crime stories in hindi : 67 वर्षीय डा. देवेंद्र कुमार शर्मा उर्फ डा. डैथ एक ऐसा खतरनाक सीरियल किलर है, जो 50 से अधिक लोगों की हत्या कर उन की डैडबौडी मगरमच्छों को खिला चुका था. इस के अलावा वह सवा सौ से ज्यादा लोगों की किडनी भी बेच चुका है. एक बार फांसी और 7 बार उम्रकैद की सजा पा चुके इस शातिर सीरियल किलर डाक्टर की पढ़ें यह दिलचस्प कहानी…

दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच देश भर में डाक्टर डैथ के नाम से कुख्यात खतरनाक सीरियल किलर डा. देवेंद्र शर्मा की तलाश में जुटी हुई थी. पैरोल पर आने के बाद वह 2 साल से फरार चल रहा था. ये कोई 2-4 कत्ल करने वाला आम सीरियल किलर नहीं है, बल्कि वो एक ऐसा खूनी दङ्क्षरदा है, जिस पर 50 से अधिक कत्ल करने का इलजाम है. वहीं 125 से अधिक किडनी ट्रांसप्लांट के गंभीर आरोप भी इस पर हैं. उसे उम्रकैद व फांसी की सजा मिल चुकी है.

पुलिस को पता चला कि 9 जून, 2023 को 2 माह की पैरोल पर दिल्ली की तिहाड़ जेल से बाहर आने के बाद डा. डैथ उर्फ देवेंद्र शर्मा फरार हो गया था. पैरोल अवधि समाप्त होने के बाद डा. देवेंद्र शर्मा को 3 अगस्त, 2023 को तिहाड़ जेल वापस लौटना था. लेकिन उस ने ऐसा नहीं किया. तब उस की तलाश के लिए अलीगढ़, जयपुर, दिल्ली, आगरा और प्रयागराज जैसे शहरों में 6 महीने तक व्यापक अभियान चलाया गया, लेकिन पुलिस को उस की गिरफ्तारी में सफलता नहीं मिली. फरार आरोपी की लोकेशन ट्रेस करने और पकडऩे के लिए दिल्ली पुलिस ने आधा दरजन से अधिक टीमें बना रखीं थी. पौने 2 साल की लंबी खोजबीन के बाद आखिर उसे पकड़ लिया गया. उस की गिरफ्तारी भी बड़े ही नाटकीय अंदाज में हुई.

कई स्थानों पर फरारी काटने के बाद डा. डैथ राजस्थान के दौसा के रामेश्वरम धाम में संत दयादास महाराज के रूप में छिपा था. पुलिस के अनुसार डा. देवेंद्र शर्मा की फरारी के बाद से पुलिस ने मुंबई में रहने वाली उस की पत्नी शिखा का फोन सर्विलांस पर लगा रखा था. इसी दौरान जयपुर के एक अनजान नंबर से देवेंद्र की पत्नी के नंबर पर काल गई. इस के बाद प्रयागराज से भी एक ऐसी ही काल गई, लेकिन पुलिस को अब तक देवेंद्र शर्मा के बारे में कोई सूचना या जानकारी नहीं मिली.

इसी दौरान कुछ महीनों पहले बांदीकुई के नेटवर्क से अनजान नंबरों से एक काल तीसरी बार देवेंद्र की पत्नी शिखा के नंबर पर आई. इस बार पुलिस ने बांदीकुई में यह नंबर ट्रेस किया और क्राइम ब्रांच के 2 अधिकारी यहां पहुंचे. उन्हें 20-21 साल का एक युवक मिला. उस से पूछताछ की गई. उस युवक ने बताया, ”ये काल उस ने नहीं की, राजस्थान के दौसा के रामेश्वरम धाम आश्रम में रहने वाले बाबाजी ने की थी.’’

पुलिस ने मरीज बन कर सुने प्रवचन

इस के बाद 2 पुलिसकर्मी सादा कपड़ों में मरीज बन कर आश्रम पहुंचे और देखा कि देवेंद्र शर्मा जैसे हुलिए वाला एक बाबा यहां प्रवचन दे रहा है. इस के साथ ही पता चला कि वह पुजारी बन कर भगवान की सेवा करने के साथ ही लोगों का इलाज भी करता है. पुलिस ने जब उस मंदिर के पुजारी को देखा तो सकपका गई, क्योंकि वह जिस फरार आरोपी डा. देवेंद्र शर्मा को गिरफ्तार करने आई थी, उस का चेहरामोहरा दूसरा था. दाढ़ीमूछ वाले पुजारी की शक्ल में जमीन आसमान का अंतर दिखाई दे रहा था. तब आश्वस्त होने के लिए उस की आंखों और नाक का मिलान करना शुरू किया.

क्राइम ब्रांच में मौजूद उस की क्राइम फाइल के आधार पर उस के डा. देवेंद्र शर्मा होने का शक तब यकीन में बदल गया, जब उस की आंखों व नाक का मिलान उस की पुरानी फोटो से कर लिया गया. इस के बाद जब पुलिस पूरी तरह संतुष्ट हो गई कि पुजारी के भेष में तिहाड़ जेल से फरार खतरनाक सीरियल किलर आरोपी डा. देवेंद्र शर्मा ही है, जिस ने धर्म का चोला ओढ़ लिया है और गिरफ्तारी से बचने के लिए पुलिस की आंखों में धूल झोंकने के लिए पुजारी बन गया है. दूसरे दिन 19 मई, 2025 को दिल्ली पुलिस की टीम आश्रम आई और संत दयादास महाराज के रूप में छिपे डा. देवेंद्र शर्मा को पकड़ कर दिल्ली ले गई.

डा. देवेंद्र शर्मा को विश्वास था कि उस के नए चोले में पुलिस उस तक नहीं पहुंच पाएगी. गिरफ्तार करने वाली टीम में दिल्ली पुलिस के इंसपेक्टर अनुज और इंसपेक्टर राकेश कुमार शामिल थे, जिन्होंने एसीपी उमेश बर्थवाल और डीसीपी आदित्य गौतम के निर्देशन में उस की गिरफ्तारी को अंजाम दिया. डा. देवेंद्र शर्मा को 2004 मेंं जयपुर के एक मुकदमे में सजा हुई. उस के बाद से उसे लगातार सजा होने के चलते वह 16 साल तक राजस्थान व हरियाणा की जेलों में रहा. उस ने जनवरी, 2020 में परिवार के किसी सदस्य की मृत्यु का हवाला दिया. तब वह पहली बार 20 दिन की पैरोल पर जयपुर सेंट्रल जेल से आया था, लेकिन पैरोल अवधि समाप्त होने पर वह वापस जेल नहीं गया और दिल्ली आ गया.

पहले दिल्ली के उत्तम नगर क्षेत्र में स्थित मोहन गार्डन इलाके में किसी परिचित के घर रहा, फिर बपरौला में किसी विधवा से शादी कर छिप कर रहा. वह प्रौपर्टी डीलिंग के धंधे में पांव जमाने लगा. तभी उस ने जयपुर के एक प्रौपर्टी डीलर को दिल्ली के कनाट प्लेस में मार्शल हाउस दिलाने के नाम पर ठगने का प्रयास किया. बस यहीं वह फंस गया और जुलाई, 2020 में पुलिस ने उसे दिल्ली में पकड़ लिया. उस के बाद से वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में रहा. दूसरी बार अपनी पैतृक संपत्ति के बंटवारे व उसे बेचने आदि के नाम पर जून 2023 में दिल्ली हाईकोर्ट में आवेदन कर पैरोल प्राप्त की थी.

इतना ही नहीं, डा. देवेंद्र शर्मा किडनी ट्रांंसप्लांट रैकेट से भी जुड़ा था. उस पर कई मामले दर्ज हैं. 7 मामलों में उसे उम्रकैद की सजा हो चुकी है, जबकि गुडग़ांव के एक मामले में उसे फांसी की सजा मिल चुकी है. फरार होने से पहले वह दिल्ली की तिहाड़ जेल में अपनी सजा काट रहा था. 67 वर्षीय देवेंद्र शर्मा अलीगढ़ के पुरैनी गांव का मूल निवासी है. उस ने 1984 में बिहार के सीवान से बीएएमएस आयुर्वेदिक डाक्टर की डिग्री हासिल की थी. इस के बाद उस ने राजस्थान के बांदीकुई में जनता क्लिनिक नाम से एक क्लिनिक खोला.  यहां उस की दोस्ती दिल्ली के डा. अमित से हो गई थी. 1984 से 1995 तक 11 साल तक उस ने क्लिनिक चलाया. हालांकि मैडिकल क्षेत्र में उस का करिअर अधिक समय तक नहीं चला.

इस बीच आरोपी डा. देवेंद्र शर्मा आयुर्वेदिक चिकित्सक होते हुए भी अपराध करने लगा. अपराध की दुनिया में उस की एंट्री साल 1994 में एक गैस डीलरशिप देने वाली कंपनी उस के 11 लाख रुपए ले कर भाग गई. वह अपने गांव पुुरैनी में गैस एजेंसी खोलना चाहता था. इस के बाद उस ने फरजी गैस एजेंसी की शुरुआत की, लेकिन उस का यह गोरखधंधा ज्यादा दिन नहीं चला और उस की फरजी गैस एजेंसी की पोल खुल गई. वह अपने गिरोह के सदस्यों के साथ गैस सिलेडरों से लदे ट्रकों को लूटने लगा. वह किराए पर टैक्सी और ट्रक लेने के बहाने उन के चालकों का अपहरण करने के बाद उन की नृशंस हत्या कर उन की लाशें उत्तर प्रदेश के कासगंज में स्थित हजारा नहर में फेंक देता.

मगरमच्छों के बीच फेंकता था लाशें

गिरफ्तारी के बाद देवेंद्र शर्मा ने पुलिस को बताया कि उस ने डाक्टरों और बिचौलियों की मदद से वर्ष 1998 मेंं किडनी रैकेट बनाया. 1998 से 2004 के बीच उस ने 125 लोगों के अवैध रूप से डा. अमित के साथ मिल कर किडनी ट्रांसप्लांट भी करवाए. उन के किडनी  रैकेट का जाल जयपुर, बल्लभगढ़, गुरुग्राम और दूसरी जगहों पर फैला हुआ था. एक प्रत्यारोपण पर जरूरतमंदों से 5 से 7 लाख रुपए तक मिल जाते थे. इस दौरान उस ने बहुत रुपया कमाया.

डा. देवेंद्र शर्मा का क्लिनिक 2003 तक बांदीकुई में चलता रहा. इस दौरान वह उन लोगों के संपर्क में आया, जो टैक्सी किराए पर लेते और फिर ड्राइवर की हत्या कर टैक्सी लूट लेते थे. लूटी हुई टैक्सी को 20-25 हजार में बेच देते थे. पैसा कमाने के लिए देवेंद्र शर्मा अवैध किडनी ट्रांसप्लांट के साथ ही इस काम में जुट गया. देवेंद्र शर्मा ने अपने साथियों के साथ मिल कर कुछ टैक्सी चालकों का अपहरण कर उन के वाहन लूटे तो कुछ की किडनी निकाल कर हत्या कर दी. देवेंद्र शर्मा हत्या, अपहरण और मानव अंंगों की तस्करी जैसे गंभीर अपराधों में पूरी तरह लिप्त हो गया.

डा. देवेंद्र शर्मा उर्फ डा. डैथ दिल्ली से ले कर हरियाणा और राजस्थान तक 100 से अधिक लोगों की हत्या कर चुका है. वह हत्या करने के बाद लाश को उत्तर प्रदेश के कासगंज में स्थित प्रसिद्ध हजारा नहर में फेंक देता था. इस हजारा नहर में बड़ी संख्या में मगरमच्छ रहते हैं. लाशें मगरमच्छों का निवाला बन जाती थीं. सबूतों के अभाव में डा. देवेंद्र शर्मा पुलिस की गिरफ्त में नहीं आता था. अलीगढ़ के छर्रा थाना क्षेत्र के गांव पुरैनी का यह कुख्यात अपराधी डा. देवेंद्र शर्मा उर्फ डा. डैथ इन दिनों फिर सुर्खियों में है. इस की जरायम हिस्ट्री पर ध्यान दें तो पता चलता है कि इस ने छर्रा और बरला क्षेत्र के ईंट भट्ठों में भी अनेक लाशें भस्म कराई थीं.

 

देवेंद्र की छर्रा थाने में 20 साल पहले हिस्ट्रीशीट खुली थी, जिस की परस्पर निगरानी होती थी. मगर वह 2020 के बाद से यहां नहीं आया. एसपी (देहात) अमृत जैन ने बताया, ”हमारे यहां बहुत ज्यादा अपराध भी उस पर नहीं हैं. अधिकांश अपराध उस ने दूसरे जिलों व प्रोतों में किए. फिर भी नजर रखी जाती है.’’  दिल्ली क्राइम ब्रांच के एसीपी आदित्य गौतम ने बताया कि देवेंद्र शर्मा को फिर से तिहाड़ जेल भेज दिया गया है.

मुरादाबाद का बहुचर्चित किडनी कांड 2008 में सुर्खियों में आया था. इस किडनी कांड के मुख्य आरोपी डा. अमित के साथ डा. देवेंद्र शर्मा के संबंध जुड़े होने की जानकारी पर यह खासा सुर्खियों व पुलिस की नजर में आया. तब डा. अमित के पीछे मुरादाबाद पुलिस लगी. आईजी (विजिलेंस) मंजिल सैनी ने मुरादाबाद में एएसपी रहते 2008 में अमित के गुरुग्राम सेंटर पर छापा मार कर कई लोग पकड़े थे, मगर डा. अमित नेपाल भाग गया था. देवेंद्र शर्मा ने स्वयं स्वीकार किया कि डा. अमित से उस की दोस्ती थी. अमित ने उस से ट्रांसप्लांट के लिए किडनी दिलवाने को कहा. तब उस ने अमित के साथ मिल कर 1998 से यह धंधा शुरू किया.

किडनी के लिए वह किराए पर कार व टैक्सी ले कर उन के ड्राइवरों की अपने साथियों के साथ हत्या कर उन की किडनी निकालने के साथसाथ राजस्थान, हरियाणा व दिल्ली के रेलवे स्टेशन व बस अड्ïडों से मजदूर वर्ग के लोगों को रुपयों का लालच दे कर उन की किडनी निकालने का भी काम किया. हालांकि देवेंद्र शर्मा 2004 में पकड़ा गया, लेकिन 2008 में मुरादाबाद किडनी कांड में उस का नाम शामिल नहीं हो पाया था.

डा. देवेंद्र शर्मा को पुलिस ने साल 2004 में एक टैक्सी ड्राइवर व उस के भाई की हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया था. 18 जनवरी, 2004 को जयपुर रेलवे जंक्शन के बाहर डा. देवेंद्र शर्मा उर्फ डा. डैथ ने अपना नाम बदल कर डा. मुकेश खंडेलवाल बताया और टैक्सी ड्राइवर चांद खां से उत्तर प्रदेश के हापुड़ जाने के लिए किराया पूछा. डाक्टर ने चांद खां को बताया था कि उसे अपने बीवीबच्चों को जयपुर लाना है.

एसटीडी बूथ से की गई काल से मिला सुराग

टाटा सूमो ड्राइवर चांद खां से भाड़ा तय होने के बाद वह चलने को राजी हो गया. लंबी दूरी को देखते हुए चांद खां ने अपने भाई शराफत खां को भी साथ ले लिया. जब टैक्सी दौसा पहुंची तो दोनों भाइयों ने सोचा कि ज्यादा समय लगेगा, इसलिए घर पर बताना ठीक रहेगा. ऐसे में दोनों ने दोस्त के एसटीडी बूथ से अपने अब्बा गफ्फार खां को फोन कर हापुड़ जाने की जानकारी देते हुए अगले दिन लौटने की बात कही. कई दिनों तक जब दोनों भाई नहीं लौटे तो पिता को चिंता हुई. गफ्फार खां ने जयपुर जीआरपी थाने में दोनों बेटों की गुमशुदगी दर्ज करा दी.

जीआरपी के तत्कालीन एसएचओ मंसूर अली के नेतृत्व में जांच शुरू हुई. सब से पहले पुुलिस फोन नंबरों के आधार पर दौसा के महुआ स्थित उस एसटीडी बूथ पर पहुंची, जहां से चांद खां और शराफत ने फोन किया था. पड़ताल से पता चला कि गाड़ी में बैठे तीसरे व्यक्ति ने भी इसी बूथ से एक और काल की थी. ये काल उस ने उत्तर प्रदेश के कासमपुर में एक चाय बेचने वाली महिला को की थी. जब पुलिस उस महिला के पास पहुंची तो महिला ने बताया कि डा. देवेंद्र शर्मा ने उस के रिश्तेदार उदयवीर और राजू रजवा से बातचीत के लिए फोन किया था. ये दोनों अलीगढ़ के रहने वाले थे.

जयपुर जीआरपी पुलिस शराफत और चांद की तलाश में डा. देवेंद्र शर्मा, उदयवीर और राजू रजवा को तलाश रही थी. इसी बीच यूपी के एटा जिले की गंगा नहर में 2 लाशें मिलीं. कई दिन पड़ताल के बाद भी लाशों की शिनाख्त नहीं हुई. आखिर में एटा पुलिस ने दोनों का अंतिम संस्कार कर दिया. वहीं उन के पास मिले सामान, कपड़ोंं और अन्य चीजों को सुरक्षित रख लिया. इधर, जयपुर जीआरपी पुलिस को मार्च 2004 में 2 लाशें एटा पुलिस को मिलने का पता चला, तब पुलिस एटा पहुंची और मृतकों की घड़ी, कंबल आदि से गफ्फार खां व दूसरे परिजनों ने शिनाख्त करते हुए बताया कि ये सामान चांद खां व शराफत खां का ही है. गुमशुदगी का मामला अब हत्या का केस बन चुका था.

तत्कालीन डीआईजी (रेलवे) हरिश्चंद्र मीणा के निर्देशन में इंसपेक्टर मंसूर अली, एसआई महेंद्र भगत सहित लगभग एक दरजन पुलिसकर्मियों की टीम उत्तर प्रदेश भेजी गई. कई स्थानों पर पड़ताल व दबिश के बाद उदयवीर और राजू रजवा को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. पूछताछ में पता चला कि मुकेश खंडेलवाल उर्फ डा. देवेंद्र शर्मा उर्फ डा. डैथ यूपी की जेल में बंद है. जीआरपी ने जेल में बंद डा. देवेंद्र शर्मा से पूछताछ की. शातिर देवेंद्र ने पुलिस को कई झूठी कहानियां बताईं कि अलीगढ़ के एक परिवार ने रंजिशन दोनों भाइयों की हत्या की है. इस पर जीआरपी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया और इस केस को क्लोज मान लिया.

स्केच से खुला हत्यारे डा. डैथ का राज

इस बीच तत्कालीन एसपी डा. प्रशाखा माथुर के निर्देशन में गहन जांच चली. क्योंकि गिरफ्तार किए लोगों के फेमिली वालों ने उन्हें बेकुसूर बताया. जीआरपी व सदर थाना पुलिस ने जयपुर रेलवे स्टेशन पर टैक्सी चालकों से बातचीत कर दोनों भाइयों की टैक्सी बुक करने वाले व्यक्ति का हुलिया पूछ कर स्केच बनवाया. ये स्केच डा. देवेंद्र शर्मा से मिलताजुलता था. इस के बाद एसआई महेंद्र भगत के नेतृत्व में पुलिस टीम को फिर उत्तर प्रदेश भेजा गया. वहां डा. देवेंद्र शर्मा के साथ जेल में बंद काजी सावेश नाम के कैदी से पुलिस टीम अलग से मिली.

काजी सावेश ने बताया कि देवेंद्र ने दोनों भाइयों की हत्या के आरोप में जिन्हें गिरफ्तार करवाया है, वे बेकुसूर है. डबल मर्डर देवेंद्र और उस के साथियों ने ही किया है. देवेंद्र रोजाना पुलिस वालों पर हंसता है और डींगें हांकता है कि उस ने न सिर्फ जीआरपी पुलिस को पागल बना दिया, बल्कि अपने दुश्मनों का भी इलाज कर दिया. इस के बाद पुलिस ने दोबारा डा. देवेंद्र से सख्ती से पूछताछ की. इस बार डा. देवेंद्र शर्मा ने पूरा सच कुबूला.  उस ने बताया, ”कासमपुर पहुंचने के बाद मैं ने अपने दोनों साथियों उदयवीर व राजू रजवा को टैक्सी में बैठाया.

रास्ते में मैं, राजू रजवा और उदयवीर ने टायलेट के बहाने हाईवे पर गाड़ी रुकवाई. इस के बाद उन्होंने दोनों भाइयों चांद खां और शराफत खां की बेल्ट से गला घोंट कर हत्या कर दी और उन के शव हजारा नहर में फेंक दिए. शव बहते हुए एटा की गंगा नहर में जा पहुंचे, जिन्हें पुलिस ने बरामद कर लिया. इस तरह डबल मर्डर का खुलासा होने पर जीआरपी ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया. वहीं पहले गिरफ्तार हुए लोगों को रिहा किया गया. इस सीरियल किलर को दबोचने में राजस्थान पुलिस के तत्कालीन एसआई महेंद्र भगत, जो वर्तमान में एडिशनल एसपी (पीएचक्यू) हैं, ने अहम भूमिका निभाई थी.

तत्कालीन आईजी (रेलवे) हरिश्चंद्र मीणा ने महेंद्र भगत सहित इस जांच में शामिल पुलिस टीम को 14 हजार रुपए का पुरस्कार दे कर सम्मानित किया था. मार्च 2007 में फरीदाबाद की एडीजे कोर्ट ने उसे डा. देवेंद्र शर्मा के 2 साथियों के साथ कमल सिंह नामक एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या का दोषी पाया. उस पर 21 टैक्सी ड्राइवरों की हत्या का आरोप था, जिन के आरोपपत्र न्यायालयों में दाखिल किए जा चुके हैं. 14 मई, 2008 को देवेंद्र शर्मा को गुडग़ांव की एक अदालत ने नरेश वर्मा नामक एक टैक्सी ड्राइवर की हत्या के आरोप में मौत की सजा सुनाई थी, जबकि  उसे 7 मामलों में उम्रकैद की सजा दी गई थी.

देवेंद्र शर्मा ने पूछताछ में बताया कि वह टैक्सी, कार व ट्रक चालकों की हत्या उन का गला घोंट कर करता था. इस तरह मारने में उसे मजा आता था. हत्या करने के बाद वह शवों को कासगंज की हजारा नहर में ले जा कर फेंक देता था. ऐसा पुलिस से बचने के लिए करता था, क्योंकि हजारा नहर में बड़ी संख्या में मौजूद मगरमच्छ शव को निगल जाते थे. पुलिस की पूछताछ में आरोपी डा. डैथ उर्फ डा. देवेंद्र शर्मा ने बताया कि 50 हत्याओं के बाद उसे गिनती भी याद नहीं है.

अपने बेटों को बनाया डाक्टर, इंजीनियर 

अपराध की दुनिया में आने के बाद डा. देवेंद्र शर्मा ने अपने परिवार को कानून से बचाने के लिए पत्नी शिखा को तलाक दे दिया. उस ने पत्नी से कानूनी तरीके से लिखापढ़ी में तलाक ले लिया था, ताकि पत्नी शिखा को पुलिस परेशान न करे. मगर पत्नी के साथ रह रहे अपने दोनों बेटों को अच्छी शिक्षा दिलाई. इस समय उस का बड़ा बेटा पुणे के एक बड़े संस्थान में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है जबकि छोटा बेटा भी महाराष्ट्र के ही एक संस्थान से इंजीनियरिंग कर रहा है.

पूछताछ में देवेंद्र शर्मा ने बताया कि पत्नी और बच्चों को वह पूरा खर्च भेजता था. बेटों की पढ़ाई का खर्च भी संभाल रहा था. इसी से उस के शातिराना अंदाज का पता लगाया जा सकता है. उस के पिता देवकीनंदन शर्मा सीवान में फार्मा कंपनी में तैनात थे. जेल में रहने के दौरान भी डा. देवेंद्र शर्मा उर्फ डा. डैथ चुप नहीं बैठा. वर्ष 2014 में जब छर्रा के कारोबारी मयंक गोयल से फोन पर शातिर देवेंद्र शर्मा ने रंगदारी मांगी, तब पुलिस ने सर्विलांस की मदद से गुरुग्राम कचहरी के पास एक पीसीओ का नंबर चिह्नित किया था. वहां जब पुलिस जांच के लिए पहुंची तो भोंड़सी जेल से पेशी पर आने के बीच में देवेंद्र द्वारा फोन करने की बात पता चली.

इस के साथ ही यह भी पता चला कि उस की पत्नी शिखा उस से पेशी के दौरान मिलने आया करती थी और उस के लिए घर से खाना बना कर भी लाती थी. डा. देवेंद्र शर्मा की गिरफ्तारी के बाद जब उस के गांव के लोगों से बातचीत की गई तो ग्रामीण व फेमिली वाले खुल कर तो कुछ नहीं बोले, मगर हां इतना जरूर बताया कि वह आखिरी बार 2020 के फरवरी माह में कोविड के समय गांव आया था. आधा घंटा रुका था. तब उस ने बताया कि वह पैरोल पर छूट कर आया है. उस समय उस ने 20 दिन छर्रा थाने में हाजिरी भी लगाई थी.

उस का एक भाई उत्तराखंड में रहता है. जबकि एक भाई सुरेंद्र शर्मा सीआईएसएफ में दरोगा है और कासिमपुर पावर हाउस में तैनात है. वहीं उस की शादी कासगंज के एक रेलवे अफसर की बेटी से 1982 में हुई थी. जब से डा. देवेंद्र की किडनी रैकेट की नरपिशाच वाली कहानी सामने आई, तभी से उस का नाम डा. डैथ पड़ गया. उस का जीवन अपराध और हिंसा से भरा पड़ा है.

ग्रामीण बताते हैं कि डा. देवेंद्र कार से पहली पैरोल पर जब गांव आया था. तब काफी देर बातचीत में उस ने धर्मकर्म की बातें कहीं. कहा था कि सांसारिक जीवन में पाप के कर्मों का फल मिलता है. इसलिए जितना हो सके दूसरों का भला करें. भूखे को भोजन खिलाने में जो आनंद है, वह और कहीं नहीं. उस समय उस की बातों को सुन कर कभी नहीं लगा था कि वह इतना बड़ा अपराधी भी हो सकता है. हालांकि वह अपने हिस्से की जमीन बेचने के इरादे से गांव आया था. उस समय अतरौली तहसील में गांव के ही नरेंद्र और रघुराज की गवाही से भटौला सिकंदरपुर के 2 सगे भाइयों को जमीन का बैनामा किया था. गांव पुरैनी में उस का पुश्तैनी मकान खंडहर बन चुका है.

एसपी (देहात) अमृत जैन ने बताया कि डा. डैथ के बारे में सभी जानकारियां जुटाई जा रहीं हैं. उस का परिवार कहां है. अपराध से कितनी संपत्ति अर्जित की है, इस का रिकौर्ड दिखवाया जा रहा है. हालांकि जो पता चला है, उस के मुताबिक गांव में उस के हिस्से की जो जमीन थी, उसे वह बेच चुका है. पैसे के लालच में आदमी अकसर गलत काम करने से भी गुरेज नहीं करता. इस का परिणाम यह होता है कि वह अपनी नैतिकता और मूल्यों को खो देता है. डा. देवेंद्र शर्मा पढ़ालिखा आयुर्वेदिक डाक्टर था, यदि वह मेहनत से पैसा कमाता तो उसे फांसी के फंदे तक नहीं पहुंचना पड़ता.

मगरमच्छों से भरी है हजारा नहर

उत्तर प्रदेश के कासगंज जिले से 5 किलोमीटर दूर नदरई गांव में स्थित एक पुल है. इस ऐतिहासिक पुल को नदरई पुल या झाल का पुल के नाम से भी जाना जाता है. पुल काली नदी के ऊपर बना है. पुल के ऊपर 2 नहरें बहती हैं. पुल के बीच बनी सुरंग से पुल के आरपार जाया जा सकता है. इंजीनियरिंग का एक खास नमूना है. यह पुल 136 साल पुराना है. यहां बनी नहरों को हजारा नहर के नाम से जाना जाता है. हजारा नहर में बड़ी संख्या में मगरमच्छों का निवास है. अपराधी इसी हजारा नहर के मगरमच्छों का सहारा हत्या के बाद लाशों को ठिकाने लगाने में करते हैं.

7 बार उम्रकैद, एक बार फांसी की सजा पाने वाले डा. डैथ उर्फ डा. देवेंद्र शर्मा ने भी 50 से अधिक हत्याएं करने के बाद इसी नहर में शवों को मगरमच्छों का निवाला बनाने को फेंका. कम से कम जिंदा नहीं तो मुर्दा इंसानों को निवाला बनाने का रिकौर्ड शायद हजारा नहर के इन्हीं मगरमच्छों के नाम है.

भेजा निकाल कर सूप पीने वाला किलर

डा. डैथ जहां हत्या के बाद शवों को मगरमच्छों को खिला देता था, वहीं प्रयागराज नैनी के शंकरगढ़ स्थित हिनौता गांव का रहने वाला सीरियल किलर राम निरंजन उर्फ राजा कोलंदर और उस का साला वक्षराज मिल कर लोगों की हत्या करने के बाद लाश के टुकड़ेटुकड़े कर मांस भून कर खा जाते थे, जबकि खोपड़ी से भेजा (दिमाग) निकाल कर उसे उबाल कर सूप बना कर पीते थे. उस का मानना था कि इस सूप से उस का दिमाग तेज होगा और उसे अपार शक्ति मिलेगी.

साल 2000 में पहली बार प्रयागराज में पत्रकार धीरेंद्र सिंह की हत्या के मामले में उसे गिरफ्तार किया गया था. वहीं इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की 12 साल सुनवाई के बाद पहली दिसंबर, 2012 में राजा कोलंदर को उम्रकैद की सजा सुनाई थी. वहीं इसी माह 14 लोगों की हत्या करने वाले इस सीरियल किलर राजा कोलंदर को डबल मर्डर में लखनऊ के सीजेएम कोर्ट ने सीरियल किलर राजा कोलंदर उस के साले वक्षराज को उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोनों पर ढाईढाई लाख का जुरमाना भी लगाया गया है. crime stories in hindi

 

 

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