Stories in Hindi Love : 20 साल की सायरा परवीन के साथ कुछ बदमाश पार्क में जबरदस्ती करने की कोशिश कर रहे थे. उसे बचाने के चक्कर में उधर से गुजर रहे राहुल को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा. इस केस में सायरा चश्मदीद गवाह बनी. इस घटना के 5 महीने बाद ऐसी क्या वजह रही कि मृतक राहुल के चाचा किशन कुमार को सुपारी दे कर सायरा परवीन की ही हत्या करानी पड़ी?

शराब का वो आखिरी पैग भी लंगड़े ने गले से नीचे उतार लिया था, लेकिन उस को अभी नशा नहीं हुआ था. उस ने खाली हो गई बोतल को घूरा, फिर सामने बैठे सलमान और अरबाज से बोला, ”मजा नहीं आया यारो, मेरा तो गला भी तर नहीं हुआ है अभी.’’

”रात के 8 बज गए हैं रहमत मियां, अब टेक भी बंद हो गए हैं. जितनी पी है, उसी से सब्र करो आज.’’ सलमान ने कहा.

”हां, कल 2 बोतल खरीदेंगे, एक तुम अकेले डकार लेना.’’ अरबाज ने अपना डिस्पोजल गिलास रेत पर फेंकते हुए कहा.

”लेकिन कुछ हुआ ही नहीं है अरबाज, तुम्हें मालूम है मैं अधूरा मजा नहीं करता हूं.’’ रहमत उर्फ लंगड़ा ने मुंह बना कर कहा.

”मजे के लिए दूसरा इंतजाम कर लो रहमत मियां,’’ अरबाज ने होंठों पर कुटिल मुसकान लाते हुए कहा, ”तुम्हारे पास तो जुगाड़ है.’’

”जुगाड़ कैसा जुगाड़?’’

”अरे, वो है न तुम्हारी फ्रेंड सायरा, उसे बुला लो.’’ अरबाज ने दाईं आंख दबा कर मुसकराते हुए कहा.

”हीऽऽहीऽऽहीऽऽ’’ रहमत उर्फ लंगड़ा दांत निकाल कर हंसा, ”वो सायरा… माल तो बढिय़ा है, लेकिन वह कंधे पर हाथ नहीं रखने देगी अरबाज.’’

”उसे बुलाओ तो सही, तुम कंधे की बात कर रहे हो, मैं तो उसे बोलने का मौका ही नहीं दूंगा. मेरा नाम अरबाज है.’’

”अरबाज सही बोलता है तू.’’ सलमान ने मुंह खोला, ”जब उस के टेंटुए पर रामपुरी रखेंगे तो खुद ही कपड़े उतार कर साथ में सोने के लिए हां बोल देगी.’’

”ऐसी बात है क्या, फिर तो उसे मैं अभी फोन करता हूं.’’ रहमत ने हंस कर कहा और जेब से फोन निकालने लगा.

उस ने जेब से मोबाइल निकाल कर सायरा परवीन का नंबर निकाल कर मिलाया. दूसरी तरफ कुछ देर घंटी बजी, फिर एक सुरीली आवाज सुनाई दी, ”सलाम रहमत. कैसे फोन कर रहे हो इस टाइम?’’

”तेरे से मिलना है सायरा, एक जरूरी काम आ पड़ा है, तू अभी के अभी आ जा.’’

”अब शाम ढल रही है रहमत, घर में बहुत काम है. मैं नहीं आ पाऊंगी.’’ सायरा ने स्पष्ट इंकार किया.

”समझा कर सायरा, बहुत जरूरी काम है वरना मैं नहीं बुलाता.’’ रहमत ने अपनी बात पर जोर देते हुए कहा.

”काम क्या है?’’

”आएगी तो बताऊंगा. तू 15-20 मिनट में सुंदर नगरी में एच ब्लौक के पार्क के पास आ कर मिल, मैं वहीं तेरा इंतजार कर रहा हूं.’’

”ठीक है, आती हूं.’’ कहने के बाद सायरा ने काल डिसकनेक्ट कर दी.

रहमत मुसकराया, ”आ रही है वो. अब शराब के साथ शबाब भी मिलेगा. मजा आ जाएगा.’’

”पहला नंबर मेरा होगा रहमत,’’ सलमान रौब से बोला.

”आने दे भाई, पहले तू ही मुहूर्त कर लेना.’’ रहमत धीरे से बोला.

वे सायरा का इंतजार करने लगे. वह आधा घंटे में पार्क के पास पहुंच गई. वहां पर रहमत के साथ 2 और दोस्तों को देख कर उस का माथा ठनका. वह रहमत के पास आ कर बोली, ”क्यों बुलाया है मुझे?’’

”सायरा, यह लंगड़ा क्या बताएगा. मैं बताता हूं.’’ सलमान थोड़ा आगे आ कर बोला, ”हमारी शराब आज कम पड़ गई है, इसलिए नशा नहीं चढ़ा है.’’

”तो मैं क्या तुम्हें शराब ला कर पिलाऊं?’’ आंखें तरेर कर सायरा ने कहा.

”नहीं, शराब तो तुम्हारे जिस्म में भरी हुई है सायरा. उसे पिलाएगी तो नशा शराब से दोगुना चढ़ जाएगा.’’

”सलमान, होश में बात करो मुझ से. मेरा नाम सायरा परवीन है.’’ वह गुस्से से बोली.

”देखो सायरा, तुम्हें हमारी खिदमत तो करनी ही पड़ेगी, राजी या गैर राजी.’’ सलमान ने कहा और सायरा का हाथ पकड़ लिया.

”मेरा हाथ छोड़ो सलमान,’’ सायरा गुर्रा पड़ी, ”छोड़ो मेरा हाथ.’’

सलमान को गुस्सा आ गया, ”बहुत फडफ़ड़ा रही है तू.’’ सलमान ने सायरा के गाल पर थप्पड़ जड़ दिया.

”सीधी तरह पार्क में चलती है या उधेड़ूं तेरी खाल.’’ गुर्राते हुए सलमान ने कहा और सायरा को पार्क में ले जाने के लिए हाथ पकडऩे लगा.

सायरा चीखने लगी, ”रहमत, मुझे छुड़ाओ इस से.’’

”मैं कुछ नहीं बोल सकता सायरा, क्योंकि नशा मैं भी करना चाहता हूं, लेकिन पहला नंबर सलमान का है.’’ रहमत मुसकराते हुए बोला.

सायरा की इज्जत बचाने में राहुल की गई जान

चीखती हुई सायरा को खींचते हुए सलमान पार्क की तरफ ले गया. वह दरवाजे से सायरा को अंदर पार्क में ले जाने वाला था कि सामने से 2 व्यक्ति उधर आ निकले. वह दोनों चाचाभतीजे थे. इन में एक राहुल उर्फ मनीष था. दूसरा उस का चाचा किशन कुमार था. ये केबल औपरेटर का काम करते थे और दोनों सुंदर नगरी की झुग्गियों में रहते थे. सायरा उन्हें देख कर चिल्लाई, ”मेरी मदद करो भाई. यह बदमाश मेरी इज्जत पर हाथ डालना चाहता है.’’

राहुल जोशीला युवक था. उस ने आगे बढ़ कर सलमान का गरीबान पकड़ लिया और गुर्राया, ”छोड़ इस लड़की को.’’

”मेरे मामले में मत बोल राहुल. तू अपने रास्ते जा.’’ सलमान ने ऐंठ कर कहा

”अबे तू ज्यादा धौंस मत दे मुझे. जानता हूं सुंदर नगरी का बदमाश है तू… लेकिन तू इस लड़की पर हाथ डालेगा तो तेरी बदमाशी यहीं निकाल दूंगा.’’ राहुल गुस्से से बोला और उस ने सलमान को जोर से धक्का दे दिया.

सलमान संभल नहीं पाया. सायरा का हाथ उस के हाथ से छूट गया. वह दूर जा कर गिरा. हाथ छूटते ही सायरा जान बचा कर भाग निकली. सलमान उठ कर खड़ा होता, इस से पहले ही राहुल और उस का चाचा अपने रास्ते पर आगे बढ़ गए. सलमान उन्हें घूरता रहा. फिर वह उस तरफ दौड़ा, जिधर रहमत उर्फ लंगड़ा और अरबाज बैठे गप्पें लड़ा रहे थे. उसी रात 15 नवंबर, 2024 की आधी रात को उत्तरपूर्वी दिल्ली के नंदनगरी थाने में पुलिस कंट्रोल रूम से सूचना दी गई कि सुंदर नगरी के एच ब्लौक पार्क में एक व्यक्ति का कत्ल हो गया है.

सूचना मिलते ही नंदनगरी थाने के एसएचओ संतोष कुमार रावत अपनी टीम के साथ तुरंत घटनास्थल के लिए रवाना हो गए. वे जब पार्क में पंहुचे, वहां बिजली के पोल के पास एक युवक खून से लथपथ पड़ा दिखाई दिया. संतोष कुमार रावत ने उस युवक की नब्ज देखी. वह हलकीहलकी चल रही थी. युवक के गले पर गहरा घाव देख कर रावत ने अनुमान लगा लिया कि हत्यारे ने चाकू से इस युवक की गरदन रेतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है.

उस युवक के पास एक व्यक्ति बैठा रो रहा था.

”यह घायल व्यक्ति तुम्हारा क्या लगता है?’’ श्री रावत ने पूछा.

”यह मेरा भतीजा राहुल उर्फ मनीष है साहब, इसे बदमाशों ने घर से बुला कर चाकू मारा है, इसे बचा लीजिए आप.’’ वह व्यक्ति रोते हुए बोला.

एसएचओ संतोष कुमार रावत ने धीरे से कहा, ”तुम हमारे साथ अस्पताल चलो. पूछताछ तुम्हारे भतीजे के उपचार के बाद कर लेंगे. आओ.’’

श्री रावत ने साथ आए कांस्टेबल को इशारा किया और घायल युवक को पुलिस वैन में रखने को कहा. 2 कांस्टेबलों ने राहुल को पुलिस वैन की बर्थ पर लिटा दिया. श्री रावत वैन में बैठे और ड्राइवर को जीटीबी अस्पताल चलने को कहा. वैन जीटीबी हौस्पिटल के लिए तुरंत चल पड़ी, जो ज्यादा दूर नहीं था. वहां पहुंचते ही युवक को वैन से उतार कर इमरजेंसी की तरफ ले जाया जाने लगा तो उस ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया. इमरजेंसी में पहुंचने पर वहां मौजूद डाक्टरों ने भी उस की मौत की पुष्टि कर दी. श्री रावत ने राहुल की लाश को फारमेलिटी पूरी करने के बाद उसे वहीं की मोर्चरी में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया और उस के चाचा को साथ ले कर थाने में लौट आए.

उन्होंने मृतक के चाचा किशन कुमार को सामने बिठा कर पूछताछ शुरू की तो किशन ने बताया कि आज शाम को वह जब अपना काम निपटा कर भतीजे राहुल के साथ पैदल घर के लिए आ रहा था तो सलमान नामक बदमाश एक 19-20 साल की युवती को जबरदस्ती पार्क में खींच कर ले जाने की कोशिश कर रहा था. वह मदद के लिए चीख रही थी तो मैं और राहुल रुक गए. राहुल ने सलमान से युवती को छुड़ाने के लिए सलमान को धक्का दिया तो वह गिर पड़ा. लड़की भाग गई तो हम भी घर चले आए. घर आ कर खाना वगैरह बना कर खा लेने के बाद हम सोने के लिए तैयारी कर रहे थे कि झुग्गी के दरवाजे पर सलमान अपने 3-4 साथियों को ले कर पहुंच गया. उस ने दरवाजे पर लात मारी और गुस्से में राहुल को बाहर आने को कहा.

राहुल के हत्यारे चढ़े पुलिस के हत्थे

राहुल उठ कर बाहर आया तो वह उसे ले कर पार्क की तरफ चले गए. मैं कपड़े पहन कर पीछे भागा, तब तक उन्होंने मेरे भतीजे राहुल की गरदन काट दी और भाग गए. मैं ने पुलिस कंट्रोल रूम को इस की सूचना दी तो आप आ गए. मेरे भतीजे की हत्या सलमान ने अपने साथियों के साथ की है, आप उन्हें गिरफ्तार करें.

”वह युवती कौन थी, उसे पहचानते हो तुम?’’ श्री रावत ने पूछा.

”नहीं साहब, यह तो सलमान ही बताएगा.’’ किशन कुमार ने कहा.

श्री रावत ने किशन कुमार को वादी बना कर एफआईआर दर्ज की, जो बीएनएस की धारा 103(1), 109(1), 3(5) के अंतर्गत लिखी गई.

श्री रावत ने इस काल की सूचना डीसीपी आशीष मिश्रा तथा एसीपी (नंदनगरी) जशोद सिंह मेहता को दे कर निर्देश मांगा तो उन्होंने तुरंत एक पुलिस टीम गठित कर के राहुल के हत्यारों को पकडऩे का आदेश दे दिया.

जो पुलिस टीम इस केस को सौल्व करने के लिए बनाई गई, उस में एसएचओ संतोष कुमार रावत, इंसपेक्टर गोविंद सिंह, एएसआई प्रमोद कुमार, हैडकांस्टेबल दीपक नागर कांस्टेबल परमजीत सिंह, जितेंद्र कुमार, मुकेश कुमार को शामिल किया गया. सलमान सुंदर नगरी का कुख्यात बदमाश था. उस के ठिकानों पर इस टीम ने दबिश दी तो वह पुलिस के हाथ आ गया. उसे थाने में ला कर सख्ती से पूछताछ की गई तो उस ने अपने साथियों अरबाज, रहमत और अपने अब्बू सलीम को राहुल की हत्या में शामिल होना बता दिया.

यह पूछे जाने पर कि वह युवती कौन थी, जिसे वह बुरी नीयत से पार्क में ले जा रहा था. सलमान ने बता दिया कि वह कुष्ठ आश्रम के पास वाली झुग्गी में रहने वाली सायरा परवीन थी. सायरा परवीन को पुलिस तलाश कर के थाने ले आई. सायरा परवीन अपनी बहन और जीजा के पास रहती थी. उस के अब्बू की मौत हो चुकी थी और एक महीना पहले ही अम्मी भी कैंसर की बीमारी में इस दुनिया से विदा हो गई थी.

सायरा की हत्या पुलिस के लिए बनी मिस्ट्री

20 वर्षीय सायरा ने पुलिस को सारी बात बता दी, तब एसएचओ श्री रावत ने सायरा को सरकारी गवाह बना लिया. पुलिस शेष अपराधियों की धरपकड़ के लिए लगातार दबिश दे रही थी. 26 नवंबर, 2024 को ये तीनों भी पुलिस के हाथ लग गए. इन्हें मजिस्ट्रैट के सामने पेश कर के जेल भेज दिया गया. इस प्रकार राहुल मर्डर केस एक प्रकार से सुलझा कर पुलिस ने अपनी पीठ थपथपा ली, लेकिन यह कहानी यहीं खत्म नहीं हुई. इस में अभी एक कत्ल और शामिल होना था. वह कत्ल हुआ खुद सायरा परवीन का. क्यों? आइए जानते हैं

14 अप्रैल, 2025, दिन सोमवार, रात 10 बजे उत्तरपूर्वी दिल्ली के जीटीबी एनक्लेव थाने को किसी ने सूचना दी कि जीटीबी एनक्लेव के सामने एमआईजी फ्लैट की सर्विस लाइन में किसी ने एक युवती लड़की को गोली मार दी है. उस समय थाना जीटीबी एनक्लेव के एसएचओ ब्रजेश मिश्रा थाने में ही थे. सूचना मिलने पर वह एएसआई अनिल यादव, हैडकांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल अभय कुमार और तनुज को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए.

पाकेट-ए के पास उन्हें सड़क पर एक युवती पड़ी दिखाई दी. उस का निरीक्षण करने पर उस की कमर और सिर में गोली के 2 निशान मिले. वहां निकला खून गाढ़ा पड़ चुका था. इस से अनुमान लगाया गया कि उस घटना को हुए ज्यादा वक्त नहीं हुआ है. वहां कुछ लोग एकत्र हो गए थे. एसएचओ ब्रजेश कुमार मिश्रा ने उस की नब्ज देखी, वह बंद थी. उस की सांसें भी थम चुकी थीं यानी मौत हो गई थी. उस की तलाशी ली गई तो उस के पास कुछ भी ऐसा नहीं मिला, जिस से उस की पहचान हो सके. वहां मौजूद कुछ लोगों ने बताया कि यह युवती कुष्ठ आश्रम के पास की आनंद आश्रम की झुग्गियों में रहती है और इस का नाम सायरा परवीन है.

युवती कोई 20 साल के आसपास की उम्र की थी. एसएचओ मिश्रा ने मौके की फोरैंसिक जांच के लिए एफएसएल टीम को बुला लिया और क्षेत्र के डीसीपी (शाहदरा) प्रशांत गौतम को इस हत्याकांड की सूचना फोन द्वारा दे दी. वह भी घटनास्थल पर आ गए. सारी काररवाई पूरी कर लेने के बाद सायरा परवीन की लाश को पोस्टमार्टम के लिए जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में भिजवा दिया गया. डीसीपी प्रशांत गौतम ने एसएचओ बृजेश मिश्रा को इस हत्या के आरोपियों को पकडऩे की जिम्मेदारी सौंपी.

इस के बाद एसआई अनिल यादव आनंद आश्रम की झुग्गियों में जा कर सायरा परवीन के घर पहुंचे तो एक महिला ने दरवाजा खोला, जिस का नाम शाहिदा था. दरवाजे पर पुलिस को देख कर वह घबरा गई, ”क्या हुआ साहब?’’

”क्या सायरा परवीन आप के ही घर से हैं?’’ यादव ने पूछा.

”जी हां, वह मेरी छोटी बहन है. क्या हुआ उसे वह ठीक तो है न साहब?’’

”उसे किसी ने गोली मार दी है, उस की लाश जीटीबी अस्पताल की मोर्चरी में है.’’ एएसआई यादव ने सूचना देते हुए कहा, ”आप सुबह मोर्चरी आ जाना.’’

सायरा परवीन की हत्या की खबर सुनते ही शाहिदा दहाड़ें मार कर रोने लगी, जिस से घर में सभी जाग गए. एएसआई ने अब वहां रुकना ठीक नहीं समझा. वह थाने के लिए लौट गए.

शाहदरा जोन के डीसीपी प्रशांत गौतम ने एसीपी मुकेश वालिया के सुपरविजन में सायरा परवीन हत्याकांड का केस जीटीबी एनक्लेव थाने के एसएचओ ब्रजेश मिश्रा के सुपुर्द कर के एक टीम उन के नेतृत्व में बना दी. इस टीम में एसआई अनिल कुमार, मनीष कुमार, एएसआई अनिल यादव, सुनील कुमार, हैडकांस्टेबल मनोज कुमार, कांस्टेबल अभय कुमार और तनुज को शामिल किया गया. इंसपेक्टर इनवेस्टीगेशन देवेंद्र कुमार भी इस टीम का हिस्सा बने. थाना पुलिस के अलावा इस केस की जांच में क्राइम ब्रांच की इंटरस्टेट सेल को भी लगा दिया गया था.

सेल के एसीपी रमेश लांबा के नेतृत्व में एक पुलिस टीम जांच में जुट चुकी थी. टीम में इंसपेक्टर पंकज मलिक और रोहित कुमार के अलावा हैडकांस्टेबल गजेंद्र सिंह, नरेंद्र कुमार, कांस्टेबल रविंद्र कुमार शामिल थे. क्राइम ब्रांच की टीम ने घटनास्थल के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों को चैक किया. टीम को 1-2 कैमरों में सायरा किसी युवक के साथ सड़क पर जाती नजर आई. घटनास्थल के पास भी एक सीसीटीवी में सायरा के साथ वही युवक नजर आया.

करनाल में छिपा बैठा था हत्या का आरोपी

इंसपेक्टर पंकज मलिक ने सायरा परवीन की बहन शाहिदा को सीसीटीवी कैमरे की फुटेज दिखाई और उस से पूछा, ”सायरा इस युवक के साथ थी, जानती हो यह कौन है?’’

”इस का नाम रिजवान है साहब. कल शाम को मेरी बहन सायरा को इस ने ही फोन कर के मिलने के लिए बुलाया था. मेरे मना करने पर भी सायरा नहीं रुकी और इस से मिलने के लिए चली गई.’’

”यह रिजवान कहां रहता है?’’

”साहब, यह सुंदर नगरी की झुग्गियों में रहता है. इस की झुग्गी का नंबर ई-57/632 है. मुझे सायरा ने ही यह बताया था.’’

”सायरा रिजवान के संपर्क में कैसे आई, क्या वह रिजवान से प्यार करती थी?’’

”हां साहब. सायरा से रिजवान की दोस्ती हुए ज्यादा समय नहीं हुआ है. पता नहीं रिजवान जैसा गरीब लड़का सायरा को क्यों पसंद आया. वह रिजवान के साथ घूमनेफिरने लगी थी. इसी का ही परिणाम सामने आ गया.’’

इंसपेक्टर पंकज टीम के साथ सुंदर नगरी में रिजवान की तलाश में निकल गए. किंतु रिजवान घर पर नहीं मिला. उस के मोबाइल नंबर को सर्विलांस पर लगा दिया गया. नंबर कुछ समय बंद रहा, फिर ऐक्टिव हो गया. सर्विलांस द्वारा मालूम हुआ रिजवान इस समय हरियाणा के करनाल जिले में है. क्राइम ब्रांच टीम सर्विलांस का सहारा ले कर करनाल जा पहुंची. वहां 19 वर्षीय रिजवान किसी रिश्तेदार के यहां छिपा हुआ मिल गया. उसे वहां से गिरफ्तार कर के दिल्ली लाया गया और क्राइम ब्रांच ने उसे जीटीबी एनक्लेव थाना पुलिस के हवाले कर दिया गया.

थाने में उस से पूछताछ की गई तो उस ने सायरा से हुई मोहब्बत की पूरी दास्तान पुलिस को सुना दी, जो इस प्रकार थी. दोढाई महीने पहले की बात है. रिजवान वैल्डिंग का काम करने आनंद ग्राम गया था, वहीं पर उस ने पहली बार सायरा को देखा था और उस की खूबसूरती पर मर मिटा था. बातचीत के दौरान उस ने सायरा का फोन नंबर ले लिया था. इस के बाद दोनों की फोन पर बातचीत और चैटिंग होने लगी. धीरेधीरे दोनों नजदीक आ गए और प्यार करने लगे. रिजवान ने बताया कि सायरा अच्छी लड़की नहीं थी, होती तो वह उसे क्यों मारता. वह दूसरे लड़कों से बातें करती थी. रिजवान ने यह देखा तो उस ने ऐसा करने से मना किया.

वह नहीं मानी तो रिजवान ने प्लान बना कर उसे मिलने के लिए सुंदर नगरी बुलाया. वह उसे एलआईजी फ्लैट की तरफ ले गया. और सुनसान जगह पर उस ने उसे गोली मार दी. सायरा को मारने के बाद रिजवान ने दोस्त फिरोज खान उर्फ अनिल की मदद ली, वह अपनी बाइक से उसे एक रिश्तेदार के पास करनाल छोड़ आया, जहां से पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस टीम ने फिरोज खान उर्फ अनिल को भी उसी रात सुंदर नगरी से पकड़ लिया.

किशन ने क्यों मरवाया गवाह सायरा को

फिरोज खान से एसएचओ ब्रजेश मिश्रा ने पूछताछ की तो उस ने चौंकाने वाला बयान दिया, ”साहब, मैं रिजवान की हेल्प नहीं करना चाहता था, लेकिन उस ने मुझे 5 हजार रुपए देने का वादा किया. उस ने कहा कि किशन से जब एक लाख रुपया मिल जाएगा, वह उसे खुश कर देगा इसलिए मैं उसे अपनी बाइक नंबर डीएल 96बीएफ 8410 से करनाल ले कर गया था.’’

इंसपेक्टर ब्रजेश मिश्रा ने रिजवान से पूछा, ”रिजवान, तुम्हारे दोस्त फिरोज ने हमें बताया है कि तुम ने सायरा परवीन की हत्या करने की सुपारी एक लाख रुपए किसी किशन से ली है. क्या यह सच है? देखो, सच बोलोगे तो मार से बच जाओगे. वरना…’’

रिजवान मार के नाम से ही थरथर कांपने लगा. उस ने स्वीकार कर लिया कि किशन से सायरा की हत्या करने का सौदा एक लाख में हुआ है, किशन ने मुझे आधा एडवांस दे दिया था.

”यह किशन कौन है? उसे सायरा परवीन की हत्या क्यों करवानी थी?’’

”साहब, पिछले साल नवंबर में नंदनगरी में हुए राहुल मर्डर केस में सायरा परवीन मुख्य गवाह बनाई गई थी. किशन उस निर्दोष राहुल का चाचा है, जिस का कत्ल हुआ था. चूंकि सायरा परवीन उन बदमाशों की मुंहलगी प्रेमिका थी. किशन को डर था कि सायरा मर्डर केस में मुख्य गवाह तो बन गई है, लेकिन बदमाश उसे डराएंगे तो वह कोर्ट में बयान बदल देगी. इसलिए उस ने सायरा को इस केस के रास्ते से ही हटा दिया.’’

”ओह!’’ श्री मिश्रा हैरानी से बोले, ”तुम ने जो खुलासा किया है, वह सायरा मर्डर के तार राहुल मर्डर केस से जोड़ रहा है.’’

श्री मिश्रा ने तुरंत फोन द्वारा यह जानकारी डीसीपी प्रशांत गौतम और एसीपी मुकेश वालिया को दे दी.

इस के बाद इंसपेक्टर ब्रजेश मिश्रा ने किशन को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीम सुंदर नगरी भेज दी. किशन अपने घर में इत्मीनान से सो रहा था. उसे खुशी थी कि रिजवान ने सायरा परवीन का कत्ल कर के उस के भतीजे राहुल का केस कमजोर होने से बचा लिया है. पुलिस ने उसे सोते हुए दबोच लिया और थाने में ले आई. सुबह डीसीपी (शाहदरा) प्रशांत गौतम और एसीपी मुकेश वालिया ने प्रैसवार्ता की. उस में तीनों आरोपी किशन कुमार, फिरोज खान उर्फ अनिल और सायरा परवीन के कातिल रिजवान को प्रैस वालों के सामने खड़ा कर के डीसीपी प्रशांत गौतम ने इस केस का खुलासा किया.

सायरा परवीन अपने अब्बू और अम्मी अपनी बहन शाहिदा के पास रहने लगी थी. वह शुरू से ही स्वच्छंद खयालों वाली थी. अम्मी उसे समझाती थी कि जमाना खराब है, गलत लोगों की संगत में मत रहा कर. लेकिन सायरा मानती नहीं थी. अम्मी के बाद बहन शाहिदा के यहां रहने पर भी उस का यही रवैया बना रहा. सायरा का बड़ा भाई जावेद चोरी के इल्जाम में मंडोली जेल में बंद था. सायरा उस से मिलने जेल जाती थी तो उस की पहचान वहां बंद रहमत उर्फ लंगड़ा से हो गई. लंगड़ा बदमाश है, उस का दिल सायरा पर आ गया.

जब वह जमानत पर जेल से बाहर आया तो उस ने मौजमस्ती के इरादे से सायरा को बाजार में रात के वक्त बुलाया. वहां रहमत के संग बदमाशी लाइन में उतरे सलमान, अरबाज भी थे. वह सायरा को जबरदस्ती पार्क में ले जाने लगे तो किशन और भतीजे राहुल ने सायरा को सलमान के पंजे से बचाया. फिर इन लोगों ने राहुल की हत्या कर दी. पुलिस ने सायरा परवीन की हत्या के मामले में गिरफ्तार आरोपियों रिजवान, फिरोज खान उर्फ अनिल और किशन कुमार के खिलाफ बीएनएस की धारा 103/1, 61(2) व 3/25 आम्र्स एक्ट के तहत गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया. Stories in Hindi Love

 

 

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