UP Crime News : नोएडा की एक कंपनी में सौफ्टवेयर इंजीनियर था तो वहीं उस की पत्नी आसमां बेगम भी एक इंजीनियर थी. 2 बच्चों के साथ दोनों अपने मकान में हंसीखुशी से रहते थे. इसी बीच नुरुल्लाह की नौकरी छूट गई. फिर हालात ऐसे बने कि वह पत्नी से रोजाना ही क्लेश करने लगा. फिर एक दिन नुरुल्लाह ने वह कर डाला, जिस की किसी ने कल्पना तक नहीं की थी.
पापा को मम्मी के कमरे से तेजी के साथ दरवाजा बंद कर के निकलते देख जाहिदा को थोड़ा अटपटा लगा. आमतौर पर उदासीन और शांत रहने वाले अपने पापा का उस दिन ऐसा व्यवहार उसे कुछ अजीब लगा. उन्हें तेजी के साथ बिना कोई जवाब दिए सीढिय़ों से नीचे उतरते देख पता नहीं क्यों 14 साल की जाहिदा को लगा कि कोई न कोई गड़बड़ जरूर है. गड़बड़ क्या है, यह जानने के लिए जाहिदा तेजी से अपनी मां के कमरे की तरफ भागी. क्योंकि उसे पूरी आशंका थी कि पापा नुरुल्लाह हैदर के अपसेट होने की वजह कहीं न कहीं मम्मी के साथ उन का झगड़ा हो सकता है.
जाहिदा तेजी से चलते हुए अपनी मम्मी आसमां बेगम के कमरे तक पहुंची और दरवाजा खोल कर जैसे ही अंदर देखा तो उस के हलक से एक चीख निकली.
एक पल फटी आंखों से पलंग पर पड़े अपनी मम्मी के खून से लथपथ शरीर को देखने के बाद अगले ही पल ‘भैया…मम्मी’ चीखते हुए वह उलटे पांव अपने भाई के कमरे की तरफ दौड़ी.
जाहिदा की चीख इतनी तेज थी कि अपने कमरे में स्टडी टेबल पर बैठ कर पढाई कर रहा उस का बड़ा भाई नईम तेजी से दौड़ता हुआ अपने कमरे से बाहर निकला.
”क्या हुआ, चीख क्यों रही हैं? जाहिदा, क्या हुआ मम्मी को? इतनी हड़बड़ा क्यों रही हो?’’ नईम ने पूछा.
”भाई, वो मम्मी अपने कमरे में खून से लथपथ पड़ी हैं.’’ जाहिदा ने टूटेफूटे शब्दों में जैसेतैसे जवाब दिया.
”क्याऽऽ…’’ इतना सुनते ही नईम तेजी से अपनी अम्मी आसमां बेगम के कमरे की तरफ भागा और अंदर पहुंचते ही खंभे की तरह जड़वत हो गया. सामने बैड पर उस की अम्मी की खून से लथपथ लाश पड़ी थी.
रोतेबिलखते जाहिदा ने अपने भाई को बता दिया कि उस ने किस तरह कुछ देर पहले पापा को हड़बड़ी में मम्मी के कमरे से बाहर निकलते देखा था और उस के बाद उस ने मम्मी को कमरे में उस अवस्था में देखा. नईम समझ गया कि ये सब उस के पापा का ही किया धरा है, इसलिए उस ने तत्काल पुलिस कंट्रोल रूम को फोन कर मम्मी के जख्मी होने की सूचना दे दी. यह मामला देश की राजधानी दिल्ली से सटे गौतमबुद्ध नगर जिले के नोएडा शहर का है. 4 अप्रैल, 2025 को पुलिस कंट्रोल रूम को नईम खान की तरफ से जो फोन किया गया था, उस के बताए गए पते के मुताबिक ये घटनास्थल थाना फेज वन के अंतर्गत आता था.
थाने में काम निबटा कर फेज वन थाने के एसएचओ अनिल कुमार मान डीसीपी औफिस जाने की तैयारी कर रहे थे, तभी उन्हें बताया गया कि नोएडा के सेक्टर-15 में मकान नंबर सी 154 में आसमां नाम की एक महिला को उस के पति नुरुल्लाह हैदर ने हमला कर जख्मी कर दिया है. एसएचओ मान ने घटना के बारे में अपने उच्चाधिकारियों एसीपी विवेक रंजन राय और डीसीपी राम बदन सिंह को इत्तिला दे दी. अपने मातहतों को साथ ले कर घटनास्थल पर पहुंचने से पहले उन्होंने फोरैंसिक टीम और मैडिकल टीम को घटनास्थल पर पहुंचने के आदेश दिए.
एसएचओ मान को घटनास्थल तक पहुंचने में करीब 20 मिनट लगे, क्योंकि थाने से घटनास्थल की दूरी करीब ढाई किलोमीटर थी. पुलिस के वहां पहुंचने से पहले घटनास्थल पर आसपड़ोस के लोगों की भीड़ एकत्र हो चुकी थी. सेक्टर 15 नोएडा का पौश इलाका था और ब्लौक सी के जिस मकान में वारदात हुई थी, वहां बड़ीबड़ी कोठियां बनी हुई थीं. पुलिस के घटनास्थल पर पहुंचते ही नईम और जाहिदा इंसपेक्टर मान को फस्र्ट फ्लोर पर बने अपनी मम्मी के कमरे में ले गए. फोरैंसिक एक्सपर्ट और मैडिकल टीम उन के आने से पहले ही वहां पहुंच चुकी थी और उन्होंने अपना काम शुरू कर दिया था.
कातिल खुद पहुंचा थाने
मान ने आसमां बेगम के कमरे में जा कर देखा कि उन का खून से लथपथ शरीर डबल बैड पर इस तरह पडा था, मानो वह सोई हुई हों और उन पर सोते समय किसी भारी वस्तु से वार किया गया हो. वहां खून से सना हथौड़ा पड़ा था, शायद उसी से आसमां के सिर पर वार किया गया होगा. फोरैंसिक टीम ने उस हथौड़े को अपने कब्जे में ले लिया. पलंग पर ही सब्जी काटने वाला एक चाकू भी पड़ा था, जो खून से सना था. दोधारी चाकू एक तरफ से धार व दूसरी तरफ से कांटेदार था. आसमां के गले पर किसी धारदार हथियार से काटे जाने का भी निशान था. शायद उसी चाकू से उस का गला रेता गया होगा.
इंसपेक्टर मान के कहने पर फोरैंसिक टीम ने चाकू को भी बरामद कर लिया. कमरे में दीवारों पर खून के छींटों के अलावा और कोई खास चीज नहीं मिली. संभावित जगहों से फोरैंसिक टीम ने हाथ की अंगुलियों के निशान उठा लिए थे. मैडिकल व फोरैंसिक टीम वहां पहुंचते ही बता चुकी थी कि आसमां बेगम की मौत हो चुकी है. मान अपनी जांचपड़ताल और परिवार के लोगों से पूछताछ कर ही रहे थे कि एसीपी विवेक रंजन और डीसीपी रामबदन सिंह भी मौके पर पहुंच गए. सभी ने परिवार के लोगों से घटना के बारे में जानकारी हासिल की और शव का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवाने की तैयारी करने लगे.
उसी दौरान सेक्टर 20 थाने से वायरलैस के माध्यम से एक सूचना प्रसारित की गई कि सेक्टर 15 के सी ब्लौक में रहने वाला एक व्यक्ति नुरुल्लाह हैदर सेक्टर 20 थाने पहुंचा है और उस ने बताया है कि उस ने अपनी पत्नी का खून कर दिया है, उसे गिरफ्तार कर लो और जा कर उस की बीवी की लाश उठा लो. जांच आगे बढ़ती, उस से पहले ही केस का खुलासा हो गया और कातिल खुद ही पुलिस के पास पहुंच गया. इंसपेक्टर मान के लिए यह सुकून देने वाली सूचना थी. जब नईम और जाहिदा से उन के पापा के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन के ही पापा का नाम नुरुल्लाह हैदर है.
डीसीपी राम बदन सिंह ने सेक्टर 20 थाने की पुलिस को निर्देश जारी करवाया कि जिस नुरुल्लाह ने अपनी पत्नी का मर्डर किया है, वह फेज वन थाने का मामला है और एसएचओ व अन्य पुलिस अधिकारी घटनास्थल पर ही हैं. इसलिए पुलिस की एक टीम उसे फेज वन थाने पहुंचा दे. इधर सेक्टर 20 थाने की पुलिस नुरुल्लाह को फेज वन थाने में पहुंचा रही थी, उसी बीच मृतका आसमां बेगम के मायके वाले भी घटनास्थल पर पहुंच गए. एसएचओ मान ने उन से भी घटना के बारे में और आसमां बेगम व नुरुल्लाह के बारे में पूछताछ कर घटना के कारणों की टोह ली.
पूरी जांचपड़ताल के बाद आसमां के शव का पंचनामा तैयार कर उसे पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया. उस के बाद पुलिस फेमिली वालों को साथ ले कर फेज वन थाने आ गई. एसीपी विवेक रंजन के आदेश पर इंसपेक्टर मान ने मृतका के बेटे नईम की तहरीर पर उस के पापा नुरुल्लाह हैदर के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करवा कर जांच का काम अपने हाथ में ले लिया. उस के बाद नुरुल्लाह से वारदात के कारणों को ले कर गहन पूछताछ शुरू हुई. थाने में मौजूद फेमिली वालों से भी नुरुल्लाह के बयान की पुष्टि की गई.
विस्तार से पूछताछ के बाद आसमां बेगम हत्याकांड की जो कहानी सामने आई, उस ने सभ्य समाज में पनप रही एक चिंताजनक समस्या के पहलू को उजागर कर दिया. समाज में पनप रही यह समस्या ऐसी है, जिस में पतिपत्नी के बीच एकदूसरे के चरित्र को ले कर किए जा रहे शक के कारण हजारों परिवार या तो बिखर रहे हैं या इस शक के जहर में पैदा हुई नफरत से एकदूसरे की जान ले रहे हैं. आसमां बेगम हत्याकांड की कहानी भी संदेह के उसी जहर से पैदा हुई एक ऐसी ही घटना निकली.
55 वर्षीय नुरुल्लाह हैदर मूलरूप से बिहार के चंपारण जिले का रहने वाला है. उस ने एमसीए की पढ़ाई की थी. उन दिनों वह दक्षिणी दिल्ली के ही जामिया नगर इलाके में रहता था. जामिया नगर इलाके में ही आसमां बेगम का परिवार भी रहता था. भरेपूरे और पढ़ेलिखे उस के परिवार में 3 भाई और 2 बहनें थीं. आसमां सब से छोटी थी. 22 की उम्र में जब उस ने बीटेक की पढ़ाई पूरी की तो परिवार के लोगों को उस के निकाह की चिंता सताने लगी. वैसे भी आम मुसलिम परिवारों में बच्चों की शादियां करने के लिए ये उम्र ही सही मानी जाती है.
लेकिन परिवार ने जब आसमां के लिए एक पढ़ेलिखे और काबिल लड़के की तलाश शुरू की तो उन के हाथ निराशा ही लगी. कहीं लड़का अच्छा था तो पढ़ालिखा नहीं था, कहीं परिवार प्रतिष्ठित नहीं था तो कहीं लड़के के परिवार की माली हालत आड़े आ जाती थी. कहीं सब चीजें ठीक हो जातीं तो लड़के के रूपरंग खूबसूरत आसमां से मैच नहीं करता था. परिवार निराश होने लगा था कि इसी बीच किसी जानकार ने आसमां के पापा को नुरुल्लाह हैदर के बारे में बताया.
नुरुल्लाह हैदर बिहार का रहने वाला था. वह पढ़ेलिखे परिवार से ताल्लुक रखता था. एमसीए करने के बाद ओखला की एक कंपनी में अच्छे पद और ऊंची तनख्वाह पर नौकरी करता था. उस के परिवार के ज्यादातर लोग या तो सऊदी अरब या विदेशों में नौकरी करते थे. परिवार में अम्मी और अब्बू ही चंपारण में अपने गांव में रहते थे. बस एक ही कमी थी कि नुरुल्लाह उम्र में आसमां बेगम से 13 साल बड़ा था. आसमां के फेमिली वालों ने नुरुल्लाह की फेमिली की बैकग्राउंड के साथ उस की शिक्षादीक्षा पर विचारविमर्श किया तो उन्हें लगा कि उम्र ज्यादा भले ही हो, लेकिन नुरुल्लाह के पास उन का जो फोटो था, उस के मुताबिक वह उतनी उम्र का लगता नहीं था.
इसलिए परिवार वालों ने बिचौलिए से बात आगे बढ़ाने के लिए कहा और जल्द ही आसमां के फेमिली वालों तथा नुरुल्लाह की एक मीटिंग हुई, जिस में दोनों पक्षों के बीच शादी के प्रस्ताव को ले कर बातचीत हुई. नुरुल्लाह से मुलाकात के बाद आसमां के फेमिली वालों को जो थोड़ीबहुत आशंका थी, वह भी दूर हो गई. क्योंकि नुरुल्लाह एक नेक और जहीन इंसान होने के साथ बेहद हैंडसम था. आसमां और नुरुल्लाह ने भी एकदूसरे को पहली ही मुलाकात में पसंद कर लिया. बातचीत आगे बढ़ी और नुरुल्लाह के फेमिली वालों ने भी आ कर आसमां के पेरेंट्स से बातचीत की, जिस के बाद निकाह की बात पक्की हो गई.
पति को ले कर क्यों बदला आसमां का नजरिया
एमसीए पास नुरुल्लाह हैदर की शादी 2004 में जामिया नगर दिल्ली निवासी आसमां से हो गई. शादी के बाद नुरुल्लाह ने जामिया नगर का अपना फ्लैट छोड़ कर नोएडा में बड़ा फ्लैट किराए पर ले लिया. कुछ समय बाद उस ने दिल्ली की नौकरी छोड़ कर नोएडा में ही एक दूसरी कंपनी में नौकरी भी तलाश कर ली. वक्त धीरेधीरे अपनी रफ्तार से गुजरने लगा. आसमां बेगम को भी नोएडा की एक कंपनी में बतौर इंजीनियर नौकरी मिल गई. पतिपत्नी दोनों कमाते थे. दोनों ने मिल कर नोएडा के सेक्टर 15 स्थित बी ब्लौक में 200 गज का प्लौट खरीद कर उस पर ढाई मंजिला मकान भी बनवा लिया. मकान बनवाने के लिए आसमां ने अपने परिवार से भी आर्थिक मदद ली.
कुछ समय बाद आसमां बेगम एक के बाद एक 2 बच्चों की मां बन गई. बड़ा बेटा नईम अब 21 साल का हो गया था और एमिटी यूनिवर्सिटी से बीटेक कर रहा था. जबकि छोटी बेटी 13 साल की जाहिदा एक प्राइवेट स्कूल में 8वीं क्लास में पढ़ रही थी. सब कुछ ठीक ही चल रहा था, अचानक नुरुल्लाह की जिंदगी में एक नया मोड़ आ गया. 10 साल पहले अचानक उस की नौकरी छूट गई. बिना नौकरी के 1-2 साल गुजर गए, लेकिन कहीं दूसरी नौकरी नहीं मिली.
थकहार कर नुरुल्लाह ने छोटेमोटे कुछ काम शुरू कर दिए, जैसे कुछ कंपनियों को कंसलटेंसी देना और औनलाइन शेयर ट्रेडिंग करना. इस से वह अपने निजी खर्चे तो निकाल लेता था, लेकिन परिवार को चलाने का सारा बोझ पत्नी आसमां के सिर पर ही था. घर के ग्राउंड फ्लोर पर चलने वाले पीजी से जो किराया आता, उस के कारण भी परिवार की काफी हद तक मदद हो जाती थी. नुरुल्लाह हैदर की स्थाई नौकरी नहीं थी, जिस के कारण घर में थोड़ीबहुत परेशानी तो थी, लेकिन इस के बावजूद परिवार में पतिपत्नी और बच्चों का एकदूसरे के लिए प्यार भरपूर था. यूं ही कई साल गुजर गए.
नुरुल्लाह का नौकरी की तलाश का संघर्ष कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया. कोरोना महामारी के बाद तो नुरुल्लाह को नौकरी मिलना जैसे असंभव सा हो गया. जैसेजैसे वक्त बीता, इस का असर आसमां और नुरुल्लाह हैदर के संबधों पर भी पडऩे लगा. एक तरफ जहां नुरुल्लाह लंबे समय से बेरोजगार था तो अब आसमां सेक्टर- 62 की मल्टीनैशनल कंपनी में प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर काम कर रही थी. बतौर सिविल इंजीनियर मोटी पगार पर नौकरी करती थी. अचानक एक साल पहले नुरुल्लाह के मन में संदेह का एक ऐसा बीज अंकुरित हो गया, जो किसी भी इंसान के परिवार को बरबाद करने के लिए काफी होता है.
दरअसल, एक दिन जब आसमां बेगम कमरे में मौजूद नहीं थी तो उस की गैरमौजूदगी कमरे में रखे उस के फोन पर आए नोटिफिकेशन में लव यू और दिल का इमोजी बना संदेश पढ़ लिया. अब चूंकि आसमां एक मल्टीनैशनल कंपनी में बड़े ओहदे पर थी और हर रोज औफिस आतीजाती थी तो जाहिर है कि बनसंवर कर सलीके से अच्छे कपड़े पहन कर ही जाती होगी. आसमां के फोन पर आए उस मैसेज को देखने के बाद नुरुल्लाह को लगने लगा कि हो न हो अपने औफिस या बाहर के किसी शख्स से आसमां का अफेयर चल रहा है.
इस के बाद उस ने लगातार अपनी पत्नी की गतिविधियों पर नजर रखनी शुरू कर दी. अब उस ने महसूस किया कि आसमां औफिस टाइम से ज्यादा वक्त काम की अधिकता का बहाना कर के बाहर गुजारती थी. औफिस के काल की बात कह कर देरदेर तक लोगों से फोन पर बात करती थी या वाट्सऐप पर चैट करती रहती थी. शुरू में बात ज्यादा आगे न बढ़ाते हुए नुरुल्लाह ने आसमां को बस इतना कहा कि औफिस के काम घर मत लाया करो. घर आने के बाद भी तुम औफिस के लोगों से काल या चैट करती रहती हो, यह ठीक नहीं है.
शुरू में आसमां ने भी यही कहा कि जब ज्यादा जरूरी होता है तो औफिस के लोग फोन करते ही हैं. नौकरी करनी है तो थोड़ा एडजस्टमेंट करना पड़ता है. कुछ दिनों बाद भी जब कुछ नहीं बदला तो नुरुल्लाह ने थोड़ा सख्ती के साथ यह बात कहनी शुरू कर दी. पहले कभी भी अपने पति से ऊंची आवाज में बात न करने वाली आसमां को भी अब पति की टोकाटाकी से चिढ़ होने लगी थी, इसलिए उस ने एक दिन थोड़ा सख्ती के साथ बोल दिया, ”हैदर मियां, आप तो 10 साल से खाली बैठे हो. इतने सालों में दुनिया कितनी बदल गई है, शायद आप को पता नहीं है.
आज की तारीख में औफिस की नौकरी के अलावा भी बहुत कुछ करना पड़ता है.भले ही आप घर में हो, काल भी लेने पर पड़ते हैं और वाट्सऐप मैसेज के जवाब भी देने पड़ते हैं. अगर ऐसा न करूं तो एक दिन में नौकरी चली जाएगी. फिर कैसे चलेगा घर. आप तो कुछ कमाते नहीं हो, मैं आप के हिसाब से चल कर नौकरी खो दूंगी तो किस के सामने हाथ फैलाएंगे.’’
आसमां का तर्क तो ठीक था, लेकिन उस शक का क्या करें जो नुरुल्लाह के दिलोदिमाग में बैठ चुका था. हर दिन उसे पत्नी के व्यवहार में अपने लिए बदलाव नजर आने लगा. पहले वह कभी उस की बात पर पलट कर जवाब नहीं देती थी. लेकिन अब वह न सिर्फ जवाब देती थी, बल्कि एक तरह से उस की उपेक्षा करती रहती थी. नुरुल्लाह की बातों को वह एक कान से सुन कर दूसरे कान से निकाल देती थी. यह सब कुछ पिछले करीब 6 महीने से ज्यादा ही हो रहा था. हालांकि नुरुल्लाह को खुद ही भरोसा नहीं था कि आसमां के किसी से संबंध है तो किस तरीके के हैं और वो कौन है. लेकिन उस के व्यवहार और बदलते व्यवहार से नुरुल्लाह का शक हर रोज यकीन में बदलता जा रहा था.
इसी के साथ आसमां के ऊपर उस की टोकाटाकी भी बढ़ती जा रही थी. कुछ दिन पहले की ही बात है. जब नुरुल्लाह घर के बाहर गया हुआ था, अचानक बाहर से लौट कर वह अपने कमरे में आया तो देखा आसमां किसी से वाट्सऐप काल पर बात कर रही थी. उस के कमरे में घुसते ही आसमां ने काल डिसकनेक्ट कर दी. साथ ही उस ने अपने वाट्सऐप से कुछ चैट भी डिलीट कर दी. पत्नी का यह व्यवहार मन में संदेह पैदा करने वाला था, लिहाजा नुरुल्लाह ने पूछा, ”क्या बात है, काल क्यों काट दी? ऐसी क्या बात थी, जो मेरे सामने नहीं कर सकती थी? मुझे भी तो पता चलना चाहिए किस से बात कर रही थी?’’ कहते हुए नुरुल्लाह ने बीवी का फोन लेना चाहा.
आसमां ने झट से फोन दबाए अपना हाथ पीछे करते हुए झिड़कते हुए नुरुल्लाह से कहा, ”फिर शुरू हो गया तुम्हारा शक्की ड्रामा. खुद तो कोई कामधाम करते नहीं हो और मेरी जिंदगी को हर समय जहन्नुम बना रखा है.’’
”मेरे पास नौकरी नहीं है और तुम कमाती हो तो इस का मतलब यह तो नहीं कि पराए मर्दों के साथ अय्याशी करती रहोगी और मैं चुपचाप अपनी आंखों से देखता रहूंगा.’’ नुरुल्लाह गुस्से में बोला.
बस उस दिन बात इतनी बढ़ गई कि दोनों में जम कर झगड़ा हुआ और नुरुल्लाह ने बीवी पर हाथ तक छोड़ दिया.
पत्नी पर शक की क्या थी वजह
दिलोदिमाग में बीवी के खिलाफ फैला शक और संदेह का कीड़ा उस दिन के बाद खादपानी ले कर और ज्यादा मजबूत हो गया. उस के बाद नौबत यहां तक आ गई कि आसमां ने अपने भाइयों, मम्मीपापा और रिश्तेदारों को बुला लिया. अब चूंकि नुरुल्लाह का तो दिल्ली या आसपास कोई रहने वाला था नहीं, इसलिए आसमां के फेमिली वाले आए और नुरुल्लाह को ही भलाबुरा कहते हुए उस के ऊपर चढ़ गए. सब ने उसे खूब खरीखोटी सुनाई, उस की बेरोजगारी पर जम कर तंज किए और यहां तक धमकी दी कि अगर अगली बार उस ने आसमां के साथ ज्यादा बदतमीजी की तो वे उसे जेल भिजवा देंगे. उस दिन नुरुल्लाह की खुद्ïदारी और आत्मसम्मान पर गहरी चोट लगी थी.
नुरुल्लाह ने यह बात नोटिस की कि उस घटना के बाद आसमां ने और ज्यादा सजसंवर कर रहना शुरू कर दिया था. औफिस जाते समय वह खासतौर से अच्छा दिखने का प्रयास करती थी. इतना ही नहीं, उस के फोन पर आने वाली काल और वाट्सऐप पर आने वाले मैसेज भी अब ज्यादा बढ़ गए थे. उसे लगने लगा कि आसमां ने अब उसे पूरी तरह इग्नोर करना शुरू कर दिया है और हर बात पर वह उसे पलट कर जवाब देने लगी है. नुरुल्लाह हैदर अपनी पत्नी के फोन पर आने वाले काल से और ज्यादा परेशान और खुद को असुरक्षित महसूस करने लगा था. उस का शक दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा था. शक का यह जहर अब अपनी सीमा पार करने लगा था.
जिस दिन यानी 4 अप्रैल शुक्रवार को जब उस ने आसमां की हथौड़ा मार कर हत्या की तो उस से पहले वाली रात को भी दोनों के बीच बहुत झगड़ा हुआ था. दरअसल, उस दिन शाम को औफिस से आने के बाद आसमां किसी से वाट्सऐप पर वीडियो काल पर बात कर रही थी. नुरुल्लाह ने कमरे में आने से पहले हैदर ने दरवाजे पर कान लगा कर बात सुनी तो उस का पारा चढ़ गया. एक तो बेरोजगार इंसान वैसे ही खुद को उपेक्षित और असुरक्षित समझता है. उस पर अगर उसे कमाऊ बीवी का किसी इंसान से अफेयर होने का शक हो जाए तो वह और ज्यादा चिढ़चिढ़ा हो जाता है.
इसीलिए कमरे में घुसते ही उस ने बीवी से कहा, ”अभी थोड़ी देर पहले ही तो यारों से मिल कर आ रही हो. मन नहीं भरा था तो घर आते ही फिर शुरू हो गई.’’
”मैं ने तुम से पहले भी कहा था, जरा मुंह संभाल कर बात किया करो. अब तुम अपनी सारी हदें पार करते जा रहे हो.’’ आसमां ने जवाब दिया.
बस, उस के बाद क्या था घर में फिर से क्लेश हुआ और देर रात तक वही झगड़ा होता रहा, जो हर रोज होता था. दोनों बच्चों ने मिल कर किसी तरह अम्मी और अब्बू को शांत कराया.
लेकिन उस दिन आसमां ने भी ठान लिया कि वह अब नुरुल्लाह के आए दिन के तानों और शक करने को ज्यादा दिन नहीं सहेगी. इसलिए उस ने रात को ही अपने फेमिली वालों को सारी बात बताई और सुबह अपने घर आने के लिए कहा. सुबह 6 बजते ही आसमां की बहनबहनोई और अम्मीअब्बू उस के घर पहुंच गए. हमेशा की तरह इस बार भी सब ने मिल कर नुरुल्लाह को जम कर खरीखोटी सुनाई और वार्निंग दे दी कि अगर अगली बार ऐसा किया तो वे उसे जेल की हवा जरूर खिला देंगे.
उस के बाद बहनबहनोई और अब्बा तो चले गए, लेकिन आसमां की अम्मी तबियत खराब होने के कारण वहीं रुक गई. घर में हुई इस पंचायत के कारण आसमां भी उस दिन औफिस नहीं जा सकी थी. वैसे भी देर रात तक झगड़ा होने के कारण वह ठीक से सो नहीं सकी थी. खाना खाने के बाद सब अपने कमरों में आराम करने चले गए. दोनों बच्चे अपने कमरों में थे और आसमां की अम्मी गेस्टरूम में थीं. आसमां भी अपने कमरे में आ कर सो गई. लेकिन उस दिन नुरुल्लाह के दिलोदिमाग में अपमान और तिरस्कार के कारण विचारों के अंधड़ चल रहे थे.
नुरुल्लाह को लग रहा था कि बात अब सिर से ऊपर गुजर चुकी है. न तो आसमां मानने वाली है न ही उस के फेमिली वाले उस की बात पर यकीन करेंगे. वे हमेशा अपनी बेटी को ही सही मानते हैं. ऐसा अब शायद जिंदगी भर चलता रहेगा, लेकिन वह अपमान का घूंट अब आगे पीने के लिए तैयार नहीं था. उस ने फैसला कर लिया कि वह आज ही इस परेशानी को खत्म कर देगा. वह आज ही आसमां का काम तमाम कर देगा. न तो वह जिंदा रहेगी न ही अब ये किस्सा आगे चलेगा.
मन में चल रही विचारों की आंधियों के बीच नुरुल्लाह ने तय कर लिया कि आज वह आसमां को हमेशा के लिए मौत की नींद सुला देगा.
नुरुल्लाह क्यों हो गया इतना खूंखार
दोपहर करीब एक बजे का समय था, जब आसमां अपने कमरे में गहरी नींद सो रही थी और घर में मौजूद अन्य तीनों सदस्य अपनेअपने कमरों में थे. उसी वक्त नुरुल्लाह किचन में गया और वहां रखा भारीभरकम हथौड़ा उठाया और किचन में रखा एक दुधारी चाकू, जो सब्जी व मांस की चौपिंग के काम आता है, उसे हाथ में ले कर आसमां के कमरे गया. आसमां के सोते समय ही उस ने हथौड़े से वार कर उस की हत्या कर दी. वह किसी भी हाल में जिंदा न बचे, इसलिए दोधारी चाकू से उस का गला भी रेत दिया.
चूंकि आसमां के सिर पर जब हथौड़े का भारीभरकम वार किया गया, उस वक्त वह गहरी नींद में थी, इसलिए हथौड़े के पहले भरपूर वार के बाद ही उस के सिर की हड्ïडी टूट गई और वह मुंह से हल्की सी भी चीख निकाले बिना कोमा में चली गई. इस वार के बाद नुरुल्लाह ने कई और वार उस के सिर पर किए, जिस से आसमां की मौत हो गई थी. चूंकि वह किसी भी हालत में आसमां को जिंदा नहीं छोडऩा चाहता था, इसलिए उस ने हथौड़ा जमीन पर रख दिया और किचन से लाए गए चाकू से उस की गरदन रेत दी.
काम पूरा होने के बाद नूर को जब यकीन हो गया कि उस की जिंदगी को नासूर बनाने वाली बीवी की मौत हो चुकी है तो वह हथौड़ा और चाकू वहीं छोड़ कर कमरे से बाहर निकल गया. लेकिन बाहर निकलने से पहले खून से सराबोर हो चुकी अपनी शर्ट उतार कर दूसरी टीशर्ट पहनी और उस के बाद कमरे से बाहर निकला. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से भी पता चला कि आसमां की मौत सिर में हथौड़े से किए गए वार से हुई थी. सिर की हड्डी टूटने और अत्यधिक खून निकल जाने के कारण उस की मौत हुई थी.
आसमां के कमरे से निकलते वक्त बेटी जाहिदा ने नुरुल्लाह को हड़बड़ी में जाते देख कर टोका था, लेकिन वह रुका नहीं और वहां से निकल कर सीधे थाना सेक्टर-20 पहुंचा. क्योंकि एकदो साल पहले तक उस का घर इसी थाने में आता था, लेकिन बाद में जब फेज वन नया थाना बना तो वह इलाका फेज वन में चला गया. इसीलिए वह गलती से सेक्टर 20 थाने में चला गया. आसमां का पोस्टमार्टम होने के बाद पुलिस ने उस के शव को उस के मायके वालों को सौंप दिया, जिन्होंने उस का अंतिम संस्कार कर दिया.
पेरेंट्स के झगड़ों से परेशान आसमां के बेटे नईम ने अम्मी से कहा भी था कि वह कुछ दिन के लिए नानी के घर चली जाएं, लेकिन आसमां ने बेटे की बात नहीं मानी. हालांकि आसमां की जिद देख कर उस की अम्मी भी बेटी के घर पर ही रुक गई. अगर वह अपनी बहन या अम्मी के साथ उस दिन अपने मायके चली जाती तो शायद वो नुरुल्लाह के संदेह के जहर में गुस्से का शिकार होने से बच जाती.
जांच अधिकारी अनिल कुमार मान ने विस्तृत पूछताछ के बाद नुरुल्लाह हैदर को अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. UP Crime News
(कथा में जाहिदा परिवर्तित नाम है)