Extramarital Affair : औरत कब और कहां बहक जाए, कहा नहीं जा सकता. सब कुछ ठीकठाक होते हुए भी मालती ने पति फेरन के दोस्त रामऔतार  से अवैध संबंध बना लिए थे. इसी दौरान ऐसा क्या हुआ कि मालती ने पति की सेज पर धमाल मचाने वाले यार रामऔतार के साथ मिल कर पति को कंकाल में बदल दिया…

माना कि शराब की लत बुरी होती है, लेकिन उस से भी बुरा होता है वासना का नशा. अगर पति और पत्नी दोनों इन आदतों के शिकार हो जाएं तब तो उन की जिंदगी की गाड़ी को पटरी से उतरने से कोई नहीं रोक सकता. ऐसा ही हुआ मालती और उस के पति फेरन के साथ. पति को नशे की लत थी और पत्नी अनैतिकता की मस्ती में ऐसी डूबी कि उस ने पतिपत्नी के रिश्ते को वासना की आग में झोंक दिया था. एक दिन बाजार से घर के कुछ जरूरी सामान की खरीदारी कर मालती तेज कदमों से अपने घर लौट रही थी. पीछे से साइकिल चला कर आते रामऔतार ने उसे रोका, ‘‘पैदल क्यों चल रही हो, पीछे कैरियर पर बैठ जाओ.’’ रामऔतार उस के गांव का ही रहने वाला युवक था.

‘‘अरे, नहींनहीं, तुम जाओ. गांव वाले देखेंगे तो गलत समझेंगे.’’ मालती ने उस से कहा.

‘‘गलत समझेंगे तो क्या हुआ. हम कौन भला सच्चे हैं.’’ रामऔतार बोला.

‘‘सब की नजरों में तो अच्छे हैं. पति घर आ चुका होगा. 2 हफ्ते बाद काम पर गया है.’’ मालती बोली.

‘‘अच्छा कोई बात नहीं. अपना थैला मुझे दे दो. और हां, फेरन को बोलना कि मैं शाम के 7 बजे तक आऊंगा. मैं ने उस के लिए एक बोतल खरीदी है.’’ कहते हुए रामऔतार ने मालती के हाथ से सब्जी और सामान का थैला ले लिया. उसे कैरियर पर एक हाथ से बांधने लगा, क्योंकि एक हाथ से वह विकलांग था.

‘‘तुम एक हाथ से कैसे सब काम कर लेते हो, मुझे देख कर हैरत होती है,’’ देख कर मालती बोली.

‘‘इस में हैरानी की क्या बात है, यह तो तुम्हारा प्यार है, जो तुम्हें देख कर हिम्मत आ जाती है.’’ रामऔतार उस के गाल को छूते हुए बोला.

मालती शरमा गई. बोली, ‘‘बसबस, मैं चलती हूं तुम कितना खयाल रखते हो मेरा.’’

‘‘मैं तुम्हारा सामान दरवाजे की बगल में रख कर टोकरी से ढंक कर रख दूंगा,’’ कह कर रामऔतार वहां से चला गया.

मालती खाली हाथ सड़क किनारे चलती हुई पैडल मारते रामऔतार को देखती रही. निश्चित तौर पर वह रामऔतार के बारे में ही सोचने लगी थी. मालती उसे पिछले 7 सालों से जानती थी. वह उस के पति फेरन का जिगरी दोस्त था. उस के घर से कुछ मकान छोड़ कर वह दूसरे टोले में रहता था. एक हाथ से विकलांग होने के बावजूद वह खेतीकिसानी से ले कर घर का सारा कामकाज खुद करता था. उस की शादी नहीं हुई थी. परिवार में वह अकेला था. उस की दूसरे रिश्तेदारों से जरा भी नहीं पटती थी. यही कारण था कि उस का दोस्त फेरन के घर निर्बाध रूप से आनाजाना लगा रहता था. मालती भी उस के घर बेरोकटोक आतीजाती थी. उस के यहां वह झाड़ू और साफसफाई जैसे घरेलू काम को अपने घर का कामकाज समझ निपटा दिया करती थी.

फेरन को इस का जरा भी बुरा नहीं लगता था. रामऔतार की एक ही लत थी शराब पीने की. कहते हैं कि यह लत फेरन ने ही उसे लगाई थी. हालांकि सालों से शराब का इंतजाम करने का काम रामऔतार ही करता आ रहा था. उस रोज भी वह अपने दोस्त के लिए एक बोतल शराब खरीद लाया था. मालती अंधेरा होने से पहले अपने घर पहुंच गई थी, उस का पति भी काम से लौट आया था.

‘‘कितने दिनों का काम मिला है?’’ मालती ने सामान का थैला उठाते हुए पति ने पूछा.

‘‘2 हफ्ते का है, लेकिन ठेकेदार पैसा कम दे रहा है. कहता है लौकडाउन में काम कम हो गया है.’’ फेरन ने बताया.

‘‘कोई बात नहीं, घर में कुछ तो आएगा, बैठे रहने से तो अच्छा है.’’ मालती लंबी सांस लेते हुई बोली.

‘‘आज कुछ अच्छा मसालेदार खाना पकाओ.’’ फेरन ने कहा.

‘‘हांहां, क्यों नहीं! तुम्हारा दोस्त भी आने वाला होगा, काम मिलने की खुशी में उस के साथ जश्न मनाना.’’ मालती ने चुटकी ली.

इसी बीच रामऔतार ने दरवाजे पर आवाज दी.

‘‘लो, आ गया तुम्हार यार!’’ मालती कह कर हंसने लगी.

रामऔतार के आने के बाद कुछ देर में ही घर के आंगन में फेरन और रामऔतार की दारू की महफिल सज गई थी. खाने को 3 तरह के नमकीन थे. बड़ी बोतल के साथ रखे 2 गिलासों में शराब खाली होने का नाम ही नहीं ले रहा था. जैसे ही फेरन का गिलास खाली होता, रामऔतार उस में और शराब डाल देता था. मक्के की मोटी रोटी के एक टुकड़े के साथ चटखारेदार सब्जी का आनंद लेते हुए सहज बोल पड़ता कि मीट होती तो और भी मजा आ जाता. मालती भी पति रामऔतार के गिलास से ही फेरन की नजर बचा कर एकदो घूंट पी लेती थी. धीरेधीरे दोनों दोस्त नशे में झूमने लगे थे, लेकिन फेरन पर नशा अधिक चढ़ गया था. वह एक ओर मुंह नीचे कर बड़बड़ाने लगा,

‘‘रामऔतार तू मेरा बहुत अच्छा यार है, इस कड़की में भी तूने मुझे अच्छी दारू पिलाई. मजा आ गया.’’

‘‘तू पैसे और काम की चिंता मत कर, जब तक तेरा दोस्त है तब तक दारू पिलाएगा. और अच्छीअच्छी विदेशी दारू भी पिलाएगा.’’ रामऔतार यह कहते हुए बगल में खड़ी मालती का हाथ खींच कर बिठा लिया. मालती के बैठने के धम्म की आवाज सुन कर फेरन बोला, ‘‘कौन मालती है? जरा मुझे पकड़ कर उठाना, पैर भर गया है. पेशाब करने जाना है.’’

मालती ने बैठेबैठे फेरन को हाथ का सहारा दिया. वह उठ कर कुछ पल खड़ा रह कर बोला, ‘‘अब ठीक है, मैं अभी आया.’’

यह कहता हुआ पेशाब करने के लिए घर से बाहर नाले के पास चला गया. उस के जाते ही रामऔतार ने ममता के कमर में हाथ डाल दिया. इस अंदेशे से बेखबर मालती बोल उठी, ‘‘अरे, क्या करते हो?’’

‘‘कुछ नहीं, थोड़ा प्यार करने का मन हो आया है. ये लो एक घूंट और पी लो.’’ रामऔतार ने कमर से हाथ निकाल कर अपने शराब का गिलास उस की होंठ से लगा दिया. मालती भी बिना किसी झिझक के घूंट पीने लगी. रामऔतार ने तुरंत उस का गाल को चूम लिया. मालती थोड़ी असहज हो गई.

‘‘इतना बेचैन क्यों हो रहे हो. 2 दिन पहले ही तो तुम ने…’’ मालती की बात पूरी करने से पहले ही फेरन ने आवाज दी. उस ने कहा कि वह सोने जा रहा है, अब और दारू नहीं पिएगा.

उस के बाद फेरन अपने कमरे की ओर चला गया. मालती उठी और बाहर का दरवाजा बंद कर लिया. रामऔतार ने अपने गिलास में कुछ और शराब डाली. ममता भी वहीं आ कर खाने के लिए रोटियां तोड़ने लगी. रामऔतार ने उस का हाथ पकड़ कर अपनी और खींच लिया. बगैर विरोध किए मालती उस की ओर खिसक आई. दूसरे हाथ से उस ने पास जल रही लालटेन की लौ धीमी कर दी. अगले पल मालती का सिर रामऔतार की गोद में था और रामऔतार के हाथ उस के नाजुक शरीर पर रेंगने लगे थे. जल्द ही दोनों बेकाबू हो गए. वासना की आग में जल उठे.

कुछ समय में वे एकदूसरे की कामाग्नि शांत कर निढाल हो चुके थे. मालती को होश तब आया जब फेरन ने उसे लात मारी. हड़बड़ा कर उठी. कपड़े समेटने लगी. कुछ कपड़ों पर रामऔतार बेसुध लेटा हुआ था, ब्लाउज और ब्रा उस ने खींच कर निकाला. फेरन यह सब देख कर गुस्से में तमतमा रहा था, उस के उठते ही फेरन ने पत्नी मालती के बाल पकड़ लिए. गुस्से में बदजात, बेहया, बदलचन बोलता हुआ भद्दीभद्दी गालियां देने लगा. आधी रात का समय था. फेरन को गुस्से में देख कर रामऔतार मामला समझ गया. कुछ कहेसुने बगैर वह चुपके से निकल गया. उस के जाते ही फेरन ने लातघूंसों से मालती की जम कर पिटाई कर दी. उसे तब तक पीटता रहा जब तक वह थक नहीं गया.

अगले दिन सुबह मालती चुपचाप आंगन में पड़ी रात की गंदगी को साफ करने लगी. थोड़ी देर में रामऔतार भी आ गया. वह आते ही चुपचाप दातून करते फेरन के पैरों पर गिर पड़ा. फेरन ने उसे झटक दिया. गुस्से में बोला, ‘‘तूने मेरी पीठ में खंजर घोंपा. बहुत बुरा किया. अब देखना मैं तुम्हारे साथ क्या करता हूं.’’

रामऔतार ने मालती की ओर देखा. इस से पहले कि वह कुछ बोलता, मालती ने उसे चुप रहने और चले जाने का इशारा किया. थोड़ी देर में फेरन बिना कुछ खाएपिए घर से निकल पड़ा. भारत की आजादी के जश्न का दिन था. कोरोना काल की वजह से भितरवार थाने में सादगी के साथ 15 अगस्त 2020 का झंडा फहराने का कार्यक्रम संपन्न हो चुका था. दोपहर का समय था. थानाप्रभारी पंकज त्यागी रोजाना की तरह ड्यूटी पर मौजूद थे. मालती बदहवास घबराई हुई थाने आई. आते ही फफकफफक कर रोने लगी. पूछने पर उस ने बताया कि पिछले 9 दिन से उस के पति का कुछ पता नहीं चल पा रहा है, वह 6 अगस्त से ही लापता है. उस की कई जगहों पर  तलाश की जा चुकी है, लेकिन कोई पता नहीं चल पा रहा है.

उस ने बताया कि वह 6 अगस्त को काम पर निकले थे. उस के बाद वह घर नहीं लौटे. उस ने बताया कि उन के पास पुराना मोबाइल फोन था, लेकिन वह बंद आ रहा है. हो सकता है खराब हो गया हो. इसी के साथ मालती किसी अनहोनी की आशंका जताते हुए थाने में रोने लगी. थाना प्रभारी ने उसे ढांढस बंधाते हुए जल्द ही पता लगाने का आश्वासन दिया. उन्होंने उस के लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कर ली. इसी के साथ उसे भी कहा कि पति के बारे में जो भी बात मालूम हो, वह थाने में तुरंत बताए. उस के बाद हर दूसरे दिन मालती थाने आती और अपने पति के बारे में पूछती थी.

एक दिन थाने में मालती पति को ले कर जोरजोर से हायहाय कर रोने लगी. देर तक थाने में हंगामा होता रहा. महिला पुलिसकर्मी ने उसे चुप कराया, खाना खिलाया. थानाप्रभारी ने उसे बताया कि उन्होंने उस के पति की तलाश के लिए कई लोगों से पूछताछ की है. काम देने वाले ठेकेदार से भी फेरन के बारे में पूछा गया है, उस के एक खास दोस्त रामऔतार से पूछताछ बाकी थी. पुलिस ने तय कर लिया था कि कोई संदिग्ध सुराग हाथ लगते ही रामऔतार को भी थाने बुला कर उस से पूछताछ की जाएगी. इस काम के लिए थानाप्रभारी ने कई भरोसेमंद मुखबिर भी लगा दिए.

कई महीने बीतने पर भी फेरन का कुछ पता नहीं चला. धीरेधीरे उस की गुमशुदगी की फाइल पर धूल जम गई. उस के ऊपर कई दूसरी फाइलें रख दी गईं. किंतु मालती चुप नहीं बैठी. उस ने 14 सितंबर, 2020 को पुलिस पर पति को नहीं ढूंढने का आरोप लगाते हुए हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका लगा दी. इस पर कोर्ट ने ग्वालियर एसपी अमित सांघी को जांच के आदेश दिए. सांघी ने फेरन की गुमशुदगी के मामले को गंभीरता से लेते हुए एएसपी (देहात) जयराज कुबेर के नेतृत्व में टीम गठित कर दी. इस के अलावा उन्होंने भितरवार एसडीओपी अभिनव बारंगे को भी इस केस को खोलने में लगा दिया.

यह मामला पुलिस के लिए किसी अबूझ पहेली से कम नहीं था, क्योंकि पिछली तफ्तीश में पुलिस के हाथ कोई ऐसा तथ्य नहीं लग पाया था, जिस से पुलिस को कोई मदद मिल सके.  एसडीओपी  बारंगे ने इस सनसनीखेज मामले की 7 जुलाई, 2021 को नए सिरे से बारीकी से अध्ययन करते हुए जांच शुरू की. जांच की शुरुआत उस के अजीज दोस्त रामऔतार से हुई. थानाप्रभारी पंकज त्यागी को अपने साथ ले कर फेरन के गांव मोहनगढ़ गए. वहीं उस से फेरन के बारे में हर छोटीछोटी बातें पूछी गईं. उस से मिली कई जानकारियां काफी चौंकाने वाली थीं. उसी सिलसिले में मालूम हुआ कि फेरन की पत्नी मालती का चालचलन ठीक नहीं है.

फेरन के लापता होने वाले दिन से ही वह रामऔतार के घर पर रह रही है. जबकि इस बात का मालती ने पुलिस से जरा भी जिक्र तक नहीं किया था. यहां तक कि उस ने फेरन और रामऔतार के जिगरी दोस्त होने की बात तक नहीं बताई थी. पुलिस के लिए यह जानकारी महत्त्वपूर्ण थी. पंकज त्यागी ने 26 जुलाई, 2021 को रामऔतार को पूछताछ के लिए थाने बुलाया. उस ने न तो फेरन के बारे में कोई खास नई जानकरी दी और न ही मालती से संबंध के बारे में कुछ बताया. उस ने अपने दोस्त के लापता होने पर काफी दुख भी जताया. मालती भी रामऔतार के फेरन का परम मित्र होने का वास्ता देती रही. दोनों की बातों पर भरोसा कर एसडीओपी ने उस दिन उन्हें छोड़ दिया, लेकिन टीआई भितरवार को दोनों पर चौकस नजर रखने को कहा.

दूसरे दिन एसडीओपी ने बिना वक्त गंवाए दूसरे राउंड की पूछताछ के लिए मालती और रामऔतार को फिर से बुलवा लिया. उन्होंने पूछताछ के लिए सब से पहले मालती को अपने कक्ष में बुलाया. उस से फेरन और रामऔतार के बारे में कई कोणों से पूछताछ की. हर सवाल का जवाब उस ने अपने सुहाग का हवाला दे कर कसम के साथ दिया. बातोंबातों में उस ने बोल दिया कि मैं अपने सुहाग को क्यों मिटाऊंगी? यही बात पुलिस के गले नहीं उतरी कि आखिर मालती के दिमाग में अपने सुहाग को मिटाने की बात क्यों आई? कहीं उस ने सच में ऐसा तो नहीं किया है? जरूर कुछ बात है, जो वह छिपा रही है.

2 दिनों बाद पुलिस ने मालती को फिर थाने बुलाया. वहां पहले से रामऔतार को देख कर वह चौंक पड़ी. उस के आते ही टीआई ने कड़कदार आवाज में कहा, ‘‘मुझे तुम्हारे बारे में बहुत कुछ मालूम हो चुका है. अब तुम सब कुछ सचसच बता दो, वरना मुझे सच्चाई पता करने के लिए दूसरा रास्ता अख्तियार करना पडे़गा. और हां, तुम्हारे पति का सुराग मिल गया है.’’

‘‘क्या कहते हैं साहब, मेरा पति कहां है?’’ मालती खुद को संभालती हुई बोली. जब तक दूसरे पुलिसकर्मी ने रामऔतार को दूसरे कमरे में बुला लिया.

‘‘तुम्हारे बारे में रामऔतार ने बहुत सारी बातें बताई हैं.’’ यह कहते हुए जांच अधिकारी ने अंधेरे में तीर चलाया, जो निशाने पर जा लगा. मालती के चेहरे का रंग उड़ गया था.

‘‘क्या बोला साहब मेरे बारे में?’’ मालती डरती हुई बोली.

‘‘यह कि तुम पति से हमेशा झगड़ती रहती थी और वह उस की मारपीट से तुम्हें बचाया करता था.’’

‘‘किस मियांबीवी के बीच झगड़ा नहीं होता है, साहब?’’ मालती बोली.

‘‘तुम बातें मत बनाओ, सहीसही बताओ कि 6 अगस्त को तुम्हारा पति से झगड़ा हुआ था या नहीं?’’ जांच आधिकारी ने पूछा.

उसी वक्त एक पुलिसकर्मी आ कर बोला, ‘‘साब, रामऔतार ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया है.’’

‘‘क्याऽऽ कैसा जुर्म?’’ मालती अचानक बोल पड़ी.

जांच अधिकारी बोले, ‘‘जुर्म कुबूला है रामऔतार ने तो तुम क्यों चौंक रही हो?’’ उस के बाद वह रामऔतार से पूछताछ करने चले गए. इधर मालती सिर झुकाए बैठी रही. एसडीओपी थोड़ी देर बाद रामऔतार को ले कर मालती के पास आए. उन्होंने मालती से कहा तुम्हारा सारा राज खुल गया है. उस का सबूत कुछ मिनटों में मिल जाएगा. इसलिए भलाई इसी में है कि तुम दोनों सब कुछ सचसच बता दो. कुछ देर में ही 2 पुलिसकर्मी एक ग्रामीण को ले कर आए. उसे देखते ही रामऔतार चौंक गया, लेकिन खुद को काबू में रखते चुप रहा. एसडीओपी रामऔतार से बोले, ‘‘इसे तो तुम पहचानते ही हो. शिवराज है. इस की एक गलती ने तुम्हारा भेद खोल दिया है.’’

मालती और रामऔतार चुप रहे. अब जांच अधिकारी ने कुछ बातें विस्तार से बताते हुए कहा, ‘‘इस के पास जो मोबाइल है, उस में तुम्हारे दोस्त और मालती के पति फेरन के मोबाइल का खास नंबर आ चुका है.  शिवराज का कहना है कि उस ने रामऔतार के साथ मिल कर फेरन की हत्या कर दी है. उस के बाद उस के मोबाइल के सिम को फेंक कर अपना नया सिम लगा लिया था, जिस से फेरन के मोबाइल का आईएमईआई नंबर एक्टिवेट हो गया और हमारी पहुंच उस तक हो गई.’’

इतना बताने के बाद जांच अधिकारी ने रामऔतार से कहा, ‘‘अब तुम सच बताओगे या मुझे कुछ और सख्ती दिखानी होगी.’’

‘‘तो फिर रामऔतार ने अभी तक जुर्म नहीं कुबूला था, आप लोगों ने मुझ से झूठ बोला.’’ मालती सहसा बोल पड़ी.

‘‘एक जुर्म करने वाला तुम्हारे सामने आ चुका है, दूसरा तुम्हारा प्रेमी रामऔतार है, जो अपनी सच्चाई बताएगा.’’

‘‘यदि पता होता तो मैं आप को अवश्य बता देता साहब. हम दोनों तो रोज मजदूरी करने साथ जाते थे. मेरी तो उस से खूब पटती थी.’’

रामऔतार का यह बोलना था कि थानाप्रभारी पंकज त्यागी का झन्नाटेदार थप्पड़ उस के गाल पर पड़ा. वह अपना गाल पकड़ कर बैठ गया. अभी बैठाबैठा कुछ सोच ही रहा था कि एसडीओपी अभिनव बारंगे बोले, ‘‘तुम्हारा इश्क किस से और किस हद तक है, यह सब मुझे जांच के दौरान पता चल चुका है. तुम ने फेरन को क्यों और किसलिए मारा, वह भी तुम्हारे सामने है.’’ उन्होंने मालती की ओर इशारा करते हुए कहा. यह सुन कर मालती ने शर्म से नजरें झुका लीं. उसे इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि टीवी पर क्राइम सीरियल देख कर बनाई कहानी का अंत इतनी आसानी से हो जाएगा और पुलिस उस से सच उगलवा लेगी.

तीर निशाने पर लगता देख एसडीओपी  ने बिना विलंब किए तपाक से कहा कि अब तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम दोनों साफसाफ बता दो कि फेरन की हत्या क्यों की? मुझे तुम्हारे मुंह से सच जानना है. मालती और रामऔतार लगातार पुलिस अधिकारियों द्वारा फेरन को ले कर पूछे जा रहे सवालों के जवाब देने में इस कदर उलझ गए कि उन्होंने उस की हत्या का अपना अपराध स्वीकार करने में ही अपनी भलाई समझा. फेरन की हत्या की जो कहानी उभर कर सामने आई, वह पराए मर्द की चाहत में निर्दयता की पराकाष्ठा की कहानी बयां करती है. कोई सोच भी नहीं सकता था कि पत्नी अपने ही पति का अपने प्रेमी के साथ मिल कर कत्ल कर देगी. वह भी तब जब वह अपनी पत्नी को हर सुखसुविधाएं उपलब्ध कराता हो.

रामऔतार ने अपना गुनाह कुबूल करते हुए बताया कि उस ने अपनी प्रेमिका मालती के कहने पर अपने दोस्त शिवराज के साथ मिल कर  फेरन की हत्या की थी. पूछताछ में मालती ने बताया कि उस के और रामऔतार के बीच संबंध थे. पति ने उसे एक बार रंगेहाथों पकड़ लिया था. उस के बाद से उस के फेरन के साथ संबंध बिगड़ गए थे. इसे देख कर ही फेरन को रास्ते से हटाने के लिए उस की हत्या की योजना बनाई. योजना के तहत रामऔतार ने अपने दोस्त शिवराज को भी शामिल कर लिया. इस के लिए उस ने शिवराज को 5 हजार रुपए और शराब भी उपलब्ध कराई.

6 अगस्त, 2020 को फेरन अपने मामा के गांव निमाई गया हुआ था. वहां से उस के लौट कर घर आते समय रामऔतार और शिवराज ने उसे रास्ते में ही रोक लिया. फिर शराब पिलाने के बहाने से हस्तिनापुर क्षेत्र के चपरोली गांव के बाहर खेत में ले गए. वहीं तीनों ने शराब पी. रामऔतार और उस के दोस्त शिवराज ने जानबूझ कर फेरन को कुछ ज्यादा ही शराब पिला दी. जब उसे अधिक नशा हो गया, तब उन्होंने उस के सिर पर पत्थर और लोहे के पाइप से वार कर मौत के घाट उतार दिया. फिर उस की लाश शिवराज की बाइक पर ले जा कर कृपालपुर गांव में स्थित एक सूखे कुएं में फेंक दी. बाद में उस कुएं पर मिट्टी डाल कर पौधे लगा दिए गए.

तीनों को भरोसा था कि अब वे कभी भी फेरन की हत्या के मामले में पकडे़ नहीं जाएंगे. लेकिन इस बीच शिवराज ने यह गलती कर दी कि फेरन के मोबाइल में डाली सिम निकाल कर फेंक दी और उस में अपनी सिम डाल ली. मालती और रामऔतार की निशानदेही पर पुलिस द्वारा 26 जुलाई, 2021 को कुएं से फेरन का कंकाल बरामद कर लिया गया. बाद में वह डीएनए टेस्ट के लिए प्रयोगशाला भेज दिया. थाना हस्तिनापुर में हत्यारोपियों मालती, रामऔतार और शिवराज के खिलाफ भादंवि की धारा 302, 201, 120बी के तहत रिपोर्ट दर्ज कर तीनों अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया. Extramarital Affair

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