Karnataka News : पुलिस रस्सी को सांप किस तरह बनाती है, इस कहानी से स्पष्ट हो जाता है. सुरेश नाम के युवक की पत्नी मल्लिगे के अचानक गायब हो जाने पर पुलिस ने उस की खोजबीन तो नहीं की, बल्कि 9 महीने बाद किसी महिला का कंकाल मिलने पर पुलिस ने वह कंकाल लापता मल्लिगे का बताते हुए हत्या के आरोप में उस के पति सुरेश को ही जेल में ठूंस दिया, लेकिन इस के बाद सच्चाई सामने आने पर कोर्ट में पुलिस की ऐसी फजीहत हुई कि…

अधिकांश अपराध कथाओं में पुलिस आरोपियों को गिरफ्तार करती है. पर यह कहानी ऐसी कहानियों से थोड़ा अलग है. जब पिटाई करने वाले अध्यापक को स्कूल का प्रिंसिपल क्लास में आ कर विद्यार्थियों के सामने डांटता है तो बच्चे खूब खुश होते हैं. कुछ ऐसी ही परिस्थिति 4 अप्रैल, 2025 को कर्नाटक के जिला मैसूर की कोर्ट में बनी थी. मैसूर की पंचम एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट में जज गुरुराज सोमक्कलावर अपनी बात कह रहे थे तो उन की आवाज में पीड़ा के साथ आक्रोश भी था.

उन के सामने जिला मैसूर के एसपी एन. विष्णुवर्धन बड़े अदब के साथ खड़े थे. उन के बगल में जिला कोडागु के एसपी सिर झुकाए खड़े थे. इन्हीं लोगों के साथ खड़े इन के अंडर में काम करने वाले थाना बेट्टाडापुरा के 5 पुलिसकर्मियों की हालत तो ऐसी थी कि काटो तो खून न निकले. वह वहां दयनीय हालत में थे. अब क्या होगा, यह सोचसोच कर सभी परेशान थे. जज साहब इन लोगों से जो सवाल पूछ रहे थे, तात्कालिक जवाब देने की की इन में से किसी की हिम्मत नहीं थी. नाराज जज साहब ने कहा, ”जब से भारत आजाद हुआ है, तब से ले कर अब तक पुलिस विभाग की इतनी बड़ी लापरवाही का यह शायद तीसरा या चौथा मामला है.’’

इस के बाद जज साहब ने जिला मैसूर के एसपी को 13 दिनों का समय देते हुए आदेश दिया, ”जिला कोडागु के एसपी से मैं ने जोजो सवाल पूछे हैं, उन के जवाबों की जांच कर के 17 मार्च, 2025 तक कोर्ट में अपनी रिपोर्ट पेश करें.’’

अब आइए इस पूरे मामले के बारे में जानते हैं, जिसमें जज साहब ने अपनी अदालत में जिले के एसपी को तलब कर लिया था. कर्नाटक के जिला कोडागु की तहसील कुशलनगर के आदिवासी कैंप में तमाम मजदूर परिवार रहते थे. ये आदिवासी दिहाड़ी मजदूरी कर के अपना गुजारा करते थे. इन में कुरुबरा परिवार भी इसी तरह रहता था. बूढ़ी मां और पिता के साथ रहने वाले सुरेश का विवाह 18 साल की उम्र में ही हो गया था. उस की पत्नी का नाम मल्लिगे था. सुरेश और मल्लिगे के 2 बच्चे थे. बेटा 18 साल का और उस से 4 साल छोटी बेटी 14 साल की. पूरा परिवार मेहनतमजदूरी कर के शांति से रह रहा था.

12 दिसंबर, 2020 को इस परिवार पर आफत टूट पड़ी. रात को पूरा परिवार साथ खाना खा कर सोया था. परंतु सवेरे जब सभी उठे तो देखा मल्लिगे घर में नहीं थी. सुरेश और उस के दोनों बच्चों ने पूरे कैंप में दौड़दौड़ कर मल्लिगे को ढूंढा. पर मल्लिगे तो इस तरह गायब हो चुकी थी कि उस का कहीं पता ही नहीं चला. सुरेश के पिता तो बीमार ही थे, बूढ़ी मां बहू की तलाश में इधरउधर भटकती रही, पर मल्लिगे का कुछ पता नहीं चला. निराशा में डूबा परिवार पूरा दिन भूखाप्यासा बैठा रहा. शाम को सुरेश का दोस्त नंदू वहां आया. उस ने सभी को समझाया कि इस तरह बैठे रहने का कोई मतलब नहीं है. जा कर थाने में मल्लिगे के गायब होने की रिपोर्ट दर्ज कराओ. मल्लिगे जहां भी होगी, पुलिस उसे ढूंढ कर ले आएगी.

सुरेश उठा और नंदू के साथ थाना कुशलनगर रूरल पहुंचा. थाना पुलिस को मल्लिगे की फोटो दे कर सुरेश ने उस की गुमशुदगी दर्ज करा दी. गुमशुदगी दर्ज कर पुलिस ने पूछा कि उसे किसी पर शक तो नहीं है? नंदू कुछ कहने जा रहा था कि सुरेश ने उसे रोक कर कहा कि उसे किसी पर शक नहीं है. एक आदिवासी दिहाड़ी मजदूर की पत्नी को ढूंढने के लिए पुलिस अपना कितना समय और शक्ति गंवाती? इस की संभावना कम ही थी? समय बीतता गया, पर मल्लिगे का कुछ पता नहीं चला. हर 15 दिन पर सुरेश धक्का खाते हुए थाने जा कर मल्लिगे के बारे में पूछता कि कुछ पता चला? पर वहां से कोई जवाब न मिलता. इसलिए सुरेश ने उम्मीद छोड़ दी.

ठीक 9 महीने बाद सितंबर, 2021 में कावेरी नदी के किनारे झाडिय़ों के बीच एक मानव कंकाल के पड़े होने की सूचना मिलने पर पुलिस की दौड़भाग शुरू हो गई. जहां कंकाल मिला था, वह इलाका थाना वेट्टाडापुरा के अंतर्गत आता था, इसलिए थाना वेट्टाडापुरा की पुलिस टीम वहां पहुंच गई. उस कंकाल के पास साड़ी, हाथ में चूडिय़ां और पैर में लेडीज चप्पलें मिली थीं. इस से पुलिस को समझते देर नहीं लगी कि यह कंकाल किसी महिला का है. कंकाल की हालत देख कर पुलिस ने अनुमान लगाया कि 6-7 महीने पहले किसी ने इस महिला की हत्या कर के अपना अपराध छिपाने के लिए लाश को यहां ला कर छिपा दिया होगा.

थाना वेट्टाडापुरा के एसएचओ ने आसपास के थानों से पता किया कि पिछले 10 महीने में लगभग 30 साल की महिला की गुमशुदगी तो नहीं दर्ज कराई गई है? यदि दर्ज कराई गई है तो तत्काल पूरी जानकारी दें. उन्हें जवाब में थाना कुशलनगर रूरल की ओर से यही जवाब मिला कि सुरेश नाम के युवक ने दिसंबर 2020 में अपनी पत्नी मल्लिगे की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. थाना बेट्टाडापुरा पुलिस ने पंचनामा के समय सुरेश को बुलाया. अनपढ़ आदिवासी मजदूर सुरेश को देख कर पुलिस ने कुछ और सोचेविचारे बिना ही निर्णय कर लिया कि इसी आदमी ने अपनी पत्नी की हत्या की होगी.

ऐसा करने से यह कंकाल किस का है, यह भी पता करने का झंझट खत्म हो जाएगा और थाना कुशलनगर रूरल में मल्लिगे की गुमशुदगी की जो रिपोर्ट दर्ज है, उस का भी निपटारा हो जाएगा. इसी सुरेश ने अपनी पत्नी मल्लिगे की हत्या की है और यह कंकाल मल्लिगे का ही है, अगर इस तरह की व्यवस्था हो जाती है तो एक साथ तेजी से 2-2 मामलों का खुलासा करने का क्रेडिट भी मिल जाएगा. अनपढ़ सुरेश को लिखनापढऩा तो आता नहीं था. पर वह अपना नाम लिख कर दस्तखत करना सीख गया था. पंचनामे के बाद पुलिस ने सुरेश को कागज दे कर दस्तखत करने को कहा. पुलिस ने जहां कहा, सुरेश ने वहां दस्तखत कर दिए.

इस के बाद पुलिस ने सुरेश से कहा कि उस ने अपनी पत्नी की हत्या कर अपना अपराध छिपाने के लिए पुलिस में उस के गायब होने की झूठी शिकायत दर्ज कराई है. यह कंकाल उस की पत्नी मल्लिगे का है. सुरेश रोरो कर गिड़गिड़ाते हुए पुलिस से कहता रहा कि उस ने पत्नी की हत्या नहीं की है, पर पुलिस ने उसे मारपीट कर और धमका कर चुप करा दिया. कंकाल मल्लिगे का ही है, यह साबित करने के लिए मल्लिगे की मां गौरी को बुलाया गया. कंकाल के साथ गौरी के खून का नमूना डीएनए टेस्ट के लिए भेज दिया गया.

पुलिस डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने तक धैर्य नहीं रख सकी. पुलिस ने डीएनए टेस्ट की रिपोर्ट आने का इंतजार भी नहीं किया. फटाफट काम निपटाने के लिए रिपोर्ट आने के पहले ही पुलिस ने फाइनल चार्जशीट तैयार कर के कोर्ट में पेश कर दी. पुलिस ने सुरेश पर आरोप लगाया था कि उस ने अवैध संबंध के शक में पत्नी मल्लिगे की हत्या की है. इसी आरोप के आधार पर सुरेश को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश कर दिया गया था, जहां से उसे जेल भेज दिया गया था. सुरेश पुलिस के सामने गिड़गिड़ाता रहा कि उस ने हत्या नहीं की है, पर मारपीट, टार्चरिंग और इस के अलावा पूरे परिवार को जेल में डाल देने की धमकी के आगे सुरेश मजबूर था.

6 महीने बाद डीएनए टेस्ट रिपोर्ट आई. उस में स्पष्ट बताया गया था कि दोनों नमूने मैच नहीं हो रहे हैं, इसलिए यह कंकाल मल्लिगे का नहीं है. सुरेश के वकील पांडु पुजारी ने कोर्ट में डिस्चार्ज के लिए प्रार्थनापत्र दिया. अदालत ने डीएनए रिपोर्ट स्वीकार करने के बजाए विटनैस एग्जामिनेशन के लिए मल्लिगे की मां और उस के अलावा गांव के 7 लोगों को अदालत में लाने का आदेश दिया. सुरेश का दोस्त नंदू भी गवाहों की इस टीम में शामिल था. मल्लिगे की मां गौरी सहित सातों गवाहों ने अदालत को बताया कि मल्लिगे का एक अन्य युवक से प्रेम संबंध था. उसी के साथ वह भाग गई है. वह जीवित है. अगर उसे ढूंढ निकाला जाए तो सारी सच्चाई सामने आ जाएगी.

अदालत ने थाना बेट्टाडापुरा पुलिस और कुशलनगर रूरल पुलिस से पूछा तो उन्होंने पूरे विश्वास के साथ कहा कि उन की जांच में कहीं कोई गलती नहीं है. उन्होंने जो चार्जशीट पेश की है, पूरी जांच के बाद ही पेश की है. मल्लिगे की हत्या सुरेश ने ही की है. अदालत ने पुलिस की बात को अधिक महत्त्व दिया, इसलिए सुरेश जेल में ही पड़ा रहा. इस के बाद सुरेश के वकील पांडु पुजारी की तथ्यात्मक दलीलों की वजह से सितंबर, 2023 में सुरेश की जमानत मंजूर तो हुई, परंतु एक लाख रुपए के सिक्योरिटी बांड की व्यवस्था करने की आर्थिक ताकत न होने के कारण सुरेश को जेल में ही रहना पड़ा. घर में कमाने वाला एकमात्र सुरेश ही था.

सुरेश के जेल जाने के बाद उस की बूढ़ी मां और पिता को अधिक काम करना पड़ रहा था. सुरेश का बेटा दसवीं क्लास में पढ़ रहा था. वह पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी कर के परिवार को सहारा देने लगा. छोटी बहन से वह कहता था कि वह अच्छी तरह पढ़ सके, इसलिए उस ने पढ़ाई छोड़ कर मजदूरी करनी शुरू कर दी है. पापा जेल से छूट कर बाहर आ जाएंगे तो वह फिर से पढऩे जाने लगेगा. एक साल बाद सितंबर, 2024 में किसी तरह जमानत की व्यवस्था हो गई. इस तरह 2 साल जेल में रहने के बाद सुरेश जमानत पर जेल से बाहर आ पाया. नंदू को अपने दोस्त सुरेश से सच्चा लगाव था. उस ने सुरेश को लगभग डांटते हुए पूछा, ”सुरेश, तुम ने थाने में मल्लिगे की गुमशुदगी दर्ज कराते समय पुलिस को सच बात क्यों नहीं बताई थी?’’

दरअसल, इस में हकीकत यह थी कि मल्लिगे का गणेश नाम के एक युवक से प्रेम संबंध था. सुरेश को भी इस की थोड़ीबहुत जानकारी थी. मल्लिगे भाग गई तो सुरेश को लगता था कि मल्लिगे 2-4 दिन में पश्चाताप कर के लौट आएगी. अगर वह पुलिस से इस बारे में बता देता तो मल्लिगे की इज्जत का जनाजा निकल जाएगा. फिर अगर वह वापस आती है तो समाज में उस का स्थान एक बदनाम औरत के रूप में हो जाएगा. सुरेश को पूरा विश्वास था कि वह लौट आएगी, इसलिए उस ने यह बात किसी को नहीं बताई थी. चुपचाप जहर का घूंट गटक लिया था.

नंदू हर हालत में अपने दोस्त की मदद के लिए हर तरह से तैयार था. उस ने सुरेश से कहा कि सौ प्रतिशत मल्लिगे जीवित है और यहीं आसपास के किसी गांव में गणेश के साथ रह कर मजे कर रही है. अगर एक बार उस के बारे में पता चल जाए तो उस का केस क्लियर हो जाएगा. 2 सालों तक जेल में रहने की वजह से सुरेश पूरी तरह से मानसिक रूप से टूट चुका था. फिर भी नंदू ने उसे प्रेरित किया. इस के बाद नंदू और सुरेश मिल कर मल्लिगे की तलाश में लग गए. पहली अप्रैल, 2025 को उन की मेहनत रंग लाई. उन के गांव से 25 किलोमीटर दूर मडिकेरी नामक गांव में दोनों मल्लिगे की तलाश में भटक रहे थे, तभी उन्हें मल्लिगे दिखाई दी. मल्लिगे अपने प्रेमी गणेश के साथ एक होटल के अंदर जा रही थी.

मल्लिगे और गणेश को पता न चल सके, इस तरह चालाकी से नंदू ने अपने मोबाइल में उन दोनों का फोटो खींच लिया. उन दोनों की साथ खाते हुए वीडियो भी बना ली. इस के बाद दोनों भाग कर थाना मडिकेरी पहुंचे. नंदू एसएचओ को अपने मोबाइल में फोटो तथा वीडियो दिखा कर गिड़गिड़ाया कि अगर वह इस महिला को पकड़ लेते हैं तो उस के निर्दोष दोस्त की जिंदगी बच जाएगी. थाना मडिकेरी के एसएचओ ने तत्काल ऐक्शन ले कर मल्लिगे को पकड़ लिया. इस के बाद वकील ने एडवांसमेंट अप्लिकेशन कोर्ट में पेश किया. कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए मल्लिगे को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया.

मल्लिगे कोर्ट में आई. उस ने एकदम सहजता से कहा, ”मैं गणेश से प्यार करती थी. इसलिए हमेशा के लिए उस के साथ रहने के लिए सुरेश के घर से भाग कर गणेश के पास आ गई थी. मैं ने गणेश के साथ विवाह भी कर लिया है. सुरेश के घर से निकलने के बाद उस के साथ क्या हुआ, मुझे कुछ पता नहीं है. मैं ने यह जानने की परवाह भी नहीं की.’’

अदालत ने मल्लिगे से पूछा, ”सुरेश ने उस के घर से जाने के बाद थाने में उस की गुमशुदगी दर्ज कराई थी. उसे इस की भी जानकारी नहीं थी?’’

जवाब में मल्लिगे ने कहा, ”मुझे इस की शिकायत का कुछ पता नहीं है. मैं कहीं छिप कर थोड़े ही रह रही थी. गणेश के साथ सभी जगह खुलेआम घूमती थी. पर किसी दिन कोई पुलिस वाला मुझे खोजने नहीं आया.’’

पुलिस की इस गंभीर लापरवाही को देख कर पंचम एडिशनल डिस्ट्रिक्ट एंड सेशंस कोर्ट के जज गुरुराज सोमक्कलावर ने त्वरित काररवाई करते हुए जिला मैसूर के एसपी एन. विष्णुवर्धन, जिला कोडागु के एसपी और थाना बेट्टाडापुरा के 5 पुलिसकर्मियों को 4 मार्च, 2025 को कोर्ट में उपस्थित होने का आदेश दिया. सभी के कोर्ट में उपस्थित होने पर जज ने जिला कोडागु पुलिस से पूछा, ”तुम लोगों ने डीएनए रिपोर्ट आने के पहले ही चार्जशीट कैसे तैयार कर दी? मात्र अपनी धारणा के आधार पर बिना किसी सबूत के वह कंकाल मल्लिगे का ही है, यह कैसे मान लिया?

सचमुच वह कंकाल किस का है, तुम लोगों ने इस की जांच क्यों नहीं की? एक साथ 2 मामलों का खुलासा करने के लिए लापरवाही में एक निर्दोष युवक को 2 साल जेल में क्यों रहना पड़ा? जज ने जिला मैसूर के एसपी को जांच की जिम्मेदारी सौंप कर 17 मार्च, 2025 तक रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया. इस के बाद सुरेश के वकील पांडु पुजारी ने पत्रकारों से कहा कि 17 मार्च को रिपोर्ट आने के बाद फाइनल और्डर आ जाएगा और सुरेश निर्दोष घोषित हो जाएगा. उस के बाद मैं हाईकोर्ट में रिट पिटीशन कर के सुरेश को यातना देने वाले और झूठी चार्जशीट बनाने वाली पुलिस पर केस करूंगा. सुरेश और उस के फेमिली वालों ने जो पीड़ा सही है, उन्हें न्याय मिले और मुआवजा मिले, इस के लिए भी लड़ूंगा.

मानव अधिकार आयोग और शेड्यूल्ड ट्राइब कमीशन में जा कर इस निर्दोष आदिवासी परिवार को मुआवजा दिलाऊंगा. जज गुरुराज सोमक्कलावर ने मैसूर के एसपी एन. विष्णुवर्धन को जांच की जो जिम्मेदारी सौंपी थी, उन्होंने यह जिम्मेदारी थाना वायलाकुप्पे के सर्किल इंसपेक्टर दीपक कुमार को सौंप दी थी. दीपक कुमार ने 17 अप्रैल, 2025 को एसपी की ओर से 18 पृष्ठों की अपनी जांच रिपोर्ट अदालत में पेश की. जज ने इस जांच रिपोर्ट पर गंभीर आपत्ति जताई, क्योंकि इस रिपोर्ट में आदिवासी सुरेश के खिलाफ दायर आरोपपत्र को उचित ठहराने की कोशिश की गई थी.

इस के बाद सुरेश के वकील पांडु पुजारी ने कहा कि अदालत में सुनवाई के दौरान जांच अधिकारी के पास कोई उचित कारण नहीं था. पुलिस पर साक्ष्य गढऩे और अपने मुवक्किल, जोकि निर्दोष था, को फंसाने के लिए आरोपपत्र तैयार करने का आरोप लगाते हुए पुजारी ने कहा कि सुरेश ने हिरासत में अपने कीमती समय के लगभग 2 साल एक ऐसे अपराध के लिए गंवा दिए, जो उस ने कभी किया ही नहीं था. जिस की वजह से समाज में उसकी काफी बदनामी हुई. अपराध की स्वीकृति के लिए उसे काफी प्रताडि़त भी किया गया.

उन्होंने पुलिस पर फरजी आरोपपत्र दाखिल कर के अदालत के साथ धोखाधड़ी करने का भी आरोप लगाया है. पुजारी चाहते हैं कि अदालत स्वत:संज्ञान ले कर जांच अधिकारियों पर मामला दर्ज करे. अब देखना है कि इस मामले में अदालत क्या करती है. बहरहाल, सुरेश तो निर्दोष घोषित हो ही चुका है. Karnataka News

 

और कहानियां पढ़ने के लिए क्लिक करें...