उत्तर प्रदेश के उन्नाव जनपद के औरास थाना क्षेत्र के टिकरा सामद गांव के रहने वाले परमेश्वर कनौजिया का नाम खुशहाल लोगों में गिना जाता था. इस के साथ ही उन की गांव में अच्छी धाक भी थी. इस का एक कारण यह भी था कि उन की पत्नी उर्मिला देवी टिकरा सामद गांव की पूर्व प्रधान रह चुकी थी.

जब तक परमेश्वर कनौजिया के परिवार में ग्राम प्रधानी रही, तब तक वह गांव वालों के हर सुखदुख में शुमार होते रहे लेकिन अगले चुनाव में हाथ से ग्राम प्रधानी चली जाने के बाद वह अपने 3 बेटों जिस में बड़े रिंकू, मझले जितेंद्र व 18 वर्षीय छोटे बेटे धर्मेंद्र के साथ मुंबई के बांद्रा रेलवे स्टेशन के पास रेलवे कालोनी में लौंड्री का काम करने लगे थे.

यहां रहते हुए उन का छोटा बेटा धर्मेंद्र काम के साथ पढ़ाई भी करता रहा और साल 2020 में उस ने 12वीं की परीक्षा भी दी थी.

लेकिन साल 2020 लगते ही कोरोना के चलते देश के हालात खराब होने लगे तो सरकार ने देश भर में लौकडाउन लगाने का फैसला कर लिया तो लोग शहरों से वापस अपने गांव में पलायन करने लगे.

चूंकि मुंबई में लौकडाउन होने से सारे कामधंधे बंद होने लगे थे, ऐसे में परमेश्वर कनौजिया को भी लौंड्री का बिजनैस अस्थाई रूप से बंद करना पड़ा.

शुरू में परमेश्वर कनौजिया को लगा कि सरकार कुछ दिनों बाद लौकडाउन खोल देगी. लेकिन बाद में जब उन्हें लौकडाउन में ढील के कोई आसार नहीं दिखे तो उन्होंने अप्रैल 2020 में अपने तीनों बेटों के साथ गांव वापस आने का फैसला कर लिया और किसी तरह लौकडाउन के समय में ही मुंबई से गांव लौट आए.

मुंबई से गांव वापस आने के बाद लौकडाउन के चलते कोई कामधंधा करना संभव नहीं था. इसलिए परमेश्वर कनौजिया अपनी पत्नी और बच्चों के साथ पूरा दिन घर पर ही बिता रहे थे. लेकिन उन का छोटा बेटा धर्मेंद्र कनौजिया अकसर ही गांव में टहलने निकल जाता था.

उधर जैसेजैसे देश में कोरोना के केस कम हुए तो सरकार ने भी लौकडाउन में छूट देनी शुरू कर दी थी, जिस से धीरेधीरे कामकाज भी पटरी पर आना शुरू हो चुका था.

साल 2020 का जुलाई आतेआते तमाम लोग जो मुंबई, दिल्ली जैसे शहरों से वापस गांव आ गए थे, वे फिर से कामकाज की तलाश में वापस जाना शुरू कर चुके थे.

लेकिन परमेश्वर कनौजिया अभी भी गांव से वापस मुंबई नहीं गए थे. ऐसे में वह अपने बेटों के साथ घर के कामकाज निबटाते रहे.

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रोज की तरह परमेश्वर कनौजिया का छोटा बेटा धर्मेंद्र कनौजिया दोपहर का खाना खा कर 19 अगस्त, 2020 को भी घर से टहलने निकला था, लेकिन हर रोज की तरह वह जब शाम तक वापस न लौटा तो परिजन धर्मेंद्र के मोबाइल पर काल लगाने लगे. लेकिन उस का फोन भी स्विच्ड औफ बताया जा रहा था.

ऐसे में परमेश्वर कनौजिया अपने परिजनों के साथ धर्मेंद्र की तलाश में घर से निकल कर आसपास पता करने लगे, लेकिन धर्मेंद्र के बारे में किसी से कुछ भी पता नहीं चला.

परमेश्वर कनौजिया को धर्मेंद्र के गायब होने का कोई कारण भी समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि वह और उन के परिवार के सभी सदस्य धर्मेंद्र से बेहद प्यार करते थे, इसलिए कभी उसे डांटफटकार भी नहीं पड़ती थी.

वह ज्यादा परेशान हो उठे थे. वहीं उन की किसी से दुश्मनी भी नहीं थी जिस से लगे कि किसी ने दुश्मनी निकालने के लिए उन के बेटे को गायब कर दिया हो. रही बात कहीं जाने की तो वह हाल में ही लौकडाउन के चलते मुंबई से आया था.

वह अपने घर के लोगों के साथ धर्मेंद्र के दोस्तों और परिचितों के यहां जब देर रात तक उसे खोजते रहे और उस का कोई पता नहीं चला तो उन्होंने पुलिस को बेटे की गुमशुदगी की सूचना देने का निर्णय लिया और 20 अगस्त की सुबह थाना औरास पहुंचे.

थानाप्रभारी राजबहादुर को घटना की जानकारी दे कर उस की गुमशुदगी दर्ज करने की मांग की. लेकिन थानाप्रभारी ने जांच की बात कह कर उन्हें लौटा दिया.

थाने से पुलिस से अपेक्षित सहयोग न मिलने से निराश हो कर धर्मेंद्र के पिता गांव वापस लौट आए और फिर से आसपास तलाश करने लगे. परमेश्वर कनौजिया अपने दोनों बेटों के साथ धर्मेंद्र की तलाश कर ही रहे थे कि उन्हें अपने घर से करीब 300 मीटर दूर धर्मेंद्र की चप्पलें पड़ी हुई मिल गईं.

धर्मेंद्र के चप्पल मिलने के बाद उस के घर वालों के मन में तमाम तरह की आशंकाएं जन्म लेने लगी थीं. घर वाले किसी अनहोनी के अंदेशे के साथ चप्पल मिलने वाली जगह से आगे बढ़े तो 200 मीटर दूर गिरिजाशंकर द्विवेदी के आम के बाग के पास से निकले सकरैला नाले में धर्मेंद्र का औंधे मुंह शव पड़ा देखा, जहां धर्मेंद्र का पूरा शरीर पानी में और सिर बाहर था. इसे देख कर सभी बदहवास हो रोने लगे.

इस के बाद रोतेबिलखते धर्मेंद्र  के पिता परमेश्वर कनौजिया ने औरास थानाप्रभारी राजबहादुर को घटना की सूचना दी. धर्मेंद्र की हत्या की सूचना पा कर थानाप्रभारी राजबहादुर ने इस की  सूचना अपने उच्चाधिकारियों को दी और वह अपनी टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंच गए.

घटनास्थल पर पहुंचने के बाद थानाप्रभारी ने ग्रामीणों की मदद से धर्मेंद्र कनौजिया के शव को बाहर निकलवाया. उधर घटना की सूचना पा कर बांगरमऊ सीओ गौरव त्रिपाठी भी मौके पर पहुंच चुके थे.

नाले से धर्मेंद्र की लाश बाहर निकालने के बाद पिता परमेश्वर व मां उर्मिला देवी का कहना था कि उन के बेटे की हत्या की गई है और शरीर में मारपीट जैसे चोट के निशान भी हैं क्योंकि धर्मेंद्र के चेहरे पर सूजन, पैंट की जेब में मिले मोबाइल में खून के निशान थे. जिस के आधार पर वे बारबार बेटे की हत्या किए जाने की बात दोहरा रहे थे.

वहीं दूसरी ओर पुलिस का कहना था कि मृतक धर्मेंद्र की लाश पर किसी तरह के चोट का निशान नहीं दिखाई पड़ रहा था. लिहाजा पोस्टमार्टम से पहले कहना मुश्किल था कि उस की हत्या की गई है. मौके की काररवाई निपटाने के बाद पुलिस ने लाश पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दी.

पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने तक पुलिस ने जांच शुरू कर दी थी और मृतक के पिता परमेश्वर कनौजिया से किसी से दुश्मनी होने की बात पूछी तो उन्होंने बताया कि उन का या उन के परिवार के किसी भी सदस्य का किसी से भी झगड़ा या दुश्मनी नहीं थी.

इधर पुलिस धर्मेंद्र की मौत के कारणों को ले कर छानबीन कर ही रही थी कि अगले दिन पोस्टमार्टम की रिपोर्ट पुलिस को मिल गई. लेकिन पोस्टमार्टम रिपोर्ट में धर्मेंद्र की मौत का कारण स्पष्ट नहीं था. इस वजह से धर्मेंद्र का विसरा सुरक्षित कर जांच के लिए भेज दिया गया. जिस के कुछ दिनों बाद ही विसरा की जांच रिपोर्ट भी आ गई. विसरा रिपोर्ट में धर्मेंद्र की मौत जहर से होनी बताई गई थी.

विसरा रिपोर्ट मिलने के बाद यह तो साफ हो गया था कि धर्मेंद्र की हत्या की गई है. लेकिन पुलिस को हत्या का कोई कारण नजर नहीं आ रहा था जिस के आधार पर हत्यारों तक पहुंचा जा सके. इसलिए पुलिस के सामने हत्या के कारण और हत्यारों तक पहुंचना चुनौती बना हुआ था.

ऐसे में पुलिस ने सर्विलांस की मदद से धर्मेंद्र के हत्यारों तक पहुचने का प्रयास शुरू कर दिया और मृतक के मोबाइल नंबर की पिछले एक सप्ताह की काल डिटेल्स खंगालनी शुरू कर दी.

धर्मेंद्र की हत्या के लगभग एक महीना बीतने को था, लेकिन पुलिस अभी भी हत्या के कारणों का पता लगाने व हत्यारों तक पहुंचने में नाकाम रही थी. धर्मेंद्र की काल डिटेल्स के आधार पर भी हत्यारों तक पहुंचना पुलिस को कठिन लग रहा था.

इधर पुलिस धर्मेंद्र की हत्या के मामले की जांच कर ही रही थी, इसी दौरान परमेश्वर कनौजिया को पता चला कि धर्मेंद्र के गायब होने वाले दिन आखिरी बार उसे गांव के ही रहने वाले लक्ष्मण, राहुल कनौजिया, संजीत कुमार, उस के भाई रंजीत कनौजिया के साथ देखा गया था.

यह जानकारी मिलते ही परमेश्वर कनौजिया ने 17 सितंबर, 2020 को औरास थाने पहुंच कर संजीत व रंजीत, राहुल और लक्ष्मण के खिलाफ बेटे की हत्या में शामिल होने की नामजद रिपोर्ट दर्ज करा दी.

जब पुलिस आरोपियों के घर पहुंची तो सभी हत्यारोपी घर से फरार मिले. इस के आधार पर आरोपियों पर पुलिस का शक और भी पुख्ता हो गया. पुलिस ने आरोपियों की धरपकड़ के लिए काफी प्रयास किए, लेकिन आरोपी हाथ नहीं आए.

धर्मेंद्र की हत्या के कई माह बीत चुके थे और पुलिस लगातार आरोपियों के घर और संभावित ठिकानों पर दबिश दे रही थी लेकिन इस मामले में पुलिस के हाथ अब भी खाली थे.

इसे ले कर मृतक के घर वाले आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए कई बार एसपी सुरेशराव आनंद कुलकर्णी के साथसाथ उच्चाधिकारियों से गुहार भी लगा चुके थे.

इसी बीच थानाप्रभारी राजबहादुर की जगह औरास थाने की कमान तेजतर्रार हरिप्रसाद अहिरवार को सौंप दी गई थी.

चूंकि इस मामले का परदाफाश न होना पुलिस के लिए सिरदर्द बना हुआ था. ऐसे में एसपी सुरेशराव आनंद कुलकर्णी और एएसपी शशिशेखर ने खुद इस मामले पर नजर रखते हुए थानाप्रभारी हरिप्रसाद अहिरवार को केस का जल्द से जल्द खुलासा करने का निर्देश दिया.

अब नए थानाप्रभारी हरिप्रसाद अहिरवार  ने नए सिरे से आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए जाल बिछाना शुरू किया. इसी बीच उन्हें 20 मई, 2021 को मुखबिरों से खबर मिली कि लक्ष्मण, राहुल, संजीत रंजीत उन्नाव की मड़ैचा तिराहे के पास हैं और कहीं भागने की फिराक में हैं.

इस सूचना के बाद थानाप्रभारी हरिप्रसाद अहिरवार ने हैडकांस्टेबल दिलीप सिंह, कांस्टेबल प्रशांत, हर्षदीप व आशीष के साथ जाल बिछा कर मड़ैचा तिराहे से चारों को गिरफ्तार कर लिया.

पुलिस आरोपियों को पकड़ कर थाने ले आई और धर्मेंद्र कनौजिया की हत्या के बारे में पूछताछ करने लगी. लेकिन चारों ही धर्मेंद्र की हत्या में शामिल होने की बात से नकारते रहे.

जब पुलिस को लगा कि आरोपी आसानी से हत्या की बात कुबूलने वाले नहीं हैं तो कड़ाई से पूछताछ की गई. इस पूछताछ में चारों टूट गए और उन्होंने धर्मेंद्र की हत्या की बात कुबूल ली.

आरोपी लक्ष्मण ने बताया कि उन लोगों ने वारदात वाले दिन राहुल, संजीत व रंजीत की मदद से धर्मेंद्र को गांव के बगीचे में बुला कर मछली के साथ शराब पार्टी रखी थी. जहां पहले से ही धर्मेंद्र की हत्या करने के लिए जहर खरीद कर रख लिया था.

आरोपियों ने धर्मेंद्र को जम कर शराब पिलाई और जब वह नशे में धुत हो गया तो मौका देख राहुल ने उस के शराब के गिलास में जहर मिला दिया. जहर मिली शराब पीने के बाद धर्मेंद्र अचेत हो कर गिर पड़ा. इस के बाद धर्मेंद्र की मौत का इंतजार करते रहे और जब उस की मौत हो गई तो धर्मेंद्र की लाश सकरैला नाले में फेंक दी.

पुलिस ने जब आरोपियों से हत्या का कारण पूछा तो आरोपी लक्ष्मण ने बताया कि धर्मेंद्र कनौजिया उस की बेटी से प्रेम करता था और वह अकसर उस के घर उस की बेटी से मिलने आया करता था.

लक्ष्मण ने बताया कि वह अकसर दोनों को समझाता रहता था. लेकिन धर्मेंद्र के सिर पर प्रेम का मानो भूत सवार था.

धर्मेंद्र लगातार उस की बेटी के साथ नजदीकियां बढ़ाता जा रहा था. इसी बीच लक्ष्मण के घर पर गांव के ही राहुल का आनाजाना शुरू हो गया, उस ने भी जब पहली बार लक्ष्मण की बेटी को देखा तो उस की खूबसूरती और चढ़ती जवानी को देख उस पर लट्टू हो गया.

अब राहुल लक्ष्मण के बेटी को देखने अकसर बहाने से उस के घर आने लगा था. वह जब भी आता तो लक्ष्मण की बेटी को देख अपनी सुधबुध खो बैठता था. उस के मन में लक्ष्मण की बेटी को ले कर कब प्यार की कोपलें पनपने लगीं, उसे पता ही नहीं चला.

लेकिन उस के सामने एक बड़ी समस्या धर्मेंद्र था. क्योंकि वह भी उसी के चक्कर में अकसर लक्ष्मण के घर आया करता था. इधर लगातार राहुल के घर आने से लक्ष्मण की बेटी का प्यार धर्मेंद्र से कम होता गया और वह राहुल की तरफ आकर्षित होने लगी.

अब वह धर्मेंद्र की जगह राहुल से प्यार करने लगी और दोनों में काफी नजदीकियां भी बढ़ चुकी थीं. इस वजह से अब वह धर्मेंद्र से दूरी बनाने लगी थी. लेकिन धर्मेंद्र दूरी नहीं बनाना चाहता था क्योंकि वह उस से हद से ज्यादा प्यार करने लगा था.

लक्ष्मण ने बताया कि उस की बेटी राहुल से प्यार के चलते धर्मेंद्र से पीछा छुड़ाना चाहती थी, लेकिन धर्मेंद्र उस से दूर जाने के बजाय और करीब आने की कोशिश करने लगा था.

कई बार मना करने के बावजूद भी धर्मेंद्र का रोजाना घर आना उसे बरदाश्त नहीं था. इसलिए उस ने धर्मेंद्र को रास्ते से हटाने का खौफनाक निर्णय ले लिया. इस के लिए लक्ष्मण ने बेटी के दूसरे प्रेमी राहुल के साथ ही संजीत कुमार, उस के भाई रंजीत को भी धर्मेंद्र की हत्या की साजिश में शामिल कर लिया.

फिर तय प्लान के अनुसार धर्मेंद्र को विश्वास में ले कर उसे शराब और मछली की पार्टी के लिए गांव से सटे बगीचे में बुलाया, जहां 19 अगस्त, 2020 को पार्टी के दौरान उस के शराब के पैग में जहर मिला कर उस की हत्या कर दी और लाश पास के नाले में फेंक दी.

पुलिस ने धर्मेंद्र की हत्या के नौवें महीने में साजिश का परदाफाश कर दिया और आरोपियों के बयान दर्ज कर धारा 302, 201, 34 भादंवि के तहत न्यायलय में पेश कर जेल भेज दिया है. कथा लिखे जाने तक आरोपी जेल में ही थे.

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