UP Crime : मुकेश जगदीश को अपना अच्छा दोस्त समझता था, जबकि जगदीश उस का दोस्त नहीं, उस की बीवी के बिस्तर का साथी था...
मीना और जगदीश पहली मुलाकात में ही एकदूजे को अपना दिल दे बैठे थे. मीना को पाने की चाह जगदीश के दिल में हिलोरे मारने लगी थी. इसलिए वह किसी न किसी बहाने से मीना से मिलने उस के घर अकसर आने लगा. घर आने पर मीना उस की आवभगत करती. चायपानी के दौरान जगदीश जानबूझ कर मीना के शरीर को स्पर्श कर लेता तो वह बुरा मानने के बजाय मुसकरा देती. इस से जगदीश की हिम्मत बढ़ती गई और वह मीना को जल्द से जल्द पाने की कोशिश में लग गया.
एक दिन जगदीश सुमन के घर आया तो सुमन उस समय घर में अकेली आईने के सामने शृंगार करने में मशगूल थी. उस की साड़ी का पल्लू गिरा हुआ था. जगदीश दबे पांव आ कर उस के पीछे चुपचाप खड़ा हो गया. उस की कसी देह आईने में नुमाया हो रही थी. मीना उस की मौजूदगी से अंजान थी. जगदीश कुछ देर तक मंत्रमुग्ध सा आईने में मीना के निखरे सौंदर्य को अपनी आंखों से समेटने की कोशिश करता रहा. इस तरह देख कर उस की चाहत दोगुनी होती जा रही थी.
इसी बीच मीना ने आईने में जगदीश को देखा तो तुरंत पीछे मुड़ी. उसे देख कर जगदीश मुसकराया तो मीना ने अपना आंचल ठीक करने के लिए हाथ बढ़ाया. तभी जगदीश ने उस का हाथ थाम कर कहा, ‘‘मीना, बनाने वाले ने खूबसूरती देखने के लिए बनाई है. मेरा बस चले तो अपने सामने तुम को कभी आंचल डालने ही न दूं. तुम आंचल से अपनी खूबसूरती को बंद मत करो.’’