिर द्वारा सूचना मिली कि आरोपी बंटी और उस का चाचा बलविंदर सिंह कहीं जाने की फिराक में हैं. वे इस समय जसपुर काशीपुर रोड पर सतकार ढाबे के पास खड़े बस का इंतजार कर रहे हैं. यह सूचना मिलते ही पुलिस टीम ने तत्परता दिखाते हुए दोनों को घेराबंदी कर गिरफ्तार कर लिया. दोनों को गिरफ्तार कर पुलिस टीम जसपुर कोतवाली ले आई. दोहरे मर्डर का हुआ खुलासा कोतवाली लाते ही दोनों से कड़ी पूछताछ की तो दोनों ने अपना जुर्म कबूल कर लिया. पुलिस पूछताछ में बंटी ने बताया कि उस की सास और साली परमजीत कौर आए दिन उस से किसी न किसी बात पर झगड़ती रहती थी.

बंटी ने बताया कि उन का चाचा बलविंदर उन्हीं के पास रहता था. लेकिन मांबेटी उसे उस के चाचा के पास तक नहीं जाने देती थी, जिस से चिढ़ कर ही उस ने अपने चाचा के साथ मिल कर दोनों की हत्या कर दी. आरोपियों से पूछताछ के बाद पुलिस ने बंटी और बलविंदर सिंह की निशानदेही पर घटना में प्रयुक्त पाटल, घटना के दौरान पहने गए खून सने कपड़े और घटना को अंजाम देने में प्रयुक्त मोटरसाइकिल भी बरामद कर ली थी. इस हत्याकांड के खुलासे के बाद जो सच्चाई सामने आई, वह बहुत ही विचित्र दर्दभरी कहानी थी. जो प्रेम कहानी से शुरू हो कर तलाक तक पहुंची, लेकिन उस के बाद भी इस कहानी के कारण पूरे 6 मासूम बच्चे लावारिस हो गए थे.

उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर का एक कस्बा है जसपुर. इसी कस्बे से 7 किलोमीटर उत्तर दिशा में एक गांव पड़ता है भोगपुर फार्म. यह गांव वन के किनारे बसा हुआ है, जहां पर कोई ज्यादा आबादी नहीं, लेकिन अपने खेतों पर ही घर बना कर कुछ रायसिक जाति के लोग रहते हैं. इस कहानी की शुरुआत इसी गांव से होती है. इसी गांव में रहता था दयाल सिंह का परिवार. दयाल सिंह के पास जुतासे की जमीन नहीं थी. वह गांव के अन्य लोगों के खेतों में काम कर के ही अपने परिवार की जीविका चलाते थे. उन्हीं के पास उन के छोटे भाई गुरबख्श सिंह भी रहते थे. दोनों भाइयों का अलगअलग रहना था. दोनों ही भाई बहुत पहले से शराब बेचने के धंधे से जुड़े थे, जिस के सहारे ही दोनों के परिवारों की गुजर होती थी.

दयाल सिंह के 2 बेटे और 2 बेटियां थीं, परमजीत कौर और बलविंदर कौर. परमजीत कौर उस की अपनी बेटी थी. जबकि बलविंदर कौर को उस ने अपने भाई से गोद लिया था. समय गुजरते चारों बच्चे जवान हुए तो दयाल सिंह ने जैसेतैसे कर 2 बेटों की शादी कर दी. लड़कों की शादी हो जाने के बाद दोनों अलगअलग रह कर अपनी गृहस्थी संभालने लगे थे. दयाल सिंह का बड़ा बेटा शुरू से ही बीमार रहता था. उस की बीमारी के कारण उस की बीवी उसे छोड़ कर चली गई. उस के चले जाने के बाद कुछ समय के बाद ही पूरन सिंह किसी बीमारी से मर गया.

राज कौर थी तेजतर्रार दयाल सिंह ने अपने दूसरे बेटे कुलवंत सिंह की शादी काशीपुर के नजदीक गांव रमपुरा की रहने वाली राज कौर से की थी. शादी के कुछ समय बाद तक तो राज कौर परिवार के साथ मिलजुल कर रही, लेकिन कुछ ही समय बाद सासबहू में अनबन रहने लगी. राज कौर तेजतर्रार थी. इसी कारण वह ज्यादा समय तक परिवार के साथ निभा नहीं पाई. उस ने पति कुलवंत को उल्टीसीधी पट्टी पढ़ा कर मांबेटी के प्रति कान भरने आरंभ कर दिए थे. जिस के कारण कुलवंत सिंह मांबहन की तरफ से लापरवाह हो गया. फिर राज कौर ने कुलवंत सिंह पर अलग रहने के लिए दबाव बनाना शुरू कर दिया था.

लेकिन कुलवंत सिंह का कहना था कि जब तक उस की दोनों बहनों की शादी नहीं हो जाती, वह परिवार से अलग नहीं हो सकता. उस वक्त तक परमजीत कौर भी जवान हो चुकी थी. उस की पत्नी राज कौर हर समय दयाल सिंह और उन की बीवी जीत कौर को ले कर झगड़ती रहती थी. जबकि दयाल सिंह अपनी बीवी जीत कौर के साथ अलग ही रहते और अपना खाना अलग ही बना कर खाते थे. इस के बावजूद भी कुलवंत सिंह और राज कौर के बीच मनमुटाव बना रहा था. उस वक्त तक परमजीत कौर भी जवानी के मुकाम पर आ खड़ी हुई थी. बेटे की शादी के बाद दयाल सिंह को परमजीत कौर की शादी की चिंता सताने लगी थी. लड़की की शादी की बात मन में उठते ही दयाल सिंह ने बेटी के लिए लड़का तलाशना शुरू कर दिया था.

प्रेमी के साथ भाग कर परमजीत कौर ने की लवमैरिज अभी दयाल सिंह उस के योग्य वर की तलाश कर भी नहीं पाए थे कि उसी दौरान एक दिन उन की बेटी परमजीत कौर अचानक घर से लापता हो गई. जवान बेटी के अचानक गायब होने से दयाल सिंह का परिवार परेशान हो उठा. दयाल सिंह ने अपने रिश्तेदारों की सहायता से उसे हर जगह ढूंढा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता नहीं चला. उसी भागदौड़ के दौरान दयाल सिंह को पता लगा कि उन की बेटी उन के ही पड़ोसी भूपेंद्र उर्फ पप्पू के साथ गई है. घर से भागने के बाद दोनों ने शादी भी कर ली थी.

दयाल सिंह को जब इस बात की जानकारी मिली तो उन्हें दुख भी हुआ और गुस्सा भी आया. लेकिन दयाल सिंह जानते थे कि भूपेंद्र सिंह एक झगड़ालू किस्म का युवक है. उस से बात करना उचित नहीं. उस के बाद उन्होंने लड़की की किस्मत उसी के साथ जोड़ते हुए चुप रहने में ही भलाई समझी. कुछ दिन बाहर रह कर भूपेंद्र सिंह परमजीत कौर को साथ ले कर अपने घर आ गया. भूपेंद्र सिंह का घर दयाल सिंह के घर के नजदीक ही था. परमजीत कौर अपने मायके के सामने आ कर रहने लगी थी. यह कुलवंत सिंह को बहुत अखरता था. उस ने कई बार भूपेंद्र सिंह को वहां से कहीं चले जाने का दबाव भी बनाया, लेकिन वह कहीं भी जाने को तैयार न था.

बलविंदर सिंह भूपेंद्र सिंह के परिवार से ही था. इसी बात को ले कर भूपेंद्र सिंह और दयाल सिंह के परिवार में मनमुटाव चला आ रहा था. उसी मनमुटाव के चलते टूटते रिश्तों से जमीनजायदाद पर आ टिका था. दयाल सिंह और बलविंदर सिंह दोनों ही शराब बेचने का काम करते थे. उन दोनों के बीच एकदूसरे के ग्राहकों को तोड़ने का सब से बड़ा विवाद था. जिस के कारण दोनों परिवारों में आपस में लड़ाईझगड़ा होना आम बात हो गई थी. उसी समय की बात है एक दिन किसी बात पर दोनों परिवारों के बीच काफी लड़ाईझगड़ा हुआ. लड़ाईझगड़े के दौरान एक दिन बलविंदर सिंह ने जीत कौर को अकेला पा कर मारापीटा.

जीत कौर की उस वक्त एक न चली तो उस ने जसुपर थाने में बलविंदर सिंह के खिलाफ बलात्कार की एफआईआर दर्ज करा दी. जिस के कारण बलविंदर सिंह को जेल की हवा खानी पड़ी. उसी समय किसी बीमारी के चलते दयाल सिंह की भी मौत हो गई. दयाल सिंह की मौत के बाद कुलवंत सिंह अपने परिवार में अकेला ही रह गया था. समय के साथ कुलवंत सिंह की पत्नी राज कौर 3 बच्चों अभिजीत, चरण कौर व अमृत सिंह की मां बनी. वहीं कुलवंत सिंह की बहन परमजीत कौर भी विजय, हरमन कौर तथा नैना तीन बच्चों की मां बनी. दोनों भाईबहनों के 3-3 बच्चे वह भी लगभग एक ही उम्र के थे. भले ही दोनों परिवारों में कितना भी बड़ा विवाद चल रहा था. लेकिन बच्चे बच्चे ही होते हैं. उन्हें अपने परिवार की रंजिश से कोई लेनादेना नहीं था.

दोनों परिवारों के बच्चे एक ही साथ खेलते थे. दयाल सिंह के गुजर जाने के बाद जीत कौर भी अपनी बेटी परमजीत कौर के साथ मनमुटाव को भुला कर उस से बातचीत करने लगी थी. जिस के बाद दोनों का एकदूसरे के घर आनाजाना भी चालू हो गया था. लेकिन यह बात भूपेंद्र सिंह को अखरने लगी थी. उस ने अपने परिवार के दबाव में आ कर परमजीत कौर को उस की मम्मी के पास जाने से रोकने की काफी कोशिश की, लेकिन उस की एक न चली. उस वक्त तक बलविंदर सिंह भी जेल से छूट कर घर आ गया था. बलविंदर सिंह और जीत कौर थे दुश्मन जेल से आ कर बलविंदर सिंह जीत कौर का कट्टर दुश्मन बन गया था. वह हर समय उसी से बदला लेने की फिराक में लगा रहता था.

हालात यहां तक आ पहुंचे कि बलविंदर सिंह बिना किसी कारण जीत कौर के परिवार को मारने मरने पर उतारू हो जाता था. भूपेंद्र सिंह के सामने भी अजीब सी स्थिति पैदा हो गई थी. एक तरफ उस का परिवार खड़ा था तो दूसरी तरफ उस की बीवी. इस लड़ाईझगड़े से भूपेंद्र सिंह इतना परेशान हो उठा कि एक दिन वह घर से बिना बताए ही कहीं चला गया. उस के जाने के बाद परिवार ने उसे हर जगह खोजा, लेकिन उस का कहीं भी अतापता न चल सका. उस के चले जाने पर परमजीत कौर के सामने 3 बच्चों के पालने की जिम्मेदारी आ खड़ी हुई थी. आर्थिक स्थिति सामने आ खड़ी हुई तो परमजीत कौर ने अपनी मां का दामन थाम लिया.

उस के बाद दोनों ही मांबेटी गांव के खेतों में कामकाज कर के अपनी रोजीरोटी चलाने लगी थीं. बलविंदर सिंह उस वक्त भी शराब बेचने का काम करता था. उसी शराब बेचने के धंधे से जुड़ा था उस का भतीजा बंटी. बंटी जसपुर कोतवाली के गांव टांडा प्रभापुर में रहता था. बंटी का बलविंदर सिंह के घर पर पहले से ही आनाजाना था. उसी आनेजाने के दौरान उस की नजर एक दिन जीत कौर की गोद ली हुई बेटी बलविंदर कौर पर पड़ी. परमजीत कौर की बहन बलविंदर कौर भी प्रेमी के साथ भाग गई बलविंदर कौर देखने में सुंदर थी. बंटी की शादी नहीं हो पा रही थी. उस ने बलविंदर कौर को देखा तो उस का मन मचल गया. बलविंदर कौर को देखते ही उस ने प्रण किया कि चाहे कुछ भी हो वह उसे पटा कर ही छोड़ेगा.

उस के बाद वह उसे पाने के लिए उस के पीछे हाथ धो कर ही पड़ गया. उस वक्त तक बलविंदर कौर भी जवानी के मुकाम पर आ खड़ी हुई थी. बंटी के मन में बलविंदर के प्रति प्यार उमड़ा तो उसे पाने की जुगत में लग गया था. कई बार बलविंदर कौर ने बंटी की नजरों को परखने की कोशिश की. वह हर बार ही उसे ताड़ता रहता था. उसे उस की निगाहों का खेल समझने में देर न लगी. उसे देख कर उस के मन में भी हलचल पैदा हो गई थी. जिस के बाद वह भी मन ही मन उसे चाहने लगी थी. दोनों के बीच इशारोंइशारों में बात आगे बढ़ी तो जल्दी ही दोनों एकदूसरे के दीवाने हो गए थे. बंटी ने बलविंदर कौर का मोबाइल नंबर ले लिया और फिर दोनों की बातचीत शुरू हो गई.

दोनों के बीच प्रेम कहानी शुरू हुई तो बात साथ जीनेमरने तक जा पहुंची थी. धीरेधीरे यह बात जीत कौर और उस की बेटी परमजीत कौर के सामने भी आ गई थी. यह जानकारी मिलते ही मां बेटी ने बलविंदर कौर को समझाने की कोशिश की. लेकिन बलविंदर कौर मौन साध गई थी. उसी दौरान एक दिन बलविंदर कौर भी अपनी बहन परमजीत कौर की तरह ही अपनी मां को छोड़ कर बंटी के साथ भाग गई. बलविंदर कौर के भागने की सूचना मिली तो जीत कौर को बहुत दुख हुआ. उसे अपनी गोद ली बेटी से ऐसी उम्मीद न थी. उस के बाद भी जीत कौर ने बलविंदर कौर से मिल कर उसे समझाने की कोशिश की, लेकिन उस ने अपनी मां की एक न मानी.

जीत कौर ने बंटी के गांव जा कर पंचायत तक की, लेकिन बात नहीं बनी तो उस ने भी बलविंदर कौर को उस के ही नसीब के सहारे छोड़ दिया. पंचायत ने तुरंत ही फैसला लेते हुए बलविंदर कौर की शादी बंटी के साथ करा दी थी. उस के बाद से ही वह अपनी ससुराल में रह रही थी. एक के बाद एक मिले सदमे बलविंदर कौर की शादी के बाद जीत कौर उस सदमे से उबर भी न पाई थी. उसी दौरान अब से लगभग एक साल पहले कुलवंत सिंह की किसी ने हत्या कर दी. कुलवंत सिंह की हत्या के बाद जीत कौर पूरी तरह से टूट चुकी थी. उस के जीने का इकलौता सहारा भी छिन गया था.

भाई की हत्या की खबर सुन कर बलविंदर कौर भी अपनी मां से मिलने आई थी. ऐसी दुख की घड़ी में बलविंदर कौर अपनी मां की खैरखबर लेने आई तो जीत कौर को भी अच्छा लगा. उस के बाद बलविंदर कौर ने अपने मायके आनाजाना चालू कर दिया था. कुलवंत सिंह के खत्म होते ही उस की बीवी राज कौर अपने मायके काशीपुर के रमपुरा में जा कर रहने लगी थी. जीत कौर को उम्मीद थी कि वह अपने पति के सदमे में आ कर अपना मन बहलाने के लिए अपने मायके चली गई होगी. लेकिन काफी समय बीत जाने के बाद भी जब वह ससुराल नहीं आई तो जीत कौर को ही उसे बुलाने के लिए जाना पड़ा.

जीत कौर को देख कर भी वह उस के पास तक नहीं आई और न ही कोई बात की. राज कौर ने उस के साथ जाने से साफ मना कर दिया. उस का कहना था कि जब उस का पति ही नहीं रहा तो वह ससुराल जा कर क्या करेगी. उस ने अपने बच्चों को भी लाने से साफ मना कर दिया था. यह सब सुन कर जीत कौर हक्कीबक्की रह गई. उस के बाद वह अपना सा मुंह ले कर घर वापस चली आई. कुलवंत सिंह की मौत के बाद उस के बच्चों और उस की बेटी परमजीत कौर के बच्चों की परवरिश की समस्या पैदा हो गई थी. उसी समस्या से निपटने के लिए जीत कौर ने शराब बेचने का धंधा अपना लिया था. जिस के सहारे दोनों मांबेटी 6 बच्चों की गुजरबसर कर रही थीं.

बंटी करने लगा प्रताडि़त बलविंदर की शादी को अभी एक साल पूरा भी नहीं हो पाया था. उसी दौरान बंटी उसे परेशान करने लगा. बातबात पर बंटी उसे मारनेपीटने लगा था. इसी अनबन के चलते बलविंदर कई बार अपने मायके चली आती थी. बंटी अपनी ससुराल आता और उसे बुला कर ले जाता. लेकिन अपने घर जाते ही वह फिर से उसे प्रताडि़त करना शुरू कर देता था. जब दोनों के बीच बढ़ा विवाद चरम पर पहुंच गया तो गांव में पंचायत के जरिए मामला निपटाने की कोशिश की. उस दौरान बलविंदर कौर प्रेगनेंट थी. जब भरी पंचायत में भी दोनों के एक साथ रहने की सहमति नहीं बनी तो दोनों ने अलगअलग रहने का फैसला कर लिया. फिर भी बंटी ने बलविंदर कौर से तलाक लेने के लिए एक शर्त रखी.

शर्त के अनुसार बलविंदर कौर जिस बच्चे को जन्म देगी, उस पर केबल बंटी का ही अधिकार होगा. इस बात पर सहमति बनते ही दोनों ने एकदूसरे से तलाक ले लिया. बंटी से तलाक ले कर बलविंदर कौर अपने मायके आ कर रहने लगी थी. बलविंदर कौर से तलाक लेने के बाद बंटी परेशान रहने लगा. उस के बाद उसे अपने किए पर काफी अफसोस भी हुआ. लेकिन अब उस के पास पछताने के सिवा कोई अन्य रास्ता नहीं था. बंटी अभी भी अपने चाचा के पास शराब के धंधे के चक्कर में आताजाता रहता था. उस की निगाहें बलविंदर कौर पर पड़तीं तो पागलों की तरह देखता रहता था. वह अभी भी चाहता था कि बलविंदर कौर उस के पास चली आए. लेकिन बलविंदर कौर उस के साथ बिताए दिन भुला नहीं पाई थी. जिस के कारण वह उस की तरफ नजर भर के देखना भी नहीं चाहती थी.

बंटी और बलविंदर कौर के साथ जो भी हुआ, बंटी उस सब का दोषी अपनी सास जीत कौर और परमजीत कौर को मानता था. बंटी की सोच थी कि बलविंदर को चढ़ा कर इन मांबेटियों ने ही उस से तलाक दिला दिया था. जिस की वजह से वह दोनों से रंजिश रखता था. हालात से टूट चुकी थी जीत कौर जीत कौर अब तक घर के हालात से बुरी तरह से टूट चुकी थी. न तो इस वक्त उस के पास पैसा ही था और न ही किसी से लड़नेझगड़ने की शक्ति. बंटी उस की बेटी को तलाक देने के बाद फिर से उस के घर के इर्दगिर्द चक्कर काटने लगा था. जिस के कारण तीनों मांबेटी परेशान थीं. जीत कौर अपनी बेटी बलविंदर कौर को ले कर पहले ही परेशान थी. उस का इतनी सी कम उम्र में ही पति से तलाक हो गया था. वह अभी जवान ही थी.

जीत कौर ने कई बार बलविंदर के सामने उस की दूसरी शादी करने वाली बात रखी, लेकिन उस ने अपनी मां से साफ कह दिया था कि वह अब दूसरी शादी नहीं करेगी. फिर भी अपनी बेटी बलविंदर कौर की चोरीछिपे जीत कौर ने उस की जिंदगी संवारने के लिए एक अच्छे लड़के की तलाश शुरू की. कुछ ही दिनों में उस की मेहनत रंग लाई. उसे बेटी के योग्य एक लड़का मिल गया. सितारगंज निवासी एक युवक को पसंद करते ही उस ने उस की शादी भी तय कर दी थी. 28 अगस्त, 2021 को उस की बारात आनी थी. बलविंदर कौर की शादी की बात पक्की होने की खबर किसी तरह से बंटी तक भी पहुंच गई थी. बलविंदर कौर की दूसरे लड़के के साथ शादी वाली बात सुनते ही बंटी पागल सा हो गया. उसे ऐसी उम्मीद नहीं थी. यह सुनते ही उस के तनबदन में आग लग गई.

उस के बाद उस ने प्रण किया कि वह किसी भी कीमत पर बलविंदर की शादी किसी दूसरे लड़के के साथ नहीं होने देगा, चाहे उसे बलविंदर कौर की हत्या ही क्यों न करनी पड़े. उस के बाद उस ने कई बार बलविंदर कौर से मिलने की कोशिश की, लेकिन वह सफल न हो सका. 11 अगस्त, 2021 को बंटी भोगपुर डाम में शराब बेच कर अपने घर की ओर जा रहा था. उस दिन बलविंदर कौर की शादी को ले कर मांबेटी की बंटी से नोंकझोंक हो गई, जिस के बाद जीत कौर और परमजीत कौर ने उस की लाठीडंडों से पिटाई की थी. बंटी ने चाचा बलविंदर के साथ बनाई योजना बंटी ने उसी दिन मांबेटी को खत्म करने का फैसला ले लिया था. फिर जल्दी दोनों को मारने का प्लान बनाना भी चालू कर दिया था. इस प्लान की योजना उस ने अपने चाचा बलविंदर सिंह को भी बता दी थी.

बलविंदर सिंह खुद ऐसे मौके की तलाश में लगा हुआ था. वह दोनों से पुरानी दुश्मनी निभाने को तैयार था. बंटी की बात सुनते ही बलविंदर तुरंत ही उस का साथ देने के लिए तैयार हो गया. यह बात बलविंदर सिंह ने अपनी पत्नी को भी बता दी थी. बलविंदर सिंह ने अपनी पत्नी जसविंदर कौर को भी इस योजना में शामिल करते हुए कहा था कि उसे तो केवल उन का पीछा करना है. जिस दिन मांबेटी कहीं जाने की योजना बनाएं, वह फोन कर उन्हें जानकारी दे दे. 17 अगस्त, 2021 को जीत कौर अपनी बेटी परमजीत कौर को साथ ले कर जसपुर जाने वाली थी. इस की जानकारी मिलते ही यह सूचना जसविंदर कौर ने अपने पति बलविंदर सिंह को मोबाइल पर दे दी थी.

जिस वक्त जसविंदर कौर ने यह सूचना बलविंदर सिंह को दी, उस वक्त बंटी भी उस के साथ था. दोनों ही उस वक्त मोटरसाइकिल पर शराब ले कर बेचने जा रहे थे. इस जानकारी के मिलते ही दोनों ने शराब आसपास छिपा दी और फिर दोनों पाटल व अन्य धारदार हथियार ले कर जसपुर जाने वाली नहर के किनारे बने रास्ते पर चलने लगे. कुछ दूर पर ही जीत कौर अपनी बेटी परमजीत कौर के साथ आती दिखाई दी. उन्हें सामने से आते देख बलविंदर सिंह ने अपनी बाइक नहर के किनारे झाड़ी में खड़ी कर दी और स्वयं भी वही पर छिप गए. जैसे ही जीत कौर अपनी बेटी के साथ उन के सामने से गुजर रही थी, तभी मौका पाते ही दोनों ने पीछे से अचानक हमला बोल दिया. जिस के कारण मांबेटी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था.

उस वक्त परमजीत कौर की छोटी बेटी नैना भी उस के साथ थी. लेकिन उस ने हिम्मत से काम लिया और वह फुरती से नहर के किनारे खड़ी झाडि़यों के पीछे छिप गई. जैसे ही बलविंदर कौर और बंटी वहां से चले गए तो उस ने वहां से अपने घर की ओर दौड़ लगा दी. जिस के कारण ही इस घटना का खुलासा हो सका था. पुलिस ने इस मामले में जसविंदर कौर पत्नी बलविंदर सिंह उर्फ बिल्लू की संलिप्तता पाई जाने के कारण कोतवाली में दर्ज केस में धारा 120बी आईपीसी जोड़ कर अभियुक्ता जसविंदर कौर को भी गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर जेल भेज दिया था. लेकिन मांबेटी के खत्म होने के कारण 6 मासूम बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया था.

जीत कौर की हत्या के बाद उस की भतीजी बलविंदर कौर को छोड़ बच्चों की देखरेख करने वाला कोई नहीं बचा था. Love Crime Story

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