Uttarakhand News : उत्तराखंड ही नहीं, बल्कि पूरे देश के लोगों की नजर 19 वर्षीय अंकिता भंडारी मर्डर केस के फैसले पर टिकी हुई थी. इस की वजह यह थी कि मुख्य आरोपी पुलकित आर्य भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्वमंत्री डा. विनोद आर्य का बेटा था. इस हत्याकांड के विरोध में व्यापक स्तर पर देशभर में विरोध प्रदर्शन हुए थे. राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित हो चुके इस केस का 30 मई, 2025 को डिस्ट्रिक्ट जज ने ऐसा क्या फैसला सुनाया, जिसे सुन कर लोग आश्चर्यचकित रह गए?
30 मई, 2025 शुक्रवार को हरिद्वार से 70 किलोमीटर दूर स्थित कोटद्वार की जिला अदालत के बाहर सुबह से ही शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए 700 से अधिक पुलिसकर्मियों की फौज लगाई जा चुकी थी. अदालत की ओर आने वाले सभी रास्तों को लगभग बंद कर दिया गया था. वकीलों के अलावा अदालत परिसर में किसी अन्य को आने की छूट नहीं थी. फिर भी एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज रीना नेगी का फैसला सुनने के लिए हजारों लोगों की भीड़ बाहर इकट्ठा हो चुकी थी. मजे की बात यह है कि कोर्ट की स्थापना होने के बाद से आज से पहले कभी इतनी भीड़ अदालत के बाहर इकट्ठा नहीं हुई थी.
उस दिन किस मामले का फैसला आने वाला था? आखिर उस मामले में ऐसी क्या बात थी, जिसे जानने के लिए अदालत के बाहर इतनी भीड़ इकट्ठा हुई थी? यह सब जानने के लिए थोड़ा अतीत में चलते हैं. उत्तराखंड के जिला पौड़ी गढ़वाल का एक छोटा सा गांव है डोभ श्रीकोट. इसी गांव के रहने वाले वीरेंद्र सिंह भंडारी और सोना देवी के पास केवल एक ही बेटा था. उस के बाद जब एक बेटी पैदा हुई तो पतिपत्नी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा था. बेटी का नाम उन्होंने अंकिता रखा था. पर पिता तो उसे खुशियों का साक्षी मानते थे, इसलिए वह उसे अंकिता के बजाय साक्षी कह कर बुलाते थे.