Love Crime News : प्यार शब्द में भले ही दुनिया जहान की खुशियां सिमटी हों, लेकिन जब प्रेमीप्रेमिका का प्यार हकीकत के धरातल से टकराता है तो उस का अस्तित्व डगमगाने लगता है. कभीकभी तो शहद सा मीठा यही प्यार जहर बन जाता है. यही सिमरन और आमिर के साथ भी हुआ. सिमरन ने जिस आमिर को अपना…

सिमरन की प्रेम कहानी की शुरुआत ढाई साल पहले हुई थी. दिल्ली के शाहदरा जिले में मंडोली रोड पर हर्ष विहार थाना क्षेत्र में एक कालोनी है बुध विहार. इसी कालोनी की गली नंबर 12 के मकान नंबर 438 में रहता है मोहम्मद शरीफ और शाबरी बेगम का परिवार. शरीफ का कबाड़ खरीदनेबेचने का काम है. काम कबाड़ी का जरूर था, लेकिन आमदनी अच्छी थी. घर में कोई कमी नहीं थी, परिवार दिल खोल कर पैसा खर्च करता था. शरीफ व शाबरी की 5 औलादें थीं, 2 बेटे व 3 बेटियां. तीनों बेटियां बड़ी थीं उन से छोटे 2 बेटे थे. 2 बड़ी बेटियों की दिल्ली में ही अच्छे परिवारों में शादी हो चुकी थी. सिमरन बेटियों में सब से छोटी थी. उस से छोटे 2 भाई थे बड़ा फिरोज, उस से छोटा अजहर.

12वीं तक पढ़ी सिमरन की ढाई साल पहले कालोनी में हो रहे एक निकाह के वलीमा में जब आमिर से पहली बार आंख लड़ी थी तो वह उम्र का 20वां बसंत पार कर चुकी थी. वैसे तो उम्र की ये ऐसी दहलीज होती है जिसे लांघ कर लड़की यौवनांगी बनती है,  इस पड़ाव पर पहुंचते ही उसे दुनिया की हर चीज खूबसूरत नजर आने लगती है. देखने का नजरिया बदल जाता है. निहायत खूबसूरती का खजाना लिए सिमरन की जवानी एक नई अंगडाई ले रही थी. वैसे तो कुदरत ने उसे खूबसूरती की नियामत दिल खोल कर बख्शी थी लेकिन जब वह सजसंवर कर निकलती थी तो उस के तीखे नाकनक्श उस की बेइंतहा खूबसूरती को और ज्यादा बढ़ा देते थे.

उस दिन भी सिमरन की खूबसूरती कुछ ऐसी ही बिजलियां गिरा रही थी. वलीमा की उस पार्टी में सिमरन की निगाहें डीजे के फ्लोर पर बेहद आकर्षक ढंग से डांस कर रहे उस युवक पर अटकी थी जो मानों उसी के लिए डांस कर रहा हो. पहले प्यार की पहली खुशबू हालांकि सिमरन ने इस से पहले किस्से कहानियों में ही देखा सुना था कि मोहब्बत नाम की कोई चीज होती है. आखिर मोहब्बत है ही ऐसी चीज, जिसे सभी करना चाहते हैं. सिमरन को उस दिन पहली बार मुहब्बत का अहसास आमिर से बात कर के हुआ था. उस वलीमा फंक्शन में मौका मिलते ही आमिर ने उसे एक कोने में रोक कर पूछा, ‘हैलो जी, कैसा लगा हमारा डांस?’

एक अंजान युवक से इस तरह बात करते हुए सिमरन का दिल पहली बार इतनी तेजी से धड़का. उस की अटकी हुई सांसों को आमिर ने एक ही नजर में पढ़ लिया.

‘‘आप ने बताया नहीं.’’ आमिर ने फिर से वही सवाल किया ‘‘जी बहुत अच्छा… एकदम रितिक रोशन की तरह डांस करते हो आप.’’

सिमरन ने किसी तरह जवाब दिया.

‘‘आप का नाम जान सकता हूं.’’ आमिर ने पूछा.

‘‘सिमरन…’’ ना जाने कैसे और क्यूं  सिमरन के मुंह से अपने आप निकल गया. अगले ही पल उसे अपनी भूल का अहसास हुआ.

‘‘मुझे आमिर कहते हैं, यहीं गली नंबर 9 में रहता हूं मदीना मस्जिद के पास.’’ आमिर जो सिमरन से बातचीत करने के लिए बेताब था ने सिमरन की घबराहट व हिचकिचाहट को देख कर खुद ही बातचीत का सिलसिला शुरू कर दिया. ‘‘आप को पहले इस इलाके में नहीं देखा, आप शायद अपनी रिश्तेदारी में आई हैं.’’

‘‘नहीं…नहीं मैं भी यहीं की रहने वाली हूं 12 नंबर गली में घर है हमारा, जिन के यहां ये वलीमा है, अब्बू के दोस्त हैं.’’

सिमरन को मानों अपने उपर नियंत्रण ही नहीं था. आमिर जो भी सवाल कर रहा था, उस के मुंह से जवाब खुद निकल रहे थे. थोड़ीबहुत बातचीत और हुई. अचानक आमिर नाम के उस युवक ने सिमरन के हाथ से उस का मोबाइल ले लिया और उस पर अपना नंबर लगा कर घंटी मार दी. आमिर के मोबाइल पर सिमरन के नंबर की काल आ चुकी थी. ‘‘थैंक यू सिमरन… तुम से मिल कर बहुत अच्छा लगा… पहली बार कोई इतनी प्यारी लड़की मिली है जिस से दोस्ती करने का मन हो रहा है हम लोग फोन पर बात करते रहेंगे.’’

आमिर हवा के तेज झोंके की तरह आया और अपनी बात कह कर सिमरन को हक्काबक्का छोड़ कर चला गया तो सिमरन मानो सोते से जागी. सिमरन को उस दिन पहली बार लगा कि कहीं ये मुहब्बत तो नहीं है. क्योंकि उस ने सुना था कि मुहब्बत एक भावना है, जिस का एहसास धीरेधीरे होता है, कभी कभी यह मोहब्बत किसी से पहली नजर में भी हो जाती है. सिमरन को उस दिन लगा कि ये शायद मुहब्बत का तीर था, जो उस के जिगर के पार हो गया था, इसीलिए वह आमिर की किसी बात का विरोध नहीं कर सकी थी. उस दिन रात को सिमरन ठीक से सो नहीं सकी. आंखे बंद करती तो बार बार आमिर का चेहरा उस की आंखों के आगे तैरने लगता.

उस के डांस का अंदाजे बयां याद कर के वह खुद ही मुसकराने लगती. उसे लगा कि वह प्यार की अंजानी सी डगर पर चल पड़ी है. लेकिन अभी तक वो ये नहीं जानती थी कि आमिर है कौन, क्या करता है, उस की हैसियत क्या है? अगले दिन ही आमिर ने वाटसएप पर सिमरन से बातचीत शुरू कर दी. प्रेम दीवानी सिमरन, प्यासा आमिर युवाओं के बीच प्यार की शुरूआत में जिस तरह की बातें होती हैं. उस दिन से दोनों के बीच वैसी बातचीत भी शुरू हो गई. दोनों ने एक दूसरे को अपने फोटो भेजने शुरू कर दिए. चंद रोज बाद दोनों के बीच घर से बाहर कहीं मिलने की बात भी तय हो गई. एक बार मिलना हुआ तो फिर दोनों को मिलनाजुलना आम बात हो गई.

कभी इलाके में गली के किसी नुक्कड़ पर तो कभी नजदीक के किसी पार्क में, कभी किसी चाईनीज फूड सेंटर पर तो कभी पिक्चर देखने के लिए दोनों साथ आने जाने लगे. जैसेजैसे समय बीत रहा था दोनों की मुहब्बत परवान चढ़ती जा रही थी. कभीकभी मौका मिलता तो आमिर सिमरन के अधरों पर अपने प्यार की मुहर भी लगा देता, जिस से सिमरन की तड़प ओर बढ़ जाती थी. एक तरह से सिमरन आमिर के प्यार में पूरी तरह दीवानी हो चुकी थी. करीब 6 महीने तक दोनों का प्यार इसी तरह चोरीछिपे परवान चढ़ता रहा. प्यार की हर कहानी एकदम सीधी नहीं होती. उस में कई बाधाएं होती हैं और सिमरन का प्यार तो वैसे भी पहली नजर का अंधा प्यार था, जिस में न तो भविष्य की भलाई देखी गई थी न ही भावी जिदंगी की कड़वी सच्चाई को परखा गया था.

सिमरन बहनों में सब से छोटी थी और मां बाप की लाड़ली भी. मां बाप चाहते थे कि जवानी की दहलीज पर खड़ी सिमरन की शादी भी किसी अच्छे परिवार में कर दी जाए. इसीलिए वे उस के लिए अच्छा वर तलाश रहे थे. सिमरन के प्यार से अंजान मां ने जब एक दिन सिमरन को रिश्ते के लिए एक लड़के की फोटो दिखाई तो सिमरन को ऐसा लगा जैसे किसी ने उसे हसीन सपना देखते हुए जगा दिया हो.

‘‘अम्मी अभी शादी की क्या जल्दी है.. मुझे घर से निकालना चाहती हो क्या?’’ सिमरन ने बेमन से लड़के की फोटो देखने के बाद कहा.

‘‘नहीं बेटा, लड़की मांबाप के लिए एक जिम्मेदारी होती है जितनी जल्दी ये जिम्मेदारी पूरी हो जाए मांबाप का मन हल्का हो जाता है. और तेरा निकाह हो जाएगा तो उस के बाद फिरोज के लिए भी तो दुल्हन लानी है घर में.’’

शाबरी बेगम ने सिमरन के शादी के ऐतराज को स्वभाविक रूप से लिया. लेकिन वे इस बात से कतई अंजान थी कि बेटी के मन में क्या चल रहा है. सिमरन जानती थी कि अगर उस ने अपनी अम्मी को अपनी पंसद के बारे में बताया तो वे आमिर से उस की शादी के लिए कतई तैयार नहीं होगी. क्योंकि आमिर का परिवार उस की दूसरी बहनों की ससुराल की तरह समृद्ध नहीं था. आमिर के पिता शाहिद मूलरूप से मेरठ के रहने वाले हैं. वे जवानी के दिनों में ही दिल्ली आ गए थे. आजादपुर मंडी में आढ़तियों को लेबर सप्लाई करने वाले शाहिद के परिवार में उन की बीवी आबिदा के अलावा 10 बच्चे थे, 3 बेटियां व 7 बेटे.

परिवार लंबाचौड़ा था और खर्चे अधिक. मंदे समय में उन्होेंने किसी तरह अपने परिवार के लिए मंडोली की गली नंबर 9 में मकान तो बना लिया था, लेकिन 3 बेटियों की शादी करने और 7 बेटों को पालपोस कर जवान करतेकरते वे उम्र से पहले ही बूढे हो कर बीमार रहने लगे थे. उन का कोई भी बच्चा 5वीं जमात से ज्यादा नहीं पढ़ सका था. मेरठ के सरूरपुर, जैनपुर में पनीर बनाने के कई प्लांट हैं. शाहिद के लगभग सभी बेटे इन्हीं फैक्ट्रियों में काम करते हैं. 2 बड़े बेटे अपने परिवार के साथ जैनपुर में ही किराए का मकान ले कर रहते थे. आमिर से छोटे भाई की भी शादी हो चुकी थी, लेकिन उस की पत्नी दिल्ली में शाहिद व उन की पत्नी आबिदा के पास ही रहती थी. 3 बेटों की अभी शादी नहीं हुई थी.

ढाई साल पहले जिन दिनों सिमरन और आमिर का प्यार परवान चढ़ रहा था उन दिनों आमिर पनीर बनाने का काम सीख रहा था. उस ने अभी नौकरी शुरू नहीं की थी. अलबत्ता 10 हजार रूपए में उस की नौकरी एक प्लांट में पक्की हो गई थी. इधर जब सिमरन ने आमिर को बताया कि उस के अम्मी अब्बू उस का जल्द से जल्द कहीं दूसरी जगह निकाह कराने की तैयारी कर रहे है तो आमिर सकते में आ गया. क्योंकि वो चाहता था कि सिमरन के साथ अभी एक साल उस के प्रेम संबध यूं ही चलते रहें. उस ने सोचा था कि नौकरी कर के पहले पैसा कमाएगा फिर सिमरन से शादी करेगा. लेकिन जब अचानक सिमरन ने बताया कि परिवार वाले उस का निकाह कराने की तैयारी कर रहे हैं तो उस के हाथपांव फूल गए.

उसे समझ नहीं आया कि वह क्या करें. सिमरन ने उसे ये भी बता दिया था कि उस के परिवार की हैसियत देख कर उस के परिवार वाले कभी दोनों की शादी के लिए तैयार नहीं होंगे. सिमरन दिल्ली में रहने वाली और 12वीं क्लास तक पढ़ी लड़की थी. उसे पता था कि अगर परिवार शादी की इजाजत ना दे तो बालिग प्रेमियों को शादी के लिए क्या करना चाहिए. सिमरन मिली भावी ससुराल वालों से इसलिए सिमरन ने आमिर से पूछा कि क्या उस के परिवार वाले उसे अपनाने के लिए तैयार हैं. सिमरन अच्छे संपन्न परिवार की पढ़ीलिखी सुंदर लड़की थी. जब आमिर ने उसे अपने परिवार वालों से मिलाया तो सब ने शादी के लिए हां कर दी.

अब सवाल यह था कि सिमरन के परिवार वाले दोनों का निकाह कराने के लिए तैयार नहीं होंगे. तय हुआ कि सिमरन व आमिर कोर्ट मैरिज कर लें. बाद में सिमरन का परिवार अपने आप मान जाएगा. सिमरन व आमिर ने शाहदरा मैरिज कोर्ट में शादी के लिए आवेदन कर दिया. चूंकि दोनों ही बालिग थे और परिवार के तौर पर दोनों की तरफ से आमिर के दोस्त गवाह थे, लिहाजा दोनों की कोर्ट मैरिज होने में कोई अड़चन नहीं आई. लेकिन जब कोई लड़की निकाह करती है तो भले ही परिवार से कुछ ना बताए लेकिन उस के रहनसहन और पहनावे में इतना परिवर्तन तो आ ही जाता है कि सवालों का पहाड़ अपने आप ही खड़ा हो जाए.

कोर्ट मैरिज के बाद सिमरन जब चूड़ा पहन कर अपने घर गई तो उस की अम्मी को शक हुआ, तो उन्होंने सवालों की बौछार कर दी. सिमरन जानती थी कि एक ना एक दिन सब को सच बताना ही पडे़गा. लिहाजा उस ने अपनी मां को बता दिया कि वह आमिर नाम के एक लड़के से प्यार करती है और उस ने कोर्ट मैरिज कर ली है. बेटी के लिए अच्छे घर का सपना देखने वाले मातापिता के लिए बेटी के प्रेम विवाह की खबर किसी वज्रपात से कम नहीं होती. उन्होंने जब लड़के व उस के परिवार के बारे में पूछा तो सिमरन ने सब कुछ सचसच बता दिया. जैसा कि सिमरन को आशंका थी वैसा ही हुआ. मां ने सिमरन को लानतमलानत दी और उस की पिटाई कर दी. अब्बू के घर आने के बाद तो जम कर हंगामा हुआ. पिता ने उसी दिन आमिर को अपने घर बुलाया और उसे धमकी देते हुए अपनी बेटी को भूल जाने के लिए कहा.

आमिर ने सिमरन से सच्ची मोहब्बत की थी. भूल जाने का तो सवाल ही नहीं उठता था. लिहाजा उस ने साफ कह दिया कि वह दुनिया में सब को छोड़ सकता है लेकिन सिमरन को छोड़ना उस के लिए मुमकिन नहीं. मोहम्मद शरीफ ने जब उसे अपनी हैसियत देखने के लिए कहा तो आमिर ने साफ कह दिया कि उस ने सिमरन की हैसियत से नहीं, बल्कि दिल से प्यार किया है. शरीफ ने आमिर को मारपीट कर घर से भगा दिया और उसे चेतावनी दे दी कि भूल कर भी सिमरन से मिलने का प्रयास न करें. आमिर जानता था कि अगर उस ने जरा सी भी देर कर दी तो सिमरन के घर वाले जल्दी ही कहीं उस का निकाह कर देंगे. लिहाजा उस ने अपनी जान पहचान के कुछ लोगों से बात की और हर्ष विहार थाने पहुंच गया.

आमिर ने पुलिस को बताया कि उस ने सिमरन से कोर्ट मैरिज की है लेकिन उस के ससुराल वाले इस शादी को नहीं मान रहे हैं. उन्होंने उस की बीवी को अपने घर में बंधक बना कर रखा हुआ है और उस के साथ नहीं भेज रहे. आमिर ने कोर्ट मैरिज का जो प्रमाण पत्र दिया था, उस की जांच की गई तो उस से आमिर का आरोप सच पाया गया. लिहाजा आमिर की शिकायत पर पुलिस मोहम्मद शरीफ, उन की बेगम व बेटी को थाने ले आई. थाने ला कर दोनों पक्षों में बहस हुई. मातापिता के बेटी के पक्ष में अपने तर्क थे, तो आमिर व सिमरन के अपनी मोहब्बत के तर्क. लेकिन पुलिस को तो कानून देखना था. पुलिस की नजर में आमिर व सिमरन दोनों बालिग थे, दोनों का धर्म भी एक था और कानूनन उन की शादी हुई थी.

लिहाजा पुलिस ने मोहम्मद शरीफ को चेतावनी दी कि वे आमिर व सिमरन के बीच में बाधा न डालें और उसे अपने पति के पास जाने दें. ऐसा ही हुआ भी शरीफ ने टूटे मन से बेटी को आमिर के हाथों में सौंप दिया. लेकिन उन का दिल बुरी तरह टूट गया था. उन्होंने बेटी को न जाने क्यों बद्दुआ दे दी कि मातापिता का दिल दुखा कर वो कभी खुश नहीं रह सकती. उन्होंने थाने से ही सिमरन को आमिर के साथ भेज दिया. लेकिन साथ ही कहा भी कि आमिर के साथ उन की बिना मरजी के उस ने जो शादी की है, उस के बाद उस का उन के साथ कोई रिश्ता नहीं रहा. मांबाप का दिल तोड़ कर खुश थी सिमरन माता पिता का दिल टूटने के दुख से ज्यादा सिमरन को इस बात की ज्यादा खुशी थी कि जिस के साथ उस ने जीवन जीने के सपने देखे थे, वह उस का हो गया.

सिमरन की शादी भले ही कोर्ट मैरिज के रूप में हुई थी लेकिन ससुराल में आने के बाद आमिर ने घर में एक बड़ी दावत रखी. शुरुआत के कुछ दिन आमिर के प्यार में कैसे गुजर गए पता ही नहीं चला. लेकिन एक दो महीने बाद ही सिमरन का सामना जिंदगी की हकीकत से शुरू होने लगा. पिता के घर में लाड़प्यार से पली सिमरन को कभी किसी जरूरत के लिए किसी का मोहताज नहीं होना पड़ा था. उस ने हमेशा खुले मन से पैसा खर्च किया था. चूंकि आमिर ने तब तक नौकरी शुरू नहीं की थी, सो वह खुद ही मांबाप व भाइयों के खर्चे पर पल रहा था. इसलिए शादी के 2 महीने बीतने के बाद सिमरन को छोटेछोटे खर्चो के लिए दूसरों का मोहताज होना पड़ा.

वह जब भी आमिर से खर्चे के लिए पैसे मांगती तो वह टका सा जवाब दे देता कि जब तक वह कमाएगा नहीं, तब तक वह उसे कुछ नहीं दे सकता. अगर वह चाहती है कि उस के पास पैसा हो और उस की जिंदगी किसी पर निर्भर ना रहे तो उस के साथ मेरठ चले. जहां वह नौकरी कर के उस की हर खुशी पूरी करेगा. सिमरन के लिए गुरबत में जीने से अच्छा यही था कि वह उस के साथ मेरठ चली जाए. लिहाजा शादी के 2 महीने बाद ही सिमरन आमिर के साथ सरूरपुर चली गई. वहां आमिर ने हर्रा कस्बे में एक सस्ता सा किराए का मकान ले लिया. पास के जैनपुर गांव में अपने भाइयों की तरह उस ने भी एक पनीर बनाने वाले प्लांट में 10 हजार रुपए की पगार पर नौकरी शुरू कर दी.

आमिर चूंकि गाड़ी चलाने से ले कर पनीर की मार्केटिंग और प्लांट के दूसरे काम भी देखता था. लिहाजा इन कामों से भी उसे 4-5 हजार रुपए की अतिरिक्त कमाई हो जाती थी. किसी तरह सिमरन के साथ धीरेधीरे घरगृहस्थी  चलने लगी. जिस तेजी के साथ समय गुजरने लगा, उसी तेजी के साथ सिमरन के उपर चढ़ा आमिर के प्यार का नशा भी उतरने लगा. क्योंकि शुरुआत में तो सिमरन ने सोचा था कि चलो जिदंगी का सफर शुरू करने के लिए तंगी में भी गुजर बसर की जा सकती है. लेकिन एक सवा साल बीतने के बाद उसे लगा कि गुरबत में जिंदगी गुजारना मानों उस की नियति बन गई है. क्योंकि ना तो आमिर उसे अच्छे कपडे़ दिलाता था और ना ही उस की कोई ऐसी फरमाइश पूरी करता था जिस से उसे खुशी मिलती.

आमिर अब ये और ताने देने लगा था कि उस की जिंदगी ऐसी ही थी और आगे भी ऐसी ही रहेगी. मैं ने तेरे बाप से कोई दहेज नहीं लिया कि तेरी फरमाइशें पूरी करने के लिए चोरीडकैती करूं. जब कभी आमिर इस तरह के ताने देता तो सिमरन का मातापिता की लड़के की हैसियत को ले कर कही जाने वाली बातें याद आने लगती थीं. अब उसे समझ आने लगा था कि मातापिता बेटी के सुखद भविष्य के लिए लड़के की हैसियत और उस के काम को तवज्जो क्यों देते हैं. लेकिन सिमरन प्यार में अंधी हो कर आमिर से शादी का जो कदम उठा चुकी थी उस का पश्चाताप तो यही था कि हर हाल में भी उसे आमिर के साथ खुश रहना था. लेकिन इस दौरान एक अच्छी बात ये हुई कि कोर्ट मैरिज के कारण शुरू हुई मातापिता की नाराजगी खत्म हो गई. मातापिता और भाई व बहनें अब उस से अक्सर मोबाइल फोन पर बातें करने लगे थे.

कुछ दिन सिमरन को लगा कि परिवार ने संबधों को सुधारने के लिए जो पहल की है उसे उस पहल को आगे बढ़ाना चाहिए. लिहाजा वह भी एक दिन आमिर को साथ ले कर अपने मायके चली गई. लंबे समय बाद मांबाप से मिलन हुआ. कुछ शिकवेशिकायतें हुईं और फिर मांबाप भी बेटी को अपने शौहर के साथ खुश देख कर सारे गिलेशिकवे भूल गए. इस तरह सिमरन का अपने मातापिता के घर आनाजाना शुरू हो गया. इधर, आमिर इस बात से खुश था कि चलो अब सिमरन के अपने मायके वालों के साथ संबध सुधर गए है तो उसे भी उन की बड़ी हैसियत का फायदा मिलेगा. बेटी को खुश रखने के लिए आखिर वे कुछ ना कुछ आर्थिक मदद तो करेंगे ही. लेकिन एकदो बार मायके जाने के बाद भी जब सिमरन खाली हाथ लौटी तो आमिर के ससुराल वालों से मदद मिलने के सपने चकनाचूर हो गए.

इधर मायके से संबध जरूर सुधर गए थे, लेकिन सिमरन कभी उन से अपनी गुरबत भरी जिंदगी का जिक्र नहीं करती थी. क्योंकि उस का मानना था कि उस ने अपनी इच्छा से आमिर से शादी की थी. इसीलिए वो जिस हाल में भी उसे रखेगा वह रहेगी लेकिन परिवार को अपने दुखों के बारे में नहीं बताएगी. आमिर की भी उम्मीदें अधूरी, सिमरन की भी इधर जब सिमरन अपनी जरूरतों के लिए आमिर से पैसा मांगती तो वह उसे टका सा जवाब दे देता कि मेरे साथ तो तुम को रूखी रोटी ही नसीब होगी. अगर ऐशोआराम के लिए पैसा चाहिए तो अपने बाप से मंगा लो. जब भी आमिर इस तरह का ताना देता तो सिमरन का उस से झगड़ा हो जाता और वह उसे सुना देती कि उस ने अपने मातापिता की इच्छा के खिलाफ लड़झगड़ कर उस से शादी की है इसलिए उस की हर इच्छा और जरूरतों को पूरा करना भी उसी का फर्ज है.

ऐसे ही रोजमर्रा के झगड़ों में समय तेजी से बीतने लगा. लेकिन कोरोना और बीच में कुछ समय तक रहे लौकडाउन के कारण आमिर की कमाई में कमी आ गई थी. घर की आम जरूरतें भी ठीक से पूरी नहीं हो पाती थीं. उस पर जब सिमरन उस से कोई फरमाइश कर देती तो इसी बात पर दोनों के बीच झगड़ा हो जाता था. आमिर को भी अब लगने लगा था कि एक बड़े घर की लड़की से शादी कर के उस ने बड़ी गलती कर दी है. उस ने तो सोचा था कि बडे़ घर में शादी कर के उसे ससुराल वालों का सहारा मिलेगा, लेकिन जब ऐसा कुछ नहीं हुआ तो उस की खींझ बढ़ने लगी. इस दौरान आमिर व सिमरन के बीच आर्थिंक तंगियों के कारण झगड़े ज्यादा होने लगे थे.

जब भी ऐसा होता तो आमिर नाराज हो कर जैनपुर में अपने सब से बडे़ भाई के पास चला जाता. पूरे परिवार को इस दौरान आर्थिक तंगी के कारण पतिपत्नी के बीच होने वाले झगड़ों की बात पता चल चुकी थी. आमिर अपने परिवार वालों के सामने सिमरन की गलत आदतों और ऊंची फरमाइशों की बात बता कर हमेशा उसे ही गलत ठहराता था. सब को यही लगता कि सिमरन बड़े घर की लड़की है, अपनी ऐश भरी फरमाइशें पूरी न होने के कारण आमिर से झगड़ा करती होगी. 29 नवंबर, 2020 को शाबरी बेगम अपने पति मोहम्मनद शरीफ व बेटे फिरोज को ले कर अचानक सरूरपुर थाने पहुंची. थानाप्रभारी अरविंद कुमार उस समय थाने पर ही अपने स्टाफ के साथ मीटिंग कर रहे थे.

शाबरी बेगम ने बताया कि उस की बेटी हर्रा कस्बे में अपने पति आमिर के साथ रहती है. लेकिन 26 नवंबर की सुबह से बेटी का फोन लगातार स्विच्ड औफ आ रहा है. वे लोग उस की खैरियत को ले कर परेशान हैं. इसलिए हकीकत जानने के लिए जब पति व बेटे के साथ उस के घर पहुंची तो वहां ताला लगा मिला. ना ही बेटी का फोन मिल रहा है, ना ही उस की कोई खबर मिल रही है. ‘हो सकता है अपने हसबैंड के साथ ही गई हो या फोन में कोई परेशानी आ गई हो.’

इंसपेक्टर अरविंद कुमार ने सारी बात जानने के लिए दूसरे पहलू को सोचते हुए अपनी राय दी तो शाबरी बेगम ने कहा सर मेरी चिंता इस बात को ले कर है कि मेरी बेटी को उस का पति पिछले कुछ महीनों से लगातार परेशान कर रहा था. दोनों ने कोर्ट मैरिज की थी. वो बेटी को इस बात के लिए परेशान कर रहा था कि उसे कोई दहेज नहीं मिला था. इस के अलावा पिछले कुछ दिनों से वो हमारी बेटी से छुटकारा पा कर दूसरी शादी करने की बात भी करता था. जब मेरी बेटी से आखिरी बात हुई थी, उस दिन भी दोनों में झगड़ा हुआ था और आमिर ने सिमरन की पिटाई कर दी थी.

चूंकि शाबरी बेगम ने आमिर के खिलाफ अपनी बेटी को दहेज के लिए प्रताडि़त करने व हत्या की नियत से उस के अपहरण की आशंका जाहिर की थी, लिहाजा एसएचओ अरविंद कुमार ने सारी बात एसएसपी मेरठ अजय साहनी को बताई. उन्होंने एसपी देहात अवीनाश पांडे व सीओ सरधना आरपी शाही को थाने पहुंचने के लिए कहा. दरअसल दहेज उत्पीड़न के साथ अपहरण जैसे गंभीर मामलों में उच्चाधिकारियों को विश्वास में लिए बिना कोई कार्रवाई करने से मामला बिगड़ सकता था. एसपी देहात व सीओ सरधना थाने पहुंचे तो उन से भी शाबरी बेगम ने बेटी सिमरन के प्रेम विवाह से ले कर पति की प्रताड़ना तक की पूरी कहानी सुना दी.

बात पहुंची पुलिस तक जिस तरह की शिकायत थी उस पर तत्काल काररवाई जरूरी थी. इसलिए  एसपी देहात के आदेश पर  इंसपेक्टपर अरविंद कुमार ने उसी दिन थाने पर धारा 498ए 364 के तहत मुकदमा दर्ज कर लिया. चूंकि मामला दहेज उत्पीड़न का था लिहाजा जांच की जिम्मेदारी सीओ आरपी शाही को सौंपी गई. उन्होंने आगे की काररवाई के लिए इंसपेक्टर अरविंद कुमार के नेतृत्व में एसएसआई योगेंद्र सिंह, हेडकांस्टेबल सुरेश कुमार, कांस्टेबल आशु मलिक, सचिन सिरोही, महिला कांस्टेबल अनु और बबली की एक टीम गठित कर दी. पुलिस टीम ने जांच का काम हाथ में लेते ही सब से पहले आमिर के परिवार और मिलनेजुलने वाले लोगों की सूची तैयार कर उन से आमिर के बारे में पूछा.

लेकिन किसी को उस के बारे में कुछ पता नहीं था. वह 26 नवंबर से काम पर भी नहीं गया था. पुलिस ने आमिर के घर के पास लगे एक सीसीटीवी को चैक किया तो पता चला कि 25 व 26 नवंबर की रात में आमिर व 3 अन्य लोग काले रंग की एक बोलेरो गाड़ी में सिमरन को लाद कर कहीं ले गए थे. साफ था कि सिमरन के साथ कुछ गलत हो चुका था. सिमरन को क्या हुआ था इस की जानकारी आमिर के पकड़े जाने पर ही मिल सकती थी. लिहाजा पुलिस ने आमिर के फोन की सीडीआर निकलवाई, जिस से पता चला  कि वारदात के अगले दिन 27 नंवबर को उस की लोकेशन दिल्ली में थी. उस के बाद से उस की लोकेशन लगातार लखनऊ की आ रही थी. एसएसपी के आदेश पर उसी समय एक टीम को लखनऊ रवाना किया गया.

जहां से सर्विलांस टीम तथा स्थानीय पुलिस की मदद से पुलिस ने आमिर को 1 दिसंबर को गिरफ्तार कर लिया. पुलिस टीम उसे सरूरपुर ले आई और पूछताछ का सिलसिला शुरू हुआ. पता चला कि उस ने सिमरन की हत्या कर दी थी. आमिर ने बताया कि उस की आय उतनी नहीं थी लेकिन सिमरन एक अच्छी जिंदगी जीने वाली लडकी थी और अपनी जरूरतों के लिए उस से कोई फरमाइश करती थी तो उसे गुस्सा आ जाता था. आमिर ने कई बार सिमरन से कहा था कि वह अपने परिवार से 2-4 लाख रुपए ले ले, जिस से कोई काम कर के उन की जिंदगी बदल सकती है.

लेकिन सिमरन ने साफ कह दिया था कि उस ने अपने परिवार से बागी हो कर शादी की थी. ऐसे में उसे कोई हक नहीं बनता कि वह अपने परिवार से पैसा मांग कर उन की नजर में अपने फैसले को गलत साबित करे. सिमरन खुद्दार लड़की थी लेकिन आमिर को इस से कोई मतलब नहीं था. जब सिमरन ने उस की बात नहीं मानी और उसकी फरमाइशें पूरी करने के चक्कर में आए दिन झगड़ा होने लगा तो आमिर का अपने बड़े भाई आदिल के घर आना जाना बढ़ गया. वहां भाई की जवान साली से उसका दिल लग गया. आदिल की साली सिमरन जैसी बहुत खूबसूरत तो नहीं थी लेकिन गरीब परिवार की होने के कारण खुद को हर तरह के हालात में ढाल सकती थी.

जैसेजैसे आमिर का आकर्षण भाई की साली की तरफ बढ़ता गया वैसेवैसे सिमरन से उस के झगडे़ बढ़ते चले गए. वैसे भी अब उसे अपनी ससुराल से किसी तरह की मदद की उम्मीद नहीं रह गई थी. इसलिए आमिर ने सोचा कि क्यों न जिंदगी भर होने वाली सिमरन की चिकचिक से छुटकारा पा कर भाई की साली से निकाह कर लिया जाए. इसीलिए जब भी लड़ाई होती तो आमिर सिमरन से कहता कि अगर उस के साथ नहीं रहना चाहती तो उस का पीछा छोड़ दे और अपने घर चली जाए, कम से कम वह दूसरा निकाह तो कर लेगा. 25 नंवबर को भी ऐसी ही बात पर झगड़ा हुआ था. दोनों के बीच मारपीट भी हुई थी. यह बात सिमरन ने फोन पर अपनी मां को भी बता दी थी.

उसी दिन आमिर ने मन बना लिया कि बस अब बहुत हुआ रोजरोज के झगड़ों से अच्छा है कि आज सिमरन को खत्म कर दिया जाए. उस रात जब वो शाम को घर पहुंचा तो पहले उस ने सुबह के झगड़े के लिए सिमरन से माफी मांगी, फिर दोनों ने साथ खाना खाया. बिस्तर पर पहुंचते ही आमिर ने सिमरन को इस तरह प्यार किया मानों आज के बाद वे फिर कभी दोबारा नहीं मिलेंगे. ऐसा ही हुआ भी. आधी रात को जब सिमरन गहरी नींद सो गई तो उस ने सोते समय सिमरन का गला दबा दिया. सिमरन एक क्षण को छटपटाई लेकिन आमिर की मजबूत पकड़ से निकल नहीं सकी और उस ने दम तोड़ दिया.

प्रेमी पति ने सिमरन को लगाया ठिकाने हत्या करने के बाद आमिर अपने पनीर के जैनपुर स्थित प्लांट पर पहुंचा. वहां से वह फैक्टरी की बोलेरो गाड़ी में प्लांट पर काम करने वाले तीन मजदूरों को यह कहकर अपने हर्रा स्थित घर बुला लाया कि उस की पत्नी की तबीयत खराब है उसे अस्पताल ले जाना है. वह उसे गाड़ी में डालने में मदद कर दें. जब मजदूर घर पहुंचे तो उन्होंने देखा कि आमिर की पत्नी तो मृत पड़ी है. मजदूरों ने ऐतराज किया तो आमिर ने उन्हें  नौकरी से निकलवाने की धमकी दी जिस से वे चुप हो गए, उन्होंने सोचा कि चलो बौडी को गाड़ी में ही तो रखवाना है. इस के बाद उस ने उन की मदद से सिमरन के शव को गाड़ी में डाला और वापस जैनपुर स्थित प्लांट के पास पीछे ले जा कर तिरपाल डाल कर गाडी खड़ी कर दी.

रात में करीब ढाई बजे आमिर ने प्लांट के पास एक खेत में गड्ढा खोदा और एक मजदूर की मदद से सिमरन के शव को गड्ढे में दबा दिया. राज खुलने के डर से आमिर ने अगली सुबह अपना मोबाइल स्विच औफ कर दिया और दिल्ली पहुंच गया. लेकिन वहां उसे पकड़े जाने का डर सताने लगा तो सीधा लखनऊ निकल गया. इस दौरान आमिर ने परिवार में या किसी को सिमरन की हत्या की भनक नहीं लगने दी. पुलिस ने पूछताछ के बाद आमिर की निशानदेही पर जैनपुर के एक खेत में दबे सिमरन के शव को बरामद कर लिया. साथ में मौजूद सिमरन के परिजनों ने उस की शिनाख्त भी कर दी. जिस के बाद पुलिस ने सिमरन का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया.

आमिर से पूछताछ के बाद पुलिस ने सिमरन का शव ठिकाने लगाने में उस की मदद करने वाले उस की फैक्टरी के मजूदरों के नाम पते भी मिल गए, जिन की पहचान आरिफ निवासी नूरपुर, जिला अलीगढ़, नसीम निवासी शिकरावा जिला नूह मेवात हरियाणा तथा बबलू निवासी विनोली जिला बागपत के रूप में हुई. पुलिस ने उन्हें भी मुकदमे में आरोपी बना कर मामलें में हत्या की धारा 302 व सबूत खत्म करने की धारा 201 जोड़ दी. आमिर को सक्षम न्याधयालय में पेश कर के जेल भेज दिया गया. पुलिस बाकी आरोपियों को गिरफ्तारी की कोशिश में लग गई.

कितनी हैरानी की बात है कि जिस युवक के लिए सिमरन ने अपने परिवार से बगावत की थी, उस का वहीं हम सफर जिंदगी भर साथ निभाना तो दूर उस की जिम्मेदारियां तक नहीं उठा सका और एक दूसरी औरत के आगोश में जाने के लिए उसे ही अपने रास्ते से हटा दिया. यह कहानी सिर्फ एक सिमरन की नहीं है. आज की पीढ़ी के नौजवान लड़केलड़कियां प्यार में अंधे हो कर साथ जीने मरने की कसमें खा कर परिवार की मर्जी के खिलाफ शादी तो कर लेते हैं. लेकिन तजुर्बे की कमी के कारण ये भूल जाते है कि जिंदगी की कठिन राह में जिम्मेदारियों के बहुत से कांटे भी होते हैं, जो कदमकदम पर चुभते हैं.

इसीलिए मातापिता बेटियों की शादी से पहले दामाद का परिवार, उस की हैसियत और उस के नौकरी या कारोबार को परखते हैं. क्योंकि इन्हीं छोटी बातों को अनदेखा करने से एक दिन जिंदगी का बड़ा फसाना बन जाने की संभावना बनी रहती है.

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