Agra News : अंजलि सनी का बचपन का प्यार थी, इसलिए वह उसे हर हालत में अपनी बनाना चाहता था, अंजलि भी उस की बनने को तैयार थी. फिर ऐसा क्या हुआ कि सनी को प्रेमिका अंजलि का हत्यारा बनना पड़ा…

5 नवंबर, 2014 की शाम पौने 7 बजे के आसपास अंधेरा घिरने पर आगरा के थाना हरिपर्वत के मोहल्ला नाला बुढ़ान सैयद में रेल की पटरियों के किनारे रहने वाले सतीशचंद की बेटी अंजलि किसी काम से पटरियों की ओर गई तो किसी ने उस पर चाकू से जानलेवा हमला कर दिया. जान बचाने के लिए अंजलि चिल्लाते हुए घर की ओर भागी, लेकिन हमलावर ने उसे गिरा कर गर्दन पर ऐसा वार किया कि उस की गर्दन कट गई और वह तुरंत मर गई. शोर सुन कर आसपास के लोग वहां पहुंच पाते, हमलावर अंजलि को मार कर अंधेरे में गायब हो गया.

शोर सुन कर अंजलि के घर वाले भी आ गए थे. उस की हालत देख कर वे रोने लगे. थोड़ी ही देर में वहां पूरा मोहल्ला इकट्ठा हो गया. हत्या का मामला था, इसलिए पुलिस को सूचना दी गई. थाना हरिपर्वत पास में ही था, इसलिए सूचना मिलते ही थानाप्रभारी इंसपेक्टर हरिमोहन सिंह एसएसआई शैलेश कुमार सिंह, एसआई अभय प्रताप सिंह, हाकिम सिंह, सिपाही परेश पाठक और रामपाल सिंह को साथ ले कर तुरंत घटनास्थल पर पहुंच गए.

चूंकि इस घटना की सूचना पुलिस कंट्रोलरूम को भी दे दी गई थी, इसलिए जिले के पुलिस अधिकारियों को भी घटना की जानकारी हो गई थी. इसलिए थोड़ी ही देर में एसएसपी शलभ माथुर, एसपी (सिटी) समीर सौरभ, सीओ हरिपर्वत अशोक कुमार सिंह, मनीषा सिंह, एएसपी शैलेष पांडे भी घटनास्थल पर पहुंच गए थे. पुलिस अधिकारियों ने घटनास्थल और लाश का निरीक्षण किया. हत्यारे ने जिस तरह चाकू से वार कर के मृतका की हत्या की थी, उस से अंदाजा लगाया कि हत्यारा अंजलि से गहरी नफरत करता था.

पुलिस अधिकारियों ने डौग स्क्वायड टीम भी बुलाई थी. लेकिन कुत्ते पुलिस की कोई मदद नहीं कर सके. वे वहीं आसपास घूम कर रह गए थे. इस हत्या से नाराज मोहल्ले वालों ने पुलिस के विरोध में नारे लगाने के साथ घोषणा कर दी कि वे लाश तब तक नहीं उठाने देंगे, जब तक हत्यारा पकड़ा नहीं जाता. पुलिस अधिकारियों ने समझायाबुझाया और हत्यारे को जल्द पकड़ने का आश्वासन दिया, तब कहीं जा कर घर और मोहल्ले वालों ने लाश ले जाने की अनुमति दी. पुलिस ने जल्दीजल्दी घटनास्थल की काररवाई निपटा कर लाश को पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया. अब तक सूचना पा कर पड़ोस के मोहल्ले में रहने वाला मृतका का पति सुनील भी आ गया था.

उस ने पुलिस को बताया कि उस की पत्नी की हत्या उस की ससुराल वालों के पड़ोस में रहने वाले उत्तमचंद के बेटे सनी ने की है. इस के बाद सुनील की ओर से थाना हरिपर्वत में अंजलि की हत्या का मुकदमा नाला बुढ़ान सैयद के रहने वाले उत्तम चंद के बेटे सनी के खिलाफ नामजद दर्ज कर लिया गया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने सनी को गिरफ्तार करने के लिए उस के घर छापा मारा तो वह घर से गायब मिला. सनी के घर छापा मारने गई पुलिस टीम से घर वालों से कहा कि अंजलि की हत्या उस के पति सुनील ने ही की है. लेकिन पुलिस टीम को उन की इस बात पर विश्वास नहीं हुआ.

हत्या के इस मामले की जांच थानाप्रभारी इंसपेक्टर हरिमोहन सिंह ने खुद संभाल रखी थी. पुलिस अधिकारियों की भी नजर इस मामले पर थी. इसलिए सनी को पकड़ने के लिए सीओ हरिपर्वत अशोक कुमार सिंह के नेतृत्व में 3 टीमें बनाई गईं. एसएसपी शलभ माथुर ने तीनों टीमों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा था कि उन्हें किसी भी तरह उसी रात सनी को पकड़ना है. क्योंकि उन्हें पता था कि पोस्टमार्टम के बाद मृतका के घर वाले फिर हंगामा करेंगे. वह नहीं चाहते थे कि पोस्टमार्टम के बाद अंतिम संस्कार के समय घर वाले किसी तरह का हंगामा करें. सब से बड़ी बात यह थी कि मोहल्ले के पास से रेलवे लाइन गुजरती थी, हंगामा करने वाले लाइन पर बैठ कर गाडि़यों का आवागमन रोक सकते थे.

देर रात सीओ अशोक कुमार सिंह को कहीं से सूचना मिली कि सनी राजा मंडी रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़ कर दिल्ली जा सकता है. इसी सूचना के आधार पर इंसपेक्टर हरिमोहन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस टीम राजा मंडी रेलवे स्टेशन पर सनी की तलाश में जा पहुंची. सुबह 6 बजे के आसपास वहां से दिल्ली के लिए इंटरसिटी एक्सप्रेस जाती थी, इसलिए तीनों टीमें पूरी सतर्कता के साथ ट्रेन पर चढ़ने वाली सवारियों पर नजर रखने लगीं. सनी को पहचानने वाला एक आदमी पुलिस टीमों के साथ था. ट्रेन छूटने में 5 मिनट बाकी था, तभी उस आदमी ने एक युवक की ओर इशारा किया. चूंकि पुलिस टीमों के सदस्य वर्दी में नहीं थे, इसलिए सनी को पता नहीं चला कि पुलिस स्टेशन पर उसे तलाश रही है.

सनी निश्ंिचत हो कर ट्रेन पर चढ़ रहा था, इसलिए पुलिस ने आराम से उसे पकड़ लिया. थाना हरिपर्वत ला कर उस से पूछताछ शुरू हुई. वह कोई बहानेबाजी करता, उस के पहले ही पुलिस ने उस के कपड़ों पर लगे खून के छींटों की ओर इशारा किया तो उस ने अपना अपराध स्वीकार कर के अंजलि की हत्या की पूरी कहानी सुना दी. अंजलि आगरा के थाना हरिपर्वत के मोहल्ला नाला बुढ़ान सैयद के रहने वाले सतीशचंद की 6 संतानों में पांचवें नंबर की बेटी थी. शहर के पौश इलाके हरिपर्वत से सटा रेलवे लाइन को किनारे बसा है मोहल्ला नाला बुढान सैयद. यहां रहने वाले लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं. कभी यह गरीबों का मोहल्ला था. लेकिन आज यहां लगभग सभी के मकान 3 तीन मंजिल बन चुके हैं.

सतीशचंद के पड़ोस में उत्तमचंद का मकान था. उस के परिवार में पत्नी बेबी के अलावा तीन बेटे, भोलू, बबलू और सनी थे. निम्न मध्यम वर्गीय परिवार होने की वजह से उत्तमचंद के बच्चे पढ़ नहीं सके. जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही वे छोटेमोटे काम करने लगे. सनी ने भी हाईस्कूल कर के पढ़ाई छोड़ दी थी. पड़ोसी होने की वजह से सनी और अंजलि साथसाथ खेल कर बड़े हुए थे और एक ही स्कूल में पढ़े थे. अंजलि ने जहां आठवीं पास कर के पढ़ाई छोड़ दी थी, वहीं सनी ने हाईस्कूल पास कर के. हमउम्र होने की वजह से दोनों में कुछ ज्यादा ही पटती थी. यही पटरी किशोरावस्था आतेआते प्यार में बदल गया.

अंजलि के मांबाप ने पहले तो दोनों के मेलमिलाप व मुलाकातों पर कोई बंदिश नहीं लगाई, लेकिन जब उन्हें लगा कि बेटी अब सयानी हो गई है तो उन्हें लगा कि जवान बेटी का किसी जवान लड़के से मिलनाजुलना ठीक नहीं है. बस इस के बाद उन्होंने समझदारी से काम लेते हुए अंजलि को ऊंचनीच का पाठ पढ़ाते हुए उसे सनी से दूर रहने की सलाह दी. अंजलि ने मांबाप को भले ही आश्वासन दिया कि वह सनी से नहीं मिलेगी, लेकिन उस के लिए ऐसा करना आसान नहीं था. सनी अब तक उस के लिए उस की जिस्म की जान बन चुका था, उस के दिल की धड़कन बन चुका था. ऐसे में वह सनी से दूर कैसे रह सकती थी.

अंजलि उस से मिलतीजुलती रही. हां, अब वह उस से मिलने में थोड़ा सावधानी जरूर बरतने लगी थी. लेकिन उस की मुलाकातों की भनक सतीशचंद और विमला देवी को लग ही गई. उन्हें लगा कि अब अंजलि का विवाह कर देना ही ठीक है. उन्होंने आननफानन में लड़का देखा और अंजलि की शादी कर दी. यह 3 साल पहले की बात है. अंजलि का पति सुनील नाला बुढान सैयद से लगे मोहल्ले पीर कल्याणी में रहता था. वह एक जूते की फैक्ट्री में सुपरवाइजर था. नौकरी की वजह से वह सुबह 8 बजे घर से निकल जाता तो देर रात को ही घर लौटता था. शादी के बाद कुछ दिनों तक तो अंजलि ने सनी से दूरी बनाए रखी, लेकिन कुछ दिनों बाद वह उस से फिर मिलनेजुलने लगी. इसी बीच वह एक बेटे की मां बन गई.

अंजलि का सोचना था कि उस का सनी से मिलनाजुलना किसी को पता नहीं है. लेकिन ऐसा नहीं था. उस की हरकतों पर ससुराल वालों की नजर थी. वे एकएक बात सुनील से बताते रहते थे. सुनील ने अंजलि की आशनाई का सुबूत जुटाने के लिए उसे एक ऐसा मोबाइल फोन खरीद कर दे दिया था, जिस में बातचीत करते समय पूरी बात रिकौैर्ड हो जाती थी. इस तरह अंजलि और सनी की अंतरंग बातें रिकौर्ड कर के सुनील ने सुबूत इकट्ठा कर लिए थे. इस के बाद उस ने अंजलि को समझाना चाहा तो वह बगावत पर उतर आई. नाराज हो कर वह बेटे चीनू को ले कर मायके चली गई.

मायके वाले उसे दोष न दें, इसलिए उस ने अपनी मां से बताया कि सुनील का किसी औरत से संबंध है, जिस की वजह से वह उस से प्यार नहीं करता. इसीलिए दुखी हो कर वह मायके आ गई है. विमला देवी को लगा कि बेटी सच कह रही है. इस की वजह यह थी कि सुनील अंजलि और सासससुर से बहुत कम बातें करता था. अंजलि लगभग 6 महीने तक लगातार मायके में रह गई तो आसपड़ोस वाले सवालजवाब करने लगे. इस के बाद सतीशचंद ने सुनील को घर बुलाया तो सच्चाई का पता चला. तब सतीशचंद और विमला देवी ने बेटीदामाद को समझाबुझा कर अंजलि को सुनील के साथ ससुराल भेज दिया.

सुनील अंजलि को साथ ले तो नहीं जाना चाहता था, लेकिन सासससुर का उतरा हुआ चेहरा देख कर वह अंजलि को साथ ले आया. 2-3 महीने तक सब ठीकठाक चला. लेकिन इस के बाद जो होने लगा, वह पहले से भी ज्यादा खतरनाक था. सनी पहले तो अंजलि से फोन पर ही बातें करता था, इस बार वह सुनील की अनुपस्थिति में अंजलि से मिलने उस के पीर कल्याणी स्थित घर आने लगा. अंजलि ने ससुराल वालों से उसे दूर का रिश्तेदार बताया था. 6 महीने तक सनी पीर कल्याणी अंजलि से मिलने आताजाता रहा. लेकिन एक दिन दोपहर को सुनील घर आ गया तो उस ने सनी को अंजलि के कमरे में बैठे बातें करते देख लिया.

पहले तो उस की सनी से हाथापाई हुई, इस के बाद सुनील ने उसे तो बेइज्जत कर के भगाया ही, अंजलि को भी उस की मां विमला देवी से सारी हकीकत बता कर मायके छोड़ आया. विमला देवी उस दिन तो सुनील से कुछ नहीं कह सकी, लेकिन बाद में उस पर अंजलि को ले जाने का दबाव बनाने लगी. सुनील अंजलि को ले जाता, उस के पहले ही एक दोपहर अंजलि बेटे को मायके में छोड़ कर सनी के साथ भाग निकली. इस से दोनों ही परिवारों में हड़कंप मच गया. पता चला कि अंजलि बेटे की दवा लेने के बहाने से घर निकली और राजामंडी चौराहे से धौलपुर जाने वाली बस में सवार हो कर सनी के साथ चली गई थी.

धौलपुर में सनी की मौसी रहती थी. सनी अंजलि को ले कर उन के यहां पहुंचा तो उन्होंने फोन द्वारा अपनी बहन बेबी को इस बात की सूचना दे दी. सतीशचंद सनी के पिता उत्तमचंद के साथ धौलपुर जाने की तैयारी कर रहे थे कि बेटे से मिलने के लिए सुनील ससुराल आ पहुंचा. इस तरह उसे भी पत्नी के सनी के साथ भाग जाने की जानकारी हो गई. उसी शाम सुनील ने थाना लोहामंडी जा कर सनी के खिलाफ अपनी पत्नी अंजलि को बहलाफुसला कर भगा ले जाने की रिपोर्ट दर्ज करा दी. पुलिस कोई काररवाई करती, उस के पहले ही सुनील विमला देवी, सतीशचंद और बेबी उत्तमचंद के साथ धौलपुर गया और अंजलि को आगरा ले आया. आगरा आ कर उस ने थाना लोहामंडी पुलिस को धौलपुर में जहां सनी ठहरा था, वहां का पता बता दिया.

इस के बाद थाना लोहामंडी पुलिस धौलपुर गई और सनी को पकड़ कर ले आई. इस के बाद पुलिस ने सनी को अदालत में पेश करने के साथ अंजलि का भी बयान दर्ज कराया, जहां उस ने सनी के खिलाफ जम कर जहर उगला. उस ने कहा कि सनी ने उस का जबरन अपहरण किया था और उसे बंधक बना कर उस के साथ दुष्कर्म किया था. अंजलि के इसी बयान की वजह से सनी को हाईकोर्ट से अपनी जमानत करानी पड़ी. सनी के साथ जो हुआ था, इस के लिए उस ने अंजलि को दोषी माना. इसलिए उसे अंजलि से गहरी नफरत हो गई. अब वह उस की हत्या करने के बारे में सोचने लगा. जेल से बाहर आने के बाद 1-2 बार उस ने अंजलि से मिलने और बातचीत करने की कोशिश की, लेकिन अंजलि ने साफ मना कर दिया.

इस की वजह यह थी कि सुनील ने साफसाफ कह दिया था कि अगर अब उस ने सुन भी लिया कि वह सनी से बातचीत करती है तो वह उसे तलाक दे देगा. इसलिए अपने और बच्चे के भविष्य को देखते हुए अंजलि ने सनी से दूर रहने का फैसला कर लिया था. कहा जाता है कि अंजलि ने अदालत में सनी के खिलाफ जो बयान दिया था, वह भी सुनील के ही कहने पर दिया था. सुनील का सोचना था कि अंजलि के इस बयान से दोनों के बीच दरार पड़ जाएगी और हुआ भी वही.

जमानत पर जेल से बाहर आने के बाद सनी अपने घर आने के बजाय धौलपुर जा कर मौसी के यहां रह रहा था. लेकिन वह अपने दोस्तों से अंजलि के बारे में पता करता रहता था. जैसे ही उसे पता चला कि अंजलि मायके आई है, वह मौसी से मांबाप से मिलने की बात कह कर आगरा आ गया. सनी भले ही घर आ गया था, लेकिन वह ज्यादातर घर में ही रहता था. 4 नवंबर, 2014 की शाम वह छत पर बैठा था, तभी उसे अंजलि रेलवे की पटरियों की ओर जाती दिखाई दी. सनी को लगा कि अपमान का बदला लेने के लिए यह अच्छा मौका है.

वह नीचे उतरा और बाजार जा कर खुद को कसाई बता कर गोश्त काटने वाला छुरा खरीद लाया. अगले दिन यानी 5 नवंबर को अंधेरा होने से पहले ही वह वहां छिप कर बैठ गया, जिधर अंजलि जाती थी. अंधेरा होने पर अंजलि उधर आई तो उस ने उस की हत्या कर के अपनी नफरत की आग बुझा ली. अंजलि की चीख सुन कर जब तक मोहल्ले वाले वहां पहुंचते, सनी उस की हत्या कर के जा चुका था. उस समय कोई नहीं जान सका कि अंजलि को किस ने इतनी बेरहमी से मार दिया. वहां से भाग कर सनी राजामंडी रेलवे स्टेशन पर पहुंचा. उसे लग रहा था कि लोग उसे खोजते हुए वहां आ सकते हैं, इसलिए वह एक खोखे के पीछे छिप गया.

उसे यह भी पता था कि पुलिस उसे खोजते हुए धौलपुर जा सकती है, इसलिए उस ने दिल्ली जाने का निर्णय लिया. वह दिल्ली जा पाता, उस के पहले ही पुलिस ने उसे पकड़ लिया. पूछताछ के बाद पुलिस ने उस की निशानदेही पर रेलवे लाइन के किनारे से पत्थरों के नीचे से वह छुरा बरामद कर लिया था, जिस से उस ने अंजलि की हत्या की थी. सारे सुबुत जुटा कर पुलिस ने उसे अदालत में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया. कथा लिखे जाने तक वह जेल में ही था. Agra News

कहानी पुलिस सूत्रों व सुनील के बयान

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