Crime Story Real : गांव में रहने वाली पत्नी शाहिदा को रईस शेख अपने साथ मुंबई लिवा लाया था. लेकिन शाहिदा को मुंबई की ऐसी हवा लगी कि उस के पैर बहक गए और वह पड़ोसी युवक अनिकेत मिश्रा उर्फ अमित से जुनूनी इश्क करने लगी. उन के इश्क के दौरान आखिर ऐसा क्या हुआ कि शाहिदा ने पति की हत्या कर लाश के टुकड़े अपने घर में ही दफना दिए…
25 मई, 2021 की बात है. मुंबई के दहिसर (पूर्व) इलाके की रहने वाली शाहिदा थाना दहिसर पहुंची. थाने में उस समय सबइंसपेक्टर सिद्धार्थ दुधमल ड्यूटी पर तैनात थे. शाहिदा ने उन से मुलाकात कर कहा, ‘‘साहब, पिछले 4 दिन से मेरे पति रईस शेख गायब हैं. हम ने उन्हें काफी तलाश किया, लेकिन उन का कहीं पता नहीं चला. मुझे उन्हें ले कर बहुत घबराहट हो रही है.’’
उस की बात सुनते ही उन्होंने तुरंत सवाल किया, ‘‘अब तक तुम कहां थीं? 4 दिनों से तुम्हारा पति गायब है और तुम्हें आज 5वें दिन रिपोर्ट दर्ज कराने की याद आई है?’’
‘‘साहब, वह 21 मई की शाम को घर से कहीं गए थे. वह अपना मोबाइल घर पर ही छोड़ गए थे. मैं ने सोचा कि कहीं आसपास गए होंगे, कुछ देर में आ जाएंगे. जब वह वापस नहीं आए तो मैं खुद ही उन की तलाश करने में लग गई. मैं ने उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले में स्थित उन के गांव व रिश्तेदारियों में भी फोन किया. जब उन का कुछ पता नहीं चला तो आज थाने आ गई.’’
2-4 सवाल कर के एसआई सिद्धार्थ दुधमल ने रईस शेख की गुमशुदगी दर्ज कर ली. इस के बाद उन्होंने इस बात की जानकारी थाने में ही मौजूद इंसपेक्टर मराठे और असिस्टेंट इंसपेक्टर जगदाले को दी तो उन्होंने भी शाहिदा को बुला कर उस से पूछताछ की. इंसपेक्टर मराठे ने उस से पूछा, ‘‘जब वह न गांव गया, न अपने किसी दोस्त या रिश्तेदार के यहां गया है तो फिर वह गया कहां है?’’
‘‘साहब, यही तो पता नहीं है. अगर यही पता होता तो मैं खुद न उन्हें खोज लेती.’’ रोते हुए शाहिदा ने कहा.
‘‘तुम दोनों के बीच लड़ाईझगड़ा तो नहीं हुआ जिस से वह नाराज हो कर घर से चला गया हो?’’ इस बार असिस्टेंट इंसपेक्टर जगदाले ने पूछा.
शाहिदा ने जवाब दिया, ‘‘नहीं साहब, वह तो वैसे भी सुबह जाते थे तो शाम को देर से घर आते थे. दिन भर के थकेमांदे होते थे, इसलिए जल्दी ही खा कर आराम करने के लिए लेट जाते थे. लड़नेझगड़ने का समय ही नहीं मिलता था.’’
‘‘तुम्हारे पति नौकरी कहां करते थे?’’
‘‘स्टेशन के पास एक कपड़े की दुकान में नौकरी करते थे.’’
‘‘वहां पता किया था? वहां तो उस का किसी से कोई लड़ाईझगड़ा नहीं हुआ था?’’ असिस्टेंट इंसपेक्टर जगदाले ने पूछा.
‘‘साहब, वह दुकान पर भी सब से हिलमिल कर रहते थे. उस दिन वह दुकान पर भी नहीं गए थे.’’ शाहिदा ने कहा, ‘‘मैं ने वहां जा कर पता किया था.’’
‘‘तुम्हारे घर में और कौनकौन है?’’ इंसपेक्टर मराठे ने पूछा.
‘‘यहां तो हम 4 लोग ही रहते थे. हम पतिपत्नी और 2 बच्चे. बाकी और लोग गांव में रहते हैं.’’
‘‘गांव से कोई नहीं आया तुम्हारी मदद के लिए?’’
‘‘साहब, मैं ने फोन कर दिया है. वहां से मेरा देवर आ रहा है. कलपरसों में आ जाएगा.’’ शाहिदा बोली.
‘‘ठीक है, तुम घर जाओ. हम पता करते हैं तुम्हारा पति कहां गया है. तुम घर पर ही रहना.’’ इंसपेक्टर मराठे ने कहा.
शाहिदा के जाने के बाद इंसपेक्टर मराठे ने रईस के अचानक 4 दिन पहले गायब हो जाने की जानकारी थानाप्रभारी एम.एम. मुजावर को दी. डीसीपी विवेक ठाकुर को भी रईस की गुमशुदगी के बारे में बताया गया. इस के बाद मामले की जांच के लिए थानाप्रभारी पुलिस टीम के साथ शाहिदा के घर जा पहुंचे. टीम ने शाहिदा के घर का बारीकी से निरीक्षण किया. पर उस के घर में उस समय ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया, जिस से पुलिस उस पर पर शक करती. काफी कोशिश के बाद भी पुलिस को रईस के बारे में कुछ पता नहीं चल सका. पुलिस की समझ में नहीं आ रहा था कि आखिर रईस गया तो कहां गया.
पुलिस ने उस कपड़े की दुकान पर भी जा कर पूछताछ की थी, जहां वह नौकरी करता था. दुकान मालिक से भी उस के बारे में कोई खास जानकारी नहीं मिल सकी. शाहिदा की 6 साल की बिटिया से भी पुलिस ने पूछताछ की थी. वह डरी हुई जरूर लग रही थी, पर उस ने ‘न’ में सिर हिलाते हुए कहा था कि उसे पापा के बारे में कुछ नहीं पता. जब रईस का कोई सुराग नहीं मिला तो थानाप्रभारी एम.एम. मुजावर ने स्टाफ के साथ मीटिंग की. इस मीटिंग में सभी का यही शक था कि रईस अब जिंदा नहीं है. उसी बीच रईस का भाई गांव से दहिसर आ गया था. वह भी रईस के दोस्तों के साथ मिल कर भाई की तलाश कर रहा था, पर रईस का कोई सुराग नहीं मिल रहा था. वह थाने के भी लगातार चक्कर लगा रहा था.
उस की तलाश करतेकरते अब तक 10 दिन बीत चुके थे. धीरेधीरे सब निराश होने लगे थे. 11वें दिन शाहिदा किसी काम से बाहर गई हुई थी. रईस का भाई चुपचाप घर में लेटा यही सोच रहा था कि आखिर ऐसी क्या बात हुई जो भाई बिना बताए कहीं चला गया. तभी उस की भतीजी यानी रईस की बेटी उस के सिरहाने बैठते हुए बोली, ‘‘चाचू, अगर आप मुझे बचा लो तो मैं आप को एक बात बताऊं.’’
‘‘ऐसी क्या बात है बेटा, जिस में बचाने की बात है?’’ रईस के भाई ने उस से कहा.
‘‘मम्मी ने कहा है कि अगर वह बात किसी को बताई तो वह मुझे भी पापा की तरह मार कर जमीन में गाड़ देंगी.’’ बच्ची बोली.
बच्ची की यह बात सुन कर रईस का भाई झटके से उठ कर बैठ गया. उस ने बच्ची की ओर देखा तो वह काफी डरी हुई थी. उस के सिर पर हाथ फेरते हुए रईस के भाई ने कहा, ‘‘मम्मी ने पापा को मार कर गाड़ दिया है क्या?’’
‘‘हां, अमित अंकल के साथ मिल कर पापा को पहले चाकू से मार दिया था. उस के बाद उन की लाश काट कर किचन में गाड़ दी है. मैं ने यह सब देख लिया तो मुझ से कहा कि अगर मैं ने यह सब किसी को बताया तो मुझे भी मार कर पापा की तरह किचन में गाड़ देंगी.’’ बच्ची ने कहा. बच्ची के मुंह से सच्चाई सुन कर रईस का भाई सन्न रह गया. उस ने भाभी से कुछ कहनासुनना उचित नहीं समझा. क्योंकि अगर वह शाहिदा से कुछ कहता तो वह फरार हो सकती थी. इसलिए वह भतीजी को साथ ले कर सीधे थाना दहिसर पहुंच गया. थानाप्रभारी एम.एम. मुजावर थाने में ही थे. उस ने सारी बात उन्हें बताई तो वह तुरंत पुलिस टीम के साथ शाहिदा के घर पहुंच गए. शाहिदा तब तक आ चुकी थी.
देवर और बेटी के साथ पुलिस को देख कर उसे समझते देर नहीं लगी कि उस की पोल खुल चुकी है. पुलिस के सामने मजदूर ने जब किचन के फर्श को ध्यान से देखा तो साफ दिख रहा था कि फर्श की टाइल्स उखाड़ कर फिर से लगाई गई थीं, जो बड़े ही बेतरतीब तरीके से लगी थीं. पुलिस ने उसी जगह को खुदवाना शुरू किया. जब इस बात की जानकारी मोहल्ले वालों को हुई तो सभी इकट्ठा हो गए. जब लोगों ने सच्चाई जानी तो उन के मन में शाहिदा के प्रति अब तक जो सहानुभूति थी, वह नफरत में बदलने लगी. शाहिदा के घर के किचन की खुदाई के बाद जो मंजर नजर आया, उसे देख कर वहां जमा लोग ही नहीं, पुलिस तक सहम उठी, जिन का लगभग रोज ही इस तरह की घटनाओं से पाला पड़ता रहता है.
इस की वजह यह थी कि किचन में फर्श से करीब 3 फुट नीचे रईस की अंगुलियां नजर आ गई थीं. सचमुच दृश्य खौफनाक था. अंगुलियां बता रही थीं कि यहां किसी इंसान की लाश दफनाई गई है. अंगुलियां दिखाई दीं तो खुदाई कर रहे मजदूर बड़ी ही सावधानीपूर्वक खुदाई करने लगे. थोड़ी ही देर में उस गड्ढे से 4 अलगअलग टुकड़ों में एक लाश बरामद हुई, जो उसी घर के 10 दिनों से गायब रईस शेख की थी. 11 घंटे की मेहनत करने के बाद पुलिस ने रईस की लाश किचन से बाहर निकाली. इस के बाद थानाप्रभारी ने लाश बरामद होने की सूचना पुलिस अधिकारियों को दी तो वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी घटनास्थल पर आ गए. सभी ने घटनास्थल का निरीक्षण कर थानाप्रभारी को जरूरी निर्देश दिए और वापस चले गए.
लाश के टुकड़ों को एक पौलीथिन में पैक कर के घटनास्थल की काररवाई पूरी की गई और उसे पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया गया. शाहिदा से पूछताछ में रईस के इस हाल में पहुंचने की जो कहानी सामने आई, वह कुछ इस तरह थी—
रईस शेख उत्तर प्रदेश के जिला गोंडा का रहने वाला था. करीब 9 साल पहले सन 2012 में उस की शादी शाहिदा से हुई थी. करीब 6 साल बाद उन के घर एक बेटी हुई. उस के बाद एक बेटा हुआ. 2 बच्चे होने के बाद उन का भरापूरा परिवार हो गया था, जिस से उन की खुशी और बढ़ गई थी. बच्चे होने से खर्च बढ़ गया था. यहां उन की इतनी आमदनी नहीं थी कि वे अपने बच्चों का भविष्य संवार सकते. इसलिए रईस ने कहीं बाहर जाने की बात की तो शाहिदा ने खुशीखुशी स्वीकृति दे दी. रईस ने मुंबई में रहने वाले अपने कुछ दोस्तों से बात की तो उन्होंने उसे मुंबई बुला लिया, जहां दहिसर में स्टेशन के पास एक कपड़े की दुकान में उसे सेल्समैन की नौकरी मिल गई.
नौकरी मिल गई तो रईस ने रहने के लिए दहिसर (पूर्व) स्थित खान कंपाउंड में एक मकान किराए पर ले लिया और गोंडा जा कर पत्नी और बच्चों को मुंबई ले आया. पत्नी और बच्चों के साथ जिंदगी की गाड़ी बढि़या चल रही थी. दुकान से रईस को इतना वेतन मिल जाता था कि उस का खर्च आराम से चल रहा था. उसे किसी तरह की कोई परेशानी नहीं हो रही थी. रईस अपनी बीवी और बच्चों से बहुत प्यार करता था. उन्हीं के लिए वह घरपरिवार छोड़ कर इतनी दूर आया था. शाहिदा भी रईस को बहुत प्यार करती थी. पर मुंबई आने के कुछ दिनों बाद शाहिदा में बदलाव नजर आने लगा. इस की वजह यह थी कि अब वह किसी और से प्यार करने लगी थी.
पतिपत्नी के बीच कोई तीसरा आ गया था. वह कोई और नहीं, अनिकेत मिश्रा उर्फ अमित था. इस की वजह यह थी कि दोनों ही उत्तर प्रदेश के रहने वाले थे. एक दिन अमित सार्वजनिक नल पर पानी भर रहा था, तभी डिब्बे ले कर शाहिदा भी पानी के लिए पहुंची. उस ने गोद में बेटे को ले रखा था. बेटा उस समय जोरजोर से रो रहा था. अब शाहिदा बेटे को संभाले या पानी के डिब्बे ले जाए. शाहिदा बहुत ही असमंजस में थी. बेटा उसे छोड़ ही नहीं रहा था. उसे परेशान देख कर अमित ने कहा, ‘‘भाभीजी आप बेटे को संभालिए, मैं आप के पानी के डिब्बे पहुंचाए देता हूं.’’
‘‘आप क्यों परेशान होंगे. रहने दीजिए, मैं बेटे को चुप करा कर उठा ले जाऊगी.’’ शाहिदा ने कहा.
‘‘क्यों, मैं पहुंचा दूंगा तो आप को बुरा लगेगा क्या? ऐसा तो नहीं कि आप मेरा छुआ पानी न पीना चाहती हों?’’ अमित ने मुसकराते हुए कहा.
‘‘ऐसी कोई बात नहीं है. मैं नहीं चाहती कि आप मेरे लिए परेशान हों.’’
‘‘भाभीजी, आज आप परेशान हैं तो मैं आप के काम आ रहा हूं, कल मुझे कोई परेशानी होगी तो आप मेरे काम आ जाना. अच्छा आप चलें. मैं डिब्बे ले कर चल रहा हूं.’’ दोनों हाथों में एकएक डिब्बा उठाते हुए अमित ने कहा.
अमित पानी के डिब्बे ले कर शाहिदा के घर पहुंचा तो औपचारिकता निभाते हुए उस ने कहा, ‘‘बैठिए, मैं चाय बनाने जा रही हूं. आप चाय पी कर जाइए.’’
‘‘फिर कभी पी लेंगे. आज रहने दीजिए.’’
‘‘आज क्यों नहीं. कहीं ऐसा तो नहीं आप मेरे हाथ की चाय नहीं पीना चाहते हों?’’
‘‘अब तो पी कर ही जाऊंगा. पर थोड़ा जल्दी कीजिएगा. अभी घर के सारे काम करने हैं, नहाना है, खाना बनाना है.’’
‘‘आप अकेले ही रहते हैं क्या?’’ शाहिदा ने पूछा.
‘‘जी, मम्मीपापा गांव में रहते हैं. मैं यहां अकेला ही रहता हूं.’’
‘‘और वाइफ?’’
‘‘अभी शादी ही नहीं हुई है तो वाइफ कहां से आएगी.’’ हंसते हुए अमित ने कहा.
शाहिदा चाय बना कर लाई. दोनों बैठ कर चाय पीते हुए एकदूसरे के बारे में पूछते रहे. चाय खत्म कर के अमित जाने लगा तो शाहिदा ने कहा, ‘‘जब भी चाय पीने का मन हो, बिना संकोच आ जाना. इसे अपना ही घर समझना.’’
सिर हिलाते हुए अमित चला गया. अमित अभी गबरू जवान था. स्मार्ट भी था. कोई भी लड़की उसे पसंद कर सकती थी. इस के बाद अमित जबतब शाहिदा के घर आनेजाने लगा. धीरेधीरे यह आनाजाना बढ़ता गया. इस का नतीजा यह हुआ कि दोनों एकदूसरे से खुलते गए और उन में हंसीमजाक भी होने लगा. एक दिन हंसीहंसी में ही जब शाहिदा ने कहा कि इसे अपना ही घर समझना तो अमित ने मजाक करते हुए कहा, ‘‘घर को तो अपना समझ रहा हूं. पर आप को क्या समझूं?’’
अमित की आंखों में आंखें डाल कर मुसकराते हुए शाहिदा ने कहा, ‘‘मुझे भी अपनी ही समझो. पर इस के लिए दम चाहिए, जो तुम में नहीं है.’’
‘‘दम तो बहुत है भाभी, पर थोड़ा संकोच हो रहा था. अब आज की बात से वह भी खत्म हो गया.’’ इतना कह कर अमित ने शाहिदा को बांहों में भर लिया. शाहिदा इस के लिए तैयार ही थी. उस ने किसी तरह का कोई विरोध नहीं किया तो रईस और शाहिदा के बीच अमित दाखिल हो गया. इस तरह अमित और शाहिदा के अनैतिक संबंध बन गए. फिर तो अकसर अमित रईस की गैरमौजूदगी में उस के घर जाने लगा. अमित न तो रईस का रिश्तेदार था और न ही दोस्त. वह उस के घर आता भी उस की गैरमौजूदगी में था. इसलिए बिटिया से जब उस के घर आने का पता चला तो उसे शक हुआ. उस ने शाहिदा से उस के बारे में पूछा तो वह साफ मुकर गई. इस से रईस का शक और बढ़ गया.
इस तरह की बातें कहां ज्यादा दिनों तक छिपी रहती हैं. इस की वजह यह थी कि जैसेजैसे दिन बीतते गए, दोनों की मिलने की चाह बढ़ती गई और वे लापरवाह होते गए. जब रईस को पूरा विश्वास हो गया कि उस की बीवी का अमित से गलत संबंध है तो वह शाहिदा को उस से मिलने से रोकने लगा. शाहिदा पहले तो मना करती रही कि उस का अमित से इस तरह का कोई संबंध नहीं है. पर रईस को उस की बात पर जरा भी विश्वास नहीं था. क्योंकि उस के पास पक्का सबूत था कि उस की पत्नी अब उस के प्रति वफादार नहीं रही. वह शाहिदा पर दबाव डालने लगा कि वह अमित से मिलनाजुलना छोड़ दे, वरना ठीक नहीं होगा.
जब रईस का दबाव बढ़ता गया तो शाहिदा बेचैन हो उठी. इस की वजह यह थी अब तक शाहिदा पूरी तरह से अमित की हो चुकी थी. अब उसे अपने पति रईस से जरा भी लगाव नहीं रह गया था. इसलिए उस ने अमित से साफसाफ कह दिया कि अब वह हमेशाहमेशा के लिए उस की होना चाहती है. इस के लिए जरूरत पड़ेगी तो वह रईस को ठिकाने भी लगा सकती है. क्योंकि रईस जीते जी उन दोनों को एक नहीं होने देगा. अमित शाहिदा के प्यार में पागल था. उस ने भी हर तरह से शाहिदा का साथ देने के लिए हामी भर दी. इस तरह एक खौफनाक कत्ल की साजिश रची जाने लगी.
अमित और शाहिदा रईस को ठिकाने लगाने के बारे में सोच ही रहे थे कि 21 मई, 2021 की शाम ऐसा संयोग बना कि बिना किसी योजना के ही अचानक उन्होंने रईस को ठिकाने लगा दिया. हुआ यह कि उस दिन रईस समय से काफी पहले घर आ गया. घर पहुंचा तो उसे शाहिदा और अमित आपत्तिजनक स्थिति में मिले. बच्चे बाहर खेल रहे थे. कोई भी गैरतमंद पति अपनी पत्नी को किसी गैर के आगोश में देख लेगा तो उस के शरीर में आग लग ही जाएगी. शाहिदा को अमित के पहलू में देख कर रईस को भी गुस्सा आ गया. वह शाहिदा और अमित की पिटाई करने लगा.
अमित और शाहिदा ने तो पहले से ही रईस को ठिकाने लगाने की तैयारी कर रखी थी. जब उन दोनों की जान पर बन आई तो शाहिदा दौड़ कर किचन से चाकू उठा लाई, जिस से अमित ने गला काट कर रईस को मौत के घाट उतार दिया. इस के बाद लाश घर में ही छिपा दी. पति की लाश घर में पड़ी थी. अगर लाश बरामद हो जाती तो दोनों पकड़े जाते. काफी सोचविचार कर रातोंरात अमित और शाहिदा ने रईस की लाश को उसी घर में गड्ढा खोद कर दफनाने का भयानक निर्णय ले लिया. कमरे में गड्ढा खोद कर लाश को गाड़ना इसलिए मुश्किल था, क्योंकि कमरे में बच्चे सो रहे थे. लाश को ठिकाने लगाने के लिए शाहिदा ने अपने प्रेमी अमित के साथ किचन में एक गड्ढा खोद डाला.
किचन का वह गड्ढा इतना बड़ा नहीं था कि पूरी की पूरी लाश उस में आ जाती. इसलिए दोनों ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए पहले लाश के 4 टुकड़े किए, उस के बाद वे टुकड़े बेतरतीब तरीके से एक के ऊपर एक रख कर दफना दिए. जब यह सब हो रहा था, संयोग से शाहिदा और रईस की 6 साल की मासूम बेटी की आंखें खुल गईं. जब उस ने अपने पापा को 4 टुकड़ों में देखा तो सहम उठी. मारे डर के वह चीख उठी. उस की चीख सुन कर शाहिदा और अमित घबरा गए. क्योंकि उस बच्ची ने अपनी आंखों से सब कुछ देख लिया था. बच्ची इतनी छोटी नहीं थी कि वह यह न जानती कि यह सब क्या हो रहा है? वह उन दोनों की पोल खोल सकती थी. इसलिए किसी न किसी तरह उस का मुंह बंद कराना था.
पिता की लाश को 4 टुकड़ों में देख कर वह वैसे ही सहमी हुई थी, वह तब और सहम गई जब उस की मां ने कहा कि अगर उस ने किसी को इस बारे में बताया तो वह उसे पानी के ड्रम में डुबो कर मार देगी और उस की लाश को भी उस के पापा की तरह काट कर गाड़ देगी. मां की यह धमकी सुन कर वह मासूम बुरी तरह डर गई और जा कर चुपचाप सो गई. दोनों ने रईस की हत्या की साजिश काफी सोचविचार कर रची थी. तभी तो शाहिदा ने सीमेंट, टाइल्स और घर की मरम्मत का सामान पहले से ही मंगा कर रख लिया था. रईस को इस सब का बिलकुल पता नहीं था. लेकिन जब उस ने इस सामान को देखा था, तब शाहिदा से पूछा जरूर था.
शाहिदा ने कहा था कि वह किचन की मरम्मत कराना चाहती है. रईस को यह तो शक था नहीं कि शाहिदा उस की हत्या भी करवा सकती है, इसलिए उस ने शाहिदा की बात पर विश्वास कर लिया था. अब रईस ठिकाने लग चुका था. उस की हत्या हो चुकी थी और उसी घर के किचन में दफन है, यह बात शाहिदा, उसकी बेटी और अमित के अलावा किसी और को पता नहीं थी. लेकिन यह भी सच है कि हत्यारा कोई न कोई सबूत अवश्य छोड़ देता है. ऐसा ही रईस की हत्या के मामले में भी हुआ. शाहिदा ने अमित के साथ मिल कर जो किया था, उस की मासूम बेटी ने सब देख लिया था, जिस की वजह से केस खुल गया. शातिर खिलाड़ी शाहिदा से पूछताछ के बाद पुलिस ने अमित को भी गिरफ्तार कर लिया.
थाने में शाहिदा को देख कर अमित ने भी तुरंत अपना अपराध स्वीकार कर लिया. क्योंकि उसे पता था कि पुलिस को सारी सच्चाई पता चल चुकी है. इस के बाद सारी काररवाई पूरी कर थाना दहिसर पुलिस ने दोनों को अदालत में पेश किया, जहां उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया. Crime Story Real