Bollywood News : तलाक देना वैसे तो किसी का व्यक्तिगत मामला होता है, लेकिन जब कोई पर्सनैलिटी ऐसा करती है तो आम लोगों में जरूर यह चर्चा का विषय बन जाता है. अभिनेता आमिर खान और किरण राव का मामला भी कुछ ऐसा ही है. अब लोग यही कयास लगा रहे हैं कि दूसरी पत्नी किरण राव को तलाक दे कर वह तीसरी शादी फातिमा सना शेख से करेंगे या फिर…

तलाक अगर इतनी आसानी से हो जाए जितना कि अभिनेता आमिर खान और उन की दूसरी पत्नी किरण राव के बीच हुआ तो तलाक प्रक्रिया पर सवाल उठाने के कोई माने नहीं. क्योंकि यह परिपक्व पतिपत्नी का आपसी सहमति से लिया गया फैसला है, जिस के अपने अलग माने हैं. 15 साल का अरसा एकदूसरे को समझने और एकदूसरे में ढल जाने के लिए मुकम्मल होता है, लेकिन इस तलाक को जिस का मसौदा दोनों ने संयुक्त रूप से जाहिर सूचना की तरह पेश किया, कई नहीं तो कुछ सवाल तो खड़े करता ही है. लोग एक बार फिर पूछ रहे हैं क्यों… और दिलचस्प बात यह कि जवाब भी खुद ही दे रहे हैं जो महज मीडियाई खबरों और अटकलों पर आधारित हैं.

कुछ अपवादों को छोड़ दें तो फिल्म इंडस्ट्री में शादी और तलाक हमेशा से चर्चाओं और सुर्खियों में रहे हैं. खासतौर से उस वक्त जब पतिपत्नी दूसरे धर्म के हों. अपने दौर के मशहूर अभिनेता सुनील दत्त और अभिनेत्री नरगिस की शादी सहज ढंग से नहीं ली गई थी. तब भी खूब होहल्ला देश भर में कट्टरपंथियों ने मचाया था. लेकिन अच्छी बात उस का बेअसर हो जाना रहा था. फिर हिंदू हीरो की मुसलिम हीरोइन से और मुसलिम हीरो की हिंदू हीरोइन से शादी कोई अजूबा नहीं रह गई. यह फिल्म इंडस्ट्री ही थी, जिस ने धर्म और जातपात की बेडि़यों को काटना शुरू किया और हर दौर में युवाओं को अपनी मरजी से शादी करने की प्रेरणा दी. पर पिछले कुछ दिनों से उलटा हो रहा है.

अंतरधर्मीय शादियों में कम से कम 2 मामले बेहद चर्चित रहे, इन में से पहला था बंगला फिल्मों की जानीमानी और टीएमसी सांसद नुसरत जहां और निखिल जैन का, जिन की गिनती कोलकाता के बड़े कारोबारियों में शुमार होती है. उस तलाक के बारे में पाठक मनोहर कहानियां के पिछले अंक में विस्तार से पढ़ ही चुके हैं.  साल 1973 में प्रदर्शित नासिर हुसैन की फिल्म ‘यादों की बारात’ ने बौक्स औफिस पर कामयाबी के झंडे गाड़ दिए थे, जिस की बड़ी वजह नायक धर्मेंद्र की एक्टिंग और 3 भाइयों के बिछुड़ने और एक गाने के जरिए मिलने की कहानी थी, जो लीक से हट कर थी. इस फिल्म का गीतसंगीत भी खूब पसंद किया गया था.

आमिर खान इस फिल्म में एक बाल कलाकार की भूमिका में थे. गौरतलब है कि नासिर हुसैन आमिर के पिता ताहिर हुसैन के भाई हैं, जिन्होंने इस फिल्म के जरिए दरअसल में तारिक को ब्रेक देने की कोशिश की थी. लेकिन तारिक खूबसूरत और चौकलेटी होने के बाद भी चले नहीं. लेकिन ठीक तारिक सरीखे चिकने चेहरेमोहरे वाले उन के चचेरे भाई आमिर साल 1988 में प्रदर्शित फिल्म ‘कयामत से कयामत तक’ के जरिए ऐसे चले कि फिर उन्होंने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा.  इस फिल्म के निर्माता भी नासिर हुसैन थे. उन के बेटे मंसूर खान द्वारा निर्देशित इस फिल्म में आमिर की एंट्री ठीक वैसे ही दिखाई गई थी, जैसे ‘यादों की बारात’ में तारिक की दिखाई गई थी.

यानी माथे पर स्कार्फ हाथ और गले में लटका गिटार युवाओं की महफिल और एक बेहतरीन जज्बाती गाना, जो उस दौर के युवाओं के लबों पर मानों ठहर सा गया था. गाने के बोल थे—पापा कहते हैं बड़ा नाम करेगा बेटा हमारा ऐसा काम करेगा…

इस फिल्म में नायिका जूही चावला ने भी कयामत ढाई थी जो तब बड़ा नाम नहीं था. ठाकुरों की आपसी दुश्मनी पर बनी इस फिल्म में दर्शकों ने आमिर और जूही को हाथोंहाथ लिया था और दोनों को रातोंरात स्टार बना कर सिर पर बैठा लिया था. फिर एक के बाद एक आमिर की कई फिल्में हिट हुईं, जिन में ‘दिल’, ‘जो जीता वही सिकंदर’, ‘दिल है कि मानता नहीं’, ‘हम हैं राही प्यार के’, ‘अंदाज अपनाअपना’ से ले कर ‘लगान’, ‘थ्री इडियट्स’, ‘राजा हिंदुस्तानी’, ‘इश्क’, ‘सरफरोश’, ‘रंग दे बसंती’ और ‘मंगल पांडे’ सहित ‘तारे जमीं पर’ उल्लेखनीय हैं.

लेकिन ‘कयामत से कयामत तक’ की बात और थी जिस के गाने ‘पापा कहते हैं…’ में थोड़ी देर के लिए एक्स्ट्रा के रूप में रीना दत्ता भी दिखाई दी थीं. यूं पड़ोसी होने के नाते रीना दिखाई तो उन्हें रोज देतीं थीं और आमिर उन से बचपन से ही प्यार करते थे, जोकि शुद्ध एकतरफा था. यह फिल्म फ्लोर पर थी इस के काफी पहले से ही वह रीना पर लट्टू थे. लेकिन प्यार का इजहार नहीं कर पा रहे थे, क्योंकि रीना उन्हें घास नहीं डालती थीं. वह एक परंपरावादी हिंदू परिवार से थीं. आमिर ने हिम्मत नहीं हारी और उम्र के मुताबिक सड़कछाप मजनुओं की तरह उन के पीछे पड़े रहे. रीना दत्ता को खून से लिखा था प्रेम पत्र यह आमिर की दीवानगी की हद ही कही जाएगी कि अस्सी के दशक के प्यार के तौरतरीकों और चलन के मुताबिक उन्होंने रीना को अपने खून से लिखा लव लेटर भेज दिया.

अब रीना भी कोई पत्थर की बनी तो थी नहीं, जो इस अदा पर फिदा न हो जातीं. एक सामान्य भारतीय लड़की की तरह उन्होंने आमिर का प्यार कुबूल कर लिया. लेकिन धर्म की दीवार इतनी मजबूत थी कि दोनों ने चोरीछिपे 18 अप्रैल, 1986 में कोर्ट में शादी करने की हिम्मत तो कर ली पर मारे डर के अपनेअपने घरों में नहीं बता पाए.  शादी करने के लिए आमिर ने खुद के 21 साल का होने का इंतजार पूरी सब्र से किया था. आमिर की साल 1984 में रिलीज हुई केतन मेहता की पहली फिल्म ‘होली’ चूंकि फ्लौप हो चुकी थी, इसलिए भी वह कोई जोखिम नहीं उठाना चाह रहे थे.

जब शादी की बात रीना की छोटी बहन को पता चली तो वह सीधे आमिर के घर जा धमकी और शादी की बात उजागर कर दी. इस पर आमिर के पिता ताहिर हुसैन ने समझदारी और मौके की नजाकत देखते हुए कोई ऐतराज नहीं जताया और पूरे सम्मान के साथ बहैसियत बहू रीना को घर ले आए. लेकिन रीना के पिता को यह सदमा बरदाश्त नहीं हुआ और वह इतने बीमार पड़ गए कि उन्हें अस्पताल में भरती करना पड़ा. इस दौरान आमिर ने उन का खूब खयाल रखा और बेटे की तरह देखभाल की तो उन का दिल भी फिल्मी स्टाइल में पसीज गया. फिर आमिर के सामने कोई दिक्कत नहीं रह गई. रीना उन के लिए लकी साबित हुई.

क्योंकि ‘कयामत से कयामत तक’ ने आमिर को युवा दिलों का राजा बना दिया था. स्कूलकालेजों और होस्टल्स तक में इस फिल्म की चर्चा थी.  प्रेमीप्रेमिका खुद में राज और रश्मि को देखने और महसूसने लगे थे जो इस फिल्म में आमिर और जूही के नाम थे. आमिर ने इस फिल्म में बहुत अच्छी एक्टिंग इसलिए भी कर डाली थी या यूं कह लें कि अनजाने में उन से हो गई थी क्योंकि शूटिंग के दिनों में वह खुद नईनवेली पत्नी रीना की जुदाई भुगत रहे थे और रोज उन्हें खत लिखा करते थे. इस के बाद के दिन आमिर की जिंदगी के सुनहरे दिन थे. कामयाबी दौलत और शोहरत सब एक साथ उन के कदम चूम रहे थे. जितने अच्छे आशिक थे, उतने ही अच्छे पति भी वह साबित हुए.

इसी दौरान उन्होंने अपने नाम से ही अपनी प्रोडक्शन कंपनी भी बना ली थी, जिस के बैनर तले 2001 में ऐतिहासिक फिल्म ‘लगान’ रिलीज हुई थी. इस फिल्म को कई पुरस्कार मिले थे. यह फिल्म औस्कर के लिए भी नौमिनेट हुई थी. रीना एक सफल और समर्पित पत्नी साबित हुईं, जो आमिर की दूसरी कई फिल्मों की यूनिट के सदस्य रहते ‘लगान’ की असिस्टेंट डायरेक्टर भी थीं. अब तक दोनों की फैमिली परफेक्ट हो चुकी थी. बेटी का नाम इरा खान और बेटे का नाम जुनैद खान रखा. लगान से बिगड़ी बात अब तक आमिर इंडस्ट्री में अपने अभिनय के साथसाथ व्यावसायिक प्रतिभा का भी लोहा मनवा चुके थे. उन की लगभग हर फिल्म हिट होती थी.

यह आमिर की खूबी ही है कि उन्होंने औसतन एक साल में एक ही फिल्म की लेकिन पूरे डूब कर की. ‘लगान’ के बाद ‘पीके’ फिल्म इस बात की गवाह भी हैं.  इसी ‘लगान’ फिल्म की शूटिंग के दौरान उन का परिचय एक साधारण सी दिखने वाली दक्षिण भारतीय युवती किरण राव से हुआ’ किरण इस फिल्म की प्रोडक्शन यूनिट का हिस्सा थी. उसे देखते ही आमिर के दिल में वही कुछकुछ हुआ, जो किशोर उम्र में रीना को देख कर होता था. फिर जो हुआ, उस की उम्मीद किसी को भी नहीं थी. आमिर ने रीना को तलाक देने का फैसला कर लिया, जो उतना ही चौंकाने वाला था, जितना 15 साल पहले उन से ड्रामाई तरीके से शादी कर लेने का था.

शादी गुपचुप हुई थी लेकिन आमिर और रीना का तलाक एक मुकम्मल हंगामे के बीच 2005 में इस सवाल के साथ हुआ कि आखिर क्यों…

इस सवाल का जबाब अगर कोई दे सकता था तो वे ये दोनों ही थे, जो रहस्यमय खामोशी ओढ़े रहे. 15 साल एक छत के नीचे एक शानदार जिंदगी जीने के बाद दोनों साल 2002 में अलग हो गए  शर्तों और समझौते के मुताबिक इरा और जुनैद को रीना अपने साथ ले गईं. बतौर गुजारा भत्ता कह लें या मेहर की रकम कह लें या फिर तलाक के लिए राजी होने की राशि कह लें, आमिर ने रीना को 50 करोड़ रुपए अदा किए थे. फिल्म इंडस्ट्री का यह पहला बड़ा तलाक था, जिस में पतिपत्नी ने एकदूसरे के खिलाफ कोई आरोप नहीं लगाये थे. बस दोनों ने चाहा और तलाक हो गया. हालांकि कहा यह भी गया कि तलाक रीना की जिद के चलते हुआ. ‘लगान’ सुपरडुपर हिट हुई, लेकिन आमिर की जिंदगी से रीना चली गई.

इस के बजाय यह कहना ज्यादा बेहतर होगा कि यह फिल्म रीना की जिंदगी से आमिर को छीन ले गई. कुछ दिन मीडिया ने शोर मचाया लेकिन फिर भूल गए. फिल्म इंडस्ट्री में रोज नई खबरें पैदा होती और मरती हैं. यह तलाक इस रिवाज का अपवाद साबित नहीं हुआ. फिर 2005 में एक सनसनाती खबर आई कि तलाकशुदा अधेड़ उम्र के आमिर ने किरण राव से शादी कर ली. फिल्म इंडस्ट्री के लिहाज से यह कोई हैरान कर देने वाली बात नहीं थी और जानने वालों के लिए अपेक्षित भी थी. फिर हल्ला मचा और फिर शांत हो गया. सुनीसुनी सी दास्तां…

‘समरथ को नहीं दोष गुसाईं’ की तर्ज पर लोगों ने कुछ चटखारे लेने के बाद इस असहज शादी को सहज ढंग से ले लिया. क्योंकि आमिर एक के बाद एक हिट फिल्में दिए जा रहे थे. तभी प्रदर्शित हुई ‘अंदाज अपनाअपना’ उन में से एक थी. एक आम असहज बात यह भी थी कि किरण आमिर से उम्र में 15 साल छोटी थीं. उम्र के इस फर्क ने इन के वैवाहिक जीवन पर कोई खास फर्क नहीं डाला. किरण के लिए सब कुछ नया था, लेकिन आमिर की स्थिति ‘निकाह’ फिल्म की सलमा आगा सरीखी थी जो दूसरे पति राज बब्बर के साथ भी उसी शहर में उसी होटल में उसी कमरे में हनीमून मनाने जाती है, जिस में कभी पहले पति दीपक पाराशर के साथ आई थी.

आमिर के लिए हुआ इतना भर था कि रीना की जगह किरण ने ले ली थी, जो तेलंगाना के एक प्रतिष्ठित और संपन्न परिवार से ताल्लुक रखती थीं. वक्त गुजरता गया और एक बार फिर आमिर खान खुद को एक ईमानदार पति साबित करने में जुट गए. इस का उदाहरण किरण की एक शारीरिक कमजोरी के वक्त देखने में आया था जब वह सामान्य ढंग से गर्भधारण नहीं कर पा रही थीं. चिकित्सकीय भाषा में कहें तो कंसीव नहीं कर पा रही थीं. तब इन दोनों ने कृत्रिम तरीके का सहारा लिया, जिस से बेटा आकाश पैदा हुआ. किरण और आमिर उतने ही खुश थे जितने कभी रीना और आमिर हुआ करते थे. किरण भी फिल्ममेकिंग में आ गईं, जिस से आमिर को काफी सहूलियत रही.

बेटी का वीडियो हुआ वायरल अब लोग रीना और उन के बच्चों को भूल चले थे, लेकिन कुछ दिनों पहले जवान हो चुकी 24 वर्षीय इरा के एक वायरल हुए वीडियो ने लोगों का ध्यान अपनी तरफ खींचा था, जिस में इरा खुद को डिप्रेशन का शिकार बता रही थी. लेकिन मम्मीपापा के तलाक को इस का जिम्मेदार नहीं ठहरा रही थी. कुछ और वायरल हुई तसवीरों में वह अपने बौयफ्रैंड नूपुर शिकरे के साथ वैसे ही लिपटी नजर आई थी, जैसे कोई बेल पेड़ के तने से लिपटी रहती है. कुछ ही दिनों में रीना और किरण में अच्छी दोस्ती भी हो गई और एकदो पार्टियों में वे काफी अंतरंगता से मिलीं भी. देखने वालों ने इस से ज्यादा कुछ नहीं सोचा कि आमिर खान का अतीत और वर्तमान एक साथ दिख रहा है.

वैसे भी फिल्म इंडस्ट्री में पुराने जीवनसाथी अकसर ऐसे ही औपचारिक और कारोबारी अंदाज में मिला करते हैं, जज्बात उन में होते हैं, ऐसा कहने की कोई वजह नहीं. लेकिन इकलौती याद रखने वाली बात यह है कि फिल्मी सितारे सिर्फ मनोरंजन ही नहीं करते बल्कि उन की जिंदगी की घटनाओं का फर्क जो आमतौर पर सीधे दिखता और महसूस नहीं होता, पर आम लोगों और समाज पर पड़ता जरूर है. एक तलाक और सही सब कुछ ठीकठाक चल रहा था कि बीती 3 जुलाई को आमिर और किरण के तलाक की खबर बेहद साधारण तरीके से आई. एक संयुक्त पत्र में दोनों ने एकदूसरे के प्रति प्रतिबद्धता जताते कुछ दार्शनिक किस्म की बातें भी कहीं (देखें बौक्स) जो जिंदगी और दुनिया से ज्यादा किताबों में अच्छी लगती हैं, मगर यह सब हकीकत में बहुत बेढंगी और कड़वी होती हैं.

प्रिंट और इलैक्ट्रौनिक मीडिया ने तो आमिर के इस आग्रह को मान लिया कि तलाक का मसला चूंकि व्यक्तिगत है, इसलिए बात का बतंगड़ न बनाया जाए. लेकिन सोशल मीडिया ने आमिर पर कोई रहम नहीं दिखाया. किसी ने यह कहा कि यह आदमी हिंदू लड़कियों से शादी कर उन्हें तलाक दे देता है तो किसी ने उन के इस बयान पर ताना मारा कि अब हिंदुस्तान में डर नहीं लगता क्या. किसी ने इसे लव जिहाद बताया और किसी ने ट्वीट किया कि इन का सही है शादी करो 2-3 बच्चे पैदा करो और फिर बीवी को छोड़ दो. इन बातों और भड़ास के कोई तात्कालिक या दीर्घकालिक माने तो नहीं हैं लेकिन आमिर की शादियों और तलाकों में कई समानताएं काफी कुछ सोचने को मजबूर करती हैं.

मसलन हिंदू लड़की से ही प्यार होना, उन के साथ लगभग 15-15 साल गुजारना, दोनों बीवियों को बेइंतहा चाहना और फिर तलाक के साथसाथ मोटी रकम दे देना. रीना की तरह कहा जा रहा है कि किरण को भी आमिर तगड़ी रकम देंगे या दे चुके हैं. अब आमिर का नाम ‘दंगल’ फिल्म में उन की बेटी गीता फोगाट का रोल कर चुकी फातिमा सना शेख के साथ जुड़ रहा है, जो ‘ठग्स औफ हिंदुस्तान’ फिल्म में भी थी. अब अंदाजा लगाया जा रहा है कि वे अब तीसरी शादी उस के साथ करेंगे. यानी पहला तलाक दूसरी और दूसरा तीसरी शादी की मंशा से दिया गया माना जाएगा.  क्या आमिर दोषी हैं? मुमकिन है ऐसा हो क्योंकि फिल्म इंडस्ट्री में कुछ भी मुमकिन है.

फातिमा रीना और किरण की तरह गुमनाम सी नहीं है लेकिन आधी हिंदू है, क्योंकि उस के पिता विपिन शर्मा कश्मीरी ब्राह्मण हैं, जबकि मां तबस्सुम मुसलमान हैं. बिलाशक तलाक एक व्यक्तिगत मामला है, लेकिन आमिर के मामलों के इत्तफाक एकदम नजरंदाज नहीं किए जा सकते. दोनों ही मामलों में तलाक सहमति के आधार पर हुए, जोकि आमतौर पर नहीं होता है. यदि किरण से उन की पटरी नहीं बैठ रही थी तो दोनों बिना तलाक के भी रह सकते थे, यह बात इस चर्चा को पुख्ता करती है कि आमिर फातिमा से या किसी और से शादी करेंगे, इसलिए तो तलाक की जरूरत पड़ी. 55 की उम्र में 2 तलाक और हुई तो तीसरी शादी एक अस्वाभाविक बात है और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान जैसी है.

देश का कट्टर होता माहौल नुसरत जहां और आमिर खान के तलाक की वजह नहीं ठहराया जा सकता. क्योंकि इन के दांपत्य पर किसी ने पत्थर नहीं फेंका था. आमिर के बारे में कहा जा सकता है कि कुछ गड़बड़ जरूर है और किरण से भी तलाक भारतीय समाज में औरतों की बदहाली को ही उजागर करता है. क्योंकि दोनों ही तलाकों में पत्नी का कोई दोष या कोई ठोस वजह तलाक की सामने नहीं आई. भारतीय पत्नी कैसी भी हो, उसे आसानी से प्यार से बहलायाफुसलाया जा सकता है, इमोशनली ब्लैकमेल किया जा सकता है और अलग होने के लिए तगड़ी रकम भी दी जा सकती है. एक छत के नीचे रहते पति उसे उपेक्षित कर के भी सभ्य तरीके से प्रताडि़त कर सकता है.

‘हम पतिपत्नी में  वैचारिक मतभेद हैं और अब हम साथ नहीं रह सकते’, शपथपूर्वक यह कह देने भर से हिंदू मैरिज ऐक्ट की धारा 13 (बी) के तहत तलाक तो तुरंत मिल जाता है, जो एक अच्छी बात है. पर देखा अब यह भी जाना चाहिए कि कहीं इस धारा का भी तो दुरुपयोग नहीं होने लगा. कहीं आमिर खान जैसे लोग अगली शादी के लिए इसे हथियार की तरह इस्तेमाल तो नहीं करने लगे. चिंता और बहस केवल इसी बात पर होनी चाहिए. Bollywood News

 

 

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