Hindi Short Stories : 18 वर्षीय महक जैन दिल्ली यूनिवर्सिटी से बीए (आनर्स) इंगलिश की पढ़ाई कर रही थी. पहली जून 2025 को वह कालेज जाने के लिए घर से निकली थी, उसी दिन 22 वर्षीय अर्शकृत सिंह ने संजय वन में चाकू से गोद कर उस की हत्या कर दी. कौन है अर्शकृत सिंह और उस ने महक की हत्या क्यों की? पढ़ें, लव क्राइम की यह कहानी.

प्रीति जैन दोपहर से ही बहुत परेशान थी. उस की छोटी 18 वर्षीय बहन महक जैन सुबह अपने कालेज के लिए गई थी. उस ने 10 बजे प्रीति को फोन किया था कि वह जल्दी घर लौट आएगी. हमेशा महक एकडेढ़ बजे घर वापस आ जाती थी, लेकिन अब दोपहर बाद के 3 बजने को आ गए थे, महक का कोई अतापता नहीं था. उस का फोन भी बंद आ रहा था. प्रीति के लिए यही चिंता की बात थी. उसे मालूम था कि महक कभी भी अपना फोन स्विच्ड औफ नहीं करती थी, उस के फोन की बैटरी भी फुल रहती थी, इसलिए महक का फोन बंद होने की वजह वह नहीं समझ पा रही थी.

घड़ी की सूइयां जैसेजैसे आगे सरक रही थीं, प्रीति के दिल की धड़कनें वैसेवैसे बढ़ती जा रही थीं. कुछ सोच कर उस ने अर्शकृत सिंह को फोन लगाया. घंटी बजने के साथ ही अर्शकृत ने फोन उठा लिया, ”हैलो प्रीति. कैसी हो?’’ अर्शकृत के स्वर में अपनापन था.

”मैं ठीक हूं अर्श, मुझे महक के लिए बात करनी है, वह कहां पर है?’’ प्रीति ने गंभीर स्वर में पूछा.

”मुझे क्या मालूम प्रीति, मैं तो उस से 2 दिन से नहीं मिला हूं.’’ अर्शकृत ने बताया.

”बनो मत अर्श, परसों तुम ने महक का पीछा किया था.’’ प्रीति गुस्सा हो कर बोली, ”महक ने यह बात मुझे खुद बताई थी.’’

”ओह!’’ अर्श ने बड़े इत्मीनान से कहा, ”मैं क्यों महक का पीछा करूंगा प्रीति. हो सकता है जिस रास्ते से मैं जा रहा था, महक उसी रास्ते पर मुझ से आगे रही हो और उसे लगा कि मैं उस का पीछा कर रहा हूं तो यह उस की गलतफहमी रही है.’’

”चलो छोड़ो, अब ठीकठीक बता दो महक कहां है. प्लीज बता दो, मुझे और मम्मी को बहुत टेंशन हो रही है.’’

”मैं ने कहा न प्रीति, मैं महक के विषय में कुछ नहीं जानता, तुम उस की किसी सहेली से मालूम करो.’’ अर्श ने कहने के बाद अपनी तरफ से फोन काट दिया.

प्रीति ने गहरी सांस ली. उसे पूरा विश्वास था कि अर्शकृत महक के बारे में जरूर जानता होगा, लेकिन अर्श की ओर से इंकार कर देने के बाद प्रीति की चिंता और ज्यादा बढ़ गई.

वह अंदर मम्मी मधु जैन के कमरे में आ गई. उस वक्त मधु जैन फोन पर अपने पति राकेश जैन से बात कर रही थी. प्रीति को आया देख कर उस ने पूछा, ”कुछ पता लगा महक का?’’

”नहीं मम्मी. मैं ने अर्श से भी पूछा है, वह कह रहा है कि उस ने महक को नहीं देखा है.’’ प्रीति ने बताया.

”हे मालिक!’’ मधु परेशान स्वर में बोली, ”कहां रह गई यह लड़की आज. रोज तो दोपहर में ही घर आ जाती थी, कभी रुकना होता था तो फोन कर के बता भी देती थी. आज तो उस का मोबाइल भी स्विच्ड औफ आ रहा है. तेरे पापा को बताया तो वह भी परेशान हो गए हैं, वह घर लौट रहे हैं.’’

प्रीति कुछ नहीं बोली. वह सोफे पर सिर झुका कर बैठ गई. मधु उस के पास आ गई. उस के कंधे पर हाथ रख कर बोली, ”तूने उस की सहेलियों से मालूम किया है?’’

”मेरे पास महक की 3 सहेलियों के नंबर हैं, मैं तीनों से मालूम कर चुकी हूं. उन्होंने आज महक को कालेज के अंदर भी नहीं देखा है मम्मी.’’

”अगर महक कालेज ही नहीं गई तो फिर सुबहसुबह कहां चली गई?’’ मधु का स्वर भीगने लगा. उन की आंखें गीली हो गईं. प्रीति की भी आंखें भर आईं.

करीब आधे घंटे बाद राकेश जैन घर आ गए. पत्नी और बेटी को रोता देख कर वह विचलित हो गए. दोनों को ढांढस बंधाते हए वह बोले, ”रोओ मत. मैं कालेज जा कर देखता हूं.’’

”कालेज तो वह पहुंची ही नहीं है पापा.’’ प्रीति ने रोते हुए बताया, ”उस की एक सहेली ने यह बात बताई है.’’

”ओह!’’ राकेश जैन घबरा गए, ”फिर तो शायद रास्ते में ही महक के साथ कोई अनहोनी हुई होगी. मैं देखता हूं जा कर.’’ राकेश जैन ने कहा और जैसे ही उन्होंने बाहर जाने के लिए कदम बढ़ाया, उन का फोन बजने लगा.

”शायद महक का फोन है.’’ आशा भरे स्वर राकेश जैन के मुंह से निकले. उन्होंने मोबाइल निकाला तो उस पर एक नया नंबर देख कर चौंके.

मोबाइल की घंटी बज रही थी. उन्होंने उस नंबर की काल को रिसीव कर लिया, ”हैलो! मैं राकेश जैन बोल रहा हूं.. आप?’’

”मैं सुरजीत सिंह बोल रहा हूं.’’ दूसरी ओर से बोलने वाला बहुत घबराया हुआ लगा, ”आप की बेटी महक ने मेरे बेटे अर्शकृत पर अपने दोस्तों से हमला करवाया है.’’

”क्या बकवास कर रहे हैं आप?’’ राकेश जैन क्रोध से चीख पड़े, ”मेरी बेटी ऐसा क्यों करेगी?’’

”यह तो अपनी बेटी से पूछना तुम. मेरा बेटा अर्शकृत पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में घायल पड़ा है. यदि मेरे बेटे को कुछ हुआ तो मैं महक को जेल की चक्की पिसवा दूंगा राकेश जैन.’’ सुरजीत भी गुस्से में चीख पड़ा और उस ने फोन काट दिया.

”क्या हुआ जी?’’ मधु घबरा कर बोली, ”क्या किया महक ने?’’

”उस आवारा लड़के अर्श के बाप का फोन था. कह रहा था कि महक ने उस के बेटे अर्श पर अपने दोस्तों के द्वारा हमला करवाया है, उस का बेटा अर्श अस्पताल में है.’’

”बकवास कर रहे हैं अर्श के डैडी. महक इतनी शांत स्वभाव की है. वह भला अर्श पर क्यों हमला करवाएगी.’’ प्रीति सोफे से उठते हुए बोली.

”वह कहां है यह तो पूछते आप अर्श के डैडी से.’’ मधु जैन परेशान हो कर बोली, ”उन्हें फिर फोन लगाओ.’’

राकेश जैन ने कुछ देर पहले उन के मोबाइल पर आए नंबर को रिडायल किया. दूसरी तरफ से फोन सुरजीत सिंह ने ही अटेंड किया, ”हां बोलो.’’

”महक कहां है?’’

”मुझे नहीं मालूम.’’ सुरजीत सिंह ऐंठ कर बोला.

”आप के बेटे पर महक ने कहां हमला करवाया है, वह जगह तो आप बता ही सकते हैं?’’

”महरौली में संजय वन के पास महक ने अपने दोस्तों के साथ मेरे बेटे को घेर कर चाकू मारे हैं. मैं छोड़ूंगा नहीं महक को,’’ सुरजीत ने कहने के बाद काल डिसकनेक्ट कर दी.

”महरौली के संजय वन में अर्श पर हमला हुआ है. सुरजीत का कहना है कि महक ने अपने दोस्तों के साथ वहां अर्श को घेरा था.’’ राकेश जैन ने बताया फिर प्रीति से बोले, ”तुम साथ चलो बेटी. हम संजय वन जा कर हकीकत मालूम करते हैं. वहां ऐसा कुछ हुआ होगा तो वहां के आसपास पटरी पर खोमचा लगाने वाले बता ही देंगे. महक का भी पता चल जाएगा.’’

”ठीक है पापा,’’ प्रीति ने कहा और तुरंत तैयार हो कर वह अपने पापा के साथ घर से निकल गई.

राकेश जैन ने बेटी प्रीति के साथ महरौली पहुंच कर संजय वन के आसपास पटरी लगाने वालों से वहां आज हुई किसी वारदात के विषय में पूछताछ की. किसी ने भी इस बात की पुष्टि नहीं की कि आज वहां किसी प्रकार की मारपीट या चाकूबाजी की घटना घटी है. सुबह से ही वहां का वातावरण और दिनों की तरह ही था.

”पापा. मुझे तो लगता है अर्श झूठ बोल रहा है. वह महक को फंसाना चाहता है.’’ प्रीति ने अपनी आशंका जाहिर की.

”इस के लिए महक का मिलना भी तो जरूरी है बेटी. वही बताएगी कि सच्चाई क्या है.’’

”मुझे तो अर्शकृत पर शक है. वह जानता है कि महक कहां है, लेकिन बता नहीं रहा है.’’

”हमें अर्शकृत से मिलना चाहिए बेटी.’’ राकेश जैन ने कहा.

”चलिए, हम पीतमपुरा चलते हैं. वह यदि किसी अस्पताल में होगा तो मालूम हो जाएगा, महक कहां है और उस ने कैसे हमला करवाया.’’ प्रीति बोली.

दोनों महरौली से पीतमपुरा के लिए निकले. रास्ते में ही राकेश जैन ने सुरजीत को फोन कर के मालूम कर लिया कि अर्शकृत किस अस्पताल में एडमिट है.

अस्पताल में राकेश जैन अपनी बेटी के साथ पहुंचे तो उन्हें अर्शकृत एक बैड पर पड़ा मिल गया. वह वहां अकेला था.

राजेश जैन ने देखा, उस के हाथों पर 1-2 जगह पट्टियां बंधी थीं. वह आराम से बैड पर लेटा हुआ था. उसे देख कर नहीं लग रहा था कि उस पर चाकुओं से जानलेवा हमला हुआ है. प्रीति को अपने पापा राकेश जैन के साथ देख कर उस ने जख्मी हाथ ऊपर उठा कर कहा, ”देख लो अपनी बेटी की करतूत. उस ने मुझ पर अपने दोस्तों से हमला करवाया है.’’

”महक कहां पर है?’’ राकेश जैन ने पूछा.

”मुझ पर हमला करवा कर भाग गई. कहां गई, मैं नहीं जानता.’’ अर्शकृत ने कहने के बाद चेहरा घुमा लिया.

कुछ सोच कर राकेश जैन बेटी प्रीति को साथ ले कर घर लौट आए. पत्नी से सलाह करने के बाद वह उसे साथ ले कर जहांगीरपुरी थाने पहुंच गए.

वहां उन्होंने एसएचओ सतविंदर सिंह को अपना परिचय दिया और बताया, ”सर, मैं जहांगीरपुरी के के-ब्लौक में अपनी पत्नी मधु और 2 बेटियों के साथ रहता हूं. मेरी छोटी बेटी दिल्ली यूनिवर्सिटी से ओपन लर्निंग कोर्स द्वारा इंगलिश आनर्स की पढ़ाई कर रही है. साथ ही वह मूलचंद में एक इंस्टीट्यूट से कोरियन लैंग्वेज भी सीख रही है.

”वह आज सुबह 8 बजे घर से यह कह कर निकली थी कि वह कालेज जा रही है. वह कालेज से एकडेढ़ बजे तक घर लौट आती थी. आज वह 3 बजे तक नहीं लौटी तो मधु और प्रीति ने उस के विषय में हर संभव जगह पर फोन कर के मालूम किया. चूंकि महक का फोन स्विच्ड औफ आ रहा था, उस की सहेलियों से और अर्शकृत से भी मालूम किया.

”महक की सहेली का कहना था कि महक आज कालेज नहीं आई. जबकि अर्श पहले कहता रहा कि वह महक से 2 दिन से नहीं मिला है, लेकिन सर वह सुबह से महक के विषय में जानता रहा है. क्योंकि…’’

”यह अर्शकृत कौन है?’’ एसएचओ ने पूछा.

”यह महक को एकतरफा प्यार करने वाला सिरफिरा आशिक है. हम ने उसे कितनी ही बार महक से न मिलने और महक को तंग न करने की हिदायत दी थी, लेकिन वह बाज नहीं आया. वह महक के पीछे घर तक भी पहुंचने लगा था सर.’’

”आप कह रहे हैं अर्श आज सुबह महक के साथ था, आप यह बात किस अनुमान से कह रहे हैं?’’

”सर, आज जब हम महक की खोजखबर में परेशान थे, मुझे अर्श के पिता का फोन आया कि अर्श पर महक ने अपने दोस्तों के साथ जानलेवा हमला करवाया है. जगह के बारे में पूछने पर हमें बताया गया कि महरौली के संजय वन के पास यह घटना घटी है. मैं अपनी बेटी के साथ संजय वन गया. वहां पूछताछ की तो मालूम हुआ वहां ऐसी कोई वारदात नहीं हुई.’’

”इस का मतलब अर्श झूठ बोल रहा है.’’

”कह नहीं सकते सर, मैं ने बेटी के साथ पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में जा कर अर्श से मुलाकात की. उस के हाथ पर मामूली जख्म है, जिस की पट्टी करवा कर वह अस्पताल के बैड पर आराम से पड़ा हुआ है. वह महक के विषय में कुछ भी नहीं बता रहा है.’’

”ठीक है, मैं अर्शकृत से मिलता हूं. असलियत क्या है वही बताएगा.’’ एसएचओ ने कहने के बाद मधु जैन के द्वारा महक के लापता होने का मामला दर्ज कर लिया और उन का फोन नंबर नोट कर के उन्हें थाने से वापस घर भेज दिया.

जहांगीरपुरी पुलिस ने उसी शाम अर्शकृत से पीतमपुरा के प्राइवेट अस्पताल में जा कर पूछताछ की. अर्शकृत ने पुलिस को यही बताया कि महक ने अपने 2 दोस्तों द्वारा उस पर चाकुओं से हमला करवाया है.

”यह घटना कहां पर घटी है, बताओगे मुझे?’’ एसएचओ सतविंदर सिंह ने उस के चेहरे पर नजरें जमा कर पूछा.

”महरौली के संजय वन में सर.’’

”महक वहां कैसे पहंची, क्या उसे तुम ने बताया था कि तुम महरौली में खड़े हो?’’

इस प्रश्न पर अर्शकृत अचकचा गया. उस ने चेहरा झुका कर धीरे से कहा, ”यह तो महक ही जाने सर.. मैं आज सुबह महरौली गया था.’’

”तुम पर जिन 2 युवकों ने हमला किया, उन्हें पहचानते हो? उन के नामपते नोट करवाओ मुझे.’’

”म… मैं उन्हें नहीं जानता. यह महक जानती होगी, वही उन्हें वहां पर लाई थी.’’

”क्या महक उस वक्त उन युवकों के साथ थी, जिन्होंने तुम पर चाकुओं से हमला किया?’’

”जी हां सर. तभी तो मैं कह रहा हूं, यह महक की ओर से मुझ पर कातिलाना हमला था.’’

”महक ने ऐसा क्यों किया, क्या तुम से उस की दुश्मनी रही है?’’

”कह नहीं सकता सर.’’

”मुझे तो बताया गया है तुम महक से प्यार करते थे, यदि ऐसा था तो कोई लड़की अपने प्रेमी पर हमला क्यों करवाएगी?’’ एसएचओ ने पूछा.

”यह तो सर, महक ही जाने.’’

”मैं बताता हूं.’’ एसएचओ सतविंदर सिंह ने अर्शकृत को जलती आंखों से घूरते हुए कहा, ”तुम महक के पीछे पड़े हुए थे. वह तुम्हें नहीं चाहती थी, लेकिन तुम उसे हर रोज तंग करते थे. इसी से नाराज हो कर उस ने तुम पर हमला करवाया है.’’

”जी, वह भी मुझे प्यार करती थी,’’ अर्शकृत जल्दी से बोला, ”वह मेरी किस बात पर नाराज हो गई, मैं नहीं जानता.’’

”तुम पर जानलेवा हमला हुआ. वे 2 युवक थे, फिर भी तुम्हारे एक ही हाथ पर मामूली सा जख्म हुआ. कहीं किसी पर चाकू चलाने में तो यह हाथ घायल नहीं हुआ है? महक भी सुबह से लापता है, सच्चाई क्या है, बताओगे मुझे?’’

अर्शकृत का चेहरा सफेद पड़ गया. वह अपने को संभाल कर तुरंत बोला, ”आप मुझ पर ही संदेह कर रहे हैं सर, मुझ पर जानलेवा हमला हुआ है, मैं जख्मी हूं… आप जाइए और संजय वन में घटनास्थल देखिए. मैं आराम करना चाहता हूं.’’

एसएचओ मुसकराते हुए खड़े हो गए और मन ही मन बड़बड़ाए, ”बेटा, मैं ने कच्ची गोलियां नहीं खेली हैं. तुम पर जानलेवा हमला नहीं हुआ है, तुम ने महक पर जानलेवा हमला किया है. हम संजय वन चेक कर लें, फिर तुम्हें हथकडिय़ां पहनाऊंगा.’’

एसएचओ सतविंदर सिंह उठ कर अपनी टीम के साथ अस्पताल से बाहर आ गए. अभी अंधेरा नहीं हुआ था. उन्होंने संजय वन जा कर देख लेना उचित समझा तो टीम के साथ महरौली निकल पड़े. महरौली में संजय वन पहुंच कर उन्होंने महक को तलाश किया. उन्हें संदेह था कि यदि अर्शकृत ने महक पर जानलेवा हमला किया होगा तो वह जीवित या मृत अंदर संजय वन में ही पड़ी मिलेगी. 2 घंटे तक अपनी टीम के साथ उन्होंने संजय वन में तलाशा, लेकिन महक उन्हें नहीं मिली.

अंधकार जमीन पर उतर आया था, इसलिए वह टीम के साथ थाने में लौट आए. एसएचओ सतविंदर सिंह ने यह जानकारी एसीपी प्रवीण कुमार को दी तो उन्होंने उन्हें यह केस महरौली थाने को देने के लिए कह दिया. यह दक्षिणी दिल्ली के थाना महरौली की घटना थी. इसलिए यहां की जांच का थाना महरौली ही पड़ता था. एसएचओ सतविंदर सिंह (जहागीरपुरी) ने सारी घटना की जानकारी महरौली थाने को दे कर महक की गुमशुदगी वाला केस उन को हैंडओवर कर दिया.

महरौली थाने में यह मामला बीएनएस की धारा 103 के तहत दर्ज कर के यहां के एसएचओ संजय कमार सिंह ने डीसीपी अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह को पूरी घटना की जानकारी दे दी. उन्होंने एसएचओ संजय कुमार सिंह को यह मामला हल करने का दायित्व सौंप दिया. दूसरी सुबह वह पीतमपुरा के अस्पताल में 22 वर्षीय अर्शकृत से मिलने पहुंचे तो वह वहां से डिसचार्ज हो चुका था.

अस्पताल से उन्हें उस के घर का पता मिल गया. अर्शकृत के पिता सुरजीत सिंह, डब्ल्यूजेड-1552, रानी बाग, दिल्ली में रहते थे. पुलिस टीम वहां पहुंच गई. अर्शकृत को उम्मीद नहीं थी कि पुलिस घर के दरवाजे तक पहुंच जाएगी. पुलिस का सामना उस के पिता सुरजीत सिंह ने किया.

”आप मेरे दरवाजे किसलिए आए हैं?’’ सुरजीत सिंह ने रौब से पूछा.

”आप कौन हैं, हमें अर्शकृत से मिलना है.’’ एसआई विनोद भाटी ने कहा.

”मैं अर्शकृत का फादर हूं. आप अर्शकृत से क्यों मिलना चाहते हैं?’’

”महक के विषय में उस से कुछ पूछताछ करनी है, बुलाइए उसे बाहर.’’

”महक ने तो मेरे बेटे पर जानलेवा हमला करवाया है. आप महक से मिलिए…’’

”आप उसे बुलाते हैं या मैं पुलिस को अंदर भेजूं.’’ विनोद भाटी इस बार कड़क लहजे में बोले तो सुरजीत सिंह की ऐंठन कम हो गई. उस ने अर्शकृत को बाहर बुला लिया.

एसआई भाटी ने उस का हाथ पकड़ लिया और पुलिस वैन में ले आए. पुलिस टीम उसे ले कर महरौली थाने में आ गई.

”अर्शकृत, तुम ने बहुत नाटक कर लिया. अब यदि तुम ने सीधी तरह सच्चाई नहीं उगली तो मुझे सख्ती से पूछताछ करनी पड़ेगी.’’ एसएचओ संजय कुमार सिंह ने रौबदार आवाज में कहा, ”बताओ, महक कहां है?’’

”मैं ने उसे मार डाला है.’’ अर्शकृत सिर झुका कर बोला.

उस की बात पर पुलिस चौंक पड़ी. एसएचओ संजय कुमार सिंह ने गहरी सांस ली, ”महक की लाश कहां है?’’

”संजय वन में मैं ने छिपा दी है सर.’’ अर्शकृत ने बताया.

”चलो, हमें महक की लाश बरामद करवाओ.’’ एसएचओ सिंह ने कहा.

अर्शकृत को संजय वन ले जाने से पहले श्री सिंह ने महक के पिता राकेश जैन को महक की हत्या अर्शकृत द्वारा किए जाने की जानकारी दे दी.

अर्शकृत को पुलिस टीम अपने साथ ले कर संजय वन आ गई. इस समय एसएचओ संजय कुमार सिंह के साथ इंसपेक्टर (कानून एवं व्यवस्था) अनुराग सिंह और एसआई विनोद भाटी भी थे.

अर्शकृत पुलिस को संजय वन के उस कोने में ले गया, जहां ज्यादा पेड़पौधे और जंगली घास थी. महक की लाश अर्शकृत ने जंगली घास में छिपा रखी थी. उस की लाश खून से पूरी तरह सनी हुई थी, खून सूख चुका था. महक का चेहरा और शरीर का कुछ हिस्सा जला हुआ था. महक के शरीर पर कई जगह चाकू के गहरे घाव देखे जा सकते थे. उस की आंखें फटी पड़ी थीं. उस का गला भी घोंटा गया था.

संजय सिंह ने फोन कर के महक की लाश संजय वन में मिलने की जानकारी डीसीपी (दक्षिणी दिल्ली) अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह को दे दी. उन्होंने घटनास्थल पर फोरैंसिक टीम को भी बुला लिया. आधे घंटे में उच्चाधिकारी और फोरैंसिक टीम संजय वन में आ पहुंचे. फोरैंसिक टीम अपने काम में लग गई. डीसीपी अंकित चौहान और एसीपी रघुबीर सिंह ने महक की लाश का निरीक्षण किया, फिर वह इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह को कुछ निर्देश दे कर वहां से चले गए.

लाश की काररवाई पूरी कर के इंसपेक्टर संजय कुमार सिंह निपटे ही थे कि महक के मम्मीपापा और बड़ी बहन प्रीति वहां आ गए. अपनी फूल जैसी बेटी का चाकू से गोदा गया जिस्म और जला हुआ चेहरा देख कर मधु जैन और प्रीति दहाड़े मार कर रोने लगीं. राकेश जैन भी फफक कर रोने लगे. उन्हें सांत्वना देते हुए एसएचओ संजय कुमार सिंह ने कहा, ”महक की हत्या हो जाने का मुझे भी दुख है. महक का हत्यारा हमारी पकड़ में है. मैं कोशिश करूंगा, इसे फांसी का फंदा मिले.’’

”मैं भी चाहता हूं सर,’’ राकेश जैन भर्राए स्वर में बोले, ”इसे फांसी से कम सजा नहीं मिलनी चाहिए.’’

कागजी काररवाई करने के बाद महक का शव पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. उस के परिजन भी मोर्चरी के लिए चले गए. अर्शकृत को ले कर पुलिस टीम थाने लौट आई.

पुलिस टीम ने संजय वन और बाहर लगे सभी सीसीटीवी चैक किए तो उन्हें अर्शकृत और महक संजय वन में जाते नजर आ गए. अर्शकृत के हाथ में बोतल भी दिखाई दे रही थी. उस से हत्या में प्रयुक्त चाकू भी बरामद कर लिया गया था. यह अर्शकृत के खिलाफ पुख्ता सबूत थे कि उस ने महक का कत्ल किया है.

थाना महरौली में डीसीपी अंकित चौहान की उपस्थिति में अर्शकृत से महक की हत्या करने का कारण पूछा गया तो उस ने बताया, ”मेरी पहचान महक से कालेज में हुई थी. महक ओपन लर्निंग द्वारा इंगलिश आनर्स की पढ़ाई कर रही थी. मैं बीकाम फस्र्ट ईयर का स्टूडेंट था. महक और मैं पहले हायहैलो करते रहे, फिर धीरेधीरे हम प्यार करने लगे. महक मेरे बुलाने पर कहीं भी आ जाती थी. वह मुझे बहुत प्यार करती थी, लेकिन उस के पेरेंट्स मुझे पसंद नहीं करते थे. उन्होंने कई बार मुझे धमकाया कि मैं महक से न मिलूं. उन्होंने महक को भी मुझ से दूर करने की कोशिश की और वे कामयाब हो गए.’’

अर्शकृत ने रुक कर लंबी सांस ली, फिर बोला, ”सर, मैं महक को बहुत प्यार करता था. वह मुझ से कटने लगी तो मुझे बहुत बुरा लगता था. मैं जानता था महक मेरी है, मेरे लिए ही उस ने धरती पर जन्म लिया है. मैं तब बहुत तड़पा, जब महक ने मुझ से बोलना छोड़ दिया. मैं ने महक से कई बार मिलने की कोशिश की तो वह नहीं मिली. उस के घर गया तो घर वालों ने मेरी बेइज्जती कर के मुझे महक से मिलने नहीं दिया. इस से मेरे अंदर महक के प्रति गुस्सा भरता चला गया.

”मैं ने 2 दिन पहले इरादा बनाया कि महक मेरी नहीं होगी तो किसी दूसरे की नहीं होगी. मैं ने कल पहली जून को पेट्रोल खरीद कर बोतल में भर लिया. चाकू मैं ने पहले ही खरीद लिया था. मैं ने सुबह महक को फोन कर के कहा कि वह एक बार मुझ से मिल ले, फिर बेशक मुझ से किनारा कर लेना.

”महक मान गई. मैं ने महक को महरौली संजय वन में बुलाया. मैं सुबह सवा 8 बजे संजय वन पहुंच गया. महक 10 बजे के बाद आई. मैं ने महक को फिर से दोस्ती करने के लिए कहा, लेकिन उस ने मना कर दिया. हमारी इसी बात पर लड़ाई हो गई. मैं महक को घसीट कर संजय वन के कोने में ले आया.

”मैं गुस्से में था. मैं ने महक पर चाकू से हमला किया, मैं ने कितने चाकू मारे मुझे नहीं मालूम. महक मर गई तो मैं ने उस का गला घोंटा, फिर पेट्रोल डाल कर उस का चेहरा जला दिया ताकि उस की पहचान न हो सके. मैं उस की लाश छिपा कर घर आ गया और फिर प्लान बना कर अस्पताल में एडमिट हो गया. मैं ने अपने पापा से कहा कि महक ने मुझ पर जानलेवा हमला किया है. मैं ने महक का कत्ल किया है. मैं कुबूल करता हूं.’’

अर्शकृत के कबूलनामे के बाद पुलिस ने उसे उसी दिन कोर्ट में पेश कर के जेल भेज दिया गया. कथा लिखने तक पुलिस उस के खिलाफ ठोस सबूत जुटा रही थी. Hindi Short Stories

 

 

 

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