Crime Story Real : आबिद शेख और उस की पत्नी आलिया शेख उच्च शिक्षित ही नहीं बल्कि ऊंचे पदों पर नौकरी करते थे. लेकिन बेटे के जन्म के बाद उन की गृहस्थी में कलह पैदा हो गई. इस की वजह यह थी कि बेटे को एक खतरनाक बीमारी थी. जिस की वजह से वह हताश हो गए. इस हताश जिंदगी का जो मंजर सामने आया वह…
सुबह 10 बजे एक महिला का शव मिला ही था, अब शाम एक मासूम बच्चे का शव मिला तो महानगर मुंबई से सटे पुणे शहर की पुलिस की नींद उड़ गई थी. पहला शव सासवड़ पुलिस थाने के अंतर्गत तो दूसरा भारती विद्यापीठ थानाक्षेत्र में मिला था. दोनों शव अलगअलग जगहों पर मिले थे. पुलिस टीम ने दोनों शव औपचारिकताएं पूरी कर पोस्टमार्टम के लिए पुणे के सेसून डाक अस्पताल भेज दिए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पता चला कि महिला के साथ मारपीट कर उस का गला चीरा गया था जबकि बच्चे की हत्या गला दबा कर की गई थी.
हालांकि उन दोनों के शव पुलिस को 2 थानों में अलगअलग मिले थे लेकिन पुलिस का अंदाजा था कि उन दोनों की हत्याओं में किसी एक व्यक्ति का ही हाथ रहा होगा. मृतका महिला और बच्चे की शक्लसूरत हूबहू होने के कारण आशंका यह भी व्यक्त की जा रही थी कि वे दोनों शव मांबेटे के भी हो सकते हैं. हत्यारे ने पुलिस को भ्रमित करने के लिए शवों को अलगअलग फेंका होगा. घटना 15 जून, 2021 की थी. उस दिन सासवड़ पुलिस थाने के प्रभारी अन्ना साहेब धोलप को फोन पर किसी व्यक्ति ने बताया कि तालुका परंदर के दखल गांव के पास एक महिला का शव पड़ा हुआ है. मामला शायद हत्या का लग रहा है.
उक्त जानकारी पा कर थानाप्रभारी अन्ना साहेब धोपल तुरंत अपने सहायकों को ले कर घटनास्थल पर पहुंच गए. रास्ते में ही उन्होंने इस मामले की जानकारी अपने वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी थी. घटनास्थल पर पहुंच कर थानाप्रभारी अन्ना साहेब धोलप ने शव का बारीकी से निरीक्षण किया. पूछताछ और शिनाख्त से यह मालूम हुआ कि मृतका उस इलाके की नहीं थी. लेकिन वहां से कुछ दूर स्थित दखल होटल और सड़क पर लगे सीसीटीवी कैमरे के फुटेज में उस का चेहरा साफ नजर आया था. ब्रेजा कार में वह एक पुरुष और एक बच्चे के साथ थी. घटनास्थल की जांचपड़ताल करने के बाद शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया. फिर वह सीसीटीवी कैमरों की फुटेज अपने कब्जे में ले कर थाने लौट आए.
अब तक मामले की खबर मिलने पर पुणे के जौइंट पुलिस कमिश्नर अशोक मोराले, डीसीपी सागर पाटिल और क्राइम बांच के डीसीपी श्रीनिवास घाडगे सासवड़ पुलिस थाने पहुंच गए थे, जहां उन्होंने मामले की गंभीरता पर गहराई से विचारविमर्श कर जांच की जिम्मेदारी थानाप्रभारी को सौंप दी. अपने वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देश पर थानाप्रभारी अन्ना साहेब घोलप मामले की रूपरेखा तैयार कर जांच की दिशा तय करते, इस के पहले ही उस कड़ी में एक दूसरी कड़ी भी जुड़ गई थी. यह कड़ी भारती विद्यापीठ पुलिस थाने से जुड़ी हुई थी, जो हैरान कर देने वाली थी.
खबर के अनुसार भारती विद्यापीठ थाने के थानाप्रभारी जगन्नाथ कलसकर को पुणे के दत्तनगर स्थित कागज घाट सुरंग के जामुलकर वाड़ी के पास एक मासूम बच्चे का शव पड़े होने की जानकारी मिली थी. पुलिस कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के बाद वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने भी घटनास्थल का दौरा किया. पुलिस अधिकारी यह देख कर चौंक गए कि वह ब्रेजा कार इस मामले में भी इस्तेमाल की गई थी जो उस महिला के मामले में की थी. बच्चे का शव वहां डालने के बाद वह पुणे सतारा रोड की तरफ निकल गई थी. कुछ घंटों के अंतराल में एक महिला और एक बच्चे के शव के मिलने के कारण दूसरे दिन खबर फैलते ही जहां शहर में हलचल मच गई थी, वहीं पुलिस की जिम्मेदारियां भी बढ़ गई थीं.
मामला कहीं रोड पर न आ जाए, इस के लिए डीसीपी सागर पाटिल और डीसीपी श्रीनिवास घाडगे ने मामले को गंभीरता से लिया. उन्होंने स्वयं मामले की जांच की जिम्मेदारी संभाली थी. अब उन का लक्ष्य था मामले की उस तीसरी कड़ी का, जो उन दोनों हत्याओं में इनवाल्व था. उन का मानना था कि यह घटना किसी पारिवारिक समस्या से जुड़ी हो सकती है. उन्होंने घटनास्थलों पर मिले सीसीटीवी फुटेज को गहराई से खंगाला और उस कार के नंबर को देखा तो वह टैक्सी थी. इस के बाद पुलिस उस ट्रैवल कंपनी की तलाश में जुट गई, जिस के अधीन वह टैक्सी चल रही थी. इस के पहले कि पुलिस उस कार और ट्रैवल कंपनी तक पहुंचती उस से पहले ही उस ट्रैवल कंपनी का कर्मंचारी पुलिस के पास पहुंच गया.
दरअसल, हुआ यह था कि कार जब अपने तयशुदा समय पर कंपनी नहीं पहुंची तो ट्रैवल कंपनी उस की तलाश में लग गई थी. कंपनी कर्मचारी पहले बुकिंग कस्टमर आबिद शेख के घर गया. वहां पर जब उन्हें आबिद शेख नहीं मिला तो पड़ोसियों से पूछताछ की. पड़ोसियों ने भी उस के बारे में अनभिज्ञता जाहिर की. जब मामला गंभीर लगा तो कंपनी ने टैक्सी में जीपीएस के सहारे टैक्सी का पता लगा लिया. वह टैक्सी पुणे-सतारा रोड के मार्केट यार्ड की एक दुकान के सामने लावारिस हालत में खड़ी थी. इस बात की जानकारी उन्होंने सासवड़ पुलिस अधिकारियों को दे दी.
पुलिस उस कार तक पहुंची तो कार की तलाशी में रक्तरंजित कपड़ों और चाकू के मिलने से यह बात साफ हो गई थी कि वह कपड़े मृतका और बच्चे के थे, जिस की हत्या कर हत्यारे ने पूरे पुणे शहर में सनसनी फैला दी. हत्यारे आबिद शेख ने ऐसा क्यों किया था, इस के पीछे उस की क्या मजबूरी थी, यह रहस्य जांच का विषय था. पुलिस ने उस ट्रैवल कंपनी के औफिस में जा कर पूछताछ की तो पता चला कि आबिद शेख ने 11 जून, 2021 को 2 दिनों के लिए अपने परिवार सहित पिकनिक पर जाने के लिए वह टैक्सी बुक की थी. उस ने कहा था कि कार वह खुद ही चलाएगा, ड्राइवर की जरूरत नहीं है. इस के बाद उस ने अपनी बुकिंग 2 दिनों के लिए बढ़ा दी.
बुकिंग के अनुसार उसे कार 14 जून, 2021 को सुबह वापस कर देनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ. 15 जून, 2021 की शाम तक जब आबिद शेख ने कंपनी को कार नहीं लौटाई तो कंपनी कर्मचारियों ने कार की तलाश शुरू कर दी. कार अपने कब्जे में लेने के बाद पुलिस टीम ने घटनास्थल और लोगों से पूछताछ कर वहां लगे सीसीटीवी कैमरों के फुटेज देखे तो मालूम हुआ कि आबिद शेख वह कार रात 12 बजे छोड़ कर के हजर गेट की तरफ पैदल ही निकल गया था. सामान के नाम पर उस के पास सिर्फ एक छोटा सा बैग था. कुछ दूर तक वह पैदल चलता हुआ दिखाई दिया था. इस के बाद वह किसी वाहन से निकल गया था.
अब एक तरफ जहां दोनों थानों की पुलिस सरगरमी से आबिद शेख को तलाश रही थी वहीं दूसरी ओर उसे ले कर गांव का पूरा परिवार परेशान था. 16 जून का पूरा दिन निकल गया और आबिद शेख का जब परिवार से कोई संपर्क नहीं हुआ तो उस के घर वालों ने पुणे में रहने वाले उस के चचेरे भाई रहमान को फोन कर आबिद का पता लगाने के लिए कहा. क्योंकि 14 जून की रात साढे़ 9 बजे के बाद उस से कोई संपर्क नहीं हुआ था. रहमान जब आबिद शेख की खैरियत जानने के लिए उस के घर गया तो घर में ताला झूल रहा था. पासपड़ोस वालों ने उसे जो कुछ बताया, उसे सुन कर वह सन्न रह गया था. पहले कार कंपनी के लोग, बाद में पुलिस भी आ कर वहां से चली गई थी. उस का कोई पता नहीं है.
यह जानकारी पाते ही आबिद शेख के पिता 17 जून, 2021 की सुबह पुणे पहुंच गए. मामले की गंभीरता को समझते हुए वह जौइंट सीपी अशोक मराले से मिले. उन्होंने उन्हें सारी बातें बता दी. इस के बाद उन्होंने आबिद शेख की गुमशुदगी की शिकायत दर्ज करवा दी. अस्पताल की मोर्चरी पहुंच कर उन्होंने पोते और बहू के शव की शिनाख्त कर उसे अपने कब्जे में ले कर उस का कफनदफन कर दिया था. अब पुलिस की सब से बड़ी प्राथमिकता थी आबिद शेख की तलाश. उस के पास पासपोर्ट था. इस के लिए पुलिस ने उस के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर एयरपोर्ट पर पाबंदी लगवा दी थी. ताकि वह विदेश न भाग सके.
आबिद शेख की तलाश में पुलिस अपनी कोई नई रणनीति तैयार करती, उस के पहले ही आबिद शेख की गुमशुदगी का रहस्य उजागर हो गया. उस का शव खालापुर के खडकवासा बैंक की झील में तैरता हुआ हवेली थाने की पुलिस ने बरामद कर लिया. 19 जून, 2021 की सुबह इस की खबर वहां के कुछ स्थानीय मछुआरों ने पुलिस को दी थी. खबर मिलते ही हवेली पुलिस थाने की पुलिस तुरंत मौके पर पहुंच गई थी. उन्होंने जब शव की तलाशी ली तो उस का आधार कार्ड, पैन कार्ड और उस के अन्य सामानों को देख कर पुलिस को सारा मामला समझ में आ गया था. उन्होंने तत्काल इस मामले की जानकारी पुणे शहर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को दी.
खबर मिलते ही पुणे की पुलिस वहां पहुंच गई. 9 दिनों तक चले इस मामले की सारी कडि़यां जुड़ने के बाद इस दोहरे हत्या और आत्महत्या की जो मार्मिक कहानी उभर कर सामने आई थी, उस की पृष्ठभूमि कुछ इस प्रकार थी. 38 वर्षीय स्वस्थ सुंदर आबिद शेख मध्य प्रदेश के जिला विदिशा का रहने वाला था. उस के पिता का नाम अब्दुल शेख था. वह मध्य प्रदेश में ही जिला नियोजन अधिकारी के पद पर तैनात थे. परिवार शिक्षित और सभ्य था. घर में किसी चीज की कोई कमी नहीीं थी. परिवार में 2 भाई थे. बड़ा भाई कनाडा में सेटल था. आबिद के पास भी कनाडा की नागरिकता थी लेकिन वह वहां रहता नहीं था. घूमनेफिरने के लिए जाता जरूर था. लेकिन उसे वहां का वातावरण अच्छा नहीं लगता था. इसलिए वह घूमफिर कर वापस अपने देश लौट आता था.
अपना ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद वह 2007 में सर्विस की तलाश में पुणे आ गया था. थोड़ी सी स्ट्रगल करने के बाद उस की नियुक्ति एक जीवन बीमा कंपनी में ब्रांच मैनेजर के पद पर हो गई थी. उस का अच्छा वेतन देख कर परिवार वाले बेहद खुश थे. यहीं पर आबिद शेख की मुलाकात आलिया शेख से हुई. 35 वर्षीय आलिया सुंदर युवती थी. वह मूलरूप से मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल की रहने वाली थी. आलिया शेख का परिवार भी आबिद शेख के परिवार से किसी माने में कम नहीं था. उस के पिता मध्य प्रदेश के वनरक्षक अधिकारी थे.
आलिया शेख परिवार की लाडली बेटी थी. पूरा परिवार उसे प्यार करता था. परिवार वाले उस की नौकरी के पक्ष में नहीं थे. लेकिन किसी तरह उस ने अपने परिवार को राजी कर लिया और वह पुणे की एक बड़ी प्राइवेट कंपनी में अच्छे पद पर काम करने लगी थी. 2009 में अपनी एक जीवन बीमा पौलिसी के सिलसिले में जब वह बीमा कंपनी में आबिद शेख से मिली तो वह उस से काफी प्रभावित हुई थी. यही हाल आबिद का भी था. आलिया की सुंदर छवि उस के दिमाग पर पूरी तरह हावी हो गई थी. वह आलिया की पौलिसी का काम कर के उस के काफी करीब आ गया था.
छोटीछोटी मुलाकातें जब आगे बढ़ीं तो दोनों के दिलों में प्यार का अंकुर फूटने लगा. कुछ ही दिनों में उस ने वृक्ष का रूप धारण कर लिया. कुछ दिनों तक कौफी शौप, मौलों में घूमनेफिरने के बाद वह अपनी एक सुंदर गृहस्थी बसाने का सपना देखने लगे थे. दोनों ने निकाह कर के एक साथ रहने का फैसला कर लिया. यह बात जब दोनों के घर वालों को मालूम पड़ी तो उन्होंने इस का विरोध किया. उन्हें हर तरह से समझाया. ऊंचनीच का वास्ता दिया. लेकिन घर वालों की बातों की परवाह किए बिना ही दोनों ने अपने कुछ दोस्तों को साथ ले कर निकाह कर लिया. निकाह के कुछ दिनों बाद तक तो परिवार उन से नाराज रहा, लेकिन फिर सब कुछ ठीक हो गया था. परिवार वालों ने उन के निकाह को मान्यता दे दी.
निकाह के 2 साल बाद 2013 में वह पुणे के घानोरी इलाके में स्थित किराए के एक फ्लैट में आ कर रहने लगे. दोनों पतिपत्नी खुश थे. यहां शिफ्ट हुए अभी कुछ दिन ही हुए थे कि आलिया गर्भवती हो गई थी. उस ने सुंदर से बच्चे को जन्म दिया जिस का नाम उन्होंने अयान रखा. बच्चे के जन्म से दोनों बेहद खुश थे. दोनों थकेहारे जब अपने काम से लौटते थे तो बच्चे को देख कर उन की थकान उतर जाती थी. समय अपनी गति से चलता रहा. पतिपत्नी उस के भविष्य के लिए सुंदरसुंदर सपने बुनते रहे. लेकिन ये सारे सपने तब कांच की तरह टूट कर बिखर गए जब उन्हें मालूम पड़ा कि उन का बच्चा मानसिक रूप से ठीक नहीं है.
डाक्टरों के अनुसार, बच्चा औटिज्म नामक बीमारी से ग्रस्त था. यह जान कर दोनों पतिपत्नी का अस्तित्व हिल गया था. बच्चे को संभालने के लिए जहां एक तरफ आलिया को अपनी नौकरी छोड़नी पड़ी थी. वहीं दूसरी ओर बच्चे को ले कर आबिद शेख की मानसिक स्थिति बिगड़ती चली गई. वह बच्चे की बीमारी को ले कर हताश और निराश रहने लगा था. बच्चे के स्वास्थ्य को ले कर पतिपत्नी में अकसर लड़ाई होने लगी थी. यहां तक कि दोनों में मारपीट की नौबत भी आ जाती थी. आखिरकार रोजरोज के झगड़ों और मारपीट से तंग आ कर आबिद ने एक खतरनाक फैसला कर लिया. इस के लिए उस ने पिकनिक का सहारा लिया.
अकसर पिकनिक पर जाने के कारण आलिया को कोई संदेह नहीं हुआ. वह खुशीखुशी पिकनिक पर जाने के लिए तैयार हो गई थी. पिकनिक की योजना तैयार कर आबिद ने पहले 2 दिनों के लिए एक ट्रैवल कंपनी से एक ब्रेजा कार किराए पर ली. और 2-3 दिनों तक वे इधरउधर घूमते रहे.14 जून, 2021 को उन के परिवार वालों का फोन आया. फोन पर आबिद ने कहा कि वे आधे घंटे में अपने घर पहुंच जाएंगे. इस बीच उन्होंने होटल में खाना खाया. खाना खाने के बाद वे होटल से बाहर आए तो आलिया और आबिद में कहासुनी शुरू हो गई. जिस के चलते पहले दोनों में मारपीट हुई.
इस के बाद आबिद ने चाकू से काट कर उसे ठिकाने लगा दिया. उस का शव सुनसान जगह पर छोड़ने के बाद मासूम बच्चे का भी गला दबा कर उस की हत्या कर दी. और उसे ला कर पुणे के कागज घाट सुरंग के जाभुलकर वाड़ी में डाल दिया था. इस के बाद पुणे-सतारा रोड पर कार छोड़ कर वह अपने अपराध का प्रायश्चित करने के लिए खडकवासा बैंक की गहरी झील के पास गया और उस झील में कूद कर आत्महत्या कर ली. विस्तृत जांचपड़ताल के बाद पुलिस जांच टीम ने हत्या-आत्महत्या करने वालों में कोई जीवित न होने के कारण मामले की फाइनल रिपोर्ट लगा कर मामला बंद कर दिया था. Crime Story Real