वेब सीरीज : इस वेब सीरीज में एक के बाद एक हत्याएं होती हैं, क्षेत्र के लोग यही समझते हैं कि सारी हत्याएं कोयला खदान की अतृप्त आत्मा कर रही है. इंसपेक्टर वीर प्रताप सिंह इन हत्याओं की गुत्थी सुलझाने की कोशिश करता है, लेकिन जैसेजैसे वह रहस्य को सुलझाता है, खुद रहस्यों और धोखे के जाल में फंसता चला जाता है.
कलाकार: एली गोनी, करणवीर बोहरा, रेबेका आनंद, जीनल जोशी, दिव्या शर्मा, खुशी आनंद, अमर मौर्या, सिकंदर खान
निर्देशक: यूनुस बुखारी, गगन पुरी, निर्माता: विक्रांत आनंद, निकिता रतांशी, एसोसिएट राइटर: तपस्या छिब्बर, अमन पुराणिक, लेखक: अंशुल विजयवर्गीय, कास्टिंग: शेख अमजद, आफाक कुरैशी, ओटीटी: हंगामा प्ले
वेब सीबीज ‘खदान’ 19 मार्च, 2025 को ओटीटी प्लेटफार्म ‘हंगामा’ पर रिलीज हुई थी. यह एक रोमांचक थ्रिलर है, जिस में सस्पेंस और ऐक्शन का मिश्रण है. इस वेब सीरीज में एक भयानक अतीत से ग्रसित गांव का रहस्य उजागर किया गया है. इंसपेक्टर वीर प्रताप सिंह (एली गोनी) शांति की तलाश में एक भयानक अतीत से ग्रसित खनन शहर में आता है, लेकिन यहां पहुंचने पर वह एक अजीब और अलग तरह की दुविधा में फंस जाता है.
एक गांव में पूरे परिवार की निर्मम हत्या कर दी जाती है, जिस से कई सवाल उठने लगते हैं. क्या आत्मा अपनी हत्या का बदला लेने के लिए वापस आ गई है? क्या इस अभिशप्त गांव पर लंबे समय से चला आ रहा अभिशाप वापस आ गया है? जांच के दौरान मिले सैकड़ों शवों के पीछे कौन है? इंसपेक्टर वीर प्रताप सिंह इन सवालों के जवाब खोजता है तो वह रहस्य और धोखे के जाल में और अधिक फंसता चला जाता है. उस के बाद जैसेजैसे प्रत्येक रहस्य उजागर होता है, किंवदंती और वास्तविकता के बीच रेखाएं धुंधली होती चली जाती हैं. उस के बाद एक ऐसा सत्य सामने आता है, जो उस के संकल्प की परीक्षा लेता है और उस के जीवन की दिशा को हमेशा के लिए बदल देता है. इस वेब सीरीज में 25 से 30 मिनट के कुल 6 एपिसोड हैं.
एपिसोड नंबर 1
इस एपिसोड का नाम ‘भद्रा’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में इंसपेक्टर वीर प्रताप सिंह (एली गोनी) ट्रांसफर हो कर कालाकोठी थाने में जा रहा है, जहां पर जाने से अधिकतर पुलिस अधिकारी कतराते हैं. इंसपेक्टर वीर पुलिस जीप से गांव की तरफ जा रहा होता है, तभी उस की जीप के आगे एक विचित्र सी औरत अपने हाथ में लालटेन लिए दिखाई देती है. इंसपेक्टर वीर जीप से उतर कर देखता है तो वह बूढ़ी औरत एकाएक गायब हो जाती है. इंसपेक्टर वीर को जीप ड्राइवर कांस्टेबल बताता है कि इस बुढिय़ा का नाम दानीबा (रीना भट्टाचार्जी) है और इस का बेटा राका (राजकुमार अहिरवार) कोयले की खदान में काम करता था.
अगला दृश्य अब फ्लैशबैक में चला जाता है, जहां राका कोयले की खदान के सामने अपने दोस्तों देवेश (राम सिंह) और स्पंदन (अमर मौर्या) के साथ बैठ कर दारू पी रहा होता है, तभी उस का दोस्त देवेश राका को कहता है कि राका खदान नंबर 9 के आगे बैठ कर दारू मत पियो, कहीं यहां पर भद्रा (गौरव नैन) आ गया तो वह हम को छोड़ेगा नहीं. तब राका देवेश से गुस्सा हो जाता है और कहता है कि जब भद्रा जिंदा था, तब तक तो वह मेरा कुछ न बिगाड़ सका, अब मरने के बाद वह मेरा भला क्या बुरा कर सकता है. चलो, तुम दोनों मेरे साथ, आज उस भूत भद्रा का किस्सा ही हमेशा के लिए खत्म कर देता हूं.
उस के बाद अपने दोनों दोस्तों के साथ राका खदान नंबर 9 के अंदर जा कर भद्रा की आत्मा को ललकारने लगता है, तभी देवेश को वहां एक धुंधली आकृति दिखाई देती है जो राका, देवेश और स्पंदन की जान ले लेती है. दानीबा जब अपने बेटे राका के लिए खाना ले कर खदान में पहुंचती है तो वह राका को मरा हुआ देखती है. अब सीन फिर से वर्तमान में आ जाता है, जहां ड्राइवर इंसपेक्टर वीर को बताता है कि उस के बाद दानीबा अजीब सी हरकतें करने लगी तो गांव वालों को लगा कि दानीबा काला जादू करती है, इसलिए गांव वालों ने उसे गांव से बाहर निकाल दिया. दानीबा अब इधरउधर भटकती रहती है.
अगले दिन इंसपेक्टर वीर के घर उस का स्वागत करने सरपंच सुधीर राठी (सिकंदर खान) आता है. उस के साथ उस की बेटी दिव्या (नेहा राजपूत) और उस की सहेली नूपुर (जीनल जोशी) भी होते हैं. नूपुर इंसपेक्टर वीर को खाने का टिफिन देते हुए कहती है कि खदान और पुलिस स्टेशन में मेरी ओर से ही खाना जाता है. अगले दृश्य में खदान के ठेकेदार रवि बटवाल (मान सिंह) के घर पर उस के छोटे बेटे हर्ष (युग पांडया) के जन्मदिन की तैयारियां हो रही हैं, तभी रवि बटवाल अपनी पत्नी (जीनत परवीर कुरैशी) से कहता है कि मेरा खदान में एक अर्जेंट काम आ गया है. तब बटवाल अपने बड़े बेटे सिद्धू को ले कर खदान की तरफ निकल जाता है.
बटवाल तभी वहां पर खदान जाने से पहले अपने बेटे के साथ महिपाल (करणवीर बोहरा) से मिलता है और कहता है कि महिपाल तेरे ऊपर मेरा बहुत बकाया चढ़ गया है. कल तक मेरे पैसे मिल जाने चाहिए और धमकी दे कर चला जाता है. उन केजाने के बाद महिपाल बुदबुदाते हुए कहता है कि बटवाल तेरा सारा हिसाब तो मैं आज रात को ही कर दूंगा. अगले सीन में महिपाल अपनी मंगेतर सबइंसपेक्टर प्रज्ञा (रेबेका आनंद) से मिलने आता है तो वह प्रज्ञा को कुछ कहने लगता है तभी उसे प्रज्ञा जाने को कहती है, क्योंकि इंसपेक्टर वीर वहां आ कर दोनों को डांट देता है.
खदान में काम करने वाले बिरजू (मोहित नैन) के घर उस की प्रेमिका आंचल (वर्तिका द्विवेदी) हर्ष बटवाल के जन्मदिन की पार्टी का निमंत्रण देने आती है. आंचल बिरजू से प्यार करती है. उस के बाद बिरजू और आंचल को आपस में प्यार और सैक्स संबंध बनाते हुए दिखाया गया है. आगे के दृश्य में नूपुर का पिता धनिया (शकीर) जो पक्का शराबी है, नूपुर से शराब के लिए पैसों के लिए झगड़ता है, तभी वहां पर नूपुर की सहेली एसआई प्रज्ञा आ जाती है तो नूपुर धनिया को पैसे दे देती है. धनिया शराब पीने चला जाता है.
इंसपेक्टर वीरप्रताप अपने कमरे में मैगजीन पढ़ रहा होता है, तभी उसे फोन आता है कि खदान में मर्डर हो गया है. जब वह अपनी टीम के साथ खदान पहुंचता है तो वहां उन की टीम देखती है कि बटवाल, उस की पत्नी और बड़े बेटे की लाशें 9 नंबर वाली खदान में पड़ी हैं. पुलिस टीम तहकीकात करने लगती है. वहां पर थोड़ी दूर में महिपाल खड़ा होता है, जो मुसकराते हुए बटवाल की डैडबौडी को देखता है और फिर वहां से काफी दूर दानीबा भी बटवाल और उस के परिवार की डैडबौडीज को देख रही है. इसी के साथ पहला एपिसोड समाप्त हो जाता है.
यदि पहले एपिसोड का विश्लेषण करें तो पूरे एपिसोड में स्थिरता नहीं, बल्कि नाटकीयता दिखाई दे रही है. इस एपिसोड में प्रेमिका आंचल और प्रेमी बिरजू के इंटीमेट सीन जबरदस्ती वेब सीरीज की रेटिंग को बढ़ाने के लिए ठूंसे गए लगते हैं. प्यारमोहब्बत तक तो ठीक था, परंतु सैक्स संबंध बनाते हुए दिखाना फूहड़ सा लगता है. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अपने प्रदर्शन से दर्शकों को प्रभावित करने में सफल नहीं हुआ है.
एपिसोड नंबर 2
दूसरे एपिसोड का नाम ‘तैरती लाशें’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में आंचल और बिरजू को रात को घने जंगल में भागता हुआ दिखाया गया है. उस के बाद वे दोनों पुलिस स्टेशन आ कर इंसपेक्टर वीरप्रताप को बताते हैं कि हम दोनों उस दिन रात को हर्ष की जन्मदिन की पार्टी में थे. जब काफी देर तक बटवाल घर नहीं लौटे तो बटवाल की पत्नी हर्ष और दिव्या को घर में छोड़ कर हम दोनों के साथ 9 नंबर वाली खदान में बटवाल साहब को ढूंढने चली गई. हम जब खदान में पहुंचे तो वहां कोहरा सा छाने लगा. किसी ने हमारे ऊपर हमला कर दिया.
हम दोनों अपनी जान बचा कर जंगल में भाग गए और अब आप के सामने हैं. आंचल बताती है कि मेरी मां के मरने के बाद बटवालजी ने ही मुझे अपनी औलाद के समान पाला था. तब इंसपेक्टर वीरप्रताप बताता है कि बटवाल की बेटी दिव्या की लाश हमें उन के घर से मिली है, जबकि इन का छोटा बेटा हर्ष गायब है. अगले दृश्य में सरपंच इंसपेक्टर वीर से मिल कर बताता है कि बटवाल बहुत अच्छे इंसान थे. सरपंच के जाते ही आंचल इंसपेक्टर वीर से कहती है कि आप बटवाल के दोस्त अन्ना से मिलो, वहां आप को मर्डर का कोई क्लू अवश्य मिल सकता है.
इधर एसआई प्रज्ञा धनिया से पूछताछ करती है तो धनिया बताता है कि मुझे उस रात भद्रा का भूत दिखाई दिया था. उस के हाथ से उस की अंगूठी भी गिर गई थी. इस के बाद प्रज्ञा जब धनिया की बताई जगह पर जाती है तो वह वहां पर एक सीसीटीवी देख लेती है. अगले दृश्य में नूपुर महिपाल से मिलने जाती है, दोनों में काफी हंसीमजाक और छेड़छाड़ होने लगती है. नूपुर उसे कहती है कि तू प्रज्ञा से क्यों प्यार करता है, वह तेरे लायक है ही नहीं. इस के बाद दोनों के बीच प्रेमालाप करते और शारीरिक संबंध बनाते हुए दिखाया गया है.
इंसपेक्टर वीरप्रताप अपनी बाइक से एक जंगल के बीच से गुजर रहा होता है, रास्ते में उस की बाइक बंद हो जाती है. तभी वह सामने देखता है तो उसे अपना मरा हुआ बेटा (जारेड) दिखाई देता है, जो उसे पापा कह कर पुकारता था. वीर अपने पर्स से अपने बेटे की फोटो देखता है और उस के पीछेपीछे जाने लगता है, तभी उस का पैर फिसल जाता है और वह ऊंची पहाड़ी से गहरे तालाब में जा कर गिर जाता है. वहां पर वह देखता है कि तालाब में बहुत सारी लाशें तैर रही हैं.
इंसपेक्टर वीर अपनी टीम को वहीं पर बुलवा कर सारी की सारी लाशें पोस्टमार्टम के लिए भिजवा देता है. तभी उस के पास एसआई प्रज्ञा आ कर बताती है कि मेरे पास इतने सारे सबूत हैं. इन सभी लोगों का मर्डर भद्रा ने ही किया है. इंसपेक्टर वीर प्रज्ञा को डांटते हुए कहता है कि इन भूतों के पीछे भागना छोड़ कर हर्ष को ढूंढो, क्योंकि अगर हर्ष जिंदा है तो वही इन मर्डर के बारे में हमें बता सकता है. अगले दृश्य में खदानों का ठेकेदार नरेंद्र अन्ना (यूनुस बुखारी) इंसपेक्टर वीरप्रताप से मिलने थाने आता है. वह अपना परिचय देते हुए बड़ी शान से कहता है कि इंसपेक्टर मैं ने एक नया टीवी आप के घर पर लगवा दिया है और वह एक टोकरी में बहुत सारे फल और एक फोन भी वीर के सामने रखता है.
थाने में फोन आता है कि खदान नंबर 9 में कुछ गड़बड़ हो गई है. इंसपेक्टर वीर पुलिस टीम के साथ वहां पर जाता है तो एक तांत्रिक गांव वालों के बुलाने पर अपनी तंत्र विद्या से भद्रा के भूत को बुलाता है. तभी अगले ही पल तांत्रिक अपना गला पकड़ते हुए खदान से बाहर आता है और फिर जमीन पर गिर जाता है. उस की वहीं पर मौत हो जाती है. वहां पर गांव वाले चिल्लाने लगते हैं कि भद्रा के भूत ने ही तांत्रिक की जान ले ली है. प्रज्ञा भी इंसपेक्टर वीर से कहती है कि ये सब भद्रा ने ही किया है. तब इंसपेक्टर वीर उन सब को डांट कर कहता है कि तुम सब के सब इडियट हो और इसी के साथ दूसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
दूसरे एपिसोड में भी लेखक और निर्देशक का काम ढंग का बिलकुल भी नहीं रहा है. लेखक ने नूपुर का कैरेक्टर बड़े विचित्र ढंग का बना डाला है. कभी वह इंसपेक्टर वीर पर फिदा हो जाती है तो कभी अपनी सहेली प्रज्ञा के मंगेतर से प्यार और शारीरिक संबंध बनाने लगती है. इस एपिसोड में भी नूपुर और महिपाल के सैक्स संबंधों को काफी देर तक दिखाया गया है. इस की जगह यदि नूपुर के चरित्र को किसी और दूसरे रूप में दिखाया जाता तो एपिसोड में जान डाली जा सकती थी. यदि अभिनय की बात करें तो सारे कलाकारों का अभिनय एकदम फीका सा रहा है.
एपिसोड नंबर 3
तीसरे एपिसोड की अवधि 25 मिनट की है और इस एपिसोड का नाम ‘गड़े मुर्दे’ रखा गया है. एपिसोड की शुरुआत में एसआई प्रज्ञा रात को महिपाल के घर जाती है. उसे इन खूनों में महिपाल पर शक हो रहा था, लेकिन महिपाल उसे घर से भगा देता है. तभी नूपुर वहां आ जाती है और महिपाल से शारीरिक संबंध बनाना चाहती है. महिपाल उसे भी बाहर भगा देता है. वह कहता है कि आज मेरा मूड नहीं, चल निकल, कल आ जाना.
अगले दृश्य में सुष्मिता (दिव्या शर्मा) को समुद्र के किनारे होटल में स्कौच पीते दिखाया गया है. असल में सुष्मिता इंसपेक्टर वीरप्रताप की दोस्त है और वह नारकोटिक्स विभाग में काम करती है. इस दौरान होटल में एक युवक दिव्या पर आकर्षित हो जाता है और दिव्या के कमरे में आ जाता है. दोनों के बीच शारीरिक संबंध होता है. थाने में आ कर एक कांस्टेबल इंसपेक्टर को बताता है कि गांव वाले उस तांत्रिक की बौडी तक पर हाथ लगाने को तैयार नहीं हो रहे हैं. वह आगे बताता है कि जो बौडी तालाब में मिली थी, उस के लिए हौस्पिटल के डाक्टर बता रहे हैं कि उन्हें कुछ भी क्लू नहीं मिल पा रहा है.
इंसपेक्टर वीर तब अपनी दोस्त सुष्मिता को फोन करता है, मगर वह तो होटल में युवक के साथ शारीरिक संबंध बनाने में व्यस्त थी, जबकि उस का फोन टेबल पर रखा बज रहा था. होटल में शारीरिक संबंध बनाने के बाद वह युवक सुष्मिता से कहता है कि मुझे पता नहीं था कि तुम इतनी वाइल्ड होगी. सुष्मिता उसे थप्पड़ मारती है, तभी उस युवक को नारकोटिक्स पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया जाता है. वह युवक एक ड्रग्स तसकर होता है, जिसे सुष्मिता ने अपने हुस्न जाल से जिस्म का चारा फेंक कर योजना के तहत गिरफ्तार करवाया था.
वीर उस से भद्रा के बारे में पूछता है तो दानीबा रहस्यमयी ढंग से कहती है कि भद्रा को यह जंगल, पेड़ आदि सब कुछ बता देते हैं, वह डरते हुए बताता है कि एक दिन 9 नंबर वाली खदान में एक बहुत बड़ी दुर्घटना हुई थी. सीन अब फ्लैशबैक में चला जाता है, जहां भद्रा और मजदूर 9 नंबर वाली खदान के बाहर खड़े हैं. सभी मजदूर खदान के अंदर जाने से मना कर देते हैं तो मैनेजर (अरुण तिवारी) खदान के ठेकेदार अन्ना को फोन कर देता है. अन्ना फिर वहां राका को कुछ गुंडों के साथ भेज देता है. राका वहां जा कर चाकू से भद्रा का मर्डर कर देता है.
सीन अब वर्तमान में आ जाता है, जहां दानीबा वीर से कहती है कि कहते हैं तभी से भद्रा की आत्मा यहां पर रहती है. वह आगे कहती है कि भद्रा ने मेरे सामने ही मेरे बेटे राका को मारा था, मुझे यह भी पता है कि इन लोगों ने भद्रा को मार कर कहां पर दफन किया था. वहां की खुदाई कर के जमीन के अंदर से एक नरकंकाल निकलता है. जब दानीबा उस कंकाल को देखती है तो वह इंसपेक्टर से कहती है कि यह कंकाल भद्रा का नहीं है, क्योंकि भद्रा के एक पैर में केवल 4 अंगुलियां ही थीं. भद्रा का शव आसपास ही हो सकता है. जब इंसपेक्टर वहां आसपास की खुदाई करवाता है तो वहां पर कई सारे नरकंकाल मिलते हैं. फिर वहीं पर एक बोर्ड मिलता है, जिस पर लिखा होता है कि यह सारी जमीन महिपाल राणा की है.
अब इंसपेक्टर वीरप्रताप फोन कर के सुष्मिता को मध्य प्रदेश स्थित कालाकोठी आने को कह देता है. अगले दृश्य में इंसपेक्टर महिपाल राणा को बुला कर जमीन की पूछताछ करता है. थाने में वहां पर महिपाल की मंगेतर प्रज्ञा भी रहती है. महिपाल कहता है कि वह सारी जमीन मेरी ही है. इस के बाद इंसपेक्टर उस से कहता है कि फिर तो तुम्हारी जमीन में दबी लाशें भी तुम्हारी ही होंगी. महिपाल कहता है कि जमीन के अंदर लाशें भला मैं क्या जानूं. तब इंसपेक्टर महिपाल को धमकाते हुए कहता है कि सुन ले महिपाल, यह नकली सोना पहन कर जो तू घूमता है, उस से तेरी औकात पता चलती है. तू उधार की जिंदगी जीने वाला इंसान इतनी सारी जमीन ले कर बैठा हुआ है. बता क्या है सच्चाई?
तब महिपाल घबराते हुए बटवाल का नाम ले लेता है और यहीं पर तीसरा एपिसोड समाप्त हो जाता है. तीसरे एपिसोड के विश्लेषण पर यह कहा जा सकता है कि लेखक और निर्देशक ने हर एपिसोड में बोल्ड सीन और शारीरिक संबंधों को जानबूझ कर घुसेड़ा है. नूपुर का बारबार महिपाल के पास शारीरिक संबंध बनाने की विनती करना हजम नहीं होता. दूसरा सुष्मिता जब उस ड्रग तस्कर को गिरफ्तार करवाती है तो वहां पर शारीरिक संबंध बनाए बिना भी दिखाया जा सकता था. यह साफसाफ लेखक और निर्देशक की नाकामी को प्रदर्शित करता है. अभिनय की दृष्टि से भी तीसरा एपिसोड दर्शकों को प्रभावित नहीं कर पाया पाया है.
एपिसोड नंबर 4
एपिसोड नंबर 4 का नाम ‘श्राप’ रखा गया है, जिस की अवधि 29 मिनट की है. एपिसोड की शुरुआत में इंसपेक्टर वीर अपने लैपटाप में सीसीटीवी फुटेज देख रहा होता है, तभी वहां पर एसआई प्रज्ञा आ कर उसे बताती है कि सर तांत्रिक की बौडी को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया है, लेकिन बटवाल और उस की फेमिली की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है. प्रज्ञा आगे कहती है कि सर, हम ये खबर मीडिया को दे देते हैं कि यहां लाशों पर लाशें मिल रही हैं तो मीडिया के दवाब में आ कर स्वास्थ्य विभाग को हमारा सपोर्ट करना पड़ेगा. इंसपेक्टर उस से कहता है कि यह खबर मीडिया में या कहीं और बिलकुल भी नहीं जानी चाहिए, इस से वे इस केस का तमाशा बना डालेंगे.
प्रज्ञा कहती है कि सर यह केस वैसे भी तो सौल्व नहीं हो पा रहा है. इस पर वीर उस को डांट कर भगा देता है. प्रज्ञा बाहर आ कर अपनी सीट पर बैठ कर कांस्टेबल किक्कू से इंसपेक्टर वीर की बुराई करने लगती है तो किक्कू उसे समझाता है तो प्रज्ञा उस से कहती है कि किक्कू तुम यकीन रखो, इस केस को तो मैं खुद सौल्व कर के रहूंगी और फिर प्रमोशन भी लूंगी और यहां से ट्रांसफर भी. अब तो यही केस ही मेरी सीढ़ी है, इस कालाकोठी थाने से निकलने के लिए.
अगले दृश्य में सुष्मिता अपना सामान ले कर इंसपेक्टर वीर के पास पहुंच जाती है. वीर उसे कालाकोठी के रहस्यमयी मर्डर और लाशों के बारे में विस्तार से बताता है तो सुष्मिता उस से कहती है कि तुम मुझे बस लाशों की कस्टडी दिलवा दो. इंसपेक्टर उस से कहता है कि तुम अपनी पूरी टीम को भी यहां पर बुलवा लो, मैं उन सब की व्यवस्था करवा दूंगा और तुम तो मेरे साथ रह सकती हो. इस पर सुष्मिता हंसने लगती है. दोनों प्यारभरी बातें करने लगते हैं, तभी वहां नूपुर आ जाती है और वीर से कहती है कि आप को कुछ बताना है. इंसपेक्टर उसे कमरे में ले कर आता है. सुष्मिता नूपुर को देख कर फोन करने के बहाने से दूसरे कमरे में चली जाती है.
नूपुर इंसपेक्टर को अपने बैग से बहुत सारी आईडी निकाल कर उस के सामने रख देती है. नूपुर उसे बताती है कि यह सब खदान में बाहर से आने वाले लोगों के नाम हैं. यहां का नियम है कि जो भी लोग खदान में काम करने के लिए बाहरी स्थानों से आते हैं तो उन्हें पंचायत में अपना नाम दर्ज करवा कर अपनी आईडी भी देनी होती है. यदि आईडी न हो तो नकली आईडी बना कर देनी होती है. इंसपेक्टर उस से पूछता है कि उसे यह सब कहां से मिले तो वह कहती है कि यह सीक्रेट है, वह बता नहीं सकती. वीर उसे धन्यवाद कहता है और फिर नूपुर कहती है कि उस का नाम कहीं भी आना नहीं चाहिए. इस के बाद नूपुर वहां से चली जाती है.
अगले सीन में इंसपेक्टर वीरप्रताप सरपंच के घर पुलिस टीम ले जा कर वहां की तलाशी करवाता है तो प्रज्ञा एक फाइल का बंडल वीर को देते हुए कहती है कि सर खदान की फाइल मिल गई और फिर प्रज्ञा वहां से चली जाती है. फिर किक्कू नूपुर को वीर के पास जा कर कहता है कि नूपुर जो तुझे पता है, सब साहब बता दे. तब नूपुर बताती है कि 9 नंबर वाली खदान से अब तक 100 से भी अधिक लोग गायब हो चुके हैं. इस के बाद इंसपेक्टर वीर सरपंच से कड़ी पूछताछ करता है तो वह बताता है कि वह सब यह काम बटवाल के कहने से कर रहा था, क्योंकि बटवाल को यह पता चल चुका था कि बिरजू मेरी नाजायज औलाद है. बटवाल यह राज अपने तक सीमित रखे इसलिए मैं बटवाल के कहने पर लोगों की नकली आईडी बना देता था, लेकिन किसी खून या लाश के बारे में मैं कुछ नहीं जानता हूं.
इस के बाद थाने में अन्ना महिपाल को साथ में ले कर आता है तो अन्ना बताता है कि प्रज्ञा मुझ से कैसे और किस आधार पर पूछताछ कर सकती है. उस के बाद महिपाल इंसपेक्टर वीर से कहता है कि आज के बाद आप के किसी भी पुलिस अधिकारी ने अन्ना से पूछताछ या धमकी देने की कोशिश की तो अच्छा नहीं होगा. क्योंकि कानून मैं भी जानता हूं. इस के बाद इंसपेक्टर प्रज्ञा को बहुत डांटता है कि तुम ने अन्ना से क्यों पूछताछ की. वह कहता है कि यदि तुम्हें मेरे और्डर फालो नहीं करने हैं तो बेशक नौकरी छोड़ कर जा सकती हो.
इस पर प्रज्ञा उस से माफी मांग लेती है. अगले दृश्य मैं धनिया नूपुर से कहता है कि अब तो भद्रा हम सब को मार देगा, इसलिए मुझे दारू के लिए पैसे दो ताकि मैं कुछ देर शौक से जी सकूं. फिर वह नूपुर को वह अंगूठी दे देता है, जो उस दिन भद्रा की अंगुली से गिरी थी. नूपुर उस अंगूठी को ले कर महिपाल के घर आ कर उस से कहती है कि तुम प्रज्ञा को छोड़ दो, हम दोनों भाग कर शहर में कहीं चले जाएंगे और अपनी एक नई जिंदगी शुरू करेंगे. इस पर महिपाल नूपुर को गालियां दे कर अपने घर से भगा देता है. नूपुर जाते समय महिपाल को धमकी दे कर जाती है कि यदि तू मुझे कल यहां पर नहीं मिला तो प्रज्ञा को मैं तेरी सारी काली करतूतें बता दूंगी.
अगले सीन में सुष्मिता और इंसपेक्टर वीरप्रताप बातचीत करते दिखाए गए हैं. इंसपेक्टर कहता है कि मेरे कारण ही मेरी पत्नी और बेटा मारे गए. यहां पर भी यह मर्डर केस सौल्व नहीं हो पा रहे हैं. सुष्मिता उसे समझाती है कि सब ठीक हो जाएगा, सुष्मिता की बातचीत से ऐसा लगता है कि वह खुद इंसपेक्टर वीर से, पहले से प्यार करती थी. अब भी प्यार करती है, लेकिन इंसपेक्टर उस की भावनाओं को अभी तक समझ ही नहीं पाया है. दूसरे दिन सुबह कांस्टेबल किक्कू प्रज्ञा के थाने आने पर कहता है कि जल्दी जाइए, आप को वीर साहब सुबह से ही ढूंढ रहे हैं. प्रज्ञा इंसपेक्टर वीर के औफिस में जा कर अपनी गलती स्वीकार कर लेती है तो इंसपेक्टर वीर उस का कंधा थपथपाता है तभी उस की नजर प्रज्ञा की गरदन पर हुए घाव पर पड़ती है.
प्रज्ञा उस का कारण कीड़े का काटना बताती है तो इंसपेक्टर समझ जाता है कि यह महिपाल की ही हरकत हो सकती है. वह कहता है कि ऐसे कीड़ों का इलाज जल्दी करा देना ठीक होता है, वरना यह दीमक बन कर तुम्हारी जिंदगी को खोखला कर सकता है. प्रज्ञा ‘धन्यवाद सर’ कहते हुए वहां से चली जाती है. अगले दृश्य में रात का समय है. नूपुर एक सुनसान इलाके में अकेले किसी का इंतजार कर रही है. नूपुर जोर से कहती है अरे कहां हो, मैं आ गई. फिर एक साया हाथ में गैंती ले कर आगे बढ़ता है और नूपुर पर वार कर के उस को मार डालता है. तभी दूसरे दिन सुबह कांस्टेबल किक्कू को इस मर्डर की खबर मिलती है. किक्कू यह बात प्रज्ञा से कहता है मैडम, खदान नंबर 9 में एक और 7 डैडबौडी मिली है वह भी नूपुर की. यह सुन कर प्रज्ञा एकदम से चौंक जाती है और यहीं पर चौथा एपिसोड समाप्त हो जाता है.
चौथे एपिसोड की बात करें तो इस एपिसोड में भी नूपुर को महिपाल के पास जा कर शारीरिक संबंधों की इच्छा करते हुए दिखाया गया है. इस के बाद महिपाल उसे अपमानित करता है और भद्ïदीभद्ïदी गालियां भी देता है. यह दृश्य एकदम काल्पनिक और बकवास लग रहा है. वैसे नूपुर महिपाल से किस बात से शुरू से ही आकर्षित दिखाई गई है, यह स्पष्ट नहीं किया गया है. प्यार के इस एंगल को जबरदस्ती जोड़ कर केवल सैक्स प्रस्तुत करने की कोशिश की गई है, जो साफसाफ नजर भी आ रहा है. अभिनय की दृष्टि से देखें तो कलाकार इस में बस खानापूरी करते हुए दिखाई दे रहे हैं.
एपिसोड नंबर 5
पांचवें एपिसोड का नाम ‘कालाकोठी की कहानी’ रखा गया है. इस की शुरुआत में दानीबा अकेले जंगल में घूम रही है, तभी उसे पेड़ के नीचे हर्ष दिखाई देता है. अगले दिन सुबह प्रज्ञा थाने में उदास बैठी अपनी सहेली नूपुर को याद कर रही है तो कांस्टेबल किक्कू उसे समझाता और दिलासा दे रहा है. तभी प्रज्ञा को एक फोन आता है. अगले दृश्य में सुष्मिता इंसपेक्टर वीरप्रताप को जानकारी देती है कि डेडबौडी के सैंपल से पता चला है कि वे सभी लोग किसी जहरीली गैस के संपर्क में आए थे. इंसपेक्टर कहता है कि यहां पर जो भी मौतें हुई हैं, काफी अजीब हैं. किसी की हड्ïडी टूटी है तो कोई पूरा नीला पड़ गया है.
सुष्मिता कहती है कि मैं खदान से और सैंपल ले कर सर्च करती हूं. तभी इंसपेक्टर को फोन आता है कि लापता हुआ बटवाल का बेटा हर्ष मिल गया है. इंसपेक्टर वीरप्रताप हर्ष से मिलने हौस्पिटल जाता है, जहां डाक्टर बताता है कि हर्ष को यहां पर दानीबा ले कर आई थी. हर्ष को देखते ही इंसपेक्टर को अपना बेटा रिशु याद आता है और कहानी फ्लैशबैक में चली जाती है, जहां पर जंगल में वीर उस की पत्नी (सृष्टि माहेश्वरी) है. उस की पत्नी रिशु का नाम ले कर पुकारती है, जिसे एक खतरनाक गुंडे ने एक पेड़ से बांध रखा था और उस पर राइफल से निशाना साधा हुआ था.
वीर की पत्नी दौड़ कर बेटे के पास चली जाती है तो गुंडा पहले उस की पत्नी और बाद में रिशु पर गोली चला कर उन्हें मार डालता है, जबकि वह वीर पर गोली नहीं चलाता. अब सीन फिर वर्तमान में आ जाता है, जहां वीर हर्ष के सिर पर प्यार से अपना हाथ फेर रहा है, तभी वहां आंचल और बिरजू भी हर्ष से मिलने आ जाते हैं. इधर प्रज्ञा महिला से मिलने उस के घर जाती है और महिपाल को नूपुर की मौत की खबर दे कर रोने लगती है. महिपाल उसे कहता है कि मरने वाले के बारे में सोचना छोड़ कर अब मेरी फिक्र कर और उसे चूमने लगता है तो प्रज्ञा को उस पर गुस्सा आ जाता है, वह उसे झटक देती है.
अब हौस्पिटल वाला सीन आता है, जहां पर इंसपेक्टर वीर आंचल और बिरजू से हाथ जोड़ कर कहता है कि एक बाप होने के नाते मैं आप दोनों से रिक्वेस्ट करता हूं कि क्या मैं हर्ष को अपने पास रख सकता हूं. इस पर बिरजू कहता है इंसपेक्टर साहब, अभी हर्ष को बाप की नहीं, बल्कि मां की जरूरत है. आंचल उसे मां का प्यार दे सकती है. अगले दृश्य में हम देखते हैं कि मुष्मिता अपनी टीम के साथ औक्सीजन मास्क लगा कर 9 नंबर खदान से सैंपल इकट्ठा करती है.
इधर महिपाल प्रज्ञा के साथ मारपीट करने लगता है तो प्रज्ञा को गुस्सा आ जाता है. वह महिपाल पर बुरी तरह से टूट पड़ती है और उसे रस्सी से बांध कर बेल्ट से बुरी तरह से पिटाई करते हुए पूछती है कि उस ने ही नूपुर को मारा है. तब महिपाल उसे बताता है कि नूपुर उसे चाहती थी. कई बार मेरे ही बैड पर वह सोई भी थी. अगले सीन में महिपाल थाने में किक्कू के पास प्रज्ञा की रिपोर्ट लिखाने आता है. तभी वहां पर इंसपेक्टर वीर आता है वह कहता है किक्कू तुम ने कहावत तो सुनी होगी ‘जैसे को तैसा, मिला कितना मजा.’
वीर कहता है कि तुम्हें तुम्हारे किए की सजा मिली है. उसी समय वहां पर प्रज्ञा भी आ जाती है, उसे देखते ही महिपाल कहता है कि अब तो चींटी के भी पर निकल आए हैं. यह सब इंसपेक्टर तुम्हारे कारण हो रहा है. उस के बाद वह इंसपेक्टर वीर को हाथ दिखाता है तो वीर उस का हाथ मरोड़ कर कहता है महिपाल ध्यान से सुन ले, अगर तू आज के बाद थाने या प्रज्ञा के आसपास भी दिखाई दिया तो तुझे इतना मारूंगा कि तू शहर से ही गायब हो जाएगा.
महिपाल कहता है कि तुम दोनों को देख लूंगा और जाने लगता है. तभी प्रज्ञा उस के पास आती है तो महिपाल प्रज्ञा से कहता है अच्छा तो अब आ गई तेरी अक्ल ठिकाने. माफी मांगने आई है न अब मेरे पास, अच्छा तुझे माफ किया, चल घर चल. प्रज्ञा उस के हाथ में सगाई की अंगूठी दे देती है तो महिपाल उसे गाली दे कर कहता है कि यह अंगूठी भी नकली थी और अंगूठी प्रज्ञा के चेहरे पर फेंक कर वहां से चला जाता है. अगले दृश्य में सुष्मिता फोन पर इंसपेक्टर वीर को कुछ बताती है तो वीर प्रज्ञा को अन्ना के घर उसे लाने के लिए कहता है. प्रज्ञा अन्ना को थाने ले कर आ जाती है. वीर अन्ना से पूछताछ करने लगता है तो अन्ना अपने वकील को बुलाने को कहता है तो वीर मना कर देता है.
इंसपेक्टर वीर अन्ना को फोरैंसिक रिपोर्ट दिखाते हुए कहता है कि अन्ना खदान में होने वाली अधिकतर मौतें जहरीली गैस से हुई हैं और वो जहरीली गैस तुम्हारी 9 नंबर वाली खदान के सैंपल से मैच हो रही है. इंसपेक्टर अन्ना से पूछता है लेकिन तुम ने बटवाल और उस के परिवार को क्यों माराï? अन्ना कहता है कि जहरीली गैस के लीकेज के बारे में उसे पूरा पता था. मजदूर जब जहरीली गैस के लीकेज से मर जाते थे तो बटवाल ही उन सभी लाशों को ठिकाने लगाता था. अगर उस समय हम 9 नंबर की खदान को बंद कर देते तो मेरा करोड़ों का नुकसान हो सकता था. मैं बटवाल को लाश को ठिकाने लगाने के लिए एक बड़ी रकम देता था.
इस के थोड़ी देर के बाद इंसपेक्टर वीर प्रज्ञा को बताता है कि जो रिपोर्ट सुष्मिता ने भेजी है, उस से पता चला है कि बटवाल किसी जहरीली गैस से नहीं, बल्कि किसी और जहर से मरे हैं. बाद में उन की हड्डियां तोड़ी हैं, जिस से ऐसा लगे कि यह हत्या भद्रा ने की है. वीर कहता है कि नूपुर और बटवाल की हत्या करने वाला कोई एक ही आदमी है, तभी प्रज्ञा को हौस्पिटल से फोन आता है, जिसे सुन कर वह घबरा जाती है. प्रज्ञा इंसपेक्टर वीर से कहती है कि हर्ष हौस्पिटल से गायब हो गया है. यह सुन कर इंसपेक्टर वीर एकदम से चौंक जाता है और इसी के साथ पांचवां एपिसोड समाप्त हो जाता है.
पांचवें एपिसोड की बात करें तो इस में किसी अज्ञात किलर द्वारा वीर की पत्नी और बेटे का मर्डर कर दिया जाता है. वह कौन था? उस ने ऐसा क्यों किया? वीर को क्यों जिंदा छोड़ दिया गया! यह सब सच्चाई दिखाई ही नहीं है, जिस के कारण इस का चित्रण पूरी तरह से काल्पनिक दिखाई दे रहा है. जो बात दर्शकों को काफी अखर भी रही है. पहले के एपिसोड की भांति इस एपिसोड में गालियों का प्रयोग बहुत ज्यादा किया गया है, जिस से दर्शक बिलकुल भी प्रभावित नहीं हो पाता. अभिनय की बात करें तो कोई भी कलाकार अपने प्रदर्शन से दर्शकों को बांधने में असफल नजर आ रहा है.
एपिसोड नंबर 6
एपिसोड नंबर 6 का नाम ‘खुलासा’ रखा गया है. इस की शुरुआत में इंसपेक्टर वीर अपनी पुलिस की ड्रेस अलमारी से निकालता है, तभी उसे वह दृश्य याद आ जाता है जब उस की पत्नी और बेटे की जंगल में हत्या हुई थी. वह अपनी ड्रेस को देखता है जो थोड़ा फट गई थी. वह उसे सूई से सिलता है और ड्रेस पहन कर औफिस जाने लगता है तो सुष्मिता कहती है लुकिंग हैंडसम आलवेज. इंसपेक्टर वीर पहली बार ड्रेस पहन कर थाने पहुंचता है तो प्रज्ञा और किक्कू को बहुत खुशी होती है.
वीर अब थाने में सुष्मिता और प्रज्ञा के साथ इस केस के बारे में बातचीत करता है कि बटवाल और नूपुर को मारने वाला शख्स एक ही है. प्रज्ञा कहती है कि दानीबा ने बताया था कि भद्रा ने राका को मारा था. तब सुष्मिता बताती है कि जहरीली गैस के साइड इफेक्ट की वजह से नशे में राका और उस के दोस्तों को भ्रम हुआ था कि वहां पर भद्रा है, जबकि असल में वहां पर कोई भी नहीं था. प्रज्ञा कहती है कि उस सीसीटीवी का क्या, जिस की फुटेज में हम ने भद्रा को देखा था. फिर धनिया ने भी देखा था कि भद्रा के हाथ से अंगूठी वहीं पर मिली थी, जो भद्रा के हाथ से गिरी थी. इंसपेक्टर वीर कहता है कि धनिया और हम ने सिर्फ राख से लिपटा एक इंसान देखा था, जो भद्रा नहीं था.
अगले सीन में हम हर्ष को आंचल और बिरजू के पास देखते हैं. आंचल बिरजू से कहती है कि तुम्हें हर्ष को खदान ले जा कर एक बार फिर भद्रा का रूप लेना होगा और भद्रा को यह अपना आखिरी काम करना होगा. तब हमें यह पता चलता है कि इस पूरे कांड के पीछे आंचल और बिरजू हैं. बिरजू हर्ष को गोद में उठा कर खदान की ओर ले जाता है. आंचल एलबम में फोटो देखने लगती है, जिस में बटवाल और उस के परिवार के लोगों की फोटो पर लाल स्याही से क्रौस का निशान बना था. तभी वहां पर इंसपेक्टर वीर प्रज्ञा को ले कर आ जाता है और आंचल से पूछता है कि बिरजू हर्ष को ले कर कहां गया है.
अगले दृश्य में बिरजू भद्रा का रूप रख कर चेहरे और शरीर पर राख लगाए वह 9 नंबर खदान में हर्ष को मारने वाला ही होता है, तभी वहां पर इंसपेक्टर वीर अपनी पुलिस टीम को ले कर पहुंच जाता है और हर्ष को बचा लेता है. उस के बाद वीर हर्ष को एंबुलेंस से हौस्पिटल भेज देता है, उस के साथ सुष्मिता और किक्कू भी चले जाते हैं. बिरजू को गिरफ्तार कर लिया जाता है और आंचल को भी. बिरजू बताता है कि बटवाल ने आंचल के पापा को 9 नंबर वाली खदान में काम करने के लिए भेजा. जब वह मर गए तो उस ने आंचल की मां कावेरी को झूठ बोल दिया कि तुम्हारा पति किसी दूसरी औरत से प्यार करता था और उसी औरत के साथ भाग गया. कावेरी को एक दिन फाइल में सच्चाई का पता चल गया तो बटवाल ने राका को बुला कर कावेरी की हत्या करवा दी.
कावेरी को मारने से पहले बटवाल ने उस से एक चिट्ठी भी लिखवाई कि मुझे मत ढूंढना, मैं अपने पति को ढूंढने जा रही हूं, जब तक वह नहीं मिलेंगे मैं वापस नहीं आऊंगी. बिरजू कहता है कि मैं ने उस के मातापिता के खून का बदला लेने के लिए ही यह मर्डर किए. प्रज्ञा बिरजू से पूछती है कि फिर तुम ने नूपुर को क्यों मारा? बिरजू ने बताया कि नूपुर को पता चल चुका था कि मैं ही भद्रा बन कर मर्डर कर रहा हूं, तब उस ने मुझ से 10 लाख रुपयों की मांग की और मुझे ब्लैकमेल करने लगी. इसलिए मैं ने उसे मार डाला.
इंसपेक्टर वीर कहता है तुम दोनों ने आज तक इतने सारे लोगों का खून किया, तुम दोनों बहुत क्रूर निकले. तब आंचल बताती है कि मैं ने नहीं बल्कि बिरजू ने अकेले सारे मर्डर किए हैं. मैं ने उस से यह कभी नहीं कहा कि मेरे मातापिता की मौत का बदला लो. वह आगे बताती है कि बटवाल और उस के परिवार के जूस में भी बिरजू ने ही जहर मिलाया था. नूपुर को भी इस ने ही मारा. यह सब सुन कर बिरजू एकदम से चौंक सा जाता है, क्योंकि आंचल हर अपराध में उस की सहयोगी रही थी, लेकिन बिरजू आंचल के प्यार में वशीभूत हो कर कहता है इंसपेक्टर साहब आंचल ठीक कह रही है, यह सब मैं ने अकेले ही किया है. वीर कहता है कि बिरजू तो पागल हो गया है तू खुद फंस कर उसे बचा रहा है.
अगले दिन वीर थाने में आता है और प्रज्ञा को उस के पहले केस की सफलता के लिए बधाई देता है. प्रज्ञा इंसपेक्टर वीर से पूछती है कि सर अब आप यहीं रुकेंगे या वापस शहर जाएंगे? इंसपेक्टर वीर कहता है कि मैं ने सोचा है कि मैं अब कानूनी रूप से हर्ष को अडोप्ट कर लूं. अब उस का और मेरा इस दुनिया में कोई नहीं, अब मैं शहर जा रहा हूं. प्रज्ञा कहती है सर यह बिरजू का तमाशा भी कितना अजीब है, जिस की खातिर उस ने इतने सारे मर्डर किए, उस ने ही उसे धोखा दे डाला. वीर कहता है कुछ लोग केवल प्यार के लिए ही जीते हैं. प्रज्ञा कहती है सही कहा सर, जैसे किसी के एक काल पर अपनी सारी दुनिया छोड़ कर एक छोटे से गांव में आ जाना.
इंसपेक्टर कहता है मैं समझा नहीं. तब प्रज्ञा कहती है सर, मैं सुष्मिताजी की बात कर रही हूं, वह आप को दिल से बहुत चाहती हैं पर आप को तो कुछ नजर ही नहीं आता. वीर प्रज्ञा की पीठ थपथपाते हुए वापस अपने घर जाता है. घर पर किक्कू हर्ष की देखभाल करता हुआ मिलता है. वीर किक्कू से सुष्मिता के बारे में पूछता है तो किक्कू बताता है कि वह तो अपना सामान ले कर यहां से चली गई. कह रही थी आप का फोन नहीं लग रहा था. हां सर, वह आप के लिए एक पत्र दे कर गई हैं. इंसपेक्टर किक्कू को धन्यवाद कर विदा कर देता है और सुष्मिता का पत्र पढ़ता है, जिस में उस ने उसे लिखा था, कुछ चीजों को छोड़ कर मैं बहुत आगे बढ़ चुकी हूं. मेरा वन साइडेड लव तुम्हीं थे वीर. इस के बाद वीर अपना सारा सामान सूटकेस में पैक कर हर्ष को अपने साथ पुलिस जीप से शहर वापस लौट जाता है.
दूसरी ओर जंगल में आंचल एलबम निकालती है. उस में वह बिरजू की फोटो अपने हाथ में लेती है, तभी एक दूसरी फोटो जमीन पर गिर जाती है. आंचल जब फोटो देखती है तो वह आंचल की फोटो ही होती है, जिस में लाल स्याही से गरदन पर क्रौस का निशान बनाया हुआ था. आंचल यह देख कर चौंक जाती है और यहां पर वेब सीरीज ‘खदान’ का अंतिम एपिसोड समाप्त हो जाता है. यदि छठे एपिसोड की बात करें तो एक दृश्य, जिस में जंगल में इंसपेक्टर वीर की पत्नी और बेटे को एक गुंडे द्वारा गोली से मारते दिखाया गया है, वह सीन पूरी सीरीज में 2 बार दिखाया गया है. उस में लेखक और निर्देशक यह दिखाने में असफल रहे कि वह कौन था, जिस ने वीर की पत्नी और बेटे को मारा और क्यों मारा?
दूसरा इस सीरीज का अंत भी सुखद नहीं हुआ और सुष्मिता उधर प्रज्ञा और महिपाल फिर से एक नहीं हो पाते, सदासदा के लिए बिछड़ जाते हैं. कम से कम वीर और सुष्मिता का फिर से मिलन दिखाया जाता तो इस कहानी में काफी दम आ सकता था. यदि पूरी वेब सीरीज की बात करें तो इस की प्रजेंटेशन प्रभावित नहीं कर पाई है. निर्देशक के पास एक अच्छा कंटेंट था, लेकिन जिस तरीके से इसे पेश किया गया है, वह काफी निराशाजनक लगता है. काफी एपिसोड में कलाकारों का अभिनय, लोकेशन और कहानी में कमी साफसाफ नजर आती है.
एली गोनी
अभिनेता एली गोनी का जन्म 25 फरवरी, 1991 को जम्मूकश्मीर के भद्रवाह में एक मुसलिम परिवार में हुआ था. इस के पिता का नाम अमजद गोनी और मां का नाम रुबी गोनी है. एली गोनी की एक बहन भी है, जिस का नाम इल्हाम गोनी है. एली गोनी ने रियलिटी शो एमटीवी ‘स्प्लिट्सविला 5’ में भाग ले कर अपने करिअर की शुरुआत की. वर्ष 2013 में एली गोनी ने स्टार प्लस के शो ‘ये हैं मोहब्बतें’ से अपने अभिनय करिअर की शुरुआत की, उस ने इस शो के अंत तक रोमी भल्ला की भूमिका निभाई.
2015 में उस ने स्टार प्लस के शो ‘कुछ तो हैं तेरे मेरे दरमियां’ में मुख्य लीड राजकपूर की भूमिका निभाई. 2016 में ऐंड टीवी के ‘ये कहां आ गए हम’ में कबीर रायचंद की भूमिका निभाई. 2017 में एली ने स्टार प्लस के ‘ढाई किलो प्रेम’ में सुशांत की भूमिका निभाई. वर्ष 2018 में एली गोनी सोनी टीवी के शो ‘दिल ही तो है’ में नमन कपूर के रूप में दर्शकों के सामने आया. सितंबर 2018 में उस ने ‘चीटर मोहन’ गीत के साथ अपना संगीत वीडियो डेब्यू किया, जिसे कनिका कपूर ने गाया था. वर्ष 2019 में एली गोनी ने कलर्स टीवी के ‘फियर फैक्टर: खतरों के खिलाड़ी 9’ में भाग लिया. वह कलर्स टीवी के कामेडी शो ‘खतरा खतरा खतरा’ में भी दिखाई दिया. 2020 में उस ने कलर्स टीवी के ‘फीयर फैक्टर: खतरों के खिलाड़ी-मेक इन इंडिया’ में भाग लिया.
एली गोनी ने जनवरी 2021 में जी-5 की ‘जीत की जिद’ में सूर्य सेठी के रूप में अपनी वेब सीरीज की शुरुआत की. एली गोनी अभी अविवाहित है. उस ने अपनी स्कूली शिक्षा अपने गृहनगर में पूरी की और बाद में मार्केटिंग मैनेजमेंट में डिगरी हासिल की. मनोरंजन की दुनिया में कदम रखने से पहले एली गोनी ने एक मौडल के रूप में काम किया था.
खुशी आनंद
अभिनेत्री खुशी आनंद को उस के स्टेज नाम ‘रेबेका’ से भी बेहतर जाना जाता है, रेबेका एक पूर्व शास्त्रीय नृत्यांगना भी थी, जिसे तमिल में शास्त्रीय नृत्यांगना के रूप में कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था. रेबेका ने अपने अभिनय की शुरुआत मौडलिंग से की थी. उस ने चेन्नई में पहले एक तमिल फिल्म और बाद एक तेलुगु फिल्म से अपने अभिनय करिअर की शुरुआत की थी. खुशी आनंद एक भारतीय फिल्म अभिनेत्री और मौडल है, जो मुख्य रूप से तमिल, तेलुगु और हिंदी फिल्मों में दिखाई देती है. रेबेका ने जी टीवी पर ‘कुमकुम भाग्य’ और सोनी एंटरटेनमेंट टेलीविजन पर ‘बेहद’ और ‘सोप ओपेरा’ में भी विभिन्न भूमिकाएं निभाईं.
उस ने भारतीय टेलीविजन उद्योग में अपना सफल करिअर स्थापित किया. स्टार प्लस पर धारावाहिक ‘एक वीरे की अरदास वीरा’ से टीवी अभिनेत्री के रूप में शुरुआत की. उस के बाद रेबेका ने सब टीवी पर ‘त्रिदेवियां’, लाइफ ओके पर ‘बहू हमारी रजनीकांत’, सोनी सब टीवी पर ‘चिडिय़ा घर’ और हाल ही में उसे ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’, चैनल जिंग में ‘प्यार तूने क्या किया’ (सीजन-9) में देखा गया. उस की आने वाली फिल्मों में ‘आइडेंटिटी’ (तेलुगु फिल्म), ‘मोटल’ (हिंदी फिल्म) शामिल हैं. रेबेका आनंद विवाहिता है. उस के पति का नाम विक्रांत आनंद है, जो मौडल है. वेब सीरीज