Social Crime Story : 45 वर्षीय टीचर इंद्रकुमार तिवारी द्वारा कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के सामने अपनी शादी होने की बात कहने का वीडियो बड़ी तेजी से वायरल हो गया था. इस का नतीजा यह निकला कि उन के पास देवरिया से शादी का प्रस्ताव गया. वह बहुत खुश हुए. उन की शादी हो भी गई, लेकिन सुहागरात से पहले उन के साथ जो हुआ, उस की कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था.

इंद्रकुमार तिवारी अपने घर पर दोपहर का खाना खा कर आराम कर रहे थे, तभी उन के मोबाइल की घंटी बजी. जैसे ही इंद्रकुमार ने काल रिसीव की, दूसरी तरफ से आवाज आई, ”हैलो, इंद्रकुमार तिवारीजी बोल रहे हैं क्या?’’

”जीहां, मैं इंद्रकुमार ही बोल रहा हूं, कहिए क्या काम है?’’ इंद्रकुमार ने जबाव दिया.

”देखिए, मैं उत्तर प्रदेश के देवरिया से संदीप तिवारी बोल रहा हूं. अपनी बहन खुशी के विवाह के लिए आप से मिलना चाहता हूं.’’ संदीप तिवारी ने कहा.

”आप अपनी बहन का फोटो और बायोडाटा भेज दीजिए, फिर इस के बाद आगे देखा जाएगा. संयोग बना तो रिश्ता बन सकता है.’’ इंद्रकुमार ने जवाब दिया.

”फोटो तो मैं भेज दूंगा, लीजिए मेरी बहन खुशी से बात कर लीजिए.’’ यह कह कर संदीप ने खुशी को मोबाइल पकड़ा दिया.

”हैलो, मैं खुशी बोल रही हूं. मैं ने आप का एक वीडियो सोशल मीडिया पर देखा था, जिस में आप अनिरुद्धाचार्यजी से अपनी शादी के संबंध में बात कर रहे थे. वीडियो देख कर मैं आप के व्यक्तित्त्व से बहुत प्रभावित हुई और अपने भाई से शादी के बारे में बात की तो इन्होंने आप का मोबाइल नंबर खोज कर आप से बातचीत कर ली.’’

”अच्छा, मुझे जान कर बहुत खुशी हुई कि आप मुझ से शादी करना चाहती हैं, मगर हम गांव में रहने वाले गेस्ट टीचर हैं, थोड़ीबहुत खेतीबाड़ी भी है. मेरे परिवार में मेरे अलावा और कोई नहीं है. क्या यह सब जान कर भी तुम्हें रिश्ता मंजूर है?’’ इंद्रकुमार ने कहा.

”मैं भी ग्रैजुएट हूं, जनरल कोटा की वजह से कहीं नौकरी नहीं मिली तो घर संभाल रही हूं. मैं घर के सभी काम कर लेती हूं. मेरे भी मम्मीपापा नहीं हैं. मेरे भाई ही मेरी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. माली हालत भी ठीक नहीं है. मेरी तरफ से तो हां है, बाकी फैसला भैया के हाथ है. लीजिए, भैया को फोन दे रही हूं. इन से बात कर लीजिए.’’ इतना कहते ही फोन संदीप तिवारी को दे दिया.

”हां तिवारीजी, मैं खुशी की फोटो आप को भेजता हूं और यदि आप की सहमति हो तो मैं आप से मिलने आ जाऊंगा.’’ संदीप तिवारी बोला.

”हां भाई, यहां आ कर मेरा घरद्वार जरूर देख लीजिए. आखिर आप की बहन की जिंदगी का सवाल है.’’ इंद्रकुमार ने सहमति देते हुए कहा. यह बात 17 मई, 2025 की है.

इंद्रकुमार तिवारी की उम्र करीब 45 साल हो चुकी थी, मगर उन की शादी नहीं हो पा रही थी. ऐसे में शादी का रिश्ता आते ही इंद्रकुमार का मन खुशी से उछल रहा था. गांव में थोड़ीबहुत जमीनजायदाद और सरकारी स्कूल में 14 हजार रुपए की नौकरी इंद्रकुमार की गुजरबसर के लिए काफी थी, मगर आसपास के इलाकों में कोई उन्हें लड़की ब्याहने को तैयार नहीं था. आसपड़ोस के लोग भी इंद्रकुमार की शादी में बांधा बने हुए थे, इस लिहाज से इंद्रकुमार ने लड़की वालों को जब घर बुलाया तो उन्होंने अपने चचेरे भाइयों तक को खबर नहीं दी थी.

26 मई, 2025 को खुशी का रिश्ता ले कर संदीप तिवारी मध्य प्रदेश के जबलपुर पहुंचा और अपनी बहन खुशी के कुछ और फोटो मोबाइल में दिखाए. इंद्रकुमार को लड़की पसंद थी, इसलिए बातचीत के बाद दोनों तरफ से शादी पक्की हो गई. बातचीत के दौरान तय हुआ कि उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 5 जून, 2025 को खुशी के साथ इंद्रकुमार का विवाह होगा. इंद्रकुमार ने संदीप तिवारी को शगुन के रूप में 1100 रुपए भी दिए. इस के बाद संदीप जबलपुर से वापस लौट गया.

इंद्रकुमार शादी तय होने से इतना खुश थे कि वह अपनी शादी में सब कुछ लुटाने को तैयार थे. यही वजह थी कि इंद्रकुमार ने अपनी एक एकड़ जमीन गिरवी रख कर करीब डेढ़ लाख रुपए जुटा कर मझौली कस्बे के ही एक सुनार से गहने बनवाए. कुछ पुश्तैनी आभूषण भी उस के पास थे. सोनेचांदी के गहने के साथ कुछ कैश ले कर वह 2 जून को गोरखपुर रवाना हो गए. 3 जून को वह गोरखपुर के एक होटल में रुके. उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में 5 जून को एक होटल में खुशी के साथ उन की शादी कराई गई.

इंद्रकुमार ने शादी के बाद 5 जून को ही खुशी के साथ अपना फोटो अपने फेमिली वालों और पड़ोसियों को भेजते हुए कहा था कि विवाह के बाद दुलहन को ले कर 6 जून को गांव वापस आ जाएंगे, लेकिन 5 जून को विवाह के फोटो भेजने के बाद से ही इंद्रकुमार का फोन स्विच्ड औफ हो गया.

अनिरुद्धाचार्य से लगाई थी शादी कराने की गुहार

सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर के रूप में नौकरी करने वाले इंद्रकुमार तिवारी मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले के छोटे से गांव पड़वार के रहने वाले थे. वह गांव में अकेले ही रहते थे. उन के पास 3 एकड़ जमीन थी. इंद्रकुमार ने बचपन में ही अपने मांबाप को खो दिया था. इंद्रकुमार से छोटे 4 भाई उन्हीं पर आश्रित थे. समय के साथ 3 भाइयों की बीमारी की वजह से मृत्यु हो गई. इंद्रकुमार के साथ एक छोटा भाई अभी भी रहता है, लेकिन वह भी कुछ करने में सक्षम नहीं है. उस की सारी जिम्मेदारी भी इन्हीं के ऊपर थी.

इंद्रकुमार सुबह जल्दी उठ कर खाना बना कर खेत चले जाते थे और वहां से आने के बाद स्कूल जाते थे और शाम को फिर खेत जा कर काम करते थे और रात को खाना बना कर भाई को भी खिलाते थे. इस तरह से उन का जीवन संघर्ष से भरा था. कथावाचक अनिरुद्धाचार्य भी इसी गांव के रहने वाले हैं. 2025 में 3 से 10 मई तक रिमझा गांव में अनिरुद्धाचार्य के प्रवचनों का आयोजन किया गया था. इसी दौरान शिक्षक इंद्रकुमार तिवारी इस शिविर में शामिल हुए थे. शिविर में उन्हें भी अनिरुद्धाचार्य से सवाल करने का मौका मिला था. तब उन्होंने माइक लेते हुए उन से सवाल पूछा, ”महाराजजी, मेरी शादी कब होगी?’’

”क्या करते हो तुम? कुछ कामधंधा करते हो कि नहीं?’’ अनिरुद्धाचार्य ने पूछा.

”महाराजजी,  मैं गांव के सरकारी स्कूल में गेस्ट टीचर हूं. मेरे पास 18 एकड़ जमीन है, अच्छी प्रौपर्टी है, लेकिन मेरी शादी नहीं हो पा रही है.’’ इंद्रकुमार ने अनिरुद्धाचार्य को बताया.

”कितनी उम्र हो गई है तुम्हारी?’’

”महाराजजी, 45 साल का हो गया हूं.’’

”तो फिर क्या जरूरत है शादी की, साधु बन जाओ और लोगों का कल्याण करो.’’ चुटकी लेते हुए अनिरुद्धाचार्य ने कहा.

”महाराजजी, मेरा वंश कैसे चलेगा, इसलिए शादी करना जरूरी है.’’

”लोगों को पता है कि तुम्हारे पास 18 एकड़ जमीन है?’’

”हां महाराजजी, इस के बावजूद भी  कोई लड़की शादी के लिए राजी नहीं है.’’ इंद्रकुमार बोले.

”अब जब लड़कियों को पता चलेगा तो तुम से शादी करने को जरूर राजी होंगी.’’ अनिरुद्धाचार्य ने दिलासा देते हुए कहा.

बाद में सवालजवाब का वीडियो सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हुआ था. इसी वीडियो को देख कर खुशी और कौशल ने इंद्रकुमार से शादी के लिए संपर्क किया था. मझौली से इंद्रकुमार के जाने के बाद पड़ोसी सुरेंद्र तिवारी ने अगले दिन 6 जून को इंद्रकुमार को फोन किया तो एक महिला ने फोन रिसीव करते हुए कहा, ”अभी वो बात नहीं कर पाएंगे, सो रहे हैं.’’

जब  दोबारा फोन करने पर पूछा गया तो वह महिला इंद्रकुमार से बात कराने की बात को टालती रही. जब इंद्रकुमार का फोन स्विच्ड औफ बताने लगा तो चचेरे भाइयों ने मझौली थाने में 8 जून को इंद्रकुमार की गुमशुदगी दर्ज करा दी. चचेरे भाइयों को इंद्रकुमार की खोजबीन करतेकरते लगभग 20 दिन बीत चुके थे. इसी दौरान पुलिस ने परिजनों को बताया कि उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में एक 40-45 साल के व्यक्ति का शव मिला है.

दरअसल, 6 जून, 2025  को उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले के हाटा कोतवाली क्षेत्र के सुकरौली गांव में मझना नाले के पास झाडिय़ों में एक व्यक्ति की लाश मिली थी. लाश खून से सनी हुई थी और गले में चाकू फंसा हुआ था. लाश मिलने की सूचना बकरी चराने वाली महिलाओं ने पुलिस को दी थी. शव की शिनाख्त नहीं होने पर पुलिस ने उस का विवरण सेंट्रल पोर्टल पर अपलोड किया. इस के बाद मध्य प्रदेश के जिला जबलपुर की मझौली पुलिस ने कुशीनगर पुलिस से संपर्क साधा और इंद्रकुमार के फेमिली वालों को ले कर एक टीम कुशीनगर रवाना हो गई. कुशीनगर जा कर जब पुलिस ने शव की शिनाख्त कराई तो वह शव इंद्रकुमार तिवारी का ही निकला.

शव की पहचान इंद्रकुमार के रूप में होने के बाद कुशीनगर पुलिस मोबाइल काल डिटेल्स, सर्विलांस और मुखबिरों की मदद से हत्याकांड का परदाफाश करने में जुट गई. इंद्रकुमार के पड़ोसी और चचेरे भाई के मोबाइल में मिली फोटो से पुलिस ने शादी करने वाली खुशी और संदीप तिवारी की तलाश शुरू कर दी. इस के लिए 400 सीसीटीवी कैमरों और 700 वाहनों को खंगालने के बाद  कुशीनगर पुलिस ने घटना का परदाफाश कर दिया.

पुलिस ने इस मामले में गोरखपुर, झंगहा के मीठाबेल गांव की साहिबा बानो उर्फ खुशी तिवारी, बिछिया कालोनी में रहने वाले देवरिया, गौरीबाजार स्थित सांडा के मूल निवासी संदीप तिवारी उर्फ कौशल कुमार गौर तथा झंगहा के सोनबरसा स्थित कोनी के रहने वाले शमसुद्दीन अंसारी को तितला गांव के पास ढाबे से गिरफ्तार कर लिया. हत्यारोपियों से जब सख्ती से पूछताछ की गई तो उन्होंने इंद्रकुमार की हत्या कर शव को झाडिय़ों में फेंकने का जुर्म स्वीकार कर लिया. घटना में प्रयुक्त चाकू भी बरामद हो गया है.

काल बन गई सुहागरात

पुलिस पूछताछ में यह बात भी सामने आई कि हत्या की मास्टरमाइंड खुशी तिवारी का असली नाम साहिबा बानो है और अपने आप को खुशी का भाई बताने वाला संदीप उस का प्रेमी कौशल गौर था. जिन्होंने ङ्क्षहदू नाम रख कर और उसी नाम का फरजी आधार कार्ड बनवा कर इंद्रकुमार को ठगने का प्लान  तैयार किया था.

5 जून को गोरखपुर मंडल के जिला कुशीनगर के कसया इलाके में एक होटल बुक हुआ. वहीं इंद्रकुमार तिवारी और खुशी तिवारी की शादी कराई गई. जयमाला पहनाई गई, मांग में सिंदूर भरा गया, फोटो और वीडियो शूट कर शादी को वैधता देने की कोशिश की गई. इंद्रकुमार इस रिश्ते को ले कर पूरी तरह आश्वस्त थे. लेकिन सुहागरात की रात जब इंद्रकुमार अपनी नईनवेली दुलहन के साथ एक नई जिंदगी शुरू करने की उम्मीद में होटल के कमरे में थे, उसी रात उन की पत्नी और उस के प्रेमी ने मौत की पटकथा पूरी कर ली.

इंद्रकुमार तिवारी ने बड़े अरमानों के साथ अपनी होने वाली दुलहन खुशी तिवारी की मांग में सिंदूर भरा. जयमाला पहनाई, तसवीरें खिंचवाईं, वीडियो शूट हुआ. हर पल को उन्होंने अपने नए जीवन की शुरुआत मान कर जी लिया. उन्हें क्या पता था कि यही पल उन की जिंदगी का आखिरी पल साबित होगा. शादी की तमाम रस्मों के बाद सुहागरात की तैयारी चल रही थी. इंद्रकुमार तिवारी अपनी नईनवेली दुलहन के साथ भविष्य के सपनों में खोए हुए थे. एक तरफ वह शादी के सपनों में खोए थे तो दूसरी तरफ साहिबा बानो उर्फ खुशी तिवारी और संदीप तिवारी उर्फ कौशल साजिश को अंजाम तक पहुंचाने की तैयारी में जुटे थे.

खुशी तिवारी ने इंद्रकुमार से शादी से पहले ही एक हलफनामा बनवाया, जिस में लिखा गया कि इंद्रकुमार की मृत्यु के बाद उन की 18 एकड़ जमीन की मालिक खुशी और उस का भाई संदीप (असल में प्रेमी कौशल) होंगे. इंद्र ने इस पर भरोसे से इसलिए दस्तखत  कर दिए कि शादी के बाद उस की प्रौपर्टी की असली वारिस खुशी ही तो होगी.

सुहागरात से ठीक पहले, जब होटल में रात का भोजन होना था तो खुशी ने अपने प्रेमी कौशल के साथ मिल कर पनीर राइस में नींद की गोलियां मिला दीं. खाना खाने के करीब घंटे भर बाद इंद्रकुमार जैसे ही बेहोश हुए, खुशी तिवारी ने अपने प्रेमी कौशल और ड्राइवर शमसुद्दीन अंसारी के साथ मिल कर इंद्रकुमार को कार में डाला और कुशीनगर के एक सुनसान इलाके में ले जा कर चाकू से गोदगोद कर बेरहमी से हत्या कर दी. इस के बाद शव को झाडिय़ों में फेंककर तीनों फरार हो गए.

इंद्रकुमार घर पर वह यही बोल कर निकले थे कि 4-5 दिन में बहू ले कर गांव वापस आ जाएंगे. शादी के लिए उन्होंने अपने हिस्से के जेवर और पैसे भी ले लिए थे. पड़ोसियों ने भी उन्हें समझाया कि किसी को पैसों का लालच दे कर शादी मत करो, लेकिन उन की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी. पुलिस की पूछताछ में यह बात भी सामने आई है कि कौशल और साहिबा का प्लान टीचर को तुरंत मारने का नहीं था. उन का इरादा था कि शादी के बाद खुशी टीचर के साथ मध्य प्रदेश के गांव में जाएगी और वहां कुछ दिन उन के साथ रहेगी. फिर इंद्रकुमार की हत्या कर उन्हें ठिकाने लगा दिया जाएगा, ताकि किसी को शक न हो और इंद्रकुमार की विधवा होने के नाते पूरी प्रौपर्टी उसी की हो जाएगी.

मगर बात तब बिगड़ गई, जब साहिबा ने अपने नाम पर जमीन का हलफनामा बनवाने के लिए इंद्रकुमार से जमीन के कागजात मंगवाए. कागजात देख कर पता चला कि टीचर के पास 18 एकड़ नहीं, सिर्फ 3 एकड़ ही जमीन है. इस के बाद खुशी और कौशल ने टीचर की लूट के बाद हत्या का प्लान बना लिया. हलफनामे पर साइन करने के बाद इन लोगों ने इंद्रकुमार तिवारी की हत्या कर दी.

इंद्रकुमार को मारने के बाद खुशी उस का सेलफोन इस्तेमाल कर रही थी. जब पुलिस ने जांचपड़ताल के बाद इंद्र के नंबर पर काल किया तो वह बंद मिला, जिस से पुलिस को शक हुआ. फोन की लोकेशन ट्रेस करते हुए पुलिस खुशी तक पहुंची. खुशी से पूछताछ के बाद केस की सारी परतें खुलती चली गईं. फिलहाल तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया गया है. कौशल गौर और साहिबा बानो गोरखपुर के रहने वाले हैं. दोनों के प्रेम प्रसंग की वजह से इन के घर वालों ने भी इन से नाता तोड़ लिया था. इसलिए दोनों देवरिया में रहने लगे. यहां कौशल मजदूरी करता था और किराए के कमरे में साहिबा के साथ पतिपत्नी के रूप में रहता था.

साहिबा बानो और उस के प्रेमी ने देखा कि इंद्रकुमार के पास जमीन के साथसाथ नौकरी भी है और वह विवाह करने के लिए परेशान है. इसी बात का फायदा उठाते हुए दोनों ने फरजी शादी कर उस का धन हड़पने की योजना बनाई. सब से पहले साहिबा बानो ने इंद्रकुमार पर प्रभाव डालने और खुद को उस का सजातीय बताने के लिए खुशी तिवारी नाम से फरजी आधार कार्ड बनवाया. इस के बाद सोशल मीडिया पर खुशी तिवारी नाम से ही अपना अकाउंट बना कर इंद्रकुमार से चैटिंग शुरू की. जिस से इंद्रकुमार जल्द ही उस के झांसे में आ गए.

एसपी संतोष कुमार मिश्रा ने 27 जून को प्रैस कौन्फ्रेंस कर केस का खुलासा किया. पुलिस ने महिला समेत तीनों आरोपियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया, जहां से उन्हें जेल भेज दिया गया.

 

 

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